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छोटी बहन की चुदाई देख बड़ी की चूत मचल गई

यह कहानी एक साल पुरानी है.. तब मैं बी ए के तीसरे साल में था और उस वक्त 20 साल का था। चूँकि मैं एक सीधा-सादा लड़का था। सेक्स के लिए हमेशा से ही मैं लड़की के बारे में सोचता रहता था। कभी-कभी सोचता था कि मुझे एक प्ले बॉय भी बन जाना चाहिए। Hindi sexy story


मैं एग्जाम देने एक दूर के रिश्तेदार के यहाँ से दे रहा था। मैंने पहली बार वहाँ पर एक लड़की को देखा। उसका नाम रूबी(बदला हुआ नाम) था। वो 19 साल की थी.. थोड़ी मोटी थी। मैंने जब उसे देखा तो वो देखने में अच्छी चोदने लायक माल लगी।

मैं यहाँ एक बात बता दूँ कि वो भी कानपुर से ही थी। इस वजह से वो मुझसे थोड़ा ज्यादा घुल-मिल गई और मुझसे अच्छे से बातें भी करने लगी थी। धीरे-धीरे हम दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई।


एक दिन बातों ही बातों में उसने बताया कि उसका कोई बॉयफ्रेंड नहीं है। तब मैंने उससे प्यार वाली दोस्ती करने को कहा तो उसने कहा कि सोच कर बताऊँगी।


मैंने कहा- ठीक है लेकिन थोड़ा जल्दी बताना।


वो उस वक्त वहाँ से चली गई।

उसकी एक ताई की लड़की वहीं रहती थी, उसका नाम रीना था। रीना रूबी से बड़ी थी, मेरी उससे भी अच्छी दोस्ती थी लेकिन मुझे उससे सेक्स के बारे में कभी ख्याल नहीं आया।

रूबी ने रीना से मेरे बारे में सब कुछ पूछा तो उसने बता दिया। ये बात मुझे रीना ने बता दी।


इसके बाद रूबी ने भी मुझसे कह दिया- मुझे तुम अच्छे लगते हो और मैं तुमसे प्यार भी करती हूँ।


मैंने झट से उसे अपने सीने से लगा लिया और उसे धीरे-धीरे किस करने लगा। लेकिन दिन होने की वजह से हम दोनों कुछ ज्यादा न कर सके।


हम दोनों ने रात को उसके ही घर पर मिलने का सोचा लेकिन एक दिक्कत थी उसकी मम्मी भी वहीं थीं।


तब मैंने रीना का सहारा लिया, उसको मैंने कहा- तुम आज उसके घर पर सो जाओ।


तो उसने कहा- ठीक है।


जब रूबी की मम्मी ऊपर सोने चली गईं। तब रूबी ने मुझे रात में काल करके घर पर आने को कहा.. उसने बताया कि रीना भी सो चुकी है।


अब हमारी कहानी शुरू हुई.. हम दोनों अन्दर कमरे में आ गए बिस्तर पर आने लगे। मैंने उसे अपनी गोद में उठाया तो वो मेरी गांड में उंगली करके मुझे छेड़ने लगी।


मैंने कहा- रुको बेड पर तो पहुँचने दो.. फिर तुम्हें बताता हूँ।

मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर लेट कर उसके होंठों पर किस करने लगा। किस क्या.. मैं तो उसके ऊपर बिल्कुल टूट पड़ा.. एकदम कुत्ते की तरह उसे भंभोड़ने लगा।


उसने कहा- आराम से करो न!


उसके भी पैर चलने लगे। फिर मैंने धीरे-धीरे उसके कपड़े उतारने चालू किए.. पहले उसका टॉप ऊपर किया और उसके पेट पर किस करने लगा.. अपनी जीभ चलाने लगा।


वो आहें भरने लगी- आह आह..


वो कहने लगी- ओह.. गुल्लू ऐसे ही आह आह.. और जोर से करो.. आह आ हाय.. मजा रहा है।


मैं अपने हाथों को उसकी मोटी-मोटी टांगों पर चलाने लगा.. जिससे वो और उछलने लगी। फिर मैंने उसके टॉप को उतार दिया और उसके ब्रा के ऊपर से उसके मम्मों को दबाने लगा।


बहुत मजा आ रहा था।


साली मोटी होने की वजह से बहुत मजा दे रही थी। मैं पागलों की तरह उसके चूचों को दबाए जा रहा था। फिर मैं अपने हाथों को उसकी पैंटी में डाल कर उसकी चूत को सहलाने लगा। उसकी चूत काफी फूली हुई थी.. जिसे सहलाने में बहुत मजा आ रहा था।


अब मेरा लण्ड पेंट के अन्दर फटा जा रहा था। फिर मैंने उसके बाकी कपड़े निकालने शुरू किए। पहले उसकी ब्रा उतारी और उसके मम्मों को मुँह में लेकर चूसने लगा।


उसके मम्मे एकदम रुई के जैसे थे। मैं अपने मुँह को धीरे-धीरे नीचे करता गया.. अपनी जीभ को उसके पेट पर चलाते हुए नीचे उसकी कमर पर आ पहुंचा। उसकी पैंटी को भी दांतों से खीच कर निकाल दिया। अब वो बिल्कुल नंगी हो चुकी थी और मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा।


चुत पर जीभ लगते ही वो एकदम से उछल गई और आहें भरने लगी ‘आह आह.. नहीं आह.. ओह.. गुल्लू आह ऑह.. इस्स आह..’

मैंने उससे पूछा- कभी पहले लंड लिया है?


उसने कहा- नहीं..


मैंने कहा- तुम्हें थोड़ा दर्द सहना पड़ेगा।


बोली- सब झेल लूँगी।


मैं उसके होंठों पर किस करने लगा और अब वो इतनी गर्म हो चुकी थी कि मेरे होंठों को काटने लगी, उसने कहा- गुल्लू अब बर्दाश्त नहीं होता है, जल्दी से कुछ करो।

मैंने कहा- रुको मेरी जान.. पहले तुम्हें थोड़ा और गर्म कर दूँ.. जिससे तुम लंड के दर्द को सह सको।


फिर मैं 69 की पोजीशन में आया.. जिससे मेरा लौड़ा चिकना होकर उसकी बुर में आराम से धीरे-धीरे अन्दर जाने लगे।


छोटी ही उम्र में पड़ोसन की लौंडिया को चोदने की वजह से मेरे लंड का टांका टूटा हुआ था। उस वक्त वो लौंडिया भी फूल की कली सी थी।


कुछ देर 69 में लंड चुत की चुसाई के बाद मैंने उसे सीधा लिटा कर फिर से उसकी अनचुदी चूत को बुरी तरह से चूसने लगा। वो बुरी तरह से आहें भरते हुए उछलने लगी ‘आह हय इस्स आह..’


उसी वक्त वो इठते हुए झड़ गई.. मैं उसकी कच्ची चूत का पानी मजे से पीने लगा। फिर मैं उसके होंठों को किस करने लगा.. जिससे उसे भी अपनी चूत का स्वाद मिल गया।


फिलहाल वो ढीली सी होकर लेट गई थी, लेकिन मुझे उसको अभी चोदना था.. तो मैंने उसे फिर से गर्म करना चालू किया, उसके मम्मों को दबाया.. उसकी चूत पर हाथ फिराना चालू किया और अपने लण्ड को उसकी कमर पर रगड़ने लगा।


उसने अपने हाथों से मेरे लंड को पकड़ कर हिलाना शुरू किया और कुछ ही पलों में वो फिर से गर्म हो गई। वो आहें भरते हुए चुत उछालने लगी। मैंने महसूस किया कि इस बार वो कुछ ज्यादा ही गर्म लग रही थी।


मैं तो कब से चुत चोदने को पागल हुआ पड़ा था। फिर मैंने देर न करते हुए अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगाया और उसकी चूत पर भी लगा दिया।


तभी रीना वहाँ पर आ गई।


वो मेरी दोस्त होने की वजह से बोली- अच्छा तो इसलिए मुझे यहाँ भेजा गया था.. गुल्लू तुमने मुझे नहीं बताया।


तो मैंने कहा- अब बता देता हूँ.. इसे यहाँ पर इसकी सील तोड़ने लाया था।


फिर उसने कहा- इसकी सील ऐसे नहीं टूटेगी.. तेरा लंड चुत में भी नहीं जा पाएगा.. मैं आऊं क्या?

मैंने कहा- हाँ जरूर..


वो हम दोनों के पास आ गई।


मैंने उससे पूछा- तुम तो सो रही थीं?


उसने कहा- रूबी ने मुझे बता दिया था.. कि आज उसकी दुकान का फीता कटना है.. चलो अब मजा दोगुना आएगा।


मैं समझ गया कि ये दोनों मेरे लंड से चुदना चाहती हैं।


फिर रीना ने अपने कपड़े भी निकाल दिए और वो रूबी के मम्मों को दबाने लगी। रीना खेली खाई थी.. तो उसे सब पता था। वो रूबी की चूत के दाने को मसलने लगी..


