मकान मालकिन बनी लंड की दीवानी


हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम नमन है और घर पर सभी लोग मुझे प्यार से बंटी बुलाते हैं. दोस्तों आज में आप सभी को मेरी मकान मालकिन से चुदाई की कहानी बताने जा रहा हूँ.
वैसे यह कुछ समय पुरानी बात है और में उस समय 12वीं में पढ़ता था. में जिस मकान में रहता था, उसकी मकान मालकिन की उम्र करीब 36 साल थी, लेकिन वो इतनी उम्र होने के बाद भी एक बहुत ही सेक्सी औरत थी और में उन्हे आंटी कहकर बुलाता था और उन आंटी का नाम रोमा था और में उनकी सुन्दरता का दीवाना था.
मुझे जब भी मौका मिलता था, में उनसे बात ज़रूर करता और इसी बहाने मुझे उनके गोरे गोरे बूब्स को निहारने का मौका मिलता था और में आंटी के बूब्स को देखकर एकदम पागल हो जाता था, क्योंकि उनके बूब्स बहुत बड़े बड़े थे और साड़ी के आँचल से उनकी एक झलक ही मुझे मिल जाए तो में यही सोचकर उनसे बात करता था. फिर में बातों के बीच में उनके बड़े साईज़ के बूब्स, गांड को देखता रहता और शायद धीरे-धीरे इस बात का अंदाजा आंटी को भी लग गया था कि में उनके जिस्म को घूरता रहता हूँ.
फिर वो भी अब कभी कभी अपने पल्लू को जानबूझ कर गिरा देती और गहरे गले के ब्लाउज से गोल गोल बूब्स दिख जाते, लेकिन सबसे अच्छी बात यह थी कि आंटी सेक्सी तरीके से कपड़े पहनती थी, जैसे कि जालीदार गहरे गले के ब्लाउज, जालीदार ब्लाउज से उनकी ब्रा भी साफ साफ दिखती थी और उनकी साड़ी भी नाभि से बहुत नीचे हुआ करती थी और में उनके अंग अंग का दीवाना था.
उनके रसीले होंठ, मदमस्त कर देने वाले बूब्स, नाभि, गांड और वो सब कुछ जो उनमे मौजूद था, वो मेरी रातो की रानी थी और में जब भी मुठ मारा करता था तो में उन्ही के बारे में सोचता था और में किस्मत वाला था कि मुझे रोमा आंटी के घर में रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. उनके पति जब ऑफिस चले जाते थे, तब वो घर पर अकेले हुआ करती थी और ऐसे में जब मेरी उनसे मुलाकात हो जाती, तब में मौके का फ़ायदा उठाकर बहुत देर बातें करता था. उन पर क्या जवानी छाई हुई थी? 36 की उम्र होने के बाद भी वो एक सेक्स बम थी. मेरा लंड हर रोज उनके बारे में सोच सोचकर पानी छोड़ दिया करता था.
फिर एक बार मेरे माता-पिता दस दिन के लिए हमारे एक करीबी रिश्तेदार के घर दूसरे शहर गये हुए थे और मुझे खाना बनाना नहीं आता था, इसलिए आंटी ने कहा कि में उन्ही के घर पर खाना खा लिया करूँ. फिर में उनकी यह बात सुनकर बहुत खुश था और वैसे भी इतना अच्छा मौका कौन गँवाना चाहेगा, तो में 8 बजे उनके घर जाता था और खाना खाने के बाद वापस अपने कमरे में चला आता था, उस वक़्त तक अंकल भी घर पर ही होते थे और फिर दो दिन बाद अंकल की कंपनी ने उनको मीटिंग के लिए दिल्ली भेज दिया और अब आंटी घर पर बिल्कुल अकेली हो गयी.
में उस रात को भी हर रात की तरह 8 बजे आंटी के घर पहुँचा, आंटी ने दरवाज़ा खोला और हर बार की तरह वो सेक्सी गहरे गले का ब्लाउज और जालीदार साड़ी में थी और में उस गहरे गले के ब्लाउज में से उनके सुंदर बूब्स को निहार रहा था, वो जब मूड कर जाती तो में उनके जालीदार ब्लाउज से उनकी काली ब्रा और पीठ को देखता, दोस्तों वाह क्या जिस्म था और मेरा तो मन कर रहा था कि उन्हे पकड़ लूँ और पूरे बदन को बारी बारी से चूमूं और उनकी गांड भी एकदम भरी पूरी थी और में सोचता था कि ऐसी गांड को मारने में कितना मज़ा आएगा, लेकिन आज तक मैंने किसी लड़की को नहीं चोदा था, इसलिए में इन सब बातों को केवल सोचता ही था.
मुझे आंटी बहुत खुश नज़र आ रही थी, शायद उनको भी मेरे दिल की इच्छा का पता चल गया था और वो भी मेरे साथ बैठकर खाना खाने लगी और फिर खाना खाते-खाते अचानक से उनका पल्लू नीचे सरक गया और मुझे उनके बड़े-बड़े बूब्स दिखने लगे और में तिरछी नजर से उनको देखता रहा, आंटी को भी मज़ा आ रहा था और उन्होंने पल्लू को नीचे गिराकर छोड़ दिया. फिर वो कहने लगी कि मुझे यह साड़ी बहुत परेशान करती है, मेरा तो जी करता है कि में इसे उतार दूँ. एक तो इतनी ज़्यादा गर्मी और ऊपर से यह साड़ी, यह कहते हुए उन्होंने साड़ी को निकाल दिया और अब वो ठीक मेरे सामने सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउज में थी और हमेशा की तरह उनका पेटीकोट नाभि से बहुत नीचे था और आंटी अब मुझ पर ज़ुल्म ढा रही थी, क्योंकि उनका अधनंगा जिस्म मेरी आँखों के सामने था और फिर आंटी अब दोबारा से खाना खाने बैठ गयी.
खाना खा लेने के कुछ देर बाद वो मुझसे बोली कि बंटी मुझे रात को अकेले में डर लगता है तो जब तक तुम्हारे अंकल नहीं आ जाते, तुम मेरे घर पर ही रात को रुक जाया करो. फिर में उनकी यह बात सुनकर मन ही मन खुशी से झूम उठा और में अपनी कुछ किताबें आंटी के घर ले आया और में सोच रहा था कि शायद मुझे दूसरे कमरे में सोना होगा और इसलिए मैंने किताबों को आंटी के रूम में ना रखकर पास वाले कमरे में रख दिया.
फिर आंटी ने कहा कि क्यों बंटी मेरे साथ सोने में तुम्हे क्या कोई आपत्ति है? प्लीज तुम मेरे साथ ही सो जाओ ना, तुम अपनी पढ़ाई करना और में भी वहीं सो जाऊंगी और जब तुम्हारा जी चाहे तो तुम भी वहीं सो जाना. फिर में आंटी के पास में सोने के ख्याल से बिल्कुल पागल हो रहा था, क्योंकि मैंने आज तक जिससे केवल बात की थी, मुझे आज उनके साथ सोने का मौका भी मिल रहा था और उस समय गर्मी बहुत ज़्यादा थी, इसलिए आंटी ने मुझसे कहा कि बंटी तुम अपनी शर्ट उतार दो. तुम इतनी गर्मी में केवल पेंट में भी रह सकते हो और में तो सोते वक़्त ब्लाउज भी नहीं पहनती, केवल ब्रा और पेटीकोट ही पहनती हूँ.
अचानक से आंटी के मुँह से ‘ब्रा’ जैसे शब्द सुनकर में बहुत रोमांचित हो गया और फिर क्या था, वो अपना ब्लाउज खोलने लगी और वो जैसे जैसे हुक खोलती जाती और उनके उभरे हुए बूब्स बाहर आ जाते. फिर आख़िर में उन्होंने ब्लाउज खोल दिया और उसे एक तरफ फेंक दिया, ज़ालिम आंटी के बड़े बड़े कसे हुए बूब्स उस काली ब्रा में दबे हुए थे, उन्हे देखकर मेरा मन कर रहा था कि उनके बूब्स को मसल दूँ और जीभ से चाट लूँ और चूस लूँ, लेकिन मुझे संयम बनाए रखना था.
फिर जैसे तैसे मैंने पढ़ाई में ध्यान लगाना शुरू किया और थोड़ी ही देर बाद आंटी बोली कि बंटी मेरी कमर में दर्द हो रहा है, अगर तुम बुरा ना मानो तो तेल से इसकी मालिश कर दो? तो यह बात सुनकर मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा. फिर मैंने लंड को ठीक किया और आंटी के करीब पहुँच गया.
आंटी बोली कि तुम बुरा मत मानना, में तुमसे मालिश करवा रहीं हूँ, क्या करें दर्द इतना ज़्यादा हो गया है. फिर मैंने कहा कि इसमें बुरा मानने वाली क्या बात है, आपको जो भी काम हो करवाना है करवा लीजिए, मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है. फिर क्या था? मैंने आंटी की कमर की मालिश शुरू कर दी और उनके मक्खन की तरह कोमल बदन पर मेरे हाथ घूमने लगे और मेरा लंड खड़ा होने लगा.
मैंने आंटी के शरीर को हाथ लगाते ही वो बोली हाँ कितना अच्छा लग रहा है, मेरे बदन की थकान जैसे कि तुमने खत्म कर दी. फिर वो बोली कि थोड़ा और नीचे दबाना और मेरे पेटीकोट को भी उतार दो. इससे तुम्हे मालिश करने में आसानी होगी और मुझे भी आराम मिलेगा.
दोस्तों मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था, इसलिए मैंने कुछ नहीं किया तो इस पर आंटी बोली कि सोच क्या रहे हो पेटीकोट को उतार दो और फिर दोबारा ऐसा सुनते ही मैंने पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया और उसे नीचे सरका दिया. फिर आंटी की गोरी और गोल-गोल गांड मेरी आँखों के सामने थी और मैंने उनकी गांड के आस पास मालिश शुरू कर दी और में उनकी गांड को धीरे-धीरे मसल रहा था और आंटी भी सिसकियाँ ले रही थी, उन्हे भी बहुत मज़ा आ रहा था.
वो बोली कि ज़रा ज़ोर से मसलो ना, दर्द बहुत ज़्यादा है और आज तुम्हे ही मेरे जिस्म के दर्द को खत्म करना है. फिर मैंने ज़ोर ज़ोर से मसलना शुरू कर दिया और अब मुझे भी ऐसा करने से बहुत मज़ा आ रहा था और मेरा लंड जो सांप की तरह खड़ा था, उनके पैर में रगड़ रहा था. फिर आंटी बिल्कुल नासमझ बनते हुए बोली कि यह क्या है मेरे पैरों के पास?
मैंने कहा कि आंटी यह मेरा लंड है, तो इस पर आंटी ने कहा कि अपना लंड अपनी आंटी को नहीं दिखाओगे और एक बार जी भरकर में भी तो देखूं कि मेरे बंटी का लंड कैसा है? और यह कहते हुए वो एकदम उठ गयी. दोस्तों आंटी ने पेटीकोट के नीचे पेंटी नहीं पहनी हुई थी, इसलिए उनकी चूत उनके झांटो के बीच से साफ साफ दिखाई दे रही थी.
फिर आंटी ने मेरी पेंट को खोल दिया और अब में केवल अंडरवियर में था और फिर उन्होंने मेरी अंडरवियर को पकड़ा और उसे भी नीचे कर दिया. मेरा लंड पूरी तरह से तनकर खड़ा हुआ था और उनकी चूत को सलामी दे रहा था. फिर मेरे खडे लंड को देखकर आंटी बोली कि बाप रे तुम्हारा लंड कितना बड़ा है और यह तो एकदम तनकर खड़ा है और क्या अपनी आंटी के जिस्म को देखकर तुम भी बेताब हो गये? क्यों बंटी क्या कभी किसी लड़की को चोदा है? और इस 8 इंच के लंड का क्या फ़ायदा? अगर इसे इस्तेमाल ही ना किया हो और ऐसा कहते ही आंटी उसे अपने मस्त होठों से चूम लिया.
