मुझे अपने माल से भिगो दो


जब मैं ऑफिस में था तो भैया का मुझे फोन आया और वह मुझे कहने लगे कि विनोद क्या तुमने मेरी ट्रेन की टिकट करवा दी है। मैंने भैया से कहा हां भैया मैंने आपकी ट्रेन की टिकट बुक करवा दी है मैं जब घर आऊंगा तो आपको टिकट दे दूंगा। भैया कहने लगे कि ठीक है मुझे कल दिल्ली जरूरी काम से जाना है तो मैंने भैया को कहा हां भैया मुझे पता था इसलिए मैंने आपकी टिकट आज सुबह ही करवा दी थी। भैया कहने लगे ठीक है मैं अभी फोन रखता हूं और फिर भैया ने फोन रख दिया। मैं अपने ऑफिस का काम कर रहा था और ऑफिस का काम खत्म करने के बाद जब मैं शाम के वक्त अपने घर लौटा तो उस वक्त भैया घर पहुंच चुके थे। मैंने भैया को ट्रेन की टिकट दी और भैया से कहा कि भैया आप कितने दिनों के लिए दिल्ली जा रहे हैं तो भैया कहने लगे मैं एक हफ्ते तक दिल्ली में रहूंगा। मैंने भैया को कहा ठीक है भैया अगर आपको समय मिले तो आप छोटी से भी मिल लेना भैया कहने लगे ठीक है मैं उससे भी मिल लूंगा। छोटी मेरी बहन का नाम है उसे हम प्यार से छोटी बुलाते हैं वैसे उसका नाम रचना है उसकी शादी दिल्ली में ही हुई है।

मैं हॉल में बैठा हुआ था और भैया भी अपना कुछ काम कर रहे थे तभी मां हमारे लिए चाय बना कर ले आई। मां जब हमारे लिए चाय बना कर लाई तो भैया और मैं एक दूसरे से बात कर रहे थे तो भैया ने मुझे बताया कि वह कुछ समय बाद अपने ऑफिस से रिजाइन दे देंगे। मैंने भैया को कहा लेकिन भैया आपने रिजाइन देने का फैसला क्यों किया आपकी नौकरी तो अच्छे से चल रही है भैया कहने लगे की विनोद मुझे अपना काम शुरू करना है। भैया काफी समय से यह सोच रहे थे कि वह अपना कोई कारोबार शुरू करें और अब उन्होंने अपना पूरा मन बना लिया था इसलिए उन्होंने मुझे कहा कि मैं अब अपने ऑफिस से रिजाइन दे दूंगा। मैं भैया के साथ बात कर रहा था तभी मेरे दोस्त का फोन आया मैंने अपने मोबाइल पर देखा तो मेरे दोस्त रजत का फोन था मैंने रजत का फोन उठाया और उससे कहा कि आज तुमने इतने समय बाद मुझे फोन कर दिया।

रजत मुझे कहने लगा कि विनोद ऐसे ही बस कुछ दिनों के लिए घर आया था तो सोचा कि तुम से मिल लूं। मैंने रजत को कहा लेकिन तुम कितने दिनों के लिए घर आए हो तो वह मुझे कहने लगा कि बस एक हफ्ते के लिए ही मैं घर आया हूं। मैंने रजत को कहा कि ठीक है मैं तुमसे कल शाम के वक्त अपने ऑफिस से फ्री होने के बाद मिलता हूं तो रजत कहने लगा ठीक है विनोद। अगले दिन भैया अपने काम से दिल्ली जा चुके थे और मैं सुबह अपने ऑफिस के लिए निकल चुका था। जब शाम के वक्त मैं अपने ऑफिस से फ्री हुआ तो मैंने रजत को फोन किया रजत कहने लगा कि हम लोग अपनी पुरानी जगह पर मिलते हैं जहां हम लोग मिला करते थे। इतने समय बाद हम लोग अपने कॉलेज के पास ही मिले, हमारे कॉलेज के पास एक दुकान हुआ करती थी मैं वहां गया और वहां पर मुझे रजत मिला। रजत और मैं अपने कुछ पुराने दिनों की बातें ताजा कर रहे थे तभी मैंने रजत को पूछा कि रजत क्या तुम कावेरी से अभी भी बात करते हो तो रजत कहने लगा कि नहीं अब उससे मेरा कोई संपर्क नहीं है। रजत और कावेरी के बीच हमारे कॉलेज के दौरान प्यार हुआ था मुझे और सबको यही लगता था कि वह दोनों शादी कर लेंगे लेकिन जब रजत ने मुझे बताया कि कावेरी ने अब रिलेशन खत्म कर लिया है और वह किसी और से ही शादी करने वाली है तो मुझे भी इस बात का काफी बुरा लगा। मैंने रजत को कहा लेकिन यह कैसे हुआ तो रजत ने मुझे पूरी बात बताई और कहा कि कावेरी और मेरे बीच सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन जबसे कावेरी की जिंदगी में शोभित आया तो उसने मुझसे बातें करना कम कर दिया फिर मुझे लगा कि अब शायद मेरे और कावेरी के बीच पहले जैसा रिलेशन बिल्कुल भी नहीं रहा इसलिए मैंने भी उससे दूर जाना ही ठीक समझा और हम दोनों अलग हो चुके हैं। शोभित कावेर के ऑफिस में ही काम करता था रजत ने मुझे बताया कि कावेरी और शोभित जल्द ही शादी करने वाले हैं।


मैंने रजत को कहा यह तो तुम्हारे साथ बहुत ही गलत हुआ रजत कहने लगा कि नहीं विनोद अब मैं इस बारे में भूल कर अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुका हूं। उसने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा कि विनोद तुम यह सब छोड़ो तुम यह बताओ कि तुम्हारी जिंदगी कैसी चल रही है और क्या तुम्हारे जीवन में भी कोई लड़की आई है या फिर तुम अभी भी पहले की तरह सिंगल ही हो। मैंने रजत को कहा नहीं मैं तो अभी भी पहले की तरह ही सिंगल हूं और तुम तो जानते ही हो कि अभी तक भैया की शादी नहीं हुई है जब भैया शादी करेंगे उसके बाद ही मैं इस बारे में कुछ सोच पाऊंगा। तभी रजत ने रामू काका को कह कर दो चाय बनवा दी रामू काका के यहां चाय बड़ी अच्छी बनती है और कॉलेज खत्म हो जाने के बाद भी मैं कई बार उनके दुकान में चाय पीने के लिए जाता। इतने दिनों बाद मैं रामू काका की दुकान पर गया था रामू काका हम दोनों से पूछने लगे तुम लोग काफी समय बाद दिखाई दे रहे हो। मैंने रामू काका को कहा कि ऑफिस के चलते हमको समय नहीं मिल पाता और रजत तो पुणे में नौकरी करता है।

काका कहने लगे चलो बेटा यह तो बड़ा ही अच्छा है कि तुम लोग अपने पैरों पर खड़े हो चुके हो, उसके बाद रामू काका अपना काम देखने लगे। हम दोनों चाय पीते पीते दूसरे से बात कर रहे थे और हम लोगों को बात करते हुए काफी देर हो चुकी थी तो मैंने रजत को कहा कि रजत हमें अब चलना चाहिए। रजत कहने लगा ठीक है विनोद हम लोग चलते हैं मैं तुमसे कल मुलाकात करता हूं मैंने रजत को कहा ठीक है और फिर हम लोग अपने घर चले आये। उसके बाद भी रजत और मैं एक दूसरे से मिलते रहे वह कुछ दिन बाद पुणे जा चुका था और मैं भी अपने काम के चलते कुछ ज्यादा ही बिजी हो गया था। मेरी जिंदगी बड़े ही सामान्य तरीके से चल रहे थी मैं सुबह ऑफिस जाता और शाम के वक्त घर लौटाता। हमारे ऑफिस में एक नई लड़की ने ज्वाइन किया जो कि कुछ दिन पहले ही हमारे ऑफिस में आई थी उसका नाम कोमल है। कोमल सिर्फ अपने काम से मतलब रखती और उसे ऑफिस में ज्यादा किसी से कोई मतलब नहीं रहता था लेकिन कोमला मुझसे बातें करने लगी थी। हम दोनों एक दूसरे से बातें करने लगे थे हम दोनों को अच्छा लगता था जब भी हम दोनों एक दूसरे से बातें किया करते और हम दोनो एक साथ समय साथ मे बिताया करते। एक दिन कोमल और मैं साथ में बैठे हुए थे उस दिन कोमल मुझसे पूछने लगी कि क्या आपकी कोई गर्लफ्रेंड है? मैंने कोमल को कहा नहीं मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है मैं सिंगल ही हूं कोमल के चेहरे पर यह बात सुनकर एक मुस्कुराहट आ गई थी उस दिन के बाद कोमल मुझसे कुछ ज्यादा ही चिपकने लगी। वह मुझ पर डोरे डालने लगी थी मुझे भी यह बात पता चल चुकी थी कि वह मुझ पर डोरे डालती है। एक दिन बारिश बहुत ज्यादा हो रही थी उस दिन हम दोनो साथ में ही बैठे थे हम दोनों काफी भीग चुके थे मैंने जब उसको घर छोड़ा तो वह मुझे कहने लगी चलो तुम भी घर चलो और मै कोमल के साथ चला गया। जब कोमल मेरे सामने बैठी हुई थी तो वह अपने स्तनों को मुझे बार-बार दिखा रही थी यह सब देख मेरे अंदर भी गर्मी पैदा होने लगी थी मैं अपनी गर्मी को बाहर निकालने के लिए तड़पने लगा था।

कोमल को तो यही मौका चाहिए था कोमल इस मौके को अच्छे से भूनाना चाहती थी वह इसमे कामयाब रही हो। जब हम दोनों एक साथ एक ही बिस्तर पर लेटे थे तो मैं कोमल के बदन को सहला रहा था। मैंने उसके सूट को उतार दिया मैंने अपने कपड़ों को भी उतार दिया अब हम दोनों एक दूसरे के साथ संभोग करने के तैयार थे। जब मेरा बदन कोमल के बदन से टकराता तो उस से एक अलग आग पैदा हो रही थी मैं उसके होठों को चूमने लगा मैंने उसके होठों से खून बाहर निकाल दिया था। मैंने अब कोमल के स्तनों का रसपान करना शुरू कर दिया। जब उसके स्तनों को मैं चूस रहा था तो मुझे बड़ा मजा आता कुछ देर तक मैंने उसके स्तनों को अच्छे से चूसा और उसके निप्पलो को चूस कर मैने खड़ा कर दिया।

उसने भी मेरे लंड का रसपान कर के मेरे लंड को खड़ा कर दिया। अब हम दोनों ही एक दूसरे का साथ बड़े अच्छे से देना चाहते थे मैंने कोमल की चूत को चाट कर पूरी तरीके से गिला बना दिया। जब मै कोमल की चूत पर लंड रगडने लगा तो वह कहने लगी तुम मेरी चूत के अंदर लंड डाल दो। मैंने भी जोरदार झटके के साथ अपने लंड को कोमल की चूत में प्रवेश करवा दिया जैसे ही मेरा मोटा लंड उसकी चूत के अंदर प्रवेश हुआ तो वह बड़ी जोर से चिल्लाई और कहने लगी मुझे आज मजा आ गया। मैंने कोमल को कहा मजा तो मुझे भी बहुत आ गया ऐसा लग रहा है जैसे तुम्हारी चूत से कुछ ज्यादा ही अधिक पानी बाहर निकल रहा है। कोमल कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है आप ऐसे ही धक्के देते रहिए। मैं उसे जोरदार तरीके से धक्के देने लगा हम दोनों की अंदर से जो पैदा हो रही थी उससे एक अलग फीलिंग पैदा हो रही थी। मेरे अंदर भी करंट दौड़ रहा था जैसे ही मैंने अपने वीर्य की पिचकारी से कोमल की चूत को नहला दिया तो वह खुश हो गई और कहने लगी आज मजा ही आ गया।

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साहब मेरी चूत का भोसडा बना दो


मैंने और मेरी पत्नी ने फैसला किया कि हम लोग घर में एक नौकरानी रखेंगे क्योंकि हम दोनों सुबह जॉब पर चले जाया करते है और हम दोनों के पास बिल्कुल भी वक्त नहीं होता। पायल और मेरी शादी को अभी सिर्फ 6 महीने ही हुए है हम दोनों मुंबई में रहते हैं। मुंबई की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम दोनों को समय निकाल पाना बहुत ही मुश्किल होता है इसलिए हम दोनों चाहते थे कि हम लोग घर पर नौकरानी रख। हम लोग नौकरानी की तलाश शुरू करने लगे परन्तु इतनी आसानी से नौकरानी मिल पाना शायद मुश्किल ही था तभी मेरे एक दोस्त ने मेरी मदद की और हमें अब घर में काम करने वाली एक बाई मिल चुकी थी जो कि हमारे घर पर हमसे मिलने के लिए आई। उस दिन रविवार था तो हम दोनों घर पर थे जब वह घर पर आई, हम लोगों ने उससे पगार की बात तो वह हमारे घर पर काम करने के लिए तैयार हो गई।

अगले दिन से वह हमारे घर पर आने लगी और घर का काम देखने लगी पायल और मुझे अब समय मिलने लगा था हम दोनों एक दूसरे के लिए अब समय निकालने लगे थे। शादी के बाद मैंने पायल से कई बार कहा कि हम लोगों को घर पर कोई काम करने वाली रखनी चाहिए लेकिन पायल पहले इस बात के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी लेकिन अब वह इस बात के लिए मान चुकी थी कि हम लोगों को घर पर कोई काम करने के लिए रखना चाहिए। हमारे घर पर काम करने वाली नौकरानी सविता सारा काम करती और सविता घर का काम बड़े अच्छे से संभाल रही थी। इस बीच मेरे माता-पिता भी हमारे पास आने वाले थे क्योंकि पिताजी भी अब अपनी नौकरी से रिटायर हो चुके हैं और रिटायरमेंट होने के बाद वह ज्यादातर समय घर पर ही रहते हैं। मेरा परिवार जयपुर में रहता है और पायल का परिवार भी जयपुर में रहता है हम दोनों एक दूसरे को मुंबई में ही मिले थे। आज से दो साल पहले हम दोनों की मुलाकात हुई थी हम दोनों एक दूसरे को हमारे एक फ्रेंड की पार्टी में मिले थे तब से हम दोनों की बातचीत शुरू हुई उसके बाद मैं और पायल एक दूसरे को डेट करने लगे।

