छोटे भाई ने कुंवारी चूत की सील तोड़ी


हैल्लो दोस्तों, में मोहिनी आज आप सभी चाहने वालों की सेवा में अपनी एक सच्ची घटना को लेकर हाजिर हुई हूँ जिसमें मैंने मेरे अपने सगे भाई के साथ मिलकर अपनी चुदाई की भूख को शांत किया और पहली बार यह काम करने के बाद हम दोनों को बड़ा मज़ा आया. उसके बाद का हमारा यह अब हर दिन का यह काम हो गया और हम दोनों ने लगातार ही चुदाई करना शुरू किया जिसकी वजह से हम खुश होकर जब भी हमें मौका मिलता यह काम करते.
दोस्तों यह घटना बहुत पुरानी है, जब में उस समय 20 साल की थी और मेरा छोटा भाई जिसका नाम मोहन है वो 18 साल का था, जब में 19 साल की थी तब हम दोनों भाई बहन ने एक धर्मशाला में चोरी छिपे एक चुदाई का खेल पहली बार अपनी आखों से देखा, जिसको देखकर हम दोनों की हालत बहुत बुरी हो गई, क्योंकि हम दोनों को इससे पहले बिल्कुल भी पता नहीं था कि यह चुदाई क्या होती है, इसको कैसे किया जाता है और इसमे कितना मज़ा आता है? उस दिन हम दोनों ने देखा कि धर्मशाला में एक चारपाई हमेशा रखी रहती थी, उसी पर एक लड़की लेटी हुई थी और उसके ऊपर एक आदमी उल्टा लेटा हुआ था और वो उस लड़की पर ऊपर से ही बड़ा जोरदार दबाव बना रहा था और वो उसको बड़ी तेज़ी से झटके भी मार रहा था, जिसको देखकर हम दोनों को बड़ा मस्त मज़ा आ रहा था, क्योंकि यह हम दोनों का पहला अनुभव था इसलिए हम बड़े चकित होकर अपनी आखें फाड़ फाड़कर देख रहे थे.
फिर मैंने देखा कि अचानक से वो आदमी रुक गया और उसने उस लड़के के बूब्स को अपने दोनों हाथों से सहलाना ज़ोर लगाकर दबाना शुरू किया, जिसकी वजह से उसके मुहं से सिसकियों की आवाज आने लगी. यह काम कुछ देर करने के बाद उसने दोबारा वैसे ही धक्के उसको दोबारा देने शुरू किए और उन दोनों को देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे उनको इस काम को करने में मेहनत तो बहुत करती पड़ी, लेकिन उनको मज़ा भी बहुत आ रहा था, इसलिए उस लड़की का चेहरा पसीने से भीगा होने के बाद भी संतुष्टि से खिल चुका था, वो बहुत खुश नजर आ रही थी, क्योंकि कुछ देर वो भी अपने कूल्हों को ऊपर उठाकर उस आदमी को कसकर अपनी बाहों में जकड़ लिया, लेकिन फिर भी उसने धक्के देना कम नहीं किया.
एक औरत ने अचानक से बीच में आकर उस आदमी को धमकाना ज़ोर ज़ोर से चिल्लाना शुरू किया. तब वो आदमी उस लड़की के ऊपर से उठ गया और उसी समय हम दोनों को उस आदमी का लंड नजर आ गया, वो उस लड़की की चूत से बाहर निकलकर बिल्कुल चिकना होकर तनकर खड़ा हुआ था. फिर उसके बाद हमे उस लड़की की चूत भी नजर आने लगी और वो लंड के बाहर निकलने के बाद भी फड़फड़ा रही थी. उससे चूत रस बहकर बाहर रिस रहा था जो जांघो तक पहुंच रहा था. अब मैंने उस तरफ से अपने ध्यान को हटाकर तुरंत ही अपने पास खड़े मोहन का लंड बाहर निकालकर देखा और पाया कि वो आकार में बहुत छोटा था और उसके आसपास बाल भी नहीं थे.
उसके बाद मैंने अपनी चूत को देखा, वहां भी बाल नहीं थे और उसी समय मैंने मोहन का लंड अपने एक हाथ से पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ना शुरू किया. ऐसा करने से हम दोनों को बड़ा मज़ा आ रहा था. फिर कुछ देर यह काम करने के बाद हम दोनों भी सभी की नजर बचाकर अपने घर आ गए और हम दोनों के कमरे में बंद होकर अकेले में एक दूसरे के लंड और चूत को बड़े ध्यान से देखकर उनके साथ खेलना शरु किया. दोस्तों उस दिन के एक साल के बाद में और मेरा भाई मोहन किसी काम की वजह से दिल्ली गये हुए थे. में लाल किला, इंडिया गेट देखना चाहती थी, इसलिए हम दोनों चल पड़े. अब में और मोहन एक लोकल बस में खड़े होकर सफर कर रहे थे, उसमे भीड़ कुछ ज्यादा ही थी इसलिए हम दोनों को बड़े धक्के लग रहे थे.
उस समय मेरे पीछे की तरफ मोहन खड़ा हुआ था और ज्यादा भीड़ होने की वजह से मोहन मेरी पीठ से एकदम चिपका हुआ था और थोड़ी ही देर के बाद मेरी गांड पर मोहन का लंड चुभने लगा और पीछे से धक्का लगने की वजह से मोहन का लंड मेरी गांड में ठीक जगह पर सेट होकर घुसने लगा था. मुझे उसके धक्के खाने में बड़ा मज़ा आ रहा था, लेकिन कुछ देर बाद हमारे उतरने की जगह आ गई तो हम दोनों उस बस से नीचे उतरकर लाल किले में घूमने चले गए. कुछ देर देखने घूमने के बाद मुझे बड़ी ज़ोर से पेशाब आने लगा, जिसको ज्यादा देर रोक पाना मेरे लिए बड़ा मुश्किल था इसलिए मैंने मोहन से कहा कि मुझे पेशाब करना है, में बड़ी देर से रोक रही हूँ लेकिन अब नहीं रुकता, जल्दी से कुछ करो वरना यह अब किसी भी समय निकल जाएगा.
वो मुझसे बोला कि हाँ मुझे भी पेशाब तो आ रहा है और फिर हम दोनों पास ही एक एकांत जगह पर चले गये जहाँ आसपास कोई भी हमें नजर नहीं आ रहा था उसी जगह हम दोनों ने पेशाब किया. फिर पेशाब करने के बाद हम दोनों ने वहीं कुछ दूरी पर छोटे पेड़ झाड़ियों के पीछे एक लड़का लड़की को बाहों में लिपटकर एक दूसरे को चूमते हुए देखा, उसी समय में मोहन से बोली कि तू उधर क्या ऐसे घूरकर देखता है? तब मोहन बोला कि देखो वो लड़का उस लड़की को कैसे पागलों की तरह चूम रहा है और तुम देखो उसका एक हाथ कहाँ है, दिख नहीं रहा? तो मैंने मोहन को बताया कि उस लड़के का एक हाथ उस समय लड़की की चूत पर है वो अपने हाथ से देखो उसकी चूत को सहला रहा है.
दोस्तों उस समय मोहन मेरे एकदम पास ही सटकर खड़ा हुआ था और मैंने देखा कि मोहन का लंड अब वो सभी काम देखकर धीरे धीरे खड़ा हो चुका था. फिर तुरंत ही मैंने उसके लंड को अपना एक हाथ लगाकर महसूस किया कि वो बहुत कड़क हो चुका था. अब मोहन थोड़ा चकित होकर मुझसे बोला दीदी आप यह क्या कर रही हो? तब मैंने उससे कहा कि जो वो लड़का उस लड़की के साथ कर रहा है तुम भी अब मेरे साथ ठीक वैसा ही करो, हमें बड़ा मज़ा आएगा. अब मोहन मेरे साथ एकदम चिपक गया और उसके बाद हम दोनों ने आपस में चूमना शुरू किया. उसी के साथ मोहन ने मेरी चूत पर कपड़ो के ऊपर ही अपने एक हाथ को रखकर सहलाना शुरू किया, जिसकी वजह से मुझे बड़ा मस्त मज़ा आ रहा था और हम दोनों ही मस्ती के सागर में गोते लगा रहे थे. वो मुझे चूमते हुए एक हाथ से मेरी चूत और अपने दूसरे हाथ से मेरे बूब्स को दबाने के साथ साथ सहला रहा था. फिर कुछ देर बाद हम अपना काम अधूरा छोड़कर उसी शाम को वापस अपने घर आ गये. हम दोनों के चेहरे खुशी से चमक रहे थे. फिर रात को खाना खा लेने के बाद हम दोनों छत पर चले गये.
दोस्तों वो रात बड़ी काली थी इसलिए ऊपर छत पर बहुत अंधेरा था. हमें आसपास का कुछ भी नजर नहीं आ रहा था और उस मौके का फायदा उठाकर मैंने उसी समय अपने सारे कपड़े उतार दिए और झट से मोहन का एक हाथ अपने हाथ से पकड़कर अपनी छाती पर रख दिया, जिसके बाद वो मेरा इशारा समझकर तुरंत ही मेरे बूब्स को मसलने लगा. वो बहुत जोश में आ चुका था और अब मैंने उससे कहा कि वो भी अपने कपड़े उतार दे और उसने ठीक वैसा ही किया, जिसकी वजह से अब हम दोनों ही पूरे नंगे हो चुके थे और पागलों की तरह हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे. अब मोहन मुझसे पूछने लगा दीदी मेरा लंड अब तन गया है, क्या अब में इसको आपकी चूत पर रगड़ना शुरू कर दूँ? देखो यह कैसे तनकर झटके देकर मुझे दर्द दे रहा है जो अब मुझसे सहा नहीं जाता.
