पति की तडप मुझे बुलाकर शांत की


जब मैं पहली बार पुणे में गया तो पुणे में मेरी दोस्ती मनीष के साथ हुई मनीष जो कि मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करते हैं और वह मेरे पड़ोस में रहते हैं। मनीष के पापा एक सरकारी विभाग में नौकरी करते हैं मनीष और मेरी काफी अच्छी दोस्ती हो गई थी क्योंकि वह हमारे पड़ोस में ही रहते थे इसलिए हम लोगों के बीच काफी अच्छी बनने लगी थी। मेरी शादी को भी अभी सिर्फ 6 महीने ही हुए हैं और मेरी शादी के तुरंत बाद ही मेरा ट्रांसफर पुणे हो गया पुणे में मेरा ट्रांसफर हो जाने के बाद मैंने सोचा कि अपनी पत्नी को भी अपने साथ पुणे ले आऊं। मैं जब अपने घर मुंबई कुछ दिनों के लिए गया तो मुंबई में कुछ दिन रुकने के दौरान मैंने पापा और मम्मी से बात की और कहा कि मैं मेघा को अपने साथ लेकर जाना चाहता हूं। पापा और मम्मी कहने लगे कि बेटा जैसा तुम्हें लगता है तुम वैसा ही करो और फिर मैं मेघा को अपने साथ ले आया। मेघा मेरे साथ आ चुकी थी और हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत खुश थे हम लोग पुणे में अपनी जिंदगी अच्छे से गुजार रहे थे। मनीष जी की पत्नी भी मेघा के साथ कई बार बैठने के लिए घर पर आ जाया करती थी उनकी पत्नी का नाम सुचित्रा है।

सुचित्रा भाभी बहुत ही अच्छी हैं और उनका स्वभाव बड़ा अच्छा है इसलिए मैं और मेघा हमेशा ही उनकी बड़ी तारीफ करते हैं। एक दिन मैं और मेघा आपस में बात कर रहे थे कि तभी सुचित्रा भाभी भी घर पर आ गई जब वह घर पर आई तो उस दिन वह मुझे कहने लगे कि राघव भैया आज आप अपने ऑफिस नहीं गए। मैंने उन्हें कहा कि नहीं भाभी आज मैं अपने ऑफिस नहीं जा रहा हूं क्योंकि आज मेरी तबीयत भी कुछ ठीक नहीं थी और मेरे सर में काफी दर्द था इसलिए मैंने आज सोचा कि आज घर पर ही आराम कर लूँ। मैं और मेघा साथ में बैठे हुए थे तो मैंने मेघा से कहा कि तुम भाभी के लिए चाय बना कर ले आओ सुचित्रा भाभी कहने लगी नहीं मेघा रहने दो।

मेरा मन चाय पीने का नहीं है मैं अभी घर से चाय पी कर आ रही हूं लेकिन फिर भी मैंने मेघा को कहा कि तुम मेरे लिए और भाभी के लिए थोड़ी चाय बना दो। मेघा चाय बनाने के लिए रसोई में चली गई और थोड़ी देर बाद मेंघा चाय लेकर आई तो हम सब लोग साथ में बैठकर चाय पी रहे थे। मैंने सुचित्रा भाभी से पूछा कि मनीष तो ऑफिस चले गए होंगे वह कहने लगे कि हां वह ऑफिस चले गए हैं और मैं सोच रही थी कि मेघा को मैं अपने साथ शॉपिंग के लिए लेकर जाऊं। मैंने सुचित्रा भाभी से कहा कि हां भाभी आप मेघा को अपने साथ शॉपिंग लेकर जाओ और फिर वह मेघा को अपने साथ शॉपिंग के लिए ले गई। वह अपने साथ मेंघा को शॉपिंग के लिए ले गई थी और मैं घर पर अकेला ही था तो मैंने भी सोचा कि आराम कर लेता हूं इसलिए मैं अपने रूम में चला गया और मुझे पता नहीं कब नींद आई कुछ मालूम ही नहीं पड़ा। जब मैं उठा तो उस वक्त 4:00 बज रहे थे मैंने मेघा को फोन किया तो वह मुझे कहने लगी कि हम लोग अभी रास्ते में ही हैं बस आधे घंटे में घर पहुंच जाएंगे। मैंने मेघा से कहा कि ठीक है और करीब आधे घंटे बाद मेघा घर पहुंच चुकी थी जब मेघा घर आई तो मैंने मेघा से पूछा कि आज तुमने क्या शॉपिंग की है। मेघा ने मुझे अपने शॉपिंग के बारे में बताया, मैं और मेघा काफी दिनों बाद एक दूसरे के साथ इतना अच्छा समय बिता पाए थे। रात का डिनर करने के बाद हम लोगों ने काफी देर तक बैठे रहे उसके बाद मैं और मेघा सो गए। अगले दिन मुझे ऑफिस जल्दी जाना था तो अगले दिन मैं जल्दी तैयार हुआ और फटाफट से नाशता करके अपने ऑफिस चला गया। मैं ऑफिस पहुंच चुका था और ऑफिस में मुझे काफी काम था इसलिए मुझे घर पहुंचने में उस दिन देरी हो गई। मेघा ने मुझे फोन किया था लेकिन मैं उसका फोन उठा नहीं पाया था फिर मैंने मेघा को कॉल बैक किया और उसे कहा कि मेघा तुम मुझे फोन कर रही थी। वह मुझे कहने लगी कि हां बस आपको पूछ रही थी कि आप कब तक आएंगे मैंने मेघा को कहा कि मैं बस थोड़ी देर बाद ही आ जाऊंगा। उस दिन मैं काफी देरी से घर पहुंचा तो मेघा ने मुझे कहा कि आप काफी देर से आ रहे हैं मैंने मेघा को कहा कि हां मुझे मुझे आने में देर हो गई क्योंकि आज ऑफिस में कुछ ज्यादा ही काम था। मेरी और मेघा की जिंदगी बड़े अच्छे से चल रही थी हम दोनों अपनी शादीशुदा जिंदगी का पूरी तरीके से इंजॉय कर रहे थे और सब कुछ ठीक चल रहा था।


एक दिन जब मेघा ने मुझे कहा कि चलो आज हम लोग कहीं घूम आते हैं तो मैंने मेघा से कहा कि चलो आज हम लोग मूवी देख आते हैं और हम लोग मूवी देखने के लिए चले गए। हम लोग उस दिन मूवी देखने के लिए चले गए काफी समय बाद हम लोगों ने मूवी देखी थी। मैं और मेघा एक दूसरे के साथ अच्छे से समय बिता पा रहे थे उस दिन हम लोग देर रात से घर लौटे और मेघा भी बड़ी खुश थी कि हम दोनों साथ में समय बिता पाए। एक दिन मेघा ने मुझसे कहा कि राघव मैं सोच रही थी कि कुछ दिनों के लिए मुंबई हो आऊं मैंने मेघा से कहा कि घर से मां का भी फोन आया था और वह लोग कह रहे थे कि कुछ दिनों के लिए मेघा अगर हमारे पास आ जाती तो ठीक रहता। मैंने मेघा से कहा कि मैं ऑफिस से छुट्टी ले लेता हूं और मैं भी तुम्हारे साथ कुछ दिनों के लिए मुंबई चलता हूं उसके बाद मैं वापस पुणे लौट आऊंगा और तुम जब पुणे आओगी तो मुझे फोन कर देना मैं तुम्हारी ट्रेन की टिकट करवा दूंगा। मेघा ने कहा ठीक है राघव यह ठीक रहेगा और उसके बाद मैं और मेघा मुंबई चले गए मम्मी पापा भी काफी खुश थे। मैं कुछ दिनों तक मेघा के साथ घर पर ही रुका लेकिन उसके बाद मेघा अपने मायके चली गई और वह अपने मायके गई तो मैं भी वापस पुणे लौट आया।

मैं वापस पुणे लौट आया था और जब मैं पुणे लौटा तो मुझे मनीष जी काफी दिनों बाद मिले उनसे मेरी मुलाकात हो नहीं पा रही थी क्योंकि मैं भी ऑफिस से देर में ही आया करता था और वह भी देर में आया करते थे और बीच में वह लोग अपने किसी रिश्तेदार की शादी में भी नागपुर गए हुए थे इस वजह से हमारी मुलाकात हो नहीं पाई थी। काफी समय बाद मैं मनीष जी को मिला तो उनके साथ काफी देर तक मैंने बातें की। मैं वापस घर लौट आया था मैं उस दिन खाना बनाने के बाद जल्दी सो गया था हर रोज की तरह मैं सुबह ऑफिस जाता और शाम के वक्त घर लौटता। एक दिन जब मैं ऑफिस से घर लौट रहा था तो उस दिन हमारे ही कॉलेज में पढ़ने वाली सुनीता मुझे मिली वह काफी समय बाद मुझे मिल रही थी। सुनीता से मैंने कहा तुम्हारी शादी तो मुंबई में हुई थी तुम यहां क्या कर रही हो? उसने मुझे पूरी बात बताई सुनीता ने मुझे बताया उसकी जॉब पुणे में लग चुकी है उसके पति के साथ उसकी बिल्कुल भी नहीं बनती है इसलिए वह दोनों अलग ही रहते हैं। मैंने सुनीता से उसका नंबर ले लिया और उसके बाद मैं सुनीता से बातें करने लगा। हम दोनो रोज मिलने लगे थे एक दिन सुनीता ने मुझे फोन कर अपने घर पर बुला लिया। जब उसने मुझे अपने घर पर बुलाया तो मैं उसे मिलने के लिए घर पर चला गया लेकिन मुझे नहीं पता था कि उस दिन सुनीता के दिल में क्या चल रहा था। मैं सुनीता के बदन को देख कर अपने आपको रोक ना सका। मैंने उसके बदन की गर्मी को महसूस करना शुरू कर दिया मैंने अब सुनीता के होंठों को चूमना शुरू कर दिया था। वह जैसे सेक्स के लिए तड़प रही थी मैं भी अपने आपको बिल्कुल रोक ना सका और मैंने उसकी चूत को चाटना शुरु कर दिया था। मैंने उसके बदन से पूरे कपड़े उतारने के बाद उसकी चूत का रसपा करना शुरू किया तो वह गर्म होने लगी।

उसके सुडौल स्तन चूसकर मेरे अंदर की गर्मी बहुत ही ज्यादा बढ़ रही थी। वह बहुत ज्यादा उत्तेजित होते जा रही थी वह मुझे कहने लगी मेरे अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ रही है मैं अब बिल्कुल भी रह नहीं पा रही हूं। मैंने सुनीता को कहा मैं अपने लंड को तुम्हारी चूत मे घुसा देता हूं। मैंने अपने मोटे लंड को सुनीता की चूत मे लंड को रगडना शुरू किया जब उसकी चूत के बीच में मेरा लंड था तो वह बहुत ही उत्तेजित हो रही थी और मुझे कहने लगी मेरी तडप बढ़ती ही जा रही है मैंने एक जोरदार झटके के साथ उसकी चूत को अपने हाथों से खोलते हुए अपने लंड को उसकी योनि में प्रवेश करवा दिया। वह जोर से चिल्लाते हुए मुझे कहने लगी आज तो मुझे मजा ही आ गया और हम दोनों एक दूसरे की बाहों में थे। मेरे जोरदार झटके से उसका पूरा शरीर हिल रहा था वह उत्तेजित होती जा रही थी हम दोनों के अंदर की गर्मी बहुत बढ चुकी थी। हम दोनों बिल्कुल भी रह नहीं पा रहे थे ना तो मैं अपने आपको रोक पा रहा था और ना ही सुनीता अपनी गर्मी को झेल पा रही थी।

मैंने सुनीता की चूत के अंदर अपने माल को गिरा दिया। उसके बाद जब मैंने उसकी चूतडो को अपनी तरफ करते हुए अपने लंड पर तेल की मालिश की और उसकी चूत मे अपने लंड को अंदर की तरफ घुसाया तो वह बहुत जोर से चिल्लाई। उसके बाद हम दोनों एक दूसरे के साथ मजे लेने लगे हम दोनों को बहुत अच्छा लग रहा था। अब हम दोनों के अंदर की गर्मी बढ़ती ही जा रही थी मैं उसकी चूत के मजे अच्छे से ले रहा था। मुझे उसको चोदने मे बड़ा मजा आ रहा था वह मुझसे अपनी चूत को मिलाए जा रही थी। जब वह ऐसा करती तो मेरे अंदर की आग बढ़ती जाती जब मैंने उसकी चूत के अंदर अपनी पिचकारी मारी तो वह मुझे कहने लगी आज तो मजा ही आ गया। अब हम दोनों को बड़ा मजा आ गया था उसे भी बहुत अच्छा लग रहा था। हम दोनों के बीच ना जाने कितनी बार संबंध बने।

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चूत का जलवा बड़ा कमाल


मैं अपने ऑफिस से घर लौटा ही था कि मैंने देखा मेरा दोस्त गौतम मेरा इंतजार कर रहा था मैंने गौतम से कहा कि आज तुम काफी दिनों बाद मुझे मिल रहे हो। वह मुझे कहने लगा कि हां राघव आज सोचा कि तुमसे मुलाकात कर लूं इतने दिन हो गए हैं तुमसे मुलाकात भी तो नहीं हुई थी। मैंने गौतम से पूछा गौतम तुम्हारे परिवार में सब लोग कैसे हैं तो गौतम मुझे कहने लगा कि घर में सब लोग ठीक हैं और पापा भी रिटायर होने वाले हैं इसीलिए मैं तुमसे मिलने के लिए आया था, सोचा कि तुम्हें बता दूं की पापा के रिटायरमेंट की पार्टी हमने कुछ दिनों बाद रखी है इसलिए तुम्हें और तुम्हारे परिवार को मैं इनवाइट करने के लिए तुम्हारे घर पर आया था। मैंने गौतम से कहा मैं अंकल की पार्टी में जरूर आऊंगा। गौतम और मैं एक दूसरे से बातें कर रहे थे जब हम दोनों एक दूसरे से बातें कर रहे थे तो गौतम ने मुझे उस दौरान अपनी गर्लफ्रेंड शिखा के बारे में बताया मुझे शिखा के बारे में कुछ पता नहीं था क्योंकि मैं अपनी नौकरी के चलते कुछ ज्यादा ही बिजी हो गया था इसलिए मुझे शिखा के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। गौतम ने मुझे बताया कि उसकी और शिखा की मुलाकात कुछ दिनों पहले एक प्रोग्राम के दौरान हुई थी और वहां पर उन दोनों के बीच काफी अच्छी बनने लगी।