हम दोनों को एक दूसरे का साथ अच्छा लगने लगा था हम दोनों एक ही शहर के रहने वाले थे इसलिए यह सब हम दोनों के लिए और भी आसान हो गया था। हालांकि पहले पायल के माता-पिता मुझसे पायल की शादी करवाने के लिए तैयार नहीं थे लेकिन पायल की जिद के आगे उनकी एक न चली और उन्होंने पायल की शादी मुझसे करवा दी। पायल के पापा एक बड़े अधिकारी हैं और मेरे पापा एक क्लर्क थे इसलिए पायल के पिताजी चाहते थे कि हमारी शादी ना हो लेकिन पायल के कहने पर हम दोनों की शादी हो गई और अब हम अपना शादीशुदा जीवन अच्छे से बिता रहे हैं। जिस दिन मेरे माता-पिता आने वाले थे उस दिन सुबह के वक्त मैं रेलवे स्टेशन उन्हें लेने के लिए चला गया। उनकी ट्रेन सुबह 7:00 बजे पहुंचने वाली थी तो मैं घर से सुबह 6:00 बजे ही निकल गया था मुझे रेलवे स्टेशन पहुंचने में काफी समय लग गया था और थोड़ी देर मैं उनका इंतजार कर रहा था। ट्रेन बिल्कुल सही समय पर रेलवे स्टेशन पर पहुंच चुकी थी और जैसे ही ट्रेन पहुंची तो मैंने पिताजी और मां का सामान लिया और उन्हें कहा कि मुझे काफी अच्छा लग रहा है जो आप हमारे पास आ गए। मेरे पापा कहने लगे कि रजत बेटा अब मैं रिटायर हो चुका हूं रिटायरमेंट के बाद हम लोग घर पर भी क्या करेंगे तो सोचा कि तुमसे कुछ दिनों के लिए मिल आते हैं और अगर अच्छा लगा तो हम लोग भी तुम्हारे साथ ही रह लेंगे। मैंने पापा से कहा पापा आप कैसी बात कर रहे हैं आपको क्या मुझसे कुछ पूछने की जरूरत है तो पापा कहने लगे कि अब यह सब छोड़ो यह बताओ कि पायल कैसी है। मैंने पापा से कहा कि पायल तो अच्छी है अब हम लोग घर जा ही रहे हैं तो आप लोग उससे खुद ही मिल लेना। हम लोग घर वापस आ गए थे जब हम लोग घर पहुंचे तो पायल मम्मी और पापा के साथ बैठी हुई थी, उस दिन मम्मी पापा आए थे तो हमने सोचा कि हम लोग अपने ऑफिस से कुछ दिनों की छुट्टी ले लेते हैं और कुछ दिनों के लिए हम दोनों ने अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली थी। थोड़ा समय अपने माता-पिता के साथ गुजारकर अच्छा लग रहा था इतने समय बाद मैं अपने परिवार के साथ था।


मां ने मुझे बताया कि हमारे पड़ोस में रहने वाले सार्थक की शादी होने वाली है मैंने मां से कहा मां सार्थक तो मेरा बहुत अच्छा दोस्त है लेकिन उसने मुझे इस बारे में नहीं बताया तो मां ने मुझे बताया कि हो सकता है उसे ध्यान ना रहा हो लेकिन घर पर उसने शादी का कार्ड भिजवा दिया था और वह तुम्हारे बारे में भी पूछ रहा था। मैंने मां से कहा चलो मैं सार्थक से तो बात कर ही लूंगा और उस दिन हम लोग शाम के वक्त घूमने के लिए भी गए। हम लोग घूमने के बाद वापस लौटे तो पापा और मम्मी कहने लगे कि हम लोग तुम्हारे पास ही रहना चाहते है लेकिन जब हम दोनों ऑफिस जाने लगे तो उन्हें बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था। वह घर पर अकेले ही रह जाते थे इसलिए थोड़े समय बाद पापा ने मुझसे कहा कि बेटा हम लोग अब जयपुर ही चले जाते हैं। मैंने पापा को कहा कि आप लोग हमारे साथ ही रहिये लेकिन वह अब रुकने वाले नहीं थे उन्होंने कहा कि नहीं बेटा हम लोग अब जयपुर जाना चाहते हैं। मैंने पापा से कहा ठीक है मैं आज आपकी ट्रेन की टिकट करवा दूंगा, मैंने उनकी की ट्रेन की टिकट करवा दी पापा और मम्मी कुछ दिनों बाद घर चले गए।

कुछ समय तक तो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा वह लोग हमारे पास करीब 3 महीने रहे लेकिन फिर भी मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। मैं और पायल अपने ऑफिस के काम के चलते बिजी हो गए थे इसलिए हम दोनों को बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता था हम दोनों अपने ऑफिस के काम से ज्यादातर बिजी ही रहते थे। मैं तो कुछ दिनों के लिए अपने ऑफिस के काम से बाहर भी जाने वाला था उस बीच मैं जब अपने ऑफिस के काम से बेंगलुरु गया तो बेंगलुरु में मैं करीब दो दिन तक रुका और दो दिन बाद मैं वहां से लौट आया था। मैं सुबह ही घर पहुंच चुका था उस वक्त पायल अपने ऑफिस जा चुकी थी मैंने पायल को फोन किया और कहा कि मैं घर पहुंच चुका हूं तो पायल कहने लगी कि ठीक है हम लोग शाम के वक्त मिलते हैं। मैं उस दिन घर जल्दी लौट आया था सविता भी घर का काम कर रही थी वह घर पर ही थी। जब वह घर का काम कर रही थी तो मैं सविता के पास गया और उससे कहा तुम क्या कर रही हो? वह कहने लगी साहब कुछ नहीं बस सफाई कर रही थी मैंने सविता की बड़ी गांड देख उसकी गांड पर हाथ मार दिया। जब मैंने ऐसा किया तो वह बोली आप बड़े ही शरारती हो। मैंने उसे कहा चलो हम लोग कमरे में चलते हैं वहां मैं तुमको पूरी शरारत दिखाता हूं। वह मेरी बात मान गई क्योंकि मैंने उसे कुछ पैसे दे दिए थे मैंने जब अपने लंड को बाहर निकाला तो उसने उसे अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और बड़े अच्छे से वह मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर बाहर किए जा रही थी तो उसको बड़ा मजा आता और मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था। मेरे अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बढ गई उसके अंदर की भी गर्मी कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी थी। मैंने उसके कपड़े उतार कर उसकी चूत को सहलाया तो उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। मुझे उसकी चूत को चाटना बड़ा अच्छा लग रहा था। उसको भी बहुत मजा आ रहा था उसकी चूत से निकलता हुआ पानी कुछ ज्यादा ही अधिक होने लगा था मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी चूत मे अपने लंड को डालना चाहता हूं।

मैं उसकी योनि में लंड को घुसाने लगा तो वह बड़ी खुश हो गई थी। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है मेरे अंदर की गर्मी इस कदर बढ़ने लगी थी कि मैंने उसकी चूत में लंड को लगाकर अंदर की तरफ किया जब मैंने ऐसा किया तो वह जोर से चिल्लाते हुए मुझे कहने लगी मेरी चूत आपने फाड़ दी। मैने उसके स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया था तो उसके अंदर लगातार गर्मी बढ़ती जा रही थी। मेरे अंदर आग पैदा होती जा रही थी हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत अच्छे से संभोग का मजा ले रहे थे। मैंने उसे अपनी गोद में उठा कर चोदना शुरू किया जब मैंने उसको चोदना शुरू किया तो मुझे मजा आने लगा वह मुझसे कहने लगी मुझे और तेजी से चोदो मैं उसको बड़ी तेजी से धक्का मार रहा था और मेरे अंदर की आग बढ़ती जा रही थी। वह मुझे कहने लगी मुझे ऐसे ही आप चोदते रहो मैंने उसे कहा मुझे तुम्हें धक्के मारने में बहुत मजा आ रहा है।

मैंने उसको घोड़ी बना दिया और घोडी बनाने के बाद जब मैंने उसे चोदना शुरू किया तो वह खुश हो गई और मुझसे अपनी चूतडो को मिलाने लगी। जब वह ऐसा कर रही थी तो मेरे अंदर की आग और भी ज्यादा बढ़ रही थी वह पूरी तरीके से उत्तेजीत होती जा रही थी। मैंने उसे कहा मैं अपने लंड पर तेल की मालिश कर लेता हूं अब मैंने अपने लंड को पर चिकना बना दिया। मैंने अपने लंड को सविता की चूत के अंदर घुसा दिया उसकी चूत मे मेरा लंड जाते ही वह जोर से चिल्लाने लगी और कहने लगी साहब मुझे और तेजी से चोदो आप मेरी चूत का भोसड़ा बना दो। मैंने उसे कहा तुम थोड़ा सा नीचे हो जाओ जैसे ही वह नीचे हुई तो उसके बाद मैंने उसको इतनी तेजी से धक्के मारने शुरू कर दिए कि उसे दर्द हो रहा था। मैंने उसे कहा मुझे बहुत मजा आ रहा है वह मुझे कहने लगी मजा तो मुझे भी बहुत अधिक आ रहा है लेकिन अब मैं आपके लंड की गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगी। उसकी चूत से अधिक मात्रा में पानी निकल आया था मैंने अपने माल को उसकी चूत मे गिराया तो वह खुश हो गई उसके बाद वह अपना काम करने लगी।
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लंड की तडप और चूत की फडक


कुछ दिनों के लिए मैं अपने पापा मम्मी के पास गया हुआ था मैं चेन्नई में जॉब करता हूं और मेरे कॉलेज के प्लेसमेंट के बाद मैं चेन्नई में ही जॉब करने लगा था मुझे चेन्नई में जॉब करते हुए दो वर्ष हो चुके हैं। मेरे माता-पिता दोनों ही नौकरी पेशा है और मेरी एक बड़ी बहन है जो कि कॉलेज में पढ़ाती हैं लेकिन अभी तक उनकी शादी नहीं हो पाई है। जब मैं घर गया तो सब लोग बहुत ही खुश थे कुछ दिनों के लिए पापा और मम्मी ने ऑफिस से छुट्टी भी ले ली थी मैं भी इस बात से बड़ा खुश था। हम लोगों ने उस दौरान घूमने का प्लान बनाया और हम लोग घूमने के लिए गए। जब उस दिन हम लोग साथ में थे तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था काफी समय बाद हमारा पूरा परिवार एक साथ था। जब हम लोग घर लौटे तो मेरी बहन जो कि मेरे साथ काफी ज्यादा खुलकर बातें किया करती है उसने उस दिन मुझे बताया कि वह एक लड़के से प्यार करती है। मेरी बहन उम्र में मुझसे दो वर्ष बड़ी है लेकिन उसके बावजूद भी हम दोनों एक दूसरे से बातें शेयर कर लिया करते हैं।

मैंने अपनी बहन कविता दीदी से कहा कि तुमने यह बात पापा को क्यों नहीं बताई तो कविता कहने लगी कि मैं सोच तो रही हूं कि पापा और मम्मी को इस बारे में मैं बता दूं। कविता दीदी ने पूरा मन बना लिया था कि वह पापा और मम्मी को इस बारे में बता देंगे। उन्होंने जब इस बारे में पापा मम्मी को बताया तो उन्हें भी इस बात से कोई परेशानी नहीं थी वह लोग भी कविता दीदी कि अब शादी करवाने के लिए तैयार हो चुके थे। वह जब रोहन से पहली बार मिले तो उन्हें रोहन से कोई भी परेशानी नहीं थी रोहन एक अच्छे परिवार से हैं और वह एक कंपनी में मैनेजर भी हैं। मैं उस वक्त घर पर ही था तो उस दौरान पापा और मम्मी ने कविता दीदी की सगाई करवा दी उन दोनों की सगाई हो जाने के बाद मैं वापस चेन्नई लौट आया था। चेन्नई में मैं अपने काम से बड़ा खुश था और मुझे बहुत ही अच्छा लगता जब मैं चेन्नई में अपने दोस्तों के साथ होता।

एक दिन शनिवार की रात को हम लोग ऑफिस से फ्री हुए उस दिन मेरा दोस्त गौतम जो कि मेरे साथ ऑफिस में ही काम करता है उसने मुझे कहा कि रोहित चलो आज हम लोग कहीं बाहर चलते हैं। उस दिन हम लोगों ने कहीं बाहर पार्टी में जाने की सोची और हम लोग एक पब में चले गए। जब हम लोग वहां पर गए तो गौतम के कुछ और दोस्त भी आए हुए थे गौतम ने मेरा परिचय अपने दोस्तों से करवाया। हम लोगों ने उस रात को पार्टी की और मुझे घर जाने में काफी देर हो गई थी मैं रात के करीब 1:00 बजे घर पहुंचा इसलिए मैं सुबह जल्दी नहीं उठ पाया। मेरी नींद तब खुली जब कोई मेरे घर की डोर बेल काफी देर से बजा रहा था मैं जब दरवाजे पर गया तो मैंने देखा कि दरवाजे पर एक व्यक्ति खड़े थे और वह हमारे कहने लगे कि बेटा क्या तुम इसी कॉलोनी में रहते हो। मैंने उन्हें बताया हां मैं इसी कॉलोनी में रहता हूं वह मुझे कहने लगे कि मैं यही पड़ोस में रहता हूं और कुछ दिनों में मेरी बेटी की शादी है तो मैं तुम्हें इनवाइट करने के लिए आया था। मैं उनसे पहली बार ही मिला था लेकिन फिर भी उन्होंने मुझे शादी का कार्ड दे दिया मैंने वह कार्ड उनसे ले लिया उसके बाद वह से चले गए। मैंने भी दरवाजा बंद कर दिया उस दिन मेरी छुट्टी थी इसलिए मैं घर पर ही आराम कर रहा था मैंने बाहर से ही नाश्ता मंगवा लिया था। रात देरी से सोने की वजह से मेरे सर में भी काफी दर्द हो रहा था। दोपहर के वक्त उस दिन मेरे दोस्त गौतम ने मुझे फोन किया और वह मुझे कहने लगा कि रोहित तुम कैसे हो कल तुम्हे कुछ ज्यादा ही नशा हो गया था। मैंने गौतम को कहा हां कल मुझे कुछ ज्यादा ही नशा हो गया था गौतम और मैं फोन पर बातें कर रहे थे तो मैंने गौतम को कहा कि मैं तुमसे शाम के वक्त मिलता हूं। गौतम कहने लगा कि ठीक है रोहित हम लोग शाम को मुलाकात करते हैं और फिर मैंने फोन रख दिया था मेरे फोन रखने के बाद मैं थोड़ी देर के लिए सोना चाहता था तो मैं कुछ देर के लिए सो गया था। जब मैं उठा तो उस वक्त शाम के 4:00 बज रहे थे मैं नहाने के लिए बाथरूम में गया और नहाकर दस मिनट में मैं बाहर निकला। उसके बाद मैं तैयार हुआ और मैंने गौतम को फोन किया तो गौतम कहने लगा तुम मेरे घर के पास ही आ जाओ। मैंने गौतम को कहा ठीक है मैं तुम्हारे घर के पास ही आता हूं और फिर मैं गौतम के घर के पास ही चला गया।


मैं गौतम के घर के पास गया तो उसने मुझे कहा कि चलो हम लोग पार्क में ही बैठ जाते हैं हम लोग गौरव की कॉलोनी के पार्क में ही बैठे हुए थे गौरव और मैं आपस में बात कर रहे थे तो गौरव ज एक परिचित उसे मिले और गौरव उनसे बात करने लगा। मैंने भी उस वक्त अपने पापा को फोन किया और पापा से मैं बात करने लगा तो पापा कहने लगे कि रोहित बेटा तुम घर कब आ रहे हो। मैंने उन्हें कहा कि पापा अभी तो मेरा घर आना मुश्किल होगा मैंने करीब 10 मिनट तक पापा से बात की और फिर मैंने फोन रख दिया। गौतम भी मेरे पास आकर बैठा और हम दोनों बातें करने लगे काफी समय तक हम लोगों ने बातें की और उसके बाद मैं अपने घर लौट आया। मैं सुबह ऑफिस चला जाता और शाम को ही मेरा घर लौटना होता था सब कुछ बड़े ही नॉर्मल तरीके से चल रहा था। एक दिन मुझे ध्यान आया कि मुझे उन व्यक्ति ने शादी का कार्ड दिया था जब मैंने उस कार्ड में तारीख देखी तो वह उसी दिन शाम की थी और फिर मैं शाम के वक्त उनके घर पर चला गया। मैं उनके घर पर गया तो मैं वहां किसी को पहचानता नहीं था इसलिए मुझे कुछ ठीक नहीं लगा मैं जैसे ही वापस आ रहा था तो मुझे वही अंकल दिखाई दिये वह कहने लगे कि अरे बेटा तुम आ गए।

