मेरा परमानेंट जुगाड़


हर रोज की तरह सुबह मैं मॉर्निंग वॉक पर घर से निकला उस वक्त सुबह के 5:00 बज रहे थे सब कुछ वैसा ही था जैसा हमेशा की तरह रहता था। आधे घंटे की मॉर्निंग वॉक के बाद मैं जब घर पहुंचा तो उस वक्त पिताजी उठ चुके थे और वह मुझे कहने लगे की अमन बेटा तुम आ गए मैंने पिताजी से कहा हां पापा। मैं उसके बाद अखबार पढ़ने लगा मेरी पत्नी भी उठ चुकी थी और वह मुझे कहने लगी कि अमन क्या मैं आपके लिए चाय बना दूं तो मैंने उसे कहा नहीं लाता अभी तुम चाय रहने दो मेरा मन अभी चाय पीने का नहीं है थोड़ी देर बाद तुम मेरे लिए चाय बना देना। जब मैं अखबार पढ़ने के बाद नहाने के लिए चला गया तो उसके बाद मैंने अपनी पत्नी लता से कहा कि तुम मेरे लिए चाय बना दो उसने मेरे लिए चाय बना दी और मैं चाय पीने लगा। मैं और पापा साथ में बैठे हुए थे पापा अखबार पढ़ रहे थे और वह मुझसे बात कर रहे थे पापा ने मुझे कहा कि अमन बेटा तुम्हारी बहन कुछ दिनों के लिए यहां आ रही है। मैंने पापा से कहा लेकिन दीदी कब आ रही है दीदी को आए हुए तो काफी समय हो चुका है पापा ने कहा वह दो-चार दिनों में यहां आ जाएगी क्योंकि उससे मेरी फोन पर बात हुई थी।

पापा के साथ मैं कुछ देर बैठा रहा फिर मैं अपने ऑफिस जाने के लिए तैयार होने लगा मैं एक फाइनेंस कंपनी में नौकरी करता हूं मैं अब तैयार हो चुका था और अपने ऑफिस के लिए मैं निकल चुका था। मैं जब अपने ऑफिस पहुंचा तो हर रोज की तरह काम में इतना बिजी हो गया कि पता ही नहीं चला कब शाम हो गई शाम होते वक्त मैं घर लौटा और जब मैं घर लौटा तो मेरी पत्नी लता ने मुझे कहा कि अमन कल छोटू का जन्मदिन है। मैंने लता से कहा मैं तो भूल ही चुका था छोटू मेरे बेटे का नाम है हम लोग प्यार से उसे घर में छोटू ही बुलाते हैं उसकी उम्र 5 वर्ष की है। मैंने लता को कहा कल हम लोग उसके जन्मदिन को सेलिब्रेट करेंगे मैं आज ही जाकर होटल बुक कराता हूं। मैं अपने घर के पास एक होटल में चला गया वहां पर मैंने उनके हॉल को बुक करवा दिया और खाने का सारा अरेंजमेंट करवा दिया था मेरे भी कोई पांच दस दोस्त और उनके परिवार वालों को मैं बोलने वाला था और हमारे आस पड़ोस के कुछ लोग आने वाले थे। करीब 70 लोगों के लिए मैंने होटल में खाने के लिए बोल दिया था अगले दिन सारी तैयारी हो चुकी थी और जब उस दिन मैं घर पहुंचा तो मेरी दीदी भी घर आ चुकी थी वह मुझे कहने लगी कि देखा अमन मैं बिल्कुल सही समय पर आई हूं।

मैंने दीदी से कहा दीदी आपने बहुत ही अच्छा किया जो आज आप आ गई फिर शाम के वक्त हम लोग होटल में चले गए और वहां पर हम लोगों ने छोटू का जन्मदिन बड़े ही अच्छे से मनाया और सब लोग बहुत ही खुश थे उसके बाद हम लोग घर लौट आए। अगले दिन सुबह मैं जल्दी उठ गया और हर रोज की तरह मैं मॉर्निंग वॉक पर चला गया मैं मॉर्निंग वॉक पर से लौटने के बाद अपने घर के गमलों में पानी डाल रहा था पापा मुझे कहने लगे कि बेटा क्या मैं तुम्हारी कुछ मदद कर दूं। मैंने पापा से कहा नहीं पापा आप रहने दीजिए पापा अखबार पढ़ने लगे थे और मैं सारे गमलों में पानी डाल चुका था और फिर उसके बाद मैं अपने ऑफिस के लिए तैयार हो गया मैंने नाश्ता किया और अपने ऑफिस के लिए मैं घर से निकल गया। मैं जब अपने ऑफिस के लिए निकल रहा था तो मुझे रास्ते में मेरा दोस्त दिखाई दिया क्योंकि मैं ऑफिस के लिए जल्दी में था इसलिए उससे मैं ज्यादा बात नहीं कर पाया। मैंने सुधीर को कहा कि मैं तुम से वापस आते वक्त मुलाकात करता हूं वह मुझे कहने लगा कि जब तुम ऑफिस से फ्री हो जाओ तो मुझे जरूर मिलना मैंने सुधीर को कहा हां मैं तुमसे अपने ऑफिस खत्म होने के बाद जरूर मुलाकात करूंगा। उसके बाद मैं अपने ऑफिस चला गया और हर रोज की तरह अपने ऑफिस का काम खत्म करने के बाद शाम के 6:00 बज चुके थे और मैं अब घर लौटने की तैयारी में था कि मुझे घर जाना है तभी मुझे ध्यान आया की सुधीर को मिलना है इसलिए मैंने ऑफिस से ही सुधीर को फोन कर दिया। जब मैंने उसको फोन किया तो वह मुझे कहने लगा कि मैं तुम्हें तुम्हारे घर के पास मिलता हूं मैंने सुधीर को कहा ठीक है और फिर मैं अपने ऑफिस से अपने घर की तरफ को निकल चुका था।

मैं करीब आधे घंटे में अपने घर पहुंचा और सुधीर मेरे घर के पास के ही एक रेस्टोरेंट में बैठा हुआ था मैं उससे उसी रेस्टोरेंट में मिला और हम लोग वहां पर बैठकर बात करने लगे। मैंने सुधीर से उसके हालचाल पूछे तो सुधीर ने मुझे बताया कि वह कुछ दिनों से काफी परेशान है मैंने उसकी परेशानी का कारण पूछा तो वह मुझे कहने लगा कि कुछ दिनों से मैंने नौकरी छोड़ दी थी जिस वजह से मैं काफी परेशान हूं। मैंने सुधीर को नौकरी छोड़ने का कारण पूछा तो उसने मुझे बताया कि घर में उसकी पत्नी के साथ उसके काफी झगड़े हो रहे थे जिस वजह से वह कुछ दिनों से काफी तनाव में था और अब उसकी पत्नी ने उससे तलाक ले लिया है। मैंने सुधीर को कहा क्या तुम्हारी पत्नी ने तुमसे डिवोर्स ले लिया है? सुधीर मुझे कहने लगा कि हां। मैंने सुधीर को कहा लेकिन मुझे तो इस बारे में कुछ भी पता नहीं था तो सुधीर मुझसे कहने लगा कि हम लोगों की मुलाकात होती ही नहीं है इस वजह से तुम्हें इस बारे में पता नहीं है लेकिन मैं अपनी पत्नी से काफी तंग आ चुका था जिस वजह से मैंने उससे डिवोर्स लेना ही उचित समझा और मैंने उससे डिवोर्स ले लिया। मैं और सुधीर काफी देर तक साथ में बैठे रहे और फिर वह मुझे कहने लगा कि अभी मैं चलता हूं मैंने सुधीर को कहा सुधीर मैं तुमसे अपनी छुट्टी के दिन मिलता हूं तो वह कहने लगा ठीक है और अब वह चला गया और मैं भी घर वापस लौट आया।

मैं जब घर वापस लौटा तो मैं सुधीर के बारे में ही सोचता रहा नहीं मैं सोच रहा था कि उसकी पत्नी ने उसे डिवोर्स क्यों दिया है होगा उन लोगों के बीच तो सब कुछ अच्छे से चल रहा था और उन लोगों ने लव मैरिज की थी। मैंने यह बात अपनी पत्नी को बताई तो वह मुझे कहने लगी कि सुधीर भैया तो बहुत ही अच्छे व्यक्ति हैं उनकी पत्नी ने उन्हें डिवोर्स दे कर बहुत ही गलत किया। कुछ ही दिनों बाद मैं सुधीर को मिलने के लिए उसके घर पर गया। मैं उस दिन सुधीर को मिला उसके बाद मै जब घर वापस लौट रहा था तो सुधीर के ही पड़ोस मे एक भाभी रहती हैं। उन्होंने मुझे कहा क्या आप सुधीर से मिलने आए थे? मैंने उन्हें कहा हां मैं सुधीर से मिलने के लिए आया था वह मुझसे बात करने लगी लेकिन वह अपने पल्लू को सरका रही थी। मैंने उनके स्तनों पर हाथ लगा दिया तो वह मुझसे कहने लगी क्या तुम मुझसे मिलने आ सकते हो कल मेरे पति अपने काम से बाहर जा रहे हैं और मैं घर पर अकेली रहूंगी। उनकी बड़ी गांड देख मेरा मन उनकी गांड मारने का होने लगा मैंने कहा ठीक है मैं कल आपसे मिलने के लिए आ जाऊंगा। मैंने भाभी का नाम पूछा तो उन्होंने बताया मेरा नाम कविता है। मैं अब कविता भाभी से मिलने के लिए अगले दिन चला गया जब मैं उनसे मिलने के लिए गया तो वह मेरा बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रही थी उन्होंने कहा मैं आपका कब से इंतजार कर रही थी। वह मुझे अपने बेडरूम मे ले गई वहां पर वह अपने कपड़े उतारने लगी। जब उन्होंने अपने कपड़े उतारे तो मैंने उनकी पैंटी और ब्रा को उतारा। मैंने उनकी पैंटी को उतारते हुए उनसे कहा क्या आपने अपनी चूत के बाल को आज ही साफ किया है? वह कहने लगी मैं आपके इंतजार मे कब से तड़प रही थी तो सोचा अपनी चूत के बाल को साफ कर लेती हूं। वह बिस्तर पर लेट चुकी थी उनका नंगा बदन मेरे सामने था। मै उनके बड़े स्तनों को अपने मुंह मे लेकर उनका बडे अच्छे से रसपान कर रहा था। मुझे उनके स्तनों को चूसने मे बहुत मजा आ रहा था मैंने उनके स्तनों से खून भी निकाल कर रख दिया था और उनके स्तनों की गर्मी मैंने बढ़ा दी थी।