मैंने गौतम से कहा कि लेकिन तुमने तो मुझे इस बारे में कुछ बताया ही नहीं था वह मुझे कहने लगा कि अब तुम्हें मैं इस बारे में क्या बताता क्योंकि तुमसे मुलाकात हो ही नहीं पाई थी। मैंने गौतम को कहा चलो यह बड़ी अच्छी बात है, क्या तुमने शिखा के बारे में घर पर सब को बता दिया है। गौतम मुझे कहने लगा कि हां मैंने शिखा के बारे में घर में सब को बता दिया है सब लोग हमारे रिश्ते से काफी खुश हैं पापा और मम्मी चाहते हैं कि हम लोग जल्दी शादी कर ले। मैंने गौतम को कहा तुम बड़े ही खुशनसीब हो जो तुम्हें शिखा मिली। शिखा और गौतम ने शादी करने का निर्णय कर लिया था मैं जब गौतम के पिताजी की रिटायरमेंट पार्टी में गया हुआ था तो वहां पर मुझे गौतम ने शिखा से मिलवाया यह पहली ही बार था जब मैं शिखा से मिला था  शिखा से मिलकर मुझे बड़ा ही अच्छा लगा। उस दिन पार्टी में गौतम के काफी रिश्तेदार भी आए हुए थे और सब लोग काफी खुश थे वह लोग गौतम के पिताजी को उनके रिटायरमेंट की बधाइयां दे रहे थे। मैं भी उस दिन पार्टी में अपने परिवार के साथ गया हुआ था तो हम लोग घर जल्दी लौट आए थे।

जब हम घर लौटे तो उसके बाद मैं अपने कमरे में लेटा हुआ था तभी मुझे गौतम ने फोन किया और कहा कि राघव तुम कहां हो। मैंने गौतम से कहा मैं तो घर पहुंच चुका हूं गौतम मुझे कहने लगा कि चलो मैं तुमसे कल मुलाकात करता हूं मैंने गौतम को कहा ठीक है हम लोग कल मुलाकात करते हैं। अगले दिन हम दोनों एक दूसरे से मिले जब हम लोग एक दूसरे से मिले तो गौतम मुझे कहने लगा कि मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी थी। मैंने गौतम को कहा हां गौतम कहो ना तुम्हें क्या जरूरी बात करनी थी तो गौतम मुझे कहने लगा कि मैंने और शिखा ने यह सोचा है कि हम लोग कुछ दिनों के लिए जयपुर हो आये तो क्या तुम भी हमारे साथ जयपुर चलोगे। मैंने गौतम से कहा कि उसके लिए तो मुझे ऑफिस से छुट्टी लेनी पड़ेगी तभी मैं तुम्हारे साथ आ पाऊंगा गौतम मुझे कहने लगा कि अगर तुम्हें ऑफिस से छुट्टी मिल जाती है तो क्या तुम हमारे साथ चलोगे। मैंने गौतम से कहा अगर मुझे ऑफिस से छुट्टी मिल जाएगी तो मैं जरूर तुम्हारे साथ चलूंगा। मुझे उसके बाद ऑफिस से छुट्टी मिल चुकी थी और हम लोग जयपुर चले गए जयपुर हम लोग सुबह के 7:00 बजे पहुंच गए थे और हम लोग कुछ दिन वहीं रुकने वाले थे। शिखा तो अपनी मौसी के घर चली गई थी इसलिए मैं और गौतम होटल में रुके हुए थे उसी शाम जब शिखा अपनी मौसी की लड़की रेखा को लेकर आई तो रेखा को देखकर मुझे काफी अच्छा लगा और रेखा के साथ मैं बड़े ही अच्छे से बात करता जिससे कि रेखा मेरी बातों से काफी प्रभावित हो गई थी। हम लोग जयपुर में दो दिन रूके और उसके बाद हम लोग वापस दिल्ली लौट आए थे। मैंने रेखा का नंबर नहीं लिया था इसलिए मैंने शिखा से रेखा का नंबर ले लिया और उसके बाद रेखा और मैं एक दूसरे से फोन पर बातें करने लगे। हम दोनों एक दूसरे से फोन पर बातें करते तो हम दोनों को ही अच्छा लगता और शिखा को भी यह बात पता चल चुकी थी कि रेखा और मेरे बीच में कुछ तो चल रहा है।


गौतमा ने शिखा से शादी करने का फैसला कर लिया था तो उन दोनों के परिवार वालों को उन दोनों की शादी से कोई भी परेशानी नहीं थी इसलिए उन दोनों ने शादी करने का पूरा मन बना लिया था और जल्द ही उन दोनों की शादी तय हो गई। उन दोनों की शादी के लिए रेखा कुछ दिनों के लिए दिल्ली आने वाली थी मैं इस बात से तो काफी खुश था कि इस बहाने रेखा से मेरी मुलाकात तो हो जाएगी। रेखा जब उस दौरान दिल्ली आई तो हम दोनों ने साथ में काफी अच्छा समय बिताया मैं और रेखा एक दूसरे के साथ समय बिता कर काफी खुश थे और हम दोनों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। मैंने तो सोचा भी नहीं था कि रेखा से मेरी इतनी जल्दी मुलाकात हो जाएगी। गौतम और शिखा की शादी हो जाने के बाद रेखा वापस जयपुर लौट गई मुझे भी अब लगने लगा था कि मुझे रेखा से शादी कर लेनी चाहिए। मैंने एक दिन रेखा से इस बारे में बात की तो रेखा ने मुझे कहा कि लेकिन अभी मैं तुमसे शादी नहीं कर सकती हूं। मैंने रेखा को जब इसका कारण पूछा तो रेखा मुझे कहने लगी कि मेरी बड़ी बहन की अभी शादी नहीं हुई है और उससे पहले मैं कैसे शादी कर सकती हूं।

मैंने रेखा को कहा कि लेकिन फिर भी तुम अपने पापा मम्मी को मेरे बारे में तो बता ही सकती हो। रेखा मुझे कहने लगी राघव मुझे कुछ समय चाहिए मैं कुछ समय बाद ही अपने पापा मम्मी को तुम्हारे बारे में बता पाऊंगी। मैंने रेखा को कहा ठीक है कोई बात नहीं। हम दोनों का रिलेशन ऐसे ही चलता रहा हम दोनों के रिलेशन को करीब एक साल हो चुका था। हम दोनों एक दूसरे से फोन पर बातें करते एक दिन मैंने रेखा को कहा क्या तुम मुझसे मिलने के लिए दिल्ली आ सकती हो? रेखा ने मुझे मना कर दिया वह कहने लगी तुम जयपुर आ जाओ। मैंने उसे कहा अगर मैं जयपुर आ गया तो क्या तुम मेरे साथ रुकने वाली हो। वह मुझे कहने लगी ठीक है मैं इस बारे में सोचूंगी और मैंने कुछ दिनों बाद जयपुर जाने का फैसला किया और मैं जयपुर चला गया था। उस दिन हम दोनों ने साथ में रहने का फैसला किया रेखा मेरे साथ होटल में रुकी उसे अब यह बात पता थी कि हम दोनों के बीच चुदाई का खेल होने वाला है वह भी तैयार थी। मैंने भी उसे अपनी बाहों में ले लिया मै उसके होठों को चूमने लगा मुझे उसके होठों को चूमकर बड़ा ही अच्छा लग रहा था उसको भी बहुत मजा आ रहा था। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है मैंने उसे कहा अच्छा तो मुझे भी बड़ा लग रहा है और मेरे अंदर की आग बढ़ती जा रही है। वह मुझे कहने लगी देखो मैं तो चाहता हूं तुम मेरे लंड को चूसो। मैंने जब अपने लंड को बाहर निकाल कर उसे हिलाना शुरू किया तो मेरा मोटे लंड को अपने मुंह में लेकर उसे चूसने लगी। उसको बडा ही अच्छा लग रहा था और मुझे भी मज़ा आ रहा था जब वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर उसे सकिंग कर रही थी तो उसके अंदर की गर्मी बढ चुकी थी और मेरे अंदर भी आग लगी हुई थी। मैं अब रेखा की चूत मे लंड डालना चाहता था। रेखा के कपड़े उतारने के तुरंत बाद मैंने उसकी चूत पर अपनी उंगली को लगाया और अपनी उंगली से उसकी चूत को सहलाना शुरु किया तो रेखा की चूत के अंदर मेरा लंड जाने के लिए तैयार था। उसकी योनि से पानी बाहर निकल आया था उसको मजा आने लगा था और मुझे भी बड़ा अच्छा लग रहा था।

जब मैंने रेखा की चूत को चाटना शुरू किया तो वह मचलने लगी। अब मैंने उसके स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया तो उसकी चूत से निकलता हुआ पानी कुछ ज्यादा ही अधिक हो चुका था और मेरे अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी। मेरे अंदर की गर्मी अब इस कदर बढ़ चुकी थी कि मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था और ना ही रेखा रह पा रही थी मैंने भी अपने लंड को उसकी चूत के अंदर प्रवेश करवा कर एक झटका मारा जैसे ही मैंने उसकी चूत में अपने लंड को डाला तो वह बहुत जोर से चिल्लाई और कहने लगी मुझे मजा आ गया। अब हम दोनों को ही मजा आ चुका था मैं तो बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था और ना ही वह अपने आपको रोक पा रही थी इसलिए हम दोनों एक दूसरे का साथ अच्छे से दे रहे थे मेरा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर होता तो मुझे आनंद आने लगता।

मैंने जब रेखा की चूत के अंदर से निकलते हुए खून को देखा तो मुझे मजा आने लगा और मेरे अंदर की गर्मी और भी बढ़ने लगी। मेरे अंदर की आग बहुत बढ चुकी थी और मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा था। रेखा की चूत से निकलता हुआ पानी ज्यादा अधिक हो चुका था जिससे कि मैं उसकी चूत की गर्मी को झेल नहीं पाया और मेरा माल उसकी चूत में ही गिर गया। जब मैंने उसे घोड़ी बनाकर चोदना शुरू किया तो मेरे अंदर की आग बढ़ती ही जा रही थी और उसके अंदर की आग भी अब बढ़ती जा रही थी। वह मुझे कहने लगा मुझे तुम ऐसे ही चोदता जाओ मैंने उसे ऐसे ही काफी देर से धक्के मारे मेरे अंदर से माल बाहर की तरफ गिरा और मुझे मजा आ गया।
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चुदकर मुझे थैंक्यू बोला


मेरा काफी समय बाद चंडीगढ़ जाना हुआ, चंडीगढ़ मैं अपने ऑफिस की ट्रेनिंग के लिए गया हुआ था, मैं लुधियाना में रहता हूं। जब मैं चंडीगढ़ गया तो उस वक्त मैंने सोचा कि क्यों ना अपने पुराने कुछ दोस्तों से मिल लिया जाए। संकेत उनमें से मेरा सबसे करीबी दोस्त है संकेत को मैंने फोन किया तो संकेत मुझसे पूछने लगा आदर्श तुम कैसे हो और अभी कहां हो? ना जाने संकेत के कितने ही सवाल थे। करीब एक वर्ष बाद मैं संकेत से फोन पर बात कर रहा था और मेरा नंबर भी बदल चुका था। संकेत और मैं एक दूसरे से फोन पर बातें करने लगे तो मैंने संकेत को कहा कि तुम यह सब छोड़ो और यह बताओ कि तुम अभी कहां पर हो मैं तुमसे मिलने के लिए आ रहा हूं। संकेत मुझे कहने लगा कि क्या तुम चंडीगढ़ आए हुए हो तो मैंने उसे कहा हां मैं चंडीगढ़ आया हुआ हूं। मैं संकेत से मिलने के लिए उसके ऑफिस में चला गया, संकेत से मैं ऑफिस में ज्यादा बात तो नहीं कर सका लेकिन उसने मुझसे कहा कि हम लोग शाम के वक्त मुलाकात करते हैं। मैंने संकेत को कहा ठीक है हम लोग शाम के वक्त मिलते हैं और शाम के वक्त मैं और संकेत एक दूसरे से मिले तो संकेत ने मुझे कहा आदर्श तुम बिल्कुल सही समय पर मुझे मिले हो मेरी बहन दीपिका की शादी होने वाली है।

दीपिका संकेत से दो वर्ष ही बड़ी थी और वह हमारे ही स्कूल में पढ़ा करती थी। मैंने संकेत को कहा चलो यह तो बड़ी खुशी की बात है कि दीपिका की शादी होने वाली है। पहले मैं भी चंडीगढ़ में ही पढ़ा करता था लेकिन पापा के रिटायरमेंट होने के बाद हम लोग लुधियाना चले आए और लुधियाना में ही मैंने जॉब करनी शुरू कर दी। संकेत से इतने समय बाद मिलकर अच्छा लग रहा था संकेत मुझे कहने लगा कि तुम काफी सालों से चंडीगढ़ भी तो नहीं आए थे। मैंने उसे कहा हां तुम जानते तो हो ही की चंडीगढ़ आना हो ही नहीं पाता है अपने काम के चलते इतना बिजी हो गया हूँ कि मेरे पास बिल्कुल भी समय नहीं रहता। संकेत मुझे कहने लगा कि हां यह बात तो तुम ठीक कह रहे हो मेरे साथ भी बिल्कुल ऐसा ही है मैं भी अपने आप को बिल्कुल समय नहीं दे पाता हूं और घर पर मैं देर शाम से पहुंचता हूं और पापा मम्मी को मुझसे यही शिकायत रहती है कि मैं उन लोगों के लिए बिल्कुल भी समय नहीं निकाल पाता हूं।

मैं और संकेत काफी देर तक साथ में बैठे उसके बाद मैंने संकेत को कहा कि अभी मैं चलता हूं और फिर मैं अपने होटल में वापस लौट गया। कुछ दिनों की मेरी ट्रेनिंग थी तो मैं ट्रेनिंग खत्म करने के बाद वापस लुधियाना लौट आया। मैं अपने नये ऑफिस को ज्वाइन कर चुका था और मुझे बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता था। संकेत का मुझे फोन आया और वह कहने लगा कि दीपिका दीदी की शादी का दिन तय हो गया है और तुम्हें चंडीगढ़ आना है। मैंने संकेत को कहा ठीक है मैं चंडीगढ़ जरूर आऊंगा और उसके कुछ समय बाद मैं चंडीगढ़ चला गया। मैं जब चंडीगढ़ गया तो उस वक्त मैं अपनी फैमिली के साथ चंडीगढ़ गया हुआ था क्योंकि संकेत के परिवार को मेरे परिवार वाले अच्छे से जानते हैं इसलिए वह लोग भी मेरे साथ लुधियाना से चंडीगढ़ गए हुए थे। हम लोगों को रुकने के लिए संकेत ने होटल में रूम बुक करवा दिया था और जब दीपिका की शादी हो गई तो उसके बाद हम लोग वापस लुधियाना लौट आए उसके बाद भी संकेत और मेरी फोन पर बातें होती ही रहती थी। जब भी हम दोनों की फोन पर बातें हुआ करती तो मुझे और संकेत को बहुत ही अच्छा लगता। संकेत ने मुझे नीलम के बारे में बताया नीलम और संकेत की मुलाकात उसके ऑफिस में ही हुई थी और वह दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे थे। संकेत ने मुझे बताया कि उसने अभी तक नीलम से इस बारे में कुछ भी बात नहीं की है। मैंने संकेत को कहा कि तुम देर क्यों कर रहे हो तुम अपने दिल की बात नीलम से कह क्यों नहीं देते तो संकेत कहने लगा कि मैं तो सोच ही रहा था कि मैं अपने दिल की बात कह दूं लेकिन मेरी हिम्मत ही नहीं हो पा रही है कि मैं नीलम से अपने दिल की बात कहूं। मैंने संकेत को कहा कि तुम जल्द से जल्द नीलम को अपने दिल की बात कह दो क्योंकि नीलम जैसी लड़की शायद तुम्हें मिल नहीं पाएगी। संकेत ने मुझे उससे पहले भी नीलम की तस्वीर भेजी थी और मैंने संकेत को कहा कि तुम नीलम से शादी कर ही लो उसके बाद उसने नीलम से अपने दिल की बात कह दी और उन दोनों का रिलेशन अच्छे से चलने लगा।