उन्होंने मुझे कहा कि बेटा तुम्हारा नाम क्या है मैंने उन्हें अपना नाम बताया कि मेरा नाम रोहित है वह मुझसे बात कर रहे थे वह मुझे कहने लगे कि बेटा तुम खाना खा कर ही जाना  मैंने कहा जी अंकल लेकिन मुझे काफी अकेला लग रहा था इसलिए मैंने सोचा कि मैं घर ही चला जाता हूं। मैं जब घर जाने वाला था तो मैंने देखा सामने एक लड़की आ रही थी उसके बाल खुले हुए थे उसे देखकर मुझे काफी अच्छा लग रहा था मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि बस मैं उसे देखता ही जाऊं। मैं उसे देख कर मुस्कुराया तो वह भी मुझे देखकर मुस्कुराने लगी। यह पहली ही शुरुआती थी हम दोनों के रिश्ते की। वह मुझे अक्सर दिखने लगी क्योंकि वह हमारी कॉलोनी में ही रहती थी लेकिन मुझे उसके बारे में ज्यादा पता नहीं था जब हम लोगों की पहली बार बात हुई तो मुझे मीनाक्षी से बात कर के बहुत ही अच्छा लगा। हम लोगों की मुलाकातों का दौरा बढने लगा हम दोनों एक दूसरे को हर रोज मिलने लगे मुझे नहीं पता था कि मीनाक्षी और मेरे बीच क्या है लेकिन मुझे मीनाक्षी के साथ अच्छा लगता। उसे भी मुझ पर पूरा भरोसा था एक दिन जब मैं और मीनाक्षी साथ में बैठे हुए थे तो उस दिन मेरे और मीनाक्षी के बीच किस हो गया। उसे मुझ पर  इतना भरोसा हो चुका था कि मैं उसे कुछ भी कहता तो वह मेरी बात मान लिया करती। उस दिन वह चली गई, मैं जब भी मीनाक्षी को मिलता तो मुझे बहुत अच्छा लगता। मीनाक्षी और मैं एक दूसरे का साथ पाकर इतना खुश थे कि हम दोनों एक दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहते थे।

एक दिन वह मुझसे मिलने मेरे फैलेट पर आई हुई थी। मैं सुबह देरी से उठा था मैंने जैसे ही घर का दरवाजा खोला तो मैंने देखा मीनाक्षी सामने खड़ी थी। मीनाक्षी और मैं साथ में बैठे हुए थे उसन मुझे कहा मैं तुम्हारे लिए नाश्ता बना कर लाई हूं। मैंने उसे कहा परंतु तुम मेरे लिए नाश्ता बना कर क्यों लाई उसने कोई जवाब नहीं दिया। मैंने भी अब नाश्ता करना शुरू किया, हम दोनों साथ में बैठे हुए थे जब मैंने मीनाक्षी की जांघ पर अपने हाथ को रखा तो वह खुश हो गई। उसके बाद मैं और मीनाक्षी एक दूसरे की बाहों में आने के लिए तैयार थे। हम दोनों एक दूसरे की बाहों में आ चुके थे जब मैंने और मीनाक्षी ने एक दूसरे के होंठों को चूमना शुरू किया तो मुझे और भी अच्छा लगने लगा धीरे-धीरे मैंने अब मीनाक्षी के बदन से कपड़े निकालने शुरू कर दिए थे जब मैंने उसके बदन से कपड़े निकाले तो वह उत्तेजित हो चुकी थी और मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है।

मैंने उसके होठों को चूमना शुरू कर दिया था मैंने जब उसे बिस्तर पर लेटाया तो मैं उसके बड़े स्तनों को चूसने लगा काफ़ी देर तक उसके स्तनों का रसपान करने के बाद मैंने उसके स्तनों के बीच में अपनी लंड को रगडना शुरू किया। उसने भी मेरे लंड को अपने मुंह में लेने की बात कही मैंने उसके मुंह मे मोटे लंड को घुसा दिया वह मेरे लंड को चूस रही थी मुझे बहुत मजा आ रहा था और उसको भी बड़ा मजा आता। वह मेरे मोटे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसती तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था जब हम दोनों एक दूसरे के बदन की गर्मी को महसूस कर रहे थे तो हम दोनों से ही रहा नहीं गया। मैंने उसके पैरों को खोलकर जैसे ही अपने लंड को मीनाक्षी की चूत में डाला तो मीनाक्षी की चूत से खून निकल आया वह जोर से चिल्लाई उसकी सील टूट चुकी थी उसकी सील टूट जाने के बाद मै उसे ज़ोर से धक्के मारने लगा था उसको मजा आ रहा था। वह मुझे कहती मुझे तुम ऐसे ही बस चोदते जाओ मैंने उसे काफी देर तक चोदा और उसकी चूत मारकर मुझे बहुत ही मजा आया। जब मेरा माल बाहर गिर गया तो मिनाक्षी पूरी तरीके से खुश हो चुकी थी और उसके बाद हम दोनों के बीच सेक्स संबंध बनते ही रहते।

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चूत का सुख लंबे समय बाद नसीब हुआ


मुझे काफी दिन हो गए थे मैं राजीव को मिला नहीं था तो मैंने सोचा कि आज राजीव को मिल लेता हूं और मैं उस दिन राजीव को मिलने के लिए उसके घर पर चला गया। मैं राजीव को मिलने उसके घर पर गया तो उसके घर पर उस वक्त कोई भी नहीं था मैंने राजीव को फोन किया और कहा कि राजीव तुम कहां हो तो वह मुझे कहने लगा मैं तो अपने मामा जी के पास आया हुआ हूं। मैंने राजीव को कहा घर में सब कुछ ठीक तो है ना तो वह कहने लगा मेरे मामा जी की तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए मुझे आज उनसे मिलने के लिए आना पड़ा, मेरे साथ मम्मी-पापा और मेरी पत्नी भी आई हुई है। मैंने राजीव को कहा ठीक है मैं तुमसे कभी और मिल लूंगा राजीव कहने लगा ठीक है अमन। उसके बाद मैंने फोन रख दिया और मैं घर वापस लौट आया, मैं जब वापस लौटा तो मेरी पत्नी कहने लगी कि आप कहां चले गए थे। मैंने अपनी पत्नी से कहा कि मैं आज राजीव से मिलने के लिए गया था लेकिन उससे आज मेरी मुलाकात हो ही नहीं पाई वह अपने मामा जी के घर पर गया हुआ था।

मैं और मेरी पत्नी आपस में बात कर रहे थे तो वह मुझे कहने लगी की मुझे कल अपने घर जाना है तो मैंने अपनी पत्नी को कहा कि लेकिन तुम अभी कुछ दिनों पहले ही तो अपने मायके से होकर आई थी। वह मुझे कहने लगी कि अमन मां का मुझे आज फोन आया था और मां कह रही थी कि कोई जरूरी काम है। मैंने अपनी पत्नी सुहानी से कहा कि ठीक है तुम्हें जैसा लगता है तुम देख लो सुहानी कहने लगी कि मैं कल शाम को ही लौट आऊंगी मैंने सुहानी को कहा ठीक है। अगले दिन मैं सुबह जल्दी ऑफिस जा चुका था और सुहानी भी अपनी मम्मी से मिलने के लिए जा चुकी थी। उस दिन मैं जल्दी घर लौट आया था मैं जब घर लौटा तो उस वक्त सुहानी घर नहीं लौटी थी मैंने सुहानी को फोन किया तो वह कहने लगी कि मुझे आने में देर हो जाएगी। मेरी मां घर पर ही थी तो मैंने मां से कहा कि मेरे लिए चाय बना दो मां कहने लगी ठीक है बेटा मैं तुम्हारे लिए अभी चाय बना देती हूं।

मां ने मेरे लिए चाय बना दी मां ने जब मेरे लिए चाय बनाई तो चाय पीकर मैं अपने रूम में चला गया और कुछ देर के लिए मैं बिस्तर पर लेटा हुआ था। मैंने टीवी ऑन की और मैं टीवी देखने लगा थोड़ी देर तक मैं टीवी देखता रहा जब मैं टीवी देख रहा था तो मेरी पत्नी सुहानी भी घर लौट चुकी थी। मैंने सुहानी को कहा सुहानी तुम्हे आने में बहुत देर हो गई तो वह कहने लगी कि हां रास्ते में बहुत ज्यादा ट्रैफिक था इस वजह से मुझे आने में देर हो गई। मैं और सुहानी एक दूसरे से बातचीत कर रहे थे तो मैंने सुहानी को कहा घर में सब कुछ ठीक तो है ना? वह कहने लगी कि हां घर में सब कुछ ठीक है बस मम्मी को मुझसे मिलना था इसीलिए उन्होंने मुझे मिलने के लिए बुलाया था। मैंने सुहानी को कहा चलो कोई बात नहीं कम से कम तुम इस बहाने अपने घर तो हो आई। तभी मुझे राजीव का फोन आया और वह मुझे कहने लगा कि अमन तुम उस दिन मुझसे मिलने के लिए आए थे तो मैं उस दिन मामा जी के घर पर गया हुआ था। राजीव कहने लगा कि क्या हम लोग आज मिल सकते हैं तो मैंने राजीव को कहा हां राजीव तुम मेरे घर पर आज डिनर के लिए ही आ जाओ राजीव कहने लगा कि ठीक है। राजीव पत्नी आशा को भी अपने साथ घर पर ले आया था आशा पहली बार हमारे घर पर आई थी इसलिए उसे थोड़ा अनकंफरटेबल सा महसूस हो रहा था लेकिन मैंने सुहानी को कहा कि तुम आशा से बात करो और वह आशा के साथ ही बैठी हुई थी। मैं और राजीव मेरे रूम में बैठे हुए थे हम दोनों बात कर रहे थे तो राजीव ने मुझे बताया कि मामा जी की तबीयत कुछ ठीक नहीं है इस वजह से मैं उस दिन मामा जी से मिलने के लिए गया था और तुम तो जानते ही हो कि मामाजी के हमारे ऊपर कितने इंसान हैं यदि उस वक्त वह हमारी मदद नहीं करते तो हम लोग आज भी आर्थिक तंगी से गुजर रहे होते और शायद आज मैं अपना बिजनेस भी चला नहीं पाता। मैंने राजीव को कहा राजीव यह तो बिल्कुल ठीक बात है तुम्हारे मामा जी ने तुम्हारी काफी मदद की है। मैं और राजीव साथ में बैठे हुए थे तो उस दिन हम लोगों ने थोड़ी बहुत शराब भी पी ली थी और शराब पीने के बाद राजीव को नशा भी हो चुका था।


हम लोगों ने डिनर किया उसके बाद राजीव और आशा घर चले गए। राजीव को मैं बचपन से जानता हूं हम दोनों की मुलाकात स्कूल में पहली बार तब हुई थी जब हम लोग कक्षा 6 में पढ़ते थे और उसके बाद से आज तक हम दोनों एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त हैं। मेरी शादी के बाद जिंदगी बहुत ही अच्छे से चल रही थी और मैं अपनी शादीशुदा जिंदगी से बहुत खुश हूँ लेकिन मेरी मां और पत्नी के बीच के झगड़ों की वजह से मैं काफी परेशान रहने लगा था। सुहानी और मेरी मां के बीच झगड़े होने लगे थे जो कि मुझे बिल्कुल भी ठीक नहीं लगता लेकिन मैं अब शायद इसमें कुछ कर भी नहीं सकता था। मैंने सुहानी को काफी समझाने की कोशिश की लेकिन सुहानी मेरी बात सुनने को तैयार नहीं थी वह हमेशा ही मुझे यह कहती कि मैं अपने मायके चली जाऊंगी। आखिर एक दिन वह अपने मायके चली गई मैंने उसे बहुत समझाया कि देखो तुम बेवजह बात को बढ़ा रही हो लेकिन सुहानी मेरी बात तो मानना ही नहीं चाहती थी वह अपने मायके में ही थी। मैंने उसे वापस आने के लिए कहा भी था लेकिन वह नहीं आई फिर मुझे ही उसे लेने के लिए जाना पड़ा और जब मैं उसे लेने के लिए गया तो उसके बाद मैंने सुहानी को बहुत समझाया लेकिन अभी भी कुछ ठीक नहीं हुआ था।

घर में मां और सुहानी के बीच अनबन होती ही रहती थी मुझे भी अब इन सब चीजों को लेकर आदत हो चुकी थी इसलिए मैं ना तो मां को कुछ कहता और ना ही मैं सुहानी को इस बारे में कभी कुछ कहता। घर में होने वाले झगड़ों की वजह से मैं बहुत ज्यादा परेशान रहने लगा था मुझे सुहानी से प्यार भी नहीं मिल पाता था। एक दिन तो मेरा मन बिल्कुल ही उदास हो चुका था मुझे लगा जैसे मुझे सुहानी से संबंध खत्म ही कर लेना चाहिए वह ना तो मुझे सेक्स को लेकर खुशी दे पा रही थी और ना ही हम दोनों के बीच कुछ ठीक चल रहा था इसलिए मै हमारे ऑफिस मे ही काम करने वाली महिला की तरफ खींचने लगा उसका भी डिवोर्स हो चुका था वह अपनी जिंदगी अच्छे से बिता रही थी उसका नाम संजना है। संजना दिखने में बहुत ही सेक्सी हैं उसकी तरफ मैं जब भी देखता तो मुझे बहुत अच्छा लगता हम दोनो ऑफिस में ही साथ में एक दूसरे से बहुत ज्यादा बातें करने लगे थे हालांकि पहले ऐसा बिल्कुल भी नहीं था मैं संजना से कम ही बातें किया करता था लेकिन अब हम दोनों के बीच काफी बातें होने लगी। संजना और मुझे एक दूसरे से बातें करना अच्छा लगता। एक दिन मैंने संजना का हाथ पकड़ लिया और उसे अपनी परेशानी शेयर की मैंने उसे कहा मेरी पत्नी और मेरे बीच बिल्कुल भी कुछ ठीक नहीं चल रहा संजना भी मुझे कहने लगी मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था इसलिए मेरे पति ने मुझे डिवोर्स दे दिया हम दोनों के बीच में झगड़े होने लगे थे अब मुझे अलग रहने की आदत पड़ चुकी है। संजना मुझे मुझे समझने लगी थी मैं संजना की और बहुत ज्यादा खिंचा चला गया एक दिन मैं उसके घर पर बैठे हुए था।

