हम दोनो चरम सुख तक पहुच गए थे


मेरा ट्रांसफर कुछ समय पहले लखनऊ में हुआ लखनऊ में जब मेरा ट्रांसफर हुआ तो मेरे लिए सब कुछ नया था मैं पुणे का रहने वाला हूं और मैं जिस जगह लखनऊ में मैं रहता था वहां पर मेरे दोस्त ने ही मुझे वह घर दिलवाया था। मेरा दोस्त पुणे में ही मेरे साथ पढ़ाई करता था अब वह लखनऊ में ही रहता है और उसने लखनऊ में ही शादी कर ली है उसे लखनऊ में काफी वर्ष हो चुके हैं उसका नाम कमल है। कमल से मिलने के लिए मैं अक्सर उसके घर पर चला जाया करता एक दिन मैं कमल के घर पर गया हुआ था जब मैं उसके घर पर गया तो उसकी पत्नी ने मुझसे कहा कि सोहन भैया अब आप भी शादी कर लीजिए। मैंने कमल की पत्नी अंजलि से कहा कि हां मैं भी जल्द ही शादी कर लूंगा मेरी और कमल की उम्र बराबर है लेकिन कमल और अंजलि के बीच प्रेम विवाह हुआ था और वह दोनों बहुत ज्यादा खुश हैं। अंजली कमल से बहुत प्यार करती है और वह उसका बहुत ध्यान भी रखती है कमल की जिंदगी में कोई परेशानी नहीं है वह बहुत खुश है।

मैं और कमल एक दूसरे से हमेशा ही अपनी बातों को शेयर कर लिया करते हैं। एक दिन मैंने कमल से कहा कि कमल आजकल मेरी मां की तबीयत ठीक नहीं है तो मैं कुछ दिनों के लिए घर जा रहा हूं कमल कहने लगा कि हां तुम कुछ दिनों के लिए घर हो आओ। मैं इस बीच कुछ दिनों के लिए घर चला गया मैं जब घर गया तो कमल का मुझे फोन आया था और उसने मुझे कहा कि क्या तुम्हारे घर में सब कुछ ठीक है। मैंने उसे कहा हां मेरे घर में सब कुछ ठीक है मैंने उसको बताया कि मेरी मां की तबीयत पहले से ठीक है। अब मुझे लखनऊ वापस लौटना था जिस दिन मैं लखनऊ वापस लौटा उस दिन मुझे कमल ने अपने घर पर डिनर के लिए इनवाइट किया और मैं उस दिन उसके घर पर चला गया था। मैं जब उसके घर पर गया तो कमल और उसकी पत्नी मेरा इंतजार कर रहे थे मैं उनके घर पर चला गया और जब मैं अपने घर वापस लौटा तो मुझे आने में काफी देर हो गई थी।

अगले दिन मुझे ऑफिस जल्दी जाना था क्योंकि ऑफिस में कुछ ज्यादा ही काम था इसलिए अगले दिन मैं ऑफिस जल्दी चला गया। उस दिन ऑफिस में कुछ ज्यादा काम था तो मुझे काफी थकान महसूस हो रही थी और काफी देर तक मैं ऑफिस में रुका रहा जैसे ही काम खत्म हुआ तो मैं घर वापस लौट आया। वापस लौटने के बाद मैंने उस दिन खाना बाहर से ही खा लिया था क्योकि मैं काफी थका हुआ था तो मुझे नींद भी आ रही थी खाना खाने के बाद मैं सो चुका था। अगले दिन सुबह मैं जल्दी उठ गया था मैं सुबह जल्दी उठा तो मैंने घड़ी में समय देखा तो उस वक्त 5:00 बज रहे थे। मैंने मुंह धोया और मैं अपने घर के बाहर ही टहलने के लिए चला गया वहां से थोड़ी दूरी पर एक अखबार वाले की दुकान है मैं वहां पर चला गया। मैंने उससे अखबार लिया और वहां से मैं घर लौट आया तो मैं घर लौट कर उस अखबार को पढ़ने लगा अखबार पूरी तरीके से पढ़ने के बाद मैं नाश्ते की तैयारी करने लगा। मैं खुद ही नाश्ता बनाया करता हूं और मैंने जब नाश्ता बना लिया तो उसके बाद मैं अपने ऑफिस की तैयारी करने लगा मैं अपने ऑफिस के लिए निकल चुका था मैं हर रोज की तरह बस स्टॉप पर बस का इंतजार कर रहा था। मैंने जब अपने रिस्ट वॉच में उस वक्त समय देखा तो उस वक्त 9:00 बज रहे थे और थोड़ी ही देर बाद बस आने वाली थी जैसे ही बस आई तो मैं बस में चढ़ गया बस में काफी ज्यादा भीड़ थी इसलिए मुझे बैठने के लिए तो जगह नहीं मिल पाई लेकिन मैं खड़ा ही था। कंडक्टर मेरे पास आकर बोला साहब टिकट ले लो तो मैंने उसे पैसे दिए और उसने मुझे टिकट काटकर दे दिया तो मैंने वह टिकट अपनी जेब मे डाल दिया तभी मेरा फोन भी बज उठा मैंने जब अपने फोन को उठाया तो मेरे ऑफिस के ही मेरे दोस्त ने मुझे फोन किया था उसका नाम रजत है। मैंने रजत को कहा हां रजत कहो क्या कुछ जरूरी काम था तो वह मुझे कहने लगा कि नहीं सोहन ऐसे ही तुम्हें फोन किया था तुम कितनी देर में ऑफिस आ रहे हो। मैंने उससे कहा कि बस थोड़ी देर बाद मैं ऑफिस आ जाऊंगा उसने मुझे कहा ठीक है सोहन। थोड़ी देर बाद मैं ऑफिस पहुंच चुका था और मैं जब ऑफिस पहुंचा तो मैं अपना काम करने लगा और लंच टाइम में मुझे रजत कहने लगा चलो लंच कर लेते हैं मैंने उसे कहा ठीक है।


रजत अक्सर मेरे लिए लंच ले आता था क्योंकि वह अपने परिवार के साथ ही लखनऊ में रहता है और वह लखनऊ का ही रहने वाला है वह अक्सर मेरे लिए लंच ले आता था। हम दोनों साथ में बैठकर लंच कर रहे थे और एक दूसरे से बात कर रहे थे तो मुझे रजत ने बताया कि उसकी पत्नी का जन्मदिन दो दिन बाद है और उसकी पत्नी किसी प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती है। मैं रजत के घर पर कभी गया नहीं था उसने मुझे अपने घर पर आने के लिए कहा था और मैं रजत के घर चला गया। उस दिन जब मैं उसके घर पर गया तो उसने मुझे अपने परिवार से मिलवाया और दो दिन बाद उसकी पत्नी का जन्मदिन था तो उसने होटल में सब कुछ अरेंजमेंट किया हुआ था। हम लोग होटल में गए थे और हमारे ऑफिस के कुछ और लोग भी थे जब हम लोग होटल में पहुंचे तो वहां पर रजत ने सब कुछ अच्छे से अरेंज किया हुआ था।

मैंने रजत की पत्नी को उसके जन्मदिन की बधाई दी, रजत और उसकी पत्नी बहुत ही खुश थे। उस दिन मैं पार्टी से घर लौट रहा था तो मैं अपने कॉलोनी के अंदर गया तो उस वक्त काफी ज्यादा अंधेरा था एक लड़की जो कि काफी ज्यादा नशे में थी और वह चलने की स्थिति में भी नहीं थी मैंने उसे देखा। पहले मुझे लगा क्या मुझे उसकी मदद करनी चाहिए या नहीं लेकिन फिर मुझे लगा कि मैं उसकी मदद कर देता हूं मैंने उसे कहा कि मैडम आपको कहां जाना है? उसने मुझे अपना घर बताया मैं उसके घर उसे लेकर गया उसने मुझे चाबी दी मैंने उसके घर का दरवाजा खोला मैंने उससे पूछा क्या आप अकेली रहती हैं। वह कहने लगी हां मेरा इस दुनिया में कोई भी नहीं है मैं अकेली हूं अब जैसे उसका नशा एकदम से उतरने लगा था वह मेरे साथ बात करने लगी उसने मुझे अपना नाम बताया उसका नाम मनीषा है मनीषा और मैं एक दूसरे से बात कर रहे थे हम दोनों को ही अच्छा लग रहा था। मनीषा को अचानक से ना जाने क्या हुआ वह मुझसे चिपकने की कोशिश करने लगी वह अपनी चूतडो को मुझसे मिलाने की कोशिश करती तो मेरे अंदर की गर्मी भी बढ़ जाती अब कहीं न कहीं वह गर्म हो चुकी थी मैंने उसकी जांघ को अपने हाथों से सहलाना शुरु किया उसने भी अपने हाथ को मेरे लंड की तरफ बढ़ाया और वह मेरे लंड को दबाने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। जब वह ऐसा कर रही थी तो मेरे अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी अब मैं उसे चोदने के लिए तैयार था हम दोनों ही उसके बेडरूम में चले गए उसके बाद मैंने उसे बिस्तर पर लेटा कर चूमना शुरू किया। उसके नरम होंठों को चूमने में मजा आ रहा था और उसको भी बहुत आनंद आ रहा था। मैने उसके कपडे उतारे तो उसने लाल ब्रा पहन रखी थी फिर वह मुझे कहने लगी तुम मेरे स्तनो को चूस लो और मैने उसके स्तनो को चूस दिया और उसकी चूत को चाटना शुरु किया। जब मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो वह मेरे लंड को चूसने लगी वह जिस तरह मेरे लंड को चूस रही थी उस से मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था और उसको भी बड़ा मजा आता। मनीषा मेरे लंड को बड़े अच्छे से चूसती रही वह मेरी गर्मी को पूरी तरीके से बढ़ाती जाती।