वह दोनों एक दूसरे के साथ रिलेशन में बड़े ही खुश थे और इस बात से मैं भी कहीं ना कहीं खुश था कि संकेत भी अब नीलम से शादी करने वाला है। नीलम और संकेत की शादी भी तय हो चुकी थी क्योंकि उनके परिवार वाले इस बात के लिए मान चुके थे। संकेत ने मुझे फोन कर के कहा कि तुम्हें कुछ दिनों के लिए चंडीगढ़ आना पड़ेगा मैंने संकेत को कहा कि तुम्हारी शादी में मैं जरूर आऊंगा लेकिन उससे पहले तुम कुछ दिनों के लिए लुधियाना तो आ जाओ। संकेत कहने लगा कि लुधियाना आ पाना तो मुश्किल होगा लेकिन तुम चंडीगढ़ आ जाओ और वैसे भी मेरी शादी कुछ दिनों बाद तो होने ही वाली है। मैंने संकेत को कहा ठीक है मैं कुछ दिनों के लिए चंडीगढ़ आ जाऊंगा और जब नीलम और संकेत की शादी थी तो उस दौरान मैं चंडीगढ़ चला गया। मैं चंडीगढ़ गया हुआ था तो नीलम और संकेत की शादी तो हो गई लेकिन उस शादी में मुझे नीलम की एक सहेली मिली जिसका नाम मीनाक्षी है।

मीनाक्षी से मिलकर मुझे काफी अच्छा लगा और हम दोनों की मुलाकात उस दौरान थोड़ी देर की ही हुई लेकिन उसके बाद मीनाक्षी को मैंने फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी और हम लोग फेसबुक चैट के माध्यम से एक दूसरे से बातें करने लगे। हालांकि हमारी बात ज्यादा नहीं होती थी लेकिन फिर भी हम लोग एक दूसरे से बातें किया करते तो हम दोनों को ही अच्छा लगता था।  हम दोनों एक दूसरे से हर रोज बातें किया करते। हम दोनों को एक दूसरे से बातें करना बहुत ही अच्छा लगता मैं और मीनाक्षी एक-दूसरे के बहुत करीब आ चुके थे। मीनाक्षी भी अपने मामा जी से मिलने के लिए कुछ दिनों के लिए लुधियाना आई हुई थी वह लोग लुधियाना में ही रहते हैं और इत्तेफाक तो यह है कि वह लोग हमारी सोसाइटी में ही रहते हैं। मेरे लिए तो यह बढा अच्छा था मैंने उस दिन मीनाक्षी को अपने घर पर बुला लिया था। मीनाक्षी और मै एक दूसरे से बातें कर रहे थे हम दोनों साथ में बैठे हुए थे। मीनाक्षी का गोरा रंग देख मैं अपने अंदर की गर्मी को रोक ना सका। मेरे उसके होठों को चूम लिया मैंने मीनाक्षी के होठों को चूम लिया। वह उत्तेजित होने लगी थी मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरू किया तो वह पूरी तरीके से गर्म हो चुकी थी और उसकी गर्मी बढने लगी थी। मुझसे बिल्कुल नहीं रहा जा रहा और मेरे अंदर जो आग लगी हुई थी वह बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी। मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो मीनाक्षी मेरे लंड को देखकर कहने लगी तुम्हारा लंड तो बहुत ज्यादा मोटा है। मैंने मीनाक्षी को कहा तुम इसे अपने मुंह के अंदर समा लो मीनाक्षी ने मेरे मोटे लंड को अपने मुंह में ले लिया और वह उसे सकिंग करने लगी। जब मीनाक्षी मेरे मोटे लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग कर रही थी तो उसको बड़ा ही मजा आ रहा था और मुझे भी अच्छा लग रहा था। मेरे अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बड़ी हुई थी मीनाक्षी के अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी हम दोनों ही पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुके थे। मैंने मीनाक्षी के कपड़ों को उतारते हुए उसकी पैंटी और ब्रा को उतार फेंका जिसके बाद मैंने उसकी गुलाबी चूत पर अपनी उंगलियों को फेरना शुरू किया और कुछ देर तक उसकी चूत पर उंगलियां फिरने के दौरान उसकी चूत से निकलता हुआ पानी कुछ ज्यादा ही अधिक हो चुका था।

अब मैंने उसके स्तनों को चूसना शुरू कर दिया था उसके स्तनों को चूस कर मुझे बड़ा ही मजा आ रहा था और उसको भी बहुत अच्छा लग रहा था। हम दोनों ही पूरी तरीके से उत्तेजित हो रहे थे हमारे अंदर की गर्मी अब इतनी ज्यादा बढ़ चुकी थी हम दोनों से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था। मैंने पूरी तरीके से सोच लिया था कि मैं और मीनाक्षी आज एक दूसरे के साथ अच्छे से संभोग करेंगे। मैंने जब अपने मोटे लंड को मिनाक्षी की चूत के बीचो-बीच रगडा तो मीनाक्षी की चूत से निकलता हुआ गर्म पानी और भी ज्यादा बाहर की तरफ निकलने लगा उसकी चूत हल्की सी खुली हुई थी मैंने भी अपने लंड को उसकी चूत में धीरे-धीरे घुसाना शुरू किया उसकी चूत की चिकनाई इतनी अधिक हो चुकी थी कि उसकी चूत के अंदर मेरा मोटा लंड जैसे ही प्रवेश हुआ तो वह जोर से चिल्लाकर मुझे कहने लगी मेरी चूत में दर्द हो गया।

मैंने उसे कहा मुझे भी बहुत ज्यादा दर्द महसूस हो रहा है लेकिन जैसे ही मीनाक्षी की चूत से खून बाहर की तरफ को निकलने लगा तो मैंने उसे कस कर पकड़ लिया। अब मै उसे कसकर पकड़ चुका था वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी और ना ही मुझसे रहा जा रहा था हम दोनों ही बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुके थे और हमारी उत्तेजना बहुत ही ज्यादा बढ गई थी। मैंने मीनाक्षी की चूत पर बड़ी तेजी से प्रहार करना शुरू कर दिया था उसकी चूत पर मैं जिस प्रकार से प्रहार कर रहा था उससे मुझे बड़ा ही मजा आ रहा था। मुझे बड़ा आनंद आ रहा था उसकी सिसकारियां मे लगातार बढ़ोतरी होती जा रही थी मेरे अंदर की गर्मी बहुत अधिक हो चुकी थी मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था। मैंने जैसे ही उसकी चूत के अंदर अपने वीर्य की पिचकारी मारा तो वह खुश हो गई और कहने लगी आज मेरा जीवन सफल हो गया मैंने उसे कहा लेकिन तुम ऐसा क्यों कह रही हो। वह कहने लगी मैंने आज तक किसी से भी अपनी सील नहीं तुडवाई थी तुम पहले हो जिसे देखकर मैं अपने आपको रोक ना सकी और तुम्हें अपने बदन को सौप बैठी।
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पत्नी इशारे समझ जाती और चूत दे देती


लंबे अरसे बाद मेरी और गौतम की मुलाकात हुई गौतम उस दिन मेरे घर पर आया हुआ था मैंने उसे अपने घर पर आने के लिए कहा था। हम दोनों शादी के करीब 5 वर्षों बाद मिल रहे थे गौतम अब हैदराबाद में रहता है और वह मुझसे मिलने के लिए पुणे आया हुआ था उसकी पत्नी भी उसके साथ आई हुई थी। इतने लंबे अरसे बाद मेरी और गौतम की मुलाकात हुई तो मुझे काफी अच्छा लगा हम दोनों साथ में बैठे हुए थे और अपनी शादीशुदा जिंदगी के बारे में बातें कर रहे थे। मेरी पत्नी सुहानी और गौतम की पत्नी मीनाक्षी खाना बना रहे थे हम लोग साथ में बैठे हुए थे और एक दूसरे से बातें कर रहे थे मुझे गौतम से बात कर के अच्छा लग रहा था। मैंने गौतम से कहा कि तुमने कुछ समय पहले ही अपना बिजनेस शुरू किया था तुम्हारा बिजनेस कैसा चल रहा है। वह मुझे कहने लगा कि मेरा बिजनेस तो अच्छा चल रहा है लेकिन तुम यह बताओ कि तुम कैसे हो और तुम्हारे जीवन में सब कुछ ठीक चल रहा है।

मैंने गौतम को कहा मेरे जीवन में तो सब कुछ ठीक चल रहा है मैं अपनी शादीशुदा जिंदगी से भी बहुत खुश हूं और पिछले साल ही मैंने नौकरी छोड़कर अपनी दुकान का काम करवा लिया था इसलिए अब मैं अपनी दुकान का काम संभाल रहा हूं और मेरा काम अच्छे से चल रहा है तो मैं इस बात से बहुत खुश हूं। गौतम और मैं बात कर रहे थे तो सुहानी कमरे में आई और कहने लगी कि चलिये आप लोग खाना खा लीजिए खाना तैयार हो चुका है। बच्चे सब रूम में शरारत कर रहे थे मैंने सुहानी को कहा कि तुम बच्चों को भी बुला लो। हम सब लोगों ने साथ में डिनर किया गौतम हमारे घर पर करीब तीन दिन तक रुका और उसके बाद वह हैदराबाद चला गया। गौतम ने मुझे कहा कि जब तुम हैदराबाद आओ तो मुझे जरूर बताना मैंने गौतम को कहा कि तुम तो जानते ही हो कि मुझे समय बिल्कुल भी नहीं मिल पाता है लेकिन फिर भी मैं कोशिश करूंगा कि मैं अहमदाबाद आ जाऊं और तुम से हैदराबाद आकर मैं जरूर मुलाकात करूंगा। गौतम और मैं एक दूसरे से फोन पर ही बातें किया करते थे मुझे भी हैदराबाद जाने का कभी मौका नहीं मिल पाया था लेकिन एक दिन मेरे मामा जी ने मुझे हैदराबाद बुला लिया और उन्होंने कहा कि बेटा तुम्हें और तुम्हारी पत्नी सुहानी को हैदराबाद आना है।

मैं हैदराबाद मामा जी के घर पर गया उनकी बेटी की शादी थी इसलिए मेरा वहां जाना जरूरी था वह लोग हैदराबाद में ही आप रहते हैं। जब मैं हैदराबाद गया तो मैंने गौतम को कहा कि मैं तुमसे मुलाकात करूँगा गौतम और मैं एक दूसरे से मिले तो हम दोनों को काफी अच्छा लगा इतने समय बाद हम लोग एक दूसरे से मिले तो गौतम मुझे कहने लगा चलो कम से कम तुम इस बहाने हैदराबाद तो आए। मैंने गौतम से कहा यह भी बड़ा अजीब इत्तेफाक है कि मामा जी  अब हैदराबाद में रहते हैं और वह हैदराबाद में ही जॉब करते हैं। मामा जी की लड़की अंकिता को हैदराबाद में ही एक लड़का पसंद आ गया था और उन लोगों ने शादी करने का फैसला कर लिया अब उन दोनों की शादी हो चुकी थी। मैं कुछ दिनों तक हैदराबाद में रुका गौतम ने मुझे कहा कि तुम्हें मेरे घर पर भी रुकना पड़ेगा तो मैं और सुहानी गौतम के घर पर रुके और बच्चे भी हमारे साथ ही थे हम लोग गौतम के घर पर दो दिन तक रुके और फिर उसके बाद हम लोग वापस पुणे आ गए। हम लोग पुणे वापस लौट चुके थे और मैं अपने काम पर ध्यान देने लगा मेरी जिंदगी बिल्कुल ही सामान्य तरीके से बीत रही थी मेरी जिंदगी में कुछ भी नयापन नहीं था मैं सुबह अपने काम पर जाता और शाम को अपने घर लौट आता। सुहानी भी मुझे कहने लगी कि तुम काफी ज्यादा काम में बिजी रहते हो अब मेरे लिए तुम्हारे पास बिल्कुल भी समय नहीं होता है मैंने सुहानी को कहा ऐसा नहीं है अब मुझे काम तो करना ही है। सुहानी मुझे कहने लगी कि कितना समय हो गया हैं हम लोग कहीं फैमिली आउटिंग पर भी तो बाहर नहीं गए हैं। सुहानी मुझे कहने लगी कि चलो आज हम लोग कहीं फैमिली आउटिंग पर बाहर चलते हैं तो मैंने भी सुहानी को कहा ठीक है आज हम लोग कहीं बाहर चलते हैं। उस दिन मुझे सुहानी की बात माननी पड़ी मैं उस दिन दुकान से घर जल्दी आ गया था इसलिए हम लोग मूवी देखने के लिए चले गए बच्चे भी साथ में ही थे और हम लोगों ने बाहर ही डिनर किया।


घर पहुंचते हुए हम लोगों को करीब 12:00 बज चुके थे जब हम लोग घर पहुंचे तो मैं और सुहानी एक दूसरे से बातें कर रहे थे मैंने सुहानी को कहा अब तो तुम खुश हो मैं तुम्हें आज बाहर लेकर गया। सुहानी मुझे कहने लगी अब आप काफी बोरिंग हो चुके हो शादी के इतने सालों बाद तुम बदलने लगे हो। सुहानी और मैं एक दूसरे को उस वक्त मिले थे जब हम लोग अपने किसी फ्रेंड की पार्टी में गए थे और मुझे सुहानी वहां बहुत पसंद आई तो मैंने सुहानी को अपने दिल की बात कह दी थी। सुहानी मेरी बात को मना ना कर सकी और हम दोनों में प्यार हो गया हम दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा था। मुझे तो सुहानी का साथ पाकर बहुत ही अच्छा लग रहा था क्योंकि सुहानी मेरी हर एक बात माना करती और वह मेरे जीवन में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। मैं बहुत ही ज्यादा खुश था कि सुहानी और मैं एक दूसरे के साथ शादी कर पाए और सुहानी जिस प्रकार से घर को मैनेज कर रही है उससे घर में सब कुछ अच्छे से चल रहा था। सुहानी बच्चों को भी देखती और घर की देखभाल बड़े अच्छे से कर रही थी तो मैं इस बात से बड़ा ही खुश था। एक दिन मैं और सुहानी साथ में बैठे हुए बातें कर रहे थे उस दिन मैं दुकान से जल्दी घर लौट आया था तो मैं सुहानी से बात कर रहा था।