मैंने तुरंत ही उसको हाँ कह दिया और में वहीं पर नीचे अपने दोनों पैरों को पूरा खोलकर लेट गई, जिसकी वजह से उसके सामने अब मेरी गीली जोश से भरी हुई कामुक चूत पूरी तरह से खुलकर फड़फड़ाने लगी और वो मेरे ऊपर लेट गया उसने अपना लंड मेरी चूत के मुहं पर रख दिया और उसके बाद उसके अपना पूरा दम लगाकर लंड को जबरदस्ती अंदर डालना शुरू किया और वो धक्के मारने लगा. दोस्तों मेरी यह पहली चुदाई और चूत एकदम कुंवारी थी, इसलिए वो बहुत टाईट होने के साथ साथ सील बंद थी, जिसमें उसका लंड कैसे अंदर जाता? लंड को अंदर डालने के लिए उसने अपना पूरा ज़ोर लगाया और उसने बड़ा तेज धक्का मारा जिसकी वजह से उसके लंड का टोपा मेरी चूत के अंदर जा पहुंचा और मेरी चूत में बड़ा तेज अजीब सा दर्द होने लगा और में अब कुछ भी बड़बड़ा रही थी, उससे में कहने लगी कि साले बहनचोद तूने आज मेरी कुंवारी चूत की सील को तोड़ दिया, देख में कितना दर्द से तड़प रही हूँ.
अब मोहन मुझसे बोल रहा था दीदी अब तुम मुझे टोको मत, चुपचाप मेरे नीचे पड़ी रहो और आज तो में तुम्हे चोदकर तुम्हारी इस चूत की प्यास को बुझा दूंगा और चूत के बाद में आज तुम्हारी गांड को भी अपना लंड डालकर ऐसे ही धक्के मारकर मस्त मज़े दूंगा, जो तुम्हे हमेशा याद रहेगा. अब में अपनी गांड को अपने एक हाथ से सहला रही थी और उसके बाद में उससे कहने लगी कि साले बहनचोद आ जा आज तू अपनी बहन की चूत को पहले अच्छे से चोद ले, ज्यादा बातें मत कर मादारचोद, पहले तू मेरी चूत को ठंडा कर और उसके बाद तू मेरी गांड में भी अपने लंड को डालकर उसके भी मज़े ले लेना. अब उस बहनचोद मोहन ने अपनी छिनाल बहन की कुंवारी चूत में अपना सनसनाता हुआ पूरा लंड अंदर डाल दिया जिसकी वजह से अब हम दोनों को बड़ा मस्त मज़ा आ रहा था. फिर करीब तीस मिनट तक वो मेरी चूत को वैसे ही धक्के देकर मेरी चुदाई करता रहा.
फिर कुछ देर वैसे ही तेज दमदार धक्के देने के बाद उसके लंड ने चूत के अंदर ही अपना वीर्य निकाल दिया और मैंने भी पेशाब कर दिया, जिसकी वजह से वीर्य और मेरा पेशाब दोनों ही बहकर बाहर आने लगे. उसके बाद हम दोनों आपस में चिपक गये और मोहन मेर्रे बूब्स के निप्पल को अपने मुहं में लेकर चूसने लगा और थोड़ी देर बाद मोहन मुझसे कहने लगा कि साली मेरी रंडी दीदी आज मैंने तेरी चूत की चुदाई का मज़ा ले लिया है. अब हम जब भी अकेले होंगे तब हम भाई बहन नहीं पति-पत्नी होंगे.
अब मैंने मोहन से कहा कि हाँ ठीक है भैया आज से तुम मेरे पति हो तुम जैसा चाहोगे में वैसा ही करूंगी और फिर मोहन ने मेरे मुहं से यह बात सुनकर कुछ देर बाद दोबारा अपने लंड को खड़ा करके मेरी गांड मारी जिसकी वजह से मुझे बहुत दर्द हुआ, लेकिन मज़ा भी बहुत आया और सारी रात हम दोनों ने कई बार चुदाई के वैसे ही मज़े लिए, जिससे हम दोनों का जोश उस खेल को खेलने में पहले से ज्यादा बढ़ने लगा था, इसलिए हम लगातार चुदाई का खेल खेलने लगे और अब हम दोनों रोज रात को या दिन भी जब कभी हमे अकेले में मौका मिलता तो आपस में एक दूसरे को गरम करके मस्त चुदाई करते और हमने निरोध का इस्तेमाल कभी नहीं किया था, इसलिए एक महीने बाद जब मेरी महावारी अपने समय से नहीं आई तब में बड़ी घबरा गई और यह बात मैंने अपने भाई को बताई.
फिर दूसरे दिन मेरा भाई मोहन मुझे अपने एक बहुत पक्के दोस्त की बहन के पास ले गया वो किसी हॉस्पिटल में नर्स का काम करती थी, इसलिए उसको इन काम का बहुत अच्छा अनुभव था इसलिए उसने मेरी सफाई तो कर दी, लेकिन वो अब मुझसे पूछने लगी क्यों आजकल तुम किसके लंड से अपनी चुदाई करवा रही हो? लगता वो लंड बड़ा दमदार है देखो उसने तुम्हारी चूत को चोद चोदकर इसका क्या हाल कर दिया है दिखने में यह कोई चूत कम भोसड़ा ज्यादा नजर आ रही है.
मैंने भी मुस्कुराते हुए उससे कह दिया कि में आजकल मोहन से अपनी चुदाई करवाती हूँ. मेरे मुहं से यह बात सुनकर वो बड़ी चकित होकर कहने लगी, लेकिन मोहन का लंड तो अभी बहुत छोटा होगा वो तुम्हारी चूत का ऐसा हाल कैसे कर सकता है? अब मैंने उसकी बातों से खुश होकर उसको असली चीज दिखने के लिए उसी समय मोहन को आवाज देकर अंदर बुला लिया, वो नर्स उषा जिसकी उम्र अभी 22 साल थी, उसने मोहन के अंदर आते ही तुरंत ही उसका लंड पकड़कर वो उससे बोली साले बहनचोद तूने अपनी सग़ी बहन को ही चोदकर उसको माँ बना दिया है मादरचोद तुझे अपनी इस बहन की ही चुदाई करनी थी, तो साले तुझे अपने लंड पर निरोध तो लगा लेना चाहिए था, उसके बाद तुम दोनों की जो मर्जी पड़े तुम वही सब करते, तुम्हे मना करने वाला देखने वाला कौन था? अब मोहन उससे बोला कि बहन जी बस यही हम दोनों से एक बहुत बड़ी ग़लती हो गई, वैसे यह सब हमारी नासमझी और नादानी की वजह से हुआ, क्योंकि मेरा चोदना और मेरी दीदी का मुझसे चुदवाना सब कुछ पहली बार था और उसके मज़े में हम इतने खो गए कि हमने आगे आने वाली इस मुसीबत के बारे में इतना कुछ नहीं सोचा था.
उषा थोड़ा गुस्से में उससे बोली कि साले तू मुझे बहन कहता है और मेरी चूत को एक बार भी हाथ नहीं लगता बहनचोद अब तू मेरी चूत को भी चोद मुझे भी तेरे इस लंड की ताकत यह जोश दिखा. मुझे भी तो चले तू बस बातें ही करता है या काम भी अच्छा कर सकता है और फिर उषा दीदी ने हम दोनों को उसी दिन वहीं पर सिखाया और समझाया कि एक सुरक्षित चुदाई कैसे की जाती है? हम उनसे वो सभी बातें सीखकर अपना काम खत्म होने के बाद वापस अपने घर चले आए.
फिर एक दिन उषा दीदी ने हम दोनों को अपने घर बुला लिया और जब हम उनके घर पहुंचे तब वो अपने घर में बिल्कुल अकेली थी. हम दोनों को अपने घर के अंदर लेते ही उन्होंने दरवाजा बंद किया और उसी समय उसने मेरे भाई मोहन का लंड अपने एक हाथ में पकड़कर उससे कहा कि चल आज तू मुझे अपने इस लंड के जलवे दिखा, इतना कहकर पहले उन्होंने तुरंत नीचे बैठकर लंड को पेंट से बाहर निकालकर उसको चूसकर खड़ा किया. उसके बाद अपने कपड़ो के साथ साथ मोहन को भी पूरा नंगा करके चुदाई का खेल खेलना शुरू किया, वो झट से लंड के खड़े होते ही नीचे लेट गई और मोहन को अपने ऊपर लेकर लंड को अपने एक हाथ से पकड़कर चूत के मुहं पर सेट किया.
फिर मोहन भी फिर क्यों पीछे हटता, उसने एक ही जोरदार धक्का देकर अपना पूरा लंड चूत की गहराइयों में डालकर तेज धक्के देने शुरू किए. अब वो मेरे सामने ही मोहन से अपनी चूत की चुदाई करवाने लगी. फिर में कुछ देर देखने के बाद कमरे से बाहर आ गई, लेकिन तभी उषा दीदी का भाई जिसका नाम दीपक था, जिसकी उम्र करीब 19 साल थी वो अचानक जाने कहाँ से आ गया और उसने अपनी उषा दीदी को मोहन के लंड से से चुदाई के मज़े लेते हुए देख लिया. फिर कुछ देर उनका वो खेल अपनी चकित आखों से देखने के बाद उसका लंड भी तनकर खड़ा हो गया. शायद अब उसका भी मन चुदाई करने का होने लगा था. में उसके मन की बात को तुरंत समझ गई, इसलिए मैंने उसको झट से पकड़ लिया और में उसको अपने साथ दूसरे कमरे में लेकर चली गई. वहां पर मैंने दीपक से अपनी चूत को चुदवाने का काम किया.