मैं अब उसकी चूत को चाटना शुरु किया जब मै उसकी चूत को चाट रहा था तो उसे बहुत ज्यादा मजा आने लगा था मुझे उसकी चूत को चाटने में इतना मजा आने लगा कि उसकी चूत से निकलता हुआ पानी कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगा था काफी देर तक मैंने उसकी चूत का रसपान किया और उसकी चूत को गिला बना दिया। जब मैंने अपने लंड पर थूक लगाकर उसकी चूत के अंदर डाला तो वह चिल्लाई और मुझे कहने लगी मेरी चूत फाड दो मुझे बहुत ज्यादा मजा आ रहा है। उसने अपने पैरो को खोला तो मुझे बहुत मजा आने लगा मैं उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को बडी आसानी से कर रहा था। उसकी चूत से गरम पानी बाहर निकल आया इस बात से मै बहुत ही ज्यादा खुश हो गया था। वह मुझे कहने लगी मेरी चूत से कुछ ज्यादा ही अधिक मात्रा में पानी निकलने लगा है।

मैंने उसे कहा मैं भी रह नही पा रहा हूं मुझे बहुत मजा आ रहा है मैं उसे नीचे लेटा कर चोद रहा था तो वह मुझे अपने दोनों पैरों के बीच मे जकडने कि कोशिश कर रही थी जब उसने मुझे अपने पैरों के बीच में जकड़ना शुरू किया तो मुझे बड़ा आनंद आने लगा मैं उसे और भी तेजी से चोद रहा था वह बहुत खुश हो चुकी थी और मै भी बहुत खुश था। हम दोनो पसीना पसीना हो चुके थे लेकिन जिस तरह मै उसको चोद रहा था उस से मेरा लंड छिल चुका था और वह उत्तेजीत हो चुकी थी। हम दोनो अब चरम सुख तक पहुच गए थे मुझे मजा आने लगा था और मेरा माल गिरते ही वह खुश हो गई थी उसके बाद उसने मेरे लंड को चूसा हम दोनो साथ ही रुके मैने मनीषा को पूरा मजा दिया। वह अब ज्यादा समय मेरे साथ ही बिताया करती थी।
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उस रात को कभी भुला ना सका


एक बार मैं एक पार्टी में गया हुआ था वह पार्टी हमारे किसी परिचित की थी जब मैं पार्टी में गया तो वहां पर मुझे मेरा दोस्त सुनील मिला। सुनील मेरे साथ पढ़ा करता था और वह लोग हमारे पड़ोस में रहा करते थे लेकिन अब लोग वह लोग कहीं और ही रहते हैं। जब सुनील मुझे मिला तो मैंने उससे बात की मैं सुनील से बात कर रहा था कि तभी सुनील की पत्नी भी आ गई सुनील ने मेरा परिचय अपनी पत्नी आकांक्षा के साथ करवाया तो मैंने सुनील से कहा कि तुमने मुझे शादी में नहीं बुलाया। सुनील कहने लगा कि मैंने कोर्ट मैरिज की है सुनील ने मुझे कहा कि रजत तुम मुझे कभी फुर्सत से मिलना मैं तुम्हें सारी बात बताऊंगा लेकिन अभी यहां पर यह बात करना ठीक नहीं है हम लोग पार्टी का इंजॉय करते हैं। आकांशा अपने दोस्तों के साथ चली गई और मैं और सुनील साथ में बैठे हुए थे उस दिन सुनील  और मेरी काफी देर तक बात हुई। पार्टी खत्म होने के बाद मैं अपने घर वापस लौट आया था। मैं जब घर लौटा तो मैंने यह बात अपने पापा और मम्मी को बताई कि सुनील ने शादी कर ली है तो उन्होंने कहा की सुनील ने शादी कब की हमे तो इस बारे में कुछ भी जानकारी नहीं है।

वह लोग एकदम से चौंक गए मैंने उन्हें कहा कि सुनील की शादी को हुए अबतो काफी समय हो चुका है सुनील ने मुझे अपनी पत्नी आकांक्षा से भी मिलाया था। सुनील के पिताजी पापा के बहुत अच्छे दोस्त हैं वह जब हमारे पड़ोस में रहते थे तो अक्सर हमसे मिलने आया करते थे लेकिन पापा को भी अब इस बात की कोई खबर नहीं थी। पापा ने एक दिन सुनील के पिताजी को फोन कर के इस बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि आकांक्षा हमे कभी पसंद ही नहीं थी लेकिन सुनील की जिद के आगे हमें उसकी शादी आकांक्षा से करवानी पड़ी। आकांक्षा के पिताजी भी इस रिश्ते के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे वह उन दोनों की शादी करवाना ही नही चाहते थे उन्होंने उसके लिए कई कोशिश की लेकिन सुनील तो आकांक्षा से ही शादी करना चाहता था। जब यह बात मुझे मेरे पिताजी ने बताई तो मुझे भी थोड़ा हैरानी जरूर हुई की जब सुनील के पिताजी इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं थे तो सुनील ने उनके खिलाफ जाकर शादी करने का फैसला कैसे किया सुनील तो अपने पापा की बड़ी इज्जत किया करता था।

मेरे मन में कई सवाल थे लेकिन जब मैंने इस बारे में सुनील से बात करने की सोची तो एक दिन मैंने सुनील से मिलने के लिए उसे फोन किया और जब मैंने सुनील को फोन किया तो उसने मुझे कहा कि मैं आज घर पर ही हूं। उस दिन सुनील और मैं एक दूसरे को मिलने वाले थे और मैं सुनील को मिलने के लिए उसके घर पर चला गया। मैं जब सुनील को मिलने के लिए उसके घर पर गया तो वह घर पर अकेला ही था मैंने सुनील से कहा अंकल आंटी कहीं दिखाई नहीं दे रहे है तो वह कहने लगा कि वह लोग कहीं घूमने के लिए गए हुए हैं। मैंने सुनील से कहा ठीक है और फिर हम दोनों एक दूसरे से बात कर रहे थे तो सुनील ने मुझे उस दिन अपनी जिंदगी के बारे में बताया कि आखिर घर वाले उसकी शादी आकांक्षा के साथ क्यो नहीं करवाना चाहते थे। सुनील ने बताया कि आकांशा की शादी दो साल पहले हो चुकी थी और उसके बाद उसका डिवोर्स हो गया था तो मैंने आकांक्षा से शादी करने की बात अपने घर पर कहीं लेकिन कोई भी इस बात के लिए तैयार नहीं था। सुनील कहने लगा कि पापा ने आकांक्षा के पिता जी से भी बात की थी वह भी नहीं चाहते थे कि मेरी शादी आकांक्षा के साथ हो कोई भी इस पक्ष में नहीं था कि मेरी शादी आकांशा के साथ हो लेकिन आकांक्षा ने मेरा साथ नहीं छोड़ा और मैंने आकांक्षा से शादी करने का फैसला कर लिया था उस दिन जब आकांशा और मैंने कोर्ट में शादी कर ली तो पापा और मम्मी दोनों ही इस बात से नाराज थे उन्होंने कई दिनों तक मुझसे अच्छे से बात भी नहीं की थी लेकिन फिर भी मुझे लगा कि पापा और मम्मी को मैं मना लूंगा और जल्द ही मैंने उन लोगों को मना लिया था अब सब कुछ ठीक चल रहा है। मैंने सुनील को कहा कि लेकिन तुम्हारी मुलाकात आकांक्षा से कब हुई थी तो उसने मुझे बताया कि उसकी मुलाकात आकांक्षा से करीब एक वर्ष पहले ही हुई थी वह लोग हमारे पड़ोस में रहते हैं लेकिन मेरी बातचीत आकांक्षा के साथ नहीं थी।


जब मैंने आकांक्षा से बात करनी शुरू की तो मुझे लगा की आकांशा बहुत ही अच्छी लड़की है और उसके बाद मेरे और आकांक्षा के बीच में प्यार होने लगा फिर मुझे भी लगा कि मुझे आकांशा से शादी कर लेनी चाहिए इसलिए मैंने आकांक्षा से शादी करने का मन बना लिया था और शादी हो जाने के बाद मैं और आकांक्षा एक दूसरे के साथ बहुत ही खुश हैं हम दोनों एक दूसरे के साथ जब भी होते हैं तो हमें बहुत ही अच्छा लगता है। मैंने सुनील को कहा कि आकांक्षा कहीं जॉब भी करती हैं तो उसने मुझे बताया कि हां वह स्कूल में पढ़ाती है। सुनील मुझसे कहने लगा कि रजत मैं तुमसे कब से बात किए जा रहा हूं क्या मैं तुम्हारे लिए कुछ बना दूं क्योंकि घर पर कोई भी नहीं है इसलिए मुझे ही तुम्हारे लिए कुछ बनाना पड़ेगा। मैंने उसे कहा नहीं सुनील रहने दो मैं सिर्फ तुमसे मिलने के लिए ही आया था, उसके बाद मैं अपने घर वापस लौट आया था।

