माँ ने नया बाप दिया

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम आदित्य है और मेरी उम्र 18 है. में लखनऊ का रहने वाला हूँ. दोस्तों में आज आप सभी को अपने घर की एक सच्ची दास्तान सुनाने जा रहा हूँ जो एकदम सच्ची है और वो मेरी माँ की कहानी है जिसने एक ही बार में सब कुछ बदलकर रख दिया. दोस्तों एक दिन मेरे घर में भी कुछ ऐसा घटित हुआ जिसको में आज आपको बताऊंगा, लेकिन पहले में बहुत डरता था, लेकिन अब में बिल्कुल निडर होकर आप सभी को यह सच्चाई बता रहा हूँ यह कोई झूटी कहानी नहीं है और अब में अपनी कहानी पर आता हूँ.
दोस्तों यह दास्तान दो साल पहले घटित हुई थी. मेरी माँ का नाम सरिता है और उनकी उम्र 33 साल, रंग गोरा और मेरे परिवार में हम 4 लोग रहते है. माँ, पिताजी में और मेरी दादी. दोस्तों उस समय मेरे पिताजी कपड़ो के एक बहुत बड़े शोरुम में काम किया करते थे और उन्ही की कमाई से हम लोगों का गुज़ारा हुआ करता था और हमारे दिन बहुत अच्छे कट रहे थे और में उस समय 12th क्लास में पढ़ता था. (दोस्तों यह बात दीवाली की उस रात से शुरू हुई जिसने हमारा जीवन बदल दिया) तो दीवाली वाले दिन मेरे पिताजी अपने बॉस को रात में हमारे घर पर लेकर आ गये जो शोरुम का मलिक था और मेरे पिताजी उनके पास नौकरी किया करते थे.
तो पिता ने घर में घुसते ही मेरी माँ से बहुत प्यार भरी आवाज से कहा कि सरिता खाने पीने का सामान लगाओ और फिर मेरी माँ ने जल्दी से एक ट्रे में खाने का सामान लगा दिया और उनके सामने एक टेबल पर रख दिया और वो खुद दूर खड़ी हो गई. मेरे पिताजी के बॉस का नाम राकेश है और फिर खाने पीने के बाद राकेश ने मेरी माँ से उनके बनाए हुए खाने की तारीफ की और उसने कहा कि भाभी आप जैसी बीवी सबको मिले और यह बात कहकर पिताजी और राकेश दोनों हंसने लगे और फिर राकेश वहां से चले गए.
दूसरे दिन दोपहर को जब में अपने स्कूल से घर आया तो वैसे ही राकेश अंकल भी अपनी बाईक से मेरे घर पर आ गए, लेकिन में उनसे पहले घर के अंदर चला गया और मैंने देखा कि वो मेरी माँ के लिए दीवाली के अवसर पर कुछ मिठाई और तोहफा लेकर आए थे. तो माँ ने उनसे मना किया, लेकिन उनके बहुत देर तक कहने के बाद रख लिया. फिर माँ और राकेश के बीच में कुछ देर बातें हुई और फिर वो चला गया. तो दूसरे दिन में सुबह उठा और मेरा उस दिन स्कूल जाने का बिल्कुल भी मन नहीं था, लेकिन मुझे पिताजी ने जबरदस्ती भेज दिया.
फिर में स्कूल गया तो मुझे वहां पर पहुंचकर पता चला कि मेरे एक टीचर की म्रत्यु हो गई है और इस वजह से प्रार्थना करवाकर एक घंटे बाद सब बच्चो को छुट्टी दे दी गई. जब में अपने घर पर आया तो तब मैंने देखा कि राकेश अंकल की बाईक बाहर खड़ी हुई है और में समझ गया कि जरुर आज भी अंकल मेरे घर पर आए होंगे, लेकिन जब में अंदर गया तो मैंने उन्हे देखा मुझे वहां पर कोई भी नहीं दिखाई दिया और में माँ के रूम के पास चला गया. मैंने धीरे से बिना आहट के धक्का दिया, लेकिन रूम अंदर से लॉक था तो में दूसरी तरफ से खिड़की की तरफ चला गया और जब मैंने अंदर की तरफ झांककर देखा तो मेरी माँ और राकेश दोनों ही अंदर मोज़ूद थे और अब मैंने देखा कि राकेश मेरी माँ के बूब्स दबा रहा था. में यह सब देखकर बहुत डर गया और में बहुत चकित था.
मुझे अपनी आखों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हुआ कि अंदर यह सब क्या चल रहा है. में यह सब क्या देख रहा हूँ. मैंने कभी भी अपनी माँ से इन सब कामों की उम्मीद नहीं की थी. फिर मैंने देखा कि माँ उसका विरोध कर रही थी, लेकिन फिर भी राकेश रुक नहीं रहा था और अब राकेश ने माँ को एक ज़ोरदार स्मूच लिया तो माँ एकदम हिल गई. फिर राकेश ने एक एक करके माँ की साड़ी और उसके कपड़े उतार दिए. माँ अब उसके सामने ब्रा, पेंटी में लेटी हुई थी.
दोस्तों मैंने पहली बार माँ को इस अजीब हालत में देखा था. जिसकी वजह से मेरे पैर एक जगह जम गए थे और फिर राकेश अंकल ने माँ की ब्रा को भी उतार दिया तो मैंने देखा कि उनके बूब्स बहुत बड़े बड़े थे जो अब ब्रा से बाहर आने के बाद बहुत सुंदर दिखाई दे रहे थे. फिर वो बूब्स को एक एक करके चूसने लगा और बुरी तरह से मसलने लगा. माँ शरम के मारे अपने दोनों हाथ अपनी आखों पर रखकर लेटी हुई थी और अब राकेश ने माँ के दोनों बूब्स को दबा दबाकर बिल्कुल लाल कर दिया था.
फिर राकेश अंकल अब उन्हे ऐसे ही छोड़कर जल्दी से बाथरूम में चले गये और करीब दो मिनट के बाद सिर्फ़ अंडरवियर में वापस आए और उन्होंने बेड पर चड़कर एक ही झटके में माँ की पेंटी को उतार दिया. माँ शरम से अपनी चूत को एक हाथ से ढकने लगी, लेकिन अंकल ने माँ के हाथ को धीरे से हटाया और चूत को चाटना शुरू कर दिया. माँ तड़पने लगी और फिर राकेश अंकल ने अपनी अंडरवियर को उतारा तो अंडरवियर के अंदर से कम से कम 8 इंच लंबा लंड निकला और माँ उसे देखकर एकदम से डर गई और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी. अंकल ने माँ के होंठ पर किस करके उनसे पूछा कि क्यों तुम्हारे पति का कितना बड़ा है? माँ ने कहा कि उनका तो इससे बहुत छोटा है और वो फिर से रोने लगी और कहने लगी कि मुझे छोड़ दो, मुझे जाने दो, में यह सब नहीं कर सकती, यह बहुत गलत है.
फिर अंकल उठे और उन्होंने माँ की एक भी बात नहीं सुनी और उन्होंने उनके दोनों पैर फैलाए और अपना लंड चूत के गुलाबी होंठो पर रगड़कर लंड को गीला कर लिया. में यह सब देखकर जल्दी ही समझ गया कि अब माँ की बेंड बजने वाली है. फिर अंकल ने एक ज़ोर का झटका मारा और उनका आधा लंड अंदर घुस गया, लेकिन माँ इतने ज़ोर से चीखी कि में एकदम से डर गया और मुझे भी रोना आ गया और अब माँ को इतने दुःख दर्द में देखकर मुझे बहुत अजीब लग रहा था, लेकिन राकेश अंकल ने माँ के दोनों हाथ पकड़ रखे थे और पैरों को फंसा रखा था, जिसकी वजह से माँ बिल्कुल भी हिल नहीं पा रही थी.
फिर अंकल ने एक और ज़ोर का झटका मारा तो अब की बार माँ का पेशाब ही बाहर निकल गया और माँ ने कोई विरोध नहीं किया और माँ एकदम बेहोश हो गयी थी, लेकिन फिर भी वो ज़ालिम नहीं रुका और आने वाले बीस मिनट तक उसने माँ की चूत को बहुत ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदा और फिर अपना सारा वीर्य माँ की चूत में भर दिया और अपना लंड चूत से बाहर निकालकर चूत के छेद में रुई को घुसा दिया, जिससे वीर्य वापस बाहर ना आए. फिर वो माँ को लेटाकर उनके पास सो गया और एक घंटे तक में भी वहीं पर बैठा रहा. फिर जब माँ को होश आया तो माँ हड़बड़ाकर उठी, वो रोने लगी और फिर राकेश अंकल भी उठ गये. माँ उनसे कहने लगी कि यह आपने क्या कर दिया?
मैंने अपने पति को धोखा दे दिया, कहीं में गर्भवती हो गयी तो मेरे पति मुझे मार ही डालेगें और जब माँ की नज़र नीचे अपनी चूत पर गयी तो माँ ने जल्दी से उस कॉटन को बाहर निकाल दिया, लेकिन अब तक वो सारा वीर्य चूत के अंदर जा चुका था. फिर राकेश ने माँ को बहुत देर तक समझाया और कहा कि सरिता में तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, क्योंकि तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो और में तुमसे शादी भी करूंगा और तुम्हारे होने वाले बच्चे को अपना नाम भी दूंगा, लेकिन तुम सबसे पहले अपने पति को तलाक़ दे दो. में तुम्हे बहुत खुश रखूंगा और तुम्हे वो सब कुछ दूँगा जो तुम्हारे पति की तुम्हे देने की औकात नहीं है.
