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सहेली के चार दोस्तों के साथ चुदाई

दोस्तो, मैं आपकी प्यारी प्यारी दोस्त, प्रीति शर्मा… आज मैं आपको अपनी एक नई बात बताने जा रही हूँ। मेरी पिछली कहानी में आप लोगों ने पढ़ा था कि कैसे मेरे पति का बिजनेस डूब गया और अपनी जिस्मानी और घर की जरूरतों को पूरा करने के लिये मुझे काल गर्ल बनना पड़ा।


मगर जो मुझे मेरा पहला कस्टमर मिला, अरुण जी, उन्होंने में मुझे बाद में भी बहुत बार बुलाया। हालांकि शिप्रा के कहने पर मुझे और लोगों को भी खुश करना पड़ा, मगर मुझे खुद भी अरुण जी बहुत अच्छे लगते थे।


धीरे धीरे अरुण जी और मेरी आपस में बहुत दोस्ती हो गई, और अपने घर की भी हर एक बात आपस में शेअर करते थे।

उन्हीं दिनों मैंने अरुण जी को अपने बारे में सब कुछ बताया, कैसे मैं रानी से रंडी बनी। तो अरुण जी ने मेरे पति से मिलने की इच्छा ज़ाहिर की। मैं मेरे पति को लेके अरुण जी के पास गई, उन्होंने मेरे पति से बात की और उनकी नया बिजनेस खड़ा करने में मदद की।


मेरे पति ने भी मेहनत की और हमारा काम फिर से ठीक हो गया, इतना तो नहीं जितना पहले था मगर फिर भी हम संभल गए।


थोड़े से दिनों बाद ही हमने एक नया फ्लैट किराए पर ले लिया। धीरे धीरे सब सुधरने लगा, मेरा प्रेम अरुण जी के लिए और भी बढ़ गया।


बेशक मेरे पति को पता चल चुका था कि मेरे और अरुण जी के बीच में क्या संबंध है, पर अरुण जी के उस पर एहसान ही इतने थे कि मेरे पति ने कभी इस बारे में मुझसे भी बात नहीं की, मगर उसके बाद न ही कभी उन्होंने मेरे साथ सेक्स किया।


मेरी भी सेक्स की ज़रूरत अरुण जी पूरी कर रहे थे, तो न मैंने न मेरे पति ने कभी एक दूसरे को सेक्स के लिए कहा। हो सकता है, मेरे पति ने भी बाहर कोई चक्कर चला लिए हों।


खैर, जहां हमने अपना नया फ्लैट लिया था, वह पर हमारे पड़ोस में एक और परिवार रहता था, जिनसे हमारा पहले दिन से दोस्ताना हो गया था। दोनों मियां बीवी बहुत ही खुशमिजाज़ थे… पिंकी और जतिन।

पिंकी कुछ ही दिनों में मेरी बहुत अच्छी सहेली बन गई। अक्सर हम अपने अपने घर का काम निपटा कर एक दूसरे के घर चली जाती। कभी मैं उसके घर तो कभी वो मेरे घर! बहुत सी बातें करती, एक साथ शॉपिंग, घूमना फिरना, खाना पीना।


ज़िंदगी बहुत ही मस्त हो गई थी, और पिंकी की स्वभाव से बिल्कुल मेरी तरह थी, बिंदास। जो मुँह में आया, बोल दिया, जो मन में आया, कर दिया।


धीरे धीरे हमारी दोस्ती इस हद तक गहरी हो गई कि मैंने उसको अपने बारे में सब कुछ बता दिया; अपने बारे में, पति के बारे में, शिप्रा के बारे में, अरुण जी और मेरे सम्बन्धों के बारे में!


मगर पिंकी बोली- कोई बात नहीं यार, ज़िंदगी में इंसान को बहुत से समझौते करने पड़ते हैं। तूने कुछ गलत नहीं किया है।


मेरे मन को बड़ी तसल्ली मिली कि चलो मेरी सहेली को मेरे किसी भी काम से कोई ऐतराज नहीं। अब तो मैं पिंकी को बता कर भी चली जाती थी कि आज अरुण जी के पास जा रही हूँ।


कभी कभी मुझे भी शक सा होता था कि शायद पिंकी का भी बाहर कोई चक्कर है, मगर उसने कभी इस बात को स्वीकार नहीं किया, मैंने भी ज़्यादा ज़ोर देकर कभी नहीं पूछा।


एक दिन वैसे ही मैं उसके घर गई, उस वक़्त वो बाथरूम में थी, मैंने अंदर जा कर देखा तो वो अपनी टाँगों और चूत पर वीट लगा रही थी।


मुझे देख कर वो बोली- अरे यार अच्छा हुआ तू आ गई। ज़रा मेरी हेल्प कर, जहां मेरी नज़र नहीं जा रही वहाँ पे वीट लगा दे।


मैं हंस कर उसके सामने बैठ गई, उसने अपनी पूरी टांगें फैला रखी थी; मैंने उसकी चूत और गांड पर वीट लगा दी।


फिर वो बोली- अरे यार मेरा न चाय पीने को दिल कर रहा है, थोड़ी सी बना ला!


मैं उठ कर किचन में चाय बनाने चली गई। वहीं किचन में उसका फोन पड़ा था। तभी व्हाट्सअप्प पर उसके कुछ मेसेज आए।


वैसे ही कौतुहूल वश मैंने उसका फोन उठाया और जब खोल कर देखा तो मेरी तो आँखें फटी की फटी रह गई। उसमें पिंकी एक साथ 4 लड़कों के साथ सेक्स में मशगूल थी। वो चारों एक साथ उसको पकड़े हुये थे। कोई उसकी चूत मार रहा है, कोई उसके मम्मे दबा रहा है, कोई उसके मुँह में अपना लंड दे रहा है।


मैं तो पिक्स देख कर डर गई, मुझे लगा शायद कोई पिंकी को ब्लैक मेल कर रहा है, तभी ऐसी पिक्स भेजी, मैं तो चाय बीच में ही छोड़ कर भागी, उसके पास। मैंने उसे मोबाइल दिया और कहा- तेरे मेसेज आए हैं, देख ले।


उसने मेसेज देखे और फिर मेरी तरफ देख कर बोली- तुमने मेरे मेसेज चेक किए थे?


मैंने कहा- हाँ, बस वैसे ही बेखयाली में देख बैठी, बाद में बुरा भी लगा के मुझे ऐसे तुम्हारा मोबाइल नहीं देखना चाहिए था।


उसने बड़ी निराशा से एक ठंडी सांस छोड़ी।


मैंने पूछा- ये लड़के कौन है, तुम्हें कहीं ये तस्वीरें दिखा कर ब्लैक मेल तो नहीं कर रहे?


वो परेशान हो कर बोली- नहीं यार, तुम नहीं समझोगी।


मैंने कहा- अरे ऐसे कैसे नहीं समझूँगी। शादीशुदा बाल बच्चेदार औरत हूँ। तुम्हारी दोस्त हूँ, मैंने भी तो अपनी हर तुम्हें बताई है, तुम भी बता दो।


वो पहले तो बैठी सोचती रही, फिर बोली- तो ये बात सिर्फ हम दोनों के बीच में ही रहनी चाहिए, बस, सिर्फ़ तुम और मैं!


मैंने कहा- वादा।


तो उसने मुझे बताया- यार मेरी दिक्कत ये है कि मेरा एक मर्द से दिल नहीं भरता, मुझे तो अपने सभी सुराखों में मर्द का लंड चाहिए, आगे पीछे, मुँह में हाथ में। और सब मुझे प्यार से नहीं मार मार कर चोदें मुझे। मुझे वहशी सेक्स पसंद है। मार पीट कर, गालियां निकाल कर, जलील कर के।

मैंने कहा- तो जो तेरे साथ पिक्स में हो रहा है, सब तेरी मर्ज़ी से हो रहा है।


वो बोली- हाँ, और जैसे मैं उन्हें पहले कह देती हूँ, आज ये सब करना, वैसे ही वो करते हैं।


मैं तो उसकी बात सुन कर हैरान रह गई।


मैंने कहा- यार, थोड़ा बहुत वाइल्ड सेक्स तो मुझे भी पसंद है, मगर तू तो बहुत आगे निकली हुई है।


वो बोली- निकली हुई नहीं हूँ, निकल चुकी हूँ। सच कहूँ तो अब नॉर्मल सेक्स मुझे कोई मज़ा नहीं आता है। पति आता है, 5 मिनट चूमता चाटता है, 2 मिनट चुसवाता है, 10 मिनट चोदता है, मगर मैं जैसे एक बेजान मशीन की तरह उसके सब हुकुम मानती हूँ। मगर मज़ा एक सेकंड का भी नहीं आता है।


मैंने थोड़ी सी दिलचस्पी लेकर पूछा- क्या इसमें सच में बहुत मज़ा आता है?


