ऐसा बिंदास माल देखा ना था


मैं कुछ दिनों पहले अपने मामा जी से मिलने के लिए उनके घर पर गया था मुझे उनसे कुछ जरूरी काम था लेकिन वह उस दिन घर पर नहीं थे फिर मैं वापस घर लौट आया था। मामा जी का फोन मुझे करीब एक हफ्ते बाद आया और वह मुझे कहने लगे कि अजीत बेटा तुम घर पर आए थे मैं उस वक्त अपने किसी जरूरी काम से कहीं गया हुआ था तुम्हारी मम्मी ने मुझे बताया कि तुम घर पर आए थे मैं तुम्हें फोन करने वाला था लेकिन काम की व्यवस्था के चलते मैं भूल गया। मैंने मामा जी से कहा कि मामा जी मैंने अपनी कंपनी से रिजाइन दे दिया है। मामा जी एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर हैं उनकी काफी पहचान है तो उन्होंने मेरी मदद की और कहने लगे कि बेटा तुम मुझे अपना रिज्यूम भेज देना मैं तुम्हारे लिए कहीं और बात कर लेता हूं हालांकि मेरे काम का अनुभव भी करीब 5 वर्ष का था लेकिन उसके बावजूद भी मुझे कहीं अच्छी नौकरी नहीं मिल पा रही थी लेकिन मामा जी के रेफरेंस से मुझे एक कंपनी में अच्छी नौकरी मिल गई और वहां पर मेरी तनख्वाह भी अच्छी थी।

मैं उस कंपनी में काम करने लगा मुझे उस कंपनी में काम करते हुए करीब एक हफ्ता ही हुआ था तो उसी दौरान सुरभि से मेरी मुलाकात हुई। सुरभि और मैंने एक ही दिन ऑफिस ज्वाइन किया था लेकिन हम दोनों की इतनी बातचीत नहीं होती थी। एक दिन मैं दोपहर के वक्त अपने ऑफिस के बाहर ही सिगरेट पी रहा था तभी सुरभि आई और उसने मुझसे कहा कि तुम बहुत कम बात करते हो तो मैंने उसे कहा नहीं ऐसा तो कुछ भी नहीं है। उस दिन के बाद तो सुरभि और मेरे बीच काफी बात शुरू हो गई थी सुरभि को मैं धीरे-धीरे जानने भी लगा था अक्सर हम लोग एक दूसरे के साथ समय बिताया करते थे। एक दिन सुरभि ने मुझे बताया कि उसकी इंगेजमेंट होने वाली है मैं इस बात से बड़ा हैरान था मुझे कुछ समझ ही नहीं आया कि अचानक सुरभि की इंगेजमेंट हो गई और उसने मुझे कुछ बताया भी नहीं। उस दिन हम दोनों कॉफी शॉप में बैठे हुए थे और एक दूसरे से बात कर रहे थे तो मैंने सुरभि से पूछा कि तुम अचानक से इंगेजमेंट करने जा रही हो।

मुझे कुछ समझ नहीं आया मुझे तो लगता था कि सुरभि और मेरे बीच कुछ चल रहा है और मैं कुछ दिनों बाद सुरभि को प्रपोज करने वाला था लेकिन उससे पहले ही सुरभि ने मुझे यह बात बता कर मेरा दिल तोड़ दिया था। मैंने सुरभि से इस बारे में पूछा तो उसने मुझे बताया कि वह विक्रम को काफी समय से जानती है। इससे पहले उसने कभी मुझे विक्रम के बारे में कुछ बताया नहीं था विक्रम उसके पापा के दोस्त का लड़का है उस दिन मुझे उसने उसके बारे में सब कुछ बताया और मेरा दिल जैसे बैठ जा गया था। मैं सुरभि से उस दिन ज्यादा बात नहीं कर सका और मैं अपने घर लौट आया था मैं यही सोचता रहा कि क्या मैंने सुरभि को अपने दिल की बात कहने में देर कर दी। ना जाने मेरे मन में कितने ही सवाल दौड़ रहे थे मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर मुझे ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए लेकिन मेरे पास कोई जवाब नहीं था। मैंने भी सब कुछ समय पर छोड़ दिया था कि मुझे क्या करना चाहिए और क्या नहीं लेकिन समय उस वक्त मेरे साथ नहीं था इसलिए सुरभि की इंगेजमेंट हो गई। उसकी इंगेजमेंट में उसने मुझे भी बुलाया था और मैं उसकी इंगेजमेंट में गया भी था हालांकि मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं था लेकिन मैं कुछ कर भी तो नहीं सकता था। यह सुरभि का फैसला था और उसकी मर्जी के बिना मैं कुछ भी नहीं कर सकता था। मैंने यह बात अपने दिल में ही दबा कर रख ली थी किसी को भी मैंने इस बारे में नहीं बताया लेकिन सुरभि के लिए मेरे दिल में आज भी वही आदर और प्यार था। उसकी इंगेजमेंट हो चुकी थी और वह अभी भी मेरे साथ पहले की तरह ही बातें किया करती उसके व्यवहार में कोई भी बदलाव नहीं आया था। मैंने भी उसे कभी इस बात का पता नहीं चलने दिया कि मैं उससे प्यार करता हूं हम दोनों की जिंदगी बिल्कुल अलग रास्ते पर जा चुकी थी और अब सुरभि की शादी भी होने वाली थी। शादी से कुछ दिनों पहले ही उसने ऑफिस से रिजाइन दे दिया था और फिर उसके बाद वह शादी कर चुकी थी। सुरभि मेरी जिंदगी से चली गई और मेरी जिंदगी जैसे वीरान सी हो गई मेरी जिंदगी में कुछ भी नया नहीं था। सुबह के वक्त मैं ऑफिस जाता और शाम को मैं घर लौटता तो मेरे चेहरे पर थकान साफ नजर आती थी मेरे पापा मम्मी मुझे कई बार इस बारे में पूछते भी थे लेकिन मैंने कभी उन्हें कुछ नहीं बताया और ना ही मैं इस बारे में किसी को कुछ बताना चाहता था।


काफी समय बाद मुझे सुरभि का फोन आया उसकी शादी के करीब 3 महीने बाद उसका मुझे फोन आया था वह मुझसे मेरा हालचाल पूछने लगी तो मैंने उसे बताया कि मैं तो ठीक हूं लेकिन तुमने आज मुझे कैसे फोन कर दिया। उसने मुझे बताया कि बस ऐसे ही तुमसे बात करने का मन था तो तुम्हें आज फोन कर लिया। मेरी और सुरभि की बात काफी देर तक हुई और फिर थोड़ी देर बाद मैंने फोन रख दिया। सुरभि के मेरी जिंदगी से चले जाने के बाद मैं अपने आपको काफी अकेला महसूस किया करता मैं ज्यादा किसी के साथ बात नहीं करता था लेकिन एक दिन मैं अपने किसी दोस्त की पार्टी में गया हुआ था वहां पर जब मेरी मुलाकात गरिमा से हुई तो मुझे ऐसा लगा जैसे गरिमा को मैं कई सालों से जानता हूं। गरिमा बडी बिंदास है उसने मुझे अपनी और पूरी तरीके से आकर्षित कर लिया था वह मुझे बहुत पसंद आने लगी थी मैं उससे बात करता मैं जैसे अपनी सारी तकलीफ भूल जाता।

गरिमा इतनी बिंदास थी कि उसे किसी भी चीज का कोई फर्क नहीं पड़ता उस दिन के बाद मै गरिमा का दीवाना हो गया मैं उससे बातें करने लगा हम दोनों की बातें होने लगी थी और हम दोनों एक दूसरे को मिलने लगे थे। वह रिलेशन में बिलीव नहीं करती और उसके साथ भी पहले ऐसे ही धोखा हो चुका था। मैंने उसे कहा मैं बहुत ज्यादा परेशान हूं तो उसने मुझे कहा तुम चिंता मत करो मैं तुम्हारी सारी परेशानी को दूर कर दूंगी। एक दिन उसने मुझे कहा चलो आज कहीं चलते हैं हम लोग साथ में ही थे लेकिन वह चाहती थी कि हम लोग साथ में रुके। मैंने होटल में रूम ले लिया हम दोनों साथ में रूके गरिमा मेरे साथ ही थी मैं अपने आप को कैसे रोक सकता था मै उसको चोदने के लिए तैयार था। मैं उसकी चूत मारना चाहता था वह भी मेरी बाहों में आने के लिए बहुत ज्यादा बेताब थी।  अब हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे अब हम दोनों एक दूसरे को चुम्मा चाटी करते रहे हम दोनों की आग बढ़ने लगी थी। मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रहा था वह भी अब रह नही पा रही थी। वह मुझे कहने लगी चलो मेरी चूत चाटो मैने उसके कपडे उतारे उसकी चूत से पानी बाहर बाहर निकल रहा था वह बहुत ज्यादा तड़प रह थी। उसने मेरे लंड को बाहर निकाल लिया उसने मेरे लंड को बाहर निकालकर हिलाना शुरू किया वह मेरे लंड को देखकर बोली तुम्हारा लंड तो बहुत ही ज्यादा मोटा है। उसने बहुत देर तक लंड हिलाया फिर उसने अपने मुंह में लंड ले लिया उसने मेरे लंड से पानी निकाल दिया था हम दोनो एक दूसरे के हो चुके थे उसकी चूत से पानी बाहर निकालने लगा था। मैंने अब उसके बूब्स को अपने हाथों से दबाना शुरू किया जब मैं ऐसा करता तो मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था और उसे भी बड़ा मजा आ रहा था उसके निप्पल खडे होने लगे थे। मेरे अंदर का ज्वालामुखी फूटने वाला था उसे इतना मजा आने लगा था वह मुझे कहने लगी मुझे अब तुम्हारे लंड की तडप होने लगी है।

मैने उसकी चूत को देखा तो उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था जब मैंने उस पर अपनी उंगली का स्पर्श किया तो वह सिसकिया लेने लगी मैंने धीरे से अपनी उंगली को उसकी चूत मे डालने की कोशिश की तो वह उछल पड़ी अब मेरी उंगली उसकी चूत मे चली गई मै उसकी चूत मे अंदर बाहर करने लगा। उसकी चूत ने आग छोडना शुरु कर दिया मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया था मैं जब उसकी योनि को चाट रहा था तो मुझे बड़ा मजा आ रहा था। उसे भी बहुत ज्यादा मजा आने लगा था वह उत्तेजित होने लगी थी वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही मजा आ रहा है तुम ऐसे ही मेरी चूत को चाटकर अपना बना लो। मै उसके लिए तडपने लगा था मैं भी अपने आपको रोक नहीं पाया। मैंने जैसे ही उसकी चूत के अंदर अपने लंड को डाला तो वह जोर से चिल्लाई वह चिल्लाते हुए बोली तुमने मेरी चूत फाड दी उसको बड़ा ही मजा आ रहा था और मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था।

मैंने उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करना शुरू कर दिया था जिससे कि मुझे बहुत ज्यादा मजा आने लगा था वह उत्तेजित होने लगी थी। वह चाहती थी मै और जोर से उसे चोदू मैंने उसके दोनों पैरों को आपस में मिला लिया उसके पैरों को आपस में मिलाने के बाद मै उसको तेजी से चोद रहा था उससे वह उत्तेजित होती जा रही थी। मेरा माल गिर जाने के बाद उसकी चूतडो को मैंने अपनी तरफ किया उसकी चूत के अंदर मैंने अपने लंड को डाला। उसकी चूतड़ों पर मैं प्रहार करता तो उसकी चूतड़ों का रंग लाल होने लगा था मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा था। मुझे ऐसा लगता बस उसको चोदता जाऊ मै उसकी चूत का मजा लिए जा रहा था अब मेरा माल गिरने को था मैंने अपने माल को उसकी चूत पर गिरा दिया। मेरा माल उसकी चूत मे गिर तो मै बहुत खुश था मै सब भूलकर उसके साथ लेटा था।
Share:

मुझे देखकर सलवार ऊपर कर ली


हर रोज की तरह मैं अपनी दुकान से घर लौटा था उस दिन रात के करीब 10:00 बज रहे थे मुझे दुकान से आने में लेट हो गई थी मेरी पत्नी मेरा इंतजार कर रही थी वह मुझे कहने लगी कि आज आप दुकान से काफी देर में आ रहे है। मैंने उसे कहा कि हां मुझे आने में देर हो गई थी वह मुझे कहने लगे कि चलिये आप हाथ मुंह धो लीजिए मैं आपके लिए खाना लगा देती हूँ। मैंने अपनी पत्नी मेघना से पूछा कि क्या तुमने खाना खा लिया है तो मेघना ने कहा कि नहीं मैंने भी अभी खाना नहीं खाया है। मैंने मेघना को कहा क्या तुमने बच्चों को खाना खिला दिया था तो मेघना कहने लगी कि हां बच्चों को तो मैंने खाना खिला दिया था लेकिन मैंने अभी तक खाना नहीं खाया है। मैंने मेघना को कहा कि जाओ तुम मां को भी बुला लो मेघना कहने लगी हां मैं मां को बुला लेती हूं आप हाथ मुंह

धो लीजिए। मैं बाथरूम में चला गया और हाथ मुंह धो कर वापस डाइनिंग टेबल पर आया मैं डाइनिंग टेबल पर बैठा हुआ था और मां भी मेरे पास आकर बैठी। मां मुझे कहने लगी मनोज बेटा आज तुम काफी देर से आ रहे हो तो मैंने मां को कहा हां मां दुकान में कुछ ज्यादा काम था इसलिए आने में देर हो गई। हम दोनों बात कर रहे थे तभी मेघना खाना ले आई उसके बाद हम लोगों ने खाना खाया। खाना खाते खाते मां ने मुझे कहा कि बेटा मैं तुम्हारी मौसी के घर जयपुर जा रही हूं तुम मेरी ट्रेन की टिकट बुक करवा देना मैंने मां से कहा ठीक है मां मैं आपकी ट्रेन की टिकट बुक करवा दूंगा लेकिन आप कब जाने वाली हैं। वह मुझे कहने लगे कि बस दो-चार दिन में तुम मेरी टिकट करवा देना उसके बाद मैं तुम्हारी मौसी से मिल आती हूं मैंने मां से कहा ठीक है मां मैं कल ही आपकी टिकट करवा देता हूं। मैं और मेघनाथ खाना खाने के बाद साथ में बैठे हुए थे तो मेघना ने मुझे बताया कि बच्चों की स्कूल की फीस भरनी है मैंने उसे कहा कि ठीक है कल सुबह मैं तुम्हें पैसे दे दूंगा। मेघना मुझसे कहने लगी कि वह बच्चों की ट्यूशन क्लासेस भी चेंज करना चाहती है तो मैंने उसे कहा मेघना यह तुम देख लो क्योंकि इसके लिए मेरे पास समय नहीं है और तुम तो जानती हो कि मुझे इस बारे में ज्यादा जानकारी भी नहीं है। मेघना मुझे कहने लगी ठीक है मैं इस बारे में खुद ही सोच लूंगी।

अगले दिन मैंने अपनी दुकान के पास ही एक ट्रैवल एजेंट हैं उनसे टिकट बुक करवा ली वह मेरे काफी अच्छे दोस्त हैं उनके साथ कुछ देर तक मैं बैठा भी रहा। मैं शाम को घर लौटा तो मैंने मां को टिकट दी और कहा कि मां मैंने आपकी टिकट दो दिन बाद की टिकट करवा दी है मां कहने लगी कि ठीक है बेटा मैं भी अपना सामान पैक कर लेती हूं। मैंने मेघना से कहा कि मेघना तुम मां की मदद कर देना मेघना कहने लगी हां मनोज मैं मां की मदद कर दूंगी। जिस दिन मां को जयपुर के लिए निकलना था उस दिन मुझे ही मां को रेलवे स्टेशन तक छोड़ने के लिए जाना पड़ा। मैं उस दिन मां को रेलवे स्टेशन छोड़ने के लिए गया और उसके बाद मैं घर लौट आया उस दिन बच्चे घर पर ही थे बच्चों की स्कूल की छुट्टी थी तो मेघना कहने लगी कि मनोज आज आप भी अपने काम से आराम ले लीजिए। मैंने मेघना को को कहा मेघना आज मेरा दुकान में जाना जरूरी है लेकिन फिर भी मैं कोशिश करूंगा कि मैं जल्दी आ जाऊं तो मेघना कहने लगी ठीक है। उसके बाद मैं अपनी दुकान में चला गया और मेघना घर पर ही थी मेघना का दोपहर के वक्त मुझे फोन आया और वह मुझसे कहने लगी कि मनोज क्या आप घर आ रहे हैं तो मैंने मेघना को कहा कि नहीं मेरा घर आना मुश्किल हो पाएगा। मेघना कहने लगी कि मैं अपनी सहेली के घर जा रही हूं मैंने मेघना को कहा ठीक है तुम अपनी सहेली के घर चली जाओ और मेघना उस दिन अपनी सहेली के घर चली गई। मुझे दुकान से आने में काफी देर हो गई थी मेघना मेरा इंतजार कर रही थी, हम लोगों ने साथ में खाना खाया तो खाना खाते खाते मेघना मुझसे कहने लगी कि क्या आपकी मां से बात हो गई थी। मैंने मेघना को बताया कि हां मैंने मां को फोन कर लिया था वह जयपुर पहुंच चुकी थी। मैंने मेघना को कहा तुम अपनी सहेली के घर गई थी तो मेघना कहने लगी कि हां आज मैं अपनी सहेली के घर गई थी और उस दिन मेघना और मैं खाना खाने के बाद अपने घर की छत में चले गए और वहां पर कुछ देर हम लोग बैठे रहे। मौसम काफी अच्छा था और तेज हवाएं चल रही थी मेघना कहने लगी कि मौसम कितना अच्छा है तो मैंने मेघना को कहा हां मौसम तो आज बहुत ही अच्छा है। मेघना मुझसे कहने लगी कि उसकी छोटी बहन आकांक्षा कुछ दिनों के लिए हमारे पास रहने के लिए आने वाली है तो मैंने मेघना से कहा कि आकांक्षा तो अपनी पढ़ाई पूरी कर चुकी है।


मेघना मुझे कहने लगी कि हां आकांक्षा की पढ़ाई हो चुकी है उसकी जॉब यही दिल्ली में लग गई है और वह ऑफिस ज्वाइन करने वाली है इसीलिए वह कुछ दिन हमारे साथ रहना चाहती है। मैंने मेघना को कहा हां मेघना इसमें मुझे क्या आपत्ति है लेकिन आकांक्षा कब आ रही है तो मेघना ने बताया कि आकांक्षा कुछ दिनों में आ जाएगी। हम दोनों काफी देर तक एक दूसरे से बात करते रहे फिर हम दोनों छत से नीचे आ गए और हम लोग उसके बाद सोने की तैयारी करने लगे। अगले दिन सुबह मुझे जल्दी अपनी दुकान के लिए निकलना था तो मैं सुबह जल्दी उठ गया था मेघना भी बच्चों को तैयार कर रही थी तो मेघना ने मुझे कहा कि मैं आपके लिए नाश्ता तैयार कर देती हूं। मैंने मेघना को कहा ठीक है तुम मेरे लिए नाश्ता बना दो। मेघना ने मेरे लिए नाश्ता बनाया और फिर मैं अपनी दुकान के लिए निकल पड़ा हर रोज की तरह दुकान से मैं देर को घर लौटा। रोज के तरह में घर लौटा उस दिन भी मुझे लौटने में काफी ज्यादा देर हो गई थी थोड़े ही दिनों बाद आकांक्षा भी घर पर आ गई।

जब आकांक्षा घर पर आई तो वह अपना ऑफिस ज्वाइन कर चुकी थी उसकी कुछ दिनों की ऑफिस में ट्रेनिंग की थी। एक रात मेघना और मैं अपने कमरे में थे उस दिन मेरा मन मेघना को चोदने का होने लगा था मै उसे चोद रहा था मेघना की सिसकियां सुनकर शायद आकांक्षा भी बाहर गई थी वह दरवाजे पर ही खड़ी थी मैंने उसे देख लिया था। वह हम दोनों को देखकर काफी ज्यादा उत्तेजित हो गई थी उसके बाद वह अपने कमरे में चली गई जब मैंने मेघना को पूरी तरीके से संतुष्ट कर दिया था तो मैं मेघना के सो जाने के बाद आकांक्षा के कमरे में चला गया मैंने देखा वह सलवार को नीचे किए हुए अपनी पैंटी को उतार कर अपनी चूत में उंगली कर रही थी। यह सब देखकर मेरा मन उसे चोदने का होने लगा लेकिन वह मुझे देखते ही घबरा गई थी वह चुपचाप बैठ गई मैं आकांक्षा के पास गया और उससे कहा यह सब जवानी में होता है। वह अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पाई और मेरे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए बेताब थी मैंने जैसे ही उसकी जांघ पर हाथ रखा तो उसके बाद वह मेरी बाहों में आ गई। अब वह मेरे साथ सेक्स करने के लिए उत्तेजित हो चुकी थी हम दोनों एक ही बिस्तर में लेटे हुए थे। मै आंकाक्षा के होंठो को चूमने लगा अब हम दोनों की गर्मी बढ़ने लगी थी हम दोनो अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रहा थे वह तो बहुत ज्यादा तडप रही थी। उसकी सलवार को उतारकर मैने उसकी पैंटी को उतारा उसक चूत से पानी बाहर निकल रहा था वह बहुत ज्यादा तड़पने लगी थी। मैंने भी अपने लंड को बाहर निकाल लिया जब मैंने अपने लंड को बाहर निकालकर हिलाना शुरू किया तो वह मेरे लंड को देखकर बोली जीजा जी आपका लंड बहुत ही ज्यादा मोटा है। उसने अब मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया। उसकी चूत से बहुत पानी बाहर निकालने लगा था वह उत्तेजित हो गई थी।

मैंने उसके सूट को उतारकर उसकी ब्रा को खोला और उसके बूब्स को अपने हाथों से दबाना शुरू किया। जब मैं ऐसा करता तो मुझे बहुत अच्छा महसूस होता और उसे भी बड़ा मजा आ रहा था। मै उसके स्तनो का रसपान करने लगा कुछ देर बाद मैने उसकी चूत को देखा तो उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। मैंने उसकी चूत पर अपनी उंगली का स्पर्श किया वह मचलने लगी। जब मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया तो मैं उसकी योनि को चाट रहा था तो मुझे बड़ा मजा आ रहा था और उसे भी बहुत ज्यादा मजा आने लगा था वह उत्तेजित होने लगी थी।

मुझे बहुत ही मजा आ रहा है मैंने उसे कहा मेरे अंदर की आग अब बढ़ने लगी है जब मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को धकेलते हुए डाला तो वह जोर से चिल्लाई वह मुझे कहने लगी मेरी चूत से खून निकल गया। मैंने देखा उसकी चूत से खून बह रहा था उसको बड़ा ही मजा आ रहा था अब मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करना शुरू कर दिया था जिससे कि मुझे बहुत ज्यादा मजा आने लगा था वह पूरी तरीके से उत्तेजित होने लगी थी। उसने मुझे अपने पैरो के बीच मे जकड लिया मै उसे चोद रहा था उससे वह और भी ज्यादा उत्तेजित होती जा रही थी। उसकी चूत पर जब मैं प्रहार करता तो मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा था काफी देर तक मैंने उसके साथ संभोग का मजा लिया। जब उसकी चूत ने मेरे अंडकोषो से माल को चूसना शुरु किया तो मैंने अपने माल को उसकी चूत मे गिरा दिया। मेरा माल उसकी चूत मे गिर चुका था अब हम दोनों एक दूसरे की बाहों में लेट चुके थे कुछ देर बाद मै मेघना के पास चला गया।
Share:

चोदकर माहौल बन गया


राघव और मैं हमारे ऑफिस के कैंटीन में बैठे हुए थे हम लोग उस वक्त लंच कर रहे थे मैंने राघव से पूछा राघव सब कुछ ठीक तो चल रहा है तो वह मुझे कहने लगा कि सोहन तुम्हें क्या बताऊं कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। वह बहुत ज्यादा परेशान नजर आ रहा था मैंने उससे उसकी परेशानी का कारण पूछा लेकिन उसने मुझे कुछ नहीं बताया परन्तु जब मैंने उसे दो-तीन बार इस बारे में पूछा तो आखिर उसे मुझे बताना हीं पड़ा। वह कहने लगा कि आज कल मेरी पत्नी के साथ मेरी बिल्कुल भी बन नहीं रही है और हम दोनों के अक्सर झगड़े होने लगे हैं कई बार तो मुझे लगता है कि मुझे उसे डिवोर्स दे देना चाहिए। मैंने राघव से कहा लेकिन तुम्हारे झगड़े की वजह क्या है तो राघव मुझे बताने लगा कि उसके और उसकी पत्नी के झगड़े की वजह का कारण उसकी पत्नी का उस पर शक करना है। मैंने राघव को कहा लेकिन तुम तो बहुत ही नेक इंसान हो तो तुम्हारी पत्नी तुम पर शक क्यों करती है।

राघव कहने लगा इस बारे में तो मुझे भी नहीं पता की आखिर वह मुझ पर शक क्यों करती है हमारी शादी को आज 5 वर्ष हो चुके हैं और मैंने कभी भी अपनी पत्नी पर शक नहीं किया लेकिन मेरी पत्नी अक्सर मुझ पर शक करती है और जब भी मैं घर जाता हूं तो वह हमेशा मुझसे झगड़ती हैं। मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या वजह क्या है लेकिन मेरे और राघव के बीच बहुत अच्छी दोस्ती है तो मैंने राघव को कहा कि चलो मैं तुम्हारी मदद करता हूं। मैंने एक दिन राघव की पत्नी से इस बारे में बात की उसकी पत्नी ने मुझे कुछ नहीं बताया मुझे लगा कि राघव को अपनी पत्नी से डिवोर्स ले लेना चाहिए आखिर उसकी पत्नी और उसके बीच कुछ ठीक भी तो नहीं चल रहा था और जल्द ही राघव ने उससे डिवोर्स लेने का फैसला कर लिया था। हालांकि राघव की पत्नी उसे डिवोर्स नहीं देना चाहती थी लेकिन उन दोनों का कोर्ट में काफी लंबे समय तक केस चला और अभी कुछ दिनों पहले ही उन दोनों का डिवोर्स हुआ है। राघव और मैं एक दिन हमारे ऑफिस में काम कर रहे थे उस दिन राघव मुझे कहने लगा कि आज मुझे तुमसे कुछ बात करनी है तो मैंने उसे कहा ठीक है हम लोग जब ऑफिस के बाद फ्री हो जाएंगे तो हम लोग बात कर लेंगे। जब हम लोग ऑफिस के बाद फ्री हुए तो उस दिन राघव ने मुझे बताया कि उसके मामा जी ने उसके लिए एक लड़की देखी है।

मैंने राघव से कहा से कहा कि तो उसमें बुरा क्या है तुम शादी कर लो अब तो तुम्हारा डिवोर्स भी हो चुका है। वह मुझे कहने लगा कि मैं तुमसे इस बारे में कुछ बात करना चाहता हूं तो मैंने उसे कहा कि हां कहो ना। वह मुझसे कहने लगा कि क्या मुझे शादी करनी चाहिए? मैंने उसे कहा की हां तुम्हें बिल्कुल शादी करनी चाहिए। राघव कहने लगा मुझे अब शादी क्यो करनी चाहिए क्या इसका जवाब तुम्हारे पास है तो मैंने उसे कहा इसका जवाब तो मेरे पास नही है लेकिन तुम्हे दोबारा से अपनी जिंदगी शुरू करनी चाहिए। राघव अब शादी के लिए तैयार हो चुका था और राघव की जल्द ही शादी हो गई उन लोगों ने कोर्ट मैरिज की थी। मैंने अभी तक शादी नहीं की थी और मैं भी अब शादी के लिए लड़की देख रहा था मेरे परिवार वालों ने ना जाने मेरे लिए कितनी ही लड़कियां देखी लेकिन मुझे कोई लड़की समझ ही नहीं आ रही थी। एक दिन मेरे मामा जी ने मेरे लिए एक लड़की का रिश्ता भिजवाया वह लोग लखनऊ में रहते हैं। जब उन्होंने वह रिश्ता भिजवाया तो मेरी मां को तो लड़की पहली ही नजर में पसंद आ गई थी और मां ने मुझे जब उसकी तस्वीर दिखाई तो मुझे लड़की बहुत ही अच्छी लगी। हम लोग उनके घर जाने वाले थे तो मुझे भी कुछ दिनों के लिए अपने ऑफिस से छुट्टी लेनी थी मैंने अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली और अब हम लोग लखनऊ चले गए। हम लोग लखनऊ गए तो मैंने जब पहली बार सरिता को देखा तो मुझे सरिता से मिलकर बहुत ही अच्छा लगा हम लोगों ने आपस में बात भी की। सरिता और  मेरे रिश्ते को लेकर हमारे परिवार वाले भी तैयार हो चुके थे सरिता और मेरी जल्दी सगाई होने वाली थी हम लोगों की सगाई दिल्ली में होने वाली थी। दिल्ली में जब हम दोनों की सगाई हो गई तो उसके बाद एक दिन मैं और सरिता फोन पर बात कर रहे थे सरिता मुझे कहने लगी कि वह शादी के बाद जॉब करना चाहती है। मैंने सरिता को कहा कि इसमें मुझे कोई दिक्कत नहीं है यदि तुम्हें लगता है कि तुम्हें जॉब करनी चाहिए तो तुम जॉब कर सकती हो, मैंने सरिता से उस दिन काफी देर तक बात की।


मेरी शादी की तैयारियां शुरू हो चुकी थी और शादी के कार्ड भी हमने अपने रिश्तेदार को भिजवा दिए थे और अब जल्द ही मेरी शादी होने वाली थी। मैंने अपने दोस्तों को भी अपनी शादी में बुलाया था हम दोनों की शादी दिल्ली में ही होने वाली थी और हम लोगों ने सारा अरेंजमेंट दिल्ली में ही किया हुआ था। कुछ ही दिनों में मेरी और सरिता की शादी हो गई सरिता मेरी पत्नी बन चुकी थी और मैं बहुत खुश था क्योंकि मैं जैसी पत्नी चाहता था सरिता बिल्कुल उसी के अनुरूप थी। हम दोनों अब एक दूसरे के हो चुके थे शादी की पहली रात तो मैं सरिता के साथ बड़े अच्छे से बिताना चाहता था। सरिता कमरे में मेरा इंतजार कर रही थी सुहागरात की पहली रात जब मैं और सरिता एक दूसरे के साथ बैठे हुए थे तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया। सरिता मुझसे बात करने लगी वह मुझसे खुलकर बात कर रही थी मैं सरिता की तरफ देख रहा था कुछ देर तक मैंने उससे बात की करीब 1 घंटे तक हम दोनों एक दूसरे से बात करते रहे फिर जब मैंने कमरे की बत्ती बुझा दी तो वह मेरी बाहों में आने लगी थी।

मैं भी उसे महसूस करने लगा था मैंने उसके बदन को महसूस किया और उसके होंठों को मैं बड़े अच्छे से चूमने लगा था मैं उसके होठों को जिस प्रकार से चूम रहा था उससे मुझे बड़ा मजा आ रहा था वह बहुत ज्यादा उत्तेजित होती जा रही थी उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी थी मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था वह भी बिल्कुल नहीं रह पा रही थी। हम दोनों एक दूसरे के लिए बहुत ज्यादा तड़पने लगे थे मैंने उसे कहा मुझे तुम्हारी चूत के अंदर अपने लंड को डालना पड़ेगा तो वह मुस्कुराने लगी। मैंने उसके कपड़े उतारकर उसक ब्रा को खोल दिया उसके स्तनों को जब मैंने अपने हाथों से दबाया तो वह तड़पने लगी थी।  उसकी उत्तेजना बहुत ज्यादा बढने लगी थी मैंने उसके स्तनों को अपने मुंह में ले लिया था मैं उसके स्तनो को बड़े अच्छे से चूसने लगा मैने उसके स्तनों का पूरी तरीके से चूसा वह बहुत ही ज्यादा गरम हो चुकी थी। मैंने अब अपने लंड को बाहर निकाला जब मै उसकी चूत पर लंड को रगडता तो उसे मज़ा आने लगा जब मेरे लंड से पानी बाहर आ गया तो मेरा लंड पूरी तरीके से गर्म हो चुका था। उसकी चूत से पानी बाहर निकलने लगा था उसकी योनि से इस कदर पानी निकाल रहा था कि मैं बिल्कुल भी अपने आपको रोक नहीं पाया मैंने अपने लंड को उसकी चूत के अंदर धीरे-धीरे धकेलना शुरू किया मेरे लंड उसकी चूत के अंदर चला गया जब मेरा लंड उसकी चूत को फाडता हुआ अंदर की तरफ गया तो वह बहुत जोर से चिल्लाई और मुझे कहने लगी मेरी चूत से खून निकल आया है उसकी योनि से बहुत ज्यादा खून निकलने लगा था। वह बहुत ज्यादा तड़पने लगी थी उसने मुझे अपने पैरों के बीच में कस कर जकड़ लिया था मैं उसके स्तनों को दबा रहा था मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। मैंने उसके स्तनों को बहुत देर तक चूसा अब मेरी गर्मी इतनी ज्यादा बढ़ चुकी थी कि मैंने उसे कहा मुझे तुम्हें चोदना में बड़ा मजा आ रहा है।

उसकी चूत से अब कुछ ज्यादा ही खून बाहर निकलने लगा था मुझे उसको धक्के मारने में बड़ा आनंद आता। मेरा लंड भी बहुत ज्यादा मोटा होने लगा था जल्दी ही मेरा वीर्य बाहर की तरफ गिर गया जैसे ही मेरा माल बाहर गिरा तो मैंने अपने लंड को साफ़ किया और उसकी चूत को मैंने साफ किया मैंने दोबारा उसकी चूत मे लंड लगाया उसकी चूत से अभी भी वीर्य बाहर की तरफ निकल रहा था उसकी चूत से निकलता हुआ वीर्य कुछ अधिक होने लगा था मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। जब मैं उसको धक्के मार रहा था तो मैंने उसके दोनों पैरों को अपने हाथों से पकड़ लिया था मैंने उसकी मोटी जांघ को कसकर पकड़ा हुआ था मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

उसकी चूत और मेरे लंड की टक्कर से जो गर्मी पैदा होती वह एक अलग माहौल पैदा कर रही थी उससे मुझे मजा आता कुछ देर बाद मैंने उसे बिस्तर पर उल्टा लेटा दिया। जब मैंने उसे उल्टा लेटाया तो उसकी चूत के अंदर बाहर में लंड को करने लगा उसकी चूत के अंदर बाहर मेरे अपने लंड हो रहा था तो मुझे बहुत मजा आ रहा था और वह मेरा साथ बड़े ही अच्छे से दे रही थी उसकी चूतड़ों को मैंने पूरी तरीके से मसल कर रख दिया था। उसकी चूतड़ों पर मैं जिस प्रकार से प्रहार करता उससे एक अलग ही आवाज पैदा होती और मुझे ऐसा लगता जैसे बस में उसे चोदता जाऊ। मैंने उसे बहुत देर तक ऐसे ही चोदा जब मुझे एहसास होने लगा कि मैं ज्यादा समय तक अपने आपको रोक नहीं पाऊंगा तो मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी चूत में वीर्य गिराने जा रहा हूं और उसकी चूत के अंदर मैंने अपने वीर्य को गिराकर अपनी पहली रात को सफल बना दिया। हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत ज्यादा खुश थे सरिता मेरा बहुत ही ध्यान रखती है वह मेरा हर एक जरूरतों को ध्यान रखती है सेक्स को लेकर तो मुझे कभी कमी होने ही नहीं देती।
Share:

मेरा लंड पहली दफा चूत की गहराई मे खो गया


मेरे पापा स्कूल में अध्यापक हैं और वह चाहते हैं कि मैं हमेशा अपनी पढ़ाई में ध्यान दूँ इसलिए मैं बचपन से ही पढ़ने में अच्छा था और मैं अपनी पढ़ाई में हमेशा ही ध्यान देता। मैं अपनी क्लास में हमेशा ही अव्वल लाता था इसमें कहीं ना कहीं मेरे पापा का बहुत बड़ा योगदान रहा है। मैंने अब कॉलेज में एडमिशन ले लिया था यह मेरा पहला ही दिन था जब मैं कॉलेज में एडमिशन ले कर अपनी पहली क्लास अटेंड कर रहा था मेरे लिए सब कुछ नया था। मुझे पहले दिन अपनी क्लास का पता नहीं था तो मैंने कुछ बच्चों से पूछा, मुझे नहीं मालूम था कि वह हमारे सीनियर हैं और उन्होंने मुझे दूसरी क्लास में ही भेज दिया। वहां पर उस दिन सर ने मुझे डांटा और कहा कि क्या तुम्हें अपनी क्लास नहीं पता लेकिन मुझे वाकई में अपनी क्लास नहीं पता थी। उसके बाद मैंने एक लड़की से पूछा वह लडक़ी दिखने में बहुत ही अच्छी थी मैंने जब उससे पूछा तो वह मुझे कहने लगी कि मैं भी आज कॉलेज में पहली बार ही आ रही हूं।

मैंने उसे बताया कि क्या तुम भी फर्स्ट ईयर में हो तो उसने मुझे कहा कि हां मैं भी फर्स्ट ईयर में हूं। मुझे नहीं पता था कि पायल हमारी ही क्लास में है पायल से मेरी पहली बार बात हुई तो उससे बात कर के मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। पायल से बात करना मुझे अच्छा लगा और अब हम दोनों साथ में ही अपनी क्लास ढूंढने लगे आखिरकार हम दोनों को अपनी क्लास मिल ही गई। उसके बाद हम दोनों अपनी क्लास में चले गए और हम दोनों क्लास में बैठे थे तो मैं पायल की तरफ देख रहा था और वह मेरी तरफ देख रही थी। मैंने आज से पहले कभी किसी लड़की की तरफ नहीं देखा था लेकिन यह पहली बार था जब मैं किसी लड़की को ऐसे देख रहा था शायद मुझे पायल अच्छी लगने लगी थी इसलिए मैं उसे देख रहा था। वह मुझे देखकर बार-बार मुस्कुरा रही थी लेकिन अभी सिर्फ हम लोगों की यह पहली मुलाकात थी और पहली बार ही हम दोनों ने एक दूसरे से बात की थी। उसके बाद से मैं और पायल एक दूसरे से अक्सर बात करने लगे थे हम दोनों सबसे अलग रहते थे पायल और मैं ज्यादातर समय एक दूसरे के साथ ही रहा करते थे।

मेरी जिंदगी में सब कुछ बहुत ही अच्छे से चल रहा था और मैं बहुत ही खुश भी था। मैं पढ़ने में अच्छा था इसलिए पायल अक्सर मुझसे मदद ले लिया करती थी पायल को जब भी किसी चीज की जरूरत होती तो वह मुझे ही कहती और मैं तुरंत उसकी मदद कर दिया करता। पायल को जब भी कुछ समझ नहीं आता तो मैं उसकी हमेशा मदद करता शायद इसीलिए पायल भी मुझे पसंद करने लगी थी और हम दोनों एक दूसरे के साथ कुछ ज्यादा ही समय बिताने लगे थे। जिस दिन पायल कॉलेज नहीं आती उस दिन मुझे बड़ा ही अजीब सा महसूस होता और मुझे लगता कि जैसे कि मेरा दिन आज अधूरा ही रह गया है लेकिन पायल से जब भी मैं बात करता या फिर वह मेरे पास होती तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता, मुझे ऐसा लगता कि जैसे पायल के अलावा मेरी जिंदगी में कुछ और है ही नहीं। मैं बहुत ही खुश हूं और सब कुछ मेरी जिंदगी में अच्छे से चल रहा था। एक दिन पायल ने मुझसे कहा कि आकाश मैं कुछ दिनों के लिए अपने मामा जी के घर जा रही हूं मैंने पायल को कहा कि क्या तुम्हारा पूरा परिवार वहां जा रहा है? वह कहने लगी कि हां हमारा पूरा परिवार जा रहा है और हम लोग वहां से करीब एक महीने बाद लौटेंगे। इस बीच हमारे कॉलेज की भी छुट्टियां थी और हमारे एग्जाम भी खत्म हो चुके थे लेकिन मुझे नहीं पता था कि एक महीना मेरे ऊपर बहुत भारी पड़ने वाला है। मैं पायल का इंतजार करता रहा उससे मैंने फोन पर भी बात करने की कोशिश की थी लेकिन पायल से फोन पर मेरी बात हो ही नहीं पा रही थी क्योंकि वह अपने मामा जी के घर पर थी शायद इसी वजह से उससे मेरी बात नहीं हो पा रही थी। मैंने कोशिश भी की कि मेरी बात पायल से हो लेकिन पायल से मेरी बात हो नहीं पाई थी। एक दिन पायल का मुझे मैसेज आया और वह कहने लगी कि आकाश मैं तुमसे शाम के वक्त फोन पर बात करती हूं मैंने पायल को मैसेज में रिप्लाई किया ठीक है मैं तुम्हारे फोन का इंतजार करूंगा।


मेरा और किसी भी चीज में मन नहीं लग रहा था मैं सिर्फ पायल के फोन का इंतजार कर रहा था कि पायल का फोन कब आएगा। जब पायल का फोन मुझे आया तो मैंने पायल को कहा पायल तुम कहां हो मैं कब से तुम्हारे फोन का इंतजार कर रहा हूं और एक तुम हो कि मुझे फोन ही नहीं कर रही हो। पायल कहने लगी कि आकाश मुझे पता है लेकिन तुम तो जानते हो कि मैं मामाजी के घर आई हूं और मेरे साथ मेरे मामा जी की लड़की काजल भी रहती है इसलिए मुझे समय नहीं मिल पा रहा था। मैंने पायल को कहा तुम्हें पता है मैं तुमसे बात करने के लिए कितना ज्यादा पागल हो रहा था लेकिन तुम्हें तो जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता। पहली बार ही पायल से मैं इस तरीके से बात कर रहा था लेकिन शायद वह मेरे अंदर से बात निकल रही थी। पायल ने भी कुछ देर मुझसे बात की तो मुझे बहुत अच्छा लगा और फिर पायल ने फोन रख दिया। पायल ने फोन रख दिया था और उसके कुछ दिन बाद पायल वापस लौट आई थी पायल और मैं जिस दिन मिले तो उस दिन मैं बहुत ही ज्यादा खुश था और पायल भी बहुत खुश थी। पायल मुझे कहने लगी कि आकाश मुझे पता है कि मैंने तुमसे इतने दिनों से बात नहीं की थी लेकिन मुझे भी लगा था कि मुझे तुमसे बात करनी चाहिए पर किसी कारण से मेरी तुम से बात नहीं हो पाई थी उसके लिए मैं तुमसे माफी मांगना चाहती हूं।

मैंने पायल को कहा कोई बात नहीं और अब पायल और मैं एक दूसरे से काफी देर तक बात करते रहे उसके बाद हम लोग अपने घर चले आए। जब मैं अपने घर आ गया था तो उसके बाद पायल का फोन मुझे आया और वह मुझे कहने लगी कि क्या तुम अपने घर पहुंच चुके हो तो मैंने उसे कहा हां पायल मैं अपने घर पहुंच चुका हूं थोड़ी देर बाद मैंने फोन रख दिया था। पायल और मेरे बीच बहुत ज्यादा नजदीकियां बढ़ चुकी थी एक दिन पायल और मैं मेरे घर पर थे। उस दिन मेरे घर पर कोई भी नहीं था मैंने पायल को घर पर बुला लिया था पायल और में बैठकर टीवी देख रहे थे। टीवी देखते देखते मेरा हाथ पायल की जांघ पर पड़ा और जब मेरा हाथ उसकी जांघ पर पड़ा तो मैं जोश मे आ गया था पायल मेरी तरफ देखने लगी जब मैं उसे देख रहा था तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैंने उसके होठों की तरफ देखा तो मैंने उसके होठों को चूम कर उसे अपनी बाहों में समा लिया वह मेरी बाहों में आ चुकी थी और मेरे लिए वह पूरी तरीके से तड़प रही थी। मैने उसको  किस करके उसकी चूत से पानी बाहर निकल दिया था वह बहुत ज्यादा तड़पने लगी थी। मैंने अपने लंड को बाहर निकाला जब मैंने अपने लंड को बाहर निकालकर हिलाना शुरू किया तो वह मेरे लंड को देखकर कहने लगी तुम्हारा लंड तो बहुत मोटा है। मैंने उसको बोला तुम इसे अपने मुंह में ले लो उसने भी मेरे लंड को झट से अपने मुंह में ले लिया। हम दोनो अब एक दूसरे के हो चुके थे उसकी चूत से पानी बाहर निकालने लगा था मैं पूरी तरीके से मचलने लगा था वह बहुत उत्तेजित हो गई थी। मैंने उसके बदन से कपड़े उतारकर उसके बूब्स को अपने हाथों से दबाना शुरू किया जब मैं ऐसा करता तो मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था और उसे भी बड़ा मजा आ रहा था।

मेरे अंदर की आग बढ़ती ही जा रही थी उसे इतना मजा आने लगा था कि वह मुझे कहने लगी मै अब तुम्हारे लिए तडप रही हूं। मैंने जब उसकी गुलाबी पैंटी को नीचे उतारकर देखा तो उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। जब मैंने उसकी चूत पर अपनी उंगली को लगाया तो वह मचलने लगी मैंने धीरे से अपनी उंगली को उसकी चूत मे डालने की कोशिश की तो वह उछल पड़ी। अब मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया था मैं जब उसकी योनि को चाटता तो मुझे बड़ा मजा आ रहा था और उसे भी बहुत ज्यादा मजा आने लगा था। वह उत्तेजित होने लगी थी और मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही मजा आ रहा है तुम ऐसे ही मेरा साथ देते रहो।

मैंने उसे कहा मेरे अंदर की आग अब बढ़ने लगी है हम दोनों ही एक दूसरे के लिए तडपने लगे थे। मैं अपने आपको ज्यादा देर तक रोक नहीं पाया मैंने उसकी चूत पर लंड को सटाकर अंदर अपने लंड को धकेलते हुए डाला तो वह जोर से चिल्लाई वह मुझे कहने लगी मेरी चूत फट चुकी है उसकी सील टूट गई थी। मैंने देखा उसकी चूत से खून बह रहा था उसको बड़ा ही मजा आ रहा था और मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करना शुरू कर दिया था जिससे कि मुझे बहुत ज्यादा मजा आने लगा था वह भी पूरी तरीके से उत्तेजित होने लगी थी। मैंने उसके दोनों पैरों को आपस में मिला लिया था उसके पैरों को आपस में मिलाने के बाद मुझे मजा आ रहा था उसकी चूत से खून निकलता जा रहा था उससे वह और भी ज्यादा उत्तेजित होती जा रही थी। काफी देर तक मैंने उसके साथ संभोग का मजा लिया अब उसकी चूत मेरे लंड से माल को बाहर निकालने लगी थी। मैंने अपने माल को उसकी चूत पर गिरा दिया मेरा माल उसकी चूत मे गिरा तो वह खुश हो गई थी अब हम दोनो एक दूसरे से बात कर रहे थे।
Share:

रात भर कमरतोड चुदाई का मजा लिया


कॉलेज की पढ़ाई खत्म हो जाने के बाद मैं नौकरी की तलाश में था तो मेरे भैया ने मुझे अपने ऑफिस में ही जॉब लगवा दी थी क्योंकि वह उस ऑफिस में काफी समय से काम कर रहे थे। अब मैं उनके साथ ही हर रोज सुबह ऑफिस जाया करता और उन्हीं के साथ घर वापस लौटता। करीब एक साल तक मैंने उसी कंपनी में जॉब की मुझे 1 साल का एक्सपीरियंस हो चुका था इसलिए मैंने अब वह कंपनी छोड़ दी और मैंने दूसरी कंपनी में जॉब करने की सोची। मुझे दूसरी कंपनी में जॉब भी मिल चुकी थी और मैंने वह जॉइन कर ली कुछ दिनों की ट्रेनिंग के बाद मैं पूरी तरीके से ऑफिस का काम संभालने लगा था। एक दिन शाम के वक्त मैं अपने घर लौटा उस दिन भैया जल्दी लौट आये थे और मैं अपने रूम में चला गया। पापा घर आए तो पापा ने हम दोनों को बुलाया और कहने लगे कि बेटा अब हम लोगों को मीनाक्षी की शादी के लिए कोई लड़का देख लेना चाहिए।

पापा कभी भी कोई बात होती तो हम लोगों से पहले पूछा करते थे पापा ने मुझे जब इस बारे में पूछा तो मैंने पापा को कहा कि पापा आपको जैसा ठीक लगता है। उसके बाद पापा ने भी मीनाक्षी के लिए लड़का देखना शुरू कर दिया था और जल्द ही एक लड़का मिल भी गया। जब वह लड़का मिला तो उसके साथ मीनाक्षी की शादी तय हो गई मीनाक्षी को भी वह लड़का पसंद था। दोनों परिवारों की रजामंदी से हम लोगों ने शादी करवाने का फैसला कर लिया था और जल्द ही मीनाक्षी और निखिल की शादी तय हो गई। मीनाक्षी की निखिल से शादी हो जाने के बाद मीनाक्षी अपने ससुराल चली गई थी जिस वजह से घर में मुझे कई बार काफी अकेला महसूस हुआ करता था। जब घर में मीनाक्षी थी तो मैं उससे बात कर लिया करता था लेकिन अब मीनाक्षी की शादी हो जाने के बाद मैं घर में काफी ज्यादा अकेला महसूस किया करता हूं। मेरे ऑफिस में सुरेश जॉब करता है सुरेश ने मुझे कहा कि आकाश चलो कहीं घूमने का प्लान बनाते है। मैं भी उसकी बात मान गया और हम लोगों ने अब घूमने के बारे में सोचा हम लोगों ने अपने ऑफिस से तीन दिन की छुट्टी ले ली थी और हम लोग घूमने के लिए मनाली चले गए।

मनाली में जब हम लोग गए तो वहां पर मुझे बहुत ही अच्छा लगा और सुरेश भी काफी खुश था। कुछ ही दिनों में हम लोग मनाली से वापस लौट आए थे मनाली में दो-तीन दिन रुकने के बाद जब हम लोग दिल्ली वापस लौटे तो दिल्ली में बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था फिर से वही भागदौड़ भरी जिंदगी शुरू हो गई थी। हम लोग सुबह के वक्त अपने ऑफिस जाते और शाम के वक्त ऑफिस से लौटते जिंदगी में कुछ भी नया नहीं हो रहा था। एक दिन मैंने अपने दोस्त सुरेश को कहा कि चलो आज शाम को हम लोग ऑफिस के बाद मूवी देखने के लिए चलते हैं तो वह कहने लगा ठीक है। जब हम लोग अपने ऑफिस से फ्री हुये तो उसके बाद हम लोग मूवी देखने के लिए चले गए हमारे ऑफिस के पास ही एक मॉल है हम लोग उसमें मूवी देखने के लिए गए क्योंकि मूवी का टाइम 7:00 बजे था तो हम लोगों को थोड़ा इंतजार करना पड़ा। हम लोग बैठे हुए थे जैसे ही शो शुरू होने वाला था तो हम लोग थिएटर में चले गए और हम लोग जब थिएटर में गए तो वहां पर मेरी बगल वाली सीट में एक लड़की बैठी हुई थी उसके साथ उसकी फ्रेंड भी आई हुई थी। जिस तरीके से वह लोग बात कर रहे थे उससे तो यही लग रहा था कि वह लोग कॉलेज में पढ़ते हैं। मैं और सुरेश मूवी देख रहे थे लेकिन वह लोग काफी शोर कर रहे थे मैंने उन्हें कुछ नहीं कहा लेकिन जब मैंने ध्यान से उस लड़की के चेहरे की तरफ देखा तो मुझे वह बहुत अच्छी लगी मुझे नहीं मालूम था कि शायद मेरी किस्मत इतनी अच्छी होगी कि वह भी मुझसे बात कर लेगी। उस लड़की ने भी मुझसे बात कर ली उसने जब मुझसे बात की तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा। हम दोनों एक दूसरे से बात कर रहे थे और हम दोनों को एक दूसरे से बात करना अच्छा लग रहा था हम दोनों ने एक दूसरे के नंबर भी एक्सचेंज कर लिए थे। मुझे बिल्कुल पता नहीं था कि गरिमा और मेरी बात इतनी आगे बढ़ जाएगी हम लोग एक दूसरे को मिलने भी लगे थे और एक दूसरे को हम लोग डेट भी करने लगे थे। मैं जब भी गरिमा से मिलता तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता और उसे भी बहुत अच्छा लगता था।


गरिमा की कॉलेज की पढ़ाई अब खत्म होने वाली थी हम लोगों को मिले हुए करीब 6 महीने होने वाले थे इन 6 महीनों में गरिमा और मैं एक दूसरे के काफी नजदीक आ गए थे। गरिमा ने मुझे बताया कि उसके पापा मम्मी दोनों ही जॉब करते हैं इसलिए उसे कभी उसके मम्मी पापा से प्यार मिला ही नहीं। मैं गरिमा को पसंद करने लगा था और मैं चाहता था कि गरिमा को मैं प्रपोज करूं और मैंने जब गरिमा को प्रपोज किया तो वह खुश हो गई। उसके बाद हम दोनों का रिलेशन चलने लगा हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और मुझे बहुत ही अच्छा लगता है जब मैं गरिमा से बात करता हूं। मैं और करीमा एक दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश किया करते, मुझे बहुत ही अच्छा लगता जब मैं गरिमा के साथ समय बिताया करता। एक दिन मुझे गरिमा ने कहा कि चलो आकाश आज कहीं घूमने के लिए चलते हैं तो मैंने उसे कहा ठीक है और उस दिन मैं अपने ऑफिस से फ्री होने के बाद गरिमा के साथ चला गया।

हम दोनों साथ में ही थे और मैं गरिमा के साथ काफी अच्छा समय बिता रहा था। उस दिन हम दोनों को साथ में काफी देर हो गई थी मैंने गरिमा को कहा गरिमा अब हम लोगों को घर चलना चाहिए। गरिमा चाहती थी कि मैं उसके साथ समय बिताऊं मैंने उसे कहा गरिमा अब काफी देर हो चुकी है परंतु गरिमा ने जब मुझे कहा मुझे तुम्हारे साथ समय बिताना है मैंने उसे कहा ठीक है और उस दिन गरिमा ने मुझे अपने साथ अपने घर पर चलने के लिए कहा उसने मुझे बताया कि उसके पापा मम्मी आज अपने किसी फ्रेंड के घर पर ही रुकने वाले हैं। वह घर पर अकेली थी उस दिन उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए उसने मुझे अपने साथ रुकने के लिए कहा मैं भी मान गया। मै उसके साथ उसके घर पर ही रुका मैं इस बात से बहुत ज्यादा खुश था कि मैं गरिमा के साथ रुकने वाला हूं हम दोनों के बीच में सेक्स संबध बन गया हम दोनों दो जवान बदन थे हम दोनों एक दूसरे की बाहों में आ चुके थे वह मेरे होठों को किस कर रही थी मुझे बहुत अच्छा लग रहा जब मैं उसको किस कर रहा था मेरे अंदर की गरमाहट में बढ़ोतरी होती जा रही थी। हम दोनों एक दूसरे को किस कर रहे थे बहुत देर तक हम दोनों एक दूसरे को चुम्मा चाटी करते रहे। अब हम दोनों की आग बढ़ने लगी थी मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रहा था वह भी रह नही पा रही थी। मैंने उसको कहा मुझे बहुत ज्यादा मजा आ रहा है वह मुझे कहने लगी अच्छा तो मुझे भी बहुत लग रहा है मैने गरिमा की चूत से पानी बाहर निकल दिया था वह बहुत ज्यादा तड़पने लगी थी। मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया था जब मैंने अपने लंड को बाहर निकालकर हिलाना शुरू किया तो वह मेरे लंड को देखकर कहने लगी तुम्हारा लंड तो बहुत ही ज्यादा मोटा है। उसने अपने हाथ को आगे बढाया और मेरे लंड को कुछ देर हिलाने के बाद उसने झट से उसे अपने मुंह में ले लिया उसने मेरे लंड से चूसकर पानी बाहर निकाल दिया। उसकी भी चूत से पानी बाहर निकालने लगा था मैं पूरी तरीके से मचलने लगा था वह उत्तेजित हो गई थी।

मैंने गरिमा के बदन से कपड़े उतारकर उसके स्तनो को अपने हाथों से दबाना शुरू किया। जब मैं ऐसा कर रहा था तो मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था और उसे भी बड़ा मजा आ रहा था। मेरे अंदर की आग अब बढ़ती जा रही थी उसको मजा आने लगा था वह मेरे लंड को चूत में लेना चाहती थी। मैंने जब उसकी पिंक पैंटी को उतारकर उसकी चिकनी चूत को देखा उसकी गुलाबी चूत पर एक भी बाल नहीं था मैंने उसकी चूत पर अपनी उंगली का स्पर्श किया तो वह मचलने लगी। मैंने धीरे से अपनी उंगली को उसकी चूत मे डालने की कोशिश की तो वह उछल पड़ी। मैंने अब उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया था मैं जब उसकी योनि को चाट रहा था तो मुझे बहुत मजा आ रहा था उसको भी बहुत ज्यादा मजा आने लगा था वह उत्तेजित होने लगी थी। मेरे अंदर की गरमाहट अब बढ़ने लगी है हम दोनों ही एक दूसरे के लिए तडपने लगे थे मैं अपने आपको ज्यादा देर तक रोक नहीं पाया।

मैंने जब गरिमा की चूत के अंदर अपने लंड को थूक लगाते हुए डाला तो वह जोर से चिल्लाई उसकी चूत से खून निकल रहा था उसको बड़ा मजा आ रहा था और मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करना शुरू कर दिया था वह पूरी तरीके से उत्तेजित होने लगी थी। मैंने उसके दोनों पैरों को ऊपर उठा लिया था उसके पैरों को आपस में मिलाने के बाद जिस प्रकार से मै उसको चोद रहा था उससे उत्तेजित होती जा रही थी। उसकी चूतड़ों को मैंने अपनी तरफ किया और उसको घोडी बनाया उसकी चूत के अंदर मैंने अपने लंड को घुसेडा उसकी चूतड़ों पर जब मैं प्रहार करता तो उसकी चूतड़ों का रंग लाल होने लगा था और मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा था काफी देर तक मैंने उसके साथ संभोग का मजा लिया। उसकी चूत से पानी निकलने लगा था मेरा माल भी गिरने वाला था मैंने अपने माल को उसकी चूत मे गिरा दिया मेरा माल गरिमा की चूत मे गिर तो वह खुश हो गई थी। रात भर कमरतोड चुदाई करने के बाद मे थक कर चूर हो गया था।

