मकान मालिक की बीवी की चुदाई


हेल्लो दोस्तों.. मेरा नाम रूपेश गुप्ता है. में पहले अपने बारे में बता दूँ.. मेरी लम्बाई 5 फीट 5 इंच है और मेरा शरीर स्लिम बॉडी और मेरा लंड 6 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है. मेरी पत्नी मुझसे पूरी तरह से संतुष्ट है.. हम प्रतिदिन सेक्स करते है और जिस रात हम सेक्स नहीं करते है.. तो उस रात हमको नींद नहीं आती है.
मेरे मकान मालिक की बीवी का नाम वंदना है और उसकी उम्र 22 साल है और उसकी लम्बाई 5 फीट 2 इंच और फिगर 32-28-34 है.. उसका कलर सावंला है और वो बहुत सेक्सी भी है. ये कहानी है तब की है जब मेरी पत्नी मायके गई थी और में घर पर अकेला था और मकान मालिक और उनकी मम्मी भी घर पर नहीं थे. में शाम को ऑफिस से रात के 9 बजे घर आया और पत्नी के नहीं होने के कारण खाना बनाने की तैयारी करने लगा.. वंदना मेरे आने की आवाज़ सुनकर अपने कमरे से बाहर आई और पूछा कि क्या हो रहा है?
में : खाना बना रहा हूँ.
वंदना : आज आप मेरे साथ ही खाना खा लेना.. मैंने अपना और आपका खाना बना लिया है.. मेरे पति और मेरी सास भी बाहर गये है.
में : ठीक है.. में फ्रेश होकर आता हूँ.. तब तक आप खाना लगाओ.
फिर में बाथरुम में गया और फ्रेश होकर मैंने बिना बनियान और अंडरवियर के टी-शर्ट और पजामा पहन लिया और जब में बाथरूम से बाहर आया.. तो वंदना ने डिनर टेबल पर तैयार कर रखा था और खुद ने भी फ्रेश होकर नाईटी पहन ली. नाईटी के अन्दर पहनी गई ब्रा और पेंटी की लाइन दिखाई दे रही थी. में उसको इस रूप में देखकर उत्तेजित होने लगा और मन ही मन सोचने लगा कि कैसे मुझे वंदना को चोदने का बहाना मिलेगा.
फिर में मन ही मन उसको चोदने का प्लान बनाने लगा. हम दोनों डिनर करने के लिये डाइनिंग टेबल पर बैठ गये.. वंदना मेरे सामने वाली कुर्सी पर बैठी थी और जब वो झुककर खाने को अपने मुँह में रखती थी.. तो उसके झुकने से दोनों बूब्स के बीच की दरार 2 इंच दिखाई देती थी.. जो कि मेरी उत्तेजना को और बढ़ा रही थी. मेरी नजरे उसकी लाईन पर ही थी और पजामे में मेरा लंड खड़ा होने लगा था.. अंडरवियर ना होने के कारण लंड का उभार बाहर से पता चल रहा था. मुझे अपनी नाईटी में झाकते हुये वंदना ने देख लिया और कहा कि क्या देख रहे हो?
में : तुम बहुत सुंदर हो और..
वंदना : और क्या?
में : और सेक्सी भी.
वंदना : लेकिन आपकी पत्नी तो मुझसे गोरी, अधिक सुंदर और सेक्सी भी है.
में : हाँ.. लेकिन आज तो तुमने मेरी पत्नी को भी फेल कर दिया.
वंदना : ऐसा क्यों? ये कहकर वो तेज़ी से हंसने लगी और कहा कि कई बार आपकी पत्नी ने मुझे अपनी सेक्स लाईफ के बारे में बताया है और ये भी बताया है कि आप कैसे उनकी चुदाई करते है और कितने तरीको को आप इस्तेमाल कर चुके है. में कब से इस मौके की तलाश में थी कि कब आपकी पत्नी और मेरे पति और सास बाहर जाये और में आपके साथ सेक्स करूँ. इतना कहकर वंदना ने मेरे होठों पर एक किस किया और कहा कि आप डिनर करने के बाद मेरे साथ यहीं रुक जाना.
मैंने मन में सोचा कि मेरी तो लॉटरी लग गई.. कहाँ में वंदना को चोदने का प्लान बना रहा था और कहाँ वंदना खुद मुझसे चुदने को तैयार बैठी थी. डिनर करने के बाद हम दोनों साथ में बैठकर सेक्स की बातें करने लगे. में उसे सेक्स करने के और पत्नी को उत्तेजित करने के तरीके बताने लगा और उससे पूछा कि तुम्हारी सेक्स लाईफ कैसी चल रही है?
वंदना : ख़राब.
में : क्यों? तुम्हारे पति तो शरीर से बहुत शक्तिशाली दिखते है.
वंदना : केवल दिखते है.. लेकिन वो है नहीं.. वो रात को मुझे उत्तेजित किये बिना मुझ पर चढ़ जाते है और कुछ धक्के लगाने के बाद पलटकर सो जाते है.. जबकि में सेक्स की आग में रात भर जलती रहती हूँ. जब आपकी पत्नी ने मुझसे बातें की.. तब से में आपसे चुदवाना चाहती थी.. लेकिन मौका नहीं मिल रहा था और आज रात को मौका भी है और दस्तूर भी.. आज में आपसे रात भर चुदवाउंगी.
में : ठीक है लेकिन आप मुझे मेरे नाम से बुलाओ.
वंदना : आप भी मुझे मेरे नाम से ही बुलाओगे.. इतना कहकर मैंने अपने होंठ वंदना के होठों पर रख दिये. वंदना के होंठ भट्टी के समान सुलग रहे थे. मैंने वंदना का ऊपरी होंठ चूसना शुरू कर दिया.. जबकि वंदना मेरा निचला होंठ चूस रही थी.
होठों को चूसने के साथ साथ मेरे हाथ नाईटी के ऊपर से ही उसके बदन पर घूम रहे थे. वंदना ने अपने दोनों हाथों से मुझे बाँध रखा था. फिर मैंने वंदना के होंठ चूसते हुये एक हाथ उसकी गर्दन के नीचे लगाया और दूसरा हाथ कमर के नीचे लगाकर उसे गोद में उठा लिया. वंदना ने अपने दोनों हाथ मेंरी गर्दन में डाल दिये.. में वंदना को लेकर उसके बेडरूम में गया और बेड पर बैठा दिया और लाईट चालू कर दी.
वंदना : लाईट चालू क्यों की? मुझे शर्म आयेगी.
में : शर्म कैसी.. जब चुदवाने का मज़ा लेना है तो पूरी तरह से मज़ा लो.
इतना कहकर मैंने उसकी नाईटी खोली और नाईटी बेड के नीचे फेंक दी. वंदना ने लाल ब्रा और लाल पेंटी पहन रखी थी.. जिसमें उसका बदन बहुत सेक्सी लग रहा था. वंदना ने मेरी टी-शर्ट निकाल दी और मेरा ऊपरी बदन पूरा नंगा कर दिया. मैंने वंदना को बेड पर लेटा दिया और उसके होंठ फिर से चूसने लगा.. मेरा एक हाथ ब्रा के ऊपर से ही उसके बूब्स दबा रहा था और दूसरा हाथ उसकी जांघे सहला रहा था.
वंदना भी अपने दोनों हाथ मेरी नंगी पीठ पर फेर रही थी. मैंने अपनी जीभ से वंदना के होठों को खोलते हुये अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वंदना मेरी जीभ को अपने मुँह में पाकर पागल सी हो गई. फिर मेरी जीभ को लोलीपोप की तरह चूसने लगी.
फिर मैंने अपना हाथ वंदना की ब्रा में डाल दिया और निप्पल को अंगूठे और उंगली में लेकर मसलने लगा.. दूसरे हाथ से उसकी चूत को पेंटी के ऊपर से रगड़ने लगा.. उसकी पेंटी गीली हो रही थी. उसकी जीभ चूसने के बाद में अपनी जीभ को वंदना के बदन के सफ़र पर ले चला और उसके गाल, गर्दन का कोई भी हिस्सा चाटने से नहीं छोड़ा. धीरे-धीरे में नीचे की तरफ चला और वंदना की ब्रा के हुक खोल दिये..
वंदना के बूब्स और निप्पल देखकर मुझे एक बोतल का नशा आने लगा. फिर में वंदना के राईट बूब्स के निप्पल को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा और लेफ्ट बूब्स के निप्पल को उंगली और अंगूठे से मसलने लगा. अब वंदना धीरे-धीरे गर्म होने लगी थी और उसके मुँह से सिसकारियां निकल रही थी.. में भी उसके दोनों निप्पल को बारी-बारी से चूस और काट रहा था.
लगभग आधे घंटे तक उसके निप्पल काटने और चूसने के बाद मैंने फिर से अपने नीचे का सफ़र स्टार्ट किया. मेरी जीभ उसके सीने से होती हुई उसके पेट की और चली और जैसे ही मैंने उसकी नाभि में जीभ लगाई.. तो वो बोली कि आअहह ये मुझे क्या हो रहा है.. मेरा खुद पर से कंट्रोल ख़त्म हो रहा है और मेरे तन-बदन में आग लग रही है अब और कितना तड़पाओगे. अब सहन नहीं होता.. जल्दी से मुझे चोदो.. मेरी चूत को अब तुम्हारे लंड की प्यास लगी है.. मेरी चूत की प्यास बुझा दो और उसकी आग शांत कर दो.. लेकिन मेरा सफ़र जारी रहा और में उसकी नाभि से होता हुआ उसकी जांघ तक पहुंचा.
फिर उसकी पेंटी की इलास्टिक को अपने दातों से पकड़कर नीचे खींचा और पेंटी को उसके पैरों से निकाल दिया. फिर मैंने वंदना के पैरों को चूमना शुरू किया.. उसके पैरों को चूमते हुये में उसकी जांघो को चूमता हुआ उसकी चूत की और बढ़ा. उसकी चूत के उपर हल्के-हल्के बाल थे.. जो कि बहुत मुलायम थे. वंदना के कोई बच्चा ना होने के कारण उसकी चूत बिल्कुल वर्जिन लड़की की तरह दिख रही थी.
फिर मैंने वंदना की चूत को चूसना शुरू कर दिया और वंदना अपनी कमर को उठाकर अपनी चूत मेरे मुँह पर दबाने लगी. फिर मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी चूत के होठों को खोला और अपनी जीभ उसकी चूत की दरार में फेरनी शुरू कर दी. मैंने अपने मुँह में थूक बनाते हुये उसके चूत के दाने को मुँह में भर लिया और उसके चूत के दाने को जीभ और दातों की सहायता से काटने लगा.
मेरी जीभ से उस दाने को चूसने से वंदना कराह उठी और मुझसे बोली.. हाय.. आज तक मेरी चूत मेरे पति ने भी नहीं चूसी और ना ही इससे पहले ऐसी आग लगी.. आआहह.. प्लीज़ चाटते रहो.. मेरी चूत को चाटो और चूस-चूस कर मेरी चूत को लाल कर दो. इतना कहकर वंदना अपनी कमर उठाकर मेरे मुँह पर दबाने लगी और मेरा सिर पकड़कर अपनी चूत पर दबाने लगी. उसके दोनों पैर हवा में उठे हुये थे और वो मुँह से कराहने और सिसकियों के आलावा अजीब-अजीब आवाजें निकाल रही थी. मैंने अपना मुँह उसकी जांघ से उठाकर कहा.. क्या तुम मेरा लंड चूसना पसंद करोगी?