उस दिन जब मैं वापस लौटा तो मुझे लगा कि सुनील ने कहीं भी कोई गलती नहीं की है। मुझे अब अपने ऑफिस के टूर पर जाना था और मै जब ऑफिस के टूर मे गया जब ऑफिस के टूर के दौरान मैं संजना से मिला तो मुझे उससे मिलकर अच्छा लगा जिस ऑफिस के टूर में मैं गया था उसी ऑफिस टूर में संजना भी आई हुई थी और हम दोनों एक ही होटल में रुके हुए थे उसका रूम मेरे बिल्कुल सामने ही था उस दिन हम दोनों साथ में डिनर कर रहे थे डिनर करने के दौरान हम दोनों के बीच काफी बातें हुई हम दोनों ने काफी ज्यादा शराब पी ली थी जिससे कि हम दोनों बहुत ज्यादा नशे में हो गए थे संजना और मेरे बीच उस दिन सेक्स हो गया हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स करने के लिए तैयार थे। मैं उसके होंठों को चूमने लगा और वह मेरी गोद में आकर बैठ चुकी थी अब उसने मेरे बदन को पूरी तरीके से गर्म कर दिया था। मैंने उसके स्तनों की तरफ हाथ बढाया और दबाना शुरू कर दिया था वह खुश होने लगी। मै उसके स्तनो को दबाता तो वह उत्तेजित होती जाती मैने उसके साथ चुम्मा चाटी की उसके अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बढ़ने लगी थी। मेरे अंदर की आग बढ़ चुकी थी मैंने उसे कहा मैं बहुत ही ज्यादा गरम हो चुका हूं मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है अब वह मेरा साथ अच्छे से देने लगी थी। वह मेरे लंड को दबा रही थी और मेरे अंदर की गर्मी को उसने पूरी तरीके से बढ़ा दिया था हम दोनों ही एक दूसरे के बिना अब रह नहीं पा रहे थे। मैंने संजना के कपड़े उतारकर जब उसकी पिंक ब्रा को निकालकर उसके स्तनों को सहलाना शुरू किया तो मुझे मजा आने लगा था। वह बहुत खुश थी मैने उसके स्तनों को बहुत देर तक दबाया फिर मैने अपने लंड बाहर निकालकर हिलाया तो वह मचलने लगी। उसने मुझे कहा मैं तुम्हारे लंड को मुंह में लेना चाहती हूं वह अब गरम हो गई थी। उसने मेरे लंड को मुंह मे लेकर चूसना शुरू किया तो वह खुश हो गई थी और मुझे मजा आ रहा था। उसने मेरे लंड से पानी निकाल दिया था उसने मुझे कहा तुम मेरी चूत मार लो। मैंने उसकी पैंटी को उतारकर उसकी चूत में अपने लंड को घुसाया उसकी चूत के अंदर मेरा लंड गया तो वह जोर से चिल्लाई और कहने लगी मेरी चूत आज फाड कर रख दो उसकी चूत बहुत टाइट थी उसने अपने पैरो को चौडा कर लिया फिर मैंने उसके दोनों पैरों को आपस में मिलाकर उसे तेजी से चोदने लगा तो मुझे बहुत मजा आने लगा था।

मैने उसकी गर्मी को बहुत ही ज्यादा बढा दिया था मेरे अंदर कि आग भी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी मेरे अंदर की आग इस कदर बढ़ चुकी थी कि मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था। उसकी चूत मे मैने माल गिरा दिया था। अब हम दोनो ने दोबारा चुदाई शुरु कर दी। मैने उसकी चूतडो को अपनी तरफ किया फिर मैंने उसे घोड़ी बनाकर चोदना शुरू किया तो मुझे बहुत ही मजा आने लगा। मै उसे घोड़ी बना कर चोद रहा था उससे उसके अंदर की गर्मी बढ़ने लगी थी। मै उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करने लगा था मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था मै संजना की चूत का मजा ले अच्छे से ले रहा था।

मैने उसकी चूत का मजा लेकर उसको पूरी तरीके से गर्म कर दिया था मैंने उसको तब तक चोदा जब तक वह पूरी तरीके से संतुष्ट नहीं हो गई। वह गरम हो गई थी वह मुझसे अपनी चूतड़ों को मिलाने की कोशिश करती उसकी चूतड़ों पर मेरा लंड टकराता तो उसे और भी मजा आने लगता। मेरा लंड उसकी चूतडो से मिलता तो एक अलग आवाज पैदा हो रही थी वह जब मेरे कानों में जाती तो मेरे अंदर अब और भी उत्तेजना पैदा हो जाती। मैं अपने माल को उसकी चूत के अंदर गिराने वाला था मैने तेजी से उसको चोदना शुरु किया जब मेरे वीर्य की पिचकारी को उसकी चूत मे गिरी तो उसकी चूत से मैने लंड को बाहर निकाला फिर मुझे पता चला उसकी चूत मे बहुत टाइट है वह खुश हो गई थी हम दोनों ने अपने कपड़े पहन लिए फिर एक दूसरे की बाहो मे लेटे रहे। मै उसको बहुत मिस कर रहा हू अब मै वापस लौट चुका हूं लेकिन संजना को मै अब भी याद करता हूं।

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घर पर आने के लिए आखिर बोल ही दिया


मैं और आकाश मेरे घर पर ही थे आकाश मुझे कहने लगा कि सार्थक कल हम लोग कहीं मूवी देखने के लिए चलें तो मैंने आकाश को कहा ठीक है। हम दोनों अपना कॉलेज का प्रोजेक्ट कर रहे थे और हमारा कॉलेज का प्रोजेक्ट लगभग खत्म हो चुका था हम दोनों ने अगले दिन मूवी देखने का फैसला कर लिया। आकाश ने मुझे सुबह ही फोन कर दिया था और कहा कि तुम आ रहे हो ना, मैंने उसे कहा हां मैं आ रहा हूँ। मैं और आकाश उस दिन मूवी देखने के लिए गए और हम लोगों ने साथ में मूवी देखी मूवी खत्म हो जाने के बाद हम दोनों वापस लौट आए थे। हम लोग जब वापस लौटे तो उस वक्त शाम हो चुकी थी मैंने आकाश को कहा आकाश हम लोग अब घर चलते हैं तो वह कहने लगा ठीक है और हम दोनों ही घर लौट आए। जब हम लोग घर लौटे तो मैंने देखा उस दिन पापा घर जल्दी लौट आए थे और काफी परेशान नजर आ रहे थे तो मैंने पापा से कहा कि पापा आप कब आए तो उन्होंने मुझे बताया कि वह थोड़ी देर पहले ही आए। मैंने पापा से पूछा कि पापा आप काफी परेशान लग रहे हैं उन्होंने मुझे कहा कि सार्थक बेटा तुम जाने दो।

हम हॉल में ही बैठे हुए थे और फिर मैं अपने रूम में चला आया पापा और मम्मी आपस में बात कर रहे थे तो मुझे उन लोगों की बाते सुनाई दे रही थी। पापा और मम्मी एक दूसरे से बात कर रहे थे कि उन्होंने जो पैसे मेरे ताऊजी से लिए थे उसे अभी तक वह लौटा नहीं पाए हैं। पापा का बिजनेस कुछ समय से ठीक नहीं चल रहा था और वह अपने बिजनेस को लेकर बहुत ज्यादा परेशान थे लेकिन उसके बावजूद भी उन्होंने इस बारे में कभी किसी से बात नहीं की परन्तु उस दिन वह बहुत ज्यादा परेशान थे। रात के वक्त हम लोगों ने डिनर किया लेकिन पापा की यह परेशानी मुझसे देखी नहीं जा रही थी तो मैंने पापा से कहा कि पापा परेशान मत होइए जरूर कोई ना कोई रास्ता निकल आएगा। उन्होंने मुझे कहा सार्थक बेटा तुम तो जानते ही हो कि कुछ समय से मेरा बिजनेस में लगातार नुकसान होता जा रहा है और काम भी बिल्कुल ठीक नहीं चल रहा जिस वजह से मैं बहुत ज्यादा परेशान हो चुका हूं।

मैंने उन्हें कहा पापा आप बस अपने आप पर भरोसा रखिये सब कुछ ठीक हो जाएगा वह मुझे कहने लगे कि सार्थक बेटा तुम बहुत ही समझदार हो और मुझे तुमसे बहुत ही उम्मीदें हैं। पापा को मुझसे बहुत उम्मीद थी इसलिए वह मुझसे अक्सर कहते कि बेटा मैं चाहता हूं कि तुम अपने जीवन में कुछ अच्छा करो। मैंने पापा से कहा पापा मैं आपकी उम्मीदों पर खरा उतरूंगा। थोड़े समय बाद तो पापा ने ताऊजी के पैसे लौटा दिए थे लेकिन फिर भी वह परेशानी में रहते थे और इसी के चलते उन्हें अब कई प्रकार की समस्याएं भी होने लगी थी। एक दिन मैं घर लौटा तो उस दिन पापा की तबीयत बहुत ज्यादा खराब थी तो मां ने कहा कि सार्थक बेटा तुम अपने पापा को डॉक्टर के पास लेकर चले जाओ मैंने मम्मी से कहा ठीक है। मैं उस दिन पापा को डॉक्टर के पास ले गया, पापा को मैं डॉक्टर के पास ले गया और उसके बाद मैं उन्हें वापस ले आया था। पापा काफी परेशान होने लगे थे लेकिन मैंने उन्हें कहा कि आप परेशान मत होये सब कुछ ठीक हो जाएगा। धीरे धीरे पापा की तबीयत में भी सुधार होने लगा था और वह ठीक होने लगे थे। एक दिन मैं अपने कॉलेज से वापस लौट रहा था तो उस दिन हमारे घर पर मेरे मामा जी आए हुए थे मामा जी का भी बड़ा कारोबार है और वह काफी समय बाद हमारे घर आए थे। उस दिन हम सब लोग साथ में बैठे हुए थे और डिनर कर रहे थे तो मामा जी ने मम्मी से कहा कि यदि कुछ मदद की आवश्यकता हो तो तुम मुझे बता देना लेकिन पापा ने साफ तौर पर मना कर दिया। पापा बहुत ही स्वाभिमानी किस्म के हैं और वह चाहते हैं कि वह खुद ही अपनी मेहनत से सब कुछ ठीक कर दें लेकिन यह इतना आसान होने वाला नहीं था। उस वक्त रात को जब पापा अपने कमरे में आराम कर रहे थे तो मम्मी और मामा आपस में बात कर रहे थे मैं भी वहीं बैठा हुआ था मामा ने मम्मी को एक चेक पकड़ाते हुए कहा कि मेरी तरफ से यह कुछ पैसे हैं पहले तो मम्मी ने मना किया लेकिन मामा जी ने उन्हें कहा कि हमारा भी तुम्हें लेकर कुछ फर्ज बनता है और मामा ने मम्मी को वह चेक दे दिया। थोड़े समय बाद मेरे कॉलेज की पढ़ाई भी पूरी हो चुकी थी और फिर मैं नौकरी की तलाश में था शायद मेरी किस्मत अच्छी थी कि मुझे एक अच्छी कंपनी में नौकरी मिल गई और मैं वहां पर जॉब करने लगा। मेरी जॉब अच्छे से चल रही थी और घर में भी अब सब कुछ ठीक होने लगा था पापा का बिजनेस भी दोबारा से ठीक चलने लगा था।