उस दिन जब संजना ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मेरी तरफ वह अपनी बडी आंखों से देख रही थी तो मेरा मन उसके होंठो को चूसने का हुआ मैंने उसके होठों को चूमकर उसे उस दिन उसे बिस्तर पर लेटा दिया उसके बाद तो उसके तन बदन मे जैसे आग लगने लगी थी उसके अंदर की आग इतनी बढ़ चुकी थी कि वह मुझसे अपनी चूत मरवाने के लिए तैयार बैठी थी। उसने अपने पैरों को खोलना शुरू किया मैंने उसके कपड़ों को उतार दिया जब मैंने उसके कपड़ों को उतारा तो मै उसकी चूचियों को अपने हाथों से दबाने लगा मै उसकी चूचियों को अपने हाथ से दबाने लगा तो मुझे बड़ा मजा आता और वह उत्तेजित होती जाती। मैं उसकी चूचियो का रसपान करने लगा जब मैं ऐसा करता तो मुझे बहुत अच्छा लगता उसकी चूत का पानी भी बहुत अधिक हो चुका था। मैंने उसकी योनि पर अपने लंड को रगडकर अंदर की तरफ डाला जैसे ही मेरा लंड संजना की चूत मे गया तो उसकी चूत फट चुकी थी।

मैंने उसे कहा मेरे लंड को आज इतने दिनों बाद सुकून मिल पाया है कितने दिनों बाद मैंने किसी की चूत में अपने लंड को डाला है यह सुनकर वह बड़ी खुशी हुई और अपने पैरों को उसने ऊपर की तरफ उठाने की कोशिश की तो मेरा लंड उसकी चूत की दीवार से टकराने लगा तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। अब मैं उसे बडी तीव्र गति से धक्के मारने लगा था मैं जिस तेजी से उसको धक्के मारता तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता वह मेरा साथ बड़े अच्छे से दे रही थी। हम दोनों की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी संजना की चूत से निकलती हुई गर्मी मेरे लंड से मेरे वीर्य को बाहर की तरफ खींच रही थी। मैंने संजना की चूत मे माल गिराया तो वह खुश हो गई और कहने लगी आज बड़ा ही अच्छा लग रहा है इतने समय बाद किसी के लंड को मैंने अपनी चूत में लिया है हम दोनों ही बहुत ज्यादा खुश थे।
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मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया


मेरा नाम पायल है मेरा खुद का काम है मैं एक कॉस्मेटिक की दुकान चलाती हूं इस दुकान को चलाते हुए मुझे 5 वर्ष हो चुके हैं। मेरा एक बेटा भी है जो कि स्कूल में पढ़ता है मेरी शादी को 7 साल हो चुके है इन 7 सालो में मैंने अपनी जिंदगी में बहुत उतार चढ़ाव देखे है। मैं ज्यादा पढ़ी-लिखी तो नहीं हूं लेकिन फिर भी मैं खुद कुछ करने की हिम्मत रखती हूं। अगर आज मैं ज्यादा पढ़ी लिखी होती तो कहीं अच्छी जगह जॉब कर रही होती लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था। बचपन में ही मेरे माता-पिता का देहांत हो चुका था और मुझे मेरे चाचा चाची ने पाल पोस कर बड़ा किया। उन्होंने मुझे ज्यादा पढ़ाया लिखाया तो नहीं लेकिन मेरी देखभाल अच्छे से की थोड़े समय बाद उन्होंने मेरी शादी शेखर से करवा दी। शेखर एक बिजनेसमैन थे उनका बिजनेस बहुत ही अच्छे से चल रहा था यही सब देखते हुए मेरे चाचा चाची ने मेरी शादी शेखर से करवा दी। मैं भी शेखर से शादी करके बहुत खुश थी मुझे भी लगा कि शेखर मेरी हर एक जरूरत को पूरा करेंगे और मेरी देखभाल करेंगे।

शादी के कुछ समय बाद मेरा एक बेटा हुआ मैं और शेखर बहुत ही खुश थे लेकिन ना जाने हमारी खुशी पर किसकी नजर लगी धीरे धीरे शेखर के बिजनेस में नुकसान होता चला गया और एक दिन ऐसा आया जब हमारे पास कुछ भी नहीं था यहां तक कि हमारे घर बेचने की नौबत तक आ गई थी लेकिन जैसे तैसे हमने अपने घर को बचाया लेकिन घर के सिवा हमारे पास और कुछ भी नहीं था इस बात से शेखर बहुत परेशान हो गए उनकी इस परेशानी का असर सीधे उनके दिमाग पर पड़ने लगा और वह बीमार रहने लगे। वह इतने बीमार हो गए कि उन्हें खुद की भी खबर नहीं थी उनके बिजनेस के नुकसान की वजह से उनको बहुत गहरा सदमा लगा जिसका असर सीधे उनके दिमाग पर पड़ा वह दिमागी रूप से बीमार होने लगे थे। एक बार तो मैंने अपने चाचा चाची से मदद ली लेकिन मैं कब तक उनसे मदद लेती रहती हमारा तो कोई भी नहीं था किसी ने भी हमारी मदद नहीं की। जब हमारे पास कुछ नहीं बचा तो मैंने अपने चाचा की मदद से एक कॉस्मेटिक की दुकान खोली उसी दुकान से मैं अपने घर का खर्चा चलाया करती थी और जो पैसे मैंने दुकान खोलने के लिए अपने चाचा से लिए थे मैं वह पैसे भी धीरे-धीरे उन्हें लौटाने लगी थी।

मेरे चाचा चाची भी इतने सक्षम नहीं थे कि वह पैसों से मेरी मदद कर पाते लेकिन उनसे जितना हो सका उन्होंने मेरी मदद की और अब मैं ही अपने घर का खर्चा चला रही थी। शुरुआत में तो मेरी दुकान इतनी अच्छी नहीं चलती थी लेकिन समय के साथ साथ वह ठीक ठाक चलने लगी। उसके बाद मैंने सोचा की जब दुकान अच्छे से चलने लगी तो क्यों ना मैं शेखर के लिए कोई काम खोलू  जिससे कि उनका मन भी काम पर लगा रहे परंतु जब मैं शेखर से बात करने जाती तो शेखर मुझसे बात करने को तैयार नहीं होते वह किसी से भी कोई बात नहीं करते वह गुमसुम से बैठे रहते। मैं उनकी इस हालत से बहुत परेशान थी कई बार मैं सोचती की मैं ऐसा क्या करूं जिससे कि शेखर पहले की तरह हो जाए मैंने शेखर को ठीक करने की कई कोशिशें की परंतु मेरी कोशिशें नाकामयाब रही लेकिन फिर भी मैं शेखर को ठीक करने की पूरी कोशिश कर रही थी। दिन ऐसे ही बीते जा रहे थे सुबह में अपने बच्चे को तैयार करके स्कूल छोड़ने जाती और उसके बाद घर आकर मैं शेखर को नाश्ता करवा कर अपनी दुकान पर चली जाती। दिन में स्कूल बस से मेरा बेटा घर आया करता था तो मैं उसके लिए खाना बना कर रखती और उसे खाना खिला कर फिर शाम को अपनी दुकान पर चली जाती मेरा हमेशा का यही रूटीन था। मेरे पास अब पैसे भी काफी जमा हो चुके थे तो मैंने एक दिन बैठकर शेखर से इस बारे में बात की, मैंने शेखर से कहा कि आप अपना बिजनेस दोबारा से शुरू कीजिए लेकिन वह मेरी बात नहीं मान नही रहे थे वह कहने लगे कि पहले ही मेरी वजह से इतना नुकसान हो चुका है अब मैं और नुकसान नहीं झेल सकता। मैंने उनके साथ काफी जिद की की आप कोई काम खोल लीजिए जिससे कि आपका मन भी लगा रहेगा।

पहले वह मेरी बात बिल्कुल नहीं माने लेकिन मेरे काफी कहने पर वह मेरी बात मान गए और वह अपना कोई नया काम शुरू करने के बारे में सोचने लगे। रात को डिनर करने के बाद मैं और शेखर यही सोचने लगे कि ऐसा क्या काम शुरू किया जाए जिससे कि आगे चलकर हमें ज्यादा नुकसान ना हो। मैंने शेखर से कहा कि आप मन लगाकर अपना कोई भी काम शुरू कर लीजिए इसमें ज्यादा सोचने वाली कोई बात नहीं है लेकिन शेखर को यही डर था कि दोबारा से कहीं कोई नुकसान ना हो जाए। मैंने शेखर को समझाया तो वह कहने लगे कि ठीक है मैं देखता हूं कि मुझे क्या करना है। शेखर अब धीरे-धीरे अपने बिजनेस में हुए नुकसान से उभर रहे थे शेखर मुझे कहने लगे कि यदि तुम मेरे साथ ना होती तो ना जाने क्या होता। मैंने शेखर से कहा यह तो मेरा फर्ज था यदि मैं आपकी देखभाल नहीं करती तो और कौन करता लेकिन शेखर मुझे कहने लगे कि तुम्हारी ही वजह से मैं कोई दूसरा काम खोलने के बारे में सोच रहा हूं यदि तुम इतनी हिम्मत ना दिखाती तो यह घर भी कैसे चलता, तुमने अपने बलबूते और अपनी मेहनत से इस घर को अच्छे से चलाया है और मुझे भी तुमने बड़े अच्छे से संभाला है। मैंने शेखर से कहा कि चलो अब यह सब बातें छोड़ो और अपने काम के बारे में सोचो कि आगे क्या करना है। रात भी काफी हो चुकी थी तो हम सोने की तैयारी करने लगे अगले दिन मुझे दुकान पर भी जाना था लेकिन शेखर को मेरी चूत मारनी थी और मै शेखर के लंड को चूत मे लेने के लिए तैयार थी।

मैंने लाइट को बुझा दी शेखर मेरे बदन को महसूस करने लगे शेखर मेरे स्तनों के साथ खेलने लगे। वह मेरे स्तनों को बड़े अच्छे से दबाने लगे मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आने लगा था। जब वह मेरे स्तनों को अपने हाथों से दबाते तो मै उत्तेजित हो जाती। कहीं ना कहीं वह भी उत्तेजीत हो गए थे, उन्होने मुझसे कहा अपने कपड़े उतार दो। मैने अपने कपडे उतार दिए वह मेरे बदन को सहलाने लगे। मैंने उन्हे कहा मुझसे बिल्कुल भी रहा नही जा रहा है शेखर ने अब मेरे स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया वह मेरे निप्पलो को मैं जिस तरह चूस रहे थे उससे मुझे बहुत ही मजा आ रहा था और वह भी उत्तेजित होने लगे थे। मैंने अपने पैरों को खोला और शेखर को कहा मेरी चूत चाटो, शेखर ने मेरी चूत को चाटना शुरू किया मुझे मजा आने लगा। वह मेरी चूत को चाटकर मेरे अंदर की गर्मी बढ़ने लगे वह तब तक मेरी चूत को चाटते रहे जब तक मेरी चूत से पानी नहीं निकल गया था। उन्होने मेरे मुंह के सामने अपने लंड को किया तो मैने उनके 9 इंच मोटे लंड को मुंह मे ले लिया अब मैने उनके लंड को अपने मुंह में लेकर अच्छे से चूसना शुरू कर दिया। जब मै उनके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसती तो मुझे बड़ा ही मजा आता और उनको भी आनंद आने लगा था। वह अब उत्तेजित होने लगे थे मैने उनके लंड से जूस बाहर निकाल दिया था मैने उनकी गर्मी पूरी तरीके से बढ़ा दी थी। मैं अब एक पल भी नहीं रह पा रही थी मैंने उन्हे कहा आप मेरी चूत के अंदर अपने लंड को डाल दो मै पैर खोले लेटी थी मरी चूत उनके सामने थी। उन्होने मेरी चूत को उंगली से सहलाया जब उन्होने मेरी चूत मे अपनी उंगली को डाला तो मै उछल पडी शेखर ने अपनी उंगली से मेरी चूत को गर्म किया। जब मेरी चूत गर्म हो चुकी थी तो शेखर ने अपने लंड को मेरी गरम चूत पर लगा दिया और अंदर की तरफ अपने लंड को धकेलेना शुरू किया। जब शेखर का लंड मेरी चूत को फाडता हुआ मेरी चूत के अंदर की तरफ जाने लगा तो मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा। वह मुझे कहने लगे आज तो मजा आ गया, मेरी चूत से पानी बाहर निकल रहा था।

मेरे अंदर की गर्मी अब इतनी ज्यादा बढ़ने लगी थी कि मुझे मजा आने लगा था। मैंने अपने दोनों पैरों को खोल लिया जब मैंने ऐसा किया तो मुझे बहुत मजा आ रहा था। वह मेरी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को बड़ी आसानी से कर रहे थे वह अब तेजी से मेरी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करने लगे। मुझे मजा आने लगा मैने उन्हे कहा आप मेरी चूत का भोसडा बना दो। मेरे अंदर की गर्मी बढती जा रही थी मैंने शेखर से कहा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है तुम ऐसे ही मेरी चूत मारते रहो। वह बोले तुम मेरा साथ देती रहो मै उनका साथ बड़े अच्छे से दे रही थी।

वह मेरे बदन को पूरी तरीके से गर्म कर चुके थे मेरी चूत से पानी बाहर चुका था मै झड गई थी। शेखर मुझे चोदते ही जा रहे थे जब उनका माल गिरा तो मुझे मजा आ गया। वह मेरी चूत का मजा अब दोबारा लेना चाहते थे मै लेटी हुई थी। उन्होने मुझे पेट के बल लेटा दिया वह मेरी चूतडो को सहलाने लगे कुछ देर तक शेखर ने अपने हाथ से मेरी चूतडो को सहलाया तो मुझे बहुत ही मजा आया। शेखर ने मेरी गरम चूत पर अपने लंड को सटाया जब उन्होने मेरी चूत पर अपने लंड को सटाया तो मेरी चूत से पानी बाहर निकलने लगा। वह मेरी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करने लगे थे मुझे अच्छा लग रहा था। उनका लंड मेरी चूत को छिल रहा था, शेखर के लंड का मजा लेकर मैं गर्म हो चुकी थी। उनके धक्को मे तेजी आ गई थी मै उनके लंड से अपनी चूतड़ों को मिलाने की कोशिश करती तो मुझे मजा आता। उनका लंड मेरी चूत के जड तक जा रहा था तो मुझे मजा आता। मेरी उत्तेजना बहुत बढ गई थी उनका माल मेरी चूत के अंदर गिराने वाला था जब शेखर ने मेरी चूत मे अपने माल को गिराया तो मेरी इच्छा पूरी हो गई और हम दोनो सो गए।

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बाथरूम का दरवाजा खुल गया


मैं हर रोज सुबह के वक्त अपनी दुकान पर चला जाया करता हूँ मेरी राशन की दुकान है मैं पटना का रहने वाला हूँ। यह दुकान मैं पिछले दो वर्षों से चला रहा हूँ पहले यह दुकान मेरे पिताजी चलाया करते थे परन्तु अब उनका देहांत हो चुका है इसलिए यह दुकान मैं ही चला रहा हूँ। इससे पहले मैं दिल्ली में जॉब करता था वहां पर मेरी तनख्वा भी काफी अच्छी खासी थी। पढ़ाई पूरी होने के बाद मैं दिल्ली नौकरी की तलाश में चला गया था काफी मेहनत के बाद मुझे वहां पर नौकरी मिली थी। नौकरी मिलने के कुछ समय बाद मेरे घर वालो ने मेरी शादी भी करवा दी थी मेरी जिंदगी बड़े ही अच्छे से चल रही थी मुझे किसी बात की कोई चिंता नही थी। एक दिन मुझे मेरी पत्नी का फोन आया और वह कहने लगी कि पिताजी की तबियत कुछ ठीक नही है। मुझे नही मालूम था कि पिताजी की तबियत ज्यादा खराब हो जाएगी। अगले दिन मैंने अपने ऑफिस से छुट्टी ली और मैं घर चला आया जब मैं घर आया तो मैंने देखा पिताजी बहुत बीमार है मैं उसी दिन उन्हें अस्पताल लेकर गया डॉक्टर ने उनका चेकप किया और उन्हें अस्पताल में भर्ती कर दिया।