उसने मेरी आँखों में देखा और बोली- साली, लगी लार टपकाने तेरी चूत भी?


और मुझे ज़ोर से कमर पर चिकोटी काटी, फिर थोड़ा सा संयत हो कर बोली- सच में यार, बहुत बहुत मज़ा आता है। एक लंड चूत में, एक मुँह में, दो हाथ में, अगर तू गांड में लेना चाहे तो एक गांड में भी। इतनी रगड़ाई होती है, इतनी रगड़ाई होती है, साला ज़िंदगी का मज़ा आ जाता है। तुझे करवाना है तो बोल?


मैं तो जैसे सुन्न सी हो गई- अरे नहीं यार, 4-5 लड़के, अगर साले मेरा रे.प कर दे तो?


वो बोली- तो साली तेरी आरती उतारेंगे वो क्या।


अगर देखा जाए तो यह एक ओरगानाइज्ड रे.प ही है, मगर इस रे.प में तुम्हारी अपनी मर्ज़ी शामिल है। तुम सिर्फ अपनी मर्ज़ी से उनको अपना जिस्म दे देती हो। बाकी उनकी मर्ज़ी वो इसको कैसे इस्तेमाल करते हैं। अगर तुम्हें कोई खास चीज़ पसंद है, तो वो भी तुम्हारे साथ करेंगे। मगर करेंगे अपने स्टाइल से, बस तुम एक खिलौना होगी, तुम्हारे जिस्म से खेलेंगे वो, मार पीट, गली, थूकना, मूतना सब करेंगे।

मुझे ये सब बड़ा एक्साइटिंग सा लगा; मैंने कहा- यार सच कहूँ दिल तो मेरा भी कर रह है, पर डर सा लगता है।


पिंकी बोली- डर मत मैं तेरे साथ चलूँगी। दोनों सहेलियां मिल के एंजॉय करेंगी।


मैंने उसे हामी भर दी।


कुछ दिन बाद उसने मुझे कहा- मैंने प्रोग्राम फिक्स कर लिया है, अपना भी और तेरा भी, तैयार रहना, दोनों चलेंगी।


मैं खुश हो गई।


वैसे मैं हमेशा अपना फेशियल, वैक्सिंग, सब कुछ हमेशा रेगुलर करवाती हूँ। पर उस काम के लिए मैं स्पेशियली ब्यूटी पार्लर गई और खास टच अप करवाया, ताकि मेरी खूबसूरती में कोई कमी न रह जाए।


बुधवार का दिन था, पति के जाने के बाद, मैं करीब 10 बजे तैयार हो गई और बेटी को क्रेच में छोड़ कर पिंकी के पास जा पहुंची। हम दोनों उसकी कार में बैठ कर निकली और फिर किसी के घर गई। मैं नहीं जानती किसका घर था; मैंने पिंकी से पूछा- किसका घर है, यहाँ सेफ तो है न?


वो बोली- चिंता मत कर डार्लिंग, अपने यार का ही घर है, और बिल्कुल सेफ है, मैं हमेशा यहीं आती हूँ।


हम अंदर जा कर बैठी तो एक नौजवान सा लड़का हमें ड्रिंक्स दे गया।


पिंकी ने उस से पूछा- सब आ गए?


वो बोला- हां जी, सब अंदर ही हैं, आपका ही इंतज़ार कर रहे हैं।


पिंकी ने मुझे हाथ मारा और हम दोनों उठ कर चल दी, मैं बड़े धड़कते दिल जा रही थी… पता नहीं क्या होगा, कैसा होगा।


जब बेडरूम में पहुंचे तो वहाँ पहले से 4 लड़के बैठे थे, वो बीअर पी रहे थे और नमकीन खा रहे थे, हमें देख कर उठ खड़े हुये, “हैलो मैम!” कह कर एक लड़के ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और उसके बाद हमने सभी लड़कों से हाथ मिलाया।


सभी लड़के करीब करीब 25-27 साल के आस पास थे। हम भी उनके सामने बैठ गई।


उस लड़के ने हमे बीयर ऑफर की, मगर हमारे पास तो पहले से ही सॉफ्ट ड्रिंक थी।


वो बोला- छोड़ो यार, कहाँ कोका कोला पी रही हो, बच्चों वाली ड्रिंक? ये पियो!

कह कर उसने दो गिलासों में बीयर डाल कर हमको दी; हम भी बीयर पीने लगी।


एक लड़के ने पूछा- तो आज आप पहली बार गैंग बैंग में आई हैं?


मुझे पहले तो गैंग बैंग सुन कर बड़ी सनसनी सी हुई, फिर मैंने कहा- हाँ! पिंकी ने आपकी तारीफ ही इतनी की कि मुझे आना पड़ा।


वो हंस पड़े, बोले- कोई बात नहीं आप भी करेंगी।


कुछ देर में हमारी बीयर खत्म हो गई, तो एक लड़का बोला- आज बोंडेज गैंग बैंग करें?


पिंकी बोली- हाँ, ठीक रहेगा, बहुत दिन से किया भी नहीं।


उन लड़कों ने पहले तो रूम को लॉक किया, फिर अपने कपड़े उतारने लगे, मगर सिर्फ चड्डियाँ नहीं उतारी। उनकी चड्डी में भी उनके लंड की शेप दिख रही थी, और मैं मन ही मन बड़ी उत्साहित सी हो रही थी कि ये चार लोग एक साथ मुझे चोदेंगे, और पता नहीं क्या क्या करेंगे।


फिर उन्होंने एक अलमारी से बहुत सा और समान भी निकाला, जिसमें रस्सियाँ, बेल्टें, चाबुक और ना जाने क्या क्या था। वैसे अभी तक मैंने ये सब पॉर्न वीडियोज़ में तो देखा था, पर कभी अनुभव नहीं किया था।


सामान निकाल कर उसने हमें कहा- चलिये, आप भी तैयार हो जाइए।


पिंकी उठी और उसने अपनी जीन्स, टी शर्ट, ब्रा पैन्टी सब उतार दी; पिंकी बोली- पहले मैं तुम्हें कर के दिखाती हूँ, तुम देखो, बाद में मेरी तरह तुम्हें भी ऐसे ही बांधा जाएगा।

मैं बैठी देखती रही।

उन लड़कों ने पिंकी को उल्टा लेटा कर पीछे से उसकी बाहें, रस्सी से बड़ी मजबूती से बंधी, फिर पैर बांध दिये, मुँह में एक छोटी से गेंद फंसा कर उस पर बेल्ट बांध दी। इतनी कस कर बांधा उसे कि वो हिल भी नहीं पा रही थी; न ही बोल पा रही थी।


फिर उन चारों लड़कों ने अपनी अपनी चड्डियां भी उतार दीच एक साथ हवा में 4 मजबूत, कडक लंड लहरा उठे।


क्या नज़ारा था… मेरा दिल किया कग मैं उन चारों के लंड पकड़ कर चूस लूँ।


मगर मेरी बारी अभी आई नहीं थी।


एक लड़का पिंकी के पास गया और उसे बालों से पकड़ कर खींच कर घूमा दिया, वो बेचारी दर्द के मारे चीख पड़ी, मगर मुँह बंधा होने के कारण, उसकी आवाज़ उसके ही मुँह में दब कर रह गई। एक लड़का बोला- देख माँ की लौड़ी कैसे ड्रामा कर रही है, जैसे बड़ी सती सावित्री हो।


दूसरा बोला- भाई मैं जानता हूँ इसे, साली एक नंबर की चुदक्कड़ है, रंडी साली, घरवाले के अलावा भी कुतिया के 2 चक्कर और हैं।


एक लड़के ने पिंकी का चेहरा पकड़ा और बोला- देख जानेमन, आज तेरे पे दिल आ गया है, चुपचाप अपने आप देगी तो ठीक, वरना चोद हमने तुम्हें वैसे भी देना है, बोल क्या कहती है, तेरी मर्ज़ी से या हमारी मर्ज़ी से।


फिर उसने पिंकी का मुँह खोला तो वो बोली- तुम्हारी मर्ज़ी से।


लड़का बोला- शाबाश, इसी खुशी में ले अपनी माँ के यार का लंड चूस कर बता, कैसे चूसते हैं।