मैं जिस कंपनी में नौकरी करता था वहां पर भी मेरी सैलरी काफी अच्छी थी घर में सब कुछ ठीक होने लगा था और पापा भी अब काफी खुश रहने लगे थे। एक दिन पापा और मैं साथ में बैठे हुए थे और उस दिन हम लोग आपस में बात कर रहे थे तो पापा ने मुझे कहा कि सार्थक बेटा सब कुछ ठीक हो चुका है तो अब हम लोगों को फैमिली टूर पर कहीं जाना चाहिए मैंने पापा से कहा हां क्यों नहीं। हम लोग कहीं फैमिली टूर पर जाना चाहते थे मैंने ही शिमला की टिकट बुक करवा ली थी और शिमला हम सब लोग साथ में गए तो मुझे भी काफी अच्छा लगा काफी समय बाद मैं पापा मम्मी के साथ कहीं गया था। शिमला में करीब हम लोग एक हफ्ते तक रुके एक हफ्ते तक हम लोगों ने काफी इंजॉय किया उसके बाद हम लोग वापस दिल्ली लौट आए थे। उसके बाद मैं अपने ऑफिस जाने लगा था पापा भी अपने बिजनेस पर पूरी तरीके से ध्यान दे रहे थे और सब कुछ ठीक चल रहा था।
दिल्ली लौटने के बाद एक दिन मेरे दोस्त की बहन कावेरी मुझे मिलती है और कावेरी के साथ मैं बातें करने लगा। कावेरी ने अपने डिवोर्स के बारे मे मुझे बताया। उसका डिवोर्स हो चुका था अब हम दोनों फोन पर एक दूसरे से बातें करने लगे थे हम दोनों की फोन पर काफी बातें होने लगी थी कावेरी का अपने परिवार से कोई मतलब नहीं था इसलिए वह मुझसे बात किया करती वह अकेली ही रहती थी। एक दिन हम दोनों के बीच फोन सेक्स हुआ उस दिन जब हम दोनों के बीच फोन सेक्स हुआ तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था उससे मैं अच्छे से बात करने लगा था। उस दिन के बाद हम दोनों अक्सर फोन सेक्स करने लगे थे लेकिन अब मैं उसे सच में चोदना चाहता था मैंने उससे कहा मैं तुम्हारे पास आना चाहता हूं। उस दिन में घर पर ही था और मैं उस दिन कावेरी के पास चला गया था मै जब कावेरी के पास गया तो उससे मिलकर मुझे बहुत ही अच्छा लगा। वह मेरे लिए चाय बनाकर ले आई। हम दोनो साथ मे बैठे थे मैंने उसकी जांघ को सहलाना शुरू किया वह पूरी तरीके से गर्म होने लगी अब मैं भी पूरी तरीके से गर्म हो चुका था मुझे बहुत अच्छा लग रहा था जब मैं उसके होठों को चूम रहा था। मै कावेरी के बदन को भी मैं महसूस करने लगा मैं उसके स्तनों को बड़े अच्छे से दबाने लगा मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आने लगा था। जब मैं उसके स्तनों को अपने हाथों से दबाता तो वह उत्तेजित हो जाती अब वह उत्तेजीत हो गई थी। मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू किए मैं उसके गोरे बदन को सहलाने लगा। मैंने जब कावेरी के स्तनों को अपने मुंह में लेकर उनक रसपान शुरू किया तो उसके निप्पलो को मैं जिस प्रकार से चूस रहा था उससे मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। मैने उसकी चूत पर उंगली लगाई मैंने कावेरी की चूत को चाटना शुरू किया तो मुझे मजा आने लगा उसकी चूत को चाटकर मेरे अंदर की गर्मी बढ़ने लगी थी। कावेरी ने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर उसे अच्छे से चूसा।

वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसती तो मुझे बड़ा ही मजा आता। उसने 2 मिनट तक मेरे लंड को चूसा मैने उसके अंदर की आग पूरे तरीके से बढ़ा दी थी। मैंने उसे कहा मैं अब तुम्हारी चूत के अंदर अपने लंड को डाल रहा हूं। मैने उसके पैरो को खोला और मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर सटाया अब मैने अपने लंड को अंदर की तरफ डालना शुरू किया जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत के अंदर की तरफ जाने लगा तो मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा। मेरे अंदर की गर्मी अब बढ़ने लगी थी मुझे मजा आने लगा था। मैने उसको और तेजी से चोदना शुरु किया मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया था। जब मैंने ऐसा किया तो मुझे मजा आने लगा। मैं उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को बड़ी आसानी से कर रहा था मैंने बहुत देर तक उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को किया जिस से मुझे मजा आने लगा। वह मुझे कहने लगी मेरे अंदर कि गर्मी बढती जा रही है।

मैंने उसको कहा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है तुम ऐसे ही मेरा साथ देती रहो वह मेरा साथ बड़े अच्छे से दे रही थी। वह सिसकारिया ले रही थी और उसने मेरे बदन को पूरी तरीके से गर्म कर दिया था मेरा माल जल्दी ही बाहर आने को था। मैने कावेरी की चूत के अंदर माल को गिरा दिया था। मैंने  उसकी चूतडो को मेरी तरफ किया तो  अब मैने उसकी चूत पर अपने लंड को सटाया तो वह बोली डालो ना अंदर मै तडप रही हूं मैने लंड को घुसाते ही उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करने लगा तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैने कावेरी की चूत का मजा लेकर उसको पूरी तरीके से गर्म कर दिया था मैंने उसको अच्छे से चोदा वह भी मुझसे अपनी चूतड़ों को मिलाती तो उसे भी मजा आता। 10 मिनट की चुदाई के बाद मैंने अपने माल को उसकी चूत के अंदर गिराया।

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अब क्या बिस्तर तोड़ोगे ?


मुझे आज भी गौरव की शादी याद है जब मैं और प्रतिभा पहली बार मिले थे गौरव की शादी पिछले साल ही हुई थी उसी शादी के दौरान मेरी मुलाकात प्रतिभा से हुई। जब मैं प्रतिभा से पहली बार मिला तो मुझे उससे मिलकर बहुत ही अच्छा लगा और कहीं ना कहीं वह भी मुझसे मिलकर बहुत खुश थी। गौरव की शादी के बाद ही हम दोनों एक दूसरे को डेट करने लगे थे प्रतिभा लखनऊ की रहने वाली है और वह मुंबई में पिछले दो सालों से रह रही है। गौरव को वह पहले से ही जानती थी इसलिए गौरव और उसकी अच्छी दोस्ती थी लेकिन अब मैं और प्रतिभा एक दूसरे को डेट करने लगे थे और यह बात गौरव को भी पता थी। हम दोनों की नजदीकियां काफी बढ़ चुकी थी और हम दोनों एक दूसरे के साथ काफी समय बिताया करते हैं। प्रतिभा और मैं एक दूसरे के साथ रिलेशन में थे और हम दोनों बहुत ही खुश थे मुझे जब भी प्रतिभा की कोई जरूरत पड़ती तो वह हमेशा मेरे साथ खड़ी रहती है।

एक दिन मुझे कुछ पैसों की जरूरत थी तो मैंने प्रतिभा से कहा उसने उसी वक्त मेरी मदद कर दी और कहा कि अजीत कभी भी तुम्हें कुछ चाहिए होता है तो तुम मुझसे कह दिया करो। प्रतिभा के पापा एक बड़े बिजनेसमैन है लेकिन उसके बावजूद भी प्रतिभा अपने बलबूते कुछ करना चाहती थी इसलिए वह मुंबई आ गई। उसके पापा कई बार उसे कहते हैं कि तुम लखनऊ आ जाओ तुम्हें किस चीज की कमी है लेकिन प्रतिभा लखनऊ नहीं जाना चाहती प्रतिभा को मुंबई में ही अच्छा लगने लगा है। एक दिन प्रतिभा ने मुझे बताया कि उसके पापा उसे फ्लैट गिफ्ट करने वाले हैं उसके बाद प्रतिभा ने फ्लैट ले लिया, मैं भी उसके फ्लैट में गया था हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत खुश थे। मैं भी एक प्रतिष्ठित मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करता हूं और मुझे वहां पर नौकरी करते हुए 4 वर्ष हो चुके हैं मैं अपने परिवार के साथ ही मुंबई में रहता हूं मेरे पापा रेलवे विभाग में नौकरी करते हैं।