जिससे रूबी को मजा आने लगा और वो कमर उठाने लगी।


फिर रीना ने एकदम से मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मुझे एकदम से ऐसा झटका सा लगा जिसे बता नहीं सकता।


रीना एक चुदी-चुदाई लड़की थी.. तो वो मेरे लंड को पागलों की तरह चूसने लगी। वो रूबी की चूत भी सहलाती रही.. रूबी को भी मजा आ रहा था.. जोकि उसकी आहों से पता चल रहा था।


रीना ने कहा- अब तुम्हारी चूत की बारी है। रीना ने मेरे लण्ड पे थूक लगाया और रूबी की चूत में भी लगा दिया। फिर उसने रूबी की चुत में लंड से धक्का लगाने को कहा। मैंने जैसे ही लण्ड डाला रूबी चिल्ला पड़ी।


मैंने तुरंत अपने होंठ उसके होंठों से लगा कर उसे किस करने लगा और धीरे-धीरे अपने लण्ड को अन्दर डालते हुए उसके मम्मों को दबाने लगा।


दर्द के कारण रूबी के आंसू आने लगे। फिर रीना ने उसकी जांघों को सहलाया और साथ ही रीना ने रूबी की चूत और मेरे लण्ड के बीच में हाथ लगा कर चुत सहलाने लगी.. जिससे रूबी का दर्द कम हो गया। इसी बीच मैंने अपने लंड का एक जोर का धक्का लगा दिया। लण्ड थोड़ा ही अन्दर गया था लेकिन रूबी कराहने लगी।

वो दर्द से अपने पैर हिलाने लगी। लेकिन रीना ने उसके पैरों को दबा लिया और मुझे अपना काम करने को कहा। लेकिन इतनी टाइट चूत होने की वजह से लण्ड जा नहीं रहा था। फिर मैंने एक जोरदार धक्का मारा और रूबी की सील टूट गई। इससे मेरे लण्ड में भी दर्द होने लगा लेकिन चूत के जोश की वजह से धक्के देता गया और पूरा लण्ड अन्दर पेल कर उसके ऊपर लेट कर उसके होंठों को किस करने लगा।


अब मैं रूबी के शांत होने का इन्तजार करने लगा.. लेकिन रीना कहाँ मानने वाली थी। उसने मुझे चुदाई करने को कहा क्योंकि इसके बाद उसे भी तो चुदवाना था। साली की चुदी-चुदाई चुत कुलबुला रही थी.. उसे बहुत दिनों से किसी का लण्ड नहीं मिला था तो वो जल्दी से रूबी को चुदवाकर खुद चुदना चाहती थी।


मैंने फिर चुदाई शुरू की.. रूबी को थोड़ा दर्द और चुदाई का मजा आना शुरू हो रहा था।


रूबी- आह उई.. ऊ.. उम्म.. मर गई


इस बीच रीना उसकी मोटी-मोटी जांघें सहलाए जा रही थी।


मैंने उसके मम्मों को दबाते हुए चुदाई शुरू कर दी.. अब उसे भी मजा आने लगा था। कुछ ही पलों में वो अपने चूतड़ उचका-उचका कर मस्ती से चुदवा रही थी और आहें भी भर रही थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह..’


वो चुदास में मेरी पीठ पर नोचे जा रही थी।


फिर तभी रीना ने मेरा लण्ड बाहर निकाला और चूसने लगी। साथ ही वो रूबी की चूत में उंगली डाल कर उसकी चूत चोदने लगी। मैंने फिर से लण्ड को रूबी की चुत में ठेला और चूत चोदने लगा। रूबी भी अपने पैरों को मेरी कमर में लपेट कर चुदने लगी और अपने चूतड़ उचकाने लगी.. वो बड़ी मस्ती से उछल-उछल कर चुदते हुए आहें भरती रही।

कुछ ही धक्कों के बाद रूबी अकड़ने लगी और शायद उसकी चुत ने पानी छोड़ दिया था तभी मैं भी 2-4 धक्कों के बाद निकल गया। हम दोनों वहीं एक-दूसरे से चिपककर ढेर हो गए.. मैं रूबी के ऊपर ही लेट गया।


रूबी की चुत अब कुँवारी नहीं रही थी उसने मेरे लंड से सील खुलवा ली थी।

इसके बाद रीना की चुत चुदने का नम्बर आ गया था, उसकी चुदाई की कहानी को फिर कभी लिखूंगा।

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लम्बा सफर सिस्टर के साथ


हेलो फ्रेंड्स, यह मेरी पहली कहानी है ओर वौ मेरी बहन के साथ , मै भी वर्जिन था और वौ भी वर्जिन. मैं जोधपुर का रहने वाला हूं, मेंरे परिवार में ममी पापा दादा दादी ओर बहन है जो की मेरे से छोटी है मै 12 के एग्ज़ाम देकर और 1 साल ड्रॉप करने के बाद जयपुर चला गया B.Sc. करने ।


मेरि बहन अभी 11 वी क्लास में है । मेरी बहन मुझे 12 क्लास से ही अच्छी लगने लगी थी क्योकिं उस समय में दोस्तो के साथ पोर्न देखने लगा था तो मुझे मेरी बहन अच्छी लगने लगी क्यौंकि उस समय वो जवान हो रही थी और मैं उसके साथ सेक्स करने की सोचने लगा था ।


लेकिन सायद मेरी बहन ने ये सब नहीं सोचा होगा । 12 क्लास ऐसे ही निकल गयी कुछ नहीं हूआ बस हिलाता रहा । मेरी बहन का नाम काजल है और पापा की मैडिकल शॉप है ।


फिर मैं B.Sc. करने जयपुर चला गया ।जब मेरा 1 year चल रहा था जब मैं घर आया क्योकिं कॉलेज मे तो सेटिंग हूई नही थी और बस वो ही पूरे दिन हिलाना ओर सो जाना ।यह बात पिछले साल की है जब मै घर आया तो कुछ दिन तो आराम से निकल गए ।


बाद मै सोचा चलो आज बहन से बात कर ही लेते है ।फिर उस समय शाम हौ रखी थी और बहन खाना बना रही थी तो मे रसोई घर में जाकर उसकी मदद करने लगा ।ओर बहन के पास मैं खडा हो गया । उस समय ममी बाहर काम कर रही थी ।


तौ मै ने सिस्टर se कहा कि मै तूझे एक बात ब्ताऊगा अगर तु किसीको नहीं बताएं तो सिस्टर ने कहा bta दे लेकिन में ने कहा पहले ममी पापा की कसम खा कि तु किसीको नहीं ब्तयेगी ।फिर वो सोचने लगी सायद कोई एसी वेसी बात होगी फिर सिस्टर् ने कहा कि अगर कोई गलत बात हूई तौ वौ ममी को बता देगी ।


फिर मेने सोचा यार कही बता दिया तो इसकी तो नही मिलेगी ऊपर से गांड पीटेंगे फालतू में फीर मेने उस बात को टाल दिया । लेकिन चोदने की मन में तो थी करू kya ।फिर मै वापस कॉलेज चला gya । एसे करते करते मेरा 1 year कम्पलीट हो गया ।


लेकिन बीच बीच मै घर पर आता था लेकिन बात नही बनती थी ।


अब मेरी सिस्टर ओर भी जवान हो गई थी। गौरी गौरी गाल, बडी बडी गांड, 30, 32 का फिगर ।क्या कहना यार मेरी सिस्टर का ।bc मेरेको को तो कमाल लगती थी ।फिर आया सही टाईम ओर वो टाईम था लॉकडाउन का टाईम इधर मैं घर पर आ गया था। फिर घर पर आने के कुछ दिनों के बाद एक बात का पता चला और वौ थी मेरी बहन ओर एक लडके की सेटिंग होना जो कि उसी के स्कूल का था ।


मेरि सिस्टर के पास खुद का फोन नही था तो वो अपने फ्रेंड् के घर जाकर पढने के बहाने उस लडके से बात करने के लिए ।फिर उसका पता तब लगा जब एक दिन दौनो कौ बात करते हुए आंटी ने पकड़ लिया और घर पर बता दिया फिर पापा ने उसको 3 4 मारी ओर स्कूल जाना बंद कर दिया सीधा पेपर दिलवने लेकर ग्ये ।


यह मुझे तब पता चली जब लॉकडाऊन मै घर आया ।तब मैं ने सिस्टर से बात करने करने का सोचा ओर फीर मेने सिस्टर कौ अकेले रुम मेरी बुलाया और सारी बात पूछी पहले तो उसने बताने से मना कर दिया लेकीन थोड़ा दबाव देने पर बताने लगी और साथ में रोने भी लगी ओर बताया कि मेरी सभी सहेलियो के bf h ओर वो स्कूल मैं बात करती रहती तो मेरा भी मन करता है ।


फिर मेने समझाया की शादी से पहले ये सब सही नही है ये सब तो बाद में भी हौ सकता लेकिन पहले पढना जरूरी है । फिर मेने सोचा यार क्यौ न मौके पे चोका मारा जाये फिर मैं ने कहा सच सच बता कि क्यौ बात करती थी फिर वो दोबारा रोने लगी और साथ में बताने लगी …. कि मेरा मन करता है सेक्स करने के लिए । (मैं सोचने लगा यार इतनी आसानी से केसे कह दिया) कुछ देर वो भी चुप रही ओर में भी छुप रहा ।


फिर मेने कहा रात को करते है अभी जाओ ।फिर रात भी हो ग्यी मेरे अन्दर तो चूल मची हूई थी की जल्दी रात हो 11 बजे के आस पास सभी सो ग्ये तो मे उसके रूम में ग्या तो सिस्टर उस समय लाईट जलाकर सौ रही थी सलवार टीशर्ट में ।तो मेरे रूम के अन्दर जाते ही खड़ी हो गई फिर मेने कहा चलो मेरे रूम में चलते है ।फिर वो मेरे साथ साथ आ ग्यी । फिर रूम में जाते ही गेट बंद कर दिया ओर सिस्टर को बैड पर बेठा दिया ।फिर में उसके पास बेठ ग्या ओर कहने लगा यार ये सब इतनी जल्दी सही नंहि है आगे सोचना चाहिए फिर बहन कूछ ना बॉली ।