वंदना : लेकिन मुझे पता नहीं कि लंड कैसे चूसा जाता है?
में : जैसे कोई बच्चा लोलीपॉप चूसता है.. वैसे ही.
वंदना : ठीक है.. पोज़िशन बनाओ. में वंदना के ऊपर से उतरा और बेड पर लेट गया और वंदना को कमर से पकड़कर अपने मुँह पर वंदना की जांघे और वंदना का मुँह अपनी जांघो पर रख लिया. इस प्रकार हम दोनों 69 पोज़िशन में थे. वंदना ने मेरा पजामा खोला और अपनी जीभ निकालकर मेरे लंड को चाटने लगी और जल्दी ही उसने मेरे लंड का टोपा अपने मुँह के अंदर कर लिया और जैसे बच्चे लोलीपॉप चूसते है.. वैसे ही मेरे लंड को चूसने लगी. उधर मैंने अपने दोनों हाथों के अंगूठे से वंदना की चूत के लिप्स खोले और अपनी जीभ उसकी चूत में फेरने लगा और जल्दी ही में वंदना की चूत के दाने को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
फिर वंदना की गांड को अपनी उंगली से सहलाने लगा.. वंदना ने अपने मुँह से अजीब सी आवाजें निकाली और बोली.. में खल्लास होने वाली हूँ और मेरा पानी निकलने वाला है. इतना कहकर वंदना ने अपनी चूत को मेरे मुँह पर चिपकाकर पानी छोड़ दिया. में भी उसकी चूत से निकला पानी चाटने लगा.. वंदना की चूत का पानी चाटने के बाद में वंदना की कमर को पकड़कर पलट गया. अब वंदना मेरे नीचे थी और में उसके ऊपर.. लेकिन हमारी पोज़िशन अब भी 69 वाली थी.
मेरे पलटने से मेरा पूरा लंड वंदना के गले तक घुस गया.. जिस कारण वंदना की आँखो से आसूं निकल आये.. लेकिन उसने मुझे लंड निकालने के लिये नहीं कहा. मेरा लंड अब उसके मुँह को चोद रहा था और मेरा मुँह उसकी चूत के दाने को चूस रहा था. लगभग 15 मिनट के बाद में वंदना के ऊपर से उतरा और अपनी पोज़िशन वंदना के पैरों के बीच मे बनाई.. वंदना अब अपने बूब्स अपने आप ही मसल रही थी और अपने निचले होंठ को अपने दातों से काट रही थी.
मैंने वंदना के दोनों पैर अपने कंधो पर रखे और अपने लंड को वंदना की चूत पर लगाया.. मेरे एक झटका देते ही मेरा आधा लंड वंदना की चूत में घुस गया और वंदना के मुँह से एक तेज चीख निकल गई. वंदना ने कहा.. प्लीज़ धीरे करो.. तुम्हारा लंड तो मेरे पति से डबल मोटा है.. क्या मेरी चूत को फाड़ ही दोगे. फिर मैंने एक झटका दिया और मेरा पूरा लंड वंदना की चूत में घुस गया.
फिर मैंने वंदना के होठों को अपने होठों में भर लिया और दोनों हाथों से वंदना के दोनों निप्पल मसलने लगा.. अब में धीरे-धीरे धक्के लगाने लगा. थोड़ी देर बाद वंदना को भी मज़ा आने लगा और वो अपने चूतड़ नीचे से उठाकर मेरा लंड अपनी चूत में लेने लगी.. में अब अपने धक्को की स्पीड बड़ाने लगा. वंदना अब मुँह से बहुत तेज आवाजें निकाल रही थी और आह्ह्ह्ह कर रही थी.. आहह और तेज़ी से.. ऐसे तो मेरे पति कभी नहीं चोदते है. आज में जान गई कि आपकी पत्नी हमेशा आपका गुणगान क्यों किया करती है.. आप बहुत अच्छी तरह चूत को चूसते और चोदते है और आपको चोदने से पहले एक औरत को कैसे गर्म किया जाता है.. वो बहुत अच्छी तरह आता है.. आअहह चोदो.
10 मिनट तक धक्के लगाने के बाद मैंने वंदना की गर्दन व चूतड़ के नीचे हाथ लगाया और वंदना को लेकर पलट गया.
अब में नीचे था और वंदना ऊपर.. वंदना मेरे लंड के ऊपर अपने चूतड़ को नचाते हुये मेरे लंड को अपनी चूत में ले रही थी. वंदना ने झुककर मेरा एक निप्पल अपने दातों में फंसाया और अपनी जीभ से मेरे निप्पल को चूसने लगी. में भी वंदना के चूतड़ पकड़कर नीचे से धक्के लगा रहा था.. वंदना ने फिर मोनिंग किया.. आहह में फिर से खल्लास होने वाली हूँ. फिर इतना कहकर वंदना मेरे उपर निढाल होकर गिर गई.. लेकिन अभी भी मेरा पानी नहीं निकला था.. इसलिये मैंने वंदना से कहा कि मेरा पानी भी तो निकालो.
वंदना : में बहुत थक गई हूँ.
अब जैसे तुम चाहो वैसे अपना पानी निकाल लो. मैंने वंदना से कुत्तिया (डॉगी स्टाइल) बनने के लिये कहा.. वंदना अपने घुटनों और हाथों पर कुत्तिया बन गई. मैंने वंदना को बेड के किनारे खींचा और अपने आपको बेड के नीचे फ्लोर पर व्यवस्थित किया. फिर मैंने अपनी जीभ निकाल कर वंदना की चूत को चाटना शुरू कर दिया.. साथ ही अपनी एक उंगली वंदना की गांड में फेरने लगा.. जल्द ही वंदना फिर गर्म हो गई और अपनी चूत को मेरे मुँह पर चिपकाने की कोशिश करने लगी.
फिर मैंने अपने लंड को वंदना की चूत पर रखा और एक तेज झटका दिया.. इस झटके से मेरा लंड वंदना की चूत में एक ही बार में पूरा घुस गया और में वंदना के चूतड़ पकड़कर धक्के लगाने लगा. फिर मैंने अपने हाथ से वंदना के चूतड़ों की दरार को खोला और वंदना की गांड सहलाने लगा. मैंने अपने हाथ की बीच की उंगली को वंदना के मुँह में डाल दिया और वंदना मेरी उंगली चूसने लगी.. जब मेरी उंगली पूरी तरह से गीली हो गई..
फिर मैंने अपनी उंगली वंदना के मुँह से निकाली और वंदना की गांड सहलाने लगा. मैंने धक्के लगाते हुये वंदना की गांड पर थूका और अपनी गीली उंगली उसकी गांड में एक झटके से घुसेड़ दी.
वंदना : क्या करते हो.. मेरी गांड में उंगली क्यों कर रहे हो.. बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़ अपनी उंगली बाहर निकालो. फिर भी मैंने अपनी उंगली वंदना की गांड से बाहर नहीं निकाली और वंदना की चूत को अपने लंड से चोदते हुये उसकी गांड को भी उंगली से चोदता रहा.. जल्दी ही वंदना को अपनी गांड में उंगली का मज़ा आने लगा और वो बोली कि तुम तो डबल मज़ा देते हो.. मुझे नहीं पता था कि गांड में भी मज़ा आता है.
में : क्या तुमने पॉर्न मूवी नहीं देखी है? में तो केवल उंगली कर रहा हूँ.. पॉर्न मूवी में तो पूरा लंड डाल देते है. में अपनी पत्नी को रोज रात में दो बार चोदता हूँ.. एक बार उसकी चूत और फिर उसकी गांड.. क्या तुम अपनी गांड चुदवाना चाहोगी?
वंदना : अभी तो तुम मेरी चूत को चोदो.. गांड की बाद में सोचेंगे.
इतना कहकर वंदना अपने चूतड़ तेज़ी से पीछे धकेलने लगी.. अब में समझ गया कि वंदना तीसरी बार खल्लास होने वाली है और अब में भी खल्लास होने की कगार पर था. फिर मैंने अपने धक्को की स्पीड बढ़ा दी और वंदना से पूछा कि में अपना पानी कहां निकालूँ? तुम्हारी चूत में या तुम्हारे मुँह में.
वंदना : अभी तो तुम मेरी चूत में पानी निकालो.. मुँह या गांड में तो बाद में निकालना. इतना कहकर वंदना चिल्लाने लगी.. आआअहह तेज तेज और तेज.. प्लीज़ अंदर तक डालो.. अपनी गोलियां भी मेरी चूत में डाल दो और मेरी गांड में भी अपनी उंगली की स्पीड तेज करो.. प्लीज़ आआह्ह्ह्ह में गई.
इतना कहकर वंदना ने अपनी चूत मेरे लंड पर चिपका दी और में भी पूरी तरह उसके पीछे से चिपक गया. मेरे लंड से फव्वारा निकलने लगा और वंदना की चूत मेरे लंड के पानी से लबालब भर गई.. मेरे लंड का पानी वंदना की चूत के किनारो से बहने लगा और अब हम दोनों सीधे होकर लेट गये और वंदना ने अपना सर मेरे सीने पर रख लिया. इस थकावट वाली चुदाई के बाद हम दोनों सो गये. मैंने उस रात वंदना के साथ 3 बार सेक्स किया और अगले दिन में ऑफिस भी नहीं गया.
फिर मैंने दिन में भी वंदना को 2 बार चोदा.. एक बार डाइनिंग टेबल पर और एक बार सोफे पर चोदा. दूसरी रात को मैंने वंदना की गांड भी मारी.
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टूर पर चुदाई


हैल्लो दोस्तों मेरा नाम रोहित है और में दिल्ली का रहने वाला हूँ.. मेरी उम्र 28 साल है और मेरी लम्बाई 5.6 इंच है. दोस्तों में आज अपनी एक सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ और यह मेरी पहली कहानी है. दोस्तों वैसे मुझे सेक्सी कहानियाँ पढ़ना बहुत अच्छा लगता है और में इसकी वजह से सेक्स के बारे में बहुत कुछ सीखने लगा हूँ और मुझे सेक्स करना बहुत अच्छा लगता है.
अब आप सभी को ज़्यादा बोर ना करते हुए में अपनी आज की कहानी पर आता हूँ. दोस्तों यह बात तब की है जब हमारे यहाँ से घुमने के लिए एक बस गई हुई थी और तब मुझे मेरे घर वालो ने ज़बरदस्ती उनके साथ भेज दिया था और वो बस रात को चलकर मॉर्निंग में पहुंची और जब में सोकर उठा तो मेरी नजर खिड़की वाली सीट थी और मेरी नज़र उठते ही एक बहुत सुंदर लड़की पर पड़ी.. जो काले कलर के टॉप और नीली कलर की जीन्स पहने हुई थी और वो भी हमारे साथ ही उस बस में थी.