एक दिन मेरी मां ने मुझे बताया कि मेरी बहन नैना को देखने के लिए लड़के वाले आने वाले हैं नैना की उम्र 25 वर्ष की है और वह मुझसे दो वर्ष ही छोटी है। नैना की कॉलेज की पढ़ाई भी काफी समय पहले पूरी हो चुकी थी और उसके बाद कुछ समय तक वह जॉब करती रही लेकिन उसने अब जॉब से रिजाइन दे दिया है और वह घर पर ही रहती है। पापा और मम्मी चाहते थे कि उसकी शादी हो जाए इसलिए उस दिन उसे लड़के वाले देखने के लिए आ रहे थे मैं भी घर पर ही रुक गया मैंने अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली थी। अब नैना को देखने के लिए लड़के वाले आ चुके थे और नैना को भी लड़का काफी पसंद था इसलिए उन दोनों की जल्द ही सगाई हो गई उन दोनों की सगाई हो जाने के बाद मैं चाहता था कि मैं भी प्रतिभा के बारे में घर पर बता दूं लेकिन मैंने सोचा कि थोड़े समय बाद ही प्रतिभा के बारे में मैं घर पर बताऊंगा। नैना की सगाई हो चुकी थी और जब उसकी शादी थी तो मैंने प्रतिभा को भी शादी में बुलाया था उसी दौरान मैंने अपने परिवार से प्रतिभा को मिलाया। पहली बार ही प्रतिभा पापा मम्मी से मिली थी इसलिए वह बहुत खुश थी और पापा मम्मी को मैंने इस बारे में बता दिया था कि मैं और प्रतिभा एक दूसरे से शादी करना चाहते हैं उन्हें भी इस बात से कोई आपत्ति नहीं थी क्योंकि प्रतिभा बहुत ही अच्छी और सुंदर है। नैना की शादी हो जाने के बाद वह लोग चाहते थे कि मेरी सगाई भी प्रतिभा से हो जाए प्रतिभा घर इकलौती है इसलिए उसके पापा भी उसकी खुशियों को ही सबसे ऊपर रखते थे और वह मेरे साथ प्रतिभा की शादी करवाने को तैयार हो गए। वह लोग अब मेरी और प्रतिभा की शादी के लिए तैयार हो चुके थे हम दोनों की सगाई हो चुकी थी और जल्द ही हम लोग शादी करने वाले थे लेकिन प्रतिभा चाहती थी कि हम लोग जयपुर में शादी करें। प्रतिभा को जयपुर काफी पसंद है इसलिए वह हमेशा से ही चाहती थी कि उसकी शादी जयपुर में हो मैंने जब इस बारे में पापा से कहा तो पापा को भी इससे कोई परेशानी नहीं थी और हम लोगों ने मिलकर जयपुर में सारा अरेंजमेंट करवा दिया। कुछ दिनों के लिए हम सब जयपुर में ही थे जब हम लोगों की शादी हो गई तो उसके बाद हम लोग मुंबई वापस लौट आए और मुंबई वापस लौटने के बाद हम दोनों अपना शादीशुदा जीवन बहुत ही अच्छे से बिता रहे थे। यह सब इतनी जल्दी हुआ कि कुछ पता ही नहीं चला कि कब मेरे और प्रतिभा के बीच इतनी नजदीकियां बढ़ गई और हम दोनों की शादी हो गई। प्रतिभा और मैं एक दूसरे से शादी कर के बहुत ही खुश थे।

जब हम दोनों की शादी की पहली रात थी तो उस दिन हम दोनों कुछ अलग करना चाहते थे मैंने उस दिन प्रतिभा से कहा आज मैं सुहागरात को कुछ स्पेशल बनाना चाहता हूं। प्रतिभा भी इस बात से खुश थी इससे पहले हम दोनों के बीच किस हुआ था और एक दो बार उसने मेरे लंड को सकिंग भी किया था लेकिन हम दोनों के बीच कभी शारीरिक संबंध नहीं बन पाए थे। उस दिन हम एक दूसरे के साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहते थे मैंने प्रतिभा को अपनी बाहों में ले लिया था। जब वह मेरी बाहों में थी तो हम लोगों ने बात की हम लोग अपनी पुरानी यादों को ताजा करने लगे प्रतिभा मुझे कहने लगी मैं बहुत ही खुश हूं क्योंकि तुमसे मेरी शादी हो पाई। मैंने उसे कहा मै भी बहुत खुश हूं कि तुमसे मै शादी कर पाया मुझे तो उम्मीद भी नहीं थी कि तुम से मेरी शादी होगी लेकिन तुम्हारे पापा हमारी शादी के लिए तैयार हो चुके थे इस से बढ़कर खुशी मेरे लिए और कुछ भी नहीं है।

मैंने प्रतिभा के स्तनों को दबाना शुरू कर दिया और धीरे धीरे मैंने उसकी चूत के अंदर भी अपनी उंगली को डालना शुरू किया तो वह मुझे कहने लगी क्या तुम मेरी चूत के अंदर अपने लंड को नहीं डालोगे मैं बहुत ज्यादा तड़पने लगा। उसने मेरे लंड को हिलाना शुरू कर दिया था मैंने उसे कहा तुम मेरे लंड को चूसती रहो और उस दिन उसने काफी देर तक मेरे लंड को सकिंग किया और मेरे वीर्य को बाहर निकाल दिया। उसने मेरे वीर्य को मेरे लंड से बाहर निकाल दिया था और उसने उसे अपने अंदर ही समा लिया। अब वह बिल्कुल भी नहीं रह पा रही थी उसने मुझे कहा मुझसे बिल्कुल भी नहीं रहा जा रहा है मैंने उसके कपड़े उतारे और उसके स्तनों को चूसने लगा उसके स्तनों को चूसकर मुझे अच्छा लग रहा था उसके स्तनों को जब मैंने अपने मुंह में लिया तो मुझे और भी ज्यादा आनंद आने लगा और वह भी बहुत ज्यादा खुश हो चुकी थी। मैंने अब उसकी चूत के अंदर लंड को घुसाया और धीरे धीरे लंड अंदर चला गया वह मचलने लगी और कहने लगी तुम जल्दी से अंदर लंड डालो। मैंने अपने लंड को उसकी योनि के अंदर प्रवेश करवाया तो वह बहुत जोर से चिल्लाई और कहने लगी मेरी सील टूट चुकी है उसकी योनि से खून बाहर के निकलने लगा था। उसकी चूत से बहुत ज्यादा खून निकल चुका था वह अपने आपको बिल्कुल भी नहीं रोक पाई और मुझे कहने लगी मैं अपने आपको बिल्कुल भी नहीं रोक पा रही हूं। मैंने उसे कहा रोक तो मैं भी नहीं पा रहा हूं यह कहने के बाद मैंने जैसे ही उसके साथ बड़ी तेजी से संभोग करना शुरू कर दिया था। प्रतिमा की चूत की गर्मी को मै ज्यादा देर तक झेल नही पाया था इसलिए मेरा वीर्य उसकी चूत मे गिर गया। मैंने उसकी चूत को साफ करने के बाद दोबारा से उसकी चूत पर लंड लगाया और अंदर की तरफ धकेलना शुरू किया। जब मैंने ऐसा किया तो वह बहुत ज्यादा खुश हो गई और मुझे कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है अब मैं लगातार तेज गति से उसकी चूत पर प्रहार कर रहा था।

जब मैं ऐसा कर रहा था तो मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैंने उसे कहा मुझे बहुत ही मजा आ रहा है उसने मेरा काफी देर तक साथ दिया। मैंने उसके पैरों को अपने कंधों पर रख लिया मुझे उसे चोदने मे मजा आ रहा था उसके बाद मैंने उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को किया फिर उसे घोड़ी बना दिया घोडी बनाने के बाद तो जैसे वह मेरी हो चुकी थी। मैंने उसे इतनी तेजी से चोदना शुरू किया की प्रतिमा मुझे कहने लगी लगता है आज आप सुहागरात मे बेड तोड डालोगे। मैंने उसे कहा कोई बात नहीं प्रतिभा तुम तो जानती ही हो मैं तुम्हारा इतने समय से इंतजार कर रहा था और आखिरकार आज हम एक हो ही गए। जब हम दोनों एक दूसरे के हो चुके हैं। मैंने जब प्रतिभा से कहा मुझे बहुत मजा आ रहा है लेकिन मैं ज्यादा समय तक तुम्हारा साथ नहीं दे पाऊंगा मैंने उसे कहा मेरा वीर्य गिरने वाला है तुम मेरे वीर्य को अपने मुंह में ले लो उसने अपने मुंह को खोल कर मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया।

जब वह मेरे लंड को चूसने लगी तो मुझे भी लगने लगा कि मेरा वीर्य जल्दी गिरने वाला है और मेरा वीर्य जैसे ही उसके मुंह में गिरा तो मुझे बहुत अच्छा लगा। हम दोनो एक साथ लेटे हुए थे उस दिन हम दोनों एक दूसरे की बाहों में सो गए और हमें पता ही नहीं चला कि कब हम दोनों को नींद आ गई लेकिन अगले दिन जब सुबह प्रतिभा मेरे लिए चाय लेकर आई तो मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी ओर खींचा और उसे मैंने बिस्तर पर पटक दिया। जब मैंने उसकी चूत को सहलाना शुरू किया तो वह अपने पैरों को खोल कर मेरे सामने लेट गई और मैंने सुबह के वक्त भी उसके साथ सेक्स संबंध बनाए। काफी देर तक मैंने उसके साथ सेक्स किया उसके बाद जब मेरी इच्छा पूरी हो गई तो मैंने प्रतिभा से कहा आज मजा आ गया। हम दोनों अपनी शादीशुदा जिंदगी से बहुत खुश हैं मुझे प्रतिमा बहुत ज्यादा प्यार करती है।

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हाथ पकड़ा तो बोली चलो कमरे मे चलते हैं


मेरी मोटरसाइकिल खराब थी इसलिए मुझे बस स्टॉप पर बस का इंतजार करना पड़ रहा था। मैं बस स्टॉप पर बस का इंतजार कर रहा था कि तभी मेरा दोस्त आकाश मुझे दिखा आकाश ने मुझे देखते ही अपनी मोटरसाइकिल रोक ली और कहने लगा रोहित तुम अभी कहां जा रहे हो। मैंने उसे बताया कि मैं अपने ऑफिस जा रहा हूं वह कहने लगा चलो मैं तुम्हें तुम्हारे ऑफिस छोड़ देता हूं। मैंने आकाश को कहा ठीक है तुम मुझे मेरे ऑफिस तक छोड़ दो और आकाश ने उस दिन मुझे मेरे ऑफिस तक छोड़ा। आकाश हमारे पड़ोस में ही रहता है उस से मेरी मुलाकात करीब दो वर्ष पहले हुई थी दो वर्ष पहले आकाश का परिवार हमारे पड़ोस में रहने के लिए आया और आकाश के साथ मेरी अच्छी दोस्ती हो चुकी थी। एक दिन मैं अपने घर पर ही था उस दिन शाम के वक्त मैं अपने कॉलोनी के पार्क में चला गया मैंने वहां देखा कि आकाश किसी लड़की के साथ सामने से आ रहा था मैंने उस लड़की को पहली बार देखा था। जब आकाश मेरे नजदीक आया तो उसने मुझे देखते हुए कहा की तुम यहां अकेले बैठे हुए हो तो मैंने उससे कहा बस ऐसे ही मैं यहां अकेला बैठा हुआ था।