दोस्तों मुझे दीपक के साथ चुदाई करवाने में भी बहुत मज़ा आ रहा था क्योंकि उसका लंड मेरे भाई के लंड से आकार में लंबा होने के साथ साथ मोटा भी था और वो मुझे बहुत जोश में आकर तेज धक्के देता हुआ चोद रहा था, जिसकी वजह से में एक बार झड़ भी चुकी थी, लेकिन उसका जोश अब भी वैसा ही था. फिर कुछ देर धक्के देने के बाद वो भी झड़ गया और उसने तुरंत ही अपने लंड को मेरी चूत से बाहर निकालकर अपना पूरा वीर्य मेरे बदन पर निकाल दिया. उसके बाद भी वो मेरे बूब्स को दबाकर उसका रस निचोड़कर मेरी गीली चूत में अपनी एक उगली को डालकर कुछ टटोल रहा था. में वैसे ही अपनी दोनों आखों को बंद करके उसके सामने लेटी रही. तभी उसी समय वहां पर उषा दीदी आ गई और वो अब भी नंगी ही थी. उसने साथ मोहन भी था और उसने भी कपड़े नहीं पहने थे. अब उषा दीदी हंसती हुई अपने भाई से कहने लगी कि वाह साले दीपक बहनचोद, मोहन ने आज तेरी बहन की चूत को चोदा तो तूने भी मोहन की बहन को भी चोद डाला, क्या तेरा मेरी चुदाई करके मन नहीं भरा जो तू इसकी चूत के भी पीछे पड़ गया.
दोस्तों उस समय उस एक कमरे में हम चारो बहन भाई एकदम नंगे खड़े थे और फिर दीपक ने अपनी बहन उषा दीदी को भी पकड़कर हमारे सामने चोदना शुरू किया. हम दोनों भाई बहन खड़े खड़े उनका तमाशा देखने लगे. फिर कुछ देर बाद उषा दीदी मुझसे कहने लगी कि यह दीपक तो पक्का बहनचोद है यह पिछले चार सालो से मेरी चूत को चोद रहा है, क्योंकि इस घर के अंदर हम दोनों भाई, बहन के अलावा और कोई नहीं रहता इसलिए दीपक और में चार सालो से घर के अंदर हमेशा पूरे नंगे ही रहते है हम दोनों साथ में नहाते है और रात दिन एक ही बेड पर नंगे ही एक दूसरे से चिपककर सोते है और हर रात को जब तक दीपक मेरे बूब्स को नहीं पी लेता और अपने लंड से दो बार मेरी चूत की जमकर चुदाई नहीं कर लेता तब तक हम दोनों को नींद नहीं आती. दोस्तों हम दोनों को यह बातें बताते हुए ही उन दोनों ने अपनी चुदाई का काम खत्म किया और तब तक हम दोनों भी दोबारा जोश में आ चुके थे. मैंने नीचे बैठकर अब मोहन का लंड अपने मुहं में लेकर चूसना शुरू किया और कुछ देर चूसने के बाद उसने मेरी चूत पर चड़ाई करने का विचार बनाकर मुझे अपने सामने घोड़ी बनाकर एक ही जोरदार धक्के के साथ पूरा लंड अंदर डालकर मुझे जोश में आकर तेज धक्के देकर चोदना शुरू किया.
फिर उसी समय दीपक ने भी अपनी जगह बनाकर मेरे नीचे घुसकर मेरे बड़े आकार के झूलते हुए बूब्स को अपने मुहं में लेकर चूसना दबाना शुरू किया और उषा दीदी ने नीचे लेटे हुए अपने भाई के लंड को अपने मुहं में लेकर लोलीपोप की तरह चूसना शुरू किया. हम चारों को देखकर लग रहा था कि जैसे हम सब एक ही डोर में बंधे हुए है और जैसे जैसे हम झड़ते गए अलग होते चले गए और हम सभी के चेहरे ख़ुशी और संतुष्टि से चमक उठे थे और उस दिन के बाद हम चारों वैसे ही चुदाई करने लगे थे. कभी लंड पर निरोध लगाकर तो कभी बिना निरोध से हमने चुदाई के बड़े मज़े लिए और जब मेरी महावारी रुक जाती तो उषा दीदी मुझे अपने पास से कोई दवाई दे देती, जिसकी वजह से मेरी वो समस्या खत्म हो जाती और उसके बाद हम दोबारा उसी खेल में लग जाते. ऐसा करने में हम सभी को बड़ा मज़ा आने लगा था. वैसे भी कौन हमे रोकने वाला था. फिर कुछ महीनों के बाद मेरी शादी हो गई और उसके बाद फिर मोहन की भी शादी हो गई. आज में 48 साल की हूँ और मोहन भी 46 साल का है, लेकिन अब भी जब कभी हमे मौका मिलता है तो हम दोनों भाई बहन चुदाई करके अपनी चूत और लंड की प्यास को ठंडा करते हुए अपने वो पुराने दिनों को याद करते हुए मन ही मन बहुत खुश होते है. हमारे इस दूसरे रिश्ते के बारे में हम दोनों के अलावा घर में किसी को कुछ भी पता अभी तक भी नहीं है.
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आंटी की बेटी को चोदा


हैल्लो दोस्तों, मैंने अपने पड़ोस में रहने वाली आंटी को पटाया और उसे खूब चोदता था. फिर एक दिन मैंने आंटी की लड़की संगीता को पकड़ लिया और सिर्फ़ ऊपर का मज़ा देकर कह दिया था कि कल जब में तुम्हारी मम्मी को चोदूंगा तो तब तुम अपनी आँखों से पहले देख लेना कि तुम्हारी मम्मी कैसे चुदवाती है? और उसको कितना मज़ा आता है? इस तरह से तुम कुछ सीख भी जाओगी और तुम्हारी शर्म भी दूर हो जाएगी.
अब वैसे मेरी हरकतों से वो पूरी तरह खुल गयी थी और चुदासी भी हो गयी थी, मगर आंटी के आने का वक़्त हो चुका था, इसलिए में उसको नहीं चोदना चाह रहा था और आंटी की इजाज़त के बगैर उसको चोदना भी नहीं चाहता था, क्योंकि मुझे ज़्यादा उम्र वाली औरतों को चोदने में मज़ा आता है, मगर संगीता इतनी खूबसूरत थी कि में उसे चोदने को उतावला हो गया था. खैर फिर दूसरे दिन जब में आंटी के घर गया तो वो पिंक नाइटी में खुले बालों के साथ कयामत ढा रही थी.
अब मैंने दिल ही दिल में सोच लिया था कि आज इसको चोदते वक़्त इसकी लड़की के बारे में भी बात कर लूँगा और फिर में बाथरूम करने के बहाने से संगीता के रूम में गया और उसकी चूची दबाते हुए कहा कि देखो में तुम्हारी मम्मी को चोदने जा रहा हूँ, तुम लाईव ब्लू फिल्म देखने को तैयार रहना और वापस आंटी के रूम में आ गया और अपने कपड़े खोलकर नंगा हो गया था.
अब आंटी भी अपनी नाइटी उतारकर सिर्फ़ पेंटी और ब्रा में बैठी थी. फिर में भी पूरी तरह से नंगा होकर बिना किसी शर्म के उसके बगल में बैठ गया. फिर वो मेरे मुरझाए हुए लंड को अपने हाथ से सहलाने लगी और मेरा हाथ पकड़कर अपनी बड़ी-बड़ी बलदार जैसी चूचीयों पर रख दिया. फिर में आहिस्ता- आहिस्ता सहलाने लगा. फिर मैंने हल्के से खिड़की की तरफ देखा तो संगीता अंदर झाँक रही थी, तो तब मैंने उसे आँख मारी. फिर मैंने आंटी की बड़ी-बड़ी चूचीयाँ दबाते हुए कहा कि आंटी जी आपका संगीता के बारे में क्या ख्याल है? तो तब उन्होंने कहा कि क्या मतलब, में कुछ समझी नहीं?
मैंने कहा कि अब वो भी 18 साल की हो गयी है और मुझे उसके इरादे अच्छे नहीं लगते, आप तो जानती ही है आजकल का माहौल कैसा है? कहीं ऐसा ना हो कि वो बाहर किसी लड़के से चक्कर चला ले. तब आंटी ने गुस्सा होते हुए कहा कि क्या मतलब है तुम्हारा? तुमने मेरी बच्ची को क्या समझ रखा है? अब तो मेरी गांड ही फट गयी थी. फिर मैंने सोचा कि क्या बहाना ले लिया बेकार का? अब कहीं ऐसा ना हो ये गांड पर ठोकर मारकर भगा दे और में लड़की चोदने के चक्कर में अम्मा से भी हाथ धो बैठूँ. फिर मैंने बात संभालते हुए कहा कि ऐसी बात नहीं है आंटी, में तो आपको बताना चाह रहा था कि आजकल का जमाना बड़ा खराब है.
आंटी ने मुस्कराते हुए कहा कि मेरे चोदूं राजा में तो मज़ाक कर रही थी, मुझे क्या बता रहे हो जमाने के बारे में? अरे में तो खुद पता नहीं कितने लंड अपनी चूत में डलवा चुकी हूँ? मुझे पता है अब संगीता जवान हो गयी है, उसकी भी चूत में खलबली मचती होगी और यह हो भी सकता है कहीं उसका भी टांका भिड़ा हो, आजकल सब कुछ चलता है.
