सहेली के चार दोस्तों के साथ चुदाई

दोस्तो, मैं आपकी प्यारी प्यारी दोस्त, प्रीति शर्मा… आज मैं आपको अपनी एक नई बात बताने जा रही हूँ। मेरी पिछली कहानी में आप लोगों ने पढ़ा था कि कैसे मेरे पति का बिजनेस डूब गया और अपनी जिस्मानी और घर की जरूरतों को पूरा करने के लिये मुझे काल गर्ल बनना पड़ा।


मगर जो मुझे मेरा पहला कस्टमर मिला, अरुण जी, उन्होंने में मुझे बाद में भी बहुत बार बुलाया। हालांकि शिप्रा के कहने पर मुझे और लोगों को भी खुश करना पड़ा, मगर मुझे खुद भी अरुण जी बहुत अच्छे लगते थे।


धीरे धीरे अरुण जी और मेरी आपस में बहुत दोस्ती हो गई, और अपने घर की भी हर एक बात आपस में शेअर करते थे।

उन्हीं दिनों मैंने अरुण जी को अपने बारे में सब कुछ बताया, कैसे मैं रानी से रंडी बनी। तो अरुण जी ने मेरे पति से मिलने की इच्छा ज़ाहिर की। मैं मेरे पति को लेके अरुण जी के पास गई, उन्होंने मेरे पति से बात की और उनकी नया बिजनेस खड़ा करने में मदद की।


मेरे पति ने भी मेहनत की और हमारा काम फिर से ठीक हो गया, इतना तो नहीं जितना पहले था मगर फिर भी हम संभल गए।


थोड़े से दिनों बाद ही हमने एक नया फ्लैट किराए पर ले लिया। धीरे धीरे सब सुधरने लगा, मेरा प्रेम अरुण जी के लिए और भी बढ़ गया।


बेशक मेरे पति को पता चल चुका था कि मेरे और अरुण जी के बीच में क्या संबंध है, पर अरुण जी के उस पर एहसान ही इतने थे कि मेरे पति ने कभी इस बारे में मुझसे भी बात नहीं की, मगर उसके बाद न ही कभी उन्होंने मेरे साथ सेक्स किया।


मेरी भी सेक्स की ज़रूरत अरुण जी पूरी कर रहे थे, तो न मैंने न मेरे पति ने कभी एक दूसरे को सेक्स के लिए कहा। हो सकता है, मेरे पति ने भी बाहर कोई चक्कर चला लिए हों।


खैर, जहां हमने अपना नया फ्लैट लिया था, वह पर हमारे पड़ोस में एक और परिवार रहता था, जिनसे हमारा पहले दिन से दोस्ताना हो गया था। दोनों मियां बीवी बहुत ही खुशमिजाज़ थे… पिंकी और जतिन।

पिंकी कुछ ही दिनों में मेरी बहुत अच्छी सहेली बन गई। अक्सर हम अपने अपने घर का काम निपटा कर एक दूसरे के घर चली जाती। कभी मैं उसके घर तो कभी वो मेरे घर! बहुत सी बातें करती, एक साथ शॉपिंग, घूमना फिरना, खाना पीना।


ज़िंदगी बहुत ही मस्त हो गई थी, और पिंकी की स्वभाव से बिल्कुल मेरी तरह थी, बिंदास। जो मुँह में आया, बोल दिया, जो मन में आया, कर दिया।


धीरे धीरे हमारी दोस्ती इस हद तक गहरी हो गई कि मैंने उसको अपने बारे में सब कुछ बता दिया; अपने बारे में, पति के बारे में, शिप्रा के बारे में, अरुण जी और मेरे सम्बन्धों के बारे में!


मगर पिंकी बोली- कोई बात नहीं यार, ज़िंदगी में इंसान को बहुत से समझौते करने पड़ते हैं। तूने कुछ गलत नहीं किया है।


मेरे मन को बड़ी तसल्ली मिली कि चलो मेरी सहेली को मेरे किसी भी काम से कोई ऐतराज नहीं। अब तो मैं पिंकी को बता कर भी चली जाती थी कि आज अरुण जी के पास जा रही हूँ।


कभी कभी मुझे भी शक सा होता था कि शायद पिंकी का भी बाहर कोई चक्कर है, मगर उसने कभी इस बात को स्वीकार नहीं किया, मैंने भी ज़्यादा ज़ोर देकर कभी नहीं पूछा।


एक दिन वैसे ही मैं उसके घर गई, उस वक़्त वो बाथरूम में थी, मैंने अंदर जा कर देखा तो वो अपनी टाँगों और चूत पर वीट लगा रही थी।


मुझे देख कर वो बोली- अरे यार अच्छा हुआ तू आ गई। ज़रा मेरी हेल्प कर, जहां मेरी नज़र नहीं जा रही वहाँ पे वीट लगा दे।


मैं हंस कर उसके सामने बैठ गई, उसने अपनी पूरी टांगें फैला रखी थी; मैंने उसकी चूत और गांड पर वीट लगा दी।


फिर वो बोली- अरे यार मेरा न चाय पीने को दिल कर रहा है, थोड़ी सी बना ला!


मैं उठ कर किचन में चाय बनाने चली गई। वहीं किचन में उसका फोन पड़ा था। तभी व्हाट्सअप्प पर उसके कुछ मेसेज आए।


वैसे ही कौतुहूल वश मैंने उसका फोन उठाया और जब खोल कर देखा तो मेरी तो आँखें फटी की फटी रह गई। उसमें पिंकी एक साथ 4 लड़कों के साथ सेक्स में मशगूल थी। वो चारों एक साथ उसको पकड़े हुये थे। कोई उसकी चूत मार रहा है, कोई उसके मम्मे दबा रहा है, कोई उसके मुँह में अपना लंड दे रहा है।


मैं तो पिक्स देख कर डर गई, मुझे लगा शायद कोई पिंकी को ब्लैक मेल कर रहा है, तभी ऐसी पिक्स भेजी, मैं तो चाय बीच में ही छोड़ कर भागी, उसके पास। मैंने उसे मोबाइल दिया और कहा- तेरे मेसेज आए हैं, देख ले।


उसने मेसेज देखे और फिर मेरी तरफ देख कर बोली- तुमने मेरे मेसेज चेक किए थे?


मैंने कहा- हाँ, बस वैसे ही बेखयाली में देख बैठी, बाद में बुरा भी लगा के मुझे ऐसे तुम्हारा मोबाइल नहीं देखना चाहिए था।


उसने बड़ी निराशा से एक ठंडी सांस छोड़ी।


मैंने पूछा- ये लड़के कौन है, तुम्हें कहीं ये तस्वीरें दिखा कर ब्लैक मेल तो नहीं कर रहे?


वो परेशान हो कर बोली- नहीं यार, तुम नहीं समझोगी।


मैंने कहा- अरे ऐसे कैसे नहीं समझूँगी। शादीशुदा बाल बच्चेदार औरत हूँ। तुम्हारी दोस्त हूँ, मैंने भी तो अपनी हर तुम्हें बताई है, तुम भी बता दो।


वो पहले तो बैठी सोचती रही, फिर बोली- तो ये बात सिर्फ हम दोनों के बीच में ही रहनी चाहिए, बस, सिर्फ़ तुम और मैं!


मैंने कहा- वादा।


तो उसने मुझे बताया- यार मेरी दिक्कत ये है कि मेरा एक मर्द से दिल नहीं भरता, मुझे तो अपने सभी सुराखों में मर्द का लंड चाहिए, आगे पीछे, मुँह में हाथ में। और सब मुझे प्यार से नहीं मार मार कर चोदें मुझे। मुझे वहशी सेक्स पसंद है। मार पीट कर, गालियां निकाल कर, जलील कर के।

मैंने कहा- तो जो तेरे साथ पिक्स में हो रहा है, सब तेरी मर्ज़ी से हो रहा है।


वो बोली- हाँ, और जैसे मैं उन्हें पहले कह देती हूँ, आज ये सब करना, वैसे ही वो करते हैं।


मैं तो उसकी बात सुन कर हैरान रह गई।


मैंने कहा- यार, थोड़ा बहुत वाइल्ड सेक्स तो मुझे भी पसंद है, मगर तू तो बहुत आगे निकली हुई है।


वो बोली- निकली हुई नहीं हूँ, निकल चुकी हूँ। सच कहूँ तो अब नॉर्मल सेक्स मुझे कोई मज़ा नहीं आता है। पति आता है, 5 मिनट चूमता चाटता है, 2 मिनट चुसवाता है, 10 मिनट चोदता है, मगर मैं जैसे एक बेजान मशीन की तरह उसके सब हुकुम मानती हूँ। मगर मज़ा एक सेकंड का भी नहीं आता है।


मैंने थोड़ी सी दिलचस्पी लेकर पूछा- क्या इसमें सच में बहुत मज़ा आता है?


उसने मेरी आँखों में देखा और बोली- साली, लगी लार टपकाने तेरी चूत भी?


और मुझे ज़ोर से कमर पर चिकोटी काटी, फिर थोड़ा सा संयत हो कर बोली- सच में यार, बहुत बहुत मज़ा आता है। एक लंड चूत में, एक मुँह में, दो हाथ में, अगर तू गांड में लेना चाहे तो एक गांड में भी। इतनी रगड़ाई होती है, इतनी रगड़ाई होती है, साला ज़िंदगी का मज़ा आ जाता है। तुझे करवाना है तो बोल?


मैं तो जैसे सुन्न सी हो गई- अरे नहीं यार, 4-5 लड़के, अगर साले मेरा रे.प कर दे तो?


वो बोली- तो साली तेरी आरती उतारेंगे वो क्या।


अगर देखा जाए तो यह एक ओरगानाइज्ड रे.प ही है, मगर इस रे.प में तुम्हारी अपनी मर्ज़ी शामिल है। तुम सिर्फ अपनी मर्ज़ी से उनको अपना जिस्म दे देती हो। बाकी उनकी मर्ज़ी वो इसको कैसे इस्तेमाल करते हैं। अगर तुम्हें कोई खास चीज़ पसंद है, तो वो भी तुम्हारे साथ करेंगे। मगर करेंगे अपने स्टाइल से, बस तुम एक खिलौना होगी, तुम्हारे जिस्म से खेलेंगे वो, मार पीट, गली, थूकना, मूतना सब करेंगे।

मुझे ये सब बड़ा एक्साइटिंग सा लगा; मैंने कहा- यार सच कहूँ दिल तो मेरा भी कर रह है, पर डर सा लगता है।


पिंकी बोली- डर मत मैं तेरे साथ चलूँगी। दोनों सहेलियां मिल के एंजॉय करेंगी।


मैंने उसे हामी भर दी।


कुछ दिन बाद उसने मुझे कहा- मैंने प्रोग्राम फिक्स कर लिया है, अपना भी और तेरा भी, तैयार रहना, दोनों चलेंगी।


मैं खुश हो गई।


वैसे मैं हमेशा अपना फेशियल, वैक्सिंग, सब कुछ हमेशा रेगुलर करवाती हूँ। पर उस काम के लिए मैं स्पेशियली ब्यूटी पार्लर गई और खास टच अप करवाया, ताकि मेरी खूबसूरती में कोई कमी न रह जाए।


बुधवार का दिन था, पति के जाने के बाद, मैं करीब 10 बजे तैयार हो गई और बेटी को क्रेच में छोड़ कर पिंकी के पास जा पहुंची। हम दोनों उसकी कार में बैठ कर निकली और फिर किसी के घर गई। मैं नहीं जानती किसका घर था; मैंने पिंकी से पूछा- किसका घर है, यहाँ सेफ तो है न?


