कुंडी मत खड़काओ सीधे अंदर आ जाओ


मेरा ट्रांसफर अब कोलकाता हो चुका था कोलकाता में मुझे आए हुए अभी ज्यादा दिन नहीं हुए थे इसलिए मुझे कोलकाता के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। मैं हर रोज अपने ऑफिस बस से ही जाया करता था एक दिन मैं बस स्टॉप पर खड़ा था तो उस दिन मैंने देखा बस स्टॉप पर काफी ज्यादा भीड़ थी। जब बस आई तो मैं जैसे तैसे बस में चढ़ गया और अपने ऑफिस पहुंचा मैं अपने ऑफिस पहुंचा तो उस दिन मैंने देखा कि हमारे ऑफिस में एक नई लड़की आई हुई थी शायद उसने उसी दिन ज्वाइन किया था। उस दिन जब मेरी मुलाकात उससे हुई तो मैंने उससे बात करनी शुरू की उसका नाम राधिका है। राधिका से मैं पहली बार ही मिला राधिका कोलकाता की ही रहने वाली है मुझे पहले ही मुलाकात में उससे मिलकर बहुत अच्छा लगा। राधिका और मैं एक दूसरे से जब भी बात करते तो हमें अच्छा लगता राधिका मुझे देखकर अक्सर मुस्कुराया करती थी मुझे राधिका बहुत पसंद आने लगी थी। एक दिन हम लोग लंच टाइम में साथ में बैठे हुए थे उस वक्त मैं और राधिका एक दूसरे से बात कर रहे थे तो मैंने राधिका से पूछा कि क्या तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड भी है तो वह मुझे कहने लगी नहीं सर मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है।

मुझे भी लगा कि राधिका से मुझे अपने दिल की बात कह देनी चाहिए क्योंकि राधिका मुझे बहुत पसंद आने लगी थी। मैंने राधिका से अपने दिल की बात कह दी और राधिका ने भी तुरंत मेरे प्रपोजल को स्वीकार कर लिया हम दोनों एक दूसरे के साथ अब ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश करने लगे। ऑफिस से फ्री हो जाने के बाद हम लोग एक दूसरे के साथ समय बिताया करते हैं। एक दिन राधिका और मैं हमारे ऑफिस के पास ही एक कैंटीन पर बैठे हुए थे तो राधिका मुझे कहने लगी कि रजत मैं चाहती हूं कि तुम हमारे रिश्ते के बारे में अपने पापा और मम्मी से बात कर लो। मैंने राधिका को कहा कि लेकिन राधिका अभी शादी की इतनी जल्दी भी क्या है हम लोगों को पहले एक दूसरे को समझने के लिए थोड़ा समय तो दो।

वह मुझे कहने लगी कि रजत तुम्हें नहीं मालूम मेरे पापा को अगर इस बारे में पता चला तो वह ना जाने मुझे क्या कुछ कहेंगे इसलिए मैं चाहती हूं कि तुम अपने पापा से इस बारे में बात कर लो। मैंने राधिका से कहा ठीक है बाबा मैं इस बारे में अपने पापा से बात कर लूंगा और जल्द ही मैं तुम्हे इस बारे में बताऊंगा। मैंने अपने परिवार वालों से इस बारे में बात कर ली थी और मैंने अपने बहन के मोबाइल पर राधिका की तस्वीर भी भेज दी थी राधिका उन्हें काफी पसंद आई और वह लोग कुछ दिनों के लिए कोलकाता आने वाले थे तो मैंने कोलकाता में ही उनके लिए एक होटल में रहने का प्रबंध करवा दिया था। मैं जिस जगह रहता था वहां पर जगह काफी कम थी इसलिए मैंने पापा मम्मी और अपनी बहन के रुकने के लिए एक होटल में बुकिंग करवा दी। वह लोग जब कोलकाता आये तो मैंने उनको राधिका से मिलवाया राधिका से मिलकर वह लोग बड़े खुश हुए और उसके बाद तो वह चाहते थे कि हम दोनों की शादी जल्द से जल्द हो जाए। मेरे पापा चाहते थे कि राधिका के पापा से वह बात करें और उन्होंने राधिका के पापा से बात की। जब उन्होंने राधिका के पापा से बात की तो उन्हें भी अब इस रिश्ते से कोई आपत्ति नहीं थी और जल्द ही हम दोनों की सगाई तय हो गई। हम दोनों की सगाई हो जाने के बाद अब हम दोनों एक दूसरे से कुछ ज्यादा ही मिलने लगे थे फोन पर भी हम दोनों की बहुत बातें होने लगी थी अब राधिका को भी अपने पापा का डर नहीं था और ना ही उसे किसी बात की कोई चिंता थी क्योंकि उसे पता था कि अब हम दोनों की शादी जल्द ही हो जाएगी। अब हम दोनों की शादी का दिन भी जल्द ही तय होने वाला था लेकिन राधिका चाहती थी कि उसकी शादी कोलकाता में ही हो। हालांकि मेरे पापा मम्मी इस बात के लिए तैयार नहीं थे लेकिन किसी तरीके से मैंने उन्हें मना लिया और वह लोग भी अब मेरी शादी राधिका से करवाने के लिए कोलकाता में मान चुके थे। कोलकाता में ही सब कुछ अरेंजमेंट मुझे ही करवाना था, पापा ने तो कह दिया था कि हमारे रिश्तेदार वहां पर आ नहीं पाएंगे लेकिन पापा को किसी तरीके से मनाने के बाद अब राधिका और मैंने ही सारा कुछ अरेंजमेंट किया। हम लोगों की शादी का अरेंजमेंट हो चुका था और हम दोनों चाहते थे कि हमारी शादी बड़े ही धूमधाम से हो।


हमारे ऑफिस के सारे स्टाफ को हमने अपनी शादी के लिए इनवाइट किया था और जब हम लोगों की शादी होने वाली थी उससे करीब एक हफ्ते पहले ही पापा मम्मी और मेरी बहन कोलकाता आ गए थे वह लोग अरेंजमेंट देखकर बहुत खुश हुए और कहने लगे कि हमें बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि तुम इतना अच्छा अरेंजमेंट कर पाओगे। मैंने पापा से कहा पापा इसमें मेरी मदद राधिका ने भी की है। अब राधिका और मैं एक दूसरे से शादी के बंधन में बंधने वाले थे और जब हम दोनों की शादी हो गई तो हम दोनों ही बहुत खुश थे। हम दोनों इतने ज्यादा खुश थे कि हम दोनों की शादी की पहली रात हम लोग कोलकाता में ही मनाने वाले थे हम दोनों की सुहागरात की रात हम हम दोनों यादगार बनने वाले थे। मैं और राधिका एक दूसरे की बाहों में थे मैंने राधिका के होंठों को चूमा और उसे कहा आखिरकार तुम मेरी पत्नी बन ही गई मुझे बहुत अच्छा लग रहा है अब राधिका मेरे गले लगकर कहने लगी कि मैं बहुत खुश हूं क्योंकि मैंने कभी सोचा नहीं था रजत कि मेरी तुमसे शादी हो जाएगी और हम दोनों एक दूसरे के साथ कितने खुश हैं।

मैंने राधिका के होठों को चूसना शुरू किया तो उसे बहुत ज्यादा अच्छा लगने लगा था और वह बहुत ही ज्यादा उत्तेजित होने लगी थी मैंने अपने लंड को बाहर निकाल कर हिलाना शुरू किया तो राधिका मुझे कहने लगी कि तुम्हारा लंड कितना मोटा है मुझे तुम्हारे लंड को देखकर बहुत डर लग रहा है अब मैंने राधिका से कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह में ले लो उसने भी अपने हाथों मे मेरे लंड को लिया और उसे हिलाना शुरू कर दिया जब वह मेरे लंड को हिला रही थी तो मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था और उसे भी बड़ा अच्छा लग रहा था। मैंने उसके मुंह के अंदर अपने लंड को डाल दिया जब मैंने उसके मुंह में अपने लंड को डाला तो मुझे बडा अच्छा लगने लगा और वह भी बहुत ज्यादा खुश हो गई थी। वह मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर बाहर कर रही थी उससे मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो रहा था और मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था उसने मेरे लंड से पानी को बाहर निकाल दिया था और मेरी गर्मी को पूरी तरीके से बढ़ा दिया था मेरी गर्मी पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी। मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू किए तो मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लगने लगा और मुझे इतना अच्छा लग रहा था कि मैं उसकी चूत के अंदर अपने लंड को डालना चाहता था मैंने राधिका के बदन से कपड़े उतार दिए थे। जब मैं उसके स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूस रहा था तो उसके गोरे स्तन मुझे चूसने में बड़ा मजा आ रहा था और उसके स्तन गरम होते जा रहे थे उसका बदन इतना अधिक गर्म हो चुका था कि उसके निप्पलो को चूसने में मुझे मजा आ रहा था और काफी देर तक मैंने उसके स्तनों को चूसा। जब मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया तो मुझे बड़ा मजा आने लगा और उसकी चूत को चाटकर मैं इतना खुश हो गया था कि मैंने उसे कहा मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है और मैं उसकी चूत को बहुत देर तक ऐसे ही चाटता रहा।

अब मैंने अपने लंड को उसकी चूतड़ों पर लगाना शुरू किया तो मुझे बड़ा ही मजा आने लगा और मैं अपने लंड को उसकी योनि पर अच्छे से रगड रहा था मैं जिस प्रकार से अपने लंड को उसकी योनि पर रगडता उससे मुझे बड़ा ही मजा आता और वह भी बहुत ही ज्यादा खुश हो रही थी। उसने मुझे कहा कि मुझे बहुत अच्छा लग रहा है और जिस प्रकार से तुम मेरे चूत पर अपने लंड को रगड रहे हो उसे मेरे अंदर की गर्मी को बढा दिया था उसने मुझे कहा कि अब तुम मुझे और ना तड़पाओ और मेरी चूत के अंदर अपने लंड को करते रहो। मैंने भी अपने लंड को धीरे-धीरे राधिका की चूत के अंदर घुसाना शुरु किया और मेरा मोटा लंड उसकी चूत को फाडता हुआ अंदर की तरफ चला गया मेरा लंड जैसे ही उसकी चूत में घुसा तो वह बहुत जोर से चिल्लाई और मुझे कहने लगी तुमने मेरी चूत फाड़ कर रख दी है मैंने उसे कहा मुझे बड़ा अच्छा लग रहा है तो वह मुझे कहने लगी मुझे भी बहुत मजा आ रहा है और मैं उसे लगातार तीव्रता से धक्के मार रहा था।

जिस तेज गति से मैं उसे धक्के मार रहा था उससे मुझे बहुत ही आनंद आ रहा था और वह भी बड़ी खुश हो रही थी मुझे उसे चोदने में इतना अच्छा लग रहा था कि मेरे लंड से पानी भी बाहर निकलने लगा था और राधिका बड़ी ही ज्यादा उत्तेजित हो गई थी। राधिका ने मुझे कहा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है अब मैंने अपने लंड को राधिका की चूत में गिरा दिया था लेकिन मेरी गर्मी अभी भी शांत नहीं हुई थी और ना ही राधिका की प्यास बुझी थी। मैंने जब लंड को बाहर निकाला तो मैंने देखा राधिका की चूत से खून निकल रहा है मैंने अपने लंड को साफ़ किया और राधिका की चूत को भी मैंने कपड़े से साफ करते हुए दोबारा से उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दिया वह बहुत जोर से चिल्लाई। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है मुझे बड़ा आनंद आ रहा था और उसे भी बड़ा अच्छा लग रहा था लेकिन जैसे ही मेरा माल राधिका की चूत में गिरा तो वह खुश हो गई थी। उसके बाद राधिका और मैं हर रोज सेक्स का मजा लेते हैं राधिका की चूत अभी भी उतनी ही टाइम है जितनी पहले दिन थी।
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दूसरी पत्नी की सील तोडी


संजना और मेरे बीच में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था इसलिए हम दोनों ने डिवोर्स लेने का फैसला कर लिया था। हम दोनों का डिवोर्स हो जाने के बाद मैं चंडीगढ वापस लौट आया था। मेरी मुलाकात संजना से दिल्ली में ही हुई थी दिल्ली में जब मेरी मुलाकात संजना से हुई तो हम दोनों के बीच प्यार बढ़ता चला गया और हम दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया लेकिन हम दोनों की शादी ज्यादा समय तक चल ना सकी और हम दोनों को डिवोर्स लेना पड़ा। हम दोनों की शादीशुदा जीवन के टूटने का मुख्य कारण यह रहा कि हम दोनों एक दूसरे को बिल्कुल भी समय नहीं दे पाते थे ना हीं मेरे पास संजना के लिए समय होता और ना हीं संजना मुझे समझ नहीं पाती थी इसी कारण हम दोनों ने एक दूसरे से अलग होने का फैसला कर लिया। हालांकि मैं फिर भी संजना के लिए सब कुछ मैनेज करने के लिए तैयार था लेकिन वह अपने करियर को लेकर इतनी ज्यादा सोचती थी कि शायद हम दोनों के रिश्ते के टूट जाने की वजह सबसे ज्यादा वही थी।