मैंने उनकी चूत के अंदर उंगली डाली तो उन्होंने मेरे कपड़े उतारने शुरु किया। उन्होंने जब मेरे लंड को अपने मुंह में लिया तो वह बड़े अच्छे से लंड को चूसने लगी। उनकी गर्मी बढ़ने लगी थी उन्होंने मुझे कहा मेरी गर्मी बढ़ चुकी है। उन्होंने अपनी चूत को मेरे लंड पर लगाया मैंने अपने लंड को उनकी चूत के अंदर तक धक्का देते हुए घुसा दिया मेरा मोटा लंड उनकी चूत के अंदर प्रवेश हो चुका था। वह बड़ी तेज चिल्लाने लगी और मुझे कहने लगी आपका लंड बहुत ही ज्यादा मोटा है। मैंने उन्हें कहा आपकी चूत भी कम कमाल की नहीं है। वह मुझे बड़े अच्छे से गर्म कर रही थी उनकी चूतडे मुझसे टकरा रही थी। मैंने कहा मुझे आपकी गांड मारनी है। वह मुझे कहने लगी पहले आप मेरी गर्मी को शांत कर दो उसके बाद आप मेरी गांड मार लेना।  मैंने उन्हें बड़ी तेजी से धक्के देने शुरू कर दिए।

मैंने उनको घोड़ी बनाकर भी चोदा उनकी गर्मी इस कदर बढ़ चुकी थी कि मैंने अपने वीर्य को उनकी चूत के अंदर गिरा दिया था। मैंने अपने वीर्य को साफ किया मैंने उन्हें कहा अब मुझे बहुत अच्छा लग रहा है उनकी चूत से भी मैंने अपने वीर्य को साफ कर दिया था। उन्होंने मेरे लंड को अपने मुंह मे लेकर चूसा और मेरा लंड तन कर खड़ा हो चुका था। उन्होंने मेरे लंड को तेल से पूरा चिकना बना दिया था और मैंने उनकी गांड पर अपने लंड को लगाया तो मेरा लंड उनकी गांड के छेद के अंदर घुसने लगा। जैसे ही मेरा लंड उनकी गांड के छेद मे घुसा तो वह बड़ी तेजी से चिल्लाने लगी। मैंने कहा मुझे बहुत ही मजा आ गया उसके बाद मे उन्हें बड़ी तेज गति से धक्के मारने लगा मैं जिस गति से उनक धक्के मार रहा था उससे मुझे और भी ज्यादा मजा आ रहा था। मैं उन्हें बहुत देर तक ऐसे ही चोदता रहा उसके बाद मुझे एहसास हुआ उनकी गांड की आग को मैं नहीं झेल पाऊंगा मेरा वीर्य उनकी गांड के अंदर ही गिर चुका था। कविता भाभी को चोद कर मुझे बहुत ही अच्छा लगा और उसके बाद वह मेरा परमानेंट जुगाड़ बन चुकी थी।
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जीवन का सुख मिल गया


मेरे पिताजी मुझे कहने लगे कि कमल बेटा आते हुए मेरे लिए दवाई ले आना मैंने पिताजी से कहा ठीक है मैं आपके लिए आते वक्त दवाई ले आऊंगा। मै ऑफिस के लिए तैयार हो चुका था और फिर मैं अपने ऑफिस के लिए निकल गया। मैं जब अपने ऑफिस के लिए घर से निकला तो रास्ते में मुझे मेरा दोस्त आदित्य मिला आदित्य ने मुझे कहा कि कमल मेरी मोटरसाइकिल पर बैठ जाओ और फिर मैं उसके साथ बैठकर अपने ऑफिस के लिए गया। जब हम लोग ऑफिस पहुंचे तो उस दिन मैं थोड़ा जल्दी आ चुका था मैं जब ऑफिस में अपनी डेस्क पर बैठकर काम कर रहा था तो ऑफिस में ही काम करने वाली लता जिसकी पिछले हफ्ते ही हमारे ऑफिस में नौकरी लगी थी वह मेरे पास आकर मुझसे कहने लगी सर क्या आप फ्री हैं। मैंने उसे कहा हां लता कहो वह कहने लगी कि मुझे कुछ काम था तो मैंने उससे कहा हां बताओ क्या काम था क्या तुम्हें मेरी मदद चाहिए थी। मैंने उसकी मदद की उस दिन हमारे बॉस जल्दी ही ऑफिस आ चुके थे वैसे तो वह दोपहर के बाद ही ऑफिस आया करते थे लेकिन उस दिन वह जल्दी आ गए थे और जब शाम हो गई तो आदित्य मुझे कहने लगा कि क्या तुम आज मेरे साथ मेरे दोस्त की पार्टी में चलोगे।

मैंने उसे कहा नहीं आदित्य मैं तुम्हारे साथ नहीं आ पाऊंगा क्योंकि मुझे अपने पापा के लिए दवाई लेकर जानी है तो आदित्य कहने लगा कि ठीक है यदि तुम्हें तुम्हारे पापा के लिए दवाई लेकर जानी है तो कोई बात नहीं फिर तुम घर चले जाओ। आदित्य उस दिन जल्दी ऑफिस से घर निकल चुका था मैं अपने ऑफिस के बाहर आकर बस का इंतजार कर रहा था लता भी बस का इंतजार कर रही थी। लता से मैंने बात की और लता से पूछा कि वह कहां रहती है तो मुझे पता चला की लता मेरे घर के पास ही रहती है। मैंने लता से कहा इससे पहले तुम कहीं जॉब कर रही थी क्या तो वह कहने लगी कि हां सर मैं इससे पहले भी कंपनी में जॉब करती थी वहां पर मैं ज्यादा समय काम नहीं कर पाई करीब 6 महीने बाद मैंने वहां से नौकरी छोड़ दी थी। मैं और लता साथ में ही घर तक आए क्योंकि लता मेरे घर के पास में ही रहती थी इसलिए अब वह अक्सर ऑफिस जाते वक्त मेरे साथ ही ऑफिस जाती थी।

मैं लता को धीरे धीरे समझने लगा था और लता का साथ भी मुझे अच्छा लगने लगा था शायद उसको भी मेरा साथ अच्छा लगने लगा था इसलिए वह अब मुझे सुबह के वक्त फोन करती और मुझे कहती कि सर मैं आपका इंतजार बस स्टॉप पर कर रही हूं। एक दिन लता और मैं ऑफिस जा रहे थे उस दिन हम दोनों साथ में ही सीट पर बैठे हुए थे तो मैंने लता से कहा लता यदि तुम शाम के वक्त मेरे साथ कुछ देर समय बिताओ तो तुम्हें कोई आपत्ति तो नहीं है लता मुझे कहने लगी नहीं सर मुझे भला क्या आपत्ति होगी। शाम के वक्त हम लोगों ने साथ में समय बिताया हम लोग एक कॉफी शॉप में बैठे हुए थे और शाम के वक्त जब हम लोग उस कॉफ़ी शॉप में कॉफी पी रहे थे तो मुझे लता के और ज्यादा करीब आने का मौका मिल गया। लता भी इस बात को जानती थी और मैंने यह फैसला कर लिया था कि कुछ दिनों में मैं लता को अपने दिल की बात बता दूंगा क्योंकि लता का साथ मुझे अच्छा लगने लगा था और उससे पहले एक दिन लता मेरे घर पर भी आई थी। जब लता मेरे घर पर आई तो वह मेरे पापा और मम्मी से मिलकर काफी खुश थी लता और मैं अब अक्सर एक-दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश करते। मेरे और लता के बारे में हमारे ऑफिस में सबको पता चल चुका था की और मेरे बीच कुछ तो चल रहा है। एक दिन आदित्य ने मुझसे पूछा कि कमल क्या लता और तुम्हारे बीच में कोई रिलेशन चल रहा है तो मैंने उसे कहा नहीं आदित्य ऐसा तो कुछ भी नहीं है वह मुझे कहने लगा कि देखो कमल तुम मेरे अच्छे दोस्त हो और मुझसे तुम झूठ मत बोलो। मैंने उसे उस दिन सब कुछ बता दिया और कहा कि लता और मैं दूसरे को मिलते हैं लेकिन अभी तक मैंने उससे अपने दिल की बात नहीं कही है। आदित्य कहने लगा कि तुमने अभी तक उससे अपने दिल की बात नहीं कही तुम्हें तो अभी तक उसे अपने दिल की बात कह देनी चाहिए थी मैंने आदित्य से कहा कि यह सब इतना भी आसान नहीं है कि मैं अपने दिल की बात लता को कह दूं। मैंने उस दिन लता को अपने दिल की बात कही तो लता ने भी मेरे प्रपोजल को स्वीकार कर लिया मेरे लिए यह बड़ी ही खुशी की बात थी कि लता ने मेरे प्रपोजल को स्वीकार कर लिया था और मैं इस बात से काफी खुश था।

मैं और लता एक दूसरे के साथ अब ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश करते हम लोग जब भी एक दूसरे के साथ होते तो हमें काफी अच्छा लगता। मेरे जीवन में सब कुछ बहुत ही अच्छे से चल रहा था मुझे ऐसा लगता कि शायद मुझसे ज्यादा खुशनसीब कोई भी नहीं है। लता के परिवार में भी मेरे बारे में पता चल चुका था इसलिए मुझे लता के परिवार से मिलने के लिए जाना पड़ा जब मैं लता के परिवार से मिला तो उन्होंने मुझे स्वीकार कर लिया था उन्हें मुझसे कोई भी आपत्ति नहीं थी। अब हम दोनों के रिश्ते में और भी ज्यादा मजबूती आ गई थी हम दोनों अब ज्यादा से ज्यादा एक दूसरे के साथ समय बिताने लगे थे। एक दिन लता मुझे कहने लगी कि कमल मुझे आपका साथ बहुत ही अच्छा लगता है तो मैंने लता को कहा मुझे भी तो तुम्हारा साथ काफी अच्छा लगता है। लता मुझे कहने लगी कि मुझे लगने लगा है कि अब हम दोनों को एक हो जाना चाहिए और हमें अब शादी कर लेनी चाहिए मैंने लता को कहा लता मैं भी यही चाहता हूं कि मैं तुमसे शादी कर लूं लेकिन अभी मेरी बहन है इसलिए पहले मैं उसकी शादी करवाना चाहता हूं उसके बाद ही मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं।

लता कहने लगी ठीक है तुम अपनी बहन के लिए लड़का देख लो उसके बाद हम दोनों शादी कर लेंगे। मेरी बहन के लिए भी मैंने काफी लड़के देखे लेकिन कोई लड़का पसंद आया ही नहीं और उसे भी कोई लड़का पसंद नहीं आ रहा था मेरी खोज अभी भी जारी थी और अभी तक मेरी बहन की शादी नहीं हो पाई थी। कुछ समय बाद मेरी बहन के लिए एक अच्छा रिश्ता आया उसकी सगाई हो चुकी थी। लता ने मुझे कहा कि चलो अब तुम्हारी बहन की तो सगाई हो ही चुकी है जल्द ही हम दोनों भी अब शादी कर लेंगे। हम लोग एक दूसरे से अब कुछ ज्यादा ही मिलने लगे थे। एक दिन ऑफिस से लौटते वक्त मैंने लता के होठों को चूम लिया जब उसके होठों को मैंने किस किया तो उस दिन वह अपने आपको रोक ना सकी। हम दोनों की अब फोन पर अश्लील बातें होने लगी थी हम दोनों एक दूसरे को फोन पर ही गर्म कर देते और फोन पर ही हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को बुझाने लगे थे। मैंने भी लता के साथ सेक्स संबंध बनाने के बारे में सोच लिया था। जब लता ने एक दिन मुझे अपने घर पर बुलाया तो उस दिन उसके घर पर कोई भी नहीं था। हम दोनों के लिए यह बहुत ही अच्छा मौका था हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स कर पाए। उस दिन जब लता को मैंने अपनी बाहों मे लिया और मै उसकी जांघों को सहलाने लगा तो वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। मैंने लता के नरम होठों को चूम कर उसके बदन की गर्मी को पूरी तरीके से बढ़ा दिया था। उसके बदन की गर्मी बढने लगी वह अपने आपको बिल्कुल भी नहीं रोक पा रही थी। उसने मुझे कहा तुम अपने लंड को मेरी चूत मे डाल दो मैंने लता को कहा क्या तुमने कभी किसी के लंड को अपने मुंह में लिया है?

