सपना भाभी को भोपाल में बहुत चोदा

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम विकास है और में भिलाई छत्तीसगढ़ का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 30 साल है और मेरे लंड का साईज़ 6.5 लंबा और 2.5 मोटा है और अब में आप सभी को अपनी कहानी पूरी विस्तार से सुनाता हूँ. दोस्तों में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद में भोपाल में एक कंपनी में नौकरी करने चला गया, वहां पर मुझे एक मेनेजर की नौकरी मिली और हमारा काम सभी कम्पनी के मोबाईल टावर का सिविल का काम और लाईट का साईड पर काम था तो वहां पर पहले से ही बहुत से लोग काम किया करते थे, कुछ राज्य के बाहर और कुछ मेरे राज्य के ही थे तो वहां पर मुझे उन सभी के बीच बहुत इज़्जत मिलती थी, क्योंकि में अपने बॉस का बहुत चहिता था.
दोस्तों वहां पर एक शर्मा जी भी मेरे साथ काम किया करते थे और वो मध्यप्रदेश के मुरेना के रहने वाले थे, उन्होंने अपनी मर्जी से लड़की पसंद करके शादी की थी और उनकी पत्नी गुजरात की रहने वाली थी. दोस्तों मेरी उनसे बहुत कम समय में बहुत अच्छी पहचान हो गई थी, क्योंकि उनका व्यहवार मेरे लिए बहुत अच्छा था और वैसे उनकी शादी को करीब एक साल ही हुआ था. फिर एक दिन उन्होंने मुझे अपनी शादी की सालगिरह में अपने घर पर बुलाया, वैसे वो ज्यादातर अपने ऑफिस के काम से हमेशा बाहर रहते थे, लेकिन वो अपनी शादी की सालगिरह के दिन अपने घर पर ही थे और उन्होंने मुझे अपनी शादी की सालगिरह में जरुर जरुर आने को कहा.
फिर जब मैंने उनकी पत्नी को पहली बार देखा तो में उन्हें देखकर बिल्कुल पागल हो, वाह क्या यार क्या माल थी वो? वो उस दिन साड़ी में थी और उनका फिगर बहुत सेक्सी आकर्षक लग रहा था. फिर में उनके बड़े ही सुंदर गदराए हुए बदन को देखकर उनका दीवाना हो गया और में उन्हें लगातार घूर घूरकर देख रहा था, मेरी नजर बार बार उनकी तरफ जा रही थी.
कुछ देर बाद अपने पूरे होश में आकर मैंने उन दोनों को उनकी शादी की सालगिरह की बधाई दी और उस सेक्सी माल से हाथ भी मिलाया और उनको छूते ही मेरे पूरे शरीर में एक करंट सा दौड़ने लगा और वैसे वो बहुत ही मिलनसार व्यहवार की थी, क्योंकि वो भी मेरी तरफ बहुत प्यार से देख रही थी और मेरा उनको लगातार घूरकर देखना उन्हें बिल्कुल भी बुरा नहीं लग रहा था और वो भी मेरी बातों का मुस्कुराकर जवाब दे रही थी. फिर वो लोग मेरे पास वापस आ गए और मुझसे बातें करने लगे, लेकिन उस दिन तक भाभी के बारे में मेरे दिमाग़ में ऐसी कोई ग़लत भावना नहीं थी. फिर में वहां पर कुछ घंटे रुककर अपने कमरे पर आ गया.
मैंने आप सभी को पहले ही बताया था कि में छत्तीसगढ़ का रहने वाला था तो मेरे परिवार वाले सर्दियों में मेरे पास घूमने आने वाले थे और वो भी पूरे दो महीने के लिए. फिर मैंने एक दिन शर्मा जी को कहा कि यार आप मुझे दो महीने के लिए कोई रूम दिलवा दो. फिर वो मुझसे कहने लगे कि मेरे रूम के पास में एक रूम कुछ दिनों से खाली पड़ा हुआ है और अगर तुम कहो तो में वो रूम तुम्हें दिलवा दूँगा. फिर मैंने उनकी पूरी बात सुनकर तुरंत उन्हें हाँ कह दिया और फिर वो खुद मुझे उनके पास वाला रूम दिलाकर दूसरे ही दिन करीब दो महीने के लिए हमारी कम्पनी के काम से बाहर चले गये. उनके चले जाने के चार दिन बाद ही मेरे परिवार वाले आ गए और वो लोग भाभी से बहुत अच्छी तरह से घुल मिल गये. दोस्तों मुझे माफ़ करना में आप सभी को अपनी सेक्सी भाभी के बारे में बताना ही भूल गया, वो 26 साल की थी और उनके फिगर का साईज 36-32-34 था, उनका नाम सपना था और वो हमेशा मेरे सपनों में आती रहती थी.
दोस्तों उन्होंने मेरे परिवार वालों की घूमने में बहुत मदद की और उस दौरान मेरी उनसे बहुत जमने लगी थी, में उनसे बहुत खुलकर बातें करने लगा था और वो मेरी अधिकतर बातों को समझकर बिल्कुल चुप हो जाती या फिर मुस्कराकर मेरी आखों में देखने लगती और में उनकी इन सभी हरकतों का मतलब अब धीरे धीरे समझने लगा था. अब थोड़ा गर्मी का समय आ गया था और हम लोग भोपाल के पुराने भोपाल में किराए पर रहते थे तो वहां पर हम गर्मी आने पर छत पर सोते थे. फिर एक रात को में भी छत पर सो रहा था तो मुझे रात को करीब 1:30 बजे प्यास लगने लगी, इसलिए में उठकर नीचे चला गया और भाभी के रूम में चला गया और उस समय शर्मा जी बाहर गये हुए थे तो मैंने फ़्रिज़ से पानी निकालकर पिया और फिर छत पर वापस जाने लगा.
तभी मेरी नज़र भाभी पर पड़ी जो उस समय बहुत गहरी नींद में सो रही थी और उनके बूब्स उनकी उस ढीली सी मेक्सी से आधे आधे बाहर निकल रहे थे तो में वो सब देखकर वहीँ पर अचानक से रुक गया और भाभी के उभरते हुए नंगे बूब्स को छूने लगा, लेकिन कुछ देर तक वो बिल्कुल भी नहीं हिली और जब वो उठी तो अचानक से डरकर बैठ गई और फिर वो मुझसे हड़बड़ाहट में बोली कि तुम यह क्या कर रहे हो? फिर मैंने उनके मुहं पर अपना एक हाथ रखकर उनसे बोला कि भाभी चुप रहो वरना सब लोग जाग जाएँगे.