मैं उसके बाद चंडीगढ़ आ चुका था और चंडीगढ़ में मैं अपना नया जीवन शुरू करना चाहता था। मेरी नई जिंदगी शुरू हो चुकी थी क्योंकि मैं चंडीगढ़ अपने पापा मम्मी के साथ रहने लगा था दिल्ली में मैं और संजना साथ में रहा करते थे। जब मैं चंडीगढ़ आया तब ना तो मेरे पास तो नौकरी थी और ना ही मेरे दोस्त चंडीगढ़ में थे लेकिन मैंने उसके बावजूद भी एक छोटा सा काम शुरू कर लिया। जब मैंने काम शुरू किया तो उसके बाद मैं काम पर पूरा ध्यान देने लगा सब कुछ बदलता चला गया और उसी दौरान मेरी मुलाकात पायल के साथ हो गई। जब मैं पायल से पहली बार एक पार्टी के दौरान मिला तो मुझे काफी अच्छा लगा और पायल से मिलकर मैं काफी खुश भी था उसके बाद हम दोनों एक दूसरे को मिलने लगे और एक दूसरे को हम लोग डेट करने लगे। मैं ज्यादा से ज्यादा समय पायल को देने लगा था पायल को मैंने अपने बारे में सब कुछ बता दिया था कि मेरी शादी पहले हो चुकी थी लेकिन हम दोनों एक दूसरे को समय नहीं दे पा रहे थे इस कारण हम दोनों की शादी टूट गई।

पायल को इस बात से कोई आपत्ति नहीं थी पायल ने भी मुझे बताया कि उसकी सगाई तय हो गई थी लेकिन किसी कारण से उसकी सगाई टूट गई। हम दोनों शायद एक दूसरे के लिए बिल्कुल ठीक थे क्योंकि मैं पायल को अच्छे से समझता था और पायल भी मुझे अच्छे से समझती थी इसीलिए हम दोनों एक दूसरे के साथ काफी खुश थे। मैं जब भी पायल के साथ होता तो मेरी सारी समस्या जैसे पल भर में दूर हो जाती थी। एक दिन मैं घर पर ही था उस दिन मुझे संजना का फोन आया संजना चाहती थी कि मैं उससे मिलूं, संजना जॉब करने के लिए विदेश जा रही थी और वह चाहती थी कि उससे पहले मैं एक बार मिल लूँ इसलिए मुझे कुछ दिनों के लिए दिल्ली जाना पड़ा। मैं कुछ दिनों के लिए दिल्ली चला गया मैंने पायल को यह बात बता दी थी। जब मैं संजना से मिला तो मुझे संजना से कोई भी शिकायत नहीं थी और ना ही संजना को मुझसे कोई शिकायत थी क्योंकि हम दोनों ने एक दूसरे से डिवोर्स अपनी मर्जी से ही लिया था। संजना से मिलकर मुझे अच्छा लगा और संजना ने मुझे बताया कि वह अब जॉब करने के लिए विदेश जा रही है मैंने उसे उसके आगे के भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी। संजना ने मुझसे पूछा कि अविनाश कहीं तुम्हारे दिल में मुझे लेकर कोई बात तो नहीं है तो मैंने संजना से कहा नहीं अब मैं अपनी नई जिंदगी शुरू कर चुका हूं। मैंने उसे पायल के बारे में भी बताया तो वह कहने लगी कि मैं चाहती हूं कि तुम और पायल एक दूसरे के साथ खुश रहो। उस दिन संजना बहुत ज्यादा भावुक हो गई थी इसलिए वह मेरे गले लग गई और कहने लगी कि अविनाश तुम अपना ध्यान रखना और उसके बाद संजना वहां से जा चुकी थी। संजना के चले जाने के बाद मैं भी वहां से चंडीगढ़ लौट आया था। मैं जब चंडीगढ़ वापस लौटा तो मैं पायल से मिला मैंने पायल को इस बारे में बताया तो पायल मुझे कहने लगी कि क्या संजना हमेशा के लिए वहीं रहना चाहती है? मैंने उससे कहा कि मैंने यह तो उससे नहीं पूछा लेकिन वह खुश है और मैं भी तुम्हारे साथ खुश हूं। पायल और मैं दूसरे के साथ बहुत खुश थे हम दोनों एक दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश करते हैं।


मैं पायल को पूरी तरीके से समझ चुका था कि वह मेरे लिए बिल्कुल सही है और अब हम दोनों एक दूसरे के साथ अपने आगे का जीवन बिताना चाहते थे। मैंने इस बारे में पूरा फैसला कर लिया था कि मैं और पायल हम एक दूसरे से जल्दी शादी कर लेंगे पायल को इस बात से कोई आपत्ति नहीं थी और जल्दी हम दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया। जब हम दोनों ने शादी करने का फैसला किया तो मैं बहुत ही ज्यादा खुश था और पायल भी बहुत खुश थी। आखिरकार वह दिन भी आ ही गया जब हम दोनों ने शादी कर ली और हम दोनों एक दूसरे से शादी कर के बहुत ही खुश थे। पायल मेरी पत्नी बन चुकी थी और मैं इस बात से बहुत खुश था कि मैं और पायल अब एक दूसरे के साथ अच्छे से समय बिता पाएंगे और हम दोनों एक दूसरे का ध्यान भी रख पाएंगे। शादी की पहली रात पायल मेरे साथ मेरी बाहों में लेटी हुई थी वह मुझे कहने लगी अविनाश मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं मैंने भी उसके होठों को तुरंत ही चूम लिया उसके नर्म होठों को चूमकर मुझे बहुत ही अच्छा लगा।

अब वह मेरी बाहों में आ चुकी थी मेरे साथ सेक्स करने के लिए वह तैयार थी। मैं उसे किस करने लगा तब तक मैं उसे चूमता रहा जब तक कि उसके बदन से पूरी गर्मी बाहर नहीं आ गई वह बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गई थी और मुझे कहने लगी मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुकी हूं उस से एक पल भी रहा नहीं जा रहा है। मैं अब उसे चोदने के लिए तैयार था मैंने जब उसके सामने अपने लंड को किया तो वह मेरे लंड को देखती ही मेरे लंड को अपने हाथों से हिलाने लगी और मुझे कहने लगी तुम्हारा लंड बहुत ही ज्यादा मोटा है उसने अपने मुंह के अंदर मेरे लंड को ले लिया। पायल बिल्कुल भी शर्मा नहीं रही थी वह मेरा पूरा साथ दे रही थी मैं इस बात से बड़ा खुश था जब संजना और मैंने पहली बार एक दूसरे के साथ सेक्स किया था तो उस दिन संजना बहुत शर्मा रही थी। पायल ने जब मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर बाहर करना शुरू किया तो वह मेरे लंड को ऐसे चूस रही थी जैसे कि मेरे लंड से वह पानी बाहर निकाल देगी और मैंने उससे कहा मुझे तुम्हारी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाना है। उसने अपने कपड़े उतारे और मेरे सामने वह नंगी लेटी हुई थी मैं उसे देख कर अपने लंड को हिलाए जा रहा था। मैंने जब उसके स्तनों पर अपने मुंह से चूसना शुरू किया तो उसको बहुत ही अच्छा लग रहा था वह मेरा साथ बड़े ही अच्छे से दे रही थी अब मैंने उसके स्तनों को इतना देर तक चूसता रहा कि उसकी गर्मी पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी और वह कहने लगी मैं तुम्हारे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए तड़प रही हूं। मैंने भी झट से उसकी चूत पर अपनी जीभ को लगाया और जीभ से उसकी चूत को मैं तब तक चाटता रहा जब तक उसकी योनि से पानी बाहर नहीं आ गया अब पायल बहुत ही ज्यादा मचलने लगी थी। उसकी चूत से बहुत ज्यादा पानी निकल आया था इसलिए वह मेरे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए पागल हो गई थी। मैंने भी अपने मोटे लंड को उसकी योनि पर सटाया और अंदर की तरफ घुसाना शुरू किया मेरा लंड धीरे-धीरे उसकी चूत के अंदर तक जाने लगा तो वह  बहुत जोर से चिल्लाने लगी।

मैंने जैसे ही एक झटके के साथ अपने लंड को उसकी योनि के अंदर घुसाया उसके मुंह से चीख निकली और वह कहने लगी मेरी सील तुमने तोड़ दी है। मैंने जब उसकी चूत की तरफ देखा तो मुझे बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा था। मैं उसे बड़ी तेज गति से धक्के मार रहा था जिस तीव्र गति से मैं उसे चोद रहा था उससे मुझे मज़ा आ रहा था और वह भी मेरा साथ बड़े अच्छे से दे रही थी मैं बहुत ही ज्यादा खुश था और वह भी बहुत ज्यादा खुश हो रही थी उसने अपने पैरों को खोल लिया था जिससे कि मेरा लंड उसकी योनि के अंदर बाहर बड़ी तेजी से हो रहा था उसकी चूत से निकलता हुआ पानी मेरे लंड पर लग रहा था जिस से कि मेरा लंड चिकना होने लगा।

मुझे उसे चोदने में मजा आने लगा था मैं उसे बड़े अच्छे से चोदता रहा काफी देर तक मैंने उसको ऐसे ही चोदा लेकिन जब मुझे महसूस होने लगा कि मेरा माल बाहर की तरफ को गिरने वाला है तो मैंने उसे कहा कि मुझे लग रहा है मेरा माल गिरने वाला है तो वह कहने लगी तुम अपने माल को मेरी चूत के अंदर ही गिरा दो। मैंने अपने माल को उसकी चूत के अंदर ही गिरा दिया जिस से कि उसकी इच्छा पूरी हो गई और मेरे अंदर की गर्मी भी पूरी हो चुकी थी। मुझे उसे चोदने में बड़ा ही मजा आया पायल बहुत ही ज्यादा खुश हो गई थी कि मैं उसे अच्छे से चोद पाया पायल की चूत मार कर मैं बहुत खुश था पहली बार मैंने उसकी चूत मारी थी और वह मेरे लंड को लेकर बड़ी खुश थी। मै इस बात से बड़ा खुश था कि मुझे सील पैक टाइट माल मिला जिसे कि मैं अच्छे से चोद पाया। उसके बाद तो मेरे और पायल के बीच हर रोज सेक्स संबंध बनते हैं और मैं उसे हर रोज चोदा करता हूं वह मेरा ध्यान भी बहुत अच्छे से रखती है। हम दोनों के बीच किसी भी बात को लेकर कोई भी परेशानी नहीं है यदि कभी कुछ ऐसा हो जाता है तो पायल मुझसे बात कर लिया करती है।
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अब तक कई लंड ले चुकी थी


हर रोज की तरह मैं अपने घर से सुबह ऑफिस के लिए निकला जब मैं अपने ऑफिस के लिए निकला तो रास्ते में मुझे राजेश मिला राजेश मेरे ऑफिस में ही काम करता है। मैंने राजेश को लिफ्ट दी और कहा की तुम्हारी मोटरसाइकिल कहां है तो वह मुझे कहने लगा कि मेरी मोटरसाइकिल खराब हो गई थी इसलिए आज मैं बस का ही इंतजार कर रहा था तभी तुम मुझे सही वक्त पर मिल गए। जब मुझे राजेश मिला तो उसके बाद हम दोनों ऑफिस आ गए हम दोनों ऑफिस पहुंचे ही थे कि मैंने देखा कि हमारे ऑफिस में कुछ इंटरव्यू चल रहे थे। मैंने रिसेप्शन पर पूछा तो रिसेप्शन पर मुझे विनोद ने बताया कि हमारे ऑफिस में इंटरव्यू चल रहे हैं। मुझे इस बात की कोई जानकारी नहीं थी और ना ही राजेश को इस बारे में कुछ पता था हम दोनों अपना काम करने लगे और फिर हम दोनों अपना काम खत्म कर के दोपहर के वक्त अपने ऑफिस से बाहर आए। जब हम लोग अपने ऑफिस से बाहर आए तो हमारे ऑफिस के बाहर पर ही एक कैंटीन हैं हम लोग वहीं पर खाना खा रहे थे हम लोग अक्सर उस कैंटीन में जाया करते हैं। जब हम लोग कैंटीन में पहुंचे तो वहां मैंने देखा कि हमारे ऑफिस में ही काम करने वाले कुछ और लोग भी वहां पर थे खाना खाने के बाद हम लोग वापस अपने ऑफिस लौट आये और अपना काम खत्म कर के शाम के वक्त लोग घर की तरफ निकल पड़े।

राजेश को मैंने उसके घर पर छोड़ दिया था और मैं जब घर पहुंचा तो मेरी पत्नी कावेरी ने मुझे कहा कि सुधीर क्या तुम्हें याद है कल बंटी का बर्थडे है। मैंने कहा कि मेरे दिमाग से तो यह बात बिल्कुल निकल ही गई थी। हम लोग बंटी का बर्थडे सेलिब्रेट करना चाहते थे कावेरी ने मुझे कहा कि आपको अपने ऑफिस से छुट्टी लेनी पड़ेगी तो मैंने कहा ठीक है मैं कल ऑफिस से छुट्टी ले लूंगा। अगले दिन मैं अपने ऑफिस नहीं गया मैंने अपने कुछ दोस्तों को बंटी के बर्थडे में इनवाइट कर लिया था मैंने एक होटल में सारा अरेंजमेंट करवाया था और बंटी का बर्थडे बड़े ही अच्छे से हम लोगों ने सेलिब्रेट किया। बंटी की उम्र अब 5 वर्ष हो चुकी है और बंटी को मैंने गिफ्ट भी दिया अगले दिन से मैं अपने ऑफिस जाने लगा ऑफिस में कुछ दिनों से कुछ ज्यादा ही काम था इसलिए मैं घर देर से पहुंचता था।