कुछ दिन पिताजी अस्पताल में ही रहे लेकिन उनके बचने की उम्मीद बहुत कम थी यह बात पिताजी भी समझ चुके थे। पिताजी मुझे कहने लगे कि बेटा अब तुम्हे ही घर को संभालना है मैंने पिताजी से कहा पिताजी आप ऐसी बाते क्यो कर रहे है। वह कहने लगे कि मेरे जाने के बाद दुकान का काम तुम सम्भालना दुकान को ऐसे ही मत छोड़ना। पिताजी ने वह दुकान बड़ी मेहनत करके शुरू की थी वह काफी सालो से उस दुकान को चला रहे थे। पिताजी ने एक बार पहले भी मुझसे कहा था कि मैं ही उस दुकान को संभालू लेकिन मैं दुकान नही सम्भालना चाहता था मैं जॉब करना चाहता था इसलिए मैं दिल्ली चला गया था। कुछ दिनों बाद पिताजी का देहांत भी हो गया पिताजी के देहांत के बाद घर वीरान सा हो गया था।

पिताजी के देहांत को अब काफी समय हो चुका है आज भी हम लोग पिताजी को बहुत याद करते है। घर मे इकलौता होने की वजह से घर को संभालने की जिम्मेदारी मेरी थी जिसे मैं बखूबी निभा रहा था मैं अपने घर को बडे अच्छे से चला रहा था। मेरी एक बहन है जिसका नाम सिमरन है सिमरन भी अब बड़ी हो चुकी है उसके लिए अब हम लोग कोई अच्छा सा लड़का देख रहे है जिसके साथ वह शादी करके खुश रहे। सिमरन ने अभी अपने कॉलेज की पढ़ाई पूरी की है वह चाहती है कि वह कुछ करे इसलिए सिमरन जॉब की तलाश में थी। मैंने सिमरन से कहा कि तुम्हे जॉब करने की क्या जरूरत यदि तुम्हे किसी चीज की आवश्यकता है तो तुम मुझे बताओ मैं उसे पूरा करूँगा। सिमरन कहने लगी भैया ऐसी बात नही है मुझे किसी भी चीज की कोई कमी नही है मैं बस जॉब करना चाहती हूँ वैसे भी मैं घर मे बोर हो जाती हूँ। मैंने सिमरन से कहा घर मे मां है और तुम्हारी भाभी भी तो है तुम उनके साथ अपना समय बिता लिया करो। वह कहने लगी नही भैया भाभी तो अपने काम मे उलझी रहती है और मां भी अपने कामो में ही व्यस्त रहती है उन लोगो के पास ज्यादा समय नही होता है। मेरी पत्नी घर के कामो में इतनी उलझी रहती है कि उसे खुद की कोई फिक्र ही नही रहती वह घर को बड़े अच्छे से सम्भाल रही है। मैं अपनी बहन से बहुत प्यार करता हूँ मैं उसे कोई तखलिफ़ नही होने देना चाहता था इस वजह से मैं उसे जॉब के लिए मना कर रहा था परन्तु उसकी जिद के आगे मैं कुछ बोल ना सका। सिमरन अब जॉब की तलाश में थी सिमरन घर मे सबकी लाडली है उसे घर मे सब लोग बहुत प्यार करते है उसकी हर एक जरूरत को मैं हमेशा पूरा करता हूँ। हम लोग सिमरन की बात मान चुके थे सिमरन की बात मानने के अलावा हमारे पास कोई चारा भी नहीं था। उस जॉब की तलाश में थी उसकी एक सहेली है उसका नाम गीतिका है वह हमारे घर पर आई हुई थी। वह मुंबई में नौकरी करती है उसने सिमरन को कहा यदि वह मुंबई में उसके साथ नौकरी करना चाहती है तो वह उसके लिए अपने ऑफिस में जॉब के लिए बात कर सकती है। इस बात से सिमरन खुश हो गई अब हम लोगों को उसने इस बात के लिए मना लिया था हालांकि मैं तो सिमरन की इस बात के बिल्कुल भी पक्ष में नहीं था लेकिन मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था इसलिए मुझे सिमरन को भेजना ही पडा।


सिमरन मुंबई जा चुकी थी मुझे उसकी बड़ी याद आती और मां भी मुझे कहती की बेटा तुम रोज सिमरन से बात कर लिया करो मैं मां को हमेशा कहता कि मां मैं तो हमेशा ही उस से फोन पर बात करता हूं। मां मुझे कहती कि बेटा उसकी मुझे बड़ी याद आ रही है अब सिमरन को करीब 2 महीने हो चुके थे मैंने उसे फोन किया लेकिन सिमरन ने फोन नहीं उठाया मुझे उसकी चिंता सताने लगी। मैंने उसकी सहेली गीतिका को फोन किया तो वह मुझे कहने लगी आप चिंता मत कीजिए वह ऑफिस में है मैं उससे आज शाम को आपकी बात करवा देती हूं। मैं भी अब निश्चिंत हो गया मैने उस से शाम को फोन पर बात की तो मैंने उस से कहा कि तुम मेरा फोन क्यों नहीं उठा रही थी। वह मुझे कहने लगी भैया ऑफिस में कुछ ज्यादा काम था इसलिए मैं आपका फोन नहीं उठा पाई थी और मुझे बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाया था कि मैं आपसे बात कर सकू मैंने सिमरन को कहा यह सब छोड़ो मैं तुमसे यह कहना चाहता हूं कि क्या तुम कुछ दिनों के लिए घर आ सकती हो मां मुझे कह रही थी तुम कुछ दिनों के लिए छुट्टी लेकर घर आ जाओ तो मां को भी अच्छा लगेगा।

वह मुझे बोली भैया मैं ऑफिस से छुट्टी ले लूंगी। जब सिमरन घर आई तो वह काफी बदल चुकी थी उसके कपडे पहनने का ढंग और सब कुछ बदल चुका था लेकिन उस से मुझे कोई एतराज नहीं था जब उसने मुझे अपने ऑफिस में काम करने वाले लड़के निखिल के बारे मे बताया तो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। मैंने सिमरन को कहा देखो सिमरन तुमने हमसे जॉब करने की बात कही थी उसके लिए मैंने तुम्हें मना नहीं किया लेकिन अब अगर तुम किसी ऐसे लड़के से शादी कर लोगी जो हमारी जात बिरादरी का नहीं है तो मैं बिल्कुल भी उसके पक्ष में नहीं हूं। सिमरन मुझे कहने लगी आप एक बार निखिल से मिल तो लीजिए। मैंने सिमरन को मना कर दिया लेकिन वह मुझे मना ही लेती थी इसलिए मुझे सिमरन की बात माननी पड़ी। मुझे निखिल से मिलने के लिए मुंबई जाना पड़ा मैं मुंबई गया तो मैं सिमरन और गीतिका के पास ही रूका। मैं जब निखिल से मिला तो मुझे निखिल अच्छा लगा मुझे निखिल से कोई भी परेशानी नहीं थी लेकिन कहीं ना कहीं मेरे मन में यह डर था कि क्या वह मेरी बहन को खुश रख पाएगा शायद यही डर मुझे सता रहा था। सिमरन उस दिन सुबह ऑफिस चली गई थी लेकिन गीतिका उस दिन घर पर ही थी मैं भी गीतिका के साथ ही था। गीतिका मेरी बहन सिमरन की अच्छी दोस्त है इसलिए मैंने कभी उसके बारे में कुछ ऐसा नहीं सोचा था परंतु उस दिन जब मैं और गीतिका साथ में बैठे हुए थे तो उसने मुझे कहा मैं नहाने के लिए जा रही हूं। वह बाथरूम मे चली गई अब वह बाथरूम में जा चुकी थी बाथरूम का दरवाजा खुला ही था इसलिए मैं उसे देखने लगा। मैं उसे देख रहा था उसने भी मुझे देख लिया था वह मुझे कहने लगी आप यह क्या कर रहे हैं। मैंने गितिका का हाथ पकड़ लिया मैंने जब गीतिका का हाथ पकड़ा तो मुझे अच्छा लगने लगा था और गीतिका को भी अच्छा लग रहा था। मैंने उसके होठों को चूम लिया था वह मुझे कुछ कह नहीं पाई अब उसके अंदर की तडप बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी।

वह अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही थी मेरे अंदर की उत्तेजना पूरी तरीके से बढ़ने लगी थी। गीतिका ने मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और अपने हाथों से हिलाने लगी मुझे बहुत अच्छा लगने लगा और उसको भी मजा आने लगा था। मेरे अंदर कि आग पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी मेरे अंदर जो आग लगी हुई थी उसे मैं बिल्कुल भी रोक नहीं पा रहा था और ना ही गीतिका अपने अंदर की आग को रोक पाई। मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया और मैं उसे बेडरूम में ले आया जब मैं उसे बेडरूम मे लाया तो मैंने उसकी चूत को चाटकर पूरी तरीके से गिला कर दिया था। अब मेरे अंदर की गर्मी इस कदर बढ़ गई कि मैंने उसकी चूत मै लंड घुसा दिया उसकी चूत मे मेरा लंड गया वह जोर से चिल्लाई मुझे नहीं पता था। वह अपने आपको रोक नहीं पा रहा था मेरा लंड गीतिका कि चूत के अंदर बाहर हो रहा था मुझे अच्छा लग रहा था और गीतिका को भी अब मजा आने लगा था।

उसके अंदर गर्मी इस कदर बढ़ चुकी थी कि वह बिल्कुल भी अपने आपको रोक नहीं पा रही थी और ना ही मैं अपने आपको रोक पा रहा था। हम दोनों के अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी गीतिका भी बहुत ज्यादा खुश हो गई थी। गीतिका मुझे कहने लगी मैंने चूत से निकलता हुआ पानी बहुत ज्यादा बढ़ चुका है तो मैंने भी उसे तीव्र गति से धक्के देने शुरू कर दिए थे मै उसे तीव्र गति से धक्के दे रहा था उससे मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था और ना ही गीतिका रह पा रही थी थोड़ी देर में ही मेरा माल गिरने वाला था। जैसे ही मेरे वीर्य की पिचकारी को मैंने गिराया तो गीतिका कहने लगी आज मुझे बड़ा मजा आ गया। मैंने उसे कहा तुम तो एकदम सिल पैक टाइट माल हो वह कहने लगी आपको क्या लगा था। मैंने उसे कहा मुझे तो ऐसा कुछ भी नहीं लगा था मैंने गीतिका को कसकर अपनी बाहों में पकड़ लिया और दोबारा से मैंने उसकी चूत का मजा लिया। उसकी चूत मार कर मुझे बड़ा ही अच्छा लगा।
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लाइन साफ थी तो चूत मिल गई


मैं चाहता था कि मैं जॉब करने के लिए मुम्बई जाऊं लेकिन इस बात के लिए मेरे घर वाले बिल्कुल भी तैयार नही थे वह चाहते थे कि मैं यहीं रहकर जॉब करूँ। मैं भोपाल का रहने वाला हूँ पढ़ाई पूरी होने के कुछ समय तक तो मैं घर पर ही रहा मैं मुम्बई जाना चाहता था। एक दिन मैंने इस बारे में अपने पापा से बात की वह कहने लगे कि राहुल बेटा तुम मुम्बई जाकर क्या करोगे वहां पर तुम किसी को जानते भी नही हो। मैंने पापा से कहा मैं मुम्बई में ही जॉब करना चाहता हूँ वहां पर मुझे अच्छी सेलरी भी मिल जाएगी। मेरी माँ कहने लगी कि बेटा तुम यहीं भोपाल में रहकर जॉब कर लो यहां भी तुम्हे अच्छी तनख्वा मिल जाएगी। मेरे मम्मी पापा ने मुझे कई बार समझाया लेकिन मेरे सर पर तो मुम्बई जाने का भूत सवार था आखिर में वह लोग मेरी बात मान ही गए उसके बाद मैं मुम्बई जाने की तैयारी करने लगा। मैं अपने कॉलेज के दोस्त मोहन के भरोसे ही मुम्बई गया था मैं उसी के साथ रह रहा था।

मुम्बई जाने के बाद मैं जॉब की तलाश करने लगा और फिर कुछ ही दिनों में मुझे जॉब भी मिल गयी थी। मैं इस बात से काफी खुश था कि मैं मुम्बई में जॉब कर रहा हूँ क्योंकि मैं कब से मुम्बई के ख्वाब देख रहा था। शुरुआत में तो मैं काफी खुश था धीरे धीरे मेरी जान पहचान भी सबसे होने लगी थी सब कुछ अच्छे से हो रहा था मैं सुबह अपने ऑफिस जाता और शाम को मैं घर लौट आता था। मुझे मुम्बई में काफी समय हो गया था फिर कुछ समय बाद मुझे अपने घर वालो की याद आने लगी मैं काफी अकेला महसूस करने लगा था। मोहन का भी कुछ पता नही होता था कि वह कब घर आ रहा है और कब अपने ऑफिस जाता है उससे भी मेरी ज्यादा बात चीत नही हो पाती थी वह अपने काम मे ज्यादा ही व्यस्त रहता था। जब मैं अपने कमरे में अकेला होता तो मैं यही सोचता कि मुझे भोपाल में ही रहकर जॉब करनी चाहिए थी। मुम्बई की भागदौड़ भरी जिंदगी से मैं थक चुका था ऑफिस में भी इतना काम होता था कि मैं अपने लिए भी समय नही निकाल पाता था।

मैं जब से मुम्बई गया था तब से मैं अपने घर वालो से भी नही मिला था मुझे मम्मी पापा की बहुत याद आती थी। यह पहली ही बार था जब मैं अपने घर वालो से इतनी दूर था मैं उनसे मिलना चाहता था परन्तु काम इतना होता था कि मुझे ऑफिस से छुट्टी मिल पाना भी मुश्किल होता था। हर रोज की तरफ मैं अपनी मां से बात कर रहा था उस दिन मैं कुछ ज्यादा ही उदास था क्योंकि मैं काफी दिन से छुट्टी लेने की कोशिश कर रहा था लेकिन मुझे छुट्टी नही मिल पा रही थी। मेरी माँ कहने लगी राहुल बेटा तुम्हारी तबियत तो ठीक है ना, मैंने मां से कहा हां मां मेरी तबियत ठीक है। माँ कहने लगी लेकिन तुम तो काफी गुमसुम से लग रहे हो मैंने मां से कहा हां बस आप लोगो की याद आ रही थी। मां कहने लगी कि तो फिर तुम कुछ दिनों के लिए घर आ जाओ मैंने मां से कहा सोच तो मैं भी कब से रहा था कि घर हो आऊं लेकिन मुझे छुट्टी ही नही मिल पा रही है। मैंने मां से कहा कि कुछ दिन के लिए आप लोग ही मेरे पास आ जाइये लेकिन मां कहने लगी कि बेटा हमारा आना तो मुश्किल हो पायेगा आजकल तुम्हारे पापा भी ऑफिस से देर रात घर लौटते है उनके ऑफिस में आज कल काम ज्यादा है इस वजह से उन्हें भी छुट्टी नही मिल पाएगी। मैंने मां से कहा चलो कोई बात नही मैं देखता हूं मुझे क्या करना है, मैंने काफी देर तक मां से बात की उसके बाद मैंने फोन रख दिया। कुछ समय बाद मैंने अपनी जॉब से रिजाइन कर दिया और मैं भोपाल जाने की तैयारी करने लगा। जब यह बात मोहन को पता चली तो वह कहने लगा कि राहुल तुमने ऐसा क्यों किया तुम तो मुम्बई में ही रहना चाहते थे तुम्हारा तो मुम्बई में जॉब करने का सपना था। मैंने मोहन से कहा हां मैं चाहता तो यही था कि मैं मुम्बई में जॉब करूँ लेकिन अब मुझे यहां नही रहना है मुझे अपने घर वालो के साथ ही रहना है। मोहन कहने लगा ठीक है जैसा तुम्हे सही लगता है यदि तुम्हे कभी मेरी जरूरत पड़े तो मुझे जरूर बताना मैंने मोहन से कहा ठीक है दोस्त। अगले दिन ही मैं ट्रेन से भोपाल लौट आया जब मैं भोपाल लौटा तो मेरे मम्मी पापा मुझे देख कर बहुत खुश हुए मैंने घर पर नही बताया था कि मैंने अपनी जॉब छोड़ दी है।