मेरे शरीर में एक बिजली सी दौड़ गयी. फिर आंटी ने धीरे से कहा कि क्या तुम मुझे चोदोगे? और अब वैसे भी इस लंड का इस्तेमाल होना चाहिए ना, क्योंकि ऐसे लंड को देखकर मेरी भी जवानी भड़क उठी है और आज सारी रात हम लोग चुदाई करते हुए बिताएँगे, क्यों बोलो चोदोगे ना अपनी आंटी को. फिर में आंटी की यह बात सुनकर एकदम खुशी से झूम उठा और मैंने थोड़ा घबराते हुए कहा कि क्यों नहीं. फिर आंटी बोली कि आज की रात मेरी जवानी तुम्हारे नाम हुई बंटी तुम आज जितना चाहो इसके मज़े ले लो, में तुमसे कुछ भी नहीं बोलूँगी.
फिर आंटी एकदम उठ खड़ी हुई, वो सिर्फ़ काले कलर की ब्रा में मेरे सामने खड़ी हुई थी और उनका अधनंगा जिस्म, सुडोल शरीर, मदमस्त चूत, सुंदर बूब्स और गुलाबी रसीले होंठ यह सब आज रात मेरे थे. दोस्तों मेरी तो जैसे आज लॉटरी लग गयी थी. फिर आंटी बोली कि आजा बंटी मेरे पास आ और मुझे मेरी ब्रा खोलकर नंगा कर दे और आज की रात हमारे बीच कोई दूरी ना रहे.
में उनकी तरफ बढ़ा और वो घूम गयी, में उनसे बिल्कुल चिपका हुआ था. फिर मैंने काँपते हुए हाथों से ब्रा का हुक एक एक करके खोल दिया और इसके बाद मैंने आंटी के कंधे से ब्रा की डोरी को नीचे कर दिया और ब्रा को उतार कर फेंक दिया और अब आंटी पूरी तरह से नंगी थी. फिर मैंने आंटी को बेड पर लेटा दिया और उनके रसीले होठों को अपने होठों के बीच दबाकर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा, इससे आंटी भी जोश में आ गयी और उल्टा उन्होंने मुझे नीचे कर दिया और मेरे ऊपर चढ़ गयी और मेरे होठों को चूसने लगी. आंटी ने अपनी जीभ को मेरे मुँह में डाल दिया और अंदर तक घुमाने लगी और अब हम दोनों एक दूसरे के मुँह को अपनी जीभ से चूसे रहे थे.
दोस्तों आंटी के क्या रसीले होंठ थे? मुझे ऐसा लग रहा था कि हम लोग एक दूसरे के होठों के रस को चूस डालेंगे, तो आंटी के बाल मेरे चेहरे पर बिखरे हुए थे और वो मेरे मुँह को अपनी जीभ से चूसे जा रही थी और इसके बाद मैंने उनके बूब्स को मसलना शुरू किया, वाह क्या मुलायम बूब्स थे आंटी के, साली ने क्या जिस्म पाया था. ऐसे जिस्म को तो मन करता है कि में चोदता ही रहूँ, में अपने दोनों हाथों से आंटी के बूब्स को मसल रहा था.
आंटी जोश में आ गयी और बोली कि मेरे राजा और ज़ोर से मसलो, जितना मसलोगे मुझे उतना ही मज़ा आएगा, हाँ ले लो इनको अपने मुँह में और पी लो इनका रस और यह कहते हुए आंटी ने मेरे सर को पकड़कर अपने बूब्स पर दबा दिया. फिर मैंने भी उनके बूब्स को मुँह में ले लिया और छप छप की आवाज़ से चूसना शुरू कर दिया. अपनी जीभ से उनके निप्पल को चाटा और उनके निप्पल एकदम खड़े थे और अब आंटी सिसकियाँ लेने लगी और उनकी सिसकियों की आवाज़ पूरे कमरे में भर गयी और आंटी की सिसकियों की आवाज़ से माहौल और भी गरम हो रहा था.
फिर वो बोलने लगी कि हाँ एक एक करके दोनों को चूस लो और मेरे यह बूब्स तुम्हारे होठों के लिए तरस रहे है, प्लीज आज अपनी आंटी को खुश कर दो और फिर में जोश में आकर और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा और बीच बीच में अपने दातों से उन्हे दबा भी देता था. फिर आंटी बोल उठती अह्ह्ह्ह उह्ह्ह्हह्ह थोड़ा धीरे तू बड़ा ज़ालिम है, लेकिन सच पूछो तो ऐसे दातों के बीच जब तुम मेरे बूब्स को दबाते हो तो मेरी कामुकता और भड़क उठती है और अब मुझसे नहीं रहा जाएगा, चल बंटी अब मेरी चूत को चोदने को तैयार हो जा और यह कहकर आंटी ने अपने दोनों पैर फैला दिए और एकदम चित हो गयी.
उन्होंने मेरा लंड पकड़ा और उसके ऊपर से चमड़ी को नीचे कर दिया और बोली कि चल बंटी घुसा दे अपने लंड को मेरी चूत में और घपाघप मेरी चूत मारना शुरू कर दे. एक हाथ से आंटी ने मेरे लंड को पकड़ा और फिर अपनी चूत में घुसा दिया और आंटी एकदम दर्द से कराह उठी उूउफफफ्फ़ माँ आई मर गयी उह्ह्ह अह्ह्ह्ह इतना मोटा लंड मेरी चूत में डलवाने से मेरी चूत फट जाएगी, अह्ह्हहह सच बंटी तू बड़ा ज़ालिम है और आज तूने अह्ह्ह्हह्ह् आईईईईईई मुझे बहुत खुश कर दिया और मैंने जरा भी नहीं सोचा था कि एक 18 साल का लड़का एक 36 साल की औरत को इतनी अच्छी तरह से चोद सकता है और आज से मेरी जवानी तुम्हारी गुलाम हो गयी है, बस आज से दस दिन और दस रातें केवल मेरी चुदाई होगी और में तुझसे इतना चुदवाउंगी कि मेरी चूत फट जाए.
फिर में उनकी यह बात सुनकर जोश में आकर ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर आंटी की चूत को चोदने लगा. आंटी भी अपनी गांड को उठा उठाकर धक्के मार रही थी और हम दोनों एक जिस्म हो गये, कभी में आंटी के ऊपर होता तो कभी आंटी मुझे नीचे कर देती और वो मुझे लगातार चूमे जा रही थी और जोश में वो काँप रही थी और हम जिस बेड पर हम चुदाई कर रहे थे, वो भी अब ज़ोर ज़ोर से हिल रहा था और पूरे कमरे में बेड की चूं चूं की आवाज़ और आंटी के सिसकियों की आवाज़ गूँज रही थी, लेकिन हम दोनों चुदाई में मस्त थे.
ज़ोर ज़ोर से धक्के देक़र घपाघप उनकी चूत मार रहा था, घर्षण से कुछ तकलीफ़ भी हो रही थी. तभी आंटी ने मेरा लंड अपनी चूत से बाहर निकाल लिया और फिर उसे मुँह में लेकर अपनी जीभ से चाटकर अपना थूक लगा दिया और अब आंटी बोली कि ले बंटी तेरे लंड पर मैंने अपना थूक लगा दिया. तुझे अब चोदने में और भी मज़ा आएगा और अब तुम्हारा लंड आसानी से अंदर बाहर हो जाएगा, चल अब फिर से शुरू हो जा चोद दे मुझे और फाड़ दे मेरी चूत.
मैंने अपना लंड फिर से आंटी की चूत में घुसा दिया, लेकिन इस बार वो बहुत आसानी से फिसलता हुआ अंदर घुस गया और फिर से मेरी और आंटी की चुदाई शुरू हो गयी, लेकिन अब हम और भी जोश में आ गए थे. आंटी अपनी गांड को उठा उठाकर मुझे नीचे से धक्के दे रही थी और इसके बाद उन्होंने मुझे नीचे कर दिया और खुद मेरे ऊपर आ गयी.
आंटी और में वासना के आग में जल रहे थे, मेरा लंड आंटी की चूत में घुसा हुआ था और आंटी अपनी गांड को ऊपर नीचे कर रही थी और सिसकियाँ ले रही थी, हाँ बंटी अह्ह्ह्हह्ह उह्ह्ह्हह्ह्ह्हह् तेरा लंड और मेरी चूत आईईईईईइ अब ऐसे ही मज़ा करेगी, तू अपनी पढ़ाई को तो कुछ दिनों के लिए भूल जा, क्योंकि ऐसा मौका बार बार नहीं आएगा. फिर जब आंटी मेरे ऊपर चढ़कर मुझसे चुदवा रही थी तो हमारे ज़ोरदार झटके से उनके बूब्स उछल रहे थे, वाह क्या नज़ारा था. फिर मैंने कहा कि जानती हो आंटी में जब भी हस्तमैथुन करता था तो आपके बारे में ही सोचता था और आप मेरे रातों की रानी थी, लेकिन आज मेरा सपना सच हो गया है और पढ़ाई तो बाद में भी हो जाएगी, लेकिन ऐसा मौका नहीं मिल पाएगा और इन दस दिनों तक में अपनी सारी दिल की तमन्ना पूरी करूँगा, बोलो क्या मेरा साथ दोगी ना?
फिर आंटी बोली कि मेरे जानेमन यह चूत अब तुम्हारे लंड की दीवानी हो गयी है और अब तुम जैसे चाहो वैसे मुझे चोदो, तो यह बात करते करते हम दोनों चुदाई करते रहे और पलंग ज़ोर ज़ोर से हिल रहा था, आंटी मुझे अपने दातों से धीरे-धीरे काट भी रही थी. फिर मैंने उनसे कहा कि आंटी मुझे लगता है कि मेरा लंड अब झड़ने वाला है, बताओ कहाँ पर निकालूं? लेकिन आंटी ध्यान दिए चुदवा रही थी और आख़िर में मेरा लंड झड़ गया और अब तक एक बार आंटी की चूत भी अपना पानी छोड़ चुकी थी.
मैंने अपना लंड आंटी की चूत से बाहर निकाल लिया और हम दोनों लेट गये और हम दोनों इस चुदाई से बहुत खुश थे. फिर थोड़ी देर बाद हमारी वासना फिर से जाग उठी. आंटी बोली कि बंटी थोड़ा नीचे हो जाओ, लेकिन में समझ नहीं पा रहा था कि आंटी मुझसे नीचे होने को क्यों कह रही हैं. फिर आंटी ने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया और में मस्ती में आ गया.
वो बोली कि कैसा लग रहा है लंड चुसवाना? और मेरा जी चाहता है कि में तुम्हारे लंड को इसी तरह चूसती रहूँ. फिर उनके नाज़ुक होंठ और जीभ मेरे लंड का मज़ा ले रहे थे और वो कह रही थी, हाँ और चोदो राजा, हाँ और मेरे मुँह को और ज़ोर से. फिर मैंने आंटी के सर को पकड़ लिया और अपने लंड को मुहं के अंदर बाहर करने लगा.