फीर मेने कहा मेरे पास एक आइडिया है ।उसने कहा क्या? । मेने डरते-डरते कहा क्यौ ना हम सेक्स करते है ।इतने में ही वो गुस्सा हौ ग्यी ओर कहने लगी मै ममी को ब्ताऊगी ।ये सब गलत है उसने कहा ।फिर मेने कहा पहले बात पुरी तौ सुन लो। ये कुछ गलत नही होता भाई बहन के रिश्ते तौ लोगों ने बना दिये पहले एसा कुछ नहीं होता था ।मेने कहा मेरे भी कई दोस्तो ने अपनी बहन के साथ सेक्स कर रखा है ।


इतने में ही मेने मोबाईल मैं पोर्न ऑन कर दी ब्रदर सिस्टर वाली ।और मेरी बहन पोर्न देखने लगी ।फिर मेने कहा यार घर की बात घर में ही रह जायेगी किसीको पता नहीं चलेगा ।फिर मेने रूम की लाईट ऑफ़ कर दी मेरि बहन के सामने बेड पर मोबाइल रखा हूआ था जिसमे वो देख रही थी ।इतने में ही मेने पीछे से बहन के बूब्स दबा दिये ओर वो डर ग्यी लेकिन बैड से नहीं हिली ।फिर मेने दोबारा बूब्स दबा दिये ओर पीछे किस्स भी कर दिया ।


सिस्टर टीशर्ट के निचे ब्रा नही पहन रखी थी ईस लिए दबाने मे ओर भी मजा आ रहा था ।फिर बहन को बेड पर लेटा लिया और मुह पर पुरी तरह किस्स करने लगा ।ओर वो भी गरम हो गई वो भी मुझे किस्स करने लगी ।मेने एक हाथ उसकी सलवार मैं डाल दिया ओर दुसरे हाथ से बूब्स दबाता रहा ।उसने सलवार के नीचे panty पहन रखी थी or झाट भी आ रखी थी मै दो उंगली एक साथ चुत में डाल रहा था ओर चुत भी गीली हो गयी थी ।


ओर बहन भी पुरा साथ दे रही थी मेरा मुह पकड़ कर मुह पर किस्स कर रही थी ।कुछ देर बूब्स चूसने के बाद मेने उसकी टीशर्ट निकाल दी क्योकी मुझसे अब इन्तज़ार नही हो रहा था ।ओर बहन भी कह रही थी भईया आज पूरी तरह फाड दो बस इसमे पेन डाल डाल कर मजा नही आता ।हम धीरे-धीरे बोल रहे थे ।फिर मेने फटा फट सलवार भी निकाल दी ओर पुरा नगा कर दिया ।ओर मैं भी पुरा नंगा हो गया ।


अब तक मेने बहन की चुत को नही चाटा था । मेने अपना 6.5 inch लम्बा ब्न्टी निकाला और उस पर थूक लगाया ओर उसकी चुट पर सेट किया ।पहले धके मै अन्दर नही ग्या कयोंकि चुत बहुत टाईट थी फिर दुसरी बार पुरा जोर लगाकर धक्का मारा तो आधा अन्दर ग्या ओर सिस्टर की बुरी तरह से चीख निकल गयी ओर इतने मैं सायद ममी को सुन ग्या फिर ममी को कहा कुछ नही छिपकली आ गयी ।


इतने में सिस्टर बैड से खड़ी होकर भागने लगी और कहने लगी मैं नही चूदवा rhi तुमसे बहुत दर्द होता है । मेने उसे वापस पकडा ओर बैड पर बेठया ओर उसकी चुत पर हाथ फेरने लगा धीरे-धीरे कुछ देर बाद उसे आराम आ गया ओर वो वापस लेट गई ।फिर वापस लण्ड को चुत पर सेट किया ओर थोडा सा धक्का मारा ओर बहन आ ..आ ..आ ..आ .

आ ..धीरे-धीरे ..आ ..आ ..आ की आवाज करने लगी ।ये आवाज सुनकर मुझ मै भी जोश आ गया ओर जोर जोर से धके मारने लगा ।ओर बहन चिख्ने लगीं मर ..ग्यी ..हाये ..मर.. ग्यी lekin mene मेने स्पीड कम नहीं की ।


ओर कुछ देर बाद लगभग 5 मिनट बाद वो भी झड ग्यी ओर मै भी ।मेने लण्ड कौ बाहर निकाल कर उसकी मुह पर कर दिया ओर सारा वीर्य उसके मुह पर गिर गया ओर वो चाटने लगी ।मैं उसके ऊपर ही सो ग्या ।ओर उस रात तिन बार chudai की हमने ।


अब लॉकडाउन चल रहा है और हमारी chudai भी ।।।

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मेरे चाची की जवान लड़की

 

हाय दोस्तो मेरा नाम साजिद है. में यूपी के मिर्जापुर के जिले में रहता हूं मेरे घर में हम 3 लोग रहते है मम्मी अब्बू और मैं ये मेरी पहली कहानी है. एक बार की बात में अपनी कनीज के शादी में वाराणसी जिले में गया था. में शादी के दो दिन पहले ही गया था, तो मेरी मुलाकात एक लड़की से हुयी.


उसका नाम में बदल के लिख रहा हु उसका नाम सलिमुन था. म उससे मिला. उसकी उम्र लगभग 18 साल की होगी उसकी साइज 32 34 32 की थी और ओ मुझे बहुत ही ध्यान से देख रही थी. म उसके पास गया और उससे बात की तो ओ बोली म आपको पहली बार देख रहा हु और आपका नाम बहुत बार सुन चूका हूँ


ज्यादा टाइम न वेस्ट करते हुए सीधे कहानी प आता हूं..


जब म वापिस अपने घर को आ रहा था तब उससे मिलने के लिए गया तो उसने मेरा फ़ोन नम्बर माँगा तो मैंने उससे अपना नंबर दिया और घर चला आया हुआ यु की 15 दिन मेरे माता और पिता की किसी काम से बाहर जाना था तो में घर पे अकेला रह जाता तो माँ को बोल के उसको अपने घर बुला लिया ओ लड़की मेरे चाचा की लड़की थी जब ओ आयी तो आते ही उसने मुझे प्रपोज़ कर दिया.


पर मैंने उसका रिप्लाई नही दिया जब माँ और अब्बू चले गए तब एक रात को ओ सोयी हुयी थी मेरी अचानक से नींद खुली तो मैंने देखा की ओ सोयी हुयी थी और उसका सलवार खुला हुआ था ये देख कर में उसकी सलवार को ठीक करने लगा तभी उसने करवट बदली तो उसका सलवार उसके बुर के नीचे आ गया.


फिर में बैठ कर देखने लगा तभी मैंने अपना एक हाथ उसके बुर पे रख के सहलाने लगा और उसके बाद में मैंने उसकी समीज को धीरे से ऊपर कर दिया जिससे की ओ आधी नंगी हो गयी और में उसकी एक हाथ से बुर और दूसरे हाथ से किसी चूची को सहलाने लगा जिससे की उसकी नींद खुल गयी और उठ के बैठ गयी में डर गया और मेरी हालात खराब हो गयी फिर ओ कुछ नही बोली अपने कपडे ठीक कर के सो गयी


फिर दूसरे दिन में उसके सोने का ईनतेजर कर रहा था रात के12 बजे जब ओ सो गयी तब मै अपने बिस्तर से उठ के उसके पास गया और उसका समीज ऊपर कर के चूची को दबाने लगा जिससे उसकी नींद खुल गयी और ओ मुझे देखने लगी और में रुक गया .


और ओ मुझे पकड़ के किस करने लगी और 5 मिनट तक किस की और मेरे कपडे उतरने लगी मै भी उसका साथ देने लगा था उसके कपडे में उतारने लगा ओ सिर्फ पैंटी और ब्रा में थी म उसके पूरे शरीर प किस किया और धीरे धीरे उसकी पैंटी निकलने लगा और उसके बुर पे किस करते करते दाँते काट लिया और ओ चीला पड़ी उसके बुर को मैंने करीब 15 मिनट तक किस किया और चाटा जिससे उसका पानी निकल गया.


अब में अपना लंड उसके मुंह म डाल दिया और चाटने लगी मेरा भी पानी 10 मिनट में निकल गया फिर ओ मेरे लंड को सहलाने लगी करीब 10 मिनट बाद ओ फिर से खड़ा हो गया तो ओ मेरे ऊपर आके बैठ गयी और धीरे धीरे लंड को बुर में डालने लगी 5 मिनट में पूरा लंड अपने बुर में डाल के उपर नीचे करने लगी 10 मिनट ऐसे चोदते हुए मैंने पोजिशन बदला उसको झुका दिया 20 मिनट चोदने के बाद मेरा पानी निकल गया और पूरी रात हमने 5 बार चुदाई की.


और वैसे ही हम सो गये सुबह उठे तो ओ मेरे लंड से खेलने लगी और मुह में डाल के चाटने और चूसने लगी जब पानी निकल गया तो उठ कर बाथरूम में चले गये वहां प हमने 3 बार चुदाई की ऐसे ही 15 दिन तक हमारी चुदाई चली फिर 15 दिन बाद मम्मी आबू आ गए और ओ अपने घर चली गयी.


बाद में उसने फ़ोन कर के बताया कि ओ प्रेगेनेट हैऔर बाद में मै उससे मिलने गया और उसके घर प उसकी गाड़ मरी अब अगली कहानी में बताऊंगा की कैसे मारी उसकी गांड!

