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जितना चोदो उतना मजा आता
मैं अमेरिका से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने घर लौट आया। लखनऊ में पापा का बिजनेस अब मैं ही संभालने लगा था पापा इस बात से बड़े खुश थे कि मैं उनके बिजनेस को संभालने लगा हूं। पापा और मम्मी मुझे बहुत प्यार करते हैं मैं घर में एकलौता हूं और मुझे आज तक कभी भी किसी चीज की कोई कमी नहीं हुई लेकिन उस वक्त मैं गलत साबित हुआ जब मुझे अभिलाषा मिली। अभिलाषा बेहद ही गरीब परिवार से थी और उनके परिवार की स्थिति बिल्कुल भी ठीक नहीं थी, मुझे नहीं पता था कि अभिलाषा को मैं इतना प्यार करने लगूंगा कि उसकी वजह से मैं पूरी तरीके से बदल जाऊंगा। मैंने अपनी जिंदगी में कभी भी गरीबी नहीं देखी थी लेकिन अभिलाषा ने मुझे बताया कि कैसे कम संसाधनों में भी जिंदगी को मैनेज किया जा सकता है।
अभिलाषा अब नौकरी की तलाश में थी, उसकी पारिवारिक स्थिति बिल्कुल भी ठीक नहीं थी तो मैंने ही उसे नौकरी दिलवा दी लेकिन अभिलाषा कभी भी किसी का एहसान अपने ऊपर रखना नहीं चाहती थी मुझे नहीं पता था कि अभिलाषा और मेरे बीच अच्छी दोस्ती हो जाएगी। अभिलाषा से पहली बार मेरी मुलाकात उस वक्त हुई थी जब वह हमारे ऑफिस में इंटरव्यू देने के लिए आई थी उसके बाद भी वह मुझसे एक दो बार मिली फिर मैं अभिलाषा को पसंद करने लगा और हम दोनों एक दूसरे के नजदीक आते चले गए। हम दोनों एक दूसरे के इतने नजदीक आ चुके थे कि मैं अभिलाषा से शादी करने के सपने अपने मन में बुनने लगा था। मैंने अभिलाषा को अपने दिल की बात तो नहीं कही थी लेकिन मैं चाहता था कि मैं उसे अपने दिल की बात कह दूं। मैंने जब अभिलाष से अपने दिल की बात कही तो अभिलाषा ने मुझे कहा कि शोभित मुझे तुम बहुत पसंद हो लेकिन तुम जानते हो कि मेरे परिवार वाले बहुत ही गरीब है और तुम्हारी फैमिली मुझे कभी भी एक्सेप्ट नहीं करेगी, मैं नहीं चाहती कि हम दोनों को इससे कुछ परेशानी हो। मैंने अभिलाषा को कहा कि अभिलाष ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा मैं तुम्हें जिंदगी की हर वह खुशी दूंगा जो तुम चाहती हो।
अभिलाषा मुझे कहने लगी कि मुझे पता है कि तुम मुझे हर वह खुशी दोगे लेकिन फिर भी तुम तो जानते ही हो कि हम दोनों एक दूसरे से बहुत ही अलग है तुमने जिंदगी में कभी गरीबी नहीं देखी है और मेरा जीवन तो गरीबी में ही बिता है मेरे पापा ही घर में कमाने वाले थे लेकिन जब से उनका स्वास्थ्य खराब रहने लगा उसके बाद यह जिम्मेदारी मेरे ऊपर आ गई और अब मुझे ही इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाना है। मैंने अभिलाषा को कहा कि तुम्हें किसी भी चीज की चिंता करने की जरूरत नहीं है मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा। अभिलाषा मुझे कहने लगी कि शोभित मुझे पता है कि तुम्हारी फैमिली मुझे कभी भी एक्सेप्ट नहीं करने वाली। मुझे भी लगा था की यह सब इतना आसान नही होगा क्योंकि मैं जिस परवरिश में पला बढ़ा था उसमें हम लोगों ने कभी भी गरीबी नही देखी थी और ना ही मेरी फैमिली अभिलाषा को एक्सेप्ट करना चाहती थी। जब मुझे इस बात का अंदाजा हो गया कि मेरे परिवार वाले अभिलाषा को स्वीकार करने वाले नहीं है तो मैंने पापा से बात की। पापा ने कभी भी आज तक मेरी किसी बात को टाला नहीं था लेकिन यह बात पापा बिल्कुल भी स्वीकार करने को तैयार नहीं थे और उन्हें यह बात बिल्कुल भी हजम नहीं हो रही थी कि मैं अभिलाषा से शादी करूं। पापा और मेरी इस बारे में काफी देर तक बात हुई मैंने पापा से कहा कि पापा देखो आप तो जानते ही हैं कि मैं अभिलाषा से कितना प्यार करता हूं और उसके बिना मैं रह नहीं पाऊंगा। आखिरकार मेरी फैमिली को मेरी बात माननी ही पड़ी लेकिन मुझे समझ आ चुका था कि मेरी फैमिली अभिलाषा के साथ अपने आपको एडजेस्ट नहीं कर पाएगी और ना ही अभिलाषा उन लोगों के साथ हर वह चीज कर पाएगी इसलिए मैंने अलग रहने की सोची तो इस बात से मेरी मां मुझ पर गुस्सा हो गई और कहने लगी कि शोभित बेटा क्या हम लोगों ने तुम्हें कभी अपने आप से अलग करने की कोशिश की है जो तुमने इस बारे में सोच लिया। मेरी शादी अभी अभिलाषा के साथ हुई नहीं थी लेकिन मैं अलग रहना चाहता था और इस बारे में मैंने पापा और मम्मी से बात की भी थी तो मेरी मां ने मुझे बहुत समझाया और कहा कि शोभित बेटा यह बिल्कुल भी ठीक नहीं है।
मुझे नहीं पता था कि पापा मम्मी मेरे इस फैसले से बहुत दुखी हो जाएंगे और वह लोग मेंरे इस फैसले से इतना ज्यादा दुखी हो चुके थे कि पापा ने मुझे समझाया और कहा कि बेटा ऐसा बिल्कुल भी नहीं है जैसा तुम सोच रहे हो। पापा ने उस दिन मुझे कहा कि हमें मालूम है कि अभिलाषा हमारे साथ हर चीज एडजेस्ट नहीं कर पाएगी लेकिन धीरे धीरे उसे हमारे साथ रहने की आदत हो जाएगी। मैं अभिलाषा के प्यार में पूरी तरीके से पागल था मैं अभिलाषा से किसी भी तरीके से शादी करना चाहता था और वह पल मेरे लिए बड़ा ही अच्छा होने वाला था जब अभिलाषा मुझसे शादी करने के लिए तैयार हो चुकी थी। वह मेरी बात मान चुकी थी और फिर हम दोनों ने कोर्ट में शादी कर ली मैं नहीं चाहता था कि हम लोग ज्यादा किसी को अपनी शादी में बुलाये इसलिए हम दोनों ने कोर्ट मैरिज करने की सोची लेकिन पापा चाहते थे कि हमारी शादी धूम धाम से हो। हम दोनों ने शादी कर ली और हम दोनों पति-पत्नी बन चुके थे।
मैं इस बात से बड़ा ही खुश था कि अब अभिलाषा मेरी पत्नी बन चुकी है लेकिन मेरे लिए अभिलाषा के साथ आगे जीवन बिताना इतना आसान नहीं था यह सोचकर मैं काफी ज्यादा परेशान था कि कैसे अभिलाषा मेरी फैमिली के साथ एडजेस्ट करेगी परन्तु अभिलाषा ने मेरी फैमिली के साथ एडजेस्ट कर लिया था और सब कुछ ठीक होने लगा था। मेरे घर वाले भी अभिलाषा को काफी पसंद करने लगे थे और मां के साथ अभिलाषा हमेशा ही अच्छे से रहती। अभिलाषा और मैं दूसरे के साथ अच्छे से अपनी जिंदगी बिता रहे थे और मैं चाहता था कि कुछ समय के लिए हम लोग किसी टूर पर जाएं। मैंने अभिलाषा के साथ मनाली जाने का प्लान बना लिया मनाली में मेरे दोस्त का रिसोर्ट है और वहीं पर मैं अभिलाषा के साथ कुछ दिनों के लिए चला गया। अभिलाषा और मैं मनाली में एक दूसरे के साथ अपने आपको बहुत ही अच्छा महसूस कर रहे थे इससे पहले तो हम लोगों के बीच कई बार सेक्स हो चुका था और अभिलाषा कि सील मैने तोड़ी थी लेकिन उस दिन जब कुछ ज्यादा ही रोमांटिक मूड में हम दोनों हो गए तो मैने अभिलाषा के होठों को चूम लिया। मैं अब अभिलाषा को किस करने लगा था वह बहुत ज्यादा खुश हो गई थी और हम दोनों एक दूसरे की बाहों में आ चुके थे। हम दोनों एक दूसरे के बदन को महसूस करने लगे वह मेरी गोद में बैठी तो मैंने उसे कहा लगता है आज तुम बहुत खुश हो। वह कहने लगी हां तुम समझ चुके होगे आज मेरा भी बहुत ज्यादा मन हो रहा है। मैं अभिलाषा को महसूस करने लगा। मै उसके होंठों को बड़े अच्छे से चूमने लगा था मैं उसके होठों को जिस प्रकार से चूम रहा था उससे मुझे बड़ा मजा आ रहा था और वह बहुत ज्यादा उत्तेजित होती जा रही थी। उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी थी हम दोनों एक दूसरे के लिए बहुत ज्यादा तड़पने लगे थे। मैंने उसे कहा मुझे तुम्हारी चूत के अंदर अपने लंड को डालना पड़ेगा वह खुश थी। मैंने अभिलाषा के कपड़े उतारकर उसकी गुलाबी ब्रा को उतार दिया और उसके स्तनों को मैंने अपने हाथों से दबाया वह अब तड़पने लगी थी उसकी उत्तेजना बढने लगी थी। मैंने अभिलाषा के स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसा मैं उसके स्तनो को बड़े अच्छे से चूसने लगा।
मैने उसके स्तनों का पूरी तरीके से चूसा वह बहुत ज्यादा गरम हो चुकी थी। मैंने अपने मोटे लंड को बाहर निकाला जब मै उसकी चूत पर लंड को रगडता तो उसे मज़ा आने लगता। मेरा लंड हिलोरे मारने लगा था उसकी चूत से पानी बाहर निकलने लगा था। मैं बिल्कुल भी अपने आपको रोक नहीं पाया मैंने अपने लंड को अभिलाषा की चूत के अंदर धीरे-धीरे डालना शुरू किया जब मेरे लंड उसकी चूत के अंदर चला गया तो वह बहुत जोर से चिल्लाई वह मुझे कहने लगी मेरी चूत फड गई। उसकी योनि से बहुत ज्यादा पानी निकलने लगा था। वह बहुत ज्यादा तड़पने लगी थी उसने मुझे अपने पैरों के बीच में कस कर जकड़ लिया था मैं उसके स्तनों को दबा रहा था। मुझे बहुत ही मजा आ रहा था मैंने उसके स्तनों को बहुत देर तक चूसा अब मेरी गर्मी इतनी ज्यादा बढ़ चुकी थी मुझे अभिलाषा को चोदना में बड़ा मजा आ रहा था। उसकी चूत से अब कुछ ज्यादा ही पानी बाहर निकलने लगा था मुझे उसको धक्के मारने में बड़ा आनंद आ रहा था। मेरा लंड भी बहुत ज्यादा मोटा होने लगा था जब मेरा वीर्य बाहर की तरफ गिरा तो मै खुश हो गया। मैंने दोबारा से उसकी चूत मे लंड लगाया अभिलाषा की चूत वीर्य बाहर की तरफ निकल रहा था उसकी चूत से निकलता मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
जब मैं उसको धक्के मारता तो मैंने उसकी जांघो को अपने हाथों से पकड़ लिया था मैंने उसकी मोटी जांघ को कसकर पकड़ा हुआ था मुझे बहुत अच्छा लग रहा था अब उसकी चूत और मेरे लंड की टकराने लगा तो मुझे मजा आता। कुछ देर बाद मैंने उसे बिस्तर पर पेट के बल लेटा दिया जब मैंने अपने लंड को डाल दिया और उसकी चूत के अंदर बाहर लंड को करने लगा। उसकी चूत के अंदर बाहर मेरा लंड हो रहा था तो मुझे बहुत मजा आ रहा था। वह मेरा साथ बड़े ही अच्छे से दे रही थी उसकी चूतड़ों को पर मैने तेजी से प्रहार किया तो उसकी चूतडो से आवाज पैदा होती और मुझे ऐसा लगता जैसे बस में उसे चोदता रहू। मैंने अभिलाषा को बहुत देर तक चोदा मुझे एहसास होने लगा कि मैं ज्यादा देर तक अपने आपको रोक नहीं पाऊंगा मैंने उसकी चूत के अंदर अपने वीर्य को गिराकर अभिलाषा को खुश कर दिया। हम लोगो ने मनाली मे खूब मजे लिए उसके बाद मैं और अभिलाषा वापस आ गए थे।
देवर संग रासलीला की पति को पाने के लिए
पति चाहते थे हमारे देवर हमारे साथ ही पढ़ने के लिए आ जाए इसलिए उन्होंने उसे गांव से अपने पास ही बुला लिया हालांकि मै इस पक्ष में बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि मैं अपने पति के साथ अपनी जिंदगी अच्छे से बिता रही थी और मैं उनके साथ खुश थी। अब हमारा देवर हमारे साथ रहने के लिए आ चुका था जिससे कि मेरे और मेरे पति की प्राइवेसी में खलल पड़ने लगा था हम दोनों ही एक दूसरे के साथ सेक्स का वह मजा ले नहीं पाते थे। वह घर पर ही रहता था मैंने भी इसके लिए तरकीब सोची मैंने भी अपने देवर रजत को मजे देने की सोची। एक दिन मै रजत के साथ बैठी हुई थी रजत को मैंने कहा रजत मैं तुम्हारे लिए चाय बना कर ले आती हूं। मैंने उसको कहा तो वह मुझे कहने लगा भाभी आप रहने दीजिए। वह इस बात से हैरान था कि आज मैं उस पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान हूं वह मेरी बातों को समझ चुका था कि आखिर मैं उस पर इतना मेहरबान क्यों थी।
उसने मुझे कहा चलो भाभी हम लोग आज कही घुम आते हैं। मैंने रजत को कहा चलो आज हम लोग मूवी देख आते हैं उस दिन मैं रजत के साथ मूवी देखने के लिए चली गई। मूवी देखने के बाद मैने रजत को कहा हम लोग चलते हैं हम लोग घर लौट आए थे। जब हम लोग घर लौटे तो मैं और रजत साथ मे बैठे हुए थे मैंने रजत को कहा तुम्हे कॉलेज में काफी समय हो चुका है क्या तुमने कॉलेज मैं किसी लड़की से बात भी की है या फिर तुम अभी सिंगल हो। वह मुझे कहने लगा नहीं भाभी मैं सिंगल नहीं हूं मेरी गर्लफ्रेंड है। मैंने उससे कहा है तुम तो बड़े ही छुपे रुस्तम निकले क्या तुमने अपनी गर्लफ्रेंड सके साथ कुछ किया भी है या फिर तुम दोनों एक दूसरे के साथ सिर्फ प्यार की बातें ही करते हो। वह मुझे कहने लगा नहीं भाभी हम दोनों के बीच तो सब कुछ हो चुका है मैं इस बात पर मुस्कुरा पड़ी। वह कहने लगा भाभी मुझे माफ करना मैं कुछ ज्यादा ही भावनाओं में बह गया और मैंने आपसे यह बात कह दी। मैंने उससे कहा कोई बात नहीं यह सब जवानी में होता है रजत भी अब मुझे कहने लगा भाभी लेकिन आज मुझसे आप इतने प्यार से यह सब क्यों पूछ रही हैं।
