पैरो को खोलकर चूत चुदाई का आंनद लिया


मैं छोटे शहर का रहने वाला हूं लेकिन जब मैं पहली बार दिल्ली आया तो दिल्ली की भागदौड़ भरी जिंदगी में मुझे एडजस्ट होने में काफी समय लगा लेकिन किसी तरीके से मैं दिल्ली की लाइफ में घुलने मिलने लगा और मैंने अब अपने दोस्त भी बना लिए थे। मैं अपने मामा जी के पास कुछ दिनों के लिए रहने आया था लेकिन मैंने अब नौकरी करने का फैसला कर लिया और मैं दिल्ली की एक कॉल सेंटर में काम करने लगा। वहां पर मुझे काम करते हुए करीब 6 महीने हो चुके थे 6 महीने बीत जाने के बाद मैंने अपने लिए अलग घर लेने का निर्णय किया। मैंने एक दिन मामा जी से इस बारे में बात की तो उन्होंने मुझे कहा कि सूरज बेटा तुम हमारे साथ रह लो लेकिन मैं अब अलग रहना चाहता था। उनके परिवार में उनके दो बच्चे हैं और मैं चाहता था कि मैं अब अलग रहूं इसलिए मैंने अपने लिए एक घर किराए पर देख लिया और वहां मैं रहने लगा शुरुआत में मुझे वहां पर कोई भी परेशानी नहीं हुई क्योंकि मेरा ऑफिस वहां से काफी नजदीक था लेकिन कुछ समय बाद ही मैंने अपने ऑफिस से रिजाइन दे दिया और उसके बाद मैंने एक नई कंपनी ज्वाइन की।

जब मैंने नई कंपनी ज्वाइन की तो मुझे वहां से घर खाली करना पड़ा और दूसरी जगह मैं घर ले चुका था। मेरे साथ ही मेरे ऑफिस में काम करने वाला सुबोध भी रहता था सुबोध कुछ समय तक मेरे साथ ही रहा लेकिन जब उसकी शादी तय हो गई तो उसने अपने लिए दूसरा घर ले लिया था और मैं अब अकेला ही रहता था। मैं जहां रहता था वहीं पड़ोस में एक लड़की रहती थी उसका नाम संजना है संजना भी वहां किराए पर रहती थी संजना को मै अक्सर देखा करता था। एक दिन संजना ऑफिस जा रही थी मैं भी उसके पीछे पीछे जा रहा था और जब उस दिन हम दोनों बस स्टॉप पर बस का इंतजार कर रहे थे तो मैंने संजना से बात की और उसे कहा कि क्या आप यहीं रहती हैं। उसने मुझे कहा कि हां मैं यही रहती हूं मैंने संजना से हाथ मिलाया और अपना परिचय दिया तो वह मुझे कहने लगी कि मैंने भी कई बार आपको यहां आते जाते हुए देखा है।

हम दोनों बात कर ही रहे थे कि बस आ गई और हम दोनों बस में चढ़ गए, बस में हम दोनों को बैठने के लिए सीट नहीं मिली इसलिए हम दोनों खड़े ही थे कंडक्टर हमारे पास आया तो मैंने संजना के टिकट के पैसे भी दे दिए थे। संजना ने मुझे कहा कि आपको पैसे नहीं देने चाहिए थे संजना मुझे अब पैसे लौटाने लगी लेकिन मैंने उसे कहा नहीं रहने दो अगली बार अगर हम दोनों साथ में आये तो तुम ही पैसे दे देना। वह मुझे कहने लगी ठीक है अगर अगली बार तुम मेरे साथ होगे तो मैं जरूर तुम्हारे पैसे दे दूंगी और उसके बाद संजना उतर गई मैं अपने ऑफिस के सामने के ही बस स्टॉप पर उतरा और अपने ऑफिस चला गया। मैं जब ऑफिस पहुंचा तो सुबोध मुझे कहने लगा कि सूरज क्या तुम कल मेरे घर पर आ सकते हो मैंने सुबोध को कहा लेकिन क्या कोई जरूरी काम है तो उसने मुझे बताया कि उसकी शादी की सालगिरह है और उसने घर पर कुछ लोगों को बुलाया है। मैंने उसको कहा ठीक है मैं कल तुम्हारे घर पर आ जाऊंगा और अब हम लोग ऑफिस का काम करने लगे दोपहर के वक्त हम लोगों ने हमारे ऑफिस के पास ही एक कैंटीन है वहां पर हम लोगों ने लंच किया और शाम के वक्त मैं घर लौट आया। उस दिन शाम को मुझे संजना दिखाई नहीं दी अगले दिन भी मुझे संजना दिखाई नहीं दी तो मेरे दिमाग में सिर्फ यही चल रहा था कि संजना दो दिनों से घर नहीं आई है उस दिन शाम के वक्त मैं सुबोध के घर चला गया। सुबोध के घर जब मैं गया तो उसकी शादी के एक वर्ष पूरे होने की खुशी में उसने अपने घर पर ही छोटा सा प्रोग्राम आयोजित किया था और उसके कुछ जान पहचान के लोग भी वहां पर आए हुए थे। अब मैं सुबोध के घर से ही खाना खाकर वापस लौटा तो मैंने देखा कि संजना भी घर लौट रही है मैंने संजना से बात की और कहा कि तुम इतनी रात को कहां से आ रही हो तो उसने मुझे बताया कि वह दो दिन से अपनी सहेली के घर ही रुकी थी इसलिए वह घर नहीं आ पाई। मैंने संजना को कहा हां मैंने तुम्हें पिछले दो दिनों से देखा नहीं था और मेरे पास तुम्हारा नंबर भी नहीं था इसलिए मैं तुमसे बात नहीं कर पाया मैंने संजना को कहा अगर तुम्हें कोई परेशानी नहीं है तो क्या तुम मुझे अपना नंबर दे सकती हो।

संजना ने मुझे अपना नंबर दे दिया और जब उसने मुझे अपना नंबर दिया तो उसके बाद एक दिन मैंने उसे मैसेज किया उसके मैसेज का भी मुझे रिप्लाई आया। हालांकि हम लोग फोन पर कभी बात नहीं कर पाए थे सिर्फ मैसेज पर ही हम लोगों की चैटिंग हुई अब संजना मुझे जब भी देखती तो वह मुझसे बात कर लिया करती। संजना के बारे में मुझे अब पता चलने लगा था कि उसकी पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं है इसलिए उसे नौकरी करनी पड़ रही है संजना ने मुझे एक दिन बताया कि उसके पिताजी काफी ज्यादा बीमार रहते हैं जिस वजह से वह कुछ कर नहीं पाते जिसके कारण उनके घर की आर्थिक स्थिति काफी ज्यादा दयनीय हो चुकी है। एक दिन मैंने संजना को कहा कि क्या तुम मेरे साथ आज कॉफी पीने चल सकती हो तो संजना भी मेरे साथ कॉफी पीने के लिए आ गई और हम लोग एक कॉफी शॉप में बैठकर आपस में बात कर रहे थे मैंने कॉफी ऑर्डर की और कुछ देर बाद कॉफी आ गई। उस दिन संजना ने मुझे अपने भैया के बारे में बताया उसके भैया उनके साथ नहीं रहते वह अलग रहते हैं इसलिए सारी जिम्मेदारी संजना के कंधों पर ही आ गई है।

हम लोगों ने कॉफी खत्म की और उसके बाद हम लोग घर लौट आये। अब हम दोनों को एक दूसरे का साथ बहुत अच्छा लगने लगा था हम दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो गई थी। एक दिन संजना को मैंने अपने पास बुला लिया वह उस दिन जब मुझसे मिलने आई तो संजना ने मुझे अपने बारे में बताया और कहा वह एक कॉल गर्ल का काम भी करती है। यह सुनकर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई मैंने कभी सोचा भी नहीं था लेकिन जब संजना ने बताया कि उसकी मजबूरी थी इसलिए उसे यह करना पड़ा। मैंने उसे कहा कोई बात नहीं संजना तुमने अपनी मजबूरी के कारण यह सब किया है तुम्हारी कोई गलती नहीं है लेकिन अब मैं संजना का साथ देना चाहता था। मैंने संजना की काफी मदद की जिससे कि वह मेरी तरफ आकर्षित हो गई जब भी वह घर पर आती तो वह मुझसे हमेशा कहती तुम बहुत ही अच्छे हो। एक दिन हम दोनों एक दूसरे को देखकर कुछ ज्यादा ही उत्तेजित होने लगे मैं अपने आपको रोक न सका मैंने उसके होंठों को चूमकर उसे अपनी बांहों में समा लिया। जब मैंने ऐसा किया तो वह बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी उसकी चूत से पानी निकल आया था वह मुझसे चूत मरवाने के लिए तैयार थी। मैंने संजना से कहा तुम अपने कपड़े उतार दो संजना ने अपने कपड़े उतार दिए जब उसने अपने कपड़े उतारे तो उसका सेक्सी और हॉट बदन मेरे सामने था। उसके बदन पर एक भी बाल नहीं था ऊपर से नीचे तक वह इतनी ज्यादा गोरी थी कि उसे देखकर में बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो उठा था। जब उसने मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर ऊपर नीचे करना शुरू किया तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और वह भी बड़ी खुश हो गई थी। उसने मुझे कहा मुझे तुम्हारे मोटे लंड को अपने मुंह में लेना है उसने अपने मुंह को खोलो जब उसने अपने होठों से मेरे लंड को स्पर्श किया तो उसने लंड को अंदर तक समा लिया मुझे बहुत ही अच्छा लगा। जब उसने ऐसा किया तो मैंने उसे कहा संजना तुम बड़ी कमाल की हो वह जब मेरे लंड को चूसती तो मुझे और भी अच्छा लगता।

उसने मेरे लंड से पूरी तरीके से पानी बाहर निकाल लिया था काफी देर तक ऐसा करने के बाद जब उसने मुझे कहा तुम मेरे बदन को अपना बना लो। मैंने उसके स्तनों को चूसना शुरू किया मैंने उसकी योनि पर अपनी जीभ का स्पर्श किया जब उसकी चूत को मैं अच्छे से चाटने लगा तो उसकी चूत से इतना अधिक पानी बाहर की तरफ निकल आया था कि वह मुझे कहने लगी अब मैं अपने आप पर काबू नहीं कर पा रही हूं और मैं अपने आपको रोक नहीं पाऊंगी। मैंने अपने लंड पर तेल लगा लिया था और उसे पूरा चिकना बना लिया संजना ने भी मेरे इसमे मदद की थी उसने मेरे लंड को इतना चिकना बना दिया कि मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर लगाया।

वह बोली तुम अपने मोटे लंड को मेरी चूत के अंदर डाल दो मैंने धीरे-धीरे अब उसकी योनि के अंदर अपने लंड को डालना शुरू किया। जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत के अंदर घुसा तो वह जोर से चिल्लाते हुए कहने लगी आज तो मजा आ गया। अब धीरे धीरे मेरी गति में भी बढ़ोतरी होने लगी थी तो वह मुझे कहने लगी तुम मुझे ऐसे ही धक्के देते रहो मैंने अपने पैरों को खोल रखा है। उसने अपने पैरों को खोल दिया था जिसके बाद मैं लगातार उसे चोद रहा था मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैंने उसे इतनी तेजी से धक्के मारे कि वह बड़ी जोर से चिल्लाने लगी और मुझे कहने लगी मैं तुम्हारा साथ ऐसे ही देना चाहती हूं। मैं बहुत खुश था क्योंकि संजना मेरा साथ दे रही थी मैंने उसके पैरों को खोल लिया था वह सिसकियां ले रही थी। उसकी चूत से इतना पानी निकाल आया कि मैंने उसे कहा मुझे बहुत मजा आ रहा है। वह मेरा साथ बड़े अच्छे से देती कुछ देर की चूत चुदाई के बाद मेरा माल गिरा तो वह बहुत खुश थी। उसके बाद भी हम लोगों ने तीन बार सेक्स का और आनंद लिया।
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मुझे लंबी चुदाई की आदत है


मैंने अनीता से कहा कि अनीता तुम्हें तैयार होने में कितना समय लग जाएगा तो अनीता ने कहा कि बस थोड़ी देर में मैं तैयार हो जाऊंगी लेकिन अनीता तो अभी तक तैयार हुई ही नही थी। अनीता और मैं हमारे एक रिश्तेदार की शादी समारोह में जाने वाले थे मम्मी पापा भी तैयार हो चुके थे अनीता भी जल्दी तैयार हो गई और फिर हम लोग शादी समारोह में पहुंचे जहां पर समारोह का आयोजन किया गया था। जब हम लोग वहां पर पहुंचे तो वहां पर काफी भीड़ थी हम लोग अपने रिश्तेदारों से मिले और हमने दूल्हे को शादी की बधाई दी। हम लोगों ने शादी अटेंड कर ली थी और हम लोगों ने खाना भी खा लिया था उसके बाद हम लोग घर लौट आए क्योंकि अगले दिन मुझे बेंगलुरु अपने ऑफिस के काम से निकलना था इसलिए मैं जल्दी से तैयार होकर सुबह की फ्लाइट से बेंगलुरु जाना चाहता था। मैं सुबह जल्दी उठ गया था और अनीता ने भी मेरा सामान पैक करने में मदद की मैं घर से टैक्सी लेकर एयरपोर्ट के लिए निकला। जैसे ही मैं एयरपोर्ट पर पहुंचा तो वहां पर मैंने फ्लाइट की टिकट ले ली उसके बाद मैं फ्लाइट में बेंगलुरु के लिए निकल चुका था।

मैं बेंगलुरु पहुंचा तो वहां पर मेरे ऑफिस के द्वारा ही मेरे लिए होटल की व्यवस्था कर दी गई थी। कुछ देर आराम करने के बाद मैं अपनी मीटिंग से चला गया, अपनी मीटिंग से शाम के वक्त जब मैं होटल में लौटा तो मेरे रूम में होटल का एक कर्मचारी आया और वह कहने लगा कि सर आज हमारे होटल में एक छोटा सा प्रोग्राम है तो आप भी उसमें जरूर आएगा मैंने उसे कहा ठीक है मैं जरूर आऊंगा। मैं कुछ देर आराम करना चाहता था क्योंकि मैं काफी थक चुका था थोड़ी देर आराम करने के बाद मैं बाथरूम में नहाने के लिए चला गया। जब मैं नहा कर बाहर निकला तो मैं काफी अच्छा फील कर रहा था क्योंकि मैं बहुत ही ज्यादा थक चुका था और अब मुझे अच्छा महसूस हो रहा था। होटल में पार्टी थी तो मैंने सोचा कि मैं भी वहीं पार्टी में चला जाता हूं, मै अपने रूम से जैसे ही नीचे की तरफ गया तो वहीं लॉन में एक छोटा सा स्टेज लगा हुआ था जिसमें कि कुछ लोग काम कर रहे थे मैं वहां पर खड़ा था तभी मेरे पास होटल के मैनेजर आये और उन्होंने मुझसे हाथ मिलाते हुए कहा कि सर थोड़ी देर बाद प्रोग्राम शुरू हो जाएगा।