एक दिन मैं अपने ऑफिस से घर पहुंचा तो मैंने देखा कि कावेरी घर पर नहीं थी मैंने कावेरी को फोन किया और कावेरी से कहा कि तुम कहां हो तो वह मुझे कहने लगी कि मैं पड़ोस में आई हुई हूं बस थोड़ी देर बाद आती हूं। थोड़ी देर बाद कावेरी घर आ गई जब कावेरी घर आई तो मैं और कावेरी साथ में बैठे हुए थे कुछ देर हम लोगों ने बात की फिर कावेरी रसोई में चली गई। कावेरी रसोई में खाना बनाने की तैयारी कर रही थी मैं भी अपने रूम में चला गया थोड़ी देर में कावेरी आई और मुझे कहने लगी कि चलो हम लोग खाना खा लेते हैं और फिर हम लोगों ने खाना खाया। खाना खाने के बाद हम लोग कुछ देर अपने छत पर टहलने के लिए चले गए कुछ देर हम लोग छत पर ही टहलते रहे फिर हम लोग नीचे आ गए उस वक्त करीब 11:30 बज चुके थे और फिर हम लोग सो गए। अगले दिन मैं जब सुबह 7:00 बजे उठा तो मैं अपने ऑफिस जाने की तैयारी करने लगा कावेरी भी मेरे लिए नाश्ता तैयार करने लगी। कावेरी ने मेरे लिए नाश्ता बना दिया था मैंने कावेरी से कहा कि तुम मेरे लिए आज खाना मत बनाना मैं बाहर ही खा लूंगा। कावेरी कहने लगी कि मैं आपके लिए टिफिन रख देती हूं लेकिन मैंने कावेरी को मना कर दिया उसके बाद मैं अपने ऑफिस चला गया। जब मैं अपने ऑफिस पहुंचा तो उस दिन राजेश ऑफिस नहीं आया था मैंने राजेश को फोन किया और राजेश से कहा कि क्या आज तुम ऑफिस नहीं आ रहे हो तो वह मुझे कहने लगा कि नहीं सुधीर आज मैं ऑफिस नहीं आ रहा हूं। मैंने उसे कहा कि आज क्या तुम किसी जरूरी काम से कहीं जा रहे हो तो उसने मुझे कहा नहीं मैं आज घर पर ही हूं मेरी तबीयत ठीक नहीं है इसलिए मैं आज ऑफिस नहीं आ रहा हूं। मैंने राजेश को कहा ठीक है तुम आराम करो उसके बाद मैंने फोन रख दिया उस दिन मैं जब शाम के वक्त घर लौटा तो मैंने बंटी के लिए कुछ खिलौने ले लिए और मैं जब घर पहुंचा तो बंटी खिलौने देख कर बहुत खुश हो गया था। कावेरी कुछ दिनों के लिए अपने मम्मी पापा से मिलने के लिए जाना चाहती थी तो कावेरी ने मुझे कहा कि मैं कुछ दिनों के लिए मम्मी पापा के पास जा रही हूं।


मैंने कावेरी से कहा ठीक है तुम चली जाओ और अगले दिन कावेरी अपने मम्मी पापा से मिलने चली गई कुछ दिनों तक मैं घर पर अकेला ही था और अकेले ही मैं सब कुछ मैनेज कर रहा था हालांकि मुझे परेशानी हो रही थी लेकिन फिर भी मैं मैनेज कर रहा था। हमारे ऑफिस में कुछ दिनों पहले ही एक लडकी आई थी उसका नाम ललिता है वह दिखने में बेहद ही सुंदर है उसे मैं अक्सर देखा करता ललिता कि नजर भी मुझे कुछ ठीक नहीं लगती थी वह भी मुझे हमेशा देखा करती थी और जब भी उसे मौका मिलता तो वह मुझसे चिपकने की कोशिश करती क्योंकि कावेरी मायके गई हुई थी तो मैं भी घर पर अकेला था मैंने ललिता से उस दिन पूछा कि क्या तुम मेरे साथ मेरे घर पर चलोगी। वह मेरी बात मान गई और मेरे साथ घर पर आ गई जब ललिता घर पर आई तो हम दोनों अकेले थे मैंने ललिता की जांघ पर हाथ रखा। उसने मुझे कुछ नहीं कहा शायद वह भी मेरे साथ सेक्स करने के लिए तैयार थी और उसके अंदर भी कुछ तो चल रहा था लेकिन जब वह मेरी गोद में आकर बैठे तो मैं समझ गया कि वह मुझसे अपनी चूत मरवाना चाहती है उसने मेरी छाती पर हाथ रखते हुए कहा कि सर आप बडे सेक्सी हो मैंने जब आपको पहली बार देखा था तभी से मैं आप पर पूरी तरीके से फिदा थी।

मैंने उसे कहा कि तुम बहुत ज्यादा सुंदर हो और तुम्हें देखकर मुझे ऐसा लगता है जैसे कि तुम्हारी चूत मे मार लूं। वह मुझे कहने लगी सर तो फिर आप देर क्यों कर रहे हैं आप जल्दी से मेरी चूत मार लीजिए मैं इंतजार कर रही हूं कि कब आप मेरी चूत मारोगे। मैंने ललिता के होंठों को चूमना शुरू किया तो वह भी उत्तेजित होने लगी और मचलने लगी मैंने जब उसके होठों को अच्छे से किस किया तो वह मुझे कहने लगी अब मुझे आपके लंड को अपने मुंह में लेना है उसकी उत्तेजना बढ़ चुकी थी और वह अपने पैरों को आपस में मिला रही थी मैंने भी उसकी जींस को नीचे किया और उसकी पैंटी को नीचे की तरफ खींचते हुए उतार दिया। जब मैंने देखा कि उसकी चूत से पानी बाहर की तरफ को टपक रहा है मै बहुत ही ज्यादा खुश हो गया था और मेरे अंदर की आग बढ़ाने लगी थी। मेरे अंदर की आग इतनी ज्यादा बढ़ चुकी थी कि मैं बिल्कुल भी उसे रोक नहीं पा रहा था मैंने कहा मैं तुम्हारी चूत के अंदर लंड डालना चाहता हूं। मैंने उसके स्तनों को अपने मुंह में ले लिया और उन्हें बड़े अच्छे से मैं चूसने लगा मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था जिस प्रकार से मैं उसके स्तनों को चूस रहा था और मेरे अंदर की आग बढ़ती जा रही थी मैंने ललिता की चूत को बहुत देर तक चाटा जब तक मैं उसकी चूत को चाटता रहा तब तक वह उत्तेजित हो रही थी। जैसे ही मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रगडना शुरू किया तो वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है अब आप अपने लंड को मेरी चूत में डाल दो मैं भी अब पूरी तरीके से मचलने लगा था।

मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को डालने के लिए तैयार था मैंने जैसे ही अपने लंड को उसकी चूत के अंदर डाला तो मुझे मजा आने लगा मेरा लंड उसकी चूत को फाडता हुआ अंदर की तरफ चला गया और मुझे बड़ा ही मजा आ रहा था जिस तरह से मैं उसे धक्का मार रहा था मुझे उसे चोदने मे बहुत मजा आ रहा था और उसकी सिसकारियां बढ़ती ही जा रही थी उसके अंदर की आग तो पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी और मेरे अंदर की गर्मी भी अधिक हो चुकी थी। वह मुझे कहने लगी आप और तेजी से करते रहो तो मैंने उसे घोड़ी बना दिया और घोड़ी बनाने के बाद जब मैंने अपने लंड पर तेल की मालिश की तो उसकी चूत पर मैंने अपने लंड को सटा दिया और जैसे ही मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर सटाया तो मुझे मजा आने लगा मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाया तो वह बहुत जोर से चिल्लाई। मैंने उसे कहा पहले तुमने ना जाने कितने ही लंड लिए होगे वह अपनी चूतडो को टकराती और मुझे कहने लगी हां मैंने इस से पहले बहुत सारे लंड अपनी चूत में लिए है लेकिन आपका लंड तो बड़ा ही कमाल का है और मुझे बड़ा मजा आ रहा है जिस प्रकार से आप मुझे धक्के मार रहे हैं।

वह अपनी चूतडो को मुझसे मिलाए जा रही थी और मेरे अंदर की आग को वह इतना बढा चुकी थी कि मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था और मेरे अंदर गर्मी लगातार बढ़ती जा रही थी। मैंने उसे कहा मुझे लग रहा है मेरा वीर्य पतन होने वाला है तो वह कहने लगी आप अपने वीर्य को गिरा दीजिए। मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी चूत के अंदर अपने वीर्य को गिरा रहा हूं वह कहने लगी कोई बात नहीं और मैंने अब एक जोरदार झटका मारा जिससे कि मेरा वीर्य उसकी योनि के अंदर चला गया और वह खुश हो गई उसके बाद उसने मेरी गर्मी को ऐसे बढ़ा दिया जैसे कि वो मुझसे दोबारा से चुदना चाहती हो। मैंने उसे दोबारा से चोद कर अपनी गर्मी को शांत किया मेरी गर्मी शांत हो चुकी थी और उसके बाद हम लोग एक ही बिस्तर में सो गए अगले दिन हम दोनो साथ मे ऑफिस गए।
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एक मुलाकत जरूरी है जानम


मेरा परिवार गांव में ही रहता है मैं हरियाणा का रहने वाला हूं गांव में हम लोग खेती बाड़ी करके अपना गुजारा चलाते हैं। पिताजी भी अब बूढ़े होने लगे थे और मैंने भी जैसे तैसे अपनी पढ़ाई पूरी कर ली थी लेकिन वह चाहते थे कि मैं किसी अच्छी कंपनी में जाकर नौकरी करूं वह नहीं चाहते थे कि मैं उनकी तरह किसान बनूँ इसीलिए उन्होंने मुझे कहा कि बेटा तुम अपने लिए कहीं नौकरी तलाश कर लो। मैंने उन्हें कहा कि लेकिन मैं आपको छोड़कर नहीं जाना चाहता परंतु उनकी जिद के आगे मेरी एक ना चली और मुझे नौकरी की तलाश में दिल्ली आना पड़ा। दिल्ली में मेरे मामा जी ने मेरी मदद की वह दिल्ली काफी वर्षों से रह रहे हैं और उनकी ही मदद से मेरी नौकरी एक कंपनी में लग चुकी थी। वहां पर मुझे जब पहले महीने की तनख्वाह मिली तो मैं बहुत ज्यादा खुश था मैंने उसमें से कुछ पैसे घर भिजवा दिए थे मेरे पिताजी बड़े ही खुश हुए।

मैं दिल्ली में ही नौकरी करने लगा था काफी समय से मैं अपने गांव नहीं गया था तो मैं अपने गांव चला गया कुछ दिनों तक मैं गांव में ही रुका और उस दौरान मुझे काफी अच्छा लगा। उसके बाद मैं वापस दिल्ली लौट आया था और अपनी नौकरी पर मैं पूरा ध्यान दे रहा था। ऑफिस में ही मेरी दोस्ती गौतम के साथ हो गई थी गौतम दिल्ली का ही रहने वाला है और वह मेरा बहुत अच्छा दोस्त बन चुका था मैं गौतम के साथ उसके घर पर भी कई बार जा चुका था। एक दिन गौतम और मैं अपने ऑफिस के बाहर ही खड़े थे हम लोग अपने ऑफिस से काम खत्म कर के बाहर खड़े होकर एक दूसरे से बात कर रहे थे तो गौतम मुझे कहने लगा चलो हम लोग घर चलते हैं मैंने उसे कहा ठीक है। गौतम ने मुझे कहा कि रोहित मैं तुम्हें तुम्हारे घर तक छोड़ देता हूं मैंने उसे कहा ठीक है और गौतम ने मुझे मेरे घर तक छोड़ दिया फिर वह वहां से जा चुका था।

गौतम चला गया और उसके बाद मैं अपने घर चला गया जब मैं अपने घर पहुंचा तो वहां पर मैंने देखा कि हमारी कॉलोनी में कोई झगड़ा कर रहा था लेकिन मैं उस चक्कर में ना पढ़कर अपने रूम में ही बैठा हुआ था। मैंने अपने पापा को फोन किया और उनसे मैंने काफी देर तक फोन पर बात की उनसे बात करने के बाद जैसे ही मैंने फोन रखा तो मुझे मेरे मामा जी का फोन आ गया। जब उनका फोन मुझे आया तो वह कहने लगे की रोहित बेटा तुम कहां हो तो मैंने उन्हें कहा मामा जी मैं तो अभी अपने रूम में हूं वह कहने लगे बेटा क्या तुम कल हमारे घर पर आ सकते हो। मैंने उन्हें कहा मामा जी क्या कुछ जरूरी काम है तो वह कहने लगे कि कल ममता का जन्मदिन है और हम लोगों ने उसका जन्मदिन मनाने की सोची है। मैंने मामा जी से कहा ठीक है मामा जी मैं कल आपके पास आ जाऊंगा और अगले दिन मैं ऑफिस से मामा जी के घर चला गया। मैं जब मामा जी के घर पर गया तो वह लोग भी होटल में जाने की तैयारी कर रहे थे क्योंकि उन्होंने सारा अरेंजमेंट होटल में ही करवा रखा था तो मैं भी उनके साथ होटल में चला गया। वहां पर सब कुछ बहुत ही अच्छे से व्यवस्था मामा जी ने की हुई थी ममता का जन्मदिन हम सब लोगों ने अच्छे से सेलिब्रेट किया और उस दिन मैं मामा जी के घर पर ही रुक गया। अगले दिन जब मैं सुबह उठा तो मैंने मामा जी से कहा मामा जी मैं बाहर टहल आता हूं तो वह कहने लगे कि ठीक है। बेटा मैं कुछ देर के लिए उनके घर के बाहर ही पार्क में टहलने के लिए चला गया और जब मैं वापस लौटा तो मैं अपने ऑफिस जाने की तैयारी करने लगा मामी ने मेरे लिए नाश्ता तैयार कर दिया था और मैं नाश्ता करके ऑफिस के लिए निकल गया। मैं उस दिन जब ऑफिस पहुंचा तो ऑफिस में कुछ ज्यादा ही काम था इसलिए मुझे घर लौटने में देर हो गई। ज्यादा काम होने की वजह से मुझे अपने लिए बिल्कुल भी समय नहीं मिल पा रहा था और मैं अपने पिताजी को भी फोन नहीं कर पाया था। काफी दिनों बाद जब मैंने उन्हें फोन किया तो उनसे मेरी बात हुई, उनसे मैंने काफी देर तक फोन पर बात की वह मुझे कहने लगे कि रोहित बेटा क्या तुम ठीक हो तो मैंने उन्हें कहा हां पिताजी मैं तो ठीक हूं।