लड़के ने अपना लंड उसके मुँह को लगाया, तो पिंकी उसके लंड को चूसने लगी।


बाकी लड़के पिंकी के बदन पर ऐसे हाथ फेर रहे थे, जैसे उन्हें पहली बार कोई नंगी औरत देखने को मिली हो, या बहुत देर बाद कोई औरत नंगी दिखी हो।


सबने अपने अपने लंड अपने हाथ में पकड़ रखे थे, और पिंकी का नंगा बदन सहला रहे थे।

सामने बैठी मैं अलग से तड़प रही थी, सच कहूँ तो मुझे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था। मैं तो खुद उठ कर उनके बीच में जाने को बेचैन थी। तभी अचानक दो लड़के मेरी तरफ एकदम से भाग कर आए और जैसे मुझ पर हमला कर दिया हो। मेरी दोनों बाजू पकड़ी और मुझे खींच कर वहीं ले गए, मुझे धक्का दे कर नीचे गिरा दिया, और फिर चारों ने पकड़ कर मेरे हाथ पाँव दबा लिए, मुझे पता था कि ये सब नाटक है, पर फिर भी एक बार तो मैं डर गई।

मुझे ज़मीन पर लेटा कर एक लड़का मेरे ऊपर आ चढ़ा और बड़ी ही डरावनी सी हंसी हंस कर उसने मेरे दोनों मम्मे पकड़ लिए और दबाने लगा, बिल्कुल ऐसे जैसे किसी शिकारी को उसका शिकार मिला जाता है और वो उसे खाने से पहले दबोच कर उसकी बेचारगी का मज़ा लेता है।

जिन लड़कों ने मेरी टांगें पकड़ रखी थी, उन दोनों ने मेरी जीन्स का बटन और ज़िप खोली और मेरी पैन्ट उतारने लगे, जो लड़का मेरे ऊपर बैठा था, उसने मेरी टी शर्ट ऊपर को उठाई और खींच कर उतार दी, मेरी ब्रा पैन्टी भी एक सेकंड में उतार दी, अभी जो मैं बैठी देख रही थी, दो पल बाद वहीं अब मेरी भी हालत हो गई थी।


पिंकी के साथ मैं भी नंगी लेटी हुई थी, पहले तो मुझे भी शर्म सी आई कि यार चार बिल्कुल अंजान लड़के जिनके मैं नाम भी नहीं जानती, उनके सामने मैं बिल्कुल नंगी लेटी थी, और वो सब थोड़ी देर बाद मुझे चोद रहे होंगे।

मगर एक बात यह भी थी कि मुझे इस सब में रोमांच भी बहुत आ रहा था, मैं बहुत खुश थी, जैसे मैं अपनी पसंद का कोई काम पहली बार करके देख रही हूँ।

मुझे नंगी करके चारों लड़के मेरे ही आस पास आकर बैठ गए और कुत्तों की तरह गुर्राने लगे। फिर एक लड़के ने अपने लंड पर कोंडोम चढ़ाया और वो तो पिंकी को घोड़ी बना कर चोदने लगा, ऐसे जैसे कोई उसके पीछे पड़ा हो, और उसे बस एक मिनट में ही उसे चोद कर भाग जाना हो।


बाकी तीन में से एक ने मेरे मुँह को अपनी तरफ घुमाया, और बोला- चल मादरचोद, ले इसे मुँह में!


और अपना लंड ला कर मेरे होंठों पर रख दिया।


मैंने मुँह खोला और चूसने लगी, वो बोला- देखो साली भैंण की लौड़ी को, कैसे लंड चूस रही है, कुतिया कहीं की!


और उसने मेरे बूब को ज़ोर से पकड़ कर दबा दिया। अब दबाया तो उसमें से दूध निकल आया।

उसने तभी बाकी लड़कों को भी बताया- अबे ये देखो, साली दुधारू है, भैंणचोदी के थण भरे पड़े हैं दूध से, पी लो रे। इसका ही दूध पी कर तगड़े हो कर इसी की चूत मारेंगे।

सब बेहूदा सा हंसने लगे और दोनों मेरे मम्मे बड़ी बेदर्दी से दबा दबा कर उनका दूध निकालने लगे। मुझे दूध निकालने से कोई ऐतराज नहीं था, मगर यार दबाओ तो प्यार से मगर ये तो ऐसे निचोड़ रहे थे, जैसे नींबू को निचोड़ते हैं।

मुझे बहुत दर्द हुआ, मैंने उनसे कहा भी- अरे यार दर्द होता है, आराम से दबा लो!

मगर एक ने मेरे एक चांटा मारा और बोला- चुप साली हरामजादी, अब तू हमारी गुलाम है, हम जैसा चाहेंगे, तेरा इस्तेमाल करेंगे.


और वो फिर वैसे ही मेरे मम्मे दबा दबा कर दूध निकालते रहे, जो लड़का मेरे ऊपर बैठा था, वो पीछे को खिसका और मेरी दोनों जांघें चौड़ी करके मेरी चूत चाटने लगा।


ये मेरे लिए बहुत आनंद दायक था, मुझे चूत चटवाना बहुत पसंद है।


प्रीति को भी घोड़ी बन कर हाथ पैर बंधे होने के बावजूद चुदाई का मज़ा आ रहा था, उसके चेहरे की संतुष्टि देख कर लगता था कि वो बहुत मज़ा ले रही है।


मगर एक लड़के ने कहा- अबे तू उस छिनाल से क्या चिपटा है, उसकी तो बीसों दफा मारी है, इधर आ, ये नया पीस बहुत बढ़िया है, इसको चूस के मज़ा ले!


और वो लड़का वहीं उसे बीच में ही छोड़ कर आ गया।

पिंकी का मुंह तो बंधा था, उसने कुछ कुनमुनाहट सी की आवाजें निकाल कर जैसे कहा भी- अरे मेरा होने वाला है, मेरा तो करवा जा!


मगर उसने तो सुना ही नहीं।


चारों लड़कों ने बारी बारी पहले मेरा दूध पिया, सब ने मज़े ले ले कर, मेरे मम्मों और दूध के साथ खेला। फिर पिंकी को भी खींच कर ले आए और उसे भी कहा मेरे दूध पीने को।


और उसका मुँह भी मेरे मम्मे से लगवा कर उसे मेरा दूध चुसवाया।


बड़ा ही अजीब सा माहौल था।

एक बात और देखी मैंने, वो चारों लड़के एक दूसरे से कोई घिन नहीं करते थे, जैसे एक लड़का मुझे लंड चुसवा रहा है, तो दूसरे का दिल किया तो उसने मेरे मुँह से उसके लंड निकाला और अपना मुँह लगा मेरे होंठ चूसने लगा। जो लड़का मेरी चूत चाट रहा था, उसने तो चाट चाट कर मेरा पानी ही गिरवा दिया।


मैं उन चारों की गिरफ्त में तड़प कर शांत हो गई मगर वो चाटने से नहीं हटा। बल्कि उसके बाद वो जा कर पिंकी की चूत चाटने लगा। उसने पिंकी का मुंह खोल दिया.


पिंकी बोली- अबे भोंसड़ी के, जीभ नहीं, अपना लंड डाल।


मगर वो चाटता रहा!


इधर एक और लड़के ने अपने लंड पे कोंडोम चढ़ाया और मेरी चूत में लंड डाल कर पेलने लगा।


साले का लंड भी अच्छा था, और दम भी था, मगर उसे मेरे मज़े की नहीं, सिर्फ अपनी चुदाई की पड़ी थी। नीचे चूत में लंड, एक लंड मुँह में, दोनों मम्मों पर दो मुँह। मेरे तो सभी ज़रूरी अंग बिज़ी थे, सिर्फ एक गांड ही बची हुई थी।


पर एक लड़के ने पूछ ही लिया- मैडम, आपको बी साइड चलाने का शौक है?


मैं समझ गई कि मेरी गांड के बारे में पूछ रहा है, मैंने मना कर दिया- नहीं, मुझे सिर्फ ए साइड चलानी ही अच्छी लगती है।


मगर पिंकी बोली- मादरचोद, मेरी चला ले बी साइड, इसको देख कर सभी की माँ चुद गई, जो मुझे छोड़ कर इस हरामज़ादी के तलवे चाट रहे हो?