फिर उनकी बात सुनकर मेरी जान में जान आई और मैंने उसे एक जोरदार किस करते हुए कहा कि ऊऊहहूऊओ मेरी रंडी तूने तो डरा ही दिया, मेरी तो गांड ही फट गयी थी, अब में एक बात और कहना चाहता हूँ. तब उसने कहा कि में जानती हूँ कि अब तुम क्या कहना चाहते हो? इतने दिनों से तुम्हारे लंड के धक्के खा रही हूँ, अब तो में तुम्हारी रग-रग से वाक़िफ़ हो चुकी हूँ, तुम यही कहना चाह रहे होना कि अब संगीता जवान हो चुकी है, उसे एक लंड की जरूरत है और उसकी जरूरत तुम पूरी कर सकते हो, है ना? तो तब मैंने डरते-डरते कहा कि हाँ, में यही कहना चाह रहा था, लेकिन डर रहा था.
उसने कहा कि असल में कई दिन से में भी यही बात तुमसे कहना चाह रही थी, लेकिन अच्छा हुआ तुमने ही कह दिया, में अपनी फूल सी संगीता को तुमसे चुदवाने को तैयार हूँ और मुझे ख़ुशी भी हुई कि तुमने ये शुभ काम मुझसे पूछकर करना चाहा, वरना तुम बहुत चुदक्कड़ भी तो हो, तुम जानते हो किसी भी औरत को कैसे काबू में किया जाता है? फिर बेचारी संगीता तो अभी बच्ची है.
अब उधर संगीता खिड़की से सब बातें सुन रही थी और उसके चेहरे पर मुस्कान फैलती जा रही थी. तो तब ही आंटी ने कहा कि अब बातें बहुत चोद ली, कुछ करोगे भी या नहीं? तो तब मैंने तुरंत ही उसको वहीं बेड पर लेटा दिया और उसकी चूची को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा और अपना लंड उसकी चूत से सटाकर रगड़ने लगा था. फिर मैंने कहा कि आंटी आपकी झाँटे आजकल बहुत बड़ी हो गयी है, कब से नहीं बनाई? तो तब आंटी बोली कि बेटा आजकल वक़्त नहीं मिल पाता है, बनाऊँगी.
में बोला कि आंटी आप तो जानती है कि मुझे चूत चूसना कितना पसंद है? लेकिन अब आपने झाँटे उगा रखी है. तो तब आंटी बोली कि बेटा बोला ना कल बना लूँगी, चलो अब तुम मेरी चूची छोड़कर अपना पसंदीदा काम करो, मेरी चूत को चाटो.
अब में तो चूत चाटने का पूराना शौकीन हूँ, तो में तुरंत आंटी की फैली हुई चूत के नीचे 2 तकिए लगाकर अपने मुँह के सामने लाया और अपनी खुरदरी जीभ से उसकी बालों भरी चूत पर फैरने लगा और फिर गप से अपनी जीभ उसकी चूत के अंदर घुसेड़ दी और अपने दोनों हाथ उसकी गांड के नीचे ले जाकर ऊपर की तरफ उठाकर अपनी जीभ अंदर बाहर करने लगा था.
जब वो पूरी तरह से चुदासी हो गयी, तो तब मैंने अपना दांव खेला और एक तरफ जाकर लेट गया. तब आंटी ने कहा कि हाए राजा क्या हुआ? तुमने चूत चाटना छोड़ क्यों दिया? अब तो मेरी चूत रस टपकाने वाली है और तुम हो कि अलग होकर लेट गये, आख़िर क्या हुआ? तो तब मैंने कहा कि आंटी मन नहीं कर रहा है. तब आंटी ने कहा कि मन को मारो गोली, सही-सही बताओं क्या बात है? तो तब मैंने कहा कि आंटी अगर आप बुरा ना माने तो एक बात कहूँ.
फिर तब आंटी बोली कि अरे मेरे चोदूं जब चूत फैलाए तेरे सामने लेटी हूँ तो भला अब बुरा किस बात का मानूँगी? चल बता क्या बात है? तो तब मैंने कहा कि आंटी क्यों ना आज तुम्हारी बेटी को भी तुम्हारे साथ ही चोद डालूं तो कैसा रहेगा? तो तब आंटी एकदम से सकपकाकर बोली कि हाए राम कितने बदतमीज हो? तुम एक माँ से उसके सामने ही उसकी बेटी को चोदने को कह रहे हो. तब मैंने कहा कि तो क्या है?
तब आंटी बोली कि उसकी सील तुम्ही से तुड़वाऊँगी, लेकिन अब तुम मेरे सामने ही उसे चोदने को कह रहे हो, तो भला ऐसा कैसे हो सकता है? तो तब मैंने कहा कि संगीता को राज़ी करना मेरा काम है. तब आंटी ने कहा कि चलो अगर वो राज़ी हो जाती है तो मेरा क्या जाएगा? अब आज तो मुझे चोदो और मेरी टपकती हुई चूत के रस को पी जाओ.
अब आंटी के राज़ी होने पर में बहुत खुश हो गया था और उससे बोला कि में अभी पेशाब करके आता हूँ, तुम अपनी भोसड़ी ऐसे ही फैलाए लेटी रहना और फिर खिड़की पर आकर संगीता से कहा कि अब तुम बेफ़िक्र हो जाओ, कल तुमको भी तेरी माँ के बेड पर लेटाकर उसके हाथ से तेरी चूत फैलवाकर अपना लंड तेरी चूत में पेलूँगा तो तब तुझे जन्नत का मज़ा आएगा, अभी तो तुम फिलहाल अपनी माँ की चुदाई देखकर अपनी चूत में उंगली ही डालकर खल्लास हो जाना और फिर मूतकर आने के बाद मैंने पहले आंटी की चूत चाटी और फिर अपना लंड उसके मुँह में डालकर खड़ा करवाया.
जब मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया तो तब मैंने आंटी से कहा कि आज तुझे झूला आसान से चोदता हूँ, तुझको बहुत मज़ा आएगा मेरी रानी, चलो अब बेड से उतरो. तब आंटी की गांड फट गयी और बोली कि नहीं राजा उस आसन में मुझे बहुत दर्द होता है, उस आसन में चुदवाने से तभी मज़ा आता है जब लंड पतला या छोटा हो, मगर तुम्हारा लंड भी तो साला पूरा मूसल है और तुम चुदाई भी बहुत बेहरमी से करते हो, सरल आसन से चोद लो ना. तब मैंने कहा कि भोसड़ी वाली अब नाटक कर रही है, चल जैसा कह रहा हूँ कर, नहीं तो आज तेरी गांड भी फाड़ डालूँगा.
फिर तब वो बोली कि बहनचोद तू मानेगा थोड़ी, करेगा अपने मन की ही भले ही मेरी गांड फट जाए, चल साले भडवे तू भी क्या याद रखेगा? आज देखती हूँ तेरे लंड में कितना दम है? और फिर में जमीन पर खड़ा हो गया. अब मेरा लंड छत की तरफ तनकर खड़ा था और आंटी अपने दोनों पैर मेरी कमर के दोनों तरफ फैलाकर मेरे लंड पर बैठ गयी थी और अपने चूतड़ को सेंटर में लाकर एक उछाल मारी.
मेरा पूरा लंड उनकी चूत की गुफा में समा गया और फिर आंटी अपने चूतडों को ऊपर नीचे करने लगी. अब में भी उसी पोज़िशन में खड़ा था. अब आंटी ही धक्के लगा रही थी और अब संगीता खिड़की से अपनी माँ को चुदते हुए देख रही थी. अब उसकी भी हालत खराब हो रही थी और फिर कुछ ही देर में आंटी थक गयी और मुझसे बोली कि साले मादरचोद तू भी तो मेहनत कर, खाली खड़ा हुआ है, में ही धक्के लगा रही हूँ.
मैंने कहा कि साली रंडी चूत मरानी, अभी तेरी गांड फाड़ता हूँ और ये कहकर में उसी पोजीशन में आंटी को लिए धड़ाम से बेड पर गिर गया. अब आंटी की पीठ बेड की तरफ थी और जब में गिरा तो उनकी चीख निकल गयी हाईईईई, आआआह, मार डाला साले कमीने, बहुत हरामी है तू, साले अपनी माँ को भी ऐसे ही बेदर्दी से चोदता है क्या? आआआअ, मादरचोद, भडवे, अयाया, मार डाला भोसड़ी वाले, बहुत जल्लाद है तू, पता नहीं मेरी फूल सी बच्ची की क्या हालत बनाएगा? में कह देती हूँ अगर तुने जरा भी हरामीपन दिखाया तो तेरी गांड पर लात मारकर भगा दूँगी.
अब में समझ रहा था कि बेड पर गिरने से आंटी की भोसड़ी तक मेरा मूसल लंड घुस गया है, इससे उसको बहुत तकलीफ़ हो रही थी और उसकी आँख से आँसू भी निकल रहे थे. अब वो अयाया, आह करके कराह रही थी और बाहर संगीता की यह सीन देखकर ही गांड फटी जा रही थी.