वह शर्माने लगी उसने कोई जवाब नहीं दिया मैंने अपने लंड को उसके मुंह के पास लगा दिया और उसने मेरे लंड को अपने मुंह मे लेकर चूसना शुरू किया। वह पहले मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर नहीं ले रही थी लेकिन फिर उसने अपने मुंह के अंदर मेरे पूरे लंड को लेना शुरू कर दिया। मैं बहुत ही खुश था और मुझे बहुत अच्छा लग रहा था जिस प्रकार से लता ने मेरा साथ दिया और लता ने मेरी गर्मी को बढ़ाया। मैं लता को बड़े ही अच्छे से मजे देना चाहता था लता ने मेरे लंड से पूरा पानी बाहर निकाल कर रख दिया था। अब मैं उसकी चूत पर अपने लंड को लगाना चाहता था मैंने उसकी चूत पर जब अपने लंड को लगाया तो मेरे लंड पर उसकी चूत की गर्मी का एहसास हो रहा था। मैंने लता की चूत के अंदर लंड को घुसाना चाहा मेरा लंड उसकी योनि के अंदर नहीं जा पा रहा था लेकिन मैंने जब तेजी से धक्के देते हुए अपने लंड को उसकी चूत के अंदर डाला तो वह जोर से चिल्लाई और उसकी सील टूट चुकी थी। उसकी सील टूटते ही मैंने उसे अब और भी तेजी से धक्के देने शुरू कर दिए।

मैं उसे बड़ी तेज गति से धक्के मार रहा था वह मेरा साथ अच्छे से दे रही थी उसकी मादक आवाज मेरे अंदर की गर्मी को और भी ज्यादा बढ़ा रही थी। मेरे अंदर की गर्मी अब इस कदर बढ़ चुकी थी कि मैं अपने आपको बिल्कुल भी नहीं रोक पा रहा था मैंने पूरी ताकत के साथ उसे धक्के देने शुरू कर दिए थे। लता की चूत से लगातार खून बाहर की तरफ को बह रहा था वह अपने दोनों पैरों को आपस में मिलाने लगी। मैंने उसे कहा क्या तुम्हारी गर्मी बुझ चुकी है। वह मुझे कहने लगी हां मेरी गर्मी बुझ चुकी है। मैंने उसे कहा मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा है मैं उसे लगातार तेजी से धक्के मार रहा था उसकी चूत से मैंने इतना ज्यादा खून बाहर निकाल दिया था कि वह अपने आपको बिल्कुल भी ना रोक सकी। उसने अपने पैरों के बीच में मुझे जकड़ लिया मेरा वीर्य भी अब बाहर आने वाला था। मेरा वीर्य मेरे अंडकोषो से बाहर आ चुका था मैंने अपने वीर्य को लता के स्तनों पर गिरा दिया। लता के स्तनों पर मेरा वीर्य गिरते ही वह कहने लगी आज ऐसा लग रहा है जैसे कि जीवन का सबसे ज्यादा सुख मिला हो। मैं भी लता की चूत मारकर बहुत ज्यादा खुश था।
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बाथरूम मे सुहागरात मना ली


मेरी सहेली मेरे घर पर आई हुई थी वह मुझसे काफी समय बाद मिल रही थी अब वह अपने परिवार के साथ कोलकाता में ही सेटल हो चुकी हैं उसके पिताजी ने कोलकाता में ही अपना बिजनेस शुरू किया और उसके बाद वह लोग कोलकाता चले गए। मेरी सहेली कुछ दिनों के लिए हमारे घर लखनऊ आई हुई थी लखनऊ से उसकी काफी यादें जुड़ी हुई हैं, मेरी सहेली का नाम रितिका है। रितिका और मैं आपस में बात कर रहे थे तो रितिका ने कुछ पुरानी यादें ताजा कर दी हम दोनों एक दूसरे से बात करने लगे और कहने लगी कि जब पहली बार हम लोगों की आपस में मुलाकात हुई थी तो हमें कितना अच्छा लगा था। जब पहले दिन मैं अपने स्कूल में गई तो स्कूल के पहले दिन ही मेरी रितिका से मुलाकात हो गयी थी और उससे मेरी काफी अच्छी दोस्ती हो गई उसके बाद हम दोनों ने कॉलेज साथ में किया। कुछ समय पहले ही उसका परिवार कोलकाता चला गया लेकिन वह मुझसे मिलने के लिए लखनऊ आई हुई थी हम दोनों ने साथ में काफी दिन बिताए।

रितिका ने मुझे बताया कि कोलकाता में उसके पड़ोस में ही अमन रहता है जिसे कि वह काफी पसंद करने लगी है अमन और उसके बीच अच्छी दोस्ती है। जब रितिका ने मुझे अमन की तस्वीर दिखाई तो मैंने उसे कहा कि अमन तो दिखने में काफी अच्छा है और जब रितिका ने मुझे अमन के बारे में बताया तो मैंने रितिका को कहा अमन तुम्हारे लिए सही लड़का है और तुम्हें उससे शादी कर लेनी चाहिए। रितिका मुझे कहने लगी कि हां सुजाता तुम बिल्कुल ठीक कह रही हो मैं भी सोचती हूं कि अमन के साथ मुझे शादी कर लेनी चाहिए क्योंकि अमन का साथ मुझे काफी अच्छा लगता है। वह लोग एक दूसरे से फोन पर भी काफी बातें किया करते थे जिस वजह से उन दोनों के बीच काफी अच्छी अंडरस्टैंडिंग थी। रितिका कुछ दिनों तक लखनऊ में ही थी और उसके बाद वह कोलकाता चली गई, रितिका कोलकाता चली गई थी और मैं घर पर मां के साथ ही रहती मां के साथ मुझे अच्छा लगता था। एक दिन मां मुझे कहने लगी कि सुजाता बेटा मैं पड़ोस में जा रही हूं तुम घर पर ही रहना मैंने मां को कहा ठीक है मां मैं घर पर ही हूं। मां हमारे पड़ोस में आंटी से मिलने के लिए चली गई थी और मैं घर पर ही थी तभी हमारे घर की डोर बेल बजी और मैंने जब दरवाजा खोला तो सामने कोरियर वाला खड़ा था मैंने उससे कहा हां भैया कहिये तो वह कहने लगा कि क्या सुशांत मिश्रा का घर यहीं है।

मैंने उसे कहा हां यही सुशांत मिश्रा का घर है वह हमारे पिताजी हैं वह कहने लगा कि आपका कोरियर आया हुआ है मैंने उससे कहा कि भला पापा का कौन सा कुरियर आया हुआ है। मैंने उससे वह कुरियर ले लिया और उसके बाद वह वहां से चला गया मैंने भी अब सोचा कि इस कुरियर को खोल कर देख लेती हूँ। मैंने जब वह कोरियर खोला तो उसमे मैंने देखा शादी का एक कार्ड था जब मैंने शादी के कार्ड पर नाम पड़ा तो उसमें रितिका और अमन का नाम छपा हुआ था मैंने तुरंत ही रितिका को फोन किया और कहा कि रितिका तुमने तो मुझे अपनी शादी के बारे में कुछ बताया ही नहीं और सीधा घर पर कार्ड भिजवा दिया। रितिका मुझे कहने लगी कि सुजाता मैं तुम्हें सरप्राइस देना चाहती थी जब मैं लखनऊ से वापस लौटी थी तो उसी वक्त अमन और मैंने एक दूसरे से अपने दिल की बात कह दी थी और अब हम लोगों ने शादी करने का फैसला कर लिया है। मैंने रितिका से कहा यह तो बहुत अच्छी बात है कि तुमने शादी करने का फैसला कर लिया है और अब तुम्हारी शादी भी होने वाली है मुझे तो इस बात से बहुत खुशी हो रही है। रितिका ने मुझसे पूछा सुजाता तुम कब आ रही हो तो मैंने उससे कहा अभी तो तुम्हारी शादी में काफी वक्त है वह कहने लगी कि अब हमारी शादी में सिर्फ 6 महीने ही तो बचे हुए हैं और तुम्हें शादी के लिए कोलकाता जरूर आना है। मैंने उससे कहा ऐसा हो सकता है कि तुम्हारी शादी हो और मैं ना आऊं मैं तुम्हारी शादी में जरूर आऊंगी तुम उसकी बिल्कुल भी फिक्र मत करो। मैंने उस दिन रितिका के साथ काफी देर तक बात की और जब मैंने फोन रखा तो उसके थोड़ी देर बाद ही मेरी मां भी आ चुकी थी और मां ने जब वह शादी का कार्ड देखा तो वह मुझे कहने लगी कि बेटा यह किसकी शादी का कार्ड है। मैंने मां को बताया कि मां यह रितिका की शादी का कार्ड है मां बड़ी हैरानी से मेरी तरफ देखने लगी और कहने लगी कि अभी कुछ दिनों पहले ही तो रितिका हमारे घर पर आई थी तब तो उसने हमें इस बारे में कुछ भी नहीं बताया कि वह शादी कर रही है अब अचानक से वह शादी कर रही है।

मां बड़ी हैरान थी मैंने मां को अमन के बारे में बताया और कहा कि अमन उनके पड़ोस में ही रहता है अमन बहुत ही अच्छा लड़का है इसलिए उसके परिवार वालों ने रितिका की शादी उससे करवाने का फैसला कर लिया और यह सब बड़ी जल्दी में हुआ। मां अपने कमरे में चली गई और थोड़ी देर बाद वह कमरे से बाहर आई और मुझे कहने लगी कि सुजाता बेटा मैं रसोई में खाना बना रही हूं मैंने मां से कहा हां मां मैं यहीं बैठी हुई हूं। मां रसोई में खाना बना रही थी थोड़ी देर बाद मैं भी रसोई में चली गई और उनका हाथ बढाने लगी मां मुझे कहने लगी कि तुम्हारे बड़े भैया तो कब से घर ही नहीं आए हैं। मेरे भैया लंदन में नौकरी करते हैं वह काफी समय से घर नहीं आए हैं और कुछ दिनों से उनसे हमारी फोन पर भी बात नहीं हो पा रही थी जिस वजह से मां काफी चिंतित थी। थोड़ी ही देर बाद पापा भी अपने दफ्तर से वापस लौट चुके थे और मां ने उनसे आते ही पूछा कि क्या रोहन का तुम्हें फोन आया था तो पापा ने कहा कि नहीं मुझे तो रोहन का कोई भी फोन नहीं आया।