Share:

लंड के लिए तडप ऊठी


मेरी और संजना की मुलाकात हमारे फैमिली फ्रेंड के घर पर हुई थी जब मैं संजना से पहली बार मिला तो मुझे उससे मिलकर बहुत ही अच्छा लगा। संजना से मेरी मुलाकात मेरे भैया ने करवाई थी और यह हम दोनों की पहली ही मुलाकात थी लेकिन उस दिन संजना की बातों ने मुझ पर काफी गहरी छाप छोड़ी थी जिसके बाद मैं संजना से बात करना चाहता था। हालांकि उसका कोई कांटेक्ट नंबर या फिर कोई भी जानकारी मेरे पास नहीं थी लेकिन जब मैंने संजना को फेसबुक के माध्यम से ढूंढने की कोशिश की तो उसका फेसबुक प्रोफाइल मुझे मिल गया और मैंने उसे फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी। मैं उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज चुका था और उसके बाद जब मैं और संजना एक दूसरे से बात करते तो हम दोनों को ही अच्छा लगता। मैं और संजना एक दूसरे के साथ बहुत ही खुश थे हम दोनों की एक दूसरे से फोन पर काफी बातें होने लगी थी।

हम दोनों को बात करते हुए करीब 3 महीने बीत चुके थे लेकिन उसी बीच एक दिन संजना ने मुझे कहा कि रोहित मुझे तुमसे मिलना है। हम दोनों के बीच सिर्फ दोस्ती थी लेकिन मैं चाहता था कि हम दोनों की दोस्ती प्यार में तब्दील हो जाए लेकिन उससे पहले ही संजना ने मुझे जब यह बात बताई तो मुझे बहुत ही बुरा सा महसूस हुआ। मैं संजना को उस दिन मिलने के लिए गया मै जब संजना को मिलने के लिए गया तो मुझे नहीं मालूम था कि संजना उस दिन मुझे कुछ बुरी खबर सुनाने वाली है। उस दिन संजना ने मुझे कहा कि वह जॉब करने के लिए मैं बैंगलुरु जा रही है मैंने उसे कहा कि लेकिन तुम्हें जॉब करने के लिए बेंगलुरु जाने की जरूरत क्या है। वह मुझे कहने लगी कि दरअसल मेरा बेंगलुरु की कंपनी में सिलेक्शन हो चुका है और मुझे वहां पर अच्छी सैलरी भी मिल रही है। मैंने संजना को कहा तुम यहां रहकर भी तो जॉब कर सकती हो तो संजना कहने लगी कि नहीं रोहित मैं चाहती हूं कि मैं बेंगलुरु चली जाऊं। मैं इस बात से बहुत ज्यादा दुखी था और मैं यह सोच रहा था कि अगर संजना मुझसे दूर चली गई तो मुझे बहुत ही बुरा लगेगा। मैंने जब संजना को जाने से मना किया तो वह मेरी बात नहीं मान रही थी वह चाहती थी कि वह किसी भी तरीके से बेंगलुरु चली जाए।

उस दिन मेरा संजना से बिल्कुल भी बात करने का मन नहीं था लेकिन फिर भी हम लोग काफी देर तक साथ में बैठे रहे। संजना ने मुझसे कहा कि रोहित अब मैं चलती हूं और फिर वह घर चली गई मैं भी अपने घर लौट आया था लेकिन मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था मेरा मन उस दिन किसी से बात करने का नहीं था। मेरी मां ने मुझे कहा कि रोहित बेटा तुम खाना खा लो तो मैंने उन्हें कहा कि नहीं मां मेरा आज खाना खाने का बिल्कुल भी मन नहीं है मैंने उन्हें मना कर दिया था। उस रात मुझे नींद भी नही आ रही थी और ना ही मैंने उस दिन खाना खाया था मैं और संजना एक दूसरे को हर रोज मिला करते थे लेकिन अब संजना बेंगलुरु जाने वाली थी। उसने मुझे बताया कि रोहित मैं कल बैंगलुरु जा रही हूं तो मुझे बहुत ही बुरा लगा मैं उसे कुछ कह ना सका और वह अगले दिन बेंगलुरु चली गई। संजना के बेंगलुरु चले जाने के बाद मैं काफी ज्यादा दुखी हो गया था कुछ दिनों तक तो मेरा बिल्कुल मन नहीं लग रहा था और ना ही मेरा किसी भी काम में मन लग रहा था। करीब एक हफ्ता हो चुका था मैंने संजना को फोन भी नही किया था और ना हीं उसका मुझे कोई फोन आया था लेकिन मैं चाहता था कि मैं उससे बात करूं। मैंने उस दिन जब उसको फोन किया तो संजना ने मेरा फोन उठाया और मुझसे कहने लगी कि रोहित तुम मुझे आज काफी दिनों बाद फोन कर रहे हो। मैंने संजना को कहा कि तुमने भी तो मुझे फोन नहीं किया मैं भी तुम्हारे फोन का इंतजार कर रहा था वह मुझे कहने लगी कि मैं तो अपने काम में बिजी थी इसलिए मैं तुम्हें फोन नहीं कर पाई यहां पर मुझे सब कुछ खुद ही देखना है। मैंने संजना को कहा कि चलो कोई बात नहीं मैंने उससे कहा कि तुमने अपना ऑफिस ज्वाइन कर लिया होगा तो वह कहने लगी कि हां मैंने अपना ऑफिस ज्वाइन कर लिया है और अब ऑफिस में मेरे कुछ दोस्त भी बन गए है।


संजना और मैं अब हम दोनों एक दूसरे से सिर्फ फोन पर ही बात कर सकते थे मैं चाहता था कि संजना पुणे वापस आ जाए लेकिन संजना अभी तक वापस नहीं आई थी और वह बेंगलुरु में ही थी। हम दोनों की सिर्फ फोन पर ही ज्यादातर बातें होती थी। जब एक दिन संजना ने मुझे बताया कि वह अपने मम्मी पापा से मिलने के लिए आ रही है तो मैं बहुत ही खुश हुआ मैंने सोचा कि चलो इस बहाने संजना से मुलाकात तो हो जाएगी। काफी महीना हो गए थे जब से मैंने संजना को देखा भी नहीं था और ना हीं मेरी उससे बैठकर कोई बात हुई थी अब संजना जल्दी पुणे आने वाली थी। जब संजना पुणे आई तो मैं और संजना एक दूसरे से मिले मैं संजना से काफी महीनों बाद मिल रहा था तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा मैं चाहता था कि संजना कुछ दिनों तक पुणे में ही रहे। संजना ने मुझे कहा कि रोहित मुझे तुमसे कहना कुछ कहना है, मुझे नहीं मालूम था कि संजना मुझसे क्या कहना चाहती है लेकिन जब संजना ने मुझसे अपने दिल की बात कही तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि संजना मुझे प्रपोज करेगी। मैंने उसके बाद संजना को कहा कि तुम यही पुणे में ही जॉब क्यो नहीं कर लेती लेकिन संजना ने कहा कि नहीं मैं बेंगलुरु में ही जॉब करूंगी।

कुछ दिनों तक वह घर पर ही रुकने वाली थी इसलिए हम लोग हर रोज मिला करते थे मैंने संजना को कई बार इस बारे में समझाने की कोशिश भी की लेकिन वह मेरी बात मानने को बिल्कुल भी तैयार नहीं थी और वह कुछ दिनों बाद बेंगलुरु जाने वाली थी। हम दोनों एक दिन साथ में बैठे हुए थे उस दिन संजना और मैं एक दूसरे से बात कर रहे थे उसने मुझे कहा रोहित में कुछ दिनो बाद बेंगलुरु चली जाऊंगी। मैंने उसे कहा क्या तुम कुछ दिनों के लिए यहां रुक नहीं सकती वह कहने लगी तुम तो जानते ही हो मैंने ऑफिस से करीब 15 दिनों की छुट्टी ली है और अब 15 दिन भी खत्म होने वाले हैं। मैंने उसे कहा फिर भी तुम कुछ दिन और रुक जाओ वह कहने लगी ठीक है मैं कोशिश करती हूं उस दिन हम दोनों साथ में बैठे थे तो उस दिन मैंने उसका हाथ पकड़ते हुए उसे एक रिंग पहना दी। वह बहुत ही खुश हुई उसने मुझे गले लगा लिया जब उसने ऐसा किया तो मैंने उसे कहा मैं तुमसे बहुत ही ज्यादा प्यार करता हूं। वह बहुत ही ज्यादा खुश हो गई थी उस दिन वह मेरे साथ कुछ समय बिताना चाहती थी हम दोनों की रजामंदी से हम दोनों होटल मे चले गए होटल के कमरे में जब हम लोग थे तो मैं और संजना एक दूसरे से बात कर रहे थे बातें कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी थी मैंने उसकी जांघों को सहलाना शुरू कर दिया था उसके बाद तो जैसे हम दोनों की गर्मी बढने लगी। मैने उसके बदन को महसूस करना शुरू किया तो मुझे अच्छा लगने लगा। वह अब मेरी गोद में आकर बैठ गई उसने मेरे अंदर की आग को और भी बढा दिया मैंने उसकी गर्मी को पूरी तरीके से बढ़ाकर रख दिया था। वह मुझसे अपनी चूत मरवाने के लिए तड़प रही थी मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी चूत मारने के लिए तैयार हूं। मैंने अब उसके कपड़े उतारने शुरू किए मैने उसकी पैंटी ब्रा को भी उतार दिया मैं उसके बदन को बड़े अच्छे तरीके से महसूस करने लगा था और उसके होठों को मैं चूमने लगा था। उसके होठों को चूमकर मेरे अंदर की गर्मी बढ़ने लगी थी मुझे बहुत मजा आने लगा था मैं जिस प्रकार से उसके होठों को चूम रहा था उससे मेरे अंदर की आग इतनी ज्यादा बढ़ चुकी थी कि मैं उसकी चूत मारने के लिए तैयार था मैंने उसके बदन को महसूस करना शुरू कर दिया था।

वह भी मेरे लंड को अपने मुंह में लेना चाहती थी उसने मेरे लंड को बाहर निकालकर उसे अपने मुंह में लेने के लिए अपने हाथ को आगे बढ़ाया। वह मेरे लंड को अपने हाथों से हिला रही थी उसको बड़ा मजा आ रहा था और मुझे भी बहुत ही अच्छा महसूस होने लगा था। अब वह मेरे लंड को अपने मुंह मे ले चुकी थी मैंने उसे कहा तुम मेरे लंड को ऐसे ही चूसती रहो मेरे लंड को वह अपने मुंह के अंदर लेकर अच्छे से चूसती तो मुझे बहुत मजा आने लगा था। मेरे अंदर की आग अब बढ़ने लगी थी मै उसकी चूत को चाटने लगा जब मैं उसकी चूत को चाटता तो मुझे मजा आने लगा था और मेरे अंदर की गर्मी बहुत बढ़ने लगी थी उसकी चूत से निकलता हुआ लावा पूरी तरीके से बढ़ चुका था।

मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी चूत के अंदर अपने लंड को डालना चाहता हूं मैंने अपने लंड को उसकी चूत के अंदर डाल दिया। मेरा लंड उसकी चूत को फाडता हुआ अंदर चला गया उसकी चूत से खून निकल रहा था मुझे बहुत अच्छा लग रहा था वह जिस प्रकार से मुझे अपने दोनों पैरों के बीच में जकडने की कोशिश कर रही थी। मै उसको तेजी से चोद रहा था मैंने उसके पैरों को अपने कंधों पर रख लिया उसको चोदकर मजा आ रहा था कुछ देर की चुदाई का आनंद लेने के बाद मेरा माल बाहर गिर गया था जब मेरा माल गिरा तो हम लोग कुछ देर बैठे रहे फिर वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसती तो वह अच्छे से मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी। मैंने उसको घोडी बना दिया घोड़ी बनाने के बाद जब मैंने उसकी चूत मे लंड डाला तो मै उसे चोदने लगा मुझे मजा आने लगा था। उसको चोदकर मुझे इतना मजा आने लगा था कि मैं एक पल भी अब रह नहीं पा रहा था मैंने उसे बड़ी तेज गति से चोदना शुरू किया मेरा लंड पूरी तरीके से छिल चुका था। उसका बदन गर्म होने लगा था मैंने उसको तेजी से चोदा जब मे अपने वीर्य को उसकी चूत के अंदर गिराया तो वह खुश हो गई। उसके कुछ दिनो बाद वह बैंगलोर चली गई।
Share:

शादी के बाद चुदाई का मजा


मेरी जॉब को लगे हुए सिर्फ 15 दिन ही हुए थे और इन 15 दिनों में ऑफिस में मेरी काफी अच्छी बातचीत हो गई थी। एक दिन मैं अपने ऑफिस से घर लौट रहा था तो उस दिन मेरी मां का मुझे फोन आया और वह कहने लगी कि राजवीर बेटा जब तुम घर आओगे तो आते हुए मेरे लिए सर दर्द की दवाई ले आना। मैंने मां से कहा मां आपकी तबीयत तो ठीक है ना तो माँ कहने लगी बस बेटा सर में काफी तेज दर्द हो रहा था तो सोचा कि तुम्हें फोन कर के दवाई मंगवा लूं। मैंने मां से कहा ठीक है मां मैं बस आधे घंटे में घर पहुंच जाऊंगा और मैं आधे घंटे बाद जब घर पहुंचा तो मैंने मां को दवाई दी और मां को दवाई देने के बाद मैंने उन्हें कहा कि मां आप आराम कर लीजिए। मैंने मां को कहा कि मैं आज बाहर से ही खाना मंगवा लेता हूं मां कहने लगी कि नहीं बेटा मैं खाना बना दूंगी लेकिन मैंने उस दिन बाहर से ही खाना ऑर्डर करवा दिया था। घर पर मां और मैं ही थे पापा का ट्रांसफर कुछ समय पहले ही बेंगलुरु में हो चुका है इसलिए पापा बेंगलुरु में रहते हैं और वह पिछले महीने ही घर आए थे।

मैंने बाहर से खाना ऑर्डर करवा लिया था मां की तबीयत ज्यादा खराब थी इसलिए मैंने अकेले ही खाना खाया और उसके बाद मैं अपने कमरे में लेट गया। मैं अपने रूम में लेटा हुआ था तो मेरे दोस्त का मुझे फोन आया और उस दिन मेरे दोस्त से मेरी काफी देर तक फोन पर बात हुई। थोड़ी देर बाद मैंने फोन रख दिया था और अगले दिन मुझे ऑफिस के लिए जल्दी जाना था तो मैं ऑफिस के लिए जल्दी निकल चुका था। मैं जब ऑफिस पहुंचा तो उस दिन मैंने देखा कि हमारे ऑफिस में एक नई लड़की आई हुई है। मैं उसे देख रहा था कि तभी उसने मुझसे हाथ मिलाया और कहा कि मेरा नाम संजना है, संजना के इस अंदाज से मैं काफी प्रभावित हुआ। मैंने भी उससे हाथ मिलाकर कहा मेरा नाम राजवीर है वह मुझे कहने लगी कि राजवीर इससे पहले भी मैंने तुम्हें कहीं देखा है। जब उसने मुझे कहा कि हम लोग इससे पहले भी एक बार मिले थे तो मैंने संजना से कहा कि शायद हम लोग मेरे दोस्त की पार्टी में मिले थे। संजना कहने लगी हां हम लोग तुम्हारे दोस्त की पार्टी में मिले थे और उस पार्टी में मैं अपनी सहेली के साथ आई हुई थी।

संजना और मेरी काफी बनने लगी थी और हम दोनों के बीच काफी अच्छी बातचीत भी हो गई थी हम दोनों साथ में ही घर आया करते और ज्यादातर मैं ही संजना को उसके घर पर छोड़ा करता। एक दिन मैं संजना को अपनी मोटरसाइकिल में उसके घर छोड़ने गया जब मैं उसे छोड़ कर वापस लौट रहा था तो थोड़ी दूरी पर ही मेरा एक्सीडेंट हो गया। जब मेरा एक्सीडेंट हुआ तो मुझे काफी ज्यादा चोट आई जिस वजह से मुझे अस्पताल में एडमिट होना पड़ा और जब यह बात संजना को पता चली तो संजना उस दिन हॉस्पिटल में मुझसे मिलने के लिए आई। वह मुझसे मिलने के लिए हॉस्पिटल में आई तो संजना उस वक्त मेरे साथ ही बैठी हुई थी और मुझसे बात कर रही थी तभी पापा और मम्मी भी आ गए। मैंने उन लोगों को संजना से मिलवाया, वह लोग संजना से मिले तो उन्हें संजना काफी पसंद आई संजना के हॉस्पिटल से चले जाने के बाद मां ने मुझे कहा बेटा संजना बहुत ही अच्छी लड़की है। मैं मां के कहने का मतलब समझ चुका था मैंने मां से कहा मां संजना और मैं अच्छे दोस्त है मैंने इससे आगे कभी भी संजना के बारे में कुछ नहीं सोचा। मां कहने लगी कि बेटा फिर भी तुम एक बार इस बारे में सोच कर जरूर देखना मैंने मां से कहा ठीक है। जब मैं ठीक होने लगा था मैंने अब ऑफिस ज्वाइन कर लिया था। जब मैंने ऑफिस ज्वाइन कर लिया था तो संजना भी खुश थी। जब संजना और मैं एक दूसरे से मिलते तो हम दोनों को ही बहुत अच्छा लगता। एक दिन मैं और संजना साथ में बैठे हुए थे उस दिन हम लोग हमारे ऑफिस की कैंटीन में साथ में बैठे हुए थे तो संजना से मैंने कहा कि तुम मुझे अच्छी लगने लगी हो। संजना मुझे कहने लगी कि लेकिन राजवीर मैंने कभी भी तुम्हारे बारे में ऐसा नहीं सोचा, मैंने संजना को कहा कि मुझे भी पहले ऐसा ही लगता था लेकिन अब मुझे लगने लगा है कि मैं तुम्हें पसंद करने लगा हूं।


संजना भी अब इस बात को समझ चुकी थी और उसने मुझे कहा कि मुझे मालूम है कि तुम मुझे प्यार करते हो। अब हम दोनों के बीच प्यार पनपने लगा था और हम दोनों का प्यार बहुत बढ़ने लगा था जिस वजह से मैं और संजना एक दूसरे के साथ समय बिताते। हम दोनों एक दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश किया करते ताकि हम एक दूसरे को जान सके। कभी कबार हम दोनों के बीच किसी बात को लेकर अनबन हो जाया करती थी लेकिन फिर कुछ समय बाद हम लोगों के बीच सब कुछ ठीक हो जाता था। यह बात मेरे पापा मम्मी को भी पता चल चुकी थी कि मेरे और संजना के बीच में अफेयर चलने लगा है इस बात से उन लोगों ने मुझे कहा कि तुम लोगों को शादी कर लेनी चाहिए। संजना का भी मेरे घर पर अक्सर आना-जाना रहता था इसलिए संजना और मैं अब एक दूसरे से शादी करना चाहते थे। इस बात से अब किसी को भी कोई एतराज नहीं था ना ही मेरे परिवार वालों को और ना ही संजना को इसलिए हम दोनों ने जल्दी शादी करने का फैसला किया उसके बाद हम दोनों की शादी हो गई। जब हम दोनों की शादी हो गई तो मैं और संजना एक दूसरे के साथ काफी खुश थे हम दोनों एक दूसरे के साथ अच्छे से रह रहे थे। हमारी शादी को अभी एक महीना ही हुआ था लेकिन हम दोनों को समय नहीं मिल पाया था इसलिए हम लोग घूमने के लिए शिमला चले गए।

हम दोनों शिमला चले गए वहा पर बहुत ठण्ड थी मौसम बहुत ही सुहना था| संजना और मैं एक रूम मैं थे और हम दोनों पुरे रोमांटिक मूड में थे। संजना दिखने में बड़ी सुंदर है उसका गोरा बदन मुझे अपनी और खींच रहा था। मैं संजना के बदन को महसूस करने लगा संजना के स्तनों पर मेरा हाथ गया तो मैं उसके स्तनों को बड़े अच्छे से दबाने लगा मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आने लगा था। जब मैं उसके स्तनों को अपने हाथों से दबाकर उत्तेजित करने की कोशिश करता। कहीं ना कहीं वह उत्तेजीत हो गई थी मैंने संजना के कपड़े उतारने शुरू कर दिए। मैं उसके बदन को सहलाने लगा संजना कहने लगी मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा हूं। मैंने अब संजना के स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया उसके निप्पलो को मैं जिस तरह से चूस रहा था उससे मुझे बहुत ही मजा आ रहा था और वह पूरी तरीके से उत्तेजित होने लगी थी। मैंने संजना के पैरों को खोला मैंने संजना की चूत को चाटना शुरू किया तो मुझे मजा आने लगा। उसकी चूत को चाटकर मेरे अंदर की गर्मी बढ़ने लगी थी। मैंने अब अपने कपड़े उतार दिए और संजना के मुंह के सामने अपने लंड को तो उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर उसे चूसने लगी। जब संजना मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसती तो मुझे बड़ा ही मजा आ जाता। उसे बहुत आनंद आने लगा था। वह उत्तेजित हो रही थी मैंने उसके अंदर की आग को बढ़ा दिया था। वह मेरी आग को इतना ज्यादा बढ़ा दिया था कि मैं अब एक पल भी रहना मुश्किल हो गया था। संजना पैर खोल कर लेटी थी उसकी चूत मेरे सामने थी। मैंने संजना की चूत पर अपनी उंगली को लगा कर उसकी गर्मी को बढ़ा दिया था। वह गरम हो चुकी थी मैंने अपने लंड को संजना की चूत पर लगा दिया और अंदर की तरफ अपने लंड को डालना शुरू किया जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत के अंदर की तरफ जाने लगा तो मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा। वह कहने लगी मेरे अंदर की आग बढ़ती जा रही है।

मेरे अंदर की गर्मी अब बढ़ने लगी थी मुझे मजा आने लगा था मैंने संजना के दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया। जब मैंने ऐसा किया तो मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैं संजना की चूत के अंदर बाहर अपने लंड को कर रहा था मैंने काफी देर तक उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को किया मुझे मजा आने लगा। संजना मुझे कहने लगी मेरे अंदर कि गर्मी बढती जा रही है। मैंने संजना को कहा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है तुम ऐसे ही मेरा साथ देती जाओ। वह मेरा साथ बड़े अच्छे से दे रही थी और वह सिसकिया ले रही थी। उसने मेरे बदन को पूरी तरीके से गर्म कर दिया था मेरा माल जल्दी ही बाहर आ गया। जब मेरा माल गिर गया तो मैंने अपने लंड को संजना की चूत से बहार निकला। संजना की चूत अभी भी गरम थी वह मुझसे और भी चुदना कहते थी।

मैंने संजना को उल्टा लेटा दिया। जब मैंने उसकी चूत मैं लंड को डाला तो वह मजे में आ गयी। मैंने संजना की चूत के अन्दर बहार लंड को तेजी से किया मुझे मजा आ रहा था। उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करन ऐसा लग था जैसे बस मैं लंड को अन्दर बहार करता रहू। मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था और मै संजना को भी मजा आ रहा था। संजना की चूत का मजा लेकर मैंने उसको पूरी तरीके से गर्म कर दिया था। मैंने उसको संजना को बहुत देर तक चोदा वह पूरी तरीके से संतुष्ट हो गई। संजना मुझसे अपनी चूतड़ों को मिलाने की कोशिश करती तो उसकी चूतड़ों से मेरा लंड टकराता और उसकी गांड लाल हो जाती। मैं संजना को बढ़ी तेजी से चोद रहा था। मैंने संजना के हर एक अंग को हिला कर रख दिया था। संजना को भी मजा आया और मुझे भी बहुत मजा आया। हमारा शिमला का टूर बड़ा ही मजेदार था।