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भाई की साली ने मजा दिया


हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम महेश है और में राजस्थान का रहने वाला हूँ. आज में आपको जो स्टोरी बताने जा रहा हूँ, वो बिल्कुल सच्ची है, इसमें कुछ भी झूठ नहीं है सिर्फ़ नाम का फ़र्क़ हो सकता है. मेरी उम्र उस समय 21 साल थी और हमारे घर पर मेरे भाई की साली आई थी. हमारा सामूहिक परिवार है, हम घर में करीब 14 मेंबर एक साथ रहते है. में अपने भाइयों में सबसे छोटा हूँ. में उस समय फाइनल ईयर में पढ़ रहा था.
मैंने कॉलेज में दोस्तो के साथ रहकर सेक्स के बारे में काफ़ी सुना था, लेकिन कभी मौका नहीं मिला था. में अक्सर रास्ते में आती जाती लड़कियों को देखता और ठंडी आहें भरता था. मेरे भाई की साली का नाम सुनीता है, वो अपनी बहन के पास घूमने आई थी, वो बहुत स्मार्ट है. हम सब घरवाले एक साथ बैठकर खूब बातें करते थे. मेरे भाई के पास बिल्कुल समय नहीं था कि वो अपनी साली को घुमा सके.
फिर भाई ने मुझसे कहा कि इसे आस पास के मंदिर और गार्डन घुमा लाओ. फिर में अपनी भतीजी जो कि 9 साल की थी उसे और सुनीता को लेकर घूमने निकल गया. फिर हम सारा दिन घूमते रहे. अब दोपहर को हम गार्डन में बैठे थे कि अचानक गार्डन में एक कोने में एक कपल बैठकर एक दूसरे को किस कर रहा था. फिर मेरी नजरें उधर गयी और में छुप-छुपकर वो नज़ारा देखने लगा तो तभी अचानक से मैंने देखा कि सुनीता की नजरे भी वही है.
अब हम दोनों वही सीन देख रहे थे, लेकिन शो ऐसे कर रहे थे कि हमने कुछ भी नहीं देखा है. अब मेरी भतीजी खेल रही थी, तो तभी अचानक से उस लड़के ने अपना एक हाथ अपनी साथ वाली लड़की की शर्ट में डाल दिया. फिर मैंने उधर देखा और फिर मुड़कर सुनीता को देखा तो सुनीता भी वही देख रही थी. फिर उसने मुझे देखा कि में सुनीता को देख रहा हूँ, तो सुनीता सकपका गयी. मुझे हँसी आ गयी, तो वो भी हँसने लगी और फिर हम बिना कुछ कहे वहाँ से उठ गये और दूसरी तरफ चले गये.
अब में सुनीता के बहुत नजदीक चलने लगा था. अब सुनीता भी मेरे पास सटकर चलने लगी थी. अब मेरा गला सूखने लगा था. फिर उसके बाद वहाँ हमने सॉफ्टी खाई और गार्डन से चले गये. अब शाम को हम सब एक रूम में बैठकर टी.वी देख रहे थे, मैंने रज़ाई ओढ़ रखी थी. फिर सुनीता कमरे में आकर मेरे पास में बैठ गयी. अब उसे भी सर्दी लग रही थी, तो थोड़ी सी रज़ाई में उसने अपने पैर डाल दिए. अब में उसके पैरो को सहलाने लगा था तो तब उसने कुछ नहीं कहा. अब सब टी.वी देखने में मस्त थे. फिर में अपना एक हाथ उसकी जांघो तक ले गया. अब मुझे बहुत डर लग रहा था, लेकिन मज़ा भी आ रहा था.
फिर वो बहुत देर तक बैठी रही और में अपनी हरकते करता गया. फिर उसकी बहन उसको बुलाकर ले गयी. फिर रात को रूम में डबल बेड पर सुनीता और मेरी भतीजी सो गये और वहाँ एक छोटा पलंग और था जहाँ पर में सो गया था और मेरी आंटी बाहर वाले कमरे में सो गयी थी. अब मुझे नींद ही नहीं आ रही थी. फिर रात को करीब 1 बजे में धीरे से अपने बिस्तर पर से उठा और सुनीता के बेड के पास नीचे जमीन पर बैठ गया. फिर मैंने अपना एक हाथ उसके हाथ पर रखा तो वो सो रही थी. फिर मैंने धीरे से अपना एक हाथ उसके गालों पर रखा और सहलाने लगा. अब मुझे डर भी बहुत लग रहा था.
सुनीता नहीं उठी तो मैंने अपना एक हाथ बिस्तर के अंदर कर लिया. अब मुझे सर्दी भी बहुत लग रही थी, लेकिन मज़ा भी बहुत आ रहा था. फिर मैंने अपना एक हाथ धीरे से उसके बूब्स पर रखा और इंतज़ार करने लगा कि उसका क्या जवाब होता है? फिर में धीरे-धीरे से उसके बूब्स को दबाने लगा, तो उसका कोई जवाब ना देखकर मेरी हिम्मत बढ़ गयी और में उसके बूब्स को थोड़ा और ज़ोर से दबाने लगा था, उसके बूब्स की साईज 32 थी. अब मुझको बहुत मज़ा आ रहा था.
फिर मुझे लगा कि सुनीता जाग रही है, लेकिन नाटक सोने का कर रही है. फिर मैंने अपने हाथ से उसकी कमीज के बटन खोल दिए और उसकी ब्रा पर अपना एक हाथ रख दिया. फिर थोड़ी देर के बाद मैंने उसकी ब्रा ऊपर कर दी. अब उसके बूब्स नंगे हो गये थे, तो में उन्हें दबाने लगा. फिर मैंने उनको चूसना शुरू कर दिया और सुनीता अब भी बिल्कुल चुपचाप लेटी थी. फिर में रज़ाई में घुस गया और बच्चे की तरह उसके निपल्स को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा था.
अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. फिर में अपना एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी टाँगो पर फैरने लगा, उसने नाईट सूट पहना था और ऊपर बटन वाला और इलास्टिक वाला लोवर था. फिर मैंने अपना एक हाथ उसके लोवर में डाल दिया और उसकी पेंटी के अंदर ले गया, वहाँ बहुत गर्मी थी. अब मेरा हाथ गर्म हो गया था. फिर में उसकी चूत पर अपना एक हाथ फैरने लगा और वो तब भी सोने का नाटक करती रही.
फिर में उसके होंठो को चूमने लगा. अब वो भी मेरे होंठ चूम रही थी, लेकिन आँखे नहीं खोल रही थी. अब मुझे डर भी बहुत लग रहा था. फिर अचानक से कोई आवाज सुनकर में एकदम से खड़ा हो गया और जल्दी से बाहर निकल गया, ताकि अगर कोई हो तो में कहूँ कि पानी पीने निकला था. अब मेरी आंटी अपने बेड पर नहीं थी. फिर में पानी पीने किचन में गया, तो मेरी आंटी पानी पी रही थी.
आंटी ने कहा कि आज बहुत ज़्यादा सर्दी है. तो तब मैंने कहा कि हाँ और फिर में पानी पीकर कमरे में आया. तो तब आंटी भी आ गयी और डबल बेड पर सुनीता के पास ये कहकर सो गयी कि पास वाले रूम में ज़्यादा सर्दी है. फिर में गॉड को थैंक्स कहने लगा कि अच्छा हुआ की आंटी ने नहीं देखा वरना हंगामा हो जाता. फिर में टॉयलेट जाकर अपने हाथ से अपने लंड से पानी निकाल आया. फिर कुछ दिन तक ऐसे ही चला. अब मुझे जब भी कोई मौका मिलता तो में उसके शरीर को टच करता था.
अब मुझे एक रात नींद नहीं आ रही थी, तो तब रात के करीब 2 बजे सुनीता को रूम से बाहर जाते देखा तो में भी चुपचाप उसके पीछे रूम से बाहर निकल गया. अब वो टॉयलेट करने गयी थी, टॉयलेट का दरवाजा अंदर से बंद था और में बाहर ही खड़ा था. फिर कुछ देर के बाद उसने दरवाजा खोला और जैसे ही दरवाजे से बाहर निकलने लगी तो मैंने उसका रास्ता रोक लिया. फिर वो कुछ नहीं बोली और में उसे पुश करता हुआ टॉयलेट में ले गया और टॉयलेट का दरवाजा अंदर से बंद करके उसे पागलों की तरह चूमने लगा था. वो कुछ नहीं बोली और सिर्फ़ किस करने लगी थी. फिर मैंने उसके होंठो को चूमा और चाटा, गालों को चूमा और अपना एक हाथ उसके शरीर पर फैरने लगा था. अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. फिर मैंने उसकी कमीज के बटन खोल दिए और उसकी कमीज उतार दी. अब उसकी ब्रा में क़ैद उसके बूब्स मुझसे कहने लगे थे कि जल्दी से हमें आज़ाद करो मेरी जान.
फिर मैंने उसकी ब्रा भी हटा दी और जल्दी से अपनी टी-शर्ट उतार दी. अब में उसके बूब्स से खेलने लगा था और उसके निपल्स को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा था. अब सुनीता मेरे बालों को सहला रही थी. अब हम कुछ भी नहीं कर रहे थे. फिर मैंने उसका लोवर नीचे कर लिया और नीचे बैठकर उसकी टाँगो और जांघो पर किस करने लगा था. अब मेरे हाथ बहुत तेज़ी से चल रहे थे, मुझे लगा कि थाली भरकर 36 भोग सामने है और इसे साफ़ करना है. फिर मैंने खड़े होकर अपनी पैंट उतार दी. अब हम दोनों सिर्फ़ चड्डी में थे. फिर मैंने उसे ऊपर से लेकर नीचे तक खूब चूमा, चाटा, अब मेरा लंड बिल्कुल तैयार था. फिर मैंने उसकी पेंटी उतार दी, यह मेरा पहला अनुभव था मैंने सेक्स के बारे में सिर्फ़ फ़िल्मो से सीखा था और यह सुनीता का भी पहला अनुभव था.
फिर में उसकी चूत पर अपना एक हाथ फैरने लगा और लंड कहाँ जाता है, वो जगह अपनी उंगली से तलाश कर रहा था. अब मुझे वो जगह मिल गयी थी. फिर मेरी उंगली जैसे ही सुनीता की चूत में गयी, तो वो सिसकियाँ लेने लगी. अब उसे बहुत मज़ा आ रहा था, उसकी चूत गीली हो गयी थी. अब वो मुझको ज़ोर से खुद से चिपकाने लगी थी. फिर मुझे लगा कि अब हमें देर नहीं करनी चाहिए तो में अपनी चड्डी उतारकर अपना लंड उसकी चूत में डालने की नाकामयाब कोशिश करने लगा, क्योंकि वो हाईट में मुझसे छोटी थी और में टांगो को नीचे करके भी कोशिश कर रहा था, लेकिन में नहीं कर पा रहा था.
मैंने टॉयलेट के फर्श पर उसे लेटा दिया. अब उसने अपनी आँखे बंद कर दी थी. फिर में उसके ऊपर आया और उसकी दोनों टांगे ऊपर करके अपना लंड उसकी चूत में डालने लगा, लेकिन मेरा लंड सही निशाने पर नहीं लग रहा था. फिर मैंने अपनी उंगली को उसकी चूत में डालकर सही जगह देखी और अपना लंड उस जगह पर सेट करके थोड़ा सा पुश किया तो मेरा लंड अभी थोड़ा सा ही अंदर गया था कि वो झटपटाने लगी और मुझसे बोली कि बाहर निकालो इसे, मुझे बहुत दर्द हो रहा है. तो में वहीं रुक गया.
फिर थोड़ी देर के बाद मैंने फिर से पुश किया, तो वो धीरे से चिल्लाई उईईईईईई माँ, आआअ ये तो बहुत दर्द कर रहा है. अब में उसके बूब्स को दबाने लगा था और उसके गालों को चूमने लगा था. फिर मैंने अपना लंड थोड़ा सा बाहर करके एकदम से ज़ोर लगाया. तब वो बोली कि नन्नू प्लीज इसे बाहर निकालो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है. अब में ऐसे ही लेटे-लेटे उसे प्यार करने लगा था. अब उसकी आँखों में से आँसू आने लगे थे. फिर मैंने थोड़ा सा अपना लंड बाहर निकाला और धीरे-धीरे अंदर करने लगा था. अब वो तड़प रही थी. फिर मैंने अपने लंड को और ज़्यादा अंदर कर लिया और उसके जवाब का इन्तजार करने लगा. फिर मुझे लगा कि अब वो पहले से अच्छा महसूस कर रही है. फिर में अपनी कमर को जल्दी-जल्दी अंदर बाहर करने लगा, उसकी चूत बहुत टाईट थी.
अब मुझको बहुत मज़ा आ रहा था. अब उसे भी बहुत मज़ा आ रहा था. अब वो मेरा पूरा साथ दे रही थी, अब वो अपनी कमर हिलाने लगी थी. फिर थोड़ी देर के बाद में खाली हो गया और उसके ऊपर से उठा तो तब मैंने देखा कि उसकी चूत में से खून निकल रहा है. फिर मैंने जल्दी से अपने कपड़े पहने और वो भी रोते हुए अपने कपड़े पहनने लगी थी. अब वो मुझसे कहती जा रही थी कि नन्नू तुमने ये ठीक नहीं किया, अब किसी को मालूम हो जाएगा तो में क्या मुँह दिखाऊँगी? फिर मैंने उसे समझाया कि चुप हो जाओ, ऐसा मुँह देखकर तो कोई भी समझ जाएगा. फिर वो 3-4 दिन तक हमारे यहाँ और रही, लेकिन उसने फिर मुझसे बात नहीं की, शायद उसका मतलब निकल गया था इसलिए. अब तो सुनीता की शादी भी हो गयी है, उसकी शादी के बाद मैंने कभी उसे नहीं देखा.
मैंने पहली बार देखा कि यहाँ सब अपने अनुभव शेयर करते है, में नहीं जानता कि यहाँ कौन कितना सच लिखता है? लेकिन मेरी यह स्टोरी मेरी अपनी और बिल्कुल सच्ची है. फिर मैंने उसके बाद कभी गैर लड़की से कोई संबंध नहीं बनाया, मुझे लाईफ के यह पल शेयर करने में बहुत अच्छा लगा और मुझे तो पूरी जिंदगी यह सब याद रहेगा, ये मेरी यादों से जुड़ा है.
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माँ की चूत का बलिदान