फिर माँ ने कुछ देर सोचा और फिर माँ मान गई और अब माँ ने उनसे कहा कि लेकिन यह सब होगा कैसे? तो अंकल ने कहा कि तुम वो सब मुझ पर छोड़ दो. फिर वो दोनों एक दूसरे के गले लगे और फिर राकेश अंकल वहां से चले गये और ऐसे ही दिन बीतते चले गये, लेकिन इस दौरान माँ को राकेश अंकल ने बहुत बार चोदा और फिर माँ गर्भवती हो गयी. फिर माँ ने राकेश अंकल को फोन करके बताया कि वो उनके बच्चे की माँ बनने वाली है. तो एक दिन वो घर पर आकर माँ को अपने साथ ले गए और माँ साथ में मुझे भी ले गई और फिर माँ ने राकेश अंकल के घर पर पहुंचकर मुझसे कहा कि देखो बेटा अब में राकेश अंकल से शादी कर रही हूँ, क्योंकि तुम्हारे पापा बहुत बुरे है, उन्होंने तुम्हे कभी कुछ नहीं दिया, लेकिन अब राकेश तुम्हे वो सब कुछ देंगे.
फिर उसी शाम को जब मेरे पिताजी घर पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि घर पर ना में हूँ और ना माँ है, सिर्फ़ दादी ही अकेली थी तो दादी ने पिताजी को सब कुछ बता दिया कि तुम्हारा बॉस आदित्य और सरिता को अपने साथ ले गया है. फिर पिताजी राकेश अंकल के घर पर आए और उन्होंने घंटी बजाई राकेश अंकल ने दरवाज़ा खोला, पिता ने कहा कि मेरी बीवी कहाँ है? अंकल ने कहा कि यहीं है और माँ को आवाज देकर बाहर बुलाया माँ एकदम डर गई तो अंकल ने कहा कि देखो यह अब मुझसे शादी करने जा रही है और मेरे बच्चे की माँ भी बनने वाली है. तो पिताजी को उनके मुहं से यह बात सुनकर एकदम से झटका लगा और फिर वो रोते हुए वहां से अपने घर पर चले गये. फिर दो दिन में राकेश अंकल ने माँ का पिताजी से तलाक करवा दिया और माँ से शादी कर ली और अब में भी अपने नये पापा के साथ रहता हूँ और अब यहाँ पर माँ और में बहुत खुश रहते है. कुछ दिनों के बाद माँ ने मेरे एक छोटे से भाई को जन्म दिया.
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लखनऊ का राज

हैल्लो फ्रेंड्स, में आज एक बार फिर से आप सभी के सामने अपनी एक और नयी सेक्स घटना लेकर आया हूँ जो कि बात है आज से तीन साल पहले की जब में लखनऊ में दो साल के लिए अपनी कंपनी के काम से गया हुआ था. जैसा कि आप सभी लोग जानते है कि लखनऊ नवाबो का शहर माना जाता है और वो बड़ा ही सुंदर शहर है, फिर में जब वहां पर पहुँचा तो मेरे पास रहने का कोई साधन नहीं था और मुझे कंपनी की तरफ से मिलने वाला रूम एक हफ्ते बाद मिलने वाला था, क्योंकि वहां का पुराना आर्किटेक्ट सात दिन में उसे खाली करने वाला था.
में अब बहुत बड़ी असमंजस में फंस चुका था और फिर में अपने ऑफिस की टेबल पर सर रखकर सोच रहा था कि सात दिन में कहाँ पर रहूँगा. कोई होटल ले लूँ तो वो मेरे ऑफिस से कम से कम 25 से 30 किलोमीटर दूर रेलवे स्टेशन के पास था. में अब सोच रहा था कि अब क्या किया जाए? तभी मुझे एक आवाज़ सुनाई दी कि सर किस सोच में हो आप? तो मैंने जब सर उठाकर देखा तो वो हमारी कंपनी में काम करने वाला हमारा वेंडर (ठेकेदार) अब्दुल रहमान था. उन्होंने मुझसे पूछा कि जनाब 8 बज चुके है क्या घर जाना नहीं है? तो मैंने उन्हे कहा अभी मुझे घर मिला नहीं है और रात भी हो गई है क्यों ना में आज रात ऑफिस में ही रुक जाता हूँ कल सुबह कोई इंतज़ाम देख लूँगा?
तभी उन्होंने मुझे बताया कि रात को ऑफिस में रुकना सही नहीं रहेगा, क्योंकि हमारा ऑफिस थोड़ा शहर से बाहर था तो वहां पर चोरों का ख़तरा बहुत था, तो अब्दुल मियाँ ने कहा कि आज रात आप मेरे घर पर चलो कल सुबह की कल सुबह देख लीजिएगा और मैंने उन्हे बहुत मना किया, लेकिन वो माने ही नहीं और वो मुझे जबरन अपने घर पर ले गए. उनका घर पास में ही था और उनका बहुत बड़ा कई सारे कमरों का घर था. हमारे घर पर पहुँचते ही उनकी बेगम ने हमारा सत्कार किया और फिर अब्दुल मियाँ ने मेरा परिचय उनको दिया.
अब्दुल मियाँ ने अपने परिवार से मेरा परिचय करवा दिया. उनके परिवार में बहुत सारे लोग थे उनकी माता जी, उनकी बेगम, उनके 6 बच्चे और 4 भाई भी थे और उनकी बीवी और बच्चे अब्दुल मियाँ अपने भाइयों में दूसरे नंबर के भाई थे. उनके बड़े भाई की बीवी की कुछ सालों पहले मौत हो चुकी थी और वो अपने 3 बच्चों के साथ यहीं पर रहती थी. उनकी जॉइंट फॅमिली थी और पिछले इतिहास से वो लोग नवाबो के खानदान से थे और सारे भाई अलग अलग व्यपार करते थे. मेरे वहां पर आने की खुशी में अब्दुल मियाँ ने गोश्त बनवाया और हम सबने मिलकर मज़े लेकर खाया और फिर सोने चले गये और अब्दुल मियाँ ने मुझे मेरा कमरा दिखाया और में सोने जा ही रहा था कि मैंने देखा कि मेरा कमरा पहली मंजिल पर थोड़ा गली में था कि तभी अचानक से मुझे किसी की पायल की आवाज़ सुनाई दी.
फिर मैंने उठकर देखा तो मुझे किसी के हंसने की आवाज़ भी सुनाई दी और अब जैसे ही में बिस्तर से उठकर खड़ा हुआ तो किसी के भागने की आवाज़ आई और मुझे कुछ बच्चे भागते हुए नज़र भी आए तो में भी जाकर सो गया. फिर में सुबह जैसे ही उठा तो मेरा सारे सफ़र की थकावट उतर गई थी. मैंने दरवाज़ा खोला तो पूरा परिवार नीचे बरामदे में जो कि मुझे अपने कमरे से बाहर निकलते ही दिखता है और यह देखकर जैसे ही में पलटा तो मुझे कुछ ऐसा नज़र आया जिसे देखकर में बिल्कुल दंग ही रह गया.
दोस्तों वो थी शबीना, मैंने उसे देखा और बस एक टक नजर से देखता ही रह गया और अचानक से सोचने लगा कि यह लड़की कौन है? कल रात को जब पूरे परिवार से मुलाक़ात हुई थी तब यह तो वहां पर नहीं थी? में बहुत देर तक उसके बारे में सोचता रहा और शबीना की खूबसूरती को निहारता निहारता नीचे उतर आया और बस मेरी नज़र शबीना से हटने को ही तैयार नहीं थी. मेरे सामने एक बला की खूबसूरत लड़की थी. उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि कोई अप्सरा नीचे जमीन पर आ गई हो. उसने हल्के नीले कलर का सूट पहना हुआ था और सर को एक सफेद रंग की चुन्नी से ढका हुआ था में तो बस उसे देखता ही रह गया. जैसे ही में नीचे पहुंचा तो अब्दुल मियाँ मेरे पास आए और मुझसे आदाब कहा पूछा कि जनाब रात की नींद कैसी रही? तो मैंने भी उनको नमस्ते कहा और कहा कि मेरी रात बहुत अच्छी निकली. फिर अब हम बातें करने लगे, तभी अब्दुल मियाँ ने शबीना को बुलाया और उसका मुझसे परिचय करवाया और बोला कि कल रात को वो आपसे मिल ना सकी क्योंकि यह पड़ाई करते करते सो गयी थी, वो उनके बड़े भाई की सबसे बड़ी लड़की थी.
दोस्तों वो बहुत शर्मीली लड़की थी. उसे देखते ही दिल उसके कदमों पर रखने को किया. उसकी हाईट 5.7 के करीब होगी. उसकी काली, काली बड़ी, बड़ी आँखें कमर से भी नीचे तक काले, लंबे बाल और फिगर तो पूछो ही मत 34-26-34 के करीब होगा और उसकी उम्र भी कुछ 20-21 साल की होगी. वो कॉलेज में पड़ती थी और आज कल उसकी शादी के लिए कोई अच्छा सा लड़का ढूंढा जा रहा था.
फिर उसने मुझसे सलाम किया और सर झुकाकर चली गयी. अब में और अब्दुल मियाँ भी नहा धोकर तैयार होकर नाश्ता करके वहां से ऑफिस के लिए निकल गये और फिर उसी शाम को अब्दुल मियाँ ने मुझसे कहा कि जब तक आपको कंपनी की तरफ से कोई फ्लेट नहीं मिलता तब तक आप हमारे साथ ही रह जाये और उनके बच्चो की भी परीक्षा का समय चल रहा है अगर उन्हे कोई समस्या होगी तो वो मुझसे पूछ भी लेंगे और फिर मैंने उनकी हाँ कर दिया. दोस्तों सिलसिला अब शुरू हो गया और अब्दुल मियाँ ने अपने बच्चो को बोल दिया कि उन्हे पढ़ाई में कोई भी समस्या हो तो वो मुझसे पूछ लिया करे. फिर उस शाम को जैसे ही हम घर पर पहुँचे और पहली मंजिल पर अपने कमरे की तरफ जा रहा था तो मैंने देखा कि बच्चो के कमरे की खिड़की खुली हुई थी और शबीना टेबल पर बैठकर अपनी पढ़ाई कर रही थी और में बस वहीं पर एकदम रुक सा गया और अब में सोचने लगा कि काश वक़्त यहीं थम जाए और में ऐसे ही शबीना की सुंदरता को निहारता रहूँगा.