वो बोली- चिंता मत कर डार्लिंग, अपने यार का ही घर है, और बिल्कुल सेफ है, मैं हमेशा यहीं आती हूँ।


हम अंदर जा कर बैठी तो एक नौजवान सा लड़का हमें ड्रिंक्स दे गया।


पिंकी ने उस से पूछा- सब आ गए?


वो बोला- हां जी, सब अंदर ही हैं, आपका ही इंतज़ार कर रहे हैं।


पिंकी ने मुझे हाथ मारा और हम दोनों उठ कर चल दी, मैं बड़े धड़कते दिल जा रही थी… पता नहीं क्या होगा, कैसा होगा।


जब बेडरूम में पहुंचे तो वहाँ पहले से 4 लड़के बैठे थे, वो बीअर पी रहे थे और नमकीन खा रहे थे, हमें देख कर उठ खड़े हुये, “हैलो मैम!” कह कर एक लड़के ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और उसके बाद हमने सभी लड़कों से हाथ मिलाया।


सभी लड़के करीब करीब 25-27 साल के आस पास थे। हम भी उनके सामने बैठ गई।


उस लड़के ने हमे बीयर ऑफर की, मगर हमारे पास तो पहले से ही सॉफ्ट ड्रिंक थी।


वो बोला- छोड़ो यार, कहाँ कोका कोला पी रही हो, बच्चों वाली ड्रिंक? ये पियो!

कह कर उसने दो गिलासों में बीयर डाल कर हमको दी; हम भी बीयर पीने लगी।


एक लड़के ने पूछा- तो आज आप पहली बार गैंग बैंग में आई हैं?


मुझे पहले तो गैंग बैंग सुन कर बड़ी सनसनी सी हुई, फिर मैंने कहा- हाँ! पिंकी ने आपकी तारीफ ही इतनी की कि मुझे आना पड़ा।


वो हंस पड़े, बोले- कोई बात नहीं आप भी करेंगी।


कुछ देर में हमारी बीयर खत्म हो गई, तो एक लड़का बोला- आज बोंडेज गैंग बैंग करें?


पिंकी बोली- हाँ, ठीक रहेगा, बहुत दिन से किया भी नहीं।


उन लड़कों ने पहले तो रूम को लॉक किया, फिर अपने कपड़े उतारने लगे, मगर सिर्फ चड्डियाँ नहीं उतारी। उनकी चड्डी में भी उनके लंड की शेप दिख रही थी, और मैं मन ही मन बड़ी उत्साहित सी हो रही थी कि ये चार लोग एक साथ मुझे चोदेंगे, और पता नहीं क्या क्या करेंगे।


फिर उन्होंने एक अलमारी से बहुत सा और समान भी निकाला, जिसमें रस्सियाँ, बेल्टें, चाबुक और ना जाने क्या क्या था। वैसे अभी तक मैंने ये सब पॉर्न वीडियोज़ में तो देखा था, पर कभी अनुभव नहीं किया था।


सामान निकाल कर उसने हमें कहा- चलिये, आप भी तैयार हो जाइए।


पिंकी उठी और उसने अपनी जीन्स, टी शर्ट, ब्रा पैन्टी सब उतार दी; पिंकी बोली- पहले मैं तुम्हें कर के दिखाती हूँ, तुम देखो, बाद में मेरी तरह तुम्हें भी ऐसे ही बांधा जाएगा।

मैं बैठी देखती रही।

उन लड़कों ने पिंकी को उल्टा लेटा कर पीछे से उसकी बाहें, रस्सी से बड़ी मजबूती से बंधी, फिर पैर बांध दिये, मुँह में एक छोटी से गेंद फंसा कर उस पर बेल्ट बांध दी। इतनी कस कर बांधा उसे कि वो हिल भी नहीं पा रही थी; न ही बोल पा रही थी।


फिर उन चारों लड़कों ने अपनी अपनी चड्डियां भी उतार दीच एक साथ हवा में 4 मजबूत, कडक लंड लहरा उठे।


क्या नज़ारा था… मेरा दिल किया कग मैं उन चारों के लंड पकड़ कर चूस लूँ।


मगर मेरी बारी अभी आई नहीं थी।


एक लड़का पिंकी के पास गया और उसे बालों से पकड़ कर खींच कर घूमा दिया, वो बेचारी दर्द के मारे चीख पड़ी, मगर मुँह बंधा होने के कारण, उसकी आवाज़ उसके ही मुँह में दब कर रह गई। एक लड़का बोला- देख माँ की लौड़ी कैसे ड्रामा कर रही है, जैसे बड़ी सती सावित्री हो।


दूसरा बोला- भाई मैं जानता हूँ इसे, साली एक नंबर की चुदक्कड़ है, रंडी साली, घरवाले के अलावा भी कुतिया के 2 चक्कर और हैं।


एक लड़के ने पिंकी का चेहरा पकड़ा और बोला- देख जानेमन, आज तेरे पे दिल आ गया है, चुपचाप अपने आप देगी तो ठीक, वरना चोद हमने तुम्हें वैसे भी देना है, बोल क्या कहती है, तेरी मर्ज़ी से या हमारी मर्ज़ी से।


फिर उसने पिंकी का मुँह खोला तो वो बोली- तुम्हारी मर्ज़ी से।


लड़का बोला- शाबाश, इसी खुशी में ले अपनी माँ के यार का लंड चूस कर बता, कैसे चूसते हैं।


लड़के ने अपना लंड उसके मुँह को लगाया, तो पिंकी उसके लंड को चूसने लगी।


बाकी लड़के पिंकी के बदन पर ऐसे हाथ फेर रहे थे, जैसे उन्हें पहली बार कोई नंगी औरत देखने को मिली हो, या बहुत देर बाद कोई औरत नंगी दिखी हो।


सबने अपने अपने लंड अपने हाथ में पकड़ रखे थे, और पिंकी का नंगा बदन सहला रहे थे।

सामने बैठी मैं अलग से तड़प रही थी, सच कहूँ तो मुझे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था। मैं तो खुद उठ कर उनके बीच में जाने को बेचैन थी। तभी अचानक दो लड़के मेरी तरफ एकदम से भाग कर आए और जैसे मुझ पर हमला कर दिया हो। मेरी दोनों बाजू पकड़ी और मुझे खींच कर वहीं ले गए, मुझे धक्का दे कर नीचे गिरा दिया, और फिर चारों ने पकड़ कर मेरे हाथ पाँव दबा लिए, मुझे पता था कि ये सब नाटक है, पर फिर भी एक बार तो मैं डर गई।

मुझे ज़मीन पर लेटा कर एक लड़का मेरे ऊपर आ चढ़ा और बड़ी ही डरावनी सी हंसी हंस कर उसने मेरे दोनों मम्मे पकड़ लिए और दबाने लगा, बिल्कुल ऐसे जैसे किसी शिकारी को उसका शिकार मिला जाता है और वो उसे खाने से पहले दबोच कर उसकी बेचारगी का मज़ा लेता है।

जिन लड़कों ने मेरी टांगें पकड़ रखी थी, उन दोनों ने मेरी जीन्स का बटन और ज़िप खोली और मेरी पैन्ट उतारने लगे, जो लड़का मेरे ऊपर बैठा था, उसने मेरी टी शर्ट ऊपर को उठाई और खींच कर उतार दी, मेरी ब्रा पैन्टी भी एक सेकंड में उतार दी, अभी जो मैं बैठी देख रही थी, दो पल बाद वहीं अब मेरी भी हालत हो गई थी।


पिंकी के साथ मैं भी नंगी लेटी हुई थी, पहले तो मुझे भी शर्म सी आई कि यार चार बिल्कुल अंजान लड़के जिनके मैं नाम भी नहीं जानती, उनके सामने मैं बिल्कुल नंगी लेटी थी, और वो सब थोड़ी देर बाद मुझे चोद रहे होंगे।

मगर एक बात यह भी थी कि मुझे इस सब में रोमांच भी बहुत आ रहा था, मैं बहुत खुश थी, जैसे मैं अपनी पसंद का कोई काम पहली बार करके देख रही हूँ।

मुझे नंगी करके चारों लड़के मेरे ही आस पास आकर बैठ गए और कुत्तों की तरह गुर्राने लगे। फिर एक लड़के ने अपने लंड पर कोंडोम चढ़ाया और वो तो पिंकी को घोड़ी बना कर चोदने लगा, ऐसे जैसे कोई उसके पीछे पड़ा हो, और उसे बस एक मिनट में ही उसे चोद कर भाग जाना हो।


बाकी तीन में से एक ने मेरे मुँह को अपनी तरफ घुमाया, और बोला- चल मादरचोद, ले इसे मुँह में!


और अपना लंड ला कर मेरे होंठों पर रख दिया।


मैंने मुँह खोला और चूसने लगी, वो बोला- देखो साली भैंण की लौड़ी को, कैसे लंड चूस रही है, कुतिया कहीं की!


और उसने मेरे बूब को ज़ोर से पकड़ कर दबा दिया। अब दबाया तो उसमें से दूध निकल आया।

उसने तभी बाकी लड़कों को भी बताया- अबे ये देखो, साली दुधारू है, भैंणचोदी के थण भरे पड़े हैं दूध से, पी लो रे। इसका ही दूध पी कर तगड़े हो कर इसी की चूत मारेंगे।

सब बेहूदा सा हंसने लगे और दोनों मेरे मम्मे बड़ी बेदर्दी से दबा दबा कर उनका दूध निकालने लगे। मुझे दूध निकालने से कोई ऐतराज नहीं था, मगर यार दबाओ तो प्यार से मगर ये तो ऐसे निचोड़ रहे थे, जैसे नींबू को निचोड़ते हैं।

मुझे बहुत दर्द हुआ, मैंने उनसे कहा भी- अरे यार दर्द होता है, आराम से दबा लो!

मगर एक ने मेरे एक चांटा मारा और बोला- चुप साली हरामजादी, अब तू हमारी गुलाम है, हम जैसा चाहेंगे, तेरा इस्तेमाल करेंगे.