सुहानी मुझे कहने लगी कि कुछ दिनों के लिए मम्मी पापा हमसे मिलने के लिए आने वाले हैं मैंने सुहानी को कहा यह तो बड़ी अच्छी बात है। सुहानी के पापा भी अब रिटायर हो चुके हैं और वह लोग कुछ दिनों के लिए हमारे पास आना चाहते थे। मेरे माता-पिता का देहांत हो जाने के बाद वह लोग ही मुझे काफी समझाया करते है और काफी सपोर्ट भी करते है। उस दिन मैं और सुहानी साथ में बैठे हुए थे और एक दूसरे से बातें कर रहे थे सुहानी को देखकर मुझे अच्छा लग रहा था। सुहानी भी मुझसे बातें कर के बड़ी खुशी हो रही थी मैंने सुहानी से कहा आज तुम्हारे चेहरे पर बड़ी खुशी नजर आ रही है। वह मुझे कहने लगी रोहन तुम तो जानते ही हो मैं पापा मम्मी के आने से कितनी ज्यादा खुश हूं। मैंने सुहानी का हाथ पकड़ा और सुहानी से कहा कितने दिन हो गए हैं हम दोनों ने एक दूसरे को अच्छे से प्यार भी नहीं किया है। वह समझ चुकी थी मुझे उससे क्या चाहिए। सुहानी ने मेरे हाथों को पकड़कर मुझे कहा चलो रूम में चलते हैं। हम दोनों अब रूम में चले आए हम दोनों रूम में आ गए उसके बाद जब सुहानी ने अपने कपड़े खोलने शुरू किए तो उसका बदन आज भी पहले की तरह ही है वह अपने आपको काफी अच्छी तरीके से मेंटेन किया हुए हैं। मैंने भी अपने लंड को बाहर निकाला और सुहानी ने उसे देखते ही अपने मुंह में समा लिया जब उसने अपने मुंह के अंदर मेरे लंड को लेकर चूसना शुरू किया तो मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लगने लगा और सुहानी को भी बड़ा अच्छा लगने लगा था। सुहानी के अंदर की गर्मी बढ़ती ही जा रही थी। उसने मेरे लंड से पानी निकाल दिया था वह मेरे अंदर की उत्तेजना पूरी तरीके से बढा चुकी थी मैं बिल्कुल भी रह नहीं पया और सुहानी मुझे कहने लगी मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है।

मैंने सुहानी को कहा मुझसे बिल्कुल रहा नहीं जा रहा है जैसे ही मैंने सुहानी के स्तनों को चूस कर उसके निप्पलो को खड़ा करना शुरू किया तो वह मुझे कहने लगी अब मुझे और भी ज्यादा मजा आने लगा है। सुहानी और मै उत्तेजित होने लगे थे मैंने अपने मोटे लंड को सुहानी की योनि पर लगाकर अंदर की तरफ धकेलना शुरू किया तो वह जोर से चिल्लाई। वह मुझे कहने लगी मेरी चूत फट चुकी है मैंने उसे कहा अब मुझे मजा आने लगा है वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ज्यादा मजा आने लगा है मैंने उसकी योनि के अंदर लंड को डालना शुरू कर दिया था मै उसे बड़ी जोरदार तरीके से धक्के मार रहा था। मैं जब उसे धक्के मार रहा था तो वह बहुत जोर से चिल्लाती और मुझे कहती अब मुझे बड़ा मजा आने लगा है सुहानी मेरा साथ बड़े अच्छे से दे रही थी मैंने उसकी चूत को पूरी तरीके से फाड कर रख दिया था। सुहानी की चूत मे दर्द होने लगा था मुझे बड़ा अच्छा लगने लगा था।

मैंने सुहानी की चूत मे तो माल गिरा दिया था लेकिन उसने मेरे लंड को चूस कर दोबारा से खड़ा कर दिया। जब सुहानी ने मेरे लंड को चूस कर खड़ा कर दिया तो मैंने सुहानी की चूतडो को अपनी तरफ किया और उसकी चूत के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवा दिया। मेरा लंड सुहानी की चूत में जाते ही वह जोर से चिल्लाने लगी और कहने लगी मेरी चूत फट चुकी है मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मै सुहानी को बड़ी तेजी से धक्के मारने लगा था वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। वह मेरा साथ दे रही थी सुहानी मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। मैंने सुहानी को कहा मुझे भी बड़ा अच्छा लग रहा है सुहानी अपनी चूतड़ों को मुझसे टकराती तो मेरे अंदर की गर्मी को वह बढ़ा देती। 10 मिनट की चुदाई के बाद मेरा माल जैसे ही बाहर की तरफ को गिरा तो वह बहुत जोर से चिल्लाते हुए कहने लगी आज मजा आ गया।
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गोरी चूत मे काला लंड


मैं अपने ऑफिस के बाहर खड़ा था मेरे ऑफिस के बाहर जब मुझे शोभित मिला तो मैंने शोभित को कहा कि क्या तुम भी अब यही जॉब करने लगे हो। शोभित कहने लगा कि मुझे तो यहां जॉब करते हुए करीब एक महीना हो चुका है। शोभित हमारे सामने वाले कॉरपोरेट ऑफिस में जॉब करता था लेकिन यह पहली बार था जब वह मुझे मिला था शोभित मेरे दोस्त का छोटा भाई है। मैंने उससे पूछा कि हर्षित आजकल कहां है हर्षित का ना तो कोई फोन आता है और ना ही उसके बारे में मुझे कुछ जानकारी है काफी वर्ष हो गए हैं उससे मुलाकात भी तो नहीं हुई है। शोभित ने मुझे कहा कि हर्षित भैया आजकल न्यूजीलैंड में हैं और वह घर भी काफी समय से नहीं आए हैं। मेरी और हर्षित की दोस्ती काफी पुरानी है हम लोग कॉलेज के समय से एक दूसरे को जानते हैं। हम दोनों एक दूसरे को पहली बार जब कॉलेज में मिले थे तो उस वक्त हम दोनों की दोस्ती काफी अच्छी हो गई थी।

मैंने शोभित को कहा कि चलो अभी मैं चलता हूं तुमसे कभी और मुलाकात करूंगा और यह कहकर मैं अपने ऑफिस में चला गया। ऑफिस का काम शाम के 6:30 बजे तक खत्म हो गया था और मैं भी अब घर जाने के लिए ऑटो का वेट कर रहा था। मैं अपने ऑफिस के बाहर ही बस स्टॉप पर खड़ा था लेकिन भीड़ काफी ज्यादा थी इसलिए ऑटो वाला भी कोई नजर नहीं आ रहा था लेकिन तभी एक ऑटो वाला आया और उसने मुझे देखकर ऑटो रोक लिया उसके बाद उसने मुझे मेरे घर तक छोड़ दिया। मैं अपने घर पर पहुंचा तो मैंने देखा कि हमारे घर पर मेरी बहन आई हुई है मेरी बहन मुंबई में ही रहती है और वह काफी समय बाद घर आई थी। मैंने उससे पूछा दीदी आप कैसी हो तो मेरी बहन सरिता ने मुझे कहा मैं तो ठीक हूं  अविनाश लेकिन तुम पिछले हफ्ते घर पर आए थे उसके बाद तुमने मुझे कहा था कि मैं आपको मिलने के लिए दोबारा आऊंगा लेकिन तुम आए ही नहीं। मैंने दीदी से कहा कि दीदी आजकल ऑफिस में कुछ ज्यादा काम हो गया था इस वजह से मैं आपको मिलने के लिए आ नहीं पाया खैर आप यह सब छोड़िए और यह बताइए कि जीजा जी कहां है।

सरिता दीदी ने कहा कि तुम्हारे जीजा जी तो अभी कुछ दिनों के लिए कोलकाता गए हैं वहां से वह अगले हफ्ते तक ही लौटेंगे। मैंने दीदी को कहा यह तो आपने बड़ा ही अच्छा किया जो आप घर पर आ गई। दीदी का एक 5 साल का बेटा है जो कि बहुत ज्यादा शरारती है उसे संभालना बड़ा ही मुश्किल होता है फिलहाल वह मां के साथ खेल रहा था। जब मैं अपने रूम से कपड़े चेंज कर के बाहर निकला तो वह मुझे कहने लगा मुझे आपके साथ पार्क में घूमने के लिए जाना है। रात भी काफी हो चुकी थी इसलिए मैंने उसे मना किया लेकिन दीदी और मां ने कहा कि जाओ अविनाश तुम छोटू को अपने साथ पार्क में लेकर चले जाओ। मैं उसे पार्क में लेकर चला गया पार्क में मैंने उसे कुछ देर झूले में झुलाया और फिर वापस घर लौट आया। मैं घर लौट आया था और मां मुझे कहने लगी कि आज तुम्हारे पापा भी देर से आने वाले हैं मैंने मां से कहा कि लेकिन पापा आज कहां गए हुए हैं तो मां ने मुझे बताया कि वह अपने किसी दोस्त के रिटायरमेंट की पार्टी में गए हुए हैं और उन्हें आने में देर हो जाएगी। मैंने मां से कहा कि फिर तो हम लोग खाना खा लेते हैं मां कहने लगी हां बेटा हम लोग डिनर कर लेते हैं और फिर हम लोगों ने डिनर कर लिया। डिनर करने के बाद हम लोग कुछ देर साथ में बैठे हुए थे फिर मैं अपने छत की में चला गया टेरेस में ही कुछ देर तक मैं टहल रहा था। मैंने अपनी जेब से सिगरेट निकाली और मैं सिगरेट पीने लगा मैं सिगरेट पी रहा था तो मुझे तभी हर्षित का फोन आया हर्षित का फोन मुझे काफी समय बाद आया था उसने किसी अननोन नंबर से फोन किया था जो मेरे पास सेव नहीं था। मैंने उससे कहा आज तुमने मुझे काफी दिनों बाद फोन किया हर्षित मुझे कहने लगा कि मुझे तो लगा था की तुम मुझे पहचान भी नहीं पाओगे। मैंने हर्षित को कहा ऐसा तो कुछ भी नहीं है मैंने उसे बताया कि मुझे आज ही तो शोभित मिला था। हर्षित ने मुझे बताया कि शोभित से आज मेरी बात हो रही थी तो उसने तुम्हारा जिक्र किया और मैंने सोचा कि मुझे तुम्हे फोन करना चाहिए क्योंकि काफी समय हो गया था तुमसे बात भी तो नहीं हो पाई थी।


मैंने हर्षित को कहा चलो यह तो तुमने बड़ा अच्छा किया जो आज मुझे फोन कर दिया इतने समय बाद तुमने मुझे फोन किया है, मुझे इस बात की बड़ी खुशी है कि कम से कम तुम से मेरी बात तो हो पा रही है। मैंने हर्षित से पूछा खैर यह बात छोड़ो तुम यह बताओ तुम वापस कब आ रहे हो तो वह मुझे कहने लगा कि अभी तो मेरा मुश्किल हो पाएगा लेकिन थोड़े समय बाद मैं देखता हूँ कि मैं घर आ जाऊं। मैंने  हर्षित को कहा चलो यह तो बड़ी अच्छी बात है कि तुम अगर घर आ जाओ, इस बहाने कम से कम तुमसे मुलाकात तो हो जाएगी। हर्षित के साथ मेरी काफी देर तक बात हुई और उसके बाद वह मुझे कहने लगा कि चलो अब मैं फोन रखता हूं मैंने हर्षित को कहा ठीक है हम लोग कभी और बात करेंगे। हर्षित ने फोन रख दिया और मैं भी अपने रूम पर आ गया तो मां मुझे कहने लगी कि बेटा तुम इतनी देर से टेरेस पर क्या कर रहे थे। मैंने मां से कहा मां मेरे दोस्त हर्षित का फोन आ गया था तो मैं उसी से बात कर रहा था मां कहने लगी चलो बेटा तुम सो जाओ कल तुम्हें ऑफिस भी तो जल्दी जाना है मैंने मां से कहा ठीक है मां।

मैं सो गया और अगले दिन मैं अपने ऑफिस जाने के लिए जल्दी अपने घर से निकल गया। जब सुबह में अपने घर से निकला तो मैं बस का इंतजार बस स्टॉप पर कर रहा था वहां पर मुझे एक लड़की दिखाई दी उसकी सुंदरता देख मै उस पर मोहित हो गया और उसे मैं देखता ही रहा। यह भी इत्तेफाक था मेरी मुलाकात दोबारा उससे मेरे परिचित के घर पर हो गई। मेरी जान पहचान अब सुनीता से होने लगी सुनीता और मैं दूसरे से बातचीत करने लगे। मैंने सुनीता का नंबर ले लिया था हम लोगों को बात करते हुए करीब एक महीना हो चुका था। एक महीने में हम दोनों काफी बार बात कर चुके थे हम लोगों का मिलना भी होने लगा था इसलिए सुनीता को भी अच्छा लगने लगा था लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि सुनीता और मेरे बीच बात अब इतनी आगे बढ़ जाएगी कि एक रात मैं सुनीता के साथ फोन सेक्स करूंगा। वह मेरे साथ बड़ी खुश थी हम दोनों एक दूसरे के साथ इतने खुश हो गए कि वह मेरे साथ सेक्स करना चाहती थी। जब हम दोनों को मौका मिला तो हम दोनों एक दूसरे के साथ बंद कमरे में थे मुझे सुनीता को देखकर एक अलग तरह की आग जगने लगी। मैंने उसके होठों को चूम लिया मैं जब उसके होठों को चूमकर अपने अंदर की गर्मी को शांत किया तो वह उत्तेजित हो जाती और मुझे कहती मुझे बड़ा मजा आ रहा है। मेरे अंदर की गर्मी बढ़ने लगी थी मैं अपने अंदर की गर्मी को बिल्कुल भी रोक ना सका मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया जब मैंने अपने लंड को बाहर निकाल कर सुनीता के मुंह के सामने किया तो वह उसे अपने मुंह में लेकर चूसने लगी उसे बड़ा मजा आने लगा था। वह जिस प्रकार से मेरे लंड को चूस रही थी उससे मेरे अंदर की गर्मी बढ़ती जा रही थी वह भी बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गई थी। उसने मुझे कहा कहा मेरी उत्तेजना तुमने इस कदर बढ़ा दी है कि मैं बिल्कुल भी नहीं रह पा रही हूं। मैंने उसे कहा मुझे तुम्हारी चूत के अंदर लंड प्रवेश करवाना पड़ेगा। वह भी इस बात से बड़ी खुश थी उसने अपने कपड़ों को उतारने के बाद मेरे सामने अपनी चूत को किया उसने अपने पैरों को खोला हुआ था। मैं उसके पैरों को खोल कर उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाना चाहता था।

मैंने जैसे ही अपने मोटे लंड को उसकी योनि के अंदर घुसाया तो जोर से चिल्लाते हुए मुझे कहने लगी मेरी चूत में बहुत ज्यादा दर्द होने लगा है। मैंने उसे कहा मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा है वह मुझे कहने लगी अच्छा तो मुझे भी बहुत लग रहा है लेकिन दर्द हो रहा है। मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख कर उसे धक्के मारने शुरू कर दिए वह मुझे कहने लगी आप मेरी गर्मी को शांत कर दो। मैंने उसे कहा मुझे तुम्हें चोदने में बड़ा मजा आ रहा है मैं उसकी चूत के अंदर बाहर लंड को किए जा रहा था मेरा वीर्य जैसे ही बाहर की तरफ को गिरा तो मुझे मजा आ गया। उसने मेरे लंड को चूसकर खडा कर दिया जब वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर उसे चूसने लगी तो उसको मजा आने लगा।

वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा है मुझे लग रहा है बस तुमको चोदते जाऊं। मैं उसे बड़ी तेज गति से धक्के मार रहा था जब मैं उसे चोद रहा था तो उसकी चूत और मेरे लंड की टक्कर से जो आवाज आती वह मुझे और भी ज्यादा उत्तेजित करती। मैंने सुनीता को कहा तुम घोड़ी बन जाओ। सुनीता की चूतडे मेरी तरफ थी और मेरा लंड उसकी चूत पर लगा तो वह उत्तेजित होने लगी। मैंने उसकी योनि के अंदर अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था। जब मैंने ऐसा करना शुरू किया तो उसे मज़ा आने लगा वह मुझे कहने लगी मुझे बड़ा मजा आ रहा है उसकी उत्तेजना पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी। मैं उसकी गर्मी को झेल नहीं पा रहा था मैंने उसे कहा मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है। वह मुझे कहने लगी तुम अपने माल को मेरी योनि में गिरा दो। मैं अपने वीर्य की पिचकारी को उसकी चूत में गिराकर उसकी गर्मी को शांत कर दिया वह बड़ी खुश हो गई थी जब मैंने अपने माल को उसकी चूत मे गिराया।
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लंड टन टना कर चूत मे घुसा


मैं एक इंजीनियर हूं और मैं झारखंड के एक छोटे से गांव में प्रोजेक्ट को लेकर काम कर रहा था। जब उस दौरान एक दिन मैं काम कर रहा था तो मैंने देखा कि सामने से एक लड़की घड़े में पानी लेकर आ रही थी वह दिखने में बेहद ही खूबसूरत थी। उसको देख कर मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं उसे कब से जानता हूं मैंने उस लड़की को पहली बार ही वहां देखा था मैंने उससे पहले उसे कभी नहीं देखा था लेकिन उसके बाद से मैं अक्सर उसे वहां पर देखने लगा। जब भी मैं उसे देखता तो मुझे उसे देखर बहुत ही अच्छा लगता और मैं उससे बात करना चाहता था। एक दिन मैं उस लड़की को देख रहा था तो वहां पर मेरे साथ काम करने वाले जूनियर इंजीनियर ने मुझे कहा कि सर आप उसे मत देखिए। मैंने उसे कहा कि लेकिन ऐसा क्यों तो वह कहने लगा कि वह यहां के सरपंच की लड़की है और अगर उन्हें इस बारे में पता चला तो कहीं हमारे साथ कुछ बुरा ना हो जाए।

मैंने उसे कहा की वह मुझे बहुत अच्छी लगने लगी है क्या तुम उसके बारे में मुझे कुछ पता कर के बता सकते हो तो उसने मुझे कहा कि नहीं रहने दीजिए सर मैं आपको उसके बारे में कुछ भी नहीं बता पाऊंगा। मैं तो चाहता था कि मैं उससे बात करूं लेकिन मुझे उसका नाम भी पता नहीं था वह तो जैसे मेरे दिल और दिमाग में बस चुकी थी। कुछ दिनों में हमारी साइट का भी काम पूरा होने लगा था और मुझे वापस दिल्ली लौटना था। जब हमारी कंपनी का काम खत्म हो गया तो मैं दिल्ली लौट आया दिल्ली लौटने के बाद भी मैं उस लड़की के बारे में सोचता रहा और मेरे दिमाग में बस उस लड़की का ही ख्याल आ रहा था। मैं चाहता था कि मैं उससे बात करूं इसलिए मैं दिल्ली से कुछ दिनों के लिए झारखंड चला गया मैंने अपना पूरा मन बना लिया था कि मैं उससे बात कर के ही रहूंगा। मैंने जब उससे बात की तो वह शरमा रही थी मैंने उससे पूछा कि आपका नाम क्या है तो उसने मुझे अपना नाम बताया उसका नाम ललिता है। ललिता और मैं बात कर रहे थे तो उसके पिताजी ने हम दोनों को बात करते हुए देख लिया और वह ललिता का हाथ खींचते हुए अपने घर लेकर चले गए।

मैंने तो उस दिन सोच लिया था कि मैं अब ललिता को अपना बनाकर ही मानूंगा। मैंने उसके बाद ललिता से फिर बात करने की कोशिश की लेकिन उसके पिताजी कभी चाहते ही नहीं थे की मैं उससे बात करूं। एक दिन ललिता ने मुझे कहा कि देखो तुम यहां से चले जाओ अगर मेरे पापा और मेरे भैया को इस बारे में पता चला तो कहीं वह लोग तुम्हें कुछ नुकसान ना पहुंचा दे इसलिए तुम यहां से चले जाओ। मुझे भी लगा कि ललिता ठीक कह रही है उसके बाद मै दिल्ली वापस लौट आया था मैंने उसके बाद ललिता से फोन पर बात करनी शुरू कर दी हम दोनों की बातें फोन पर ही होती थी। ललिता को अपने घर वालो से छुप कर मुझसे बातें करनी पड़ती थी लेकिन मैं चाहता था कि ललिता और मैं अब एक दूसरे के साथ रहे परन्तु यह सब इतना आसान भी नहीं था। ललिता एक गांव की भोली भाली लड़की थी और मैं उसे भला शादी के लिए कैसे मनाता ललिता और मेरे बीच का प्यार तो परवान चढ़ चुका था। हम दोनों सिर्फ फोन पर ही बातें किया करते थे और उसके पिताजी को मनाना भी इतना आसान नहीं था। मैंने ललिता को कहा कि हम लोग घर से भाग चलते हैं लेकिन ललिता ने मना कर दिया वह कहने लगी तुम्हें मेरे पिताजी को समझाना पड़ेगा उसी के बाद वह हमारी शादी करवा पाएंगे। मेरे लिए यह सब इतना आसान नहीं था और ना ही ललिता के लिए यह आसान था हम दोनों एक दूसरे से अलग नही रहना चाहते थे। मैंने तो अपने घर में सबको ललिता के बारे में बता दिया था मेरे पापा मुझे कहने लगे बेटा अगर हम लोगों को ललिता के पापा से बात करनी है तो हम लोग उनसे बात करने के लिए तैयार है। मैंने अपने पिताजी को कहा कि नहीं आप रहने दीजिए मैं ललिता के पापा को किसी भी प्रकार से समझा लूंगा। उसके बाद मैं ललिता के गांव चला गया जब मैं उनके गांव गया तो वहां पर उस दिन मैं ललिता के पापा से मिला ललिता के पिता जी से मिलकर मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे वह मेरी बात नहीं मानेंगे। उन्होंने मुझे कहा कि देखो बेटा हमने ललिता को हमेशा ही बड़े नाजो से पाला है लेकिन हम उसकी शादी ऐसे ही किसी के साथ भी नहीं कर सकते हमें तुम्हारे बारे में कुछ भी पता नहीं है।


मैंने उन्हें कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है आप लोग बिल्कुल भी चिंता मत कीजिए मैं ललिता का पूरा ध्यान रखूंगा लेकिन ललिता के पिताजी चाहते थे कि पहले वह मेरे परिवार से मिले। मुझे तो लगा था कि वह मुझसे बात भी नहीं करेंगे लेकिन उन्होंने मेरी बात अच्छे से सुनी और उसके बाद मैं दिल्ली लौट आया। मैंने जब यह बात अपने पापा और मम्मी का बताई तो वह लोग भी खुश हो गए। मेरे पापा मम्मी की खुशी सिर्फ मेरी खुशी में है और वह लोग हमेशा से ही मुझे खुश देखना चाहते हैं इसलिए तो मुझे जब भी मेरे पापा मम्मी की जरूरत होती है तो सबसे पहले वह लोग मेरे साथ होते हैं। मुझे बहुत ही अच्छा लगता है जब मेरे पापा मम्मी मेरे साथ होते हैं अब उन्होंने भी ललिता को अपनी बहू के रूप में स्वीकार कर लिया था। मेरे पापा मम्मी को अब ललिता के पिता जी से मिलना था और हम लोग जब ललिता के घर पर गए तो मेरी मां ने ललिता को देखा और उन्होंने ललिता को देखते ही कहा ललिता बहुत ही अच्छी लड़की है। उसके बाद मेरे पिताजी और ललिता के पिताजी की बात हुई तो सब लोगों की रजामंदी से हम दोनों की शादी तय हो गई।

उन लोगों को भी हमारा रिश्ता मंजूर था पहले तो मुझे लगा था कि शायद यह रिश्ता कभी हो ही नहीं पाएगा और यह सब इतनी आसानी से नही होगा लेकिन उनकी रजामंदी से ललिता से मेरी शादी होने वाली थी और मैं बड़ा खुश था कि ललिता से मेरी शादी होने वाली है। मेरे लिए यह किसी सपने के सच होने से कम नहीं था मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि ललिता से मेरी शादी हो जाएगी और जल्द ही हम दोनों की शादी हो गई। हम दोनों की शादी हो जाने के बाद ललिता हमारे घर आ चुकी थी। हम दोनों की शादी हो चुकी थी और हम दोनों एक दूसरे के साथ बड़े खुश थे सब कुछ हमारे जीवन में बड़े अच्छे से चल रहा था। ललिता और मेरे बीच पहली बार सेक्स हुआ तो हम दोनों ने एक दूसरे के साथ सेक्स का पूरी तरीके से मजा लिया था। जब पहली बार हम दोनों ने एक दूसरे के साथ बिस्तर पर अंतरंग संबंध बनाए तो ललिता काफी शर्मा रही थी ललिता को बिल्कुल भी यह सब अच्छा नहीं लग रहा था। जब मैंने उसके होठों को चूम कर उसे पूरी तरीके से उत्तेजित कर दिया तो वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी और उसके अंदर से निकलती हुए गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी। मैं जब अपने लंड को बाहर निकाला तो ललिता ने उसे हाथों में लिया। ललिता उसे हिलाने लगी और कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। ललिता ने मेरे लंड को अपने मुंह में लेने के बाद चूसा तो मैं खुश हो गया वह अच्छे से मेरे लंड को सकिंग कर रही थी। मैंने उसके मुंह के अंदर तक अपने लंड को घुसा दिया मेरा लंड उसके मुंह के अंदर जाते ही उसे बड़ा मजा आ रहा था और मेरी गर्मी बढ़ती ही जा रही थी। वह बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी उसने मुझे कहा मेरे अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है।

अब मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया जब ललिता की योनि पर मैने अपने लंड को लगाकर अंदर डाला तो वह जोर से चिल्लाई और मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। मुझे भी बड़ा अच्छा लग रहा था उसको भी बहुत ही अच्छा लगने लगा था हम दोनों की गर्मी पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी। मै जिस प्रकार से उसे चोद रहा था उससे उसको मजा आने लगा था ललिता की योनि से निकलता हुआ खून बढने लगा था और उसके अंदर की गर्मी बढ रही थी। वह अपने मुंह से जिस प्रकार की सिसकारियां ले रही थी उससे मेरे अंदर की आग और भी ज्यादा बढ़ रही थी और उसके मुंह से निकलती हुई चीख भी बढने लगी थी। उसकी मादक आवाज में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही थी। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है उसने मेरा साथ बड़े अच्छे से दिया वह मुझे कहने लगी तुम मुझे ऐसी ही चोदते जाओ।

मैंने उसके पैरों को अपने कंधे पर रख लिया था जिसके बाद वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी वह मुझे कहने लगी तुम ऐसे ही मुझे धक्के मारते रहो। मैं उसे लगातार तेज गति से धक्के मारते जा रहा था मेरे अंदर की आग पूरी तरीके से बढ चुकी थी और उसके अंदर की आग बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी। हम दोनों बिल्कुल भी रह नहीं पा रहे थे ललिता अपने आपको रोक नहीं पा रही थी। वह मुझे कहने लगी आप मुझे ऐसे ही चोदता जाओ। मैंने उसे तेज गति से धक्के देने शुरू कर दिए थे मैंने कुछ देर बाद उसे घोड़ी बना दिया। ललिता कि बड़ी चूतडे मेरी तरफ थी मैं उसे तेज गति से चोद रहा था मैं जिस प्रकार से उसकी चूतडो पर प्रहार करता उससे मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगता और उसको भी बड़ा मजा आने लगा था। वह मुझे कहने लगी तुम मुझे बस ऐसे ही धक्के देते जाओ मैंने उसे बड़ी तेजी से चोदा। जब मैं उसकी चूत पर प्रहार करता तो उसकी चूत से खून निकल रहा था। मैंने जैसे ही उसकी चूत के अंदर अपने माल को गिराया तो वह खुश हो गई। हम दोनों साथ में लेटे हुए थे। हम दोनों की जब मन होता हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स का मजा ले लिया करते और हम दोनों को ही बड़ा मजा आता जब हम दोनों सेक्स का मजा लिया करते।

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भाभी को तो लंड लेना ही था


मैं कुछ दिनों के अपने परिवार के साथ घूमने के लिए शिमला चला गया था हम लोग वहां पर करीब चार दिनों तो रुके और फिर हम लोग दिल्ली वापस लौट आये। अपने परिवार के साथ काफी साल बाद मेरा कहीं घूमना हुआ और मुझे बहुत अच्छा लग रहा था कि अपने परिवार के साथ मैं समय बिता पा रहा हूं। अपने परिवार के साथ समय बिताना मेरे लिए बहुत ही सुखद एहसास था। मैं वापस दिल्ली आ गया था तो दिल्ली में अब मैं नौकरी की तलाश में था मुझे अभी तक नौकरी नहीं मिली थी मैं नौकरी ढूंढ रहा था। एक दिन मेरा दोस्त घर पर आया मेरा दोस्त जब मुझे मिला तो उसने मुझे कहा कि आजकल तुम क्या कर रहे हो। मैंने उसे बताया कि मैं आजकल अपनी नौकरी की तलाश में हूं लेकिन अभी तक मुझे नौकरी मिल नहीं पाई है। उसने मुझे कहा कि तुम चिंता मत करो मैं तुम्हारी बात अपने पापा के ऑफिस में कर लेता हूं और उसने मेरी बात अपने पापा के ऑफिस में कर ली उसके पापा वहां मैनेजर है और मेरी जॉब भी वहां लग चुकी थी।

जॉब लग जाने के बाद मुझे बहुत अच्छा लगने लगा और फिर मैं अपनी जॉब मे ही बिजी हो गया था। एक दिन मैं और पापा साथ में बैठे हुए थे तो पापा मुझे कहने लगे कि सार्थक बेटा तुम अपनी बहन से मिल आओ। मैंने पापा को कहा कि पापा क्या दीदी को मिलने के लिए जाना जरूरी है तो पापा कहने लगे हां बेटा उसकी तबीयत ठीक नहीं है। मुझे इस बारे में कुछ भी पता नहीं था मैंने पापा से कहा ठीक है पापा कल वैसे भी रविवार है कल मैं दीदी को मिलने चला जाऊंगा। अगले दिन मैं दीदी को मिलने के लिए चला गया मैं जब दीदी को मिलने के लिए उनके घर पर गया तो उनकी तबीयत ठीक नहीं थी डॉक्टर ने उन्हें बेड रेस्ट करने के लिए कहा था। मैंने दीदी से पूछा आखिर आपको हुआ क्या है तो दीदी ने मुझे बताया कि उन्हें दो-तीन दिन से कुछ ज्यादा ही बुखार आ रहा था इसलिए डॉक्टर ने उन्हें रेस्ट करने के लिए कहा है। मैंने दीदी को कहा चलिए कोई बात नहीं आप आराम कीजिए सब कुछ ठीक हो जाएगा। जीजाजी उस वक्त घर पर नहीं थे दीदी की सासू मां ही घर पर थी मैंने दीदी से पूछा कि जीजाजी कहां है तो वह मुझे कहने लगे कि वह तो अपने काम से गए हैं और शाम तक ही लौटेंगे।