मैंने उन्हें कहा कि मैं यही हूं और मैं वहां पर बैठ गया मैं वहां पर बैठा हुआ था और थोड़ी ही देर बाद प्रोग्राम शुरू हो गया। जब प्रोग्राम शुरू हुआ तो होटल में रुके और लोग भी वहां पर आ चुके थे मैंने भी खाने को ऑर्डर दे दिया था और रात का डिनर करने के बाद मैं वापस अपने रूम में लौट गया। रूम में लौटने के बाद मुझे काफी ज्यादा नींद आ रही थी और मैं थका हुआ था इसलिए मैं बिस्तर में लेटते ही सो गया। अगले दिन जब सुबह मैं उठा तो मुझे अनीता का फोन आया अनीता मुझे कहने लगी सुबोध आपने मुझे फोन भी नहीं किया मैंने अनीता को कहा कल मैं बहुत ज्यादा थक चुका था इसलिए तुम्हें फोन नहीं कर पाया। मैंने कुछ देर अनीता से बात की और अनीता को कहा कि मैं बस कल शाम की फ्लाइट से वापस आ जाऊंगा तो अनीता कहने लगी कि ठीक है सुबोध अब मैं भी फोन रखती हूँ। अनीता ने फोन रखा उसके बाद मैं तैयार हो चुका था तैयार होने के बाद मैं जैसे ही होटल से बाहर आ रहा था तो मुझे मेरे परिचित दिखाई दिए उन्होंने मुझे देखते ही कहा कि सुबोध तुम यहां क्या कर रहे हो तो मैंने उन्हें कहा कि मैं तो अपने किसी काम से यहां आया था। मैंने उनसे पूछा कि क्या आप बेंगलुरु में ही रहते हैं तो वह मुझे कहने लगे कि हां मेरा ट्रांसफर बेंगलुरु में ही हो चुका है और मैं पिछले 3 वर्षों से बेंगलुरु में ही रह रहा हूं। उनसे मेरी काफी समय बाद मुलाकात हो रही थी वह मुझे कहने लगे कि सुबोध तुम घर पर जरूर आना मैंने उन्हें कहा कि घर पर आना तो संभव नहीं हो पाएगा। उन्होंने मुझसे कहा कि तुम्हें घर पर आना ही पड़ेगा इतने वर्षों बाद तुम मुझसे मिल रहे हो। मैंने उन्हें कहा कि क्या आप होटल में किसी जरूरी काम से आए थे तो वह मुझे कहने लगे कि मेरे दोस्त यहां आए हुए हैं मैं उनसे ही मिलने के लिए यहां पर आया था। मैंने उन्हें कहा कि वह कौन से रूम में रुके हैं तो उन्होंने मुझे बताया कि वह रूम नंबर 204 में रुके हैं वह मुझे कहने लगे आओ सुबोध मैं तुम्हें भी उनसे मिलाता हूं मैंने उन्हें कहा कि अभी तो मैं अपने काम से जा रहा हूं लेकिन मैं बादमे आपसे जरूर मिलूंगा।

मैं भी वहां से अपने ऑफिस के काम से निकल चुका था और शाम के वक्त मैं अपने उन्हीं रिश्तेदार से मिलने उनके घर भी गया था। मैं जब वापस लौटा तो मुझे काफी देर हो चुकी थी और जब मैं होटल में पहुंचा तो मैंने सोचा की मैं अपनी फ्लाइट की टिकट बुक कर देता हूं फिर मैं अपने लैपटॉप पर फ्लाइट की टिकट चेक करने लगा तभी मैंने देखा कि मुझे अगले दिन शाम की फ्लाइट की टिकट मिल रही है मैंने वह टिकट बुक कर दी। जब मैंने टिकट बुक कर दी तो मैंने अनीता को फोन कर दिया था और कहा कि अनीता मैं कल शाम की फ्लाइट की टिकट ले चुका हूं और कल रात तक मैं घर पहुंच जाऊंगा। अनीता बहुत खुश थी और कहने लगी कि सुबोध मैं आपका इंतजार करूंगी यह कहते हुए उसने फोन रख दिया।

अगले दिन जब मैं फ्लाइट से वापस लौट रहा था तो उस फ्लाइट में मेरी मुलाकात कविता से हुई कविता दिखने में बड़ी हॉट और सेक्सी थी। मैं तो उसके तने हुए स्तनों को देख रहा था उसे देखकर मेरा लंड तन कर खड़ा हो रहा था वह मेरे बगल में ही बैठी थी। मैंने उसकी जांघों पर भी अपने हाथ को फेर दिया जिससे कि वह समझ चुकी थी कि मैं उससे क्या चाहता हूं। कविता भी बड़ी चालू किस्म की महिला थी इसलिए उसने मुझे अपना नंबर दे दिया और अपने घर का पता दिया। उसने कहा तुम मुझसे मिलने के लिए घर पर आना। मैंने उसे कहा क्या आज मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे घर पर चल सकता हूं। इस बात पर वह खुश हो गई और कहने लगी भला इससे अच्छा मौका हम दोनों को कब मिलेगा। हम दोनों जैसे ही एयरपोर्ट पर उतरे तो मैं उसके साथ उसके घर पर चला गया वह अपने आपको बिल्कुल रोक ना सकी और मेरे सामने अपने कपड़े उतारे मैंने उसके स्तनों को देखा तो मैं उसके स्तनों को दबाने लगा मुझे बहुत मजा आ रहा था उसने मेरे लंड को दबाया और काफी देर तक वह ऐसा करती रही। जब मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो वह देखकर बोली तुम्हारा तो बहुत मोटा लंड है। मैंने उसे कहा जब तुम अपने मुंह में लेकर चूसोगी तो तुम्हे मजा आएगा। उसने अपने मुंह मे लंड को लेकर उसे चूसना शुरू किया तो उसकी उत्तेजना में बढ़ोतरी होती चली गई और मेरी गर्मी बढती जा रही थी। मैंने उसके कपड़े उतारकर उसे बिस्तर पर लेटा दिया मैंने उसे बिस्तर पर लेटाया तो वह बिल्कुल भी रह ना सकी और कहने लगी तुम मेरी चूत को चाटो मैंने उसकी चऊत को चाटा। उसके बाद तो जैसे वह पूरी तरीके से पागल हो चुकी थी और मुझे कहने लगी तुम अपने लंड को मेरी योनि में घुसा दो मैंने भी ऐसा ही किया और उसकी योनि के अंदर अपने लंड को सटाकर जैसी ही मैंने धक्का दिया तो उसकी योनि के अंदर मेरा लंड जा चुका था। मेरा लंड उसकी चूत के अंदर जाते ही वह जोर से चिल्लाई और कहने लगी तुम्हारा लंड बहुत मोटा है। मैंने उसे कहा तुम अपने पैरों को खोल लो उसने अपने पैरों को चौड़ा किया जिस से कि मेरा मोटा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर आसानी से जा रहा था। उसकी चूत से निकलता हुआ पानी इतना अधिक होने लगा था कि मुझे बहुत मजा आ रहा था और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं उसे धक्के मारता रहा हूं।

वह बहुत ज्यादा खुश हो गई थी मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी चूत के अंदर ही वीर्य गिराना चाहता हूं क्योंकि मैं ज्यादा देर तक अपने आपको रोक नहीं पाऊंगा तुम्हारा हॉट और सेक्सी बदन मुझे बहुत ज्यादा गर्म कर रहा है। मेरे वीर्य जल्द बाहर निकल आया वह कहने लगी तुम अपने वीर्य को मेरी योनि मे गिरा दो और मैंने ऐसा ही किया। मेरे वीर्य उसकी योनि के अंदर गिरा तो वह कहने लगी तुम्हारा वीर्य बहुत जल्दी गिर गया। थोड़ी देर बाद जब मैं बाथरूम से बाहर आया तो मैंने उसके मुंह में अपने लंड को घुसा दिया और वह उसे सकिंग करने लगी उसे बहुत मजा आने लगा था और मुझे भी मज़ा आ रहा था। मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी चूत के अंदर दोबारा से लंड डालना चाहता हूं।

उसने मुझे लिक्विड दिया और अपने लंड पर लगाने के लिए कहा। जब मैंने उसकी चूत के अंदर लंड डाला तो बड़ी आसानी से उसकी चूत में चला गया। अब मुझे एहसास होने लगा मेरा लंड बहुत ज्यादा मोटा हो चुका है और बहुत कड़क भी हो चुका था। वह शायद उसी लिक्विड का कमाल था अब वह मुझसे अपनी चूतडो को मिला रही थी और मेरी गर्मी को बढ़ा रही थी। मैंने उससे कहा मुझे मजा आ रहा है मैंने उसकी चूत के अंदर बाहर ऐसे ही किया बहुत देर हो गई थी और मेरी गर्मी बढ़ती ही जा रही थी। वह कहने लगी मुझे मजा आ रहा है मुझे ऐसी ही लंबी चुदाई की आदत है मैं जब तक ऐसी लंबी चुदाई नहीं करती तो मुझे मजा नहीं आता। हम लोगों ने करीब 15 मिनट तक चुदाई का लुफ्त उठाया और उसके बाद मेरा वीर्य बाहर की तरफ गिरा मुझे मजा आ गया था। मेरे लिए बहुत खुशी की बात थी कि मैं कविता को चोद पाया उसके बाद मैंने अपने कपड़े पहने और देर रात मै अपने घर लौट आया तो अनीता मेरा इंतजार कर रही थी।
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मेरी चूत मार लो मेरे दीवाने


पापा का ट्रांसफर कुछ समय पहले ही लखनऊ में हुआ और जब पापा का ट्रांसफर हुआ तो पापा को लखनऊ में घर ढूंढने में उनके दोस्त ने मदद की। हम लोग अब लखनऊ में आ चुके थे और जब हम लोग अपना सामान शिफ्ट कर रहे थे तो उस वक्त पापा के दोस्त मोहन अंकल भी घर पर आए हुए थे उन्होंने भी हमारी काफी मदद की और हम लोगों ने अपना सामान शिफ्ट कर लिया था। जब हम लोगों ने अपना सामान शिफ्ट कर लिया तो उसके बाद मैं अपने लिए नौकरी की तलाश करने लगा मैं चाहता था कि मैं कोई पार्ट टाइम नौकरी कर लूँ क्योंकि मेरा कॉलेज पूरा हो चुका था और मैं अपनी प्रशासनिक परीक्षा की तैयारी कर रहा था इसलिए मैं चाहता था कि मैं अपने खर्चे खुद ही उठाऊँ। पापा पर मैं किसी भी प्रकार का बोझ नहीं बनना चाहता था इसलिए मैंने एक पार्ट टाइम नौकरी करनी शुरू कर दी मैं हर रोज वहां पर जाया करता था।

मैं जब भी शाम के वक्त अपने काम से वापस लौटता तो मुझे अक्सर एक लड़की दिखाई देती थी जो कि हमारी कॉलोनी में ही रहती थी मैं उसे जब भी देखता तो मुझे उसे देख कर बहुत अच्छा लगता और वह भी मुझे देखकर अक्सर मुस्कुरा दिया करती थी लेकिन मैं उसके बारे में कुछ जानता नहीं था। हम लोगों को वहां पर रहते हुए करीब 3 महीने हो चुके थे 3 महीने बीत जाने के बाद मैं भी अब कुछ लोगों को वहां पर जानने लगा था। हमारे कॉलोनी के बाहर ही एक दुकान है मैं अक्सर शाम के वक़्त वहां पर थोड़ी देर रूक जाया करता था। एक दिन मैं दुकान पर ही खड़ा था तब मुझे वही लड़की वहां से गुजरती हुई दिखाई दी मैंने दुकान वाले से पूछा कि तुम इस लड़की को जानते हो तो मुझे लगा कि यह तो महिमा है और हमारी कॉलोनी में ही रहती है। मुझे उसका नाम पता चल चुका था अब मैं चाहता था कि किसी भी प्रकार से मैं महिमा से बात करूं और उसके नजदीक आने की कोशिश करूं लेकिन यह सब इतना आसान होने वाला नहीं था उसके लिए मुझे कई पापड़ बेलने पड़े।

महिमा के पिताजी बहुत ही सख्त मिजाज हैं और वह महिमा पर पूरी तरीके से नजर रखते हैं कई बार तो महिमा के भैया ही उसे उसके ऑफिस तक छोड़ने के लिए जाया करते हैं। जिस दिन मेरी छुट्टी होती है उस दिन मैं भी महिमा के पीछे पीछे चला जाया करता एक दिन मुझे मौका मिल गया था उस दिन महिमा बस से ही घर वापस लौट रही थी और जब वह वापस लौट रही थी तो मैंने उस दिन बस में महिमा से बात की। मैंने महिमा से कहा कि मैं आपको अपनी कॉलोनी में आते जाते देखता हूं महिमा ने मुझसे पहले तो कोई बात नहीं की फिर उसने मुझसे कहा कि मैंने भी तुम्हें एक दो बार कॉलनी में देखा है। मेरे लिए तो यह बहुत ही सुकून भरा पल था कि कम से कम महिमा को यह तो पता है कि मैं उस कॉलोनी में रहता हूं उसके बाद हम दोनों के बीच बातें होने लगी थी लेकिन महिमा मुझसे कम ही बातें किया करती थी। मेरे पास महिमा का कोई नंबर तो नहीं था लेकिन मैं उसे उसके ऑफिस से फ्री होने के बाद अक्सर मिल जाया करता था हम लोगों की बातें कभी कबार फेसबुक चैट के माध्यम से हो जाया करती थी। एक दिन मैंने महिमा से उसका नंबर लिया तो महिमा ने मुझे अपना नंबर दे दिया अब हम लोग फोन पर भी बातें करने लगे थे धीरे-धीरे हम दोनों एक दूसरे से कुछ ज्यादा ही बातें करने लगे थे जिस दिन भी हम दोनों एक दूसरे से बातें नहीं करते या फिर मिलते नहीं थे तो हमें बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता जो हाल मेरा था वही हाल महिमा का भी था। एक दिन महिमा ने मुझसे कहा कि हम लोग आज मूवी देखने के लिए चलते है महिमा को मूवी देखने का बड़ा शौक था तो महिमा से मैंने कहा कि क्यों नहीं। महिमा जैसे ही ऑफिस से फ्री हुई तो हम दोनों मूवी देखने के लिए साथ में चले गए मैं महिमा के साथ मूवी देख कर बहुत खुश था क्योंकि मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि महिमा के मैं इतना करीब आ जाऊंगा की महिमा मुझसे इतनी बात करने लगेगी। महिमा मुझे अपना सबसे करीबी दोस्त मानने लगी थी और मैं महिमा के साथ बहुत ही खुश था उस दिन हम लोगों ने मूवी देखी और फिर हम लोग घर वापस लौट आए। महिमा को जब भी कहीं जाना होता तो वह मुझे कह देती थी और अब ऐसा ही चलने लगा था।