वो कुछ शांत हुई तो फिर में उनसे बोला कि भाभी में आपसे क्या एक बात पूछ सकता हूँ, लेकिन आप मुझे उसका जवाब बिल्कुल सच सच देना? तो वो बोली कि हाँ विकास कहो तुम्हें मुझसे ऐसा क्या पूछना है? फिर मैंने उनसे पूछा कि भाभी शर्मा जी ज्यादातार समय हमारी कम्पनी के काम से बाहर रहते है तो फिर आपकी कभी उनके चले जाने के बाद सेक्स करने की इच्छा नहीं होती क्या? तो वो मेरे मुहं से यह बात सुनकर करीब दस मिनट तक बिल्कुल चुप रही और बस लगातार मुझे देखती रही और में उनके कुछ बोलने का इंतजार करता रहा. मैंने बहुत इंतजार किया, लेकिन वो अब भी कुछ नहीं बोली और में उन्हें उसे हालत में छोड़कर जाने लगा.
फिर भाभी मुझसे बोली कि रुको विकास और में तुरंत रुक गया. फिर वो मुझसे थोड़ा उदास होकर बोली कि शर्मा जी के अलावा मैंने कभी किसी और के बारे में कुछ नहीं सोचा, लेकिन आज तुमने मुझसे यह सब सवाल पूछकर मेरी सेक्स की इच्छा को और भी बड़ा दिया है और जिसको में अब तक अपने ऊपर कंट्रोल करके बैठी हुई थी, में हमेशा अपने पति के आने पर उनके साथ बहुत खुश रहती हूँ, लेकिन उनके बाहर चले जाने पर में अपने आपको बहुत अकेला महसूस करती हूँ और में अपनी सेक्स की आग से अंदर ही अंदर जलती रहती हूँ, लेकिन मैंने अब तक किसी को भी अपने मन की बात नहीं बताई. में हमेशा बिल्कुल शांत रही और उस आग में जलती रही तड़पती रही.
दोस्तों में उसकी बात जैसे ही खत्म हुई तुरंत उससे बोला कि सपना में हूँ ना तुम्हारे पास, तुम्हारी सभी इच्छा को पूरा करने के लिए, तुम क्यों इतना परेशान होती हो और में तुम्हें बहुत प्यार करूंगा.
भाभी बोली कि हाँ तो अब जल्दी से आ जाओ और में उनके होंठो पर किस करने लगा. करीब 15 मिनट तक हमने लगातार एक दूसरे को किस किया और कुछ देर बाद भाभी मुझसे थोड़ा दूर हटकर बोली कि अभी बस इतना ही बाकि जब कोई नहीं होगा तब हम करेंगे और में वहां से चला गया और छत पर जाकर भाभी के बारे में सोच सोचकर ना जाने कब सो गया.
दोस्तों उसके बाद दूसरे दिन से हमारे बीच हंसी मजाक कुछ ज्यादा ही होने लगा, में हर कभी सही मौका देखकर भाभी को छेड़ दिया करता और उनके बूब्स को दबा देता, लेकिन भाभी मुझसे कुछ नहीं कहती बस मुस्कुराकर मुझे देखा करती और हंस हंसकर मुझसे बातें करती तो में हर कभी उन्हें किस करता और बहुत मज़े करता.
फिर कुछ दिन के बाद मेरे घर वाले वापस आ गये और में उनको स्टेशन छोड़कर वापस अपने कमरे पर आ गया और फिर थोड़ा सा थके होने की वजह से में खाना खाकर सोने चला गया, लेकिन मेरी इच्छा अब भी भाभी को चोदने की थी, लेकिन उस समय उनके घर पर कोई मेहमान आया हुआ था तो में सो गया. फिर रात को करीब एक बजे किसी ने मेरे कमरे का दरवाजा बजाया और मैंने जब उठकर देखा तो बाहर दरवाजे पर भाभी खड़ी हुई थी, वो मुझसे बोली कि क्यों सो गये क्या?
मैंने कहा कि नहीं बस ऐसे ही लेटा हुआ था. फिर वो मुझसे बोली कि आ जाओ आज तुम्हारी जितनी इच्छा है उसे मुझे चोदकर पूरा कर लो, में उनकी बात को सुनकर तुरंत समझ गया कि आज भाभी को मुझसे अपनी चुदाई करवानी है और में जल्दी से उनके साथ उनके कमरे में चला गया और अंदर जाते ही मैंने उनको पीछे से तुरंत पकड़ लिया और उनको किस करने लगा तो वो भी मेरा पूरा पूरा साथ देने लगी. फिर में उनसे कहने लगा कि भाभी आज तेरी चूत को फाड़ दूँगा, में आज तेरी चूत को चोद चोदकर भोसड़ा बना दूंगा और तुम्हें मेरी चुदाई से बहुत खुश कर दूंगा और इस प्यासी तड़पती हुई चूत को बिल्कुल शांत कर दूंगा.
फिर वो मुझसे बोली कि हाँ मेरे राजा आज तू मुझे चोद चोदकर अपनी रंडी बना ले, मेरी चूत को वो सुख दे जिसके लिए में इतने दिनों से बैचेन हूँ क्योंकि तेरा भाई तो नामर्द है वो आज तक मुझे ठीक से चोद भी नहीं पाया है, लेकिन आज से में तेरी रंडी बन कर रहूंगी, तू मुझे हर कभी रात दिन चोद सकता है, में तुझसे कभी भी ना नहीं कहूंगी, लेकिन प्लीज अब जल्दी से मुझे चोद दे मुझे और ना तरसा. दोस्तों अब में उनको होंठो पर किस करने लगा और साथ साथ उनके ब्लाउज को उतारने लगा उसके बाद अपने एक हाथ से में उनके बूब्स को दबाने लगा और दूसरे हाथ से उनकी गांड को दबाने लगा तो वो मुझसे कहने लगी कि तू कितना सेक्सी है विकास, आज तू मुझे जी भरकर चोद और आज मुझे जन्नत दिखा दे.
मैंने एक ज़ोर का झटका देकर उनकी ब्रा को खींचकर उतार दिया और उनके एक बूब्स को चूसने तो दूसरे को दबाने, निचोड़ने लगा जिसकी वजह से वो वो भी पूरी तरह जोश में आकर मोन करने के साथ साथ मेरे सर को पकड़कर अपने बूब्स पर दबाने लगी और मुझसे कहने लगी कि हाँ उह्ह्ह्हह्ह आज इन्हें खा जाओ मेरे राजा आज से में तेरी रंडी हूँ आह्ह्हह्ह तू जब भी मुझसे बोलेगा में तुझसे चुदवाने को तैयार रहूंगी.
अब मैंने उनके पेटीकोट को खोल दिया और मैंने देखा कि भाभी ने अंदर पेंटी नहीं पहनी थी और उनकी चूत एकदम साफ थी. में उनकी चिकनी चमकती हुई चूत में उंगली करने लगा और वो मेरे लंड को हाथ में पकड़कर सहलाने लगी, मुझे बड़ा अच्छा लगने लगा. फिर कुछ देर बाद मैंने उनसे कहा कि भाभी मेरा लंड अपने मुहं में लो ना, वो तुरंत बोली कि में कब से इसे मुहं में लेने को उत्सुक होकर बैठी थी. मैंने बोला कि हाँ तो जल्दी से लो ना मेरी जान.