मैंने रजत को कहा देखो रजत तुम्हारे और मेरे भैया के बीच मैं आजकल प्यार की बातें हो नहीं पाती हैं। हम दोनों को समय नहीं मिल पाता है रजत मुझे कहने लगा भाभी आप उसकी चिंता क्यों करती हैं आप कहो तो मैं आपकी इच्छा पूरी कर देता हूं। मैंने रजत से कहा क्या तुम अपने भैया की कमी को पूरा कर पाओगे। रजत कहने लगा आप एक बार मुझे मौका तो दे कर देखो अगर मैं आपकी इच्छा को पूरा कर ना सका तो आप मुझे कहना मैं आपकी इच्छा को पूरा ना कर पाया। मैंने रजत पर भरोसा करते हुए उसे कहा चलो फिर हम दोनों सेक्स के मजे लेते हैं। रजत इस बात से बड़ा खुश था मैं और रजत बेडरूम में आ गए हम दोनों साथ में लेटे हुए थे। उसने मेरे ब्लाउज को खोलना शुरू किया जब उसने मेरे ब्लाउज को खोलना शुरू किया तो उसने मेरी ब्रा को भी उतार दिया उसने मेरी ब्रा को उतार दिया था और मेरे अंदर की गर्मी को उसने बढ़ा दिया था। जब उसने मेरी ब्रा उतार कर मेरे गोरे स्तनों को अपने मुंह में लेकर उसे चूसना शुरू किया तो मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था और वह मेरे स्तनों से दूध को बाहर निकालने लगा था। मैंने रजत को कहा तुम तो बड़े ही मदरचोद हो वह मुझे कहने लगा भाभी अब आपको चोद कर मैं दिखाता हूं कि मैं कितना मादरचोद हूं। यह कहते हुए जब उसने अपने पैंट की चैन को खोलकर अपने लंड को बाहर निकाला तो मैं यह देखकर दंग रह गई। मैंने उसे कहा तुम्हारा लंड तो तुम्हारे भैया से भी ज्यादा मोटा और लंबा है। वह मुझे कहने लगा यह तो बड़ा ही अच्छा है कि मेरा लंड भैया से मोटा है अब आपको ऐसा तो नहीं लगेगा कि मैं आपकी कमी को पूरा नहीं कर पाया। यह बात सुनकर मैं बड़ी खुश थी रजत भी बहुत ज्यादा खुश था। उसने मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया था वह मेरे होठों को जिस प्रकार से चूम रहा था उससे मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। रजत को भी बड़ा मजा आ रहा था वह मेरे होठों को बड़े ही अच्छे से चूम रहा था और उसने मेरे होठों को चूम कर मुझे अपना दीवाना बना दिया था। जब उसने मेरी नाभि को अपने जीभ से चाटना शुरू किया तो मेरी चूत से निकलता हुआ पानी बाहर निकलने लगा था। मेरी चूत बाहर की तरफ पानी छोड़ने लगी थी वह मुझे कहने लगा सविता भाभी आप तो बड़ी कमाल की हैं।
उसने अपने मोटे लंड को मेरे मुंह में डालने की इच्छा जाहिर की तो मैंने उसे कहा मैं तुम्हारे लंड को अपने मुंह में ले लेती हूं। मैंने रजत के लंड को मुंह मे लिया वह मुझे कहता सविता भाभी थोड़ा सा लंड को अंदर ले लो यह बात सुनकर मैं बड़ी खुश थी। मैंने उसके मोटे लंड को अपने गले के अंदर तक उतार लिया था मैंने उसको अंदर बाहर करना शुरू किया तो उसे बड़ा ही मजा आ रहा था और मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। जब मैंने उसके लंड को चूसकर उसके माल को अपने अंदर ही निगल लिया तो वह कहने लगा भाभी आप तो बडी कमाल हो। मैंने साडी को ऊपर कर दिया जब मैंने उससे कहा तुम मेरी पैंटी को उतार दो तो उसने मेरी पैंटी को उतार दिया। मै उसके सामने नंगी खड़ी थी वह मुझे देख कर अपने लंड को हिलाने लगा मुझे लगा वह कहने लगा आप मेरे लंड को अपनी चूत में ले लीजिए। मैं उसके लंड को अपनी चूत मे लेने के लिए तैयार थी वह मेरी चूत को चाट कर उसमे अपनी उंगली डालने लगा। उसने मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया था वह मेरी चूत को चाट रहा था मेरी चूत से पानी निकल रहा था।
मेरी चूत से इतना अधिक पानी निकलने लगा कि मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी और ना ही वह अपने आपको रोक पा रहा था। मैंने अपने पैरों को खोल लिया जब मैंने अपने पैरों को खोल कर उसके बालों को कसकर पकड़ना शुरू किया तो वह उत्तेजित हो उठा था। वह मेरी चूत मे लंड डालने के लिए तैयार हो गया था उसने मेरी चूत पर अपने लंड को लगाया और अंदर की तरफ एक ही झटके में घुसा दिया उसका लंड मेरी चूत में घुसा तो मुझे बहुत ही मजा आया और उसे भी बड़ा मजा आया। अब हम दोनों ही एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स का मजा ले रहे थे वह मेरी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को किया जा रहा था। जब वह ऐसा करता तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता और उसने मेरी चूत से पानी बाहर निकाल दिया था मेरी चूत से निकलता हुआ पानी कुछ ज्यादा ही अधिक होने लगा था।
मैंने उसे कहा मुझे और तेजी से चोदो उसने अपने लंड को बाहर निकाल कर अपने लंड पर तेल लगाया और तेल लगाकर उसने मुझे घोड़ी बनाया। रजत ने मेरी चूतड़ों पर अपने हाथों से एक दो बार प्रहार किया जिससे कि मेरी चूतडे अब लाल होने लगी। उसने मेरी चूत में अपनी उंगली को घुसा दिया और मेरी गर्मी को बढ़ा दिया मैं उसके लंड को अपनी चूत में ले चुकी थी मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लगने लगा था। मैंने उसे कहा तुम मुझे चोदते रहो वह मुझे जोरदार तरीके से चोद रहा था उसने मेरी चूत की खुजली को पूरी तरीके से मिटा दिया था और मेरी चूत की खुजली बहुत ज्यादा बढ चुकी थी। उसने मुझे बहुत देर तक चोदा और मेरी गर्मी को शांत कर दिया। मैंने यह सब इसलिए किया ताकि मेरे पति और मेरे बीच में सेक्स बन सके। वह मुझे कहने लगा भाभी कभी-कभी मुझे भी मजे दे दिया किजिए। मैंने उसे कहा क्यों नहीं। मेरे पति जब भी घर लौटते तो मैं और मेरे पति दोनों ही मजा लेते। मुझे बहुत ही अच्छा लगता है जब उन दोनों के साथ में मजे लिए करता हूं। जब भी मेरा मन करता तो मैं रजत के साथ अंतरंग संबंध बना लिया करती। रजत अब भी हमारे साथ ही रहता था लेकिन मेरे लिए वह हमेशा ही तैयार रहता। मुझे उसके साथ सेक्स करना बडा अच्छा लगता वह मेरी चूत मार लिया करता है।
चूत का भोसडा बनाकर मजा आ गया
कॉलेज में मैं और महिमा एक दूसरे से प्यार तो कर बैठे थे लेकिन मुझे नहीं मालूम था की महिमा और मैं एक दूसरे से कुछ ज्यादा ही प्यार करने लगेंगे की मैं महिमा के बिना एक पल भी रह नहीं पाऊंगा। महिमा के पापा प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करते हैं और वह अच्छे खासे पैसे वाले हैं महिमा एक अच्छे घराने से है इसलिए मुझे हमेशा यह डर सताता रहता कि महिमा को मैं कभी अपना बना पाऊंगा या नहीं। मैंने तो महिमा को अपने प्यार का इजहार कर दिया था लेकिन मुझे नहीं पता था कि हमारे रिश्ते का क्या भविष्य होगा। शुरुआत में जब मैं और महिमा एक दूसरे से मिले तो मैं महिमा से अपने दिल की बात कह ही नहीं पाया मैं अपने प्यार का इजहार करने में हमेशा ही डरता रहता था इसलिए मैं महिमा को कुछ कह नहीं पाया था। मेरा मन पढ़ाई में बिल्कुल भी नहीं लगता था लेकिन अब महिमा की वजह से मैं पढ़ने भी लगा था और मेरा मन पढ़ाई में भी लगने लगा था।
महिमा और मैं एक दूसरे को प्यार करने लगे थे लेकिन शुरुआत में यह सब इतना आसान नहीं था मैं सोचता था कि क्या मैं कभी महिमा से अपने दिल की बात कह पाऊंगा या नहीं। मेरे मन में ना जाने कितने ही सवाल थे लेकिन फिर भी मैंने महिमा से अपने प्यार का इजहार कर ही दिया। समय बीतता चला गया और हम दोनों एक दूसरे के बहुत करीब आते चले गए। कॉलेज का भी आखिरी दिन था और कॉलेज खत्म होने वाला था मुझे तो यह चिंता सता रही थी कि क्या मैं उसके बाद महिमा से कभी मिल पाऊंगा या नहीं क्योंकि कॉलेज खत्म हो जाने के बाद मेरे ऊपर घर की सारी जिम्मेदारियां आने वाली थी इसलिए मैं बहुत परेशान हो गया था। उस दिन महिमा और मैं हमारे कॉलेज की कैंटीन में बैठे हुए थे हम दोनों साथ में बैठे हुए थे तो मैंने महिमा से कहा की महिमा क्या हम दोनों एक दूसरे के बिना रह पाएंगे तो महिमा के पास कोई जवाब नहीं था। मैंने महिमा से कहा कि मैं तुम्हारे बिना एक पल भी रह नहीं पाऊंगा महिमा मुझे कहने लगी कि संजय यह तो मुझे मालूम है।
उस दिन हम दोनों अपने अपने घर चले गए मैं जब घर पहुंचा तो मुझे महिमा की याद आ रही थी तो मैंने रात में ही महिमा से काफी देर तक फोन पर बात की। हम लोगों का ग्रेजुएशन तो पूरा हो चुका था और मैं अब नौकरी की तलाश में था क्योंकि मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए पापा चाहते थे कि मैं अब आगे की पढ़ाई ना करूं बल्कि घर की जिम्मेदारी संभालूँ। मैंने भी यही ठीक समझा और मैं नौकरी की तलाश में भटक रहा था लेकिन दूसरी ओर महिमा के पिताजी ने उसे उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजने का फैसला कर लिया था। यह बात मुझे महिमा महिमा ने बताई, उसने जब मुझे इस बारे में बताया तो मुझे यह सुनकर बड़ा अजीब सा महसूस होने लगा और मैं महिमा से मिलना चाहता था लेकिन महिमा अमेरिका चली गई थी। उस दिन मैं महिमा के बारे में ही सोचता रह गया लेकिन महिमा मुझसे मिलो दूर थी और मुझे तो यह भी नहीं पता था कि क्या कभी हमारी मुलाकात हो भी पाएगी या नहीं। कुछ दिनों तक तो मैं यही सोचता रहा लेकिन अब मुझे मेरे परिवार के बारे में भी तो सोचना था शायद मेरी किस्मत में महिमा नहीं थी यह सोचकर मैंने आगे बढ़ने का फैसला किया। मेरी जॉब लग चुकी थी जब मेरी जॉब लगी तो मैं उस वक्त काफी ज्यादा खुश था मेरी जॉब एक बड़ी कंपनी में लगी और वहां पर मेरी तनख्वाह भी काफी अच्छी थी लेकिन मैं सिर्फ महिमा के बारे में ही सोचता रहता था। जिस ऑफिस में मैं काम करता था उसी ऑफिस में एक लड़की और काम करती थी उसका नाम भी महिमा ही था जब भी मैं उसे महिमा कहकर पुकारता तो मुझे महिमा की याद आ जाती और मुझे ऐसा लगता कि जैसे मैं उसी महिमा से बात कर रहा हूं जो कि मेरे साथ पढ़ा करती थी। मैं महिमा के ख्यालों में ही डूबा हुआ था और मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि महिमा मुझे कभी मिलने भी वाली है। एक दिन मुझे मेरे ही दोस्त ने बताया कि महिमा की शादी तो विदेश में ही हो चुकी है, यह बात सुनकर मैं पूरी तरीके से टूट चुका था मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि महिमा वहीं शादी कर लेगी। महिमा मुझसे दूर थी और महिमा ने विदेश में ही शादी कर ली थी महिमा की शादी हो जाने के बाद हमारे ऑफिस में काम करने वाली महिमा की ओर मैं खींचा चला गया और महिमा से ही मैं प्यार करने लगा था।
महिमा को मैं पसंद करने लगा था और मुझे महिमा बहुत पसंद थी शायद यही वजह थी कि मैं और महिमा एक दूसरे के करीब आते चले गए। महिमा को जब मैंने अपने प्यार के बारे में बताया तो महिमा को इससे कोई भी एतराज नहीं था मुझे नहीं पता था कि महिमा मेरा साथ देने लगेगी। हम दोनों साथ में ही जॉब करते थे और हम दोनों की अंडरस्टैंडिंग भी बहुत अच्छी हो चुकी थी मैं महिमा को अच्छी तरीके से समझने लगा था और महिमा भी मुझे बहुत ही अच्छे से समझने लगी थी। हम दोनों एक दूसरे के बिना एक पल भी रह नहीं पाते थे महिमा और मैं एक दूसरे के इतने ज्यादा करीब आ चुके थे कि हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करने लगे थे और महिमा ने भी मेरे बारे में अपने परिवार को बता दिया था। महिमा ने अपने परिवार में मेरे बारे में बता दिया था इसलिए महिमा और मैं एक दूसरे के और भी ज्यादा करीब आते चले गए और हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करने लगे थे।