वह मुझे कहने लगे रोहित बेटा काफी दिन हो गए थे तुमने हमें फोन भी नहीं किया था तो मैंने उन्हें कहा हां आज कल मुझे अपने ऑफिस में कुछ ज्यादा ही काम था इसलिए मैं आपको फोन नहीं कर पाया। मैंने उन्हें कहा कि क्या सब कुछ ठीक चल रहा है तो वह मुझे कहने लगे हां सब कुछ ठीक चल रहा है भला मुझे क्या परेशानी होगी तुम्हारी मां भी अच्छे से हैं। मैंने उन्हें कहा कि मैं जल्दी छुट्टी लेकर कुछ दिनों के लिए गांव आ जाऊंगा वह कहने लगे ठीक है बेटा तुम कुछ दिनों के लिए गांव आ जाना हमें भी अच्छा लगेगा। बात हो जाने के बाद मैंने फोन रख दिया था। मैं कुछ दिनो के लिए अपने गांव चला गया मैं जब अपने गांव गया तो उस दिन मेरी मुलाकात वहां पर सुहानी से हुई सुहानी हमारे गांव में अपने किसी रिश्तेदार के घर पर आई हुई थी वह दिल्ली की ही रहने वाली है इसलिए मेरी उससे काफी अच्छी बनने लगी। जब मैं दिल्ली लौटा तो मैं सुहानी को फोन करने लगा और उससे बातें होने लगी मेरी और सुहानी की अक्सर बातें होती रहती थी।

एक दिन फोन पर मैंने उससे उसके फिगर का साइज पूछ लिया था उसने मुझे कहा कि तुम खुद ही आकर देख लेना जब उसने मुझे अपने घर पर बुलाया तो मैं उसके घर पर गया। पहले मुझे काफी डर लग रहा था लेकिन सुहानी घर पर अकेली थी हम दोनों के लिए अच्छा मौका था मुझे नहीं मालूम था कि वह मेरे साथ सेक्स संबंध बनाना चाहती है जब वह मेरे साथ सेक्स संबंध स्थापित करने वाली थी तो मै बड़ा खुश हो गया था और जल्द ही मै उसकी चूत मारने वाला था। मैंने सुहानी से कहा कि मैं तुम्हारी चूत मारना चाहता हूं तो वह भी मेरे लिए तड़पने लगी थी उसने अपने कपड़ों को मेरे सामने खोल दिया सुहानी का बदन देखकर मैं उसके स्तनों को दबाने लगा। जब मैं उसके स्तनों को दबा रहा था तो मेरा लंड खड़ा हो रहा था उसने उसे अपने हाथों में लिया और हिलाना शुरू कर दिया जब वह अपने हाथों से हिला रही थी तो मुझे मजा आ रहा था और मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था काफी देर तक वह मेरे लंड को हिलाती रही उसके बाद उसने अपने मुंह के अंदर समा लिया। जब उसने ऐसा किया तो मुझे बहुत अच्छा लगने लगा और मुझे मजा भी आने लगा था। वह मेरे लंड को बड़े अच्छे से अपने मुंह के अंदर बाहर कर रही थी जिससे कि मेरे अंदर गर्मी बढ़ती जा रही थी मेरे अंदर कि आग अब इतनी बढ़ चुकी थी कि मैं बिल्कुल भी अपने आपको रोक नहीं पा रहा था और मैंने सुहानी को कहा कि मैं तुम्हारी चूत के अंदर लंड को डालना चाहता हूं। मैंने जब उसकी पैंटी को नीचे उतारकर उसकी गुलाबी चूत को देखा तो मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था मैंने उसकी गुलाबी चूत को चाटना शुरु कर दिया था मुझे बहुत ही मजा आ रहा था जब मैं उसकी चूत को चाट रहा था काफी देर तक मैंने ऐसा ही किया उसके बाद उसकी चूत से कुछ ज्यादा ही पानी बाहर निकलने लगा वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। मैंने उसे कहा मुझे भी बड़ा अच्छा लग रहा है जब मैं उसकी चूत को चाट रहा था तो उसने अपने पैरों के बीच में मुझे जकडना शुरू कर दिया और मेरे अंदर की आग उसने पूरी तरीके से बढा कर रख दी। मैंने जब अपने लंड को उसकी चूत के अंदर घुसना शुरू किया तो उसकी चूत के अंदर तक मेरा लंड बड़ी आसानी से चला गया वह बहुत जोर से चिल्लाते हुए मुझे कसकर पकड़ने लगी। मैंने उसे कसकर पकड़ लिया था लेकिन उसने मेरी कमर पर नाखूनो के निशान लगा दिए थे जिसके बाद और ज्यादा मजा आने लगा था।

मुझे बहुत ही मजा आ रहा था मैंने उसे कहा तुम अपने पैरों को थोड़ा सा खोलो उसने अपने पैरों को खोल दिया मेरा लंड उसकी चूत के अंदर जा चुका था जिसके बाद तो मैंने उसे इतनी तीव्र गति से धक्का देना शुरू कर दिया कि उसकी सिसकारियां में बढ़ोतरी हो रही थी और उसकी चूत से निकलता हुआ पानी बहुत ज्यादा अधिक हो चुका था। उसकी चूत से पानी निकलने लगा था और मुझे ऐसा लगने लगा था कि मैंने उसके अंदर की आग पूरी तरीके से बढा दी थी उसकी आग बहुत ही अधिक हो चुकी थी मुझे मजा आने लगा था और उसे भी बड़ा मजा आ रहा था।

मैंने उसे कहा अब मैं तुम्हें घोड़ी बनाकर चोदना चाहता हूं उसने भी मुझे कहा तुम अपने लंड को बाहर निकाल लो मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया जब मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो उसके बाद मैंने उसकी चूत पर अपने लंड को सटाया मेरा लंड अंदर की तरफ जाते ही वह जोर से चिल्लाई और मेरा लंड उसकी योनि को फडाता हुआ अंदर तक जा चुका था। अब मैं उसे बडे ही तेजी से धक्के मार रहा था और जिस तरह मैं उसे धक्के मार रहा था उससे मुझे बड़ा ही मजा आ रहा था वह बहुत ज्यादा खुश हो गई थी मेरे अंदर की आग पूरी तरीके से बढ चुकी थी लेकिन उसके अंदर की गर्मी भी अब इस कदर बढ़ चुकी थी कि मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था। मेरे अंदर कहीं ना कहीं एक अलग ही फीलिंग पैदा हो गई मैं चाहता था कि उसकी चूत के अंदर अपने माल को गिरा दू और मैंने अपने माल को उसकी चूत मे गिरा दिया। हम दोनों एक दूसरे को खुश कर दिया करते ना तो मैं सुहानी से प्यार करता था और ना ही सुहानी मुझसे प्यार करती थी।
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चूत ने वीर्य बाहर खींच लिया


मैं हर रोज की तरह मॉर्निंग वॉक पर गया हुआ था और जब मैं मॉर्निंग वॉक से घर लौटा तो मैंने देखा पापा घर पर अखबार पढ़ रहे थे। मैंने पापा से पूछा कि क्या आज आप ऑफिस नहीं जा रहे हैं तो पापा कहने लगे कि नहीं सार्थक बेटा आज  मैं ऑफिस नहीं जा रहा हूं। मैंने उन्हें कहा कि आज मैं अपने दोस्तों के साथ घूमने के लिए जा रहा हूं तो वह कहने लगे ठीक है मैंने उनसे कहा कि मुझे कुछ पैसे चाहिए थे तो पापा ने मुझे पैसे दे दिए। मैं अपने कॉलेज के दोस्तों के साथ उस दिन घूमने के लिए जाने वाला था और हम लोग उस दिन मूवी देखने के लिए चले गए। जब हम लोग मूवी थिएटर के बाहर टिकट खरीद रहे थे तो वहां पर काफी ज्यादा भीड़ थी और हम लोगों ने किसी प्रकार से टिकट खरीद ली। उसके बाद जब हम लोग मूवी देख कर वापस लौटे तो कुछ देर हम लोग डोमिनोज में बैठे हुए थे वहां पर हम लोग पिज़्ज़ा खा रहे थे तभी हमारे कॉलेज में पढ़ने वाली आशा मुझे दिखाई दी।

आशा हमारे कॉलेज में ही पड़ती है लेकिन उससे मेरी कभी बात नहीं हो पाई वह कॉलेज में हमारी जूनियर है और फिर हम वहां से घर लौट आए। मैं जब घर पहुंचा तो पापा और मम्मी मेरा इंतजार कर रहे थे हम लोगों ने खाना खाया और खाना खाने के बाद मैं अपने रूम में चला गया। थोड़ी देर तक मैं अपने लैपटॉप में ही मूवी देखता रहा मूवी देखने के बाद मैं सो गया मुझे पता ही नहीं चला कि कब मुझे नींद आ गई। मैं जब सुबह उठा तो उस वक्त सुबह के 8:00 बज रहे थे मैं उठकर बाथरूम की तरफ गया और बाथरूम में मुँह धोने के बादआई बाहर आ गया। पापा नाश्ता कर रहे थे वह मुझे कहने लगे कि सार्थक बेटा तुम बहुत देर से उठ रहे हो तो मैंने उन्हें कहा पापा आज मेरी आंख ही नहीं खुल पाई। उसके थोड़ी देर बाद पापा भी अपने ऑफिस चले गए और मैं भी अपने कॉलेज जाने के लिए तैयार होने लगा। जल्दी से मैं अपने कॉलेज के लिए तैयार हुआ और मां ने मुझे नाश्ता दिया उसके बाद मैं भी अपने कॉलेज चला गया मैं जब अपने कॉलेज गया तो मुझे आशा दिखाई दी उस दिन मैंने आशा से बात कर ली और यह दूसरी या तीसरी बार ही था जब मैंने उससे बात की थी।

आशा और मैं एक दूसरे से बात करने लगे थे आशा को पढ़ने का बड़ा शौक था इसलिए वह ज्यादातर समय लाइब्रेरी में ही बिताया करती थी। मैं उसके बिल्कुल विपरीत था मुझे पढ़ने का बिल्कुल शौक नहीं था लेकिन फिर भी मैं आशा के साथ लाइब्रेरी में जाया करता था। हम दोनों के बीच काफी अच्छी बॉन्डिंग होने लगी थी और मेरे दोस्तों को तो यह लगने लगा था कि मेरे और आशा के बीच में कुछ चल रहा है लेकिन मैंने उन्हें कहा ऐसा कुछ भी नहीं है मैं सिर्फ आशा से बात करता हूं। जल्द ही हम दोनों के बीच में रिलेशन बनने वाला था और हम दोनों एक दूसरे को डेट करने लगे थे। मुझे आशा के साथ अच्छा लगता है और उसे भी मेरे साथ काफी अच्छा लगता है। एक दिन मैं और आशा हमारी कॉलेज की कैंटीन में बैठे हुए थे तो वहां पर आशा की बहन आई और वह काफी ज्यादा गुस्से में थी उसकी बहन ने हम दोनों को कहा कि तुम दोनों यहां पर क्या कर रहे हो। आशा भी वहां से चली गई आशा की बहन को ना जाने मुझसे क्या परेशानी थी कि वह अक्सर ही मुझे देख कर आशा को डांट दिया करती थी। आशा और मैं एक दूसरे के साथ फिर भी समय बिताने की कोशिश करते ही थे। एक दिन मैं उससे फोन पर बात कर रहा था जब मैं उससे फोन पर बात कर रहा था तो मुझे उससे फोन पर बातें करते हुए काफी देर हो चुकी थी और मुझे उससे बात करना अच्छा भी लगता है। हम लोग काफी देर तक बात किया करते थे और फोन पर बातें करते करते ना जाने मैं कब सो गया मुझे कुछ पता ही नहीं चला। अगले दिन जब मैं सुबह उठा तो जल्दी से मैं अपने कॉलेज के लिए तैयार हो चुका था और तैयार होने के बाद मैं अपने कॉलेज के लिए चला गया। मैं अपने कॉलेज पहुंचा तो मैंने देखा आशा कॉलेज नहीं आई है मैंने आशा को फोन किया तो आशा मुझे कहने लगी कि आज हम लोग अपने किसी फैमिली फ्रेंड के घर जा रहे हैं। उस दिन आशा कॉलेज नहीं आने वाली थी इसलिए मुझे बड़ा ही अजीब सा महसूस हो रहा था और मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। उस रात मैंने आशा से काफी देर तक बात की और आशा को कहा कि आज तुम मुझे मिली नहीं तो मुझे बड़ा ही अजीब सा महसूस हो रहा था।