और वो फिर वैसे ही मेरे मम्मे दबा दबा कर दूध निकालते रहे, जो लड़का मेरे ऊपर बैठा था, वो पीछे को खिसका और मेरी दोनों जांघें चौड़ी करके मेरी चूत चाटने लगा।


ये मेरे लिए बहुत आनंद दायक था, मुझे चूत चटवाना बहुत पसंद है।


प्रीति को भी घोड़ी बन कर हाथ पैर बंधे होने के बावजूद चुदाई का मज़ा आ रहा था, उसके चेहरे की संतुष्टि देख कर लगता था कि वो बहुत मज़ा ले रही है।


मगर एक लड़के ने कहा- अबे तू उस छिनाल से क्या चिपटा है, उसकी तो बीसों दफा मारी है, इधर आ, ये नया पीस बहुत बढ़िया है, इसको चूस के मज़ा ले!


और वो लड़का वहीं उसे बीच में ही छोड़ कर आ गया।

पिंकी का मुंह तो बंधा था, उसने कुछ कुनमुनाहट सी की आवाजें निकाल कर जैसे कहा भी- अरे मेरा होने वाला है, मेरा तो करवा जा!


मगर उसने तो सुना ही नहीं।


चारों लड़कों ने बारी बारी पहले मेरा दूध पिया, सब ने मज़े ले ले कर, मेरे मम्मों और दूध के साथ खेला। फिर पिंकी को भी खींच कर ले आए और उसे भी कहा मेरे दूध पीने को।


और उसका मुँह भी मेरे मम्मे से लगवा कर उसे मेरा दूध चुसवाया।


बड़ा ही अजीब सा माहौल था।

एक बात और देखी मैंने, वो चारों लड़के एक दूसरे से कोई घिन नहीं करते थे, जैसे एक लड़का मुझे लंड चुसवा रहा है, तो दूसरे का दिल किया तो उसने मेरे मुँह से उसके लंड निकाला और अपना मुँह लगा मेरे होंठ चूसने लगा। जो लड़का मेरी चूत चाट रहा था, उसने तो चाट चाट कर मेरा पानी ही गिरवा दिया।


मैं उन चारों की गिरफ्त में तड़प कर शांत हो गई मगर वो चाटने से नहीं हटा। बल्कि उसके बाद वो जा कर पिंकी की चूत चाटने लगा। उसने पिंकी का मुंह खोल दिया.


पिंकी बोली- अबे भोंसड़ी के, जीभ नहीं, अपना लंड डाल।


मगर वो चाटता रहा!


इधर एक और लड़के ने अपने लंड पे कोंडोम चढ़ाया और मेरी चूत में लंड डाल कर पेलने लगा।


साले का लंड भी अच्छा था, और दम भी था, मगर उसे मेरे मज़े की नहीं, सिर्फ अपनी चुदाई की पड़ी थी। नीचे चूत में लंड, एक लंड मुँह में, दोनों मम्मों पर दो मुँह। मेरे तो सभी ज़रूरी अंग बिज़ी थे, सिर्फ एक गांड ही बची हुई थी।


पर एक लड़के ने पूछ ही लिया- मैडम, आपको बी साइड चलाने का शौक है?


मैं समझ गई कि मेरी गांड के बारे में पूछ रहा है, मैंने मना कर दिया- नहीं, मुझे सिर्फ ए साइड चलानी ही अच्छी लगती है।


मगर पिंकी बोली- मादरचोद, मेरी चला ले बी साइड, इसको देख कर सभी की माँ चुद गई, जो मुझे छोड़ कर इस हरामज़ादी के तलवे चाट रहे हो?


एक लड़का बोला- अरे यार, नया माल सबको पसंद होता है।

जो लड़का मुझे चोद रहा था, उसने करीब 20 मिनट की मेरी शानदार चुदाई की, मैं दो बार और झड़ गई। उसके उतरते ही, एक और लड़का कोंडोम चढ़ा कर आ गया। अगले 4 घंटे तक वो लड़के बारी बारी आते गए, और मुझे चोदते गए।


मेरी चूत का बाजा बजा दिया उन्होंने।


फिर उन्होंने पिंकी को भी खोल दिया। खुलने के बाद तो पिंकी भी जैसे उनकी ही हो गई, वो भी मुझे जलील करने और मारने का कोई मौका नहीं छोड़ रही थी। मेरे दोनों चूतड़ उन लोगों ने मार मार कर सुर्ख कर दिये थे। मम्मे भी दबा दबा कर लाल कर दिये।


चुदाई लगातार चल रही थी, एक उतरता तो दूसरा चढ़ जाता। मैं चुद कर पहली बार इतनी बार झड़ी थी। 5-6 बार झड़ने के बाद तो न मैं झड़ी और न ही मेरी चूत ने पानी छोड़ा… बिल्कुल सूखी। और जब मेरी सूखी रगड़ाई हुई, तब मेरी चीख निकली।


यह तो सुनने में या पढ़ने में मज़ेदार लग सकता है, मगर सच में, सच में बहुत ही दुखदाई था। मैं चाहती थी के मैं भाग कर यहाँ से चली जाऊँ।


मगर सब ने मुझे ऐसे मजबूती से पकड़ रखा था कि मैं तो हिलने का भी नहीं सोच सकती थी। मैंने पूछा- अरे बस करो यार, अब तो मुझे मज़ा आना भी बंद हो गया। अब तो छोड़ दो मुझे।


तब एक लड़के ने कहा- ठीक है, थोड़ी देर आराम कर लो, बाद में देखेंगे, दूसरी शिफ्ट लगा लेंगे।


जब वो लड़का मुझे चोद कर नीचे उतरा तो मैं तो अपना पेट पकड़ कर गांठ बन कर लेट गई।


पिंकी ने पूछा- क्या हुआ?


मैंने कहा- यार पेट दुख रहा है, सालों ने मार मार घस्से मेरा तो पेट ही हिला दिया।

पिंकी ने मुझे थोड़ा पानी ला कर दिया, मैं बैठ कर पीने लगी। पानी पी कर मैं बाथरूम में गई, वहाँ अंदर मैंने शीशे में खुद को देखा, सत्यानाश करके रख दिया था मेरा उन लोगों ने। फ्रेश हो कर, खुद को थोड़ा सेट करके मैं बाहर आई, तो देखा दो जन पिंकी को चोद रहे थे, एक पीछे गांड में एक मुँह मे।


मुझ से भी पूछा, मगर मैंने साफ मना कर दिया।


सुबह की घर से निकली मैं, शाम के 5 बज गए थे।


उसके बाद जब पिंकी फ्री हुई, तो हमने अपने अपने कपड़े पहने और वापिस घर आ गईं।


मैंने पिंकी से कहा- तौबा यार, ये तो तुमको ही मुबारक हो, कैसे सह लेती हो सब? मैं तो न करूंगी फिर कभी!


पिंकी बोली कुछ नहीं, सिर्फ हंस कर मेरे कंधे पर थपथपा दिया।


एक हफ्ते तक मुझे सेक्स के बारे में सोचने का भी मन नहीं किया।


एक दिन अरुण जी ने बुलाया, तो मैं चली गई, मगर मज़ा नहीं आया, उस इंसान के साथ भी, जिसे मैं दिल से प्यार करती थी। उसके भी करीब एक हफ्ते बाद मैंने रात को पिंकी को फोन किया। “हैलो, हाँ यार क्या कर रही है, मैं सोच रही थी, अगर तू फ्री है, तो किसी दिन घूमने चलें किसी होटल में।

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छोटी बहन की चूत की तड़प

मेरी बहन, जिसका नाम पल्लवी है, को मैं अक्सर देखता था कि वो जब भी सोती थी, तो वो कमरा बंद करके अकेले ही सोती थी. मेरे मन में कुछ कुछ संदेह सा होता था.. क्योंकि वो उम्र के जिस दौर से गुजर रही थी, वो मैं पार कर चुका था.. इसलिए मुझे इस बात का गहरा अनुभव था. 


जब हम सभी मामाजी के घर पर थे. तो एक दिन की बात थी, मैं मामा जी के घर की छत पर टहल रहा था. तभी बगल के घर की खिड़की से एक लड़का दिखा. उसका नाम करण था, वो किसी को फ्लाइयिंग किस दे रहा था. मैं कुछ समझ नहीं पाया.

मैंने जब छत से नीचे आके देखा तो वो मेरी बहन के कमरे की ओर देख कर किस कर रहा था. मेरी बहन रूम बंद करके अन्दर थी. मैं फिर से छत पर आ गया.. और उसको छुप कर देखने लगा.

कुछ देर बाद करण ऐसे ही सेक्स करने का इशारा कर रहा था.


मैंने सोचा कि इन लोगों की हरकतों को रंगे हाथ पकड़ा जाए. मैं उस समय तो करण को कुछ नहीं बोल सकता था, क्योंकि इससे मेरी बहन का इज़्ज़त खराब होने का डर था. लेकिन मैं अब उन दोनों पर चुपके से ध्यान रखने लगा. करण मेरे मामाजी के घर भी आता था. मैं इस बात को लेकर उसके साथ कुछ कर भी नहीं सकता था.


मेरी बहन मुझसे छोटी थी और जब तक मैं उसे रंगे हाथ नहीं पकड़ता, तब तक मैं उसको भी कुछ नहीं बोल सकता था. सो मैंने अब उन दोनों पर नजर रखना शुरू कर दिया.


एक दिन मेरी बहन पल्लवी नहा कर आई और कमरे में कपड़े चेंज कर रही थी. तो करण फिर से उसको कुछ इस तरह का इशारा कर रहा था जैसे वो किसी चीज को लाइक कर रहा हो.


मुझको लगा कि अन्दर कमरे में बहुत कुछ गड़बड़ चल रही है. इसी वजह से मुझे ये भी लगने लगा कि करण रात में मेरी सिस्टर के कमरे में आता है.


एक दिन मैंने अपना फोन में हिडन कैमरा ऑन करके उसके कमरे की खूंटी में टांग कर चार्जिंग पिन को लगा दिया. ताकि इस तरह से उसको शक ना हो.


जब मैंने सुबह फोन निकाला तो जो वीडियो उसमें शूट हुआ था, उसको देख करके मैं दंग रह गया. मैं सोच भी नहीं सकता था कि मेरी बहना पल्लवी, जिसको इतने अच्छे संस्कार मिले हों, वो ये सब काम भी कर सकती है.

मुझे उस वीडियो में चल रही क्लिप को देख कर कई दिनों तक ये चिंता बनी रही थी.


दरअसल करण जिस तरह से उसके मुँह में अपना लंड डाले हुए चुसवा रहा था … वो ऐसा लग रहा था मानो पल्लवी कोई पॉर्न स्टार हो. दूसरे सीन में वो लंड चुसवाता हुआ पल्लवी की गांड पर तेज तेज थप्पड़ भी बरसा रहा था, जिससे पल्लवी के चूतड़ एकदम लाल हो गए थे.


मैं ये सब याद कर कर के पागल हो गया. मुझे पल्लवी को लंड चूसते देख कर ये ध्यान ही नहीं रहा था कि यह लड़की मेरी सगी बहन है, हम दोनों एक ही माँ के जाये हैं.