उसने मुझे उस लड़की से मिलवाया और कहा कि यह हमारे रिश्तेदार हैं यह यहां जॉब करने के लिए आई हुई हैं और कुछ दिनों यह हमारे साथ ही रहेंगे। मैं जब पहली बार मनीषा से मिला तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा और मैं उसके बाद मनीषा से बात करने लगा था। एक दिन मैं अपने घर से निकला ही था कि मैंने देखा मनीषा पैदल ही हमारी कॉलोनी के गेट से बाहर की तरफ जा रही थी तो मैंने उसे देखते हुए अपनी बाइक रोकी और मनीषा को कहा कि मैं तुम्हें छोड़ देता हूं। मनीषा कहने लगी कि नहीं मैं चली जाऊंगी मनीषा मुझे कहने लगी कि मुझे आप बस स्टॉप तक छोड़ दीजिए। मैंने उसे कहा ठीक है मैं तुम्हें बस स्टॉप पर छोड़ देता हूं और मैंने उसको बस स्टॉप तक छोड़ दिया। उस दिन भी हम लोगों की ज्यादा बात नहीं हो पाई क्योंकि बस स्टॉप हमारे घर से बस कुछ ही दूरी पर है अब मैं अक्सर मनीषा को आते-जाते देखा करता। मनीषा को करीब आकाश के घर पर एक महीना हो चुका था कुछ दिनों से मनीषा आकाश के घर पर दिखाई नहीं दे रही थी और ना ही मुझे वह सुबह के वक्त दिखाई दी मेरी मुलाकात आकाश के साथ भी काफी दिनों से हो नहीं पाई थी।

जब मैं उस दिन आकाश को मिला तो मैंने आकाश से पूछा तुम कैसे हो तो वह मुझे कहने लगा कि मैं तो ठीक हूं तुम बताओ रोहित तुम कैसे हो और तुम्हारी जॉब कैसी चल रही है। मैंने उससे कहा मेरी जॉब भी अच्छी चल रही है और मैं भी ठीक हूं हम दोनों बात कर रहे थे तो मैंने उससे पूछा कि आजकल मनीषा नजर नहीं आ रही। वह मुझे कहने लगा कि मनीषा अब अपने ऑफिस कि किसी लड़की के साथ रहती है मैंने उससे कहा लेकिन कुछ समय पहले तो मैंने उसे तुम्हारे घर पर ही देखा था वह कहने लगा कि हां लेकिन अब वह वहां रहने के लिए जा चुकी है। हम दोनों बात कर रहे थे हम लोगों ने काफी देर तक बात की उसके बाद आकाश कहने लगा अब मैं चलता हूं मैंने आकाश को कहा ठीक है और फिर आकाश चला गया। मैं अपने घर वापस लौट आया था मैं जब घर लौटा तो उस दिन मां मुझे कहने लगी कि रोहित बेटा चलो हम लोग घर का कुछ सामान ले आते हैं मैंने मां से कहा ठीक है मां। मैं और मां उस दिन सामान लेने के लिए हमारे घर के पास ही डिपार्टमेंट स्टोर में चले गए वहां से हम लोगों ने सामान लिया और फिर हम लोग घर वापस लौटे। जब हम लोग घर वापस लौटे तो पापा भी उस वक्त घर पर आ चुके थे। मनीषा को गए हुए काफी समय हो गया था मुझे इस बात का पता नहीं था कि वह कहां रहती है और ना ही मेरी उससे मुलाकात हो पाई थी। हम लोगों की किस्मत में शायद मिलना लिखा था तो एक दिन मैं अपने ऑफिस के कुछ दोस्तों के साथ मॉल में गया हुआ था और जब मैं मॉल में गया था तो उस वक्त मेरी मुलाकात मनीषा के साथ हुई। काफी समय बाद मैं मनीषा से मिल रहा था तो मनीषा मुझे कहने लगी कि रोहित आप कैसे हो।


मैंने उससे कहा मैं तो ठीक हूं लेकिन मैंने सुना है कि तुम अपनी सहेली के साथ रहती हो मनीषा कहने लगी कि हां मैं अब अपनी सहेली के साथ रहती हूं। मैं और मनीषा एक दूसरे के साथ बात कर रहे थे तो मनीषा के साथ उसकी एक सहेली थी वह कहने लगी चलो मनीषा देर हो रही है मैंने मनीषा को कहा मनीषा हम लोग फिर कभी मिलते है। मैं भी आगे बढ़ा और मनीषा भी वहां से जाने लगी लेकिन तभी मनीषा ने मुझे आवाज दी और कहा कि रोहित क्या तुम मुझे अपना नंबर दे सकते हो। मैंने मनीषा से कहा ठीक है मैं तुम्हें अपना नंबर दे देता हूं मैंने मनीषा को अपना नंबर दिया और उसने मेरा नंबर अपने फोन में सेव कर लिया मैंने उसका नंबर नहीं लिया था मुझे लगा कि वह मुझे कॉल जरूर करेगी। उस दिन मैं अपने दोस्तों के साथ मॉल में शॉपिंग करने के बाद जब अपने घर वापस लौट आया तो मुझे लग रहा था कि मनीषा मुझे फोन करेगी मैं मनीषा के फोन का इंतजार कर रहा था लेकिन मनीषा का फोन मुझे एक हफ्ते तक नहीं आया।

एक हफ्ते बाद जब उसका मुझे फोन आया तो मनीष और मैंने काफी देर तक बात की मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं सिर्फ उससे ही बात करता रहूं मेरा फोन रखने का बिल्कुल भी मन नहीं था। मैंने उस दिन तो फोन रख दिया था लेकिन उसके बाद भी मैं मनीषा से बात किया करता। मैं और मनीषा एक दूसरे से बातें किया करते तो हमें अच्छा लगता मनीषा और मेरे बीच दोस्ती हो चुकी थी। मनीषा को जब भी किसी चीज की जरूरत होती तो वह मुझे जरूर कह दिया करती एक दिन मनीषा मुझसे कहने लगी रोहित मुझे तुमसे मिलना है मैंने उसे कहा ठीक है हम लोग आज मिलते हैं वैसे भी आज मेरे ऑफिस की छुट्टी है तो मनीषा ने मुझे अपने घर के पास ही एक रेस्टोरेंट है वहां पर बुला लिया। मैं भी उसे मिलने के लिए चला गया जब वहां पर मैं उसे मिलने गया तो मनीषा को देख उस दिन में बहुत ज्यादा खुश था क्योंकि वह बहुत ही ज्यादा सुंदर लग रही थी। जब मनीषा मेरे पास आकर बैठे तो मैंने मनीषा को कहा आज तुम बहुत ही ज्यादा सुंदर लग रही हो मनीषा इस बात से खुश हो गई और कहने लगी रोहित लगता है आज तुम मेरी कुछ ज्यादा ही तारीफ कर रहे हो। मैंने उसे कहा नहीं मनीषा वाकई में तुम बहुत सुंदर लग रही हो। हम दोनों की कुछ देर तक बात हुई मैं मौका ढूंढ रहा था कि किसी तरह मै मनीषा का हाथ पकड़ लूं तभी मैंने मनीषा का हाथ पकड़ लिया। जब मैंने उसका हाथ पकड़ा तो हम लोग रेस्टोरेंट में काफी देर तक बैठे हुए थे लेकिन मनीषा भी समझ चुकी थी कि मुझे क्या चाहिए। मैने जैसे ही बिल दिया तो उसके बाद मनीषा और मैं मनीषा के फ्लैट में चले गए। हम लोगों के लिए बहुत ही अच्छा मौका था हम दोनों एक दूसरे के साथ समय बिता पाए मैंने मनीषा को देखते ही उसकी जांघों को सहलाना शुरु कर दिया जब मैं ऐसा कर रहा था तो उसके बदन की गर्मी बढ़ती जा रही थी और मेरे अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी। मैंने उसको कहा मैं पूरी तरीके गरम हो चुका हू जब मनीषा ने मेरे होठों को चूमना शुरू किया तो मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा और मेरे अंदर की गर्मी अब इस कदर बढ़ चुकी थी कि मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था।

मैंने उससे कहा मेरे अंदर कि गर्मी आज बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा हूं अब हम दोनों को ही लगने लगा था कि हम दोनों एक दूसरे के लिए बहुत ज्यादा तड़पने लगे थे। मैंने जब अपन लंड को बाहर निकाला तो उसे मनीषा ने तुरंत अपने मुंह में ले लिया और जिस प्रकार से वह चूस रही थी मुझे बहुत ही अच्छा लगा। जब मेरे मोटे लंड को वह अपने मुंह में ले रही थी तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा थावह लगातार ऐसे ही कर रही थी उसने मेरे लंड से पानी भी बाहर निकाल दिया था लेकिन मुझे एहसास हो चुका था कि उसकी गर्मी भी बहुत ही ज्यादा बढ़ चुकी है इसलिए वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही है। मैंने भी उसके कपड़े उतारकर उसे अपने सामने नंगा कर दिया जब वह मेरे सामने नग्न अवस्था में थी तो मैंने उसे बिस्तर में लेटाया और उसके स्तनों को मैं अपने मुंह में लेकर उनका रसपान करने लगा मुझे बहुत अच्छा लग रहा था जब मैं उसके स्तनों का रसपान कर रहा था।