एक दिन मैं फोन पर बात कर रहा था तो पापा मेरे रूम में आए और कहने लगे की आकाश बेटा तुम किस से बात कर रहे हो मैंने पापा से कुछ नहीं कहा और मैंने तुरंत ही फोन काट दिया पापा मेरे साथ बैठे और वह कहने लगे कि आकाश बेटा तुमने आगे क्या सोचा है। मैंने पापा से कहा कि पापा मैं तो अभी अपनी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा हूं और मैं चाहता हूं कि किसी भी तरीके से मेरा सरकारी विभाग में सिलेक्शन हो जाए। वह कहने लगे कि ठीक है बेटा तुम मेहनत करते रहो जरुर तुम्हारा सिलेक्शन हो जाएगा मैं और पापा साथ में ही बैठे थे फिर पापा चले गए। मैंने दोबारा से महिमा को फोन किया तो महिमा ने फोन उठा लिया था और मैं महिमा से बात करने लगा कुछ देर हम लोगों ने फोन पर बात की फिर मैं सो गया। मुझे काफी नींद आ रही थी हम लोग देर रात तक फोन पर बात करते रहे, अभी तक हम लोगों ने एक दूसरे से अपने दिल की बात का इज़हर नहीं किया था लेकिन फोन पर हम लोग काफी देर तक बातें किया करते थे हम दोनों को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि पहले किसे बोलना चाहिए। महिमा के दिल में भी मेरे लिए प्यार उमड़ने लगा था और मैं तो महिमा को पहले से ही पसंद करता था।

एक दिन महिमा ने मुझे प्रपोज किया तो मैं बहुत खुश हो गया मेरे लिए तो इससे ज्यादा खुशी कुछ हो ही नहीं सकती थी। मैं और मेरी माहिमा एक दूसरे को अक्सर मिला करते जब भी हम दोनों एक दूसरे को मिलते तो हम दोनों एक दूसरे के साथ समय बिताया करते लेकिन मैं महिमा के यौवान को अपना बनाना चाहता था और उसके लिए मैंने एक दिन उसे अपने घर पर बुला लिया। जब वह घर पर आई तो उस समय पापा ऑफिस गए हुए थे और मां भी घर पर नहीं थी मां अपनी सहेली के घर गई हुई थी इसलिए महिमा और मैं ही घर पर अकेले थे। हम दोनों को बहुत ही अच्छा मौका मिल चुका था पहली बार जब मैंने उसके होंठों को चूमा तो वह मुझे कहने लगी आकाश तुम बड़े अच्छे से किस कर रहे हो। हम दोनों की फोन पर भी अक्सर ऐसी बातें होती रहती थी लेकिन मैंने कभी भी उसके साथ सेक्स करने के बारे में सोचा नहीं था लेकिन मुझे मौका मिल गया था। मै उसके होठों को अच्छे से चूम रहा था मैंने उसके होठों को से खून निकाल दिया था अब वह उत्तेजित होने लगी थी मैंने उसे कहा तुम अपने कपड़े उतार दो उसने मेरे सामने अपने कपड़े उतारे जब मैने उसका नंगा बदन देखा तो मैं अपने लंड को हिलाने लगा मेरा लंड देखकर वह मेरे पास आई जब उसने मेरे लंड को अपने हाथ से छुआ तो वह कहने लगी तुम्हारा लंड कितना मोटा है। मैंने उसे कहा इसे तुम्हें अपनी चूत के अंदर लेना है वह खुश हो गई और कहने लगी क्या मैं तुम्हारे लंड को अपनी चूत मे ले पांऊगी। मैंने उसे कहा क्यों नहीं जब मैंने उसे अपने लंड को सकिंग करने के लिए कहा तो वह उसे अपने मुंह में लेने लगी और उसे बहुत मजा आने लगा। वह मेरे लंड को अपने मुंह में ले रही थी मुझे बहुत अच्छा लगा और काफी देर तक उसने मुझे मजे दिए जब मेरी गर्मी बढ़ने लगी तो मैंने उसके बूब्स को अपने हाथों से दबाना शुरू किया। उसके बूब्स को मैंने अब अपने मुंह में ले लिया उसके निप्पलो को जब मैं अपने मुंह में लेकर चूसने लगा तो वह मुझे कहने लगी आकाश तुम जब मेरे निप्पलो को चूस रहे हो तो मेरी चूत से एक अलग ही प्रकार की गर्मी पैदा हो रही है।

मैंने जब उसकी चूत पर अपनी उंगली को लगाया तो उसकी चूत से कुछ चिपचिपा सा बाहर की तरफ आ रहा था मैंने उसके पैरों को चौड़ा करते हुए उसकी योनि पर अपनी जीभ को लगाया और उसकी योनि को चाटना शुरू कर दिया। मैंने उसकी योनि को बहुत देर तक चाटा और उसके बाद तो वह इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई कि वह रह नहीं पाई वह मेरे लंड को लेने के लिए बहुत तड़पने लगी थी। मैंने अपने लंड पर तेल की मालिश करते हुए उसकी मुलायम और कोमल चूत के अंदर अपने लंड को डाला तो जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत के अंदर घुसा तो उसकी योनि से खून बाहर निकल आया वह एकदम सील पैक माल थी मेरे लिए यह बहुत ही अच्छा मौका था। मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रखते हुए बड़ी तेज गति से धक्के देने शुरू कर दिए थे मै बड़ी तेजी से उसे धक्के मारे जा रहा था।

मैं बहुत ज्यादा खुश हो गया था मैंने उसे कहा मुझे बहुत मजा आ रहा है वह मुझे कहने लगी मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा है हालांकि उसके मुंह से बडी तेज सिसकिया निकल रही थी वह मुझे अपनी और आकर्षित कर रही थी। वह मुझे कहने लगी तुम मेरी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करते रहो। मैंने उसकी योनि के अंदर बहुत देर तक अपने लंड को ऐसे ही किया मैने उसकी गर्मी को पूरी तरीके से बुझा दिया था उसकी गर्मी शांत होने लगी थी लेकिन उसकी योनि से पानी बाहर ही निकल रहा था। जैसे ही मैंने अपने माल को गिराया तो वह बोली आकाश आज तो मजा ही आ गया ऐसा लग रहा है कि जैसे तुम्हारे साथ सेक्स करती रहूं। मैंने उसकी चूत के अंदर लंड को घुसाया तो वह मेरा साथ बड़े अच्छे से दे रही थी वह बहुत ही ज्यादा खुश थी। उसने मेरा साथ बहुत अच्छे से दिया जब मैंने 5 मिनट के बाद उसके स्तनों पर अपने वीर्य को गिराया तो वह कहने लगी आकाश अब मैं तुम्हारा साथ नहीं दे पाऊंगी मेरी चूत बहुत ज्यादा छिल चुकी है। कुछ दिनों तक हम लोग एक दूसरे से फोन सेक्स पर ही बात करते रहे लेकिन जब भी मुझे मौका मिलता तो मैं उसे चोदता जरूर था।
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पति की परेशानी को पल भर मे दूर कर दिया


मैं घर पर ही थी और घर पर मैं साफ सफाई का काम कर रही थी तभी मेरे पड़ोस में रहने वाली सुधा जो कि मेरी बहुत अच्छी सहेली भी है वह हमारे घर पर आई और कहने लगी कि सुरभि मुझे चीनी चाहिए थी मैंने उसे कहा कि मैं तुम्हें बस अभी चीनी देती हूं। उसने मुझे कहा कि चीनी खत्म हो गई थी और हमारे घर पर कोई मेहमान आए हुए हैं तो मैंने सोचा कि तुम से ही चीनी ले लेती हूं मैंने सुधा को कहा कि कोई बात नहीं सुधा। मैंने उसे चीनी दे दी और वह चली गई मैं साफ सफाई का काम कर रही थी और उसके बाद दोपहर का खाना बनाने के बाद बच्चे भी स्कूल से लौट चुके थे उसके बाद उन्हें मैंने खाना खिलाया। कुछ देर वह आराम करने के बाद ट्यूशन चले गए तो मैंने शाम के वक्त सोचा कि मैं सुधा के साथ चली जाती हूं और फिर मैं उसके घर पर चली गई। मैं जब सुधा से मिलने के लिए गई तो सुधा घर पर अकेली ही थी मैंने सुधा से कहा कि क्या आज गौतम अपने काम से नहीं लौटे हैं तो सुधा कहने लगी कि नहीं आज वह देर से आएंगे।

मैंने सुधा को कहा चलो हम लोग बाहर घूम आते हैं तो सुधा कहने लगी कि ठीक है सुरभि हम लोग बाहर चलते हैं और हम दोनों अब अपनी कॉलोनी से बाहर आ गए। हमारी कॉलोनी के बाहर ही सब्जी की दुकान थी तो मैंने सोचा कि वहां से सब्जी भी खरीद लेती हूं और मैंने वहां से सब्जी ले ली सुधा ने भी वहां से सब्जी ले ली थी और हम दोनों अब घर वापस लौट आए। जब हम लोग घर लौट रहे थे तो सुधा ने मुझे कहा कि सुरभि क्या कल तुम घर पर ही हो मैंने उसे कहा हां कल मैं घर पर ही हूं वह मुझे कहने लगी कि कल तो रविवार है समीर भी कल घर पर ही होंगे। मैंने सुधा से कहा कि हां कल समीर भी घर पर ही होंगे सुधा मुझे कहने लगी कि क्या कल हम लोग कहीं घूमने के लिए चलें तो मैंने उसे कहा सुधा हां हम लोग कल घूमने के लिए जा सकते हैं। मैंने सुधा से कहा कि अब मैं चलती हूं उसके बाद मैं अपने घर आ गई और घर आकर मैं खाना बनाने की तैयारी करने लगी मैं खाना बना ही रही थी कि तभी डोर बेल बजी और जब मैंने दरवाजा खोला तो मैंने देखा समीर अपने ऑफिस से लौट चुके थे।

समीर काफी थके हुए नजर आ रहे थे मैंने उन्हें कहा कि आज आप काफी थके हुए नजर आ रहे हैं समीर सोफे पर बैठ गए और मुझे कहने लगे कि हां सुरभि आज ऑफिस में कुछ ज्यादा ही काम था जिस वजह से मुझे काफी थकान हो रही है। मैंने समीर से कहा मैं आपके लिए अभी चाय बना कर लाती हूं समीर कहने लगे कि हां सुरभि तुम मेरे लिए चाय बना कर ले आओ और मैं समीर के लिए चाय बना कर ले आई। मैं जब समीर के लिए चाय बना कर लाई तो समीर और मैं साथ में ही बैठे हुए थे और हम दोनों चाय पी रहे थे हमारे बच्चे जो कि काफी ज्यादा शरारती हैं वह दोनों काफी शोर कर रहे थे तो समीर ने उन्हें ऊंची आवाज में कहा कि बच्चों तुम लोग पढ़ाई कर लो फिर वह दोनों अपनी पढ़ाई में ध्यान देने लगे। मैंने समीर से कहा कि समीर क्या कल हम लोग सुधा और गौतम के साथ घूमने के लिए चलें तो समीर कहने लगे कि ठीक है सुरभि हम लोग कल सुधा और गौतम के साथ चले जाएंगे। मैंने काफी दिनों से शॉपिंग भी नहीं की थी तो मैंने समीर से इस बारे में कहा तो कहने लगे कि हां कल तुम शॉपिंग भी कर लेना। कुछ देर हम दोनों साथ में बैठे रहे तभी समीर कहने लगे कि मैं कुछ देर आराम कर लेता हूं, वह रूम में चले गए और मैं रसोई में आ चुकी थी रसोई में मैं खाना बनाने लगी। मैं खाना बनाने के बाद जब रूम में गई तो मैंने देखा समीर सो रहे थे मैंने समीर को उठाते हुए कहा कि समीर आप खाना खा लीजिए। समीर कहने लगे कि हां सुरभि बस मैं अभी आता हूं समीर ने अभी तक अपने कपड़े भी चेंज नहीं किए थे। थोड़ी देर बाद समीर खाने की टेबल पर आए और हम दोनों ने साथ में खाना खाया बच्चे खाना पहले ही खा चुके थे और वह सो भी चुके थे। मैं और समीर खाना खाकर कुछ देर अपने घर की छत पर टहलने के लिए चले गए जब हम लोग छत पर गए तो समीर मुझे कहने लगे कि सुरभि मुझे आज पापा का फोन आया था और पापा कह रहे थे कि उन्हें कुछ पैसों की आवश्यकता है। मैंने उससे पूछा कि लेकिन पापा को पैसे की क्यों जरूरत है तो समीर ने मुझे बताया कि वह घर में कोई काम करवाना चाहते हैं।

हम लोगों को दिल्ली में रहते हुए करीब 15 वर्ष हो चुके हैं मेरी शादी जब समीर से हुई थी तो उस वक्त मेरी उम्र 22 वर्ष थी समीर और मेरी शादी को इतने वर्ष हो जाने के बाद समीर में कोई बदलाव नहीं आया है वह आज भी वैसे ही है जैसे पहले थे मेरे सास और ससुर दोनों ही रोहतक में रहते हैं। मैंने समीर से कहा कि अगर उन्हें पैसे की जरूरत है तो आप उन्हें पैसे दे दीजिए समीर कहने लगे कि हां मुझे अपनी फिक्स डिपॉजिट ही तुड़वानी पड़ेगी क्योंकि अभी मेरे पास भी पैसे नहीं है मैंने समीर से कहा कि आप पापा मम्मी को पैसे दे दीजिए। समीर और मैं रूम में चले आए थे समीर कुछ दिनों से काफी ज्यादा परेशान थे और उनकी परेशानी का कारण यही था कि दिन-ब-दिन घर के खर्चे बढ़ते ही जा रहे थे। हम दोनों एक साथ नीचे आ चुके थे लेकिन मैं चाहती थी कि मैं समीर को खुश करने की कोशिश करूं। समीर बहुत परेशान भी लग रहे थे मैंने समीर से कहा मैं आपके बदन की मालिश कर देती हूं? समीर ने मुझे कहा तुम मेरे बदन की मालिश कर दो मैंने समीर की मालिश की मै समीर के बदन की अच्छे से मालीश कर रही थी जब मैंने समीर के लंड को अपने हाथ में लेकर हिलाना शुरू किया तो वह मुझे कहने लगा मेरा लंड तुमने खड़ा कर दिया है।