तो में उसे घूरकर देखता ही रह गया और उसका फिगर कुछ इस आकार का था कि कोई भी इंसान उसे एक बार देखकर अपना लंड पकड़ ले. उसके फिगर का साईज 32-26-34 था और फिर बाद में जब मैंने इधर उधर पता किया तो मुझे पता चला कि वो अपनी दादी माँ के साथ थी. तो मैंने उसकी दादी से बातचीत चालू कर दी और उसकी दादी मेरे व्यहवार से बहुत खुश हो गयी और इस तरह मैंने उससे बात करते और हंसी मजाक करते हुए तीन दिन में उसे बहुत अच्छी तरह पटा लिया था.
फिर तीसरे दिन जहाँ पर हम लोग रुके थे… वहाँ पर एक नदी थी और मैंने उसे नदी पर चलने को कहा.. तो वो अपनी दादी से कपड़े धोने का बहाना लेकर मेरे पीछे पीछे नदी पर आ गयी. तो वहाँ नदी पर बहुत सारे लोग थे और वो सभी नहाने धोने में लगे हुए थे. तो हम उन लोगो से थोड़ी दूर जहाँ पर आस पास कोई नहीं था वहाँ पर नदी किनारे जाकर बैठ गए और पहले मैंने उसकी कपड़े धोने में मदद की और बाद में जब थोड़ा थोड़ा अंधेरा हो गया तो हम एक साथ साथ नहाने लगे और हमे नहाने में बहुत मज़ा आया और लगभग 20 मिनट नहाने के बाद उसे थोड़ी ठंड लगने लगी. तो वो एक पत्थर के पास जाकर खड़ी हो गयी और उन गीले कपड़ो में तो वो और भी बहुत सेक्सी लग रही थी.
तो मैंने थोड़ी हिम्मत करते हुए उसे पीछे से जाकर पकड़ लिया और उसके मुहं से थोड़ा धीरे से आहह उह्ह्ह्ह निकल गयी और वो मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी.. लेकिन मैंने अपनी पकड़ को और भी मजबूत बना लिया. तो कुछ देर बाद वो एकदम थककर ढीली पड़ने लगी और उसने अब मेरा विरोध करना बंद कर दिया था. फिर वो कहने लगी कि तुम यह क्या कर रहे हो? तो मैंने कहा कि वही जो तुम देख और महसूस कर रही हो. तो उसने कहा कि नहीं यह सब बहुत गलत है प्लीज मुझे छोड़ दो वरना कोई हमे देख लेगा. तो मैंने उससे कहा कि तुम चिंता मत करो.. किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा और मैंने वहीं पर थोड़ी साफ जगह देखकर उसे वहीं एक बड़े से पत्थर पर लेटा दिया और उसके ऊपर आ गया और में उसे किस करने लगा..
हमारी पहली किस लगभग 5 मिनट तक चली थी और उसके बाद मैंने उसे किस करते हुए उसके नरम मुलायम.. लेकिन एकदम तने हुए बूब्स को छुआ. तो वो एकदम उठी और मुझसे एकदम किसी नागिन की तरह ज़ोर से लिपट गयी और मैंने धीरे से उसका टॉप निकाल दिया और अब वो मेरे सामने काली कलर की ब्रा में थी. तो में उसे इस रूप में देखकर पागलों की तरह उस पर टूट पड़ा. मैंने उसकी ब्रा को भी उतार दिया और उसके बड़े बड़े तरबूज के आकार के बूब्स को चूसने लगा और धीरे धीरे उसके हल्के भूरे कलर के निप्पल को काटने लगा.. जिसकी वजह से वो पूरी तरह से मदमस्त हो गयी और अब मैंने कदम आगे बड़ाते हुए उसकी जीन्स को भी निकाल दिया और मैंने देखा कि उसने काली कलर की जाली वाली एकदम सेक्सी पेंटी पहन रखी थी और उसकी पेंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी.
फिर जब में उसकी पेंटी उतारने लगा तो वो बोली कि रोहित पहले अपने कपड़े तो उतार लो.. तो मैंने कहा कि तुम खुद ही उतार दो और फिर उसने जल्दी जल्दी मेरे सारे कपड़े उतार दिए और तब मैंने महसूस किया कि वो पत्थर जिस पर हम दोनों लेटे हुए थे वो बहुत ही ठंडा था और वो मेरा लंड जो 7 इंच लम्बाई का है उसे एकदम अपने सामने सांप की तरह फन फैलाकर खड़ा हुआ देखकर बोली कि यह इतना बड़ा मेरे अंदर कैसे जाएगा? तब मैंने कहा कि तुम बस इसका कमाल देखती जाओ और बस मज़े लो.. क्योंकि यह अपना रास्ता खुद ही बना लेगा.
तो में उसके दिल से मेरे लंड का डर दूर करने और उसे जोश में लाने के लिए में उसके बूब्स को धीरे धीरे सहलाने और उसकी गीली छटपटाती हुई चूत चाटने लगा. जिससे वो बिल्कुल पागल हो गयी.. वो मेरे सर को पकड़कर अपनी चूत पर दबाने लगी और कहने लगी कि प्लीज थोड़ा जल्दी करो में अब और नहीं सह सकती.. प्लीज जल्दी करो. तो मैंने कहा कि अभी रूको और मैंने उससे अपने लंड को मुहं में लेने को कहा और वो मना करने लगी कि यह बहुत गंदा है.. लेकिन मेरे ज़िद करने और बहुत समझाने के बाद वो मान गयी और उसने लगभग 10 मिनट तक मेरे लंड को चूसा. फिर मैंने उसे सीधा लेटाया और लंड को उसकी चूत के मुहं पर रगड़ने लगा.. जिससे वो मदहोश हो गयी और अब वो लंड को अपनी चूत के अंदर डालने के लिए गिड़गिड़ाने लगी. फिर मैंने एक जोरदार करारा झटका लगाया.. जिससे मेरे लंड का सुपड़ा उसकी चूत में फंस गया और उसकी एकदम ज़ोर से चीख निकल गयी.
उसकी आँखो से आँसू निकल गये थे और वो मुझसे मेरे लंड को बाहर निकालने के लिए बोलने लगी और कहने लगी कि प्लीज रोहित इसे बार निकालो वरना में मर जाउंगी.. लेकिन मैंने उसके आंसू की परवाह ना करते हुए धीरे धीरे लंड को धक्का देकर अंदर डालना चालू रखा और उसका दर्द के मारे बहुत बुरा हाल हो रहा था और करीब 10 मिनट के बाद मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में जा चुका था.
फिर मैंने धीरे से अंदर बाहर करना चालू कर दिया और थोड़ी देर के बाद उसे भी मज़ा आने लगा और अब वो भी नीचे से अपनी गांड को उठा उठाकर धक्के लगाने लगी और वहाँ पर इतनी ठंड में भी हम दोनों को पसीने आ रहे थे. करीब 15 मिनट के बाद जब में झड़ने को हुआ तो मैंने उसको बताया.. तो वो बोली कि तुम मेरी चूत के अंदर ही छोड़ दो मुझे कोई प्राब्लम नहीं है और तब तक वो भी एक बार झड़ चुकी थी.
मैंने ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर अपना सारा वीर्य उसकी चूत में डाल दिया और में कुछ देर लंड को चूत में अपनी जगह पर रखकर रुक गया. फिर जब लंड अपने आप छोटा होकर बाहर आया तो मैंने उसे साफ किया और फिर हमने अपने कपड़े पहने और जल्दी से बस में आ गये. उसकी दादी उसके लिए बहुत परेशान हो रही थी. तो हमने बोल दिया कि तेज बहाव के कारण इसका एक टॉप नदी में बह गया था जिसको पकड़ने के चक्कर में हम लेट हो गये. फिर अगले दिन सुबह जब में फ्रेश होने के लिए गया तो मैंने देखा कि उस पत्थर पर उसकी वर्जिनिटी और हमारे प्यार की निशानी खून के रूप में नजर आ रही थी. उसके बाद बचे हुए 6 दिनों में मैंने उसे लगभग 6-7 बार और चोदा और घर आने के बाद भी चोदा.. लेकिन अभी पिछले साल उसकी शादी होने के कारण दोस्तों मेरे पास चूत का अकाल सा पड़ गया.
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मेरी देसी नौकरानी


हेल्लो दोस्तों.. मेरा नाम सोनू है. में आपके लिये और मेरी नौकरानी का एक और नया अनुभव लेकर आया हूँ. मेरी उम्र 24 साल है और लम्बाई 6 फीट है और अब आपका समय ख़राब ना करते हुए में सीधा मेरी स्टोरी पर आता हूँ. में काम के सिलसिले से एक गावं में रहता हूँ और एकदम मस्त और हैप्पी लाईफ जी रहा हूँ. में गावं से कुछ दूरी पर रहता हूँ और वहां पर एक मकान किराये पर ले रखा है. मैंने जाने के बाद वहां पर देखा कि मकान अच्छा था.. लेकिन वहां खाने पीने की प्रोब्लम थी. 3-4 दिन तक मैंने बहुत तलाश की.. अगर मुझे कोई काम करने के लिये मिल जाये.. लेकिन कोई नहीं मिला.
कुछ दिनों बाद एक लड़की मिली.. जो कि घर के काम करती है. फिर मैंने उससे पूछा कि घर का काम करना है.. खाना बनाना, कपड़े धोना और घर साफ करना.. क्या ये सब करोगी.. में तुम्हे अच्छी पेमेंट दे दूँगा. उसने कहा कि में पास के गावं में रहती हूँ. मुझे आने जाने में दूर पड़ता है. मैंने कहा कि सोच लो और कर सकती हो तो बताओ. उसने कहा कि मुझे काम तो करना है.. लेकिन रहने की जगह नहीं है..
मैंने कहा कि यहीं रह लो.. वैसे भी में तो जॉब पर रहता हूँ और शाम को आता हूँ. ठीक है.. में मेरे घरवालों से पूछकर बताती हूँ. 2 दिन बाद उसने हाँ कर दी.. उसे घर में एक रूम दे दिया और वही रहने को कहा. फिर सब काम समझा दिया.. वो सब काम अच्छे से कर रही थी.. मेरी भी टेन्शन ख़त्म हो गई थी. फिर उससे मेरी जान पहचान बढ़ा ली.. वो 20 साल की थी. उसके घर पर माता पिता थे और 3 बहनें थी. वो बहुत ग़रीब थे.. इसीलिये उसने यह काम करने को हाँ कह दिया.. वो दिखने में अच्छी थी.. लेकिन सांवली थी और उसके बूब्स बड़े थे.. वो अंदर कुछ नहीं पहनती थी.
उसके पास 2 ड्रेस थी.. वो भी कई जगह से फटे हुए थे. जब वो किसी काम को करने के लिये हाथ ऊपर करती.. तो उसमें से उसके अंडरआर्म्स के बाल दिखते थे और वो जब भी पास होती.. तो बहुत बदबू आती.. उसके पसीने से उसकी ड्रेस गीली हो जाती थी. मैंने उससे कहा कि तुम्हारे पास ड्रेस नहीं है क्या? तो उसने कहा कि नहीं.