आशा और मैं अब एक दूसरे के बिना बिल्कुल भी रह नहीं सकते थे हम दोनों का प्यार ऐसे ही परवान चढ़ता जा रहा था और मुझे आशा का साथ बहुत ही अच्छा लगता है मैं और आशा ज्यादातर समय साथ में बिताते थे। हमारे कॉलेज की पढ़ाई भी पूरी हो चुकी थी और मैं अब नौकरी की तलाश में था जल्द ही मेरी एक अच्छी कंपनी में नौकरी भी लग गई। आशा और मैं अब फोन पर ज्यादा बात करते थे हालांकि मेरी आशा से मुलाकात नहीं हो पाती थी लेकिन उसके बावजूद भी जब भी मैं आशा को मिलता तो हम दोनों एक दूसरे के साथ अच्छा समय बिताने की कोशिश करते। एक दिन आशा और मैं पब में गए हुए थे उस दिन मैंने कुछ ज्यादा ही ड्रिंक कर ली थी जिससे कि उस दिन आशा और मैं एक दूसरे के साथ ही रुकने वाले थे हालांकि पहले आशा इस बात के लिए तैयार नहीं थी लेकिन फिर वह मेरी बात मान गई। हम लोग एक होटल में रुक गए मैंने उस होटल में रूम लिया। जब हम लोग होटल के रूम में गए तो आशा मुझे कहने लगी मैं सो रही हूं मुझे बहुत नींद आ रही है अब आशा सो चुकी थी और मैं उठा हुआ था मुझे नींद ही नहीं आ रही थी मेरा नशा धीरे-धीरे कम होने लगा था।

जब आशा को मैंने अपनी बाहों में लेने की कोशिश की तो वह गहरी नींद में थी वह सो चुकी थी इसलिए मैंने उसे उठाना ठीक नहीं समझा। मैं उसकी जींस को नीचे उतारकर उसकी चूत से अपने लंड को सटाने लगा मेरा लंड खड़ा होने लगा था आशा गहरी नींद में थी। जब वह ऊठी तो उसने मेरे लंड को देखा वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुकी थी शायद वह अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही थी और उसने अपने हाथों में मेरे लंड को लिया। मेरा लंड पूरी तरीके से तन कर खड़ा हो चुका था वह उसे अपने मुंह में लेकर चूसने लगी तो उसे मज़ा आने लगा था। बहुत देर तक उसने मेरे लंड को ऐसे ही चूसा और मेरी गर्मी को उसने पूरी तरीके से बढ़ा दिया मेरे अंदर की आग बहुत बढ़ चुकी थी मुझे लगने लगा था कि मेरे अंदर अब इतनी आग बढ़ चुकी है कि मैं बिल्कुल अपने आपको रोक नहीं पाऊंगा। मैंने उसके कपडे उतार दिए और उसके बूब्स को मैं अपने मुंह में लेकर उनको चूसने लगा वह भी बहुत ही ज्यादा उत्तेजित होने लगी थी और मुझे कहने लगी तुम जल्दी से मेरी चूत मे लंड डाल दो वह बहुत ही ज्यादा बेताब थी। मैंने भी जल्दी से उसकी चूत के अंदर लंड को घुसाने का फैसला कर लिया और जैसे ही मैंने अपने मोटे लंड को उसकी चूत मे घुसाया तो वह जोर से चिल्लाई आशा की योनि से खून आने लगा उसकी चूत से इतना अधिक खून बाहर की तरफ को निकलने लगा था कि मुझे मजा आने लगा था। वह भी मेरे लिए अब तड़पने लगी थी हम दोनों की तडप बढ़ने लगी थी मैंने उसे कहा कि मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। मैंने उसकी चूत के अंदर तक तक लंड को डाल दिया था लेकिन अब आशा की गर्मी कुछ अधिक बढ़ने लगी थी जिससे कि वह मुझे कहने लगी तुम जल्दी से मेरी चूत के अंदर अपने माल को गिरा दो। मैंने जल्दी ही उसकी योनि में अपने माल को गिरा दिया मैंने अपने लंड को बाहर निकाला।

मैंने उसकी चूत को साफ किया और उसकी चूत मे लंड अंदर घुसा दिया जैसे ही मैंने ऐसा किया तो वह जोर से चिल्लाते हुए कहने लगी बहुत ही अच्छा लग रहा है। मुझे अब मजा आने लगा था मेरा लंड उसकी चूत के अंदर पूरी तरीके से सेट हो चुका था जिससे कि मुझे उसे चोदने में आसानी होने लगी थी और उसकी चूत से निकलता हुआ पानी अब और ज्यादा बढ़ने लगा था। उसके अंदर की गर्मी बाहर निकलने लगी थी मेरे अंदर एक अलग ही प्रकार की आग पैदा होने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने उसकी चूत के अंदर बहार अपने लंड को किया मुझे उसे चोदने में बहुत मजा आ रहा था। मैंने उसे उसके पेट के बल लेटा दिया जब मैंने उसकी चूतड़ों को ऊठाकर उसकी चूत को खोला तो मैंने देखा उसकी चूत के अंदर मुझे अपने लंड को डालना चाहिए और मैंने अपने लंड को उसकी चूत मे डाला।

मैंने अपने लंड को उसकी चूत के अंदर डाला तो वह जोर से चिल्लाई और मेरा लंड उसकी चूत के अंदर तक जा चुका था जिसके बाद वह मुझे कहने लगी कि मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है मुझे अब उसको चोदने में मजा आ रहा था लेकिन मेरा माल अभी भी बाहर की तरफ को नहीं गिरा था। वह मुझे कहने लगी कि तुम मुझे ऐसे ही चोतदे जाओ मैं उसे बड़ी तेजी से धक्के मारता तो वह अपनी चूतडो को ऊपर उठाने की कोशिश करती। जब वह ऐसा करती तो उसकी चूत की दीवार से मेरा लंड टकरा जाता जिस से कि उसकी गर्मी अब और अधिक बढ़ने लगी और मेरे अंदर की आग अब बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी। मैंने उसे कहा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है वह इतनी अधिक गर्म हो चुकी थी कि मेरे अंदर की आग को उसने पूरी तरीके से बढ़ा दिया था और मुझे लगने लग गया था कि उसकी चूत मेरे वीर्य को अब बाहर को खींचने लगी है। जैसे ही उसकी चूत मे मे मेरा वीर्य तो मुझे बहुत अच्छा लगा।

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लंड चूत का मिलन


मैं अपनी शादीशुदा जिंदगी बड़े ही अच्छे से पायल के साथ गुजार रहा था मेरी जिंदगी में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं थी और मैं बहुत खुश था। पायल से मेरी मुलाकात करीब 4 वर्ष पहले हुई थी जब पायल का परिवार हमारे पड़ोस में रहने के लिए आया था, पायल और हमारे परिवार के बीच काफी अच्छी बनने लगी थी जिस वजह से पायल और मैं काफी नजदीक आ चुके थे। हम दोनों एक दूसरे के इतने करीब आ गए कि हम दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया था। हालांकि इस बात से मेरे पापा बिल्कुल भी खुश नहीं थे लेकिन मैंने कभी भी यह बात पायल को पता नहीं चलने दी थी। मेरे पापा चाहते थे कि मैं उनके दोस्त की लड़की से शादी करूं लेकिन फिर भी मैंने उन्हें पायल से शादी के लिए कहा तो वह लोग मान गए और मेरी शादी उन्होंने पायल से करवा दी।

शादी के बाद हम दोनों की जिंदगी अच्छे से चल रही थी लेकिन एक दिन जब मुझे पता चला कि पायल मेरे प्रति बिल्कुल भी वफा दार नहीं है तो मैं पायल से दूरी बनाने लगा। हम दोनों एक ही छत के नीचे रहते लेकिन उसके बावजूद भी हम दोनों एक दूसरे से बात नहीं किया करते हम दोनों सिर्फ नाम के ही पति-पत्नी थे और इसके अलावा हम दोनों ना तो एक दूसरे से कुछ बातें करते और ना ही मुझे पायल से बात करना अच्छा लगता था। मैं चाहता था कि पायल से मैं तलाक ले लूं लेकिन यह सब इतना आसान नहीं था पायल से मैं डिवोर्स तो लेना चाहता था लेकिन मुझे यह भी डर था की  मैंने ही पायल को पहले शादी के लिए कहा था लेकिन धीरे-धीरे हम दोनों के बीच अब काफी गहरी खाई बढ़ने लगी थी जिसकी वजह से पायल अब मेरे साथ नहीं रहना चाहती थी। एक दिन पायल ने मुझे कहा कि सुधीर मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकती पायल के ऐसा कहने से मैं काफी खुश था और मैं तो चाहता ही था कि मैं पायल से डिवोर्स ले लूं और मैंने पायल से डिवोर्स ले लिया। पायल से डिवोर्स लेने के बाद मैं अपने काम पर पूरी तरीके से ध्यान देने लगा पायल और मैं अब अलग हो चुके थे और हम दोनों कि मुलाकात कम ही हुआ करती थी। पायल अपनी दीदी के पास इंग्लैंड चली गई थी जिस वजह से हम दोनों की मुलाकात अब काफी कम हुआ करती थी।

एक दिन पायल ने मुझे फोन किया पायल ने जब उसने मुझे फोन किया तो वह मुझे कहने लगी कि सुधीर मुझे तुम्हारे साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था उसके लिए मैं तुमसे माफी मांगना चाहती हूं। मैंने पायल को कहा देखो पायल अब जो होना था वह तो हो चुका है अब हम दोनों को अपनी जिंदगी में आगे बढ़ कर सोचना चाहिए और हम दोनों अब अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुके थे। मैं अपने बिजनेस पर पूरा ध्यान लगा रहा था जिससे कि मेरा बिजनेस भी अच्छा चलने लगा था और सब कुछ मेरी जिंदगी में ठीक होने लगा था। एक दिन मेरी मुलाकात पार्क में आकांक्षा से हुई जब मैं आकांक्षा से मिला तो आकांक्षा के साथ बात करना मुझे अच्छा लगने लगा लेकिन आकांक्षा और मेरा इतना भी परिचय नहीं था कि मैं आकांक्षा को मिल पाता। करीब एक महीने बाद आकांशा और मेरी मुलाकात दोबारा से हुई। जब हम दोनों की मुलाकात हुई तो उस दिन मैंने आकांक्षा को अपने साथ डिनर पर इनवाइट किया और आकांक्षा मेरी बात मान गई। उस दिन हम दोनों साथ में थे तो आकांक्षा ने मुझे बताया कि उसका आज बर्थडे भी है यह बात सुनकर मैंने आकांक्षा से कहा मैं बस अभी आता हूं। मैं वही पास के एक स्टोर में गया और वहां से आकांक्षा के लिए गिफ्ट ले लिया उस समय मेरा आकांक्षा के लिए कुछ बड़ा गिफ्ट लेना तो संभव नहीं था लेकिन मुझे जो मिला मैंने वह ले लिया और आकांक्षा को दिया। आकांक्षा बहुत खुश हो गई आकांक्षा मुझे कहने लगी कि सुधीर तुम्हें यह सब करने की क्या जरूरत थी। मैंने आकांक्षा को कहा आकांक्षा अगर मुझे पता होता कि आज तुम्हारा बर्थडे है तो उसे हम और अच्छे से सेलिब्रेट करते आकांक्षा मुझे कहने लगी कि मुझे अकेला ही अच्छा लगता है और मुझे अच्छा लगा कि आज तुम मेरे साथ हो। हम दोनों साथ में थे और हम दोनों ने साथ में अच्छा समय बिताया काफी समय बाद मुझे ऐसा लगा था कि जैसे मैं उस दिन खुश था मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट थी। जब उस दिन मैं देर रात घर लौटा तो मेरी मां कहने लगी कि सुधीर बेटा अभी तुम कहां से आ रहे हो तो मैंने मां को बताया कि मां मैं अपने एक दोस्त के साथ था इसलिए मुझे आने में देर हो गई।


मां और मैं कुछ देर बैठे रहे फिर मां सोने के लिए चली गयी और मैं उस रात सिर्फ आकांशा के बारे में ही सोचता रहा मेरे दिमाग में सिर्फ आकांक्षा का ही ख्याल आ रहा था। अगले दिन मुझे आकांक्षा ने फोन किया और उसने मुझसे मिलने की बात कही तो मैं उससे मिलने के लिए चला गया। जब मैं उससे मिलने के लिए गया तो मुझे आकांक्षा को मिलकर बहुत ही अच्छा लगा और वह भी काफी खुश थी। वह मुझे कहने लगी कि मुझे भी तुमसे मिलकर बहुत अच्छा लग रहा है उस दिन हम दोनों ने साथ में समय बिताया। आकांक्षा को मेरे बारे में सब कुछ पता था उसे यह भी मालूम था कि मेरा डिवोर्स हो चुका है और पायल और मैं एक दूसरे से प्यार करते थे हम दोनों ने शादी की लेकिन हम दोनों अपने रिश्ते को आगे ना बढा पाए। आकांक्षा और मेरे बीच बहुत ही ज्यादा नजदीकियां बढ़ती जा रही थी और एक दिन मैंने आकांक्षा को कहा मुझे तुमसे मिलना था। आकांक्षा ने मुझे अपने घर पर बुला लिया हम दोनों साथ में बैठे हुए थे आकांक्षा का भरोसा मैं पूरी तरीके से जीत चुका था।