Share:

चूत का गजब अंदाज


कॉलेज की पढ़ाई खत्म हो चुकी थी। मैंने अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद अब फैसला किया कि मैं मुंबई जॉब करने के लिए जाऊंगा। मैं किसी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करना चाहता था क्योंकि मैं एक छोटे शहर का रहने वाला हूं इसलिए मेरे सपने भी बहुत बड़े थे। मैं अब मुंबई आ गया मुंबई की भागदौड़ भरी जिंदगी में मैं बहुत ही ज्यादा परेशान रहने लगा थ मेरी जॉब भी नहीं लगी थी और मेरे पास पैसे भी खत्म होने लगे थे। मेरे पिताजी स्कूल में क्लर्क हैं और वह चाहते हैं कि मैं एक अच्छी कंपनी में जॉब करूं इसलिए मैं मुंबई में अपने सपनों को पूरा करने के लिए आ गया। मुंबई में अपने सपनों को पूरा करना इतना आसान नहीं था बड़े शहर में मेरे लिए सब कुछ नया था करीब 3 महीने तक खाली रहने के बाद जब मेरी नौकरी एक मल्टीनेशनल कंपनी में लगी तो मैं काफी खुश था।

मेरी तनख्वाह 25000रू महीना थी। मैंने जब यह बात पापा को बताई तो पापा बहुत ही खुश हो गए, वह कहने लगे शोभित बेटा हमें तुमसे यही उम्मीद थी और हम बहुत ही ज्यादा खुश हैं कि अब तुम अच्छा कमाने लगे हो। मैंने पापा से कहा पापा यह सब आपकी वजह से ही संभव हो पाया है अगर आप मुझे मुंबई नौकरी करने के लिए नहीं भेजते तो शायद यह संभव हो नहीं पाता। उस दिन मम्मी से भी मेरी काफी देर तक बात हुई उस दिन पापा और मम्मी से मैंने बहुत देर तक बात की थी, मैंने फोन रख दिया। मैं हर रोज की तरह सुबह 9:00 बजे घर से निकला जाता। जब मैं अपने ऑफिस पहुंचा तो ऑफिस पहुंचकर मैं अपना काम करने लगा मेरे सीनियर जिनका नाम मनोज है उन्होंने मुझे बताया कि मुझे कुछ दिनों के लिए बेंगलुरु जाना है हमारी कंपनी ने एक नया प्रोडक्ट लांच किया था जिसकी ट्रेनिंग के लिए मुझे बेंगलुरु जाना था। मैंने मनोज सर से पूछा सर मुझे कब जाना है तो वह कहने लगे तुम्हें दो दिनों बाद जाना है। मैंने सर से कहा क्या हमारे ऑफिस से और कोई भी वहां मेरे साथ आने वाला है? वह कहने लगे नहीं तुम वहां अकेले ही जा रहे हो।

अगले दिन मुझे मेरी फ्लाइट की टिकट मिल चुकी थी और मैं अब बेंगलुरु चला गया बेंगलुरु मुझे 10 दिनों तक रुकना था, इन 10 दिनों में मेरे साथ बहुत कुछ ही अच्छा हुआ| मैं जब अपनी ट्रेनिंग के बाद उस दिन अपने होटल वापस लौट रहा था तो जिस होटल में मैं रुका हुआ था उसी होटल में एक लड़की भी रुकी हुई थी मुझे नहीं पता था कि वह वहां पर क्यों आई हुई है पर वह अकेली थी। उसका रूम बिल्कुल मेरे रूम के सामने था पहले तो मेरी उससे बात करने की हिम्मत नहीं हुई और करीब 2 दिनों तक मैंने उससे बात नहीं की लेकिन जब एक दिन मैंने उस लड़की से बात की तो उसने मुझे अपना नाम बताया और कहां मेरा नाम काजल है। मैंने उससे कहा तुम किसी अच्छे घर से लगती हो मैं तुम्हें पिछले 2 दिनों से होटल में देख रहा हूं। काजल ने मुझे कुछ भी नहीं बताया लेकिन मुझे मालूम था काजल कुछ ना कुछ तो मुझसे छुपा रही है हालांकि हम दोनों की बात उस दिन ज्यादा देर तक तो हो नहीं पाई। मैंने काजल को अपने बारे में बताया मैं कुछ दिनों के लिए बेंगलुरु अपने ऑफिस के प्रोडक्ट की ट्रेनिंग के लिए आया हुआ हूं। एक दिन जब मैंने काजल को अपने साथ कॉफी पर चलने के लिए कहा तो वह मान गई वह उस दिन मेरे साथ कॉफी शॉप में आ गई हम दोनों वहां बैठे हुए थे मैं काजल के बारे में जानने के लिए बहुत ही ज्यादा उत्सुक था। मैंने काजल से जब इस बारे में पूछा कि आखिर वह होटल में अकेली क्या कर रही है? काजल ने मुझे उस दिन सारी बात बताई और कहा वह एक लड़के से प्यार करती थी लेकिन उस लड़के ने उसे धोखा दिया और वह उसकी वजह से घर से भाग गई अब वह घर वापस नहीं जा सकती। मैंने काजल को कहा काजल तुम्हें घर वापस चले जाना चाहिए। मैंने काजल को कहा यह बिल्कुल भी ठीक नहीं है मैंने काजल को समझाया और उससे पूछा कि तुम्हारा घर कहां है? उसने मुझे बताया वह चंडीगढ़ के रहने वाली है मैंने अब काजल से कहा तुम घर वापस लौट जाओ। मुझे क्या पता था कि काजल और मेरे बीच में दो-तीन दिनों में ही काफी कुछ ऐसा हो जाएगा जिससे कि मुझे काजल से प्यार हो जाएगा। काजल और मैंने एक दूसरे के साथ में जिंदगी बिताने का फैसला कर लिया।


मुझे काजल पहली ही नजर में भा गई थी मैं चाहता था काजल के साथ में समय बिताऊ और मेरा सपना शायद सच हो गया। काजल मुझसे प्यार करने लगी थी मैंने काजल को अपने साथ चलने के लिए कहा तो काजल कहने लगी मैं चाहती हूं तुम मेरे साथ मेरे घर चलो। मैं और काजल जब काजल के घर चंडीगढ़ गए तो काजल के पापा को लगा शायद मैं ही वह लड़का हूं जो काजल से प्यार करता था जिसकी वजह से वह घर से भागी थी इसलिए उन्होंने मुझे समझाया। मैंने भी उनसे कुछ नहीं कहा क्योंकि मुझे सारी बात तो पता ही थी काजल के पिताजी अब मेरी शादी काजल से करवाने के लिए मान चुके थे। मेरे लिए यह किसी सपने से कम नहीं था कि काजल और मेरी अब शादी होने वाली थी मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि काजल और मेरी शादी हो जाएगी। अब हम दोनों की शादी होने वाली थी और मेरे माता-पिता भी इस बात से बड़े खुश थी। काजल और मैंने कोर्ट मैरिज कर ली। हम दोनों ने कोर्ट मैरिज करने के बाद अपनी जिंदगी मुंबई साथ में बिताने का फैसला किया। काजल मेरे साथ मुंबई आ गए हम दोनों एक दूसरे के साथ मुंबई में ही रहने लगे काजल मेरा बहुत ध्यान रखती। काजल ने भी एक कंपनी में जॉब करने के लिए इंटरव्यू दिया था और वहां पर उसका सिलेक्शन हो गया।

अब हम दोनों ही एक दूसरे का बहुत ही ख्याल रखते और हम दोनों एक दूसरे के साथ बड़े खुश थे। काजल और मेरी शादी को अभी सिर्फ एक महीना ही हुआ था और हम दोनों एक दूसरे के साथ कहीं घूमने के लिए जाना चाहते थे। मैंने काजल से कहा क्यों ना हम लोग घूमने के लिए ले लिए लोनावला जाए। काजल मेरी बात मान गई और हम दोनों घूमने के लिए लोनावला चले गए। मैं और काजल का लोनावला चले गए थे लोनावाला मे मैं और काजल एक दूसरे के साथ अच्छे से समय बिता रहे थे। हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत ही खुश थे मेरी खुशी इतनी बढी हुई थी कि मैंने उस दिन काजल से कहा आज मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। इस बात से काजल बड़ी खुश थी उस दिन शाम के वक्त हम दोनों रूम मे लेटे हुए थे। मैं और काजल एक दूसरे के साथ बातें कर रहे थे काजल भी मेरे इशारे समझ चुकी थी। वह मुझे कहने लगी लगता है आज तुम कुछ ज्यादा ही रोमांटिक मूड में नजर आ रहे हो। मैंने काजल को कहा मैं तो रोमांटिक मूड में हूं तुम आज कुछ ज्यादा ही अच्छी लग रही हो। मैंने काजल के हाथ को पकड़ लिया था जब मैंने काजल को अपनी बाहों में लिया तो मैंने उसे महसूस करना शुरू कर दिया था। काजल के नरम होंठों को जब मैं अपने होठों से टकराना लगा तो काजल के नरम होंठ भी अब मुझे अपनी ओर खींचने लगे थे। मुझे बहुत अच्छा लगने लगा था हम दोनों बड़े ही खुश हो गए थे और काजल भी बहुत ज्यादा खुश हो चुकी थी। काजल मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा है मैंने काजल की नाइटी को उतारते हुए काजल की चूत को महसूस करना शुरू किया तो काजल तड़पने लगी। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है अब हम दोनों के अंदर की गर्मी इस कदर बढ़ चुकी थी कि हम दोनों ही अपने आपको रोक नहीं पा रहे थे। ना तो मैं अपने आप को रोक पा रहा था और ना ही काजल अपने आपको रोक पा रही थी। मैंने अब काजल के स्तनों को दबाना शुरू किया तो काजल भी पूरी तरीके से उत्तेजित होकर मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है।

अब हम दोनों ही बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुके थे इसलिए मेरे अंदर की गर्मी अब इतनी बढ़ चुकी थी कि मैं बिल्कुल भी अपने अंदर की गर्मी को रोक नहीं पा रही थी। मैंने काजल से कहा मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है काजल मुझे कहने लगी रहा तो मुझसे भी बिल्कुल नहीं जा रहा है अब मैं अपने अंदर की गर्मी को बिल्कुल भी रोक नहीं पाऊंगी। मैंने जब काजल की चूत पर अपने लंड को लगाया तो वह तड़पने लगी। मैंने उसकी योनि के अंदर अपने लंड को घुसा दिया काजल की चूत के अंदर मेरा लंड घुस चुका था। वह बड़ी जोर से चिल्ला रही थी वह मुझे कहने लगी अब मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। मैंने काजल से कहा मुझे बड़ा मजा आ रहा है मैंने काजल की योनि के अंदर तक अपने लंड को घुसा दिया था। काजल की तडप पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी काजल मुझे कहने लगी मुझे और भी तेजी से धक्के मारो। मैंने काजल को बड़ी ही तेजी से धक्के मारने शुरू कर दिए थे।

काजल की चूत के अंदर बाहर मेरा लंड जिस प्रकार से हो रहा था उससे मुझे बहुत ज्यादा तड़पने लगा था और काजल भी बहुत ज्यादा तड़पने लगी थी। हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को बिल्कुल भी रोक नहीं पा रहे थे। मैंने काजल की योनि के अंदर जब अपने माल को गिराया तो काजल खुश हो गई। करीब 10 मिनट की चुदाई बाद मुझे और काजल को बड़ा ही मजा आ गया था। लोनावला में हम दोनों ने एक दूसरे के साथ बड़ी मस्ती की और बहुत इंजॉय किया। काजल मेरे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी थी। वह मेरी हर एक जरूरतों को पूरा किया करती और मुझे खुश रखने की वह कोशिश करती।
Share:
Copyright © देसी सेक्सी कहानिया