फिर मैंने कहा कि कल में लेकर आता हूँ. वो बोली कि कोई ज़रूरत नहीं.. क्यों परेशान होते हो.. कोई बात नहीं ले आऊंगा. 2 ड्रेस ले ली मस्त वाली और उसे दी और उसे कहा कि पहनकर दिखाओ.. कैसी दिखती हो. वो अंदर गई और वो अंदर से बाहर नहीं आ रही थी. फिर मैंने उससे पूछा कि पहन ली या नहीं.. जल्दी बाहर आओ.. तो वो शरमाते हुए बाहर आ गई. मैंने उससे कहा कि वाह क्या मस्त लग रही हो.. ज़रा पीछे से घूमकर दिखाओ.. उसकी गांड बड़ी मस्त लग रही थी.. ज़रा हाथ ऊपर करो.. फिटिंग में आ रही है या नहीं. वो नहीं नहीं कह रही थी. फिर मैंने उससे कहा कि करोगी नहीं.. तो पता कैसे चलेगा.
उसने हाथ ऊपर किये.. में देखकर दंग रह गया. इतने बड़े और घने बाल थे.. वो शरमाने लगी. में उसके पास जाकर ड्रेस को देखने का नाटक किया और कहा कि ठीक है.. अच्छे से आ रही है. फिर मैंने उससे पूछा कि तुम मूवी नहीं देखती क्या? तो उसने कहा कि टी.वी नहीं है. मैंने कहा कि कल रात में देखेंगे और एक ब्लू फिल्म चलाई 2x थी.. स्टोरी के साथ हम मस्त देखने लगे और उससे कहा कि पास आ जाओ.. वरना ठीक से नहीं दिखेगा. मूवी में जैसे ही लड़का उसे किस करने लगा.. तो वो शरमाने लगी.
उसने पूछा कि तूने कभी ऐसा किया है क्या? उसने नहीं कहा और फिर मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा और उसके बूब्स मसलने लगा.. वो गर्म होने लगी. उससे पूछा कि चलो हम भी एक बार करके देखते है. वो कुछ नहीं बोली.. चुपचाप नीचे देखती रही. में उसके पास गया और उसका चेहरा ऊपर किया और किस करने लगा.. वो कुछ नहीं बोली. 5 मिनट के बाद वो भी मेरा साथ देने लगी और किस करने के बाद वो भी गर्म हो चुकी थी.
मैंने उसको ड्रेस निकालने को कहा और बाहर से ही बूब्स पर हाथ फेरने लगा. उसने ऊपर से ही अपने बूब्स पर हाथ लगा रखा था. फिर उसे किस किया और उसी बीच उसका हाथ ढीला हुआ.. तो ड्रेस निकाल दिया. उसने तो अपनी आँखे बंद कर ली थी.. उसके बूब्स इतने सॉफ्ट थे. मैंने जैसे ही उनको देखा और चूसने लगा.. वो सिसकारियां भरने लगी और उसके हाथ ऊपर किये और उससे पूछा कि बाल तो बहुत है.. कभी शेव नहीं करती हो क्या?
उसने कहा कि नहीं और उन्हे सूंघने लगा और में तो पागल हो गया और उसे पूरा नंगा कर दिया और उसे उठाकर बेड पर ले आया और उसकी बालों से भरी चूत को देखने लगा.. बालों के कारण कुछ नहीं दिख रहा था. मैंने बालो को साईड में करके देखा.. तो वो वर्जिन लग रही थी और में झट से चूसने लगा और वो मेरा सर जोर से चूत पर दबा रही थी और 10 मिनट बाद वो झड़ गई..
मैंने उसे देखा और पूछा कि कैसा लगा.. वो बोली कि अच्छा लगा. फिर मैंने कहा कि अब तुम भी मेरा लंड मुँह में ले लो.. वो चूसने लगी. मेरा लंड जैसे ही खड़ा हुआ तो उससे कहा कि बस हो गया.. अब रुक जाओ. फिर चूत को रगड़ा और लंड को घिसने लगा और धीरे धीरे लंड चूत में अंदर डालने लगा.. उसे बहुत दर्द हो रहा था.. कहने लगी और एक झटका मारा और आधा लंड अंदर चला गया.. वो ज़ोर से चिल्लाई.. मर गई और में उसे किस करने लगा. उसकी आँखों से आसूं निकल आये. फिर वापस एक झटका मारा और पूरा लंड अंदर चला गया और उसके बूब्स चूसने लगा. कुछ देर बाद वो अकड़ने लगी.. में समझ गया कि दर्द कम हो गया. फिर उसे चोदना शुरू किया और उसे जमकर चोदा और 30 मिनट के बाद में उसकी चूत में झड़ गया. कुछ देर वैसे रहने के बाद वो मेरे बाल सहलाने लगी.. वो पसीने से पूरी गीली हो गई थी. उसके अंडरआर्म्स पूरे गीले हो गये थे और मस्त सेक्सी स्मेल आ रही थी.
मेरा लंड वापस टाईट हो गया और उसे 35 मिनट तक चोदा और उसकी चूत में वीर्य छोड़कर उसके ऊपर लेट गया. उससे पूछा कि कैसा लगा.. वो शरमाई और कहा कि अच्छा लगा और उसने मुझे किस किया. फिर मैंने कहा कि आज से तुम मेरे साथ मेरे बेड पर ही सोया करो.. हम ऐसे ही सोयेंगे और में उसे जमकर चोदा करता था.
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तृप्ति ने लंड हिलाया


हैल्लो दोस्तों.. मेरा नाम शुभ है और यह मेरे जीवन की एक सच्ची घटना है जिसे में आज आप सभी को सुनाने जा रहा हूँ.. दोस्तों में पिछले कई सालों से सेक्सी कहानियाँ पढ़ता आ रहा हूँ और वो मुझे बहुत अच्छी भी लगती है. तो अब में आपका ज्यादा समय खराब ना करते हुए सीधा अपनी आज की कहानी पर आता हूँ.. लेकिन उससे पहले थोड़ा अपना भी परिचय करवा देता हूँ.
दोस्तों में पुणे का रहने वाला हूँ और मेरी उम्र 22 साल है और यह कहानी तीन साल पुरानी है. दोस्तों में एक प्राईवेट कंपनी में नौकरी करता हूँ और मैंने कुछ समय पहले ही नई नौकरी शुरू की थी और उसी दौरान मेरी मुलाकात तृप्ति नाम की एक लड़की से हो गयी.. वो भी सॉफ्टवेर में ही नौकरी करती थी. वो दिखने में बहुत ही सेक्सी थी और वो बहुत सीधी लड़की थी. खास करके उसके बूब्स बहुत ही मस्त थे.. गोल गोल बड़े और एकदम सेक्सी और कमर भी बहुत हसीन थी.
दोस्तों मैंने जिस दिन से उसे देखा था उस शुरू दिन से ही में उसकी तरफ बहुत आकर्षित था और में धीरे धीरे उससे बहुत घुल मिल गया था और हम बहुत दिनों तक एक दूसरे से ऐसे ही बातचीत हसीं मजाक करने लगे और बहुत दिनों तक फोन पर बात करने के बाद मैंने एक दिन उसे अपने दिल की बात कही और वो भी मान गयी और फिर हमारी लव स्टोरी शुरू हो गयी.. लेकिन शुरू शुरू में हम सिर्फ़ फोन बात करते और कभी कभी मौका मिलने पर कहीं बाहर जाकर खाना खाते और उस समय तक ना कोई किस, ना बूब्स दबाना और चुदाई तो बहुत दूर की बात थी.

फिर ऐसे ही एक दिन में उसे बाहर खाने पर ले गया और मैंने पहली बार खाना खाने से पहले अच्छा मौका देखकर उसका हाथ पकड़ा.. तो वो एकदम शरमा सी गयी और फिर आते समय भी मैंने ऑटो में उसका हाथ पकड़ कर ही रखा और वो भी ऑटो में मुझसे एकदम चिपककर बैठी थी और मुझे पहली बार उसके सेक्सी बदन का स्पर्श महसूस हो रहा था और में बहुत जोश में गया.. लेकिन हम ऑटो में कुछ कर नहीं पाए.
फिर मैंने उसे उसके घर के पास छोड़ दिया.. लेकिन मेरे दिमाग़ से उसके बदन का स्पर्श जा ही नहीं रहा था मुझे उसके जिस्म की वो खुश्बू ना चाहते हुए भी मदहोश कर रही थी. में उसके ख्यालों में खो सा गया और उसी रात मैंने हिम्मत करके बातों ही बातों में उसे एक बार किस करने के बारे में पूछा तो पहले वो मना कर रही थी.. लेकिन मैंने उसका पीछा नहीं छोड़ा और में अपनी जिद पर अड़ा रहा.. कुछ देर बार तो वो मान गयी.. लेकिन अब हमें किस करने के लिए मौका और जगह नहीं मिल रही थी और आख़िरकार एक दिन वो मौका हमें मिल गया. वो अपनी कुछ सहेलियों के साथ एक रूम पर रहती थी.. क्योंकि उनका रूम बहुत बड़ा था और उसकी सहेली भी इधर उधर नौकरी करती थी.
एक दिन उसने अपनी तबीयत ठीक नहीं होने का नाटक किया और घर पर ही रुक गई और बाकी की सभी सहेलियां अपनी अपनी नौकरी पर चली गयी और अब वो अकेली ही रूम पर थी. तो उसने ठीक मौका देखकर मुझे फोन करके अपने रूम पर बुला लिया और में भी बहुत खुश होकर उसके रूम पर पहुंच गया और मैंने धीरे से दरवाजा खटखटाया और कुछ देर में ही उसने दरवाजा खोला और में उसे देखकर एकदम चकित हो गया वो अपनी उस नाईटी में एकदम सेक्सी लग रही थी और में उसके बाहर निकलकर झांकते हुए बूब्स को कुछ समय रुककर देखता ही रहा और उसने जब मुझे छूकर अंदर आने को कहा तो में अपने होश में आया और एकदम बेसुध होकर बैठकर गया और उसे देखने लगा.
वो जाने लगी और में उसकी मटकती हुई पतली कमर और बड़ी सी गांड को निहारने लगा. फिर मेरे लिए पानी लेकर आई.. मैंने पानी पी लिया और हाथ पकड़कर उसको अपने पास बैठा लिया.. लेकिन अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था और मैंने उसको अपनी बाहों में एकदम कसकर पकड़ लिया और अपने होंठ उसके गुलाबी होंठो पर रख दिए और उसे किस करने लगा और फिर कुछ देर बाद वो भी मेरा साथ देने लगी. फिर में अपनी जीभ को उसकी जीभ से छूने लगा और चूसने लगा और कुछ देर में ही मेरा लंड एकदम तनकर खड़ा हो गया और उसकी चूत को सलामी देने लगा.