फिर में कुछ देर बाद अपने कमरे में चला गया और अपने प्रॉजेक्ट पर काम करने लग गया. तभी पीछे से अब्दुल मियाँ के बच्चे मेरे पास आए और उनके पीछे शबीना सर झुकाए हुई बहुत सहमी हुई सी खड़ी हुई थी. अशरफ जो कि अब्दुल मियाँ का तीसरे नंबर का बेटा है बोला कि शब्बो दीदी को कुछ समस्या है और अब्बा ने बोला है कि आप उसकी समस्या को हल कर दो और शब्बो दीदी को समझा भी दो कि यह कैसे करना है? इतने में अब्दुल मियाँ की बेगम मेरे लिए चाय लेकर आई और बोली कि इसको एकाउंट्स में बड़ी दिक्कत है और अब इसके पेपर भी सर पर है. जब तक कि में यहाँ पर हूँ इसकी थोड़ी मदद कर दूँ. तो मैंने जवाब दिया कि भाभी जी आप चिंता ना करे, जब तक में यहाँ पर हूँ रोज़ शाम को एक घंटा में इन्हे ट्यूशन दे दूँगा, इसके अलाव की और को भी कोई दिक्कत हो तो वो भी मेरे पास देर रात को भी आकर पूछ सकते है, इन्हें हिचकिचाने की किसी को कोई ज़रूरत नहीं है.
फिर वो बहुत खुश हुई और अब धीरे धीरे में उनके परिवार में एक सदस्य की तरह हो गया सब लोग मुझे पसंद करने लगे थे बच्चों से लेकर बड़े तक, लेकिन शबीना हमेशा मेरे सामने बहुत घबराई हुई सहमी सहमी अपने सर को झुकाए हुए रहती. दोस्तों मेरा एक हफ़्ता वहां पर कैसे बीत गया मुझे पता भी नहीं चला और अब मेरा वहां से जाने का वक़्त आ गया था. घर के सब लोग मेरे जाने से बड़े दुखी थे. सभी लोग मुझसे कहने लगे कि आप यहीं पर रह जाओ. मैंने उनसे कहा कि में यहाँ पर आता जाता रहूँगा और मेरा भी वहां से शबीना को छोड़कर जाने का बिल्कुल भी दिल नहीं था. अब में शहर में रहने चला गया और फिर एक दिन में ऑफिस से घर पर जा रहा था और जैसे ही शहर में बस स्टॉप पर मेरी नज़र पड़ी तो वहां पर शबीना खड़ी हुई बस का इंतज़ार कर रही थी.
मैंने अपनी बाईक रोकी और उल्टा चक्कर मारकर बस स्टॉप पर शबीना के पास आ गया और पूछा कि शबीना तुम यहाँ पर कैसे? तो वो एकदम से घबरा गयी और फिर उसने इधर उधर देखा और बोली कि में घर पर जा रही हूँ और बस का इंतज़ार कर रही हूँ. तो मैंने उससे कहा कि में भी ऑफिस जा रहा हूँ ( दोस्तों मैंने वो उससे एक बहाना मारा था ) चलो रास्ते में तुम्हे घर पर छोड़ देता हूँ, वो पहले तो नहीं मानी फिर मेरे बहुत ज़िद करने पर चलने को तैयार हो गई. मैंने उसे बाईक पर पीछे बैठाया और फिर चल पड़ा. उसका पहली बार छूना ऐसा था कि मेरे तन बदन में आग लगा दी और जैसे ही में ब्रेक लगाऊँ तो उसके बड़े बड़े स्तन जैसे ही टकराते नीचे से पेंट के अंदर ही टेंट खड़ा हो जाता और में मन ही मन बहुत खुश होता.
अब रोज़ शाम को में शबीना को स्टॉप से लेकर घर पर छोड़ता और धीरे धीरे वो भी मुझसे खुलने लगी. कुछ दिनों के बाद में ऑफिस में था. सुबह के 11 बजे थे और मेरे फोन पर एक कॉल आया तो मैंने उस बहुत सुरीली सी आवाज़ में हैल्लो सुना तो मैंने पूछा कि आप कौन हो? तो वो शबीना थी और वो कहने लगी कि आज मेरे कॉलेज में कोई प्रोग्राम है उसका जाने का दिल नहीं है क्या में उसे लेने आ सकता हूँ? तो मैंने उसे झट से हाँ कह दिया और में ऑफिस में बोलकर निकल गया और अब शबीना वहां पर रोज़ की तरह बस स्टेंड पर मेरा इंतजार कर रही थी. में वहां पर पहुँचा और पूछा कि क्या हुआ? तो वो मुझसे बोली कि कुछ नहीं चलो कहीं बाहर घूमने चलते है.
मैंने कहा कि ठीक है हम सबसे पहले फिल्म देखने चले गये. उस दिन वो बड़ी सजधज कर आई थी, मैंने पूछा तो बोली कि कॉलेज में आज उसकी पार्टी थी और अब उसने उदास होकर मेरे कंधे पर सर रख दिया और उसकी आँखे बिल्कुल नम पढ़ गयी और फिल्म खत्म होते ही शबीना मुझसे बोली कि चलो अब तुम्हारे घर पर चलते है तो में उसके मुहं से यह बात सुनकर बहुत चकित हो गया और फिर हम दोनों मेरे रूम पर आ गए और जैसे ही मैंने दरवाज़ा बंद किया तो पीछे से शबीना ने मुझे पकड़ लिया और रोने लगी बोली कि अब्बा ने मेरे लिए एक लड़का ढूंड लिया है और अब मेरा कॉलेज भी आज ख़त्म हो गया है. अब कल से में तुम्हारे साथ नहीं आ सकती में तुम्हारी होना चाहती हूँ और में तुम्हे बहुत पसंद करती हूँ.
उसके मुहं से यह बात सुनकर में चकित हो गया और मैंने उसे अपनी आगोश में ले लिया और चूमने लगा. वो भी अब धीरे धीरे मदहोश होकर मेरा साथ देने लगी तो में शबीना को गोद में उठाकर बेडरूम की तरफ ले गया और उसे बेड पर लेटा दिया और फिर उसे लगातार किस करता रहा. वो कहने लगी कि में सिर्फ़ तुम्हारी होना चाहती हूँ मैंने कई बार सपनो में तुम्हारे साथ सेक्स किया और अपना पानी छोड़ा है, प्लीज आज मेरे सारे सपने पूरे कर दो आज मेरी जवानी का फल मुझे दे दो में तुम्हारे लिए आई हूँ. में जोश में आ गया और अचानक से शबीना ने मुझे धक्का मारा और अब वो मेरे ऊपर आ गई.
फिर मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी और मेरी छाती को चाटने लगी. वो मेरे निप्पल को चाट रह थी. फिर कुछ देर बाद उसने खुद अपनी कमीज़ उतारी और जैसे ही उसने अपनी कमीज़ उतारी तो नीचे उसका दूध के जैसा गोरा बदन मुझे अपनी तरफ आकर्षित कर रहा था. उसने लाल रंग की ब्रा पहनी हुई थी और ऐसा लग रहा था कि उसके बड़े बड़े बूब्स उनमे से निकलकर बाहर आने को बेकरार हो रहे है फिर वो वापस मेरे ऊपर लेट गयी और अब वो अपने स्तन मेरे चेस्ट पर रगड़ने लगी. जिससे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. उसके स्तन बिल्कुल मुलायम मुलायम एकदम गोल बड़े आकार के थे और अब मैंने उसे नीचे गिराया और उसके ऊपर आ गया.
में उसकी नाभि को अपनी जीभ से चाटने लगा वो और भी पागल सी हो गई. फिर मैंने अपने दांतो से उसकी सलवार का नाड़ा खींच दिया और अपने दांतो की मदद से उसकी सलवार को उतारने की कोशिश करने लगा और वो बैचेन सी हो गयी और अब उसने खुद ही अपनी सलवार को पूरी तरह से उतारकर एक साईड कर दिया और उसकी मोटी मोटी जांघे अब धीरे धीरे मुझे अपनी तरफ ललचा रही थी. उसने लाल रंग की पेंटी पहनी हुई थी तो में उसे देखकर पागल सा हो गया और मैंने उसका पैर ऊपर उठाकर अपने कंधे पर रख लिया और उसके तलवों को चाटने लगा और उसकी पैर की उंगलियों को चूसना शुरू किया.
अब मेरे ऐसा करने से शबीना भी पागल सी हो गयी और ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ लेने लगी. मैंने उसे उल्टा कर दिया और उसके कूल्हों को चाटने लगा और ऊपर की तरफ उसकी पीठ पर चढ़ गया. फिर मैंने अपने दांतो से उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया और उसे जैसे ही सीधा किया तो उसके बड़े बड़े बूब्स मेरे सामने थे और उसके निप्पल एकदम गुलाबी कलर के थे. मैंने उन्हे धीरे धीरे अपने दोनों हाथों से सहलाना शुरू किया और शबीना सिसकियाँ भरने लगी और एकदम से सिहर उठी.
फिर मैंने उसके निप्पल को अपने दांतो से काटा तो वो चीख पड़ी अफ उह्ह्ह्ह माँ में तो मर ही जाउंगी ऊईईईईईइ प्लीज थोड़ा जल्दी करो, अब मुझसे ज्यादा बर्दाश्त नहीं होता, प्लीज अब कुछ करो. तो मैंने उससे कहा कि मेरी रानी वैसे मुझे तो इतने दिनों के बाद तुम्हे चोदने का मौका मिला है और आज तो पूरी की पूरी कामसूत्र की किताब तुझे पढ़नी है, देख आज कितना मज़ा आएगा. फिर में धीरे धीरे उसके बूब्स को चूसते चूसते नीचे की तरफ आ गया और उसकी पेंटी के ऊपर से ही में उसकी चूत को चाटने लगा और उसकी पूरी चूत को अपने मुहं में ले लिया. उस समय शबीना मेरा सर पकड़कर अपनी चूत में दबाने लगी और एक ही झटके में मुझे हटाकर अपनी पेंटी को भी उतार फेंका और अपने दोनों पैरों को खोलकर मुझे अपनी चूत को चूसने का इशारा करते हुए नीचे बैठ गयी.