मैंने उसके लंड को अपने मुंह के अंदर समा लिया था मैंने जब समीर के लंड को अपने मुंह में लिया तो मुझे अच्छा लग रहा था और बहुत मजा भी आ रहा था। मैंने उसके लंड को बहुत देर तक चूसा उसके लंड से मैंने पूरी तरीके से पानी बाहर निकाल दिया था समीर भी मेरा साथ अच्छे से दे रहे थे वह मुझे कहने लगे मुझे तुम्हारी चूत मारनी है। मैं अब बिल्कुल भी नहीं रह पा रही थी मैं इस बात से बड़ी खुश थी और मैंने काफी देर तक समीर के लंड को अपने मुंह के अंदर बाहर किया। मैं बहुत ही अच्छा से उसके लंड को सकिंग करने लगी अब समीरा और मैं बहुत ही ज्यादा उत्तेजित होने लगे थे मैंने समीर को कहा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मैंने अपने कपडे उतार दिए थे मैं नग्न अवस्था में भी थी समीर ने लंड पर तेल लगाया और मैंने अपनी चूत को समीर के लंड पर लगाया और समीर का लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर की तरफ चला गया समीर का लंडड जैसी मेरी योनि के अंदर घुसा तो मैं जोर से चिल्लाई और समीरा मुझे तेजी से धक्के देने लगे थे। समीर ने मेरे स्तनों को अपने मुंह में लेकर उनका रसपान करना शुरू कर दिया था मैं समीर का साथ बड़े अच्छे से दे रही थी। समीर मुझे कहने लगे मुझे बहुत अच्छा लग रहा है और ऐसा लग रहा है जैसे कि तुम मुझे और भी तेजी से धक्के दो। मैंने समीर से कहा मुझे और तेजी से चोदो तो समीर मुझे और भी तेजी से धक्के मारने लगे मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा था मुझे इतना ज्यादा मजा आने लगा था कि मैंने समीर से कहा मुझे अपने अपने नीचे लेटा कर चोदो समीर ने मुझे अपने नीचे लेटा दिया। जब समीर ने मुझे धक्के देने शुरू किए तो मेरी इच्छा समीर ने पूरी कर दी थी और समीर को मैंने कहा मुझे आज बहुत मजा आ रहा है ऐसा लग रहा है कि बस मैं तुम्हारे साथ सेक्स करती रहूं। समीर भी इस बात से बहुत खुश हो गए थे काफी देर तक समीर ने मुझे चोदा लेकिन जब समीर मेरी चूत की गर्मी को झेल नहीं पाए तो मैंने समीर से कहा मुझसे रहा नहीं जा रहा है मैंने समीर को अपने पैरों के बीच में कसकर जकड़ लिया जिससे कि समीर मुझे कहने लगे मेरा वीर्य बाहर गिरने वाला है।

मैंने समीर को कहा तुम मेरी चूत के अंदर ही अपने माल को गिरा दो और समीर ने मेरी चूत के अंदर ही अपने माल को गिराकर मेरी गर्मी को शांत कर दिया था मैं बहुत ज्यादा खुश थी लेकिन समीर की इच्छा अभी तक पूरी नहीं हुई थी जिस वजह से समीर ने मुझे कहा मुझे तुम्हारे साथ दोबारा सेक्स करना है। समीर ने दोबारा से मेरी चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दिया समीर ने मुझे घोड़ी बना कर रखा था जब वह मेरी चूत के अंदर अपने लंड को डाल रहे थे तो मैं जोर से चिल्लाने लगी और समीर मुझे कहने लगे मुझे बहुत अच्छा लग रहा है और थोड़ी ही देर बाद जब समीर ने मेरी योनि के अंदर अपने लंड को तेजी से करने लगे तो मैं जोर से चिल्लाई।

मैने समीर को कहा मुझे आज बहुत मजा आ गया कुछ देर ऐसा करना के बाद जब मैंने समीर से कहा कि तुम अब मेरी चछत में अपने माल को गिरा दो तो समीर कहने लगा अभी मेरी इच्छा पूरी नहीं हुई है। समीर ने मुझे पूरी ताकत के साथ धक्के देना शुरू कर दिए थे वह मुझे  ऐसे धक्के मारते जैसे मेरी चूत को पूरी तरीके से फाड़ कर रख देंगे मेरी चूत छिल चुकी थी। मैंने समीर से कहा मैं ज्यादा देर तक आपका साथ नहीं दे पाऊंगी समीर मुझे कहने लगे सुरभि तुमने आज मेरी इच्छा को जगाया था और तुम ही कह रही हो कि तुम मेरा साथ नहीं दे पाओगी। समीर ने मुझे 5 मिनट तक और चोदा मेरा हर एक अंग हिलने लगा था समीर ने अपने माल को मेरी चूत मे गिरा दिया। मैंने समीर की सारी परेशानियों को दूर कर दिया था।
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गर्मी में गरमा गरम चुदाई


दीपिका कुछ दिनों से अपने मायके गई हुई थी घर पर मां ही सारा काम देख रही थी घर की देखभाल का जिम्मा आजकल मां पर ही था बच्चों की देखभाल से लेकर मेरे लिए खाना बनाना और मेरे ऑफिस के लिए टिफिन पैक करना यह सब मां की ही जिम्मेदारी थी। हालांकि मां की तबीयत ठीक नहीं रहती लेकिन उसके बावजूद भी मां किसी तरीके से काम कर रही थी मैंने उन्हें कहा कि मां क्या मैं किसी नौकरानी को घर पर काम के लिए रख लूं तो मां कहने लगी कि नहीं बेटा अभी मैं यह सब काम करने में समर्थ हूं। मैं अपने ऑफिस जा चुका था और जब मैं अपने ऑफिस गया तो मेरे ऑफिस में मेरे बॉस ने उस दिन सब लोगों को मीटिंग हॉल में बुलाया सब लोग मीटिंग हॉल में गए और वहां पर बॉस ने कहा कि कुछ महीनों से काम ठीक नहीं चल रहा है इसलिए उन्होंने सब लोगों को साफ तौर पर हिदायत दी कि वह अपने काम पर पूरी तरीके से ध्यान दें और उसके बाद सब लोग अपने काम पर ध्यान देने लगे। अगले दिन से काम कुछ ज्यादा होने लगा था इसलिए मुझे घर जाने में भी देर हो हो रही थी दीपिका भी अपने मायके से वापस लौट चुकी थी।

मैं जब अपने ऑफिस से लौटता तो बच्चों के लिए अपने मोहल्ले की दुकान से कुछ ना कुछ ले लिया करता और जब भी मैं घर आता तो उस वक्त 8:00 बज चुके होते थे। एक दिन मैं ऑफिस से घर लौटा तो उस दिन दीपिका ने मुझे बताया कि कल बच्चों की स्कूल में पेरेंट्स मीटिंग है तो आपको भी स्कूल में बुलाया है। मैंने दीपिका से कहा दीपिका तुम्हें तो पता ही है कि मेरे पास समय बिल्कुल भी नहीं है इसलिए कल तुम ही चली जाना दीपिका मुझे कहने लगी कि ठीक है निखिल कल मैं ही चली जाऊंगी। अगले दिन दीपिका ही बच्चों के स्कूल में चली गई थी, अब हम लोगों के बीच में बातें कम हो पाती थी और मैं कुछ दिनों से काफी परेशान था तो उस दिन दीपिका ने मुझे कहा कि निखिल तुम इतने परेशान क्यों हो।

मैंने दीपिका से कहा कि आज कल ऑफिस में कुछ ज्यादा ही काम होने लगा है जिस वजह से मुझे अपने लिए भी समय नहीं मिल पाता है दीपिका मुझे कहने लगी कि निखिल क्यों ना हम लोग कहीं घूम आए। मैंने दीपिका से कहा कि आजकल कहीं भी जाना संभव नहीं हो पाएगा लेकिन कुछ दिनों बाद मैं इस बारे में जरूर सोच सकता हूं दीपिका ने मुझे कहा कि ठीक है निखिल जब आपको ऐसा लगे कि अब आपके पास वक्त है और आप ऑफिस से छुट्टी ले सकते हैं तो आप मुझे बता दीजिएगा। थोड़े ही समय बाद ऑफिस के काम से मैं कुछ दिनों के लिए छुट्टी लेना चाहता था उसके लिए मैंने अपने बॉस से बात की और उन्होंने मुझे कुछ दिनों के लिए छुट्टी दे दी। मैं इस दौरान अपने परिवार के साथ कहीं घूमने के लिए जाना चाहता था लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि हमें कहां जाना चाहिए। उस दिन मैं अपने रूम में ही बैठा हुआ था तो मेरी मां मेरे पास आई और कहने लगी कि निखिल बेटा तुम रूम में अकेले क्यों बैठे हुए हो मैंने मां से कहा कि मां बस ऐसे ही मैं अकेले बैठा हुआ था। मां अपनी बातें मुझसे करने लगी और कहने लगी कि निखिल बेटा तुम क्या सोच रहे थे तो मैंने मां को बताया कि मां मैं सोच रहा था कि हम लोगों को कहीं घूमने के लिए जाना चाहिए। मां ने मुझे कहा कि बेटा क्यों ना हम लोग कुछ दिनों के लिए जयपुर तुम्हारी मौसी के घर हो आए। मैंने मां से कहा कि मां वैसे तो आप यह बिल्कुल ठीक कह रही हैं हम लोग कुछ दिनों के लिए जयपुर घूम कर आ सकते हैं और बच्चे भी इससे काफी खुश हो जाएंगे क्योंकि बच्चों की भी स्कूल की छुट्टियां थी। अब मैंने जयपुर जाने की सारी व्यवस्था कर दी थी ट्रेन की टिकट से लेकर मैंने मौसी को भी फोन कर दिया था जब मैंने मौसी को फोन किया तो वह कहने लगी कि निखिल बेटा तुम कब आ रहे हो। मैंने मौसी से कहा कि मौसी हम लोग कुछ दिनों में आपके पास आ जाएंगे, मैंने अपने ऑफिस से 15 दिनों की छुट्टी ली थी इसलिए मैं चाहता था कि एक हफ्ता हम लोग जयपुर में रहे हैं। अब हम लोग जयपुर जाने की तैयारी कर चुके थे मां और दीपिका ने सारा सामान पैक कर लिया था और जिस दिन हम लोग ट्रेन से जयपुर गए उस दिन मैंने मौसी को भी फोन कर दिया था। मुंबई से जयपुर की दूरी कुछ घंटों की है और हम लोग जयपुर पहुंच चुके थे हमारी ट्रेन रात की थी इसलिए हम लोग सुबह के वक्त जयपुर पहुंच चुके थे और मैंने रेलवे स्टेशन से एक टैक्सी भी बुक की और वहां से हम लोग मौसी के घर चले गए।

उस वक्त सुबह के 9:00 बज रहे थे इसलिए सब लोग उस वक्त घर पर ही थे हम लोग जैसे ही घर पहुंचे तो मौसी कहने लगी कि तुम लोग बिल्कुल सही समय पर आए हो। हम लोग फ्रेश होने लगे और सब लोगो ने साथ में नाश्ता किया मेरे मौसा जी जो कि एक सरकारी विभाग में अधिकारी के पद पर हैं वह भी उस वक्त घर पर ही थे और नाश्ता कर के वह अपने ऑफिस के लिए निकल चुके थे। मौसी के दो बेटे हैं दोनों ही कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं वह दोनों भी अपने कॉलेज जा चुके थे और हम सब लोग घर पर ही थे मां और मौसी एक दूसरे से मिलकर काफी खुश थे। काफी समय बाद हम लोग मौसी से मिले थे और दीपिका भी मौसी के साथ ही बैठी हुई थी उस दिन तो हम लोग घर पर ही थे लेकिन अगले दिन हम लोग घूमने के लिए चले गए।

जयपुर घूमने के बाद हम लोग वापस लौटे मौसी से मिलने के लिए उनके पड़ोस में रहने वाली एक महिला आई हुई थी उसे देखकर मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे वह मुझसे अपनी हवस बुझाना चाहती थी उनके पति अपने काम के सिलसिले में बाहर रहते थे उनका नाम ललिता है। ललिता भाभी दिखने में बड़ी हॉट थी उनके स्तनो को देख कर मुझे बहुत अच्छा लगता उन्होंने मुझे कहा कभी आप घर पर आइएगा। मैंने उन्हें कहा जरूर आपसे मिलने के लिए आपके घर पर मैं आऊंगा। ललिता भाभी अपने घर चली गई तो मौसी ने उनकी बड़ी तारीफ की मौसी ने उनकी तारीफो के पुल बांध दिए थे ना जाने उनमें ऐसा क्या था कि मैं भी उनसे मिलने के लिए बड़ा बेताब था। उस दिन दोपहर की गर्मी मे सब लोग आराम कर रहे थे उस दिन मैं घर से बाहर निकला तो जैसे ललिता भाभी मेरा इंतजार कर रही थी उन्होने मुझे देखते ही अपने घर पर बुला लिया। मैं भी उनके घर पर चला गया जब मैं उनके साथ बैठा हुआ था।  मैंने उन्हें कहा आप मुझे पानी पिला दीजिए लेकिन वह तो जैसे मेरे इंतजार में बैठी हुई थी मुझसे अपनी चूत मरवाने के लिए तैयार थी। मैंने पानी पिया वह मेरे बगल में आकर बैठी जब वह मेरे बगल में बैठी तो मैंने अपने लंड को देखा मेरा लंड खड़ा होने लगा था। वह मुझे देख रही थी वह बार-बार अपनी साड़ी के पल्लू को सरका कर मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था मैंने जब ललिता भाभी की जांघ पर हाथ को रखा तो उनकी मोटी जांघ गर्मी बाहर की तरफ छोड़ रही थी। उन्होंने मेरे लंड को कस कर दबा दिया मेरे लंड को उन्होंने जैसे ही दबाया तो मुझे बहुत अच्छा लगा। उन्होंने मुझे कहा चलिए ना बेडरूम में चलते हैं अब मैं अपने आपको नहीं रोक पा रही हूं। वह अपने बेडरूम में ले गई मैंने उनकी साड़ी को उतारना शुरू किया तो वह मेरे सामने नंगी हो चुकी थी। उनका गदराया हुआ बदन इतना ज्यादा आकर्षित कर रहा था कि मैं उनकी चूत में अपने लंड को जल्दी से जल्दी डालना चाहता था उन्होंने मेरे कपड़े खोल दिए और अपने हाथो मे मेरे लंड को लिया ऐसे करने के बाद जब वह मेरे लंड को चूसने लगी तो मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा और बहुत मजा भी आ रहा था।

वह बड़े अच्छे से मेरे लंड को चूसने लगी और मेरे अंदर की गर्मी को उन्होंने पूरी तरीके से बढा कर रख दिया था मैंने उन्हें कहा मुझे बहुत मजा आ रहा है मैं बहुत ज्यादा खुश हूं। वह मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर लेने लगी मेरे लंड को उन्होंने अपने मुंह में ले लिया था और बहुत अच्छे चूसा मेरे लंड को उन्होने चूसा तो मैंने उनके बड़े स्तनों को अपने हाथ में लिया और वह उत्तेजित होने लगी उनकी उत्तेजना इस कदर बढ़ने लगी थी कि मुझे उनकी चूत को चाटने में अब मजा आने लगा था। मैंने उनकी चूत को बहुत देर तक चाटा उनकी चूत से मैंने पानी बाहर निकाल दिया था मैंने उस पानी को अपने अंदर ही ले लिया। अपने गरम हो चुके लंड को जब उनकी गरम चूत पर लगाया तो उस से और भी अधिक गर्मी निकलने लगी। जैसे ही मैंने उनकी चूत के अंदर धक्का देते हुए अपने लंड को घुसाया तो वह बहुत जोर से चिल्लाने लगी और कहने लगी मुझे बहुत मजा आ रहा है।

अब मैं उनके दोनों पैरों को खोलकर बड़ी तेजी से धक्के दे रहा था मैंने उन्हें बड़ी तेज गति से धक्के देना शुरू कर दिया। जब मैं उनको धक्के दे रहा था तो मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था और मैंने काफी देर तक उन्हें ऐसे ही धक्के दिए अब मैं उन्हें इतनी तेज गति से चोदने लगा था मुझे बहुत मजा आने लगा था। मैंने उनके दोनों पैरों को खोलकर बड़ी तेज गति से उनकी चूत पर प्रहार करना शुरू कर दिया था उनकी चूत पर प्रहार करने से मेरे अंदर की गर्मी बढ़ती जा रही थी और मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं बस उनको चोदता ही रहूं कुछ देर ऐसा करने के बाद उन्होंने मुझसे कहा मुझे घोडी बना दू। उन्होंने अपनी चूतडो को मेरी तरफ किया तो उनकी बडी चूतडो पर मैंने अपने हाथ से एक दो बार प्रहार किया उनकी गर्मी बढ़ने लगी थी। मैंने उनकी चूत में अपने लंड को डालकर उनकी इच्छा को पूरा किया और काफी देर तक उन्हें चोदता रहा फिर मैं वापस लौट आया था।
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माल मुंह में ले लो