मां और पापा दोनों ही इस बात से बहुत परेशान थे कि रोहन भैया ने काफी दिनों से फोन नहीं किया है और उनका नंबर भी नहीं लग पा रहा था उनसे कोई भी संपर्क नहीं हो पा रहा था लेकिन कुछ दिनों बाद रोहन भैया ने पापा को फोन कर दिया था तब जाकर मां को भी तसल्ली हो गई थी। अब रितिका की शादी नजदीक आने वाली थी और मैं रितिका की शादी के लिए कोलकाता जाने वाली थी पापा ने ही मेरी फ्लाइट की टिकट बुक करवा दी थी। मैं जब कोलकाता गयी तो रितिका मुझे लेने के लिए आई हुई थी और मैं रितिका के साथ उसके घर पर चली गई। रितिका के साथ मे उसके घर पर गई तो उसके घर पर काफी मेहमान आ चुके थे। उसके घर पर बहुत भीड़ थी वह मुझे अपने कमरे में ले गई और कहने लगी सुजाता तुम यहीं पर रहना मैं अभी आती हूं। उसने मेरे लिए शरबत मंगवा लिया था मैं शरबत पी रही थी तभी एक लड़का मेरे पास आकर बैठ गया। मैंने उसकी तरफ देखा कुछ देर तक तो हम दोनों एक दूसरे से बात ही नहीं कर रहे थे लेकिन जब रितिका आई तो रितिका ने मेरा परिचय रोहित से करवाया। रोहित उसके रिश्ते में भाई लगता है रितिका घर पर कुछ ज्यादा ही बिजी थी इसलिए वह मुझे समय नहीं दे पा रही थी। मैं रोहित के साथ बात करने लगी रोहित के साथ बात करके मुझे अच्छा लगा उसके बारे मे भी मुझे पता चला। मै काफी अकेली थी लेकिन रोहित का साथ पाकर मुझे अच्छा लगा शादी के दौरान ही रोहित और मेरी बीच नजदीकियां बढ़ चुकी थी हम दोनों एक दूसरे के बिना रहे ही नहीं पा रहे थे। मेरी नजरें शादी के दौरान भी रोहित को ढूंढ रही थी उस दिन जब रोहित और मै बैंक्विट हॉल के पीछे की तरफ गए तो वहां पर रोहित ने अपने जेब से सिगरेट निकाली और वह सिगरेट पीने लगा। जब वह सिगरेट पी रहा था तो मैंने उसे कहा क्या तुम सिगरेट पीते हो? उसने मुझे जवाब दिया कि हां कभी-कभार मैं पी लेता हूं।

मैंने उसके मुंह से सिगरेट फेंकते हुए उसे होंठो को चूम लिया और हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे। जब हम दोनों एक दूसरे को किस कर रहे थे तो मैं भी अपने आपको ना रोक सकी और ना ही रोहित अपने आपको रोक सका। उसने अपने हाथ को मेरी चूतड़ों पर रखते हुए मेरी गांड को बहुत जोर से दबाने लगा मेरी गर्मी पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी और हम लोगों बाथरूम में चले गए। वहां पर जब हम दोनों का गए तो मैने रोहित की पैंट की चैन को खोलते हुए उसके लंड को बाहर निकाला जब मैंने उसके मोटे लंड को बाहर निकाला तो मैंने उसे अपने मुंह में समा लिया और उसके लंड को चूस कर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था मैं रोहित के लंड को अपने मुंह में ले रही थी मेरे लिए यह पहला ही मौका था मैंने किसी के लंड को अपने मुंह में लिया था। अब रोहित ने भी मेरे कपड़े उतारकर मुझे घोड़ी बना दिया और मेरी चूत को चाटने लगा मेरी चूत को जब वह चाट रहा था तो मेरी चूत से कुछ ज्यादा ही पानी बाहर की तरफ निकल रहा था उसने अपने लंड को मेरी चूत पर लगाया तो मैंने उसे कहा तुम धीरे से अपने लंड को मेरी चूत मे डालो।

उसने धीरे-धीरे अपने मोटे लंड को मेरी योनि मे प्रवेश करवाना शुरू किया जब उसका मोटा लंड मेरी चूत मे चला गया तो मैं जोर से चिल्लाई। उसका लंड मेरी चूत के अंदर बाहर होने लगा मैं बहुत ही खुश थी और वह भी बड़े अच्छे से मुझे चोदता उसने मेरी चूत से खून निकाल कर रख दिया था। एक तरफ तो रितिका की शादी होने वाली थी और दूसरी तरफ मैं रोहित के साथ सुहागरात मना रही थी। रोहित और मैं एक दूसरे के साथ बड़े अच्छे से सेक्स कर रहे थे उसने मुझे काफी देर तक ऐसे ही धक्के दिए उसने मेरे बदन की गर्मी को इस कदर बढ़ा दिया था कि मैं अपने आपको बिल्कुल भी ना रोक सकी मैं झड चुकी थी। मैंने अपने पैरों को आपस में मिला लिया रोहित ने मेरी चूत के अंदर अपने वीर्य को गिरा दिया उसने मेरी चूत के अंदर अपने वीर्य को गिरा दिया था। मैं बहुत ही ज्यादा खुश थी रोहित और मेरे बीच संभोग हुआ। जब हम दोनों बाहर आए तो रितिका की शादी हो चुकी थी। रोहित से मेरी मुलाकात नही हो पाती है लेकिन हम लोग फोन पर एक दूसरे से बात किया करते हैं।
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आप बहुत सेक्सी हो


मैं कानपुर में गारमेंट की शॉप चलाता हूं वहां पिछले कई सालों से मैं यह काम कर रहा हूं इससे पहले मैं नौकरी किया करता था लेकिन पिछले 5 वर्षों से मैं अपनी गारमेंट की शॉप जला रहा हूं। घर में मेरी पत्नी बच्चों को और मेरी बूढ़ी मां का ख्याल रखती है मेरी शादी को 10 वर्ष हो चुके हैं और मैं अपनी शादीशुदा जीवन से भी काफी खुश हूं मेरी पत्नी ने मेरे घर की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया है। मेरी दुकान शुरुआती समय में कुछ अच्छी नहीं चलती थी लेकिन धीरे धीरे मेरी दुकान का काम भी अच्छा चलने लगा और अब सब कुछ बहुत ही अच्छे से चल रहा है मैं बहुत ही ज्यादा खुश हूं कि मेरी दुकान में अब काफी कस्टमर आते हैं। मैं जब अपने घर लौटा तो उस वक्त रात के 10:00 बज चुके थे मेरी पत्नी रचना ने मुझे कहा कि गगन कल मेरे मम्मी पापा यहां आ रहे हैं मैंने रचना से कहा यह तो बहुत अच्छी बात है की तुम्हारे मम्मी पापा तुमसे मिलने के लिए आ रहे हैं।

वह मुझे कहने लगी कि यदि कल आप घर पर ही रहते तो मुझे भी अच्छा लगता मैंने रचना से कहा ठीक है कल मैं दुकान पर छोटू को भेज दूंगा। छोटू मेरे छोटे भाई का नाम है घर में सब लोग उसे प्यार से छोटू बुलाते हैं वह कॉलेज की पढ़ाई कर रहा है मैंने रचना से कहा क्या छोटू घर आ चुका है तो वह कहने लगी कि अभी तो वह घर नहीं आया है। छोटू मुझसे उम्र में काफी छोटा है इस वजह से घर में उसे कोई भी कुछ नहीं कहता था मैंने रचना से कहा तुम मेरे लिए खाना लगा दो। रचना मेरे लिए खाना लगाने लगी और मैं भी बाथरुम से हाथ मुंह धोकर खाने की टेबल पर पहुंचा जब मैं खाना खा रहा था तो मेरा भाई छोटू उसी वक्त घर लौटा मैंने उससे कहा कि तुम अभी कहां से आ रहे हो। वह कहने लगा कि भैया मैं अपने दोस्तों के साथ था इसलिए मुझे आने में देर हो गई मैंने उसे कहा तुमने खाना खा लिया तो वह कहने लगा नहीं मैंने खाना तो नहीं खाया। मैंने अपनी पत्नी को आवाज देते हुए कहा कि तुम छोटू के लिए भी खाना ले आना वह रसोई में ही थी और वह छोटू के लिए भी खाना ले आई हम दोनों साथ में बैठकर खाना खा रहे थे तो मैंने छोटू से कहा तुम्हारी कॉलेज की पढ़ाई कैसी चल रही है।

वह कहने लगा भैया मेरे कॉलेज की पढ़ाई तो अच्छी चल रही है मैंने उसे कहा कल तुम्हारी भाभी के मम्मी पापा आ रहे हैं तो कल मैं घर पर ही रहूंगा तुम कल दुकान पर चले जाना वह कहने लगा ठीक है भैया कल मैं दुकान पर चला जाऊंगा। अगले दिन जब सुबह मैं सोकर उठा तो उस वक्त छोटू सोया हुआ था मैंने अपनी पत्नी रचना से कहकर छोटू को उठाया और उसे कहा कि तुम जल्दी से तैयार हो जाओ तुम्हे दुकान जाने में समय भी तो लगेगा। वह कहने लगा ठीक है भैया अभी तैयार हो जाता हूं वह अब नहाने के लिए चला गया और उसके बाद जब वह नहा कर बाथरूम से बाहर निकला तो मैंने उसे कहा कि तुम जल्दी से दुकान के लिए तैयार हो जाओ। वह तैयार हो चुका था और वह घर से निकल चुका था मैं भी अब नहाने के लिए बाथरूम में चला गया कुछ देर बाद मैं नहा कर बाहर आया तो मैंने रचना को कहा तुम्हारे मम्मी पापा कब तक आ जाएंगे वह कहने लगी कि वह लोग बस आते ही होंगे। रचना के मम्मी पापा भी अब आने वाले थे मैंने रचना से कहा क्या तुमने मां को उनकी दवाइयां दे दी थी तो रचना कहने लगी कि हां मैंने मां को दवाइयां दे दी थी और वह अपने कमरे में ही आराम कर रही हैं। काफी दिनों बाद मैं अपनी मां के साथ कुछ देर के लिए बैठा हुआ था मां मेरे बचपन की यादों को ताजा कर रही थी और वह मुझसे हमारे बचपन की बातें करने लगी तभी रचना कहने लगी कि मम्मी पापा आ चुके हैं। उसके मम्मी पापा के आ जाने के बाद मैं उनके साथ ही बैठा हुआ था रचना उनके लिए चाय बना कर ले आई और जब वह लोग चाय पी रहे थे तो उन्होंने मुझसे उस वक्त पूछा कि गगन तुम्हारा काम कैसा चल रहा है। मैंने अपने ससुर जी से कहा कि मेरा दुकान का काम तो अच्छा चल रहा है मैंने उन्हें कहा रचना मुझे बता रही थी कि आप कुछ समय बाद रिटायर होने वाले हैं तो वह मुझे कहने लगे कि बस अगले महीने ही मैं रिटायर हो जाऊंगा अब इतने साल तक मैंने अपनी सेवाएं दी हैं तो अब मेरी उम्र भी रिटायरमेंट की हो चुकी है।