दोस्तों में क्या बताऊँ.. मुझे यह सब करने में बहुत मज़ा आ रहा था? क्योंकि वो मेरे जीवन का पहला किस था और किस करते करते में उसके बदन को भी इधर उधर छू रहा था. फिर हमने खड़े होकर किस करना शुरू किया. मैंने एक हाथ उसकी कमर पर रखा और दूसरा हाथ उसके सर के पीछे और धीरे धीरे उसके होंठो को चूसने लगा और उसका एक हाथ मेरे कंधे पर और दूसरा हाथ मेरी कमर पर था.. लेकिन वो धीरे धीरे अपने हाथ को ऊपर नीचे कर रही थी.
शायद वो अब पूरे जोश में थी.. दोस्तों हमारी हाईट एक समान थी इसलिए एक साथ खड़े होने पर मेरा तना हुआ लंड और उसकी कामुक चूत एक दूसरे के सामने आ रही थी और में उसको एकदम कसकर पकड़े हुए था. मेरा एक हाथ उसकी कमर पर था.. लेकिन वो अब थोड़ा नीचे की तरफ मतलब कि उसकी गांड को छूने को बैताब था और किस करते करते में अपना लंड उसकी उभरी हुई चूत के ऊपर रगड़ रहा था और कपड़े होने के बावजूद भी हमें बहुत मज़ा आ रहा था.
फिर किस खत्म करते ही में उसकी नाईटी के ऊपर से ही उसकी चूत के ऊपर से हाथ घुमा रहा था और वो भी मेरे लंड को सहला रही थी बहुत देर किस करने के बाद हम बिस्तर पर लेट गये. फिर में उसके ऊपर और वो मेरे नीचे थी और में उसकी गर्दन पर किस रहा था.
फिर उसके बाद मैंने नाईटी को थोड़ा ऊपर उठाकर उसके बूब्स को दबाना शुरू किया. अब उसे भी मज़ा आने लगा और वो जोश में आकर सिसकियाँ लेने लगी और मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी और कुछ देर के बाद में उसके बूब्स को अपने मुहं में लेकर चूसने लगा और अब वो बहुत जोश में आ रही थी और में तो उसके बूब्स काट रहा था और उसे भी मजा आ रहा था.
उसके मुहं में से बहुत ज़ोर ज़ोर से सिसकियों की आवाज़ आ रही थी और बूब्स चूसते चूसते मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रख दिया और में अपनी एक उंगली उसकी चूत में डालकर घुमाने लगा उसकी चूत अंदर से बहुत गरम थी और एकदम गीली थी. अब वो भी बहुत गरम हो गयी थी और उसने भी उसका एक हाथ मेरी पेंट में डालकर मेरे खड़े लंड को हिलाना शुरू किया और अब हम दोनों गरम हो गये और मुझे लगा कि आज तो मेरी निकल पड़ी.. लेकिन जैसे ही मैंने उससे बोला कि हम नीचे का भी करते है.
उसने साफ मना कर दिया और मेरे बहुत मनाने के बाद भी वो नहीं मानी तो में थोड़ा नाराज़ हो गया.. लेकिन फिर मैंने सोचा कि मुझे जो मिला है में उसी में खुशी मनाऊं.. इसके बाद का काम बाद में देखेंगे और यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा. फिर बहुत दिनों तक हम एक दूसरे को किस करते रहे और कपड़ो के ऊपर ऊपर से ही लगे रहे और धीरे धीरे हम बहुत आगे तक बढ़ने लगे और में कभी कभी उसकी चूत में ऊँगली करके उसकी चूत का पानी भी निकाल देता और वो एकदम निढाल होकर पड़ जाती और में अपने घर पर जाकर अपने लंड को हिलाकर उसके नाम की मुठ मारता.
फिर आख़िर वो दिन आ ही गया जिसका मुझे बड़ी बेसब्री से इंतजार था और में जब भी तृप्ति के रूम पर जाता तो अपने साथ कंडोम लेकर ही जाता था.. लेकिन अब तक मुझे कभी चुदाई का मौका नहीं मिला था इसलिए में उसे काम में नहीं ले सका. फिर हर दिन की तरह में उस दिन भी उसके रूम पर पहुंच गया और उस दिन भी उसने बीमारी का नाटक कर लिया और मैंने भी अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली और जब में रूम पर पहुंचा.. तो मैंने देखा कि वो एक सेक्सी जालीदार नाईट गाऊन में थी और उसके चेहरे पर अलग ही कुछ दिख रहा था और जाते ही में अपने काम में शुरू हो गया. सबसे पहले मैंने खड़े खड़े उसे किस किया और उसके बाद उसको लेटा दिया और आज तो वो जोश में थी.. तो आसनी से में उसके नीचे हाथ लगा पा रहा था और बहुत देर के बाद मैंने बाथरूम जाने का नाटक किया और बाथरूम में जाकर मैंने अपने लंड पर कंडोम लगा लिया और फिर से आकर उसकी पेंटी से खेलने लगा.
तो मैंने ठीक मौका देखकर पेंटी को थोड़ा नीचे खींचा. मुझे देखना था कि तृप्ति का जवाब क्या है.. लेकिन शायद आज मेरा नसीब अच्छा था. उसने मुझे मना नहीं किया. तो मेरी हिम्मत और बड़ गयी और मैंने उसकी पेंटी को निकालकर फेंक दिया और अब मैंने उसके दोनों पैरों को थोड़ा थोड़ा दूर किया और अपना लंड अंदर डालने की कोशिश करने लगा.. लेकिन मुझे पहले लगा था कि उसकी चूत में मेरा लंड आसानी से नहीं जाएगा.. लेकिन यह सब ग़लत निकाला और बहुत आसानी से मेरा लंड उसकी चूत में फिसलता हुआ अंदर चला गया.
मुझे थोड़ी देर के लिए बुरा लगा.. लेकिन में समझ गया था कि यह तृप्ति की पहली चुदाई नहीं है और ना ही में उसका पहला प्यार.. लेकिन फिर मैंने सोचा कि मुझे चोदने का मौका मिल रहा है ना और बाकी सब भाड़ में जाए. फिर बहुत देर तक मैंने उसके पैरों को अपने कंधे पर रखकर लंड को ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदता रहा और वो भी मजे लेती रही और फिर कुछ देर की चुदाई के बाद मैंने अपना पूरा वीर्य उसकी चूत में डाल दिया और वो एकदम संतुष्ट होकर थककर लेट गई.
तो दोस्तों यह था मेरे जीवन का पहला सेक्स.. उसके बाद भी हमने 3-4 बार सेक्स किया और उसके बाद उसकी शादी हो गयी.. लेकिन मुझे उसकी चुदाई का बिल्कुल भी दुख नहीं है.. क्योंकि मैंने उसके साथ बहुत समय तक मज़ा किया था और पहले सेक्स के बाद मुझे खुद को ही उससे शादी करने की इच्छा नहीं थी और अब वो मेरे जीवन में नहीं है.. लेकिन जब भी सेक्स की बात आती है तो मुझे उसके साथ किया पहला वो सेक्स जरुर याद आता है.
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माँ और अंकल की मिलन रात


हैलो दोस्तों.. मेरा नाम सन्नी है और मेरी उम्र 19 साल है और में सी.ए फाईनल कर रहा हूँ और में लुधियाना से हूँ. हम फेमिली में दो ही लोग है एक में और मेरी माँ.. मेरी माँ की उम्र 44 साल है और उनका नाम इस दिलजीत कौर है और वो तलाकशुदा है. मेरे पापा और माँ का 5 साल पहले ही तलाक हो गया और तब से ही में माँ के साथ रह रहा हूँ और जब से ही मेरा मेरे पापा के साथ कोई सम्पर्क नहीं हुआ है.
अब में आपका समय ख़राब ना करते हुये सीधा अपनी कहानी पर आता हूँ और में अपनी माँ का परिचय करता हूँ.. वो एक परफेक्ट पंजाबी औरत है उनका कलर बहुत गोरा है और 5.8 हाईट है और उनका बूब्स साईज 38 है और वेस्ट साइज 34 है. वो खुले विचारों वाली है.. उनका सब से बोलचाल है. वो बिल्कुल भी 44 साल की नहीं लगती. उनके सामने तो कोई जवान लड़की भी शरमा जाये. हम लोग बहुत अमीर है. माँ का इम्पोर्ट एक्सपोर्ट का बिज़नेस है और मेरी माँ ने अपनी जान से ज़्यादा मेरा ख्याल रखा है और बहुत प्यार भी करती है. माँ में कोई बुरी आदत नहीं बस सेक्स की प्यास की.. जो हर नॉर्मल औरत में होती है.
माँ ने मेरी खातिर दूसरी शादी नहीं की.. लेकिन सेक्स की ज़रूरत तो उन्हे भी होती है और इसके लिए वो बिना हिचकिचाहट के जिससे मन करता (वो केवल स्टैण्डर्ड अमीर लोग और जो उन्हे सही और इज़्ज़तदार लगते है) उनके साथ सेक्स किया करती है. माँ का शहर मे बहुत रुतबा है और हमारे बड़े बिज़नेस के कारण बहुत बड़ा सोशल सर्कल भी.. चलिये मैंने अपने बारे में आपको बहुत बता दिया अब सीधा स्टोरी पर आता हूँ. पहली घटना जो में आपको बताऊंगा वो है मेरी माँ और उनकी एक फ्रेंड के पति की.. ये आज से 4 साल पहले की बात है जब मैं 15 साल का था और माँ 40 साल की तब मुझे सेक्स के बारे में बस पता ही चला था.
फरवरी महीने की बात है शायद हम लोग माँ के किसी बिज़नस पार्टनर की पार्टी मे गये थे. वहाँ माँ ने मुझे काफ़ी लोगों से मिलवाया. उनमें से एक थे मिस्टर हर्ष वर्धन.. वो माँ के बिज़नस एसोसियट थे.. जो माँ की इम्पोर्ट एक्सपोर्ट मे मदद किया करते थे. उनका कन्सलटेन्सी का बिज़नस है. उनकी उम्र उस वक़्त 38 साल होगी.. वो मुझसे काफ़ी फ्रेंड्ली बात कर रहे थे. मैं वहाँ जाकर अपनी उम्र के ग्रुप वालों से मिला और पार्टी इन्जॉय की.. पार्टी के बाद जब हम घर लौटने के लिए कार में बैठे तो अंकल भी कार में आकर बैठ गये.
अंकल : हेल्लो बेटा.
मैं : हेल्लो.
माँ : बेटा हमें बिजनस के सिलसिले में कुछ बातचीत करनी है मुझे आशा है कि तुम्हे कोई प्रोब्लम नहीं होगी.
मैं : ऑफ कोर्स नहीं माँ.. यह हमारे मेहमान है.
फिर अंकल मेरी पढाई और मेरी हॉबी के बारे में मुझसे बातचीत करने लगे.. फिर हम लोग रात के करीब 12 बजे तक घर पहुँचे और घर जाकर में मेरे रूम मे चला गया और माँ भी चेंज करने चली गई. में जब चेंज करके आया तो माँ और अंकल सोफे पर बैठे थे. माँ ने लाल 3 पीस नाईटी पहनी हुई थी और अंकल भी पजामे और टी-शर्ट में थे. वो शायद अपने साथ लाये होंगे. में नीचे आया और थोड़ी देर ऐसे ही बात चली.. फिर अंकल अपने लेपटॉप में घुस गये और मैंने और माँ ने थोड़ी इधर उधर की बातें की और फिर में दोनों को गुड नाईट बोलकर चला गया.