हम दोनों एक दूसरे के बिना एक पल भी रह नहीं पाते थे महिमा भी इस बात से काफी खुश थी और अब मैंने भी पूरा फैसला कर लिया था कि मैं महिमा से ही शादी करूँगा। हम दोनों ने अब शादी करने का फैसला कर लिया था मेरे परिवार को भी महिमा से कोई परेशानी नहीं थी क्योंकि महिमा बहुत ही अच्छी लड़की है मैंने अपने पापा मम्मी को इस बारे में बता दिया था। कुछ ही समय मे महिमा और मैंने शादी कर ली, मेरी और महिमा की शादी हो चुकी थी हम दोनों पति-पत्नी बन गए और मैं महिमा के साथ ही अपनी जिंदगी बिताना चाहता था। हम दोनों की सुहागरात की पहली रात थी। महिमा बेडरूम में बैठी हुई थी मैं जब बेडरूम में गया तो मैंने महिमा को गिफ्ट दिया। मैने महिमा को गिफ्ट दिया फिर हम दोनों बातें करने लगे। हम दोनों एक दूसरे से बातें करने लगे थे हम दोनों ने एक दूसरे से बात की फिर मैंने महिमा से कहा मैं तुमसे शादी कर के बड़ा खुश हूं। महिमा के चेहरे पर भी खुशी थी वह मुझे कहने लगी मैं बहुत ज्यादा खुश हूं हम दोनों एक दूसरे की बाहों में आ गए। जब हम दोनों एक दूसरे की बाहों में आए तो मैं महिमा को महसूस करने लगा महिमा बड़ी खुश हो गई थी। हम दोनों बहुत ज्यादा खुश हो गए थे। महिमा तो इतनी खुश थी की वह मुझसे कहने लगी संजय तुमसे शादी कर के मैं बहुत ज्यादा खुश हो गई हूं। मैंने महिमा के नरम होठों को चूमना शुरू किया मैं जब महिमा के होंठो को चूमने लगा तो मुझे मजा आने लगा। महिमा भी बहुत ज्यादा उत्तेजित होती जा रही थी महिमा की उत्तेजना इस कदर बढ़ने लगी थी कि वह मुझे अब किस करने लगी। मेरा हाथ जब माहिमा के स्तनों पर लगने लगा तो मैं उसके स्तनों को दबाने लगा वह बहुत ही खुश हो गई थी। महिमा ने मुझे कहा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है मेरे अंदर की आग अब बढ़ चुकी थी महिमा भी बिल्कुल रह नहीं पा रही थी। मैंने महिमा को कहा मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है मैंने महिमा की चूत को चाटना शुरु कर दिया था मैंने महिमा के कपडो को उतार दिया था। मैने महिमा की चूत को चाट कर पूरी तरीके से उसे गीला बना दिया।
महिमा की योनि से पानी बाहर निकलने लगा था वह बहुत ही ज्यादा तड़पने लगी थी उसकी तडप अब इतनी ज्यादा बढ़ने लगी कि वह मुझे कहने लगी मुझसे तो बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है। मैंने महिमा से कहा मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है मैंने जैसे ही महिमा कि योनि के अंदर अपनी उंगली को डालने की कोशिश कि तो मेरे उंगली महिमा के चूत के अंदर नहीं गई। महिमा ने अपने पैरों को खोल लिया मैंने महिमा की चूत को बहुत देर तक चाटा। मैंने महिमा को पूरी तरीके से नंगा कर दिया था जिससे कि मुझे उसके स्तनों को चूसने मे मजा आने लगा था। महिमा को बड़ा अच्छा लग रहा था मैंने महिमा की चूत पर अपने लंड को लगाया तो महिमा तड़पने लगी। महिमा की चूत से बहुत ही ज्यादा पानी बाहर निकालने लगा। मैने महिमा की योनि के अंदर अपने लंड को घुसाना शुरू किया तो महिमा कि चूत के अंदर मेरा लंड घुस चुका था। महिमा की योनि के अंदर जैसे ही मेरा लंड घुसा तो मुझे मजा आने लगा महिमा को भी बड़ा अच्छा लगने लगा था।
वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है महिमा की योनि से खून निकल आया था। वह मुझे कहने लगी मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है मैंने महिमा को कहा बस थोड़ी देर की ही बात है। मैंने उसके दोनों पैरो को अपने कंधे पर रख लिया था और मैं महिमा को बड़ी तेजी से धक्के मारने लगा। महिमा की योनि से खून निकलता ही जा रहा था और महिमा को बड़ा अच्छा लग रहा था। मै अपने लंड को महिमा की चूत के अंदर बाहर कर रहा था। महिमा मुझे कहने लगी मेरे अंदर की आग बहुत ही ज्यादा बढ़ने लगी है मुझे अब बहुत ही ज्यादा अच्छा लगने लगा था और महिमा को भी बहुत मजा आने लगा था। मेरे लंड और महिमा की चूत की टक्कर से महिमा की चूत की गर्मी बाहर निकल आई थी। मैंने अपने माल को महिमा की चूत मे गिराकर अपनी सुहागरात को सफल बना दिया। हम दोनों बड़े ही खुश थे हम दोनों एक दूसरे के साथ अपना जीवन बड़े ही अच्छे तरीके से बिता रहे हैं।
चूत का मजा जमकर लिया
मेरी उम्र 27 वर्ष की हो चुकी है मैं एक प्रतिष्ठित मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करती हूं और मेरे पापा भी बैंक में मैनेजर हैं। परिवार से मुझे हमेशा ही पूरा सपोर्ट मिला है लेकिन उस दिन जब मैं ऑफिस से घर आई तो मुझे भी महसूस होने लगा था कि अब मुझे शादी कर लेनी चाहिए। मेरी शादी की उम्र भी हो गई है इसलिए मैं शादी का पूरा मन बना चुकी थी और मैंने लड़के देखने भी शुरू कर दिए थे। मेरे पापा मेरे लिए ना जाने कितने ही लड़के देख चुके थे, मैं जिस लड़के को मिलती तो मुझे उससे मिलकर ना जाने क्यों अच्छा नहीं लगता मुझे ऐसा लगता कि जैसे मैं उस लड़के के साथ अपनी जिंदगी नहीं बिता पाऊंगी।
मैं बहुत ज्यादा परेशान थी और मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर मुझे करना क्या चाहिए मैंने इस बारे में अपनी सहेली से बात की तो वह मुझे कहने लगी कि सुहानी तुम बिल्कुल चिंता मत करो सब कुछ ठीक हो जाएगा और एक ना एक दिन तुम्हें अच्छा लड़का जरूर मिलेगा जैसा कि तुम चाहती हो। शायद मेरी सहेली की बात सही हुई, एक दिन मैं अपने फेसबुक पर अपनी एक तस्वीर अपलोड कर रही थी, मैंने जब अपनी फोटो अपलोड की तो उसमें किसी मनीष नाम के लड़के ने कमेंट किया और जब मैंने उस मनीष की प्रोफाइल देखी तो मैं सोचने लगी कि मुझे उसे रिप्लाई करना चाहिए या नही। मैंने मनीष को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी और उसने मेरी फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट भी कर ली उसके बाद हम दोनों की बातें होने लगी। हम दोनों की काफी बातें होने लगी थी मैं कुछ समझ नहीं पाई कि आखिर मेरे और मनीष के बीच चल क्या रहा है लेकिन मुझे मनीष से बात करना अच्छा लगता और मनीष को भी मुझसे बात करना अच्छा लगता। मनीष मुझसे मिलो दूर अमेरिका में ही जॉब करता था मनीष और मेरी फेसबुक चैट के माध्यम से ही ज्यादातर बातें होती थी।
इतनी दूर होने के बावजूद भी मुझे मनीष में एक अपनापन सा लगता था मुझे ऐसा लगता कि मनीष बहुत ही अच्छा लड़का है और मनीष एक अच्छे इंसान भी हैं। समय बीतता जा रहा था और हम दोनों की बातें भी अब काफी होने लगी थी कुछ पता ही नहीं चला कि कब हम दोनों को बातें करते हुए 6 महीने से ऊपर हो गए और हम दोनों एक दूसरे से बहुत बातें करने लगे थे। मैं और मनीष एक दूसरे से मिलना चाहते थे मैं कई बार मनीष से चैट के माध्यम से बातें किया करती थी। एक दिन मैंने मनीष को कहा कि मैं तुमसे मिलना चाहती हूं मनीष ने कहा कि ठीक है हम लोग एक दूसरे से मिलते हैं, मैं यह बात सुनकर बहुत खुश हो गई। मनीष ने मुझे कहा कि मैं तुमसे मिलने के लिए मुंबई आ रहा हूं, जब मनीष ने मुझसे यह बात कही तो मैं बहुत ही खुश हो गई थी कि मनीष मुझसे मिलने के लिए मुंबई आ रहे हैं। मनीष को मिलने के लिए मैं उस दिन एयरपोर्ट पर गई और मनीष को मैंने वहां से रिसीव किया उसके बाद हम दोनों ने साथ में काफी अच्छा समय बिताया। मनीष ने मुझे बताया कि उसके कोई परिचित मुंबई में ही रहते हैं और मनीष उनके घर पर ही रुकने वाले थे, मनीष उनके घर पर ही कुछ दिनों तक रुके। मुझे तो मनीष से मिलकर बहुत ही अच्छा लग रहा था मुझे जैसा लड़का चाहिए था मनीष बिल्कुल वैसे ही थे मनीष और मैं एक दूसरे से बहुत प्यार करने लगे थे इसलिए हम दोनों अब एक दूसरे से शादी भी करना चाहते थे। मैंने मनीष को कहा कि मनीष मैं तुमसे शादी करना चाहती हूं तो मनीष कहने लगे कि सुहानी मैं भी तुमसे शादी करना चाहता हूं लेकिन मैं कोर्ट मैरिज करना चाहता हूं। मैंने मनीष को समझाया और कहा कि लेकिन मेरी फैमिली वाले इस बात के लिए नहीं मानेंगे मनीष ने मुझे कहा कि सुहानी तुम एक बार अपने पापा से बात कर लो। मैंने मनीष को कहा कि ठीक है मैं पापा से बात कर लेती हूं। मैंने पापा से बात की लेकिन पापा तो चाहते थे कि मेरी शादी धूम धाम से हो और मुम्बई में ही वह मेरी शादी करवाना चाहते थे। मनीष पापा से भी मिल चुके थे और किसी को भी मनीष से कोई एतराज नहीं था क्योंकि मुझे यह बात अच्छे से पता थी कि मेरी खुशी में ही मेरे परिवार वालों की खुशी है और वह लोग भी मेरी शादी मनीष से करवाने के लिए तैयार हो चुके थे।
मनीष और मैंने कोर्ट मैरिज कर ली लेकिन पापा भी चाहते थे कि हम दोनों दोबारा से शादी करें और पापा ने हम दोनों की शादी बड़े ही धूमधाम से करवाई। हम दोनों की शादी हो गई और मनीष की फैमिली भी मुंबई आई हुई थी मनीष की फैमिली दिल्ली में रहती है और वह लोग भी कुछ समय के लिए मुंबई आ गए थे। मनीष और मेरी शादी हो चुकी थी और मैं बहुत खुश थी, मनीष मुझे कहने लगे कि तुम मेरे साथ अमेरिका चलोगी तो मैंने मनीष को कहा कि क्यों नहीं। मैंने और मनीष ने अमेरिका जाने का फैसला कर लिया था मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आया कि हम दोनों की शादी इतनी जल्दी कैसे हो गई। मैं मनीष को कुछ समय पहले ही तो मिली थी लेकिन अब मनीष और मेरी शादी हो चुकी थी और हम दोनों पति पत्नी बन चुके थे। मनीष और मैं अमेरिका जाने के लिए तैयार थे मनीष ने मेरे सारे डॉक्यूमेंट तैयार करवा लिए थे और मैं मनीष के साथ अमेरिका चली गई। मनीष और मैं अमेरिका जा चुके थे मैं बहुत खुश थी कि मनीष और मैं अमेरिका में ही साथ में रहेंगे। मैं मनीष के साथ अब अमेरिका चली गई। हम दोनों के बीच पहली बार शारीरिक संबंध बना।
हम दोनों एक दूसरे के साथ फोन पर लंबे समय से बात कर रहे थे लेकिन जब पहली बार मनीष ने मेरे हाथ को पकड़ा तो मुझे ऐसा महसूस होने लगा जैसे मनीष मेरे साथ आज सेक्स के पूरे मूड में हैं। हम दोनों के बीच उससे पहले कभी भी सेक्स संबध नहीं बना था अब हम दोनों की शादी हो चुकी थी इसलिए मुझे इस बात से कोई एतराज भी नहीं था। मै चाहती थी मै मनीष के साथ सेक्स का मजा लूं क्योंकि मैं भी दिल है दिल चाहती थी कि वह मुझे सतुष्ट करे। हम दोनों साथ में बैठे हुए थे मनीष ने मेरे हाथ को पकड़ कर मुझे अपनी और खींचा तो मैं मनीष की गोद में बैठ गई और मनीषा मुझे महसूस करने लगे। मनीष ने मेरे स्तनों को दबाना शुरू किया जब मनीष मेरे स्तनों को दबा रहे थे तो मुझे मजा आने लगा और मनीष को भी बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा था। मनीष को इतना ज्यादा मजा आ रहा था कि वह मेरे होठों को चूमने लगे उन्होंने मेरी जांघ को सहलाना शुरु किया तो मेरे अंदर की आग बढ़ती ही जा रही थी। मैंने भी मनीष को कहा अब मुझसे रहा नहीं जाएगा। मनीष ने मुझे कहा रहा तो मुझसे भी नहीं जाएगा और यह कहते ही मनीष ने मुझे अपनी बाहों में समा लिया और अपनी गोद में उठा कर बेडरूम में ले गए। जब मनीष और मैं बेडरूम में थे तो मनीष ने मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया। मनीष ने मुझे ऊपर से लेकर नीचे तक पूरा महसूस किया मैंने भी अपने बदन से कपड़े उतार दिए मैं सिर्फ पंटी ब्रा मे थी। जब मनीष ने मेरी ब्रा को खोलकर मेरे स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया तो मुझे मजा आने लगा। मनीष को भी बड़ा अच्छा महसूस हो रहा था वह मुझे पूरी तरीके से गर्म कर चुके थे मनीष ने मेरे सामने अपने लंड को किया तो मैंने मनीष को कहा तुम्हारा लंड तो बहुत ही मोटा है। मनीष ने मुझे कहा हां तुम बिल्कुल सही कह रहे हो। मैंने जब मनीष के मोटे लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग करना शुरू किया तो मुझे मजा आने लगा।
मनीष को भी बड़ा मजा आ रहा था हम दोनों ही पूरी तरीके से उत्तेजित होते चले गए थे। मनीष बिल्कुल भी रह नहीं पा रहे थे मैंने मनीष के लंड से पानी बाहर निकाल दिया था। मैंने मनीष के लंड को तब तक चूसा जब तक मनीष के लंड से पानी बाहर नहीं आ गया। मनीष ने मेरी योनि को चाटकर पूरी तरीके से गिला कर दिया। मनीषा ने मेरी चूत पर अपने लंड को लगाकर जैसे ही अंदर की तरफ डाला तो मुझे दर्द का एहसास हो रहा था। मनीष का लंड मेरी योनि में प्रवेश हो चुका था मुझे बड़ा दर्द हुआ। जब मनीषा ने मुझे धक्के मारने शुरू किए तो मुझे मजा आने लगा मेरी चूत से निकलता हुआ खून बहुत ज्यादा बढ़ चुका था मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। मनीष ने मेरे दोनों पैरो को खोल लिया वह मुझे कहने लगे तुम बड़े ही अच्छी हो। मैं बहुत ही ज्यादा खुश था यह बात सुनकर मैंने मनीष का पूरा साथ दिया। जब मैंने मनीष को कहा मुझे डॉगी स्टाइल में चोदा मनीष ने मेरी चूतडो को अपने सामने किया मनीष ने मुझे धक्के देना शुरू कर दिए। मैने मनीष से कहा मुझे और तेजी से चोदा। मनीष मुझे और तेजी से धक्के मार रहे थे मेरी चूत से बहुत ज्यादा खून निकल रहा था।
मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था। मनीष भी अपने आपको रोक पा रहे थे मनीष की धक्के मारने की स्पीड बढ़ती जा रही थी। मेरी चूतडो का रंग लाल होने लगा था। महेश ने मेरी चूतडो को लाल कर दिया था। मैं भी मनीष से अपनी चूतड़ों को मिलाए जा रही थी मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा था। जब मैं मनीष से अपनी चूतडो को मिलाती तो मनीष मुझे कहती मुझे तुम्हे धक्के मारने में मजा आ रहा है। मेरी चूत से निकलता हुआ खून बढ चुका था मनीष को बहुत मजा आ रहा था। मेरे अंदर की गर्मी बढ़ती जा रही थी मैंने और मनीष ने एक दूसरे के साथ काफी देर तक संभोग का मजा लिया। मनीष ने मेरी चूत के अंदर अपने माल को गिरा कर हम दोनों के रिश्ते की शुरुआत की तो मैं बड़ी खुश थी। मनीष भी बहुत खुश हो गए थे उसके बाद हम दोनों ने फैसला कर लिया था हम दोनों एक दूसरे को कभी भी सेक्स की कमी नहीं होने देंगे। हम दोनों एक दूसरे के साथ हमेशा सेक्स का मजा खुलकर लिया करते।
मेरा लंड था चूत का प्यासा
कुछ दिनों के लिए मुझे अपने काम के सिलसिले में मुंबई जाना था तो मैं मुंबई चला गया। जब मैं मुंबई गया तो उसी बीच मेरे पापा की तबियत अचानक से खराब हो गई और मेरी मां ने मुझे घबराते हुए फोन किया। मैंने मां से जब पूरी बात पूछी तो उन्होंने मुझे बताया कि तुम्हारे पापा की तबीयत खराब है मैंने उन्हें कहा कि मैं बस कल तक लौट आऊंगा मां कहने लगी कि बेटा मैं तुम्हारे पापा का ख्याल रख लूंगी। जब अगले दिन मैं घर पहुंचा तो पापा की तबीयत बहुत खराब थी हालांकि मां उन्हें अस्पताल से घर ले आई थी लेकिन मां ने मुझे कहा कि बेटा तुम कुछ दिनों की अपने ऑफिस से छुट्टी ले लो। मैंने मां से कहा ठीक है मां मैं कुछ दिनों के लिए अपने ऑफिस से छुट्टी ले लेता हूं और फिर मैंने कुछ दिनों के लिए अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली।
मैं ऑफिस से छुट्टी ले चुका था और घर मे मां और मैं पापा का ख्याल रख रहा था। मां मुझे कहने लगी कि सुरेश बेटा मुझे लगने लगा है कि तुम्हें शादी कर लेनी चाहिए क्योंकि घर पर कई बार मैं अकेली होती हूं वह तो शुक्र है कि हमारे पड़ोस में अच्छे लोग रहते हैं जो कि उस दिन तुम्हारे पापा को हॉस्पिटल ले गए थे। मुझे भी अब यह लगने लगा था कि मुझे शादी कर लेनी चाहिए इसलिए मैं भी अब लड़की देखने लगा लेकिन मुझे अभी तक कोई लड़की पसंद आई नहीं थी। पापा की तबीयत ठीक हो चुकी थी तो मैं चाहता था कि मैं शादी कर लूं। पापा के एक पुराने दोस्त हैं जब पापा ने मुझे उनकी लड़की से मिलवाया तो मुझे पारुल बहुत अच्छी लगी। मैं चाहता था कि पारुल से मैं अकेले में मिलकर बात करूं इसलिए मैंने पारुल से अकेले में मिल कर बात करने के बारे में सोचा। मैंने पारुल को फोन किया तो पारुल ने मेरा फोन नहीं उठाया मैंने उसके बाद दोबारा से पारुल को फोन किया तो पारुल ने मेरा फोन उठा लिया, मैंने पारूल को बताया कि मैं सुरेश बोल रहा हूं तो वह मुझे कहने लगी कि हां सुरेश कहो। मैंने पारुल को कहा कि मैं तुमसे मिलना चाहता हूं वह मुझे कहने लगी कि ठीक है सुरेश मैं तुमसे मिलने को तैयार हूँ लेकिन आज हम लोगों का मिलना संभव नहीं हो पाएगा।
मैंने पारुल को कहा कोई बात नहीं हम लोग कल मिल लेंगे वह मुझे कहने लगी कि ठीक है हम लोग कल मुलाकात कर लेते हैं। हमने फोन रख दिया था हम दोनों की यह फोन पर पहली ही बार बात हुई थी पारुल और जब अगले दिन मैं और पारुल एक दूसरे को मिले तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। मुझे पारुल से खुलकर बात करनी थी मैं नहीं चाहता था कि हमारे रिश्ते की बुनियाद किसी भी झूठ पर टिकी हो इसलिए मैं पारुल को सब कुछ बताना चाहता था। पारुल उस दिन बहुत ही सुंदर लग रही थी जब वह मेरे पास आकर बैठी और मुझे कहने लगी कि हां सुरेश कहो तुम्हें क्या कहना था तो मैंने पारुल को कहा कि पारुल आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो। पारुल मुझे कहने लगी कि थैंक्यू सुरेश और उसके बाद हम दोनों एक दूसरे से बातें करने लगे मैं चाहता था कि पारुल को मैं अपनी जिंदगी के बारे में सब कुछ बता दूँ। मैंने पारुल को अपने बारे में सब कुछ बता दिया था वैसे मेरे जीवन में कुछ भी ऐसा नहीं था जो मैं पारुल से छुपाता इसलिए मैंने पारुल को सब कुछ बता दिया था। पारुल ने मुझे जब अपने रिलेशन के बारे में बताया तो मैंने पारुल से कहा कि क्या तुम अभी भी रिलेशन में हो और अगर हम दोनों शादी करेंगे तो क्या हम दोनों उसके बाद खुश रहेंगे तो पारुल मुझे कहने लगी कि नहीं सुरेश अब मैं रिलेशन में नहीं हूं। मैंने पारुल को कहा पारुल मुझे उससे कोई भी फर्क नहीं पड़ता पारुल मुझे कहने लगी कि लेकिन सुरेश अगर तुम्हें कभी ऐसा लगा कि मैं और तुम एक दूसरे के साथ नहीं रह सकते या फिर आगे चलकर हमारे रिलेशन में किसी भी प्रकार की कोई परेशानी आई तो तब क्या होगा। मैंने पारुल को कहा तुम उसकी बिल्कुल भी चिंता मत करो हम दोनों के बीच कभी भी कुछ ऐसा नहीं होगा। पारुल और मैं एक दूसरे के साथ काफी देर तक बातें करते रहे पारुल से बात कर के मुझे अच्छा लगा और वह भी बहुत ज्यादा खुश थी कि हम दोनों ने एक दूसरे से खुलकर बातें की। हम दोनों एक दूसरे को अपने बारे में सब कुछ बता चुके थे ऐसा कुछ भी नहीं था जो मैंने पारुल से छुपाया था और ना ही पारुल ने मुझसे कुछ छुपाया था इसलिए हम दोनों एक दूसरे के साथ शादी करने के लिए तैयार थे।
मैं पारुल को अपने माता-पिता के बारे में बता चुका था कि मेरे पापा की तबीयत ठीक नहीं रहती है तो पारुल ने मुझे कहा कि सुरेश तुम बिल्कुल चिंता मत करो मैं तुम्हारे पापा का पूरा ध्यान रखूंगी। मैं बहुत ही खुश और हम दोनों एक दूसरे से फोन पर भी बातें करने लगे थे। हम दोनों का मिलना अक्सर होने लगा था हम दोनों एक दूसरे को अक्सर मिलते रहते जब भी मेरी और पारुल की एक दूसरे से बातचीत होती तो हमें काफी अच्छा लगता। हमारे परिवार वालों को भी लग चुका था कि हम दोनों की सगाई कर देनी चाहिए इसलिए उन लोगों ने मेरी और पायल की सगाई करने का फैसला कर लिया। पापा चाहते थे कि मेरी सगाई में किसी भी प्रकार की कोई कमी ना रह जाए इसलिए उन्होंने हमारे सारे रिश्तेदारों को सगाई में इनवाइट कर दिया था और वह काफी खुश थे। हम दोनों की सगाई हो चुकी थी और मैं अपनी सगाई से बहुत खुश था और पारुल भी इस बात से बहुत खुश थी कि हम दोनों की सगाई हो चुकी है। मैं और पारुल एक दूसरे से सगाई कर के बहुत खुश थे हम दोनों एक दूसरे से खुलकर बात चीत करते और हम दोनों की जिंदगी में सब कुछ अच्छे से चल रहा था।
हम दोनों की सगाई हो जाने के बाद हम लोग एक दूसरे से खुल कर बातें करने लगे थे। हम दोनों एक दूसरे के बिना बिल्कुल रह नहीं पाते थे मैं और पारूल चाहते थे कि हम दोनों एक दूसरे के साथ कहीं घूमने के लिए जाए। पारूल को भी इस से कोई एतराज नहीं था। हम दोनों ने शादी से पहले ही एक साथ घूमने का फैसला किया। हम दोनों घूमने के लिए मुंबई चले गए मैं और पारूल कुछ दिनों के लिए मुंबई मेरे दोस्त के घर पर ही रुकने वाले थे। पारुल को कोई एतराज नहीं था हम दोनों एक ही रूम में लेटे थे। पारुल और मै एक ही रूम थे और हम दोनो अपने आपको रोक ना सके। हम दोनों ने एक दूसरे को किस कर लिया जिसके बाद हम दोनों के अंदर की गर्मी इस तरीके से बढ़ चुकी थी कि हम दोनों बिल्कुल भी रह ना सके। मैंने पारूल से कहा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। हम दोनों को मजा आने लगा था अब हम दोनों बिल्कुल भी एक दूसरे की गर्मी को झेल नहीं पा रहे थे। मुझे यह साफ तौर पर लगने लगा था कि मुझे पारूल की चूत में लंड को डालना है। मैंने अपने कपड़े उतारे जब पारुल और मैं एक दूसरे के साथ नग्न अवस्था में लेटे थे तो हम दोनों का बदन एक दूसरे से टकरा रहा था जिससे कि मुझे बड़ा मजा आ रहा था। हम दोनों को ही मजा आने लगा था और हम दोनों के अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बढ़ने लगी थी। हम दोनों के अंदर की आग इतनी ज्यादा बढ़ चुकी थी कि उसे रोक पाना बहुत ही मुश्किल हो रहा था। मैंने जब पारुल के सामने अपने लंड को किया तो पारुल ने मेरे लंड को अपने हाथों में लेते हुए हिलाना शुरू किया। जब वह मेरी लंड को हिला रही थी तो मुझे मजा आने लगा था और पारूल को भी बड़ा मजा आ रहा था। हम दोनों के अंदर आग लगी थी पारुल ने मेरे मोटे लंड को अपने मुंह में समाते हुए उसे बड़े अच्छे तरीके से चूसना शुरू किया पारुल मेरे लंड को अपने मुंह में ले रही थी मुझे लग रहा था वह मेरे लंड से पानी निकाल कर ही मानेगी उसने 5 मिनट तक मेरे मोटे लंड को बहुत अच्छे से चूसा और मेरे लंड से पानी बाहर निकाल दिया।
पारूल बहुत ही ज्यादा तड़प उठी थी वह मुझे कहने लगी मुझे तुम्हारे लंड को अपनी चूत मे लेना है। मैंने पारुल की चूत की तरफ देखा तो उसकी गुलाबी चूत को चाटने का मेरा मन होने लगा। मैंने उसकी योनि को बहुत देर तक चाटा। मैं उसकी योनि को तब तक चाटता रहा जब तक उसकी योनि से पानी बाहर नहीं निकल आया। पारुल और मैं एक दूसरे के साथ बड़े ही अच्छे से मजे ले रहे थे। जब पारूल की चूत को चाटकर मैने पानी बाहर निकाल दिया था तब वह मेरे मोटे लंड को चूत में लेने के लिए तरसना लगी थी। मुझे मजा आने लगा था मैंने भी अपने लंड को पारूल की चूत पर सटाया तो पारुल की योनि से पानी बाहर निकल रहा था। जैसे ही मैंने अपने मोटे लंड को पारूल की चूत के अंदर प्रवेश करवाया तो वह बहुत जोर से चिल्लाते हुए मुझे कहने लगी मजा आने लगा है।
मैं पारूल को बड़ी तेज गति से धक्के देने लगा था। मै उसको जिस तेज गति से धक्के मार रहा था उसको बड़ा ही मजा आ रहा था वह मुझे कहने लगी बस तुम ऐसे ही मुझे चोदते जाओ। मैंने पारूल को कहा मुझे तुम्हें चोदने मे बहुत ही मजा आने लगा है पारूल अपने पैरों को खोलने लगी थी। वह जब अपने पैरों को खोल रही थी तो मैंने उसे कहा आज तुम्हारे अंदर की गर्मी बढी हुई है। वह मुझे कहने लगी हां कुछ ऐसा ही समझ लो। मैंने उसके पैरों को अपने कंधों पर रख लिया मै अब उसे बड़ी तीव्र गति से धक्के देने लगा। मुझे इतना मजा आने लगा था कि पारुल अपने मुंह से सिसकारियां लेती जा रही थी वह जिस प्रकार से सिसकारियां ले रही थी उससे मेरे अंदर की गर्मी बढ़ रही थी। पारूल के अंदर की आग भी बढ़ती जा रही थी हम दोनों बिल्कुल भी अपने आपको रोक नहीं पा रहे थे ना तो मैं अपने आप को रोक सका और ना ही पारूल अपने आपको रोक सकी। मेरा वीर्य पारूल की चूत मे गिर गया उसके बाद हम लोग मुंबई लौट आए। अब पारूल और मेरी शादी तय हो चुकी है।
चूत का पानी बढा दिया
मैं जिस कॉलोनी में रहता हूं उसी कॉलोनी में हमारे पड़ोस में सरिता का परिवार रहा करता है सरिता के परिवार और हमारे परिवार के बीच काफी अच्छी बातचीत थी। लेकिन जबसे सरिता और मेरी नजदीकियां बढ़ने लगी तो उसके पापा को यह बात बिल्कुल भी पसंद नहीं आई। उसके पापा काफी पुराने ख्यालात के हैं इस वजह से सरिता और मैं एक दूसरे के हो ना सके और हम दोनों एक दूसरे से बात भी नहीं करते थे। सरिता को उसके पिताजी घर की चारदीवारी में ही कैद रखते हैं उसकी दुनिया जैसे घर की चारदीवारी में ही सिमट कर रह गई है मैंने भी उसके बाद सरिता को अपने दिलो दिमाग से भुलाने की कोशिश की। हालांकि मेरे लिए यह बड़ा ही मुश्किल था लेकिन फिर भी मैंने कोशिश की और अब मैं और सरिता एक दूसरे से अलग हो चुके हैं। मैं अब सरिता के बारे में भूल चुका हूं मुझे तो अपनी जिंदगी में कई बार ऐसा महसूस होता है कि जैसे मेरी जिंदगी में कुछ अच्छा हो ही नहीं सकता। सरिता का मेरी जिंदगी से चले जाना मेरे लिए बहुत ही तकलीफ देने वाला था लेकिन अब मेरे और सरिता के बीच की दूरियां तो बढ़ ही चुकी थी मैं अपनी जिंदगी में खुश था और मैंने अपनी जिंदगी को बस सीमित दायरे में ही कैद करके रख लिया था।