मेरे अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बढ़ने लगी और मुझे बहुत अच्छा लगने लगा था मैंने मनीषा की चूत पर अपनी जीभ को लगाया तो उसके गुलाबी चूत से पानी बाहर की तरफ को निकलने लगा और कुछ देर तक मैंने उसकी चूत को चाटा फिर मैंने जैसे ही अपने लंड को उसकी चूत के अंदर धकेलते हुए डाला तो वह बड़ी जोर से चिल्लाई और मुझे कहने लगी मुझे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है। अब मेरे अंदर की आग पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था मैंने उससे कहा मेरे अंदर कि आग बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है मैंने उसे तेज गति से धक्के दिए उसकी सील पैक चूत थी इसलिए उसकी चूत से खून बाहर निकल आया था। मनीषा की मोटी जांघो को मैंने अपने हाथों में उठा लिया था वह भी मुझे अपने पैरों के बीच में जकड़ने की कोशिश करने लगी थी लेकिन मैं उसको जैसे चोद रहा था उस से वह पूरी तरीके से खुश हो चुकी थी मैंने उसकी चूत से पूरी तरह पानी को बाहर निकाल कर दिया था वह संतुष्ट हो गई थी और मैं भी संतुष्ट हो चुका था।
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टांगो को चौड़ा कर लो


सुरेश अंकल उस दिन हमारे घर पर आए हुए थे मैं भी कुछ दिनों के लिए चंडीगढ़ गया हुआ था मैं दिल्ली में जॉब करता हूं लेकिन उस दौरान मैं कुछ दिनों के लिए घर गया हुआ था। सुरेश अंकल ने मुझे कहा कि सुनील बेटा क्या तुम मुझे सरिता के घर तक छोड़ दोगे मैंने अंकल को कहा हां अंकल मैं आपको सरिता के घर तक छोड़ देता हूं। सरिता उनकी बेटी का नाम है और उसकी शादी अभी कुछ समय पहले ही हुई है सुनील अंकल के हाथ का ऑपरेशन भी कुछ समय पहले ही हुआ था जिससे कि डॉक्टर ने उन्हें मना किया था कि वह गाड़ी नहीं चला सकते इसलिए उन्होंने मुझसे कहा। मैंने उस दिन उनको सरिता के घर तक छोड़ दिया तो वह कहने लगे कि बेटा तुम भी कुछ देर हमारे साथ बैठ जाओ मैंने उन्हें कहा नहीं अंकल फिर कभी आऊंगा और मैं वापस अब घर लौट आया था। सुनील अंकल और पापा की बहुत अच्छी दोस्ती है वह लोग बचपन से एक दूसरे को जानते हैं।

मैं जब घर पहुंचा तो पापा भी उस वक्त घर पर आ चुके थे पापा अपने किसी जरूरी काम से गए हुए थे तो पापा ने मुझे कहा कि सुनील बेटा तुम कहां चले गए थे। मैंने उन्हें कहा कि मैं सुरेश अंकल को सरिता के घर तक छोड़ने के लिए चला गया था पापा मुझे कहने लगे कि सुनील बेटा अगर तुम दो-तीन दिन और घर पर रुक जाते तो अच्छा रहता मैंने पापा से कहा कि पापा ऑफिस की छुट्टी नहीं है इसलिए मुझे जाना पड़ेगा। मैं कुछ दिनों बाद वापस दिल्ली लौट आया था मेरा कॉलेज के कैंपस प्लेसमेंट में सिलेक्शन हुआ था और उसके बाद से ही मैं दिल्ली रह रहा हूं दिल्ली में रहते हुए मुझे दो साल हो चुके हैं। अब मैं अपने ऑफिस जाने लगा था हर रोज की तरह सुबह ऑफिस जाता और शाम को घर लौट आता मैं जिस बस स्टॉप पर हर रोज सुबह जाता वहां पर मुझे एक अंकल हमेशा दिखते हैं वह काफी बुजुर्ग थे और वह हर रोज बस में ही जाया करते। एक दिन मैंने उन अंकल से पूछा कि अंकल क्या आप जॉब करते हैं तो वह कहने लगे नहीं बेटा मैं तो रिटायर हो चुका हूं मैंने उन्हें कहा कि मैं अक्सर आपको बस में आते हुए देखता हूं आप क्या किसी से मिलने जाते हैं।

वह मुझे कहने लगे कि बेटा मेरा इस दुनिया में कोई भी नहीं है मैं अपनी छोटी बहन के पास चला जाया करता हूं। मुझे जब उन अंकल ने अपनी कहानी बताई तो मुझे उनकी कहानी सुनकर बहुत बुरा लगा वह मुझे कहने लगे कि उनके बच्चे और उनकी पत्नी उन्हें छोड़ कर चली गई। अंकल ने मुझे कहा कि यह सब उनकी गलती की वजह से हुआ है तो मैंने उन्हें कहा कि अंकल अब शायद आपका पछतावा करने से भी कोई फायदा नहीं है। वह कहने लगे कि हां बेटा मेरा पछतावा करने का भी कोई फायदा नहीं है और इस दुनिया में मेरा मेरी बहन के सिवा कोई भी नहीं है इसलिए मैं उसके पास ही हर रोज चला जाया करता हूं। मुझे वह अंकल हमेशा ही दिखाई देते थे तो मैं उनसे बात कर लिया करता था मै जिस कॉलोनी में रहता था उसी कॉलोनी में मेरी दोस्ती रोहन के साथ हो गयी थी रोहन से मेरी काफी अच्छी दोस्ती हो गई थी। एक दिन रोहन मुझे कहने लगा कि चलो सुनील आज कहीं पार्टी करने चलते हैं रोहन को पार्टी करने का बड़ा शौक था और वह अपने दोस्तों के साथ अक्सर पार्टी किया करता था। रोहन के पापा एक बिजनेसमैन है और रोहन के पास किसी भी चीज की कोई कमी नहीं है इसलिए रोहन हमेशा ही अपनी जिंदगी को अच्छे से जीने के बारे में सोचता है। उस दिन मैं रोहन के साथ चला गया लेकिन जब हम लोग घर लौट रहे थे तो रोहन शराब के नशे में था मैंने उसे कहा कि मैं कार ड्राइव करता हूं लेकिन रोहन ने मुझे कहा कि नहीं कार मैं चला लूंगा जिस वजह से हम लोगों का एक्सीडेंट हो गया और रोहन को काफी ज्यादा चोट आई थी। हम लोगों वहीं नजदीक के अस्पताल में गए और वहां पर हम लोगों ने अपनी मरहम पट्टी करवाई और फिर देर रात को घर लौट आए। रोहन की कार पूरी तरीके से डैमेज हो चुकी थी जिस वजह से उसकी कार को अगले दिन सर्विस सेंटर में लेकर जाना पड़ा। रोहन मुझे कहने लगा कि यह मेरी गलती की वजह से ही हुआ अगर मैं कार नही चलाता तो शायद यह सब नहीं होता।


मैंने उसे कहा कि इस बारे में सोच कर कोई फायदा नहीं है कुछ समय बाद तुम्हारी गाड़ी ठीक हो जाएगी लेकिन आगे से तुम यह बात ध्यान रखना कि कभी भी तुम ज्यादा नशे में हो जाओ तो गाड़ी मत चलाना। वह मुझे कहने लगा हां सुनील मैं आगे से इस बात का ध्यान जरूर दूंगा। वह उस दिन के बाद से कभी भी शराब के नशे में हो जाता तो वह मुझे ही कहता कि तुम कार चलाओ। रोहन मुझे अपने दोस्तों से मिलाता था। एक दिन उसने मुझे सुनीता से मिलवाया जब मैं सुनीता से मिला तो उसका टाइट फिगर और उसका बदन देख कर मैं उस पर पूरी तरीके से फिदा हो चुका था। उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना मेरे लिए आसान नहीं था क्योंकि उसका एक बॉयफ्रेंड था लेकिन उन दोनों के बीच में झगड़ा होने लगे थे इसलिए मेरे लिए यह बहुत ही अच्छा मौका था। मै सुनीता के करीब जाने लगा हम दोनों एक दूसरे से बातें करने लगे हम दोनों की बातें बढ़ने लगी थी। एक दिन मैंने उसे अपने घर पर बुला लिया जब वह घर पर आई तो उसने उस दिन टाइट जींस और टॉप पहना हुआ था जिसमें कि उसके गोल और बड़े स्तन साफ दिखाई दे रहे थे।

हम दोनों साथ में बैठे हुए थे और आपस मे बात कर रहे थे उसने मुझे अपने बॉयफ्रेंड के बारे में बताया और कहने लगी उसके और उसके बॉयफ्रेंड के बीच में बिल्कुल भी अच्छा संबंध नहीं है जिस वजह से उसने उसके साथ ब्रेकअप कर लिया ।मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहां देखो सुनीता तुम उसके बारे में भूल जाओ और आगे बढ़ने की कोशिश करो। मैंने जब उसके स्तनों पर अपना हाथ लगाया तो मेरे अंदर कंरट दौडने लगा मैंने जैसे ही उसकी जांघ को सहलाना शुरू किया तो वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी। मैं उसकी जांघ को बड़े अच्छे से सहलाया जब मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरू किया तो वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही मजा आ रहा है। मैंने अब अपने लंड को बाहर निकाला और उसने जैसे ही मेरे लंड को देखा तो उसने मेरे लंड को लपकते हुए उसे मुंह के अंदर ले लिया और बड़े अच्छे से सकिंग करने लगी। मैंने उसे कहा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है वह काफी देर तक ऐसा ही करती रही अब मैंने उसकी टी शर्ट को उतारा तो उसके बड़े स्तनों को देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा होने लगा था और मेरे लंड से पानी भी बाहर की तरफ को निकलने लगा था। मैंने उसकी ब्रा को उतारकर फेंक दिया और उसके स्तनों के बीच दरार में मैं अपने लंड को रगड़ने लगा वह उत्तेजित होने लगी। मैंने जब उसकी जींस को उतार कर उसकी पैंटी को उतारा तो उसकी चूत से पानी बाहर निकल रहा था उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था जब मैंने उसकी चूत के अंदर उंगली डाली तो वह बहुत जोर से चिल्लाई और कहने लगी मैं अब नहीं रह पा रही हूं। मैं यह सुनकर बहुत ही ज्यादा खुश था मैं उसकी तड़प बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी। जब उसके शरीर से पूरी तरीके से गरमाहट बाहर निकलने लगी तो उसने मुझे कहा अब तुम मुझे चोदो मैं रह नहीं पा रही हूं। वह मेरे लंड को अपनी योनि में लेने के लिए बेताब थी मुझसे अपनी चूत मरवाने के लिए वह बहुत ही ज्यादा तड़प रही थी। मैंने जैसे ही अपने लंड को उसकी योनि के अंदर धीरे-धीरे घुसाना शुरू किया तो उसने अपनी चूतड़ों को ऊपर उठाया और उसकी चूत के अंदर तक मेरा लंड चला गया उसकी चूत के अंदर तक मेरा लंड जाते ही वह जोर से चिल्लाते हुए मुझे कहने लगी मुझे आज मजा आ गया।