मैं ऊपर जाकर सोया नहीं और रूम बंद करके पॉर्न मूवी देखने लगा. मैंने रूम में मुठ मारा और सोने लगा. मैंने देखा की पानी की बोतल तो लाना ही भूल गया.. तो मैं पानी की बोतल लेने नीचे किचन की तरफ जाने लगा.. नीचे की लाइट बंद हो गई थी तो वापस रूम में आया और अपना मोबाइल उठाकर नीचे चल दिया.
बोतल लेकर आते वक़्त मैंने सोचा माँ को देख लूँ कि सो गई या अंकल और वो अब तक काम कर रहे है. हॉल की लाइट तो बंद थी तो मुझे लगा माँ और अंकल उनके रूम मे काम कर रहे होंगे. में माँ के रूम की तरफ चल दिया और जैसे ही में गेट लॉक करने वाला था तो मेरा ध्यान आवाज़ों की तरफ गया जो माँ के रूम के अंदर से आ रही थी.
मैंने गौर किया तो ऐसा लगा जैसे किस हो रहा हो.. अंदर मैंने चुपचाप गेट खोलना चाहा पर गेट अंदर से बंद था. में आवाज़ पर ध्यान देने लगा तो कन्फर्म हो गया कि अंदर किस हो रहा है. बार तो मुझे झटका लगा कि कहीं में नींद में तो नहीं… मेरी माँ और हर्ष अंकल क्या सच में ये सब? फिर आवाज़ें आती गई किस्सिंग की और ये तो पक्का था कि कुछ हो तो रहा है. फिर उनकी बातें करने और हंसने की आवाज़ें आने लगी.. बातें उतनी साफ़ नहीं थी.
मैं वहाँ खड़ा सब सुनता रहा और सोचा कैसे देखूं यह सब और फिर पागलों की तरह वहीं उनकी बातें सुनने लगा.. जो ज्यादा साफ़ नहीं थी. फिर एकदम से मुझे याद आया कि बगल वाले रूम का वेंटिलेशन एरिया और माँ के रूम का वेंटिलेशन एरिया कॉमन है और में वहाँ से सब देख सकता हूँ.
में भाग कर वहाँ गया और एक कुर्सी वेंटिलेशन के पास लगा दी.. मुझे वहां से माँ की पायल की छन छन की आवाजें आ रही थी और मैं नहीं बता सकता कि ये क्या हो रहा था? जिसकी वजह से छन छन की आवाज़ आ रही थी. फिर एकदम से माँ की आहें भरने की आवाज़ आई और मेरी सारी शर्म लिहाज़ टूट गई और मैं कुर्सी पर चढ़कर नज़ारा देखने लगा. साईड लेम्प जल रहा था.. तो थोड़ा बहुत दिख रहा था.. लेकिन एकदम क्लियर नहीं. अंदर का नज़ारा देख कर तो मेरे होश उड़ गये.
अंकल माँ के ऊपर थे और माँ का राइट बूब्स दबा रहे थे और लेफ्ट चूस रहे थे और माँ आवाजें निकाल रही थी.. आ आ अम्म आ ये देखकर में जितना हैरान था उतना ही मुझे मज़ा भी रहा था. मेरा लंड भी खड़ा होने लगा था. अंकल ने 5 मिनट तक माँ के बूब्स मसले चूसे और फिर माँ के होंठो को चूमने लगे.. वाउ! क्या किस था यार?
अंकल केवल चड्डी में थे और माँ भी शायद पेंटी में थी. अंकल माँ के ऊपर से हटे और साइड में होकर अपनी चड्डी निकाल दी और फिर माँ की पेंटी उतारने लगे.. क्या नज़ारा था वो? अंकल ने माँ की पेंटी उतारी और साईड में फेंक दी और अब मुझे माँ की चूत दिखाई दे रही थी.. साफ साफ नहीं पर माँ इतनी गोरी है कि उनका बदन अंधेरे में भी चमक रहा था. सॉरी में पूरी तरह से तो बता नहीं सकता कि माँ की चूत कैसी है? क्योंकि मुझे सही सही दिख नहीं रहा था.. लाईट कम होने की वजह से. अंकल दोबारा माँ पर चड़े और उनके गाल पर किस किया.. होंठ चूसे और बूब्स दबाते चूसते हुये नीचे आते गये.
उन्होंने नाभि पर भी किस किया और माँ की चूत पर उन्होंने 1 मिनट तक हाथ फेरा और फिर माँ की चूत को चाटने लगे. वो धीरे धीरे माँ की नाभि और फुली हुई चूत चाट रहे थे और माँ उनके बालों में हाथ फेर रही थी और उन्हे अपनी चूत में घुसा रही थी.
माँ : आह आह उम्म्म्म आह उम्म्म आहें भर रही थी. करीब 10-15 मिनिट बाद अंकल ने अपना मुँह माँ की चूत से हटाया.
अंकल : मज़ा आ गया तुम्हारी चूत का रस पी कर.
माँ : वो कुछ नहीं बोली और लंबी गहरी साँसे ले रही थी.
अंकल ने फिर अपना लंड मसलते हुये माँ की चूत पर रखा तो माँ ने अंकल को रोका और कहा कि..
माँ : कंडोम लगा लो.
अंकल : क्यों मज़ा ख़राब कर रही हो.
माँ : नहीं नहीं बिना कंडोम के नहीं.
अंकल : मुझे कौन सा एड्स है यार.. बिना कंडोम के तो असली मज़ा है.
माँ : मेरी अलमारी खोलो और उसमे से कंडोम का पैकेट है.. निकाल लो. अंकल कंडोम निकालने के लिये उठे और अलमारी खोलकर पैकेट में से कंडोम निकाला.
अंकल : इतने सारे कंडोम कौन इस्तेमाल करता है यह चक्कर क्या है? और नॉटी स्माइल देने लगे.
माँ : शटअप.. बकवास मत करो यार.
अंकल ने कंडोम लगाया और माँ के ऊपर आकर लेट गये. उन्होने अपना लंड माँ की चूत पर टिकाकर थोड़ा ऊपर नीचे रगड़ा और फिर एक ज़ोरदार झटका मारा और अंकल के लंड का ऊपरी हिस्सा माँ की चूत में चला गया. ओह सॉरी मैं आपको अंकल का परफेक्ट साईज़ तो नहीं बता सकता लेकिन ये ज़रूर बोल सकता हूँ कि मेरे लंड से छोटा था. मेरा लंड 7 इंच का है तो अब आप खुद सोच लें.. शायद 6 या 6.5″ इंच का होगा. अंकल ने माँ के होंठ पर अपने होंठ रखे और उनकी जीभ आपस में लड़ने लगी.
वो दोनों बहुत ही सेक्सी किस कर रहे थे और अंकल ने इतने मे दूसरा झटका मारा.. लगभग पूरा लंड माँ की चूत में चला गया. फिर अंकल आगे पीछे होने लगे. और इधर मेरा भी वीर्य निकल गया था. अंकल ने धीरे धीरे स्पीड बड़ा दी और पूरा रूम उनके बदन के टकराने और माँ के चिल्लाने की आवाजों से भर गया और ये आवाजें मुझे मदहोश कर रही थी.
माँ : आह उम्म.
अंकल : आई लव यू सेक्सी और 5 मिनट तक अंकल ने इसी पोज़िशन में माँ को चोदा और एक ज़ोरदार आह के साथ अंकल माँ के ऊपर गिर गये. मुझे तो देखकर झटका लगा कि 5 मिनिट में ही अंकल का हो गया.. लेकिन माँ का नहीं हुआ था.
2 मिनट दोनों ऐसे ही लेटे रहे और फिर अंकल साईड में लेट गये. माँ अंकल की तरफ पलटी और दोनों ने फिर चुम्मा चाटी शुरू कर दी. अंकल साईड से ही माँ के बूब्स दबा रहे थे. फिर माँ अंकल के ऊपर चड़ गई और उनके गाल चूमने लगी. फिर होंठ पर किस किया और गले पर चूमती हुई अंकल की छाती पर आई और उनकी निपल्स चूसने लगी.
ये देखकर तो में हैरान हो गया. मुझे नहीं पता था कि लड़कियाँ भी इतनी तेजी से यह करती है और ऐसा भी कुछ करती है. माँ ने अंकल के बालों भरी छाती पर हाथ फेरा और पूरी छाती को चूमा. धीरे धीरे माँ अंकल के लंड की तरफ बड़ी और उसे हिलाने लगी. 5 मिनट में अंकल का लंड फिर सलामी दे रहा था और हमले के लिये तैयार हो गया था.
माँ अंकल के लंड के ऊपर बैठी और धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगी. में तो बयान नहीं कर सकता कि मुझे कितना मज़ा आ रहा था. माँ की गांड मेरी तरफ थी और मैं गांड देखकर पागल हो जाता हूँ.. मुझे नशा हो जाता है और माँ की गांड तो आह कितनी सफ़ेद मोटी और सॉफ्ट थी.. शायद इसलिये अंकल भी अपने आपको नहीं रोक पा रहे थे और बार बार माँ की गांड दबा रहे थे. माँ फिर से आहें भर रही थी और अंकल के लंड पर कूद रही थी.
माँ : अहह उम्म्म या या या और 5 मिनट बाद इस बार माँ झड़ गई और अंकल के ऊपर गिर गई.. लेकिन अंकल नहीं रुके और माँ को उठाकर पलट दिया और अब अंकल माँ के ऊपर थे और उन्हे चोद रहे थे. माँ का पूरा बदन कांप रहा था शायद इसलिये क्योंकि वो अभी अभी झड़ी थी. माँ ने अंकल को अपनी तरफ किया और लंबा किस किया आहह 2 मिनिट बाद ही अंकल भी झड़ गये और साईड में गिरकर लेट गये. दोनों ने फिर थोड़ी चुम्मा चाटी की और अंकल ने माँ के बूब्स दबाये और फिर माँ उठी और बाथरूम में चली गई. अंकल भी उनके पीछे गये.. मुझे लगा बस अब शो ख़त्म.. इसलिये मैं कुर्सी को उसकी जगह पर रख कर जाकर सो गया. उम्मीद है कि आपको ये सच्ची घटना पसंद आई होगी.
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रिक्शे वाले ने बारिश में चोदा


हेल्लो दोस्तों.. में 21 साल की पंजाबी लड़की हूँ और दिल्ली के कॉलेज में पढ़ रही हूँ. मेरा फिगर 37-27-39 है और हाईट 5 फुट 9 इंच है.. मेरी आँखे और बाल काले हैं और में गोरी हूँ.. नाक पतली और छोटी है ठुड्डी राउंड है और फेस डायमंड शेप है.. होंठ पतले हैं और चेहरा भरा हुआ है. बात अभी कुछ ही दिन पहले की है.. जुलाई का आखरी था और बारिश कभी कभी हल्की हो रही थी.. में अपने होस्टल के रूम में बिस्तर पर बैठी हुई अपने फोन पर पॉर्न मूवी देख रही थी.. अचानक ही मेरी एक फ्रेंड का फोन आया.. जो कि अपने घर गयी हुई थी.