एक दिन हम लोग साथ मे बैठकर डिनर कर रहे थे तभी मेरी माँ ने कहा कि राहुल बेटा तुम कितने दिनों की छुट्टी लेकर आये हो क्योकि तुम कह रहे थे कि तुम्हे छुट्टी नही मिल पा रही है। मैंने मां से कहा हां मां मुझे छुट्टी नही मिल पा रही थी इसलिए मैं जॉब छोड़कर वापस आ गया। मां कहने लगी तुम्हे जॉब छोड़ने की क्या जरूरत थी तभी पापा कहने लगे कि यह तुमने बहुत अच्छा किया कि तुम घर वापस लौट आये अब भोपाल में ही अपने लिए कोई जॉब देख लेना। मेरे पापा तो चाहते ही नही थे कि मैं मुम्बई जाऊं इसलिए वह इस बात से खुश थे कि मैं जॉब छोड़कर वापस आ गया। मम्मी पापा भी मेरे बिना घर पर अकेले ही थे मैं घर मे एकलौता हूँ इस वजह से वह लोग मुझे अपने से दूर नही करना चाहते थे यह तो मेरी ही जिद थी कि मैं मुम्बई जॉब करने जाऊं। मैं भोपाल लौट चुका था तो अब मैं भोपाल में ही अपने लिए जॉब देखने लगा मैं अलग अलग जगह इंटरव्यू देने लगा और एक जगह मेरा सलेक्शन भी हो गया। मेरा सलेक्शन एक अच्छी कम्पनी में हो गया था यह बात सुनकर मेरे मम्मी पापा बहुत खुश हुए वहां पर मेरी तनख्वा भी ठीक थी।

मैं अपने काम पर पूरा ध्यान देने लगा था मुझे भोपाल में ही जॉब करके अच्छा लग रहा था क्योंकि मैं यहां अपने परिवार के साथ रह रहा हूँ। मैं सुबह ऑफिस जाता और शाम को ऑफिस से जल्दी घर लौट आता था मेरी मां सुबह मुझे टिफिन पैक करके देती तो मुझे बहुत अच्छा लगता। मुझे भोपाल में अपने परिवार के साथ रहकर बहुत खुशी हो रही थी यहां की जिंदगी मुम्बई जैसी नही थी फिर भी अपने परिवार के साथ में खुश था। जब हमारे ऑफिस में जॉब करने के लिए तो माधुरी आई तो उस से मेरी पहली ही मुलाकात मे अच्छी बातचीत हो गई। माधुरी भी मुझसे बहुत इंप्रेस थी वह मुझसे बात करती तो मुझे बहुत अच्छा लगता माधुरी और मैं एक दूसरे से रोज बातें करने लगे एक दिन माधुरी और मैं अपने ऑफिस में साथ में बैठे हुए थे उस दिन माधुरी ने मुझे अपने बॉयफ्रेंड के बारे में बताया और कहा वह उस से शादी करना चाहती थी लेकिन उसके पापा नही माने इसलिए उसकी शादी नहीं उस से पाई। मैंने माधुरी से कहा तुम्हारा बॉयफ्रेंड कहां है उसने मुझे बताया कि वह विदेश में रहता है। यह सुनकर मैं खुश हो गया मैंने सोचा चलो कम से कम लाइन तो साफ़ है धीरे-धीरे मेरे और माधुरी के बीच में करीबिया बढ़ती ही जा रही थी। हम दोनों एक दूसरे को डेट भी करने लगे थे मधुरी के जन्मदिन के दिन जब मैंने उसे गिफ्ट दिया तो वह बड़ी खुश हो गई और कहने लगी मैं बहुत ज्यादा खुश हूं। माधुरी ने मुझे गले लगा लिया जब उसने मुझे गले लगाया तो उसके बाद मैंने भी उसके होठों को चूम लिया यह पहली बार ही था जब हम दोनों के बीच किस हुआ था। अब हम दोनों के बीच वह घड़ी आ गई कि हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स करना चाहते थे। मै इस बात के लिए खुश था मैं माधुरी के साथ सेक्स करूंगा क्योंकि मैंने कभी माधुरी जैसी लड़की देखी ही नहीं थी माधुरी भी खुश थी। उस दिन हम दोनों की सहमति से जब हम दोनों एक दूसरे के साथ मेरे दोस्त के घर गए तो वहां पर मैं और माधुरी साथ में बैठे हुए थे। पहले तो माधुरी और में खुलकर बात कर रहे थे लेकिन जैसे ही मैंने माधुरी की होंठों को चूमना शुरू किया तो वह शर्माने लगी और मुझे कहने लगी यह सब बिल्कुल भी ठीक नहीं है।

मैं कहां मानने वाला था मैंने तो पूरा मन बना लिया था कि मैंने माधुरी को चोदूगा। मैंने जब माधुरी के होंठो को उस दिन चुम्मा तो मुझे अच्छा लगने लगा मैंने माधुरी के बदन से कपड़े उतारने शुरू कर दिए। माधुरी मेरे सामने नंगी थी वह पहली बार किसी लड़के के सामने नग्न अवस्था में थे इसलिए वह शर्मा रही थी। मैंने माधुरी को बिस्तर पर लेटा दिया मैंने उसके बदन को महसूस करना शुरू किया तो मुझे मजा आने लगा और माधुरी को भी बड़ा अच्छा महसूस होने लगा था। माधुरी के अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बढ चुकी थी इसलिए उसकी चूत के कुछ ज्यादा ही पानी निकलने लगा मैंने उसकी चूत को चाटा तो मुझे लगा मेरे अंदर की आग बढ़ती जा रही है।

मैंने भी एक जोरदार झटके से माधुरी की चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दिया। माधुरी की योनि मे जैसे ही मेरा लंड प्रवेश हुआ तो मुझे अब अच्छा लगने लगा उसकी चूत से खून बाहर निकल रहा था जिससे कि वह मुझे अपने पैरों के बीच में जकडने की कोशिश करने लगी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था जब वह मुझे अपने पैरों के बीच में जकड़ने की कोशिश करती और मेरे अंदर की आग को वह पूरी तरीके से बढा देती। मैंने उसे बड़ी तेजी से चोदना शुरू कर दिया था 10 मिनट की चुदाई के बाद अब वह संतुष्ट हो चुकी थी और मैं भी पूरी तरीके से संतुष्ट हो चुका था। मैंने जैसे ही अपने माल को माधुरी की योनि में गिराया तो वह खुश हो गई और कहने लगी आज मुझे मजा आ गया। मैंने माधुरी को कहा मजा तो मुझे भी बड़ा आ गया और जिस प्रकार से आज मैंने तुम्हारे साथ शारीरिक सुख के मजे लिए हैं उससे मैं बहुत ज्यादा खुश हूं। वह कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है जब आज मैं तुम्हारे साथ इस प्रकार से सेक्स का मजा ले पाई अब हम दोनों घर वापस लौट आए थे।
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मेरा माल बाहर खीच लिया


हम लोग संयुक्त परिवार में रहते हैं हम लोग लखनऊ में रहते हैं। मैं उस दिन अपने चचेरे भाई रोहन के साथ बैठा हुआ था वह मुझसे उम्र में दो वर्ष छोटा है लेकिन हम दोनों की काफी अच्छी बनती है। रोहन और मैं एक दूसरे से बात कर रहे थे कि तभी भैया कमरे में आये और वह हम दोनों से कहने लगे कि तुम दोनों यहां क्या कर रहे हो। मैंने भैया से कहा कि भैया कुछ नहीं बस ऐसे ही बैठ कर बात कर रहे थे तो भैया कहने लगे कि तुम्हें पापा कब से ढूंढ रहे थे उन्हें तुमसे कुछ जरूरी काम है। मैंने भैया से कहा भैया अभी जाता हूं मैंने रोहन को कहा चलो रोहन हम लोग चलते हैं रोहन और मैं पापा के पास चले गए। जब हम लोग पापा के पास गए तो वह कहने लगे कि बेटा मैं तुम लोगों को कब से ढूंढ रहा हूं ना तो तुम्हारा फोन लग रहा है और ना ही रोहन का फोन लग रहा था। मैंने पापा से कहा पापा कहिए आपको क्या काम था तो पापा मुझे कहने लगे कि बेटा क्या तुम मुझे गुप्ता जी के घर छोड़ दोगे। मैंने पापा से कहा ठीक है हम अभी आपको गुप्ता जी के घर छोड़ देते हैं।

पापा ज्यादातर हम लोगों के साथ ही घुलमिल कर रहे थे भैया के साथ वह कम ही बातें करते थे और उस दिन मैंने और रोहन ने अपने पापा को गुप्ता जी के घर छोड़ दिया उसके बाद हम लोग वहां से घूमने के लिए निकल गए। जब हम लोग उस दिन साथ में थे तो रोहन ने मुझे अपने क्लास में पढ़ने वाली एकता के बारे में बताया। मैंने रोहन को कहा कि क्या तुम एकता से प्यार करने लगे हो तो वह मुझे कहने लगा कि हां मुझे ऐसा ही लग रहा है एकता और मेरे बीच काफी नजदीकियां बढ़ने लगी है। मैंने रोहन को कहा कि लेकिन रोहन तुम सोच समझकर उससे बात करना रोहन मुझे कहने लगा कि भला इसमें डरने की क्या बात है। मैंने रोहन को कहा कि देखो इसमें डरने की बात नहीं है लेकिन फिर भी तुम्हें मालूम है ना कि एकता के पापा एक बड़े अधिकारी हैं और अगर उन्हें इस बारे में पता चला कि तुम उनकी बेटी से बात करते हो तो कहीं तुम्हे कुछ परेशानी ना हो जाए रोहन मुझे कहने लगा कि यह सब बाद में देख लेंगे। हम लोग घर लौट आए जब हम लोग घर लौटे तो उस वक्त काफी अंधेरा हो चुका था रात के करीब 9:00 बज रहे थे मां मुझसे और रोहन से पूछने लगी कि तुम दोनों कहां चले गए थे।

मैंने मां को कहा कि हम लोग अपने दोस्त से मिलने के लिए चले गए थे। उसके बाद हम लोगों ने खाना खाया और फिर हम दोनों छत पर चले गए छत पर हम दोनों साथ में बैठे हुए थे रोहन और मैं ज्यादातर साथ में ही रहा करते थे। भैया हम दोनों को बहुत डांटते भी थे भैया बड़े ही सज्जन व्यक्ति है और उन्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं है कि कोई घर में सिगरेट पिये। भैया ने मुझे सिगरेट पीते हुए कई बार पकड़ लिया था इसलिए उस रात हम दोनों चुपके से सिगरेट पी रहे थे लेकिन तभी भैया ने हम दोनों को पकड़ लिया और भैया ने मुझे बहुत डांटा। उन्होंने कहा कि तुमने रोहन को भी अपनी तरह बना दिया है मैंने भैया से कहा कि नहीं भैया ऐसा बिल्कुल भी नहीं है हम लोग अपनी पढ़ाई में भी ध्यान दे रहे है और जवानी में कभी कबार ऐसा हो जाता है लेकिन भैया तो कुछ सुनने को तैयार ही नहीं थे और उन्होंने उस दिन यह बात पापा को बता दी। पापा ने मुझे और रोहन को कहा कि देखो बेटा यह सब बिल्कुल भी ठीक नहीं है पापा हम दोनों को समझाने लगे लेकिन हम दोनों भला किस की बात मानने वाले थे। चाचा जी स्कूल में अध्यापक हैं और उनका ट्रांसफर अभी कुछ समय पहले ही बरेली में हुआ है इसलिए वह बरेली से घर कम ही आया करते हैं। चाची जी और मां दोनों हमे कभी कुछ कहते नहीं है सिर्फ भैया ही हम दोनों को डांटा करते हैं पापा भी हमें कभी कुछ कहते नहीं हैं। रोहन और एकता के बीच भी नजदीकियां बढ़ने लगी थी तो रोहन ने एक दिन मुझे कहा कि भैया मैंने एकता को प्रपोज कर दिया और उसने मेरे परपोज का जवाब दे दिया। मैंने रोहन को कहा चलो यह तो बड़ी अच्छी बात है कि एकता और तुम अब एक दूसरे से बातें करने लगे हो। वह मुझे कहने लगा कि हां भैया हम दोनों एक दूसरे से बातें करने लगे हैं और मुझे एकता से बात करना बहुत ही अच्छा लगता है मुझे ऐसा लगता है जैसे एकता के बिना मेरी जिंदगी अधूरी है। उस दिन मुझे रोहन ने बताया कि वह एकता से बहुत प्यार करने लगा है एकता और रोहन के बीच प्यार की नींव पड़ चुकी थी जो कि उन दोनों को पागल कर रही थी उन दोनों का मिलना कुछ ज्यादा ही होने लगा था। मैंने रोहन को कहा कि रोहन तुम एकता से छुप कर मिला करो लेकिन वह एकता से हर रोज मिला करता था।


एक दिन यह बात एकता के पिताजी को पता चल गई और जब उन्हें इस बारे में पता चला तो उन्होंने रोहन से कहा कि आज के बाद तुम कभी एकता से नहीं मिलोगे। रोहन एकता से दूर हो चुका था क्योंकि एकता और उसका मिलना नहीं हो पाता था लेकिन फिर भी उन दोनों की चोरी छुपे फोन पर बातें हो जाया करती थी। एकता और रोहन का रिलेशन तो चोरी छुपे चल रहा था लेकिन मैं अभी भी सिंगल ही था मेरा कॉलेज पूरा हो चुका था इसलिए मुझे अपनी नौकरी के लिए दिल्ली जाना पड़ा और मैं दिल्ली में नौकरी करने लगा। कॉलेज प्लेसमेंट के माध्यम से ही मेरा सिलेक्शन दिल्ली की कंपनी में हुआ और मैं दिल्ली में रहने लगा हालांकि मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था लेकिन उसके बावजूद भी मुझे दिल्ली में जॉब करनी पड़ रही थी। मेरी जिंदगी में कुछ भी नया नहीं हो रहा था एक दिन रोहन ने मुझे फोन किया और कहा कि भैया मैं कुछ दिनों के लिए दिल्ली आ रहा हूं।