एक लड़का बोला- अरे यार, नया माल सबको पसंद होता है।

जो लड़का मुझे चोद रहा था, उसने करीब 20 मिनट की मेरी शानदार चुदाई की, मैं दो बार और झड़ गई। उसके उतरते ही, एक और लड़का कोंडोम चढ़ा कर आ गया। अगले 4 घंटे तक वो लड़के बारी बारी आते गए, और मुझे चोदते गए।


मेरी चूत का बाजा बजा दिया उन्होंने।


फिर उन्होंने पिंकी को भी खोल दिया। खुलने के बाद तो पिंकी भी जैसे उनकी ही हो गई, वो भी मुझे जलील करने और मारने का कोई मौका नहीं छोड़ रही थी। मेरे दोनों चूतड़ उन लोगों ने मार मार कर सुर्ख कर दिये थे। मम्मे भी दबा दबा कर लाल कर दिये।


चुदाई लगातार चल रही थी, एक उतरता तो दूसरा चढ़ जाता। मैं चुद कर पहली बार इतनी बार झड़ी थी। 5-6 बार झड़ने के बाद तो न मैं झड़ी और न ही मेरी चूत ने पानी छोड़ा… बिल्कुल सूखी। और जब मेरी सूखी रगड़ाई हुई, तब मेरी चीख निकली।


यह तो सुनने में या पढ़ने में मज़ेदार लग सकता है, मगर सच में, सच में बहुत ही दुखदाई था। मैं चाहती थी के मैं भाग कर यहाँ से चली जाऊँ।


मगर सब ने मुझे ऐसे मजबूती से पकड़ रखा था कि मैं तो हिलने का भी नहीं सोच सकती थी। मैंने पूछा- अरे बस करो यार, अब तो मुझे मज़ा आना भी बंद हो गया। अब तो छोड़ दो मुझे।


तब एक लड़के ने कहा- ठीक है, थोड़ी देर आराम कर लो, बाद में देखेंगे, दूसरी शिफ्ट लगा लेंगे।


जब वो लड़का मुझे चोद कर नीचे उतरा तो मैं तो अपना पेट पकड़ कर गांठ बन कर लेट गई।


पिंकी ने पूछा- क्या हुआ?


मैंने कहा- यार पेट दुख रहा है, सालों ने मार मार घस्से मेरा तो पेट ही हिला दिया।

पिंकी ने मुझे थोड़ा पानी ला कर दिया, मैं बैठ कर पीने लगी। पानी पी कर मैं बाथरूम में गई, वहाँ अंदर मैंने शीशे में खुद को देखा, सत्यानाश करके रख दिया था मेरा उन लोगों ने। फ्रेश हो कर, खुद को थोड़ा सेट करके मैं बाहर आई, तो देखा दो जन पिंकी को चोद रहे थे, एक पीछे गांड में एक मुँह मे।


मुझ से भी पूछा, मगर मैंने साफ मना कर दिया।


सुबह की घर से निकली मैं, शाम के 5 बज गए थे।


उसके बाद जब पिंकी फ्री हुई, तो हमने अपने अपने कपड़े पहने और वापिस घर आ गईं।


मैंने पिंकी से कहा- तौबा यार, ये तो तुमको ही मुबारक हो, कैसे सह लेती हो सब? मैं तो न करूंगी फिर कभी!


पिंकी बोली कुछ नहीं, सिर्फ हंस कर मेरे कंधे पर थपथपा दिया।


एक हफ्ते तक मुझे सेक्स के बारे में सोचने का भी मन नहीं किया।


एक दिन अरुण जी ने बुलाया, तो मैं चली गई, मगर मज़ा नहीं आया, उस इंसान के साथ भी, जिसे मैं दिल से प्यार करती थी। उसके भी करीब एक हफ्ते बाद मैंने रात को पिंकी को फोन किया। “हैलो, हाँ यार क्या कर रही है, मैं सोच रही थी, अगर तू फ्री है, तो किसी दिन घूमने चलें किसी होटल में।

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जब पसंद लड़के हैं तो सेक्स भी लड़कों के साथ ही करेंगे!

  


हैलो दोस्तों! मुझे आप लोगों की ईमेल मिली, जिसे पढ़कर मुझे अपनी नई कहानी लिखने का मन किया, नहीं तो कैसे पता चलता कि किसी ने कहानी पढ़ी भी है या नहीं। इसीलिए मुझे मेल करते रहा करो मेरी ईमेल आईडी 

यह कोई पुरानी बात नहीं अभी 4-5 महीनें पुरानी बात है। एक दिन त्यौहार पर मैं दिल्ली गया तो वहां मेरा मन नहीं लगा। घर पर अकेले परेशान था। सोचा किसी पार्क में घूम आता हूँ। मैं घूमने एक पार्क में गया तो देखा कि एक आदमी अकेला बैठा है सोचा इसी से जान पहचान बना ली जाए। बस फिर क्या था उससे बात करने पर पता चला कि वह यहां अकेला है क्योंकि बीवी बच्चे गांव गए थे। देखने में वह ठीक ठाक था।

जब उसने मेरे बारे में पूछा तो बिना डरे बता दिया कि मैं एक गे हूँ। कि गे तो गांडू होते हैं मैने कहा नहीं बस लड़कों में दिलचस्पी लेते हैं और जब पसंद लड़के हैं तो सेक्स भी लड़कों के साथ ही करेंगे।

उसने बोला कि बात तो तेरी ठीक है पर अगर मैं बोलूं तो मेरे साथ सेक्स करोगे ? मैने तुरंत हां कह दिया।

वो बोला कि लेकिन जैसे मैं करूंगा वैसे करना होगा मैने फिर से हां कह दिया। बोला कई दिनों से लुगाई तो चूत देती नहीं हैं क्योंकि बच्चे परेशान करते हैं।

फिर वह मुझे अपने घर ले गया? और अंदर से गेट बंद कर लिया। फिर उसने कहा कि तुम्हें लड़की बनना पसंद है मैने हां कहा तो उसने मैरे कपड़े उतार दिए अपने हाथो से और चूची जो लोगों ने चूस चूस के मोटी कर दी थी उस पर जुबान फेरी।

फिर उसने कहा कि एक काम करों मेरी बीवी के कपड़े पहन कर आओ तुम्हारे साथ सुहागरात मनाने का मूड है वो भी हवस वाली। मैने साड़ी जो उसकी पत्नी की थी और टी शर्ट ब्लॉउज की तरह करके उसके सामने बैड पर बैठ गया। फिर उसने मेरा घूंघट उठाते हुए मेरे होठों को चाटते हुए होंठों पर किस करने लगा और मेरी जीभ भी चुसने लगा हम एकदूसरे का थूक भी चाट रहे थे। मुझे भी मजा आ रहा था तो मैं भी उसका पूरा साथ दे रहा था।

फिर मैने बीस मिनट बाद उसे हटाया तो उसने जोर से मुझे पकड़ लिया और गाल को चूसने लगा धीरे धीरे उसने मेरी गर्दन पर चूमना शुरू कर दिया हाय!!!!!! मैं तो मर ही गया था आाहहहहह आहहहह और चूमो मेरे राजा। फिर उसने मेरी चूची दबाना शुरू कर दी घर में से देशी घी लगाकर उसे इतनी जोर से दबाने लगा कि आज इन्हें उखाड़ ही देगा।

दर्द होने पर मैने मना किया तो वो बोला अबे बोल मत मुझे घी चाटना पसंद है फिर मेरी दर्द भरी चूचियों को चूसना शुरू कर दिया आहहहह आहहह मममहहहह ममममम, क्या मजा आ रहा था। कभी दांत से काटता तो कभी अपनी जुबान फेरता। मेरी चूचियों को एसे चूस रहा था जैसे आज ही निचोड़ेगा।

मैने कहा यार दर्द हो रहा है छोड़ दो! वो बोला कहा था ना जैसे करूंगा करने दे। उसने मेरे सारे बदन को काट काट कर लाल कर दिया था कभी जांघ पर काटता तो कभी गांड पर, कभी दोनों टांगे फैलाकर मेरी गांड के छेद पर छूक लगाकर चाटता। फिर मुझे घोड़ी बनाकर मेरी गांड चाटने लगा।

मुझे गुदगुदी हो रही थी पर मजा भी आ रहा था। एकदम वो मेरे पास आया और बोला कि अब मेरा लंड चूसो वो भी चाट चाट कर मैने वैसा ही किया कभी धीरे धीरे लंड अंदर बाहर करता तो कभी एक दम मुह मैं इतनी जोर का धक्का मारतस कि मेरे आंसू निकल पड़ते।

लेकिन वो लंड चुसवाता रहा करीब आधा घंटा लंड चूसने के बाद उसने मेरी गांड पर थप्पड़ मारकर लाल कर दी ओर तेल लगाकर चिकनी करदी उसने अपने लंड पर तेल लगाकर फिर एकदम लंड धूसा दिया।