मैं दीदी के साथ काफी देर तक बैठा रहा फिर मैंने दीदी को कहा कि आप आराम कर लीजिए वह मुझे कहने लगी कि हां सार्थक मैं आराम कर लेती हूं। उसके बाद मैं घर लौटने की तैयारी में था तो दीदी मुझे कहने लगी कि सार्थक तुम आज यहीं रुक जाओ मैंने दीदी को कहा नहीं दीदी आज मुझे घर जाना पड़ेगा। दीदी मुझे कहने लगी कि सार्थक तुम यहीं रुक जाते तो मुझे भी अच्छा लगता और तुम्हारे जीजा जी अभी तक आये नहीं है। मैंने दीदी से कहा कोई बात नहीं मैं उनसे बाद में मुलाकात कर लूंगा और फिर मैं घर लौट आया था। मैं जब लौटा तो पापा और मम्मी मुझसे पूछने लगे कि बेटा तुम्हारी बहन की तबीयत कैसी है तो मैंने उन्हें बताया कि अब तो दीदी की तबीयत ठीक है लेकिन उन्हें डॉक्टर ने बेड रेस्ट के लिए कहा है। पापा मुझसे कहने लगे कि बेटा हम लोग भी अनीता से मिलने के बारे में सोच रहे थे लेकिन मेरी तबीयत ठीक नहीं है और तुम्हारी मां की तबीयत भी ठीक नहीं थी इसलिए हम लोग अनीता से मिलने के लिए नहीं जा पाए मैंने पापा और मम्मी से कहा कोई बात नहीं। पापा मम्मी कहने लगे कि हम चाहते थे कि हम लोग अनीता से मिल आये मैंने उनसे कहा कि अब वह ठीक है आप उनसे फोन पर बात कर लीजिएगा। पापा और मां कहने लगे कि ठीक है बेटा हम लोग अनीता से फोन पर बात कर लेंगे। उसके बाद मैं अपने रूम में चला गया रूम में मैं लेटा हुआ था थोड़ी देर बाद मां कमरे में आई और कहने लगी कि सार्थक बेटा तुम डिनर कर लो मैंने मां से कहा मां बस अभी आया। मैं बाथरूम में हाथ मुंह धोने के बाद पापा मम्मी के साथ डिनर करने लगा डिनर करने के समय पापा ने मुझे पूछा कि बेटा तुम्हारी जॉब तो ठीक चल रही है। मैंने पापा से कहा हां पापा मेरी जॉब ठीक चल रही है और सब कुछ ठीक है तो पापा मुझे कहने लगे कि चलो बेटा यह तो अच्छी बात है।


मै और पापा साथ में ही बैठे हुए थे और मम्मी रसोई में चली गई थी हम लोगों ने डिनर कर लिया था कुछ देर तक मैं पापा के साथ बैठा रहा फिर मैं भी अपने रूम में चला गया। मैं अपने रूम में चला गया और मुझे पता नहीं कब नींद आ गई कुछ मालूम ही नहीं पड़ा, मुझे नींद आ चुकी थी उसके बाद मैं अगले दिन सुबह जल्दी उठ गया था। मैं जब सुबह जल्दी उठा तो मुझे अपने ऑफिस के लिए जल्दी जाना था मैंने मां से कहा कि मां मेरे लिए जल्दी नाश्ता तैयार कर देना तो मां मुझे कहने लगी कि हां बेटा मैं तुम्हारे लिए जल्द ही नाश्ता तैयार कर देती हूं। मां ने मेरे लिए नाश्ता तैयार कर दिया था जब मां ने मेरे लिए नाश्ता तैयार किया तो उसके बाद मैंने जल्दी से नाश्ता किया और अपने ऑफिस के लिए निकल गया। मैं जब ऑफिस पहुंचा तो उस दिन ज्यादा ही काम था इसलिए मुझे ऑफिस में काफी देर हो गई थी। ऑफिस में मुझे बहुत देर हो गई थी और मैं देर रात से घर पहुंचा तो मां मेरा इंतजार कर रही थी और वह कहने लगी कि बेटा आज तुम काफी देरी से घर आ रहे हो। मैंने मां से कहा कि हां मां मुझे आने में देर हो गई क्योंकि आज ऑफिस में बहुत काम था। अब हर रोज की तरह मैं सुबह ऑफिस जाता और शाम के वक्त घर लौट आता मेरी जिंदगी में कुछ भी नया नहीं हो रहा था सब कुछ एक जैसा ही चल रहा था। हमारे पड़ोस में रहने वाले सोहन अंकल हमारे घर पर आए हुए थे और वह उस दिन पापा के साथ काफी देर तक बैठे हुए थे।

पापा और सोहन अंकल के बीच काफी अच्छी दोस्ती है और वह लोग एक दूसरे को काफी मानते भी हैं इसलिए वह दोनों एक दूसरे के साथ काफी देर तक बैठे हुए थे। मैंने मां से कहा कि मां मैं अभी अपने दोस्त राजीव से मिल आता हूं मां कहने लगी ठीक है बेटा तुम उससे मिल आओ। मैं उस दिन राजीव के घर पर चला गया राजीव हमारी सोसाइटी में ही रहता है लेकिन उससे काफी दिनों से मेरी मुलाकात हो नहीं पाई थी। जब मैं राजीव को मिलने के लिए गया तो वह मुझे कहने लगा कि आज तुम कितने दिनों बाद मुझसे मिल रहे हो। हम दोनों उसके रूम पर ही बैठे हुए थे। जब हम दोनों साथ में बैठे हुए थे तो राजीव की भाभी आई वह मुझे ऐसे देख रही थी जैसे कि उनकी आंखों में कुछ चल रहा था। राजीव के भाई की शादी को अभी 6 महीने ही हुए थे राजीव के भैया विदेश में नौकरी करते हैं लेकिन मुझे नहीं पता था कि राजीव की भाभी सरिता का चरित्र बिल्कुल भी ठीक नहीं है। उस दिन मुझे उन्हें देखकर बिल्कुल भी ठीक नहीं लग रहा था औ वह उस दिन के बाद मुझे जब भी देखती तो उनकी आंखों में मुझे वही शरारत नजर आती मैंने भी मन बना लिया था सरिता भाभी के साथ मुझे संभोग करना है। एक दिन मुझे वह मौका मिल गया उन्होंने मुझे कहा आज मैं तुमसे मिलने के लिए तुम्हारे घर आऊंगी। उन्हे यह बात मालूम थी कि पापा और मम्मी घर पर नहीं है। वह उस दिन मुझसे मिलने के लिए घर पर आई सरिता भाभी जब मुझसे मिलने के लिए घर पर आई तो मै उनके गदराए बदन को महसूस करना चाहता था। मै उनकी चूत के मजे लेना चाहता था वह मेरे साथ बिस्तर पर लेटी हुई थी उनकी चूत की खुजली को मैं पूरी तरीके से मिटाना चाहता था। मैंने उनके होंठों को चूमना शुरू किया तो सरिता भाभी उत्तेजित होती चली गई।

मुझसे भी बिल्कुल रहा नहीं जा रहा था मैंने सरिता भाभी के बदन को महसूस करना शुरू कर दिया था। मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो उन्होंने अपने मुंह से मेरे लंड को चूसना शुरू किया और वह उसे बड़े अच्छे से चूसने लगी। सरिता भाभी मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी तो मुझे मजा आ रहा था उनके मुंह के अंदर मेरा वीर्य गिरने लगा था उसे उन्होंने अपने अंदर ही निगल लिया। मैंने उनकी चूत को चाटना शुरु किया तो उनकी चूत से पानी बाहर निकल आया था। मैंने सरिता भाभी से कहा मैं आपकी चूत मारना चाहता हूं। उन्होंने मुझे कहा मैंने अपने पैरों को खोल लिया है अब आपको जो करना है आप कर लीजिए। मैंने भी उनकी गरम चूत पर अपने गरम लंड को लगाकर अंदर की तरफ धकेला जैसे ही मेरा मोटा लंड उनकी योनि के अंदर घुस गया तो मुझे मजा आने लगा। मैं सरिता भाभी को बड़ी तेजी से चोदने लगा मैंने उनके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया था जिस तरह से मैं उनकी चूत के मजे ले रहा था उससे मुझे बहुत ही ज्यादा मजाक आने लगा। उनका पूरा बदन गर्म होने लगा था वह मुझे कहने लगी मेरे बदन की गर्मी बढ़ती जा रही है।

मैंने उनको बोला मेरे अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा बढ चुकी है मै बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा हूं और उनके बदन से निकलता हुआ पसीना मुझे साफ महसूस होने लगा था। उनकी चूत से कुछ ज्यादा ही अधिक पानी बाहर निकल आया था उनकी योनि से पानी निकाल रहा था। वह मुझे कहने लगी तुम मुझे बस ऐसे ही धक्के मारते रहो मुझे बहुत मजा आ रहा है। मैंने उन्हें कहा मजा तो मुझे भी बड़ा आ रहा है अब मुझे लगने लगा है कहीं मेरा वीर्य बाहर की तरफ ना गिर जाए। वह कहने लगी कोई बात नहीं तुम अपने माल को मेरी चूत मे गिरा दो वैसे भी मैंने अपनी चूत को तुम्हें सौंपी दिया है तुम जैसा चाहो वैसा कर सकते हो। मैंने अब 90 की स्पीड से उनको चोदना शुरू किया जैसे ही उनकी चूत के अंदर मैंने अपने वीर्य को गिराया तो वह खुश हो गई और मुझसे लिपटकर कहने लगी आज तो मजा ही आ गया। उसके बाद मैंने उनके साथ तीन बार और संभोग किया और उनकी गर्मी को मिटाया।
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लंड चूत मे आग उगलने लगा


पापा का ट्रांसफर कोलकाता से नागपुर हो चुका था नागपुर में मेरे लिए सब कुछ नया था क्योंकि मैं अपनी 12वीं की पढ़ाई तो कोलकाता से पूरी कर चुका था और अब फिर मैंने नागपुर के कॉलेज में दाखिला लिया। मैंने कॉलेज में दाखिला लिया और जब पहले दिन मैं कॉलेज गया तो उस दिन क्लास में मेरे साथ कमलेश बैठा हुआ था। कमलेश के साथ मेरी ज्यादा बात तो नहीं हुई लेकिन कमलेश से ही मेरा परिचय पहले दिन हुआ था और बाकी धीरे-धीरे मेरा क्लास में परिचय होने लगा था। मैं जब संजना से बात करने लगा तो मुझे संजना से बात करना अच्छा लगने लगा अब हम लोग एक दूसरे से बातें करने लगे थे। धीरे-धीरे कॉलेज का समय पर बीता जा रहा था और कॉलेज के फर्स्ट ईयर के एग्जाम भी नजदीक आ चुके थे। जब फर्स्ट ईयर के एग्जाम पूरे हो गए तो उसके कुछ दिनों बाद कॉलेज की छुट्टियां पड़ गई थी और मैं घर पर ही था। घर पर मैं अकेले बोर हो जाया करता था इसलिए मैं कमलेश के घर चला जाया करता था जब भी मैं कमलेश के घर जाता तो वह मुझे कहता की मुझे कई बार लगता है कि तुम जैसे संजना से प्यार करने लगे हो। मैं उसे कहता कि ऐसा तो कुछ भी नहीं है कमलेश मुझे कहने लगा कि नहीं अमित तुम संजना से प्यार करते हो और मुझे यह बात पता है।

उस दिन मैंने भी इस बात को स्वीकार कर लिया कि मैं संजना से प्यार करता हूं लेकिन संजना और मेरे बीच अच्छी दोस्ती थी तो मैं नहीं चाहता कि उसे इस बारे में कुछ पता चले। संजना और मैं एक दूसरे के बहुत नजदीक थे लेकिन मैंने कभी भी संजना से इस बारे में बात नहीं की थी। एक दिन मैंने संजना से अपने दिल की बात कहने का फैसला कर लिया उस दिन हम लोग हमारे कॉलेज की कैंटीन में साथ बैठे हुए थे और संजना भी हमारे साथ बैठी हुई थी। मैं और कमलेश आपस में बात कर रहे थे तो संजना मुझे कहने लगी कि अमित आज तुम मुझसे बात नहीं कर रहे हो तो मैंने उससे कहा कि नहीं ऐसा तो कुछ भी नहीं है। मैंने संजना से बात करनी शुरू की और संजना को मैंने उस दिन जब अपने दिल की बात कह दी तो संजना मुझे कहने लगी कि अमित मैं चाहती हूँ कि हम दोनों दोस्त ही रहे और मैंने इस बारे में कभी सोचा नहीं था।

मैंने संजना को कहा संजना तुम्हें जैसा ठीक लगता है तुम सोच कर मुझे बता देना क्योंकि मैं तो तुम्हें प्यार करने लगा हूं और मुझे नहीं पता कि तुम मेरे बारे में क्या सोचती हो। उस दिन तो मेरी और संजना की बस इतनी ही बात हो पाई लेकिन उसके बाद जब संजना ने मेरे प्रपोज को स्वीकार कर लिया तो हम दोनों एक दूसरे के साथ अब ज्यादा से ज्यादा समय बिताने लगे और हम दोनों मूवी देखने के लिए भी जाते। मेरे जीवन में जैसे सब कुछ अच्छा चल रहा था मैं बहुत ज्यादा खुश था लेकिन समय इतनी तेजी से बीत रहा था कि ग्रेजुएशन पूरा हो जाने के बाद अब संजना अपने भैया के साथ अमेरिका पढ़ने के लिए चली गई। संजना मुझसे दूर हो चुकी थी, हम लोगो की शोशियल मीडिया के माध्यम से ही बातें होती थी और कभी कबार वह मुझे फोन कर लिया करती थी। मैं नागपुर में ही था और पापा का ट्रांसफर भी अब जल्द ही होने वाला था लेकिन पापा चाहते थे कि अब हम लोग नागपुर में ही घर बना ले इसलिए हम लोगों ने नागपुर में ही एक घर खरीद लिया और हम लोग नागपुर में ही रहने लगे। पापा का ट्रांसफर पुणे हो चुका था और पापा पुणे में ही रहते थे मेरे और संजना के बीच बातें तो होती थी लेकिन हम लोग काफी समय से मिल नहीं पाए थे। करीब एक साल बाद जब संजना ने मुझे कहा कि मैं कुछ दिनों के लिए घर आ रही हूं तो मैं इस बात से बड़ा ही खुश था। संजना अपनी बहन की शादी के लिए घर आ रही थी और जब संजना घर आई तो मैं बहुत ही ज्यादा खुश हो गया था और इतने सालों बाद संजना को मिलकर मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि मेरे जीवन से कोई कितने सालों तक दूर था लेकिन संजना अब वापस आ चुकी थी और संजना से मिलकर मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा था। संजना और मैं एक साथ बैठे हुए थे तो मेरा मन हो रहा था कि मैं बस संजना से ही बात करता रहूँ। संजना भी मुझसे बात कर रही थी तभी संजना मुझे कहने लगी कि काफी रात हो चुकी है।