अब हम दोनों उस दिन साथ में थे मैंने आकांक्षा को कहा तुम्हारे होंठ बहुत ही अच्छे लग रहे हैं उसने अपने होठों पर लाल रंग की लिपस्टिक लगाई हुई थी उसे देख मेरा लंड तन कर खड़ा हो रहा था और मेरा मन कर रहा था कि वह अपने लाल होठों से मेरे लंड को चूसे। मैंने जब उसके हाथ को पकड़ा तो उसके हाथ से काफी ज्यादा गर्मी बाहर निकल रही थी मैं समझ चुका था उसकी गर्माहट बहुत ज्यादा बढ़ने लगी है वह ज्यादा देर तक अपने आपको नहीं रोक पाएगी। मैंने भी उसे अपनी बाहों में लेने की कोशिश की जब मैंने उसे अपनी बाहों में समा लिया तो वह बहुत ही ज्यादा खुश हो गई। मैंने उसके लाल होंठों को चूमना शुरू किया उसके लाल होठों को चूमकर मुझे अच्छा लग रहा था और उसकी लिपिस्टिक मेरे होठों पर लग चुकी थी काफी देर तक चुम्मा चाटी करने के बाद अब मुझे एहसास होने लगा था कि मुझे उसे अपने लंड को चूसवाना है। मैंने उससे कहा तुम अपने होठों पर लिपस्टिक लगा लो मैंने जब अपने लंड को बाहर निकाला तो उसने भी अपने होठों पर लिपस्टिक लगाकर अपने होठों को लाल कर लिया और मेरे लंड को चूसने लगी। उसकी लिपस्टिक मेरे लंड पर लगने लगी लेकिन जिस प्रकार से वह लंड को अपने गले के अंदर तक ले रही थी उससे मुझे बड़ा आनंद आ रहा था और वह बहुत ज्यादा खुश हो गई थी। उसने मुझे कहा मुझे बहुत ही मजा आ रहा है अब उसके अंदर की गर्मी इतनी अधिक होने लगी थी कि मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर लगाया तो वह बहुत जोर से चिल्लाते हुए कहने लगी कि तुम अपने लंड को मेरी योनि में प्रवेश करवा दो। मैंने जैसे ही अपने लंड को उसकी योनि के अंदर डालना शुरू किया तो वह चिल्लाने लगी मेरा लंड उसकी योनि के अंदर तक जा चुका था मेरा लंड उसकी चूत की दीवार से टकरा था और मेरी गर्मी बढ जाती। मै उसके स्तनों को दबाने लगा वह बहुत ही ज्यादा खुश थी उसके चेहरे पर साफ नजर आ रहा था। मैंने उसे अब इतनी तीव्रता से चोदना शुरू कर दिया था कि वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी और मुझे कहने लगी मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही हूं।

यह बात सुनते ही जैसे मेरे अंदर गर्मी बढ़ती चली गई मैंने उसके दोनों पैरों को आपस में मिलाकर उसे बड़ी तीव्रता से चोदना शुरू किया मैं जिस तेज गति से धक्के मार रहा था उसे बहुत अच्छा लग रहा था कुछ देर तक ऐसे ही मैंने उसे चोदा लेकिन उसकी चूत मेरे लंड से मेरे वीर्य को बाहर निकाल रही थी इसलिए मेरा वीर्य जल्दी बाहर गिर गया। जैसे ही मेरा वीर्य पतन हुआ तो मैं बहुत ही ज्यादा खुश था और मुझे बहुत ही अच्छा लगा। मैंने उसकी योनि में अपने सफेद माल को गिरा दिया वह खुश हो गई लेकिन कुछ देर के बाद मेरी इच्छा दोबारा उसको चोदने की होने लगी। मैंने उसे कहा तुम मेरे लंड को चूसो उसने बड़े ही अच्छे तरीके से मेरे मोटे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसा और उसे बहुत ही मजा आया।

मुझे भी मजा आ रहा था वह मेरे लंड को बड़े अच्छे से चूस रही थी और मेरी गर्मी को बढ़ाती ही जा रही थी। उसने मेरी गर्मी को पूरी तरीके से बढ़ा दिया था मेरी गर्मी अब इतनी अधिक हो चुकी थी मैंने उसे कहा तुम अपनी चूतडो को मेरी तरफ कर लो उसने अपनी चूतड़ों को मेरे तरफ किया तो मैंने उसकी चूत की तरफ देखा और अपने लंड को उसकी चूत पर लगाते हुए धीरे धीरे अंदर की तरफ धक्का देना शुरू कर दिया मेरा लंड उसकी योनि के अंदर तक चला गया था। जब मेरा लंड उसकी योनि के अंदर गया तो मुझे मजा आने लगा वह बहुत ज्यादा खुश हो गई थी वह जोर से चिल्लाई और मेरा लंड उसकी योनि को अंदर चला गया था उसने मुझे कहा तुमने मेरी चूत फाड़ दी। मैंने उसे कहा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है अब मैंने उसकी पतली कमर को अपने हाथों में पकड़ लिया था और उसकी चूत में बड़ी तेजी से प्रहार करने लगा था मुझे अच्छा लग रहा था और उसे भी बहुत मजा आ रहा था। उसने मुझे कहा तुम अपने लंड को मेरी चूत के अंदर बाहर करते रहो और मेरी गर्मी को जल्दी मिटा दो मैंने उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को बहुत देर तक किया और उसकी गर्मी को शांत कर दिया था। उसकी गर्मी शांत हो गई और मुझे बहुत ही अच्छा लगा आकांक्षा के साथ संभोग कर के मुझे आनंद आ गया।
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कामवाली को गोद मे बैठा लिया


पापा के रिटायरमेंट के बाद हम लोग मुंबई रहने के लिए आ गए मुंबई में उन्हें मैनेज करने में थोड़ा परेशानी जरूर हुई लेकिन अब सब कुछ ठीक होने लगा। मैं और मेरी पत्नी सुधा हम दोनों ही नौकरी पेशा हैं हम दोनों सुबह के वक्त अपने ऑफिस चले जाया करते है और शाम को ही हमारा ऑफिस से लौटना होता है। मम्मी और पापा को भी कई बार लगता था कि वह सिर्फ घर की चारदीवारी में कैद हैं। एक दिन पापा ने मुझसे कहा कि बेटा कई बार हम लोगों का यहां मन नहीं लगता मैंने उन्हें कहा कि क्या आपको यहां किसी चीज की परेशानी है तो वह कहने लगे कि बेटा हमें यहां किसी भी चीज की परेशानी नहीं है लेकिन फिर भी ना जाने क्यों हमारा यहां मन बिल्कुल नहीं लगता। वह लोग कुछ दिनों के लिए मेरी बुआ जी से मिलने के लिए जाना चाहते थे मेरी बुआ जो कि दिल्ली में रहती हैं। मैंने पापा और मम्मी की फ्लाइट की टिकट बुक करवा दी और उन्हें कहा कि कुछ दिन आप दिल्ली चले जाइये।

जिस दिन वह लोग दिल्ली जा रहे थे उस दिन सुबह मैंने उन्हें एयरपोर्ट तक छोड़ा और उसके बाद मैं घर वापस लौट आया। मैं जब घर वापस लौटा तो उस वक्त 8:00 बज रहे थे हमारे घर में काम करने वाली मेड भी आ चुकी थी और वह नाश्ता बना रही थी सुधा अपने ऑफिस के लिए तैयार हो रही थी और हम दोनों ही जल्दी से ऑफिस के लिए तैयार हो गए। हम दोनों ने ब्रेकफास्ट किया और उसके बाद मैं और सुधा साथ में ही निकल पड़े मैंने सुधा को उसके ऑफिस छोड़ा और उसके बाद मैं अपने ऑफिस चला गया। हर रोज की तरह अपने ऑफिस में काम करने के बाद शाम को घर लौटा तो सुधा मुझसे पहले घर पहुंच चुकी थी सुधा मुझे कहने लगी कि आज मम्मी पापा दिल्ली चले गए तो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा है। मैंने सुधा को कहा हां तुम बिल्कुल ठीक कह रही हो मैं अभी पापा और मम्मी को फोन कर देता हूं। मैंने पापा के नंबर पर फोन किया तो उन्होंने मेरा फोन नहीं उठाया लेकिन 10 मिनट के बाद उनका फोन मुझे आया और वह कहने लगे कि मनोज बेटा तुम मुझे फोन कर रहे थे। मैंने उन्हें बताया कि हां दरअसल मैं आप लोगों से बात करना चाह रहा था आप दोनों को कोई परेशानी तो नहीं हुई।

पापा कहने लगे कि नहीं बेटा हमें कोई परेशानी नहीं हुई हम लोग तुम्हारी बुआ जी के साथ ही बैठे हुए हैं पापा ने मेरी बुआ जी से भी बात करवाई उनसे मैंने करीब 10 मिनट तक फोन पर बात की और उनका हालचाल पूछा। मैंने उन्हें कहा कि कभी आप मुंबई आइए तो वह मुझे कहने लगे बेटा तुम तो जानते ही हो कि घर में कितना काम होता है लेकिन तुमने यह बहुत अच्छा किया कि कुछ दिनों के लिए भैया और भाभी को यहां हमारे पास भेज दिया। मैंने उन्हें कहा पापा काफी दिनों से कह रहे थे कि उनका मन यहां बिल्कुल भी नहीं लग रहा है तो मैंने सोचा कि कुछ दिन वह आप लोगों के पास रहेंगे तो उन्हें भी अच्छा लगेगा। मैंने फोन रख दिया था सुधा और मैं साथ में बैठे हुए थे सुधा मुझे कहने लगी कि मनोज आजकल ऑफिस में कुछ ज्यादा ही काम होने लगा है। मैंने सुधा से कहा कि तो फिर तुम कुछ दिनों के लिए ब्रेक ले लो वह मुझे कहने लगी कि नहीं। हम दोनों साथ में बैठ कर बात करें ही रहे थे कि मैंने घड़ी की तरफ देखा तो उस वक्त 9:00 बज चुके थे मैंने सुधा से कहा टाइम का पता ही नहीं चला कि कम 9:00 बज गए। अब हम लोगों ने डिनर किया और उसके बाद कुछ देर तक हम लोग अपने फ्लैट के टेरेस में चले गए टेरेस में हम लोग काफी देर तक बैठे रहे और उसके बाद हम लोग वहां से अपने रूम में आ गए। उसके बाद हम दोनों सोने की तैयारी कर रहे थे और मुझे कब नींद लग गई मुझे कुछ पता ही नहीं चला। अगले दिन सुबह मैं जल्दी उठ गया था तो उस दिन मैं अपनी कॉलोनी के पार्क में ही चला गया मैं कुछ देर पार्क में टहल रहा था तो मुझे अच्छा लग रहा था उसके बाद मैं अपने घर आ गया। जब मैं घर पहुंचा तो सुधा मुझे कहने लगी कि मनोज तुम कहां चले गए थे तो मैंने सुधा को कहा कि मैं पार्क में चला गया था। वह कहने लगी कि तुम मुझे बिना बताए ही चले गए तो मैंने सुधा को कहा कि हां सुबह मैं जल्दी उठ गया था तो सोचा कि पार्क में टहल आता हूं। हर रोज की तरह हम लोग अपने ऑफिस की तैयारी करने लगे और ब्रेकफास्ट करने के बाद हम दोनों ऑफिस चले गए लेकिन उस दिन मेरा ऑफिस में बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था और मेरे सर में भी काफी तेज दर्द हो रहा था इसलिए मैंने सोचा कि मुझे घर जल्दी चले जाना चाहिए और मैं उस दिन घर जल्दी लौट आया।


मैं घर जल्दी लौट आया था और मैंने सुधा को फोन कर दिया था कि मैं घर लौट आया हूं तो वह मुझे कहने लगी कि मनोज सब कुछ ठीक तो है। मैंने सुधा को बताया कि मेरे सर में दर्द हो रहा था जिस वजह से मैं घर लौट आया तो सुधा कहने लगी कि कोई बात नहीं आप घर जल्दी आ गए तो आपने काफी अच्छा किया। शाम के करीब 6:00 बज रहे थे हमारी नौकरानी लता घर पर आ चुकी थी जब वह घर पर आई तो उसने मुझे देखा और कहने लगी साहब आज आप जल्दी आ गए। मैंने उससे कहा आज मेरे सर में दर्द था तो मैं जल्दी आ गया वह मुझे कहने लगी मैं आपके सर की मालिश कर देती हूं और आपके सर का दर्द दूर हो जाएगा। मैंने उसे कहा क्या वाकई में तुम मेरे सर की मालिश कर सकती हो। वह कहने लगी हां क्यों नहीं उसने अब मेरे सर की मालिश करनी शुरू की तो मेरे सर का दर्द दूर हो गया मैं अब ठीक हो गया था मैंने उसे कुछ पैसे दिए जब मैंने उसे कुछ पैसे दिए तो उसके हाथ को मैंने छू लिया और मेरे अंदर एक करंट सा दोडने लगा मेरा मन उसे अपने बिस्तर पर सुलाने का होने लगा।

मैंने उसे अपने पास बैठने के लिए कहा तो वह मेरे पास बैठ गई अब वह मेरे पास बैठ चुकी थी मैं उसकी जांघों पर अपने हाथ को रखकर उसे अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहा था अब वह मेरी बातों को समझने लगी थी। मैंने जब उसके स्तनों को अपने हाथ से दबाना शुरू किया तो उसने कोई आपत्ति नहीं जताई। अब मैं उसके स्तनों को अपने हाथों से बड़े अच्छे तरीके से दबाने लगा था उसे भी मजा आने लगा था मैंने उसे अपने बिस्तर पर लेटा दिया लता बिस्तर पर लेट चुकी थी मैं उसके ब्लाउज को उतार कर उसकी ब्रा के हुक को खोलकर उसके स्तनों को चूसने लगा। उसके स्तनों को मै अपने मुंह में ले रहा था तो उसक निप्पल खडे होने लगे थे मेरा लंड भी खड़ा होने लगा था। मैंने अपने कपड़े उतार दिए और अपने लंड को लता के स्तनों के बीच में रगडने लगा तो उसे भी मजा आने लगा। वह बहुत ही ज्यादा उत्तेजित होने लगी अब उसने मेरी गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ा दी थी मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था मैंने उसकी साड़ी को ऊपर करते हुए उसकी गुलाबी चड्डी को नीचे उतार लिया। जब मैंने ऐसा किया तो उसकी चूत से पानी बाहर की तरफ आने लगा था और मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था। जब मैं उसकी चूत को ज्यादा चाटता तो मुझे उसकी चूत को चाटने में बड़ा मजा आ रहा था अब मैंने उसकी चूत को इतनी देर तक चाटा की वह पूरी तरीके से मचलने लगी। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है मैं अब पूरी तरीके से गर्म हो चुका था। मैंने अब अपने लंड को उसकी योनि पर सटाकर अंदर की तरफ डालना शुरू किया मेरा लंड उसकी चूत के अंदर चला गया और मेरा मोटा लंड उसकी चूत को फाडता हुआ अंदर की तरफ गया तो मुझे बहुत ही मजा आया।