मेरे कुछ चुनिंदा दोस्त है जो कि मुझसे मिल लिया करते थे धीरे धीरे मैं अपने पुराने दोस्तों से कम ही मिला करता था सब कुछ बदलता चला गया लेकिन मेरी जिंदगी में एक चीज कभी बदलने वाली नहीं थी और वह था हमारी जिंदगी का अनुशासन। मैं अपनी सेहत के प्रति बहुत ही ज्यादा सजग था और अपनी सेहत का बहुत ही ध्यान रखता, मैं रोज सुबह जिम जाया करता। जब मैं जिम जाता था तो उस वक्त मेरी मुलाकात एक लड़की से हर रोज होती थी लेकिन उससे मेरी बात नहीं हो पाई थी मैं उसे हमेशा देखा करता था परंतु मेरी उससे बात नहीं हुई थी। एक दिन जब मैंने कविता से बात करने की सोची तो उस दिन मैंने कविता से बात कर ही ली, मैंने कविता से कहा कि आप क्या करती हैं तो कविता ने मुझे बताया कि वह अभी कॉलेज में पढ़ाई कर रही हैं। हालांकि कविता की उम्र मुझसे काफी कम थी लेकिन फिर भी कविता मुझे अच्छी लगती और मुझे उसके साथ बात करना भी अच्छा लगता, अब हम दोनों की हर सुबह बात हो जाया करती थी।
एक दिन मैं अपने घर से बाहर निकल रहा था तो मैंने देखा कि कविता भी सामने से अपनी स्कूटी से आ रही थी जब मैंने कविता को देखा तो मैंने अपनी कार को रोकते हुए कविता को कहा तुम यहां कहां जा रही हो तो कविता ने मुझे बताया कि उसके मामा जी इसी कॉलोनी में रहते हैं। मैंने जब कविता से पूछा कि उसके मामा जी का नाम क्या है तो कविता ने मुझे अपने मामा जी का नाम बताया मेरे लिए शायद इससे बढ़कर खुशी की बात कुछ थी ही नहीं क्योंकि उसके मामा जी का परिवार कुछ दिनों पहले ही हमारे पड़ोस में रहने के लिए आया था और वह लोग हमारे सामने वाले घर में शिफ्ट हो गए थे मैं बहुत ज्यादा खुश था। मैंने कविता को कहा कि मैं तुम्हें छोड़ देता हूं कविता कहने लगी नहीं मैं चली जाऊंगी। कविता वहां से जा चुकी थी लेकिन मुझे इस बात की खुशी थी कि इस बहाने कविता से मेरी मुलाकात होती ही रहेगी और उसके बाद भी मेरी कविता से मुलाकात होती रही वह कई बार हमारी कॉलोनी में आ जाया करती थी। जब भी वह हमारी कॉलोनी में आती तो कविता से मेरी काफी बातचीत हो जाया करती थी। कविता और मेरी अक्सर बातचीत होने लगी थी हम दोनों एक दूसरे के साथ काफी ज्यादा समय बिताने लगे थे और कविता को भी मेरा साथ अच्छा लगने लगा था हम दोनों एक दूसरे को डेट करने लगे थे। एक दिन कविता और मैं साथ में मॉल में गए हुए थे उस दिन मैंने कविता से कहा कि आज तुमने मुझे मॉल में बुला लिया तो कविता मुझे कहने लगी कि मुझे तो शॉपिंग करनी थी इसलिए मैंने तुम्हें आज अपने साथ ही बुला लिया। कविता शॉपिंग कर रही थी और मैं कविता के साथ ही था लेकिन मैं बहुत बोर हो गया था क्योंकि मुझे ज्यादा देर कहीं पर भी रुकना बिल्कुल पसंद नहीं है इसलिए मैं बहुत ही ज्यादा बोर हो रहा था। कविता ने भी अपने लिए कपड़े खरीद लिए थे उसने शॉपिंग कर ली थी और शॉपिंग करने के बाद कविता और मैं शाम के वक्त घर लौट आए।
कविता मुझे कहने लगी कि माधव आज तुम बोर हो गए रहे होंगे मैंने कविता से कहा ऐसा कुछ भी नहीं है कविता मुझे कहने लगी कि मुझे साफ पता चल रहा था कि तुम बोर हो रहे हो। मैंने कविता को कहा नहीं कविता ऐसा कुछ भी नहीं है तुम गलत समझ रही हो तो कविता मुझे कहने लगी कि अगर ऐसी बात नहीं है तो तुम यह बताओ कि जब मैं कपड़े खरीद रही थी तो तुम मुझसे बात क्यो नहीं कर रहे थे। मैंने कविता को कहा अब इस बारे में हम लोग बात ना करें तो ही ठीक रहेगा कविता ने भी इस बात को नजरअंदाज कर दिया और फिर हम दोनों घर चले आये। मैंने कविता को उसके घर पर छोड़ा और उसके बाद मैं अपने घर चला आया, जब मैं कविता के घर से अपने घर पहुंचा तो मेरी बड़ी दीदी घर पर आई हुई थी। वह घर पर आई थी तो वह मुझे कहने लगी कि माधव तुम कहां थे तो मैंने दीदी से कहा कि दीदी मैं अपने दोस्तों के साथ घूमने के लिए गया हुआ था। मैंने दीदी को कविता के बारे में नहीं बताया और ना हीं मैं कविता के बारे में किसी को बताना चाहता था। दीदी मुझे कहने लगी कि माधव काफी दिन हो गए हैं तुम हमारे घर भी नहीं आए।
मैंने दीदी से कहा कि नहीं दीदी आप तो जानते ही हैं कि समय का कितना भाव रहता है और मुझे बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता इस वजह से मैं आपसे मिलने के लिए आ नहीं पाया दीदी कहने लगी चलो कोई बात नहीं। उस रात हम लोगों ने साथ में डिनर किया और अगले दिन मुझे ही दीदी को छोड़ने के लिए उनके घर पर जाना पड़ा। मैं दीदी को छोड़ने के लिए उनके घर पर चला गया जब मैं दीदी को छोड़ने के लिए उनके घर पर गया तो दीदी मुझे कहने लगी कि माधव तुम आज हमारे घर पर ही रुक जाओ। मैंने दीदी से कहा नहीं दीदी मुझे ऑफिस के लिए लेट हो रही है मुझे अभी जाना होगा। दीदी कहने लगी चलो कोई बात नहीं उसके बाद मैं अपने ऑफिस चला गया। एक रात कविता और मैं फोन पर बात कर रहे थे जब हम दोनों फोन पर बातें कर रहे थे तो उस वक्त कविता ने मुझे कहा माधव मुझे तुमसे कुछ कहना है। मैंने कविता का कहो क्या कहना है कविता ने मुझे कहा वह मेरे साथ किस करना चाहती है उसने कभी भी किस नहीं किया था। यह बात सुनकर मैंने कविता से कहा हम लोग कल ही मिलते हैं और अगले दिन हम दोनों एक दूसरे को मिले। जब हम दोनों एक दूसरे से मिले तो मैंने कविता के होठों को चूम लिया और कविता को अपना दीवाना बना दिया वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी। वह मुझे कहने लगी मुझसे तो बिल्कुल भी रहा नहीं जाएगा हम दोनों एक दूसरे के लिए तडपने लगे थे। मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था ना कविता अपने आपको रोक पा रही थी। वह मुझे कहने लगी मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है मैंने कविता के सामने अपने लंड को निकालकर हिलाना शुरू किया। वह मेरे लंड को हिलाकर कहने लगी तुम्हारा लंड कितना मोटा है। मैंने कविता को कहा तुम अपने मुंह में लेकर इसका स्वाद चख लो। वह कहने लगी ठीक है अभी मैं तुम्हारे लंड को अपने मुंह में लेकर तुम्हारे लंड का स्वाद चख लेती हूं। कविता ने अपने मुंह को खोलकर मेरे लंड को चूसना शुरु कर दिया। जब उसने ऐसा किया तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था और उसको बहुत ज्यादा मजा आने लगा। वह मेरे लंड को अपने गले के अंदर तक ले रही थी।
जब वह ऐसा कर रही थी तो मुझे मजा आने लगा कविता मेरे लंड को अच्छे से सकिंग कर रही थी। मुझे उसने पूरे मजे दिए मैंने कविता को कहा मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जाएगा कविता कहने लगी मैं तुम्हारे लिए बहुत ज्यादा तड़पने लगी हूं। मैंने कविता को कहा मैं तुम्हारी चूत में लंड घुसा देता हूं और मैंने कविता के पैरों को खोलकर उसकी योनि के अंदर लंड घुसा दिया। वह मुझे कहने लगी मेरी योनि के अंदर लंड डाल दो मैंने भी एक जोरदार झटके के साथ कविता की योनि के अंदर अपने मोटे लंड को घुसा दिया। कविता की योनि से खून की पिचकारी बाहर निकाला आई कविता की योनि से खून की पिचकारी बाहर निकल आई तो कविता जोर से चिल्लाते हुए मुझे कहने लगी मुझे आज मजा आ गया। मैंने कविता से कहा मजा तो मुझे भी बड़ा आ रहा है अब कविता ने मुझे बड़ी उत्तेजित करते हुए कहा मुझे और भी तेजी से धक्के मारो।
मैंने कविता की योनि के अंदर बड़ी तेज गति से धक्के मारने शुरू कर दिए। कविता की योनि के अंदर बाहर मे धक्के मार रहा था कविता उत्तेजित होती जा रही थी। वह मुझे कहने लगी मेरे अंदर की आग को तुमने पूरी तरीके से बढा कर रख दिया है मैं बिल्कुल भी तुम्हारी गर्मी को झेल नहीं पाऊंगी। मैंने कविता को कहा तुम्हारी चूत से निकलता हुआ खून बहुत ही ज्यादा बढ़ चुका है। वह मुझे कहने लगी मुझसे बिल्कुल नहीं रहा जा रहा है। मैंने कविता को घोड़ी बना दिया कविता को घोडी बनाने के बाद जब मैंने उसे चोदना शुरू किया तो उसकी योनि से पानी और खून दोनों ही बाहर निकल रहा था। उसकी चूत मेरे वीर्य को बाहर की तरफ खींचने लगी मैंने कविता की चूत को अपने वीर्य की पिचकारी से नहला दिया वह खुश हो गई। वह कहने लगी अब मुझे मजा आ गया मुझे ऐसा लग रहा है जैसे कि मेरी इच्छा पूरी हो गई है।
अंडकोषो ने पानी छोड दिया था
मैं और महिमा साथ में ही पढ़ा करते थे जब महिमा मेरे साथ कॉलेज में पढ़ती थी तो मैं उससे प्यार करने लगा था मैंने महिमा को अपने दिल की बात कही। महिमा ने मेरे प्रपोज को स्वीकार करने में बहुत समय लगाया लेकिन मैंने भी हिम्मत नहीं हारी और थोड़े समय बाद महिमा और मेरे बीच में रिलेशन चलने लगा। कॉलेज का आखिरी दिन था उस दिन मैं और महिमा साथ में काफी देर तक बैठे रहे मैंने महिमा से कहा कि कॉलेज अब खत्म हो चुका है और अब जॉब की बहुत ही ज्यादा टेंशन हो रही है पता नहीं आगे क्या होगा। महिमा मुझे कहने लगी कि रोहन सब कुछ ठीक हो जाएगा तुम चिंता मत करो, जब महिमा ने मुझसे ऐसा कहा तो मुझे काफी अच्छा लगा उस दिन हम दोनों अपने अपने घर चले गए। कुछ समय बाद मैं जॉब करने लगा मेरी एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब लग गई और मैं काफी खुश था। मैंने यह बात महिमा को बताई तो महिमा मुझे कहने लगी कि मैंने तुम्हें कहा नही था की तुम्हारी जॉब लग जाएगी देखो तुम्हारी जॉब लग गई मैंने महिमा को कहा हां महिमा तुम बिल्कुल ठीक कह रही हो।
मैंने महिमा से काफी देर तक बात की मैंने महिमा को कहा कि महिमा तुम आगे क्या करने वाली हो तो महिमा कहने लगी कि मैं भी नौकरी की तलाश में हूं। मैंने महिमा को कहा कि तुम मेरी कंपनी में क्यों ट्राई नहीं कर लेती, मैंने महिमा को कहा कि तुम मुझे कल अपना रिज्यूम भेज देना तो महिमा कहने लगी कि ठीक है मैं कल तुम्हें अपना रिज्यूम भेज दूंगी। महिमा ने मुझे मेरी मेल आईडी पर रिज्यूम भेज दिया महिमा का रिज्यूम मुझे मिल चुका था। मुझे ऑफिस में काम करते हुए करीब 6 महीने हो चुके थे इसलिए अब मेरी सबसे पहचान होने लगी थी और मेरी वजह से महिमा को हमारी ही कंपनी में जॉब मिल गई। महिमा और मैं अब साथ में जॉब करने लगे थे मेरी तनख्वाह 25 हजार महीना थी और मैं बहुत खुश था महिमा भी अपनी जॉब से काफी खुश थी। महिमा और मेरे बीच तो प्यार था ही और हम दोनों एक दूसरे को बहुत अच्छे से समझते भी थे।