कविता और मैं बेंगलुरु में ही नौकरी करते हैं हम दोनों की शादी को एक वर्ष हो चुका है हम दोनों की शादी बेंगलुरु में ही हुई हम दोनों अपने परिवार से काफी दूर हैं हम दोनों के परिवार दिल्ली में रहते हैं। मेरी मुलाकात कविता से बेंगलुरु में ही हुई थी जब भी हम लोग इस बारे में बात करते हैं तो हम दोनों बहुत खुश हो जाते हैं क्योंकि जिस प्रकार हम दोनों की मुलाकात हुई और हमारी जिस तरह से नजदीकियां बढ़ती चली गई उससे हम दोनों आज भी काफी खुश हो जाते हैं कविता ने मेरा साथ हमेशा ही बखूबी निभाया है। एक दिन कविता ने मुझे कहा कि रोहित आज हम लोगों की ऑफिस की छुट्टी है तो हम लोग शॉपिंग कर आते हैं मैंने कविता से कहा ठीक है कविता हम लोग आज शॉपिंग करने के लिए चलते हैं।

हम दोनों उस दिन मॉल में शॉपिंग करने के लिए चले गए हम दोनों शॉपिंग करने के बाद कुछ देर फूड कोर्ट में ही बैठे हुए थे हम दोनों वहां बैठे हुए थे तभी मुझे उस दिन रमन मिला रमन पहले हमारे ऑफिस में काम किया करता था लेकिन उसने वहां से नौकरी छोड़ दी थी। रमन जब हम दोनों को मिला तो वह हमसे पूछने लगा कि तुम दोनों की शादीशुदा जिंदगी कैसी चल रही है हम दोनों ने कहा कि हमारी शादी शुदा जिंदगी तो अच्छी चल रही है लेकिन तुम बताओ तुम इतने समय बाद मिल रहे हो रमन ने बताया कि वह अब विदेश में रहता है। मुझे यह बात पता नहीं थी और उसकी नौकरी वही किसी कंपनी में लग चुकी थी रमन के साथ हम लोग काफी देर तक बैठे हुए थे रमन ने कहा कि कुछ दिनों के बाद उसकी शादी है इसलिए वह बेंगलुरु आया है। उसने हम दोनों को अपनी शादी में इनवाइट किया तो मैंने रमन को कहा कि रमन हम लोग तुम्हारी शादी में जरूर आएंगे हम लोग काफी देर तक एक दूसरे के साथ बैठे रहे फिर कविता और मैं घर वापस चले आए। जब हम लोग घर आए तो कविता मुझे कहने लगी कि रोहित मैं कुछ दिनों से सोच रही थी कि मैं मम्मी और पापा को यहां बुला लूं मैंने कविता से कहा कि कविता यदि तुम्हें ऐसा लगता है तो तुम उन्हें यहां बुला लो।

कविता ने मुझे कहा कि ठीक है मैं कल मम्मी पापा से इस बारे में फोन पर बात करती हूं। हम लोगों ने जब अगले दिन मम्मी पापा को फोन किया तो उन्होंने आने से मना कर दिया क्योंकि पापा के ऑफिस में कुछ ज्यादा ही काम था इसलिए वह आ नहीं सकते थे। कविता मुझे कहने लगी कि रोहित कुछ दिनों के लिए हम लोग दिल्ली हो आते हैं काफी दिन हो चुके हैं हम लोग दिल्ली भी नहीं गए हैं। मैंने कविता से कहा कि ठीक है हम लोग दिल्ली हो आते हैं और कुछ समय बाद मैंने अपने ऑफिस में छुट्टी के लिए अप्लाई कर दिया था और कविता ने भी छुट्टी के लिए अप्लाई कर दिया था हम दोनों को ऑफिस से छुट्टी मिल चुकी थी और कुछ दिनों के लिए हम लोग दिल्ली चले गए। जब हम लोग घर गए तो पापा और मम्मी बहुत खुश थे कुछ समय तक हम लोग घर पर ही रुके और फिर हम लोग कविता के मम्मी पापा से भी मिले। वह लोग कहने लगे कि तुम लोग दिल्ली कब तक रुकने वाले हो तो हमने उन्हें कहा कि हम लोग बस दो-तीन दिन बाद बेंगलुरु चले जाएंगे। उसके बाद हम लोग बेंगलुरु चले आए जब हम लोग बेंगलुरु वापस आए तो उस दिन मुझे रमन ने फोन किया और रमन कहने लगा कि मेरी शादी है मैंने तुम्हें कहा था कि तुम मेरी शादी में जरूर आना। मैंने रमन से कहा कि हां मुझे याद है मैं तुम्हारी शादी में जरूर आ जाऊंगा और हम लोग रमन की शादी में भी गए रमन की शादी अटेंड करने के बाद हम लोग घर वापस आ गए थे। रमन को हमने उसके नए जीवन की शुरुआत की बधाई दी तो रमन भी बहुत खुश हो गया था अब हम लोग वापस चले आए थे। अगले दिन हम लोगों को अपने ऑफिस जल्दी जाना था और हम दोनों अगले दिन अपने ऑफिस चले गए लेकिन कुछ दिनों से कविता की तबीयत ठीक नहीं थी तो कविता मुझे कहने लगी कि कुछ दिनों से मेरी तबीयत ठीक नहीं है। मैं कविता को डॉक्टर के पास ले गया तो डॉक्टर ने उसे आराम करने की सलाह दी उस दिन कविता ने आराम किया और फिर जब मुझे पता चला कि कविता गर्भ से है तो मैं बहुत ज्यादा खुश हो गया मैंने यह बात अपने मम्मी पापा को भी बताई वह लोग भी काफी खुश थे। मैंने उस दिन कविता से कहा कि कविता हम लोग घर में किसी काम वाली बाई को रख लेते हैं तो कविता कहने लगी कि नहीं रोहित मैं घर का काम संभाल लूंगी।


मैं चाहता था कि हम लोग किसी को घर पर काम के लिए रखे इसलिए मैंने कविता से जब यह कहा तो उसने मुझे मना कर दिया लेकिन मेरे ही कहने पर हम लोगों ने एक काम वाली बाई को घर पर रख लिया वह घर का सारा काम करने लगी घर की साफ-सफाई से लेकर खाना बनाने तक का काम वह करने लगी उसका नाम कांता है। कांता एक शादीशुदा महिला है और उसकी उम्र 35 वर्ष के आसपास है। कांता घर का काम अच्छे से संभाल रही थी एक दिन कांता ने मुझ कहा मुझे कुछ पैसों की आवश्यकता है मेरे बच्चे की तबीयत खराब है। मैंने उस दिन उसे पैसे दे दिए थे लेकिन वह कुछ दिनों से मुझसे पैसे की डिमांड कुछ ज्यादा ही करने लगी थी। एक दिन मैंने उसे कहा देखो कांता मैं तुम्हें हर रोज तो पैसे नहीं दे सकता। वह मुझे कहने लगी साहब मुझे पैसे की जरूरत होती है मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था। एक दिन मैंने उसे अपने कमरे में बुलाया उस दिन मैं घर पर ही था कविता अपनी सहेली से मिलने के लिए गई थी। मैंने जब उसे अपने कमरे में बुलाया तो मैंने उसे अपने सामने बैठाया और कहा तुम्हें पैसे की क्यों जरूरत पड़ती है। वह मुझे कहने लगी साहब मेरा पति बहुत शराबी है वह कुछ नही करता।

मैं उसकी तरफ देख रहा था काफी दिनों से मैंने संभोग नहीं किया था। मैंने उसे कहा मैं आज तुम्हें पैसे दूंगा लेकिन तुम्हें उसके बदले मेरी इच्छा पूरी करनी होगी वह समझ चुकी थी कि मैं उससे क्या चाहता हूं। उसने मेरे सामने अपनी साड़ी को उतार दिया वह मेरे सामने नंगी हो गई। उसने मेरे अंडरवियर के अंदर से जब मेरे लंड को बाहर निकाला और उसे अपने हाथों में लेकर हिलाना शुरू किया तो मुझे बहुत अच्छा लगने लगा वह ऐसा ही काफी देर तक करती रही। जब उसने अपने मुंह के अंदर लंड लेकर चूसना शुरू किया तो मैंने उसे कहा तुम बहुत अच्छे से मेरे लंड को चूस रही हो वह खुश हो गई और कहने लगी साहब आपका लंड तो बहुत ही मोटा है। मैंने उसे कहा कि तुम ऐसे ही लंड को अपने मुंह में लेती रहो उसने बहुत देर तक अपने मुंह के अंदर मेरे लंड को लिया। जब मैंने उसे बिस्तर पर लेटाया तो मैंने उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करना शुरू कर दिया मेरा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था तो मुझे बहुत मजा आने लगा था वह भी बहुत ज्यादा खुश थी। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत मजा आ रहा है आप ऐसे ही मुझे धक्के देते रहिए। मैंने उसकी चूत बड़े अच्छे से मारी वह जब पूरी तरीके से संतुष्ट हो गई तो मुझे कहने लगी साहब क्या मैं जाऊ। मैंने उसे कहा मेरी इच्छा अभी तक पूरी नहीं हुई है मैंने उसके स्तनों के बीच में अपने लंड को रगडना शुरू किया उसके स्तनों के बीच दरार में जब मैं अपने लंड को अंदर बाहर करता तो मुझे मजा आता। वह भी बहुत ही ज्यादा खुश हो रही थी उसने मुझे कहा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मैंने उसे कहा मुझे भी बहुत मजा आ रहा है और काफी देर का हम लोग ऐसा ही करते रहे। मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुका था उसके बाद मैंने उसके पैरों को खोलकर उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दिया जब मैंने उसकी चूत में अपने लंड को प्रवेश करवाया तो वह जोर से चिल्लाते हुए कहने लगी मेरी चूत में बहुत दर्द हो रहा है।

मैंने उसके पैरों को अब अपने कंधों पर रख लिया था जिस वजह से वह बहुत ज्यादा उत्तेजित होने लगी थी मैं उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करता जा रहा था उसकी उत्तेजना बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी। हम दोनों की गर्मी अब बहुत अधिक होने लगी थी मैंने उसे घोडी बना दिया घोडी बनाने के बाद में उसे जिस प्रकार से चोद रहा था वह मेरा साथ बहुत अच्छे से दे रही थी। मुझे इतना मजा आने लगा था कि मैं उसे कहने लगा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मैं उसकी चूतड़ों पर जब अपने हाथ से प्रहार करता और उसकी चूतड़ों की तरफ देखता तो उसकी चूतडे बहुत ज्यादा लाल होने लगी थी लेकिन उसकी चूत के अंदर बाहर मै बड़ी तेजी से अपने लंड को किए जा रहा था जिस कारण उसकी चूत से बहुत ज्यादा पानी बाहर निकल आया था और जल्द ही वह झड़ने वाली थी।

उसने मुझे कहा साहब मैं झड़ने वाली हूं अब मेरी इच्छा पूरी हो चुकी है मैं ज्यादा देर तक आपका साथ नहीं दे पाऊंगी। मैंने अपने लंड को बाहर निकाला और कहा तुम लंड को अपने मुंह में लेकर चूसो जब तक कि पानी बाहर नहीं आ जाता। उसने मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया और उसे चूसने लगी वह मेरे लंड को चूस रही थी उसे अच्छा लगने लगा था मेरे लंड से बहुत ही ज्यादा पानी निकलने लगा था। जल्द ही मेरा वीर्य बड़ी तेजी से बाहर की तरफ को निकाल रहा था उसके मुंह के अंदर मेरा वीर्य चला गया। मुझे बहुत ही अच्छा लगा कि उसके मुंह के अंदर मेरा वीर्य जा चुका था उसने वह अंदर निगल लिया। उसके बाद वह अपने कपड़े पहनते हुई वहां से चली गई। वह अपनी चूतड़ों को मटकाते हुए वहां से चली गई थी। मेरा जब भी मन करता तो मैं उसे कमरे में बुलाकर चोद लिया करता।
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लडकी पास आकर बोली चोद लो मुझे


मैं अपनी पत्नी गीतिका के साथ बैठा हुआ था हम दोनों सोफे पर बैठे हुए थे और बात कर रही थे गीतिका ने मुझे कहा कि संजीव आज हम लोग भैया के घर चलते हैं। गीतिका के भैया भी हमारे पड़ोस में ही रहते हैं तो मैंने सोचा कि क्यों ना आज हम लोग उनसे मिल आए वैसे भी काफी दिन हो गए थे हम लोग उनसे मिल भी नहीं पाए थे और गीतिका भी यही चाहती थी। हम दोनों गीतिका के भैया के घर चले गए उनका ट्रांसफर अभी कुछ समय पहले ही कोलकाता में हुआ था। मुझे कोलकाता में नौकरी करते हुए करीब 8 वर्ष हो चुके हैं मेरे माता पिता झारखंड में रहते हैं। हम दोनों उस दिन गीतिका के भैया रवि के घर चले गए। हम लोगों ने उनके घर की डोर बेल बजाई जब उन्होंने दरवाजा खोला तो वह हम लोगों को देखकर बहुत खुश हुए उन्होंने हमें अंदर आने के लिए कहा हम लोग अंदर चले गए और उनकी बैठक में बैठे हुए थे तभी उनकी पत्नी भी आ गई और वह कहने लगी कि तुम लोग कैसे हो काफी दिन हो गए तुम लोग घर भी नहीं आए।

गीतिका ने कहा कि भाभी दरअसल समय ही नहीं मिल पाता इसलिए हम लोगों का आना भी नहीं हो पाता आज हम दोनों ही घर पर थे तो सोचा आप से मिल आते हैं। गीतिका के भैया भी हम लोगों के हाल-चाल पूछने लगे और हम लोग उनके घर पर करीब 3 घंटे तक रुके उसके बाद हम लोग वापस आ गए। जब हम लोग वापस आए तो गीतिका मुझे कहने लगी कि संजीव हम लोग कुछ ज्यादा ही बिजी हो गए हैं हम लोगों के पास वाकई में बिल्कुल समय नहीं है। मैंने गीतिका को कहा कि लेकिन तुम ऐसा क्यों कह रही हो तो उसने मुझे बताया कि वह चाहती है कि कुछ समय के लिए हम लोग घूमने के लिए कहीं जाएं। मैंने भी गीतिका को कहा कि गीतिका मुझे थोड़ा समय चाहिए होगा तुम तो जानती ही हो कि मुझे ऑफिस से छुट्टी मिलना कितना मुश्किल होता है लेकिन फिर भी मैं कोशिश करूंगा कि जल्द से जल्द मुझे ऑफिस से छुट्टी मिले और हम लोग कहीं घूमने जाएं गीतिका और मैं साथ में घूमने के लिए जाना चाहते थे।