पायल : हेल्लो इशिका.
में : हाय पायल कैसी है और कब आ रही है वापस?
पायल : अरे यार यहां बस स्टैंड पर खड़ी हूँ.. मुझे पुलिस स्टेशन में काम है अर्जेंट और मेरे पास काफ़ी सामान है.. तू आजा साथ में डिनर करके चलेंगे मार्केट से.
में : ओह.. ओके में अभी आती हूँ.. सब ठीक तो है ना?
पायल : मेरा सेलफोन चोरी हो गया.. मुझे रिपोर्ट करनी है अभी.
में : फिर चोरी हो गया.. तू करती क्या है? बड़ी लापरवाह है और रिपोर्ट बाद में करा लेना.
पायल : अरे यार अभी ट्रैक हो जाए तो अच्छा है.. बाद में कोई कुछ नहीं करता.
में : ओके डार्लिंग टेन्शन मत ले.. में आती हूँ. फिर में जल्दी में तैयार हुई और बिना ब्रा के ही एक पीला टॉप और नीली जींस डाल ली. होस्टल के बाहर से रिक्शा पकड़ा जो कि ऊपर से खुला था.. ध्यान ही नहीं रहा कि बारिश हुई तो सब भीग जायेगा.
बस स्टेण्ड करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर था और जो रास्ता है वो काफ़ी सुनसान सा है और बारिश के टाइम वहाँ और भी कम ट्राफिक होता है. रास्ते में जो डर था वही हुआ.. बारिश शुरू हो गई और में भीगने लगी.. खेर इतनी तेज़ बारिश नहीं थी.. इसलिये मैंने रिक्शा नहीं रुकवाया.. पर कुछ ही सेकेंड में बहुत तेज़ बारिश होने लगी.
मैंने रिक्शे वाले भैया को साईड में पेड़ के नीचे रुकने को कहा.. में जल्दी से रिक्शे से कूदकर पेड़ के नीचे भागी और रिक्शे वाले को मैंने पैसे भी नहीं दिए थे.. इसलिए वो रुक गया और अपनी सीट पर ही बैठे बैठे घूरने लगा.
रिक्शा वाला : मेडम थोड़ी ही दूर है.. वहां जाकर खड़ी हो जाना.
में : अरे दिख नहीं रहा भैया.. में भीग गई हूँ. एक तो छत नहीं है तुम्हारे रिक्शे में और ऊपर से भीगा दोगे.. रिक्शा वाला मुझे घूरे जा रहा था.. तभी अचानक से मुझे ध्यान आया.. हे भगवान मैंने ब्रा नहीं पहनी है और मेरी दोनों चूची साफ चमक रही है और बाहर गीली टी-शर्ट से तो अंदर का सब दिख रहा था क्लियर.. ऊपर से बारिश की ठंडी ठंडी बूंदे जिनकी वजह से मेरे निप्पल कड़क हो गये थे.
रिक्शे वाले ने रिक्शा साईड में लगाया और मेरे पास आकर खड़ा हो गया.. मुझे जैसे ही ध्यान आया तो मैंने अपने हाथ फोल्ड कर लिए और नीचे सिर करके खड़ी हो गयी. शोर्ट टी-शर्ट पहनी थी.. जिससे मेरे हाथों में हल्की हल्की ठंड लग रही थी और जिससे में काँपने लगी. में फोन पर पॉर्न देखने के बारे में सोचने लगी और मेरे दिमाग़ में अजीब अजीब ख्याल आने लगे.. इतने में पायल का फोन आ गया.. तू कहां है इशिका.. में वेट कर रही हूँ.
में : अरे यार ऑटो नहीं मिला.. तो रिक्शे से आ रही थी और रिक्शे में छत ही नहीं है.. पेड़ के नीचे खड़ी हूँ अभी.
पायल : अरे यार.
में : तू बाद में रिपोर्ट करवा लेना. फिर फोन तो मिलेगा नहीं.
पायल : क्या पता मिल जाये.
में : अच्छा ठीक है बारिश कम होते ही आ रही हूँ. में फोन पर बात करते टाइम अपने हाथ नीचे कर चुकी थी.. जिससे रिक्शे वाले को खूब मज़ा आ रहा था.. वो मेरे साईड में खड़ा होकर मेरे उभारों को देखे जा रहा था. फिर वो बात करने की कोशिश करने लगा.
रिक्शे वाला : मेडम मौसम तो बढ़िया हो गया है.. अब मैंने सोचा कि ठीक है.. बातें करूँगी तो यह यहीं रहेगा और भागेगा नहीं.. तो में भी बातें करने लगी.
में : हाँ भैया कम से कम गर्मी तो कम होगी.
रिक्शे वाला : पर आप लेट हो गई बारिश में.
में : अब क्या करें.. किसी का फायदा तो किसी का नुकसान.. वेसे मुझे बारिश से कोई शिकायत नहीं है.
रिक्शे वाला : आप यू.पी से है?
में : नहीं में पंजाब से हूँ.. आप शायद यू.पी से हो.. रिक्शे वाला मुस्कुराने लगा.
रिक्शे वाला : मेडम आपका नाम क्या है? मुझे अजीब लगा कि ये क्या चाहता है जो नाम पूछ रहा है.
में : नाम का क्या करोगे?
रिक्शे वाला : मेरा नाम लखन है.. ऐसे ही मेडम परिचय के लिये.
में : हाँ हाँ हाँ.. आप तो मुझे पढ़े लिखे लगते हो.
लखन : हाँ मैने बी.ए किया है और में तो मजबूरी में रिक्शा चला रहा हूँ.
में : ओह.
लखन : आप क्या करती है? मतलब क्या पढ़ रही है.
में : अरे वो जो कॉलेज था ना.. जहाँ आप खड़े थे.. वहां पढ़ती हूँ.
लखन : अरे याद आया.. मैंने आपको कई बार आते जाते देखा है. लखन थोड़ा पास आ गया.. मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा.. एक तो दिमाग़ मे पॉर्न मूवी चल रही थी.. जिसे देखकर में उंगली कर रही थी.. ऊपर से टी-शर्ट में खड़ी निपल्स. लखन बड़ा ही हंसमुख आदमी था.. मुझसे हाईट में कुछ छोटा और पतला सा था.. मुँह काफी पतला था और करीब 35–36 के आस पास उम्र होगी.. उसकी दाढ़ी हल्की सी थी..
दो तीन मिनिट तक तो वो खुद ही बोलता रहा. मेरे मन में अब लंड घूम रहा था.. मोटा सा लंड अपनी चूत में लेने की इच्छा हो रही थी. फिर मेरे दिमाग़ में आया कि क्यों ना में लखन के साथ ही कुछ शरारत करूँ.. मैंने अपने दोनों हाथ कमर पर रख लिए और फिर एक हाथ से टी-शर्ट को बाहर की तरफ खींचा.. खींचते ही टी-शर्ट से चिपके हुये मेरे गोल गोल मोटे चूचे अलग हो गये.. लखन बड़े ध्यान से देख रहा था और उसका मुँह शुरू से ही मेरी तरफ था.
में : अच्छा तो आप मुझे देखते क्यों थे?
लखन : अरे मेडम इतनी खूबसूरत हो.. नज़र तो टिकेगी ही.. में अकेला थोड़ी हूँ.. आप के कॉलेज के लड़के भी तो देखते है.
में : तो क्या? बताओ.
लखन : वही तो इशारे से पूछते थे कि अच्छा लगा.
में : ओह ऐसा है क्या? अच्छा तो फिर आप क्या कहते थे.
लखन : सच ही कहा था मेडम.
में : क्या कहते थे.. मैंने अपनी आँखें बड़ी की और सीधा लखन की आँखों में बड़े प्यार से देखा.
लखन : यही कि बड़ा मज़ा आया.
में : ह्म्‍म्म्म देख के मज़ा आता है?
लखन : और नहीं तो क्या मेडम.
में : मेडम मत कहो.. प्लीज़ मेरा नाम इशिका है.. बड़ा अजीब लगता है अपने से बड़े लोगों से मेडम सुनना.
लखन : ठीक है इशिका जी.. में सोच रही थी कि मर्द बड़ा रेस्पेक्ट देते है.. जब तक लड़की पट नहीं जाती.. लेकिन जब एक बार चोद लेते है.. तो रेस्पेक्ट को हमारी गांड मे डाल देते है. मुझे ये सोचकर हंसी आ गई कि अभी जब इसे चूत दे दूँगी.. तो फिर जी वी सब गायब हो जायेगा.
लखन : क्या हुआ इशिका जी.
में : यही सोच रही थी कि आपको क्या मज़ा आता होगा.. लखन भी इशारे पकड़ रहा था अब.
लखन : आपको पता है क्या?
में : हाँ आजकल तो सब को पता होता है और में मुस्कुराकर अपनी छाती बाहर निकाल कर नीचे देखने लगी. मेरी चूचियां फिर गीली टी-शर्ट पर चिपक गयी थी.. अब लखन का लंड भी पेंट का शेप बिगाड़ रहा था.
में : आपकी शादी हो गई होगी.
लखन : हाँ.. अब लखन की आँखें मेरे छाती पर टिकी थी और वो मुझसे एक हाथ की दूरी पर था.
में : फिर भी आप जवान लड़कियों को देखकर मज़े लेते हो?
लखन : जितनी टाईट होती है ना उतना मज़ा आता है देखने में भी और इतना कहकर ही उसने अपना एक हाथ मेरे लेफ्ट बोबे पर रख दिया और हॉर्न की तरह ज़ोर से दो तीन बार दबा दिया.
में : आह.. ये क्या कर रहे हो आप?
लखन : ड्रामा तो खूब कर लेती हो इशिका बेवकूफ़ समझती हो क्या? कब से लाइन दे रही हो.
में : में तो नॉर्मल ही बात कर रही थी और मैंने उसे हल्का सा धक्का दिया.. में भी मज़े ले रही थी.
लखन : भोसड़ी की.. नोर्मल बातें सभी के लंड भी ले लेती होगी. फिर तो वो और मेरे उपर झपटा और मेरे बूब्स को दोनों हाथों से पकड़ लिया. फिर कसकर होर्न बजाने लगा और आटे की तरह गूँथने लगा. मेरे हाथ उसके हाथों पर थे.. मेरी चूत अचानक ही उफन पड़ी और खूब सारा जूस बहने लगा. में शाम के उजाले में खुले रोड़ पर साईड में एक रिक्शे वाले से अपने बूब्स दबवा रही थी.. ये सोचकर मुझे और जोश आ गया.. अब में मोन कर रही थी.
में : म्‍म्म्ममस्सस्स.
लखन : साली मज़ा आने लगा. आ गयी तू लाइन पर.. ये कहकर उसने टी-शर्ट के उपर से ही मेरे बूब्स के बीच मुँह रगड़ दिया.