वह सरकारी स्कूल में क्लर्क हैं और जल्दी वह रिटायर होने वाले थे उस दिन वह लोग हमारे घर पर ही रुकने वाले थे इसलिए मुझे भी उस दिन घर पर ही रहना पड़ा और अगले दिन वह लोग चले गए। जब अगले दिन मैं दुकान पर गया तो मैंने देखा कि हमारे दुकान के पास ही एक कॉन्प्लेक्स बन रहा था मुझे यह बात पता नहीं थी कि हमारे सामने कांपलेक्स बनने लगा है पहले जो दुकानदार वहां पर अपनी दुकान चलाया करते थे उन्होंने अपनी दुकान बेच दी थी और अब वहां पर कंपलेक्स का काम शुरू हो चुका था। कॉन्प्लेक्स बनने से मेरी चिंताएं बढ़ने लगी थी क्योंकि मुझे यह डर था कि कहीं मेरा काम उसके बाद कम ना हो जाए लेकिन फिलहाल तो मेरा काम अच्छे से चल रहा था और मेरी दुकान पर काफी लोग आया भी करते हैं। हर रोज की तरह मै रात के वक्त जब घर पर लौटा तो मैंने उस दिन रचना से कहा कि रचना छोटू आ चुका है तो वह कहने लगी कि नहीं अभी तक तो वह नहीं आया है। छोटू की आदतें अब कुछ ज्यादा ही खराब होने लगी थी वह हर रोज घर देर से लौटा करता लेकिन उस दिन मैंने छोटू को समझाया और कहा कि देखो छोटू हर रोज अब घर पर देर से आना ठीक नहीं है मैं कुछ दिनों से देख रहा हूं कि तुम घर बहुत देर से आते हो।

मेरी जिम्मेदारी बनती थी कि मैं उसे समझाऊं छोटू ने मुझसे कहा कि भैया आइंदा से कभी भी मैं देरी से नहीं आऊंगा मैंने उसे कहा कि आगे से कभी भी तुम अपने दोस्तों के साथ इतने देर रात तक नहीं रहोगे और तुम घर जल्दी आ जाया करोगे। वह कहने लगा ठीक है भैया कल से मैं घर जल्दी आ जाया करूंगा। मैंने अब छोटू को समझा दिया था इसलिए वह घर जल्दी आने लगा था और हमारे घर में रहने वाले किराएदार जिनका की ट्रांसफर हो चुका था उन्होंने मुझसे कहा भाई साहब हम कुछ दिनों में घर खाली कर देंगे क्योंकि मेरा ट्रांसफर हो चुका है। मैंने उन्हें कहा कोई बात नहीं वह लोग हमारे घर पर पिछले 2 वर्ष से रह रहे थे। मेरी पत्नी रचना ने घर पर नए किरायेदार को रख लिया था जब उसने नए किरायेदारों को घर पर रखा। मैंने रचना से पूछा कि क्या तुमने उनसे उनके बारे में पूछा था। रचना ने मुझे बताया कि वह स्कूल मे क्लर्क हैं मैंने रचना को कहा चलो यह तो अच्छी बात है मेरी बातचीत रमेश के साथ काफी अच्छी होने लगी थी। रमेश की पत्नी सरिता भाभी काफी ज्यादा हॉट और सेक्सी है वह अक्सर मुझे देखती एक दिन सरिता भाभी मेरी दुकान पर आ गई। वह मुझे कहने लगी भाई साहब मेरे पति के लिए कुछ कपड़े दिखा दीजिए। मैंने उन्हें कहा रमेश आपके साथ नहीं आए वह मुझे कहने लगी मैंने सोचा कि मैं अकेली ही आ जाती हूं। वह मेरी दुकान पर बैठकर मेरी तरह अपनी प्यासी नजरों से देख रही थी। मैंने उस दिन सरिता के साथ सेक्स करने के बारे मे सोच लिया था मैंने सरिता से कहा आप बड़ी सेक्सी है। सरिता ने कहा अच्छा तो आपको भी लगता है कि मैं सेक्सी हूं। जब सरिता ने मुझे कहा आप अपने बदन की गर्मी से मुझे नहला दीजिए। मैने उनको कहा क्यों नहीं अभी आपको नहला देती हूं। वह कहने लगी क्या यहां पर कोई कमरा नहीं है जहां पर हम लोग कुछ समय अकेले मे बिता पाए। मैंने उन्हें कहा क्यों नहीं हम लोग अंदर के कमरे में चलते हैं मैं सरिता को अपने स्टोर में ले गया। मैं जब सरिता को अपने स्टोर मे लेकर गया तो सरिता ने मेरे सामने अपने कपड़े खोले मैंने जब सरिता का हॉट बदन दिखा तो मैंने सरिता से कहा तुम बड़ी ही हॉट और सेक्सी हो।

वह कहने लगी अब यह आपके ऊपर है कि आप मेरे बदन की गर्मी को कैसे बुझाती हैं। मैंने भी सरिता के नरम होंठों को चूमना शुरू किया और धीरे धीरे उसके स्तनों को चूसने लगा। मैं उसके स्तनों का रसपान कर रहा था तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और उसके स्तनों को मैंने बड़े ही अच्छे तरीके से चूसना शुरू कर दिया था। मैंने सरिता के अंदर की गर्मी को पूरी तरीके से बढा कर रख दिया था मैंने उसकी गुलाबी चूत पर जब अपनी जीभ को रगडना शुरू किया तो उसकी चूत से पानी बाहर की तरफ निकलने लगा था। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है आप ऐसे ही मेरी चूत को चाटते रहो मैंने सरिता की चूत को बहुत देर तक चाटा और फिर मैंने उसे घोड़ी बना दिया। मैंने उसे घोड़ी बनाकर जब सरिता की चूत के अंदर अपने मोटे लंड को घुसाया तो वह कहने लगी आपका लंड बहुत ही ज्यादा मोटा है। मैंने सरिता को कहा मुझे तुम्हे धक्के मारने मे बहुत मजा आ रहा है।

मैंने सरिता के अंदर की गर्मी को पूरी तरीके से बढा कर रख दिया था और उसके अंदर की गर्मी इस तरह बढ़ने लगी थी कि वह मुझे कहने लगी आपका लंड बहुत मोटा है। वह मुझसे अपनी चूतडो को टकराए जा रही थी जब उसने अपनी बडी चूतडो को टकराया तो मेरे अंदर कि गर्मी और भी बढती जाती। मैं सरिता को और भी तेज गति से धक्के मार रहा था मैंने सरिता को बहुत देर तक ऐसे ही धक्के मारे फिर मेरे अंदर की गर्मी बहुत बढ़ने लगी। मैंने सरिता को कहा मैं शायद अपने आपको नहीं रोक पाऊंगा। वह कहने लगी मुझे भी ऐसा ही लग रहा है मैं अपने आपको बिल्कुल नहीं रोक पाऊंगा। जब सरिता की चूत के अंदर मैंने अपने वीर्य को गिराया तो वह बहुत खुश हो गई और कहने लगी आपने तो मेरी गर्मी को आज अच्छी तरीके से बुझा दिया। उसके बाद जब भी मुझे मौका मिलता तो मैं सरिता के साथ सेक्स कर लिया करता था।
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नौकरानी रखैल बन गई मेरी


कुछ दिनों से मेरी पत्नी की तबीयत ठीक नहीं चल रही थी तो मैंने अपनी पत्नी मधु को कहा कि क्या हम लोग किसी को घर पर काम के लिए रख ले। मधु चाहती ही नहीं थी कि हम लोग किसी को घर पर काम के लिए रखें क्योंकि मधु मुझे कहने लगी कि मैं काम संभाल लूंगी लेकिन मधु की तबीयत ठीक नहीं थी और मधु को डॉक्टर ने आराम करने के लिए कहा था पर मधु कहां मानने वाली थी। मधु मुझे कहने लगी कि नहीं मैं घर का सारा काम संभाल लूंगी लेकिन मैं नहीं चाहता था कि मधु की तबीयत और खराब हो। मधु इतने वर्षों से घर का काम संभालती आई थी और उसने मुझे कभी भी कोई परेशानी नहीं होने दी इसलिए मैंने एक नौकरानी को घर पर काम पर रखने के लिए सोच लिया था। उसके लिए मैंने अपने दोस्त से बात की तो वह कहने लगा कि मैं अपनी पत्नी से इस बारे में बात करता हूं। शाम के वक्त जब मैं ऑफिस से घर लौटा तो मेरे दोस्त माधव का मुझे फोन आया और वह कहने लगा कि मेरी पत्नी ने एक नौकरानी से बात तो की है यदि तुम्हें ठीक लगता है तो मैं कल उसे तुम्हारे घर पर भेज देता हूं।

मैंने उसे कहा लेकिन कल तो हमारी ऑफिस में मीटिंग है परसों छुट्टी रहेगी तो परसों के दिन तुम उसे भेज दो माधव कहने लगा हां यह ठीक रहेगा मैं अपनी पत्नी को कह देता हूं कि परसों वह उसे तुम्हारे घर पर भेज दे। अगले दिन मैं सुबह अपनी मीटिंग पर जा चुका था और ऑफिस से आते वक्त मुझे देर हो गई थी मधु की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी। मधु की तबियत कुछ समय से बिल्कुल भी ठीक नहीं चल रही थी और वह काफी बीमार थी डॉक्टर ने उसे आराम करने की सलाह भी दी थी लेकिन वह मेरी बात बिल्कुल भी नहीं मानती थी। अब मुझे लगने लगा कि उसे आराम की जरूरत है अगले दिन सुबह मैं जल्दी उठ चुका था और मैं नहा धोकर हॉल में बैठा हुआ था कि तभी घर की डोर बेल बजी जैसे ही डोर बेल बजी तो मैंने दरवाजा खोला। मैंने जब दरवाजा खोलकर देखा तो सामने एक महिला खड़ी थी वह मुझे कहने लगी कि साहब मुझे माधव जी ने आपके पास भेजा है।