मेरी चीख निकल पड़ी आहहहहहइइइइइइइइइइई मरररगगया छोड़ दो दोस्त प्लीससससससससससस तो उसने बाहर निकाल दिया फिर इतने जोर से धक्का मारा कि मेरी आह निकल गई आााााााााहहहहहहहहहहहहह उफ्कककक ममममममम हहहहहहहहमरर अआाााााााहहहहहहहह इसे सुनकर वो समझ गया कि मुझे दर्द काफी हो रहा था ता उसने मेरे मुह में कपड़ा दे दिया।

एसे ही मेरी गांड मार मार कर सुजा दी। पर छुट्टी थी तो मैने भी कुछ नहीं बोला क्योकि घर पर आराम ही करना था।

फिर वो बोला दूध पियेगा मेरा मैने हां कह दिया फिर वो मेरे मुह पर आया और मुह में लंड घुसा कर झाड़ दिया।

झड़ने के बाद उसने मुझे बुलाया और गले लगाकर बैड पर ही लेट गया और बोला कि मैं अगली बार तुझे अपने दोस्त से भी चुदवाउंगा क्योंकि उसकी भी पत्नी नहीं है उसने मेरी विडीओ कॉल पर बात कराई उसने आधे घंटे में आने को कहा।

फिर मैने पूछा दोबारा सेक्स होगा क्या वो बोला यार आराम करेंगे दोनों नंगे होकर आधे घंटे तक वो नहीं आया क्योकि घर पर मेहमान आये थे फिर मैं अपने आप बोला यार घर वाले ढूंड रहे होंगे तो मै बाद में उठा और घर आया फिर नहा धोकर, सौ गया।