थोड़ी देर के बाद ही आंटी नॉर्मल हो गयी और अब आंटी पूरी तरह से चुदाई के रंग में आ चुकी थी और अपनी गांड उठा-उठाकर धक्के मार रही थी और में भी गचा-गच आंटी को चोदे जा रहा था. अब तो वो मज़े की सिसकारी निकाल रही थी हाईईई, इसस्स्स्स्सस्स, अयययया राजा मज़ा आ रहा है और ज़ोर से धक्के मारो, प्लीज, जल्दी-जल्दी ताकत से धक्के मारो और फिर थोड़ी देर के बाद में झड़ गया.
दूसरे दिन आंटी से ही संगीता की नन्ही सी चूत को फैलाकर उसमें अपना मोटा लंड पेलकर उसकी दमदार चुदाई की और माँ बेटी के साथ खूब मजे लिए.
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भाभी की पर्फेक्ट चुदाई


हैल्लो दोस्तों, अब में आप सभी चाहने वालों को अपनी एक सच्ची घटना बताने वाला हूँ और में उम्मीद करता हूँ कि इसको पढ़कर आप लोगों को बहुत मज़ा आ जाएगा. दोस्तों जैसा कि आप लोगों को पता है कि मेरा लंड 7 इंच का है, जिसे देखकर कोई भी भाभी उसकी तरफ आकर्षित हो जाती है और अब में अपनी कहानी पर आता हूँ. दोस्तों में अपने परिवार के साथ मुंबई में रहता था और में जिस फ्लेट में रहता था, जिसके पास वाले फ्लेट में एक पंजाबी परिवार भी रहता था, उसमें अंकल, आंटी, उसकी बेटी जिसकी उम्र करीब 20 साल थी और उसका बेटा और उसकी बीवी और एक साल का बच्चा भी था. हम दोनों का परिवार बहुत ही कम समय में एक दूसरे से बहुत घुल मिल गए थे, हम कोई भी त्यौहार हो एक साथ ही मनाते थे, मेरी भी उन सबके साथ बहुत अच्छी बनती थी और उसकी बेटी जो 20 साल की थी, वो मेरे साथ ही पढ़ती थी तो इसलिए हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे. उसके बड़े भाई को में भैया और उसकी पत्नी को में भाभी कहकर बुलाता था.
अब में आप सभी लोगों को उस भाभी के बारे में भी थोड़ा विस्तार से बता देता हूँ. वो एक सीधी साथ लड़की थी और पंजाबी परिवार से थी, लेकिन एकदम टाईट सेक्सी माल और उसका नाम किंजल भाभी था. उसके फिगर का आकार 34-26-34 था और वो दिखने में किसी ब्लूफिल्म की हिरोइन से कम नहीं लग रही थी, वो हमेशा साड़ी ही पहनती थी और एक अच्छी बहू की तरह रहती थी, लेकिन उसका साड़ी पहनने का तरीका बहुत ही अच्छा था, वो एकदम टाईट साड़ी पहनती और साथ में बिना बाहं और पीछे से ज्यादातर खुला हुआ ब्लाउज पहनती थी, जिसकी वजह से उसका पीछे से पूरा नंगा बदन होता था और उसका हमेशा बीच में से पेट खुला हुआ होता था, जिसकी वजह से उसे आगे से देखो तो उसकी नाभि बहुत मस्त गहरी दिखती थी और जब उसे एक साईड से देखो तो उसकी कमर और नाभि उससे भी मस्त दिखती और उसके बूब्स साफ साफ दिखाई देते थे, क्योंकि उसके बूब्स बहुत बड़े थे.
दोस्तों पहले मेरे मन में भाभी के लिए ऐसा कुछ नहीं था, हम सब खुशी खुशी हर त्यौहार मनाते थे और में भी उनसे हंसी मजाक किया करता था, वो भी मेरी हर बात का हंसकर जवाब दिया करती थी और मुझे उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा बहुत अच्छा लगता था.
दोस्तों अब में धीरे धीरे  सेक्सी कहानियाँ पढ़ने लगा था और मुझे ऐसा करना बहुत अच्छा लगता. मैंने बहुत बार कई लोगों के सेक्स अनुभव के बारे में पढ़ा और धीरे धीरे मेरा उनको देखने का नजरिया बिल्कुल ही बदल गया, वैसे वो खुद भी मुझसे बहुत खुलकर बातें करने लगी थी और में उनसे कभी कभी दो मतलब वाली बातें करने लगा था, जिनको वो समझ जाती थी और कभी कभी मेरी तरफ मुस्कुरा देती थी और उस वजह से मेरी हिम्मत थोड़ी सी बढ़ने लगी थी.
एक दिन क्या हुआ कि? उनके घर पर उस दिन कोई भी नहीं था, सभी लोग बाहर गए हुए थे और उनके लिए खाना हमारे घर से बना था, क्योंकि उनकी तबियत थोड़ी सी खराब थी, वो सब मुझे बाद में पता चला. उस दिन में उन्हें खाना देने उनके घर पर चला गया और जब में उनके घर पर पहुंचा तो मैंने देखा कि दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था, इसलिए में बिना दरवाजे को बजाए सीधा ही अंदर चला गया, लेकिन अंदर जाने के बाद भी मुझे किंजल भाभी कहीं नहीं दिखी, इसलिए में उनके कमरे की तरफ चला गया. उनके कमरे का दरवाज़ा थोड़ा सा खुला हुआ था.
दोस्तों में अंदर घुसने ही वाला था कि तभी मेरी नज़र अंदर की तरफ पड़ी और मैंने देखा कि उस समय भाभी सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में बैठी हुई अपने बाल बना रही थी, जिसको देखकर में पहले तो बहुत चकित हुआ, लेकिन कुछ देर बाद में उन्हें घूर घूरकर देखने लगा, मेरी आखें वो सब देखकर फटी की फटी रह गई, वाह दोस्तों वो क्या मस्त लग रही थी, उनका गोरा बदन, बड़े आकार के बूब्स को देखकर मेरा लंड तो तनकर खड़ा हो गया, क्योंकि मैंने आज पहली बार उन्हें इस तरह कम कपड़ो में देखा था और में वहीं पर खड़ा होकर अपना लंड जीन्स के अंदर ही हिलाने लगा. फिर कुछ देर दिखने के बाद वो अब खड़ी हो गई और साड़ी पहनने लगी और तैयार हो गई. उसने उस समय पीले कलर की साड़ी और काले कलर का ब्लाउज पहना हुआ था, उसमें वो और भी कातिल लग रही थी.
फिर में जल्दी से मौका देखकर तुरंत बाहर चला गया और अब मैंने दरवाजे पर लगी घंटी बजाई. तभी कुछ देर बाद वो आई तो मैंने उनसे कहा कि यह आपका खाना तो उन्होंने मुझे अंदर आने को कहा और में अंदर चला गया. दोस्तों उसे शायद पता नहीं था कि दरवाजा पहले से ही खुला हुआ था और में उन्हें उस हालत में देख चुका हूँ. फिर हमने थोड़ी देर इधर उधर की बातें की और फिर कुछ देर बाद में उठकर उनके बाथरूम में चला गया, जहाँ पर मैंने देखा कि वहां पर उसकी दूसरी ब्रा और पेंटी खूँटी पर लटकी हुई थी. मैंने उसे नीचे उतरकर सूँघकर वहीं पर उनके नाम की मुठ मार ली और बाहर आ गया.
दोस्तों उस दिन मैंने पहली बार भाभी के नाम की मुठ मारी थी. मुझे ऐसा करने में बहुत मज़ा आया और तब से मुझे उसको चोदने का विचार मेरे मन में आने लगा था और में विचार करने लगा कि अब कैसे इसको चोदा जाए? अब मुझे जब भी मौका मिलता तो में उसे लाईन मारता और उसके गोरे बदन को घूरता और बड़े बड़े बूब्स को लगातार देखता रहता था और अब में जितना हो सके उससे ज़्यादा बातें करता और जब भी वो अकेली होती तो में उनके घर पर चला जाता और हम बहुत हंस हंसकर बातें करते, हम बहुत खुलकर भी बातें करने लगे थे, हमारे बीच हंसी मजाक अब कुछ ज्यादा ही बड गया था.
एक दिन वो भैया हमारे घर पर आए और उन्होंने मेरे घर पर मेरी मम्मी, पापा को कहा कि हम लोग गावं जा रहे और वो किंजल भाभी और उसकी बहन मीनल यहीं पर रुकेगी तो आप लोग थोड़ा उनका ध्यान रखना, क्योंकि वो दोनों घर पर बिल्कुल अकेली रहेगी. फिर मेरी माँ ने उनसे कहा कि आप बिल्कुल भी चिंता मत करो, में उनकी पूरा पूरा ध्यान रखूंगी, आप लोग चले जाओ. दोस्तों अब मेरे मन में विचार आया कि यही बिल्कुल सही मौका है भाभी को पटाने का, लेकिन उस मीनल का कुछ करना पड़ेगा, क्योंकि वो भी घर पर रहेगी? दोस्तों में मन ही मन में सोचने लगा कि हमारा कॉलेज जाने का समय सुबह का था तो वो उस समय कॉलेज चली जाएगी और पूरे दिन भाभी घर पर बिल्कुल अकेली रहेगी और मुझे पहले से ही इस बात का भी पता था कि कल पूरे दिन मेरे घर वाले किसी शादी में जाने वाले है और वो शाम को वापस आएँगे, इसलिए मैंने बीमार होने का नाटक करने का विचार किया.