एक दिन हमारे ही ऑफिस में काम करने वाले रितेश जो कि मुझसे सीनियर थे वह महिमा को कुछ गंदे तरीके से घूर रहे थे जो कि मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं आया। मैंने महिमा से इस बारे में कहा तो महिमा कहने लगी कि मुझे भी रितेश बिल्कुल अच्छे नहीं लगते उनका व्यवहार और उनके बात करने का तरीका मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है इसलिए मैं उनसे दूर ही रहती हूं। हम दोनों का रिलेशन तो अच्छे से चल ही रहा था लेकिन मुझे क्या पता था कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब मुझे महिमा के बारे में मेरे दोस्त से सुनने को मिलेगा। मेरे दोस्त ने मुझे बताया कि उसका और रितेश का रिलेशन चल रहा है मैं इस बात से बहुत ही गुस्सा हुआ मुझे तो पता ही नहीं चल रहा कि आखरी यह हो कैसे गया। मैंने महिमा से इस बारे में पूछा तो महिमा ने मुझे कहा कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है महिमा मुझे सफाई देने की कोशिश कर रही थी लेकिन मुझे यह बात अच्छे से पता चल चुकी थी की महिमा और रितेश सर के बीच में रिलेशन चलने लगा है मैंने उन दोनों को साथ में भी देखा था इसलिए मैंने महिमा से दूर रहने का फैसला कर लिया था। महिमा और मैं एक दूसरे से दूर हो चुके थे मैं महिमा से बात नहीं करता था, मैंने अपने ऑफिस से भी रिजाइन दे दिया था और मैंने दूसरा ऑफिस ज्वाइन कर लिया लेकिन महिमा की बेवफाई मुझे हर रोज परेशान करने पर मजबूर कर देती। मैं यह सोचता कि आखिर महिमा ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया लेकिन मेरे पास किसी भी बात का कोई जवाब नहीं था और ना ही मुझे इस बात का कोई जवाब मिलने वाला था इसलिए मैं भी अब अपनी जिंदगी में आगे बढ़ता चला गया। मैंने दूसरी कंपनी ज्वाइन कर ली थी वहां पर मैं ज्यादा किसी से मतलब नहीं रखता था मैं सिर्फ अपनी जॉब पर ध्यान दे रहा था, मैं अपने ऑफिस सुबह चला जाता और शाम को घर लौटता मेरी जिंदगी बिल्कुल सामान्य तरीके से चल रही थी। एक दिन मुझे मेरे दोस्त ने बताया कि महिमा और रितेश सर की शादी तय हो गई है यह बात सुनकर मेरा दिल और भी ज्यादा बैठ गया और मैं उस दिन सो भी नहीं पाया मैं अपने और महिमा के बीच के पुराने दिनों को याद करने लगा लेकिन महिमा तो यह सब भूल चुकी थी और महिमा को इस बारे में कुछ भी याद नहीं था लेकिन मैं अब अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुका था। मेरी जिंदगी में जब सुहानी आई तो सुहानी के मेरी जिंदगी में आने से बदलाव आने लगा सुहानी को मैंने अपने बारे में सब कुछ बता दिया था इसलिए सुहानी भी मेरा साथ देने लगी। हालांकि सुहानी की जिंदगी में भी काफी बुरा हुआ था उसकी सगाई जिससे हुई थी वह बहुत लालची थे और उन्होंने सुहानी पिताजी से दहेज की मांग की परन्तु सुहानी को यह बिल्कुल मंजूर नहीं था इसलिए सुहानी और मेरे बीच के रिश्ते बढ़ते ही जा रहे थे।
हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करने लगे हम दोनों एक दूसरे को ज्यादा से ज्यादा समय देने की कोशिश करते थे। मैं काफी खुश था कि सुहानी के साथ मैं समय बिता पा रहा हूं सुहानी मुझे अच्छे से समझती थी और उसने मुझे कभी भी किसी चीज की कोई कमी महसूस होने नहीं दी। मैं सुहानी से अपनी हर एक बात शेयर कर लिया करता क्योंकि सुहानी और मेरे बीच में काफी समानताएं थी। हम दोनों एक दूसरे से प्यार तो करते ही थे लेकिन धीरे धीरे हमारे बीच में प्यार इतना ज्यादा बढ़ चुका था कि हम दोनों एक दूसरे के बिना रह भी नहीं पाते थे इसलिए मैं और सुहानी एक दूसरे के साथ बहुत ज्यादा खुश थे। हम दोनों का रिलेशन अच्छे से चल रहा था सुहानी और मेरे रिलेशन को काफी समय हो चुका था। एक दिन मुझे सुहानी ने कहा कि चलो आज हम लोग कहीं घूम आते हैं उस दिन हम दोनों साथ में मूवी देखने के लिए गए। जब हम लोग मूवी देखने के लिए गए तो वहां पर मुझे महिमा दिखी महिमा को भी अपनी गलती का शायद एहसास हो चुका था इसलिए उसने मुझसे माफी मांगी और कहा कि रोहन मैंने तुम्हारे साथ बहुत ही गलत किया मुझे तुम्हारे साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था।
महिमा को अपनी गलती का एहसास हो चुका था उसके और रितेश के बीच में कुछ ठीक नहीं चल रहा था वह दोनों एक दूसरे से अलग हो चुके थे, मैंने भी महिमा को माफ कर दिया था। मेरा रिलेशन सुहानी के साथ अच्छे से चल रहा था और हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत खुश थे। मेरे और सुहानी के बीच बहुत ही अच्छे से रिलेशन चल रहा था। हम दोनों एक दूसरे के लिए काफी समय निकाल लिया करते। मैंने एक दिन सुहानी से कहा हम लोग आज कहीं साथ में घूमने के लिए चलते हैं उस दिन हम दोनों साथ में घूमने के लिए गए। उस दिन हम दोनों ने साथ मे समय बिताया उस दिन मेरे अंदर एक अलग फीलिंग जागने लगी। मैंने सुहानी के होंठों को चूमना शुरू किया मैं जब सुहानी के होठों को चूम रहा था तो मुझे मजा आने लगा और सुहानी को भी बड़ा अच्छा महसूस होने लगा। अब हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स करने के लिए पूरी तरीके से तैयार हो चुके थे मैंने और सुहानी ने कही बाहर रूकने का फैसला किया। हम दोनों उस दिन साथ में रुके हम दोनों होटल मे चले गए वहां पर मैंने रुम लिया। रूम लेने के बाद मै और सुहानी एक ही बिस्तर पर थे मैं सुहानी को चूम रहा था। अब सुहानी भी अपने आपको रोक नहीं पा रही थी वह मेरे होठों को चूमने लगी मुझसे रहा नहीं जा रहा था। हम दोनो अब एक दूसरे के बदन को महसूस कर रहे थे। मैने अपने लंड को बाहर निकल कर हिलाना शुरू किया तो वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेना चाहती थी। सुहानी ने मेरे लंड को बाहर निकालकर उसे चूसना शुरू किया मुझे बड़ा ही आनंद आने लगा। सुहानी मेरे लंड को बड़े अच्छे तरीके से चूस रही थी।
सुहानी ने मेरे लंड तब तक चूसा जब तक उस से पानी बाहर निकाल आया मेरे अंदर की गर्मी बढ चुकी थी। सुहानी की चूत से निकलता हुआ पानी भी अब बढ चुका था सुहानी ने मेरे सामने अपने कपडे उतारे अब वह मेरे सामने नंगी थी। मैने सुहानी को गोद मै बैठाया मेरा लंड सुहानी की गांड पर लग रहा था। मै सुहानी की चूत को चाटना चाहता था मै उसकी चूत को चाटने लगा। सुहानी की चूत को चाटकर मुझे अच्छा महसूस हो रहा था सुहानी की गुलाबी चूत को चाटकर चिकना बना दिया था। सुहानी की चूत से निकलता हुआ पानी बहुत ही ज्यादा होने लगा था। सुहानी मुझे कहने लगी मैं बिल्कुल रह नहीं पाऊंगी। मैंने सुहानी को कहा बस कुछ देर की बात है मुझसे भी बिल्कुल नहीं रहा जा रहा है। मैने अपने लंड को सुहानी की चूत पर लगाया मैंने जब सुहानी की चूत मे धक्का मारना शुरू किया तो मेरा लंड सुहानी की चूत के अंदर जा चुका था। जब मेरा मोटा लंड सुहानी की चूत के अंदर घुसा तो सुहानी की चूत से खून निकल आया था सुहानी को मजा आने लगा था।
जब मेरा लंड सुहानी की योनि में चला गया तो सुहानी को मजा आने लगा और मुझे भी बड़ा अच्छा लग रहा था। मैंने सुहानी के पैरों को चौड़ा किया मै जिस तरह उसे चोद रहा था उससे मुझे मजा आ रहा था और सुहानी के अंदर की गर्मी भी बढ़ती जा रही थी। सुहानी मुझे कहने लगी मुझे तुम ऐसे ही धक्के मारते रहो मैं उसे जिस तेजी से धक्के मार रहा था मुझे बड़ा मजा आने लगा था मेरे अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी। सुहानी सिसकियां ले रही थी सुहानी जिस तरह सिसकारियां ले रही थी उस से मुझे उसे चोदने मे मजा आ रहा था और मेरे लंड से पानी भी बाहर निकलने लगा था। मैंने सुहानी को तेज गति से धक्के मारने शुरू कर दिए थे। सुहानी का गदराया बदन जिस तरह से हिल रहा था उस से मेरे अंडकोषो से पानी निकलने लगा था। सुहानी की चूत से मेरे अंडकोष टकराते जा रहे थे तो मुझे और भी ज्यादा मजा आता। मेरे अंदर की आग बाहर आ चुकी थी मैंने सुहानी की चूत के अंदर अपने माल को गिराकर उसकी गर्मी को शांत कर दिया था।
चूत और लंड की रगडन से मजा आ गया
मैं मुंबई जॉब करने के लिए आ चुका था मैं अपनी सारी पिछली बातों को भूलकर आगे बढ़ चुका था मुझे मुंबई में अभी दो वर्ष हुए थे। एक दिन मैं घर पर ही बैठा था तो उस दिन मैं सोचने लगा कि क्या मैंने कावेरी के साथ सही किया मुझे कावेरी से ब्रेकअप करना चाहिए था या नहीं मेरे मन में यही सवाल था। मैंने उस वक्त हिम्मत करते हुए रात के वक्त कावेरी को फोन किया लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं उससे क्या बात करूंगा। मैंने जब कावेरी को फोन किया तो उसका फोन बिजी आ रहा था मैंने दो तीन बार ट्राई किया लेकिन फिर भी कावेरी ने फोन नहीं उठाया मुझे लगा कि शायद वह अपने काम पर बिजी होगी। मैं कावेरी के फोन का इंतजार करता रहा लेकिन कावेरी का मुझे फोन नहीं आया। अगले दिन मैंने कावेरी को फोन किया लेकिन उसने मेरा फोन नहीं उठाया मुझे लगा कि शायद वह मुझसे बात करना ही नहीं चाहती है उसके बाद मैंने भी उसे कोई फोन नहीं किया। मैंने उस दिन के बाद कावेरी को फोन नहीं किया था लेकिन एक दिन कावेरी का मुझे फोन आया और उस दिन मैंने कावेरी से काफी देर तक बातें की।
कावेरी ने मुझे बताया कि अब उसकी शादी हो चुकी है मैंने कावेरी से कहा तुम अपनी शादी से खुश तो हो ना। कावेरी ने मुझे कहा कि हां मैं अपनी शादी से बहुत खुश हूं और अपनी शादीशुदा जिंदगी को मैं अच्छे से एंजॉय कर रही हूं मेरे पति बहुत ही अच्छे हैं। उस दिन कावेरी से मेरी काफी देर तक बात हुई कावेरी ने मुझे अपने पति के बारे में बताया, मैंने कावेरी से कहा मुझे इस बात की खुशी है कि तुमने मुझे माफ कर दिया। कावेरी मुझे कहने लगी कि राहुल हम अब अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुके हैं और मुझे नहीं लगता कि मुझे अब कभी इस बारे में सोचना भी चाहिए। मैंने कावेरी से माफी मांगी और कहा देखो कावेरी उस वक्त मुझे लगा था कि हम दोनों की शादी हो नहीं पाएगी और हम दोनों एक दूसरे से काफी अलग है तुम तो जानती हो कि तुम्हारे पिताजी कितने पैसे वाले हैं और मेरे पापा एक मामूली सी नौकरी करते हैं, तुम्हारे पापा हम दोनों को कभी स्वीकार नहीं करते।
कावेरी और मैं एक दूसरे के प्यार में इतना पागल थे कि हम दोनों एक दूसरे से शादी करने के लिए बेताब थे लेकिन इतना आसान भी तो नहीं था फिर मैंने भी सब भुलाने का फैसला किया और मैं मुंबई आ गया था। मैंने अब कावेरी को अपने दिलो दिमाग से भुला दिया था और मैं बहुत ही ज्यादा अकेला महसूस कर रहा था। कावेरी जब तक मेरी जिंदगी में थी तब तक मेरी जिंदगी अच्छे से चल रही थी मैं अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुका था और कावेरी की भी शादी हो चुकी थी इसलिए सब कुछ भूल कर मैं अपनी जॉब पर पूरी तरीके से ध्यान दे रहा था। एक दिन मेरी मुलाकात मेरे दोस्त ने कविता से करवाई, जब मेरी मुलाकात कविता से हुई तो मुझे पता चला कि कविता भी दिल्ली की रहने वाली है इसलिए कविता से मैं बातें करने लगा। कविता और मेरी बातें होने लगी थी हम दोनों एक दूसरे को मिलने भी लगे थे कविता को मुंबई में आए हुए अभी सिर्फ 6 महीने ही हुए थे। कविता के बारे में मैं कुछ चीजें जानने लगा था मुझे कविता के बारे में थोड़ा बहुत पता चल चुका था इसलिए मैं और कविता एक दूसरे के साथ अच्छे से समय बिताने लगे थे। मैं और कविता एक दूसरे के साथ काफी खुश थे और कविता के साथ जब भी मैं होता तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता। एक दिन कविता की बर्थडे पार्टी थी उसने अपने ऑफिस के कुछ दोस्तों को भी बुलाया था कविता ने मुझे भी अपनी बर्थडे पार्टी में इनवाइट किया। मैं जब कविता की बर्थडे पार्टी में गया तो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था मैं अपने आपको काफी अकेला महसूस कर रहा था लेकिन कविता ने मुझे अपने दोस्तों से मिलवाया तो फिर मुझे अच्छा लगने लगा था। कविता ने मुझे अपने दोस्तों से यह कहकर मिलवाया की हम दोनों एक दूसरे को डेट कर रहे हैं, मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था लेकिन कविता ने अपने मुंह से यह बात कही तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा और अब कविता और मेरे बीच में प्यार पनपने लगा था हम दोनों एक दूसरे को डेट करने लगे थे। मैं काफी खुश था कि कविता को मैं डेट कर रहा हूं क्योंकि कविता के साथ मैं जब भी होता तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता। कविता के साथ मैं जब भी होता तो कविता मुझे हमेशा ही कहती की राहुल तुम बहुत ही अच्छे हो।
कविता को मैं अपनी जिंदगी के बारे में सब कुछ बता चुका था क्योंकि कविता भी बिल्कुल मेरी तरह ही थी और कविता को इस बात से कोई फर्क ही नहीं पड़ता था। कविता और मैं मुंबई में ही रहते थे और अब हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत समय बिताने लगे थे। कुछ दिनों के लिए कविता छुट्टी ले कर दिल्ली चली गई मेरी बात कविता से फोन पर होती रहती, करीब 15 दिनों के लिए वह घर गई थी मेरी कविता से सिर्फ फोन पर ही बात होती रही। मैं कविता को बहुत ज्यादा मिस कर रहा था तो कविता मुझे कहने लगी कि राहुल मैं भी तुम्हें बहुत मिस कर रही हूं और कुछ दिनों में मैं मुंबई आ जाऊंगी। जब कविता मुंबई आई तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा और उस दिन कविता और मैंने एक साथ डिनर किया। कविता और मैं साथ में डिनर कर रहे थे तो मैंने कविता को रिंग पहना दी इस बात से कविता बहुत ही ज्यादा खुश हो गई और कहने लगी कि क्या हम दोनों के रिश्ते को तुम आगे बढ़ाना चाहते हो। मैंने कविता से कहा कि क्यों नहीं, मैं तुम्हारे साथ अपनी आगे की जिंदगी बिताना चाहता हूं, कविता बड़ी खुश थी और कविता और मैं एक दूसरे को गले मिले।