मैंने भी उसकी जांघो को चाटना शुरू किया और उसकी दोनों जांघे अपने कंधे पर रखी और अब में उसके दोनों पैरों के बीच में लेट गया और उसकी चूत को चाटने लगा और उसे अपनी जीभ से चोदता रहा और अपने दोनों हाथों से उसके बूब्स भी दबाता रहा. शबीना भी अपनी कमर को उछालती हुई मज़े ले रही थी और सिसकियाँ ले रही थी उफफफ्फ़ आअहहह्ह्ह हमम्म्ममममोह चोदो मुझे क्यों तड़पा रहे हो, में अब पूरी तरह से गरम हो चुकी हूँ और फिर उसने मुझे धकेलकर मुझे अपने से अलग कर दिया और मेरी पेंट उतारने की कोशिश करने लगी और मेरी पेंट उतारने बाद मेरी अंडरवियर को नीचे किया तो मेरा काला 6 इंच का मोटा लंड देखकर उसकी आँखो में एक अजीब सी ख़ुशी की चमक सी आ गई और ज़ोर से हंसते हुए उसने मेरा लंड अपने मुहं में ले लिया और वो ज़ोर ज़ोर से एक अनुभवी की तरह मेरा लंड चूसने लगी.
अब तक हम दोनों पूरे गरम हो रहे थे और मैंने उससे 69 पोज़िशन में आने को कहा और मैंने उससे पूछा कि तुम इतना अच्छा कैसे कर लेती हो? तो वो बोली कि में आपका ख्याल रखते हुए मैंने कई सारी पॉर्न फिल्म नेट पर देखी है और में बस अब वैसा ही करने की कोशिश कर रही हूँ. फिर मैंने कहा कि वाह तुम बहुत अच्छा कर रही हो और हम 69 पोज़िशन में आ गये और में उसकी रसीली चूत को चाट रहा था और वो मेरे लंड पूरा का पूरा अंदर ले जाकर चूसती और फिर एक लंबी सी साँस लेती और लंड मुहं से बाहर निकालती.
अब शबीना एकदम सीधी हुई और मेरे खड़े लंड पर बैठने की कोशिश करने लगी और कहती कि मुझे बहुत दर्द हो रहा है, लेकिन में इस दर्द के पीछे छुपे हुए मज़े को खुद महसूस करना चाहती हूँ और बहुत देर तक लगातार कोशिश के बाद भी बस मेरे लंड का टोपा ही उसकी चूत के अंदर गया था, क्योंकि उसकी चूत बहुत छोटी थी और अब तक सील पेक भी थी इसलिए मेरा 6 इंच मोटा लंड अंदर जा नहीं पा रहा था और थोड़ा ज्यादा अंदर लेते ही शबीना एकदम से उछल पड़ती और लंड को वापस बाहर कर देती.
फिर मैंने शबीना को नीचे लेटाया और उसके दोनों पैरों को खोलकर अपने लंड का टोपा उसकी बैचेन कामुक चूत की लकीर पर रखा और उसकी चूत के छोटे छोटे बालों में अपना लंड रगड़ने लगा. फिर मैंने मौका देखकर जोरदार धक्का देकर अपने लंड का टोपा उसकी चूत में सरका दिया. वो बहुत ज़ोर से चीख पड़ी और बोली कि थोड़ा आराम से मुझे बहुत दर्द हो रहा है आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ माँ में आईईईइ मर गई. फिर में दो मिनट रुक गया और दो मिनट के बाद में धीरे धीरे हल्के हल्के झटके मारने लगा और वो दर्द के मारे करहाने लगी ऊईईईइ प्लीज अह्ह्हह्ह्ह्हह् थोड़ा धीरे करो.
मुझे लगा कि यह सही टाईम है और में उसके ऊपर लेट गया और मैंने उसके होंठो पर अपने होंठ रखकर एक ज़ोर का झटका मारा और जैसे ही उसकी चीख निकलती तो मैंने उसकी आवाज़ को दबा दिया और अपना पूरा का पूरा 6 इंच का लंड उसकी चूत के अंदर उतार दिया और ज़ोर ज़ोर से झटके मारने लगा और शबीना दर्द में करहा रही थी और रो रही थी प्लीज बस अहहह्ह्ह अब छोड़ दो मुझे आईईई बहुत दर्द हो रहा स्ईईईई है प्लीज छोड़ दो मुझे में मर जाउंगी.
फिर में लंड को चूत के अंदर ही डालकर करीब दो मिनट तक वैसे ही रुक गया और शबीना को उसी पोज़ में चूमता रहा और उसके बूब्स को सहलाता रहा और तभी थोड़ी देर बाद जब शबीना का दर्द कम हुआ तो मैंने फिर से झटके देने शुरू कर दिए और अब शबीना भी अपनी कमर को उठा उठाकर मेरा पूरा पूरा साथ देने लगी और अब हम दोनों बहुत जोश में आ गये और ज़ोर ज़ोर के झटके मारने लगे. तभी अचानक से शबीना बोली कि शायद अब मेरा पानी निकलने वाला है और में एकदम तैयार हूँ. तुम मुझे और ज़ोर ज़ोर से चोदो, हाँ बस ऐसे ही चोदते रहो और फिर शबीना की चूत का पानी निकल गया और वो झड़ गई, लेकिन अब मेरी बारी थी.
उसके झड़ने के करीब पांच सात मिनट के बाद मैंने शबीना से कहा कि अब में भी झड़ने वाला हूँ और जैसे ही मेरा वीर्य बाहर निकलने वाला था तो में एकदम से उठकर खड़ा हो गया और शबीना को घुटने के बल बैठाकर मैंने अपना सारा का सारा वीर्य उसके मुहं और छाती पर डाल दिया और वो उसे चाटने लगी. फिर मैंने उसे गोद में उठाया और बाथरूम में ले जाकर उसके दोनों बूब्स को अपने हाथों से साफ किया और बेड पर जाकर सो गये, लेकिन अब भी शबीना मेरा लंड पकड़कर ही लेटी रही और थोड़ी देर बाद मेरा लंड एक बार फिर से खड़ा हो गया और मैंने देखा कि शबीना मेरा लंड मुहं में लेने के लिए बहुत बैचेन थी और कुछ देर बाद वो उठी और लंड को मुहं में लेकर चूसने लगी.
फिर करीब 15 मिनट तक चूसते हुये मैंने अपना सारा वीर्य उसके मुहं में ही छोड़ दिया और वो सारा रस पी गई. उस दिन हमने पूरे दिन में 7 बार सेक्स किया, लेकिन फिर कुछ ही महीनों के बाद शबीना की शादी हो गयी और फिर बीच में वापस वो एक बार अपने घर आई तो उसने मुझे फोन करके बुला लिया और हमने उस दिन भी सेक्स किया और इस बार उसने मेरा सारा वीर्य अपनी चूत के अंदर ही डलवाया जिससे कि वो मेरे होने वाले बच्चे की माँ बन गई और यह बात उसने मुझे आखरी बार फोन पर बताई कि यह तोहफा मैंने उसे दिया है उसके पति ने नहीं और यह बात आज तक राज़ है.
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मम्मी का ट्रेन में गैंगरेप

हैल्लो दोस्तों, यह बात पिछले साल में मई महीने की बात है. मेरी फेमिली में मेरी माँ, पापा और में हूँ. मेरे पापा अक्सर काम के सिलसिले में बाहर रहते है और घर 3 महीनों के बाद ही आते है. मेरी माँ और में घर पर अकेले रहते है. अब में आपको अपनी माँ के बारे में बता दूँ, मेरी माँ दिखने में बहुत सुंदर है और माँ का फिगर 36-28-38 है. माँ का रंग बहुत गोरा है और माँ के बूब्स बहुत बड़े है और माँ के चूतड़ बहुत गोल और बड़े है. जब भी माँ चलती है तो माँ के कूल्हे हिलते है. में जब भी माँ के साथ कहीं जाता हूँ तो सभी माँ के कूल्हों को घूर घूरकर देखते है और माँ ज़्यादातर सूट ही पहनती है, जिनमें उसके बूब्स और गांड दबी रहती है.
अब में सीधा कहानी पर आता हूँ. हमें हमारे किसी रिलेटिव की मौत की वजह से मुंबई जाना था और हमारी रिज़र्वेशन भी नहीं हुई थी, लेकिन जाना ज़रूरी था इसलिए हमने जनरल डब्बे में जाने का फ़ैसला किया. में और मम्मी ट्रेन के आने से 30 मिनट पहले ही स्टेशन पर पहुँच गये थे. माँ ने टाईट सफ़ेद सलवार सूट पहना था जो कि बहुत पारदर्शी था और उसमें से माँ की काली ब्रा और पेंटी साफ दिख रही थी. स्टेशन पर सब लोग माँ की गांड की तरफ देख रहे थे. फिर थोड़ी ही देर में ट्रेन आई और ट्रेन के सारे जनरल डब्बे बाहर तक भरे हुए थे और चढ़ना बहुत मुश्किल था. तभी माँ बोली कि आगे एक आर्मी डब्बा लगा हुआ है और हम उसमें चढ़ने की कोशिश करते है. उस डब्बे में लगभग 100 फ़ौजी थे.
फिर माँ ने खिड़की पर जाकर एक फ़ौजी को दरवाजा खोलने के लिए कहा, वो माँ को देखकर बहुत खुश हुआ और उसने जल्दी से दरवाजा खोलकर हम दोनों को ऊपर चढ़ा लिया. अब सारे फ़ौजी माँ की गांड की तरफ देख रहे थे, उन्होंने माँ को डब्बे के बीचों बीच एक सीट पर बैठा दिया और मुझे ऊपर वाली सीट पर चढ़ा दिया.
