चूत से लावा निकाल दिया


मैं कोलकाता अपने मामा के पास गया। कोलकाता में मेरे मामा का प्रॉपर्टी का काम है और वह पिछले कई वर्षों से यह काम कर रहे हैं मेरे मामा चाहते थे कि मैं भी उनके साथ काम करूं इसलिए मैंने मामा जी के साथ ही काम करना शुरू कर दिया। मैं मामाजी के साथ काम की बारीकियां सीख रहा था और धीरे-धीरे अब मैं काम सीखने लगा था मेरे जीवन में अब सब कुछ ठीक हो चुका था घर में मेरे ऊपर मेरे पापा और मां की जिम्मेदारी थी। मेरे पापा और मां दोनों ही अब बूढ़े हो चुके हैं इसलिए मैं चाहता था कि वह लोग भी मेरे पास ही आ जाए। मैंने उन्हें अब अपने पास बुला लिया था मेरी बहन की शादी हो जाने के बाद वह लोग घर पर अकेले रह गए थे और मैं नहीं चाहता था कि वह लोग घर पर अकेले रहे इसलिए मैंने उन्हें अपने पास कोलकाता बुला लिया। मेरे मामा जी की मदद से ही मैं कोलकाता में अपना काम शुरू कर पाया और अब मैं प्रॉपर्टी का काम करने लगा था।

धीरे धीरे मैं इतना पैसा कमा चुका था कि अब मैं अपनी खुद की कंपनी खोल चुका था, मेरी उम्र भी 35 वर्ष की हो चुकी थी इसलिए मुझे अब यह लगने लगा था कि मुझे अपने लिए कोई जीवन साथी ढूंढ लेना चाहिए। मैं शादी करने के लिए अब अपने लिए लड़की तलाशने लगा पापा और मम्मी कोलकाता में ज्यादा किसी को जानते नहीं थे लेकिन मामा जी को जब मैंने यह बात कही तो उन्होंने मुझे कहा कि बेटा तुम इसकी बिल्कुल चिंता मत करो मैं तुम्हारे लिए शादी के लिए एक लड़की जरूर देख लूंगा। उन्होंने अपने एक दोस्त से मेरे बारे में बात की उनकी बेटी से जब मैं पहली बार मिला तो मुझे वह पसंद आ गई और मैं उससे शादी करने को तैयार था। उसका नाम सुनैना है लेकिन उससे पहले मैं उसे समझना चाहता था और सुनैना और मैं एक दूसरे को मिलने लगे हम दोनों एक दूसरे को डेट करने लगे थे और जब भी हम दोनों एक दूसरे को मिलते तो हमें अच्छा लगता। सुनैना को मैं समझने लगा था इसलिए हम दोनों जल्द ही शादी करने वाले थे हम दोनों जल्द ही शादी के बंधन में बनने वाले थे और सुनैना भी इस बात से बहुत खुश थी। हम लोगों ने कुछ ही समय मे शादी कर ली और जब हम दोनों की शादी हुई तो उसके बाद सुनैना मेरा बहुत अच्छे से ख्याल रखने लगी। मैं सुनैना के साथ शादी कर के बहुत खुश था मेरे जीवन में सब कुछ अच्छे से चल रहा था पापा मम्मी भी मेरे साथ थे और सुनैना उनका अच्छे से ध्यान रखती। मुझे पैसे की कोई कमी नहीं थी और मैं अपने काम के बलबूते अच्छे से पैसे कमाने लगा था मेरे जीवन में सब कुछ अच्छे से चलने लगा था।

एक दिन वह समय आ गया जब मुझे लगा कि शायद अब मेरा बच पाना भी मुश्किल होगा, मैं एक दिन सुबह अपने किसी काम से घर से निकला था और रास्ते में मेरी कार का एक्सीडेंट हो गया। कार मैं ही ड्राइव कर रहा था इसलिए मुझे बहुत ज्यादा चोट आई मुझे कुछ होश भी नहीं था वहां आस पास के लोग मुझे हॉस्पिटल में लेकर गए। मैं अस्पताल में था मैंने जब अपनी आंखें खोली तो मैंने देखा मेरे आस-पास मेरा सारा परिवार है लेकिन मैं काफी ज्यादा घायल हो चुका था जिस वजह से मेरे पापा मम्मी को बहुत ही ज्यादा चिंता होने लगी थी और सुनाना भी बहुत ज्यादा घबरा गई थी लेकिन समय के साथ-साथ मैं ठीक हो गया। ठीक होने के बाद मैं अपने काम पर काफी समय तक नहीं गया मैं ज्यादातर समय घर पर ही रहता जिससे कि मुझे काफी नुकसान भी झेलना पड़ा। एक दिन मामा जी घर पर आए हुए थे तो उन्होंने मुझे कहा कि मुकेश बेटा तुम पहले ठीक हो जाओ उसके बाद ही काम के बारे में सोचना। वह समझ चुके थे कि मैं सिर्फ काम के बारे में ही सोच रहा हूं इसलिए उन्होंने मुझे समझाया और कहा बेटा तुम फिलहाल अपनी तबीयत का ध्यान दो। धीरे धीरे मैं अब ठीक होता जा रहा था और एक दिन मैं अपने मामा जी से मिलने गया मैं जब उनसे मिलने के लिए गया तो उस वक्त मैं अपने आपको काफी अच्छा महसूस कर रहा था। मैं जब मामा जी से मिला तो वह मुझे कहने लगे कि मुकेश बेटा तुम कैसे हो तो मैंने उन्हें बताया मामा जी अब मैं पहले से ठीक हूं और मुझे लगने लगा है कि थोड़े समय बाद मैं अब काम पर जाना शुरू कर दूंगा।


मामा जी कहने लगे कि हां बेटा अब तुम पहले से ज्यादा ठीक हो चुके हो और तुम थोड़े समय बाद अपने काम पर चले जाना। थोड़े समय बाद मैं ठीक होने लगा था और अब मैं पूरी तरीके से फिट हो चुका था जिसके बाद मैं अपने ऑफिस जाने लगा लेकिन मुझे इस बीच काफी ज्यादा नुकसान हो गया था। अब धीरे-धीरे मैं दोबारा से अपना प्रॉपर्टी का काम शुरू कर रहा था और थोड़े ही समय बाद मेरा काम भी चलने लगा था। मैंने अपने ऑफिस में एक लड़की को काम पर रखा उसका नाम ललिता है ललिता दिखने में बहुत ही सुंदर है और जब मैं उसे देखता तो मेरा मन उसके साथ सेक्स करने का होता। मुझे नहीं मालूम था कि वह भी मेरे साथ संभोग करना चाहती है और हम दोनों की रजामंदी से एक दिन में उसे होटल में ले गया जब मैं उसे होटल में ले गया तो हम दोनों ही उत्तेजित हो चुके थे हम दोनों होटल के रूम में थे मैंने उसके साथ चुम्मा चाटी करनी शुरू कर दी जब मैंने ऐसा किया तो वह बहुत उत्तेजित होने लगी और मुझे कहने लगी मैं बिल्कुल नहीं रह पा रही हूं। अब मैं भी अपने आपको रोक नहीं पा रहा था और हम दोनों बिस्तर पर बैठ गए। मैंने उससे कहा वह अपने कपड़ों को उतार दे लेकिन वह केवल मुस्कुराई। मैंने अपने हाथ को उसकी टी शर्ट पर रख दिया और उसके स्तनो को दबा दिया फिर उसकी टी शर्ट उतार दी। मैंने उसकी ब्रा के ऊपर उसके स्तन को छुआ और उसके शरीर के चारों ओर उसे सहलाया वह उत्तेजित हो रही थी और अभी भी मुस्कुरा रही थी।

मैंने उसे गले लगा लिया। मैं उसकी जीन्स नीचे खींच ली वह मेरे सामने बस ब्रा और पैंटी मे थी। उसकी टांगें बहुत सुंदर थीं उसने मुझसे कहा अब आप अपने कपड़े भी निकाल दो। मैंने उससे कहा कि मेरे कपड़े निकालने में मेरी मदद करें मैं चाहता था कि वह मेरे शरीर के हर हिस्से को छू ले उसने मेरी कमीज़ उतार दी और फिर अपनी उँगलियों से मेरी छाती को सहलाया। मैं अपने आप को जन्नत मे महसूस कर रहा था फिर उसने मेरी पैंट को खोला मैंने उसका हाथ अपने हाथों में ले लिया और उसके हाथ को मैने अपने लंड पर रख दिया। उसने अपने हाथो मे मेरे लंड को ले रखा था। उसने मेरे लंड को मालिश करना शुरू कर दिया। जब वह मेरे लंड को मालिश कर रही थी तो मेरा मोटा लंड और भी तन कर खड़ा होने लगा था और वह इतना ज्यादा कठोर होने लगा था कि वह ललिता की चूत के अंदर जाने के लिए बेताब था मैंने उसे कहा मेरा लंड तुम्हारी चूत में जाने के लिए बेताब है तो बहुत तड़पने लगी और मेरे लंड को उसने जब अपने मुंह के अंदर लिया तो उसकी सारी शर्म दूर हो गई और वह मेरे लंड को ऐसे अपने मुंह के अंदर ले रही थी जैसे कि मेरे लंड से सारा पानी बाहर निकाल कर छोड़ेगी काफी समय तक उसने ऐसा ही किया। जब उसकी उत्तेजना पूरी तरीके से बढ़ने लगी तो वह मुझे कहने लगी मैं रह नहीं पा रही हूं अब वह एक पल भी नहीं रह पा रही थी और ना ही मैं अपने आपको रोक पा रहा था हम दोनों ही उत्तेजित हो चुके थे मैंने जब उसके स्तनों को अपने मुंह में लेकर उनका रसपान करना शुरू किया तो मुझे मजा आने लगा।

मैने अपने लंड को उसकी चूत पर रगडना शुरू किया तो वह पूरी तरीके से मजे में आ गई और मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही मजा आ रहा है अब उसे इतना अधिक मज़ा आने लगा था कि हम दोनों ही एक पल के लिए भी नहीं रह पा रहे थे उसकी चूत से निकलता हुआ लावा इतना अधिक बढ़ने लगा कि मैंने उसकी योनि के अंदर लंड को घुसा दिया तो वह बहुत जोर से चिल्लाते हुए कहने लगी मेरी चूत फट गई। मैंने उसके दोनों पैरों को खोल लिया वह पूरी तरीके से उत्तेजीत हो चुकी थी मैंने उसे बड़ी तीव्र गति से चोदना शुरू कर दिया था मैं उसे इतनी तेजी से धक्के दे रहा था कि मुझे मजा आने लगा वह भी पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुकी थी। उसने मुझे कहा मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है अब मैं उसे बड़े अच्छे से चोद रहा था और कुछ देर तक मैंने उसे अपने नीचे लेटा कर चोदा। मेरा लंड भी छिल चुका था मुझे एहसास हो गया मैं ज्यादा देर तक ललिता की चूत की गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगा और जल्द ही मैंने अपने वीर्य को बाहर निकाल दिया और जैसे ही मेरा वीर्य गिरा तो मैंने ललिता की चूत के अंदर ही वीर्य गिरा दिया। ललिता की चूत के अंदर मेरा वीर्य गिरते ही मैंने उसे कहा आज त मजा आ गया और उसे भी बहुत अच्छा लग रहा था।

वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुकी थी और उसके उत्तेजना इस कदर बढ़ने लगी थी कि उसने दोबारा से मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरु किया और मेरी गर्मी को और भी अधिक बढ़ा दिया जब उसने ऐसा किया तो मेरे अंदर की आग और भी ज्यादा बढ़ने लगी थी अब मैं उसे दोबारा से चोदना चाहता था मैंने उसे डॉगी स्टाइल पोज में बनाते हुए उसकी चूत के अंदर तक अपनी उंगली को डाल दिया उसकी टाइट चूत के अंदर उंगली गर्इ तो वह जोर से चिल्लाई और कहने लगी मुझे मजा आ गया है उसकी चूत से अधिक मात्रा में पानी बाहर आ रहा था मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दिया। जब मैंने ऐसा किया तो वह जोर से चिल्लाई और कहने लगी मुझे मजा आ गया और मैं उसमें बड़ी तेजी से धक्के देने लगा। मैं उसे इतनी तीव्रता से चोद रहा है कि मुझे मजा आ रहा था और वह भी पूरी तरीके से उत्तेजित हो गई थी उसकी उत्तेजना इस कदर बढ़ गई कि मैं उसकी चूत की गर्मी को ज्यादा देर तक झेल ना कर सका और 5 मिनट बाद मैंने अपने वीर्य को गिरा दिया।
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कंधे पर पैर रखकर चूत चौडी कर दी


पापा मुझे कहने लगे कि राजेश बेटा जल्दी से तैयार हो जाओ हमें देर हो रही है मैंने पापा से कहा पापा बस अभी तैयार हो जाता हूं। मैं कुछ देर पहले ही ऑफिस से आया था लेकिन मुझे पापा मम्मी ने यह बात नहीं बताई थी कि वह लोग उनके दोस्त के घर जा रहे हैं। रविंद्र अंकल हमारे फैमिली फ्रेंड है और वह पापा के बहुत अच्छे दोस्त हैं पापा और रविंद्र अंकल साथ में ही पढ़ा करते थे कुछ समय पहले ही रविंद्र अंकल रिटायर हुए हैं और पापा भी बस कुछ दिनों बाद रिटायर होने वाले थे हम लोग एक दूसरे के घर अक्सर आया जाया करते थे। मैं तैयार हो गया और हम लोग रविन्द्र अंकल के घर चले गए उस दिन जब हम लोग उनके घर गए तो रविंद्र अंकल और सुधा आंटी घर पर ही थे। सुधा आंटी मुझे कहने लगी कि राजेश बेटा तुम्हारी जॉब कैसी चल रही है तो मैंने उन्हें कहा आंटी मेरी जॉब तो अच्छी चल रही है, मैंने उन्हें कहा कि क्या रोहन घर नहीं आया तो वह कहने लगे कि बेटा तुम्हें तो पता ही है जब से वह जॉब करने के लिए गया है तब से वह घर ही कितनी बार आया है।

आंटी और अंकल चाहते थे कि रोहन अब मुंबई में ही नौकरी करे लेकिन रोहन तो अब जॉब करने के लिए अमेरिका चला गया था और वह वही सेटल होना चाहता था। रोहन से मेरी अच्छी बातचीत है और उससे अभी भी मेरी फोन पर बात हो जाती है रोहन ने ही मुझे बताया था कि वह अब अमेरिका में ही सेटल होना चाहता है लेकिन उसने यह बात अपने पापा मम्मी को नहीं बताई थी। हम लोग अंकल और आंटी के साथ काफी समय तक रुके और उसके बाद हम लोग घर लौट आए जब हम लोग घर लौट रहे थे तो उस वक्त मैंने देखा कि हमारी सोसायटी के गेट पर एक लड़की और लड़का खड़े थे वह लोग आपस में बात कर रहे थे। उस वक्त रात के 12:00 बज रहे थे तो हम लोग सीधे अपने घर आ गए जब हम लोग अपने घर आए तो मुझे भी काफी थकान महसूस हो रही थी इसलिए मैं भी जल्दी ही सो गया। अगले दिन सुबह जब मैं उठा तो मां मेरे लिए चाय लेकर आई और मां कहने लगी कि बेटा चाय पी लो मैंने मां से कहा मां अभी मैं बाहर टहलने के लिए जा रहा हूं। हमारे घर के बाहर ही एक पार्क है जो कि हमारी सोसाइटी के अंदर ही है मैं वहां पर टहलने के लिए चला गया और जब मैं उस पार्क में गया तो मैं पार्क में काफी देर तक बैठा हुआ था।

जब मैं घर लौटा तो मां मेरे लिए नाश्ता बना रही थी मैं भी अब अपने ऑफिस के लिए तैयार होने लगा और जब मैं ऑफिस के लिए तैयार हो चुका था तो मैंने नाश्ता किया और मैं अपने ऑफिस के लिए निकल गया। उस दिन रास्ते में बहुत ही ज्यादा ट्रैफिक था इसलिए मुझे ऑफिस पहुंचने में लेट हो गई थी, मैं जब ऑफिस पहुंचा तो ऑफिस में कुछ ज्यादा ही काम था और काम खत्म करने के बाद जब मैं घर लौटा तो मुझे वही लड़की दिखी जो रात को सोसायटी के गेट पर एक लड़के के साथ बात कर रही थी। मैंने उस लड़की को दूसरी बार ही देखा था उसके बाद भी मैं उसे अक्सर आते-जाते देखा करता था। एक दिन मैंने उससे बात कर ही ली मैं उस वक्त दुकान में सामान ले रहा था तो वह लड़की भी वहां पर खड़ी थी मैंने उससे हाथ मिलाते हुए अपना नाम बताया और उसे कहा मेरा नाम राजेश है, वह कहने लगी मेरा नाम कावेरी है। मैंने उससे पूछा कि क्या आप इसी सोसाइटी में रहती हैं तो वह मुझे कहने लगी कि हां मैं इसी सोसाइटी में रहती हूं और मुझे यहां आये अभी 15 दिन ही हुए हैं। उसने मुझसे पूछा कि क्या आप भी यहीं रहते हैं तो मैंने उसे बताया कि हां मैं यहीं रहता हूं। उस दिन तो हम लोगों की ज्यादा बात नहीं हुई लेकिन उसके बाद भी हम लोग एक दूसरे से बात करने लगे मैं जब भी कावेरी को मिलता तो उससे जरूर बात किया करता लेकिन मेरे मन में अभी भी एक सवाल था कि उस रात कावेरी जिस लड़के से बात कर रही थी आखिर वह था कौन। एक दिन मैंने कावेरी से इस बारे में पूछ ही लिया और मैंने जब कावेरी को कहा कि मैंने एक दिन तुम्हें एक लड़की के साथ देखा था तो कावेरी ने कुछ नहीं कहा वह कहने लगी राजेश मुझे अभी देर हो रही है मैं तुमसे बाद में मिलती हूं।