तभी थोड़ी देर में आंटी इतना गरम हो गयी कि वो ज़ोर ज़ोर से मेरे लंड को चाटने लगी और धक्के दे देकर मुहं में लंड लेने लगी और में थोड़ी देर में फिर से एक बार और झड़ गया और मेरे लंड का पूरा पानी आंटी के मुहं में चला गया और आंटी ने उसे पी लिया, लेकिन आंटी अब भी वासना की आग में जल रही थी और फिर उन्होंने मुझे पलट दिया और गांड के छेद को भी चाटने लगी और वो बोली कि चल बंटी में आज तुझे अपनी चूत का स्वाद चखाती हूँ और में आज तुझसे अपनी चूत चटवाऊँगी. आंटी ने अपने दोनों पैरों को फैला दिया और मैंने उनकी चूत को चाटना शुरू कर दिया, वाह आंटी की चूत की क्या खुश्बू थी.
मैंने उनकी झांटो को जीभ से चाटना शुरू कर दिया, आंटी की झाँटे गीली हो गयी. फिर मैंने अपनी जीभ को उनकी चूत में घुसा दिया और अंदर तक घुसाकर चाटने लगा, आंटी को बहुत मज़ा आ रहा था और मैंने अपनी जीभ से आंटी की गांड को भी चाटना शुरू कर दिया और उनकी गांड पर जैसे ही मेरी जीभ लगी, आंटी के बदन में बिजली सी दौड़ गयी और वो बोल पड़ी वाह बंटी तू बहुत तेज़ है, औरत को सबसे ज्यादा उत्तेजित करने वाले हिस्से को तुमने छू दिया है और हाँ चाट चाट और चाट, मेरा पानी झड़ने वाला है, अपने मुँह को और करीब ला, में मेरा सारा चूत रस तुम्हारे मुँह में दे दूँ और कुछ देर के बाद आंटी झड़ गयी और मैंने उनका चूत रस पी लिया और रात भर की चुदाई से वक़्त बीतने का पता नहीं चला और सुबह के 7:00 बज गये और रात के 11:30 बजे शुरू हुई हमारी चुदाई सुबह के 7:00 बजे तक चलती रही और आंटी मुझसे दिल खोलकर चुदती रही और मैंने भी अपने दिल की सारी भड़ास निकाल ली.
आंटी ने कहा कि थोड़ी देर के लिए हमे चुदाई को रोकना होगा, क्योंकि अभी दूधवाला और कामवाली भी आती ही होगी और उनके जाने के बाद हम अपनी कामक्रीड़ा दोबारा से शुरू करेंगे और में आज तो दिन में भी तुमसे चुदवाउंगी मेरे जानू, क्योंकि तुमने मेरी चूत पर अपने लंड का नशा चड़ा दिया है और अब तो मेरी चूत तुम्हारे लंड के लिए फड़क रही है. फिर मैंने कहा कि मेरी रानी अगर इतनी ही आग है तो क्यों ना चलो हम फिर शुरू हो जायें तो आंटी बोली कि अभी नहीं, लेकिन मुझ पर यकीन करो 9:00 बजे के बाद जब कोई नहीं आएगा तो में तुम्हे दोबारा मज़ा दूँगी.
फिर ऐसा ही हुआ, जैसा कि आंटी ने कहा था और जब 9:00 बजे के बाद सारे लोग चले गये, आंटी कमरे में आई और उन्होंने जालीदार मेक्सी पहन रखी थी, लेकिन उन्होंने उसके अंदर कुछ भी नहीं पहना हुआ था, इसलिए उनकी चूत, गांड और बूब्स साफ साफ दिख रहे थे और में तो एकदम नंगा बिस्तर पर लेटा हुआ था.
आंटी ने मेरा लंड पकड़ लिया और चूसने, चाटने लगी और फिर वो बोली कि चलो बंटी हम दोनों साथ में नहाते हैं, में तुम्हारे बदन को मसलूंगी और तुम मेरे जिस्म को रगड़ना और यह कहकर उन्होंने अपनी मेक्सी को खोल दिया. फिर हम दोनों बाथरूम में घुस गये, पानी चालू करके हमने नहाना शुरू किया और मैंने साबुन लेकर आंटी के मखमली बदन में लगाना शुरू किया और अपनी एक उंगली को चूत में डाल दिया और उंगली से चूत चोदने लगा.
आंटी उत्तेजित हो गयी और उन्होंने मुझे ज़मीन पर गिरा दिया और मेरे लंड को पकड़कर अपनी चूत में डाल दिया और में बाथरूम में आंटी को चोदने लगा और में ज़ोरदार धक्के दे रहा था और आंटी गांड उठाकर और तेज़ धक्के दे रही थी, लेकिन आंटी बहुत ही कामुक थी और उस वासना की आग में हम दोनों जल रहे थे और हमें ऐसा लग रहा था कि 10 रात और 10 दिन केवल चुदाई में बीत जाएगी. दोस्तों हमारी बाथरूम की चुदाई थोड़े देर में खत्म तो हो गई, लेकिन 15 मिनट बाद हमारी दूसरी चुदाई फिर से शुरू हो गयी और हम लोग 24 घंटे में 12 घंटे तक लगातार चुदाई करते रहे, लेकिन दोस्तों मुझे आंटी की वो चुदाई हमेशा याद रहेगी.
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दोस्त की माँ का स्वागत


हैल्लो दोस्तों, ये स्टोरी मेरी अपनी है और में आपको बता दूँ कि में सेक्स का भूखा हूँ और चूत मिलते ही चोद देता हूँ. ये स्टोरी मेरी और मेरे दोस्त की माँ के बीच हुई सच्ची घटना है. राघव मेरा बेस्ट फ्रेंड है और में उसे प्यार से राग कहता हूँ, वो और में अच्छे दोस्त है. उसके घर में उसकी माँ (रीना, 34-28-34), पापा (संदीप) और दो बहनें है. उसके पापा रिटेल शॉप का काम करते है. राग की मम्मी एक धार्मिक औरत है और बहुत ही मस्त फिगर की मालकिन भी है उनकी उम्र 40-41 साल है मगर स्लिम बॉडी और गठीला बदन होने से वो एक सेक्सी परी लगती है. उनकी हाईट भी 5 फुट 5 इंच है जिसके कारण वो एक मॉडल से कम नहीं लगती, लेकिन वो सलवार सूट ही पहनती है.
राग की 2 छोटी बहनें है, एक मुझसे 1 साल छोटी है और दूसरी 3 साल बड़ी है और वो अपनी माँ पर गई है जबकि छोटी अपने पापा की तरह थोड़ी मोटी है. दोस्तों अब में स्टोरी पर आता हूँ. राघव के पापा की छोटी सी रीटेल शॉप है, जिससे उनका हाथ हमेशा से तंग रहता है और जिसके कारण 12वीं के बाद उसके पापा ने राघव की पढ़ाई बंद करवा दी और अपनी शॉप पर अपने साथ बैठा लिया. उनकी सोच थी कि अकेला लड़का है अपना बिज़नस करके अच्छे से गुजारा चला लेगा.
मैंने इंजिनियरिंग में एड्मिशन ले लिया और देहरादून चला गया और Ist ईयर के एग्जाम के बाद जब में घर रहने आया तब तक में देहरादून के सारे रंग देख चुका था. में राघव के घर गया और उसकी मम्मी, नेहा और स्नेहा से मिला, वो लोग मुझसे मिलकर बहुत खुश हुए, क्योंकि वो मुझे राघव जैसा ही मानते थे और में भी देहरादून जाने से पहले ऐसा ही था, लेकिन इस एक साल में मेरा नज़रिया ही बदल गया था.
मैंने रीना आंटी को और नेहा को ऊपर से नीचे तक देखा और नशीला हो गया. मैंने अपने आप पर कंट्रोल किया और सबसे नॉर्मल बातें की, दोस्तों राघव के घर की हालत ज़्यादा अच्छी नहीं थी तो में उसकी हेल्प करता रहता था. में आज भी बहुत सारे गिफ्ट लाया था, जिसे देखकर नेहा और स्नेहा खुश हो गई और रीना आंटी ने कहा बेटा तू इतना सब क्यों लाया? सब कुछ तो है यहाँ पर, मैंने कहा में अपनी बहनों और माँ के लिए लाया हूँ. आंटी मुस्कुरा कर बोली ऐसा बेटा सबको मिले, लेकिन देहरादून में तेरा बहुत खर्चा हो जाता होगा तो मैंने कहा हाँ, लेकिन में अपनी पॉकेट मनी से बचा लेता हूँ और आप सब भी तो मेरे अपने हो, आपके लिए कुछ लाना मेरा हक़ बनता है या नहीं. रीना आंटी बोली अच्छा, तो में अब ये ध्यान रखूँगी और जो ज़रूरत का सामान होगा मंगा लूँगी. फिर हमने पूरे एक महीना मजे किए फिर में देहरादून वापस चला गया. दोस्तों इस एक महीने में मैंने सपने में सीमा और नेहा को खूब चोदा, लेकिन रियल में कुछ नहीं हुआ.
तभी एक दिन राघव का फोन आया कि नेहा का देहरादून में एग्जाम है और वो सीमा आंटी के साथ देहरादून एग्जाम देने आ रही है. में बहुत खुश हो गया और मैंने कहा कि वो मेरे पास ही रुक जायेगी. मेरे पास एक रूम और किचन था, उनके आने से पहले मैंने अपने कमरे में 2 कैमरे रिकॉर्डिंग वाले लगवा लिए. फिर एग्जाम से 1 दिन पहले सीमा आंटी और नेहा आ गये, में बस स्टैंड से दोनों को ले आया. दोनों सफ़र के कारण थक गये थे तो में बाहर से खाना लाया और हमने लंच किया और बातें करने लगे, नेहा थक कर सो गई थी. में और सीमा आंटी छत पर जाकर बातें करने लगे.
दिसम्बर का महीना था और धूप अच्छी निकल रही थी. मुझे लग रहा था जैसे आंटी कुछ परेशान हो, तो मैंने आंटी से पूछा आप इतनी परेशान क्यों हो? तो उन्होंने कहा बेटा तेरे अंकल नेहा का रिश्ता एक 30 साल के लड़के से करना चाहते है, लेकिन में नहीं चाहती ये रिश्ता हो, में चाहती हूँ कि नेहा इंजिनियरिंग पूरी कर ले और किसी अच्छे लड़के से इसकी शादी हो जाये. मैंने कहा आप सही कह रही हो, में राघव और अंकल से बात करूँगा.
आंटी ने कहा ठीक है सीमा आंटी बोली नेहा सो रही है तो हम इतने में मार्केट चलते है, मुझे कुछ गर्म कपड़े लेने है मैंने कहा ठीक है और हम ऑटो से मार्केट गये और कुछ गर्म कपड़े ले आये. आंटी कपड़े लेने में बहुत विचार कर रही थी और सस्ते सस्ते कपड़े लेने की सोच रही थी, मुझे ये अच्छा नहीं लगा, मैंने कहा कि जो पसंद हो ले लो पैसे की क्यों सोचते हो में हूँ ना, आंटी बोली बेटा मुझे ज़रूरत होगी तो में तुमसे माँग लूँगी, लेकिन मेरी ये आदत नहीं जायेगी. हम वापस घर आये सीमा आंटी ने खाना बनाया, इतने में मैंने राघव से बात की तो उसने बताया कि पापा के पास इंजिनियरिंग कराने के लिए पैसे नहीं है, वो इसलिये मना कर रहे है, वर्ना इच्छा तो उनकी भी है. खाना खाने के बाद नेहा पढ़ने लगी और हम बाहर घूमने चले गये.