उस दिन शाम के वक्त गीतिका और मैं शॉपिंग करने के लिए चले गए शॉपिंग करने के दौरान हम लोगों को काफी देर हो चुकी थी इसलिए हम लोगों ने उस दिन बाहर से ही डिनर कर लिया था। जब हम लोग घर पहुंचे तो गीतिका मुझे कहने लगी कि संजीव क्या तुम्हें वह दिन याद है जब हम लोग पहली बार मिले थे मैंने गीतिका से कहा कि लेकिन उस वक्त तुम बहुत शरमा रही थी और तूमने मुझसे बात भी नहीं की थी लेकिन धीरे-धीरे हम लोगों की बातें होने लगी थी। हम दोनों उस दिन एक दूसरे से काफी देर तक बात करते रहे रात भी काफी हो चुकी थी तो मैंने गीतिका से कहा कि मुझे अब नींद आ रही है और कल सुबह मुझे ऑफिस भी जाना है गीतिका कहने लगी कि ठीक है संजीव आप सो जाइए मुझे भी कल सुबह अपने स्कूल जाना है। गीतिका स्कूल में पढ़ाती है और अब हम दोनों ही सो चुके थे अगले दिन सुबह हम लोग जल्दी तैयार हो चुके थे मैं अपने काम पर निकल चुका था और गीतिका भी अपने स्कूल के लिए निकल चुकी थी। स्कूल घर से ज्यादा दूर नहीं था इसलिए वह पैदल ही जाया करती थी मेरा ऑफिस मेरे घर से करीब आधे घंटे की दूरी पर था और जब मैं ऑफिस पहुंचा तो ऑफिस में काफी ज्यादा काम था इसलिए घर लौटने में मुझे देर हो गई थी। संजना ने मुझे कहा कि आपने छुट्टी की बात की तो मैंने संजना से कहा की मुझे थोड़ा समय चाहिए इतनी जल्दी भी मैं तुम्हें बता नहीं सकता। अब इस बात को करीब 15 दिन हो चुके थे 15 दिनों बाद मैंने अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली थी गीतिका और मैं कहीं घूमने के लिए जाना चाहते थे। मैंने गीतिका से कहा कि हम लोग घूमने कहां जाएंगे तो गीतिका ने मुझे कहा कि हम लोग गोवा चलते हैं गोवा इस वक्त जाना ठीक रहेगा। मैंने गीतिका से कहा कि लेकिन हम लोग गोवा तो पहले भी जा चुके हैं गीतिका मुझे कहने लगी कि वह तो काफी साल पहले की बात हो चुकी है। हम दोनों ही अपनी शादी के बाद गोवा घूमने गए थे लेकिन गीतिका के कहने पर मैंने गोवा की टिकट बुक करवा ली और हम लोगों अब गोवा जाने की तैयारी करने लगे थे।

गीतिका ने सारा सामान पैक कर लिया था और हम लोग अगले दिन निकल गए मैंने सारी व्यवस्था पहले से ही कर दी थी इसलिए हमें किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हुई। एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद ही हमें वहां पर होटल से कार रिसीव करने के लिए आ गई थी और हम लोग उस कार से होटल तक पहुंचे। गीतिका बहुत ज्यादा खुश थी वह मुझे कहने लगी कि संजीव मैं तो बहुत खुश हूं और कितने सालों बाद हम लोग गोवा आ रहे हैं लेकिन अभी भी ऐसा लग रहा है जैसे कि हम लोगो की शादी अभी कुछ समय पहले ही हुई हो। मैंने गीतिका से कहा कि हां तुम यह तो ठीक कह रही हो और उस दिन हम लोग जब घूमने के लिए बाहर निकले तो हम लोगों को वहां पर नये शादीशुदा जोड़े दिखाई दे रहे थे तो हम लोग अपने कुछ पुरानी यादों को ताजा करने लगे। गीतिका मुझे कहने लगी कि संजीव जब हम लोग यहां आए थे तो हमें कितना अच्छा लगा था और तुम कितना खुश थे और मैं भी बहुत खुश थी।

हम दोनों अपनी पुरानी यादों को ताजा कर रहे थे और उस दिन हम लोग करीब 11:00 बजे होटल में वापस लौटे। रात को हम दोनों से होटल पहुंचे तो गीतिका का सेक्स करने का मन था वह मुझसे आकर लिपट गई और मुझे कहने लगी मुझे तुम चोदो। मैंने भी उसकी इच्छा को पूरा किया रात भर मैंने गीतिका के साथ चुदाई का आनंद लिया अगले दिन सुबह गीतिका बाथरूम में नहा रही थी और मैं बाहर लॉन में बैठा हुआ था। मैंने गीतिका से कहा था तुम बाहर लॉन में ही आ जाना उसने कहा ठीक है मैं बाहर ही आ जाऊंगी लेकिन मुझे नहीं पता था कि वह काफी समय लगाएगी। मै बैठा हुआ था तभी एक मिनी स्कर्ट में 25 साल की लड़की आई वह मेरे सामने बैठी हुई थी वह अपने बॉयफ्रेंड से बात कर रही थी मैं उसे देख रहा था। जब वह अपने बॉयफ्रेंड से बात कर रही थी तो वह उस से अश्लील बातें करने लगी थी मैं उसकी तरफ देख रहा था उसे भी यह बात पता चल चुकी थी उसने फोन रखा और मेरी तरफ आई। वह कहने लगी क्या तुम मेरी चूत की खुजली मिटा सकते हो। मैं उसके चेहरे की तरफ देख कर इधर-उधर देखने लगा मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसा कभी हो सकता है। मैंने उससे उसका नाम पूछा उसने मुझे कहा मेरा नाम रवीना है मैंने उसे कहा लेकिन रवीना क्या यह सब ठीक है। वह कहने लगी मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है और हम दोनों ही वहां से होटल के बाथरूम में चले आए। हम दोनों वहां पर अकेले थे अब उसने मेरी पैंट की चैन को खोलते हुए मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और उसे अपने मुंह के अंदर ले लिया। उसने ऐसा किया तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था मैं उसे कहने लगा तुम लंड और अंदर तक ले लो। वह मेरे लंड को अपने अंदर तक लेने लगी उसने अपने मुंह के अंदर तक मेरे लंड को समा लिया था उसे बहुत ही अच्छा लग रहा था। काफी देर तक उसने ऐसा ही किया लेकिन जब उसके अंदर की गर्मी बढने लगी तो मैंने उससे कहा तुम अपने कपड़े उतार दो। उसने अपने कपड़े उतारे कुछ देर तक मैं उसके स्तनों को चूसता रहा जब मैं उसके बूब्स को चूस रहा था तो उसे बहुत अच्छा लग रहा था। वह तडपने लगी थी और कहने लगी मेरी तडप बढ़ने लगी है।

मैंने भी उसकी चूत को कुछ देर तक चाटा और उसकी चूत को चाटने के बाद मैंने उसकी गर्मी को बढ़ा दिया था मैंने अपने लंड पर थूक लगाया। वह कहने लगी आप अपने लंड को थोड़ा धीरे से डालना मैंने उसे कहा ठिक है। उसने बताया इससे पहले भी कई बार उसने अपने बॉयफ्रेंड के साथ सेक्स किया था। उसका फिगर देखकर मेरा माल लंड से बाहर की तरफ को गिरने वाला था मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर लगाया और अंदर की तरफ डालना शुरू किया। मेरा लंड उसकी चूत मे चला गया तो मुझे एहसास हुआ कि उसकी चूत बहुत ज्यादा टाइट है। मेरा लंड उसकी चूत में पूरी तरीके से सेट हो चुका था वह भी अब चिल्लाने लगी थी। मैंने उसे कहा मुझे चोदने मे मजा आ रहा है। वह कहने लगी आपने मेरी खुजली को मिटा दिया है। उसकी चूतडे देखकर मैं उसे धक्के मारने लगा था मुझे उसे धक्के मारने में मजा आ रहा था और वह भी मुझसे अपनी चूतडो को मिलाए जा रही थी। काफी देर तक ऐसा करने के बाद अब हम दोनों ही पूरी तरीके से उत्तेजीत हो गए थे।

वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत मजा आ रहा है लेकिन वह जिस प्रकार से अपनी चूतडो को मुझसे टकरा रही थी उससे उसकी गर्मी कुछ ज्यादा बढने लगी जिसे मै बर्दाश्त नहीं कर पाया मैंने उसकी चूत के अंदर वीर्य को गिरा दिया। मैने उसे रुमाल दिया उसने अपनी चूत साफ ली। मैने दोबारा से उसकी टाइट चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दिया वह बहुत ज्यादा खुश थी और मुझे कहने लगी मुझे ऐसे ही धक्के देते रहिए। मैंने उसे कहा मुझे बहुत मजा आ रहा है और वह वाकई में ऐसा महसूस हो रहा है जैसे कि तुम्हारी चूत में लंड अंदर बाहर करता रहूं। काफी देर तक हम लोगों ने ऐसे ही एक दूसरे के साथ मजे किए और फिर मेरा वीर्य गिर जाने के बाद मैंने उसे कहा हम लोगों को यहां से चलते हैं। हम दोनों ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और मैं वहां से बाहर चला गया उसके बाद तो मुझे रवीना नहीं मिली लेकिन मैंने रात के वक्त गीतिका के साथ सेक्स किया और गोवा में जितने दिन हम लोग रुके।
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मुझे टाइट चूत मारने में मजा आता है


मैं अपने ऑफिस से घर लौटा तो उस वक्त करीब 8:00 बज रहे थे मैं जब घर पहुंचा तो घर पहुंचते ही मां ने मुझे कहा कि राजेश बेटा तुम मेरे साथ गुप्ता जी की दुकान तक चलो हम लोगों को वहां से राशन लेकर आना है मैंने मां से कहा ठीक है मां मैं बस कपड़े बदल लेता हूं। मैंने कपड़े बदले और मैं मां के साथ गुप्ता जी की दुकान पर चला गया जब मैं वहां पर गया तो गुप्ता जी मुझसे पूछने लगे कि राजेश बेटा कैसे हो तो मैंने उन्हें कहा मैं तो अच्छा हूं आप बताइए आप की दुकान कैसी चल रही है। वह मुझे कहने लगे कि मेरी दुकान भी अच्छी चल रही है। मां ने गुप्ता जी को घर के सामान की पर्ची पकड़ा दी और उसके बाद गुप्ता जी ने अपने लड़के से कह कर हमारा सारा सामान पैक कर दिया मैंने उसे अपनी कार में रखा और मैं और मां घर वापस लौट आए। जब हम लोग घर वापस आए तो मां मुझे कहने लगी कि राजेश बेटा कल तुम मुझे तुम्हारी मौसी के घर छोड़ देना तो मैंने मां से कहा ठीक है मां मैं आपको कल मौसी के घर छोड़ दूंगा।

पापा के देहांत को हुए काफी वर्ष हो चुके हैं मैं और मां ही घर पर अकेले हैं इसलिए मुझे ही मां की देखभाल करनी पड़ती है। मां ने मुझे कुछ समय पहले कहा था कि बेटा तुम शादी कर लो लेकिन अभी मैं शादी नहीं करना चाहता था मेरी उम्र 28 वर्ष है और मैं चाहता हूं कि मैं दो वर्ष बाद शादी करूं मां और मैं इस बारे में अक्सर एक दूसरे से बात करते थे। मां कहती कि राजेश बेटा मुझे भी किसी का साथ मिल जाएगा क्योंकि मैं घर पर अकेली ही रहती हूं और तुम्हें तो मालूम है कि मेरी तबीयत भी ठीक नहीं रहती। मैंने मां से कहा ठीक है मां मैं इस बारे में सोच लूंगा लेकिन मुझे कुछ समय चाहिए, अक्सर मां मुझसे इस बारे में बात किया करती थी। अगले दिन मैंने मां को मौसी के घर पर छोड़ दिया था और वहां से मैं अपने ऑफिस चला गया मां ने मुझे कहा था कि बेटा तुम भी ऑफिस से लौटते वक्त मौसी के घर पर ही आ जाना मैंने मां से कहा ठीक है मां मैं भी ऑफिस से लौटते वक्त मौसी के घर पर ही आ जाऊंगा। मैं ऑफिस से लौटते वक्त मौसी के घर पर ही चला गया मैं जब मौसी के घर पर गया तो उस दिन मौसी घर पर अकेली ही थी मौसी से मैंने पूछा आज मौसा जी नजर नहीं आ रहे तो वह कहने लगी कि वह अपने काम के सिलसिले में बाहर गए हुए हैं।

मौसी के दोनों बेटे विदेश में पढ़ाई करते हैं मौसा जी का बिजनेस काफी अच्छा चलता है और वह लोग चाहते थे कि उनके बच्चे विदेश पढ़ने के लिए जाएं। हम लोग उस दिन मौसी के घर पर ही रुके और अगले दिन मैं वहां से अपने ऑफिस चला गया, शाम को मैं ऑफिस से लौटते वक्त मां को घर ले आया था। एक दिन मुझे मां ने कहा कि राजेश बेटा क्या तुम आज मेरे लिए डॉक्टर से दवाई ले आओगे? मां का इलाज एक डॉक्टर से चल रहा था जो कि हमें काफी समय से जानते हैं मैं आते वक्त वहां से मां के लिए दवाई ले आया था। मुझे भी अब लगने लगा था कि मुझे शादी कर लेनी चाहिए क्योंकि मां की तबीयत भी ठीक नहीं रहती थी और वह ज्यादा बीमार भी रहने लगी थी जिस कारण मैंने सोचा कि मुझे जल्द से शादी करनी पड़ेगी। मै शादी करने के लिए मान चुका था मां ने मेरे लिए कई रिश्ते देखे लेकिन मुझे कोई पसंद नहीं आई। मुझे मां हर रोज नई नई लड़कियों की तस्वीर दिखाया करती और कहती की बेटा यह तुम्हारे लिए ठीक है लेकिन मैं मां से कहता की मां मुझे इनमें से कोई भी पसंद नहीं है। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मुझे कैसी लड़की से शादी करनी है मैं काफी दुविधा में था। एक दिन मैं मौसी के घर पर गया हुआ था और उस दिन मौसी के पड़ोस में रहने वाली एक लड़की उनके घर पर आई हुई थी उसका नाम कविता था। कविता को मैंने जब पहली बार देखा तो उसे देख कर ही जैसे मैं उसकी तरफ आकर्षित हो गया था और मैं चाहता था कि कविता से ही मैं शादी करूं लेकिन मुझे कविता के बारे में ज्यादा कुछ जानकारी नहीं थी और ना ही मुझे उसके बारे में कुछ पता था। धीरे-धीरे मैंने कविता के बारे में पता करवाना शुरू किया तो मुझे पता चला कि कविता भी जॉब करती है और अब मैं कविता के नजदीक जाना चाहता था उसके लिए मैंने अपनी मौसी से कहा तो मेरी मौसी ने मेरी मदद की।