रोहन मुझसे मिलने के लिए दिल्ली आया और जब वह मुझसे मिलने के लिए दिल्ली आया तो मैंने उससे कहा कि घर में सब लोग कैसे हैं? वह कहने लगा घर में तो सब लोग ठीक हैं सब लोग आपको बस याद ही करते रहते हैं। मैंने रोहन से कहा कि तुम्हारे और एकता के बीच भी सब कुछ ठीक चल रहा है तो वह कहने लगा कि हां हम दोनों के बीच सब कुछ ठीक चल रहा है और हम दोनों एक दूसरे से मिला भी करते हैं। रोहन मेरे पास ज्यादा दिन नहीं रुका वह मेरे पास सिर्फ दो दिन ही रुका और उसके बाद वह लखनऊ लौट गया। मुझे अब काफी अकेला महसूस होने लगा था मेरी जिंदगी में कुछ भी नया नहीं हो रहा था सब कुछ सामान्य तरीके से चल रहा था। सुबह के वक्त मैं ऑफिस जाता और शाम के वक्त मैं  घर लौट आता था।  दिल्ली में मेरी काफी अच्छी दोस्ती हो गई थी इसलिए मैं अब अपने दोस्तों के साथ एक शाम पार्टी में गया हुआ था। उस दिन पार्टी से लौटते वक्त मुझे मेरी सोसाइटी में रहने वाली लड़की देखी। मैंने उससे पहले भी दो तीन बार देखा था वह किसी लड़के के साथ थी उस से वह काफी झगड़ा कर रही थी लेकिन तभी वह लड़का वहां से चला गया। वह बहुत ही ज्यादा उदास होकर वापस अपने फ्लैट की तरफ जा रही थी मैंने उसे रोकते हुए अपना हाथ आगे बढ़ाया और कहा मेरा नाम राजेश है। वह मुझे कहने लगी मेरा नाम अनुष्का है मैंने अनुष्का से कहा अनुष्का तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा मैं तुम्हारी जिंदगी से जुड़ी कुछ बातों को पूछूं। वह मुझे कहने लगी नहीं मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगेगा वह मुझे कहने लगी मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगेगा। अनुष्का ने मुझे बताया उसके बॉयफ्रेंड के साथ उसका झगड़ा हो गया है उन लोगों का पिछले 6 सालों से रिलेशन चल रहा था अब अचानक से उन दोनों के बीच झगड़ा हो गया इस बात से अनुष्का और वह एक दूसरे से अलग होना चाहते हैं।

मैंने अनुष्का से बात करनी शुरू कर दी अब हम हर रोज एक दूसरे को मिलने लगे हम दोनों को एक दूसरे का साथ अच्छा लगने लगा करीब एक महीने बाद मैंने अनुष्का को अपने दिल की बात कह दी। उसने भी मेरे रिश्ते को तुरंत ही स्वीकार कर लिया क्योंकि वह भी काफी अकेली थी मुझे काफी अच्छा लगने लगा था अनुष्का का साथ मुझे मिल चुका था। एक दिन जब मैं अकेला घर पर था तो उसको फोन कर के मैने अपने फ्लैट में बुला लिया वह भी आ गई। हम दोनों एक दूसरे के साथ बैठकर बातें कर रहे थे लेकिन उससे बात कर मेरे मन मे ना जाने क्या कुछ अलग होने लगा मैंने अनुष्का के हाथ को पकड़ा और मैंने उसके होठों को चूम लिया। वह बिल्कुल अपने आपको रोक ना सकी वह मुझे किस करने लगी। हम दोनों एक दूसरे को किस कर रहे थे जिस वजह से मेरे अंदर की आग बढ़ाने लगी थी मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पाया और ना ही अनुष्का अपने आपको रोक पाई। उसने मेरे लंड को देखा तो उसने अपने मुंह में लंड लेना शुरू कर दिया वह उसे अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। उसे बड़ा ही मजा आने लगा था मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था। जब मैं और वह एक दूसरे के साथ मजे कर रहे थे तो हम दोनों अब एक दूसरे को पूरी तरीके से संतुष्ट कर रहे थे।

मैंने  उसकी योनि पर अपने लंड को लगाया और जैसे ही मैंने अंदर की तरफ धकेलना शुरू किया तो वह तड़पने लगी। वह मुझे कहने लगी राजेश जब से तुम मेरी जिंदगी में आए हो तब से मेरी जिंदगी पूरी तरीके से बदल चुकी है और मुझे आज बहुत अच्छा लग रहा है। उसके चेहरे पर खुशी थी उसकी आंखों में वह खुशी साफ नजर आ रही थी अब मैंने उसे लगातार तेजी गति से चोदना शुरू कर दिया था और अनुष्का भी बहुत ज्यादा खुश हो गई थी। अब हम दोनों इतने गर्म हो चुके थे कि मेरा माल जल्द ही बाहर आ गया जैसे ही मेरा माल अनुष्का की चूत मे गिरा तो उसके बाद मैंने उसे घोडी बना दिया। घोडी बनाने के बाद जब मैंने उसे चोदना शुरू किया तो वह मचलने लगी और कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। अब हम दोनों एक दूसरे का साथ बड़े अच्छे से दे रहे थे मैंने उसे बहुत देर तक चोदा जब मैंने उसे पूरी तरीके से संतुष्ट कर दिया तो वह खुश हो गई थी। मैंने उसे कहा मजा तो आज मुझे भी बहुत ज्यादा आ गया वह बड़ी खुश थी जब हम दोनों ने एक दूसरे के साथ सेक्स के मज़े लिए।
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गुलाबी चूत के कई रंग


मुझे दिल्ली आए हुए ज्यादा समय नहीं हुआ था दिल्ली में मेरी जॉब लगे हुए अभी सिर्फ दो महीने ही हुए थे लेकिन मैं दिल्ली में अपने आप को एडजेस्ट कर चुका था और सब कुछ ठीक चलने लगा था। दिल्ली में मेरी जॉब मेरे मामा जी ने अपने दोस्त से कहकर लगवाई थी मैं रोहतक का रहने वाला हूं और दिल्ली उससे पहले भी मेरा आना जाना लगा रहता था लेकिन अब मैं दिल्ली में ही जॉब करने लगा था। रविवार के दिन मेरी छुट्टी थी तो सोचा कि अपने मामा जी से मिल आता हूं काफी दिन हो गए थे मैं मामा जी से मिल भी नहीं पाया था। मैंने मामा जी को फोन किया और कहा कि क्या आप घर पर ही हैं तो वह मुझे कहने लगे हां बेटा मैं घर पर ही हूं। मैंने मामा जी से कहा कि मैं आपको मिलने के लिए आ रहा हूं वह मुझे कहने लगे कि हां सुनील बेटा तुम घर पर ही आ जाओ। मैं उस दिन उनके घर पर चला गया मैं घर पर गया तो मैंने मामा जी से पूछा कि आज बंटी कहीं दिखाई नहीं दे रहा है। वह मुझे कहने लगे कि बंटी अपने स्कूल के दोस्तों के साथ कहीं घूमने गया होगा तुम तो जानते ही हो कि आजकल वह कितना बिगड़ चुका है और हमारी बात वह बिल्कुल भी सुनता नहीं है।

मैंने मामा जी को कहा मामा जी अभी उसकी उम्र है तो मामा जी मुझे कहने लगे कि बेटा फिर भी उसे हमारी बात माननी तो चाहिए। मैंने मामा जी को कहा कि मैं भी उससे इस बारे में बात करूंगा वह मुझे कहने लगे कि हां बेटा तुम बंटी को एक बार इस बारे में जरूर समझाना मैंने उन्हें कहा जी मामा जी। हम दोनों बात कर रहे थे कि तभी मामी आ गई मामी ने मुझे कहा कि सुनील बेटा तुम कैसे हो तो मैंने मामी से कहा मैं तो ठीक हूं आप बताइए आप कैसी हैं। वह कहने लगे की बेटा तुम्हें क्या बताऊं मेरी तबीयत ठीक नहीं रहती है। मैंने उनसे कहा कि आखिर क्या हुआ तो उन्होंने मुझे बताया कि उनके पैरों में बहुत ज्यादा दर्द रहता है और कई डॉक्टर से दिखाने के बाद भी अभी तक कोई आराम नहीं मिल पाया है। मामा जी और मैं अब बात करने लगे मामा जी ने मुझसे कहा कि बेटा तुम्हारी नौकरी तो ठीक चल रही है मैंने उन्हें कहा जी मामा मेरी नौकरी तो अच्छी चल रही है।

उन्होंने मुझे कहा कि बेटा क्या तुम इस बीच रोहतक भी जाने वाले हो तो मैंने उन्हें कहा मामा जी मैं जल्द ही रोहतक जाने के बारे में सोच रहा हूं काफी दिन हो गए हैं मां और पापा से अभी तक मिल नहीं पाया हूं। मामा जी मुझे कहने लगे कि ठीक है अगर तुम रोहतक जाओ तो मुझसे मिलते हुए जाना मैंने उन्हें कहा ठीक है। उस दिन मैं उनके घर पर ही रुका और अगले दिन मामा जी के घर से ही मैं अपने ऑफिस चला गया और उसके बाद जब मैं वापस शाम के वक्त अपने घर लौटा तो मेरी मां से मैंने उस दिन काफी देर तक बात की उन्होंने मुझे कहा कि सुनील बेटा तुम कुछ दिनों के लिए घर आ जाओ। मैंने मां से कहा मां बस मैंने अपने ऑफिस में छुट्टी के लिए अप्लाई कर दिया है जैसे ही मुझे छुट्टी मिल जाएगी मैं कुछ दिनों के लिए घर आ जाऊंगा मां कहने लगी कि ठीक है बेटा मैंने उस दिन मां से करीब आधे घंटे तक बात की। पापा सरकारी स्कूल में क्लर्क हैं और वह बड़े ही अच्छे हैं उन्होंने मुझे कभी भी किसी भी चीज के लिए मना नहीं किया। मैंने भी जल्दी घर जाने का फैसला कर लिया था और मैं जब अपने घर रोहतक जा रहा था तो उस दौरान जिस बस में मैं जा रहा था मेरे सामने वाली सीट में एक लड़की बैठी हुई थी। काफी देर तक तो मैंने उससे बात नहीं की और उसने भी मुझसे बात नहीं की लेकिन जब मुझे लगा कि मुझे उससे बात करनी चाहिए तो मैंने उससे बात की और अपना परिचय उसे दिया। उसने भी मुझे अपना नाम बताया और कहा मेरा नाम शालिनी है मैंने शालिनी से कहा कि क्या आप रोहतक में रहती है तो वह मुझे कहने लगी कि हां मैं रोहतक में ही रहती हूं, शालिनी से मेरी ज्यादा बात नहीं हुई। हम लोग रोहतक पहुंच चुके थे रोहतक पहुंचने के बाद मैं अपने घर चला गया मैं जब अपने घर पहुंचा तो मेरे मम्मी पापा बड़े खुश थे इतने समय बाद मैं उन लोगों से मिल रहा था तो वह लोग कहने लगे कि सुनील बेटा हमें तुम्हारी बड़ी याद आती है और एक तुम हो कि जब से दिल्ली गए हो तब से घर ही नहीं आये। मैंने उन्हें कहा कि आप तो जानते ही हैं कि जब से मुझे नौकरी मिली है उसके बाद मैंने पहली बार ही तो छुट्टी ली है मुझे भी आप लोगों की बड़ी याद आती थी लेकिन मेरी मजबूरी है।


मां ने मुझे कहा बेटा तुम अपना सामान अपने कमरे में रख दो तो मैंने मां से कहा हां मां मैं अपना सामान अपने कमरे में रख देता हूँ। उस दिन मैं घर पर ही था मैं अगले दिन अपने दोस्तों से मिलने गया मैं जब अपने दोस्तो से मिला तो मुझे बहुत अच्छा लगा। मैं अपने दोस्तो से मिलकर अपने घर लौट रहा था तो घर लौटते वक्त मैंने रास्ते में देखा कि शालिनी मेरे दोस्त अजय के साथ आ रही थी। मैंने अजय को देखते हुए अपनी मोटरसाइकिल रोकी और अजय से कहा कि अजय तुम कहां से आ रहे हो तो अजय मुझे कहने लगा कि मैं अपने किसी रिश्तेदार के घर गया हुआ था वहीं से हम लोग लौट रहे थे। अजय ने मुझे जब शालिनी से मिलवाया अजय कहने लगा कि यह मेरी बहन है मैं तो कुछ समझ ही नहीं पाया। शालिनी ने कहा कि हम लोगों की मुलाकात कल ही तो हुई थी कल ही हम लोग बस में एक साथ आ रहे थे। मैं और अजय कुछ देर तक बात करते रहे फिर वह लोग भी चले गए लेकिन शालिनी से मेरी मुलाकात हो चुकी थी तो शालिनी से मैं बातें करने लगा था मुझे शालिनी से बातें करना अब अच्छा लगने लगा था। शालिनी का नंबर मुझे मिल चुका था इसलिए हम दोनों की बातें होने लगी थी।

कुछ ही दिनों में मै दिल्ली आ चुका था और शालिनी अभी भी रोहतक में हीं थी वह अपने कॉलेज की पढ़ाई कर रही है शालिनी और मैं एक दूसरे को पसंद करने लगे थे। शालिनी ने एक दिन मुझे फोन किया और वह मुझसे बात करने लगी तो मैंने उसे कहा कि शालिनी क्या तुम्हारे कॉलेज के एग्जाम खत्म हो चुके हैं तो वह मुझे कहने लगी हां मेरे एग्जाम तो खत्म हो चुके हैं। मैंने शालिनी को कहा अब तुमने क्या सोचा है तो वह कहने लगी कि मैं अब जॉब के लिए ट्राई कर रही हूं। मैंने शालिनी को कहा कि मैं तुम्हारे लिए यहीं दिल्ली में कोई नौकरी देख लूं तो क्या तुम यहां जॉब करोगी तो वह कहने लगी की हां क्यों नहीं। मैंने भी अब शालिनी के लिए दिल्ली में नौकरी की बात कर ली थी वह भी अब दिल्ली जॉब करने के लिए आ गई थी। मैं बहुत खुश था कि हम दोनों की मुलाकात होती रहती थी और हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करने लगे थे। मुझे और शालिनी को रोज मिलना एक दूसरे से अच्छा लगने लगा जब भी हम दोनों एक दूसरे से मिलते तो हम दोनों बहुत ही खुश हो जाते। एक दिन शालिनी मुझसे मिलने के लिए घर पर आई हुई थी मैं और शालिनी साथ में बैठे हुए थे। हम दोनों आपस में बात कर रहे थे लेकिन उस दिन हम दोनों के अंदर एक अलग ही करंट सा जागने लगा जब मैंने शालिनी के हाथों को पकड़कर उसे अपनी ओर खींचा तो वह मुझे कहने लगी सुनील यह सब ठीक नहीं है। शालिनी का गदराया हुआ बदन मेरी बाहों में आ चुका था मैं उसके स्तनों को महसूस करने लगा। मैं उसके बदन को दबाने लगा मुझे उसके स्तनों को दबाने में मजा आने लगा मैंने उसके स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसा तो मेरे अंदर की गर्मी बढ़ती ही जा रही थी और उसके अंदर की गर्मी बढ़ती जा रही थी। उसने मुझे कहा मेरी गर्मी बहुत बढ चुकी है। मैंने उसके बदन से कपड़े उतारे जब मैंने उसके बदन से कपड़े उतारकर उसे अपने सामने नंगा कर दिया तो वह मेरे सामने शर्माने लगी।