वह यह कह कर चली गई लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आया आखिर वह किससे बात कर रही थी और वह लड़का था कौन? कावेरी और मैं एक दूसरे से मिलते थे। एक दिन मैंने कावेरी से कहा कि कावेरी क्या आज मूवी देखने के लिए चले तो कावेरी ने भी मना नहीं किया उसे अब मुझ पर भरोसा हो चुका था और उस दिन हम लोग मूवी देखने के लिए चले गए। जब हम लोग मूवी देखने के बाद घर लौट रहे थे तो कुछ देर हम लोग साथ में ही बैठे रहे और मैंने जब कावेरी से उस लड़के के बारे में पूछा तो कावेरी ने उस दिन मुझे सच बता दिया। कावेरी ने मुझे कहा कि राजेश वह लड़का मेरा पति था और हम लोगों की शादी सिर्फ 6 महीने तक ही टिक पाई 6 महीने के बाद मैंने उसे डिवोर्स दे दिया लेकिन वह मुझे परेशान कर रहा है और वह चाहता है कि हम दोनों दोबारा से रिलेशन में रहे। कावेरी ने उस दिन मुझे अपनी आपबीती बताई और कहने लगी कि वह जयपुर की रहने वाली है और उसका परिवार जयपुर में ही रहता है उसने सार्थक के साथ शादी की थी और वह मुंबई में ही उसके साथ रहने लगी थी। यह बात उसके परिवार वालों को पता नहीं थी लेकिन सार्थक के बदलते व्यवहार से वह बहुत ज्यादा परेशान हो चुकी थी इसलिए उसने उसे डिवोर्स देने का फैसला कर लिया और अब वह अलग रहती है लेकिन सार्थक उसे अभी भी परेशान करता है जिस वजह से कावेरी बहुत ही ज्यादा तनाव में थी।

मैंने उसे समझाया और कहा देखो कावेरी तुम चिंता मत करो तुम्हारी जिंदगी में सब कुछ ठीक हो जाएगा। कावेरी कहीं ना कहीं सार्थक के व्यवहार से परेशान थी उसने मुझे जब यह बात बताई तो मुझे काफी बुरा लगा। हम दोनों एक दूसरे से तो मिलते ही रहते थे लेकिन कावेरी कहीं ना कहीं परेशान थी जो कि उसके चेहरे पर साफ नजर आती थी। एक दिन मैं और कावेरी साथ में बैठे हुए थे उस दिन हम लोग बात कर रहे थे लेकिन अचानक से वह मुझे कहने लगी राजेश सार्थक ने हम दोनों को देख लिया तो वह ना जाने हमारे बारे में क्या सोचेगा। मैंने उसे कहा लेकिन तुम यह क्यो सोच रही हो वह बहुत घबरा गई थी मैंने उसे गले लगा लिया जब मैंने ऐसा किया तो उसके अंदर की आग बढ़ने लगी थी और उसके स्तन मेर छाती से टकराने लगे थे जिस कारण मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैं कावेरी के स्तनों को महसूस कर रहा था जब मैंने उसे किस किया तो वह भी मुझे किस करने लगी  और कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। हम दोनों ही पूरी तरीके से गरम हो चुके थे हम दोनों की गर्मी अब कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी थी और हम दोनों इतने अधिक गर्म हो चुके थे कि मैंने उसे कहा मुझे लगता है मैं अपने आपको रोक नहीं पा रहा हूं। वह मुझे कहने लगी मुझे भी ऐसा ही लग रहा है और यह कहते ही मैंने उसके कपड़े उतार दिए मैंने उसकी ब्रा को फाड़ दिया था और उसके सुडौल स्तन मेरे हाथ में थे उसके बूब्स को मैं अपने मुंह मे लेकर उनका रसपान करने लगा वह भी फोन मेरे सामने अपने बदन को सौंप चुकी थी मेरे लिए तो बहुत ही अच्छा मौका था क्योंकि मैं उसके बदन को देखकर अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रहा था। मैंने भी अपने मोटे लंड को बाहर निकाला और जब मैंने अपने लड को उसके स्तनों के बीच में रगडना शुरू किया तो मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा मैं जब उसके स्तनों के बीच में अपने लंड को रगड़ रहा था तो मैंने उसे कहा मुझे बहुत ही मजा आ रहा है।

अब उसने भी मेरे लंड को अपने हाथ में लेते हुए उसे हिलाना शुरू किया मेरा लंड मोटा होने लगा था और जब उसने उसे अपने मुंह के अंदर समाया तो मैंने उसे कहा मुझे बहुत मजा आने लगा है। वह मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर तक लेकर बड़े अच्छे से चूसने लगी और उसके अंदर की गर्मी अब लगातार बढ़ती जा रही थी उसने मेरे अंदर कि गर्मी को इतना बढा कर रख दिया था कि मैंने उसे कहा मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रही हूं। मैंने भी उसके दोनों पैरों को खोलते हुए उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दिया और जैसे ही मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाया तो मुझे मजा आने लगा और वह भी खुश हो गई थी। उसने मुझे कहा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है मैंने उसे कहा मुझे इतना मजा आ रहा है कि मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा हूं मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया और जब अपने कंधों पर मैंने उसके पैर को रखा तो उसकी चूत और खुल चुकी थी मैंने उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को बड़ी तेजी से करना शुरू कर दिया।

जब मैंने ऐसा किया तो वह बहुत जोर से सिसकारियां लेने लगी उसकी सिसकारियां अब और अधिक बढ़ने लगी थी मैंने अपने हाथो से उसके स्तनों को दबाना शुरू किया और उसके होठों को भी चूमने लगा था। जब मैं उसके होठों को चूम रहा था तो उसकी गर्मी बढ़ती ही जा रही थी और मैं उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को आसानी से कर रहा था। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है और मै उसे बड़ी देर तक ऐसे ही धक्के मार रहा था काफी देर तक मैंने उसको चोदा और उसकी गर्मी को शांत करने की कोशिश की लेकिन अब हम दोनों ही पूरी तरीके से गर्म हो चुके थे। हमारे बदन से गर्माहट बाहर निकलने लगी थी मैंने उसे कहा मुझे लगने लगा है कि मैं ज्यादा देर तक तुम्हारा साथ नहीं दे पाऊगा इसलिए मैंने उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को बहुत देर तक किया जैसे ही मैंने अपने वीर्य को उसकी चूत के अंदर गिराया तो वह खुश हो गई और मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही मजा आ गया। मैंने उसे कहा मजा तो मुझे भी बहुत आ गया है।
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चूतडो पर वीर्य की बारिश


मैं अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद मुंबई लौट आया और मुंबई लौटने के बाद मैंने पापा के बिजनेस में उनका हाथ बढ़ाना शुरू किया। पापा के ऑफिस में काफी स्टाफ था और जब पहले दिन मैं ऑफिस गया तो पापा ने मेरा परिचय सबसे करवाया उस दिन मैं पहली बार ममता से मिला था वह मुझे काफी अच्छी लगी काम के प्रति वह काफी ईमानदार थी और वह अपना काम मन लगाकर किया करती। एक दिन मैंने ममता से कहा कि ममता क्या आज तुम मेरे साथ कुछ देर बैठ सकती हो तो ममता कहने लगी हां सर क्यों नहीं और वह मेरे साथ बैठ गई हम दोनों मेरे  कैबिन में साथ में बैठे हुए थे और एक दूसरे से बात कर रहे थे। मैंने ममता से पूछा कि तुम्हारे परिवार में कौन-कौन है तो ममता कहने लगी की मेरे पापा का देहांत तो काफी वर्ष पहले हो गया था और मेरे परिवार में मेरी मां और मेरी छोटी बहन है इसलिए मेरे ऊपर ही घर की सारी जिम्मेदारी है।

ममता से मैंने कुछ देर बात की तो मुझे अच्छा लगा लेकिन मुझे यह एहसास भी हुआ कि मेरे पापा ने मुझे कभी भी किसी चीज की कोई कमी नहीं होने दी और मैंने जब भी उनसे कुछ डिमांड की तो उन्होंने तुरंत ही मुझे वह चीज ला कर दे दी लेकिन ममता ने अपने जीवन में बहुत मेहनत की थी और उसके पापा के बारे में भी उसने मुझे बताया। हम दोनों अब एक दूसरे को अच्छे से समझने लगे थे और कहीं ना कहीं मैं भी ममता को पसंद करने लगा था। एक दिन हमारे ऑफिस में ही एक पार्टी थी तो उस दिन ममता भी उस पार्टी में थी मैंने ममता से बात की और ममता से बात करते-करते हम दोनों हमारे ऑफिस के टेरेस पर चले गए। हम दोनों वहां पर बात कर रहे थे तो ममता ने उस दिन मुझे अपनी परेशानियों के बारे में बताया और कहने लगी संजीव सर आप बहुत ही अच्छे हैं। मैंने ममता से कहा कि ममता मुझे सर कहने की जरूरत नहीं है हम दोनों की उम्र लगभग बराबर ही है इसलिए तुम मुझे संजीव कह सकती हो। उस दिन के बाद ममता मुझे संजीव कहने लगी ममता ने जिस प्रकार से अपने जीवन में मेहनत की थी उससे मुझे काफी कुछ सीखने को मिलता है।

एक दिन मैं ममता के घर भी गया था मैं ममता के घर गया तो उसकी मां से मिलकर मुझे बहुत अच्छा लगा और ममता की छोटी बहन भी बहुत ही अच्छी है वह कॉलेज की पढ़ाई कर रही है और ममता चाहती है कि वह पढ़ लिखकर एक बड़े अधिकारी के पद पर हो। उस दिन मैंने ममता के घर पर ही खाना खाया और मुझे काफी अच्छा लगा मेरे पास सब कुछ होते हुए भी शायद वह चीज नहीं थी जो मैं हमेशा से तलाशने की कोशिश करता। पापा हमेशा से ही अपने काम में बिजी रहे उन्होंने मुझे कभी किसी चीज की कोई कमी तो नहीं होने दी लेकिन उनसे मुझे कभी वह प्यार भी नहीं मिल पाया और मम्मी तो हमेशा पार्टियों में बिजी रहती हैं मम्मी के पास तो कभी मेरे लिए समय होता ही नहीं है। ममता के पास शायद उतने पैसे तो नहीं थे लेकिन उन लोगों के परिवार में काफी ज्यादा प्यार था और उनका छोटा सा परिवार बहुत खुश था इसलिए मुझे ममता के घर जाना अब अच्छा लगने लगा। मैं अक्सर ममता के घर जाया करता और उसकी मम्मी से मिलकर मुझे बहुत अच्छा लगता मुझे कुछ समय के लिए अमेरिका जाना था इसलिए मैं अमेरिका चला गया। मैं काफी दिनों तक वहां पर रहा मुझे करीब वहां पर 25 दिन हो चुके थे और फिर मुझे वापस मुंबई लौटना था मैंने अपनी फ्लाइट की टिकट बुक करवा दी थी और मैं वापस मुंबई लौट आया। मैं जब मुंबई वापस लौटा तो मैंने देखा कि ममता ऑफिस नहीं आ रही है मैंने जब इस बारे में अपने ऑफिस के मैनेजर से पूछा तो उन्होंने मुझे बताया कि कुछ दिनों से ममता ऑफिस नहीं आ रही है उसने ऑफिस से छुट्टी ली हुई है। मैंने ममता को फोन किया तो उसने मेरा फोन भी नहीं उठाया मैंने उस दिन ममता के घर जाना ही ठीक समझा और मैं ममता के घर चला गया। मैं ममता के घर गया तो मैंने देखा उनके घर पर ताला लगा हुआ था घर में कोई भी नहीं था मैं कुछ समझ नहीं पाया, करीब दो दिन बाद मैंने जब ममता को फोन किया तो उसने मेरा फोन उठा लिया और कहने लगी कि संजीव क्या तुम मुझे फोन कर रहे थे।


मैंने ममता से कहा हां ममता मैं तुम्हें फोन कर रहा था क्योंकि तुम कुछ दिनों से ऑफिस नहीं आ रही हो और मैं तुम्हारे घर पर भी गया था तो तुम्हारे घर पर भी ताला लगा हुआ था। ममता ने मुझे बताया कि वह अपने गांव गए है उनके चाचा जी ने उनके गांव के घर को बेच दिया है जिस वजह से वह लोग वहां गए हुए थे। ममता काफी ज्यादा परेशान लग रही थी मैंने ममता से कहा कि तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है सब कुछ ठीक हो जाएगा। ममता और उसका परिवार कुछ ज्यादा ही परेशान थे लेकिन जब वह मुंबई आये तो शायद सब कुछ ठीक हो चुका था और ममता अब ऑफिस आने लगी थी। मैंने ममता से कहा कि ममता क्या अब सब कुछ ठीक हो चुका है तो वह कहने लगी कि हां संजीव दरअसल चाचा जी ने हमारे गांव के घर को बेचने की बात कर ली थी लेकिन हम लोग नहीं चाहते कि हमारे गांव का घर वह बेचे इसी वजह से मुझे और मां को कुछ दिनों के लिए घर जाना पड़ा था। मैंने ममता से कहा लेकिन अब तो सब कुछ ठीक है तो वह कहने लगी हां संजीव अब सब कुछ ठीक है।

एक दिन में ऑफिस से निकला तो उस दिन मैंने देखा ममता बस का इंतजार कर रही थी मैंने कार रोकी और ममता को कार में बैठने के लिए कहा। ममता कार में बैठ गई मैंने ममता से कहा मैं तुम्हारे घर तक तुम्हें छोड़ देता हूं ममता ने अपनी गर्दन को हिलाया और मैंने उसे उसके घर तक छोड़ दिया। अब कई बार मै ममता को उसके घर तक छोड़ दिया करता एक दिन मैं और ममता कार मे साथ में थे उस दिन मेरा हाथ गलती से ममता की जांघ पर लग गया तो ममता ने मेरी तरफ देखा लेकिन वह जिस तरीके से मेरी तरफ देख रही थी उससे मैं भी उसकी आंखों में देखने लगा और मैंने कार को एक किनारे रोकते हुए उसके होठों को चूम लिया। उस दिन वह शरमा गई लेकिन शायद उसे भी अब अच्छा लगने लगा था और एक दिन मैंने उसे अपने केबिन में बुलाया और जब मैंने उसे अपने केबिन में बुलाया तो मैंने उसके होठों को चूम लिया और हम दोनों ही अपने आपको रोक ना सके। मैंने अपने कैबिन को अंदर से लॉक कर लिया अब मैं ममता के बदन को महसूस करने लगा था और वह भी मेरी छाती को अपनी जीभ से चाटने लगी उसने मेरी शर्ट के बटन को खोला और अब उसने मेरी शर्ट को उतार दिया था। वह मेरी पैंट की तरह बढी और उसने मेरे लंड को अपने हाथ से हिलाना शुरू कर दिया जब वह ऐसा कर रही थी तो मुझे अच्छा लगने लगा और ममता ने जब मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर लिया तो मुझे और भी ज्यादा मजा आने लगा था उसने मेरे लंड को तब तक चूसा जब तक मेरे लंड से पानी बाहर नहीं निकल गया। अब ममता की उत्तेजना भी बढ़ चुकी थी और उसके चेहरे पर साफ नजर आ रहा था कि उसे मेरे लंड को अपनी चूत में लेना है वह मेरे लंड को लेने के लिए तड़प रही थी। मैंने भी उसके स्तनों को चूसना शुरू कर दिया और उसके सारे कपड़े उतार फेंके वह मेरे सामने नंगी थी। अब मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया मैंने उसे टेबल पर लेटा कर रखा था जब मैंने उसे टेबल पर लेटाया हुआ था तो उसकी कोमल चूत को मैं चाट रहा था उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था और उसकी कोमल चूत को चाटने में मुझे मजा आ रहा था।