हैल्लो दोस्तों, आज में आपके लिए मेरी माँ की चुदाई की कहानी लेकर आई हूँ. ये एक लंबी कहानी है, लेकिन छोटे रूप में आपके सामने पेश कर रही हूँ. यह उस समय की बात है जब मेरी शादी होने वाली थी तो तब ससुराल वालों ने 50,000 रुपए दहेज में माँगे थे, जिसे मेरे घर वाले देने में असमर्थ थे. फिर एक दिन मेरे होने वाले ससुर कुछ काम से हमारे घर आए और रात को हमारे घर रुके थे.
रात को खाने के बाद उनका बिस्तर लगा दिया और वो लेट गये और मेरा बाप खेत में चला गया था. तभी मेरे ससुर ने कहा कि मेरा बदन बहुत दर्द कर रहा है. तो तब मेरी माँ तेल लेकर आई और मेरे ससुर से कहा कि अपने कपड़े उतार दीजिए, में मालिश कर देती हूँ. तो मेरे ससुर ने अपने कपड़े उतार दिए और माँ पलंग के कोने पर बैठकर उनकी मालिश करने लगी.
अब उस वक्त मेरी माँ ने ब्लाउज, पेटीकोट और साड़ी पहनी हुई थी, उनका ब्लाउज पारदर्शी था और उस वक्त माँ ने ब्रा नहीं पहनी थी, इसलिए उनके निप्पल साफ दिख रहे थे. फिर माँ मेरे ससुर की पीठ पर और छाती पर मालिश करने के बाद उनके पैरो पर तेल लगाने लगी. अब वो दोनों बातें कर रहे थे, तो तभी माँ की साड़ी का पल्लू सरक गया. अब उनके हाथ पर तेल लगे होने की वजह से उन्होंने पल्लू ऊपर तो किया, लेकिन वो बार-बार सरककर नीचे गिर रहा था. अब माँ की 38 साईज की चूचीयाँ देखकर और माँ के कोमल हाथों के स्पर्श की वजह से मेरे ससुर के अंडर का मर्द जाग चुका था. अब उनका लंड धीरे-धीरे खड़ा हो रहा था.
फिर तभी माँ ने उनसे कहा कि समधी जी दहेज की रकम बहुत ज़्यादा है, कुछ कम नहीं हो सकती क्या? तो तब ससुर ने कहा कि कम तो हो सकती है, लेकिन और वो अटक गये, अब वो माँ की चूचीयों को घूर रहे थे. तब माँ ने उनसे पूछा कि लेकिन क्या?
उन्होंने बैठकर माँ के दोनों हाथों को पकड़कर पलंग पर डाल दिया और माँ के ऊपर चढ़कर कहा कि तुम्हें मेरे साथ सोना पड़ेगा. अब माँ उनकी इस हरकत से घबरा गयी थी और अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करने लगी थी, लेकिन छुड़ा नहीं पाई और मेरे ससुर को कहने लगी कि वो उन्हें छोड़ दे, लेकिन मेरे ससुर ने माँ को और कसकर पकड़ लिया और कहा कि देखो वैसे भी तेरा पति खेत गया है और तुम्हारी बेटी सो रही है, मान जाओ और मेरी रात को रंगीन बना दो, में दहेज में सिर्फ़ 20000 रुपए लूँगा.
फिर भी माँ नहीं मानी और अपने आपको छुड़ाने की नाकाम कोशिश करती रही. तभी मेरे ससुर ने उनकी बाई चूची को अपने एक हाथ में ले लिया और कहा कि देखो मान जाओ, नहीं तो में तुम्हारी बेटी की जिंदगी हराम कर दूँगा और उसे कहीं भी रिश्ता नहीं मिलेगा. तब माँ थोड़ी शांत हुई और मेरे ससुर से कहने लगी कि अगर इसके बारे में किसी को पता चल गया तो मेरा क्या होगा? तो तब मेरे ससुर ने कहा कि वैसे भी यहाँ तुम्हारी बेटी के अलावा और कोई तो है नहीं और तुम्हारी बेटी सो रही है तो किसी को पता चलने का सवाल ही नहीं है और फिर मेरे ससुर ने साड़ी के पल्लू को माँ की चूचीयों पर से हटा दिया और ब्लाउज खोलकर माँ की चूचीयाँ दबाने लगे थे. अब माँ चुपचाप पड़ी हुई अपनी इज़्जत मेरे ससुर को सोंप रही थी.
फिर मेरा ससुर माँ की एक चूची को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और वैसे भी मेरे ससुर ने सिर्फ़ छोटी सी धोती पहनी थी. अब माँ की बड़ी-बड़ी चूचीयाँ तनकर और बड़ी हो गयी थी. अब माँ भी उनकी हरकतों का मज़ा लेने लगी थी और उनके सिर को अपनी चूचीयों पर दबाने लगी थी.
थोड़ी देर के बाद मेरे ससुर ने माँ को अपने लंड के ऊपर बैठा दिया और माँ की दोनों चूचीयों को दबाने लगे थे और फिर थोड़ी देर तक माँ की चूचीयों से खेलने और चूसने के बाद माँ की ब्लाउज उतार दी. अब माँ ऊपर से पूरी नंगी थी.
मेरे ससुर ने माँ के पैरो पर अपना एक हाथ रखा और उनकी जाँघो को सहलाने लगे थे. अब माँ बहुत गर्म हो गयी थी और अब वो मेरे ससुर की छाती को चूमने लगी थी.
फिर मेरे ससुर ने माँ को अपने बगल में लेटा दिया और उनका पैर अपने पैरो पर खींच लिया और उनके पेटीकोट के अंदर अपना एक हाथ डालकर माँ के पैरो को सहलाने लगे थे. अब उनके ऊपर नीचे होने की वजह से साड़ी तो पहले ही खींचकर माँ से अलग हो गयी थी और उनका पेटीकोट भी कमर के पास इक्कठा हो गया था. अब मेरा ससुर और दबा-दबाकर माँ के पैरो को सहला रहा था और माँ पूरी तरह से गर्म हो गयी थी और खुद ही अपनी दोनों चूचीयों को अपने हाथों से दबाने लगी थी. फिर मेरे ससुर ने माँ की पेंटी को खींचकर उतार दिया और माँ को सीधा लेटाकर उनकी चूत में उंगलियाँ डालने लगे थे.
अब माँ पूरी तरह से गर्म हो गयी थी और अपने मुँह से सिसकारियाँ भरने लगी थी और फिर जैसे ही मेरा ससुर उनकी चूत में अपनी उंगली घुसाता, तो वो अपनी चूत को ऊपर उठा-कर उन्हें अंदर ले लेती. फिर मेरे ससुर ने माँ के पेटीकोट को खोलकर उतार दिया और माँ को पूरा नंगा कर दिया और अपनी धोती खोलकर वो भी नंगे हो गये थे.
अब उनका 10 इंच लंबा और 4 इंच मोटा लंड पूरा तनकर माँ को चोदने को उतावला हो रहा था. तभी मेरा ससुर माँ की चूत के पास झुका और उनकी चूत को चौड़ी करके चाटने लगा. तो तभी माँ ने उन्हें रोकते हुए कहा कि ये आप क्या कर रहे है? तो तब मेरे ससुर ने माँ को धकेलते हुए कहा कि चुपचाप बिस्तर पर लेट जा और मुझे तेरे हुस्न का मज़ा लेने दे और फिर वो फिर से चूत चाटने लगे. तो थोड़ी देर में माँ ने अपना पानी छोड़ दिया.
फिर मेरे ससुर ने अपना लम्बा लंड माँ की चूत पर रखा और एक ही झटके में पूरा अंदर उतार दिया. तो माँ भी इस अचानक हुए हमले को सहन नहीं कर पाई और उठकर ससुर से लिपट गयी और फिर मेरे ससुर ने माँ को चोदना शुरू कर दिया. फिर माँ चुपचाप उनसे चुदवाती रही. फिर मेरे ससुर ने माँ को आधे घंटे तक चोदा और फिर माँ के ऊपर लेट गये. फिर उस दिन उन्होंने माँ को तीन बार चोदा और आज भी मौका मिलने पर मेरी माँ मतलब उनकी समधन को खूब चोदते है.
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पापा के लंड पर बैठकर मजा लिया


हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम निशा है और में दिल्ली की रहने वाली हूँ. मेरे घर में मेरे मम्मी, पापा और मेरे दादा, दादी है. में मेरे बाप की एक ही औलाद हूँ. मुझे मेरे माँ बाप ने बड़े प्यार से बड़ा किया है.
आज मेरी उम्र 21 साल की है, लेकिन मुझे देखकर कोई कह नहीं सकता कि मेरी उम्र इतनी कम होगी, क्योंकि मेरा बदन बिल्कुल एक 24 साल की लड़की की तरह हो चुका है, मेरा फिगर साईज 34-28-36 है और इसकी वजह में खुद ही हूँ, जो 18 साल की उम्र से ही सेक्स की तरफ ज़्यादा ध्यान देने लगी थी और लगभग तब से में चूत में उंगली करने लग गयी थी.
मेरे घर में 5 रूम है, एक में मेरे मम्मी पापा और दूसरे में मेरे दादा दादी, जो अब 60 से ज्यादा उम्र के है और ज़्यादातर अपने कमरे में ही लेटे रहते है और तीसरे में में खुद रहती हूँ और बाकि के दो कमरे हम अलग-अलग कामों के लिए उपयोग में लेते है. मेरे पापा की उम्र 38 साल की है.
मेरी माँ वैसे तो बहुत खूबसूरत है, लेकिन बहुत ही पुराने विचारो वाली एक साधारण औरत है, जो अपना ज़्यादातर वक़्त पूजा पाठ या अपने सास ससुर की सेवा में और घर के काम काज में गुजारती है. मेरे पापा जो एक बिजनसमैन है और अपना खुद का बिजनेस चलाते है.
हम बहुत अमीर तो नहीं है, लेकिन हमारे घर में किसी चीज की कोई कमी नहीं है. मेरे पापा भी बहुत हैंडसम है, लेकिन मेरी माँ तो उन्हें टाईम ही नहीं दे पाती है, सिर्फ़ रात में जब उनके सोने का वक़्त होता है जब ही उनके पास जाती है.
यह बात तब की है, जब मेरी उम्र 18 साल की थी. एक रात हम सब खाना खाकर सोने के लिए अपने अपने रूम में चले गये थे कि तभी अचानक से मुझे लगा कि मेरे मम्मी पापा के रूम से लड़ने की आवाज़े आ रही है.
मम्मी पापा का रूम मेरे रूम से ही लगा हुआ था, मुझे ज़िंदगी में पहली बार लगा था कि मम्मी पापा की लड़ाई हो रही है इसलिए में यह जानना चाहती थी कि वो लड़ क्यों रहे है? तो पहले तो मैंने सोचा कि में मम्मी से जाकर पूंछू, लेकिन फिर बाद में सोचा कि वो लोग मेरे सामने शर्मिंदा हो जाएगे इसलिए मैंने पूछना उचित नहीं समझा, लेकिन फिर भी मेरे मन में वजह जानने की इच्छा तेज होती गयी और जब मुझसे नहीं रहा गया तो मैंने उठकर देखने की कोशिश की. मेरे रूम में एक खिड़की थी, जो उनके कमरे में खुलती थी, वो खिड़की बहुत पुरानी तो नहीं थी, लेकिन उसमें 2-3 जगह छेद थे. फिर मैंने अपने रूम की लाईट ऑफ की और उस छेद में आँख लगा दी. अब अंदर का नज़ारा देखकर मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया था.
अब मेरी मम्मी जो कि सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट में थी और बेड पर बैठी थी और मेरे पापा सिर्फ़ अपनी वी-शेप अंडरवेयर में खड़े थे और बार-बार मम्मी को अपनी ब्रा उतारने के लिए कह रहे थे और मेरी मम्मी उन्हें बार-बार मना कर रही थी.
मैंने देखा कि मेरे पापा की टाँगों के बीच में जहाँ मेरी पेशाब करने की जगह है, वहाँ कुछ फूला हुआ है. अब मेरी नजर तो बस वही टिक गयी थी और में चाहकर भी अपनी नजर हटा नहीं पा रही थी.
अब वो लोग कुछ बात कर रहे थे, लेकिन मेरा ध्यान तो सिर्फ पापा की टाँगों के बीच में ही था और उनकी बातें सुनने का ध्यान भी नहीं था. अब मेरा दिल ज़ोर- ज़ोर से धड़क रहा था और मेरा बदन बिल्कुल अकड़ गया था और इसके साथ ही मुझ पर एक और बिजली गिरी और फिर मेरे पापा ने झटके से अपना अंडरवेयर भी उतार दिया. ओह गॉड मेरी तो जैसे साँसे ही रुक गयी थी. मेरे पापा की टाँगों के बीच में एक लकड़ी के डंडे की तरह कोई चीज लटकी हुई थी, जो कि मेरे हिसाब से 8 इंच लंबी और 3 इंच मोटी थी, उस चीज को क्या कहते है? मुझे उस वक़्त पता नहीं था.
फिर मेरी मम्मी उस चीज को देखकर पहले तो गुस्सा हुई और फिर शर्म से अपनी नजरे झुका ली. अब उन्हें भी मस्ती आने लगी थी और फिर उन्होंने इशारे से पापा को अपने पास बुलाया और उनके उस हथियार को प्यार से सहलाने लगी थी.
मम्मी ने अपनी ब्रा उतारी और अपने पेटीकोट का नाड़ा खोला और फिर बिल्कुल नंगी होकर सीधी लेट गयी और अपनी टांगे खोलकर पापा को अपनी चूत दिखाई और इशारे से उन्हें पास बुलाने लगी थी. फिर मेरे पापा कुछ देर तक तो गुस्से में सोचते रहे और फिर जैसे अपना मन मारकर उनके ऊपर उल्टे लेट गये और अपने एक हाथ से अपना लंड पकड़कर मम्मी की चूत में डाला और हिलते हुए मम्मी को किस करने लगे थे और फिर लगभग 10 मिनट तक हिलने के बाद वो शांत हो गये और ऐसे ही पड़े रहे.
फिर थोड़ी देर के बाद मम्मी ने उन्हें अपने ऊपर से हटाया और अपने कपड़े पहने और लाईट बंद करके सोने के लिए लेट गयी. अब कमरे में बिल्कुल अंधेरा होने की वजह से मुझे कुछ नहीं दिख रहा था.
तब मैंने भी जाकर लेटने की सोची और फिर में भी अपने बिस्तर पर आकर लेट गयी, लेकिन अब मेरी आँखों के सामने तो मम्मी पापा की पिक्चर चल रही थी और पापा का वो भयानक हथियार पता नहीं मुझे क्यों बहुत अच्छा लग रहा था? अब मेरा दिल कर रहा था कि में भी उनके हथियार अपने हाथ में लेकर देखूं. उस रात मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही थी.
उस रात मैंने पहली बार हस्तमैथुन किया. अब मेरे ख्यालों में और कोई नहीं बल्कि मेरे पापा ही थे. फिर जब मेरी चूत का रस निकला, तो तब में इतनी थक चुकी थी कि कब मेरी आँख लग गयी? मुझे पता ही नहीं चला. फिर सुबह मम्मी ने जब आवाज लगाई तो मेरी आँख खुली.
फिर मम्मी बोली कि बेटा सुबह के 7 बज रहे है, स्कूल नहीं जाना है क्या? तो तब में उठकर सीधी बाथरूम में गयी और नहाने के लिए अपने कपड़े उतारे.
फिर तब मैंने देखा कि मेरी पेंटी पर मेरी चूत के रस का धब्बा अलग ही दिख रहा है. अब मेरी आँखों के सामने फिर से वही नज़ारा आ गया था. अब मुझे फिर से मस्ती आने लगी थी तो मैंने फिर से अपनी चूत में उंगली करनी चालू कर दी और तब तक करती रही जब तक कि में झड़ नहीं गयी.
दोस्तों मुझे इतना मज़ा आया था कि में यह सोचने लगी कि जब उंगली करने में ही इतना मज़ा आता है तो सेक्स में कितना मज़ा आता होगा? और फिर में अपने पापा के साथ ही यह मज़ा लेने की सोचने लगी और सोचने लगी कि कैसे पापा के साथ मज़ा लिया जाए?