फिर अगले दिन सुबह 6 बजे किंजल भाभी के परिवार वाले गाँव चले गए और फिर मैंने बीमार होने का नाटक किया तो मुझसे मेरे घर वालों ने कहा कि तुम आज कॉलेज मत जाना और मैंने कहा कि ठीक है. फिर मीनल मुझे कॉलेज जाने के लिए बुलाने आई, क्योंकि हम दोनों साथ ही कॉलेज जाते थे तो मैंने उससे कहा कि आज में नहीं आ सकता, मेरी तबियत खराब है. फिर उसने मुझसे कहा कि ठीक है और फिर वो अकेली ही कॉलेज चली गयी.
अब में अपने घर वालों के जाने का इंतज़ार कर रहा था और करीब 9 बजे मेरे घर वाले भी शादी में चले गये और उन्होंने मुझसे कहा कि तुम दिन का खाना किंजल भाभी के यहाँ पर खा लेना, अगर तुम्हारी तबियत अच्छी रहे तो मैंने कहा कि ठीक है और अब में और भाभी अकेले थे. करीब 11 बजे में सो रहा था तो भाभी मेरा हालचाल पूछने मेरे पास आई और में बस उनके बारे में ही सोच रहा था, वो साड़ी में बहुत मस्त लग रही थी. फिर उसने मुझसे पूछा कि अब तुम्हारी तबियत कैसी है? मैंने कहा कि ठीक है और उसने मुझसे कहा कि तुम खाना खाने आ जाना.
12:30 पर में उनके घर पर गया और में एक नींद की गोली लेकर गया, क्योंकि मुझे पता था कि वो इतनी आसानी से नहीं मानने वाली थी और अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था और मुझे कैसे भी करके उसके साथ सेक्स करना था. में उनके घर पर गया तो इस बार उसने कपड़े बदले हुए थे, उसने बहुत मस्त ड्रेस पहनी हुई थी और जो पीछे से तो बिल्कुल खुली हुई थी, मेरा तो उसे देखते ही लंड खड़ा हो गया.
फिर में अंदर चला गया और फिर उसने मुझसे कहा कि तुम टी.वी. देखो और तब तक में तुम्हारे लिए खाना लगा देती हूँ, लेकिन दोस्तों मेरा ध्यान टी.वी. में था ही नहीं, मेरा ध्यान तो बस उसके बदन पर था, वो जब भी चलती तो उसकी गांड मटकती और वो देखकर तो मेरा बहुत बुरा हाल हो रहा था. फिर हम खाना खाने बैठ गए और अब मुझे वो नींद की गोली उसके पानी के गिलास में डालनी थी, इसलिए मैंने उनसे ऐसे ही कहा कि भाभी मुझे थोड़ा नमक दीजिए ना. फिर वो उठी और किचन में चली गयी और वो जब तक वापस आई, तब तक मैंने उसके गिलास में वो गोली डाल दी, लेकिन उसे इस बात का पता नहीं था और फिर हम ऐसे ही बात करने लगे. फिर मैंने भाभी से पूछा कि भाभी क्या आपका कॉलेज में कोई बॉयफ्रेंड नहीं था? तो उसने मुझसे कहा कि नहीं कोई नहीं था.
में : अरे क्यों आप तो इतनी सुंदर हो फिर भी?
भाभी : हाँ उस समय मुझे मेरे कॉलेज में लाईन तो बहुत मारते थे, लेकिन में खुद जानबूझ कर ऐसे चक्कर में नहीं पड़ना चाहती थी.
में : तो फिर आपने भैया को कैसे पसंद किया?
भाभी : बस हम एक साथ एक ही ऑफिस में काम करते थे, इसलिए हमारी बातें शुरू होते हुए हम बहुत आगे बढ़ने लगे और हमे एक दूसरे से प्यार हो गया और फिर हमने शादी कर ली, लेकिन.
में : हाँ, लेकिन क्या भाभी प्लीज बताओ ना.
भाभी : कुछ नहीं, लेकिन हाँ क्यों तुम्हारी तो कोई गर्लफ्रेंड होगी ही?
में : हाँ पहले थी भाभी, लेकिन अब मेरी उससे बात बिल्कुल बंद हो गई है और अब मुझे कोई भी लड़की पसंद ही नहीं आती, क्योंकि मुझे आप जैसे कोई सुंदर मिल नहीं रही है.
भाभी : अच्छा तो तुम्हें मेरी जैसी बीवी चाहिए.
में : हाँ भाभी अगर कोई है तो आप मुझे जरुर बता देना.
दोस्तों मुझे उनकी बातों से ऐसा लगा कि वो अपनी सेक्स लाईफ से बहुत मायूस लग रही है. फिर हमारा खाना हो गया और फिर हम साथ में टी.वी. देखने लगे और अब में इंतज़ार कर रहा था कि कब गोली का असर चालू हो. फिर भाभी ने मुझसे कहा कि अमन मुझे कुछ चक्कर आ रहे है. फिर मैंने पूछा कि क्या हुआ भाभी? तो उन्होंने मुझसे कहा कि पता नहीं, लेकिन मुझे बहुत अजीब सा महसूस हो रहा है. फिर मैंने उनसे कहा कि भाभी आप बेडरूम में जाकर लेट जाओ और में तब तक टी.वी. देखता हूँ. फिर वो उठकर खड़ी हुई और अपने बेडरूम में जाने लगी, तभी वो गिरने ही वाली थी कि तुरंत मैंने उसे पकड़ लिया और अपना सहारा दे दिया और फिर मुझे मानो उसके गोरे बदन को छूकर करंट सा लग गया. मैंने उनसे कहा कि भाभी में आपको बेडरूम में छोड़ देता हूँ और फिर उसे उसके बेडरूम में लेकर चला गया और तब तक मैंने उसके पूरे शरीर को छू लिया था और वो मेरा विरोध करने की हालत में बिल्कुल ही नहीं थी. फिर मैंने उसे बेड पर लेटा दिया था और अब उसे नींद आने लगी थी.
अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपनी टी-शर्ट और पेंट को उतार दिया और में पूरा नंगा हो गया. मेरा लंड पूरा तनकर खड़ा हो गया था, भाभी अब बेड पर उल्टी लेटी हुई थी और में सीधा बेड पर गया और में उनकी कमर पर हाथ फेरने लगा और कमर पर उसके कपड़ो के ऊपर से किस भी करने लगा था, क्योंकि पीछे से वो पूरा खुले हुए कपड़े पहनती थी और में धीरे धीरे उसकी गर्दन को, शरीर को किस करने लगा था और फिर में उसके ऊपर चड़ गया और अब में अपना लंड उसकी गांड को छू रहा था और में उसके पेट पर हाथ घुमा रहा था और कमर और गर्दन पर किस करता रहा.
करीब 10 मिनट के बाद में नीचे उसकी गांड की तरफ गया और उसे कपड़ो के ऊपर से ही चूसने लगा और ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा. दोस्तों वो तो बिल्कुल होश में ही नहीं थी, लेकिन में तो पूरे जोश में था और ऐसे ही करीब 5 मिनट के बाद मैंने उसे सीधा किया. अब वो चीज़ मेरे सामने थी, जिसको में बहुत बेसब्री से दबाने का इंतज़ार कर रहा था. अब में उसके ऊपर आ गया और मैंने उसके होंठो पर किस किया, ओह यार क्या मज़ा आया, में उसे किस करने लगा और इस तरह मैंने उसकी गर्दन पर भी किस किया.
फिर में धीरे धीरे नीचे आया और उसके मस्त रसीली नाभि पर हाथ रखा और उसे चूसने लगा, में उसके ऊपर टूट पड़ा. मैंने उसके पूरे पेट को किस किया और एक हाथ मैंने धीरे से उसके बूब्स पर रख दिया और एक हाथ उसकी नाभि पर. फिर में उसके बूब्स पर आया और उसके कपड़ो के ऊपर से ही चूसने लगा और एक हाथ से दबा भी रहा था. तभी में दूसरे बूब्स को ज़ोर ज़ोर से चूस रहा था, वाह क्या मुलायम मुलायम बूब्स थे, अभी तो में ऊपर से दबा रहा था और में तो उसके बूब्स पर टूट ही पड़ा था, मन तो किया कि साली के कपड़े फाड़ दूँ और इसके बूब्स को चूसने लग जाऊँ, लेकिन मैंने कंट्रोल किया, में फिर से उठा और मैंने धीरे धीरे उसके सारे कपड़े उतार दिए और अब वो मेरे सामने नंगी खड़ी थी. अब में वापस उसके ऊपर चड़ गया और बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा और होंठो पर किस करने लगा.
में उसके बूब्स को चूसता रहा और दबाता रहा. में करीब 15 मिनट तक ऐसे ही बूब्स को दबाता रहा, लेकिन फिर वो थोड़ी हिलने लगी, मन तो कर रहा था कि उसके बूब्स को में लगातार दबाता ही रहूँ, लेकिन सोचा कि अगर जाग जाएगी तो काम अधूरा रह जाएगा और अब में धीरे से उसकी चूत पर आ गया और चूमने लगा और मुझे ऐसा करने में बहुत ही मज़ा आ रहा था. में अपनी जीभ से उसकी चूत को चाट रहा था. अब वो शायद थोड़ा होश में आ रही थी और उसकी आँख खुल गई थी तो मैंने अपना मोबाईल निकाला और में उसके पास में सो गया और मैंने उसके 2-3 बूब्स दबाते हुए फोटो भी लिए, क्योंकि में अब उसके साथ और भी सेक्स करना चाहता था, लेकिन ऐसे नहीं उसकी मंज़ूरी के साथ, इसलिए मैंने फोटो खींच लिए और वो फोटो भी ऐसे आए मानो कोई ज़बरदस्ती नहीं वो अपने आप अपनी मर्जी से सेक्स कर रही है, ऐसे आए.