जब मैंने उसकी चूत को बहुत देर तक चाटा तो मुझे एहसास होने लगा कि अब मुझे उसकी चूत में अपने लंड को डाल देना चाहिए वह बहुत ही ज्यादा बेताब थी और मैंने जैसे ही उसकी योनि के अंदर अपने लंड को घुसाया तो वह बहुत जोर से चिल्लाई और मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही मजा आ गया और यह कहते ही मैंने अब उसे पूरी तरीके से गरम करन शुरू कर दिया था मैं उसे जिस तेज गति से धक्के मार रहा था उससे वह बहुत ही ज्यादा खुश हो गई थी और मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही मजा आ रहा है। अब मैं उसे लगातार तेजी से चोदता जा रहा था और जिस तेज गति से मैंने उससे चोदा से भी मजा आने लगा था लेकिन जब मैंने देखा कि उसकी चूत से कुछ ज्यादा ही पानी बाहर की तरफ को निकलने लगा है तो मुझे मजा आने लगा और वह भी पूरी तरीके से खुश हो चुकी थी मैंने उसे कहा मुझे तुम्हे धक्के देने में मजा आ रहा है।

अब मैने उसे टेबल के साहरे खड़ा कर दिया था वह मुझे कहने लगी संजीव मेरी चूत से बहुत ज्यादा खून निकल रहा है और मुझे यह भी डर है कि कहीं मैं प्रेग्नेंट हो गई। मैंने उसे कहा अगर तुम प्रेग्नेंट हो जाओगी तो मैं तुमसे शादी कर लूंगा और तुम उसकी बिल्कुल भी चिंता मत करो। अब वह पूरी तरीके से जोश मे आ गई वह मेरे साथ सेक्स का भरपूर मजा लेने लगी थी। वह जब अपनी चूतड़ों को मुझसे टकराती तो मैं भी अपने लंड को उसकी योनि के अंदर बाहर कर के अपनी गर्मी को शांत करने की कोशिश करता। मेरा लंड भी पूरी तरीके से छिल चुका था और मुझे भी दर्द महसूस होने लगा था लेकिन ममता की योनि से अभी भी खून बाहर निकल रहा था और उसकी चूत से खून इतना अधिक निकल रहा था कि मैंने उसे कहा मुझे लग रहा है ज्यादा देर तक मैं तुम्हारा साथ नहीं दे पाऊंगा। वह कुछ नहीं बोली अब वह मेरे साथ सेक्स के मज़े लेना चाहती थी और उसने मेरा साथ बड़े अच्छे से दिया। जब मैंने उसकी चूत के अंदर बाहर लंड को किया तो वह खुश हो गई और मुझे कहने लगी मुझे और भी ज्यादा मजा आने लगा है थोड़ी ही समय बाद मुझे एहसास हुआ कि मेरा वीर्य पतन होने वाला है और मैंने अपने लंड को बाहर निकालकर उसकी चूतड़ों पर अपने वीर्य का छिड़काव कर दिया जिस से कि वह बहुत ही ज्यादा खुश हो गई थी। उसके बाद हम दोनों ने अपने कपड़े पहन लिए और वह अपना काम करने लगी।
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मजे लेकर चल दी


मैं और सुहानी अपना जीवन बहुत ही अच्छे से बिता रहे हैं हम दोनों की शादी  को 3 वर्ष हो चुके हैं और हम दोनों दिल्ली में रहते हैं। कुछ समय पहले ही मैंने एक फ्लैट खरीदा था और उस वक्त मेरे माता-पिता भी लखनऊ से कुछ दिनों के लिए दिल्ली आए थे उसके बाद वह लोग चले गए। मैं और सुहानी दिल्ली में साथ में रहते हैं सुहानी से मेरी अरेंज मैरिज हुई थी और जब मैंने सुहानी को पहली बार देखा तो उसी वक्त सुहानी को देखते ही मैंने उसे पसंद कर लिया था उसके बाद हम दोनों की एक दूसरे से बातचीत होने लगी। जब हम दोनों की शादी हो गई तो शादी के कुछ समय बाद ही मैं दिल्ली आ गया मेरे साथ सुहानी भी आ गई थी। शुरुआत में तो मैं छोटी कंपनी में जॉब करता था लेकिन जब मेरी एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब लग गई तो उसके बाद मेरी सैलरी भी बड़ गई जिस वजह से मैंने कुछ समय पहले ही घर खरीद लिया था। सुहानी भी जॉब करने लगी थी हम दोनों सुबह के वक्त चले जाया करते और शाम को अपने काम से घर लौटते लाइफ इतनी ज्यादा बिजी होने लगी थी कि अपने लिए बिल्कुल भी समय नहीं मिल रहा था।

एक दिन मैंने सुहानी से कहा कि सुहानी हमें कुछ दिनों के लिए कहीं घूमने के लिए चले जाना चाहिए तो सुहानी कहने लगी की हां राजीव तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो काफी समय हो गया है हम कहीं घूमने भी नहीं गए हैं। मैंने जब सुहानी को यह कहा तो सुहानी भी मान चुकी थी वह कहने लगी कि लेकिन हम लोग घूमने कहां जाएंगे तो मैंने सुहानी से कहा कि हम लोग मनाली घूमने के लिए चलते हैं। हम लोग कुछ दिनों के लिए मनाली घूमने के लिए चले गए मुझे भी काफी अच्छा लग रहा था काफी समय बाद काम से मैंने ब्रेक लिया था और सुहानी के साथ मैं अच्छा समय बिता पा रहा था। हम दोनों जिस होटल में रुके हुए थे वहां पर भी सब कुछ अच्छे से व्यवस्थित था और कुछ दिनों तक हम दोनों ने मनाली में ही अच्छे से साथ में समय बिताया उसके बाद हम लोग वापस दिल्ली लौट आए।

दिल्ली लौटने के बाद हम लोग अपनी वही पुरानी जिंदगी में वापस लौट चुके थे हर रोज सुबह हम लोग ऑफिस चले जाते और शाम के वक्त ऑफिस से घर लौटते मैं और सुहानी एक दूसरे को बिल्कुल भी समय नहीं दे पाते थे। शाम के वक्त भी हम लोग ऑफिस से लौटते तो हम दोनों थके हारे होते थे और उसके बाद सुहानी खाना बनाने लग जाती जिससे कि हम दोनों को बात करने का भी मौका नहीं मिल पाता था। मैंने एक दिन सुहानी से कहा कि सुहानी क्यों ना हम लोग घर में किसी को काम पर रख लें जो कि साफ-सफाई और खाना बनाने का काम कर दिया करें उससे हम दोनों को समय भी मिल जाया करेगा और ऑफिस से हम लोग जब आते हैं तो हम दोनों काफी थक जाते हैं जिसके बाद तुम्हें खाना बनाने में भी दिक्कत होती है। सुहानी भी मेरी बात मान गई और हम दोनों ने अब नौकरानी की तलाश शुरू कर दी आखिरकार हमारी तलाश खत्म हो गई क्योंकि हमारे पड़ोस में रहने वाले गुप्ता जी ने हमें कांता के बारे में बताया और वह अगले दिन से हमारे घर पर आने लगी। सुबह के वक्त वह जल्दी आ जाया करती थी और साफ सफाई करने के बाद वह नाश्ता बना कर चले जाया करती और शाम के बाद भी वह करीब 6:00 बजे आ जाया करती थी जिसके बाद वह खाना बनाने की तैयारी शुरू कर देती और 8:00 बजे तक वह चली जाया करती थी। वह सुबह और शाम के वक्त ही आती थी इसलिए हम लोग उसे उसके काम के हिसाब से ही पैसे देते थे वह पड़ोस में भी गुप्ता जी के घर पर काम करती थी। कुछ दिनों के लिए मेरे मम्मी पापा भी दिल्ली आ गए थे क्योंकि पापा की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी इसलिए पापा चाहते थे कि वह दिल्ली से ही अपना इलाज करवाएं और उनका इलाज दिल्ली से ही चलने लगा था। दिल्ली के एक नामी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था जिससे कि उनकी तबीयत में भी काफी सुधार आने लगा था करीब तीन महीने के बाद वह पूरी तरीके से ठीक हो गए। कुछ समय तक वह हमारे पास रुके और फिर वह घर चले गए पापा और मम्मी से मैंने कहा था कि आप लोग हमारे पास ही रुक जाइए लेकिन वह लोग नहीं माने। वह कहने लगे की नहीं बेटा हम लोग लखनऊ में ही ठीक हैं और हमारा जब मन करेगा तो हम तुम लोगों से मिलने के लिए आ जाए करेंगे।

पापा और मम्मी को लखनऊ में ही अच्छा लगता था इस वजह से वह लोग दिल्ली कम ही आया करते थे और एक वजह यह भी थी कि मैं और सुहानी सुबह ऑफिस चले जाया करते थे और शाम को घर लौटते थे जिससे कि पापा मम्मी को हम समय नहीं दे पाते थे शायद इसीलिए वह लोग हमारे साथ नहीं रुकना चाहते थे। मेरी जिंदगी में सब कुछ सामान्य चल रहा था सुहानी और मैं दूसरे को भी समय देने लगे थे। सुहानी और मैं एक दूसरे के साथ बहुत ही खुश थे। एक दिन सुहानी का ऑफिस में कोई पार्टी थी तो सुहानी ने मुझे कहा मुझे आज घर आने में देर हो जाएगी मैंने सुहाने को कहा ठीक है तुम मुझे बता देना अगर तुम्हे ज्यादा देर हो जाएगी तो मैं तुम्हें लेने के लिए आ जाऊंगा और उस दिन मैं अपने ऑफिस से घर जल्दी लौटा। कांता घर का काम कर रही थी वह रसोई में खाना बना रही थी मैंने उसे कहा तुम आज सुहानी के लिए खाना मत बनाना वह बाहर से ही खाना खा कर आएगी। कांता ने कहा ठीक है साहब मैं सिर्फ आपके लिए खाना बना देती हूं कांता मेरे लिए खाना बनाने लगी थी।

जब वह रसोई में खाना बना रही थी तो मैं रसोई की तरफ गया मैंने देखा कांता खाना बनाने में इतने व्यस्त थी कि उसे पता ही नहीं चला कि कब मैं पीछे से आ गया जैसे ही मैंने कांता की कमर की तरफ से देखा तो मेरा लंड खड़ा होने लगा था। मैंने जब उसकी कमर पर अपने हाथ को लगाया तो वह मचलने लगी थी और मुझे कहने लगी साहब आप यह क्या कर रहे हैं मैंने कांता से कहा मैं तुम्हें उसके बदले पैसे दूंगा। वह मुझे कहने लगी साहब मुझे पैसों की जरूरत तो वैसे भी है आप मुझे कितने पैसे देंगे? मैंने उसे कहा चलो बेडरूम में चलते हैं और हम दोनों बेडरूम में चले आए मैंने अपने बटुए से उसे 2000 का नोट निकाल कर दिया जब मैंने अपने बटुए से उसे 2000 का नोट निकाल कर दिया तो उसने उसे तुरंत ही अपने पास रख लिया। जब उसने ऐसा किया तो मैंने उसे कहा अब तुम मेरे लंड को चूसो तो वह मेरे मोटे लंड को अपने मुंह में लेने के लिए तैयार थी और उसने मेरे कपड़े उतारते हुए मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर ले लिया और उसे बड़े अच्छे तरीके से चूसने लगी। वह इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई थी कि उसने मेरे लंड को अंदर तक ले लिया था उसने पानी भी बाहर की तरफ को निकल दिया था। मैं बहुत ही ज्यादा उत्तेजित होने लगा था और वह भी पूरी तरीके से गर्म हो चुकी थी मै बहुत ही ज्यादा गरम हो चुकी हूं मैंने उसे कहा मुझे तो बहुत ही अच्छा लग रहा है और यह कहते ही मैंने उसके कपड़े उतार फेंके। वह बिस्तर पर मेरे साथ थी जब वह बिस्तर पर मेरे साथ थी तो मुझे ऐसा एहसास हो रहा था जैसे कि वह मेरी पत्नी हो। अब वह मुझे पूरी तरीके से सुख देने के लिए तैयार थी उसने अपने पैरों को चौड़ा कर लिया और कहा साहब आप मेरी चूत को चाट लो। मैंने उसकी चूत की तरफ देखा उसकी चूत पर काफी ज्यादा बाल थे मैंने उसे कहा तुम अपनी चूत के बाल को साफ नहीं करती हो?

वह कहने लगी साहब मेरे पास इतना समय ही कहां होता है लेकिन उसकी चूत से जो पानी बाहर निकल रहा था वह मुझे साफ दिखाई दे रहा था अब मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाया जैसे ही मेरा लंड उसकी योनि के अंदर घुसा तो मुझे मजा आने लगा और वह भी मेरा पूरा साथ देने लगी थी मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रखा और जब मैंने ऐसा किया तो वह पूरी तरीके से संतुष्ट हो गई थी अब मैंने उसे बड़ी तेज गति से धक्के देना शुरू कर दिया था। मैं उसे इतनी तेजी से धक्के मार रहा था कि वह पूरी तरीके से संतुष्ट होने लगी थी और मुझे कहने लगी साहब आप मेरी चूत के अंदर ही अपने वीर्य को गिरा दो। मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी चूत के अंदर ही अपने वीर्य को गिरा रहा हूं और यह कहते ही मैंने अपने वीर्य को उसकी योनि में गिरा दिया लेकिन जब मैंने उसे दोबारा से चोदना शुरू किया तो वह पूरी तरीके से जोश में आ चुकी थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि वह थकने वाली नहीं है और उसने मुझे कहा मुझे बहुत मजा आ रहा है आप ऐसे ही मुझे धक्के देते रहिए। अब मैं उसे बड़ी तीव्र गति से धक्के दे रहा था और मुझे उसे चोदने में इतना आनंद आ रहा था कि वह भी पूरी तरीके से खुश हो चुकी थी और मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा है।

मैंने उसे डॉगी स्टाइल मे बनाते हुए उसकी चूतडो पर हाथ से प्रहार करना शुरू किया तो उसकी चूतड़ों पर प्रहार कर के मुझे बहुत ही मजा आ रहा था और वह भी बहुत ही ज्यादा खुश हो गई थी। अब मैं उसे बड़े ही अच्छे तरीके से चोद रहा था मैं उसे जितनी तेज़ गति से धक्के मार रहा था उतनी ही तेज गति से वह भी अपनी चूतड़ों को मुझसे मिलाए जा रही थी ऐसा करने में उसे बड़ा आनंद आ रहा था और मुझे भी उसे धक्के मारने में उतना ही मजा आ रहा था अब वह समय नजदीक आ गया जब मेरा वीर्य मेरा अंडकोषो से बाहर की तरफ को आने के लिए तड़प रहा था और वह कांता की चूत के अंदर जाना चाहता था। मैंने भी जोरदार झटकों के साथ कांता की चूतड़ों को पूरी तरीके से हिला दिया था जब मैंने उसकी चूत के अंदर अपने वीर्य को गिराया तो वह मुझे कहने लगी साहब आज तो आपने मेरी चूत के मजे लेकर मुझे खुश कर दिया। मैंने उसे कहा ऐसे मजे तो मैं अब आगे भी लेता रहूंगा वह बड़ी खुश हो गई और उसके बाद वह चली गई।

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सेक्स करके लंड छिल गया


मेरी छोटी बहन संजना को देखने के लिए लड़के वाले घर आने वाले थे इसलिए मेरी मां ने मुझे कहा कि बेटा तुम ही सारा काम सम्भालना मैंने मां से कहा ठीक है मां आप चिंता मत कीजिए। मैंने ही उस दिन सारा अरेंजमेंट किया था और घर पर जब लड़के वालों ने मेरी बहन संजना को देखा तो उन्हें मेरी बहन पसंद आ चुकी थी अब संजना की सगाई जल्दी होने वाली थी। संजना की सगाई हो जाने के बाद उसकी शादी के लिए मुझे भी पैसों का प्रबंध करना था क्योंकि कुछ समय पहले ही पापा की तबीयत खराब हो गई थी जिस वजह से उनके इलाज के लिए काफी पैसे लगे थे। मैं जिस कंपनी में नौकरी करता था उस कंपनी में मेरी ज्यादा तनखा तो नहीं थी लेकिन मैंने अपने दोस्तों की मदद से कुछ पैसे जमा कर लिए थे जो कि मैंने अपने पापा को दे दिये और अब मेरी बहन संजना की शादी बड़े ही धूमधाम से हुई। पापा भी इस बात से बहुत खुश थे और मैंने भी उसकी शादी में कोई कमी नहीं होने दी पापा और मम्मी बहुत ही खुश है कि उसे एक अच्छा लड़का मिला।