खैर जैसे तैसे करके में स्कूल जाने के लिए तैयार हुई और ड्रेस पहनकर बाहर आई तो नाश्ते की टेबल पर मेरा पापा से सामना हुआ, में रोज सुबह पापा को गुड मॉर्निंग किस करके विश करती थी. तो तब मैंने उस दिन भी पापा को किस करके ही विश किया, लेकिन इस बार मैंने कुछ ज़्यादा ही गहरा किस किया और थोड़ा अपनी जीभ से उनके गाल को थोड़ा चाट लिया, जिससे मेरे पापा पर कुछ असर तो हुआ, लेकिन उन्होंने मेरे सामने ज़ाहिर नहीं किया था.
अब में उनके ठीक सामने जाकर कुर्सी पर बैठकर नाश्ता करने लगी थी और फिर नाश्ता करने के बाद में स्कूल की बस पकड़ने के लिए बाहर जाने लगी, लेकिन मेरा मन पापा को छोड़कर जाने का नहीं हो रहा था, तो तब में बाहर तो गयी, लेकिन कुछ देर के बाद वापस आकर मैंने बहाना बनाया की मेरी बस निकल चुकी है.
अब ऐसी स्थिति में पापा मुझे स्कूल छोड़कर आया करते थे, तो तब मम्मी बोली कि जा पापा से कह दे, वो तुझे स्कूल छोड़ आएँगे. फिर में खुशी-खुशी पापा के कमरे में गयी. अब पापा सिर्फ़ अपने पजामे में थे. फिर मैंने पापा से कहा तो वो मुझे स्कूल छोड़ने के लिए राज़ी हो गये. अब पापा अपनी पेंट पहनने लगे थे. फिर मैंने उनके हाथ से पेंट लेते हुए कहा कि पापा पजामा ही रहने दीजिए, में लेट हो रही हूँ. तो तब पापा बोले कि ठीक है, में टी-शर्ट तो पहन लूँ, तू मेरा बाहर इन्तजार कर, तो में बाहर आकर इन्तजार करने लगी.
पापा मुझे ज़्यादातर स्कूल कार में ही छोड़ते थे, लेकिन उस दिन मेरे कहने पर उन्होंने मुझे हमारी एक्टिवा स्कूटर पर स्कूल छोड़ने के लिए गये. दोस्तों यहाँ तक तो मेरा प्लान सफल रहा था, लेकिन आगे के प्लान में थोड़ा खतरा था और मुझे यकीन नहीं था कि वो सफल हो जाएगा. फिर में उनके पीछे बैठ गयी और फिर हम स्कूल की तरफ चल दिए.
मेरा स्कूल घर से लगभग 10 किलोमीटर दूर था, रास्ता लंबा था और सुबह का वक़्त था, तो रोड सुनसान थी. फिर जब हम घर से 2 किलोमीटर दूर आ गये, तो तब मैंने पापा से कहा कि गाड़ी में चलाऊँगी. तो तब पापा बोले कि बेटी तुझसे गाड़ी नहीं चलेगी, तो में तो ज़िद्द करने लगी. तो तब पापा परेशान होकर बोले कि ठीक है, लेकिन हैंडल में ही पकडूँगा. अब मुझे मेरा प्लान कामयाब होता दिख रहा था.
फिर तब मैंने कहा कि ठीक है और पापा ने गाड़ी साईड में रोककर मुझे अपने आगे बैठाया और मेरी बगल में से अपने दोनों हाथ डालकर हैंडल पकड़ा और धीरे-धीरे चलाने लगे. लेकिन अब गाड़ी चलाने में किसका ध्यान था? अब मेरा ध्यान तो पापा के पजामे में लटके उनके लंड पर था. तो तभी गाड़ी जैसे ही खड्डे में गयी, तो मैंने हिलने का बहाना करके उनका लंड ठीक मेरी गांड के नीचे दबा लिया.
अब पापा कुछ अच्छा महसूस नहीं कर रहे थे. अब में अपनी गांड को उनके लंड पर रगड़ने लगी थी. अब गर्मी पाकर उनका लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा था, जिससे मुझे भी मस्ती आने लगी थी. अब पापा को भी मज़ा आ रहा था और फिर इस तरह मस्ती करते हुए में स्कूल पहुँच गयी.
पापा को जाते वक़्त मैंने एक बार फिर से किस किया. अब पापा शायद मुझे लेकर कुछ परेशान हो गये थे और में मेरी तो पूछो मत, मेरी हालत तो इतना करने में ही बहुत खराब हो गयी थी और मेरी पेंटी इतनी गीली हो चुकी थी कि मुझे लग रहा था मेरी स्कर्ट खराब ना हो जाए.
फिर पूरे दिन स्कूल में मेरे दिमाग में पापा का लंड ही घूमता रहा और अब मेरा दिल कर रहा था कि में पापा के लंड पर ही बैठी रहूँ. अब पता नहीं मुझे क्या हो गया था? ऐसा कौन सा वासना का तूफान मेरे अंदर था कि में पापा से चुदने के लिए ही सोचने लगी थी. खैर आगे बढ़ते है, फिर में चुदाई की इच्छा और गीली पेंटी लेकर घर पहुँची. अब उस वक़्त लगभग 3 बज रहे थे. अब घर में दादा, दादी के अलावा कोई नहीं था, मम्मी कहीं गयी हुई थी और पापा अपने ऑफिस में थे.
में बाथरूम में गयी और गंदे कपड़ो में से पापा की अंडरवेयर ढूंढकर अपनी चूत पर रगड़ते हुए हस्तमैथुन किया. अब मुझे बहुत मज़ा आया था और फिर में सो गयी. फिर मेरी आँख खुली तो शाम के 5 बज रहे थे. फिर मैंने नहा धोकर कपड़े पहने और मैंने कपड़े भी उस दिन कुछ सेक्सी दिखने वाले पहने थे, मैंने एक शॉर्ट स्कर्ट और फिटिंग टी-शर्ट पहनी थी. अब पापा के आने का टाईम हो गया था, लेकिन मम्मी का कोई पता नहीं था.
फिर शाम के 6 बजे पापा ने घंटी बजाई तो में दौड़ती हुई गयी और दरवाजा खोला. फिर पापा मुझे देखकर थोड़े मुस्कुराए और मुझे गले लगाकर मेरे गालों पर किस करते हुए बोले कि बेटा आज तो बहुत स्मार्ट लग रही हो. अब मुझे इतनी खुशी हुई थी कि में पापा को फंसाने में धीरे-धीरे सफल होती जा रही थी.
अंदर आकर पापा ने चाय का ऑर्डर कर दिया तो में किचन में जाकर चाय बनाने लगी. फिर पापा भी फ्रेश होकर किचन में आ गये और इधर उधर की बातें करने लगे थे.
थोड़ी देर में पापा मेरी गोरी जांघो देखकर गर्म हो गये और मेरे पीछे खड़े होकर अपना लंड मेरी गांड से सटाने की कोशिश करने लगे थे. तब में भी अपनी गांड को उनके लंड पर रगड़ने लगी. अब मुझे तो ऐसा लग रहा था कि जैसे में जन्नत में हूँ और बस ऐसे ही खड़ी रहूँ.
ख़ैर अब चाय बन चुकी थी और फिर मैंने पापा से डाइनिंग रूम में जाकर बैठने को कहा और चाय वहाँ सर्व करके बाथरूम में जाकर फिर से उंगली करने लगी थी. फिर में झड़ने के बाद बाहर आई, तो तब तक मम्मी भी आ चुकी थी.
मुझे मम्मी पर बहुत गुस्सा आया, क्योंकि मुझे पापा से अभी और मज़ा लेना था और मम्मी के सामने में कुछ नहीं कर सकती थी. अब पापा भी मम्मी के आने से थोड़े दुखी हो गये थे, क्योंकि ना तो वो कुछ करती थी और ना ही उन्हें कुछ करने देती थी. अब पापा मुझे देखकर बार-बार अपना लंड पजामे के ऊपर से ही सहला रहे थे और मुझे भी उन्हें सताने में बहुत मज़ा मिल रहा था.
खाना खाने के बाद पापा मुझसे बोले कि बेटी चल थोड़ा घूमकर आते है और मुझे लेकर घर के बाहर आ गये. फिर बाहर आकर उनका मूड चेंज हुआ और मुझसे बोले कि चल बेटा पिक्चर देखने चलते है.
तब मुझे पापा पर इतना प्यार आया कि पापा मेरे साथ अकेला रहने की कितनी कोशिश कर रहे है? खैर फिर हम एक्टिवा पर सवार होकर एक सिनिमा में पहुँच गये और रास्ते में ही मम्मी को फोन कर दिया कि हम पिक्चर देखने जा रहे है. जब सिनिमा में कोई पुरानी मूवी लगी होने की वजह से ज़्यादा भीड़ नहीं थी, पूरे हॉल में लगभग 30-40 लोग ही होंगे.