नतीजा यह हुआ कि अंत में मैं भी पल्लवी को चोदने का प्रयास करने में जुट गया. मैंने सोचना चालू किया कि ये सब उसके साथ कैसे करूँ.


मैं एक दिन दोपहर में उसके कमरे में गया और अपने मोबाइल में फीड उस लंड चुसाई वाले वीडियो को, उसके रूम के टीवी में कनेक्ट करके प्ले कर दिया.


मेरी भगिनी ने सेक्स वीडियो को देखा तो वो घबरा गई और उसके पास कुछ बोलने कहने को कोई शब्द ही नहीं थे.


अब मुझे मेरी सेक्सी बहन को कुछ बोलने की आवश्यकता ही रह गई नहीं थी. वो मेरे करीब आकर रोने लगी- भैया.. आप किसी को मत बोलना.. आप जो चाहो कर लो, पर इस बात को किसी से मत बोलना.


मेरा गुस्सा उफान पर था. मैंने बहन की गांड पर 5-6 झापड़ जड़ दिए और उसको बोला- अब तू रंडी बन गई है.. तू मुझे भाई मत बोल.


उस दिन तो मैं वहां से चला गया.


दो दिन तक जब भी मेरा मन होता, मैं उस वीडियो को देखने लगता. तीसरे दिन मैंने उससे कहा कि रात में तुम मेरे कमरे में आ जाना.

रात हुई, सब लोग खाना खाकर सोने चले गए. मैं भी अपने कमरे में आ गया. मैंने कमरे के दरवाजे को खुला छोड़ दिया था. करीब 11:30 बजे वो मेरे कमरे में आई और सिसक सिसक के रोने लगी.


मैंने कहा- जो हुआ सो हुआ.. अब चुप हो जाओ.. जब तुमको चुदाई ही करवाना था तो मुझको बोल देती.


इतना कहते हुए मैंने एक ब्लू मूवी चालू कर दी. मैंने टीवी का वॉल्यूम म्यूट कर दिया था. जैसे जैसे ब्लू मूवी की चुदाई आगे बढ़ने लगी, मेरी बहन की कामुकता जागती गई.


मैंने उसे देखा तो वो नंगी होने लगी और अपना रंग दिखाने लगी. में लेटा हुआ सब देख रहा था.


वो मेरे करीब आई और चिपकने लगी. मैंने उसको दूर हटाया तो वो मुझको उत्तेजित करने के लिए अपने कपड़े खोलने लगी.


मैं जीवन में पहली बार अपनी बहन की चूचियों को देख रहा था. क्या मस्त चूचियां थीं … एकदम से तनी हुई. मुझे तो पता भी नहीं था कि उसके चूचियों के निप्पल डार्क ब्राउन रंग के हो गए हैं. नीचे देखा तो उसकी चूत में झांटें भी आ गई थीं.


अगले दस मिनट में मेरे सामने एक 18 साल की लड़की पूरी तरह नंगी खड़ी थी. उसका साइज़ तो नहीं बता सकता, पर हां जब वो पीछे घूमी, तो उसकी उठी हुई गांड देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया.


अब मैं सोचने लगा कि इसलिए ही करण इसकी गांड पर थप्पड़ बरसा रहा था.


अब उसकी गांड पर थप्पड़ बरसाने की बारी मेरी थी. मैं उसको अपनी गोद में लेकर उसकी गांड को मसलने लगा. उसके मम्मों को मसलने लगा. मैं भूल चुका था कि वो मेरी छोटी बहन है. मैं उसके साथ रंडी जैसे व्यवहार करने लगा.

पहले मैं 20 मिनट तक उसके चूचों को मसलता रहा. जब वो गर्म हो चुकी तो उसने मुझे खड़ा किया और खुद नीचे बैठ कर मेरा पैन्ट खोल कर मेरे लौड़े को, जो 6 इंच से कुछ ज़्यादा ही होगा, उसको निकाल लिया.


मैंने उसको इशारा किया तो वो मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी. मैं उसके माथे को पकड़ के उसके मुँह में अपना लंड पेल रहा था. वाह क्या चूसना सीख गई थी एकदम रंडी जैसे लंड चूस रही थी.


इस वक्त उसके चूचे मेरे हाथों में दबे थे. उसके कसे लेकिन मुलायम मम्मों, जैसे गुब्बारों में पानी भरा हो, का क्या कहना. फिर मैंने उसको घोड़ी बना दिया. पीछे आकर उसकी चुत को चूमना शुरू किया.


उसकी चुत से पानी की धार आ रही थी. मैं उसकी चुत को मस्ती से चूस रहा था.


दस मिनट उसकी चुत को चूसने के बाद मैंने अपनी छोटी बहन की चुत में अपना लंड लगाया और एक ही झटके में पूरा लंड घुसा दिया. उम्म्ह… अहह… हय… याह…


उसकी चुत बहुत ही टाइट थी. वो इससे पहले एक दो बार ही चुदी थी. मैं उसकी चुत को करीब 15 मिनट तक चोदता रहा.


वो मेरे लंड की मोटाई को झेल नहीं पा रही थी, जिससे वो हल्के स्वर में चिल्लाए जा रही थी- आह … भैया छोड़ दो … मुझे दर्द हो रहा है … आपका बहुत बड़ा है.


जब भी वो चिल्लाती, मैं उसके मुँह को दबा कर अपनी स्पीड और तेज कर देता था. कुछ देर बाद वो झड़ गई. मगर मैं अभी गरम था. तो मैंने उसकी चुत को चोदने के बाद उसकी गांड मारने का सोचा.

मैंने उसको बेड के किनारे पर घोड़ी बना कर दिया और मैं नीचे खड़ा हो गया. जैसे ही मैंने उसकी गांड में अपना लंड लगाया, वो समझ गई. वो उठ कर बैठ गई और मेरे पैर पकड़ते हुए बोली- भैया, प्लीज़ गांड मत मारो.. बहुत दर्द होता है.. और आपका तो बहुत बड़ा है.


मैंने उसके चूचों को दबाते हुए कहा- रंडी साली.. जब करण तेरी गांड मार रहा था.. तो दर्द नहीं कर रहा था.

वो चुप रह गई.


फिर मैंने उसको घोड़ी बना कर उसकी गांड में लंड पेलना शुरू किया.


उसकी मस्त गांड देख कर आपलोगों को भी उसकी गांड में लंड पेलने का मन करने लगेगा.


अब मैं उसकी गांड को लंड पेल कर बेरहमी से चोद रहा था. वो चिल्ला रही थी, लेकिन मैं बिना परवाह किए, उसकी गांड को चोदे जा रहा था.


थोड़ी देर में मैं झड़ने लगा.. मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसके मुँह में पेलने लगा. कुछ देर बाद मैंने सारा माल उसके मुँह में ही निकाल दिया और मैंने उसकी नाक को दबाए रखा क्योंकि मैं चाहता था कि वो मेरे लंड के माल को उगल ना दे. जब उसने मेरे लंड का पूरा पानी पी लिया, तभी मैंने लंड को बाहर निकाला.


अब जब भी मेरा सेक्स करने का मन होता है तो मैं अपनी बहन को चोद लेता हूँ. अब वो रोती भी नहीं है, मजे से पूरी गांड उठा कर गांड और चूत मरवाती है.

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पडोसी के लुगाई की ठुकाई

दोस्तो, आज यह कहानी मेरे पडोस की भाभी की है जो मुझसे प्रकाशित करवाना चाहती उन्ही की जुबानी. आप सभी को मेरा नमस्कार, मेरा नाम सुनीता है. मैं थोड़ी प्यासी औरत हूँ. वैसे मेरे पति तो मुझे चोदते ही हैं लेकिन मुझे और ज्यादा चुदवाने का मन करता है. मेरा अन्दर बहुत सेक्स है. मेरे पति जब भी मुझे चोदते हैं तो वो जल्दी झड़ जाते हैं जबकि मैं और सेक्स के लिए तड़पती रहती हूँ.


मेरी सेक्स की तड़प ने ही मुझे अपनी चूत में उंगली करने के लिए मजबूर कर दिया और मैं अपनी चूत में उंगली करके अपनी चूत को शांत करती हूँ. मेरा मन जब नहीं लगता है तो कभी कभी अन्तर्वासना सेक्स कहानियां पढ़ती हूँ जिससे मुझे बहुत अच्छा लगता है.


मैं आप अपनी एक सच्ची कहानी बताने जा रही हूँ जो मेरे और मेरे देवर की है. जब पति से चुदकर मेरी चूत को शांति नहीं मिली तो मैं अपने देवर से अपनी चूत शांत करवाने लगी. वो भी क्या दिन थे जब मैं अविवाहिता थी तो मुझे बहुत लंड मिलते थे चुदवाने के लिए … लेकिन ससुराल में तो डर लगता है. किसी का लंड अपनी चूत में लेने से! अगर मेरे ससुराल वालों को पता चल गया तो कितनी बदनामी होगी. वैसे मैं मौका देख कर किसी न किसी को पटा लेती हूँ और उससे चुदवा लेती हूँ. ज्यादातर लोग तो मुझे ही पटाते हैं मुझे चोदने के लिए. और मैं भी अपने जिस्म का बहुत ध्यान रखती हूँ.


मेरे पति थोड़ा पैसा भी कम कमाते हैं और मेरा देवर मेरे पति से ज्यादा पैसा कमाता है. वैसे मुझे यह पता था कि मेरा देवर मुझे शुरू से ही पसंद करता था क्योंकि वो हमेशा मेरे लिए कुछ न कुछ बाजार से लाता रहता था, मुझे त्योहार पर उपहार भी देता था. मैं अपने देवर को कभी गलत नजरिये से नहीं देखती थी. मैं भी अपने देवर को बहुत मानती थी. मेरे पति मुझे अच्छे से नहीं चोद पाते थे या मैं ही थोड़ा ज्यादा चुदासी थी कि मुझे अपने पति के लंड के अलावा भी दूसरे के लंड से चुदवाने का मन करता था.


मैं अपने देवर से पहले से ज्यादा बातें करने लगी. मैं जब भी अपने देवर को सुबह में चाय देने जाती थी तो उनका खड़ा लंड देखती थी.


एक दिन देवर ने मुझे उनका खड़ा लंड देखते हुए देख लिया और बोले- भाभी क्या हुआ, आपको कुछ चाहिए?


मेरे देवर अपने लंड की तरफ देख कर मुझसे बातें कर रहे थे. मेरे देवर ने पहली बार मुझसे डबल मीनिंग में बात की थी.


अब तो उसी दिन से हम दोनों लोग गंदे गंदे मजाक करने लगे. अब तो मेरे पति जब जॉब करने जाते थे तो मैं घर का सारा काम करके अपने रूम में आराम से सोती थी. दोपहर में मेरा यही काम था कि मैं दोपहर में सोती थी.


एक दिन मैं दोपहर में अपने रूम में सो रही थी. उस दिन मेरे देवर अपने जॉब पर नहीं गए थे. मैं सोते समय अपनी साड़ी खोल एक ब्लाउज और पेटीकोट में सोती हूँ. इससे मुझे सोने में आराम रहता है और नींद भी अच्छी आती है. मैं रात को भी ब्लाउज और पेटीकोट में ही सोती हूँ.