मैंने आंटी को सब बताया तो आंटी रोने लगी और बोली पैसों के कारण मेरी बेटी की जिंदगी खराब हो जायेगी. मैंने आंटी को समझाया कि आप चुप हो जाये, हम कुछ ना कुछ ज़रूर करेंगे, वो बोली क्या करेंगे बेटा? पैसो का काम पैसे ही करते है, तो में बोला में लाऊंगा पैसे, तो आंटी बोली राहुल तुम कहाँ से लाओगे इतने पैसे, तो में बोला पापा से ले लूँगा, वो मना नहीं करेंगे, वो रोते रोते बोली बेटा हम तेरा ये अहसान कैसे उतारेंगे. तो में बोला आंटी में आपका बेटा हूँ, तो अपनी बहन की पढ़ाई कराना मेरा फ़र्ज़ है अहसान नहीं है, बेटा तू बहुत अच्छा है भगवान ऐसा दिल सबको दे, यह कहकर उन्होंने मुझे अपने गले लगा लिया और मेरे शरीर में 2000 वॉल्ट का करंट दोड़ गया. मेरे दोनों हाथ उनकी और मेरी छाती के बीच में थे. जिससे वो उनकी उभरी हुई छाती को टच कर रहे थे. मेरे अंदर का शैतान जागने लगा था. फिर हम अलग हो गये, लेकिन मेरे तन में आग लग गई थी.
फिर मैंने सोचा कैसे भी इसको चोदना होगा, लेकिन कैसे? वो एक धार्मिक और पवित्र औरत थी. हम वापस आ रहे थे, तभी एक लड़का लड़की हाथ में हाथ डाले जा रहे थे. आंटी ने कहा क्या जमाना आ गया है? मैंने कहा ये तो कुछ भी नहीं, यहाँ तो जमाना इससे भी खराब है. आंटी ने कहा अच्छा कैसे? तो मैंने कहा क्या बताऊँ आपको? लोग यहाँ क्या क्या करते है. आंटी ने कई बार कहा बताओ, तो मैंने कहा यहाँ लड़कियां अपने बदन को पैसों के लिए बेच देती है. ये सुनकर आंटी ने अपने मुँह पर हाथ रख लिया और तभी बारिश होने लगी में और आंटी भाग कर एक घर के नीचे छुप गये.
वहाँ पर एक कंडोम पड़ा था, तो मैंने जानबूझ कर कहा ये कैसा गुब्बारा है. आंटी ने उसे देखा और देखती रह गई और बोली इसे फेंक दो, ये गंदी चीज़ है. मैंने कहा ये नई फैशन का गुब्बारा है कोई गंदी चीज़ नहीं है. उन्हें लगा कि मैंने कभी कंडोम नहीं देखा, तो वो कुछ नहीं बोली. में उस कंडोम को हाथ से खींचने लगा तो उन्होंने कहा इसे फेंक दो, तो मैंने कहा क्यों? तो वो धीरे से बोली ये कंडोम है. मैंने कहा ये क्या होता है? तो वो बोली बेटा में ये सब बाद में बता दूँगी, अभी इसे फेंक दो. मैंने वो फेंक दिया और हम घर आ गये.
नेहा बेड पर सो रही थी और में और आंटी नीचे सो गये. मैंने आंटी से पूछा वो क्या था? तो वो कुछ नहीं बोली. मैंने ज़िद की प्लीज बताओ ना, तो वो बोली बेटा वो बच्चे नहीं होने के लिए उसका उपयोग होता है. मैंने कहा कैसे? तो वो कहने लगी मुझे नहीं पता. मैंने सोचा ये सही समय है. मैंने कहा कि आपने कहा था जो मांगोगे में दूँगी, तो मुझे उसके बारे में अच्छे से बताओ, तो वो बोली में नहीं बता सकती.
फिर थोड़ा सोचने के बाद वो बोली बेटा ये कंडोम है, जब बच्चा ना हो तब इसका इस्तेमाल होता है. मैंने कहा कैसे? तो वो बोली इसे आदमी इस्तेमाल करता है. मैंने कहा कैसे? तो वो बोली मुझे नहीं पता. तो में बोला कि लेकिन मुझे पता है. इतना सुन कर वो चोंक गई, मैंने अपना अंडरवियर नीचे किया और बोला इस पर ही तो चढ़ाते है. मेरा लंड पूरे जोश में खड़ा था, जिसे देखकर वो सुन सी पड़ गई थी और सोच रही थी ये क्या हो रहा है? वो कुछ नहीं बोली, तो मैंने कहा कि में ये देखना चाहता हूँ कि ये लंड पर कैसे चढ़ाते है.
आंटी कुछ नहीं बोल रही थी, तो मैंने उनके बूब्स दबा दिए, तो वो कुछ होश में आई और बोली राहुल ये क्या कर रहा है. फिर मैंने कहा आपने कहा था कि जो चाहो माँग लेना, में तो बस इसके बारे में कुछ जानना चाहता हूँ, तो वो बोली बेटा ये बात माँ से नहीं की जाती. मैंने कहा आप तो मेरी माँ है और माँ तो अपने बेटे को सब बातें बताती है. दोस्तों वो मेरे लंड को लगातार देख रही थी. फिर मैंने कहा अच्छा, तो माँ के रिश्ते से नहीं तो जो मैंने तुम्हारी मदद की है उसके बदले ही बता दो, आपने कहा था कि में कैसे तेरा ये अहसान उतारुँगी, तो ये बता कर अपना अहसान उतार लो. ये सुनकर वो सोचने लगी और बोली ठीक है में बताती हूँ में खुश हो गया.
उन्होंने बताया ये यहाँ पर लगाकर ऊपर की तरफ सरका देते है. मैंने कहा कि लगाकर बताओ ना, वो बोली कैसे? मैंने जेब से वो पुराना कंडोम निकाला जो सड़क से उठाया था. वो कंडोम बहुत गंदा था आंटी ने कुछ सोचा और फिर कंडोम लेकर किचन में गई और जब वापस आई तो उनके हाथ में एक चमकता हुआ कंडोम था. उन्होंने वो रोल किया और फिर लंड पर लगाकर चढ़ाने लगी, में तो जैसे सातवें आसमान पर था.
वो बोली अब सो जाओ. मेरा मन तो उन्हें चोदने का था, लेकिन उनकी आँखो में आँसू देखकर में सो गया. में सुबह नेहा को कॉलेज छोड़ आया, उसका पेपर 2 पारी में था, तो मैंने उसको कैंटीन से ही खाना खाने को कहा और 5 बजे वापस लेने आ जाऊंगा यह कहकर घर आ गया. आंटी मुझसे बात नहीं कर रही थी, में नहाने गया और वहां पर आंटी की पेंटी और ब्रा देखकर पागल सा हो गया और फिर बेडरूम में जाकर मैंने अपना लेपटॉप चालू किया और रिकॉर्डिंग वीडियो देखने लगा.
मैंने आंटी का कंडोम चढ़ाने वाला सीन कट करके एक दूसरे फोल्डर में डाल दिया, जब आंटी रूम में आई, तो मैंने वो सीन चालू कर दिया जिसे देख कर आंटी मेरे पास आई और उसे देखने लगी, वो केवल 1 मिनट का सीन था.
फिर आंटी ने कहा ये क्या है?
मैंने कहा तुम्हारी काली करतूत जो में तुम्हारे लड़के को दिखाऊंगा, वो कहने लगी नहीं बेटा ऐसा मत करना प्लीज.
मैंने कहा, लेकिन एक शर्त पर तो वो बोली क्या? मैंने कहा मेरे साथ सुहागरात मनानी पड़ेगी, वो बोली बेटा में तेरी माँ जैसी हूँ. मैंने कहा डार्लिंग तुम माँ जैसी नहीं मेरी माँ ही हो, लेकिन माल भी मस्त हो. कुछ सोचने के बाद वो बोली कि ठीक है, लेकिन ये सब नेहा के आने से पहले होना चाहिये.
मैंने कहा नहीं सुहागरात रात में मनाई जाती है और हम भी रात में मनायेंगे, वो बोली नहीं ऐसा नहीं हो सकता, रात में नेहा यहीं होगी. मैंने कहा मैंने उसका भी सोचा है हम उसे नींद की गोली दे देंगे, वो बोली कुछ गड़बड़ तो नहीं होगी ना. मैंने कहा तुम चिंता मत करो, बस जैसे में कहता हूँ वैसे ही करो. शाम को नेहा आ गई उसका पेपर अच्छा हुआ था. हमने रात में खाना खाया में चॉकलेट पेस्ट्री लाया था, जिसमें मैंने नींद की गोली डालकर नेहा को दे दी उसने वो मज़े से खाई और वो सो गई.
फिर मैंने सीमा आंटी को बुलाया और कहा कि आज में आपको अपनी माँ का दर्जा देता हूँ और आपका दूध पिलाकर आप भी अपना फर्ज़ पूरा करो. उन्होंने कहा ठीक है और मेरे पास आकर लेट गई और बोली कि ले बेटा दूध पी और अपने कपड़े निकालकर मेरे कंबल में आ गई. मैंने माँ को ऊपर से नीचे तक चूसा और उसकी चूत में उंगली डालकर उसकी चूत को उंगली से खूब चोदा.
अब माँ ने मेरे लंड को चूसना चालू किया और बोली कि राहुल तेरा लंड बहुत बड़ा हो गया है. कल तो 6 इंच का था, अब लगभग 7 इंच का है और मोटा भी हो गया है. फिर माँ उसे चूसने लगी और 10 मिनट तक चूसने के बाद में अपना लंड माँ की चूत पर ले गया और तभी मुझे याद आया कि मेरे पास कंडोम नहीं है.
मैंने माँ से कहा माँ मेरे पास कंडोम नहीं है तो माँ हंसकर बोली कि कोई बात नहीं 2 दिन के बाद मेरे पीरियड के दिन आने वाले है. तू डाल मुझे तड़पा मत. मैंने ये सुनते ही एक झटका दिया और माँ की चूत में मेरा आधे से ज्यादा लंड घुस गया. माँ को थोड़ा दर्द हुआ. तभी मैंने माँ से पूछा कि माँ दर्द हो रहा है क्या? माँ बोली हाँ, लेकिन इसमें तो मज़ा है मेरे लाल, तो मैंने और 2-3 बार झटके मारे और पूरा लंड माँ की चूत में डाल दिया. माँ की चूत बहुत गर्म थी और मैंने माँ के पैर ऊपर किए और उसे खूब चोदा, माँ बोली ये क्या कर रहा है? तो मैंने कहा की अलग अलग पोज़िशन में चोदने से मज़ा आता है.
माँ बोली जो तू चाहे वो कर. फिर थोड़ी देर बाद मैंने माँ से बोला कि अब तू खड़ी हो जा, मैंने माँ को अपनी गोदी में ले लिया और लंड फिर से माँ की चूत में डाल दिया. माँ मुझसे लिपटकर ज़ोर ज़ोर सिसकियाँ भर रही थी और आवाज निकाल रही थी और ज़ोर से और ज़ोर से मेरे बेटे, तेरे लंड से मज़ा आ रहा है, तेरी माँ की हवस मिटा दे मेरे लाल और फिर माँ भी मेरा पूरा साथ दे रही थी.
फिर मैंने कम से कम माँ को 20 से 25 मिनट तक चोदा होगा और तभी मैंने माँ की चूत में पानी निकाल दिया. माँ मुझसे लिपटी हुई थी और में माँ के ऊपर लेटा हुआ था. फिर मैंने आधे घंटे बाद माँ से कहा कि मुझे तेरी गांड में लंड डालना है, तो माँ बोली कि लेकिन कैसे डालेगा? तेरे अंकल ने इतने सालो में वहां पर कभी लंड नहीं डाला है.