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सगाई के बाद सामूहिक चुदाई


हैल्लो दोस्तों, में बहुत सेक्सी लड़की हूँ और मेरे कॉलेज में काफ़ी चाहने वाले थे, लेकिन मैंने सिर्फ़ दो लड़को को ही लिफ्ट दी थी, लेकिन मैंने किसी को अपना बदन छूने नहीं दिया था. में चाहती थी कि सुहागरात को ही में अपना बदन अपने पति के हवाले करूँ, मगर मुझे क्या पता था कि में शादी से पहले ही सामूहिक संभोग का शिकार हो जाऊंगी? और वो भी ऐसे आदमी से जो मुझे सारी जिंदगी चोदता रहेगा.
अब शादी की सारी तैयारी रेशमा दीदी ही कर रही थी इसलिए मेरा अक्सर उनके घर आना जाना लगा रहता था, कभी कभी में सारे दिन वहीं रुक जाती थी. फिर एक बार तो रात में भी मुझे वहीं रुकना पड़ा था. मेरे घरवालों के लिए भी यह नॉर्मल बात हो गयी थी, वो मुझे वहाँ जाने से नहीं रोकते थे.
अब शादी को सिर्फ़ 20 दिन बाकी थे, तो मुझे अक्सर रेखा दीदी के घर आना जाना पड़ता था. फिर इस बार भी उन्होंने फोन करके कहा कि बन्नो कल शाम को घर आजा, हम दोनों जेवरात का ऑर्डर देने चेलेंगे और शाम को कहीं खाना खाकर देर रात तक घर लौटेंगे, अपनी मम्मी को बता देना कि कल तू हमारे यही रात को रुकेगी और सुबह नहा धोकर ही वापस आएगी. फिर मैंने कहा कि जी आप ही मम्मी को बता दो ना और फिर मैंने फोन मम्मी को पकड़ा दिया, तो उन्होंने मम्मी को राजी कर लिया.
अगले दिन शाम को 6 बजे तैयार होकर में अपनी होने वाली ननद के घर को निकली, मैंने खूब गहरा मेकअप कर रखा था. जब सर्दियों के दिन थे इसलिए अंधेरा छाने लगा था. फिर में सीधी उनके घर पर पहुँची तो उनका दरवाजा बंद था तो मैंने बेल बजाई तो काफ़ी देर के बाद जीजा जी ने दरवाजा खोला. तो तभी मैंने पूछा कि दीदी है? तो वो कुछ देर तक तो मेरे बदन को ऊपर से नीचे तक घूरते रहे और कुछ नहीं बोले.
मैंने कहा कि हटिए, ऐसे क्या देखते रहते है मुझे? बताऊँ दीदी को, मैंने उनसे मज़ाक किया, कहाँ है दीदी? तो उन्होंने बेडरूम की तरफ इशारा किया और दरवाजे को बंद कर दिया. तो तब तक भी मुझे कोई अस्वाभाविक कुछ नहीं लगा, मगर बेडरूम के दरवाजे पर पहुँचते ही मुझे चक्कर आ गया. अब अंदर दो आदमी बेड पर बैठे हुए थे, उनके बदन पर सिर्फ़ शॉर्ट्स था, वो ऊपर से पूरे निर्वस्त्र थे, उनके हाथों में शराब के गिलास थे और सामने ट्रे में कुछ स्नेक्स और एक आधी बोतल रखी हुई थी.
फिर अचानक से पास में मेरी नजर गयी तो पास में टी.वी पर कोई ब्लू फिल्म चल रही थी. तो तभी मेरा दिमाग ठनका तो मैंने वहाँ से भाग जाने में ही अपनी भलाई समझी. फिर वापस जाने के लिए जैसे ही में मूडी, तो में राज (जीजाजी) की छाती से टकरा गयी. फिर तभी राज बोला कि जानू इतनी जल्दी भी क्या है? कुछ देर हमारी महफ़िल में भी तो बैठो, दीदी तो कुछ देर के बाद आ ही जाएगी और यह कहकर उसने मुझे ज़ोर से धक्का दिया, तो में उन लोगों के बीच में जा गिरी.
उन्होंने दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया. फिर मैंने उनके सामने हाथ जोड़कर बहुत मिन्नतें की मुझे छोड़ दो, मेरी कुछ ही दिनों में शादी होने वाली है, जीजाजी आप तो मुझे बचा लो, में आपके साले की होने वाली बीवी हूँ. फिर तभी राज बोला कि भाई में भी तो देखूं तू मेरे साले को संतुष्ट कर पाएगी या नहीं?
अब में दरवाजे को ठोकने लगी थी और दीदी-दीदी मुझे बचाओ की आवाज लगाने लगी थी. फिर तभी राज बोला कि तेरी दीदी तो अचानक अपने मायके चली गयी है, तुम्हारी होने वाली सास की तबीयत अचानक कल रात को खराब हो गयी थी और यह कहकर राज मुझे दरवाजे के पास आकर मुझे लगभग घसीटते हुए बेड तक ले गया और बोला कि तेरी दीदी मुझे तेरा ख्याल रखने को कह गयी थी इसलिए आज सारी रात हम तेरा ख्याल रखेंगे और यह कहकर उसने मेरे बदन से चुन्नी नोचकर फेंक दी.
फिर वो तीनों मुझे घसीटते हुए बेड पर लेकर आए और कुछ ही देर में मेरे बदन से सलवार और कुर्ता अलग कर दिए गये. अब में अपने दोनों हाथों से अपनी जवानी को छुपाने की असफल कोशिश कर रही थी. अब तीन जोड़ी हाथ मेरी चूचीयों को बुरी तरह से मसल रहे थे और में वहाँ से निकलने के लिए अपने हाथ पैर चला रही थी और बार-बार उनसे रहम की भीख मांग रही थी. फिर मेरी चूचीयों पर से ब्रा नोचकर अलग कर दी गयी. अब उन तीनों ने मेरी चूचीयों को मसल-मसलकर लाल कर दिया था.
थोड़ी देर के बाद निपल्स चूसने और काटने का दौर चला. अब में दर्द से चीखी जा रही थी, मगर मेरी सुनने वाला वहाँ कोई नहीं था. फिर एक ने मेरे मुँह में कपड़ा ठूंसकर उसे मेरी चुन्नी से बाँध दिया, ताकि मेरे मुँह से आवाज़ ना निकले और फिर अचानक से अपनी दो उंगलियाँ मेरी टाँगों के जोड़ पर पहुँचाकर मेरी पेंटी को एक तरफ सरका दिया और फिर उसकी दोनों उंगलियाँ बड़ी बेदर्दी से मेरी चूत में प्रवेश कर गयी. मेरी कुँवारी चूत पर यह पहला हमला था इसलिए में दर्द से चीख उठी थी.
फिर तभी उनमें से एक बोला कि अरे यार ये तो पूरा सॉलिड माल है, बिल्कुल कच्चा. अब उन लोगों की आँखों में भूख कुछ और बढ़ गयी थी. अब मेरी पैंटी को चार हाथों ने फाड़कर टुकड़े-टुकड़े कर दिया था. अब में बिल्कुल निर्वस्त्र उनके बीच में लेटी हुई थी. अब मैंने भी अपने हथियार डाल दिए थे.
यह देखकर एक बोला कि हम तो तुझे जरुर चोदेंगे, अगर तू भी हमारी मदद करती है तो यह घटना जिंदगीभर याद रहेगी और अगर तू हाथ पैर मारती है, तो हम तेरे साथ बुरी तरह से बलात्कार करेंगे जिसे तू सारी उम्र नहीं भूलेगी, अब बोल तू हमारे खेल में शामिल होगी या नहीं.
फिर मैंने मुँह से कुछ कहा नहीं, मगर अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया. तो इससे उनको पता लग गया कि अब में उनका विरोध नहीं करूँगी. तो तब मैंने एक आखरी कोशिश की और उनसे बोली कि प्लीज भैया में कुँवारी हूँ. तो उनमें से एक बोला कि हर लड़की कुछ दिन तक कुँवारी रहती है, अब चल उठ. तो तब राज ने कहा कि अगर तू राज़ी खुशी करवा लेती है तो दर्द कम होगा और अगर हमें ज़ोर ज़बरदस्ती करनी पड़ी तो नुकसान तेरा ही होगा. फिर में रोते हुए उठकर खड़ी हो गयी.
राज ने कहा कि अपने हाथों को अपने सिर पर रखो. तो मैंने वैसा ही किया, अपनी दोनों टांगो को चौड़ी करो, अब पीछे घूमो, अब उन्होंने मेरे नग्न शरीर को हर तरफ से देखा था. फिर वो तीनों उठकर मेरे बदन से जोंक की तरह चिपक गये और मेरे अंगो को तरह-तरह से मसलने लगे और फिर मुझे खींचकर बिस्तर पर लेटा दिया और मेरी दोनों टाँगों को चौड़ा करके एक ने तो मेरी चूत से अपने होंठ चिपका दिए और दूसरा मेरे स्तनों को बुरी तरह से चूस रहा था, मसल रहा था.
अब मेरे कुंवारे बदन में आनंद पूर्ण सिहरन दौड़ने लगी थी. अब मेरा विरोध पूरी तरह से समाप्त हो चुका था. अब में आह, ऊवू की सिसकारियाँ भरने लगी थी. अब मेरी कमर अपने आप उसकी जीभ को अधिक से अधिक अंदर लेने के लिए ऊपर उठने लगी थी. अब में अपने हाथों से दूसरे का मुँह अपने स्तनों पर दबाने लगी थी.