अब वो झट से नीचे अपने घुटनों के बल बैठकर मेरे लंड को धीरे धीरे अपने मुहं में लेने लगी और मेरी गोलियों के साथ खेलने लगी दोस्तों मेरा लंड थोड़ा मोटा और लंबा है इसलिए उसे पूरा अंदर लेने में बहुत मेहनत करनी पड़ रही थी, लेकिन उसने हार नहीं मानी और वो लगातार धीरे धीरे मेरे लंड को आगे पीछे करती रही और लोलीपोप की तरह चूसती रही.
फिर कुछ देर बाद में उससे बोला कि सपना अब ऊपर आओ में तुम्हारी चूत को चूसता चाटता हूँ, वो अब भी मेरा लंड चूस रही थी और हम 69 पोजीशन में आ गये और करीब 20 मिनट तक हम 69 पोजीशन में रहे. अब भाभी मुझसे बोली कि विकास अब मुझसे रहा नहीं जाता, तू फाड़ दे मेरी चूत को, आज से में तेरी रंडी बनकर रहूंगी, अब थोड़ा जल्दी से चोद मुझे मादरचोद, मुझे और ना तड़पा.
अब मैंने भाभी को सीधा लेटाकर उनकी चूत के मुहं पर अपना लंड रख दिया और फिर मैंने एक ज़ोर का धक्का लगा दिया, जिसकी वजह से मेरा आधा लंड भाभी की चूत में फिसलता हुआ अंदर चला गया और वो दर्द से चिल्लाने लगी, उह्ह्ह्हह् आईईईइ प्लीज बाहर निकालो अपना लंड उफफ्फ्फ्फ़ में मर जाउंगी स्सीईईइ प्लीज इसे बाहर करो, मुझे उईईईइ माँ बहुत दर्द हो रहा है, वो उस दर्द से बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगी, लेकिन मैंने उनकी एक भी बात नहीं सुनी और ना ही अपने लंड को बाहर निकाला.
दोस्तों वो वैसे ही चीखती, चिल्लाती रही और कुछ देर रुकने के बाद मैंने उनके होंठो पर अपने होंठो को रखकर उनको चूमते हुए सही मौका देखकर अपना दूसरा धक्का लगा दिया, जिसकी वजह से मेरा पूरा लंड उनकी चूत की गहराईयों में चला गया और उनकी आँखो से आंसू बाहर आने लगे थे और में कुछ देर रुकने के बाद धीरे धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा.
अब उनको भी थोड़ा मज़ा आने लगा और वो मुझसे बोली कि हाँ चोद मेरे राजा और ज़ोर से चोद उह्ह्हह्ह्ह्ह आज से में तेरी रंडी हूँ, तू जब चाहे तब मुझे चोदना, हाँ थोड़ा और अंदर डाल उह्ह्ह्ह जाने दे इसे पूरा अंदर और में लगातार धक्के लगाता रहा और पूरे कमरे में सिर्फ़ मेरे धक्कों से हमारे जिस्म के टकराने वाली आवाज आने लगी, फच फच फच और कुछ देर के धक्कों के बाद वो अब अकड़ने लगी और फिर वो झड़ गई, लेकिन मेरा नहीं हुआ था तो में अब भी धक्के देकर चोदता रहा. फिर में भी 15-20 धक्कों के बाद उनकी चूत के अंदर ही झड़ गया. मुझे उनके चेहरे से संतुष्टि साफ साफ नजर आ रही थी और वो मेरी चुदाई से बहुत खुश थी. दोस्तों उस रात को मैंने उन्हें रुक रुककर करीब चार बार चोदा. फिर हम सो गये. दोस्तों मैंने उन्हें इस तरह से उनका पति बनकर करीब एक साल तक रोज हर कभी चोदा और आज वो मेरे दो बच्चों की माँ बन गई, लेकिन उसके पति को आज तक नहीं पता कि उनके बच्चों का बाप में हूँ.
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सेक्स की सच्ची कीमत

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम राहुल है और मेरी उम्र 28 साल है, में दिखने में एकदम ठीक ठाक हूँ. दोस्तों में लगातार कहानियाँ पढ़ता आ रहा हूँ और में कहानियाँ करीब पिछले दो सालों से पढ़ता आ रहा हूँ और आज में आप सभी को अपनी भी एक ऐसी ही सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूँ और में उम्मीद करता हूँ कि जिसको पढ़कर आपको मज़ा जरुर आएगा. दोस्तों उस समय में MBA का स्टूडेंट था. दोस्तों हो सकता है कि आपको मेरी यह कहानी थोड़ी लंबी लगे, लेकिन मैंने कोशिश की है जो में आज आपको बताने जा रहा हूँ, वो सब आपको आपकी आँखो के सामने एक बार होता हुआ जरुर नज़र आए.
दोस्तों एक बार की बात है, में और मेरे दो दोस्त दीवाली की छुट्टियों में ट्रेन से अपने घर पर आ रहे थे और सभी जवान लड़को की तरह हम भी पूरी ट्रेन में बैठी हुई औरतों को देखते थे और जहाँ मस्त लड़की या भाभी बैठी होती तो हम वहीं चड़ जाते थे, लेकिन इस बार हम थोड़ा लेट हो गये और फिर ट्रेन चल पड़ी तो हमने भागकर ट्रेन पकड़ी और अपने बेग रखकर आपस में हंसी मज़ाक करने लगे और मज़े लेते रहे, करीब 15 मिनट के बाद मेरे एक दोस्त विकास ने मुझसे कहा कि पीछे की सीट पर बैठी हुई एक शादीशुदा औरत मुझे लगातार देखे जा रही है और मेरी पीठ उस तरफ थी, शायद उस भाभी ने ट्रेन में चड़ते समय मुझे नहीं देखा होगा.
में : वो कहाँ है भाई?
विकास : एकदम तेरे पीछे वो मस्त माल है.
में : साले तू क्या अब तक उसी को लाईन मार रहा था?
विकास : हाँ, लेकिन वो तुझे देखकर मुस्कुरा रही है, तू कोशिश कर में वो सामने वाली लड़की को देखता हूँ अगर कुछ होता है.
फिर मैंने पीछे पलटकर देखा तो वो मुझे देख रही थी और हमारी नज़रे मिली और उसने मेरी तरफ स्माईल किया, उफफफ्फ़ वाह क्या लग रही थी एकदम गोरी और लाल कलर की लिपस्टिक, गोल चेहरा, काजल लगाई हुई बड़ी बड़ी आँखे और वो हरे रंग की साड़ी पहने हुए एकदम कयामत लग रही थी. में तो उसे देखते ही उस पर बिल्कुल फ़िदा हो गया और अब मैंने भी उसे देखना शुरू किया और वो बार बार हंस रही थी और अपने पास वाली औरत से बातें कर रही थी और वो अपने परिवार के साथ थी जिसमें दो आदमी तीन औरते और बच्चे थे और वो माता के दर्शन करके आ रहे थे.