फिर में ऑयल लाया और माँ की गांड के छेद पर लगा दिया और मेरे लंड पर भी लगा दिया और एक ही झटके में मैंने माँ की गांड में लंड डाल दिया. माँ ने ज़ोर से आअहह भरी, लेकिन चिल्लाई नहीं, क्योंकि उसे नेहा के उठने का डर था. उसे थोड़ी देर बाद मज़ा आ रहा था. फिर मैंने 10 मिनट में माँ की गांड में पानी निकाला और उस रात नेहा की वजह से मैंने माँ की चूत को शांत किया और वर्जिन गांड में मेरा लंड डालकर उसका स्वागत किया. फिर माँ ने सुबह मुझसे कहा कि राहुल तूने कल रात तेरी माँ की हवस पूरी कर दी और अब हम दोनों खूब चुदाई करते है और मजे लेते है.
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पहली चुदाई पड़ोसन के साथ


हैल्लो दोस्तों, में एक कॉलेज स्टूडेंट हूँ और कुछ समय पहले में लड़कियों से बात करने में थोड़ा शर्मीला था, लेकिन अब बिल्कुल भी नहीं, तो यह कहानी है कुछ महीने पहले की, जब मेरे पड़ोस की बिल्डिंग में एक आंटी रहती थी. जिनका नाम संगीता था और मुझे उनकी बेटी बहुत पसंद थी, जिसका नाम नेहा था. वो बहुत ही हॉट थी कि उसे देखते ही मेरी पेंट में टेंट बन जाता था. फिर मैंने उस लड़की से बात करने की बहुत कोशिश की, लेकिन मेरी उससे बात नहीं हो पाई और उसके पीछे ना जाने कितने लड़के पढ़े हुए थे और में भी उनमें से एक था.
फिर यह सब चलते हुए उसे देखते लाईन देते हुए एक दो महीने हो गये थे, वो रोज़ सुबह अपने कॉलेज जाती और में भी उसी टाईम पर अपने घर से अपने कॉलेज के लिए निकलता और कई बार उससे मेरी मुलाकात भी होती, लेकिन उसने कभी नहीं देखा और ना कभी ध्यान दिया.
फिर वो जब भी आस पास होती, तो में उसे अच्छी तरह से जी भरकर देखता, उसके बूब्स का नाप ले लेता और उसकी गांड को भी बहुत अच्छे से देखता. फिर उसके बाद तो जैसे में उसे सोचा करता कि में उसकी गांड मार रहा हूँ और उसकी चूत चाट रहा हूँ, उसके बूब्स चूस रहा हूँ और यह सब सोचकर एकदम से मेरा लंड खड़ा हो जाता और फिर मुझे मुठ मारकर ही अपना काम चलाना पढ़ता था और उसके लिए तो में एकदम पागल हो चुका था.
मैंने एक दिन सोचा कि मुझे अब उससे बात आगे बढ़ानी चाहिए और एक दिन उसको मेल करके आग्रह भेजा, तो वो समझ गई कि कौन है और उसने वो आग्रह मान भी लिया, लेकिन हमारी ज़्यादा बात नहीं होती थी. फिर मैंने उससे इस बीच एक दो बार मोबाईल नंबर भी माँगा, लेकिन उसने नहीं दिया और मुझे साफ मना कर दिया.
तो एक बार अख़बार वाला उनका अख़बार उसके घर से एक मंजिल नीचे डाल गया और वो मैंने देख लिया और उसी का बहाना बनाकर मैंने पेपर उठाया और में उसके घर पर दे आया और जब मैंने घर पर अख़बार दिया था, तो उस समय उसी ने दरवाज़ा खोला और मुझसे पेपर लिया, लेकिन उस समय उसे मुझमें ज्यादा रूचि नहीं दिखाई और मुझसे पेपर लेकर मुझे धन्यवाद कहकर दरवाज़ा बंद कर लिया और मुझे बहुत बुरा लगा कि मेरी उससे कोई भी बात नहीं हो पाई.
एक बार वो पार्किंग से अपनी गाड़ी बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी, लेकिन वो बीच में फंस गयी. फिर मैंने उस काम में भी उसकी मदद की, लेकिन वो वहाँ पर भी मुझसे धन्यवाद बोलकर चली गयी और उसने कुछ ख़ास रूचि नहीं दिखाई.
एक दिन मैंने देखा कि उनका एक कोरियर मेरी बिल्डिंग के लेटर बॉक्स में पढ़ा हुआ हैं, तो में एक अच्छा मौका देखकर वो कोरियर लेकर उसके घर पर पहुंच गया और मैंने मेरा आज मन बना रखा था कि में आज कुछ भी हो जाए, में उससे बात करके ही रहूँगा और जैसे ही में उसके घर पहुंचा, तो उसकी माँ ने दरवाज़ा खोला और में थोड़ा निराश हो गया, लेकिन उसकी माँ भी कुछ कम नहीं थी और उनके बूब्स तो बहुत बड़े बड़े थे कि में उनमे खो ही जाऊँ और चूस चूसकर इसका सारा दूध पी जाऊँ.
मैंने उनको कोरियर दिया, तो उन्होंने भी मुझे धन्यवाद बोला, लेकिन मेरा वहाँ से जाने का मन नहीं किया, क्योंकि मुझे लगा कि नेहा अंदर ही कहीं होगी और किस्मत से आंटी ने मुझसे अंदर आने को कहा. फिर मैंने एक बार मना किया, लेकिन उन्होंने फिर से कहा, तो मैंने हाँ कर दी और अंदर आ गया और सोफे पर बैठ गया. फिर उन्होंने मुझे पानी लाकर दिया और जैसे ही उन्होंने ग्लास टेबल पर रखा, तो मैंने उनकी थोड़ी सी छाती की झलक देख ली, जिसे देखकर मेरा लंड किसी चूत को फाड़ने के लिए तैयार था.
मैंने उनसे थोड़ी देर बात की और मैंने उनसे थोड़ी देर के बाद बातों ही बातों में पूछ लिया कि नेहा कहाँ हैं? तो वो बोली कि वो तो कॉलेज गई हुई हैं और फिर नेहा के छोटे भाई के बारे में भी पूछा, जो कि स्कूल गया हुआ था. फिर और कुछ देर बाद ही मुझे बातों ही बातों में पता चला कि आंटी के पति उन्हे छोड़कर जा चुके हैं और इस बात को 4-5 साल हो गये हैं.
दोस्तों अब मुझे धीरे धीरे समझ में आ रहा था कि शायद तभी नेहा ज़्यादा बात नहीं करती या मुझमें रूचि नहीं दिखाती और संगीता आंटी बहुत दुखी रहती थी, उन्हें बातें करते करते रोना भी आ गया था, लेकिन फिर वो एकदम उठकर अंदर चली गयी और फिर में अपने घर पर आ गया.
कुछ दिनों के बाद मैंने देखा कि आंटी बाजार से घर का कुछ समान ला रही थी और उनके हाथ में बहुत सारे बेग थे, तो मैंने उनसे कहा कि क्या में आपकी थोड़ी बहुत मदद कर दूँ और उनके मना करने के बाद भी मैंने उनके हाथ से दो तीन बेग ले लिए और ऊपर जाकर उनके घर पर रख आया. जब में बेग नीचे रखकर वापस जाने लगा, तो उन्होंने कहा कि थोड़ी देर रूको और वो मेरे लिए जूस लेकर आई और ऐसे कई बार कुछ ना कुछ होता था कि में आंटी के घर पहुंच जाता था, उनके कामों में उनको थोड़ा बहुत सहारा देने लगा और वो मुझे बदले में कुछ खिला पिला देती थी. फिर एक बार ऐसा ही फिर से हुआ कि आंटी के यहाँ पर कोई प्लमबर घर आने वाला था और वो उनका घर ढूंढते हुए मुझे मिल गया और में उसे अपने साथ आंटी के घर पर ले गया.
फिर मैंने आंटी को बताया, तो उन्होंने कहा कि बाथरूम का शावर खराब हो गया हैं और आंटी ने उस टाईम मुझसे कहा कि उन्हें कहीं जाना हैं और वो थोड़ा लेट हो जाएगी, तो मैंने उनसे कहा कि आप बिना चिंता के चली जाए, में प्लमबर से काम करवा लूँगा और उससे काम करवाने के बाद आंटी ने जो मुझे घर की चाबी दी थी, में उससे ताला लगाकर अपने साथ ले गया और शाम को जब मैंने देखा कि आंटी और नेहा अपने बेटे के साथ आ रही है, तो में उन्हे चाबी देने उनके पीछे पीछे उनके घर पर पहुंच गया और मैंने थोड़ा नेहा को भी देखा और एक बार नेहा अपने किसी दोस्त के साथ तीन चार दिन के लिए कहीं बाहर गई हुई थी.
में जब सुबह कॉलेज जा रहा था, तब आंटी ने मुझे रोका और कहा कि उन्हे घर का कुछ सामान चाहिए और फिर मैंने कहा कि हाँ में आते समय ले आऊंगा और उन्होंने मुझे पैसे दिए और में लोटते समय उनका सामान ले आया और उनके घर पर पहुंच गया. फिर आंटी ने मुझसे कहा कि अंदर आ जाओ, उन्होंने सामान मुझसे लिया और टेबल पर रख दिया और एक बेग नीचे गिरा हुआ था, तो वो उठाने लगी, तो उनके बड़े बड़े झूलते हुए बूब्स मैंने देख लिए. दोस्तों वाह क्या बूब्स थे, वो तो नेहा से भी मोटे और तने हुए दिख रहे थे और में उनमे खो सा गया और मेरा लंड पेंट के अदंर ही टेंट बन गया.
आंटी ने मुझे आवाज़ लगाई और कहा कि क्या देख रहे हो? और कहाँ खो गए? तो में एकदम बहुत डर गया कि कहीं आंटी ने मुझे उनके बूब्स देखते हुए तो नहीं देख लिया.
उन्होंने मुझसे कहा कि बैठो और कुछ खाकर जाओ और में मना नहीं कर पाया, क्योंकि मेरे सामने उनके बूब्स जो थे. फिर वो मेरे लिए कुछ खाने को लाई वो बहुत स्वादिष्ट था, तो मैंने आंटी की बहुत तारीफ भी की, कितना अच्छा खाना है. फिर मैंने उनसे उनके पति के बारे में पूछा, तो उनको बुरा लगा और वो रो पढ़ी.
मैंने आंटी को सॉरी कहा, लेकिन वो फिर भी रोती रही और मैंने आंटी के गाल पर हाथ रखा और उन्हे सॉरी कहा, तो उन्होंने अपना सर मेरी छाती पर रख दिया और रोने लगी, फिर वो बोली कि में पिछले 4-5 साल से बिल्कुल अकेली हूँ और फिर मैंने भी उन्हे हग कर लिया. अब तो मानो कि जैसे मेरे पूरे शरीर में एक करंट सा लगने लगा था और मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया, जैसे तो टेंट हो.
मैंने और ज़ोर से हग कर लिया, आंटी ने कहा कि यह क्या कर रहे हो? तो मैंने कहा कि आंटी आप बहुत सुंदर हो और अब मुझसे कंट्रोल नहीं होता और फिर हग कर लिया और शायद उनका भी मन था कि में उन्हे हग करूं, क्योंकि वो 4-5 साल से बिल्कुल अकेली जो थी और उन्होंने मुझे भी हग कर लिया.