मैंने उसे अंदर आने के लिए कहा और जब वह अंदर आ गई तो मैंने उसे कहा बैठो वह बैठ गई मैंने उससे पूछा तुम कितने वर्षों से काम कर रही हो तो वह मुझे कहने लगी कि साहब मैं माधव जी के घर पर पिछले 5 वर्षों से काम कर रही हूं। मैंने उसे कहा लेकिन तुम यहां पर कैसे काम संभालोगी तो वह मुझे कहने लगी कि मैं तो आपके घर पर नहीं आ पाऊंगी लेकिन मेरी बहन है जो आपके घर पर काम कर लेगी। मैंने उसे कहा लेकिन तुमने उसे क्यों नहीं भेजा वह कहने लगी कि वह किसी जरूरी काम से आज गई हुई है तो मैंने उसे कहा ठीक है तुम अपनी बहन को कल से काम पर भेज देना। अब वह महिला घर से जा चुकी थी मधु मेरे पास आई और कहने लगी तुम किस से बात कर रहे थे। मैंने मधु को सारी बात बताई मधु मुझे कहने लगी कि मैं घर का काम संभाल लूंगी तुम बेवजह ही चिंता कर रहे हो लेकिन मेरी चिंता बिल्कुल जायज थी मुझे लगता था कि मधु अब बहुत ज्यादा बीमार हो चुकी है इसलिए मैंने नौकरानी को रखने का फैसला कर लिया था। अगले दिन वह महिला हमारे घर आ गई और मैंने उसे सारा कुछ समझा दिया था उसका नाम शांता है सुबह के वक्त उसने नाश्ता बना दिया था। मैंने अब टिफिन पैक किया और मैं अपने ऑफिस चला गया जब मैं अपने ऑफिस पहुंचा तो माधव मुझे कहने लगा तुम्हारे घर पर वह काम करने के लिए तो आने लगी है ना। मैंने माधव को कहा हां शांता हमारे घर पर काम करने के लिए आने लगी है माधव मुझसे पूछने लगा कि अब भाभी की तबीयत कैसी है तो मैंने माधव को कहा उसकी तबीयत अब पहले से ठीक है लेकिन डॉक्टर ने उसे आराम करने के लिए कहा है। कुछ समय पहले ही मधु का एक बड़ा ऑपरेशन हुआ था और उसी के चलते वह काफी ज्यादा बीमार रहने लगी और अभी तक वह बीमार रहती है इसलिए मैं कोई भी जोखिम मधु को लेकर नहीं उठा सकता था। जब मैं घर लौटा तो मैंने देखा शांता घर का काम अच्छे से कर रही थी मधु की तबीयत अब पहले से तो ठीक थी लेकिन फिर भी मुझे हमेशा उसकी चिंता सताती रहती थी। बच्चों की देखभाल भी अब शांता ही किया करती थी, मुझे अपने काम के सिलसिले में कुछ दिनों के लिए घर से दूर जाना था तो मैंने शांता को कह दिया था कि तुम मधु की देखभाल अच्छे से करना वह कहने लगी कि साहब आप चिंता ना करें।

मुझे भी अब मधु की चिंता नहीं थी कि मधु की देखभाल के लिए मुझे घर पर रुकना पड़ रहा था मैं अब अपने काम के सिलसिले में अपने घर से दूर था लेकिन फिर भी मेरा मन घर पर ही लगा रहता था। मैंने मधु को फोन किया और उससे पूछा सब कुछ ठीक तो है ना तो मधु कहने लगी हां मैं ठीक हूं तुम अपना ध्यान रखो। कुछ दिनों बाद मैं घर लौट आया जब मैं घर लौटा तो मुझे काफी अच्छा लग रहा था इतने समय बाद मैं और मधु साथ में बैठे हुए थे। मधु की तबीयत भी पहले से ठीक थी और वह मुझसे अच्छे से बात कर पा रही थी डॉक्टर से लगातार उसका चेकअप चल रहा था और अब धीरे-धीरे उसकी तबीयत में भी सुधार आने लगा। शांता घर का सारा काम संभालती थी और कभी-कबार हमारे घर पर माधव भी आ जाया करता था। जब भी माधव घर पर आता तो वह घर के माहौल को ही बदल दिया करता था वह हंसी मजाक बहुत ज्यादा किया करता था जिससे कि मधु खुश हो जाती थी।

एक दिन माधव और मैं ऑफिस में बैठे हुए थे हम लोग आपस में बात कर रहे थे माधव मुझे कहने लगा तुमने कभी शांता की तरफ गलत नजर से देखा है। मैंने माधव को जवाब दिया और कहा नहीं यार मैंने शांता की तरफ नहीं देखा है। वह कहने लगा यदि तुम शांता से पैसे की बात करोगे तो वह तुम्हें सेक्स का सुख जरूर देगी। मैंने उसे कहा क्या तुम भी शांता की बहन के साथ ऐसा ही करते हो? वह मुझे कहने लगा हां मैं तो अपनी पत्नी की गैरमौजूदगी में ऐसा ही करता हूं। माधव ने मुझे पहली बार ही यह सब बताया था मैं यह बात सुनकर थोड़ा हैरान जरूर था लेकिन मैंने भी सोचा कि क्यों ना कोशिश कर ली जाए वैसे भी तो काफी दिनों से मैंने शारीरिक सुख का आनंद नहीं लिया है और इसी के चलते मैंने शांता को अपने कमरे में बुलाया। मधु उस वक्त दूसरे कमरे में लेटी हुई थी जब मैंने उसे बुलाया तो वह मेरे पास आई और कहने लगी हां साहब कहिए ना क्या काम था। मैंने शांता को कहा शांता तुम एक बात बताओ तुम कितना कमा लेती हो? वह कहने लगी साहब यही कोई 10, 12 हजार रुपए कमा लेती हूं मैंने शांता के कंधे पर हाथ रखा और कहा यदि मैं तुम्हें और पैसे दू तो क्या तुम मेरी खुशी का ध्यान रखोगी। शांता ने कुछ देर अपने दिमाग पर जोर डाला और वह सोचने लगी वह मेरी बात मान चुकी थी वह मुझे कहने लगी हां साहब। जब उसने मुझे कहा तो मैंने उसे अपने पास बैठने के लिए कहा वह मेरे पास आकर बैठी तो वह मुझे कहने लगी साहब आपने मेरे बदन को तो देख लिया है। मैंने उसे कहा हां मैंने तुम्हारे नंगे बदन को तो देख लिया है अब तुम्हारे स्तनों को मै महसूस करना चाहता हूं मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया वह बिस्तर पर लेटी हुई थी। मैंने उसे कहा तुम्हारे स्तन बड़े ही लाजवाब है मैंने उसके स्तनों का बहुत देर तक रसपान किया जब वह पूरी तरीके से उत्तेजित होने लगी तो मैंने उसकी चूत के अंदर उंगली घुसा ने शुरू की उसकी चूत के अंदर उंगली डाल दी थी वह तड़पने लगी थी।

वह मुझे कहने लगी मैं बहुत ज्यादा तड़प रही हूं मैंने उससे कहा तुम मेरे लंड का रसपान करो तो उसने मेरे लंड को मुंह मे ले लिया उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसा। उसके बाद वह मुझे कहने लगी कि मुझे बड़ा अच्छा लग रहा है उसने मेरे लंड से पानी बाहर निकाल कर रख दिया था मैं पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुका था मरी उत्तेजना इतनी ज्यादा बढ़ गई थी की मैंने शांता से कहा तुम मेरे लंड को अपनी चूत के अंदर घुसा लो। उसने अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया जब शांता की चूत के अंदर मैंने अपने लंड को घुसा दिया तो वह चिल्लाने लगी। मै उसे धक्के देता तो वह चिल्ला रहे थे और मुझे कहने लगी कि मुझे बहुत दर्द हो रहा है मैं उसे लगातार तेजी से धक्के मार रहा था। मेरे धक्के इतने तेज होते कि वह अपने पैरों को और भी चौड़ा कर लेती मैंने जब उसे घोड़ी बनाया तो उसकी मोटी चूतड़ों को देखकर मेरा मन उसकी गांड मारने का होने लगा।

मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दिया था और लगातार उसे तेजी से चोद रहा था लेकिन कुछ देर बाद मैंने उसे कहा कि मुझे तुम्हारी गांड मारनी है। वह कहने लगी साहब रहने दीजिए लेकिन मैंने उसे कुछ पैसे और दिए तो वह लालच में आ गई वह मुझे कहने लगी लेकिन आप जल्दी से कारो कहीं मेम साहब को पता चल गया। मैने उसे कहा मेम साहब को नहीं मालूम चलेगा मैंने उसकी गांड के अंदर अपने लंड को घुसाया तो मेरा लंड उसकी गांड के अंदर जा चुका था। मै उसे तेजी से धक्के मार रहा था और मुझे उसे धक्के मारने मे बड़ा मजा आता। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही मजा आ रहा है मैंने उसकी गांड के मजे करीब 5 मिनट तक लिए और 5 मिनट के बाद जब मेरा  वीर्य पतन बाहर की तरफ को निकलने वाला था तो मैंने उसे कहा मेरे वीर्य में तुम्हारी गांड मे गिरा रहा हूं। वह कहने लगी हां साहब गिरा दीजिए मैंने उसकी गांड में अपने वीर्य को गिराया तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा। मैंने उसे अपनी रखैल बना लिया है।
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ऐसा मत करो मै नहीं रह पाऊंगी


मेरा नाम रमेश है मैं दिल्ली का रहने वाला हूं दिल्ली में मेरे पिताजी का कपड़े का व्यापार है और वह कई सालों से कपड़े का व्यापार करते आ रहे हैं मैं भी काफी समय से उन्हीं के साथ काम कर रहा हूं। मेरी अभी तक शादी नहीं हुई है लेकिन एक दिन मैं अपने दोस्त को फोन कर रहा था तो गलती से मेरा फोन किसी और ही नंबर पर चला गया और जब सामने से एक लड़की ने फोन उठाया तो उससे मेरी बात होने लगी। पहले दिन तो हम लोगों की बात ज्यादा नहीं हो सकी क्योंकि हम दोनों एक दूसरे से अनजान थे और मैं कभी भी उससे मिला नहीं था लेकिन उसके बाद मुझे उससे बात करना अच्छा लगा और मैं ममता से बात करने लगा। ममता से बात करते हुए मुझे करीब 6 महीने हो चुके थे और इन 6 महीनों में हम दोनों की बात काफी आगे बढ़ चुकी थी हम दोनों एक दूसरे से मिलना चाहते थे लेकिन ममता मुझसे दूर थी ममता चेन्नई में रहती थी उसका परिवार चेन्नई में कई सालों से रह रहा है उसके पिताजी चेन्नई में ही एक अधिकारी हैं और ममता के बारे में मुझे काफी कुछ चीजें पता थी।

हम दोनों एक दूसरे से अक्सर फोन पर ही बातें किया करते थे ममता मुझे अपने हर रोज की दिनचर्या के बारे में बताती थी हम लोग रात के वक्त हर रोज फोन पर बातें किया करते थे। हम दोनों एक दूसरे से हमेशा ही बातें करते थे जिस वजह से यह बात मेरी मां को भी पता चल चुकी थी मेरी मां मुझे हमेशा कहती की बेटा तुम ममता से इतना बात करते हो तो उसे मिल क्यों नहीं लेते। मैंने एक दो बार अपनी मां की बात भी ममता से करवाई थी लेकिन ममता मुझसे काफी दूर थी और मैं उससे मिल नहीं पाया था कभी भी मुझे मौका नहीं मिल पाया था कि मैं ममता से मिल पाऊं। मेरी मौसी जो कि दिल्ली में ही रहती हैं और वह सरकारी नौकरी पर हैं उनका ट्रांसफर अब चेन्नई में हो चुका था मेरी मौसी का ट्रांसफर चेन्नई में होने के बाद जब उन्होंने मुझे यह बात बताई तो मैं बहुत खुश हुआ क्योंकि मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं ममता से मिलूंगा।