मौसी ने हीं हम दोनों की मुलाकात करवाई थी अब हम दोनों का परिचय हो चुका था और एक दूसरे के साथ हम दोनों डेट भी करने लगे थे मुझे कविता का साथ अच्छा लगने लगा था और यह बात मुझे पता थी कि मुझे कविता से शादी करनी है लेकिन मैं चाहता था कि कविता के बारे में मुझे पता हो और वह भी मेरे बारे में जाने। कविता ने मुझे अपने बारे में सब कुछ बता दिया था और मैंने भी कविता को अपने बारे में सब कुछ बता दिया था हम दोनों को एक दूसरे का साथ अच्छा लगने लगा था। एक दिन मैंने कविता को अपने दिल की बात कह दी और उसके बाद तो जैसे बात आगे बढ़ने लगी, मेरी मां ने कविता के घर मेरी शादी का रिश्ता भिजवाया तो वह लोग भी मुझसे कविता की शादी करवाने के लिए तैयार हो चुके थे। किसी को भी कोई आपत्ति नहीं थी और जल्द ही हम दोनों की सगाई होने वाली थी मैं इस बात से बहुत खुश था कि हम दोनों की सगाई होने वाली है। कविता और मैं एक दूसरे को हर रोज मिला करते और मुझे कविता से मिलना अच्छा लगता है। एक दिन मै मौसी के घर पर गया हुआ था उस दिन मौसी ने मुझे कहा राजेश बेटा तुम घर पर ही रहना मैं बस थोड़ी देर बाद आती हूं।

मैंने मौसी से कहा ठीक है मौसी मैं घर पर ही हूं मैं घर पर काफी देर तक था लेकिन मौसी अभी तक आई नहीं थी। मैंने सोचा क्यों ना कविता को बुला लिया जाए और मैंने कविता को वहां बुला लिया। कविता और मैं साथ में बैठे हुए थे मैंने कविता की जांघ पर हाथ रखा और उसे कहा अब तो हमारी सगाई होने वाली है। वह मुझे कहने लगी राजेश लेकिन मैं यह सब शादी के बाद करूंगी मैंने उससे कहा मेरा आज तुम्हारे साथ सेक्स करने का मन है और आज मौका भी बहुत अच्छा है शायद ऐसा मौका हम दोनों को फिलहाल तो नहीं मिलने वाला। कविता ने भी कुछ देर सोचा और आखिरकार वह मेरे बाहों में आ ही गई। जब वह मेरी बांहो मे आई तो हम दोनों एक दूसरे को चुम्मा चाटी करने लगे और हमें काफी मज़ा आने लगा था। हम दोनों को बहुत अच्छा महसूस हो रहा था अब मैंने कविता के कपड़े उतारने शुरू किए। जब मैं कविता के कपड़े उतार रहा था तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था और जिस प्रकार से मैंने उसके कपड़े उतारे उससे मैं इतना ज्यादा गर्म होने लगा कि मैंने उसे कहा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है काफी देर तक मैंने उसके बदन को महसूस किया। जब मैंने उसके बूब्स को चूसना शुरू किया तो वह मचलने लगी अब उसका बदन मेरे सामने पूरी तरीके से नंगा हो चुका था मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया उसकी चूत को मैं जब चाट रहा था तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था उसकी चूत से पानी बाहर निकलने लगा था। मैंने कविता से कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह में ले लो और कविता ने अपने मुंह के अंदर मेरे लंड को ले लिया। जब उसने ऐसा किया तो मुझे बहुत अच्छा लगने लगा कविता बहुत ज्यादा खुश थी कविता को ऐसा करने मै मजा आने लगा। मैंने कविता के दोनों पैरों को खोलकर अपने लंड को उसकी चूत पर लगाया तो वह कहने लगी राजेश मुझे डर लग रहा है तुम धीरे-धीरे अपने लंड को चूत में घुसाना। मैंने उसे कहा तुम बिल्कुल चिंता मत करो मैं धीरे-धीरे ही तुम्हारी चूत में लंड घुसाऊंगा। यह कहते हुए मैंने उसकी योनि के अंदर लंड डालना शुरू किया जैसे ही मेरा लंड उसकी योनि के अंदर तक चला गया तो वह चिल्लाई तुमने तो मेरी सील तोड दी है।

मैंने उसकी योनि की तरफ देखा तो उसकी योनि से खून बाहर निकलने लगा था मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैने उसकी चूत से खून निकाल दिया था मैने उसके दोनों पैरों को चौडा कर लिया था जिससे कि आसानी से मेरा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था जिस से कि वह बहुत ही ज्यादा उत्तेजित होने लगी थी और मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया और मैंने ऐसा किया तो उसकी चूतड़ों पर मे तेजी से प्रहार कर रहा था। उसकी चूतड़ों पर मुझे प्रहार करने में बहुत अच्छा लग रहा था मैं उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को बड़ी तेजी से किए जा रहा था जिससे उसकी सिसकियां में भी लगातार बढ़ोतरी होती जा रही थी और उसकी गर्मी इस कदर बढ़ने लगी थी कि वह मुझसे लिपटने लगी और कहने लगी अब मैं ज्यादा देर तक तुम्हारा साथ नहीं दे पाऊंगी। मैंने उसे कहा कोई बात नहीं तुम बस ऐसे ही लेटे रहो।

मैं अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर तेजी से कर रहा था मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने उसके दोनों पैरों को आपस में मिला लिया था जब मैंने ऐसा किया तो उसके अंदर गर्मी बढ़ती ही जा रही थी और मुझे मजा आने लगा था। उसकी चूत मुझे बहुत ज्यादा टाइट महसूस होने लगी मुझे लगने लगा कि शायद मैं ज्यादा देर तक अपने आपको नहीं रोक पाऊंगा और ऐसा ही हुआ हम दोनों ही ज्यादा देर तक अपने आपको नहीं रोक पाए। मेरा उसकी योनि के अंदर माल गिर दिया जब मैंने ऐसा किया तो वह कहने लगी हमने आज सुहागरात मना ली है। मैंने उसे कहा तुम्हें मजा नहीं आया तो वह कहने लगी मुझे तो बहुत ही अच्छा लगा और बहुत मजा आया। उसके कुछ समय बाद भी हम लोगों की सगाई हो गई सगाई हो जाने के बाद कविता भी तड़पने लगी और वह मुझसे कहती मुझे तुमसे मिलना है जब हम लोग मिलते तो एक दूसरे के साथ संभोग किया करते हैं।
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वह पल भूले नही भूलता


हम लोगों ने कुछ दिनों पहले ही नया घर लिया था उसमें ही हम लोग साफ सफाई का काम कर रहे थे क्योंकि हम लोगों को नए घर मे आए हुए अभी कुछ दिन ही हुए थे। मैंने और ममता ने घर की सारी सफाई कर दी थी और अब हम दोनों साथ में बैठे हुए थे तो ममता ने मुझे कहा कि रोहन आखिरकार हमारा घर लेने का सपना पूरा हो ही गया इतने बरसों से हम लोग कितनी मेहनत कर रहे थे लेकिन हम लोग अपना घर नहीं ले पाए थे। मैंने ममता से कहा ममता यह सब तुम्हारी मेहनत का भी नतीजा है ममता मुझे कहने लगी कि नहीं रोहन इसमें मैंने तुम्हारी कोई मदद नहीं की लेकिन मुझे यह मालूम है कि ममता की ही वजह से मैं आज घर ले पाया हूं। ममता और मैं दोनों ही नौकरी पेशा है इसलिए हम दोनों अपनी तनख्वाह में से आधे से ज्यादा पैसा बचाते थे जिससे कि हम लोगों के पास पैसे जमा होने लगे थे और हम लोग घर खरीद पाए।

मैं और ममता बहुत ही ज्यादा खुश है अब हम लोग अपने नए घर में आ गए थे और सब कुछ धीरे-धीरे अच्छा होने लगा था हमने अपने बच्चों का दाखिला भी नए स्कूल में करवा दिया था। मेरे और ममता के पास ज्यादा समय नहीं होता था। एक दिन ममता ने मुझे कहा कि रोहन मैं सोच रही हूं कि मैं दीदी से मिल आती हूं, ममता की दीदी हमारे पड़ोस में ही रहती है वह उस दिन अपनी दीदी को मिलने के लिए चली गई। मैं घर पर अकेला ही था तभी हमारे घर की डोर बेल बजी, जब डोर बेल बजी तो मैंने दरवाजा खोला दरवाजा खोलते ही मैंने सामने देखा एक व्यक्ति खड़े थे उनकी उम्र यही कोई 70 वर्ष के आसपास रही होगी। उन्होंने मुझे देखा और कहने लगे कि आप लोग कुछ समय पहले ही यहां रहने आए हैं तो मैंने उन्हें कहा की हां। उन्होंने बताया कि वह भी इसी कॉलोनी में ही रहते हैं और कॉलोनी के लोगों ने मिलकर एक प्रोग्राम रखा है उसमें मुझे भी उन लोगों ने इनवाइट किया। मैंने उन्हें कहा मैं जरूर आऊंगा और वह यह कह कर घर चले गए ममता भी अभी घर लौटी नहीं थी और मैं बच्चों के साथ खेल रहा था तो ममता भी घर आ गई।

ममता जब घर आई तो वह मुझे कहने लगी कि दीदी और उनके बच्चे कुछ दिनों के लिए विदेश जा रहे हैं मैंने ममता से कहा लेकिन वह लोग विदेश कब जा रहे हैं तो ममता ने मुझे बताया कि कुछ दिनों के लिए वह घूमने के लिए जा रहे हैं। शाम भी काफी हो चुकी थी इसलिए ममता भी अब रसोई में खाना बनाने का काम करने लगी। ममता खाना बना रही थी कि तभी ममता के हाथ पर गरम तेल गिर गया जिसकी वजह से उसका हाथ पूरा जल चुका था। मैं ममता को तुरंत ही अपने घर के पास एक छोटा सा क्लीनिक है वहां पर ले गया तो उन्होंने ममता को दवाई दे दी और ममता के हाथ पर मरहम पट्टी करने के बाद उन्होंने कहा कि आप कुछ दिनों के लिए आराम कीजिए। ममता का हाथ काफी जल चुका था इसलिए ममता को भी अब अपने ऑफिस से छुट्टी लेनी पड़ी और मैं ही घर का सारा काम देख रहा था हालांकि ममता मेरी इसमें मदद कर दिया करती थी। ममता ने अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली थी और थोड़े दिनों बाद ममता भी ठीक हो गई। एक दिन शाम को मैं अपने ऑफिस से लौटा तो उस दिन मैंने ममता से कहा कि ममता मुझे मेरे ऑफिस से कुछ दिनों के लिए बेंगलुरु भेज रहे हैं क्योंकि बेंगलुरु में कुछ जरूरी काम है। ममता कहने लगी कि लेकिन आप वहां से वापस कब लौटेंगे तो मैंने ममता से कहा कि यह तो मैं बता नहीं सकता लेकिन फिर भी एक महीना तो मान ही लो कि एक महीने तक मुझे वहां रहना पड़ेगा। ममता कहने लगी कि लेकिन आप कब जाएंगे तो मैंने ममता से कहा कि मैं दो दिन बाद बेंगलुरु के लिए निकल जाऊंगा ममता कहने लगी कि ठीक है मैं आपका सामान पैक कर देती हूं। ममता ने मेरा सामान बैग में पैक कर दिया था और दो दिन के बाद मैं बेंगलुरु जाने वाला था लेकिन ममता का हाथ अभी पूरी तरीके से ठीक नहीं हुआ था परंतु ममता अब ऑफिस जाने लगी थी। मैंने ममता से कहा कि ममता तुम अपना ध्यान तो रख पाओगी तो वह कहने लगी कि हां रोहन आप उसकी बिल्कुल भी चिंता मत कीजिए मैं अपना ध्यान रख लूंगी और बच्चों का ध्यान भी मैं रख लूंगी। मैंने और ममता ने साथ में डिनर किया और उसके अगले दिन मैं ऑफिस चला गया। दो दिन के बाद मुझे बेंगलुरु के लिए जाना था और सुबह के वक्त मेरी फ्लाइट थी मैं एयरपोर्ट टैक्सी से पहुंचा और उसके बाद मैं फ्लाइट से बेंगलुरु पहुंच गया।

कंपनी ने मेरे रुकने का सारा प्रबंध किया हुआ था इसलिए जिस जगह मैं रुकने वाला था वहां मैं चला गया और वहां अपना बैग रखने के बाद मैं नहाने के लिए चला गया उस वक्त काफी ज्यादा गर्मी हो रही थी। मैं जब नहा कर वापस लौटा तो मैंने देखा कि मेरे फोन पर ममता का फोन आ रहा था मैंने ममता को कॉल बैक किया और ममता से पूछा ममता की कुछ काम था क्या? वह मुझे कहने लगी कि नहीं रोहन बस ऐसे ही तुम्हें फोन कर रही थी तुम से बात नहीं हो पाई थी तो सोचा तुम से बात कर लेती हूँ। मैंने ममता को कहा ममता मैं पहुंच गया था बस तुम्हें फोन करने ही वाला था मेरी और ममता की उस दिन काफी देर तक बात हुई मैंने ममता से पूछा कि बच्चे ठीक तो है। वह कहने लगी हां बच्चे भी ठीक हैं और आप अपना ध्यान रखिएगा मैंने ममता से कहा ठीक है मैं अपना ध्यान रखूंगा और थोड़ी देर बाद मैंने फोन रख दिया। बैंगलोर मे मुझे संजना मिली उसकी सेक्स की भूख को वह मुझसे मिटाना चाहती थी।

मै उसे रूम मे ले आया अब मैंने उसे किस करना शुरू कर किया उसकी और मेरी जीभ आपस में टकरा रही थी। कभी वह अपनी जीभ को मेरे मुंह के अंदर डालती तो कभी मै अपनी जीभ को उसके अंदर डालता। कुछ मीनट तक हमारा किस ऐसे ही चलता रहा। मैं उसको अपने नीचे लेटा चूका था मैंने उसको कपडे उतारने को कहा उसने कपडे उतारे और वह नंगी हो गई। मैंने उसकी पैंटी ब्रा निकल कर साइड में फेंक दी उसने मेरे कपडे निकाले मैने उसे ऊपर से आने को कहा अब वह मेरे ऊपर से आ गयी और अपने बदन को मेरे ऊपर रगडने लगी वह गरम हो चुकी थी उसकी चूत से पानी निकल रहा था जिससे उसकी चूत पूरी गिली हो चुकी थी। मैं उसके स्तनो को दबा रहा था मैंने जोर से उसके स्तनो पर हाथ मारा। कुछ देर उसके स्तनो को चूसने के बाद वह मेरे लंड को चूस रही थी अब मेरा लंड उसके गले तक जा रहा था मैं जोर जोर से धक्के मर रहा था और वह मजे से चूस रही थी। मैंने लंड को उसके गले से बहार निकला। वह मुझे कहने लगी इस दिन का मैं काफी टाइम से इंतजार कर रही थी मेरी सेक्स की भूख आज तुम मिटा देना वह मेरे लंड को अपनी जीभ से चाट रही थी कुछ ही देर मे मेरा पानी निकलने लगा। अब उसके निपल्स को मैं चूसने लगा मैंने उसके सतनो को पूरा लाल कर दिया था। उसने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और मुझे कहने लगी मुझे चोदो। मै उसके बूब्स को जोर जोर से चूसने लग वह मेरा लंड चूस रही थी उसकी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी और मेरे अंदर की गर्मी भी बहुत ही ज्यादा बढ़ चुकी थी। मैंने उसकी चूत के अंदर उंगली डाली जब मैंने उसकी चूत पर उंगली डाली तो वह जोर से चिल्लाते हुए कहने लगी मुझे मजा आ गया।