कुछ देर तक तो ऐसा ही नैन मटक्का चलता रहा, लेकिन फिर मैंने मौका देखकर उसकी तरफ आँख मार दी और वो बहुत ज़ोर से हंस दी, उसकी साथ वाली ने पूछा तो उसने मेरी और इशारा करके उसे कुछ बताया और अब वो भी मुझे देखने लगी, जिसकी वजह से मेरी तो गांड फट गई थी और में मन ही मन सोचने लगा कि कहीं अब यह अपने परिवार वालों को ना बता दे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और अब में बार बार उसे आँख मारने लगा और फिर मैंने उसे एक हवा में किस भी दे दिया.
कुछ देर बाद कोई स्टेशन आया, लेकिन ट्रेन में बहुत भीड़ थी तो इसलिए वो उतर नहीं सकती थी और में दरवाजे के पास ही खड़ा था तो वो मुझे कुछ कहने वाली थी, लेकिन अचानक रुक गई. फिर मैंने उससे इशारे से पूछा कि क्या हुआ? तो उसने मेरी तरफ बॉटल की इशारा किया और फिर मुझसे कहा कि प्लीज क्या आप थोड़ा पानी ला देंगे? वाह दोस्तों उसकी क्या आवाज़ थी, एकदम मेरे दिल के पार हो गई और दोस्तों आप तो जानते ही हो ऐसे टाईम पर दिल हवा में उड़ने लगता है. मैंने उससे कहा कि जी हाँ आप बैठे रहिए और में अभी लेकर आता हूँ.
फिर में जल्दी से गया और पानी ले आया और उसको बोतल देते वक़्त मैंने उसके हाथों को छू लिया और जिसका मुझे एकदम कोमल एहसास हुआ जैसे मैंने कोई मखमल को छुआ हो और उसके बाद फिर वही शुरू हो गया, क्योंकि उसके परिवार वालों के सामने में कुछ रिस्क नहीं ले सकता था और ऊपर से वो एक शादीशुदा भी थी, कुछ देर में उनका स्टेशन आया और वो लोग खड़े हो गये और अपना सामान लेकर दरवाजे के पास आ गये, वो मेरे बिल्कुल पास खड़ी हुई थी, लेकिन उसका मुहं दूसरी तरफ था.
मैंने एक कागज पर अपना मोबाईल नंबर लिखा और उसे देने लगा, लेकिन उसने गुस्सा दिखाया कि कोई देख लेगा और उसने वो नहीं लिया, लेकिन मैंने जब अपने हाथ को उसकी बड़ी गांड पर लगाया तो मुझे मज़ा आ गया और फिर मैंने उसे दबा दिया तो वो मुझे गुस्से से देख रही थी, लेकिन ज्यादा भीड़ की वजह से किसी ने नहीं देखा और पांच मिनट मैंने तक बहुत मजा लिया.
फिर स्टेशन आ गया और वो उतर गये. मुझे बहुत दुःख हुआ कि ना उससे कोई बात हुई और ना उसका पता लिया और ना ही उसे अपना फोन नंबर दिया, लेकिन वो नीचे उतरकर भी मुझे देखे जा रही थी, उसके परिवार के लोग सामान उठाकर जाने लगे और वो सबसे पीछे चल रही थी और अब ट्रेन भी आगे बढ़ने लगी थी.
तभी वो मुझे इशारा करने लगी, में ट्रेन से कूद गया और दौड़ता हुआ उसके पास से निकलकर फिर ट्रेन में चड़ गया और किसी को पता नहीं चला कि मैंने अपना मोबाइल नंबर भागते हुए उसके हाथ में थमा दिया था और अब मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, लेकिन मुझे अभी तक उसका नाम भी नहीं पता था और मैंने उसका फिगर भी ज्यादा ध्यान से नहीं देखा, क्योंकि में उसकी आँखो में ही खोया रहा. अब में भी शाम को अपने घर पर पहुंच गया और उसका फोन आने का इंतजार करने लगा, लेकिन दो दिन बीत गये और में अपनी दूसरी अप्सरा को लाईन मारने में लग गया.
दोस्तों क्या करे वो उम्र ही कुछ ऐसी होती है. फिर शाम को करीब 7 बजे मेरे मोबाईल पर एक अनजाने नंबर से एक मिस कॉल आया, लेकिन मैंने ध्यान नहीं दिया, क्योंकि में मिस कॉल पर ज्यादा ध्यान नहीं देता था, क्योंकि वो सब रॉंग नंबर ही होते है, लेकिन थोड़ी देर बाद फिर से एक कॉल आया और मैंने बात की.
प्रीति : हैल्लो हैल्लो क्या आप राहुल बोल रहे है? ( दोस्तों मैंने अपने मोबाईल नंबर के साथ साथ अपना नाम भी उस कागज पर लिखा था. )
में : हाँ जी में बोल रही हूँ, लेकिन आप कौन हो और बताइये आपको किससे बात करनी है.
प्रीति : जी मेरा नाम प्रीती हूँ और मुझे आपसे ही करनी है, मुझे लगता है कि आपकी याददाश्त बड़ी कमज़ोर लगती है?
तभी मुझे याद आया कि यह वो ट्रेन वाली ही होगी और अब में ख़ुशी से उछल पड़ा.
में : नहीं मेरी याददाश्त ही क्या मेरा सब कुछ बहुत मज़बूत है बस अंजान नंबर था तो इसलिए में जान नहीं पाया.
प्रीती : वैसे कितनी को जानते हो आप?
में : बस आपको ही जानना चाहता हूँ और बाकी सब तो मोह माया है.
प्रीती : हाँ, लेकिन इस मोह माया ने सबका चेन उड़ाया हुआ है.
में : मुझे तो लगा था कि आप मुझे भूल ही गई और मेरे इतने दिन कैसे गुज़रे में आपको बता नहीं सकता.
प्रीती : सिर्फ़ दो दिन ही हुए है जी और आप ऐसे बोल रहे हो, जैसे पिछले दो साल हो गये.
में : आपके लिए दो दिन होंगे, लेकिन मेरे लिए तो दो जन्म थे प्रीति जी.
प्रीती : हाँ बस बस रहने दीजिए हमे पता है आजकल क्या सब होता है?
में : क्यों आपको ऐसा क्या पता है?
प्रीती : कुछ नहीं पहले हमारी अच्छे से जान पहचान तो हो जाए, लेकिन आप तो मुझे छेड़ने लगे.
में : जी हाँ बिल्कुल हो जाए और आपके सामने तो भगवान का भी ईमान डोल जाए और में तो एक मामूली इंसान हूँ.