फिर वो मेरे ऊपर गिर गयी और मैंने उन्हें स्मूच किया, वो कहने लगी कि यह सब सही नहीं हैं, लेकिन मैंने उनकी आँखो की तरफ देखते हुए उन्हे एक और किस किया और उन्हे बहुत अच्छा लगा और मैंने उन्हे अपने ऊपर गिरा लिया. फिर उसके बाद उनका सूट खोला और उनकी ब्रा देखी, क्या मोटे मोटे बूब्स थे और मैंने उनकी छाती पर अपना मुहं रख दिया और रगड़ दिया, आंटी चिल्ला उठी और कहने लगी कि हाँ और ज़ोर से करो और ज़ोर से करो, मेरी ब्रा फाड़ दो.
में और ज़ोर ज़ोर से करने लगा और मैंने जब उनकी ब्रा खोली, तो बड़े बड़े तरबूज़ जैसे बूब्स एकदम बाहर आ गये और में उनके निप्पल को पागलों की तरह चूसने लगा. तभी आंटी ने बोला कि ज़ोर से काटो और दोनों को काटो और मैंने वैसा ही किया और अब आंटी को बहुत मज़े आ रहे थे और वो बोली कि 4-5 साल बाद मुझे मज़े लेने का मौका मिला हैं और ज़ोर से काटो और इनके साथ खेलो, यह सब तुम्हारे है.
फिर 10-15 मिनट यह सब करने के बाद वो बोली कि क्या अब में भी तुम्हे थोड़े मज़े दूँ? तो उन्होंने पहले मेरी शर्ट उतारी और मेरी छाती को अच्छे से लिक किया और उसके एकदम नरम, मुलायम हाथों से मानो मेरे पूरे शरीर में करंट सा दौड़ रहा था और फिर उन्होंने मेरी जीन्स उतारी और उन्होंने मेरी अंडरवियर में मेरा टेंट देखा और उसे बाहर से सहलाने लगी, तो मुझसे अब कंट्रोल नहीं हो रहा था और में बोला कि निकल जाएगा, वो बोली कि इतनी जल्दी किस बात की है.
उसने मेरी अंडरवियर को उतार दिया और मेरे खड़े लंड को पकड़कर सहलाने लगी और एकदम से उसे चूसने लगी और पूरा का पूरा लंड मुहं में डाल लिया और उन्होंने बहुत मन से मेरा लंड चूसा, उस पर अपना पूरा थूक लगा दिया और जिस तरह उन्होंने मेरा लंड चूसा था, वो में ज़िंदगी भर याद रखूँगा.
थोड़ी देर में मेरा गरम गरम लावा निकल गया और वो सारा उनके चेहरे पर लग गया और वो उसे साफ करके पूरा पी गयी, लेकिन मेरा लंड तब भी तनकर खड़ा हुआ था.
उन्होंने फिर से अपने सारे कपड़े उतारने को कहा और मैंने उनकी पेंटी भी देखी और वो बिल्कुल गीली थी और फिर में उनकी पेंटी को उतारकर उनकी चूत में उंगली करने लगा और वो एकदम मदहोश हो गयी और वो सिसकियाँ लेने लगी, अह्ह्हह्ह्ह उह्ह्ह उह्ह्ह माँ में मरी, थोड़ा और ज़ोर से करो और अंदर डालो, ज़ोर से चाटो इसे और वो पूरे मूड में आ गयी. दोस्तों उनकी चूत बहुत बड़ी थी और चौड़ी थी. फिर मैंने उसमे एक साथ अपनी दो तीन उंगलियाँ डाल दी.
उन्होंने कहा कि हाँ चाट मेरी चूत को और ज़ोर से चाट, चूस और ज़ोर से चूस, तो में चूत को चाटने लगा और में एक मिनट के लिए रुका तो उन्होंने मेरा सर पकड़कर वापस से चूत को चटवाया और सर को अपनी दोनों गोरी गोरी जांघो के अंदर करती रही कि में चूत को चाटू और ना रुकूं, लेकिन दोस्तों उनकी चूत बहुत लज़ीज़ थी और उसमे से क्या स्वादिष्ट जूस निकल रहा था, शायद वो जन्नत या कोई अलग ही दुनिया में थी और वो बोली कि इस चूत का सारा चाट जाओ और उसके बाद वो भी झड़ गयी और उनका सारा जूस में पी गया, वो क्या जूस था, वो फिर भी कहाँ रुकने वाली थी.
वो मुझे अपने बेडरूम में ले गई और मुझसे कहा कि लेट जाओ, तो में लेट गया और वो मेरे ऊपर लंड अपनी चूत के अंदर घुसाकर बैठ गयी और धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगी और मुझे कहा कि और ज़ोर लगाओ, क्या इससे पहले कभी किया नहीं क्या? तो मैंने कहा कि नहीं और फिर उसने कहा कि तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो, आज से में तुम्हे सब कुछ सिखा दूँगी.
दोस्तों शायद वो आज फुल मूड में थी और मेरा लंड उसकी प्यासी चूत के अंदर जाकर बहुत मज़े लूट रहा था और में उनके बूब्स को देखकर उनके बूब्स को मस्त हिला रहा था और जब वो ऊपर नीचे होकर चुद रही थी, तो में उनके बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबा रहा. फिर मैंने और आंटी ने अब अपनी चुदाई की स्पीड बढ़ा दी. फिर मैंने कहा कि में झड़ रहा हूँ और एक आखरी बार ज़ोर लगाकर उनके अंदर ही पूरा वीर्य गिरा दिया और अंदर ही झड़ गया. फिर कुछ देर बाद वो भी झड़ गयी और थककर मेरे ऊपर गिर गयी.
आंटी ने मुझसे कहा कि इतने दिनों बाद यह सब किया है और मुझे इसमें बहुत मज़े भी आए. फिर मैंने आंटी से बोला कि यह मेरी पहली चुदाई है, तो वो मुझे बोली कि यहाँ पर आते रहना, तुम्हे सीखने को बहुत कुछ मिलेगा.
उसके बाद हम बाथरूम में गए और एक दूसरे को साफ किया और फिर से एक बार शावर में चुदाई की, उस दिन मैंने शाम 4 बजे तक उन्हे कई बार चोदा, अलग अलग कमरों में और अलग अलग पोज़िशन में चोदा और उन्होंने मुझे बहुत कुछ सिखाया. फिर वो बोली कि मेरे लिए एक गर्भनिरोधक गोली ले आना, ताकि में गर्भवती ना हो जाऊँ और मैंने वो जाकर ले आया. तब से अब तक में उन्हे कई बार चोद चुका हूँ और हर बार हमे चुदाई में बहुत मज़ा आता है.
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जवान कामवाली की चुदाई


हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम सोहेल है और मेरी उम्र 24 साल है, में मुंबई का रहने वाला हूँ. दोस्तों यह मेरी पहली कहानी है, इसमें मैंने देखा है कि बहुत से लोग अपनी सेक्स घटनाओ को लिखते है, में दिन में जब कभी भी फ्री होता हूँ तो इसकी कहानियों को जरुर पढ़ता हूँ और फिर एक दिन आख़िरकार मैंने भी सोचा कि में आप सभी को मेरे साथ हुई अनेक सेक्सी घटनाओ में से यह एक पहली कहानी बताऊँ, जिसमे मुझे जो चाहिए था, वो मिल गया.
दोस्तों में एक कम्पनी में नौकरी करता हूँ और एक मध्यमवर्गीय फेमिली का हूँ और मेरी लम्बाई 5.8 इंच और दिखने में एकदम ठीक ठाक हूँ.
दोस्तों यह आज से 8 महीने पहले की बात है, जब मेरे फाईनल एग्जाम को दो महीने बाकी थे और आने जाने में ज्यादा टाईम खराब ना हो, इसलिए मैंने कॉलेज से थोड़ी ही दूरी पर मेरे मौसा के फ्लेट में रहना शुरू किया और उस समय में अकेला ही रहता था और में कभी कभी अपने कुछ दोस्तों को भी पढ़ाई करने के लिए अपने घर पर बुलाता था.
एक दिन सुबह सुबह कुछ किताबें लेने के लिए अपने एक दोस्त के घर गया और फिर में अंदर जाते ही दरवाजे के पास एक कुर्सी पर बैठ गया, क्योंकि दोस्त ने मुझे जूते नहीं उतारने दिए थे और फिर उसने अंदर की तरफ एक आवाज़ दी और एक लड़की ने पानी लाकर मुझे दिया. फिर मैंने पानी पीते पीते सोचा कि शायद यह लड़की मेरे दोस्त की कोई रिश्तेदार होगी, क्योंकि में अपने दोस्त के घर पर सभी घरवालों को पहचानता था और वहां पर सिर्फ़ वो लकड़ी ही मुझे नयी लग रही थी.
फिर पहले मैंने उस लड़की पर इतना ध्यान नहीं दिया और में दोस्त से गप्पे शप्पे करने लगा और फिर कुछ देर बाद देखा तो वो लड़की फिर से बाहर आई, लेकिन इस बार वो किचन के अंदर से ज़मीन पर पोछा लगाते हुए बाहर की तरफ आई और उसी समय मेरा ध्यान उसके बूब्स पर गया, क्योंकि वो अपना दुपट्टा उतारकर पोछा लगा रही थी. में तो उसके बूब्स को हिलते हुए बाहर निकलते हुए देखकर जैसे कि पागल सा हो गया था और अब मेरा लंड धीरे धीरे कड़क होने लगा था और में क्या कहूँ दोस्तों वो उस समय पसीने से एकदम लथपथ थी और उसके कान के पीछे से पसीना निकलकर गर्दन पर से होते हुए उसके दोनों बूब्स के बीच की दरार के अंदर जा रहा था.
मेरा मन तो कर रहा था कि अगर उस समय घर पर कोई नहीं होता तो में अभी उसके बूब्स को बाहर निकालकर चूसने लगता. फिर बातों बातों में मैंने दोस्त से पूछा कि यह लड़की कौन है? तो उसने जवाब दिया कि वो उसकी कामवाली लड़की है, जो सुबह से दोपहर तक उसके घर का काम करती है. फिर मैंने पूछा कि और उसके बाद वो कहाँ पर काम करने जाती है? तो मेरे दोस्त ने कहा कि उसके बाद वो अपने घर पर चली जाती है.
दोस्तों में क्या बताऊँ खुशबू को देखकर में क्या कोई भी नहीं रह सकता और उसे देखकर कोई भी नहीं कह सकता कि वो एक कामवाली बाई है, वो तो बिल्कुल परी जैसी लगती है. उसकी उम्र आंटी ने 23 साल बताई थी और उसके बूब्स ज़्यादा बड़े नहीं थे, लेकिन एक हाथ में तो उसका एक बूब्स भी नहीं आ सकता और उसकी कमर बिल्कुल पतली और नीचे से तो वो 36 इंच की ही होगी.
दोस्तों उसकी लम्बाई लगभग मेरे बराबर ही थी और काम के कारण ज़्यादा धूप में घूमने से वो थोड़ी ही गोरी है, लेकिन उसका असली गोरा रंग उसके बूब्स से पता चल रहा था. फिर दोस्त ने तुरंत मुझसे पूछा कि सोहेल यार तेरे जान पहचान में किसी को कामवाली बाई चाहिए क्या? तो मैंने पूछा कि क्यों? तो उसने जवाब दिया कि खुशबू को दोपहर से शाम तक के लिए भी कोई काम चाहिए, क्योंकि खुशबू ने मेरे दोस्त के घरवालों से कहा था कि खुशबू को और काम की ज़रूरत है.
मैंने सोचा कि वाह इससे अच्छा मौका और कभी नहीं मिलेगा और मैंने तुरंत दोस्त से कहा कि हाँ यार मुझे मेरे घर के लिए भी एक कामवाली चाहिए थी. फिर दोस्त ने तुरंत खुशबू को कहा कि यह लो तुम्हारा काम हो गया, हमने वहीं पर खुशबू से काम की और पैसे की लेन देन की बातें कर ली और खुशबू को उसी दोपहर से काम पर आने के लिए कह दिया.