अब सभी फ़ौजी विस्की पी रहे थे, उन्होंने माँ को भी विस्की ऑफर की, लेकिन माँ ने मना कर दिया तो वो बोले की पी लीजिए इससे सफ़र में थकावट नहीं होगी. फिर बहुत कहने पर माँ ने एक ग्लास विस्की का पी लिया. अब उन्होंने देखा कि अब यह पीने लग पड़ी है तो उन्होंने माँ को 3 ग्लास विस्की के बिना पानी के ही पिला दिए. उसके बाद वो बातें करने लग पड़े. पहले तो वो नॉर्मल बातें कर रहे थे, लेकिन बाद में जब उन्होंने देखा कि माँ को पूरी तरह चढ़ चुकी है तो वो माँ के साथ सेक्सी बातें करने लग गये.
फ़ौजी – आप बहुत सुंदर हो, मैंने आपके जैसी औरत आज तक नहीं देखी है.
माँ – (शरमाते हुए) अच्छा थैंक यू.
फ़ौजी – आपके मस्त बदन को देखकर ऐसा लगता है कि जैसे आपका पति आपके साथ कुछ करता नहीं है.
माँ – करने से क्या मतलब है आपका? चोदता बोलिए ना, हाँ वो साला काम के सिलसिले में बाहर ही रहता है और मेरे जिस्म की आग को कोई बुझाता ही नहीं है .
फ़ौजी – आप किस तरह से अपनी आग बुझाना चाहती है.
माँ – में तो चाहती हूँ कि मेरे चारों तरफ बड़े-बड़े लंड हो और मुझे पूरा दिन बेरहमी से चोदते ही रहो.
बस इतना कहने की देर थी कि फ़ौजी ने माँ के बूब्स दबाना शुरू कर दिया. अब माँ भी मस्ती में आहें भरने लगी. तभी बाकी फ़ौजी भी माँ पर टूट पड़े. माँ के जिस्म पर लगभग 30-40 हाथ चल रहे थे और कोई माँ के साथ लिप किस कर रहा था तो कोई माँ के बूब्स दबा रहा था. कोई माँ के पेट पर हाथ फेर रहा था तो कोई माँ की गोरी जाँघो पर हाथ फेर रहा था. कोई सलवार के बाहर से ही माँ की चूत पर हाथ रगड़ रहा था तो कोई माँ की गांड दबा रहा था तो कोई माँ के कोमल पैरों पर हाथ फेर रहा था.
तभी एक फ़ौजी ने माँ की सलवार और कमीज़ खींच कर फाड़ दी. अब माँ सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में थी और बहुत ज़्यादा सेक्सी लग रही थी. यह देखकर सबको जोश चढ़ गया और वो बहुत तेज तेज माँ के शरीर पर हाथ फेरने लगे. माँ की चूत बहुत साफ थी और उस पर एक भी बाल नहीं था. तभी एक फ़ौजी ने माँ की चूत पर जीभ रखी और ज़ोर-ज़ोर से उसे चाटने लगा. अब माँ ज़ोर-ज़ोर से चीखने लगी और अपनी मस्त चूत को उसके सिर की तरफ दबाने लगी. उसने 25 मिनट तक माँ की चूत चाटी और फिर दूसरा फ़ौजी माँ की चूत चाटने लगा.
अब एक फ़ौजी माँ की गांड के छेद को ज़ोर-ज़ोर से चाट रहा था और दो फ़ौजी माँ के बूब्स को बहुत ज़ोर ज़ोर से दबा रहे थे और चूस रहे थे. फिर उन्होंने माँ की ब्रा और पेंटी ऊतार दी. अब माँ बिल्कुल नंगी थी और माँ के बूब्स पूरे तन चुके थे और गांड गोल हो गई थी. माँ की चूत बहुत गीली हो गई थी. तभी उस फ़ौजी ने माँ की चूत में उंगली डाल दी और अंदर बाहर करने लगा और दूसरा फ़ौजी माँ की गांड में 3 उंगलियाँ डालकर अंदर बाहर करने लगा. फिर बाकी सभी ने अपने लंड पेंट से बाहर निकाल लिए. सबके लंड बहुत बड़े थे. कोई 8 इंच का था तो कोई 7 इंच का था. सबसे बड़ा लंड 9 इंच का था, और सबसे छोटा लंड 5 इंच का था.
अब दो फ़ौजीयों ने माँ के हाथों में अपने लंड दे दिए और दो ने माँ के मुँह में अपने लंड डाल दिए. अब माँ के मुँह में एक 9 इंच और एक 6 इंच का लंड था और माँ के मुँह में लंड बड़ी मुश्किल से आ रहे थे. वो दोनों ज़ोर से लंड माँ के मुँह में घुसा रहे थे और उनके लंड माँ के तालू से टकराने लगे.
अब माँ के मुँह से आवाज़ नहीं निकल रही थी और वो 20 मिनट तक माँ के मुँह को चोदते रहे और फिर उन्होंने अपना माल माँ के मुँह में ही छोड़ दिया. उन्होंने इतना माल छोड़ा कि वो मुँह से बाहर आने लगा, लेकिन माँ पूरा माल पी गई. फिर दूसरे फ़ौजी भी झड़ने लगे और उन्होंने अपना माल माँ के चेहरे पर छोड़ दिया, अब माँ का मुँह पूरा भर चुका था.
सभी फ़ौजी माँ के मुँह को चोदकर अपना माल माँ के मुँह के अंदर और चेहरे पर छोड़ रहे थे, माँ का मुँह और जिस्म पूरा माल से भरा हुआ था. तभी एक बोला कि अब इस रंडी को बेरहमी से चोदते है, तो माँ भी बोल रही थी कि चोद डालो मुझे, आज मेरी प्यास बुझा दो, आज मेरी चूत और गांड फाड़ दो. फिर सभी ने अपने लंड निकाल लिए और मुठ मारने लगे, जो झड़ने वाला होता वो अपना माल माँ के ऊपर ही छोड़ देता.
अब एक फ़ौजी ने अपना 8 इंच का लंड निकाला और माँ को अपने ऊपर लेटा दिया. उसका लंड खीरे जितना मोटा था. अब वो अपना लंड माँ की चूत के ऊपर रखकर धक्का मारने लगा, लेकिन उसका लंड अंदर नहीं जा रहा था. माँ की चूत बहुत टाईट थी, यह देखकर बाकी सभी फ़ौजी माँ की चूत के ऊपर थूकने लगे और उसने सारा थूक माँ की चूत के ऊपर फैला दिया.
अब वो फिर से धक्का मारने लगा और उसने अपना पूरा ज़ोर लगा दिया. अब उसका लंड माँ की चूत के अंदर आधा घुस गया था, लेकिन माँ बहुत ज़ोर से चिल्लाने लगी. अब उसने और ज़ोर लगाया और अपना लंड पूरा माँ के अंदर घुसा दिया, माँ की आँखों से आंसू और चूत से खून निकलने लगा था. अब वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा और माँ को भी मज़ा आने लगा. तभी दूसरा फ़ौजी आया और उसने अपना लंड माँ के चूतड़ पर रखा और बहुत ज़ोर से धक्का मारा, लेकिन सिर्फ़ टोपा ही अंदर घुसा और माँ काँप उठी.
फिर उसने अपने बैग से सरसों का तेल निकाला और ढेर सारा तेल माँ की गांड में डाल दिया. अब उसने और ज़ोर से धक्का लगाया तो पूरा लंड अंदर चला गया. अब माँ की गांड से खून निकलने लगा था और वो दोनों माँ को 30 मिनट तक ज़ोर-ज़ोर से चोदते रहे और अपना सारा माल अंदर ही छोड़ दिया. अब माँ बोल रही थी कि मुझे और बुरी तरह चोदो. यह सुनकर उन्होंने फ़ैसला किया कि ज़्यादा से ज़्यादा लंड इसकी गांड और चूत में डालते है. फिर उन्होंने 2 लंड माँ की चूत में डाले और 2 लंड माँ की गांड में डाले और ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगे.
अब माँ की गांड और चूत से बहुत खून निकल रहा था, लेकिन वो फिर भी चोदते जा रहे थे. वो माँ को 20 मिनट तक चोदते रहे और फिर अपना सारा वीर्य अंदर ही छोड़ दिया. जैसे ही वो हटते तो दूसरे फ़ौजी माँ के ऊपर सांड की तरह चढ़ जाते. वो 3 घंटे तक माँ को लगातार चोदते रहे और तकरीबन 50 फ़ौजीयों ने माँ को चोदा और अपना माल अंदर छोड़ा. माँ की चूत फूल गई थी और लाल हो गई थी, उससे वीर्य टपक रहा था. अब माँ की गांड से भी वीर्य और खून निकल रहा थाज अब उन्होंने माँ को नहाकर आराम करने के लिए कहा.
माँ की चूत फट गई थी और पूरी तरह खुल गई थी. माँ की गांड का छेद भी बहुत खुल चुका था और अब उसमें तीन लंड आराम से चले जाते थे. जब हम मुंबई पहुँचे तो माँ से चला भी नहीं जा रहा था, वो बहुत मुश्किल से चल रही थी. इस हादसे के बाद मैंने अपनी माँ को बहुत बार चोदा और अपने दोस्तों से भी चुदवाया. अब मेरी माँ को गैंगरेप करवाने का चस्का लग गया था.
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भानू और मैंने काकी को चोदा

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम सन्नी है,  में 23 साल का हूँ, लेकिन जब ये घटना हुई तब में 19 साल का था. मेरी हाईट 5 फुट 10 इंच है और जिम बॉडी है. मेरा लंड 7 इंच लम्बा है. और मेरी फेमिली में पापा की उम्र 44 और मम्मी उम्र अभी 41 है. में अमीर फेमिली से हूँ और में बेंगलोर से हूँ और वहां हमारा बहुत बड़ा बिजनेस है और हमारे गावं में भी बहुत जमीन है. हम जमीन के सिलसिले में गावं आये हुए थे.