दोस्तों अभी भी उसे कुछ भी पता नहीं था कि उसके साथ क्या हो रहा है? अब में उठा और उसकी चूत की तरफ बढ़ा और अपना खड़ा लंड लेकर अब मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुहं पर रगड़ा और फिर धीरे धीरे उसकी चूत में धक्के देने लगा. तब मैंने महसूस किया कि उसकी चूत एकदम टाईट थी, जैसे सालों से उसकी किसी ने चुदाई नहीं की हो. अब में जल्दी से उठकर एक तेल की बोतल ले आया. मैंने थोड़ा सा तेल अपने लंड पर लगाया और फिर धक्के दिए, जिसकी वजह से मेरा आधा लंड फिसलता हुआ चूत के अंदर घुसने लगा और फिर मैंने एक ज़ोर का धक्का दे दिया और मेरा लंड उसके अंदर उसका थोड़ा खून भी बाहर निकला.
में धीरे धीरे धक्के देने लगा. करीब दस मिनट के बाद अब में जोश में आ गया था और मैंने ज़ोर ज़ोर से उसे चोदना शुरू किया. मैंने अपनी जितनी ताक़त थी, वो सब लगा दी और उसकी चुदाई कर रहा था. फिर करीब 15 मिनट के बाद मैंने उसे कुतिया बनाई. फिर उस पोज़िशन में भी चोदा और कभी उसकी गांड में भी धक्का मार देता, जिससे उसकी गांड लाल हो गयी थी, एक तरफ में उसे ज़ोर से धक्के मार रहा था और दूसरी तरफ उसके बूब्स को दबा रहा और उन्हें भी मैंने एकदम लाल कर दिए थे.
दोस्तों करीब 10-15 मिनट तक चोदने के बाद में अब झड़ने वाला था तो मैंने अपनी स्पीड को बड़ा दिया और 5 मिनट के बाद मैंने अपना पूरा स्पर्म उसकी चूत के अंदर ही डाल दिया, मुझे बहुत मज़ा आया. अब में उसके ऊपर और अपना लंड चूत में ही रखकर सो गया. दोस्तों वो अभी भी अपने पूरे होश में नहीं थी. करीब आधे घंटे के बाद में उठा और उसके बूब्स को दबाने लगा और मैंने एक बार फिर से उसकी चुदाई शुरू कर दी और चुदाई खत्म होने के बाद मैंने उसे उठाया और जैसे तैसे उसके कपड़े पहनाए और सीधा लेटा दिया और में अपने घर पर चला गया. फिर में घर जाकर सो गया.
करीब 6 बजे दरवाजे की घंटी बजी, में उस समय शॉर्ट्स में था और में उठकर दरवाजा खोलने चला गया, जैसे ही मैंने दरवाजा खोला तो किंजल भाभी मेरे सामने खड़ी हुई थी और उसने नाईट ड्रेस की जगह साड़ी पहन ली थी. फिर मैंने उनसे पूछा कि क्या भाभी अब आप ठीक हो, आपको चक्कर आ रहे थे ना? तो भाभी ने कहा कि हाँ में अब एकदम ठीक हूँ, भाभी को शायद पता नहीं था कि उनके साथ कुछ देर पहले क्या हुआ था?
फिर वो अंदर आई और उसने मुझसे पूछा कि तुम कब चले गये? तो मैंने कहा कि मैंने थोड़ी देर टी.वी. देखी. फिर मैंने आपको बहुत बार आवाज़ दी, लेकिन आपने मुझे कुछ जवाब ही नहीं दिया, मुझे लगा कि आप शायद सो गयी होगी और फिर में दरवाजा बंद करके चला गया. दोस्तों मुझे ऐसा लगा कि भाभी को शायद अब दर्द हो रहा था, क्योंकि वो बार बार बात करते समय अपना एक हाथ अपनी चूत पर रख रही थी और वो ठीक से बैठ भी नहीं रही थी, उसे थोड़ा शक हुआ कि मैंने उसके साथ कुछ किया है, मुझे उसके चेहरे से ऐसा लग रहा था. फिर वो कुछ देर बाद उठकर चली गयी और थोड़ी देर बाद मेरे घर वाले भी आ गये, लेकिन अभी भी मेरा मन नहीं भरा था और में उसे और भी चोदना चाहता था, लेकिन फिर से बेहोशी में नहीं उसके सामने ही, इसलिए में विचार करने लगा.
मुझे पूरे एक महीने तक ऐसा कोई मौका नहीं मिला, जिसका में फायदा उठा सकता. एक दिन दोबारा मेरे पूरे घर वाले एक सप्ताह के लिए कहीं बाहर चले गये थे और वो भी पूरे परिवार वाले उनके गाँव चले गए, इसलिए में घर पर एकदम अकेला था. फिर ऐसा ही मेरे साथ 2-3 बार हो चुका था. फिर एक रात को मेरे दरवाजे की घंटी बजी. फिर मैंने उठकर दरवाज़ा खोला और जब मैंने देखा तो मेरे पास वाले भैया और भाभी बाहर खड़े हुए थे, तो मैंने उनसे कहा कि अरे आप लोग और मैंने उन्हें अंदर बुला लिया. भैया ने कहा कि ऑफिस के काम की वजह से हमे थोड़ा जल्दी आना पड़ा और अब उनके घर वाले 3-4 दिन बाद आयेंगे और वो उनके घर की चाबी भी अपने साथ लेकर चले गये है और फिर मैंने उनको अपने पास से उनकी चाबी दे दी, क्योंकि हम में से कोई भी बाहर जाता है तो दूसरी चाबी को एक दूसरे के घरे पर रखते है. फिर अगले दिन 10 बजे में उनके घर पर गया तो मैंने देखा कि उस समय भाभी किचन में थी.
मैंने उनसे पूछा कि भैया कहीं नज़र नहीं आ रहे है? तो उन्होंने मुझसे कहा कि उनको ऑफिस के काम के लिए एक वीक के लिए बाहर जाना था तो इसलिए वो सुबह ही चले गये. फिर मैंने कहा कि अरे उन्होंने मुझे बताया नहीं कल रात को जब आप हमारे घर आए थे, तब बता देते तो में उन्हें एरपोर्ट तक छोड़ देता. फिर भाभी ने कहा कि नहीं, वो भूल गये थे और वैसे भी उन्होंने एक टेक्सी बुक करवा ली थी. अब मैंने कहा कि ठीक है और उनसे पूछा कि मीनल कब आ रही है? उसने मुझसे कहा कि वो अभी 3-4 दिन बाद आएगी और हम दोनों ऐसे ही बातें करने लगे.
फिर में कुछ देर बाद अपने घर चला गया और घर पर आकर में उनके नाम की मुठ मारने लगा और मैंने मन ही मन सोचा कि यही अच्छा मौका है भाभी को दोबारा चोदने का. फिर रात हो गयी और करीब 8 बजे भाभी मेरे घर पर आई और उन्होंने मुझसे कहा कि अमन चलो मार्केट मुझे कुछ सामान लेना है तो फिर मैंने कहा कि ठीक है. फिर हम दोनों मेरी बाईक पर निकल गये और फिर जब भी ब्रेकर आता तो में अचानक से ब्रेक लगा देता तो उसके बूब्स मेरी कमर से टकराते और मुझे बहुत मज़ा आता.
दोस्तों उस वक़्त उसने काली कलर की साड़ी और काले कलर का ब्लाउज पहना हुआ था और उसकी लाल कलर की ब्रा मुझे साफ साफ नज़र आ रही थी. फिर हम दोनों मार्केट में करीब एक घंटा घूमे और हम घर के लिए निकल गये. तभी अचानक से बारिश शुरू हो गयी, क्योंकि वो बारिश का मौसम था, इसलिए हम अपने घर पर पहुंचते पहुंचते पूरे भीग गये थे और भाभी भी बारिश में पूरी भीग चुकी थी और उनकी वो साड़ी उनसे बिल्कुल चिपक गयी थी और वैसे भी वो थोड़ी टाईट साड़ी पहनती है, इसलिए भाभी भीगने की वजह से बहुत मस्त सेक्सी लग रही थी, उसके बाल खुल चुके थे और उनसे पानी टपक रहा था, में तो बस उसे ही देखता रहा, वो उसकी काली कलर की साडी और उसका वो गोरा बदन जिसमें वो एकदम पटाका लग रही थी. फिर हम घर पर आ गये और हम सीधे उनके घर पर चले गये और सामान रख दिए.
तभी उन्होंने मुझसे कहा कि में अपने कपड़े बदलकर अभी आती हूँ और तब तक तुम भी फ्रेश होकर आ जाओ, लेकिन दोस्तों मेरा पूरा ध्यान अब उसकी कमर पर ही था. फिर उसने मुझसे कहा कि हैल्लो तुम्हारा ध्यान कहाँ है? तो मैंने कहा कि कुछ नहीं भाभी और फिर वो जाने लगी. तभी मैंने हिम्मत करके बोल दिया कि क्यों भाभी, भैया को तो रात को बहुत मज़ा आ जाता होगा ना? तो वो मुझसे कहने लगी कि तुम क्या कहना चाहते हो? फिर मैंने उनसे पूछा कि भाभी उस दिन आपको कुछ महसूस हुआ था, जब आपको चक्कर आ रहे थे? तो उन्होंने कहा कि हाँ थोड़ा बहुत, लेकिन तुम यह सब मुझसे क्यों पूछ रहे हो? तो मैंने बहुत हिम्मत करके उनको बोल ही दिया कि उस वक़्त मैंने आपकी चुदाई की थी और मुझे आपके चेहरे से बहुत संतुष्ट लगी थी, जब आप मेरे घर पर आई थी. दोस्तों वो तो मेरी पूरी बात सुनकर एकदम से चकित हो गई और वो मुझसे बोली कि क्या तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों किया, में यह सभी बातें तुम्हारे घरवालों को बता दूँगी, लेकिन मेरा ध्यान अब भी उसके उभरते हुए बूब्स पर ही था.