प्रीती : आप बातें बहुत अच्छी बनाते हो और अब मुझे मस्का ना लगावो, खैर छोड़ीए और मुझे बताए कि आप क्या करते है और कहाँ रहते है?
में : में MBA कर रहा हूँ और अपने कॉलेज के हॉस्टल में रहता हूँ और आप?
फिर प्रीति ने अपने बारे में बताया कि वो पिछले दो साल से शादीशुदा है, लेकिन उसके कोई बच्चा नहीं है, क्योंकि उसके पति अभी बच्चा पैदा नहीं करना चाहते और वो एक बहुत अच्छे इंसान है और वो उसका बहुत ख्याल रखते है, लेकिन बस वो अक्सर बाहर रहते है तो इसलिए थोड़ा अकेलापन लगता है और बाकी लाईफ में सब कुछ ठीक ठाक है.
में : तो फिर तुमने मुझसे दोस्ती क्यों की?
प्रीती : मुझे बहुत अकेलापन महसूस होता है तो इसलिए मुझे किसी दोस्त की ज़रूरत होती है, क्योंकि में अकेली एकदम बोर हो जाती हूँ.
में : ठीक है तो सिर्फ़ हम ऐसे ही बातें करेंगे या आप कभी अपने दोस्त से मिलेगें भी?
प्रीती : वो सब बाद में देखा जाएगा और में तुम्हे सबसे पहले बता दूँ कि कोई ऐसी वैसी नहीं हूँ बस तुम मुझे अच्छे लगे तो इसलिए मैंने तुमसे दोस्ती की.
में : चलो ठीक है अब आप ज्यादा नराजगी मत दिखाओ.
दोस्तों फिर हमारी बातों का सिलसिला ऐसे ही चलने लगा और एक दिन हम एक मॉल में मिले, क्योंकि उसने मुझे बुलाया उसकी शॉपिंग में मदद करने के लिए, में वहां पर एकदम ठीक समय पर पहुँच गया और वो मेरा वहीं पर एक रेस्टरोंट में इंतजार कर रही थी.
दोस्तों वो बेहद सुंदर हुस्न की परी जो किसी के छू लेने से भी मैली हो जाए, वो काली कलर की साड़ी में आई थी और उसकी पतली कमर बिना बाह का वो ब्लाउज जो थोड़ा गहरे गले का था और पीछे की साईड पर खुले बिखरे हुए बाल जो उसकी गोरी पीठ को छुपा रहे थे, गुलाब की पंखुड़ियो से एकदम गुलाबी होंठो से जब उसने ही बोला तब में होश में आ गया और वो मुस्कुराने लगी.
प्रीती : क्या बस ऐसे घूरकर देखते ही रहोगे या कुछ बोलोगे भी?
में : पहले मुझे अपने पूरे होश में तो आने दीजिए हुज़ूर.
प्रीती : अभी से होश खो बैठे जनाब तो इसके आगे तुम्हारा क्या होगा?
में : क्या मतलब?
प्रीती : कुछ नहीं अब जल्दी से चलो मुझे शॉपिंग करनी है और थोड़ा जल्दी करो, मेरे पास समय कम है.
में : तुम हमेशा इतनी जल्दी में क्यों रहती हो?
प्रीती : क्योंकि में आपकी तरह लड़का नहीं हूँ और में एक शादीशुदा हूँ प्लीज यार समझा करो, घर में कितने काम होते है.
में : ठीक है अब बताओ आपको क्या खरीदना है और हम कहाँ चले?
प्रीती : बस मुझे अपने लिए कपड़े और कुछ घर का सामान लेना है.
में : तुम क्या हमेशा साड़ी ही पहनती हो?
प्रीती : नहीं में सब कुछ पहनती हूँ, लेकिन में अपनी शादी होने के बाद ज्यादातर समय साड़ी ही पहनती हूँ, क्यों तुम्हे पसंद नहीं?
में : नहीं यार तुम तो कयामत ढा रही हो, देखो सब कैसे तुम्हे देख रहे है जैसे अभी कच्चा खा जाएँगे.
प्रीती : हाँ में सबको देख रही हूँ और मुझे सबका तो पता नहीं, लेकिन मुझे तो तुम्हारे इरादे बिल्कुल भी ठीक नहीं लग रहे है, प्लीज चलो अब यहाँ से मुझे बहुत जल्दी है.
फिर हमने शॉपिंग की और साथ में लंच भी किया और फिर वो अपने घर पर चली गई, उसने मुझे भी एक जीन्स गिफ्ट किया, लेकिन उसने मुझसे बदले में कुछ गिफ्ट नहीं लिया और वो मुझसे बोली कि में बाद में ले लूँगी जो मुझे चाहिए और उन दिनों उसके पति कहीं बाहर टूर पर थे तो रात को मेरी उससे फिर फोन पर बहुत सारी बातें हुई.
में : हाय, आज तो तुमने मेरा कत्ल कर दिया, क्या ज़रूरत थी इतना सेक्सी लगने की?
( दोस्तों अब तक हम बहुत अच्छे दोस्त बन गये थे और एक दूसरे से बिल्कुल खुलकर बातें करते थे, लेकिन मज़ाक के तौर पर. )
प्रीती : क्यों ऐसा क्या था आज?
में : वही तो में बताने जा रहा हूँ और आज घर पर आने के बाद मुझे कई बार बाथरूम जाना पड़ा.
प्रीती : अच्छा वो क्यों भला?
में : क्यों जैसे तुम कुछ जानती ही नहीं?
प्रीती : अब मुझे क्या पता कि तुम बाथरूम क्यों गये थे? क्योंकि में तो हमेशा नहाने जाती हूँ और वो भी दिन में एक बार.
में : हाँ जी आपको क्या ज़रूरत है बार बार बाथरूम में जाने की, क्योंकि आप तो शादीशुदा हो यह तो हम जैसो का काम है.
प्रीती : क्यों शायद शादीशुदा को ज्यादा जाना पड़ता हो?
में : लेकिन क्यों?
प्रीती : अब आप भी इतने भोले नहीं हो जितना बनना चाहते हो.
में : क्यों तुम अपने पति को सोचती हो ना?
प्रीती : यह भी कोई पूछने की बात है और वो तो हर शादीशुदा लड़की अपने पति को करती है, लेकिन यह मेरी मजबूरी है, क्योंकि मेरे उनका काम ही कुछ ऐसा है.
में : हाँ तो उस कमी को पूरा भी किया जा सकता है.
प्रीती : वैसे में इतनी भी बेकार नहीं हूँ और में अपने पति से बहुत प्यार करती हूँ.
में : हाँ, लेकिन तुम प्यार और सेक्स को एक अलग अलग जगह पर रखकर सोचो, क्योंकि सेक्स एक ज़रूरत है और प्यार एक अहसास है.
प्रीती : लेकिन बिना एहसास के प्यार नहीं होता और प्यार भरा अहसास एक ना एक दिन सिर्फ़ एक सेक्स बनकर रह जाता है.