मेरे अंदर कहीं ना कहीं एक अलग ही आग पैदा हो गई थी जिससे कि मैं बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो चुका था वह मुझे अपनी और आकर्षित करने लगी। मुझे बड़ा मजा आ रहा था मैंने उसके स्तनों को काफी देर तक दबाया वह पूरी तरीके से गर्म होने लगी थी मैंने अपने लंड उसकी चूत के अंदर बाहर बड़ी तेजी से किया मैंने उसे घोड़ी बनाया तो वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। मैंने उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को बड़े अच्छे से करना शुरू कर दिया वह मेरे लिए तड़प रही थी इसलिए वह मुझसे अपनी चूतड़ों को बड़े अच्छे से टकराए जा रही थी तो मुझे बड़ा मजा आ रहा था और उसे भी बहुत ही अच्छा लग रहा था। मेरे अंदर की आग को उसने बहुत ज्यादा बढ़ा दिया था अब वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी उसकी चूत से कुछ ज्यादा ही पानी बाहर निकलने लगा था और मेरे अंडकोषो से भी बहुत पानी बाहर की तरफ को निकल आया था।

मैं समझ गया था अब मेरा माल जल्दी ही बाहर गिरने वाला है मैंने उसकी पतली कमर को कस कर पकड़ लिया और उसे तेजी से मै धक्के देने लगा। मैं उसको जिस तरह से धक्के मार रहा था उससे मुझे बहुत ज्यादा मजा आ रहा था वह भी बहुत ही ज्यादा खुश हो गई थी। मुझे भी बड़ा मजा आने लगा था और उसे भी बहुत ही अच्छा लग रहा था आखिरकार मेरा माल उसकी चूत के अंदर गिर गया। जब मेरा माल उसकी चूत के अंदर गिरा तो मैंने अपने लंड को बाहर निकाला उसने मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया और उसे बड़े अच्छे से चूसा मेरे लंड से मेरे पूरे वीर्य को साफ कर दिया। मैं बहुत ज्यादा खुश था और उसके चेहरे पर भी बड़ी खुशी थी उसने अपने कपड़े पहन लिए और वह रसोई में जाकर अपना काम करने लगी। मैं भी अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था और थोड़ी देर बाद ही सुधा भी घर लौट आई थी वह मुझे कहने लगी अब आपका सर दर्द कैसा है? मैंने उसे कहा अब तो मेरा सर दर्द बहुत ही अच्छा है और मै पहले से अच्छा महसूस कर रहा हूं।
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मुझे गोद मे बैठा लो


मैंने कुछ दिनों पहले ही दिल्ली में नया ऑफिस जॉइन किया था मुझे उस ऑफिस को ज्वाइन किए हुए अभी कुछ दिन ही हुए थे इससे पहले मैं दूसरी कंपनी में जॉब करता था। यह मेरा पहला ही दिन था और पहले ही दिन मेरी मुलाकात अनिल के साथ हुई अनिल से मेरी काफी अच्छी जमने लगी थी तो एक दिन अनिल ने मुझे अपने घर पर डिनर के लिए इनवाइट किया। मैंने उसे मना किया लेकिन वह कहने लगा कि इस बहाने हम लोगों का परिवार से परिचय तो हो जाएगा मैंने उसे कहा ठीक है मैं जरूर तुम्हारे घर पर आऊंगा। मैं उस दिन जब घर पहुंचा तो मैंने आकांक्षा को कहा कि कल हम लोगों को अनिल के घर डिनर के लिए जाना है तो वह कहने लगी कि ठीक है राकेश कल जब आप ऑफिस से आएंगे तो मैं तैयार हो जाऊंगी। मैं उसके बाद बाथरूम में चला गया उस दिन काफी ज्यादा गर्मी हो रही थी तो मैं बाथरूम से नहाकर 10 मिनट बाद निकला।

आकांक्षा ने मेरे लिए चाय बना दी थी और मैंने चाय पी उसके बाद आकांक्षा और मैं साथ में बैठे हुए थे मैंने आकांक्षा से कहा कि मां की तबीयत अब कैसी है तो वह कहने लगी कि उनकी तबीयत पहले से बेहतर है। मैं मां के कमरे में गया तो वह सो रही थी इसलिए मैंने उन्हें उठाना ठीक नहीं समझा अगले दिन हम लोग अनिल के घर पर गए अनिल ने अपने माता-पिता और अपनी पत्नी से हम लोगों को मिलवाया। जब हम लोग उनके घर गए तो उस दिन अनिल और मैं एक दूसरे के साथ बैठे हुए थे अनिल ने मुझे कहा कि चलो हम लोग थोड़ी ड्रिंक कर लेते हैं और हम लोगों ने उस दिन शराब पी ली। शराब पीते पीते हम दोनों बातें कर रहे थे हम लोगों ने डिनर किया और उसके बाद हम लोग घर वापस लौट आए जब हम लोग घर वापस लौट आए तो मेरी पत्नी आकांक्षा मुझे कहने लगी कि आज हमें अनिल भाई साहब के घर पर काफी अच्छा लगा। हम लोग घर पहुंच चुके थे और घर पहुंचने के बाद हम दोनों अब सोने की तैयारी कर रहे थे तो आकांक्षा मुझसे कहने लगी कि राकेश कल मैं अपनी मम्मी से मिलने के लिए जाऊंगी तो मैंने उसे कहा ठीक है मैं तुम्हें तुम्हारी मम्मी के घर पर छोड़ दूंगा। आकांक्षा के पापा का देहांत काफी समय पहले हो चुका है और आकांक्षा की मम्मी ने ही उनकी देखभाल की है।

अगले दिन मैं आकांक्षा को छोड़ने के लिए उसके घर चला गया और वहां से मैं अपने ऑफिस निकल गया आकांक्षा उस दिन अपनी मम्मी के पास ही रुकने वाली थी इसलिए उस दिन मैं और मेरी मां ही घर पर थे। मैंने उस दिन बाहर से ही खाना मंगवा लिया था और फिर हम लोगों ने खाना खाया, मां कहने लगी कि राकेश बेटा मैं सोच रही हूं कुछ दिनों के लिए मैं राधिका के पास चली जाऊं। मैंने मां से कहा ठीक है मां मैं कल ही राधिका से इस बारे में बात कर लेता हूं। राधिका मेरी बहन का नाम है और मेरी मां ने जब मुझे यह बात कही तो मैंने अगले दिन राधिका से बात की और राधिका कहने लगी कि ठीक है भैया आप मम्मी को हमारे घर पर छोड़ देना। मैंने अगले दिन मम्मी को राधिका के घर पर छोड़ दिया था। आकांक्षा भी वापस लौट आई थी उस दिन ऑफिस में कुछ ज्यादा ही काम था इसलिए मुझे घर लौटने में देर हो गई थी आकांक्षा का मुझे फोन बार-बार आ रहा था लेकिन मैं उसका फोन उठा नहीं पाया था तो मैंने आकांक्षा को दोबारा फोन किया और कहा कि मैं अभी ऑफिस में बिजी हूं थोड़ी देर बाद घर आ रहा हूं। मैं उस दिन देर रात से घर पहुंचा आकांशा मेरा इंतजार कर रही थी मैंने उसको कहा कि क्या तुमने खाना खा लिया है तो वह मुझे कहने लगी कि मैं आपका इंतजार कर रही थी। उसके बाद हम लोगों ने साथ में खाना खाया और उस दिन मैं जल्दी सो गया मुझे पता ही नहीं चला कि कब मुझे गहरी नींद आ गई क्योंकि ऑफिस में ज्यादा काम हो जाने की वजह से मैं बहुत ज्यादा थक चुका था। कुछ दिनों से ऑफिस में कुछ ज्यादा ही काम था इसलिए मुझे आकांक्षा के साथ समय नहीं मिल पा रहा था मां अभी भी राधिका के पास ही थी लेकिन जिस दिन मेरी छुट्टी थी उस दिन आकांक्षा और मैं साथ में कहीं जाना चाहते थे। आकांशा को शॉपिंग करनी थी तो मैं उस दिन उसे अपने साथ ले गया आकांक्षा ने भी काफी शॉपिंग की और वह बहुत ज्यादा खुश थी। मैं और आकांक्षा एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं इसलिए मैं उसे कभी भी किसी प्रकार की कोई कमी नहीं होने देना चाहता था।


उस दिन जब हम दोनों घर लौटे तो आकांक्षा मुझे कहने लगी कि राकेश आज मुझे काफी अच्छा लग रहा है इतने दिनों बाद तुमने मेरे लिए समय निकाला। मैंने आकांक्षा को कहा तुम तो जानती ही हो कि ऑफिस में कितना ज्यादा काम हो जाता है जिस वजह से मुझे अपने लिए बिल्कुल समय नहीं मिल पाता। मैं काफी दिनों से सोच रहा था कि तुम्हें मैं अपने साथ कहीं लेकर जाऊं लेकिन तुम तो जानती ही हो कि मुझे बिल्कुल भी समय नहीं मिल पा रहा था इस वजह से मैं कहीं जा भी नहीं पा रहा था। आकांक्षा और मैं एक दूसरे के साथ बहुत ही खुश हैं। अगले दिन जब मैं ऑफिस गया तो मैंने देखा हमारे ऑफिस में एक नई महिला जॉब करने के लिए आई हुई है उसके पीछे हमारे ऑफिस का लगभग आधे से ज्यादा स्टॉक पड़ा हुआ था सब लोग उसके गदराए हुए बदन को देखकर उसकी तरफ इतना ज्यादा मोहित है हर कोई उसको गोद में बैठाना चाहता था लेकिन जब मैंने उस पर लाइन मारनी शुरू कि तो वह मेरी तरफ फिदा होने लगी उसका नाम मोहनी है मोहनी अपने नाम के अनुसार ही सुंदर थी और दिखने मे बहुत ही ज्यादा अच्छी है। मैं उसे जब भी देखता तो मुझे बहुत अच्छा लगता मैं हमेशा उसकी तारीफ किया करता एक दिन मोहनी के पति अपने काम के सिलसिले में बाहर गए हुए थे।

उसने मुझे साथ चलने के लिए कहा मुझे नहीं पता था कि वह मुझे अपने हुस्न का प्याला पिलाना चाहती है उसने मुझे अपने घर पर बुलाया तो मैं उसके घर पर चला गया। उसके घर पर जाने के बाद मैंने जब उसके बदन को महसूस करना शुरू किया तो मुझे अच्छा लगने लगा वह मेरी गोद में आकर बैठ गई मेरे अंदर की आग बढ़ने लगी थी मैंने उसकी गर्मी को पूरी तरीके से बढ़ाकर रख दिया था। वह मुझसे अपनी चूत मरवाने के लिए तड़प रही थी मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी चूत मारने के लिए तैयार हूं मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू किए तो वह मुझे अपने साथ अपने बेडरूम में ले गई हम दोनों उसके बेडरूम में चले गए। जब हम लोग उसके बेडरूम में गए मैं उसके बदन को बड़े अच्छे तरीके से महसूस करने लगा था और उसके होठों को मैं चूमने लगा था। उसके होठों को चूम कर मेरे अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी और मुझे मजा आने लगा था मैं जिस प्रकार से उसके होठों को चूम रहा था उससे मेरे अंदर की आग इतनी ज्यादा बढ़ चुकी थी कि मैं उसकी चूत मारने के लिए तैयार था मैंने उसके बदन को महसूस करना शुरू कर दिया था कहीं ना कहीं वह भी मेरे लंड को अपने मुंह में लेना चाहती थी मैंने अब अपने लंड को बाहर निकाला तो उसने उसे अपने मुंह में लेने के लिए अपने हाथ को आगे बढ़ाया। वह पहले तो मेरे लंड को अपने हाथों से हिला रही थी उसे बड़ा मजा आ रहा था और मुझे भी बहुत ही अच्छा महसूस होने लगा था। मैंने उसके अंदर की गर्मी को पूरी तरीके से बढ़ाकर रख दिया था मैं उसे कहने लगा तुम ऐसे ही चूसती रहो मेरे मोटे लंड को वह अपने मुंह के अंदर लेकर अच्छे से चूस रही थी मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा था मेरे अंदर की आग अब इतनी ज्यादा बढ़ने लगी थी कि वह मुझे कहने लगी मेरे अंदर की आग बहुत ज्यादा ही बढ़ चुकी है।

मैंने उसके बदन से सारे कपड़े उतार दिए और उसकी चूत को मैं चाटने लगा जब मैं उसकी चूत को चाटने लगा तो मुझे इतना मजा आने लगा था कि मेरे अंदर की गर्मी बहुत बढ़ने लगी और उसकी चूत से निकलता हुआ लावा पूरी तरीके से बढ़ चुका था। मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी चूत के अंदर अपने लंड को डालना चाहता हूं मैंने अपने लंड को उसकी चूत के अंदर डाल दिया। मेरा लंड उसकी चूत के अंदर चला गया मुझे बहुत अच्छा लग रहा था वह जिस प्रकार से मुझे अपने दोनों पैरों के बीच में जकडने की कोशिश करती उससे मुझे बहुत मजा आने लगा था।