फिर उन्होंने मुझसे बहुत गुस्से में आकर कहा कि निकल जा अभी मेरे घर से और वो मुझसे इतना कहकर बाथरूम में जाने लगी. तभी मैंने झट से उसका एक हाथ पकड़ लिया और उसे तुरंत मेरी तरफ खींच लिया और हाथ पेट से होते हुए कमर पर रख दिया और में अब किस करने लगा और अब भी वो मुझसे दूर जाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन मैंने उसके होंठो को ज़बरदस्ती चूमा और काटने लगा.
5 मिनट के बाद मैंने जैसे ही उसे छोड़ा तो वो मुझसे कहने लगी कि चले जाओ यहाँ से निकल जाओ मेरे घर से. फिर मैंने उनसे कहा कि भाभी अब मुझसे और नहीं रहा जाता, प्लीज मुझे एक बार आपके साथ सेक्स करना है तो वो बोलने लगी कि में तुम्हें बहुत अच्छा लड़का समझ रही थी, लेकिन तुम तो साले धोखेबाज निकले, में उसे ज़बरदस्ती पकड़कर बाथरूम ले गया और ज़ोर ज़ोर से उसके भीगे बदन पर किस करने लगा और वो रोने लगी और मुझसे कहने लगी, प्लीज़ मुझे छोड़ दो. फिर मैंने कहा कि देखो में तुम्हें आज चोदकर ही रहूँगा, इसलिए अब तुम चुपचाप मेरा साथ दो, वो तो बार बार सिर्फ एक ही बात बोलने लगी, प्लीज मुझे छोड़ दो, में ऐसा नहीं कर सकती, लेकिन में उसे लगातार किस करता रहा.
दोस्तों में तो अब सातवें आसमान पर पहुंच चुका था, मुझे उसके भीगे हुए बदन को किस करते हुए बहुत मज़ा आ रहा था. फिर मैंने पानी चालू कर दिया और में उनके बूब्स को साड़ी के ऊपर से ही किस करने लगा था और ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा था, लेकिन कुछ देर बाद अब वो थोड़ा शांत होने लगी थी और धीरे धीरे सिसकियाँ भी लेने लगी थी, आह्ह्ह्हह्ह आईईईइ. फिर मैंने उसकी साड़ी को पूरी उतार दिया और पेटिकोट को भी निकाल दिया और अब वो ब्लाउज में और पेंटी में थी और अब में ब्लाउज के ऊपर से ही ज़ोर ज़ोर से बूब्स को दबाने लगा था, जिसकी वजह से वो धीरे धीरे बोल रही थी, उफ्फ्फ्फ़ प्लीज थोड़ा धीरे दबाव आईईईईइ मुझे बहुत दर्द हो रहा था आह्ह्ह्ह्ह, लेकिन में तो और ज़ोर से दबाने लगा, में कुछ देर दबाता और फिर उसकी नाभि पर भी किस करता.
मैंने जोश में आकर उस ब्लाउज को फाड़ डाला और ब्रा भी पूरा फाड़ दिया और अब मैंने उसे अपने सामने पूरा नंगा कर दिया था. अभी भी वो कभी कभी बोलती प्लीज़ छोड़ दो मुझे, अगर मेरे पति को पता चल गया तो में क्या करूंगी? लेकिन में उस समय तो पूरे जोश में था, में नीचे उसकी चूत पर गया और उसे जीभ से चाटने लगा और वो सिसकियों की आवाज़ करने लगी, आहहहहह उफफ्फ्फ्फ़ प्लीज छोड़ दो मुझे, आह्ह्ह्ह अब में धीरे धीरे चूत में उंगली करने लगा और उसके बाद मैंने करीब दस मिनट तक उसकी चूत को चाटी.
फिर में वापिस खड़ा हुआ और बूब्स को दबाने लगा और साथ ही उसे किस भी करने लगा. मैंने कुछ देर ऐसा ही किया और फिर मैंने पानी को बंद करके उसे अपनी गोद में उठा लिया और बेडरूम में लाकर पटक दिया, हम अभी भी पूरे भीगे हुए थे. मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुहं पर रखा और एक ज़ोर का धक्का दे दिया और गीली चूत में मेरा लंड फिसलता हुआ पूरा अंदर चला गया और वो चीखी अहहह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ ऊउईईईईईइ माँ मार डाला. अब में ज़ोर ज़ोर से धक्के देने लगा. कुछ देर बाद मैंने अपनी स्पीड को बढ़ा दिया और वो भी ऑश उफ्फ्फ हाँ चोदो मुझे उफ्फ्फ्फ़ हाँ आहउहह ज़ोर से चोदो मुझे करने लगी. दोस्तों मैंने करीब 15 मिनट उसे लेटे लेटे चोदा और साथ में बूब्स को चूसता, दबाता भी रहा. फिर हम दोनों खड़े हुए और में नीचे ले गया और अब उसे मैंने अपने लंड के ऊपर बैठा दिया. उसने धीरे धीरे नीचे बैठते हुए मेरा पूरा का पूरा लंड अपनी चूत में डाल लिया और वो अब ऊपर नीचे होने लगी थी.
फिर हमने अपनी स्पीड को बढ़ा दिया और वो बहुत जोरदार स्पीड से ऊपर नीचे होने लगी थी और अब उसे भी बहुत मज़ा आने लगा था. फिर मैंने कहा कि भाभी मुझे आपको उस दिन बेहोशी में चोदने में ज्यादा मज़ा नहीं आया था, इसलिए आज मैंने आपके साथ ज़बरदस्ती की, लेकिन आज मुझे बहुत मज़े आ रहे है. फिर भाभी ने कहा कि बस एक ही बार इसके बाद दोबारा कभी नहीं, तुम्हें आज जितना भी करना है कर लो, में इसके बाद तुम्हारे झांसे में कभी नहीं आउंगी, क्योंकि मुझे मेरी इज्जत भी बचानी है और तुम्हारे साथ यह सब करने के बाद मेरी बहुत बेज्जती होगी और में ऐसा कभी भी नहीं करूंगी. फिर मैंने उनसे कहा कि भाभी जी अब तो मेरा जब भी मन करेगा, में आपको ही बुलाऊंगा, क्योंकि मेरे पास आपकी फोटो है और मैंने उनको वो फोटो भी दिखाई और उनसे कहा कि अगर आप नहीं मानी तो में यह फोटो सबको दिखा दूंगा और हम बातें करते करते ही चुदाई कर रहे थे.
फिर उन्होंने मुझसे कहा कि प्लीज़ तुम यह फोटो किसी को मत बताना. फिर मैंने कहा कि ठीक है, लेकिन में जब भी चुदाई करने की कहूँगा आप मुझे ना नहीं करोगे? तो उन्होंने कहा कि हाँ ठीक है, में तुम्हें अपने साथ वो सब कुछ करने दूंगी. फिर में खड़ा हुआ और हमने 2 अलग अलग पोज़िशन में चुदाई की, तब तक भाभी ने 3-4 बार अपनी चूत का पानी छोड़ दिया था और फिर मैंने उनसे कहा कि अब मेरा भी निकलने वाला है तो उन्होंने मुझसे कहा कि तुम मेरे अंदर ही डाल दो. फिर मैंने कहा कि नहीं तुम मेरा पूरा वीर्य चाट जाओ तो वो मना करने लगी, लेकिन मैंने तुरंत लंड को चूत से बाहर निकाल लिया और उसके मुहं की तरफ ले गये और तेज़ी से हिलाते हुए मैंने अपना स्पर्म उसके मुहं में निकाल दिए और वो अब मेरा लंड चाटने लगी. उसके बाद हम एक दूसरे से चिपककर लेट गये.
फिर रात को भी हमने बहुत जमकर चुदाई की और इस बार मैंने उसे अपना ज़बरदस्त लंड भी चुसवाया. फिर 2-3 दिन हम ऐसे ही लगातार चुदाई करते रहे, जब तक हमारे पास समय था तब तक, लेकिन फिर उसके बाद उनके परिवार वाले आ गए. अब उसके बाद में उसे चुपके से किसी होटल में बुला लेता और उसकी बहुत जमकर चुदाई करता हूँ, क्योंकि घर पर हमे कभी मौका नहीं मिलता.
दोस्तों फिर एक बार मीनल को हमारे ऊपर शक हो गया कि कुछ गड़बड़ है तो इसलिए एक दिन उसे भी भाभी ने बुलाया और फिर उन्होंने उसको बहुत समझाया, वो जब मान गई तो मैंने उसकी भी बहुत जमकर चुदाई कर दी और तब उन्होंने मान लिया कि मुझे चुदाई करने का बहुत अच्छा अनुभव है और मैंने एक बार उनके घर पर दोनों की बहुत बार जमकर चुदाई की और उन्हें अपनी चुदाई से पूरी तरह से संतुष्ट किया. अब में हर कभी जब भी मुझे मौका मिलता है, कभी एक एक करके तो कभी उन दोनों को एक साथ चोदता हूँ और हम तीनों सेक्स के पूरे पूरे मज़े लेते है.
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