उस वक्त 9:00 बज चुके थे तो संजना मुझे कहने लगी कि अमित तुम मुझे घर छोड़ दो कहीं पापा और भैया ने मुझे तुम्हारे साथ देख लिया तो यह ठीक नहीं होगा। मैंने संजना को कहा ठीक है मैं तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ देता हूं और मैंने संजना को घर छोड़ दिया। संजना को घर छोड़ने के बाद मैं अपने घर वापस आया तो संजना का मुझे फोन आया वह मुझसे कहने लगी कि क्या तुमने डिनर कर लिया है तो मैंने उसे कहा नहीं अभी मैंने डिनर नहीं किया है मैं तुम्हें थोड़ी देर बाद फोन करता हूं। मैंने थोड़ी देर बाद संजना को फोन किया मैंने जब संजना को फोन किया तो हम दोनों बातें करने लगे हम दोनों करीब 2 घंटे तक बात करते रहे उसके बाद मुझे कुछ पता ही नहीं चला कब मुझे नींद आ गई और मैं सो गया। संजना ने भी फोन रख दिया था और सुबह जब मैं उठा तो मैंने संजना को फोन किया लेकिन उसने फोन उठाया नहीं था। संजना ने मेरा फोन नहीं उठाया तो मैंने उसे दो-तीन बार और कॉल किया लेकिन वह मेरा फोन नहीं उठा रही थी फिर थोड़ी देर बाद उसका मुझे फोन आया और उसने मुझे कहा की अमित मैं तुम्हें तुमसे मिलना चाहती हूं। मैंने संजना को कहा ठीक है मैं तुमसे मिलने के लिए तुम्हारे घर के पास ही आता हूं और मैं संजना को मिलने के लिए उसके घर के पास ही चला गया।

मैं संजना से मिलने गया तो संजना ने मुझे अपने पापा मम्मी से मिलवाया जब उसने मुझे उन लोगो से मिलवाया तो वह लोग मुझसे मिलकर काफी खुश थे उसके बाद संजना और मैं साथ में घूमने के लिए निकल गए। उस दिन संजना और मैंने मूवी देखने का प्लान बनाया और हम लोग मूवी देखने के लिए चले गए काफी समय बाद हम दोनों साथ में मूवी देख रहे थे तो हम दोनों बहुत ज्यादा खुश थे। संजना भी बड़ी खुश थी कि हम दोनों साथ में मूवी देख रहे थे। मूवी देखते समय हम दोनों एक दूसरे की तरफ आ गए थे और हम दोनों के बीच में किस हो गया। जब हम दोनों के बीच किस हो गया तो मैं अपने आपको बिल्कुल रोक ना सका और ना ही संजना अपने आपको रोक सकी। हम दोनों एक दूसरे के लिए इतने ज्यादा उत्तेजित होने लगे कि मैंने संजना को कहा मैं तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूं और हम दोनों मूवी देखने के बाद एक होटल में चले आए। मैंने जब संजना के कपड़े उतारे तो उसके बदन की खुशबू से मैं अपने आपको बहुत अच्छा महसूस कर रहा था। उसके बदन के हर हिस्से को मैं महसूस करने लगा मैंने अपनी जीभ से जब उसके स्तनों को चाटा तो उसके बाद मै उसके होंठों को चूमने लगा। मैं जब उसके होठों को चूम रहा था तो मैंने उसके होठों को हल्का सा काट भी दिया था जिससे कि उसके होठों से खून भी निकल आया था। संजना को तो मजा आ रहा था वह मुझे और भी ज्यादा उत्तेजित करने लगी थी। जब उसने मेरे कपड़े खोलकर मेरा लंड को हिलाना शुरू कर दिया था तो मुझे मजा आने लगा। उसे भी बहुत ज्यादा मजा आने लगा था हम दोनों पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुके थे और हमारी गर्मी अब इतनी अधिक हो चुकी थी कि हम लोग बिल्कुल भी रह नहीं पा रहे थे। मैंने संजना से कहा मुझसे भी बिल्कुल रहा नहीं जा रहा है उसने अपनी चूत के अंदर उंगली घुसाने की कोशिश की लेकिन उसकी चूत में उंगली नहीं जा रही थी।

मैंने अपने मोटे लंड को उसकी चूत पर लगाया जब मैने उसकी चूत मे लंड को घुसाया तो वह जोर से चिल्लाई और उसकी चूत से निकलता हुआ खून बहुत ज्यादा बढ़ चुका था। उसकी योनि से निकलता हुआ खून इतना ज्यादा हो चुका था कि वह बिल्कुल भी अपने आपको रोक नहीं पा रही थी। मैं उसको तेजी से धक्के देने लगा मैं उसे जिस प्रकार से चोद रहा था उससे उसकी सिसकारियां बढ़ती ही जा रही थी और मेरे अंदर की गर्मी बढ़ती ही जा रही थी। मैंने संजना को कहा मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है तो संजना मुझे कहने लगी मुझे बहुत मजा आ रहा है। अब हम दोनों के अंदर की गर्मी इस कदर बढ़ने लगी थी कि मैं और संजना एक दूसरे का साथ अच्छे तरीके से दे रहे थे। मै उसके होठों को चूम रहा था और उसे बड़े ही तेज गति से धक्के मार रहा था। मैं उसे जिस प्रकार से धक्के मार रहा था मुझे मजा आने लगा था मेरा माल संजना की योनि में गिर गया।

जब मेरा माला संजना कि योनि में गिरा तो मुझे मजा आने लगा संजना भी बड़ी खुश हो गई थी। मैंने संजना की चूत से अपने माल को साफ किया उसकी चूत से निकलता हुआ पानी अब दोबारा से बढने लगा था इसलिए वह मुझसे अपनी चूत दोबारा मरवाना चाहती थी। मैंने अपने लंड को उसकी चूत मे धकेल दिया जैसे ही मेरा मोटा लंड उसकी योनि के अंदर घुसा तो वह बहुत जोर से चिल्लाई और कहने लगी मुझे दर्द हो रहा है। मैंने उसे कहा दर्द में ही मजा है बस थोड़ी देर का दर्द होगा फिर मजा आने लगेगा। मै उसे तेज गति से धक्के मारने लगा उसे जिस प्रकार से मै चोद रहा था उसको आनंद आ रहा था और मेरे अंदर की आग बढ़ती ही जा रही थी मेरे अंदर इतनी ज्यादा गर्मी पैदा होने लगी कि मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था और ना ही संजना अपने आपको रोक पा रही थी। वह मुझसे अपनी चूतडो को मिलाए जा रही थी। मुझे उसे चोदने में मजा आता मैंने अपने माल को उसकी योनि मे गिराया और उसे खुश कर दिया वह बहुत ही ज्यादा खुश हो चुकी थी।

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सुहागरात पर चोदन का खेल खेला


मैं घर पर बैठा हुआ था कि तभी दरवाजे की घंटी बजी जैसे ही डोर बेल बजी तो मैंने दरवाजा खोला जब मैंने दरवाजा खोला तो सामने मामाजी खड़े थे मामा जी काफी दिनों बाद घर आ रहे थे। मैंने मामाजी से पूछा कि आप इतने दिनों बाद हम लोगों से मिलने आ रहे हैं तो वह कहने लगे कि सुरजीत बेटा तुम्हें तो पता ही है कि दुकान के काम से बिलकुल भी फुर्सत नहीं मिल पाती है। मामा जी की गारमेंट शॉप है और वह अपने काम के चलते काफी व्यस्त रहते हैं मैं मामाजी के साथ बैठा हुआ था तो मामा जी मुझे कहने लगे कि सुरजीत बेटा तुम्हारा काम कैसा चल रहा है। मैंने उन्हें कहा मेरा काम तो अच्छा चल रहा है आप बताइए आप कैसे हैं और मुझे तो लगा था कि आप घर पर आएंगे ही नहीं। मैंने मामा जी से जब यह बात कही तो वह कहने लगे कि बेटा आखिर तुम्हें ऐसा क्यों लगा कि मैं घर नहीं आऊंगा। मैंने मामा जी को कहा कि मैं काफी दिनों से सोच रहा था कि मैं आपसे मुलाकात करूं लेकिन आप से मिलने का मुझे समय ही नहीं मिल पा रहा था और आप भी अपने काम के चलते व्यस्त रहते हैं इसलिए मैं आपसे मिलने के लिए आ नहीं पाया था।

मामाजी और मैं बात कर रहे थे तो मां हम दोनों के लिए चाय बना कर ले आई, मैंने और मामा जी ने चाय पी फिर मां मामा जी के साथ बैठी हुई थी और मैं अपने रूम में चला आया। जब मैं अपने रूम में आया तो मामा जी ने मुझे आवाज लगाते हुए कहा कि सुरजीत बेटा तुमसे कुछ बात करनी थी। मैं रूम से बाहर आया और मैं मामाजी के साथ बैठा हुआ था पिताजी के देहांत के बाद मामाजी ने हीं घर की सारी जिम्मेदारी को संभाला था उस वक्त मैं कॉलेज में ही पढ़ रहा था तो मामा जी ने हमारी बड़ी मदद की। मैं अब जॉब लग चुका हूं, मैं मामा जी की बड़ी इज्जत करता हूं मामा जी मुझे कहने लगे कि सुरजीत बेटा तुम्हारी उम्र हो चुकी है और मुझे लगता है कि तुम्हें अब शादी कर लेनी चाहिए। मैंने उन्हें कहा लेकिन मैं अभी शादी नहीं कर सकता वह मुझे कहने लगे कि बेटा फिर भी तुम्हारी उम्र तो हो ही चुकी है और तुम जानते हो कि तुम्हें अब शादी कर लेनी चाहिए मैंने मामा जी को कहा कि मुझे नहीं लगता कि अभी मुझे शादी करनी चाहिए।

मैं और मामा जी साथ में बैठे हुए थे और एक दूसरे से बात कर रहे थे तो मामा जी ने मुझे आकांक्षा की तस्वीर दिखाई तो मैंने मामा जी से पूछा कि यह लड़की कौन है? वह कहने लगे कि पहले तुम यह बताओ कि लड़की तुम्हें कैसी लगी। मैंने उन्हें कहा कि लड़की तो अच्छी है पर आप बताइए तो सही कि आखिर यह लड़की है कौन तो मामा जी ने बताया कि वह उनके दोस्त की लड़की है। मामा जी ने मुझे सारी बात बताई की मैंने तुम्हारे बारे में बात अपने दोस्त से बात कर ली हैं अगर तुम चाहो तो मैं बात को आगे बढ़ाऊँ। मैंने तो कुछ नहीं कहा लेकिन मां कहने लगी की तुम आकांक्षा से एक बार मिल तो लो मैंने मां से कहा लेकिन मैं अभी शादी नहीं करना चाहता हूं। मां ने मुझे दोबारा से कहा कि बेटा फिर भी तुम एक बार आकांक्षा से मिल लो अगर तुम्हें वह अच्छी लगेगी तो ही तुम उससे शादी करना नहीं तो तुम उससे शादी मत करना। मुझे भी लगा कि मां बिल्कुल ठीक कह रही है और मैंने मां की बात मान ली। मैं मां की बात मान चुका था उसके बाद मैं आकांक्षा से मिला जब मैं आकांक्षा को पहली बार मिला तो मुझे उससे मिलकर बड़ा ही अच्छा लगा और वह भी मुझसे मिलकर खुश थी। मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे की आकांशा ने मुझे पहली नजर में ही पसंद कर लिया है और मैं बड़ा खुश था। हम दोनों ने एक दूसरे को पसंद कर लिया था क्योंकि मेरे पास भी अब और कोई रास्ता नहीं था और आकांक्षा को भी मैं पसंद आ चुका था इसलिए आकांक्षा ने शादी के लिए हां कह दिया था। आकांक्षा ने भी शादी के लिए हां कर दी थी तो हम दोनों की सगाई अब जल्द ही होने वाली थी सब लोग इस रिश्ते के लिए तैयार थे। कुछ दिन बाद हम दोनों की सगाई हो गई मामा जी ने सगाई के लिए होटल बुक किया था और हमारे जितने भी रिश्तेदार थे वह सब मेरी सगाई में आए हुए थे। मेंरी और आकांक्षा की सगाई हो चुकी थी और सब लोग चाहते थे कि हम लोग जल्द ही शादी कर ले लेकिन मैं चाहता था कि थोड़े समय बाद में शादी करूं। जब मेरी और आकांक्षा की शादी का दिन नजदीक आ चुका था तो हम दोनों अपनी शादी के लिए शॉपिंग कर रहे थे उस दिन मैं आकांक्षा को मिला तो हम दोनों ने साथ में ही शॉपिंग की।


आकांक्षा और मैं उस दिन जब कॉफी शॉप में बैठे हुए थे तो मैं और आकांक्षा एक दूसरे से बातें कर रहे थे मैंने आकांक्षा को कहा कि आकांक्षा तुम मुझसे शादी करके खुश तो हो ना। आकांशा कहने लगी कि सुरजीत मैंने तो तुम्हें जब पहली बार देखा था तभी मैंने तुम्हें पसंद कर लिया था और मैं तो चाहती हूं कि मैं तुमसे जल्द से जल्द शादी कर लूँ। मैंने आकांशा को कहा कि आकांक्षा मैं तुम्हें बहुत पसंद करने लगा हूं और मुझे पहले ऐसा नहीं लगा था मुझे लगा था कि तुम शायद मेरी टाइप की नहीं हो तुम बहुत ही सीधी सादी हो लेकिन अब तुमने मुझसे बात करनी शुरू कर दी है तो मुझे तुमसे बात कर के बहुत अच्छा लग रहा है जब भी मैं तुमसे बात करता हूँ तो मैं बहुत ही ज्यादा खुश हो जाता हूं। मैं और आकांक्षा साथ में काफी देर तक बैठे हुए थे और हम दोनों ने साथ में काफी देर तक समय बिताया मैं और आकांक्षा एक दूसरे के साथ बड़े खुश थे। हम दोनों की शादी का दिन भी अब नजदीक आ चुका था इसलिए हम दोनों अपनी शादी से बहुत खुश थे।

जब हम दोनों की शादी हो गई तो उसके बाद आकांक्षा और मैं अपने शादी शुदा जीवन से खुश है। मेरे परिवार में सिर्फ मेरी मां ही है मेरी मां को तो यह रिश्ता पहले से ही मंजूर था इसलिए वह भी काफी खुश थी। शादी की पहली रात मै और आकांक्षा बेडरूम में थे। हम दोनों साथ में लेटे हुए थे हम दोनों को ही अच्छा लग रहा था। मैंने आकांक्षा के हाथों को पकड़ लिया मैंने उसके नरम हाथ को पकड़ा तो मुझे अच्छा लगने लगा। आकांक्षा को बड़ा ही मजा आने लगा था मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू किया तो वह उत्तेजित होकर मुझे कहने लगी मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा है। वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुकी थी मेरे अंदर कि गर्मी बढ़ चुकी थी मैं बिल्कुल भी अपने आपको रोक नहीं पा रहा था। मैंने आकांक्षा के होठो को बहुत देर तक चूमा मैने उसके होठों से खून निकाल दिया था वह बहुत ज्यादा खुश हो गई थी। मैंने आकांक्षा के कपड़े उतारे जब मैंने आकांक्षा के कपड़े उतार दिए थे तो वह मुझे कहने लगी मुझे आपके लंड को अपने मुंह में लेना है। मैंने अपने लंड को आकांक्षा के सामने किया तो उसने मेरे लंड को चूमना शुरू कर दिया था। वह जिस प्रकार से मेरे मोटे लंड को चूसती तो मुझे मजा आ रहा था और उसे भी बड़ा ही अच्छा लग रहा था। हम दोनों के अंदर की गर्मी बढ चुकी थी और आकांक्षा भी पूरी तरीके से गरम होती जा रही थी। वह उत्तेजित हो चुकी थी। आकांक्षा मुझे कहने लगी मुझसे तो बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है मैंने उसे कहा मेरे अंदर की गर्मी बढ़ने लगी है। मैंने आकांक्षा की चूत पर अपने लंड को लगाया तो उसकी योनि गरम हो चुकी थी मेरा लंड भी पूरी तरीके से गरम हो चुका था। उसकी चूत से पानी बाहर निकल आया था वह मेरे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए तैयार थी मैंने जब उसकी चूत के अंदर अपने लंड को डाला तो वह जोर से चिल्लाई और मुझे कहने लगी मेरी चूत आपने फाड दी।