अब मुझे पापा की समझदारी पर बहुत खुशी हुई थी, वो चाहते तो मुझे किसी बढ़िया पिक्चर दिखाने ले जाते, लेकिन उन्हें शायद कुछ ज़्यादा मज़े लेने थे. फिर उन्होने सबसे महेंगे टिकट लिए और फिर हम लोग बालकनी में जाकर बैठ गये. हमारा नसीब इतना बढ़िया चल रहा था की बालकनी में सिर्फ़ हमारे अलावा सिर्फ़ एक ही लड़का था, जिसकी उम्र लगभग 18 साल थी और वो भी आगे की सीट पर बैठ गया था. अब तो हम दोनों को और भी आराम हो गया था.
पिक्चर चालू हुई, लेकिन पिक्चर पर तो किसका ध्यान था? अब मेरा दिमाग तो पापा के लंड की तरफ था और पापा भी तिरछी नजर से मेरी छोटी-छोटी चूचीयों की तरफ देख रहे थे. अब बस शुरुआत करने की देर थी कि कौन करे? अब में तो पापा का स्पर्श पाने के लिए वैसे ही मरी जा रही थी और फिर उसी वक़्त जैसे बिल्ली के भागों छिका टूटा हो, मेरे पैर पर किसी जानवर ने काटा हो, में उउउइई करती हुई खड़ी हो गयी.
फिर तब पापा ने घबराते हुए पूछा कि क्या हुआ? तो तब मैंने बताया कि मेरे पैर पर किसी कीड़े ने काटा है. तो तब पापा बोले कि बैठ जा और अब काटे तो तुम मेरी सीट पर आ जाना. तो में बैठ गयी और फिर 5 मिनट के बाद फिर से उछलती हुई खड़ी हो गयी, लेकिन इस बार मुझे किसी ने काटा नहीं था बल्कि में जानबूझकर खड़ी हुई थी. खैर फिर पापा हंसते हुए बोले कि तू मेरी सीट पर आ जा.
तब में बोली कि पापा कोई बात नहीं जैसे उस कीड़े ने मुझे काटा है, ऐसे ही आपको भी काट लेगा. तो तब पापा बोले कि तू एक काम कर मेरी गोद में बैठ जा. अब में तो पहले से ही तैयार थी तो पापा के बोलते ही में उनकी गोद में बैठ गयी और पर्दे की तरफ देखने लगी थी. अब में उनकी गोद में बैठी हुई बिल्कुल छोटी सी लग रही थी, मेरी उम्र उस वक़्त 18 साल ही तो थी.
अब पापा मेरी गर्मी पाकर गर्म होने लगे थे. अब उनका लंड फिर से खड़ा होने लगा था. अब मुझे भी उनके लंड पर बैठना बहुत अच्छा लग रहा था, वैसे तो हमारी नजर पर्दे की तरफ थी, लेकिन ध्यान सिर्फ़ अपनी-अपनी टाँगो के बीच में था. अब मेरा तो बदन जैसे किसी भट्टी की तरह तप रहा था. अब मेरी स्कर्ट में मेरी चड्डी बिल्कुल गीली हो रही थी.
पापा का लंड ठीक मेरी गांड के छेद पर था और पापा धीरे-धीरे मेरा पेट सहला रहे थे. अब मेरा मन कर रहा था कि पापा अपना लंड ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूत पर रगड़ दे, लेकिन ऐसा नहीं हो सकता था, क्योंकि हम दोनों ही एक दूसरे से शर्मा रहे थे.
कुछ देर तक ऐसे ही बैठे रहने के बाद मैंने अपने हाथ में पानी की बोतल थी वो नीचे गिरा दी और फिर उसको उठाने के लिए झुकी तो पापा का लंड बहाने से अपनी चूत पर सेट किया और फिर सीधी बैठकर मज़े लेने लगी. अब 1 घंटा 30 मिनट निकल गये थे और हमें पता ही नहीं चला कि कब इंटरवेल हुआ?
फिर पापा मुझे पैसे देते हुए बोले कि कैंटीन से जाकर कुछ ले आओ तो में बाहर गयी और कैंटीन से कुछ खाने की चीज़े खरीदी और फिर टॉयलेट में चली गयी और फिर जब तक वापस आई तो पिक्चर चालू हो चुकी थी.
मैंने पापा की गोद में बैठते हुए कहा कि पापा मुझे आपकी गोद में बैठने में ज़्यादा मज़ा आ रहा है. फिर तब पापा बोले कि तो फिर 1 मिनट रुक और बैठे हुए ही अपने लंड को सेट करने लगे थे.
अब मुझे अंधेरे में कुछ नहीं दिख रहा था और फिर जब उन्होंने मुझे बैठने को कहा, तो उन्होंने अपना हाथ कुछ इस तरह से मेरी स्कर्ट पर लगाया कि मेरी स्कर्ट ऊपर हो गयी और में उनकी गोद में फिर से बैठ गयी. फिर थोड़ी देर के बाद मुझे अहसास हुआ कि पापा ने अपना लंड अपनी पेंट में से बाहर निकाल रखा है और इस अहसास के साथ ही जैसे मेरे बदन ने एक तगड़ा झटका लिया और अब मेरा भी मन अपनी चड्डी उतारकर पापा का लंड मेरी चूत से चिपकाने का करने लगा था.
फिर उसके लिए मैंने फिर से एक प्लान बनाया और मेरे हाथ में कोल्डड्रिंक का जो गिलास था, उसे अपनी जांघों पर उल्टा दिया तो सारी कोल्डड्रिंक मेरे पैरो और चड्डी पर गिर गयी, तो तब पापा चौंकते हुए बोले कि यह क्या किया?
तब मैंने कहा कि सॉरी पापा गलती से हो गया, में तो पूरी गीली हो गयी और मेरे कपड़े भी गीले हो गये. तो तब कपड़ो का मतलब समझते हुए पापा बोले कि जा और टॉयलेट में जाकर साफ कर आ और कपड़े ज़्यादा गीले हो तो उतारकर आ जाना, जल्दी सूख जाएँगे. अब मेरा मन पापा को छोड़ने का नहीँ था, तो मैंने वहीं खड़े होकर मेरी चड्डी उतारी और दूसरी सीट पर रखी और फिर से पापा के लंड पर बैठकर पापा के लंड को अपनी दोनों टाँगों के बीच में ले लिया.
अब उनका लंड बिल्कुल मेरी चूत पर था. अब मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई गर्म लोहे की रोड मेरी जांघों में दबी पड़ी है. अब तो मेरा मन कर रहा था कि जल्दी से पापा अपना लंड मेरी चूत में डालकर ज़ोर से रगड़ दे, लेकिन हम ऐसा नहीं कर सकते थे.
अब मेरी बारी थी. फिर मेरा मन अपनी चूत को उनके लंड पर रगड़ने का हुआ तो तब में अपनी चड्डी उठाने के लिए झुकी और ज़ोर से अपनी चूत पापा के लंड पर रगड़ दी और फिर ऐसे ही 3-4 बार ज़ोर से रगड़ी, तो तब मुझे ऐसा लगा कि जैसे मेरा पानी निकल जाएगा. अब में कभी किस बहाने से तो कभी किस बहाने से हिलती और अपनी चूत पापा के लंड पर रगड़ देती थी. अब पापा समझ गये थे कि मेरा मन रगड़ने का हो रहा है.
तब पापा ने मेरे पेट पर अपना एक हाथ रखकर दबाया और अपना जूता खोलने के बहाने से कभी खुजाने के बहाने से अपना लंड रगड़ने लगे थे. फिर कुछ ही देर में मुझे लगा कि जैसे मेरे जिस्म में से सारा खून फटकर मेरी चूत में से निकलने वाला है और फिर इसी के साथ मेरा पानी झड़ गया. अब में बिल्कुल ठंडी हो चुकी थी, लेकिन पापा ने 2-3 बार और अपना लंड रगड़ा और फिर पापा भी जैसे अकड़ से गये और उनका भी पानी निकलकर मेरी चूत और मेरे पेट पर फैल गया.
अब हम दोनों बिल्कुल शांत थे और बहुत थक गये थे. फिर 5 मिनट के बाद ही पिक्चर ख़त्म हो गयी और लाईट जलती इससे पहले ही मैंने अपनी चड्डी यह कहते हुए पहन ली कि अब वो सूख चुकी है. अब दोनों पिक्चर ख़त्म हो चुकी थी एक जो पर्दे पर चल रही थी और एक जो हम बाप बेटी के बीच में चल रही थी. फिर थोड़ी देर के बाद लाईट जली और फिर हम दोनों हॉल से बाहर निकले.
बाहर आकर पापा मुस्कुराते हुए बोले कि पिक्चर कैसी लगी? तो तब मैंने जवाब दिया कि इससे बढ़िया पिक्चर मैंने आज तक नहीं देखी, तो तब पापा बोले कि मेरे साथ घूमा करेगी तो और भी बढ़िया चीज़े देखने को मिलेंगी और फिर में मस्कुराती हुई गाड़ी पर बैठ गयी और फिर हम घर की तरफ चल पड़े.
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