में : हाँ वो तो उस बात पर निर्भर करता है ना कि सामने वाला आपसे प्यार करता है या सिर्फ़ आपके साथ सेक्स करता है.
प्रीती : यह क्या बात हुई?
में : अच्छा सोचो कि तुम जिससे सेक्स कर रही हो वो तुम्हे प्यार करता है, लेकिन तुम नहीं तो इससे तुम्हे एहसास भी होगा और ज़रूरत भी पूरी होगी.
प्रीती : अब ऐसा आदमी कौन मिलेगा, क्योंकि सब सेक्स के पीछे भागते है.
में : तुम बुरा ना मानो तो में तुमसे कहना चाहता हूँ कि में तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और अगर तुम शादीशुदा नहीं होती तो में तुमसे शादी भी कर लेता.
प्रीती : यह क्या बकवास है? मैंने तुम्हे पहले ही कहा था ना कि तुम मुझे ऐसी वैसी मत समझना.
में : प्लीज बिल्कुल भी ग़लत मत समझो, में अपने दिल का अहसास तुम्हे बताने जा रहा हूँ और तुम्हारी कुछ मदद करना चाहता हूँ.
प्रीती : चुप रहो तुम मुझसे सीधा सेक्स करने को कह रहे हो और फिर प्यार जता रहे हो.
में : प्लीज तुम मेरी भी तो बात सुनो, लेकिन उसने फोन कट कर दिया और वो मुझसे बहुत नाराज़ हो गई और कुछ दिन तक हमारी बात नहीं हुई.
फिर मैंने इस बीच उसे कई बार फोन किया, लेकिन उसने कोई भी जवाब नहीं दिया. फिर एक दिन उसका एक मैसेज आया तो उसने मुझे शाम को 6 बजे मिलने के लिए बुलाया, मुझे नहीं पता कि क्या बात होगी और में 6 बजे वहां पर पहुंच गया, लेकिन वो वहां पर नहीं आई और मैंने 7 बजे तक उसका इंतजार किया और फिर घर आ गया और मैंने उसको कई बार फोन भी किया, लेकिन उसका मोबाईल भी बंद आ रहा था. फिर अगले दिन उसका कॉल आया तो उसने मुझसे कहा कि मुझसे गलती हो गई और उसने मुझे बताया कि वो आने वाली थी कि तभी उसका पति आ गया तो इसलिए वो नहीं आई.
में : अच्छा मतलब अब आपकी ज़रूरत पूरी हो गई तो आप नहीं आने वाली.
प्रीती : नहीं वो तो कुछ देर बाद ही रुककर चले गये थे और हमारे बीच ऐसा कुछ नहीं हुआ.
में : अच्छा चलो शुभरात्री.
प्रीती : क्या अभी तक मुझसे नाराज़ हो, प्लीज मुझे माफ़ कर दो, क्योंकि मुझे भी बहुत बुरा लगा जो मैंने उस दिन तुम्हारे साथ किया.
में : वो सब ठीक है.
प्रीती : अच्छा बाबा मैंने अब अपने कान पकड़ लिये, प्लीज अब तो मान जाओ.
में : लेकिन मुझे तो नहीं दिख रहा.
प्रीती : तो मेरे पास आकर देख लो.
में : अच्छा जी ठीक है बताओ क्या कर रही हो?
प्रीती : में तुमसे बातें कर रही हूँ और क्या?
में : तुम मुझे एक बात बताओ कि क्या तुम्हारा कॉलेज में कोई बॉयफ्रेंड था?
प्रीती : हाँ था, लेकिन क्यों??
में : फिर तो बहुत मज़ा किया होगा.
प्रीती : हाँ किया था और वैसे भी सब करते है, क्या तुम नहीं करते?
में : नहीं, मेरी ऐसी किस्मत कहाँ?
प्रीती : रहने दो मुझे मत बनाओ, समझे.
में : अच्छा यह बताओ कि अभी तुमने क्या पहना है?
प्रीती : लेकिन में क्यों बताऊँ?
में : प्लीज बताओ ना, में तुम्हे अपने सामने सोचकर महसूस करना चाहता हूँ.
प्रीती : अच्छा तुम अब मुझे सोचकर मेरा फायदा उठाओगे यह बहुत गंदा है मिस्टर राहुल.
में : चलो हम एक खेल खेलते है और हम एक दूसरे से सवाल पूछेंगे और उसका सच सच जवाब देना होगा.
प्रीती : ठीक है शुरू करो.
में : तुम्हारे फिगर की साईज क्या होगी?
प्रीती : हाआअअ क्या तुम्हे बिल्कुल भी शर्म नहीं आती?
में : चलो अब मुझे सच सच जवाब दो.
प्रीती : नहीं मुझे नहीं खेलना ऐसा खेल.
में : ठीक है बाय.
प्रीती : अरे सुनो क्या यार तुम भी छोटे बच्चो जैसे बात बात पर रूठ जाते हो, मेरा फिगर 34-28-36 है.
में : वाहह मज़ा आ गया सुनकर.
प्रीती : और तुम्हारा साईज़ क्या है?
में : 6 फीट.
प्रीती : हाहाहा अरे बुद्धू तुम्हारे उसका साईज़ बताओ.
में : किसका शूज का 8.
प्रीती : अरे पागल तुम्हारे पेनिस का.
दोस्तों में तो उसके मुहं से पेनिस शब्द सुनकर बिल्कुल पागल हो गया.
में : मुझे पता नहीं, क्योंकि मैंने कभी उसका नाप नहीं लिया.
प्रीती : तो अभी लेकर बताओ और में तुम्हारे जवाब का इंतजार कर रही हूँ.
में : मेरे पास स्केल नहीं है, लेकिन मेरा एक्स डियो की बॉटल के बराबर है.
प्रीती : क्या? सच बताओ क्या तुम्हारा उतना मोटा भी है?
में : तुमने क्या पहना है?
प्रीती : गुलाबी कलर की मेक्सी साथ में काली कलर की पेंटी वो भी बिना ब्रा के.
में : भगवान मुझे तो अब लगता है कि अपनी पेंट को खोलना ही पड़ेगा.
प्रीती : अच्छा क्यों छोटू जाग गया क्या हाहाहा?
में : हाँ अब अगड़ाईयां ले रहा है, क्या तुम बेड पर हो?
प्रीती : हाँ और तुम?
में : हाँ में भी.
प्रीती : बताओ तुमने क्या पहना है?
में : में इस समय सिर्फ अंडरवियर में हूँ.
प्रीती : तो जल्दी से वो भी उतार दो, कहीं फट ना जाए.
में : हाँ तुम बिल्कुल सही कह रही हो हहा क्या तुमने उतार दिया?
प्रीती : तुम आ जाओ. फिर तुम ही उतार देना और अभी तो में उतार रही हूँ.