उसके अंदर की आग और भी ज्यादा बढ़ती जा रही थी मैंने उसके पैरों को अपने कंधों पर रखा और मैंने उसे तेजी से धक्के मारने शुरू किए करीब 5 मिनट की चुदाई का आनंद लेने के बाद मेरा माल बाहर गिर गया जैसे ही मेरा माल गिरा तो उसके बाद मैंने उसको कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसती रहो। वह बड़े ही अच्छे से मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी और मुझे बहुत ही अधिक मज़ा आने लगा था मेरे अंदर की आग बढने लगी थी। वह मुझे कहने लगी आपने मेरे अंदर की आग बहुत ज्यादा बढ़ा दी है मैंने उसे घोडी बना दिया और घोड़ी बनाने के बाद जब मैं उसे चोदने लगा तो मुझे मजा आने लगा था। उसकी चूत मारकर मुझे इतना मजा आने लगा था कि मैं एक पल भी अब रह नहीं पा रहा था मैंने उसे कहा मैं रह नहीं पा रहा हूं। मैंने उसे बड़ी तेज गति से चोदना शुरू किया मेरा लंड पूरी तरीके से छिल चुका था। उसका बदन और भी ज्यादा गर्म होने लगा था मैंने जैसे ही अपने वीर्य की पिचकारी को उसकी चूत के अंदर गिराया तो वह खुश हो गई और मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही मजा आ गया।
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चूत ने मुझे अपनी ओर आकर्षित कर लिया


मैं अपने दोस्त राजेश के घर काफी समय बाद गया था जब मैं राजेश के घर उससे मिलने के लिए गया तो उसकी मां ने दरवाजा खोला और मुझे कहने लगी मुकेश बेटा तुम काफी दिनों बाद करा रहे हो। मैंने आंटी से कहा कि आंटी दरअसल आजकल कुछ ज्यादा काम था इसलिए मैं आ नहीं पाया, मैंने उनसे कहा कि क्या राजेश घर पर है तो उन्होंने कहा कि नहीं बेटा वह तो घर पर नहीं है। मैंने उन्हें कहा कि लेकिन वह कब तक घर आएगा उन्होंने कहा कि बेटा राजेश आजकल बहुत ज्यादा परेशान दिखता है और वह घर पर किसी से भी बात नहीं करता है। मैं दरवाजे पर ही खड़ा था तो मुझे आंटी ने अंदर आने के लिए कहा और मैं अंदर चला गया वह काफी ज्यादा परेशान थी और कहने लगे कि राजेश कुछ दिनों से बहुत ही ज्यादा परेशान है और अपनी परेशानी को वह हमसे शेयर नहीं कर रहा है जिस वजह से हमें भी काफी ज्यादा बुरा लगता है। मुझे इस बारे में कुछ पता नहीं था क्योंकि मैं राजेश के घर करीब दो महीने बाद जा रहा था मैं राजेश से मिलना चाहता था लेकिन राजेश घर पर नहीं था।

मुझे राजेश के बारे में जानकर बहुत ही बुरा लगा उसके बाद मैं अपने घर तो लौट आया था लेकिन मेरे दिमाग में सिर्फ राजेश के बारे में ही ख्याल चल रहा था। मैंने उसके बाद राजेश को फोन भी किया लेकिन उसने मेरा फोन नहीं उठाया राजेश मेरे बचपन का दोस्त है, काफी दिन हो गए थे मेरा राजेश के साथ कोई संपर्क नहीं हो पा रहा था लेकिन जब उस दिन मैं राजेश को मिलने के लिए दोबारा से उसके घर गया तो उस दिन वह घर पर ही था। मैं राजेश को मिला और उससे बात करने लगा लेकिन वह काफी ज्यादा परेशान लग रहा था मैंने उससे पूछा कि आखिर तुम इतना परेशान क्यों हो। उस दिन राजेश ने मुझे सारी बात बताई और कहा कि मैंने बैंक से कुछ पैसे लिए थे जो कि मैं अभी तक चुका नहीं पाया हूं और मैं इस बात से बहुत ही ज्यादा परेशान हूं बैंक का नोटिस मुझे बार-बार आ रहा है मैं नहीं चाहता कि यह बात मेरे घर पर पता चले। राजेश ने अपना नया बिजनेस शुरू किया था जिसके चलते उसने बैंक से कुछ पैसे लोन पर भी लिए थे लेकिन राजेश वह लोन समय पर चुका नहीं पाया था इसलिए वह बहुत ज्यादा परेशान था।

मैंने राजेश को कहा कि यदि तुम्हें कोई मदद की जरूरत है तो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं राजेश ने मुझे बताया कि उसने बैंक से दस लाख रुपये लिए थे। हालांकि इतनी बड़ी रकम मेरे लिए भी कहीं से जुटा पाना मुश्किल ही था लेकिन फिर भी मुझसे जितना बन सकता था मैंने राजेश की उतनी मदद की। राजेश का बिजनेस पूरी तरीके से डूब चुका था और वह बहुत ही ज्यादा परेशान था यह बात उसके घर में किसी को भी पता नहीं थी। मैंने राजेश को कहा कि ठीक है मैं तुम्हारी मदद करूंगा और फिर मैंने अपने मामा जी से कह कर राजेश को कुछ पैसे दिलवा दिए थे अब राजेश की सारी समस्या दूर हो गई थी। वह उसके बाद मुझे मिलने के लिए मेरे घर पर आया था उस दिन मैं अपने ऑफिस से घर लौटा ही था कि राजेश भी घर पर पहुंच  चुका था। राजेश और मैं मेरे रूम में बैठे हुए थे तो मैंने राजेश को कहा अब तो सब कुछ ठीक है तो वह कहने लगा हां अब तो सब कुछ ठीक है लेकिन फिर भी मुझे मामा जी को तो पैसे लौटाने ही हैं। मैंने राजेश को कहा ठीक है तुम मामा जी को पैसे लौटा देना और उसके बाद उसने मामाजी को धीरे धीरे कर के पैसे लौटाने भी शुरू कर दिए थे अब राजेश ने अपना नया काम शुरू किया जिससे कि उसका भी थोड़ा बहुत काम चलने लगा था। वह मामा जी को पैसे लौटाने लगा था और करीब एक साल में ही उसने मामा जी को पूरे पैसे लौटा दिए थे राजेश काफी ज्यादा खुश था और मैं भी बहुत खुश था मुझे इस बात की खुशी थी कि कम से कम राजेश ने मामा जी को पैसे लौटा दिए हैं। राजेश उसके बाद मुझे मिला तो वह मुझे कहने लगा कि यह सब तुम्हारी वजह से ही हुआ है यदि तुम मेरी मदद समय पर नहीं करते तो शायद इस मुसीबत से निकल पाना मेरे लिए असंभव था मैंने तो हिम्मत ही हार ली थी कि मैं कैसे इस मुसीबत से निकलूंगा लेकिन तुम्हारी वजह से अब सब कुछ ठीक हो चुका है। मैंने राजेश को कहा कि राजेश आखिर तुम मेरे दोस्त हो और मैंने तुम्हारी मदद की तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। राजेश की जिंदगी में सब कुछ सामान्य होने लगा था और जल्द ही उसने शादी करने का फैसला कर लिया और जब उसने शादी की तो उसके बाद राजेश और उसकी पत्नी बहुत ही ज्यादा खुश थे वह दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं।


राजेश अब अपने कारोबार और अपने काम में पूरी तरीके से ध्यान दे रहा था और सब कुछ बहुत ही अच्छे से चल रहा था। एक दिन राजेश ने मुझे अपने घर पर डिनर के लिए इनवाइट किया तो मैं उसके घर पर चला गया। जब मैं राजेश के घर पर गया तो उस वक्त शाम के 6:00 बज रहे थे मैं और राजेश हम दोनों राजेश के बैठक में बैठे हुए थे राजेश की पत्नी मीरा जो की रसोई में खाना तैयार कर रही थी और राजेश की मां अपने कमरे में थी उनकी तबीयत कुछ ठीक नहीं थी। मैंने राजेश को पूछा राजेश अब तो तुम्हारी जिंदगी में कोई परेशानी नहीं है तो वह कहने लगा नहीं मुकेश अब मेरी जिंदगी में कोई परेशानी नहीं है और अब सब कुछ ठीक चल रहा है। मैं और राजेश एक दूसरे से बात कर रहे थे। जब हम दोनों एक दूसरे से बात कर रहे थे तभी राजेश की डोरबेल पर बिजी राजेश दरवाजा खोलने के लिए गया राजेश ने जैसे ही दरवाजा खोला तो मैंने दरवाजे पर देखा सामने एक लड़की खड़ी थी उसने जींस और टाइट टॉप पहना हुआ था वह अंदर आई। जैसे ही वह अंदर आई तो राजेश ने उस से मेरी मुलाकात करवाई राजेश ने मुझे उसका नाम बताया उसका नाम माधवी है वह मीरा कि दोस्त हैं।

माधवी भी अब रसोई में मीरा का हाथ बटाने के लिए चली गई उसके बाद हम सब लोगों ने साथ में डिनर किया लेकिन माधवी का गदराया हुआ बदन देखकर मैं उसे चोदने के लिए उसी वक्त तैयार था उस दिन डिनर करने के बाद मैं अपने घर चला आया। उसके बाद जब मैं राजेश के घर जाता तो अक्सर मेरी मुलाकात माधवी से हो जाती माधवी राजेश के घर के बगल में ही रहती थी और वह मीरा से मिलने के लिए आती रहती थी। मैंने भी माधवी का नंबर ले लिया था एक दिन हम लोग घूमने के लिए साथ में गए हुए थे उस दिन माधुरी मुझसे कुछ ज्यादा ही चिपक रही थी मुझे लगने लगा था कि उसे मेरे लंड की जरूरत है मैं उसे चोदने के लिए तैयार था उसने मुझे अपना नंबर दे दिया। अब मैं माधुरी के घर पर गया था मैं जब उसके घर पर गया तो मैंने उस दिन उसे चोदने का पूरा मन बना लिया था जब मैं उसके घर पर पहुंचा तो हम दोनों ने एक दूसरे के साथ चूत चुदाई का खेल शुरू कर दिया था। मैंने माधवी के बदन को महसूस करना शुरू कर दिया था और उसको मैं बिस्तर पर लेटा चुका था। उसके नरम होंठ देख मेरा लंड पानी छोडने लगा मै उसके होठों को चूमता तो मेरे अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी मुझे मजा आने लगा था। मैंने जिस प्रकार से उसके होठों का रसपान किया उससे मेरे अंदर की आग बढ़ चुकी थी मैं उसकी नरम चूत मारने के लिए तैयार था। मैंने उसके बदन को महसूस करना शुरू कर दिया था वह भी मेरे लंड को अपने मुंह में लेना चाहती थी।

उसने मेरे लंड को बाहर निकाला उसने उसे हिलाया वह मेरे लंड को अपने हाथों से ऊपर नीचे कर रही थी उसे बड़ा मजा आ रहा था और मुझे भी बहुत ही अच्छा महसूस होने लगा था। मैंने उसके अंदर की गर्मी को पूरी तरीके से बढ़ाकर रख दिया था। वह मेरे लंड को बहुत अच्छे से चूसती मेरे मोटे लंड को वह अपने मुंह के अंदर लेकर अच्छे से चूस रही मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा था। मेरे अंदर की गरमाहट बढ़ने लगी थी वह मुझे कहती मेरे अंदर की गरमाहट बहुत ज्यादा ही बढ़ चुकी है। मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए अब उसकी पैंटी ब्रा को उतारकर उसकी चूत को मैं चाटने लगा। जब मैं उसकी चूत को चाटने लगा तो मुझे इतना मजा आने लगा था कि मेरे अंदर की गर्मी बहुत बढ़ने लगी उसकी चूत से निकलता हुआ पानी पूरी तरीके से बढ़ चुका था। मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को डालना चाहता था मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर सटाया धीरे धीरे मेरा लंड उसकी चूत के अंदर चला गया वह जोर से चिल्लाई मुझे बहुत अच्छा लग रहा था वह जिस प्रकार से मुझे अपने दोनों पैरों के बीच में जकडने की कोशिश करती। उसके अंदर की आग बढ़ने लगी थी मैंने उसके पैरों को ऊपर उठाकर अपने कंधों पर रखा अब मैंने उसे तेजी से धक्के मारने शुरू किए वह चिल्ला रही थी और चोदो मुझे।

बहुत देर की चुदाई का आनंद लेने के बाद मेरा माल बाहर गिर गया जैसे ही मेरा माल गिरा तो उसके बाद मैंने उसको कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसती रहो। वह बड़े ही अच्छे से मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी और मुझे बहुत ही अधिक मज़ा आने लगा था। मेरे लंड से पानी निकलने लगा था जो उसके मुंह मे गिर रहा था वह मुझे कहने लगी मेरी गर्मी बढ चुकी है मैने उसकी चूत को चाटा फिर मैंने उसे घोडी बना दिया। घोड़ी बनाने के बाद जब मेरा लंड उसकी चूत मे गया तो वह सिसकारिया लेती तो मुझे मजा आने लगता। उसकी चूत मारकर मुझे इतना मजा आने लगा था कि मैं एक पल भी अब रह नहीं पा रहा था मैंने उसे कहा मैं रह नहीं पा रहा हूं। मैंने उसे बड़ी तेज गति से चोदना शुरू किया मेरा लंड पूरी तरीके से छिल चुका था उसकी चूतडे लाल हो चुकी थी। उसका बदन और भी ज्यादा गर्म होने लगा था मैंने जैसे ही अपने वीर्य की पिचकारी को उसकी चूतडो पर गिराया तो वह खुश थी। हमने उसके बाद भी दो बार और चुदाई की।
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