अचानक से मेरे बदन में एक अजीब सी थरथराहट हुई और मैंने मेरी चूत में कुछ बहता हुआ महसूस किया, यह था मेरा पहला वीर्यपात जो किसी के लंड के अंदर गये बिना ही हो गया था. अब में निढाल हो गयी थी, मगर कुछ ही देर में वापस गर्म होने लगी थी. अब तब तक राज अपने कपड़े खोलकर पूरी तरह से नग्न हो गया था. अब में एकटक उसके तनतनाए हुए लंड को देख रही थी. फिर राज ने मेरे सिर को अपने हाथों से थामा और अपना लंड मेरे होंठो से सटा दिया और कहा कि अपना मुँह खोल.
में नहीं बोली और अपने मुँह को ज़ोर से बंद किए हुए मैंने इनकार में अपना सिर हिलाया. तो तभी राज ने मेरी चूत से सटे हुए आदमी से कहा अभी यह साली मुँह नहीं खोल रही है इसका इलाज कर. फिर उसने मेरी चूत के दाने को अपने दाँतों के बीच में दबाकर काट दिया तो में आआआआ करके चीख उठी और उसका मोटा तगड़ा लंड मेरे मुँह में झट से चला गया.
अब मेरे मुँह से गू-गू जैसी आवाजें निकल रही थी. उसके लंड से अलग तरह की स्मेल आ रही थी. तो तभी मुझे उबकाई जैसी आई और अब में उसके लंड को अपने मुँह से निकाल देना चाहती थी, मगर राज मेरे सिर को सख्ती से अपने लंड पर दबाए हुए था.
जब में थोड़ी शांत हुई तो उसका लंड मेरे मुँह के अंदर बाहर होने लगा. अब वो अपना आधा लंड बाहर निकालकर फिर से तेज़ी से अंदर कर देता था तो उसका लंड मेरे गले तक पहुँच जाता था. फिर इसी तरह से कुछ देर तक वो मेरे मुँह को चोदता रहा. अब तब तक बाकी वो दोनों भी नग्न हो चुके थे. फिर राज ने अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकाल लिया, तो तभी उसकी जगह दूसरे ने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया.
फिर राज मेरी टाँगों की तरफ चला गया. अब उसने मेरी दोनों टांगो को पूरा फैला दिया था और अपना लंड मेरी चूत से टच किया. अब में उसके लंड के प्रवेश का इंतज़ार करने लगी थी.
उसने अपनी दो उंगलियों से मेरी चूत की फांकों को एक दूसरे से अलग किया और उन दोनों के बीच में अपने लंड को रखा और फिर एक ज़ोर के झटके के साथ उसका लंड मेरी चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ कुछ अंदर चला गया. अब सामने प्रवेश द्वार बंद था. अब अगले झटके के साथ उसने उस द्वार को पार कर लिया था.
तेज दर्द के कारण मेरी आँखें छलक आई थी, मुझे ऐसा लगा मानो कोई लोहे का सरिया मेरे आर पार कर दिया हो. अब मेरी टाँगें दर्द से झटपटाने लगी थी, मगर में चीख नहीं पा रही थी, क्योंकि एक मोटे लंड ने मेरे गले को पूरी तरह से बाँध रखा था.
फिर राज अपने लंड को पूरा अंदर डालकर कुछ देर तक रुका. तो तब मेरा दर्द धीरे-धीरे कम होने लगा. तो तब उसने भी अपने लंड को हरकत दे दी. अब वो तेज़ी से अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा था.
अब मेरी चूत से रिस-रिसकर खून की बूँदें चादर पर गिरने लगी थी. अब तीसरा मेरे स्तनों को मसल रहा था. अब मेरे बदन में दर्द की जगह मज़े ने ले ली थी. अब राज मुझे ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगा रहा था, उसका लंड काफ़ी अंदर तक मुझे चोट मार रहा था. फिर जो मुझे मुख मैथुन कर रहा था, वो ज़्यादा देर नहीं रुक पाया और मेरे मुँह में अपने लंड को पूरा अंदर कर अपने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी.
यह पहली बार था जब मैंने किसी का वीर्य चखा था, मुझे उतना बुरा नहीं लगा था. फिर उसने अपने टपकते हुए लंड को बाहर निकाला, तो उसके वीर्य की कुछ बूँदें मेरे गालों और होंठो पर जा गिरी. अब मेरे होंठो से उसके लंड तक वीर्य का एक महीन तार सा जुड़ा हुआ था. फिर तभी राज ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और ज़ोर-ज़ोर से धक्के देने लगा.
अब हर धक्के के साथ-साथ मेरी हुंग-हुंग की आवाज निकल रही थी और मेरे शरीर में वापस से सिहरन होने लगी थी और मेरी चूत से पानी निकल गया था, लेकिन वो तब भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था. फिर कोई आधे घंटे तक लगातार धक्के मारने के बाद वो धीमा हुआ, अब उसका लंड झटके लेने लगा था. तो में समझ गयी कि अब उसका वीर्यपात होने वाला है.
तभी मैंने गिड़गिडाते हुए कहा कि प्लीज अंदर मत डालो, में प्रेग्नेंट नहीं होना चाहती हूँ, मगर मेरी सुनने वाला वहाँ कौन था? फिर उसने अपना ढेर सारा वीर्य मेरी चूत में डाल ही दिया. अब उसके लंड के बाहर निकलते ही जिस आदमी ने मेरे स्तनों को लाल कर दिया था, वो कूदकर मेरी जांघों के बीच में पहुँचा और एक ही झटके में अपना लंड अंदर कर दिया. उसका उतावलापन देखकर ऐसा लग रहा था मानो वो बहुत दिनों से भूखा हो. फिर कुछ देर तक ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने के बाद वो भी मेरे ऊपर ढेर हो गया. फिर कुछ देर सुस्ता लेने के कारण जिस आदमी ने मेरे साथ मुख मैथुन किया था, उसका लंड वापस खड़ा होने लगा था, तो उसने मुझे घोड़ी बनाकर मेरे पीछे से मेरी चूत में अपना लंड प्रवेश करा दिया.
अब वो पीछे से धक्के मार रहा था, जिसके कारण मेरे बड़े-बड़े स्तन किसी पेड़ के फलों की तरह हिल रहे थे. तभी राज बोला कि ले इसे चूसकर खड़ा कर और यह कहकर अपने ढीले पड़े लंड को मेरे मुँह में डाल दिया. अब उसमें से हम दोनों के वीर्य के अलावा मेरे खून का भी टेस्ट आ रहा था. अब में उसे चूसने लगी थी. अब धीरे-धीरे उसका लंड वापस से तन गया था और अब वो तेज-तेज मेरा मुख मैथुन करने लगा था. अब एक बार झड़े होने के कारण इस बार वो दोनों मुझे आगे पीछे से घंटे भर तक ठोकते रहे.
मेरे ऊपर नीचे के छेदों को वीर्य से भरने के बाद वो दोनों बिस्तर पर लुढ़क गये. अब में बुरी तरह से थक चुकी थी. फिर में धीरे-धीरे उनका सहारा लेकर उठी और बाथरूम में जाकर अपनी चूत को साफ किया. फिर मैंने वापस आकर देखा तो चादर पर ढेर सारा खून लगा हुआ था और फिर में वापस से बिस्तर पर ढेर हो गयी. फिर खाने पीने का दौर ख़त्म होने के बाद हम वापस से बेडरूम में आ गये.
फिर उनमें से एक आदमी ने मुझे वापस से कुछ देर तक रगड़ा और फिर हम सब नग्न एक दूसरे से लिपटकर सो गये. फिर सुबह एक दौर और चला. फिर में अपने कपड़े पहनकर घर चली आई. अब कपड़ो को पहनने में ही मेरी जान निकल गयी थी, मेरे स्तनों पर काले नीले जख्म हो रखे थे, कई जगह दाँतों से चमड़ी कट गयी थी, मुझे ब्रा पहनते हुए काफ़ी दर्द हुआ था, मेरी जांघों के बीच में भी सूजन आ गयी थी.
अब राज ने यह बात किसी को भी नहीं कहने का आश्वासन दिया था, क्योंकि पता चलने पर मेरी शादी टूटने के चान्स थे इसलिए मैंने भी अपनी ज़ुबान बंद रखी. फिर सुहागरात को में मेरे पति देव से यह राज छुपाने में कामयाब रही. फिर शादी के बाद राज दिल्ली वापस चला गया. आज भी जब मेरी ननद अपने मायके आती है, तो राज मुझे कई बार जरूर चोदता है और मेरे खूब मजे लेता है.
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कॉलेज की रंडियों को चोदना पड़ा