कविता ने मुझे कहा कि राहुल मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि तुम मेरी जिंदगी में आ जाओगे जब से तुम मेरी जिंदगी में आए हो तब से मेरी जिंदगी पूरी तरीके से बदल चुकी है। मैंने कविता को कहा लेकिन मेरा तुम्हारी जिंदगी में आने से तुम्हारी लाइफ में क्या चेंज हुआ है। कविता मुझे कहने लगी कि राहुल तुम तो जानते ही हो की मैं कितनी लापरवाह थी लेकिन जब से तुम मेरी जिंदगी में आए हो तब से मैं हर एक चीज के बारे में सोचने लगी हूं और मैं बहुत ही ज्यादा खुश हूं कि तुम मेरी लाइफ में हो। उस दिन हम दोनों ने साथ में डिनर किया और फिर हम लोग घर चले आये। एक दिन मैंने कविता को अपने फ्लैट पर बुला लिया। कविता मुझ पर भरोसा करती थी वह फ्लैट में आ गई जब कविता फ्लैट में आई तो हम दोनों एक दूसरे से बातें कर रहे थे। मैं कविता की तरफ देख रहा था और वह मेरी तरफ देख रही थी जब मैंने कविता के हाथों को पकड़कर उसे अपनी और खींचा तो कविता मुझे कहने लगी राहुल तुम यह क्या कर रहे हो? मैं अपने आपको रोक नहीं पाया मैंने उसके होंठो को चूम लिया और हम दोनों पूरे तरीके से मजे लेने लगे। मैंने कविता के होठो को चूम कर उसे पूरी तरीके से अपना दीवाना बना दिया था। मैंने कविता के होंठो को तब तक चूसा जब तक उसके होंठो से खून नहीं निकाल गया। मैंने जब कविता के स्तनों को अपने हाथ से दबाना शुरू किया तो उसे मजा आने लगा। मैं कविता के स्तनों को अपने हाथों से बड़े अच्छे तरीके से दबाने लगा था उसे भी मजा आने लगा था। मैंने कविता को बिस्तर पर लेटा दिया था। मैं कविता की टी शर्ट को उतार कर उसकी ब्रा के हुक को खोला और मै उसके स्तनों को चूसने लगा था। मै कविता के स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूस रहा था, मेरा लंड खड़ा होने लगा था। मैंने अपने लंड को बाहर निकालते हुए उसके स्तनों के बीच में अपने लंड को रगडना शुरू किया कविता उत्तेजित होती जा रही थी। मैंने कविता की जींस को उतारते हुए उसकी पैंटी को भी उतारा।
जब मैंने कविता की चूत को चाटना शुरु किया तो उसकी चूत से पानी बाहर की तरफ निकलने लगा था अब मुझे भी बड़ा मजा आ रहा था। मैने बहुत देर तक उसकी चूत को चाटा कविता पूरी तरीके से मचलने लगी थी। कविता मुझे कहने लगी मुझे मजा आ रहा है। मैंने अपने लंड को कविता की योनि पर लगाकर कविता की चूत के अंदर लंड को डाला मेरा लंड कविता की चूत के अंदर धीरे से चला गया। मेरा मोटा लंड उसकी चूत को फाडता हुआ अंदर की तरफ गया तो मुझे मजा आ गया था। कविता की चूत से निकलता हुआ खून बहुत बढ चुका था। मैं उत्तेजित हो चुका था मैंने कविता के स्तनों को काफी देर तक दबाया वह पूरी तरीके से गर्म होने लगी थी। मैंने अपने लंड कविता की चूत के अंदर बाहर कर रहा था। मैने बहुत देर तक उसे ऐसे ही चोदा जब मेरा माल गिर चुका था तो मैने कविता को घोड़ी बनाया। कविता मुझे कहने लगी अब और भी अच्छा लग रहा है मैंने तेजी से कविता की चूत के अंदर बाहर लंड को करना शुरू कर दिया। कविता अपनी चूतड़ों को मुझसे टकराए जा रही थी।
मेरे अंदर की आग को उसने बहुत ज्यादा बढ़ा दिया था अब वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी उसकी चूत से कुछ ज्यादा ही पानी बाहर निकलने लगा था और मेरे अंडकोषो से भी बहुत पानी बाहर की तरफ को निकल आया था। मैं समझ गया था अब मेरा माल जल्दी ही बाहर गिरने वाला है मैंने उसकी पतली कमर को कस कर पकड़ लिया और उसे तेजी से मै धक्के देने लगा। जब मैने अपने माल को उसकी चूत के अंदर गिराया तो मुझे मजा आ गया था। मैंने अपने मोटे लंड को कविता की चूत से बाहर निकाला और कविता ने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसा लिया। वह मेरे लंड को अच्छे से चूस रही थी मेरे लंड को चूसकर उसने मेरे वीर्य को साफ कर दिया था। हम दोनो साथ मे बिस्तर पर लेटा हुए थे।
चूत मे कड़क लंड का दबदबा
लंबे समय बाद मेरी गौतम के साथ मुलाकात हुई हम दोनों एक दूसरे को करीब दो वर्षों बाद मिल रहे थे। हम दोनों की मुलाकात उस वक्त हुई जब मैं अपने मामा जी के घर पर गया हुआ था और वहां पर गौतम भी आया हुआ था। गौतम मेरे मामाजी के पड़ोस में ही रहता है और वह मामा जी के घर पर आया हुआ था इतने लंबे अरसे बाद हम दोनों एक दूसरे को मिल रहे थे। मैंने गौतम से कहा गौतम तुमसे तो मेरी फोन पर काफी समय से बात भी नहीं हो पाई थी और तुम्हारा नंबर भी मेरे पास नहीं था। गौतम मुझे कहने लगा कि राहुल तुम तो जानते ही हो कि जब से पापा का बिजनेस संभाला है तब से तो बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता है।
हम दोनों बात कर रहे थे तभी मामा जी मुझे कहने लगे कि राहुल बेटा तुम्हारी मम्मी कैसी हैं तो मैंने उन्हें कहा मम्मी तो ठीक है लेकिन आप भी काफी दिनों से घर नहीं आए तो सोचा कि आपको मिल लेता हूं और यह भी अच्छा ही हुआ कि आपसे मिलने के बहाने गौतम से भी मुलाकात हो गई। मैं मामा जी के घर पर काफी समय तक रुका रहा उसके बाद मैंने गौतम का नंबर भी ले लिया क्योंकि गौतम ने नया नंबर लिया था और फिर मैं घर आ गया। जब मैं घर पहुंचा तो उस वक्त पापा घर नहीं पहुंचे थे मैंने मम्मी से कहा कि क्या पापा अभी तक घर नहीं पहुंचे हैं तो वह मुझे कहने लगी कि नहीं बेटा अभी तुम्हारे पापा घर नहीं आए हैं। मैंने मम्मी से कहा लेकिन पापा अभी तक घर क्यो नहीं आये तो मम्मी कहने लगी कि आज वह अपने किसी दोस्त की पार्टी में जाने वाले हैं इसलिए शायद उन्हें आज आने में देर हो जाएगी। रात को मैंने और मां ने साथ में डिनर किया और फिर मैं अपने रूम में चला गया पापा काफी देर से आए थे मैं भी उसके बाद सोने की तैयारी कर रहा था क्योंकि अगले दिन मुझे ऑफिस जल्दी जाना था और इसलिए मैं उस दिन जल्दी सो गया।
मैं सो चुका था अगले दिन सुबह मैं जल्दी उठा और मैंने मां से कहा कि मां आज मुझे ऑफिस जल्दी जाना है मां कहने लगी राहुल बेटा मैं तुम्हारे लिए नाश्ता बना देती हूं। मां ने मेरे लिए नाश्ता बना दिया और मैं नाश्ता करने के तुरंत बाद ही अपने ऑफिस चला गया। मैं अपने ऑफिस गया उस दिन ऑफिस में कुछ ज्यादा ही काम था इसलिए समय का कुछ पता ही नहीं चला कि कब शाम के 6:30 बज गए और घर जाने का समय भी हो चुका था। मैं पार्किंग में चला गया पार्किंग से मैंने अपनी बाइक निकाली और फिर मैं अपने घर के लिए लौट रहा था मैं जब अपने घर के लिए लौट रहा था तो उस वक्त मुझे गौतम का फोन आया और गौतम मुझे कहने लगा कि राहुल क्या तुम अभी मेरे घर पर आ सकते हो। मैंने गौतम से कहा कि क्या कुछ जरूरी काम है तो गौतम कहने लगा कि हां तुम घर पर आ जाओ तब मैं तुम्हें बताता हूं कि मुझे तुमसे क्या काम था। मैंने गौतम को कहा कि ठीक है मैं तुम्हारे घर पर आ जाता हूं उसके बाद मैं गौतम के घर पर चला गया मैं जब गौतम के घर पहुंचा तो गौतम घर पर ही था मैंने उससे कहा कि गौतम सब कुछ ठीक तो है ना। वह मुझे कहने लगा कि हां राहुल सब कुछ ठीक है लेकिन मुझे कुछ पैसों की जरूरत थी मैंने गौतम से कहा कि यह बात तो तुम मुझे फोन पर भी बता सकते थे। गौतम कहने लगा कि मुझे तुमसे यह सब कहना ठीक नहीं लग रहा था तो सोचा कि तुमसे मिलकर ही बात कर लूँ। मैंने गौतम को कहा कि आखिर तुम्हें पैसे की क्यों जरूरत पड़ी तो उसने मुझे बताया कि उसकी बहन की शादी है मैंने गौतम से कहा कि लेकिन तुमने तो मुझे इस बारे में कुछ बताया ही नहीं था। गौतम कहने लगा कि राहुल तुम्हें क्या बताऊं मेरी बहन ने अपने ऑफिस में ही जॉब करने वाले लड़के को पसंद कर लिया है और तुम तो जानते ही हो कि घर की सारी जिम्मेदारी मेरे ऊपर ही है। मैंने गौतम को कहा ठीक है गौतम तुम्हें जितने पैसों की जरूरत होगी तुम मुझे बता देना, मैंने गौतम से कहा कि अभी मैं चलता हूं तो गौतम कहने लगा कि राहुल तुम थोड़ी देर घर पर रुक जाओ। मैंने गौतम से कहा नहीं मैं जा रहा हूं और उसके बाद मैं अपने घर लौट आया था मैंने गौतम को कुछ दिनों बाद पैसे भी दे दिए थे और गौतम ने अपनी बहन की शादी की सारी तैयारियां शुरू कर दी थी।
गौतम इस बात से बड़ा ही खुश था और उसकी बहन की शादी में मैं भी गया था उसकी बहन की शादी बड़े ही धूमधाम से हुई और गौतम भी इस शादी से बहुत ज्यादा खुश था कि कम से कम वह अपने पापा की कमी को पूरा कर पाया। गौतम के पापा की मृत्यु हो जाने के बाद गौतम के ऊपर ही घर की सारी जिम्मेदारी आन पड़ी थी इसलिए गौतम काफी ज्यादा परेशान भी रहता था लेकिन अब गौतम बहुत खुश था कि उसकी बहन की शादी हो चुकी है। गौतम की बहन की शादी हो जाने के बाद गौतम ने मुझे पैसे लौटा दिए थे। उसके बाद मेरी गौतम से काफी समय तक बात नहीं हो पाई थी मैं गौतम को मिल नहीं पाया था इसलिए मैंने एक दिन गौतम को फोन किया और सोचा कि गौतम का हालचाल पूछूं। मैंने गौतम को फोन किया और गौतम से कहा कि तुम कैसे हो गौतम कहने लगा मैं तो ठीक हूं लेकिन तुम आज काफी दिनों बाद मुझे फोन कर रहे हो। मैंने गौतम को कहा कि तुम तो जानते ही हो कि मेरे पास बिल्कुल भी समय नहीं रहता है इसलिए मैं तुम्हें फोन नहीं कर पाया था।
गौतम से मेरी काफी देर तक बात हुई है और गौतम भी काफी खुश था कि मेरी और गौतम की बात हो पाई। हम दोनों ने करीब 20 मिनट तक बात की, मैंने थोड़ी देर बाद फोन रख दिया था। मैने फोन रखने के बाद अपने फेसबुक अकाउंट को खोला तो मैंने देखा उसमें मनीषा की फ्रेंड रिक्वेस्ट आई हुई थी। मै मनीषा से दो दिनों पहले ही मिला था मैने उसकी फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली उस दिन हम लोगों की चैटिंग पर बात शुरू हो गई और हम दोनों एक दूसरे से फेसबुक चैट के माध्यम से बात करने लगे। उसी रात मैंने मनीषा का नंबर ले लिया हम दोनों की फोन पर बातें होने लगी थी। मनीषा से मेरी मुलाकात मेरे ऑफिस में काम करने वाले सुरेश ने करवाई थी। अब हम दोनों कि बातचीत इतनी अधिक होने लगी थी कि हम दोनों एक दूसरे को मिलने के लिए बेताब थे मै मनीषा से अश्लील बातें भी करने लगा था। एक दिन मैं मनीषा से मिलने के लिए चला गया जब मैं मनीषा को मिलने के लिए गया तो हम दोनों कॉफी शॉप में बैठे हुए थे वहां पर हम लोगों ने आधे घंटे तक टाइम स्पेंड किया। उसके बाद हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स करने के लिए तैयार थे हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स करने के लिए तैयार थे। मैं मनीषा को एक होटल में लेकर चला गया जब हम दोनों होटल मे गए तो मनीषा और मैं एक दूसरे के साथ कुछ देर तक बात करते रहे। मैंने मनीषा की जांघ को सहलाना शुरू किया तो वह मचलने लगी थी। उसकी उत्तेजना इस कदर बढ़ चुकी थी कि वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया। मैं मनीषा के होठों को किस कर रहा था तो मुझे मजा आने लगा उसको बहुत ही आनंद आ रहा था। जिस तरह मनीषा के होंठो को मै किस कर रहा था उस से मनीषा ह नहीं पा रही थी। मैंने मनीषा के होंठों को चूम रहा था। उसके बाद मैंने उसके कपडो को उतारकर मनीषा को अपने सामने नग्न अवस्था में किया तो वह मेरे लिए पूरी तरीके से पागल होने लगी थी।