वह मेरे सामने नंगी लेटी हुई थी उसका गोरा बदन चमक रहा था जैसे कि वह दूध से नहाती हो। मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था और उसे भी बड़ा अच्छा महसूस हो रहा था। हम दोनों के अंदर की गर्मी कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी थी जब मैंने शालिनी की गुलाबी चूत पर अपनी जीभ को लगाया तो वह मुझे कहने लगी मुझे अब मत तड़पाओ मै बिल्कुल नहीं रह पाऊंगी। वह अपने पैरों को आपस में मिलाने लगी जिससे कि मुझे भी महसूस होने लगा कि वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही है और हम दोनों के अंदर की गर्मी अब इस कदर बढ़ गई कि हम दोनों रह नहीं पाए। मैंने जब शालिनी से कहा मैं तुम्हारी चूत मे अपने लंड को घुसेड देता हूं मैंने जैसे ही शालिनी की चूत के अंदर अपने लंड को घुसाया तो वह बहुत जोर से चिल्लाई और मुझे कहने लगी आज मुझे मजा आ गया।

अब मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ गया था क्योंकि उसकी योनि से जिस प्रकार से खून बाहर की तरफ निकाल रहा था उससे मेरी गर्मी और भी ज्यादा बढ़ रही थी। मेरे अंदर की गर्मी अब इस कदर बढ़ गई कि मैं बिल्कुल भी रहा नहीं पा रहा था मैं उसे इतनी तीव्र गति से चोद रहा था कि मैंने उसकी चूत के अंदर बाहर लंड को इतनी तेजी से करना शुरू कर दिया कि मेरा लंड पूरी तरीके से छिलकर बेहाल हो चुका था लेकिन मुझे मजा आ रहा था। शालिनी की चूत मारने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था और उसको भी बहुत आनंद आ रहा था। वह मुझे कहने लगी तुम मुझे ऐसे ही चोदते जाओ मैं उसे जोरदार तरीके से धक्के मार रहा था जिस तेज गति से मैं उसे चोद रहा था उस से उसका शरीर पूरी तरीके से हिल रहा था और मेरे शरीर से अब इतना ज्यादा पसीना छूटने लगा था कि मुझे महसूस होने लगा था मैं उसकी चूत की गर्मी को झेल नहीं पा रहा हूं और ना ही शालिनी मेरे लंड की गर्मी को झेल नही पा रही थी। मैंने शालिनी की चूत में जब अपने माल को गिराया तो वह खुश हो गई और कहने लगी सुनील आई लव यू। जब मैंने उसे चोदकर उसकी चूत की गर्मी को मिटा दिया तो उसने मुझे आई लव यू कहा और मुझे अपना दीवाना बना लिया।
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दो चूत और मेरा लंड


मेरी और संजना की शादी को हुए दो वर्ष हो चुके हैं हम दोनों शादी के बाद कोलकाता आ गए थे कोलकाता में ही मेरी जॉब लग गई थी इसलिए मैं संजना को अपने साथ ले आया था। संजना भी कोलकाता में जॉब करने लगी थी और हम दोनों अपनी जिंदगी अच्छे से एक दूसरे के साथ चला रहे थे सब कुछ ठीक चल रहा था। एक दिन मैं और संजना साथ में बैठे हुए थे संजना मुझसे कहने लगी कि रमन काफी समय हो गया है हम लोग मम्मी पापा से भी नहीं मिले हैं। मैंने संजना को कहा हां यह तो तुम बिल्कुल ठीक कह रही हो काफी समय हो गया है हम लोग पापा मम्मी से भी नहीं मिल पाए। संजना चाहती थी कि हम लोग कुछ दिनों की छुट्टी ले ले और अपने घर बनारस हो आये तो मैंने संजना को कहा कि ठीक है हम लोग कुछ दिनों के लिए बनारस हो आते हैं। हम लोग बनारस जाने की तैयारी करने लगे मैंने ट्रेन की टिकट करवा ली थी संजना ने भी सामान पैक कर लिया था और हम लोग बनारस चले गए।

जब हम लोग बनारस गए तो काफी समय बाद अपने परिवार वालों से मिलकर बहुत अच्छा लग रहा था पापा और मम्मी बड़े खुश थे वह लोग कहने लगे कि बेटा तुम लोगों को घर आए हुए काफी समय हो चुका है। मैंने मम्मी से कहा हां यह तो आप बिल्कुल ठीक कह रही हैं लेकिन इस बीच  ऑफिस में कुछ ज्यादा ही काम हो गया था इसलिए मैं छुट्टी लेकर आ नहीं पाया था लेकिन कुछ दिनों तक हम लोग घर पर ही रहेंगे। मां कहने लगी कि चलो बेटा यह तो अच्छी बात है हम लोग तो कब से इस बारे में सोच रहे थे कि तुम लोग कुछ दिनों के लिए घर आ जाते तो हमें बहुत ही अच्छा लगता। मैं और संजना अपने रूम में चले गए और हम लोग साथ में बैठे हुए थे तो संजना मुझे कहने लगी कि रमन मुझे तुमसे एक बात पूछनी थी। मैंने संजना को कहा कि हां संजना पूछो ना, वह मुझे कहने लगी कि मैं सोच रही हूं की मैं कल पापा और मम्मी से भी मिल लूँ मैंने संजना को कहा ठीक है मैं भी कल तुम्हारे साथ चलूंगा। हम लोग अगले दिन संजना के पापा मम्मी से मिलने के लिए चले गए, हम लोग जब संजना के पापा मम्मी से मिलने के लिए गए तो संजना अपने माता-पिता से मिलकर बहुत ज्यादा खुश थी।

संजना और मैं उस दिन शाम को वहां से घर लौट आए थे जब हम लोग घर लौटे तो उस दिन पापा भी जल्दी अपने दफ्तर से आ गए थे पापा एक सरकारी विभाग में नौकरी करते हैं। उस दिन हम सब लोगों ने साथ में डिनर किया काफी समय बाद मुझे अपने परिवार के साथ अच्छा मौका मिल पा रहा था तो मैं बहुत ज्यादा खुश था। हम लोग घर पर करीब 15 दिनों तक रहे उसके बाद हम लोग वापस कोलकाता लौट आए इन 15 दिनों का कुछ पता ही नहीं चला कितनी जल्दी से समय निकलता चला गया। जब हम लोग कोलकाता पहुंचे तो अगले दिन से मैं और संजना अपने ऑफिस जाने लगे ऑफिस में काम कुछ ज्यादा हो जाने की वजह से मैं देर रात से घर लौट रहा था। यह सिलसिला करीब एक हफ्ते तक चला तो संजना मुझे कहने लगी कि रमन आजकल आप ऑफिस के चलते कुछ ज्यादा ही बिजी रहते हैं। मैंने संजना को कहा कि संजना तुम तो जानती ही हो की ऑफिस में आजकल कितना ज्यादा काम है इसलिए तो मुझे देर हो जाती है। संजना मुझे कहने लगी कल तो आपकी छुट्टी होगी मैंने संजना को कहा कल तो संडे है और कल मेरी छुट्टी है संजना कहने लगी कि क्यों ना कल हम लोग साथ में मूवी देखने के लिए जाए। मैंने संजना को कहा ठीक है कल हम मूवी देखने के लिए जाएंगे और अगले दिन हम दोनों मूवी देखने के लिए चले गए। सुबह के करीब 11:00 बज रहे थे जब हम लोग घर से निकले थे मूवी खत्म हो जाने के बाद हम लोग घर वापस लौट आये जब हम लोग वापस लौटे तो संजना मुझसे कहने लगी कि आज काफी दिनों बाद आपके साथ समय बिता कर अच्छा लगा। मैंने संजना को कहा कि मेरे पास समय नहीं था इस वजह से मैं तुम्हारे साथ कहीं बाहर नहीं जा पा रहा था लेकिन आज मेरी छुट्टी थी तो भला इस मौके को मैं कैसे छोड़ सकता था। संजना मेरी इस बात से खुश थी और अब जल्द ही संजना का बर्थडे आने वाला था। मैं संजना को उसके बर्थडे के लिए गिफ्ट देना चाहता था मैंने संजना के लिए एक रिंग ले ली जो कि मैंने उससे छुपा कर रखी थी। मैंने उसे इस बारे में कुछ बताया नहीं था और जब वह रिंग मैंने उसे दी तो वह खुश हो गई वह मुझे गले लगा कर कहने लगी कि रमन आप मेरा कितना ध्यान रखते हैं। मैंने संजना को कहा कि मैं तुमसे बहुत ज्यादा प्यार करता हूं आखिर तुम्हारी वजह से ही मेरी जिंदगी इतनी बदल पाई है अगर तुम उस वक्त मुझे नहीं कहती कि मुझे कोलकाता जॉब के लिए आ जाना चाहिए तो शायद मैं बनारस में ही कहीं छोटी-मोटी नौकरी कर रहा होता फिर मैंने भी फिर फैसला किया कि मुझे कोलकाता जाना चाहिए यह सब तुम्हारी वजह से ही तो हुआ है।


संजना और मेरे परिवार के बीच पहले से ही काफी घनिष्ठता थी क्योंकि उन लोगों का हमारे घर पर अक्सर आना-जाना होता था। संजना के पापा मेरे पापा के काफी अच्छे दोस्त हैं जब संजना के पापा ने मेरे पापा से इस बारे में बात की तो पापा ने भी मुझसे पूछा और मुझे भी संजना पसंद थी इसलिए मैंने भी रिश्ते के लिए हामी भर दी और हम दोनों की शादी हो गई। मैं अपनी शादीशुदा जिंदगी से बहुत ही खुश हूँ और मेरी जिंदगी में सब कुछ ठीक चल रहा था और संजना भी अपनी जॉब से बड़ी खुश थी। एक दिन जब संजना ने मुझे बताया कि वह कुछ दिनों के लिए दिल्ली जाने वाली है तो मैंने संजना को कहा कि लेकिन दिल्ली तुम्हे क्यों जाना है। संजना कहने लगी कि वहां उसकी कोई ट्रेनिंग होने वाली है जो कि उसके ऑफिस के माध्यम से अरेंज की गई है तो मैंने संजना को कहा कि ठीक है लेकिन तुम वहां से कब लौटोगी। संजना ने मुझे बताया कि उसे वहां से आने में करीब एक हफ्ता लग जाएगा मैंने संजना को कहा ठीक है। मैं संजना को उस दिन एयरपोर्ट तक छोड़ने भी गया और संजना को कहा कि तुम अपना ध्यान रखना संजना कहने लगी हां रमन मैं अपना ध्यान रखूंगी।

संजना दिल्ली जा चुकी थी और मैं कोलकाता में अकेला ही था जब संजना दिल्ली पहुंची तो मैंने उससे फोन पर बात की हम लोगों की फोन पर काफी देर तक बातें हुई और फिर मैंने फोन रख दिया। मेरे पड़ोस में एक लड़की रहने के लिए आई। वह मेरे पड़ोस में रहने के लिए आई थी मैं और निकिता एक दूसरे से बातें करने लगे। निकिता की उम्र यही कोई 25 वर्ष के आसपास रही होगी वह दिखने मे बहुत सुंदर है। वह अपने रिलेशन के टूट जाने की वजह से बहुत ज्यादा उदास थी हम लोगों की बातचीत काफी अच्छी हो चुकी थी यह सिर्फ 2, 3 दिन में ही हुआ था। निकिता ने मुझे अपना सब कुछ मान लिया था मुझे उसके साथ बात करना अच्छा लगता। एक दिन में अपने ऑफिस से लौटा तो निकिता ने मुझे कहा रमन अगर आपको बुरा ना लगे तो आज क्या हम लोग कहीं घूमने के लिए साथ में जा सकते हैं। मैंने निकिता को कहा ठीक है मैंने उसे कहा बस मैं अभी तैयार हो जाता हूं मैं जल्दी से तैयार हो गया उसके बाद हम लोग घूमने के लिए साथ में चले गए। हम लोगों ने उस दिन काफी अच्छा समय साथ बिताया जब हम लोग वापस लौट तो निकिता ने मुझे कहा आज मैं आपके लिए खाना बना लेती हूं। मैंने निकिता को कहा रहने दो लेकिन उसने मुझसे कहा आप आज मेरे साथ ही खाना खा लीजिएगा वैसे भी मैं भी तो अकेली ही हूं। मैंने निकिता को कहा ठीक है हम लोगों ने उस दिन साथ में डिनर किया। निकिता काफी ज्यादा परेशान लग रही थी मैंने उससे कहा तुम्हे अपने रिलेशन को भूलकर आगे बढ़ना चाहिए। वह मुझे कहने लगी मैंने अपने बॉयफ्रेंड के लिए सब कुछ किया ना जाना इतने वर्षों में मैंने उसके लिए क्या कुछ नहीं किया लेकिन उसने मेरे साथ बहुत ज्यादा गलत किया।

मैंने उसे कहा तुम इस बारे में छोडो यह कहते हुए मैंने निकिता को अपनी बाहों में ले लिया। जब मैंने उसे अपनी बाहों में लिया तो वह मुझसे चिपक कर रोने लगी। मैंने उसे कस कर पकड़ लिया था उसके स्तन और मेरी छाती आपस में मिलने लगे थे जिस से कि मेरे अंदर आग लगने लगी। वह मुझे कहने लगी मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रही हूं मैंने निकिता को कहा रहा तो मुझसे भी नहीं जा रहा है बस यह कहते ही हम लोग निकिता के बेडरूम में आ गए और वहां पर जब हम दोनों ने एक दूसरे के साथ संभोग करना शुरू कर दिया तो निकिता को अच्छा लगने लगा। वह मेरे सामने नंगी लेटी थी मेरा लंड उसकी चूत मे घुसा हुआ था मोटा लंड जब उसकी योनि के अंदर बाहर हो रहा था तो उसको बड़ा मजा आ रहा था और मुझे भी बहुत ही अच्छा लग रहा था मेरे अंदर की गर्मी लगातार बढ़ती जा रही थी।

उसके अंदर की भी गर्मी लगातार बढ़ती जा रही थी हम दोनों बिल्कुल भी रह नहीं पा रहे थे वह मुझे कहने लगी मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है। मैंने निकिता को कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह में ले लो उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया तो उसको अच्छा लगने लगा और मुझे भी बड़ा अच्छा लग रहा था। जब निकिता के मुंह के अंदर मैंने अपने माल को गिराया तो कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही साथ में लेट रहे लेकिन फिर निकिता ने अपने पैरों को खोल लिया जब मैंने उसके पैरो को खोल दिया तो मैंने उसकी योनि के अंदर बाहर लंड को करना शुरू किया। मुझे बड़ा मजा आ रहा था वह मेरा साथ देकर बडी ही खुश थी निकिता को मुझसे प्यार हो गया था इसलिए वह मुझसे ज्यादा से ज्यादा मिलने की कोशिश किया करती। मैं पहले से ही शादीशुदा हूं इसलिए मुझे निकिता और संजना के बीच में सब कुछ मैनेज कर के चलना पड़ता लेकिन फिलहाल तो मैं संजना और निकिता दोनों के साथ ही अपनी जिंदगी अच्छे से बिता रहा हूं।
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