मैं अपने रूम में दोपहर को सो रही थी और मेरी पेटीकोट मेरे जांघों तक आ गयी थी. मेरी पेंटी दिख रही थी और मैं सो रही थी. मेरा देवर मेरे कमर में आकर मेरी पेंटी को देख रहे थे. मैं जब थोड़ा नींद में उठी तो देखा कि मेरा देवर मेरी पेंटी को बहुत ध्यान से देख रहा है.

मैंने अपने देवर की तरफ देखा तो मेरा देवर मुझे देख कर मुस्कुराने लगा और बोलने लगा- भाभी, आप सोते समय बहुत सेक्सी लगती हो. आप कभी मेरे साथ भी सो लिया करिए.


मैं अपने देवर की डबल मीनिंग बात समझ गयी. मैं समझ गयी कि मेरा देवर भी मुझे चोदना चाहता है. मेरी उभरे हुए चुचे और बड़ी गांड जो थोड़ी सी उभरी हुई है.


मेरा देवर मेरे जिस्म को देख कर दीवाना हो गया. मेरा देवर मेरे जिस्म की तारीफ करने लगा- भाभी आप बहुत सुन्दर हो. भईया तो आपको खूब रात में प्यार करते होंगे. मैं यह बात सुनकर थोड़ा उदास हो गयी क्योंकि मुझे अपने पति से चुदाई का सुख नहीं मिल पाता था जैसा मैं चाहती थी. वैसा मेरा पति मुझे नहीं चोदता था.


मेरे देवर मेरे पास आया और बोला- भाभी क्या बात है. आप मुझे बताओ मैं हूँ न आपकी सहायता करने के लिए!


मैंने अपने देवर को बताया- मेरे पति को अब ज्यादा मुझमे रूचि नहीं है. मेरे पति अब मुझसे ज्यादा प्यार नहीं करते हैं जैसा वो पहले करते थे.

मेरा देवर यह बात सुनकर बोला- भाभी मैं हूँ ना आपका देवर … मैं आपसे प्यार करूँगा. मैं और मेरा देवर हम दोनों लोग एक दूसरे से नज़रें मिलाकर बात कर रहे थे. मेरा देवर मुझे देख कर थोड़ा हवस भरी नजरों से मुझसे बातें कर रहा था. मेरे सास और ससुर दोनों लोग बाहर गए हुए थे.


मेरा देवर मुझसे बातें करते करते मुझे किस करने लगा. मैं भी अपने देवर के बालों में अपना हाथ फिराने लगी और हम दोनों लोग एक दूसरे को किस करने लगे. हम दोनों लोग एक दूसरे को बहुत अच्छे से किस कर रहे थे और मेरा देवर मेरे होंठों को चूस रहा था. मेरा देवर मुझे किस करते करते मेरी चूची को मेरे ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा.


मैं भी अब चुदासी हो गयी थी और मेरे अन्दर की सेक्स की बहार आ गयी थी. मेरे देवर ने मेरी ब्लाउज निकाल दी और उसके बाद वो मेरे ब्रा को भी निकाल कर मेरी बड़ी बड़ी चूची को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा. मेरे पति तो मेरी चूची को ठीक से चूसते भी नहीं थे.


मेरे देवर ने मेरी दोनों चूची को बहुत देर तक चूसा और उसके बाद वो मेरी पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया, मेरी पेटीकोट को निकाल दिया और मैं उसके सामने बस एक पेंटी में थी. मेरा देवर भी अपने कपड़े निकालने लगा और वो भी कुछ देर के बाद नंगा हो गया.

देवर ने मेरी पेंटी को निकाल कर मुझे एकदम नंगी कर दिया और मुझसे बोलने लगा- भाभी, मैं आपको बहुत पहले से पसंद करता था लेकिन आपके साथ ये सब करने की हिम्मत नहीं होती थी. मैं आपको बहुत पहले ही चोदना चाहता था. मेरा भाई बहुत किस्मत वाला कि उसको आप जैसे खूबसूरत बीवी मिली है.


मेरा देवर मेरी चूत को सूंघने लगा लगा और मेरी चूत को सूंघने के बाद वो मेरी पेंटी को भी सूंघने लगा. मेरा देवर मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा. वो मेरी चूत की दरार को बहुत देर तक अपनी जीभ से चाटता रहा और उसके बाद वो मेरी चूत को खोलकर मेरी चूत को अन्दर तक चाट रहा था. मेरी चूत पानी छोड़ने लगी, मेरा देवर मेरी चूत के पानी को पी रहा था और मेरी चूत को चाट रहा था.


मेरे देवर ने मेरी चूत को बहुत देर तक चाटा जिससे मेरे अन्दर की सेक्स की आग बाहर निकल गयी और मुझे अपने देवर से चुदवाने का मन करने लगा. मैं अपने देवर को बोलने लगी- आप मेरी चूत कब तक चाटोगे? मेरी चूत में अपना लंड डाल कर मेरी चूत को चोदो! प्लीज मुझे अब मत तड़पाओ. मेरा देवर मेरी चूत को चाट रहा था और मेरी चूत से अब थोड़ा ज्यादा पानी निकलने लगा और मैं एक बार झड़ गयी.

मेरा देवर मेरी चूत चाटने के बाद अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगा. मेरी चूत के पानी से मेरे देवर का लंड भी भीग गया था और उसके बाद मेरे देवर ने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया. मेरे देवर का लंड मेरी चूत में जाते ही मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. मेरी प्यासी चूत को लंड मिल गया था और हम दोनों लोग सेक्स करने लगे. मेरा देवर मेरी गर्दन पर किस कर रहा था और मेरे गर्दन को चाट रहा था. मेरी देवर मुझे चोदते चोदते मेरी चूची चूस रहा था.


हम दोनों लोगों का कामुक जिस्म एक दूसरे से मिल रहा था. मैं क्या बताऊँ कि मुझे अपने देवर से चुदवाने में कितना मजा आ रहा था. वो भी बहुत जोश से मुझे चोद रहा था. मैं उसके नीचे थी वो मेरे ऊपर था और अपना लंड मेरी चूत में डाल कर अपना लंड अन्दर बाहर कर रहा था.


चुदाई से हम दोनों की आवाज भी निकल रही थी. जब उसका लंड मेरी चूत में जा रहा था तो चट चट की आवाज आ रही थी. हम दोनों की चुदाई से पूरे कमरे में गर्मी हो गई थी.


अचानक मेरे देवर ने मुझे चोदते चोदते अपना लंड बाहर निकल दिया और अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया और मैं अपने देवर के लंड को चूसने लगी. मैं अपने मुलायम होंठों से अपने देवर का लंड चूस रही थी और वो मुझे अपना लंड चुसवा रहा था और अपनी आँखें बंद करके लंड चुसवाने का मजा ले रहा था.

कुछ देर तक लंड चुसवाने के बाद मेरे देवर ने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और मुझे चोदने लगा. हम दोनों चुदाई कर रहे थे और हम दोनों के पसीने से बिस्तर भी भीग गया था. साथ में बिस्तर भी गर्म हो गया था. इस बार मेरा देवर मुझे बहुत ताकत के साथ चोद रहा था. वो अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल रहा था और बाहर निकाल रहा था.

हम दोनों लोग सेक्स करते करते थोड़ा थक गए लेकिन हम दोनों की सेक्स करने की आग और बढ़ती जा रही थी. हम दोनों चुदाई करते करते एक दूसरे के होंठों को भी कभी कभी चूस रहे थे. मेरा देवर मुझे चोद रहा था और मैं कामवासना भरी आवाजें निकाल रही थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’


हम दोनों देवर भाभी एक दूसरे को जोर से पकड़ कर चुदाई कर रहे थे. मेरा देवर मुझे जोर जोर से चोदने लगा और मैं अपनी गांड उछाल उछाल कर अपने देवर से चुदवाने लगी. हम दोनों लोग चुदाई करते करते चरम सीमा पर पहुँच गए और हम दोनों चुदाई करते करते झड़ गए. हम दोनों का पानी निकल गया और हम बिस्तर पर थक कर सो गए.


हम दोनों की कब नींद लग गयी, हमें पता भी नहीं चला.

अब हम दोनों लोग शाम को सो कर उठे, चुदाई करने के बाद मैं बहुत फ्रेश महसूस कर रही थी. मैं जल्दी से अपनी साड़ी पहनने लगी क्योंकि अब मेरे सास ससुर का आने का समय हो गया था. मेरे सास ससुर खेत में काम करने जाते हैं और शाम को घर आते हैं. मैंने और मेरे देवर ने एक दूसरे को किस किया और उसके बाद अपने अपनी साड़ी पहन कर घर का काम करने लगी.


उस दिन के बाद से तो मैं और मेरा देवर हम दोनों का जब भी चुदाई करने के मन करता था और जब भी हम दोनों घर में अकेले रहते थे तो चुदाई करते थे. मेरा देवर कभी कभी रात में मुझे बाहर बुलाकर मेरी चूची चूसता था और मेरी चूत में उंगली करता था.


मेरी चूत तो हमेशा लंड लेने के लिए तैयार रहती है और जब हम दोनों को चुदाई करने के मौका नहीं मिलता था तो हम दोनों लोग रात छत पर जाकर चुदाई करते थे. मेरा देवर मुझे छत पर ले जाता था और मुझे छत पर चोदता था.