कुछ समय बाद संजना अपने पति के साथ विलायत चली गई और जब भी संजना का मुझे फोन आता तो मैं उससे कहता कि तुम कुछ दिनों के लिए घर आ जाओ। संजना करीब एक वर्ष बाद घर आई तो वह बहुत ही ज्यादा खुश थी और कहने लगी कि भैया मेरे पति मेरा बहुत ही ध्यान रखते हैं। वह मुझे कहने लगी कि राजीव भैया आप भी शादी कर लो मैंने उसे कहा कि हां संजना मैं भी शादी कर लूंगा। एक दिन संजना ने मुझे कहा कि भैया क्या आप मुझे मेरी सहेली के घर छोड़ देंगे तो मैंने संजना को कहा ठीक है मैं तुम्हें तुम्हारी सहेली के घर छोड़ देता हूं और उस दिन मैंने उसे उसकी सहेली के घर छोड़ दिया। मैंने उसे उसकी सहेली के घर छोड़ा और मैं वहां से वापस लौट आया था लेकिन संजना ने मुझे कहा कि भैया आप मुझे लेने के लिए भी आ जाना। उसने मुझे शाम के वक्त फोन किया और मैं उसे लेने के लिए चला गया, जब मैं संजना को लेने के लिए गया तो मैंने संजना की सहेली को देखा जिसका नाम आकांक्षा है।

जब संजना ने मुझे उससे मिलवाया तो मुझे आकांक्षा बहुत ही अच्छी लगी लेकिन उस दिन के बाद हम लोग कभी मिले नहीं थे काफी समय हो गया था और संजना भी विलायत चली गई थी। आकांक्षा जब एक दिन मुझे दिखी तो उसने मुझे देखते ही पहचान लिया वह मुझसे मिलकर बहुत ही खुश थी और उस दिन जब मुझे आकांक्षा मिली तो हम दोनों ने उस दिन साथ में समय बिताया। हम लोग एक कॉफी शॉप में बैठे हुए थे उस दिन आकांक्षा से मुझे बात करने का मौका मिला और आकांक्षा से बात कर के मैं काफी खुश था। यह पहला ही मौका था जब आकांक्षा से मैंने बात की थी उसके बाद आकांक्षा और मैं एक दूसरे से अक्सर बात किया करते थे हम दोनों की फोन पर भी बातें होने लगी थी और हम दोनों एक दूसरे के बहुत करीब आने लगे थे। मुझे लगने लगा था कि आकांक्षा मेरे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण है और जब भी मैं आकांक्षा से बात करता तो मुझे बहुत अच्छा लगता है। एक दिन मैं अपने ऑफिस से वापस लौट रहा था तो मुझे आकांक्षा का फोन आया और वह मुझे कहने लगी कि राजीव मुझे तुमसे मिलना था। उस दिन आकांक्षा ने मुझे मिलने के लिए बुलाया और हम लोग उसी कॉफी शॉप में मिले जिस कॉफ़ी शॉप में हम लोग पहली बार एक दूसरे को मिले थे। जब मैं आकांक्षा को मिला तो आकांक्षा ने मुझे कहा कि राजीव पापा और मम्मी मेरे लिए लड़का देखना शुरू कर चुके हैं मैं चाहती हूं कि तुम उनसे एक बार मिल लो मैंने आकांक्षा को कहा ठीक है आकांशा मैं तुम्हारे पापा से इस बारे में बात कर लूंगा। कुछ दिनों बाद आकांक्षा ने अपने पापा को मेरे बारे में बताया जब आकांक्षा ने अपने पापा को मेरे बारे में बताया तो उन्होंने मुझे मिलने के लिए बुलाया और मैं उनसे मिलने के लिए चला गया। जब वह मुझसे मिले तो उन्होंने मुझे कहा कि राजीव बेटा आकांक्षा तुम्हारी बहुत ही तारीफ करती है। आकांक्षा के पिताजी बहुत ही सज्जन व्यक्ति हैं और उन्हें मेरे और आकांक्षा के रिश्ते से कोई भी परेशानी नहीं थी लेकिन आकांक्षा की मां को शायद मैं बिल्कुल भी पसंद नहीं था इसलिए आकांक्षा की मां ने उसके पापा से कहा कि आकांक्षा की शादी हम कहीं और करा देते हैं लेकिन आकांक्षा तो मुझसे ही शादी करना चाहती थी।

आकांक्षा को मैं भी अपने पापा मम्मी से मिलवा चुका था हालांकि आकांक्षा की मम्मी की वजह से हम दोनों की अभी तक बात आगे नहीं बढ़ पाई थी लेकिन हम दोनों एक दूसरे को अक्सर मिला करते थे और जब भी एक दूसरे को हम लोग मिलते तो हमें बहुत ही अच्छा लगता। मैं जब भी आकांक्षा से मिलता तो मुझे ऐसा लगता कि जैसे मेरी सारी परेशानी एक पल में ही दूर हो गई हो। यह बात मेरी बहन संजना को भी पता चल चुकी थी। आकांक्षा और मै एक दिन कॉफी शॉप में बैठे हुए थे उस दिन जब हम दोनों कॉफी शॉप में बैठे थे तो मुझे आकांक्षा को देखकर बहुत ही अच्छा लग रहा था आकांक्षा के साथ कहीं ना कहीं मैं उस दिन सेक्स करना चाहता था। मैंने उस दिन उसका हाथ पकड़ लिया और जब मैंने आकांक्षा का हाथ पकड़ा तो आकांक्षा मेरी तरफ देखने लगी उसकी आंखों में देखकर मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैं चाहता था कि आकांक्षा के साथ में संभोग करूं मैंने जब यह बात आंकाक्षा से कहीं तो आकांक्षा ने पहले कुछ देर तक सोचा लेकिन कहीं ना कहीं वह भी मेरी बात मान चुकी थी और हम दोनों उस दिन मेरे घर पर चले आए।

जब हम दोनों मेरे घर पर आए तो आकांक्षा के साथ में बैठे हुए था तो मैं उसके नर्म होठों की तरफ देख रहा था जब मैंने उसके पतले होठों को अपने होठों में लेकर चूसना शुरू किया तो मुझे मजा आने लगा। अब मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया था बिस्तर पर लेटाने के बाद में उसके स्तनों को दबाने लगा जब मैं उसके स्तनों को दबा रहा था तो वह मचलने लगी थी वह मेरे नीचे थी और मैं उसके ऊपर से लेटा हुआ था आकांक्षा की चूत के अंदर मै हाथ डालना चाहता था उसने मेरे हाथ को बाहर की तरफ खींच लिया मैं समझ चुका था कि वह बहुत ज्यादा तड़पने लगी है उसकी तड़प कुछ ज्यादा ही बढ़ चुकी थी। मैंने भी तुरंत अपने लंड को बाहर निकाल लिया जब मैंने देखा तो उसने आंखों को बंद करते हुए मुझे कहा तुम्हारा लंड तो बहुत ही ज्यादा मोटा है। मैंने उसे कहा तुम्हें इसे अपने मुंह के अंदर लेना है वह कहने लगी लेकिन मैं तुम्हारे लंड को अपने मुंह में कैसे लूंगी। मैंने अपने लंड को उसके मुंह के सामने किया और उसने अपने मुंह को हल्का सा खोला मैंने भी एक ही झटके में उसके मुंह के अंदर अपने लंड को घुसा दिया मेरे लंड को वह अच्छे से चूसने लगी थी और उसे बहुत ही अच्छा लग रहा था काफी देर तक उसने मेरे लंड का रसपान किया लेकिन जब मैंने उसे कहा कि तुम अब अपने कपड़े उतार दो तो उसने मेरे सामने अपने कपड़ों को उतार दिया वह मेरे सामने अब नंगी थी। मैंने उसकी गोरे बूब्स को चूसना शुरू किया मैं जब उसके स्तनो को अपने मुंह में लेकर उनका रसपान करता तो उसकी उत्तेजना और भी अधिक बढ़ती जा रही थी उसकी गर्मी इतनी अधिक हो चुकी थी कि उसने मुझे कहा मुझे बहुत ही ज्यादा बेचैनी सी हो रही है। मैं समझ चुका था कि वह मेरे लंड को चूत में लेने के लिए तैयार हो चुकी है अब मैंने अपने लंड को उसके अंदर डालने का मन बना लिया था मैंने जैसे ही उसकी चिकनी चूत पर लंड को लगाया तो वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ज्यादा डर लग रहा है कहीं कुछ होगा तो नहीं।

मैंने उसे कहा कुछ भी नहीं होगा तुम बस अपनी आंखों को बंद कर लो उसकी चूत से बहुत ज्यादा पानी बाहर निकल रहा था मैंने भी अपने लंड को उसकी चूत पर बहुत देर तक रखड़ा जिससे कि उसकी चूत से इतना ज्यादा पानी बाहर की तरफ आने लगा कि मेरा लंड उसकी योनि को अंदर जाने के लिए तैयार हो चुका था और वह भी मेरे मोटे लंड को लेने के लिए बहुत ज्यादा बेताब थी। मैंने भी जैसे ही अपने मोटे लंड को उसकी योनि के अंदर धीरे-धीरे डाला तो वह चिल्लाने लगी मैंने पूरी ताकत के साथ उसकी चूत के अंदर जब अपने लंड को घुसाया तो उसके मुंह से एक जोरदार चीख निकली और वह मुझे कहने लगी तुमने तो मेरी चूत ही फाड़ दी है। मैंने उसे कहा आज तो मुझे बहुत ही मजा आ गया मै आकांक्षा की तरफ देख रहा था वह मेरी तरफ देख रही थी मैं उसे बड़ी तेज गति से धक्के मार रहा था और वह मेरा साथ पूरे अच्छी तरीके से दे रही थी।

हम दोनों की ही गर्मी इस कदर बढ़ने लगी थी कि अब मैं चाहता था कि उसे मैं घोड़ी बनाकर चोदूं लेकिन उसे मज़ा आने लगा था इसलिए वह मुझे अपने दोनों पैरों की बीच में जकडने लगी। उसे बहुत ही अच्छा लग रहा था और मुझे भी मज़ा आने लगा था मेरी गर्मी में लगातार बढ़तोरी होती जा रही थी और मेरे अंदर की उत्तेजना इतनी ज्यादा बढ़ चुकी थी कि मैंने आकांक्षा को कहा कि मैं तुम्हारे दोनों पैरों को अपने कंधों पर रखना चाहता हूं और मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया। मैंने उसके पैरो को अपने कंधों पर रख लिया था मैं जब उसे धक्के देता तो उसकी चूतड़ों पर मेरा लंड बड़ी तेजी से लगता जिससे कि मेरे अंदर की आग और भी ज्यादा बढ़ने लगी थी। अब मैं उसे बड़ी तेज गति से चोद रहा था और उसके अंदर की उत्तेजना पूरी तरीके से बढ़ती जा रही थी वह मुझसे कहने लगी मेरी चूत से बहुत ज्यादा खून निकलने लगा है लेकिन मुझे तो बहुत मजा आ रहा था और एक समय ऐसा आया जब मैंने अपने माल को गिरा दिया। मैं बहुत ज्यादा खुश था कि मै उसके साथ में संभोग कर पाया।
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ऐसी चूत देखी ना थी


हमारी गली में सुहानी रहा करती थी सुहानी और मेरे प्यार के चर्चे हमारी पूरी कॉलोनी में थे लेकिन सुहानी के पापा का ट्रांसफर हो जाने के बाद सुहानी से मेरा कोई संपर्क ही नहीं हुआ और वह मेरी जिंदगी से दूर चली गई। उस वक्त हम दोनों स्कूल में पढ़ते थे इसलिए मैंने इस बात को भूलना ही ठीक समझा लेकिन जब मेरी मुलाकात प्रतिभा के साथ हुई तो मुझे उससे मिलकर अच्छा लगा। प्रतिभा हमारे ऑफिस में ही जॉब करती है उसने कुछ समय पहले ही ऑफिस ज्वाइन किया था कुछ दिनों के लिए प्रतिभा की ट्रेनिंग होनी थी जो कि करीब 7 दिनों की थी 7 दिन तक प्रतिभा की ट्रेनिंग हुई और उसके बाद वह अब ऑफिस ज्वाइन कर चुकी थी। ऑफिस में उसको मेरा सामने वाला डेस्क मिला जिसमें कि वह काम करती थी जब भी वह सुबह आती तो हमेशा ही मुझे मुस्कुराकर हाय कहा करती थी। यह सिलसिला चलता ही जा रहा था करीब 15 दिन हो चुके थे 15 दिनों बाद मैंने प्रतिभा से कहा कि प्रतिभा मैं तुम्हारे बारे में जानना चाहता हूं तो प्रतिभा भी मुझे कहने लगी कि क्यों नहीं राजेश सर।

मैंने उसे कहा कि तुम मुझे सर मत कहा करो मुझे तुम सिर्फ राजेश कह सकती हो और उस दिन के बाद तो जैसे प्रतिभा और मैं एक दूसरे के इतने नजदीक आ चुके थे कि जब भी हम दोनों एक दूसरे से मिलते तो हम दोनों को ही अच्छा लगता। एक दिन प्रतिभा ने मुझे कहा कि राजेश मुझे तुम्हारी जरूरत है मैंने उसे कहा कि लेकिन तुम्हें मेरी क्या जरूरत है। उसने मुझे बताया कि उसके पापा घर में शराब पीकर आते हैं और वह घर में शोर शराबा करते हैं उसकी मां के साथ भी वह बड़े ही गंदे तरीके से पेश आते थे जिससे कि प्रतिभा काफी ज्यादा परेशान रहती थी इसलिए उस दिन मुझे उसके घर पर जाना पड़ा। मैं जब प्रतिभा के घर पर गया तो प्रतिभा की मां से उस दिन मैं पहली बार ही मिला था प्रतिभा के पिताजी को किसी तरीके से हम लोगों ने काबू में किया और उसके बाद वह सो चुके थे।

मैं उनके घर पर ही था तो प्रतिमा की मां बहुत ही ज्यादा भावुक होकर मुझे कहने लगी कि राजेश बेटा अब तुम्हें क्या बताऊं प्रतिभा हमारी लड़की है और हमें किसी भी चीज की कोई कमी नहीं है लेकिन प्रतिभा के पापा है कि वह अपनी शराब की लत छोड़ते ही नहीं हैं। मैंने उन्हें समझाया और कहा कि आंटी जी सब ठीक हो जाएगा तो वह कहने लगी कि बेटा यह सब इतना आसान नहीं है। शायद वह लोग कुछ ज्यादा ही परेशान थे उस दिन तो मैं घर चला आया अगले दिन जब प्रतिभा मुझे ऑफिस में मिली तो वह मुझे कहने लगी कि राजेश कल रात को मैंने आपको बेवजह ही परेशान किया। मैंने प्रतिभा को कहा प्रतिभा इसमें परेशानी की कोई भी बात नहीं है तुम्हें मेरी जरूरत थी तो तुमने मुझे कह दिया भला इसमें परेशानी की क्या बात है। उसके बाद प्रतिभा और मैं एक दूसरे से फोन पर भी काफी ज्यादा बातें करने लगे थे प्रतिभा मेरी अच्छाइयों से इतनी ज्यादा प्रभावित थी कि एक दिन प्रतिभा ने मुझसे कहा कि मुझे आप बहुत ही अच्छे लगते हो लेकिन उसने उससे आगे की बात नहीं कही। एक दिन प्रतिभा और मैं मॉल में थे उस दिन हम दोनों फूड कोर्ट में बैठे हुए थे तो प्रतिभा की कोई सहेली उसे वहां मिली उसने मेरा परिचय भी उससे करवाया। उसकी सहेली प्रतिभा से पूछने लगी कि की क्या यह तुम्हारे बॉयफ्रेंड हैं तो प्रतिभा ने कहा कि नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है लेकिन प्रतिभा के चेहरे से साफ प्रतीत हो रहा था कि उसके दिल में कुछ ऐसा चल रहा है जो वह बताना नहीं चाहती है। जब उसकी सहेली चली गई तो मैंने उस दिन प्रतिभा से पूछा कि प्रतिभा क्या तुम मुझे प्यार करने लगी हो तो वह कुछ नहीं बोली और उस दिन हम लोग घर चले आए। कुछ दिनों बाद प्रतिभा ने मुझे प्रपोज कर दिया जब उसने मुझे प्रपोज किया तो उसके बाद तो हम दोनों एक दूसरे से शादी करने के लिए तैयार हो चुके थे। प्रतिभा को तो मैं अच्छे से जान चुका था और मैं चाहता था कि प्रतिभा को मैं अपने पापा मम्मी से मिलवाऊँ और उस दिन मैंने प्रतिभा को अपने पापा मम्मी से मिलवाया। सब कुछ इतना जल्दी हुआ कि कुछ पता ही नहीं चला कि कब प्रतिभा मेरी जिंदगी में आ गई। प्रतिभा मेरे इतने नजदीक आ चुकी थी कि शायद प्रतिभा से ज्यादा मैं किसी पर भरोसा भी नहीं करता था। मेरे पापा और मम्मी को भी प्रतिभा के साथ मेरा रिश्ता मंजूर था और उन्हें किसी भी बात की कोई आपत्ति नहीं थी अब हम दोनों की जिंदगी बड़े ही अच्छे से चल रही थी। प्रतिभा मुझसे कहने लगी कि राजेश मैं चाहती हूं कि हम लोग जल्दी ही शादी कर ले।