दोस्तों मेरे पापा काकी को चोदते थे और एक बार मैंने काकी को चोदते हुए उनको देख लिया. मैंने उसी वक़्त मन बना लिया था कि में भी काकी को जरुर चोदूंगा. अब पापा– मम्मी 3 दिन के बाद वापस बेंगलोर जाने लगे तो मैंने कह दिया कि में 1 महीना गाँव रुक कर ही आऊंगा. फिर में गाँव ही रुक गया और 2-3 दिन तक तो में रोज़ चाचा के साथ खेत पर जाता और आता और उनके साथ ही घूमता फिरता. फिर 1 दिन खेत से घर जाते वक़्त मुझे काकी दिखी और मुझसे मेरा हालचाल पूछा और घर आने को भी निमंत्रण दिया. फिर में घर पहुँचा और खाना खाकर भानू के पास चला गया (भानू हमारा नौकर है) मैंने भानू से काकी को चोदने के बारे में बात की.
में : भानू क्या तुम भी काकी को चोदते हो?
भानू : नहीं हुकुम, नहीं कभी नहीं ठोका.
में : सच बोलो वरना तुम्हारी नौकरी गयी, तुम पापा और काकी को छुप-छुपकर चोदते हुए देखते हो और इतना सब देखने के बाद तुमने काकी को ना चोदा हो ये मानना मुश्किल है. पहले तो वो ना ना करता रहा फिर मेरे डराने पर उसने क़ुबूल कर लिया.
भानू : जी छोटे हुकुम, में भी कभी-कभी सेठानी को ठोक लेता हूँ.
में : तो अब कल तुम्हें उन्हें मेरे सामने चोदना होगा.
भानू : (डरते हुए) मतलब?
में : कल तुम्हें भी इसी रूम में काकी को चोदना पड़ेगा और फिर जब तुम उन्हें चोद रहे होंगे तो में बीच में आ जाऊंगा और तब वो मुझे मना नहीं कर पायेंगी और फिर उन्हें मुझे अपनी चूत देनी ही पड़ेगी.
भानू : (घबराते हुए) लेकिन छोटे हुकुम, में कभी उन्हें चोदने के लिए नहीं बुलाता बल्कि वही मुझे बताती है कि कब उन्हें चुदवाना है.
में : कोई बात नहीं, इस बार तुम उन्हें बुला लो.
भानू : लेकिन हुकुम?
में : बहस मत करो, में ना सुनने के मूड में नहीं हूँ. मुझे बस काकी को चोदना है और इसमें तुम्हें मेरी मदद करनी पड़ेगी, चाहे तुम्हें अच्छा लगे या ना लगे.
वो बेचारा क्या करता? उसे मेरी बात माननी ही पड़ी. फिर ये तय हुआ कि रात को वो काकी को मनाकर वहीं रूम पर लायेगा और चोदेगा और जब वो दोनों रूम के लिए निकलेंगे तो वो मेरे मोबाईल पर मिस कॉल देगा. में बेसब्री से उसके मिस कॉल का इंतज़ार करने लगा और रात के 12 बज गये थे. मुझे लगा इस बेवकूफ़ ने काम नहीं किया और में गुस्से में था.
तभी उसने मेरे मोबाईल पर मिस कॉल दिया और में खुश होकर उस रूम की तरफ निकल पड़ा. फिर खेत में जाते जाते मुझे भानू और काकी रूम की तरफ जाते दिखे तो में रुक गया और धीरे धीरे उनके पीछे जाने लगा ताकि उन्हें पता ना चल जाए. फिर वो दोनों अंदर चले गये और में खिड़की के पास जाकर खड़ा हो गया. फिर 2 मिनट के बाद अंदर की लाईट जली और मैंने अंदर देखा तो काकी ने आज लाल रंग का लंहगा चोली पहना हुआ था और वो बहुत खूबसूरत लग रही थी और बाल बिखरे हुए थे. तब काकी 45 साल की थी और हाईट 5 फुट 5 इंच, अच्छी हट्टी कट्टी, बहुत ही गोरी बिल्कुल दूध जैसा रंग था और फिगर बिल्कुल परफेक्ट तो नहीं पता, लेकिन कुछ 38-34-38 था, वो थोड़ी सी मोटी थी.
काकी : तूने मुझे आज यहाँ क्यों बुलाया? मैंने कहा था ना कि मुरारी के बापू 2 दिन के बाद काम से शहर जा रहे है तो में 2 दिन के बाद आती हूँ.
भानू : सेठानी जब आपका मन होता है तो में कभी मना नहीं करता हूँ और जब कहते हो जिस वक़्त कहते हो तैयार रहता हूँ.
काकी : अब तू मुझे मना करेगा, तेरी इतनी हिम्मत हो गई.
भानू : नहीं सेठानी, में तो बस ये कह रहा था.
काकी : (हँसते हुए) अरे अरे डर मत, में तो मज़ाक कर रही थी. तू मेरा इतना ख्याल रखता है इसलिए तो में आज आ गयी.
फिर काकी ने भानू को पकड़ा और अपनी और खींचकर उसके होठों को चूमने लगी, वो दोनों एक दूसरे से चिपक गये और एक दूसरे को खूब चूमा. फिर उन दोनों ने करीब 5 मिनट तक एक दूसरे के होंठ चूमे और इस बीच भानू ने काकी की गांड लहंगे के ऊपर से दबानी शुरू कर दी. ये सब देखकर मेरा भी लंड खड़ा हो गया और मैंने भी उसे हाथ में लेकर मूठ मारना शुरू कर दिया. अब उन दोनों ने किस करना छोड़ा और फिर काकी ने भानू का कुर्ता निकाल दिया, अब भानू केवल धोती में था.
काकी ने खुद अपना ब्लाउज खोला. काकी ने अंदर ब्रा नहीं पहनी थीऔर काकी बहुत ही ज़्यादा गोरी थी और उनके बूब्स भी बहुत बड़े थे. भानू उसे देखकर पागल हो गया और उन पर टूट पड़ा. उसने दोनों हाथों से काकी के बूब्स दबाने शुरू कर दिए. फिर वो काकी के बूब्स को चूसने लग गया और काकी उसके बालों में हाथ फेर रही थी और आहें भर रही थी, अहह उम्म्म्ममममम अहह अब, वो काकी के बूब्स चूसता रहा, फिर 10 मिनट तक वो कभी राईट वाला बूब्स तो कभी लेफ्ट वाला बूब्स चूसता रहा.
फिर उसने मुँह ऊपर उठाया और काकी को चूमने लगा और चूमते-चूमते उसने एक हाथ से काकी के लहंगे का नाड़ा खोल दिया और लहंगे को हल्का सा नीचे खींचा तो काकी का लहंगा नीचे गिर गया. फिर काकी ने अपने पैरो से लहंगे को एक साईड में कर दिया, अब काकी केवल लाल रंग की पेंटी में थी और काकी का पेट थोड़ा बाहर निकला हुआ था और उनकी नाभि काफ़ी गहरी थी.
2-3 मिनट तक एक दूसरे को चूमने के बाद काकी और भानू अलग हुए और फिर काकी नीचे हुई और भानू की धोती उतार दी. उसने बड़ा कच्छा पहना हुआ था जैसा अक्सर गाँव के लोग पहनते है. फिर काकी ने कच्छे के ऊपर से ही भानू का लंड दो तीन बार सहलाया और भानू ने आँखें बंद कर ली. फिर काकी ने एकदम से एक ही झटके में उसका कच्छा नीचे कर दिया और उसका लंड तनतनाता हुआ बाहर आ गया.
उसका लंड बड़ा था कम से कम 8 इंच का होगा, लेकिन पतला था फिर काकी ने उसका लंड सहलाया और वो आँखें बंद करके मज़े ले रहा था. फिर काकी ने उसका लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी. फिर 2-3 मिनट तक काकी खुद चुसती रही. फिर भानू अपने दोनों हाथ काकी के बालों पर ले गया और उन्हें सहलाने लगा और बीच बीच में उनके मुँह को आगे पीछे भी करता. फिर 10 मिनट तक लंड चूसने के बाद उसने काकी को खड़ा किया और फिर दोनों ने 2-3 लिप किस किए और वो काकी को गेहूँ की बोरीयों के ढेर के पास ले गया और उन्हें बोरीयों के सहारे खड़ा कर दिया.
अब उन दोनों की पीठ मेरी तरफ थी और काकी बूब्स टिकाकर और बोरीयाँ पकड़ कर खड़ी थी. फिर उसने काकी की पेंटी घुटनो तक नीचे की और घुटनो के बल बैठकर उनकी गांड और चूत चाटने लगा. फिर वो उनकी चूत में उंगली करके उनकी चूत चाटता रहा. अब काकी भी अपनी आँखें बंद करके मस्त हो रही थी और आहें भर रही थी, आह अहह आ उम्म्म्मममममम आआहह, अब काकी ने अपनी गांड हिलानी चालू कर दी.
भानू : सेठानी आपकी चूत इतनी मीठी है कि इस पर से अपनी जीभ हटाने का मन ही नहीं करता है.
काकी : अया हहह्ह्ह्हह उम्म्म्ममम तो कौन कह रहा है कि जीभ हटा, बस तू तो चाटता जा.
भानू : सेठानी अभी हुकुम चोद कर गये है, तो अभी तो मेरा लंड आपको संतुष्ट कर ही नहीं पायेगा.
काकी : अरे तू उसकी बात छोड़, उउउम्म्म्मममम, वो किसी भी औरत की अहहहह जान निकाल सकता है. अंजू की भी क्या किस्मत है? (अंजू मेरी माँ का नाम है) रोज़ ऐसा तगड़ा लंड लेती होगी.
भानू : जब हुकुम आते है आप कौन सा मौका छोड़ते हो, अपनी गांड पेश कर देते हो.
काकी : तू, आआहह उउम्म्म्मम अपने काम पर ध्यान लगा, ये हमारे देवर भाभी के बीच की बात है.