मैंने उसे कहा मुझे तो बड़ा ही अच्छा लग रहा है। मैंने उसकी चूत पर बड़ी तेजी से प्रहार करना शुरू कर दिया था मैं जब उसे चोद रहा था तो उसकी चूत से निकलता हुआ पानी बहुत ज्यादा बढ़ने लगा था और आकांक्षा की सिसकारियां बढने लगी थी। वह इतनी गरम हो चुकी थी वह मेरे लंड की गर्मी बिल्कुल भी झेल नहीं पा रही थी। मैंने अपने माल को उसकी चूत मे गिरा दिया था। जब उसकी गर्मी दोबारा से बढ़ने लगी तो उसने मेरे लंड को चूस कर खड़ा कर दिया। जब उसने मेरे लंड को खड़ा कर दिया था तो मैंने उसे कहा अब मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मैंने दोबारा से उसकी चूत मे लंड को सटा दिया मैंने अपने मोटे लंड को उसकी चूत पर सटा दिया और जैसे ही उसके अंदर मैंने अपने लंड को डाला तो वह जोर से चिल्लाने लगी और मुझे कहने लगी मुझे अब जाकर मजा आ गया।

मैंने उसे कहा मजा तो मुझे बड़ा आ गया है और ऐसा लग रहा है जैसे कि मैं बस तुम्हें धक्के मारता जाऊं। वह अपनी चूतड़ों को मुझसे मिलाने की कोशिश करती जब वह ऐसा करती तो मेरे अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बढ़ने लगती और मुझे मजा आ जाता। मैंने उसने कहा मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा है मेरे अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बढ़ती ही जा रही है। मै उसे बड़ी तेजी से चोद रहा था और उसकी चूतड़ों से निकलता हुई आवाज मेरे कान में जाकर मुझे और भी ज्यादा उत्तेजित करती जा रही थी। हम दोनों की उत्तेजना पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी और आकांक्षा की चूत से निकलता हुआ खून मेरी गर्मी बढा चुका था। अब मैं उसे बड़ी तेजी से धक्के मारने लगा लेकिन मुझे एहसास हो चुका था कि मैं ज्यादा देर तक अब उसकी आग को झेल नहीं पाऊंगा मैंने जैसे ही अपने माल की पिचकारी आकांक्षा की योनि में मारी तो वह खुश हो गई और हमारी सुहागरात सफल रही।
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लंड चूत के बीच प्यार बढ़ता चला गया


पारस के साथ मेंरी मुलाकात काफी समय बाद हो रही थी पारस और मैं दिल्ली में ही रहते है और वह मुझसे मिलने के लिए आया हुआ था। हम लोगों की मुलाकात करीब दो महीने बाद हो रही थी मैंने पारस को कहा तुम मुझसे मिलने के लिए आते ही नहीं हो तो वह मुझे कहने लगा कि राहुल तुम जानते तो हो की मेरे पास बिल्कुल भी समय नहीं हो पाता है इसलिए मैं तुम्हें मिल नहीं पाता हूं। मैंने पारस को कहा खैर यह बात छोड़ो और तुम मुझे यह बताओ कि तुमने सगाई कर ली और मुझे इस बारे में कुछ बताया भी नहीं। पारस मुझे कहने लगा कि राहुल यह सब बड़ी जल्दी में हुआ मैंने पारस को कहा लेकिन यह सब कितनी जल्दी हुआ तुम मुझे एक बार फोन करके बता तो सकते थे कि तुम सगाई करने वाले हो। पारस मुझसे कहने लगा की मैं कुछ दिनों के लिए घर गया हुआ था उस समय पापा और मम्मी ने मेरी मुलाकात सुरभि से करवाई तो सुरभि मुझे काफी पसंद आई और मैंने सुरभि के साथ शादी करने का फैसला कर लिया। मैंने पारस को कहा कि आखिर तुम एक बार मुझे इस बारे में बता तो देते वह मुझे कहने लगा कि अब तुम्हें क्या बताऊं तुम तो जानते ही की पापा और मम्मी के अलावा घर में किसी की चलती नहीं है और उन्होंने मेरी सगाई सुरभि से करवा दी।

पारस कहने लगा कि मैंने इस बारे में तुम्हे बताया नही उसके लिए मैं तुमसे माफी मांगता हूं लेकिन जब मेरी शादी होगी तो सबसे पहले मैं तुम्हें ही उसका कार्ड दूंगा। मुझे पारस ने मुझे यह कहा तो मैंने पारस को कहा कि देखते हैं तुम्हें कितना याद रहता है पारस मुझे कहने लगा कि मुझे यह बात याद रहेगी। पारस और मैं दिल्ली में ही जॉब करते हैं और हम दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ा करते थे कॉलेज की पढ़ाई पूरी हो जाने के बाद हम दोनों का कॉलेज में कैंपस प्लेसमेंट में सलेक्शन हो गया और हम दोनों ही दिल्ली आ गए लेकिन समय के अभाव के चलते हम दोनों एक दूसरे को बहुत कम मिल पाते हैं। पारस उस दिन मेरे साथ काफी देर तक रहा फिर वह चला गया जब पारस चला गया तो मैंने पारस को फोन किया और कहा कि पारस तुम्हारा बैग मेरे घर पर ही रह गया है।

पारस कहने लगा कोई बात नहीं तुम उसे अपने पास ही रख लो और कल जब तुम मुझसे मिलने के लिए आओगे तो वह बैग लेते हुए आना मैंने पास को कहा ठीक है। अगले दिन मुझे पारस के पास जाना था उससे मेरा एक जरूरी काम था इसलिए मैं पारस को मिलने के लिए चला गया। मैं और पारस साथ में ही थे क्योंकि अगले दिन भी मेरे ऑफिस की छुट्टी थी तो पारस मुझे कहने लगा कि चलो आज हम लोग कहीं साथ में चलते हैं। मैंने पारस को कहा लेकिन हम लोग कहां जाएंगे तो पारस कहने लगा कि हम लोग मूवी देख आते हैं। मैंने भी सोचा कि क्यों ना आज पारस के साथ मैं मूवी देखने के लिए चला जाऊं और उस दिन मैं और पारस मूवी देखने के लिए चले गए। हम दोनों को घर लौटते वक्त काफी देर हो चुकी थी। अगले दिन मुझे मेरे ऑफिस जल्दी जाना था और मैं अपने ऑफिस जल्दी चला गया मैं जब अपने ऑफिस गया तो उस दिन ऑफिस में काफी काम था इसलिए मुझे घर पहुंचने में देर हो गई थी। जब मैं घर पहुंचा तो उस दिन मुझे पारस का फोन आया और वह मुझे कहने लगा कि राहुल मेरी शादी का दिन तय हो चुका है। उसके बाद पारस और मैं पारस की शादी के लिए चंडीगढ़ चले गए मैंने भी अपने ऑफिस से कुछ दिनों के लिए छुट्टी ले ली थी। हम लोग जब चंडीगढ गए तो वहां पर काफी अच्छी तरीके से पारस और सुरभि की शादी हुई। पारस और सुरभि की शादी में मुझे मीनाक्षी मिली मीनाक्षी से मिलकर मुझे बड़ा ही अच्छा लगा। मीनाक्षी से मैं बहुत बातें करने लगा तो यह बात पारस को भी पता चल चुकी थी वह मुझे कहने लगा कि तुम्हारे और मीनाक्षी के बीच बढ़ती हुई नजदीक के बारे में मुझे सब पता है। मैंने उसे मीनाक्षी के बारे में पूछा तो उसने मुझे कहा कि मीनाक्षी सुरभि की बहुत अच्छी दोस्त है और उसने इस बारे में सुरभि को भी सब कुछ बता दिया था और सुरभि ने मुझे बता दिया। मैं और पारस अपनी नौकरी से तो खुश थे लेकिन मैं चाहता था कि मैं मीनाक्षी के परिवार वालों से भी बात करूं इसमें मेरी मदद पारस ने की। पारस ने मेरी काफी मदद की और जब उसने मीनाक्षी के परिवार वालों से मेरी बात करवाई तो वह लोग मीनाक्षी से मेरी शादी करवाने के लिए मान चुके थे और मैं इस बात से बड़ा ही खुश था क्योंकि मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि मेरी और मीनाक्षी की शादी हो जाएगी।

अब हम दोनों शादी के लिए तो तैयार हो चुके थे मीनाक्षी और मैं तो एक दूसरे को प्यार करने लगे थे लेकिन मीनाक्षी चाहती थी कि हम दोनों कुछ समय बाद शादी करें क्योंकि मीनाक्षी की बड़ी बहन की अभी तक शादी नहीं हुई थी तो मैंने भी मीनाक्षी की बात मान ली। मैं अब मीनाक्षी की बात मान चुका था और मैंने मीनाक्षी से कहा कि लेकिन तुम्हारी बड़ी बहन की शादी कब होगी। मीनाक्षी ने मुझे उसके बारे में बताया और कहा कि वह एक लड़के से प्यार करती थी लेकिन उसकी शादी उससे हो नहीं पाई जिसके बाद वह दोनों एक दूसरे से अलग हो गए लेकिन अब पापा और मम्मी ने मेरी बहन के लिए लड़का देखना शुरू कर दिया है। जल्द ही उसके लिए उन्होंने एक लड़का देख लिया मीनाक्षी की बहन का नाम शकुंतला है और जल्द ही उसकी शादी तय हो गई। मैं तो इस बात से बड़ा खुश था कि शकुंतला की शादी हो चुकी है उसके बाद अब मैं मीनाक्षी से शादी करने के लिए तैयार था और हम लोगों की शादी भी जल्दी हो गई। हम लोगों की शादी हो जाने के बाद हम दोनों का जीवन बड़े अच्छे से चल रहा था मीनाक्षी मेरी हर जरूरतों को पूरा किया करती और वह अब घर में भी सब की देखभाल अच्छे से करती।

मैं अब दिल्ली से वापस चंडीगढ़ लौट आया था और चंडीगढ़ की कंपनी में ही मैं जॉब करने लगा मैं बहुत खुश था क्योंकि मेरा परिवार मेरे साथ था और सब कुछ बड़े अच्छे से चल रहा था। हम दोनों की शादी हो चुकी थी अब हम दोनों एक दूसरे के साथ बड़े खुश थे। मीनाक्षी मेरा बहुत ध्यान रखती और वह मुझे कभी भी किसी चीज की कोई कमी होने नहीं देती। मैं जब भी घर पहुंचता तो वह मेरी बड़ी सेवा करती। एक दिन मै बहुत ही ज्यादा थका हुआ था मीनाक्षी ने मुझे कहा मैं आपके बदन की मालिश कर देती हूं। मैंने मीनाक्षी को कहा हां मेरे बदन की मालिश कर दो। अब वह मेरे बदन की मालिश करने लगी मैं बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गया था। मैं इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया कि वह मेरे लंड को ही मालिश करने लगी। जब वह मेरे लंड की मालिश कर रही थी तो मेरी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी और मेरे अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी। मैंने मीनाक्षी को कहा तुम मेरे लंड को मुंह मे ले लो। उसने मेरे मोटे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया तो मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा। वह मेरे मोटे लंड को अच्छे से अपने मुंह में लेकर चूस रही थी तो मेरे अंदर की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी। मेरी उत्तेजना इस कदर बढ़ने लगी थी कि हम दोनों बिल्कुल भी रह नहीं पा रहे थे। मैंने मीनाक्षी के बदन से कपडे उतार कर उसके स्तनों को दबाना शुरू किया तो मिनाक्षी भी खुश हो गई थी। मीनाक्षी मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा है मैंने उसके निप्पलो को चूसकर खड़ा कर दिया था। जब मैंने मीनाक्षी की पैंटी को उतारकर उसकी चूत को चाटना शुरू किया तो मीनाक्षी की गुलाबी चूत से पानी बाहर की तरफ निकलने लगा मीनाक्षी की चूत से पानी बाहर की तरफ निकल रहा था उससे मैं बहुत ज्यादा तड़पने लगा था वह पूरी तरीके से जोश में आ चुकी थी।

मैंने मीनाक्षी को कहा तुम मेरे लंड को चूत मे लेने के लिए तैयार हो। मैंने उसकी योनि पर अपने लंड को लगाया जब मैंने मीनाक्षी की योनि पर अपने लंड को लगाया तो मुझे मजा आने लगा। मैंने मीनाक्षी की योनि के अंदर अपने लंड को घुसा दिया और मै उसे बड़ी तेज गति से चोदने लगा। मैं जिस तरह से मीनाक्षी को धक्के मार रहा था उससे वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा है मेरे अंदर की गर्मी बढ़ती ही जा रही है। मैं पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुका था और मीनाक्षी भी इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई थी कि वह मेरा साथ बड़े ही अच्छे से दे रही थी। अब हम दोनों एक दूसरे का साथ बड़े अच्छे से दे रहे थे जब मेरा वीर्य गिरने वाला था तो मैंने उसे मीनाक्षी की योनि में ही गिरा दिया। मीनाक्षी ने अपनी योनि को साफ़ किया और कुछ देर हम दोनों साथ में बैठे रहे लेकिन फिर मुझे मीनाक्षी की चूत मारने का मन होने लगा।

मैंने मीनाक्षी की योनि के अंदर अपने लंड को घुसा दिया जैसे ही मैंने मीनाक्षी की योनि के अंदर अपने लंड को डाला तो वह मुझे कहने लगी अब मुझे बड़ा मजा आने लगा है। मीनाक्षी को बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा था मुझे भी बड़ा मजा आने लगा था मेरे अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी और मीनाक्षी भी पूरी तरीके से उत्तेजित हो गई थी। वह बिल्कुल भी रह नहीं पाई और करीब 10 मिनट बाद जब वह झड़ गई तो उसने मुझे अपने पैरों के बीच मे जकडना शुरू किया। जब वह मुझे अपने पैरों के बीच जकडने लगी तो मुझे साफ तौर पर पता चल चुका था कि अब मैं ज्यादा देर तक उसकी चूत की गर्मी को झेल नहीं पाऊंगा। मैंने अपने माल को उसकी चूत मे गिरा दिया मुझे बड़ा ही अच्छा लगा जब मैंने उसकी खुजली को मिटा दिया था।
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