हमारे ऑफिस में इस बारे में सबको पता चल चुका था कि हम दोनों के बीच कुछ तो खिचड़ी पक रही है और ऑफिस में भी सब लोगों ने हमसे पूछना शुरू कर दिया आखिरकार हम दोनों को बताना ही पड़ा कि हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं। मैं प्रतिभा के साथ बहुत ही ज्यादा खुश था और प्रतिभा भी मेरे साथ बहुत खुश थी। हम दोनों की ही जिंदगी में कोई भी कमी नहीं थी मुझे प्रतिभा का पूरा प्यार मिल रहा था और मैं भी प्रतिभा को पूरा समय देने की कोशिश किया करता। एक शाम प्रतिभा मेरे साथ मेरे घर पर ही थी उस दिन हम दोनों के बीच किस हो गया लेकिन इससे आगे हम दोनों की बात नहीं बड़ी प्रतिभा ने अपने आपको पीछे खींच लिया शायद वह डर गई थी। कुछ दिनों के बाद प्रतिभा से मैंने उसके फिगर के बारे में पूछा हम दोनों फोन पर बात कर रहे थे जब मैंने प्रतिभा से इस बारे में पूछा तो वो शर्माने लगी और कहने लगी राजेश मुझे यह सब बताने में शर्म आती है लेकिन मेरे तो अंदर जैसा आग लगी हुई थी और उस रात मैने हस्तमैथुन किया मैंने अपने माल को गिरा दिया लेकिन अब मेरी आग और भी ज्यादा बढ़ने लगी थी।

मैं चाहता था कि मै प्रतिभा के साथ सेक्स करू और अपनी इच्छा को पूरा करू लेकिन प्रतिभा थी कि वह मानने ही नहीं वाली थी और एक दिन मुझे मौका मिल गया। प्रतिभा और मैं उसके घर पर थे  मैंने उस दिन प्रतिभा को किस कर लिया जब मैंने ऐसा किया तो प्रतिभा भी पूरी तरीके से उत्तेजित हो गई थी और वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है उस दिन शायद प्रतिभा भी मेरे साथ सेक्स करने के लिए तैयार थी और मेरी तडप को उसने पूरी तरीके से बढ़ा दिया था मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। उस दिन मैंने प्रतिभा के स्तनों को दबाया तो वह भी अब तड़पने लगी थी मैंने उसे कहा मैं तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूं लेकिन प्रतिभा ने आज तक किसी भी लड़के के साथ किस तक नहीं किया था इसलिए वह एकदम फ्रेश और टाइट माल थी। मैंने जब उसे अपने लंड को दिखाया तो वह शर्माने लगी लेकिन जब मैंने उसे कहा तुम इसे हाथ में पकड़ लो तो उसने अपने मुठ्ठी के बीच में मेरे लंड को पकड़ लिया और उसे वह हिलाने लगी। जब वह उसे ऊपर नीचे कर रही थी तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और वह मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर लेने के लिए तड़प रही थी मैंने उसे कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह में ले लो हालांकि पहले तो वह बहुत शर्मा रही थी लेकिन जब उसने अपने मुंह के अंदर लंड को लेना शुरु किया तो मुझे बहुत अच्छा लगा और वह मेरे लंड को अच्छे तरीके से चूसने लगी थी कुछ देर तक उसने मेरे लंड को अपनी जीभ से चाटा और मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। जब मैं ऐसा कर रहा था तो वह मेरे लंड को ऐसे चूस रही थी जैसे कि मेरे लंड से वह पानी बाहर निकालने वाली है जल्दी ही मेरे लंड से पानी बाहर निकलने वाला था और मैंने उसे कहा लगता है मेरा वीर्य गिरने वाला है।

वह कहने लगी तुम अपने वीर्य को मेरे मुंह के अंदर ही गिरा दो और मैंने अपने वीर्य को उसके मुंह में ही गिरा दिया। हम दोनों की ही गर्री बढ़ चुकी थी और मैंने उससे कहा कि तुम अपने कपड़ों को उतार दो और उसने अपने कपड़ों को मेरे सामने उतार दिया। जब उसने ऐसा किया तो मैं पूरी तरीके से गर्म हो चुका था मैंने प्रतिभा से कहा कि मुझे तुम्हारे स्तनों को चूसना है। मैं जब उसके बूब्स को अपने मुंह में लेकर चूस रहा था तो मुझे अच्छा लग रहा था और वह मेरा साथ बड़े अच्छे से दे रही थी। मेरे अंदर की गर्मी इस कदर बढ़ने लगी थी कि मैंने उसे कहा मैं अब तुम्हारी चूत के अंदर अपने लंड को डालना चाहता हूं लेकिन उससे पहले मैं उसकी चूत को चाटना भी चाहता था क्योंकि उसकी गुलाबी चूत को देखकर मेरा मन उसे चाटने का होने लगा था और मैंने जैसे ही उसकी नरम चूत पर अपनी जीभ को लगाया तो मुझे बहुत ही मजा आ रहा था और उसे भी बड़ा अच्छा लग रहा था।

अब वह पूरी तरीके से मजे में आ चुकी थी जब मैंने उसकी चूत के ऊपर अपने लंड को लगाया तो उसके मुंह से हल्की से आह की आवाज निकली और वह कहने लगी तुम जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत में घुसा दो। मैंने भी उसकी चूत को हलका सा अपने हाथ से खोला और उसकी चूत के अंदर जब मैंने अपने लंड को घुसाया तो वह जोर से चिल्लाई। अभी सिर्फ आधा ही लंड अंदर की तरफ गया था लेकिन उसकी चीख बहुत ज्यादा थी उसकी चूत से हल्का सा खून भी निकलने लगा था अब मैंने उसकी चूत मे एक ही झटके मे लंड अंदर डाल दिया। मेरा लंड अंदर की तरफ जा चुका था लेकिन उसकी चूत से निकलती हुई खून की पिचकारी कुछ ज्यादा ही बाहर की तरफ आ चुकी थी जिससे कि मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। अब मेरी गर्मी बढ़ने लगी थी मैंने उसे बडे ही तेजी से चोदना शुरू कर दिया था। मैं उसे इतनी तीव्रता से धक्के दे रहा था उससे मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था और वह भी पूरी तरीके से उत्तेजित होती जा रही थी उसकी उत्तेजना इस कदर बढ़ने लगी थी कि मुझे भी बहुत ज्यादा मजा आने लगा था और उसे भी मज़ा आ रहा था अब मेरे अंदर की गर्मी अधिक बढ़ गई और मेरा वीर्य पतन हो गया।
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लॉन्ग ड्राइव के बाद चुदाई


मैं अपने दोस्त अविनाश से मिलने के लिए गया मैं जब अविनाश के घर पर गया तो मैंने देखा कि वह घर पर नहीं था। मैंने अविनाश की मम्मी से पूछा कि आंटी अविनाश घर पर नहीं है तो वह कहने लगी कि नहीं बेटा वह भी घर पर नहीं है वह अपने मामा जी के घर गया हुआ है वह शाम तक ही घर लौटेगा। मैंने उन्हें कहा ठीक है मैं चलता हूं उन्होंने मुझे कहा बेटा पानी तो पी लो मैंने उन्हें कहा नही आंटी पानी रहने दीजिए। मैं कुछ देर उनके साथ बैठ गया और उसके बाद मैं वहां से घर लौट रहा था मैं जब अविनाश के घर की पार्किंग में खड़ा था तो मैंने देखा कि एक लड़की वहां से अपनी स्कूटी में आ रही थी मैं उसकी तरफ देखता ही रहा मैंने उसे तब तक देखा जब तक कि वह मेरे सामने नहीं आ गई। जब वह मेरे सामने आई तो मेरा उससे बात करने का मन हुआ लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी और फिर वह हो वहां से चली गई। मुझे उस लड़की के बारे में कुछ पता नहीं था लेकिन मुझे ऐसा लगा जैसे कि मैं उससे काफी वर्षों से जानता हूं अविनाश तो मुझे मिला नहीं था लेकिन उस दिन मुझे वह लड़की मिल गई जिसने कि मेरी रातों की नींद हराम कर दी थी। अब मैं उसके बारे में जानना चाहता था कि उस लड़की का नाम क्या है और वह क्या अविनाश की कॉलोनी में ही रहती है।

मेरे मन में ना जाने कितने ही सवाल दौड़ रहे थे मेरे पास उन सवालों का कोई भी जवाब नहीं था लेकिन जब अविनाश ने मुझे उसके बारे में बताया तो मुझे ऐसा लगा कि जैसे मैं उसी दिन उससे बात कर लूं। अविनाश ने मुझे उसका नाम बता दिया था उसका नाम पायल है पायल अविनाश की ही कॉलोनी में रहती है और अविनाश के परिवार के साथ उनका काफी पुराना पारिवारिक संबंध है। पायल अक्सर उनके घर पर आती रहती थी शायद इसी बात का फायदा मुझे मिलने वाला था। एक दिन मुझे अविनाश ने अपने घर पर बुलाया और उस दिन मैं उसके घर पर चला गया जब मैं अविनाश के घर पर गया तो उस दिन मुझे पायल भी अविनाश के घर पर ही मिली। जब वह मुझे उसके घर पर मिली तो उस दिन अविनाश ने मेरा परिचय पायल से करवाया यह पहला ही दिन था जब मैंने पायल से बात की थी। उससे बात करने में मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि मेरी दिल की धड़कन तेज गति से दौड़ रही हैं।

पायल से मेरी बात हो चुकी थी और धीरे-धीरे पायल से मैं अब और भी बातें करने लगा मैं जब भी अविनाश के घर पर होता तो पायल मुझे वहां अक्सर मिल जाया करती थी। वह लोग अविनाश की सोसाइटी में रहते थे इसलिए पायल से मेरी अक्सर मुलाकात हो जाती थी और मुझे पायल से बात करना अच्छा भी लगता था। एक दिन पायल और मैं बात कर रहे थे हम लोग उन्हीं की कॉलोनी के बाहर खड़े थे उस दिन अविनाश वहां आया और कहने लगा कि रोहन तुम कब आए। मैंने उसे कहा मैं तुमसे मिलने के लिए आ रहा था लेकिन तुम्हारा नंबर नहीं लग रहा था जिस वजह से मैंने सोचा कि पायल से मिलता हुआ चलूँ और मैंने पायल को मिलने के लिए बुला लिया। अविनाश मुझे कहने लगा कि चलो घर चलते हैं मैंने उसे कहा नहीं अविनाश अभी मैं चलता हूं और उस दिन मैं वहां से चला आया। मेरे पास अब पायल का नंबर तो आ ही चुका था और हम दोनों के बीच अच्छी दोस्ती भी हो ही चुकी थी इसलिए मैं अब अक्सर पायल को मैसेज भेजने लगा और मैसेज पर उससे मैं बात करने लगा। हम दोनों की बातें काफी होती थी हम दोनों की बातें कई घंटों तक हुआ करती थी एक दिन जब मैं पायल से फोन पर बात कर रहा था तो उस दिन मेरी बहन ने मुझसे पूछा कि तुम किस से बात करते हो। मेरी बहन मुझसे उम्र में दो वर्ष बड़ी है मैंने उसे पायल के बारे में बताया और कहा कि पायल और मेरी काफी अच्छी दोस्ती है तो उसने मुझे कहा कि क्या पायल को तुम पसंद करने लगे हो तो मैंने उसे कहा कि यह बात तो तुम मेरी बातों से समझ ही चुकी होंगी कि मैं पायल को कितना पसंद करता हूं। मैं पायल को काफी ज्यादा पसंद करने लगा था और पायल भी कहीं ना कहीं इस बात से अनजान थी कि मैं उसे प्यार करता हूं लेकिन एक दिन मैंने उसे प्रपोज कर दिया। मैंने जब पायल को प्रपोज किया तो शायद वह भी मना ना कर सकी, जब पायल को मैंने प्रपोज किया तो वह बहुत खुश हो गई थी उसके बाद हम दोनों का रिलेशन शुरू हो गया। हम दोनों का रिलेशन चलने लगा था जिस वजह से पायल और मैं एक दूसरे से मिला करते हम दोनों जब भी एक दूसरे को मिलते तो हम दोनों को ही अच्छा लगता।


पायल के साथ मैं घंटों तक समय बिताया करता लेकिन इसी बीच अब मेरे कॉलेज में कैंपस प्लेसमेंट आने वाला था। उस कैंपस प्लेसमेंट में मेरा सिलेक्शन भी हो चुका था और मुझे जॉब करने के लिए मुंबई जाना था लेकिन मैं मुंबई नहीं जाना चाहता था परंतु यह मेरे कैरियर का सवाल भी था इसलिए मेरे सामने कोई और रास्ता नहीं था। मैं मुंबई जाने के लिए तैयार हो चुका था मुझे करीब एक महीने बाद मुंबई जाना था और जिस कंपनी में मेरा सिलेक्शन हुआ था उस कंपनी को मुझे ज्वाइन करना था इस बीच पायल और मैं हर रोज मिला करते थे। एक दिन पायल ने मुझे कहा रोहन क्या आज हम लोग कहीं लॉन्ग ड्राइव पर चले? मैंने उसे कहा क्यों नहीं पायल आज हम लोग कहीं लॉन्ग ड्राइव पर चलते हैं। पायल और मैं मेरी मोटरसाइकिल में ही लॉन्ग ड्राइव पर साथ में जाना चाहते थे। पायल मेरे पीछे बैठी हुई थी वह मेरे स्पोर्ट्स बाइक में बैठी थी तो उसके स्तन मुझसे टकरा रहे थे।

उस से पहले तो मैंने कभी पायल के बारे में ऐसा कुछ सोचा नहीं था लेकिन उस दिन मेरे मन में ना जाने क्या शरारत सुझी। मैंने पायल की जांघ पर हाथ रख दिया मैंने जब उसकी जांघ पर हाथ रखा तो वह मुझे कहने लगी रोहन तुम यह क्या कर रहे हो तुम गाड़ी आगे देख कर चलाओ। मैंने उसे कहा मैं तो मोटरसाइकिल आगे देखकर ही चला रहा हूं लेकिन मेरा ध्यान तो उस दिन पायल के ऊपर था। मैं चाहता था कि पायल की चूत में मारू पायल भी शायद गरम हो गई थी। वह मुझसे अपनी चूत मरवाने के लिए तड़प रही थी हम दोनों एक सुनसान जगह पर चले गए क्योंकि हम लोग काफी आगे आ चुके थे। वहां पर कोई भी नहीं दिख रहा था हमे वहां पर एक बैठने की जगह मिली तो मैंने वहां मोटरसाइकिल रोकी। हम दोनों वहां पर बैठे थे हम दोनों साथ में बैठे हुए थे तो मैंने पायल की जांघ पर हाथ रखा और उसने जो टाइट जींस पहनी हुई थी उसमें वह बड़ी गजब लग रही थी उसका फिगर बहुत मेंटेन है। मैंने जब पायल को किस किया तो वह भी कहीं ना कहीं मेरी बाहों में आने के लिए तड़प रही थी मैं उसके होठों को चूमता जा रहा था तो मुझे उसके होठों को किस करने में मजा आ रहा था और उसे भी बड़ा अच्छा लग रहा था। अब उसने मेरे होंठों को काफी देर तक चूमा जब उसने मेरे होंठों को चूमा तो मुझे मजा आने लगा मैंने भी अपने मोटे लंड को बाहर निकाल लिया पायल मुझे कहने लगी तुम यह क्या कर रहे हो यहां पर यह सब ठीक नहीं है अगर कोई आ गया तो। मैंने उसे कहा कोई नहीं आएगा तुम मेरे ऊपर भरोसा रखो। वह कहने लगी लेकिन मैं तुम्हारे लंड को सकिंग नहीं कर सकती उसने साफ तौर पर मना कर दिया परंतु मैंने उसे मना लिया और उसने जब मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर उसे चूसना शुरू किया तो मुझे मजा आने लगा और उसे भी बहुत अच्छा लग रहा था। वह अब मेरे लंड को अच्छे से सकिंग कर रही थी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था वह जिस प्रकार से मेरे लंड को चूस रही थी उससे मेरे अंदर की गर्मी बढ़ती ही जा रही थी। मैंने उसे कहा चलो अब हम लोग झाड़ियों में चलते हैं और हम लोग वहां से झाड़ियों में आ गए। मैंने पायल के कपड़े उतार दिए और उस दिन पहली बार मैंने उसकी ब्रा के हुक खोला तो उसके स्तन मेरे सामने थे उसके स्तन काफ़ी बड़े थे।

मैं उन्हें देखती ही उन्हें चूसने लगा था तो वह कहने लगी तुम थोड़ा आराम से करो मुझे बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही है लेकिन मेरा मन तो उसे चोदने का होने लगा था और मेरे अंदर की गर्मी बढ़ती जा रही थी इसलिए मैंने भी अपने मोटे लंड को बाहर निकाल लिया। जिसे कि वह बड़े अच्छे से चूसने लगी थी मैंने उसकी जींस को नीचे उतारा तो उसने गुलाबी रंग की पैंटी पहनी हुई थी उस पैंटी मे वह बड़ी गजब लग रही थी और मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी चूत को चाटना चाहता हूं। मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था और उसकी योनि को चाटकर मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था मै जिस प्रकार से उसकी योनि को चाटता तो उसके अंदर की गर्मी बढ़ने लगी थी उसकी चूत से गर्म पानी बाहर की तरफ को निकलने लगा था।