लखन : ब्ब्ब्बररररराआाहह. फिर मेरी पिचकारी छूट पड़ी.
लखन : पसंद आ रही है साली रंडी.
में : ओह हाँ… पर यहाँ कोई देख लेगा.. कहीं और चलो.
लखन : देख लेगा तो क्या? वेसे भी यहाँ कई रंडियां चुदती है कोई कुछ नहीं कहता.
में : अरे पर में रंडी थोड़ी ही हूँ.
लखन : जो भी हो.. तू माल तो अच्छा है. उसने मेरी टी-शर्ट उपर की और अपना मुँह जितना खुल सके.. उतना खोलकर मेरे सीधे वाले बूब्स पर चिपका दिया और खूब ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा.. लग रहा था कि आज तो दूध ही निकल आयेगा. चूसते चूसते उसने अपने दोनों हाथ मेरे चूतड़ पर दबा दिए और जानवरों की तरह दबाने लगा.
में : प्लीज़.. साईड में चलो.. में मना थोड़ी कर रही हूँ.. जो चाहो कर लेना लेकिन उस झाड़ी के पीछे चलो.
फिर लखन मुझे झाड़ी के पीछे ले गया.. मुझे पीछे से दबोच कर जिससे कि उसका लंड मेरी गांड मे चुभ रहा था. झाड़ी के पीछे आते ही उसने मेरी टी-शर्ट निकालकर साईड में फेंक दी.
में : अरे क्या कर रहे हो.. मुझे जाना भी है कही गंदा मत करो. लखन मेरे बूब्स पर चींटे की तरह मुँह लगाकर चिपका हुआ था और ऐसे ही में टी-शर्ट उठाने लगी. फिर बड़ी मुश्किल से टी-शर्ट उठाकर साईड में रखी.. अब में ऊपर से नंगी थी और मेरा एक बूब्स लखन खा रहा था और एक लटक रहा था.
मुझे अंदाज़ा हो गया कि ये बड़ा भूखा है.. आज तो हालत ख़राब कर देगा. फिर मैंने सोचा जल्दी ख़त्म करते है.. मैंने झट से अपनी जीन्स का बटन खोल दिया और उतारकर साईड में रख दी.. लखन खड़ा होकर खुशी से देखने लगा.
लखन : अपनी ठुकाई की तैयारी खुद ही कर रही है.
में : हाँ.. नहीं तो तुम तो सारा दिन बूब्स ही चूसते रहोगे.. और मैंने दोनों बूब्स को पकड़कर हिला दिया और फिर झट से पेंटी उतारी और ज़मीन पर ही कुत्तिया बन गई. मुझे लगा कि लखन अपना लंड डालेगा.. देसी आदमी वेसे भी सिर्फ़ चुदाई ही जानते है.. मुझे लगा पर वो भूखे शेर की तरह मेरी चूत पर मुँह लगाकर जूस चूसने लगा.. मेरी चीख निकल गयी.. सुनने वालों ने कई दूर से सुन ली होगी.. ऐसी चीख थी.
में : क्या कर रहे हो.. खा ही जाओगे क्या?
लखन : इतनी सुन्दर चूत है तेरी.. खानी ही पड़ेगी. ऐसी चूत तो सिर्फ़ विदेशी फ़िल्मो में देखी है.
में : तुम्हे पसंद आई?
लखन : दिखाता हूँ कितनी पसंद आई. उसने फिर एक थप्पड़ घुमाकर मेरी चूत पर मारा और में एकदम से उछल गई.
में : आअहह.. जानवर ही हो क्या?
लखन : शेर हूँ शेर.
में : शेर का तो लंड छोटा होता है.. काफ़ी बड़ा तो गधे का होता है और में हंस पड़ी. लखन ने मुझे बाल पकड़कर उठाया.. शायद वो समझ चुका था कि मुझे काबू करना आसान है और में ज़्यादा कहूँगी नहीं.. मुझे उसने घुटनो के बल बैठाया और अपना पेंट खोल दिया. उसका लंड ज़्यादा बड़ा नहीं था.. पर उसकी हेल्थ के हिसाब से काफ़ी ज़्यादा मोटा था.
में : वाउ.. ये तो काफ़ी मोटा है..
इतना बोलते ही उसने अपना लंड मेरे मुँह में घुसेड़ दिया और ज़ोर ज़ोर से चूत की तरह चोदने लगा.. लंड मेरे गले तक घुस रहा था.. वो चोदे जा रहा था.. मेरा चिपचिपा थूक निकलकर लंड पर लग गया. जिससे कि वो और चिकना हो गया और सरर सररर मुँह में अंदर बाहर होने लगा. में मुँह साईड में करने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसने मुझे कसकर बालों से पकड़ा हुआ था.. पर आख़िर में मुँह साईड में करने में कामयाब हो गई और वो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था.
मेरे गले की जगह वो मेरे गाल को अपने मोटे लंड से चोद रहा था.. गाल ऐसा लग रहा था कि फट ही जायेगा.. उसने खूब मुँह को चोदा. फिर जल्दी से मुझे मोड़ा और फिर से कुत्तिया बना दिया और ज़ोर से मेरी चूत में लंड डाल दिया.
लखन : साली रांड़ कितनो से चुदवा चुकी है.. चूत तो खुली है तेरी.. पर काफ़ी टाईट है .
में : आअहह ऊऊ.. मेरे बॉयफ्रेंड से ही बस.
लखन : मेरा लंड केसा लगा तुझे.
में : मज़ेदार आआआअहह है काफी मस्त है लंड तुम्हारा.. पर थोड़ा और लंबा होता तो और गहरा उतर जाता.. हहस्सस्स.
लखन : गहरे का क्या है? ये देख.. लखन ने मेरी चूतड़ पर थप्पड़ मारा और पूरी जान लगाकर अपनी कमर हिलाने लगा.. लग रहा था कि लंड नहीं खंजर हो.. जो मेरी चूत में अंदर बाहर हो रहा है. इतना मज़ा आ रहा था कि क्या बताऊँ.. में वहां पड़े पड़े ही मज़े ले रही थी.. इतने में फोन बज पड़ा.
पायल : ओये कहां है तू?
में : यहीं हूँ.
पायल : बारिश तो कब की बंद हो गयी.. कब आयेगी.
में : अरे बस निकल रही हूँ.
लखन : भोसड़ी की कौन है ये जो चुदाई में बाधा डाल रही है. मैंने पीछे मुड़कर इशारा किया चुप होने का.. लखन मेरी पीठ से चिपक गया और मेरे उपर लगभग लेट गया और चोदना चालू रखा.
पायल : अरे यार तेरे चक्कर में कब से खड़ी हूँ.. तू अब जल्दी आजा.
में : बस पहुँच रही हूँ.. उऊऊइीईईई.
पायल : ये तेरी आवाज़ को क्या हुआ.. लखन धीरे से मज़े लेता हुआ कहता है.. चूत चुद रही है रंडी की.
में : उउंम्म रोड़ पर गड्डे है यार काफी.. रिक्शे वाले धीरे चलाओ.. उउउइई माँआआ.
पायल : कौन से रास्ते से आ रही है तू.. खेर जल्दी आजा.
में : ठीक है.
में : फिर बच गई.. लखन अब खूब तेज़ झटके मार रहा था. उसने अपनी दोनों हथेली मेरी पीठ पर रखी.. हाथ सीधे किए और ज़मीन पर सिर्फ़ उसके पंजे थे.. जैसे मेरी पीठ को दबा रहा हो और फिर वो हथेली और पंजो के सहारे ही बेलेंस बनाकर जोरदार झटके मारने लगा. उसके झटके तेज़ हो रहे थे.. में समझ गई कि इसका निकलने वाला है.. में एकदम से आगे हुई और उसका लंड बाहर आ गया.. पर वो झटका मार रहा था और इसलिये बाहर आते ही लंड मेरी गांड के छेद में ज़ोर से लगा.
लखन : माँ की लोड़ी आने वाला है.. क्या कर रही है? में एकदम से घुटनो के बल बैठी और अपने दोनों बूब्स में उसका लंड समेट कर ऊपर नीचे करने लगी. उसने मुझे धक्का दिया और में पत्तो पर पीठ के बल गिर गई और वो मेरे उपर चड़ गया और मेरे पेट पर बैठकर अपना लंड मेरे बोबो के बीच फंसाकर आगे पीछे घिसने लगा. थोड़ी देर में उसकी पिचकारी मेरी गर्दन पर और बोबो पर बिखर गई.. मैंने मज़े लेकर उसका माल उंगली से चाटा.. वो मेरे उपर ही लेट गया और लिपट गया.
में : ले लिए मज़े अब तो.
लखन : अभी कहां.. अभी तो असली काम बाकी है.
में : वो क्या?
लखन : में तेरी मोटी गदराई गांड पर फिदा हूँ.. वो लेनी है.
में : ओह नो.. नहीं प्लीज़… अभी नहीं.. अभी मुझे जाना पड़ेगा.. में बाद में मिलूंगी कभी तो वो भी ले लेना.
लखन : चल ठीक है कहां भागेगी.. अब तो तू मेरी रंडी है.
में : हाँ हाँ हाँ… फिर में उठी और लखन ने अपना लंड चुसवाकर साफ करवाया. फिर अपने आपको लखन की चड्डी से साफ किया और अपने कपड़े पहने. फिर में झाड़ी से बाहर आई.. तो देखा उसी रोड़ पर दूसरी साईड में ऑटो आ रहा था. उस ऑटो में पायल बैठी थी और मुझे देख रही थी.. उसने ऑटो रुकवाया.. पर ऑटो कुछ आगे जाकर रुका. लखन पेशाब करके मेरे पीछे से निकला और रिक्शे पर बैठ गया.. पायल उसे मेरे पीछे से निकलते नहीं देख पाई थी.
लखन : चलो मेडम.
में : ओह रूको.. मेरी दोस्त यहाँ है.
लखन : चलो.. तो फिर अपना नम्बर तो बता दो.. मैंने लखन का नम्बर लिया और फिर रिक्शे में बैठकर ही उसी साईड चल दी जहाँ से आई थी.. वेसे लखन को भी वापस जाना था.. वहीं आगे में ऑटो के पास उतरी और ऑटो में बैठने लगी.
पायल : अरे पैसे तो दे दे बेचारे को.. में सोच रही थी कि चूत और मुँह तो दे ही दिया है और ऊपर से पैसे भी दूँ.
लखन : अरे नहीं नहीं.. मेडम का ख़ाता है मेरे साथ.. कोई बात नहीं.. बाद में ले लूँगा.. जब कभी दिखेंगी. पायल ने कहा.. ओके और हम दोनों चल दिये.. पायल ने रास्ते में कहा.. मुझे सब पता है किस खाते की बात हो रही थी. मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी कि इसे कैसे पता चला? फिर होस्टल पहुँचने पर उसने बताया कि तुझे जो झटके लग रहे थे.. वो चुदाई ही हो सकती थी.. फिर मैंने आँख मारी और कहा कि क्या करूँ? चूत के लिए ये सब करना पड़ता है.
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