प्रीती : बहुत अच्छा, क्या तुम बाल साफ करती हो?
प्रीती : हाँ, लेकिन इस वक़्त छोटे बाल है.
में : तुम्हे पता नहीं मुझे क्या महसूस हो रहा है, मेरा बस तुम्हारे पास आने को दिल करता है?
प्रीती : हाँ मुझसे भी नहीं रहा जाता. अब तो काश तुम यहाँ होते तो में तुम्हे अपने ऊपर खींच लेती और अपने पैरों के बीच में पकड़कर तुम्हारे लंड को अपनी चूत में पूरा गायब कर देती.
में : हाँ, में भी तुम्हे जन्नत की सैर जरुर करवाता मेरी जान और अब मुझे अचानक से ऐसा लगा कि मेरा तो वीर्य निकल जाएगा, उसके मुहं से लंड और चूत शब्द सुनकर वो एकदम गरम हो गई थी और फिर हमने फोन सेक्स किया और झड़ गये.
में : क्यों मज़ा आया?
प्रीती : हाँ मुझे बहुत मज़ा आया, क्योंकि मुझे पूरा एक महीना हो गया है सेक्स किए हुए.
में : मैंने तुम्हे डॉगी स्टाईल में भी चोदा था.
प्रीती : वाउ ऐसे मुझे बहुत मज़ा आता है.
में : चलो अब हम कल मिलते है. फिर में तुम्हे सही में डॉगी बनाउंगा हाहाहा.
प्रीती : तो फिर ठीक है में कल तुम्हारा इंतजार करूंगी.
फिर हम अगले दिन मिले और इस बार उसने एक पटियाला सूट पहना हुआ था और वो एकदम पंजाबी कुड़ी लग रही थी, में तो उसका यह रूप देखता ही रह गया और फिर वो मुझे अपने घर पर ले गई. दोस्तों आज पहली बार मैंने उसका घर देखा था और वो बहुत अच्छा सजा हुआ था और बहुत बड़ा भी था. फिर वो मेरे लिए जूस लेकर आई और मुझे दे दिया.
मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा कि आज तो में यहाँ पर दूध पीने आया हूँ. फिर वो धम्म से मेरी गोद में बैठ गई और फिर बोली कि इतनी भी क्या जल्दी है अभी तो पूरी रात बाकी है? फिर मैंने कहा कि क्या हुआ पूरी रात है तो कई बार पीऊंगा और एक बार से मेरा पेट नहीं भरने वाला. फिर वो कहने लगी कि जी आप तो सारा का सारा पी लेना, यह आपके लिए ही है, लेकिन अभी तो पहले हम खाना खा लेते है क्या पता बाद में हमे समय मिले ना मिले.
मैंने उससे कहा कि मुझे पहले नाश्ता तो कर लेने दो जानू और अब में उसके सुंदर मखमली चेहरे को अपने हाथों में लेकर उसके कोमल होंठो की पखुड़ियों का रस चूसने लगा और वो भी मेरे मुहं में अपनी जीभ डालने लगी और अब हम दोनों एक लंबे स्मूच में खो गये और एक दूसरे की बाहों में सिमट गये और हमने किस की बारिश शुरू कर दी. फिर हम अलग हुए और उसने खाना बनाया और हमने खाया और इस दौरान हमने बहुत हंसी मज़ाक और बातें की.
वो मेरे सामने एक जालीदार मेक्सी पहनकर आ गई, जिसके अंदर से उसकी वो काली ब्रा और गुलाबी कलर की पेंटी साफ साफ नज़र आ रही थी और अब उसने बिल्कुल मादक अंदाज़ में मुझे अपनी तरफ बुलाया और में किसी गुलाम की तरह उसके पास चला गया. फिर मैंने उसे एक मुलायम किस किया और उसका मुहं दूसरी तरफ किया और फिर उसके बालों को थोड़ा हटाया और गर्दन पर अपनी जीभ को फिराया और जब उसे इसका एहसास हुआ तो वो मुझसे चिपक गई.
मैंने उसे किस करना शुरू किया, गर्दन पर फिर कान के पास और गाल पर और नीचे से उसकी सेक्सी गांड मेरे लंड पर दबाव डाल रही थी और जो हलचल मचा रहा था और में उसे किस करते करते अपने हाथ उसके बूब्स पर ले गया और उन्हे मसलने लगा तो वो पागल हुई जा रही थी और अब मेरा लंड उसकी गांड के बीच में सेट हो गया था.
में उसे अपनी गोद में उठाकर उसके बेडरूम में ले आया और उसे बेड पर लेटा दिया, वो किसी प्यासी नागिन की तरह मुझे देख रही थी और में जैसे ही उसके पास गया तो उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और अब वो मुझे पागलों की तरह किस करने लगी और मैंने भी पूरा साथ निभाया और उसकी मेक्सी को कंधो से नीचे सरका दिया.
फिर उसने भी मेरी शर्ट के बटन तोड़ दिए और उतारकर फेंक दिया और मेरी छाती पर चूमने लगी और पेंट को भी खोल दिया, में भी अब अपना काम कर रहा था और मैंने उसकी मेक्सी को उतार दिया और ब्रा के अंदर हाथ डालकर बूब्स को मसलने, दबाने लगा और अब उसकी ब्रा को अलग करते ही मेरे सामने उसके दोनों बड़े बड़े बूब्स लटकते हुए आ गए और मैंने हाथ लगाकर महसूस किया कि उसके निप्पल एकदम टाईट और आकर्षक थे, जो मुझे चूसने का न्योता दे रहे थे और मैंने भी उनका वो आग्रह स्वीकार किया और अब में उन्हें चूसने लगा और वो सिसकियाँ भरने लगी और उसने मेरे लंड को अंडरवियर से आज़ाद कर दिया.
वो मेरे लंड के टोपे को मसलने, सहलाने लगी तो मुझे करंट सा महसूस होने लगा और में ज़ोर से उसकी निप्पल को चूसता रहा और मैंने एक हाथ से उसकी पेंटी को उतार दिया.
फिर में अपना हाथ उसके नीचे ले जाकर उसकी मस्त मस्त गांड को दबाने लगा और इसके बाद हम दोनों पूरे मूड में आ चुके थे. फिर मैंने देखा कि उसकी चूत एकदम साफ थी जो उसने आज मेरे लिए शेव की थी, में अब बूब्स से नीचे आने लगा तो उसके पूरे जिस्म को चूमते हुए उसकी शरारती नाभि पर जीभ से चाटने लगा और अब वो मचलने लगी, उसकी दोनों आँखे बंद थी और वो बस ज़ोर जोर से सिसकियाँ भर रही थी, आह उहह उह्ह्ह्ह हाँ प्लीज और करो राहुल, मुझे बहुत मजा आ रहा है. अब में अपनी जीभ को उसकी नाभि में लगाकर गोल गोल घुमाने लगा तो वो मस्त गरम हो गई और इसके साथ ही मेरा हाथ उसकी चूत पर पहुंच गया था और में अब उसे सहला रहा था.