वह मुझे कहने लगी कि मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है मैंने भी उसे घोड़ी बना दिया था और उसकी चूत पर मैंने अपने लंड को सटाया तो उसकी चूत से बहुत अधिक मात्रा में पानी बाहर की तरफ को निकाल रहा था उसका चिपचिपा पदार्थ मेरे लंड को भी बहुत ज्यादा चिपचिपा कर चुका था। मैंने उसकी योनि के अंदर अपने लंड को घुसाया मैंने धीरे से धक्का दिया तो वह जोर से चिल्लाई और कहने लगी थोड़ा आराम से करो मैंने उसे कहा मैं तो आराम आराम से तुम्हारी चूत में लंड घुसा रहा हूं लेकिन वह तो चाहती थी मैं उसकी चूत मे लंड घुसा दूं। मैंने भी एक झटके में उसकी योनि के अंदर लंड घुसा दिया मैंने जब उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाया तो मुझे अब मजा आने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी थी। वह मुझसे अपनी चूतड़ों को मिलाए जा रही थी और मेरे अंदर की गर्मी को बढ़ा रही थी मेरे अंदर की गर्मी बहुत अधिक बढ़ने लगी थी और मुझे मजा भी आने लगा था मैं उसे लगातार तेज गति से धक्के मार रहा था। जिस प्रकार से मै उसे धक्के मारता उस से मुझे बड़ा मजा आता मैंने उसे बहुत देर तक चोदा और आखिरकार मेरा माल उसकी चूत में गिर गया वह बहुत ही ज्यादा खुश हो गई और उसके बाद हम लोग वहां से वापस आ गए।
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बदन ऐसा की देखते ही माल गिर जाए


मैं जॉब करने के लिए दिल्ली चला आया जब मैं दिल्ली जॉब करने के लिए आया तो मेरे लिए दिल्ली में जॉब करना काफी मुश्किल था क्योंकि मैं एक छोटे से शहर का रहने वाला हूं और इतने बड़े शहर में आकर मुझे मैनेज करने में काफी दिक्कत हो रही थी लेकिन जैसे तैसे मैंने मैनेज कर लिया था। मैं कंपनी में डाटा एंट्री ऑपरेटर की जॉब करने लगा था और मैं अपनी जॉब से भी खुश था मेरे कुछ दोस्त भी बनने लगे थे जिनके साथ मेरी काफी अच्छी बनती थी। इस बीच एक दिन मुझे घर भी जाना था क्योंकि मेरे पापा की तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए मैं कुछ दिनों के लिए अपने घर चला गया। मेरे पापा सरकारी नौकरी करते हैं कुछ दिनों तक मैं अपने घर में रहा और फिर मैं वापस दिल्ली चला आया मैं जब दिल्ली आया तो मैं अपने काम पर पूरी तरीके से ध्यान देने लगा था।

इस बीच एक दिन मेरे ऑफिस में मेरे मैनेजर के साथ मेरी किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई जिससे कि मैंने ऑफिस छोड़ दिया। मैंने ऑफिस तो छोड़ दिया था लेकिन उसके बाद मुझे नौकरी तलाशने में काफी मुश्किल हो रही थी मैं काफी ज्यादा परेशान हो गया था इसलिए मैंने सोचा कि क्यों ना मैं कुछ दिनों के लिए अपने घर चला जाऊं। कुछ दिनों तक मैं अपने घर पर ही रहा फिर वापस मैं दिल्ली लौट आया एक दिन मैंने अपने दोस्त को बताया कि वह मेरे लिए कोई नौकरी तलाशे तो उसने मेरे लिए नौकरी तलाशने शुरू कर दी थी। आखिरकार मेरी एक कंपनी में जॉब लग चुकी थी और जब मेरी कंपनी में जॉब लगी तो मैंने अपने दोस्त को इस बात के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि तुम्हारी वजह से ही मेरी जॉब लग पाई है। जिस कंपनी में मैं जॉब करता था उसी कंपनी में मेरी मुलाकात राधिका के साथ हुई राधिका का कुछ समय पहले ही डिवोर्स हुआ था जिससे कि वह काफी ज्यादा परेशान थी। राधिका ऑफिस में किसी से भी बात नहीं करती थी वह ऑफिस में बहुत ही कम बात किया करती थी और उम्र में वह मुझसे बड़ी भी थी लेकिन फिर भी मुझे कहीं ना कहीं राधिका अच्छी लगती थी।

एक दिन मैंने राधिका से बात की मैंने उससे खुलकर बात की और उसके बाद हम दोनों एक दूसरे से बात करने लगे थे। राधिका के डिवोर्स के बाद शायद वह किसी पर भी भरोसा नहीं करती थी क्योंकि उसका भरोसा पूरी तरीके से लोगों से उठ चुका था लेकिन धीरे-धीरे मैं राधिका का भरोसा जीत चुका था और वह मुझसे अपनी बातें शेयर करने लगी थी। एक दिन राधिका ने मुझे बताया कि वह अकेली रहती है और उसने मुझे बताया कि उसके पति के साथ उसका डिवोर्स हो जाने के बावजूद भी उसके माता पिता ने उसे कहा कि तुम अपने ससुराल चली जाओ लेकिन उसने अपने ससुराल जाने से बेहतर अलग रहना ही ठीक समझा इसलिए वह अलग रहने लगी। राधिका के मन में ना जाने कितनी ही तकलीफे थी और उसके साथ काफी बुरा भी हुआ था शायद अभी तक इस सदमे से वह निकल नहीं पाई थी और यह सब उसके चेहरे पर साफ दिखाई देता। जब भी वह मेरे साथ होती तो मुझे अच्छा लगता और अब वह मेरे साथ खुल कर बातें किया करती थी। मुझे कुछ दिनों के लिए अपनी बहन की शादी में जींद जाना था इसलिए मैं अपनी बहन की शादी में चला गया क्योकि घर में सब कुछ मुझे ही देखना था पापा की तबीयत तो ठीक रहती नहीं है इसलिए मेरे ऊपर ही सारे काम की जिम्मेदारी थी। मैंने अपनी बहन की शादी कि सारी जिम्मेदारी बखूबी निभाई और उसकी शादी बड़े ही धूमधाम से हुई। अब उसकी शादी हो चुकी थी और उसके कुछ दिनों बाद मैं भी वापस दिल्ली लौट आया था मैं जब ऑफिस गया तो उस दिन मैंने देखा कि राधिका ऑफिस नहीं आई थी फिर मैंने उससे फोन पर बात करने की सोची लेकिन उस दिन ऑफिस में काफी ज्यादा काम था इसलिए मैं उससे फोन पर बात नहीं कर पाया। जब शाम को मैं घर लौट रहा था तो मैंने उसे फोन किया लेकिन उसने मेरा फोन नहीं उठाया अगले दिन भी मैंने देखा कि राधिका ऑफिस नहीं आई थी मैंने सोचा कि ना जाने ऐसी क्या बात है कि राधिका ऑफिस नहीं आ रही है। मैंने उसे मैसेज किया लेकिन उसके मैसेज का भी कोई रिप्लाई नहीं आया परंतु जब उसका फोन मुझे आया तो वह मुझे कहने लगी कि सुधीर मैं तुम्हारा फोन नहीं उठा पाई दरअसल मैं कुछ ज्यादा ही परेशान थी और मेरी तबीयत भी खराब थी।

वह अपने मम्मी पापा के साथ थी, उसने मुझे बताया कि वह अपने मम्मी पापा के साथ है और जब हम दोनों एक दूसरे से बातें कर रहे थे तो वह काफी ज्यादा भावुक हो गई थी और वह परेशान भी दिख रही थी। मैंने सोचा कि मुझे राधिका से मिलना चाहिए लेकिन फिलहाल राधिका किसी से मिलना नहीं चाहती थी और राधिका ने अब ऑफिस भी छोड़ दिया था लेकिन मेरी उससे फोन पर बातें होती रहती थी। राधिका से मेरी मुलाकात तो हो नहीं पा रही थी एक दिन मैंने राधिका को मिलने के लिए कहा। उस दिन राधिका मुझसे मिलने के लिए आ गई वह काफी ज्यादा परेशान थी लेकिन मैंने उसे कहा कि तुम परेशान मत हो और उस दिन मैं उसे अपने साथ मूवी दिखाने के लिए लेकर गया। हम दोनों साथ में बैठकर मूवी देख रहे थे उसने मेरे सर पर अपने कंधे को रख लिया था जिस से कि मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैंने उसके हाथों को पकड़ लिया जब मैंने उसके हाथों को पकड़ा तो वह मेरी तरफ देखने लगी और मैंने जैसे ही उसके होंठों को चूमना शुरू किया तो मुझे मजा आ रहा था और मैं उसके होठों को चूमने लगा था मेरे अंदर की आग बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी और वह बहुत गरम हो गई थी। उसने मुझे कहा कि सुधीर तुमने आज यह क्या कर दिया मैंने उसे कहा राधिका का क्या हुआ?

वह कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है उसे बडा अच्छा लग रहा था मैंने उसे कहा हम लोगों को कहीं चलना चाहिए तो वह मुझे कहने लगी लेकिन हम लोग कहां जाएं तो मैं उसे अपने दोस्त के घर लेकर गया। हम दोनों एक कमरे में थे राधिका का बदन मेरे हाथों में था मैंने जब उसके बदन को सहलाना शुरु किया तो वह उत्तेजित होने लगी थी और मैंने जब उसकी जांघों को सहलाना शुरू किया तो उसकी गर्मी पूरी तरीके से बढ़ने लगी और वह मुझे कहने लगी मेरी आग बहुत ज्यादा बढ़ने लगी है तुम जल्दी से मेरी आग को बुझा दो। मैंने उसके अंदर की आपको इस कदर बढ़ा दिया था अब शायद वह अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही थी। जैसे ही मैंने अपने मोटे लंड को उसके सामने किया तो वह बहुत तड़पने लगी और मुझे कहने लगी तुम जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत के अंदर घुसा दो। मैंने अपने मोटे लंड को उसकी योनि के अंदर डाल दिया जैसे ही मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाया तो वह मुझे  कहने लगी मुझे अच्छा लग रहा है वह भी बहुत ज्यादा खुश हो गई थी उसकी चूत के अंदर मेरा लंड जाते ही वह अपने पैरों को खोल रही थी और मुझे उसकी चूत मारने में मजा आ रहा था। मुझे उसकी चूत मारने में इतना अधिक मज़ा आ रहा था कि वह जोर-जोर से चिल्ला रही थी अब मेरे अंदर की आग ज्यादा बढ़ चुकी थी मैंने उसे कहा मुझे तुम्हारी योनि के अंदर अपने माल को गिराना है। मैंने अपने वीर्य को उसकी चूत पर गिराया लेकिन कहीं ना कहीं उसकी इच्छा पूरी नहीं हुई थी और वह चाहती थी कि वह मेरे साथ दोबारा से संभोग करें और मैं इस बात के लिए तैयार था। जब मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाया तो मुझे मजा आने लगा था और उसकी चूत मुझे बहुत ही ज्यादा टाइट महसूस होने लगी थी अब मेरे अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी और मैं इतना ज्यादा उत्तेजीत होने लगा था कि मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था मैंने उसे कहा आज तो मुझे मजा ही आ रहा है और जिस प्रकार से मैं उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को कर रहा था तो उससे वह बहुत तडपने लगी थी।

वह मुझे कहने लगी तुम और भी तेजी से मुझे धक्के देते रहो मैंने उसे बड़ी तेज गति से धक्के दिए और काफी देर तक मैंने उसे ऐसे ही चोदा लेकिन जब मैंने उसे घोड़ी बना दिया तो मुझे और भी ज्यादा मजा आने लगा। मैं उसकी चूतड़ों पर बड़ी तेजी से प्रहार कर रहा था और उसकी चूतड़ों पर प्रहार करने में मुझे मजा आ रहा था वह भी मेरी आग को लगातार बढ़ती जा रही थी उसके अंदर से जो आग पैदा हो रही थी वह मेरे अंदर की आग को बढ़ाती जा रही थी। मैंने उसे कहा मुझे तुम्हारी चूत के अंदर अपने वीर्य को गिराना है तो वह कहने लगी तुम अपने वीर्य को मेरी चूत में गिरा दो। मैंने उसकी चूत के अंदर अपने वीर्य को गिरा दिया लेकिन मैंने दोबारा से उसकी योनि के अंदर अपने लंड को घुसाने का फैसला कर लिया था पर उससे पहले वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना चाहती थी और उसने ऐसा ही किया।

जब वह ऐसा कर रही थी तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था वह बड़े ही अच्छे तरीके से मेरे मोटे लंड को अपने मुंह के अंदर बाहर कर रही थी जिस से कि मेरी गर्मी अब लगातार बढ़ती जा रही थी और उसकी चूत से पानी कुछ ज्यादा ही अधिक मात्रा मे गिरने लगा था। वह मुझे कहने लगी लगता है तुम आज मेरी चूत का भोसड़ा बना कर ही मानोगे तो मैंने उसे कहा आज तुम्हें चोदने का मुझे जो मौका मिला है भला इसे मैं कैसे छोड़ सकता हूं। इतनी आसानी से इतना अच्छा मौका मैं अपने हाथ से गवाना नहीं चाहता यह कहते ही मैंने उसकी चूतडो को अपनी तरफ किया और अपने लंड को धीरे-धीरे उसकी चूत के अंदर घुसाना शुरू किया जैसे जैसे मैं उसकी चूत के अंदर डाल रहा था वैसे ही उसे मजा आ रहा था। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है जिस प्रकार से तुम मुझे चोद रहे हो अब वह मुझसे अपनी चूतड़ों को मिला रही थी तो मेरे अंदर की आग और भी ज्यादा बढ़ रही थी लेकिन जैसे ही मैंने अपने वीर्य को उसकी चूत मे गिराकर अपनी आग को बुझाया तो वह खुश हो गई थी।
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चूतों के सागर में गोते लगाए


मै लखनऊ का रहने वाला हूं दिल्ली से ही मैंने अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी की थी और उसके बाद मैं दिल्ली में ही जॉब करने लगा। मैं जिस कॉलोनी में रहता था उसी कॉलोनी में मेरी मुलाकात संजना के साथ हुई संजना से धीरे-धीरे मेरी दोस्ती होने लगी थी और एक दिन संजना ने मुझे अपनी सहेली प्रतिभा से मिलवाया। प्रतिभा बहुत ही अच्छी लड़की थी प्रतिभा को नौकरी की जरूरत थी वह नौकरी की तलाश कर रही थी उसमें मैंने ही उसकी मदद की और वह अब मेरे ऑफिस में ही जॉब करने लगी। मुझे मेरे ऑफिस में जॉब करते हुए दो वर्ष हो चुके थे इसलिए मैं सबको अपने ऑफिस में जानता था जिस वजह से प्रतिभा को भी ऑफिस में किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं हुई। प्रतिभा एक दिन मेरे साथ ही घर लौट रही थी उस दिन मैंने ही उसे कहा था कि मैं तुम्हें तुम्हारे घर तक छोड़ देता हूं।

हम दोनों कार में बैठे हुए थे प्रतिभा ने उस दिन मुझे अपने पापा के बारे में बताया और कहने लगी कि पापा मुझे कभी जॉब करने नहीं देना चाहते थे लेकिन मम्मी ने जब इस बारे में पापा से बात की तब जाकर उन्होंने मुझे जॉब करने दी। मैंने प्रतिभा से कहा कि क्या तुम्हारे पापा इतने ज्यादा सख्त मिजाज है तो वह कहने लगी हां रजत पर मेरे पापा बहुत ही ज्यादा सख्त मिजाज हैं और वह मेरी बात कभी भी नहीं मानते वह चाहते हैं कि बस मेरी शादी हो जाए। मैंने प्रतिभा से कहा अभी तो तुम्हारे कॉलेज की पढ़ाई कुछ समय पहले ही तो पूरी हुई है वह मुझे कहने लगी कि हां रजत लेकिन मेरे पापा चाहते हैं कि मैं शादी कर लूं। प्रतिभा का घर आने वाला था मैंने उसे उसके घर के बाहर छोड़ा और वहां से मैं अपने घर चला आया, काफी दिन हो गए थे मैंने अपने पापा मम्मी से बात नहीं की थी तो सोचा कि अपने पापा मम्मी से मैं बात कर लूं और उस दिन मैंने उनसे फोन पर बात की। फोन पर उनसे मेरी उस दिन काफी देर तक बात हुई और फिर मैंने फोन रख दिया उसके बाद मुझे काफी भूख लग रही थी इसलिए मैंने बाहर से ही खाना मंगवा लिया। जिस कॉलोनी में मैं रहता हूं उसी कॉलोनी में एक छोटा सा होटल है वहीं से मैं खाना मंगा लिया करता हूं।