भानू अब खड़ा हो गया और अपना लंड काकी की चूत पर रगड़ने लगा. फिर काकी ने उसका लंड अपने हाथ में पकड़ा और अपनी चूत के छेद पर लगा दिया. फिर भानू ने एक ज़ोरदार झटका मारा और उसका लंड काकी की चूत में घुस गया. फिर 2 मिनट तक वैसे ही खड़े रहने के बाद और उनके कंधे और गर्दन पर चूमने के बाद, भानू ने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए. अब काकी ने भी आहें भरनी शुरू कर दी, लेकिन धीरे ही, आआअहह उफफफफफफफ्फ़ हुउूऊहह, वो धीरे-धीरे तेज़ धक्के मारने लगा और 3-4 मिनट में ही छूट गया और अपना लंड बाहर निकाल लिया. मेरी तो हंसी निकल गयी कि इतना बड़ा लंड और 10-15 मिनट भी नहीं रुक पाया. अभी तो मेरा भी पानी नहीं निकला था.
फिर काकी ने साईड में पड़ी अपनी चुन्नी उठाई और अपनी चूत में से उसका पानी साफ करने लगी. मुझे उम्मीद नहीं थी कि वो इतनी जल्दी झड़ जायेगा. फिर उसके बाद में एकदम से अन्दर गया तो काकी सामान्य थी और मुझे देखकर बोली कि आ गया मुझे चोदने. मेरे तो पैरों तले जमीन ही खिसक गई थी और में हैरान होकर काकी को देख रहा था. तभी काकी बोली कि चिंता मत कर, भानू ने मुझे सब कुछ पहले ही बता दिया है, चल अब नंगा हो जा और आ जा हमारे साथ. फिर मैंने अपने कपड़े खोले और काकी से लिपट गया.
फिर भानू बोला कि हुकुम मुझे माफ़ करना तो मैंने कहा कि कोई बात नहीं, मुझे तो काकी की चूत चाहिये थी और वो मुझे मिल गई. फिर काकी ने कहा कि अब ज्यादा देर मत करो और मुझे डबल लंड का मजा दो. फिर काकी ने मेरा लंड चूसा और मैंने उनकी चूत चाटी. फिर हम दोनों ने मिलकर काकी को चोदा. उस एक महीने में हम तीनों ने मिलकर बहुत मजे लिये.
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साले की बीवी के साथ रोमांस

हैल्लो दोस्तों, यह मेरी पहली कहानी है. दोस्तों मेरा नाम योगी है और में 30 साल का हूँ और मेरे साथ जो लड़की इस कहानी में है उसका नाम स्मिता है और उसकी उम्र 32 है और वो मेरे बड़े साले की पत्नी है. यह कहानी करीब एक साल पहले की है. में गुजरात का रहने वाला हूँ और में एक गुजराती हूँ. मेरी शादी को अभी दो साल से भी ज़्यादा टाइम हो गया है, लेकिन यह घटना जब हुई थी तब मेरी शादी को एक साल हुआ था.
मेरी सगाई होने के बाद में अक्सर मेरे ससुराल जाया करता थाज मेरे ससुर के तीन लड़के और तीन लड़कियां है और इसमें स्मिता मेरे दूसरे नंबर के साले की पत्नी है और बाकी के दो साले शहर से बाहर रहते है. तो इसलिए जब भी में मेरे ससुर के घर जाता था तो में मेरे साले की पत्नी के साथ बहुत हंसी मज़ाक करता रहता था और वो भी मुझसे और मेरी पत्नी को मिलने के लिए मुझे अपने ससुराल बुलाती थी, लेकिन उस टाइम मेरे मन में ऐसा कुछ नहीं था कि में इसके साथ इस तरह तक सेक्स में आगे बढूंगा? तो सगाई के एक साल बाद मेरी शादी हो गई और मेरी पत्नी भी मुझे बहुत अच्छा सेक्स में साथ देती थी, लेकिन हुआ यह कि शादी के बाद जब में पहली बार मेरे ससुर के घर गया तो में दामाद था और अपने ससुर के घर पर मेरी बहुत अच्छी तरह स्वागत हुआ और स्मिता मेरा बहुत अच्छा ख्याल रखती थी.
फिर उसके बाद जब मेरा साला और उसकी पत्नी (स्मिता) जब पहली बार मेरे घर पर आए तो में उसे बहुत जगह पर घुमाने लेकर गया. मेरा साला बहुत बार अपने दूसरे रिश्तेदार के घर पर जाता तो में, मेरी पत्नी और स्मिता साथ में शॉपिंग के लिए भी जाते और उसको में बहुत बार शॉपिंग करवाता था और हम जब भी में उसके साथ जाता तो में सब चीज़ उसको पहनकर देखकर लाने को कहता था और पहनाकर भी देखता था और उस टाईम पहली बार हुआ कि मेरी पत्नी घूमते समय मुझसे अलग हो गई और मेरे साले की पत्नी एक फिटिंग वाली ड्रेस पहनकर देखने के लिए ट्रायल रूम में गई थी तो वो जब वापस बाहर आई तो दिखाने के लिए तब कोई नहीं था.
उसने मुझे कॉल किया तो में आ गया क्योंकि मेरी पत्नी का मोबाईल कार में पड़ा हुआ था, उसने मुझसे पूछा कि मेरी पत्नी कहाँ है? तो मैंने उससे कहा कि में भी उसे बहुत देर से ढूँढ रहा हूँ, लेकिन वो ना जाने कहाँ चली गई है? तब उसने मुझसे बोला कि अब इस ड्रेस का क्या करें? तो मैंने उसे बताया कि इस ड्रेस में आप बहुत अच्छी लग रही हो और इसकी फिटिंग भी बहुत अच्छी आ रही है. उसने अब उस ड्रेस को रख लिया और बाद में ट्रायल रूम से बाहर आकर उसने बोला कि मुझे तो और भी शॉपिंग करनी है, लेकिन सबसे पहले उसे ढूँढते है तो मैंने उससे कहा कि तुम टेंशन मत लो, थोड़ी देर में वो मिल जाएगी और आपको जो भी शॉपिंग करनी है में करवाता हूँ और अब उसे में अच्छी अच्छी ड्रेस दिखाने लगा और हर बार ट्रायल करवाने लगा.
उसने बहुत सारी शॉपिंग की और वो मेरी पसंद से भी खुश हो गई और मॉल से जाते हुये वो अंडरगार्मेंट्स के पास जाकर रुक गई और अब वो सोचने लगी कि अब क्या करें? लेकिन उसे पहले से ही पता था कि में बहुत खुले दिमाग का हूँ तो मैंने उससे पूछा कि लेना है? तो वो थोड़ा सा शरमा गई, लेकिन जब मैंने बोला तो वो अपनी साइज़ देखने लगी और थोड़ी देर के बाद में भी उसे मदद करने लगा और कहा कि इसमे ब्रांडेड ही पहनना चाहिए जिससे कि अपनी साईज़ अच्छी रहती है. उस टाईम मुझे पता चला कि वो 32 साईज की ब्रा पहनती है, तो मैंने उसे मज़ाक मज़ाक में बोला कि क्यों इसको ट्राई नहीं करना है? तो उसने भी जवाब दिया कि बाद में दिखाउंगी किसको?
मैंने कहा कि लेकिन में अभी तैयार हूँ, तो वो मुस्कुराकर पैसे वाले काउंटर पर चली गई और वहां पर मैंने सब बिल दे दिया और फिर मेरी पत्नी भी मिल गई. उसके बाद हमने बाहर खाना खाया और घर पर आए तो वो मेरे सामने देख ही नहीं रही थी और उसके दूसरे दिन हम सब लोगों को बाहर एक रिश्तेदार कर यहाँ पर खाना खाने जाना था और मेरा साला पहले से वहां पर था और मेरी पत्नी और में सुबह से वहां पर चले गये, लेकिन दस बजे मेरी पत्नी ने मुझसे बोला कि आप स्मिता को लेकर आ जाओ.
फिर में कार लेकर उसे लेने के लिए चला गया और जब में घर गया तो वो मेरा इंतजार कर रही थी. मैंने उसे कार में बैठने को कहा तो वो मुस्कुराकर बैठ गई. फिर मैंने उससे बोला कि क्या हुआ आप क्यों इतने शरमाते हो? तो उसने बताया कि आप बहुत शरारती हो और हम बात करने लगे, लेकिन मैंने बातों ही बातों में बोल दिया कि वाह नई ब्रा का अच्छा अहसास आया है.
तो वो मेरे मुहं से यह बात सुनकर एकदम से चकित हो गई और उसने मुझसे पूछा कि आपको कैसे पता चला कि मैंने वही ब्रा का सेट पहना है? तो मैंने उसे बताया कि जब आप कार में बैठने के लिए थोड़ा झुकी तो वो मुझसे दिखाई दिया और अब उसने मुझे मेरे हाथ पर हाथ मारकर बोला कि आप बहुत शरारती हो. फिर मैंने कहा कि वैसे आप इस साड़ी में बहुत सेक्सी लग रही हो, उसने मुझे धन्यवाद बोला, लेकिन तभी मैंने बोला कि मुझे अफ़सोस है कि मैंने सारी चीज़ पसंद करवाई और आपने मुझे सबकी फिटिंग दिखाई, लेकिन मुझे अब तक इसकी फिटिंग देखने को नहीं मिली.
मेरी यह बात सुनकर एकदम से शरमा गई और तब तक हम वहां पर पहुंच गये थे और उसके एक दिन बाद वो अपने घर यानि कि मेरे ससुर के घर चले गये और दूसरे दिन मैंने उसे कॉल किया कि आप अच्छी तरह से पहुंच तो गये ना? और में उसके बाद में उससे फोन पर अक्सर बात करने लगा. वो भी मुझे खुद ही कॉल करती थी और में उससे बहुत देर तक बात करता और एक दिन बातों ही बातों में उसने मुझसे कहा कि क्यों आपको अपने ससुराल आना नहीं है? तो मैंने बोला कि क्या करेंगे वहां पर आकर? तो वो बोली कि यहाँ पर बहुत कुछ करने का मौका मिल सकता है. फिर मैंने कहा कि लेकिन फिटिंग तो देखने को नहीं मिलेगी ना? तो उसने कहा कि आप एक बार आओ तो सही और फिर मैंने कहा कि ठीक है.