में वहां से निकलने लगा तो वैसे ही मेरे दोस्त की माँ ने मुझे रोका और कहा कि तू खुशबू को भी तेरे साथ ले जा और तेरे घर जाने का रास्ता भी दिखा देना, वर्ना बाद में इसे लेकर तेरे घर पर कोई नहीं आएगा और वैसे भी लगभग आज घर का सारा काम हो गया है और मेरे दोस्त की माँ ने खुशबू से कहा कि वो मेरे घर पर काम खत्म करके सीधे अपने घर पर चली जाए और फिर दूसरे दिन सुबह आना.
फिर मेरे दिमाग में तो अब सचमुच में उसे चोदने का भूत चड़ गया था. फिर में दरवाजे पर उसका इंतजार करने लगा, वो 5 मिनट में तैयार होकर आ गयी और जब वो आई तो दोस्तों खुशबू को देखकर तो मेरा लंड फिर से उठने लगा, क्योंकि खुशबू ने चश्मा लगाया था, जिसको पहनने के बाद वो और भी सुंदर दिख रही थी और बालों को जल्दी बाजी में ऊपर की तरफ पानी के फव्वारे की तरह बनाया था. उस समय वो बहुत ही शरीफजादी लग रही थी, लेकिन बहुत सेक्सी भी लग रही थी.
फिर में खुशबू के साथ नीचे आया और ऑटो रिक्शे में बैठाकर उसे अपने घर पर ले जाने लगा और जब जब मेरी बाहें उससे चिपक रही थी, तब तब खुशबू के जिस्म की गरमी मुझे महसूस हो रही थी और घर पर पहुंचते ही मैंने उसको सारा काम समझाया, जैसे कि कपड़े धोना एक दिन के बर्तन साफ करके स्टेंड पर लगाना और बहुत कुछ और उसके बाद उसने कहा कि बस इतना ही काम सर जी.
मैंने मज़ाक में उससे पूछा कि तुम और क्या क्या काम कर सकती हो? तो खुशबू ने कहा कि मुझे पैसों की बहुत ज़रूरत है और तुम्हे काम की ज़रूरत है और मुझे धीरे धीरे लगने लगा था कि वो किसी और बातों की तरफ इशारा कर रही है. वो बहुत ही खुले विचारो वाली लग रही थी और मुझे भी खुशबू से बात करने में बहुत अच्छा लगने लगा और हम बैठक रूम में बैठकर बातें करते करते में टी.वी. भी चालू करना भूल गया था.
फिर मैंने बातें जारी रखी. उसने कहा कि वो खाना तैयार करना चाहती है और किचन में सामान कहाँ कहाँ है, उसे दिखाओ. फिर हम दोनों बातें करते करते किचन में चले गये. मैंने फिर से खुशबू से पूछा कि तुम्हे क्या क्या काम आता है? तो उसने बिना डरे सीधा जवाब दिया कि सर आप जिस चीज़ से खुश हो जाओगे, में वो भी काम कर लूँगी और अब तो मुझे सीधा सीधा ग्रीन सिग्नल मिल चुका था. फिर में उसके पास गया, वो उस समय चावल धो रही थी.
मैंने धीरे से उसके कान में कहा कि में तुम्हारी तनख़्वा नहीं बड़ाऊंगा, लेकिन में जब कभी भी खुश हो जाऊंगा, तब तुम्हे अपनी मर्ज़ी से खुशी खुशी पैसे दे दिया करूँगा. फिर उसने तुरंत पलट कर कहा कि मुझे मंजूर है और फिर मैंने कहा कि बाद में बदल मत जाना? तो उसने कहा कि बाद की फ़िक्र छोड़ो, अभी तुम्हारी पेंट का उभार दिख रहा है. दोस्तों मेरा लंड सच में बिल्कुल तन गया था और इतनी टाईट अंडरवियर से भी वो दब नहीं रहा था.
मैंने तुरंत खुशबू को गर्दन पर चूमा और वो खुद से मुझे मेरे होंठो पर चूमने लगी और साथ ही कहने लगी कि तुम शरमाते बहुत हो, क्या यह सब पहली बार कर रहे हो? तो मैंने कहा कि नहीं बहुत दिनों से मैंने सिर्फ़ वर्जिन दोस्त को ही चोदा है और अब में बहुत बोर हो गया हूँ उन वर्जिन लड़कियों के नखरो से और उन्हे चोदते समय मेरा साथ नहीं देने से और में बहुत दिनों से तुम जैसी किसी लड़की का इंतज़ार कर रहा था, जो कि मुझसे एक कदम आगे हो.
फिर मैंने खुशबू को कमर के नीचे से जकड़कर अपनी बाहों में दबा लिया और खुशबू की पूरी जीभ अपने मुहं में लेकर चूसने लगा और पूरे सेक्स के दरमियाँ खुशबू सिर्फ़ बीच बीच में मोन कर रही थी. खुशबू ने कहा कि तुम इन कामों में बहुत माहिर लगते हो? तो मैंने कहा कि अब तक तुमने कुछ भी नहीं देखा और यह कहते ही मैंने खुशबू को गोद में उठाया और किचन की पट्टी के ऊपर बिठा दिया और फिर में नीचे ही खड़ा रहकर 10-15 मिनट तक उसके गले लगकर स्मूच लेने के बाद मैंने उसके बूब्स खोले. दोस्तों वो क्या कयामत बूब्स थे और मैंने पहले ही कहा था ना कि उसका असली गोरा रंग उसके बूब्स से मालूम होता है, उसके बूब्स से एक अलग ही खुशबू आ रही थी.
फिर में उसके बूब्स को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा और बार बार उसके बूब्स को अपने मुहं में पूरा का पूरा अंदर डालने की कोशिश करने लगा. खुशबू तो पहले से ही गरम थी, लेकिन वो और भी गरम होती जा रही थी और वो एक अलग ही अंदाज़ में छटपटा रही थी और मुझे उसकी हरकतों से लग रहा था कि उसकी चूत को भी लंड की बहुत दिनों से प्यास थी.
बूब्स चूसने के बाद मैंने खुशबू का पजामा खोलना शुरू किया और फिर पेंटी को बाहर निकाला तो जो कुछ दिखा तो मुझे ऐसा लग रहा था कि भूखे शेर को अपना शिकार मिल गया हो और 5 दिन पहले कटे हुए छोटे छोटे बाल उसकी चूत की सुन्दरता बढ़ा रहे थे और उस हल्के गोरे रंग की गीली चूत के छेद में से हल्के गुलाबी और लाल रंग की धारी निकली हुई थी और उसकी चूत को देखकर ही पता लग रहा था कि इसने पहले सेक्स किया हुआ है या तो यह अपनी चूत में बहुत उंगली करती है, लेकिन मुझे क्या? मुझे तो उस समय खुशबू की गीली चूत ही दिख रही थी, जो कि मेरी पहली पसंद है. में एकदम सच बोल रहा हूँ, दोस्तों ऐसी गीली चूत मैंने अब तक सिर्फ़ एक या दो वर्जिन लड़कियों की ही चोदी है और बाकी सब लड़कियों की तो मुझे चाट चाटकर गीली करनी पड़ती थी.
फिर में उसकी गीली चूत को पागलों की तरह चाटने लगा और वो मज़े लिए जा रही थी, हम दोनों पिछले एक घंटे में इतने उत्तेजित हो चुके थे कि वो और में भी अब झड़ने जैसे हो गये थे. फिर मैंने अपने आपको कंट्रोल में रखा और खुशबू को मेरे मुहं में ही झड़ जाने दिया और उसके झड़ने के बाद भी में उसकी चूत को चाटे जा रहा था और अपनी पूरी जीभ उसकी चूत के छेद में घुसाए जा रहा था. फिर एक हल्का हल्का सा तरल उसकी चूत से निकलने लगा. में उसकी चूत को चाट चाटकर पीये जा रहा था.
में खुशबू को बेडरूम में ले गया और उसको 69 की तरह होने को कहा तो उसने मुझसे कहा कि ऐसा तो मैंने सिर्फ़ गंदी फ़िल्मो में ही देखा है. फिर मैंने कहा कि इससे हम दोनों को एक साथ बहुत अच्छा लगेगा और मैंने उससे कहा कि तुमने कहा था कि तुम मुझे खुश करने के लिए कुछ भी करोगी.
वो बिना कुछ बोले मुस्कुराते हुए मेरे लंड को अंडरवियर से बाहर निकालने लगी तो मैंने कहा कि रूको ऐसे नहीं. फिर में नीचे लेट गया और खुशबू से कहा कि अब बाहर निकालो और अपने मुहं में ले लो और फिर खुशबू ने बिल्कुल वैसा ही किया. उसने मेरे लंड को बाहर निकाला और उसको धीरे धीरे जीभ से चाटने लगी. दोस्तों मेरा लंड तो केवल 7 इंच का है, लेकिन बहुत मोटा है.
खुशबू फिर मेरे लंड को अपने मुहं में डालने की कोशिश करने लगी, लेकिन मेरे लंड का सिर्फ़ ऊपरी हिस्सा एक या दो इंच ही अंदर जा पा रहा था, लेकिन फिर भी खुशबू पूरी कोशिश कर रही थी कि लंड पूरा अंदर चला जाए, लेकिन वो उसे अंदर नहीं डाल पा रही थी और वो लंड को इतना दबा रही थी कि में भी आख़िर झड़ने की कगार पर आ ही गया.
मैंने उसकी गांड को पकड़कर चूत को अपने मुहं पर रख दिया और खुशबू की गांड को पकड़कर आगे पीछे हिलाने लगा. वो भी मेरे लंड को उतना ही तेज़ी से मुहं में डालने की कोशिश कर रही थी, जितना कि में उसकी चूत में अपनी उंगली और जीभ डाल रहा था. फिर मैंने उसके सर को अपने दोनों पैरों के बीच में पकड़ा और ज़ोर से उसके सर को लंड की तरफ धक्का दिया और ऐसे समय में मेरे पास सोचने के लिए एक सेकेंड भी नहीं बचा था और उसको बिना बोले में उसके मुहं में ही झड़ गया और झड़ने के बाद मैंने लंड को तुरंत मुहं से बाहर निकाल लिया और खुशबू के मुहं में मेरा सारा वीर्य था और इसलिए वो बिना बोले उसके दोनों हाथों से इशारा करने लगी कि उसको यह वीर्य जल्दी से कहीं बाहर थूकना है.
फिर मैंने कहा कि थूको मत जानेमन इसे पी जाओ और उसने फिर वीर्य को मुहं में ही रखा और दबे मुहं से बोलने लगी कि कुछ समस्या हो गयी तो? तो मैंने कहा कि कोई प्रोब्लम नहीं होगी और वो सारा वीर्य झट से गटक गयी और हम दोनों फिर 5 मिनट के लिए एक दूसरे को गले लगाकर लेट गये. फिर 5 मिनट के बाद मैंने उसके शरीर पर जो थोड़े बहुत कपड़े बचे हुए थे, वो भी हटा दिए और में भी पूरा नंगा हो गया और फिर से में उसके पैरों को फैलाकर उसकी रसीली गीली चूत को चाटने लगा.