मेरा खाना आ चुका था और मैं खाना खाकर अपने बिस्तर पर लेटा ही था कि उस दिन मुझे संजना का फोन आ गया और संजना मुझसे कहने लगी कि रजत आजकल तुम कुछ ज्यादा ही बिजी हो गए हो तुम्हारे पास बिल्कुल समय ही नहीं है। मैंने उसे कहा कि नहीं संजना ऐसा तो नहीं है मैंने उससे कहा कि मैं तुम्हें परसों मिलता हूं परसों मेरे ऑफिस की छुट्टी है तो वह कहने लगी ठीक है तुम मुझे परसों मिलना। उसके बाद मैं संजना को मिला जब मैं संजना को मिला तो मैंने उससे पूछा कि तुम कैसी हो वह कहने लगी मैं तो ठीक हूं लेकिन तुम काफी दिनों से मिले नहीं थे तो सोचा तुमसे फोन पर बात कर लेती हूं। संजना और मैं उस दिन साथ में ही थे तो मैंने उसे कहा कि चलो आज कहीं घूम आते हैं तो संजना कहने लगी कि लेकिन हम लोग आज कहां जाएंगे। मैंने उसे कहा चलो हम लोग मूवी देख आते हैं और उस दिन हम लोग मूवी देखने के लिए चले गए। जब हम लोग मूवी देखने के लिए गए तो वहां से हम लोग शाम के वक्त घर लौटे संजना ने मुझसे प्रतिभा के बारे में पूछा और वह मुझे कहने लगी कि प्रतिभा तुम्हारी बहुत ही तारीफ करती है वह कहती है कि तुम बहुत ही अच्छे हो। मैंने उसे कहा कि हां प्रतिभा बहुत ही अच्छी लड़की है और उसने मुझे अपने पापा के बारे में बताया। संजना ने कहा कि उसके पापा बड़े ही सख्त मिजाज हैं जिस वजह से उन्होंने प्रतिभा के ऊपर ना जाने कितनी ही बंदिशें लगाई हुई है लेकिन उसके बावजूद भी प्रतिभा जॉब कर रही है यह उसके लिए काफी बड़ी बात है। हम लोग अपने घर लौट आए थे और मैंने संजना से कहा कि मैं तुमसे अगले रविवार को मिलता हूं तो वह कहने लगी ठीक है और फिर वह अपने घर चली गई। वह अपने घर जा चुकी थी और मैं घर वापस लौट चुका था संजना से मैं काफी दिनों बाद मिला उस दिन संजना मेरे घर पर आई हुई थी और हम दोनों साथ में बैठकर एक दूसरे से बात कर रहे थे। उस दिन ना जाने संजना को क्या हुआ कि वह मेरी तरफ अपनी प्यास भरी नजरों से देख रही थी और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि वह मेरे साथ सेक्स संबंध बनाना चाहती है मैंने उस दिन संजना के होठों को अपने हाथों से छुआ तो वह मचलने होने लगी और उसकी उत्तेजना इतनी बढ़ने लगी मैंने उसे कहा मेरे अंदर की गर्मी बढ़ चुकी है तो वह मुझसे कुछ नहीं बोली वह चुपचाप मेरे सामने बिस्तर पर लेट चुकी थी।


अब तो जैसे मेरे लंड के लिए बेताब थी। मैंने संजना के बारे में ऐसा कभी भी नहीं सोचा था लेकिन उस दिन जब मैं उसके होठों को चूम रहा था तो मेरे मन में सिर्फ उसको चोदने का ख्याल आ रहा था और मैं अपने लंड को बाहर निकाल कर उसकी चूत में घुसाना चाहता था मैं बहुत ही ज्यादा गरम हो गया था। मैंने जैसे ही उसकी योनि पर अपने लंड को लगाया तो वह उत्तेजित होने लगी और मुझे कहने लगी तुम जल्दी से अपने लंड को चूत के अंदर डाल दो लेकिन उससे पहले मैं चाहता था कि वह मेरे मोटे लंड को अपने मुंह में ले और उसने अपने हाथों से मेरे लंड को हिलाना शुरू किया। अब मैंने भी उसे कहा कि तुम ऐसे ही हिलाती रहो काफी देर तक उसने अपनी मुट्ठी के बीच में मेरे लंड को बड़े ही अच्छे से हिलाया जब मेरी गर्मी पूरी तरीके से बढ़ने लगी तो मैंने उसे कहा मै तुम्हारी चूत के अंदर लंड डालना चाहता हूं वह बहुत ही ज्यादा बेताब थी। उसकी गर्मी बहुत अधिक बढ़ चुकी थी मै उसकी चूत के अंदर लंड को डालना चाहता था और मैंने ऐसा ही किया मैंने जैसे ही उसकी योनि पर अपने लंड को लगाया तो वह मचलने लगी उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी थी।

मैंने अपने लंड को उसकी चूत घुसा दिया मैंने जब अपने लंड को उसकी चूत में घुसाया तो वह जोर से चिल्लाई और कहने लगी मेरी चूत से खून निकलने लगा है परंतु मुझे तो मज़ा आने लगा था। मैं उसे अब बड़े ही तीव्र गति से धक्के देने लगा था मैं जिस तीव्र गति के उसे चोद रहा था उससे तो उसके अंदर की आग बढ़ती ही जा रही थी और मेरे अंदर की आग उसने और भी अधिक बढ़ा दी थी। मैंने उसके दोनों पैरों को आपस में मिला लिया था और उसे मैं बड़ी तेजी से चोद रहा था वह मेरा साथ अच्छे से दे रही थी और जिस प्रकार से वह मेरा साथ दे रही थी उससे तो मुझे यही लग रहा था कि मैं बस उसे चोदता ही जाऊं और उसकी इच्छा को मैं पूरा करता जाऊं आखिरकार मैंने उसकी चूत के अंदर अपने वीर्य को गिरा कर अपनी इच्छा तो पूरी कर ली थी लेकिन मुझे उसे दोबारा चोदना था और थोड़ी देर तक हम दोनों साथ में बैठे रहे कुछ देर बाद उसने मेरे लंड को अपने हाथों में लिया और मेरे लंड से मेरा वीर्य बाहर निकल रहा था। मैंने उसे कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर समा लो और उसने उसे मुंह के अंदर ले लिया और काफी देर तक वह मेरे लंड को चूसती रही। अब मेरा लंड कठोर हो चुका था वह बोली तुम जल्दी से मेरी चूत मार कर मेरी इच्छा को पूरा कर दो। मैंने उसकी इच्छा को पूरा करने का फैसला कर लिया था और जैसे ही मैंने उसकी चूत के अंदर लंड डाला तो वह कहने लगी मुझे दर्द हो रहा है लेकिन मैंने भी धीरे-धीरे उसकी योनि के अंदर लंड घुसाया और मेरा मोटा लंड उसकी योनि के अंदर तक चला ही गया। जैसे ही मेरा लंड उसकी योनि के अंदर प्रवेश हुआ तो वह जोर से चिल्ला कर मुझे कहने लगी कि मेरी चूत से खून आने लगा है।

मैंने उसे कहा मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है और अब मैंने उसकी कमर को कस कर पकड़ा हुआ था जिससे कि मेरा लंड उसकी योनि के अंदर बाहर बड़ी आसानी से हो रहा था उसकी चूतडे मुझसे टकराए जा रही थी। जब मैं उसे धक्के देता तो उसकी चूतडो से अलग की आवाज पैदा होती और वह मुझे कहती तुम और तेजी से मुझे धक्के मारो। मैंने संजना को कहा मैं तो तुम्हें और भी तेजी से धक्के मारना चाहता हूं संजना के मुंह से सिसकारियां निकल रही थी और वह सिसकिया लेते हुए मुझे कहने लगी मैंने कभी सोचा नहीं था कि तुम्हारे साथ सेक्स करूंगा लेकिन ना जाने आज तुम्हें देखकर मेरे मन में क्या हुआ और तुम्हारे साथ मेरा सेक्स करने का मन होने लगा। मैं तो संजना की बड़ी गांड की तरफ देख रहा था और उसे मैं चोदता जा रहा था मैं उसे जिस प्रकार से धक्के देता तो उसकी चूत से खून बहार निकल रहा था उसकी सिसकारियां भी बढ़ती जा रही थी। एक समय बाद मेरा वीर्य उसकी योनि के अंदर ही गिर गया उसके बाद हम दोनों ने अपने कपड़े पहन लिए।

वह मुझे कहने लगी मुझे आज बहुत ही अच्छा लगा और उसने मेरे गाल पर एक पप्पी दी और वह कहने लगी मैं दोबारा तुमसे मिलने के लिए आऊंगी और वह चली गई। अब प्रतीभा के साथ सेक्स करने का मुझे मौका मिल ही गया जब मैंने उसे अपने घर पर बुलाया तो उस दिन कहीं ना कहीं मेरे साथ सेक्स करना चाहती थी। मैंने उस दिन अपने लंड को प्रतिभा के सामने किया मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। उसने उसे हाथ में ले लिया वह शरमाते हुए कहने लगी और मैं तुम्हारे लंड को अपने मुंह के अंदर ले लूं? मैंने उसे कहा क्यों नहीं और यह कहते ही उसने अपने मुंह के अंदर मेरे लंड को ले लो मुझे बड़ा ही अच्छा लगने लगा। कुछ देर तक उसने मेरे लंड को मुंह में लेकर उसे अच्छे से चूसा। उसके बाद मैंने उसकी चूत में लंड को सटाया उसकी चूत को मैंने अपने हाथ से थोड़ा सा खोला उसकी योनि मे मेरा लंड घुस गया 10 मिनट की चुदाई के बाद मेरा वीर्य उसकी चूत में गिर गया उसके बाद तो जैसे हम दोनों एक दूसरे के हो चुके थे।
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चूतडो से पेल कर तेल निकाल दिया


मेरे और अविनाश के बीच बहुत ही अच्छी दोस्ती थी हम दोनों एक दूसरे के साथ ही रहा करते थे लेकिन अब अविनाश विदेश जाना चाहता था। अविनाश अपनी पढ़ाई के लिए विदेश जाना चाहता था और उसके पिताजी ने उसे उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेज दिया। मैं अभी भी मुंबई में ही था लेकिन अविनाश के साथ मेरी बातें होती रहती थी और वह मुझसे हमारे दोस्तों के बारे में पूछता रहता। करीब एक साल बाद अविनाश घर लौटा तो वह काफी ज्यादा बदल चुका था उसके बात करने के तरीके में भी काफी ज्यादा बदलाव आ चुका था लेकिन मैं अभी भी वैसा ही था जैसा मैं पहले था मेरे अंदर कोई भी बदलाव नहीं आया था। एक दिन अविनाश और मैं साथ में घूमने के लिए निकले उस दिन हम दोनों मॉल में शॉपिंग के लिए भी चले गए अविनाश ने हीं मुझे कहा कि चलो संजय हम लोग शॉपिंग के लिए चलते हैं और हम लोग शॉपिंग के लिए गए। वहां हम लोग शॉपिंग कर रहे थे की तभी अविनाश के कोई परिचित वहां उसे मिले अविनाश ने मेरा परिचय भी उन लोगों से करवाया।

जब उस दिन अविनाश ने मुझे माधुरी से मिलवाया तो मुझे माधुरी से मिलकर बहुत ही अच्छा लगा। माधुरी से उसके बाद मेरी मुलाकात नहीं हो पाई थी लेकिन एक दिन अचानक से हम दोनों की मुलाकात हो गई उस दिन हम दोनों रेलवे स्टेशन पर मिले मैं ट्रेन का इंतजार कर रहा था और माधुरी भी मेरे आगे ही खड़ी थी। पहले मुझे लगा कि शायद माधुरी मुझे पहचान नहीं पाएगी लेकिन उसने मुझे पहचान लिया उसने मुझसे कहा कि तुम अविनाश के दोस्त संजय हो, मैंने उसे कहा हां मेरा नाम संजय ही है। मैंने उसे कहा कि तुम अभी कहां जा रही हो तो वह मुझे कहने लगी कि मैं तो अभी घर जा रही थी। हम दोनों ही लोकल ट्रेन का इंतजार कर रहे थे और जैसे ही ट्रेन आई तो हम दोनों ट्रेन में चढ़ गये उसके बाद हम दोनों सीट में बैठ चुके थे। उस वक्त रात हो चुकी थी इसलिए बैठने के लिए हम दोनों को जगह मिल चुकी थी। हम दोनों एक दूसरे से बात कर रहे थे तो माधुरी ने मुझसे कहा कि संजय तुम क्या करते हो तो मैंने उसे बताया कि मैं कुछ समय पहले ही एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करने लगा हूं वह मुझे कहने लगी कि मैं भी कंपनी में जॉब करती हूं।

हम दोनों एक दूसरे से बात कर रहे थे कि तभी माधुरी का स्टेशन आ गया और वह उतर गई मैं माधुरी के बारे में सोच रहा था लेकिन मैं माधुरी का नंबर नहीं ले पाया और माधुरी चली गई। मुझे लगा कि उस दिन के बाद मुझे माधुरी कभी नहीं मिलेगी लेकिन उसके कुछ दिनों बाद ही माधुरी दोबारा से मुझे मिल गई। हम दोनों को एक दूसरे से बात करना अच्छा लगने लगा था और हम दोनों एक दूसरे से बात करते तो हमें बहुत ही अच्छा महसूस होता है। एक दिन मैं और माधुरी आपस में फोन पर बात कर रहे थे तो माधुरी ने मुझे बताया कि वह कुछ दिनों के लिए जयपुर जा रही है। मैंने उसे कहा कि क्या जयपुर में कोई जरूरी काम है तो उसने मुझे बताया कि वहां उसके किसी रिश्तेदार की शादी है और वहां वह कुछ दिनों के लिए जा रही है इसलिए हम दोनों की बात उस बीच हो नहीं पाई। करीब 10 दिन हो गए थे मैं माधुरी से बात नहीं कर पाया था जब माधुरी वापस मुंबई लौटी तो उसने मुझे फोन किया और कहा कि संजय मुझे तुमसे मिलना है। उस दिन हम दोनों मिले जब हम दोनों मिले तो उसने मुझे शादी की कुछ तस्वीरें दिखाई, मुझे माधुरी का साथ हमेशा ही अच्छा लगता है और उसे भी मेरे साथ अच्छा लगता था। हम दोनों एक दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश किया करते। हम दोनों की फोन पर तो बहुत ज्यादा बातें होती थी लेकिन हम दोनों की अब मुलाकातों का दौर भी बहुत अधिक होने लगा था। जब भी मै माधुरी से नहीं मिलता तो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता एक दिन मै माधुरी के साथ बैठा हुआ था तो मैंने उस दिन माधुरी का हाथ पकड़ते हुए उसे कहा माधुरी मैं जिस दिन तुमसे मुलाकात नहीं करता हूं उस दिन मुझे बड़ा अजीब सा महसूस होता है और मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता। वह मुझे कहने लगी संजय मेरे साथ भी बिल्कुल ऐसा ही है मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं जा सकती।


उस दिन मेरी और माधुरी के बीच किस हुआ जिसके बाद तो अब हम दोनों एक दूसरे से पूरी तरह खुलकर बातें करने लगे थे और हम दोनों की अब सेक्स को लेकर भी बातें होने लगी थी मैं माधुरी के सेक्सी फिगर का साइज पूछ लिया करता लेकिन मुझे अभी तक मौका नहीं मिला था कि मैं माधुरी के साथ संभोग करू पर वह मेरे साथ संभोग करना चाहती थी मेरे लिए तो यह बहुत ही ज्यादा खुशी की बात थी। जब मैंने माधुरी से कहा कि हम लोग आज किसी होटल में चलते हैं और हम दोनों एक होटल में चले आए हालांकि माधुरी शर्मा रही थी लेकिन मैंने उसे कहा कि तुम्हे शर्माने की जरूरत नहीं है और हम लोगों ने होटल में कमरा ले लिया था। उसके बाद हम लोग रूम में चले गए और हम दोनों के अंदर गर्मी बढ चुकी थी। मैंने माधुरी को बिस्तर पर लेटाया तो मै उसके गुलाबी सूट को उतारने की कोशिश करने लगी लेकिन मुझे उतारने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ी। उसके बाद मैंने उसके काले रंग की ब्रा को उतारा तो उसके स्तनों को मैं अपने हाथ में लेकर सहलाने लगा मुझे अच्छा लग रहा था और उसे भी बहुत आनंद आ रहा था। वह अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही थी और उसके अंदर की गर्मी बढ़ती जा रही थी मैंने उसे कहा कि मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है और वह कहने लगी मुझे भी बड़ा अच्छा लग रहा है। जब मैंने उसे कहा कि मैं तुम्हारी चूत के अंदर अपने लंड को घुसा रहा हूं तो वह मुझे कहने लगी तुम जल्दी से घुसा दो मेरे अंदर बहुत ही ज्यादा बेचैनी जाग रही है।