हैल्लो दोस्तों, आज में आपको एक और किस्सा बताने जा रहा हूँ. यह बात उन दिनों की है जब में कोचिंग देता था, जहाँ मेरे पास कॉलेज स्टूडेंट पढ़ने आते थे, जिसमें 7 लड़कियाँ और 4 लड़के आते थे, जिसमें ज्योति और सोनल भी थी. सोनल 5 फुट 4 इंच लंबी थी, गोरी, उसकी थोड़ी भारी बॉडी थी, वो बहुत सेक्सी लगती थी और ज्योति 5 फुट 6 इंच लंबी, स्लिम बॉडी वाली लड़की थी, वो दोनों बी.कॉम फ़ाइनल ईयर में थी. फिर एक दिन जब क्लास ख़त्म हुई ओ में अपने ऑफिस में बैठा था. सब जा चुके थे.
थोड़ी देर के बाद में ज्योति और उसकी दोस्त सोनल आई. तो मैंने कहा कि आओ ज्योति, कोई प्रोब्लम है? तो उसने कहा कि हाँ है, उसका आप ही जवाब दे सकते है. तो मैंने कहा कि दिखाओ तो जरा ऐसी कौन सी प्रोब्लम है?
उसने मुझे एक पेपर दिया जिसमें लिखा था अरुण सर आई लव यू, मैंने आपको जब से देखा है में रात को आपके बारे मे सोचती रहती हूँ, मुझे नींद नहीं आती है, आप मुझे बहुत पसंद हो. फिर मैंने उन दोनों की तरफ देखा और कहा कि अभी तुम जाओ, तो वो दोनों चली गयी. फिर मैंने दोपहर के 2 बजे उसके एड्मिशन फॉर्म से उसका मोबाईल नंबर लिया और उसे फोन किया तो उसने फोन रिसीव किया.
मैंने कहा – हैल्लो ज्योति है?
ज्योति – में बोल रही हूँ.
में – ज्योति, अरुण बोल रहा हूँ, क्या तुम 5 बजे क्लास पर आ सकती हो?
ज्योति – हाँ सर, में आ जाऊंगी.
मैंने कहा – अकेले आना.
फिर शाम को में 4:45 बजे क्लास पहुँचा तो मैंने देखा कि ज्योति पहले से ही आ गयी थी. फिर मैंने उससे कहा कि तुम्हें 5 बजे बुलाया था, तुम जल्दी आ गयी और ऑफिस का लॉक खोलने लगा. फिर उसने कहा कि में आपको इंतज़ार नहीं करवाना चाहती थी.
हम लोग अंदर गये और में अपनी कुर्सी पर बैठा और वो मेरे सामने बैठ गयी. फिर मैंने कहा कि ज्योति यह क्या है? ऐसा कभी होता है, में तुम्हें पढ़ाता हूँ. तो वो बोली कि मुझे पता है, लेकिन में क्या करूँ? ये दिल नहीं मानता. फिर मैंने पूछा कि में ना कहूँ तो क्या करोगी? तो वो बोली कि कुछ नहीं मारूँगी नहीं, लेकिन मेरी जिंदगी में कोई और पुरुष नहीं आएगा. फिर मैंने उसे बहुत समझाया, लेकिन वो नहीं मानी.
फिर मैंने कहा कि हम गुरु शिष्य है हमारा ऐसा संबंध शोभा नहीं देता है. तो वो बोली कि में आज से क्लास छोड़ रही हूँ तो हम गुरु शिष्य नहीं रहेंगे बस, तो में हार गया. फिर मैंने कहा कि ओके, लेकिन ये बात किसी को भी पता नहीं चलनी चाहिए, तुम्हारी दोस्त सोनल को भी नहीं, तुम्हारा बर्ताव बदलना नहीं चाहिए, तुम्हें मंजूर हो तो में हाँ कहूँगा.
वो बोली कि मंजूर है. फिर में खड़ा होकर उसके पास गया, तो वो भी खड़ी हो गयी. फिर मैंने कहा कि मुँह तो मीठा कराओ, नया प्यार मिला है, तो वो शर्मा गयी. फिर मैंने उसका चेहरा ऊपर किया और उसके गर्म होंठो पर अपने होंठ रख दिए.
अब हम दोनों किस करने में मशगूल हो गये थे. अब मेरे हाथ उसके बूब्स पर चले गये थे. अब में उसके बूब्स ऊपर से ही सहलाने लगा था. फिर तभी उसने मुझे रोका, तो मैंने भी अपने आप पर कंट्रोल किया. फिर वो थोड़ी देर के बाद चली गयी. अब में भी पहले किस और बूब्स दबाने के अनुभव के बाद वही सोचता रहता था.
फिर एक दिन मैंने क्लास में दूसरे दिन छुट्टी दे दी, क्योंकि त्योहार था. फिर सबके जाने बाद मैंने ज्योति को इशारे से कल आने को कहा. फिर दूसरे दिन में सुबह 9 बजे ऑफिस पहुँचा तो 30 मिनट के बाद ज्योति भी आ गयी और मुझसे कहा कि सबको छुट्टी दे दी, मुझे क्यों बुलाया है? तो मैंने कहा मुझे तुम्हें कुछ और सिखाना था इसलिए. फिर वो बोली कि क्या?
मैंने कहा कि प्यार करना बोलकर मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और उसकी गर्दन को चूमने लगा और फिर उसके होंठो को चूमने लगा और बोला कि ज्योति आज में तुम्हें पूरा अपना बनाऊँगा. फिर मैंने उसकी सलवार कमीज उतार दी. अब वो सिर्फ ब्रा पेंटी में थी, उसके 32 की साईज के बूब्स ब्रा में कैद थे. फिर मैंने उसके बूब्स को आज़ाद कर दिया और उसकी पेंटी भी उतार दी.
अब वो मेरे सामने नंगी खड़ी थी, तो वो शर्माकर टेबल के पीछे चली गयी और अपने हाथों से अपने बूब्स छुपा लिए. फिर मैंने कहा कि क्यों शर्मा रही हो? तो वो बोली कि मुझे नंगा कर दिया और खुद अभी तक कपड़े पहने हुए हो, तो फिर मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए.
फिर मैंने उसे बाँहों में लिया और उसके बूब्स को चाटा, चूसा, दबाया और मसला और फिर उसकी चूत में उंगली करके उसे गर्म कर दिया. तो वो कहने लगी कि अरुण, अब नहीं रहा जाता, अब डाल दो. फिर मैंने कहा कि क्या डालूं और कहाँ डालू? तो वो बोली कि अब बनो मत, अपना लंड मेरी चूत में डाल दो. फिर मैंने मेरा लंड उसकी चूत पर रखा.
अब उसकी चूत गीली होने के बावजूद मेरा लंड अंदर नहीं जा रहा था तो बाद में मैंने उसके पर्स से क्रीम निकाली और अपने लंड पर लगाई और फिर अपना लंड उसकी चूत में डालने लगा और एक धक्का दिया तो मेरा सुपाड़ा अंदर चला गया. फिर तभी वो चिल्ला उठी आह माँ में मर गयी, आह अरूण, अब उसकी आँखों में आँसू थे. तो तभी मैंने दूसरा धक्का दिया तो मेरा लंड आधा अंदर चला गया. अब वो चिल्ला रही थी कि मत करो अरुण, बाहर निकालो, में इस दर्द को सहन नहीं कर सकती, प्लीज अरुण बाहर निकालो.
फिर तभी मैंने उसे समझाया ज्योति अभी दर्द शांत हो जाएगा और फिर में थोड़ी देर तक कुछ ना करते हुए उसे चूमता रहा. तो वो थोड़ी देर के बाद शांत हो गयी और गर्म भी थी. फिर मैंने धीरे-धीरे धक्के देना शुरू किया. अब उसे भी मज़ा आ रहा था, अब वो गर्म थी और आआआ मज़ा आ रहा है, चोदो मुझे और ज़ोर से चोदो अरुण बोले जा रही थी.
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और उसे चोदने लगा. अब वो अपने आपको टाईट कर रही थी. अब मुझे पता चल गया था कि वो झड़ने वाली है. फिर थोड़ी देर के बाद में वो ढीली पड़ गयी, लेकिन मैंने अपना काम चालू ही रखा. वो फिर से गर्म होने लगी आअहह अरुण और करो, आई लव यू अरुण. फिर करीब 30 मिनट तक मैंने उसे चोदा. अब इस दौरान वो 3 बार झड़ गयी थी. अब में भी झड़ने वाला था तो मैंने अपना लंड बाहर निकालना चाहा तो उसने मना कर दिया. फिर मैंने अपना पूरा वीर्य अंदर ही छोड़ दिया और उसके ऊपर ही पड़ा रहा.
फिर थोड़ी देर के बाद उसने मुझे हटाया और कपड़े पहनने लगी. तो मैंने उसके हाथ से ब्रा खींच ली और फेंक दी. फिर मैंने उसे फिर से अपनी बाँहों में ले लिया और उसे टेबल के सहारे घोड़ी बनाकर खड़ी कर दिया.
मैंने पीछे से उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया और उसके बूब्स को जंगली की तरह दबाने लगा तो वो बोली कि आअहह अरुण मसल डालो मुझे, आज कुचल डालो, जो करना है करो अरुण, में तुम्हारी हूँ, चोदो अरूण, में खुश नसीब हूँ कि तुम जैसे मर्द के लंड से मैंने अपनी चूत का शुभारम्भ किया है, चोदो मुझे, चोदो अरुण. फिर मैंने उसे फिर से 30 मिनट तक चोदा और इस बार उसने मेरा पूरा वीर्य अपने मुँह में लिया और फिर चाटकर मेरा लंड साफ किया और फिर वो कपड़े पहनकर चली गयी. फिर में भी ऑफिस साफ करने लगा और सब साफ करके बैठ गया और कॉफी का ऑर्डर दिया, तो थोड़ी देर में कॉफी आ गयी.
अब में कॉफी पी रहा था तो तभी दरवाजा खुला तो मैंने देखा कि सोनल सामने खड़ी थी. फिर उसने कहा कि क्यों आपने तो ज्योति को मना कर दिया था? फिर ये सब क्या था? तो मैंने कहा कि क्या क्या था? तो वो बोली कि सर मैंने सब देख लिया है. फिर मैंने उसे बैठने को कहा, तो वो मेरे सामने बैठ गयी. फिर मैंने कहा कि तो बोलो तुम्हें क्या प्रोब्लम है? तो वो बोली कि मुझे क्या प्रोब्लम होगी? तो मैनें पूछा कि तो फिर तुम क्या चाहती हो? तो वो बोली कि में भी आपको चाहती हूँ अगर आपने मुझे मना किया तो में ज्योति की बात फैला दूँगी. तो मैंने कहा कि ज्योति मुझे चाहती है, मैंने ज्योति के साथ क्या किया तुमने देखा फिर भी तुम मुझसे प्यार करोगी?
वो बोली कि आपको जो करना है करो, मुझे कोई मतलब नहीं, मुझे भी मेरा हिस्सा चाहिए. फिर मैंने कहा कि हिस्सा, ये कोई सामान है जो बाँट दूँ. फिर वो खड़ी हुई और मेरे पास आई और मुझे चूमने लगी और बोली कि हाँ इस सामान पर मेरा भी हिस्सा है और मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी और मेरी पेंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगी थी. अब में भी गर्म तो होने लगा था, लेकिन कंट्रोल करके उसे पीछे किया, लेकिन वो नहीं मानी.
वो खड़ी हुई और अपने सारे कपड़े निकाल दिए और बोली कि मुझे प्यार से प्यार करो वरना में चिल्लाकर सबको बुला लूँगी. फिर मैंने कहा कि ठीक है, लेकिन में कैसे विश्वास करूँ कि बाद में इसके लिए तुम मुझे बदनाम नहीं करोगी? तो उसने मुझसे वादा किया और फिर से मेरी बाँहों में आकर मेरी छाती को चाटने लगी, चूमने लगी. फिर मैंने भी उसके 36 साईज के बूब्स को खूब दबाया, वो ज्योति से भी गर्म थी. फिर मैंने उसकी चूत चाटी, तो वो बहुत गर्म हो गयी. फिर उसने मुझे अपने ऊपर खींचा, तो में उसके ऊपर आकर उसके होंठो को चूसते हुए मेरा लंड उसकी चूत में डालने लगा, उसकी भी चूत बहुत टाईट थी.
मैंने जैसे ही अपना लंड उसकी चूत में डाला, तो वो उूउउम करके चिल्लाने लगी, लेकिन उसकी आवाज मेरे मुँह में ही दब गयी थी, वो तड़प रही थी. अब में तेज रफ़्तार से धक्के दे रहा था. अब 2 बार पहले सेक्स करने की वजह से मेरा जल्दी झड़ना नामुमकिन था तो में 45 मिनट तक उसे चोदता रहा और वो बोलती रही चोदो मुझे, सर चोदो, आज अपनी इस स्टूडेंट ने अपने आपको गुरु दक्षीणा में समर्पित किया है, मेरी चूत को फाड़ दो, मेरे जिस्म को मसल डालो, आप मेरे स्तनों को दबाओ, आपको जो करना है करो, आआआह सर प्लीज चोदो मुझे, चोदते रहो.
अब 45 मिनट के बाद में झड़ने वाला था और फिर मैंने उसकी चूत को अपने वीर्य से भर दिया. फिर मैंने खड़े होकर अपने कपड़े पहन लिए और अब वो भी अपने कपड़े पहन रही थी. तो तभी मेरा मोबाईल बजा तो मैंने देखा कि मेरे घर से फोन था. फिर मेरे घर से माँ बोली कि अरुण कल पूनम है, हम लोग श्रीनाथजी जा रहे है तुम घर संभाल लेना, हम 2 दिन के बाद आ जाएँगे. अब फोन स्पीकर पर था और सोनल सब सुन रही थी.
मैंने फोन कट किया, तो वो तुरंत बोली कि रात को घर पर कोई नहीं है क्या? तो मैंने कहा नहीं सब मंदिर जा रहे है. तो उसने कहा कि तो में आ जाऊं अगर आपको अकेले डर लग रहा हो तो? तो मैंने उसे देखा और उसे नीचे बैठाया और अपना लंड निकाला और उसके मुँह में डाल दिया और फिर उसके मुँह को 25 मिनट तक खूब चोदा और अपना पूरा पूरा पानी उसके मुँह में ही डाल दिया. फिर मैंने कहा कि ठीक है मेरी रखेल बनने का इतना ही शौक है तो आ जाना.
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