मैं चाहता था कि मैं मौसी के साथ ही कुछ समय के लिए चेन्नई चले जाऊं मौसी ने अभी अपना सामान भी शिफ्ट नहीं किया था और मैं उनके साथ चेन्नई जाने के लिए तैयार था। मैंने मौसी को बताया कि मैं आपके साथ चेन्नई आ रहा हूं तो मौसी ने कहा कि ठीक है रमेश मेरी भी मदद हो जाएगी क्योंकि मुझे वहां पर अपना सामान शिफ्ट करने में काफी परेशानी होने वाली थी। मैं मौसी के साथ चेन्नई चला गया उनका ट्रांसफर चेन्नई में हो चुका था इसलिए वह वहां पर अब काफी समय तक रहने वाली थी मैं जब चेन्नई गया तो मैंने यह बात ममता को बता दी थी ममता इस बात से बहुत खुश थी और ममता के बारे में मेरी मौसी को भी पता था क्योंकि मेरी मां ने ममता के बारे में मौसी को बता दिया था। जब हम लोग चेन्नई पहुंचे तो उसके बाद हम लोग घर का सामान शिफ्ट कर रहे थे मैंने मौसी की काफी मदद की मैं ममता से मिलने के लिए बहुत बेताब था लेकिन अभी तक मैं ममता को मिल नहीं पाया था मैं ममता से फिलहाल तो दूर था। मैं जब ममता को पहली बार मिला तो मैं ममता से मिलकर बहुत खुश हुआ हम दोनों एक कॉफी शॉप में मिले और उस कॉफ़ी शॉप में जब हम लोगों की पहली मुलाकात हुई तो मैं उस मुलाकात से बहुत खुश हुआ। मैंने ममता से कहा ममता मुझे कभी उम्मीद भी नहीं थी कि मैं तुमसे मिल पाऊंगा लेकिन हम दोनों एक दूसरे से मिलकर बहुत ही ज्यादा खुश थे और ममता के साथ उस दिन मैंने काफी अच्छा समय बिताया। मैं कुछ दिन चेन्नई में ही रुकने वाला था मैंने अपने घर पर भी बात बता दी थी की मैं चेन्नई से कुछ दिनों बाद लौटूंगा। मौसी एक दिन मुझे कहने लगी कि बेटा कुछ दिनों के लिए शोभित भी चेन्नई आना चाहता है शोभित अभी स्कूल की पढ़ाई कर रहा था और वह कुछ दिनों के लिए चेन्नई आना चाहता था उसकी स्कूल की छुट्टियां पड़ी हुई थी इस वजह से वह मौसी के पास आना चाहता था। कुछ दिनों बाद शोभित चेन्नई आ चुका था जब वह चेन्नई आया तो मैं ही उसे लेने के लिए रेलवे स्टेशन गया था और मैं शोभित को लेकर घर चला आया मैं और शोभित कुछ दिनों तक साथ में रहने वाले थे।

मैंने शोभित से कहा कि तुम्हारे स्कूल की कितने समय की छुट्टियां हैं तो वह मुझे कहने लगा कि भैया मेरे स्कूल की 15 दिनों की छुट्टियां हैं उसके बाद हम लोग अपने स्कूल में अपने एनुअल फंक्शन की तैयारी करने वाले हैं। शोभित की 12वीं के एग्जाम नजदीक आने वाले थे और उनके स्कूल में एनुअल फंक्शन भी होने वाला था मैंने शोभित से कहा जब तुम्हारे स्कूल की पढ़ाई पूरी हो जाएगी तो उसके बाद तुम भी मौसी के साथ यहीं आ जाओगे। वह कहने लगा हां भैया मैं उसके बाद मम्मी के साथ ही चेन्नई में रहकर पढ़ाई करना चाहता हूं मैं जब शोभित से बात कर रहा था तो ममता का फोन मुझे आया और मैं ममता से बात करने लगा। ममता मुझे कहने लगी कि रमेश मुझे तुमसे मिलना था तो मैंने ममता को कहा ठीक है मैं तुमसे मिलने के लिए आता हूं। मैं ममता से मिलने के लिए चला गया मैंने शोभित को कहा कि मैं थोड़ी देर बाद घर लौट आऊंगा शोभित कहने लगा ठीक है भैया। शोभित घर पर ही था और मैं ममता से मिलने के लिए उस कॉफी शॉप में चला गया जिसमें हम लोग पहली बार मिले थे हम दोनों एक दूसरे से मिलकर बहुत खुश हुए।

ममता मुझे कहने लगी कि रमेश मेरा घर पर बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था तो मैंने सोचा कि तुमसे मैं मुलाकात कर लूं इसलिए मैं तुमसे मिलने के लिए चली आई। मैं और ममता उस दिन साथ मे काफी देर तक बैठे रहे फिर ममता ने मुझे कहा रमेश मुझे तुम्हारे साथ अकेले में समय बिताना है। हम दोनों के रिलेशन को काफी समय हो चुका था मैं ममता के साथ उस दिन जब पार्क मे बैठा हुआ था तो वहां आसपास मैंने देखा  कोई भी मुझे नजर नहीं आ रहा था मैंने ममता के होठों को चूम लिया। उसके नरम और गुलाबी होठों को चूम कर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था मैंने उसके होठों से खून भी निकाल कर रख दिया था। जब मैंने उसकी चूत को दबाना शुरू किया तो वह मचलने लगी और मुझे कहने लगी रमेश ऐसा मत करो मैं अपने आपको नहीं रोक पाऊगी। ममता के अंदर की आग को मैने जगा दिया था अब हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स करना चाहते थे। मैं इस बात से बहुत ज्यादा खुश था कि मैं ममता के साथ सेक्स करने वाला हूं। ममता मुझे अपने घर पर ले गई क्योंकि उसके घर पर कोई भी नहीं था हम लोग ममता के घर पर चले गए। जब ममता ने मेरे मोटे लंड को बाहर निकालकर अपने मुंह में लिया तो मैंने ममता से कहा तुम मेरे लंड को ऐसे ही अपने मुंह के अंदर लेती रहो। ममता ने अपने मुंह के अंदर मेरे लंड को ले लिया था वह बहुत ही अच्छे से मेरे मोटे लंड को अपने मुंह के अंदर बाहर कर रही थी। उसने मेरे मोटे लंड को अपने मुंह के अंदर बाहर किया और उसे बहुत ही अच्छा लग रहा था जिस प्रकार से उसने मेरे लंड सकिंग किया। मेरे अंदर की गर्मी को वह पूरी तरीके से बढ़ा चुकी थी अब मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रहा था। मैंने ममता के कपड़े उतारकर उसकी योनि को चाटना शुरू किया तो उसकी योनि से तरल पदार्थ बाहर की तरफ को निकलने लगा था उसकी चूत से तरल पदार्थ बाहर की तरफ को इतना अधिक निकलने लगा था कि वह अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही थी। मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दिया उसकी चूत के अंदर जब मैंने अपने लंड को डाला तो वह बहुत जोर से चिल्लाई और उसकी चूत के अंदर मेरा लंड जा चुका था।

वह इतनी तेजी से चिल्लाने लगी मैं उसे और भी तेज गति से चोदने लगा लेकिन जब मैंने देखा कि ममता की चूत से कुछ ज्यादा ही खून बाहर की तरफ को निकल रहा है तो मैंने उसे कहा तुम्हारी चूत से तो बहुत ज्यादा खून बाहर निकल रहा है। वह मुझे कहने लगी मैं बिल्कुल भी अपने आपको नहीं रोक पा रही हूं वह अपने पैरों को आपस में मिलाने लगी। उसकी चूत के अंदर बाहर मेरा लंड हो रहा था मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था जिस प्रकार से मैं उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को कर रहा था वह बड़ी मादक आवाज में सिसकियां ले रही थी। उसकी सिसकियां लगातार तेज आवाज में बढ़ती जा रही थी वह मुझे कहने लगी तुम ऐसे ही मुझे चोदते रहो। मैंने उसे बहुत देर तक ऐसे ही धक्के मारे मेरे अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी।

मेरे अंदर की गर्मी इस कदर बढ़ने लगी कि मैंने उसे कहा तुम मेरा साथ ऐसे ही देती रहो। वह मुझे कहने लगी मुझसे बिल्कुल भी नहीं रहा जा रहा है वह बिल्कुल भी नहीं रह पा रही थी और उसकी चूत से कुछ ज्यादा ही पानी बाहर की तरफ को निकल आया था। मैंने उसकी चूत पूरी तरीके से छिल कर रख दी थी मेरा मोटा लंड भी पूरी तरीके से छिल चुका था। मैंने उसे कहा मुझे बहुत ही मजा आ रहा है जिस प्रकार से मैं तुम्हें चोद रहा हूं आखिरकार मेरा वीर्य उसकी चूत के अंदर गिर ही गया। जब मेरा वीर्य ममता की चूत मे गिरा तो हम दोनों ही बहुत खुश थे ममता मुझे कहने लगी रमेश आज मुझे बहुत अच्छा लगा जिस प्रकार से तुमने मेरी सील तोड़ी। मैंने ममता की सील तोड़ दी थी और उसे मैंने अपना बना दिया था। मैं बहुत ज्यादा खुश था मैं कुछ दिनों तक चेन्नई मे रहा उसके बाद मैं वापस दिल्ली लौट आया था। जब हम लोग दिल्ली वापस लौट आए तो मुझे काफी अच्छा लगा हम लोग दिल्ली वापस लौट आए थे उसके बाद भी मै ममता से फोन पर बात करता रहता हूं।
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दुकान में चुद गई


मां मुझे कहने लगी मंजू बेटा जल्दी से तुम अपनी दीदी को तैयार कर दो मैंने मां को कहा मां बस दीदी को अभी तैयार कर देती हूं। मैं दीदी को जल्दी से तैयार करने लगी मैंने दीदी को कहा दीदी तुम्हें अब जीजाजी देखने के लिए आ रहे हैं तो वह शरमाने लगी मैंने दीदी को तैयार कर दिया था। थोड़ी देर बाद हमारे घर के आगे एक बड़ी सी गाड़ी आकर रुकी और उसमें से जीजा जी का परिवार निकला तो मैंने दीदी को कहा दीदी जीजाजी तो बहुत अच्छे लग रहे हैं। दीदी कहने लगी कि तुम मुझे परेशान मत करो मैंने दीदी को कहा दीदी भला मैं आपको क्यों परेशान करूंगी। जब वह लोग हमारे घर पर आए तो दीदी उनके लिए चाय लेकर गई और चाय देने के बाद दीदी कुछ देर जीजा जी के साथ बैठी और वह लोग अब अकेले में बात करने लगे। हालांकि इससे पहले रिश्ता तो तय हो चुका था लेकिन जीजाजी पहली बार ही हमारे घर आए थे और दीदी के साथ वह पहली बार इतनी देर तक बात कर रहे थे यह रिश्ता हमारे मामा जी ने करवाया था कुछ दिनों बाद सगाई तय हो गई।