मैं भी मनीषा के लिए तडप उठा था मनीषा के गोरे बदन को देखकर मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पाया। मैंने जब अपने लंड को अपने अंडरवियर से बाहर निकाल कर हिलाना शुरू किया तो मनीषा उसे देखकर कहने लगी तुम्हारा लंड तो बहुत ही ज्यादा मोटा है। मैंने मनीषा को कहा तुम्हारा बदन भी बड़ा लाजवाब है मैंने मनीषा को अपनी बाहों में समा लिया मैं चाहता था वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग करे। मनीषा ने जब मेरे मोटे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया तो मुझे मजा आने लगा। मुझे बड़ा मजा आ रहा था जिस तरह वह मेरे मोटे लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग कर रही थी मेरे अंदर की आग पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी। अब ना तो मैं अपने आप को रोक पाया और ना ही मनीषा अपने आपको रोक पाई इसी वजह से हम दोनों एक दूसरे के लिए और भी ज्यादा तड़प उठे थे। मैंने मनीषा को कहा मैं बहुत ज्यादा तड़पने लगी हूं मनीषा मुझे कहने लगी मेरी तडप अब बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है।
मैंने मनीषा के दोनों पैरों को खोलकर अपनी जीभ से मनीषा की चूत को चाटना शुरू किया। जब मैं उसकी योनि को चाट रहा था तो मेरे अंदर की गर्मी बढ़ती जा रही थी और मनीषा की गर्मी भी पूरी तरीके से बढ़ती चली गई। मैंने मनीषा की योनि के अंदर जब लंड घुसाया तो वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। मुझे भी बड़ा मजा आने लगा था। हम दोनों एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स का मजा लेना चाहते थे। मैं मनीषा की चूत के अंदर बाहर अपने लंड को किए जा रहा था ऐसा करने से मुझे जो आनंद की अनुभूति पैदा हो रही थी वह बडी मजेदार थी। मैंने मनीषा की योनि के अंदर अपने माल को गिराकर उसकी इच्छा को पूरा कर दिया। अब हम दोनों एक दूसरे के साथ काफी देर तक ऐसे ही बैठे रहे और हम लोगों ने बहुत देर तक एक दूसरे से बातें की फिर उसके बाद हमने उस रात चुदाई का मजा लूटा। उस दिन सेक्स कर के मजा आ गया।
रात रंगीन हो गई
कुछ समय पहले ही मेरा डिवोर्स हुआ और जब मेरा डिवोर्स हुआ तो उसके बाद मैं काफी ज्यादा परेशान था। मैं मानसिक रूप से भी बहुत ज्यादा परेशान हो चुका था लेकिन घर की जिम्मेदारी मेरे ही कंधों पर थी। मेरी बूढ़ी मां की जिम्मेदारी मेरे कंधों पर थी और मेरी दो छोटी बहनें जिनकी शादी अभी तक हुई नहीं थी इसलिए मैं अभी भी जॉब कर रहा था और मैं बहुत ज्यादा परेशान था। मैं अपनी मां से अपनी बातों को शेयर कर लिया करता मेरी जिंदगी में बहुत उथल पुथल मच चुकी थी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए मेरे पास किसी भी बात का कोई जवाब नहीं था। मेरी मां चाहती थी कि मैं दूसरी शादी कर लूं लेकिन मैं इस पक्ष में बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि मैं अपनी पहली शादी के टूट जाने से बहुत ज्यादा दुखी हो चुका था और मैं बहुत अकेला भी था इसलिए मुझे लग रहा था कि शायद यह ठीक नहीं होगा।
मैं एक बार अपने ऑफिस के टूर के सिलसिले में मुंबई जा रहा था मैं दिल्ली से मुंबई ट्रेन से जा रहा था ट्रेन मैं में सबसे ऊपर की बर्थ पर लेटा हुआ था। रात का समय था इसलिए सब लोग सोने की तैयारी कर रहे थे और मैं भी सो चुका था अगले दिन सुबह जब मैं मुंबई रेलवे स्टेशन पर पहुंचा तो रेलवे स्टेशन पर पहुंचते ही मैंने देखा कि जो लड़की मेरे आगे चल रही थी उसका पर्स नीचे गिर गया मैंने उसे आवाज देते हुए रोका और उसे कहा कि मैडम आपका पर्स गिर गया था। मैंने उसका पर्स लौटा दिया तो उसने मुझे कहा कि आप बहुत ही अच्छे व्यक्ति नजर आते हैं मैंने उसे अपना परिचय दिया और उस लड़की ने भी मुझे अपना परिचय देते हुए अपना नाम बताया और कहा कि मेरा नाम सुरभि है। मैंने सुरभि से कहा कि देखो यह भी बड़ा अजीब इत्तेफाक है कि मैं आज पहली बार ही मुंबई में आया हूं और मुंबई में ही मेरी अच्छी दोस्ती हो गई। सुरभि इस बात से हंसने लगी और मुझे कहने लगी कि क्यों नहीं और उसके बाद सुरभि ने मुझे अपना नंबर दे दिया।
मैंने सुरभि को उस वक्त तो फोन नहीं किया लेकिन अगले दिन मैंने सुरभि को फोन किया तो मैंने सुरभि से मिलने के लिए कहा, सुरभि मुझसे मिलने के लिए तैयार थी। अगले दिन हम दोनों एक कॉफी शॉप में मिले और वहां पर हम दोनों ने एक दूसरे के साथ काफी अच्छा समय बिताया। काफी समय बाद मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं किसी के साथ इतने अच्छे से बात कर पा रहा हूं इतने लंबे अरसे बाद ऐसा कोई मेरी जिंदगी में आया था जिससे कि मैं खुलकर बातें कर रहा था। सुरभि से बातें कर के मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था हम दोनों की बातें काफी देर तक हुई और हम दोनों एक दूसरे से बातें कर के बहुत ही खुश थे। मैं चाहता था कि सुरभि को मैं अपने बारे में सब कुछ बता दूं लेकिन मैंने उसे अपने बारे में कुछ भी नहीं बताया और फिर मैं दिल्ली वापस लौट आया था। मैं जब दिल्ली वापस लौटा तो उसके बाद भी सुरभि और मेरी फोन पर बातें होती रही धीरे धीरे हम दोनों की नजदीकियां बढ़ती ही जा रही थी। हम दोनों फोन पर एक दूसरे से काफी बातें करने लगे थे और मुझे तो ऐसा लगता कि जिस दिन मैं सुरभि से बात ही नहीं करता उस दिन मेरा दिन ही अधूरा रहता। हम दोनों एक दूसरे से फोन पर काफी बातें करने लगे थे इससे मुझे डर लग रहा था कि अगर मैंने सुरभि को अपने डिवोर्स के बारे में बताया तो कहीं वह मुझसे बात करना बंद ना कर दे इसलिए मैंने सुरभि को इस बारे में कुछ भी नही बताया था लेकिन मैं उससे यह छुपाना भी नहीं चाहता था। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर मुझे ऐसी स्थिति में करना क्या चाहिये परन्तु मैंने जब इस बारे में सोचा तो मैंने सुरभि को सब बता दिया। मैंने सुरभि को अपने डिवोर्स के बारे में सब कुछ बता दिया था हालांकि सुरभि और मैं एक दूसरे से दूर जरूर थे लेकिन मैं सुरभि को अपने बारे में सब कुछ बता चुका था। अपने डिवोर्स के बारे में मैंने सुरभि को बता दिया था इसलिए मुझे काफी अच्छा महसूस हो रहा था लेकिन कुछ दिनों तक मेरी सुरभि से बात नहीं हो पाई क्योंकि मैं अपने ऑफिस के काम के चलते कुछ ज्यादा ही बिजी हो गया था इसलिए मेरी उससे बात नहीं हो पाई थी।
काफी दिनों बाद मैंने सुरभि को फोन किया तो उसने मुझे कहा कि वह मुझसे मिलना चाहती है मैंने सुरभि को कहा कि लेकिन मेरे पास तो बिल्कुल भी समय नहीं है। सुरभि कहने लगी राजेश मुझे तुमसे मिलना है मैंने सुरभि को कहा ठीक है और फिर मैंने भी फैसला किया कि मैं कुछ दिनों के लिए मुंबई चला जाऊंगा। मैं कुछ दिनों के लिए मुंबई जाना चाहता था जब मैं मुंबई गया तो सुरभि ने मुझे अपने परिवार से मिलवाया। सुरभि चाहती थी कि हम दोनों अब एक दूसरे से शादी कर ले इसी वजह से उसने अपनी फैमिली से मुझे मिलवाया था। मैं भी अपने बारे में उन्हें सब कुछ बता चुका था सुरभि के पिताजी को भी हमारा रिश्ता मंजूर था। सुरभि और मैं एक दूसरे से शादी करना चाहते थे मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं कोई सपना देख रहा हूं। यह सब इतना आसान भी तो नहीं था कि हम दोनों एक दूसरे से शादी कर पाते लेकिन सुरभि ने हीं इसे बड़ा आसान बना दिया था और अब हम दोनों एक दूसरे से शादी करने वाले थे। कुछ ही समय मे हम दोनों की शादी हो गयी हमारी शादी दिल्ली में ही हुई।
हमारी शादी की पहली रात थी मै रूम मे गया सुरभि मेरा इंतजार कर रही थी। मैंने सुरभि के हाथों को पकड़ा मै उसके हाथों को सहलाने लगा। हम दोनो बात कर रहे थे सुरभि चाहती थी मै उसे अपनी बाहों में ले लूं। मैंने सुरभि को अपनी बाहों में लिया वह खुश थी। सुरभि गर्म होने लगी थी उसके अंदर की गर्मी बढ़ने लगी थी। मैं यह नहीं पा रहा था मैंने सुरभि के नरम होंठों को चूमना शुरू किया तो वह तड़पने लगी थी। मै सुरभि के नरम होठो को चूमकर उसके होंठो से खून निकाल दिया था। वह अब बिस्तर पर लेट चुकी थी मैं सुरभि के ऊपर से लेट गया मैंने सुरभि के कपड़ों को उतारना शुरू किया। मैंने सुरभि के बदन से कपड़े उतारने शुरू कर दिए थे सुरभि मेरे सामने नग्न अवस्था में थी। सुरभि नंगे बदन को देखकर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया था। मै सुरभि के गोरे बदन को महसूस करना चाहता था मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरू किया तो मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा था। मैं जब उसके स्तनों को दबाकर उसके स्तनो को चूस रहा था तो वह उत्तेजित हो रही थी। ह मुझे कहने लगी मुझे बहुत मजा आ रहा है मै उसके अंदर की आग को बढा चुका था। मेरे अंदर की आग भी अब बढ़ चुकी थी मैंने जब अपने लंड को बाहर निकाला तो मै उसे हिलाने लगा। मैने सुरभि को कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह में लेना शुरू कर दो। वह मेरे मोटे लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी मुझे बहुत मजा आ रहा था वह भी बहुत ज्यादा खुश हो गई थी। सुरभि मुझे कहने लगी मुझे तुम्हारे लंड को अपने मुंह में लेने में बहुत मजा आ रहा है। हम दोनों पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुके थे हम दोनों की उत्तेजना अब बढ़ने लगी थी। मैंने सुरभि से कहा मैं तुम्हारी चूत को चाटना चाहता हूं? सुरभि ने अपने पैरों को खोल लिया मैंने सुरभि की चूत देखी ओ उसकी चूत से पानी निकल रहा था। मैं सुरभि की गुलाबी चूत को अच्छे से चाटना चाहता था मुझे बहुत अच्छा लगने लगा था। मैंने जब सुरभि की चूत को चाटा तो मेरे अंदर की आग बढ़ती ही जा रही थी। मैने सुरभि की चूत 5 मिनट तक चाटी उसके बाद मैंने अपने लंड पर थूक लगाया जब मैने मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाया तो मैं पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुका था।
अब मेरे अंदर की आग बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी मैंने सुरभि को कहा मैं तुम्हारी चूत मारने के लिए तैयार हूं। मैंने सुरभि की चूत पर अपने लंड को लगाया और उसकी चूत पर जब मैने मोटा लंड लगाया तो मेरा लंड मचल रहा था। मैने सुरभि की चूत के अंदर लंड घुसा दिया। मैं सुरभि को अब बड़ी तेज गति से धक्के देने शुरू कर दिए थे। मुझे बहुत ही मज़ा आने लगा था सुरभि बहुत ही उत्तेजित हो गई थी मेरे अंदर की आग अब बढ चुकी थी। सुरभि के अंदर की आग बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी सुरभि की चूत से खून की निकलने लगा था। वह मेरे अंदर की गर्मी को बढ़ाती जा रही थी। मेरे लंड और सुरभि की चूत की रगडन से गर्मी पैदा होती जा रही थी। अब हम दोनों एक दूसरे के लिए बहुत ज्यादा तड़पने लगे थे मैंने सुरभि से कहा मेरा लंड अब तुम्हारी चूत की गर्मी झेल नहीं पायेगा।
मैंने जैसे ही अपने वीर्य को सुरभि की चूत मे गिराया तो सुरभि खुश थी। मै दोबारा सुरभि को चोदना चाहता था मैने उसकी चूत पर लंड लगाया। अब मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर सटाया तो उसकी चूत से पानी बाहर निकलने लगा था और मेरा वीर्य भी निकल रहा था मुझे बहुत ज्यादा मजा आने लगा था। सुरभि की चूत से इतना अधिक पानी निकलने लगा था कि मेरे अंदर की आग पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी। मैंने एक जोरदार झटके के साथ सुरभि की चूत के अंदर लंड को डाल दिया। मेरा लंड उसकी चूत में घुस चुका था मुझे अच्छा लगने लगा था। मैं सुरभि को बड़ी तेज गति से धक्के मारने लगा था मुझे उसको चोद कर बहुत मजा आ रहा था। मै जिस प्रकार से उसे चोद रहा था उससे मेरे अंदर की आग बढ़ती जा रही थी। मेरे अंदर की गर्मी बढ चुकी थी। मैंने सुरभि को बहुत देर तक चोदा जब मेरा लंड पूरी तरीके से छिल चुका था तो मुझे एहसास होने लगा कि मैं ज्यादा देर तक सुरभि की चूत से निकलती आग को झेल नहीं पाऊंगा। वह मुझे अपने पैरों के बीच में जकडने लगी थी। मैंने अपने वीर्य को गिराकर अपनी गर्मी को शांत कर दिया था और सुहागरात को सफल बना दिया।
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