मैंने अब उसकी सलवार के नाड़े को खोलकर नीचे किया जैसे ही मैंने उसकी पैंटी को उतारा तो मैंने देखा उसकी चूत पूरी तरीके से गीली हो चुकी थी मैंने जैसे ही उसकी योनि के अंदर अपने लंड को किया तो वह जोर से चिल्लाई। मैंने अब अपने मोटे लंड को उसकी चूत के अंदर घुसाया जैसे ही मेरा मोटा लंड उसकी चूत के अंदर गया तो उसकी सिसकारियां बडने लगी थी और वह कहने लगी मेरी चूत को आज तुम फाड कर रख दो। मैंने उसे इतनी तेजी से धक्के देने शुरू कर दिए थे कि उसकी चूत के अंदर बाहर मेरा लंड बड़ी तेज गति से हो रहा था और वह मुझे अपने दोनों पैरों के बीच में जकडने की कोशिश कर रही थी। जब वह ऐसा कर रही थी तो मैंने उसे कहा कि मुझे बहुत अच्छा लग रहा है मैंने अब उसके स्तनों को अपने हाथ में ले लिया मेरा लंड उसकी चूत से इतना ज्यादा रगडने लगा था कि मुझे एहसास होने लगा था कि जैसे मेरा लंड पूरी तरीके से छिल चुका है और उसकी चूत भी अंदर से छिल चुकी है। माधुरी मुझे कहने लगी कि आज तुम ने मेरी जवानी को सफल बना दिया है ऐसा लग रहा है कि जैसे बस तुम मेरे साथ संभोग करते रहो मुझे तुम्हारे लंड को आज लेकर ऐसा लग रहा है जैसे कि तुम्हारा लंड ही मेरी चूत को पूरा सफल बना रहा है। उसके मुंह से ऐसी बातें सुनकर मैं तो गर्म हो चुका था वह उत्तेजित हो गई थी और मुझसे कहने लगी कि मुझे लग रहा है मै झड़ने वाली हूं वह मुझे अपने पैरों के बीच में कसकर जकडने लगी थी जिससे कि मुझे एहसास हो चुका था कि वह झड़ चुकी है वह जैसे ही झडी तो मैंने अपने माल को उसकी चूत में गिरा दिया। थोड़ी देर बाद जब उसने दोबारा लंड को चूसना शुरू किया तो मुझे मजा आने लगा मेरे अंदर की गर्मी बढ गई थी और मुझे ऐसा लगने लगा था कि मैं उसकी चूत दोबारा से मार सकता हूं।

मैंने उसकी योनि के अंदर अपने लंड को घुसाया तो मेरा लंड उसकी योनि के अंदर तक चला गया था अब वह चिल्लाने लगी थी उसकी चूतड़ों पर मैंने अपने हाथ से प्रहार भी किया और उसकी चूतड़ों की दीवार से मैने लंड सटा दिया था। वह मुझे कहने लगी कि मुझे तुम्हारे साथ सेक्स कर के मजा आ रहा है उसकी गर्मी मैंने पूरी तरीके से बड़ा ही दी थी। उसने मेरी गर्मी को इतना बढ़ा दिया था कि मैं इसी बात से अंदाजा लगा रहा था कि मेरे अंडकोष से भी पसीना बाहर की तरफ को आने लगा था और मेरा शरीर पूरी तरीके से पसीना पसीना हो गया था लेकिन जिस प्रकार से वह मेरा साथ दे रही थी उससे मेरी गर्मी बढ रही थी।

मै जब उसकी चूतड़ों की तरफ मैं देखता तो उसका रंग भी अब लाल होने लगा था उसकी चूतडे लाल हो चुकी थी तो वह मुझे कहने लगी मुझे आज बहुत ही मजा आ गया। मैंने उसे कहा मजा तो मुझे भी बहुत आ रहा है और ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जैसे तुम्हारी चूत मेरे  वीर्य को बाहर की तरफ खींच रही है। वह इस बात पर मुस्कुराने लगी और मुझे कहने लगी मुझे भी ऐसा ही प्रतीत हो रहा है कि मेरी चूत से कुछ ज्यादा ही लावा बाहर निकलने लगा है। मेरे अंदर का ज्वालामुखी फूटना वाला था और मैंने उसे इतनी तेज गति से धक्के दिए कि जल्दी से मेरा वीर्य बाहर आया जैसे ही मेरा वीर्य बाहर की तरफ गिरा तो मैंने अपने वीर्य का छिड़काव उसकी बड़ी चूतडो पर कर दिया और उसे मैंने खुश कर दिया। वह बड़ी खुश थी और मुझे कहने लगी आज मुझे बहुत मजा आ गया उसके चेहरे की खुशी देखकर मैं खुश हो गया था और माधुरी भी बहुत ज्यादा खुश थी।
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मुझे दूसरा पति मान लिया


मैं और संध्या अपने फैमिली फ्रेंड के घर से वापस लौट रहे थे हम लोग उनके घर पर डिनर करने के लिए गए हुए थे। संध्या मुझे कहने लगी कि रोहित क्या कल आप फ्री हैं तो मैंने संध्या को कहा नहीं कल तो मेरे पास समय नहीं हो पाएगा लेकिन मैं जल्दी आने की कोशिश करूंगा। संध्या कहने लगी कि ठीक है अगर आप जल्दी आ जाएंगे तो मुझे कुछ जरूरी काम था मैंने संध्या को कहा लेकिन तुम्हें ऐसा क्या जरूरी काम था। वह कहने लगी कि मैं सोच रही थी कल अपनी दीदी को घर पर बुला लूँ काफी दिन हो गए दीदी से मिली भी नहीं थी यदि आप घर पर रहेंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा। मैंने संध्या को कहा कि तुम कल उन्हें डिनर पर इनवाइट क्यो नहीं कर लेती उनके पति भी कल घर पर आ जाएंगे तो संध्या कहने लगी ठीक है मैं इस बारे में कल दीदी से बात करती हूं। संध्या की दीदी स्कूल में टीचर है उनके पास समय काफी कम होता है वह सिर्फ छुट्टी के दिन ही फ्री होती हैं और शायद उनकी उस दिन छुट्टी थी। हम लोग भी घर पहुंच चुके थे और अगले दिन संध्या ने अपनी दीदी को शाम के वक्त पर घर पर बुला दिया था। मैं और संध्या ही साथ में रहते हैं हमारी शादी को अभी 3 वर्ष ही हुए हैं लेकिन हम लोग अपने परिवार से अलग मुंबई में रहते हैं।

मैं मुंबई में करीब 6 साल पहले आ गया था 6 साल पहले जब मैं मुंबई में आया तो मैंने अपना बिजनेस मुंबई में शुरू किया और मेरा बिजनेस अच्छा चलने लगा जिससे कि मैंने मुंबई में घर खरीद लिया जब मेरी शादी संध्या से हुई तो उसके बाद हम दोनों मुंबई में रहने लगे। शाम के वक्त संध्या की दीदी और संध्या के जीजा जी हमारे घर पर आ गए थे उस दिन मैं भी घर पर जल्दी आ गया जब मैं घर पर पहुंचा तो मैंने देखा वह लोग घर पर आ चुके है संध्या मुझसे कहने लगी कि रोहित हम लोग आपका इंतजार कर रहे थे। संध्या के जीजा जी बड़े ही अच्छे व्यक्ति हैं वह बैंक में जॉब करते हैं और हम दोनों साथ में बैठ कर बात करने लगे। मैंने उनसे कहा कि क्या आप ड्रिंक करते हैं तो वह कहने लगे हां कभी कबार कर लिया करता हूं उनसे मैंने यह बात पहली बार ही पूछी थी क्योंकि उनसे मेरी इतनी ज्यादा बात नहीं हो पाती थी। हम लोगों ने साथ में ड्रिंक की और उसके बाद हम लोगों ने साथ में खाना खाया वह उस रात हमारे घर पर ही रुके काफी देर तक संध्या और उसकी दीदी आपस में बात करते रहे मैं तो अपने रूम में सो चुका था और संध्या के जीजाजी भी सो चुके थे।

अगले दिन सुबह वह लोग जल्दी घर चले गए जब वह लोग गए तो उसके बाद मैंने संध्या को कहा कि अब मैं भी अपने काम पर जा रहा हूं। संध्या मुझे कहने लगी कि ठीक है मैं आपके लिए नाश्ता तैयार कर देती हूं संध्या की दीदी और जीजा जी सुबह जल्दी ही घर से निकल गए थे क्योंकि उन लोगों को अपने काम पर जाना था। संध्या ने मेरे लिए नाश्ता तैयार किया और मैं भी नाश्ता कर के अपने ऑफिस चला गया मैं जब अपने ऑफिस गया तो उस दिन मेरे ऑफिस में काम करने वाले राजेश ने मुझसे कहा कि सर मुझे कुछ दिनों के लिए छुट्टी चाहिए थी। मैंने उसे कहा राजेश घर में सब कुछ ठीक तो है, वह कहने लगा हां सर घर में तो सब कुछ ठीक है लेकिन मुझे कुछ दिनों के लिए अपने घर लखनऊ जाना है। मैंने उसे कहा ठीक है लेकिन तुम कितने दिनों बाद लौट आओगे तो वह कहने लगा सर मैं 15 दिनों बाद लौट आऊंगा। मैंने राजेश को छुट्टी दे दी और मैं अपना काम करने लगा मेरे ऑफिस में करीब 15 लोग काम करते हैं उन लोगों के साथ मेरा व्यवहार बड़ा ही अच्छा रहता है। मैं शाम के वक्त घर के लिए निकला जब मैं शाम के वक्त घर के लिए अपने ऑफिस से निकला तो संध्या से मेरी फोन पर बात हुई और वह मुझे कहने लगी कि रोहित आप आते हुए दुकान से कुछ सामान ले आइएगा मैंने संध्या को कहा ठीक है। मैं जब घर लौट रहा था तो हमारे घर के पास ही एक डिपार्टमेंटल स्टोर है मैं वहां पर सामान लेने के लिए चला गया। मैं जब डिपार्टमेंटल स्टोर में सामान लेने के लिए गया तो वहां पर मेरे पुराने दोस्त मुझे मिले उनसे मेरी काफी दिनों बाद मुलाकात हो रही थी उनका नाम सोहन है। सोहन से करीब एक महीने बाद मेरी मुलाकात हो रही थी सोहन और मैं आपस में बात करने लगे सोहन मुझे कहने लगे कि रोहित तुम्हारा काम कैसा चल रहा है तो मैंने उन्हें बताया मेरा काम तो अच्छा चल रहा है। उन्होंने मुझे कहा यह भी बड़ा इत्तेफाक है कि आज तुम से मेरी मुलाकात यहां डिपार्टमेंटल स्टोर में हो गई।


मैंने उन्हें कहा कि आप यहां अकेले आए हैं तो वह कहने लगे कि नहीं मेरे साथ मेरी पत्नी भी आई है वह सामान ले रही हैं। हम दोनों बात कर रहे थे कि तभी उनकी पत्नी भी आ गई, सोहन ने मेरा परिचय अपनी पत्नी से करवाया उससे पहले मैं उनसे कभी मिला नहीं था यह पहला ही मौका था जब सोहन ने मुझे अपनी पत्नी से मिलवाया था। हम लोग आपस में बात कर रहे थे थोड़ी देर बाद सोहन मुझे कहने लगे कि अभी मैं चलता हूं मैंने उन्हें कहा ठीक है मैं भी सामान ले लेता हूं और मैं सामान लेने लगा। मैं जब सामान ले रहा था तो मैंने देखा सोहन और उनकी पत्नी आशा बिल काउंटर पर बिल कटवा रहे थे। आशा की बड़ी गांड देखकर मैं आशा को घूरने लगा लेकिन मैंने देखा कि वह भी पीछे पलट कर मुझे देख रही है और उनके चेहरे पर एक मुस्कुराहट है उनकी उस मुस्कुराहट के पीछे कुछ छुपा था। मैं आशा को देखकर बड़ा खुश हुआ उस दिन जब मैं सामान लेकर घर पहुंचा तो मैंने उस दिन संध्या को चोदने का फैसला कर लिया था लेकिन मेरे दिमाग में सिर्फ आशा भाभी का ख्याल आ रहा था उस दिन मैंने संध्या की चूत बडे अच्छे से मारी।

अब एक दिन मेरी मुलाकात आशा भाभी से हो गई जब वह मुझे मिली तो उन्होंने मुझसे बात की मुझे उनसे बात करके बहुत अच्छा लगा अब मैं चाहता था कि मैं उनके साथ सेक्स की बातें करू इसलिए मैंने उनका नंबर ले लिया और फोन पर हम दोनों एक दूसरे से बातें करने लगे। एक दिन उन्होंने मुझे फोन पर कहा कि सोहन घर पर नहीं है तुम घर पर आ जाओ। उन्होंने मुझे उस दिन अपने घर पर बुला लिया तो वह मेरे बाहों में थी जब वह मेरी बाहों में थी तो मैंने उनके होंठों को चूमना शुरू किया और बड़े अच्छे से उनके होठों को चूम रहा था मैंने उनकी गर्मी को पूरी तरह बढा कर रख दिया था। उनकी गर्मी पूरी तरीके से मैंने बढ़ा दी थी वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी मैंने उनके ब्लाऊज को उतारकर एक किनारे किए मैंने देखा उनके स्तन बाहर की तरफ को लटक रहे हैं अब मैं उनकी चूत मारने के लिए भी तैयार था मैंने उनकी साड़ी को हल्का ऊपर किया तो मैंने देखा उन्होंने काली रंग की पैंटी पहनी हुई थी उस काले रंग की पेंटी को मैंने उतार दिया। मैंने देखा कि उनकी पैंटी पूरी तरीके से गीली हो चुकी थी मैन उनकी चूत पर अपनी उंगली को रगड़ने लगा तो उनकी चूत से पानी बाहर निकलने लगा और मैंने उनकी ब्रा खोलकर उनके स्तनों को चूसना शुरू किया। उनके स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसने की कोशिश करता तो मुझे बड़ा ही अच्छा लगता। अब सब कुछ बड़े अच्छे से चल रहा था मैंने अपने लंड को उनकी चूत के अंदर घुसाने का फैसला कर लिया था मैंने जब अपने लंड को उनकी चूत पर लगाया तो वह भी पूरी तरीके से उत्तेजित होने लगी थी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था जब मैं उनकी चूत मे लंड घुसा रहा था जैसे ही मेरा मोटा लंड उनकी योनि के अंदर गया तो वह बहुत जोर से चिल्लाते हुए मुझे कहने लगी मुझे बहुत दर्द हो रहा है।

अब उनकी चूत को फाडता हुआ मेरा लंड अंदर तक जा चुका था मेरा लंड जैसे ही उनकी योनि के अंदर घुसा तो वह जोर से चिल्लाई और मुझे कहने लगी कि मुझे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है मैं समझ चुका था कि उनकी चूत मे कुछ ज्यादा ही दर्द हो रहा है लेकिन मैंने भी उनके पैरों को चौड़ा कर लिया जिससे कि मेरा लंड बड़े आसानी से उनकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था और वह भी बहुत ज्यादा खुश हो गई थी। मेरा मन हो रहा था कि मैं बस उन्हें चोदता ही जाऊं मैंने उन्हें बड़े अच्छे से चोदा उनकी इच्छा को तो मैंने पूरा कर ही दिया था लेकिन वह भी मेरे लिए कहीं न कहीं तड़पने लगी थी उनकी तड़प इस बात से साफ पता चल रही थी कि जब मैं उन्हें धक्के मार रहा था तो उनकी सिसकारियो में बढ़ोतरी होती जा रही थी मैंने अपने वीर्य को उनकी चूत में गिरा दिया और उन्होंने दोबारा से मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया मेरे लंड पर लगे वीर्य को उन्होंने अपने अंदर ही ले लिया था।

जैसे ही उन्होने अपनी चूतडो को मेरी तरफ किया तो मैंने उनकी चूतडो पर अपने हाथ से प्रहार किया जिस से कि उनकी चूतडो का रंग लाल होने लगा और वह मुझे कहने लगी अब तुम मुझे इतना मत तड़पाओ जल्दी से मेरी चूत में अपने मोटे लंड को डालकर मेरी चूत की खुजली को मिटा दो। मैंने भी उन्हें कहा आपको कौन तडपाना चाहता है और यह कहते ही मैंने भी अपने लंड को उनकी योनि के अंदर घुसा दिया वह कहने लगी तुम्हारे लंड को अंदर लेकर मुझे बड़ा मजा आ रहा है। अब मैंने उनकी चूतड़ों को कस कर पकड़ लिया था मैं उन्हें बड़ी तेज गति से धक्के मार रहा था मैं उन्हें जिस प्रकार तेज गति से धक्के मार रहा था मुझे बड़ा मजा आ रहा था और उन्हें भी बड़ा आनंद आ रहा था। वह बहुत ज्यादा खुश थी और मुझे कहने लगी ऐसा लग रहा है जैसे कि तुम मेरे पति हो और तुम मेरी जरूरतों को पूरा कर रहे हो। मैं उनकी चूत अच्छे से मार रहा था एक समय आया जब मैंने अपने वीर्र को उनकी योनि में गिरा कर उनकी इच्छा को पूरा कर दिया था और वह बड़ी ही ज्यादा खुश हो गई थी।
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