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हसीन मेहबूबा


मेरा नाम अरमान है. मैं राजस्थान के कोटा शहर का रहने वाला हूँ। मेरा कद 6 फीट और उम्र 22 साल है. अच्छी बॉडी वाला लड़का हूँ। मैं दूसरों की तरह यह तो नहीं कहूंगा कि मेरा लण्ड 8 इंच का है, मगर यह जरूर कहूंगा कि मेरा लंड किसी भी औरत और लड़की को hotsex से संतुष्ट कर सकता है।
वो बरसात के दिन थे. मुझे किसी काम से मेरे शहर से 200 किलोमीटर दूर जाना था। मैं शनिवार को आपनी कार से निकल पड़ा।
मौसम बहुत सुहाना था तो मैंने रास्ते में वाइन शॉप से एक बीयर ले ली और कार में ही उसे पीने लग गया और कार भी चला रहा था।
मैं अपने शहर से करीब 80 किलोमीटर दूर आ गया था. रास्ते में बरसात बहुत तेज हो गयी थी।
बीयर भी अपना असर दिखा रही थी. हल्का नशा हो रहा था.
बरसात तेज होने के कारण मुझे रोड साफ़ दिखाई नहीं दे रहा था।
रास्ते में बहुत डरावना जंगल था. दूर-दूर तक सुनसान रास्ता था और रोड पर गाड़ियां भी बहुत कम चल रही थीं।
रात के करीब 8 बज चुके थे और मुझे भूख लग रही थी, मगर आस-पास दूर-दूर तक कुछ नहीं था।
तभी अचानक मेरे सामने जंगल में से भागता हुआ एक नीलगाय (हिरन जैसा जानवर) मेरी कार के सामने आ गया.
मैंने एकदम हड़बड़ा कर गाड़ी को साइड में घुमा दिया.
मेरी गाडी स्पीड में ही रोड से नीचे उतर कर झाड़ियों में घुस गयी और पीछे का टायर एक गड्ढे में फंस गया और गाड़ी बंद हो गयी।
मैंने मन ही मन ऊपरवाले को कोसा कि कैसे सुनसान रोड पर गाडी ख़राब करवा दी.
अब आस-पास दूर-दूर तक इंसान तो दूर, कोई झोपड़ी भी नहीं दिख रही थी.
मैंने सोचा चलो जैसे तैसे रात कार में ही गुजारते हैं. सुबह किसी को ढूंढ कर निकलने का जरिया खोज लूंगा।
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
hotsex stories मेरे दिमाग में आया कि चलो रात यहाँ बिताने से अच्छा है कुछ दूर तक चला जाये. क्या पता कोई घर या झोपड़ी मिल जाये? मैंने कार को लॉक किया और चल पड़ा जंगल की ओर.
फिर अचानक से बहुत तेज बिजली कड़की और मुझे एक पुरानी फिल्मों की तरह की एक हवेली नजर आई मैंने सोचा कि चलो रात तो बिताई जा सकती है।
मैं उस हवेली की तरफ बढ़ चला.
अंधेरा होने की वजह से मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था.
मैं हवेली के पास पंहुचा और मैंने आवाज लगाई पर अंदर से कोई आवाज नहीं आई.
फिर मैंने जोर से दरवाज़े को बजाया मगर फिर भी कोई आवाज नहीं आई.
मैंने सोचा यहाँ कोई नहीं रहता, तो मैं जैसे ही वापस जाने के लिए मुड़ा, अचानक हवेली की लाइट जली और अंदर से आवाज आई- कौन है?
वो आवाज़ इतनी मधुर थी कि मैं उस औरत की सुंदरता को सिर्फ कल्पना कर रहा था कि इसकी आवाज इतनी सुन्दर है तो यह कितनी सुन्दर होगी?
तभी फिर से अंदर से आती आवाज ने मेरी कल्पना को तोड़ा- कौन है?
मैंने जवाब दिया- मेरी कार पास में ही ख़राब हो गयी है और रात भी बहुत हो गयी है इसलिये मैं आपके यहाँ रात गुजार सकता हूं क्या?
अंदर से आवाज आई- मैं तुम पर यकीन क्यों करूं?
मैंने फिर अपनी कार ख़राब होने की दास्तान सुनाई. तभी हवेली का दरवाजा खुला और तभी अचानक जो मैंने देखा उसे मैं कभी नहीं भूल सकता.
काली साड़ी में मेरे सामने खुद काम की देवी खड़ी थी. वैसी सुंदरता मैंने मेरी जिंदगी में कहीं नहीं देखी थी. जैसे स्वर्ग की अप्सराएं भी इसके सामने फीकी पड़ जायें।
उसके जिस्म को शब्दों में बयां करना नामुमकिन सा था. कद 5 फीट 8 इंच. चेहरा ऐसा जैसे कोई भी देखते ही मोहित हो जाये. होंठ सेब की फ़ांकों की तरह लाल, जिस्म का आकार 34, 30, 34 था.
उस काम की देवी के पास से ऐसी खुशबू आ रही थी कि बस मैं उसके वश में होता जा रहा था.
सी तराशी हुई हुस्न की मूरत थी कि खुदा ने अपनी सारी सोच इसे बनाने में ही लगा दी हो।
मैंने मन ही मन ऊपरवाले को शुक्रिया कहा कि ऐसी सुंदरी के दर्शन करवाए जिसे असल जिंदगी में देखना ही जिंदगी धन्य कर दे।
तभी उसकी आवाज ने फिर से मेरी कल्पना की दुनिया से मुझे जगाया- यहाँ ही खड़े रहना है या अंदर भी आओगे?
मेरे गले से धीमी सी आवाज निकली- हाँ जी.
उसे देखते ही सारे अरमान जाग गए. मैंने मन ही मन ऊपरवाले को धन्यवाद दिया।
मेरे मन में कुछ और सवाल भी थे कि इतने सुनसान जंगल में यह अकेली और यहाँ कोई नहीं?
अचानक मुझे गीले कपड़ों की वजह से छींकें आने लग गयीं तो उसने कहा- जाइये कपड़े बदल लीजिये.
मैंने कहा- मेरे पास कपड़े नहीं है. उसने कहा कि मेरे पति के कपड़े दे देती हूं मैं आपको. आप जाइये फ्रेश हो जाइये।
मैं जाकर फ्रेश हो कर आ गया और मैंने उसके पति का पायजामा और टी-शर्ट पहन ली. फिर भी मेरे मन में बहुत से सवाल थे तो मुझसे रहा नहीं गया.
मैंने उनका नाम पूछा तो उन्होंने अपना नाम अक्षिता बताया और मैंने पूछा कि इस सुनसान जंगल में आप अकेली वो भी इतने बड़े घर में?
तो उन्होंने मुस्कुरा कर कहा- ये मेरे पति के पुरखों की हवेली है और वो एक वन विभाग में अफसर हैं उनकी पोस्टिंग इसी जंगल में हो गयी तो हम यहाँ आ गये.
उसने आगे बताया कि घर के नौकर अपने गांव गये हैं और मेरे पति मीटिंग करने कुछ दिनों के लिए बाहर गए हैं.
फिर मैंने उसको अपना नाम बताया।
उन्होंने कहा- मैं अभी खाना लगाती हूं. आप खाने की टेबल पर चलिये.
फिर हमने साथ में खाना खाया. फिर अक्षिता ने बर्तन किचन में रखे.
जब वो चलती थी तो ऐसे लग रहा था कि कोई हिरणी अपनी सुंदरता पूरे जंगल में बिखेर कर जा रही हो।
मैं बार-बार ऊपरवाले को इस रात के लिये धन्यवाद दिये जा रहा था।
अक्षिता ने फिर मुझसे पूछा- आप कुछ पीएंगे?
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रेशमा भाभी की गोरी चूत


मेरा नाम आशीष है. मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 28 साल है और अच्छी सेहत के साथ-साथ 6 इंच लम्बे और 2 इंच मोटे लंड का मालिक हूँ। यह मेरी सच्ची कहानी है जो 2 साल पहले एक भाभी के साथ घटित हुई थी। उस भाभी का नाम रेशमा था. Desi sex कहानी शुरू करने से पहले मैं भाभी से आपको परिचित करवा देता हूँ.


उम्र की बात करें तो रेशमा 30 साल की थी. भरा हुआ बदन, गोरा रंग, बड़े-बड़े मम्मे, उभरी हुई गांड, फ़िगर 36-30-38 से कम नहीं था।
रेशमा मेरे सामने वाले घर में रहती थी और रोज अपने घर की बालकनी में गांड हिला-हिला के झाड़ू लगाया करती थी.
जब वो झाड़ू लगाती थी तो उसकी गांड ऐसे हिलती थी जैसे आम के पेड़ पर हवा लगने पर पके हुए आम हिलते हैं.
मन करता था उसकी गांड का रस पी लूं.
उसकी गांड को देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता था. बहुत दिनों तक मैंने उसको देखा फिर जब रहा न गया तो एक दिन उसके नाम की मुट्ठ मारनी ही पड़ी.


वो गांड हिलाती रहती थी और मैं उसको देख कर लंड हिलाता रहता था.
मगर शांत होने की बजाय लंड की प्यास बढ़ती जा रही थी.
रेशमा का पति किसी प्राइवेट कम्पनी में काम करता था।
उसका घर कुछ ऐसे बना हुआ था कि रेशमा का रूम मेरे रूम से साफ़ नज़र आता था।
एक दिन रेशमा के रूम का दरवाज़ा खुला था. मेरी नज़र पड़ी तो मैं अपने रूम की खिड़की से छुपकर देखने लगा।


रेशमा अपने कपड़े उतार रही थी. पहले उसने साड़ी खोली. साड़ी खोलते ही उसके बड़े-बड़े चूचे जो उसके ब्लाउज में भरे हुए थे वो मुझे दिखाई देने लगे.
ओए होए… क्या मस्त बोबे थे उसके. ब्लाउज मुश्किल से ही संभाल पा रहा था.


फिर उसके बाद उसने अपने पैटीकोट का नाड़ा खोल दिया और इतने में ही मेरा लंड खड़ा होकर मेरे अंडरवियर के साथ लड़ाई करने लगा.
जब उसने पैटीकोट उतारा तो उसकी गोरी मांसल जांघें देख कर मेरे मुंह में पानी आ गया.


5 मिनट बाद वो पूरी की पूरी केवल ब्रा और पैंटी में ही रह गई थी. क्या माल लग रही थी!
मैं सारा नज़ारा साफ़ साफ़ देख रहा था। उसने पहले तो अपनी योनि को पेंटी के ऊपर से खुजलाया.
उसकी इस हरकत ने मेरा हाथ मेरे तने हुए लंड पर पहुंचा दिया और मैंने अपने लंड को सहला दिया. स्स्स … क्या नजारा था यार … काश मैं उसकी पेंटी को खुजला पाता.
लेकिन कल्पना तो कल्पना ही होती है. फिर आगे जो हुआ उसकी तो मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी.


अगले ही पल रेशमा ने फिर पेंटी भी उतार दी.
बालों से लदी हुई रेशमा की योनि देखकर मेरा लंड अंडरवियर को फाड़कर बाहर आने के लिए मेरी जांघों को पीटने लगा.
कभी नीचे लगता तो कभी साइड में जाकर उछल जाता।
फिर उसने अपनी योनि पर ढेर सारी क्रीम लगाई और बेड पर लेट गई।
योनि के काले घने बालों पर क्रीम लगाए हुए रेशमा बेड पर मेरे सामने लेटी हुई थी.
मेरी तो हालत ऐसी थी कि जाकर उसकी योनि को अभी चोद दूं और उसकी योनि को अपने लंड से फाड़ दूं.


मगर ऐसा हो पाना अभी तो संभव नहीं था न, मैं बस दूर से ही देख कर उसकी योनि को चोदने की कल्पना करने के सिवाय और कुछ नहीं कर सकता था.
सामने का नजारा देख कर ऐसा हाल हो गया था कि अगर मैं लंड को केवल पैंट के ऊपर से ही सहलाने भी लगता तो दो मिनट में ही मेरा वीर्य छूट जाता.
दस मिनट बाद रेशमा क्रीम साफ़ करने लगी. देखते ही देखते क्रीम के साथ योनि के सारे बाल गायब हो गये.
उसने कपड़े से पौंछते हुए जब कपड़ा योनि से हटाया तो योनि एकदम चिकनी सफाचट हो गई थी.
क्या योनि थी यार … गोरी-गोरी, फूली हुई, हल्के गुलाबी रंग की … देखते ही चाटने का मन करने लगा।


यह सब देखकर अब मुझसे रहा न गया और मैंने वहीं पर खड़े होकर अपने लंड को लाना शुरू कर दिया.
मगर किस्मत खराब थी कि रेशमा बेड से उठने लगी और उसने मुझे अपना लंड हिलाते हुए देख लिया.