फिर एक महीने के बाद मुझे मेरे गावं जाना था तो मैंने सोचा कि ससुराल भी जाकर आता हूँ तो में मेरे ससुराल गया, लेकिन मैंने मेरे ससुर के घर पर किसी को नहीं बताया था कि में आने वाला हूँ, लेकिन हुआ यह कि में जब वहां पर गया तो सब लोग मेरी साली के लिए लड़का देखने के लिए गये हुए थे, लेकिन सिर्फ़ मेरे साले की पत्नी स्मिता घर पर थी और वो मुझे देखकर एकदम से चकित हो गई और बहुत खुश भी हुई उसने मुझे बताया कि सब लोग बाहर लड़का देखने गये है और उसने उस दिन गुजराती स्टाईल की साड़ी पहनी हुई थी और उसमे वो बहुत सेक्सी लग रही थी और वो उस समय घर का कम कर रही थी.
फिर उसने मुझे पीने को पानी दिया और मेरे लिए चाय बनाकर ले आई और थोड़ी उसके लिए भी लेकर आई और फिर हम बात करने लगे और चाय पीने लगे. तभी उसने मुझसे पूछा कि क्या खाना खाओगे? तो मैंने कहा कि तुम्हे जो भी अच्छा लगे बना लो और हम इस बात पर मस्ती, मजाक करने लगे कि तुम बताओ और वो बोल रही थी कि तुम बताओ? और मस्ती मस्ती में मैंने कब उसका हाथ पकड़ लिया मुझे पता ही नहीं चला और उसको अपनी तरफ खींच लिया और हम मस्ती करने लगे और इस बीच अचानक से मैंने मेरे होंठ उसके होंठो पर रख दिए कि उसे पता भी नहीं चलने दिया और करीब हमारी वो पहली किस पांच मिनट तक चली और फिर कुछ देर के बाद में वो मुझसे छूटकर बोली कि में खाना बनाने जा रही हूँ, यह बोलकर वो किचन में चली गई और अब वो खाना बनाने लगी.
फिर करीब तीस मिनट बाद जब में किचन में गया तो मैंने देखा कि वो भजिया बना रही थी और फिर मैंने उसे पीछे से जकड़कर पकड़ लिया और अब में उसके बालों को एक साइड करके उस जगह पर किस करने लगा कुछ देर बाद के में गैस बंद करके उसको मैंने मेरी गोद में उठाकर सीधा रूम में लेकर आ गया और मैंने उसे हाथ भी साफ करने नहीं दिये क्योंकि उस दिन वो गुजराती स्टाइल साड़ी में इतनी सेक्सी लग रही थी कि मुझसे रहा नहीं गया और फिर में उसे किस करने लगा और साथ में उसके ब्लाउज पर हाथ घुमाने लगा और अब धीरे धीरे करके मैंने उसके ब्लाउज के सारे बटन खोल दिये, लेकिन मैंने जब बटन खोला तो मुझे पता चला कि उसने आज भी वही ब्रा, पेंटी पहनी हुई थी.
कुछ देर के बाद में मैंने उसकी साड़ी को भी उतार दिया और वो अब सिर्फ़ चोली और ब्रा में थी. मैंने मेरी शर्ट को भी उतार दिया और अब तो वो भी मुझे हर जगह पर किस किए जा रही थी और मैंने उसकी ब्रा को भी उतार दिया. जब मैंने उसकी ब्रा को उतारा तो में उसके बूब्स को देखकर एकदम से चकित हो गया, क्योंकि इतने सेक्सी बड़े बड़े एकदम गोल बूब्स मैंने कभी नहीं देखे थे.
अब में तो बस उसको मुहं मे लेकर चूसने लगा और करीब में उसके बूब्स को बीस मिनट तक चूसता रहा और किस करता रहा. उसके बाद मैंने उसकी चोली का नाड़ा खोल दिया और पेंटी को भी उतार दिया. में उसे बस किस करते करते उसकी चूत तक पहुंच गया और उसकी चूत को में बहुत अच्छी तरह से चूसने लगा.
वो पागल होती जा रही थी और बार बार मुहं में से आआहह उूउऊहहह्ह्ह्हह उफफ्फ्फ्फ़ माँ मरी जैसी आवाज़ निकाल रही थी और करीब दस मिनट के बाद उसने मेरे मुहं को ज़ोर से पकड़कर अपनी चूत के मुहं पर दबा दिया, शायद वो अब झड़ गई थी उसके बाद हम दोनों एक दूसरे के पास में सो गये, लेकिन मुझे उससे कुछ कहना नहीं पड़ा और अब उसने मेरे सारे कपड़े निकाल दिए और वो मेरा लंड देखकर चकित हो गई और उसे अपने एक हाथ से सहलाने और हिलाने लगी, लेकिन बीच में उसने मुझसे पूछा कि चूत चूसने में कैसे लगा? मैंने कहा कि मुझे बहुत मज़ा आया तो उसने बोला कि मुझे भी बहुत मज़ा आया, लेकिन में बहुत सोच में हूँ कि में आपका यह मुहं में लूँ या नहीं? और यह कैसे लगेगा? तो मैंने कहा कि तुम एक बार कोशिश करो, अगर तुम्हे अच्छा नहीं लगे तो बाहर निकाल देना.
फिर वो उसे अब सहलाते सहलाते हुये धीरे धीरे करके मुहं में लेने लगी और फिर थोड़ी देर में क्या हुआ? कि वो पागल की तरह मेरा लंड चूसने लगी जैसे कि उसको पहली बार लोलीपोप मिला हो और अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. करीब 15 मिनट के बाद में भी उसके मुहं में झड़ गया, लेकिन उसने बाथरूम में जाकर अपने मुहं से सारा वीर्य बाहर निकालकर साफ करके चली आई और उसके बाद उसने खाना बनाया और हमने खाना खाया. फिर हमने जो मॉल से खरीदी हुई फिटिंग वाली ड्रेस और ब्रा का दूसरा सेट था वो उसे पहनकर तैयार हो गई, लेकिन मैंने इस बार कुछ नहीं देखा, क्योंकि में सेक्स करने के लिए बहुत उतावला हो रहा था. बस मैंने जल्दी से उसके और मेरे सारे कपड़े उतार दिए और उसको किस करने लगा और बूब्स चूसने लगा. उसने मेरे लंड को हिलाकर एकदम टाईट कर दिया.
फिर मैंने उसके दोनों पैरों को पकड़ कर चौड़ा किया और मेरा लंड उसकी चूत पर रखकर एक ज़ोर का झटका दिया, जिससे मेरा लंड थोड़ा सा अंदर चल गया और फिर चार पांच झटको में मैंने मेरा पूरा लंड लंड उसकी चूत में डाल दिया और उसको धक्के देकर चोदने लगा और वो भी मेरे साथ साथ अपनी चुदाई के मज़े लेने लगी और एक बार झड़ जाने के बाद मेरा दूसरा चुदाई का दौर बहुत लंबा चलता रहा.
फिर हमने डॉगी स्टाईल में भी सेक्स किया. पहले तो वो मुझसे डॉगी स्टाइल में चुदाई करने से मना कर रही थी, लेकिन मेरे समझाने के बाद में वो ठीक तरह से कुतिया की तरह मेरा साथ देने लगी थी और में बस उसको ज़ोर ज़ोर से झटके दिए जा रहा था, लेकिन अब वो डॉगी स्टाइल में बहुत देर चुदने की वजह से बहुत थक गई थी, लेकिन में अब भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था, लेकिन में भी तो अभी तक नहीं झड़ा था. फिर कुछ देर के बाद में मैंने मेरे शॉट के साथ उसे मेरे ऊपर आने को कहा और वो मेरे ऊपर आ गई. मैंने मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में एक ही झटके के साथ डाल दिया और वो एकदम से बहुत ज़ोर से चिल्ला उठी ऊऊईईईईईईईईई माँ मममाआआआआअ मर गई में उह्ह्ह्ह प्लीज धीरे करो ओह्ह्ह्हह्ह थोड़ा धीरे आईईइईईईइ माँ प्लीज मुझ पर थोड़ा रहम करो.
दोस्तों इस बार वो पहली बार इतनी ज़ोर से चीखी थी. तब मुझे पता चला कि वो चुदाई करवाने में कितनी ताकतवर है और बस उसके बाद तो में उसको ऊपर से हिलाने लगा इस चुदाई में उसे भी बहुत मज़ा आ रहा था क्योंकि ऐसे ऊपर वो पहली बार आई थी और हम दोनों के चिल्लाने की आवाज पूरे रूम को फेलने लगी और फिर वो तो बस आह्ह्ह्हहअहह ऊह्हहह आआआआआआअहह बस और ज़ोर से चोदो मुझे हाँ और ज़ोर से कर रही थी, लेकिन में अब भी झड़ने का नाम नहीं ले रहा था क्योंकि मुझे दूसरी बार झड़ने में बहुत समय लगता है और फिर उसके बाद मैंने उसे वापस नीचे किया और में उसके ऊपर आकर इस बार बहुत ज़ोर से धक्के देने लगा और वो भी बहुत अच्छी तरह से मेरा साथ दे रही थी. अब मेरी और उसकी साँसे तेज हो गई थी और पूरा रूम हमारी आवाज़ से गूँज रहा था.
बस उसके बाद करीब 20 या 25 मिनट के बाद में झड़ गया और तब तक वो दो बार झड़ चुकी थी. मैंने मेरा सारा पानी उसकी चूत में निकाल दिया और बस हम ऐसे ही करीब एक घंटे तक लेटे रहे. फिर करीब एक घंटे के बाद हम साथ में नहाए और बहुत मज़े किए. फिर उसके थोड़ी देर बाद सारे घरवाले भी आ गये. दोस्तों में आज भी उसको चोदता हूँ और उसकी चूत के मजे लेता हूँ.
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