वापस से मेरा लंड बिल्कुल तन गया, बिल्कुल लोहे के सरिये की तरह. फिर मैंने पहले उसे सीधा किया और स्टाईल में उसके ऊपर लेटकर लंड को पकड़कर उसकी चूत में डालने की शुरुआत की और उसकी चूत पूरी तरह से गीली थी, इसलिए मेरा लंड फिसलता हुआ बहुत आसानी से दो इंच अंदर चला गया. फिर उसकी चूत थोड़ी टाईट लगने लगी और फिर मेरे थोड़ी कोशिश करने के बाद लंड धीरे धीरे पूरा उसकी चूत में घुस गया और वो थोड़ा चिल्लाने लगी. फिर मैंने तुरंत अपनी जीभ उसके मुहं में रख दी और उसकी आँखो से मैंने पहली बार आँसू निकलते हुए देखा, लेकिन बड़ी अजीब बात थी कि वो अभी भी मेरे लंड का मज़ा ले रही थी.
फिर थोड़ी रफ़्तार बढ़ाने के बाद मैंने अब उसे पलंग के किनारे पर ही डॉगी स्टाईल में होने को कहा और में ज़मीन पर खड़ा हो गया और पीछे से तो उसकी चूत और गांड का नज़ारा एक साथ बहुत ही हसीन लग रहा था. मैंने फिर से थोड़ी देर तक चूत चाटी और बाद में लंड को फिर से उसकी चूत में घुसाने लगा. करीब दस मिनट के बाद हम दोनों फिर से झड़ने लगे तो इस बार खुशबू ने मुझसे कहा कि वीर्य उसके मुहं में गिराना और फिर मैंने भी वैसा ही किया, वीर्य उसके मुहं में डाल दिया और वो तुरंत उसको पी गयी और फिर मुझे स्मूच करने लगी, लेकिन अभी भी उसका झड़न बाकी था तो मैंने कहा कि अब मेरा लंड तो सो गया है, इसको चुदाई के लिए तैयार होने में अभी 5 मिनट और लगेंगे.
में अपनी दो उंगली उसकी चूत में डालने लगा और जीभ भी और दूसरे हाथ की उंगली उसकी गांड में डालने की कोशिश कर रहा था, लेकिन वो अंदर जा ही नहीं रही थी. फिर कुछ देर बाद वो भी झड़ गयी और इस समय उसकी चूत ने बहुत पानी छोड़ा और में वो सारा पानी पी गया और उसके झड़ने के बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, लेकिन उसको दस मिनट आराम चाहिए था.
फिर मैंने उसको तुरंत डॉगी स्टाईल में रहने को कहा तो उसने कहा कि थोड़ी देर बाद करते है ना और वो मुझे स्मूच करने लगी, लेकिन मैंने तुरंत उसे पकड़कर डॉगी स्टाईल में आराम करने को कहा और अब मैंने थोड़ी देर उसकी चूत का थोड़ा पानी निकालकर उसकी गांड में मसलने लगा और गांड में उंगली करना शुरू कर दिया, लेकिन उंगली भी बहुत टाईट जा रही थी, इसलिए मैंने अपने कड़क लंड को उसकी गांड में घुसाना शुरू किया, लेकिन उसकी गांड का छेद बहुत ही टाईट था और लंड सिर्फ़ 1.5 इंच ही अंदर घुस पाया और बहुत रगड़ होने के बाद में उसकी गांड में सिर्फ दो इंच अंदर ही लंड को डाल सका और में झड़ गया और मेरा सारा वीर्य झरने की तरह उसकी गांड से बाहर आने लगा.
फिर में उसके पास ही थोड़ी देर के लिए लेट गया. हम दोनों पूरी तरह से नंगे थे, इसलिए एक दूसरे से चिपकने का मज़ा भी बहुत आ रहा था और इस बीच हम खाना भी भूल गये और घर का सारा काम भी. मैंने फिर से खुशबू से कहा कि जाने दो आज का काम कल कर लेना और तुम थोड़ा आराम करो, में होटल से खाना ले आता हूँ.
में बाहर गया और होटल से खाना लेकर आया और हम दोनों ने एक साथ में खाना खाया और मैंने उसे इनाम में एक चाँदी का सिक्का दिया, जो मुझे भी गिफ्ट मिला था. फिर कुछ देर बाद जब शाम हुई तो मैंने उसको ऑटो से उसके घर पर भेज दिया और जब तक में घर था, तब तक हम दोनों ने बहुत सेक्स किया, लेकिन आजकल हम एक महीने में कभी कभी ही मिल पाते है, लेकिन जब भी मिलते है तो कोई ना कोई नयी स्टाईल से चुदाई ज़रूर करते है.
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हाइवे पर गांड मरवाई


हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम विमला है और में इंदौर की रहने वाली हूँ और यह कहानी आज से 2 साल पहले की मेरी और मेरे बॉयफ्रेंड की है. अंकित को भोपाल में कुछ काम था, तो वो मुझे भोपाल लेकर जाना चाहता था और वो चाहता था कि में भी उसके साथ जाऊं और एक बार अंकित ने कहा, तो मेरा मना करने का सवाल ही नहीं उठता था.
मैंने अपने घर में बहाना बनाया और में शुक्रवार की शाम अंकित के साथ निकल गई, अंकित अपने दोस्त की कार लाया था. में अगले दो दिन अंकित के साथ ही रहने वाली थी. मैंने अपनी ब्रा, पेंटी और स्कर्ट्स पैक कर ली, जो मुझे अंकित ने गिफ्ट कि थी. मैंने पूरी तरह क्लीन शेव रहना शुरू कर दिया था. में अंकित की गाड़ी में जैसे ही बैठी, अंकित ने ज़ोर से मेरा बूब्स दबाया, मैंने भी रिटर्न में अंकित को स्माइल दी और आगे झुक कर एक लिप पर किस किया, उसने ड्राईव करना स्टार्ट किया और सारे ग्लास चढ़ा कर ए.सी चालू कर दिया, इस समय शाम के 7-8 बज रहे थे.
करीब एक घंटे की ड्राईव के बाद हम सिटी से बाहर आ गये थे और म्यूज़िक सिस्टम पर कम आवाज में म्यूज़िक बज रहा था में अंकित के साथ मजे कर रही थी. फिर अचानक पता नहीं क्या सोच कर अंकित ने अपनी पेंट की चैन खोल दी और अपना लंड बाहर निकाल दिया और उसको हाथ में लेकर धीरे-धीरे मुठ मारने लगा.
उसने अपना हाथ मेरे सिर पर रखा और मेरा मुँह उसके लंड कि तरफ खींचते हुए कहा “चल मेरी रानी शुरू हो जा” अंकित के लंड की तो में वैसे ही दीवानी थी. मैंने झट से लंड मुँह में ले कर चलती कार में ही चूसना शुरू कर दिया. अंकित आराम से हाइवे पर कार चला रहा था और में पास की सीट पर बैठ के उसका लंड चूस रही थी और अंकित को मज़े आ रहे थे. अब वो आअहह ऊहह की हल्की-हल्की आवाज़ें निकाल रहा था और वो उसके हाथ से कभी कभी मेरे बालों से खेल रहा था. मैंने अपना चेहरा पूरी तरह उसकी झाटों में गड़ा रखा था और लंड को अच्छे से चूसने में लगी थी.
फिर अंकित ने गाड़ी हाइवे पर साईड में रोककर कार की लाईट चालू कर दी और मेरा चेहरा पकड़कर किस करने लगा. वो काफ़ी गर्म हो चुका था. उसकी टांग मेरी टांग से लिपटी हुई थी, में भी बीच बीच में उसकी जुबान को अपने मुँह में लेकर उसे चूस रही थी और उसने इतने अच्छे से फ्रेंच किस मुझे कभी नहीं दी थी. फिर उसने मुझे पीछे वाली सीट पर जाने को बोला और खुद भी उतरकर पीछे चला गया. मैंने कभी कार में अपनी गांड नहीं मरवाई थी और ये मेरे लिए एक नया अनुभव था.
उसने पीछे जाकर अपनी पेंट पूरी तरह उतार दी, मैंने भी अपनी टी-शर्ट और शॉर्ट्स उतार दिए और हम पूरे नंगे हो गये. फिर में खिसक कर उसके पैरों के बीच में बैठ गई और उसने अपनी दोनों टांगे उठाकर आगे वाली सीट के ऊपर रख दी और में उसका लंड चूसने लगी. में थोड़ी देर लंड चूसती, तो फिर कुछ देर बाद उसके आंड चाटने लगती, फिर थोड़ी देर उसकी गांड चाटने लगती.
अंकित को मेरा गांड चाटना बहुत पसंद था, इससे उसका लंड स्टील की तरह खड़ा हो जाता था, मुझे भी उसको खुश करना अच्छा लगता था, इसलिये मुझे उसकी गांड चाटना भी अच्छा लगता था. काफ़ी देर ऐसे ही गांड चाटने के बाद उसने मुझे ऊपर खींचा और मेरे लिप पर किस किया और फिर मुझे अपनी गोद में बैठाया. में उसके दोनों साईड पैर रखकर उसकी तरफ मुँह करके बैठ गई.
अंकित तो अब पागल हो रहा था, वो अब मेरी गर्दन पर किस करते करते मेरे निपल्स तक पहुँच गया था, फिर उसने मेरा निप्पल मुँह में ले लिया और उसके साथ अपनी जीभ से खेलने लगा. फिर मैंने उसका सिर अपने हाथों से अपने बूब्स पर दबाया और अपने निप्पल को उसके मुँह में दबाने लगी, में पूरे टाइम “ओह अंकित आअहह…अया… अंकित…. ओहओ….अयाया… आराम से अंकित” की आवाजे निकाल रही थी.
फिर अंकित ने मुझसे सीट पर लेटने को कहा, मुझे पता था वो क्या करने वाला है में झट से सीट पर लेट गई और अपनी टाँगे हवा में उठा ली. फिर अंकित ने अपना लंड गांड के छेद पर लगाया और अंदर धकेलने लगा, मैंने अपने हाथ उसके चूतड़ो पर रखकर उसको अंदर खींचने लगी, आह्ह्ह अंकित ओह हनी.
अंकित ने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए और फिर मैंने भी अपनी गांड को धक्का देकर उसके धक्को का साथ देने लगी. फिर अंकित आगे झुका और मुझे किस किया और फिर अपनी उंगलियों से मेरे बूब्स से खेलने लगा और यह सब करने से मेरी चूत बिना लंड को टच किए ही पानी छोड़ने लगी थी. अंकित ने अपनी उंगली को चूत के पानी से गीला किया और मेरे मुँह में वो उंगली घुसा दी.
फिर मैंने अंकित कि उंगली चाट के साफ कर दी. अब अंकित के धक्को की स्पीड बढ़ गई थी और में भी अंकित को और ज़ोर से करने के लिए बोल रही थी “ज़ोर से अंकित और तेज़, में तुम्हारी रंडी हूँ, चोद डालो इस रांड़ को, मेरी गांड का फाड़ दो आज, अया अया… हाँ अंकित और ज़ोर से, आई लव यू अंकित आआआह्ह्ह्ह. फिर एक ज़ोर के झटके के साथ अंकित ने अपना पानी मेरी गांड में छोड़ दिया.
2 मिनट साँस लेने के बाद अंकित ने अपना लंड बाहर निकाला, मैंने अच्छी रखेल की तरह उसका लंड चूस के साफ कर दिया. फिर जब में कपड़े पहनने लगी, तो अंकित ने मुझे नंगे ही आगे बैठने को कहा और में भी उसकी बात मान कर आगे बैठ गई और फिर उसने कार ड्राईव करना शुरू कर दी. वो बीच बीच में कभी मेरे निपल पर हाथ फेरता, तो कभी गांड सहलाता, तो कभी ऊँगली डालता और पूरे रास्ते हमने खूब मजा किया.
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