मेरा हाथ में मेरा लंड था और रेशमा की आंखों में गुस्सा. उसने उठ कर अपने रूम का दरवाजा गुस्से में पटकते हुए बंद कर लिया.
उसका ऐसा रिएक्शन देख कर मेरी गांड फट गई. मैं सोच रहा था कि कहीं यह अपने पति को सब कुछ बता न दे.
कई दिन तक तो मैं बालकनी में आया ही नहीं. मगर जैसा मैं सोच रहा था वैसा कुछ भी नहीं हुआ.


एक हफ्ता ऐसे ही निकल गया.
फिर जब सब कुछ सामान्य हो गया तो मैं फिर से उसके दर्शन करने अपनी बालकनी में आकर उसके रूम में झांकने लगा.
मैंने देखा कि उसके रूम में सजावट हो रखी थी. रेशमा तैयार हो रही थी.
शाम को सात बजे रेशमा बालकनी में आई.
मैं उसे देखकर अंदर रूम में हो गय
मगर खिड़की खुली हुई थी तो मैं खिड़की में खड़ा होकर स्थिति का जायजा लेने लगा.


न चाहते हुए भी मेरी नजर रेशमा से मिल गई.
मैंने नर्वस सा मुंह बना कर उसको ऊपरी मन से स्माइल किया लेकिन उसने मेरी तरफ देख कर ऐसे रिएक्ट किया कि जैसे वो अभी भी गुस्से में ही है और फिर वापस अंदर चली गई.
कुछ मिनट बाद ही सब कुछ पलट गया. रेशमा दोबारा से अपनी बालकनी में आई.


मैं भी बाहर ही खड़ा था.
मैंने उसकी तरफ देखा और उसने मेरी तरफ देखा.
थोड़ी देर पहले जिस चेहरे पर गुस्सा था अब उस पर एक स्माइल थी.
इससे पहले मैं कुछ समझ पाता उसने मुझे अपने घर आने का इशारा किया.
पहले तो मैं समझा नहीं और भोंदुओं की तरह उसके चेहरे को देखता रहा.
उसके बाद उसने फिर आंखों ही आंखों में मुझे उसके घर आने का इशारा किया तब कहीं जाकर मेरी समझ में आया कि वह मुझे अपने घर बुला रही है.


मगर यह सब हुआ कैसे? मैं एक पल के लिए तो सोच में पड़ गया लेकिन फिर अगले ही पल सोचा कि बड़ी मुश्किल से मछली फंसी है.
अगर अबकी बार हाथ से फिसल गई तो शायद दोबारा ही हाथ लगे.
उसके बाद तो मेरे पांव में जैसे पहिये लग गये. जल्दी से तैयार होने के लिए यहाँ-वहाँ डोलने लगा.
अगले पांच या सात मिनट के अंदर मैं रेशमा के घर के बाहर खड़ा था.
उसने दरवाजा खोला तो मेरी नजर सीधी उसके चूचों की दरार पर जाकर ही अटक गई.


रेशमा ने झेंपते हुए कहा- पहले अंदर तो आ जओ.
शायद रेशमा मेरी नजर को पढ़ गई थी.
उसने अंदर बुलाकर मुझे सोफे पर बिठाया.
मैंने देखा कि टेबल पर एक केक का बॉक्स पड़ा हुआ है.
बात शुरू करने के लिए मैंने पूछ लिया- ये केक किसके लिए है?
रेशमा मुस्कुराते हुए बोली- आज मेरा जन्मदिन है.
मगर अगले ही पल उसका चेहरा ऐसे उतर गया जैसे बाढ़ आई नदी से पानी उतर जाता है.
यहाँ तक कि उसने रोना ही शुरू कर दिया.
मैं उसकी इस बात पर हैरान हो रहा था कि आज तो खुशी का दिन है और ये रो रही है.


मैंने उसके कंधे पर हाथ रख कर पूछा- क्या बात हुई? तुम रो क्यूं रही हो? मैंने कुछ गलत पूछ लिया क्या?
रेशमा ने ना में गर्दन हिला दी और सुबकते हुए बोली- देखो न, आज मेरा जन्मदिन है. लेकिन मेरे पति को मेरी परवाह ही नहीं है.
मैंने उसके कंधे को सहलाते हुए कहा- कोई बात नहीं. अगर वो नहीं हैं तो क्या हुआ. मैं तो हूं न.
मेरे हाथ उसकी कमर को सहलाने लगे. उसने मेरे कंधे पर अपना सिर रख लिया और पूछने लगी- उस दिन तुमने अपनी कैपरी में हाथ क्यों डाला हुआ था? हाथ क्यों हिला रहे थे तुम पैंट में डाल कर.
उसकी बात पर एक बार तो मेरी बोलती बंद हो गई कि अचानक बर्थडे की बात से एकदम ये लंड पर कैसे उतर आई?
मगर मैंने भी हिम्मत करते हुए कह ही दिया- उस दिन जो नजारा दिखाई दे रहा था उसके मजे लूट रहा था.


क्या पता फिर वो नजारा शायद दोबारा न मिले.
वो बोली- अगर दोबारा वही नजारा सामने हो तो क्या करोगे?

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मेरी भाभी रंडी निकली

भैया भाभी के ऊपर बहुत जोर से चिल्ला रहे थे और उन दोनों के आपस में झगड़े हो रहे थे मां को भी भैया को समझाने के लिए जाना पड़ा लेकिन भैया कहां मानने वाले थे और ना ही भाभी मान रही थी। उन दोनों के बीच कुछ दिनों से कुछ ज्यादा ही झगड़े बढ़ने लगे थे मां बहुत ज्यादा परेशान रहती थी और भैया भी बहुत ज्यादा परेशान रहते थे। भाभी की इसमें कोई गलती थी या नहीं लेकिन भैया भी अब गलती कर रहे थे भैया को भाभी को कुछ भी नहीं कहना चाहिए था लेकिन भैया भाभी से हर रोज अपने ऑफिस से आने के बाद झगड़ा किया करते। जिस वक्त भैया की शादी हुई थी 


उस वक्त सब लोग घर में खुश थे लेकिन जब से उन दोनों के बीच झगड़े शुरू हुए हैं तब से घर जैसे जंग का मैदान बन गया है और घर का माहौल बिल्कुल भी ठीक नहीं है आए दिन के झगड़ों से घर में सब लोग परेशान होने लगे थे। पापा मुझे कहने लगे कि माधव बेटा तुम भी कभी अपने भैया और भाभी को कुछ कह दिया करो मैंने उन्हें कहा पापा मैं क्या कहूंगा मैं उन लोगों से छोटा हूं और भला भैया और भाभी मेरी क्या बात मानेंगे।


पापा और मम्मी दोनों ही इस बात से बहुत चिंतित रहते थे और उनकी चिंता उस वक्त और भी ज्यादा बढ़ गई जब भैया और भाभी के डिवोर्स की नौबत आ गई। मुझे इस बात की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि भैया और भाभी का डिवोर्स हो जाएगा लेकिन वह दोनों अब एक दूसरे से अलग हो चुके थे और उन दोनों के साथ में रहने की फिलहाल तो कोई उम्मीद की किरण कहीं भी दिखाई नहीं दे रही थी। भाभी ने भैया से डिवोर्स ले लिया था और वह अब अपने मायके में ही रहती थी


भैया घर में उदास ही बैठे रहते थे वह किसी से भी ज्यादा बात नहीं किया करते थे शायद इसके पीछे भाभी ही थी क्योंकि भाभी की वजह से ही भैया की ऐसी हालत हुई थी और वह अब बिल्कुल भी किसी से बात नहीं किया करते थे। मैंने भैया से बात करने की कोशिश भी की तो वह बहुत कम बात किया करते थे। एक दिन भैया मुझे कहने लगे कि माधव मैं सोच रहा हूं कि कुछ दिनों के लिए मैं गाऊं चला जाऊं मैंने भैया से कहा भैया आप गांव जाकर क्या करेंगे।


भैया कहने लगे कि माधव यहां तो मेरा दम घुटने लगा है मैं कुछ दिनों के लिए गांव जाना चाहता हूं मैंने यह बात मम्मी को बताई तो मम्मी कहने लगी कि हां तुम्हारे भैया को कुछ दिनों के लिए गांव चले जाना चाहिए क्योंकि वह बहुत ही ज्यादा परेशान रहने लगा है। मम्मी चाहती थी कि भैया कुछ दिनों के लिए गांव चले जाएं भैया ने भी अपनी नौकरी छोड़ दी थी और वह कुछ दिनों के लिए गांव चले गए लेकिन जब भैया ने बताया कि उन्हें गांव में एक लड़की पसंद आ गई है और वह उसके साथ ही शादी करना चाहते हैं


तो सब लोग इस बात से खुश हो गए। यह सब इतनी जल्दी में हुआ कि किसी को कुछ सोचने का मौका ही नहीं मिल पाया और भैया की शादी गांव में ही करवा दी भैया के जीवन में अब नई बाहर आ चुकी थी और भैया बहुत ही खुश रहने लगे थे उनके चेहरे पर मुस्कुराहट नजर आने लगी थी। भैया और भाभी बहुत ही खुश थे भाभी का नाम आहिल्या है भैया कुछ समय तक तो गांव में ही रहे और उसके बाद वह पटना आ गए जब भैया पटना आए तो भाभी भी उनके साथ पटना आ गई। भैया की जिंदगी अब पटरी पर दोबारा से आ चुकी थी और वह अब पहले से ज्यादा खुश नजर आ रहे थे आहिल्या भाभी की वजह से ही उनकी जिंदगी में बाहर आई थी। मां तो बहुत ही ज्यादा खुश थी क्योंकि भैया के चेहरे पर मुस्कान थी


और भैया की टेंशन अब पूरी तरीके से दूर हो चुकी थी। मैं भी भैया से अक्सर यही पूछता रहता था कि भैया अब आप पहले से ज्यादा खुश नजर आने लगे हैं तो भैया कहते कि यह सब तुम्हारी भाभी की वजह से ही हुआ है। भैया ने अपना एक नया काम शुरू कर लिया था और अब उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था भैया का काम भी अच्छा चलने लगा था और वह अपने काम की तरफ पूरा ध्यान देने लगे थे। घर में सब कुछ अब पहले जैसा ही सामान्य होने लगा था यह सब आहिल्या भाभी की वजह से ही तो हुआ था यदि वह भैया के जीवन में नहीं आती तो शायद भैया भी पहले की तरह बिल्कुल नहीं हो पाते।