दीदी की सगाई हो जाने के बाद थोड़े समय बाद उसकी शादी का दिन भी नजदीक आ गया दीदी की शादी भी कुछ दिनों बाद हो चुकी थी और वह अपने ससुराल चली गई घर पर मैं अकेली ही रह गई थी अकेले मैं काफी बोर हो जाया करती थी। मां मुझे कहने लगी कि मंजू बेटा तुम घर पर अकेले रहती हो तो तुम कुछ काम क्यो नही कर लेती मैंने मां से कहा मां भला मैं क्या काम करूंगी अब आप जानती ही हो कि दीदी की तो शादी हो चुकी है और उसके बाद मैं घर पर अकेली ही रह गई हूं। मां कहने लगी कि बेटा अगर तुम कहो तो मैं तुम्हारे पापा से इस बारे में बात करूं मैंने मां से कहा मां आप देख लीजिए यदि आप पापा से बात करना चाहती हैं तो आप उनसे बात कर लीजिए। मां ने पापा से इस बारे में बात कर ली थी और पापा भी चाहते थे कि मैं कुछ काम करूं और फिर उन्होंने मुझे अपने दोस्त से मिलवाया। मैं उनकी बेटी राधिका से पहली बार ही मिल रही थी राधिका से जब मैं मिली तो उसे मिलकर मुझे काफी अच्छा लगा उसके भी सपने मेरी तरह ही थे और हम दोनों ने ही अब अपना काम शुरू कर लिया। हमने एक छोटी सी लेडीस गारमेंट की शॉप खोल ली थी मैं राधिका के साथ मिलकर काम देख रही थी हम लोगों का काम अच्छा चलने लगा था और राधिका भी इस काम से बहुत खुश थी।

मैंने एक दिन राधिका से पूछा कि क्या तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है तो राधिका मुझे कहने लगी कि नहीं मंजू मेरा तो कोई बॉयफ्रेंड नहीं है उसने मुझसे पूछा तो मैंने भी उसे मना किया और उसके बाद उसने मुझे अपने बॉयफ्रेंड के बारे में बताया जिससे कि उसका अब ब्रेकअप हो चुका है। उसने मुझे कहा कि उसके साथ मेरा काफी लंबे समय तक रिलेशन रहा था लेकिन अब हम दोनों एक दूसरे से अलग हो चुके हैं। मैंने राधिका से उसके अलग होने का कारण पूछा तो वह मुझे कहने लगी कि हम दोनों के बीच कुछ समय से कुछ ज्यादा ही झगड़े होने लगे थे इसलिए हम दोनों ने अलग होने का फैसला कर लिया था और मैं नहीं चाहती थी कि मैं अपने बॉयफ्रेंड के साथ ज्यादा समय तक रहूं इसलिए मैंने उससे अलग रहने का फैसला कर लिया था। मैं और राधिका बहुत अच्छी सहेली बन चुकी थी दीदी भी उसी बीच कुछ दिनों के लिए घर आई हुई थी दीदी जब घर आई तो सब लोग घर में बहुत ही खुश थे मैंने दीदी से पूछा दीदी जीजाजी तुम्हारा ध्यान तो रखते हैं ना, तो दीदी कहने लगी हां वह मेरा ध्यान बहुत अच्छे से रखते हैं। कुछ दिनों तक दीदी हमारे साथ ही रहने वाली थी तो दीदी को मैं अपनी शॉप पर ले गई और मैंने दीदी को राधिका से भी मिलवाया। जब दीदी राधिका से मिली तो राधिका के साथ दीदी ने काफी देर तक बात की राधिका से मिलकर दीदी ने मुझे कहा कि राधिका बहुत ही अच्छी लड़की है। एक दिन मैं अपनी दीदी के साथ घर पर थी उस दिन मैं शॉप पर नहीं गई थी राधिका का मुझे फोन आया और वह मुझे कहने लगी की मंजू आज तुम नहीं आई तो मैंने उसे कहा कि आज मैं दीदी के साथ ही थी इसलिए मैं आ नहीं पाई। वह कहने लगी कोई बात नहीं और उस दिन मैं दीदी के साथ ही बैठी हुई थी तो दीदी ने मुझे अपने देवर के बारे में बताया। दीदी ने कहा कि उनके देवर कि विदेश में एक अच्छी कंपनी में नौकरी लग चुकी है मैंने दीदी को कहा आपके देवर से तो मेरी एक बार बात हुई थी दीदी कहने लगी कि वह बहुत ही अच्छे हैं। दीदी चाहती थी कि मैं उनके देवर रजत के साथ शादी कर लूं मैंने दीदी को कहा लेकिन दीदी मैं रजत को अच्छे से जानती भी तो नहीं हूं और मुझे रजत के बारे में कुछ भी नहीं पता।

दीदी कहने लगी कि रजत बहुत ही अच्छे है लेकिन वह कुछ दिनों बाद ही अपने जॉब से वापस लौटेंगे क्योंकि अभी कुछ दिनों पहले ही वह गए थे। मैंने दीदी से कहा कि दीदी जब रजत वहां से लौट आए तो मुझे बताना मैं रजत से जरूर मिलना चाहूंगी। दीदी ने कहा ठीक है जब रजत वापस लौट आएंगे तो मैं तुम्हें घर पर बुला लूंगी मैं और दीदी उस दिन साथ में ही थे मां हम लोगों के रूम में आई और कहने लगी कि तुम दोनों क्या बात कर रही हो। मैंने मां से कहा मां कुछ नहीं बस दीदी के साथ ऐसे ही बात कर रही थी। मां भी अब हम लोगों के साथ बैठ चुकी थी और मां कुछ देर तक हम लोगों के साथ ही बैठी रही फिर उसके बाद वह अपना काम करने लगी। मां रसोई में चली गई थी और वह खाना बनाने की तैयारी करने लगी थी मैंने दीदी से कहा दीदी मैं मां की मदद कर देती हूं दीदी कहने लगी चलो हम दोनों ही मां की मदद कर देते हैं। हम दोनों ही अब मां की मदद करने के लिए रसोई में चले गए और हम दोनों खाना बनाने लगे जब हम लोग खाना बना रहे थे तो मां दीदी से कहने लगी कि जैसे कल की ही बात हो तुम कुछ समय पहले तक तो घर पर ही थी और अब तुम्हारी शादी भी हो चुकी है तुम्हारी शादी को 6 महीने होने आए हैं।

मैंने मां से कहा मां समय का पता ही नहीं चल पाता है और मुझे भी तो ऐसे ही लग रहा था जैसे दीदी की शादी अभी कुछ समय पहले ही हुई हो। हम लोगों ने खाना बना लिया था और हम सब लोगों ने उस दिन साथ में खाना खाया काफी समय बाद हम लोगों का पूरा परिवार साथ में था। दीदी कुछ दिनों तक घर पर थी उसके बाद वह अपने ससुराल चली गई। दीदी के ससुराल जाने के बाद घर काफी सुना हो चुका था मैं भी शॉप पर चली जाया करती थी जिस वजह से मां घर पर अकेले ही रह जाती थी। एक दिन शॉप मे एक लड़का आया हुआ था उस वक्त राधिका दुकान मे नहीं थी। वह मुझे कहने लगा आप मुझे अंडर गारमेंट्स दिखा दीजिए। मैंने उससे कहा लेकिन तुम्हे किस के लिए लेने हैं? वह मुझे कहने लगा मुझे अपनी गर्लफ्रेंड के लिए लेने हैं। मैं उसके चेहरे की तरफ देख रही थी मैंने उससे कहा तुम्हारी गर्लफ्रेंड का साइज क्या है? उसने मुझे कहा 32 नंबर के दे दीजिए। मैंने उसे अंडर गारमेंट दे दिए लेकिन वह लड़का जिस प्रकार से मेरी तरफ देख रहा था उससे मेरा मन भी उसके साथ सेक्स करने का होने लगा था। मैंने उससे कहा तुम्हारा नाम क्या है? उसने मुझे अपना नाम बताया उसका नाम सुजीत था। सुजीत के साथ मैं काफी देर तक बात करती रही। उसके बाद वह चला गया वह दोबारा से एक दिन दुकान मे आया तो उस दिन मैं सुजीत को देखकर अपने आपको ना रोक सकी मैंने उसे कहा क्या हम लोग कुछ देर बैठ सकते हैं। वह मुझे कहने लगा क्यों नहीं अब हम लोग अपनी दुकान के अंदर चले आए थे मैं उसे अपने स्तनों को दिखा रही थी। वह मेरी तरफ आया और उसने मेरे स्तनों को दबाना शुरू किया जब उसने मेरे होंठों को चूमना शुरू किया तो मुझे अच्छा लग रहा था।

मेरी चूत से कुछ ज्यादा ही तरल पदार्थ बाहर की तरफ को निकलने लगा था मै इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई थी मैं उसके लंड को अपने मुंह के अंदर लेना चाहती थी। मैंने उसके मोटे लंड को अपने मुंह के अंदर ले लिया जब मैंने उसके लंड को अपने मुंह में लिया तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैं सुजीत के लंड को अपने मुंह के अंदर बाहर कर रही थी और उसकी गर्मी को मैं बढाती जा रही थी उसकी गर्मी बहुत ही ज्यादा बढ़ने लगी थी। मैंने चूत के अंदर उंगली डालने की कोशिश की तो वह मुझे कहने लगा मैं आपकी चूत के अंदर अपने लंड को डाल देता हूं। उसने मेरी चूत के अंदर अपने लंड को धकेलते हुए घुसा दिया। मेरी चूत को फाडता हुआ उसका लंड मेरी चूत की दीवार से टकराने लगा।

जब मैं अपने पैरों को खोलने लगी वह मेरे साथ बड़े अच्छे से दे रहा था और मैं उसका साथ बहुत अच्छे से दे रही थी। वह मुझे लगातार तेज गति से धक्के मार रहा था और मुझे उसने जिस प्रकार से धक्के दिए उस से तो मैं बहुत ज्यादा खुश हो रही थी और मेरी खुशियों मे लगातार बढ़ोतरी होती जा रही थी। मैंने उसे कहा मै अब नही रह पा रही हूं। मैंने उसे कहा क्यों नहीं मैंने उसको कहा क्या तुम अपनी गर्लफ्रेंड के साथ ऐसे ही सेक्स करते हो? वह कहने लगा हां उसके साथ मैंने कई बार सेक्स किया है लेकिन आपके साथ जिस प्रकार का मजा आ रहा है और आपकी चूत इतनी ज्यादा टाइट है मुझे आपकी चूत मारने मे बहुत मजा आ रहा है। मैंने उसका साथ बड़े अच्छे से दिया काफी देर तक हम दोनों ने एक दूसरे का साथ दिया मेरे अंदर की गर्मी को वह झेल ना सका मेरी चूत के अंदर ही उसने अपने वीर्य को गिरा दिया था। मैं बहुत ज्यादा खुश हो गई थी उसके बाद भी सुजीत कई बार दुकान मे आता ही रहता था जब भी वह आत तो मेरे साथ सेक्स किया करता।
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