मैंने महसूस किया कि वो अब एकदम गीली होने लगी थी. अब मैंने उसकी जांघो को फैलाया और उसकी चूत के पूरे दर्शन किये और तब मैंने देखा कि उसकी प्यारी सी चूत एकदम गुलाबी थी और जिस पर एक भी बाल नहीं था और उसकी चूत का दाना थोड़ा बड़ा था तो मैंने उस पर किस किया तो वो एकदम उछल पड़ी और बोली कि तुम यह क्या कर रहे हो?
मैंने कहा कि जानू इसमें तुम्हे बहुत मजा आएगा, क्या तुमने पहले कभी ऐसा नहीं किया? फिर उसने कहा कि नहीं और इतना सब वो पहली बार कर रही है, क्योंकि उसका पति तो अब तक उसे ऐसे ही छोड़कर सो गया होता. फिर मैंने उससे कहा कि ठीक है तो मेरी जान आज तुम बिना कुछ बोले मेरे साथ बस अपनी असली चुदाई का मज़ा लो और अब मैंने उसकी चूत के आसपास अपनी जीभ को घुमाना शुरू किया तो वो एकदम से तड़प गई, क्योंकि में ऐसा एक जगह पर नहीं कर रहा था. तभी उसने मेरा सर अपने दोनों पैरों के बीच में पकड़ लिया और मैंने उसकी चूत के दाने को सक करना शुरू किया और वो पागल सी हो गई और ज़ोर ज़ोर से आवाज करने लगी, अहहहह उह्ह्हह्ह हाँ और ज़ोर से करो, उह्ह्ह्ह मुझे बिल्कुल भी नहीं पता था कि इतना मजा आता है चूत चूसवाने में म्‍म्म्ममममम अहहहहा.
फिर मैंने भी अब लगातार ज़ोर ज़ोर से चुसाई जारी रखी और अपने हाथ ऊपर ले जाकर बूब्स भी सहला देता जिससे उसे बहुत आनंद मिल रहा था, वो अब अपनी जांघो को ज़ोर से दबाने लगी और चिल्लाने लगी, आह्ह्ह उह्ह्ह्ह मेरा अब होने वाला है, जान प्लीज उह्ह्ह्ह माँ में मरी आईईईईइ और फिर वो झड़ गई और उसकी चूत ने मेरे मुहं पर अपना गरम नमकीन पानी छोड़ दिया और वो बिल्कुल निढाल सी हो गई जैसे वो कोई लाश हो, लेकिन वो अपने चेहरे से बहुत खुश दिख रही थी और फिर वो मुझे चूमने लगी और मुझे कहने लगी कि धन्यवाद राहुल मुझे तुमसे ही आज पता चला कि असली सेक्स का मज़ा क्या होता है, सिर्फ़ चूत में लंड डालना ही सेक्स नहीं बल्कि उसके आलावा भी इतना मजा आ सकता है तो मुझे आज तुमसे पता चला और में तुमसे बहुत प्यार करती हूँ.
मैंने कहा कि अब ज़रा मेरा भी ख्याल करो मेरी स्वीटी. उसने अब मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया और ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी, उसकी चमड़ी को आगे पीछे करने लगी. फिर मैंने उससे कहा कि जान प्लीज इसे किस करो ना तो उसने एक बार धीरे से मेरे लंड पर अपने मुलायम होंठो से किस किया. फिर मेरी आँखो में देखते हुए उसे अपने मुहं में भर लिया और लोलीपोप की तरह चूसने लगी.
दोस्तों उसके ऐसा करने से मुझे बहुत मज़ा आने लगा, वाह तुम तो बहुत अच्छा लंड चूसती हो एकदम किसी रांड की तरह, हाँ जी मैंने भी यही सीखा है अपनी शादी के बाद हाहाहा. अच्छा जी फिर तो लगी रहो. फिर उसने मेरे लंड को चूसा और मेरे आंड को भी सहलाया और बाद में उन्हें भी चूसा. फिर मैंने उससे कहा कि क्यों जान अब आखरी खेल हो जाए? हाँ में तो कब से इसके लिए तैयार हूँ और फिर मैंने उसे बेड पर गिराया और में उसके ऊपर आ गया, उसने भी अपने पैर फैलाए और मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर सेट किया और फिर अंदर डाल दिया.
वो करहाने लगी, उह्ह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह प्लीज थोड़ा धीरे करो जान, में बहुत दिन के बाद लंड ले रही हूँ. फिर मैंने भी उसका ख्याल रखा और धीरे धीरे लंड को अंदर कर दिया और फिर उसके बूब्स को चूसने लगा. फिर मैंने अपनी चुदाई की स्पीड को बढ़ा दिया और अब हम खुलकर चुदाई करने लगे और वो भी सेक्स में बहुत कुछ जानती थी तो इसलिए वो भी मेरे साथ एक एक धक्के पर मज़े ले रही थी और हम दोनों बराबर से धक्के लगा रहे थे और हंस रहे थे.
तभी उसने मुझसे कहा कि क्यों आज मुझे कुतिया नहीं बनाओगे? फिर मैंने कहा कि क्यों नहीं मेरी जान चलो आ जाओ और फिर वो कुतिया बन गई, क्या मस्त चौड़ी गांड थी उसकी, एकदम गोरी, उसने अपनी चूत को पीछे की तरफ निकाला और मैंने लंड अंदर डाल दिया और अब हम दोनों पूरे शबाब पर थे और फिर जोरदार चुदाई होने लगी और पूरा कमरा अहह उह्ह्ह्हह्ह आईईइईई और थप्प थप्प थप्प्प की आवाजों से भर गया. तभी वो मुझसे बोली कि अब में झड़ने वाली हूँ तेज़ तेज़ करो और में एकदम फुल स्पीड में उसकी चूत मारने लगा, कुछ देर बाद मेरा भी वीर्य बाहर आने वाला था और मैंने वो उसकी चूत में ही डाल दिया.
में उसके ऊपर ही गिर गया और हम दोनों अपनी तेज़ सांसो को महसूस करने लगे और एक दूसरे को किस करने लगे. अब में उसके साईड में लेट गया और उसे देखने लगा, वो एकदम खुश लग रही थी और उसका चेहरा खिला हुआ था. फिर मैंने उससे पूछा कि क्यों कैसा लगा? इतने में वो तुरंत बोल पड़ी कि मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी ज़िंदगी में अब कुछ बाकी ना बचा हो राहुल, तुमने मुझे चोदकर वो सुख दिया है जिसकी सच्ची कीमत सिर्फ़ एक औरत ही समझ सकती है, में तुमसे बहुत प्यार करती हूँ. फिर मैंने भी उससे कहा कि हाँ में भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ प्रीति.
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