भैया के सामान्य होने में भाभी ने उनकी बहुत मदद की मैं कुछ दिनों के लिए अपने गांव पापा के साथ चला गया पापा और मैं गांव के ही हमारे चाचा की बेटी की शादी में हम लोग गए हुए थे। जब हम लोग उनकी शादी में गए तो वहां पर सब लोग बड़े ही खुश नजर आ रहे थे और मुझे भी इस बात की खुशी थी कि कम से कम मैं भी कुछ दिनों के लिए गांव तो आया।


पापा ने मुझे कहा कि माधव बेटा हम लोगों को कल सुबह यहां से जाना भी है तो तुमने क्या जाने का बंदोबस्त करवा लिया है मैंने पापा से कहा हां पापा मैंने जाने का पूरा प्रबंध करवा दिया है। गांव से बस कि थोड़ा समस्या थी गांव से मुख्य बस अड्डे की दूरी 20 किलोमीटर थी इसलिए सुबह जाने के लिए हमें समस्या का सामना करना पड़ता था लेकिन मैंने अपने गांव के ही एक दोस्त से कहकर जाने की व्यवस्था करवा ली थी इसलिए मुझे फिलहाल तो इस बात की कोई भी चिंता नहीं थी और पापा भी अब निश्चिंत हो चुके थे। मुझे भैया का फोन आया और वह कहने लगे कि माधव तुम अपनी भाभी के घर भी हो आना मैंने उन्हें कहा ठीक है भैया मैं उनके घर भी हो आऊंगा।


मैं भाभी के घर पर चला गया वहां पर उनके माता पिता से मिलकर मुझे बहुत अच्छा लगा। मैं ज्यादा समय तो उनके घर पर नहीं रुक पाया लेकिन उनसे मेरी मुलाकात अच्छी रही। भाभी के घर में ही मुझे एक व्यक्ति मिले और उन्होंने मुझे भाभी के बारे में बताया तो मैं अहिल्या भाभी के बारे में सुनकर थोड़ा हैरान जरूर रह गया लेकिन मुझे उसकी बात पर यकीन नहीं आया। मैंने भाभी के बारे में जब पता करवाने की कोशिश की तो मुझे मालूम पड़ा कि भाभी का चरित्र ठीक नहीं था


लेकिन भैया के चेहरे पर भाभी के साथ शादी करने के बाद खुशी लौट आई थी इसलिए मैं उनकी खुशी को ऐसे ही बर्बाद नहीं करना चाहता था। मैंने भाभी के बारे में सब कुछ पता करवा लिया था और अगले ही दिन हम लोग शहर लौट गए। मैंने भाभी से इस बारे में बात की तो भाभी कहने लगी देवर जी आप किसी को बताइएगा मत, मैंने भाभी से कहा अब तो मुझे आपकी असलियत पता चल चुकी है आपके ना जाने कितने ही लोगों के साथ नाजायज संबंध थे आप एक चरित्रहीन महिला है। भाभी मुझे कहने लगी मैं चरित्रहीन महिला नहीं हूं मैंने तो उन लोगों की खुशी के लिए अपने बदन को निछावर कर दिया था। मैंने भाभी से कहा लेकिन आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था


भाभी मुझे कहने लगी देवर जी आप यह किसी को मत बताना। वह जब भी मेरे पास आती तो सिर्फ यही बात कहती थी एक दिन भाभी ने जब मेरे लंड को हिलाया तो मैंने भाभी से कहा कि भाभी आप ऐसा मत कीजिए। भाभी ने मेरे होठों को चूम लिया और मुझे भी उन्हें चोदने के लिए विवश होना पड़ा। मैंने अपने होंठो से उनके होंठो को चूम कर अपना बनाया जब वह पूरी तरीके से उत्तेजित होने लगी तो मुझे कहने लगी आज रात को मैं आपका इंतजार करूंगी।


मैंने कहा ठीक है, रात को वह मेरा इंतजार कर रही थी वह अपने कमरे से निकल कर मेरे पास चली आई जब वह मेरे पास आई तो मैंने भाभी से कहा चलिए तो फिर मुझे भी आज अपने बदन के गर्मी से नहला दीजिए। भाभी कहने लगी इसमें तो मुझे महारत हासिल है और यह कहते ही उन्होंने अपने ब्लाउज के हुक को खोलते हुए मेरे सामने अपनी ब्रा को कर दिया और कहने लगी कि देवर जी ब्रा को खोल दीजिए।


मैंने बड़े ही प्यार से भाभी की ब्रा को उतारा उसके बाद वह मुझे कहने लगी आपके अंदर कुछ तो बात है। मैंने भाभी के स्तनों को जमकर चूसा और उनके स्तनो को मसल कर दूध बाहर निकाल दिया वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुकी थी। मैने उनकी साड़ी को उतारकर नंगी चूत को चाटना शुरू किया वह मुझे कहने लगी थोड़ा आराम से कीजिए मुझे तो आपने पूरी तरीके से अपना दीवाना बना दिया है।


मैंने अपनी जीभ को उनकी चूत के बीच मे लगा कर रखा था और उनकी चूत को अपनी उंगलियों से दबा रहा था। उनकी चूत से मैंने गिलापन बाहर निकाल दिया था और जब उनकी चूत पूरी तरीके से गीली हो गई तो मैंने अपने मोटे लंड को बाहर निकाला और भाभी से कहा आप मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर ले लिजिए।


भाभी लंड को बहुत अच्छे से चूसने लगी वह बड़े ही अच्छे तरीके से मेरे लंड को चूस रही थी वह जिस प्रकार से मेरे मोटे लंड को अंदर बाहर कर रही थी उससे मेरा लंड पानी छोड़ने लगा था। भाभी मुझे कहने लगी अब मुझसे नहीं रहा जा रहा है आइए ना मेरी गर्रई को बुझा दीजिए। मैंने भाभी की चूत को दोबारा से चाटा उनकी योनि गिला हो गई भाभी की चूत से लगातार पानी टपक रहा था।


मैंने उन्हें घोडी बनाते हुए उनकी योनि के अंदर अपने लंड को घुसाया तो वह चिल्लाने लगी थी और मेरा लंड उनके अंदर जा चुका था। मैं उनकी योनि के अंदर बाहर लंड को करता तो वह बहुत तेजी से चिल्लाती और मुझे कहती कि मुझे दर्द हो रहा है। मैंने उनकी चूतड़ों को कसकर पकड़ा हुआ था और बड़ी तेज गति से में धक्के दे रहा था काफी देर तक मैंने ऐसा ही किया।


जब भाभी की योनि से पानी कुछ ज्यादा ही बाहर निकलने लगा तो उन्होंने कहा अब मै नही कर पाऊंगा और उनकी गर्मी को मै भी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था…
मैंने भी अपने वीर्य को उनकी चूत मे गिराया भाभी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई थी।

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दोस्त की चुदास बीवी


हैलो दोस्तो। अन्तर्वासना के दुनिया में सबका स्वागत करता हु. मैं रोज़ फ्री हिंदी सेक्स स्टोरीज डॉट नेट पर चुदाई की कहानियाँ पढ़ने आता हु… मेरा नाम सुनील कुमार है और मेरे दोस्त का नाम राजीव है। यू तो हम बहुत अच्छे दोस्त थे, मगर एक बार चुनाव में उसके पिताजी ने मेरे पिताजी को वोट देने से मना कर दिया. 

और जब मैंने अपने दोस्त से कहा कि तू मेरा दोस्त है तू तो हमें वोट देगा तो उसने कहा कि मै अपने पिताजी से अलग नहीं चल सकता.

मेरी बीवी की पहली चुदाई

मुझे गुस्सा तो आया बहुत आया पर मैंने सोचा कि इस बात का जवाब इसे फिर कभी दूंगा।

और बात आई गई हो गई।

खैर अब हम कहानी की ओर चलते हैं जो कि मेरी और मेरे दोस्त की बीवी सीमा की है.

यह कहानी अब से कोई 10 साल पहले की है मेरे दोस्त की नई-नई शादी हुई थी.

उसकी बीवी बहुत सुंदर थी हिंदी फिल्मों की हीरोइन तनुश्री दत्ता जैसी।

पहली नजर में तो वह कोई मुझे कुछ खास नहीं लगी मगर वह बहुत शरारती नेचर की थी.

जब भी मैं अपने दोस्त से मिलने उसके घर जाता वह देवर भाभी की तरह कुछ ना कुछ शरारती बातें करती रहती.

मैं उसकी बातें सुनकर झेप जाता।

एक बार मैंने अपने दोस्त के पास फोन किया तो फोन उसकी बीवी ने उठाया .

मैंने उससे पूछा राजीव कहां है.

तो उसने बोला कि वह तो डॉक्टर के पास मेरी दवाई लेने गए हैं।

मैंने यूं ही शरारत में बोला कि हर वक्त उसे अपने काम में लगाए रखती हो..

तो उसने बोला कि क्या करें लंड का दण्ड तो भुगतना ही पड़ता है.

मैं उसकी बातें सुनकर हैरान हो गया.

मैंने कहा कि आप क्या बोल रहे हैं और मैंने फोन रख दिया.

इस तरह धीरे-धीरे मेरी और उसकी बातें होने लगी.

यह बातें धीरे धीरे सेक्स चैट का रूप लेने लगी.

कुछ दिनों बाद मेरे दोस्त का ट्रांसफर बेंगलुरु हो गया अब हम दोनों रात को घंटों बातें किया करते.

मैंने उसे कहा कि मैं तुम्हें किश करना चाहता हूं.

उसने हंसते हुए कहा कि सिर्फ किश से मेरा क्या होगा..

मैंने हंसते हुए कहा किश तो सिर्फ बहाना है..

उसने कहा कि चलो मैं कोई रास्ता निकालती हूं.

2 दिन बाद मेरे दोस्त का फोन आया.

उसने बोला कि सुनील एक बार मेरे घर जाओ और मेरे घर लाइट नहीं आ रही है उसे ठीक कर दो.

क्योंकि मैं इलेक्ट्रिक इंजीनियर था, शो मुझे यह काम आता था.

मेरे दोस्त के फोन आने के बाद सीमा का फोन मेरे पास आया.

उसने कहा कि तुम मेरे घर अभी मत आना, अभी मेरे सास ससुर घर है. यह कुछ देर में बाजार जाने वाले हैं तब तुम मेरे घर आना कोई शक नहीं करेगा.

और इस तरह करीब 1 घंटे बाद में उनके घर गया.

मेरे मन में अजीब सी खलबली मची थी.

पहली बार किसी को किश करने वाला था.

मैंने पहले कभी भी सेक्स नहीं किया था.

फिल्मों और पोर्न वीडियो में ही सब कुछ देखा था.

मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैं आज सच में यह सब करने वाला हूं.

जब मैं उसके घर पहुंचा तो वह नहा कर निकली थी और उसके बाल गीले थे.

उसका फिगर तो बताना भूल ही गया.

उसकी चूचियां बहुत मोटी थी और गांड भी बाहर को निकली हुई सी थी.

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