मैंने उसे कहा मजा तो मुझे भी बहुत आ रहा है अब मैंने भी अपने लंड पर तेल लगाते हुए अपने लंड को इतना ज्यादा चिकना बना दिया कि लंड उसकी चूत मे जाने के लिए बेताब था। संजना की चूत से बहुत ही ज्यादा पानी निकल रहा था जब मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को धक्का मारते हुए घुसाया तो वह जोर से चिल्लाई क्योंकि मैंने उसे अब घोड़ी बना दिया था इसलिए मुझे उसे चोदने में मजा आ रहा था। उसकी बड़ी गांड मेरे लंड से टकराती तो धराशाई हो रही थी मैने अपने लंड को उसकी चूत के अंदर जड तक घुसा दिया था जिससे कि वह जोर से चिल्लाती और कहती मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मुझे भी बड़ा आनंद आ रहा था। अब मैं उसे लगातार तेज गति से धक्के मार रहा था जिस गति से मैं उसको धक्के मार रहा था वह मुझे कहने लगी कसम से आज तो मजा ही आ गया।

अब उसने भी अपनी चूतड़ों को पीछे की तरफ से मिलाना शुरू कर दिया था जब वह ऐसा कर रही थी तो मुझे बहुत ही मजा आ रहा था और उसे भी बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने उसकी चूतड़ों को कस कर पकडे हुआ था मैं उसे कहता तुम अपनी चूतड़ों को मुझसे मिलाती रहो उसके अंदर की गर्मी लगातार बढ़ती जा रही थी। उसकी चूत मेरे लंड से माल को बाहर की तरफ खींचने लगी जिससे कि मुझे एहसास होने लगा कि कहीं मेरे माल थोड़ी देर में ही ना गिर जाए और मेरा वीर्य जल्दी गिरने वाला था। मुझे अब एहसास हो चुका था कि मेरा वीर्य पतन जल्दी होने वाला है और जैसे ही मेरा माल गिरने वाला था तो मैंने संजना से कहा मेरा वीर्य पतन होने वाला है और मैंने अपने वीर्य को उसकी योनि के अंदर गिरा दिया। मैंने अपने माल को उसकी चूत में गिराया तो वह खुश हो गई और मुझे कहने लगी आज मुझे बहुत मजा आ गया। मैं भी बहुत ज्यादा खुश था और संजना के कमसिन बदन को महसूस कर के मेरे अंदर दोबारा से गर्मी जागने लगी और मैंने उसके बालों को पकड़ते हुए अपने लंड की तरफ किया और उसने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर समा लिया। उसे वह तब तक चूसती रही जब तक मेरा वीर्य बाहर नहीं गिर गया और अब हम दोनों ने अपने कपड़े पहन लिए और कपड़े पहनने के बाद मैं काफी देर तक उसके साथ बैठा रहा। मैंने उससे बात की मैं सजना के साथ संभोग कर के बहुत ही खुश था वह भी मेरे साथ बहुत खुश थी इसलिए मैं उस पल को कभी अपनी जिंदगी में भूल नहीं सकता।
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ठंड मे कंबल के अंदर चुदाई


दोपहर के 2:00 बजे थे तभी घर की डोर बेल बजी, मैंने अपनी पत्नी से कहा कि अक्षिता जाकर देखना दरवाजे पर कौन है तो वह कहने लगी कि ठीक है रोहन मैं देखती हूं। उसने घर का दरवाजा खोला जब उसने दरवाजा खोला तो मैंने देखा कि मेरा दोस्त रवि है रवि काफी दिनों बाद मुझसे मिलने के लिए घर पर आया था। रवि और मैं एक साथ बैठे हुए थे रवि मुझे कहने लगा कि रोहन तुम तो घर की तरफ आते ही नहीं हो। मैंने रवि से कहा नहीं रवि ऐसी बात नहीं है मैं अपने काम में दरअसल बिजी था इस वजह से तुम्हारे घर की तरफ नहीं आ पाया मैं एक दिन सोच रहा था कि तुमसे मिलने के लिए आऊं लेकिन उस दिन भी मैं कुछ ज्यादा ही व्यस्त था इस वजह से तुम से मिल नहीं पाएगा। रवि मुझे कहने लगा कि मैंने सोचा कि आज तुमसे मिल ही लेता हूं मैंने रवि से कहा क्या तुम सिर्फ मुझसे मिलने आए थे या अपने किसी और काम के सिलसिले में भी यहां आए थे तो रवि ने मुझे बताया कि वह अपने किस परिचित के घर आया था वह हमारे घर के पास में ही रहते हैं।

हम दोनों बात कर रहे थे कि तभी मेरी पत्नी अक्षिता हम दोनों के लिए चाय ले आई। अक्षिता जब हम लोगों को ले चाय लाई तो हम दोनों ने चाय पी और चाय पीते पीते हम लोगों ने बात की हम लोगो को बात करते हुए काफी देर हो गई थी। मैंने रवि से पूछा कि तुम्हारा काम कैसा चल रहा है रवि ने कहा मेरा काम अच्छा चल रहा है रवि और मैं एक दूसरे को पिछले 10 वर्षों से जानते हैं इन 10 वर्षों में रवि और मेरी दोस्ती काफी गहरी हो गई है। मुझे आज भी वह दिन याद है जब मेरा एक्सीडेंट हुआ था और उसके बाद रवि मुझे अस्पताल लेकर गया था उस वक्त मेरी शादी भी नहीं हुई थी और रवि ने उस वक्त मेरी बहुत मदद की थी। उस दिन रवि ने हीं मुझे अस्पताल पहुंचाया था और उसने जब मुझे अस्पताल पहुंचाया तो मैं उस वक्त काफी गंभीर रूप से घायल था। मैंन यह बात जब रवि को बताई तो रवि भी कहने लगा कि रोहन अब इस बात को छोड़ो और तुम यह बताओ कि मैं कुछ दिनों के लिए शिमला जाने के बारे में सोच रहा था क्या तुम और भाभी भी हमारे साथ चलोगे। मैंने रवि से कहा कि रवि मैं देखता हूं मैं तुम्हें इस बारे में अभी तो नहीं बता सकता लेकिन तुम मुझे दो दिन का समय दो, दो दिन बाद मैं तुम्हें इस बारे में बताता हूं।

मैंने रवि को जब यह बात कही तो वह कहने लगा ठीक है तुम दो दिनों बाद मुझे यह बात बताना और दो दिन बाद मैंने रवि को कहा कि हम लोग भी शिमला चलने के लिए तैयार हैं। हम लोग शिमला जाने के लिए तैयार थे मैंने यह बात जब अक्षिता को बताई तो अक्षिता बहुत ही खुश थी और वह मुझे कहने लगी कि काफी दिनों बाद हम लोग कहीं घूमने के लिए जा रहे हैं। हम लोगों को करीब 6 महीने हो गए थे 6 महीने पहले ही हम लोग जयपुर से होकर आए थे लेकिन शिमला जाना हमारे लिए ज्यादा अच्छा था क्योंकि उस वक्त दिल्ली में काफी ज्यादा गर्मी हो रही थी। हम लोग शिमला जाने के लिए अपना सामान पैक कर रहे थे, अक्षिता और मैं सामान पैक कर रहे थे हमने बच्चों का भी सामान पैक कर दिया था अगले दिन हम लोग सुबह बस से ही शिमला के लिए निकल गए, रवि और उसका पूरा परिवार भी साथ था। हम लोग जब शिमला पहुंचे तो वहां पर रवि ने पहले से ही होटल में रहने का बंदोबस्त किया हुआ था तो शिमला पहुंचते ही हम लोग होटल में चले गए जहां पर रवि ने हमारे रुकने की व्यवस्था की हुई थी। हम लोग जब वहां पर गए तो कुछ देर तक तो हम लोगों ने आराम किया और फिर शाम के वक्त हम लोग टहलने के लिए निकल पड़े। हम लोग पैदल पैदल ही घूम रहे थे मैं और रवि बात करते-करते काफी आगे आ गए थे जब हम लोगों ने पीछे मुड़कर देखा तो अक्षिता और बच्चे नहीं थे और ना ही रवि की पत्नी हमारे पीछे थी मैंने अक्षिता को फोन किया तो अक्षिता कहने लगी कि हम लोग अभी आ रहे हैं। वह लोग कुछ सामान लेने लगे थे, हम लोग वहीं रुक गए वहीं सामने पर एक सीट थी हम लोग वहां पर जाकर बैठ गए वहां से काफी सुंदर नजारा दिख रहा था। हम लोग काफी देर तक वहां बैठे रहे रवि और मैं आपस में बात कर रहे थे तभी मैंने देखा कि अक्षिता और रवि की पत्नी नंदिता आ रहे है उनके साथ बच्चे भी थे। जब अक्षिता और नंदिता आए तो मैंने उनसे कहा तुम लोग कहां रह गए थे तो वह कहने लगे कि हम लोग कुछ सामान खरीद रहे थे।

उन्होंने काफी सारा सामान खरीद लिया था, हम लोग काफी देर तक बाहर घूमते रहे और उसके बाद हम लोग वापस होटल लौटे। जब हम लोग वापस आए तो मौसम काफी ज्यादा सुहावना हो गया था ऐसा लग रहा था जैसे बस बारिश शुरू होने ही वाली है और थोड़ी ही देर बाद बारिश शुरू हो गयी बारिश काफी तेज हो रही थी जिससे कि मौसम बहुत ज्यादा ठंडा हो गया था। अक्षिता और मैं साथ में बैठे हुए थे बच्चे हमसे बात कर रहे थे और थोड़ी देर बाद बच्चे सो गए थे। मौसम काफी ज्यादा सुहाना हो चुका था इसलिए कहीं ना कहीं में भी अक्षिता के साथ चूत चुदाई का खेल खेलना चाहता था। हम दोनों बिस्तर के अंदर लेटे हुए थे हमने कंबल ओढ़ लिया था कंबल के अंदर अब धीरे-धीरे गर्मी बढ़ती जा रही थी। मैंने अपने हाथों को अक्षिता के स्तनों पर लगा दिया तो वह मुझे कहने लगी रोहन क्या आज आप मूड में हैं? मैंने उससे कहा अक्षिता तुम यही समझ लो मेरा आज बहुत ज्यादा मन है मैंने अब उसके स्तनों को बाहर निकाल कर उनका रसपान करने लगा। उसके स्तनो को रसपान करने में मुझे मजा आ रहा था और जिस प्रकार से मैं उसके स्तनों को चूस रहा था उससे मैं बहुत ही ज्यादा खुश था जब मैं उसकी चूत के अंदर अपनी उंगलियों से सहलने लगा तो वह अपने पैरों को खोलने लगी।

अब वह बिल्कुल भी अपने आपको नहीं रोक पा रही थी मैं भी इतना ज्यादा गरम हो गया था कि मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया। जब मैंने अपने मोटे लंड को बाहर निकाला तो उसने मुझे कहा आपका लंड आज बहुत ज्यादा मोटा दिखाई दे रहा है। मैंने उसे कहा तुम इसे जल्दी से अपने मुंह के अंदर ले लो और उसने जब अपने मुंह के अंदर उसे लेना शुरू किया तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और उसे बहुत आनंद भी आने लगा था वह अपने गले के अंदर तक उसे लेकर अच्छे से चूसने लगी और उसने मेरी गर्मी को पूरी तरीके से बढ़ा दिया था। उसकी गर्मी बढ़ने लगी थी और मैं भी जल्द से जल्द उसकी चूत मारना चाहता था अक्षिता की चूतड़ों को जब मैंने अपनी तरफ किया और उसकी चूत पर मैंने अपने लंड को सटाकर धीरे धीरे अंदर की तरफ करना शुरू किया तो वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। अब मैंने उसकी योनि के अंदर अपने लंड को डाल दिया था मेरा लंड उसकी योनि के अंदर जा चुका था अब वह बड़ी तेज आवाज मे सिसकिया लेने लगी थी वह इतनी तेज आवाज मे सिसकिया ले रही थी कि मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मैंने उससे कहा मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा है और वह बहुत ज्यादा खुश हो चुकी थी। अब मैंने उसकी चूतड़ों पर बड़ी तेजी से प्रहार करना शुरू किया जब मैं ऐसा कर रहा था तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था और उसे भी बहुत मजा आ रहा था। मैंने उसकी चूतड़ों पर बड़ी तेजी से प्रहार किया जब मैंने उसे कहा कि मुझे अब तुम्हें अपने नीचे लेट चोदना है तो वह कहने लगी आपको जैसा अच्छा लगता है आप कर लो।

उसने जब यह कहा तो मैंने अपने लंड को उसकी चूत से बाहर निकाला अब मैंने उसके पैरों को खोल लिया था। जब मैंने उसके पैरों को खोलो तो मैंने अब धीरे-धीरे उसकी चूत में लंड को प्रवेश करवाया और जैसे ही मेरा मोटा लंड उसकी चूत के अंदर घुसा तो वह बहुत जोर से चिल्लाई और कहने लगी आपने मेरी चूत फाड़ दी है। अब मैं उसकी चूत के मजे अच्छे से लेना चाहता था मैंने उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को बड़ी तेजी से करना शुरू कर दिया था जिससे कि उसकी उत्तेजना में बढ़ोत्तरी हो रही थी और उसकी सिसकियां भी अधिक होने लगी थी। मुझे महसूस होने लगा था कि वह बहुत ही ज्यादा गर्म होने लगी है मैंने उसके पैरों को अपने कंधों पर रख लिया लेकिन अभी भी हम दोनों कंबल के अंदर थे जिससे हम दोनों काफी ज्यादा पसीना पसीना होने लगे थे और मुझे लगने लगा था कि शायद में ज्यादा देर तक उसकी चूत की गर्मी नहीं झेल पाऊंगा और ऐसा ही हुआ जब मेरा वीर्य बाहर की तरफ को गिरने वाला था तो अक्षिता ने मुझे कहा कि तुम अपने वीर्य को मेरी चूत के अंदर गिरा दो।

मैंने अपने वीर्य की पिचकारी उसकी चूत के अंदर गिरा दी उसकी सारी इच्छा को बुझा दिया वह बहुत ही ज्यादा खुश हो गई थी। वह मुझे कहने लगी आज तो मुझे मजा ही आ गया और जिस प्रकार से तुमने मेरे साथ संभोग किया है उससे मैं बहुत ही ज्यादा खुश हूं। काफी देर तक ऐसा ही चलता रहा हम दोनों भी बहुत खुश हो चुके थे उसके बाद हम दोनों एक दूसरे की बाहों में लेट गए। उस ठंड में जिस प्रकार से हमने संभोग का मजा लिया वह मेरे लिए हमेशा ही यादगार पल बनकर रहा और जिस प्रकार से मैंने उसके साथ चूत चुदाई की वह मुझे हमेशा याद रहेगी। अब हम लोग वापस लौट चुके थे लेकिन शिमला से हम लोग कुछ अच्छी यादें लेकर वापस लौटे थे।

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