मैंने उसे कहा मजा तो मुझे भी बहुत आ रहा है मैंने उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करना जारी रखा जिससे कि वह पूरी तरीके से उत्तेजित होने लगी थी और उसकी योनि से बहुत ज्यादा पानी बाहर की तरफ को निकलने लगा था। उसने मुझे कहा तुम मुझे डॉगीस्टाइल पोजीशन में चोदो मुझे वह बहुत ही पसंद है यह बात सुनकर मैं और भी ज्यादा खुश हो गया। मैंने अपने लंड पर तेल की मालिश करते हुए अपने लंड की चिकनाई को पूरी तरीके से बढ़ा दिया जब मैंने उसकी योनि पर अपने लंड को सटाया तो वह मुझे कहने लगी अब तुम अंदर की तरफ डाल दो। मैंने जैसे ही अंदर की तरफ लंड को धकेलना शुरू किया तो मेरा लंड अंदर की तरफ चला गया। जब मेरा लंड उसकी योनि को चीरता हुआ अंदर की तरफ गया तो वह बहुत जोर से चिल्लाई और कहने लगी मुझे मजा आ गया।

अब वह मुझसे अपनी चूतड़ों को टकराने लगी थी वह जब अपनी चूतडो को टकरा रही थी तो मुझे एक अलग ही आनंद की अनुभूति हो रही थी। वह मुझे कहती तुम मुझे ऐसे ही चोदते रहो मैंने उसे कहा मुझे तुम्हें चोदने में बहुत मजा आ रहा है। मैंने उसकी चूत का आनंद बहुत देर तक लिया मैं तब तक उसे चोदता रहा जब तक कि मेरा लंड पूरी तरीके से छिल नहीं गया। वह भी इतना ज्यादा चिल्लाने लगी थी मुझसे कहने लगी कि मैं अब नहीं रह पा रही हू तुम्हारा बहुत मोटा लंड है। मेरा 9 इंच लंबा और 5 इंच मोटा लंड उसकी चूत मे गर्मी को बढा रहा था। जैसे ही मैंने उसकी चूत के अंदर अपने वीर्य को गिराया तो वह खुश हो गई और कहने लगी आज मजा आ गया उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग करना शुरू किया तो मैंने उसे कहा मुझे बहुत मजा आ रहा है। वह कहने लगी हां मुझे भी बड़ा अच्छा लग रहा है कुछ देर तक उसने ऐसा ही किया फिर उसने मेरे वीर्य को मेरे लंड से बाहर निकाल कर अपने अंदर ही समा लिया और मेरी इच्छा को पूरा कर दिया।

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चूत मे लंड जाते ही मुझे भी दर्द महसूस हुआ


मेरी तबीयत कुछ दिनों से ठीक नहीं थी मैं घर पर ही था मेरे भैया मुझे डॉक्टर के पास ले गए डॉक्टर ने मुझे दवा दी और कहा कि तुम्हें कुछ दिन आराम करना पड़ेगा मैं कुछ दिन घर पर ही था। दो दिन बाद मैं ठीक होने लगा था उस दिन मेरे दोस्त का फोन मुझे आया और वह कहने लगा कि राजेश तुम कहां हो तो मैंने उसे फोन पर बताया कि मेरी तबीयत ठीक नहीं है और मैं घर पर ही हूं। वह कहने लगा क्या तुम आज कॉलेज आ रहे हो मैंने उसे कहा नहीं आज तो मैं कॉलेज नहीं आ पाऊंगा। हम दोनों एक दूसरे से फोन पर बात कर रहे थे तो उसने मुझे बताया कि हम लोगों के कॉलेज का टूर घूमने के लिए माउंट आबू जाने वाला है। मैंने उससे कहा कि दो दिन बाद मैं कॉलेज आ जाऊंगा वह कहने लगा ठीक है राजेश उसने फोन रख दिया और मैंने भी फोन रख दिया था।

मैं अपने कमरे में लेटा हुआ था मेरी मां कहने लगी कि राजेश बेटा तुम कुछ खा लो सुबह से तुमने कुछ खाया भी नहीं है। मैंने मां को कहा मां अभी रहने दो मेरा मन बिल्कुल भी नहीं है मां कहने लगी ठीक है बेटा यदि तुम्हारा खाने का कुछ मन हो तो तुम मुझे बता देना मैंने मां से कहा ठीक है मैं आपको बता दूंगा। मैंने मां से कहा मां मैं कुछ देर आराम कर लेता हूं उसके बाद मैं दवाई खा कर लेट गया और मुझे पता नहीं कब नींद आ गई कुछ मालूम ही नहीं पड़ा। मेरी तबीयत अब पहले से बेहतर थी और दो दिन बाद मैं कॉलेज गया जब मैं कॉलेज गया तो मेरे दोस्त संतोष से मेरी मुलाकात हुई उसने मुझे बताया कि हम लोग घूमने के लिए माउंट आबू जा रहे हैं। मैंने उसे बताया कि क्या हमारे कॉलेज की तरफ से हम लोग घूमने जा रहे हैं तो वह कहने लगा कि हां हम लोग कॉलेज की तरफ से ही घूमने के लिए जा रहे हैं। हम दोनों एक दूसरे से बात कर रहे थे कि तभी हमारे क्लास में हमारे प्रोसेसर आ गये और उन्होंने हमें पढ़ाना शुरू किया। हम लोगों की क्लास खत्म हो जाने के बाद मैंने संतोष को कहा कि चलो केंटीन से हम लोग कुछ खा लेते हैं वह कहने लगा ठीक है राजेश।

हम दोनों कैंटीन चले गए और जब हम लोग कैंटीन गए तो उसके बाद मैं और संतोष वहां पर बैठे हुए थे मैंने कैंटीन में समोसे का ऑर्डर दे दिया और समोसे के साथ मैंने चाय भी मंगवा ली। हम दोनों बैठ कर बात कर रहे थे संतोष मुझसे कहने लगा कि मैं तो बहुत ज्यादा खुश हूं कि हम लोग घूमने के लिए माउंट आबू जाने वाले हैं मैंने संतोष को कहा खुश तो मैं भी बहुत हूं। हम लोग करीब एक हफ्ते बाद अब माउंट आबू जाने वाले थे और हमारे क्लास में इसी को लेकर चर्चा चल रही थी। हम लोग जब क्लास में गए तो सब लोग इसी बारे में बात कर रहे थे उस दिन शाम को मैं और संतोष साथ ही घर लौटे। मैंने उसको उसके घर तक छोड़ दिया था क्योंकि संतोष अपनी मोटरसाइकिल लेकर नहीं आया था इसलिए मैंने ही उसे उसके घर तक छोड़ा। मैं जब घर पहुंचा तो मां कहने लगी कि राजेश बेटा तुम आ गए तो मैंने मां से कहा हां मां। मां ने मुझे बताया कि आज हम लोग कहीं बाहर जाने वाले हैं मैंने मां से कहा लेकिन मां हम लोग कहां जाने वाले हैं तो मां ने मुझे बताया कि पापा के कोई दोस्त हैं आज हम लोग उनके किसी फंक्शन में जाने वाले हैं। मैंने मां से कहा ठीक है मां मैं तैयार हो जाता हूं लेकिन हम लोग कितने बजे तक जाएंगे। मां कहने लगी बेटा यही कोई 7:00 बजे के आसपास हम लोग घर से निकलेंगे क्योंकि अभी तो तुम्हारे पापा भी ऑफिस से नहीं आए हैं और तुम्हारे भैया भी अभी ऑफिस से नहीं आए हैं जब वह लोग आ जाएंगे उसके बाद ही हम लोग जाएंगे मैंने मां से कहा ठीक है। मैं अपने रूम में ही बैठा हुआ था और अपने रूम में बैठकर मैं अपने मोबाइल को टटोलने लगा मैं मोबाइल में अपने कुछ पुराने दोस्तों के नंबर देख रहा था जो कि मेरे साथ को स्कूल में पढ़ा करते थे। मैंने उनमें से महेश का नंबर निकाला महेश से मेरी काफी समय से बात नहीं हुई थी तो मैंने सोचा कि महेश से मैं फोन पर बात कर लेता हूं। मैंने महेश को तुरंत फोन किया और जब मैं उससे बात करने लगा तो वह मुझे कहने लगा कि राजेश आज तुमने मुझे बहुत समय बाद फोन किया है।


हम दोनों एक दूसरे से बात कर रहे थे तो मैंने उससे पूछा तुम आजकल क्या कर रहे हो तो उसने मुझे बताया कि मैं अपने पापा का बिजनेस संभाल रहा हूं। महेश के पापा का खुद का बिजनेस है और उसे ही महेश संभाल रहा था मैं और महेश स्कूल में बहुत अच्छे दोस्त थे। हम दोनों ने काफी देर तक एक दूसरे से बात की महेश ने मुझे कहा कि कभी तुम मुझसे मिलने के लिए घर पर आओ तो मैंने उसे कहा हां जरूर मैं तुमसे मिलने के लिए घर पर जरूर आऊंगा। मेरी बात महेश के साथ करीब आधे घंटे तक हुई और हम दोनों ने एक दूसरे से काफी बात कि हमने अपनी कुछ पुरानी यादों को भी ताजा किया कि स्कूल में कैसे हम लोग शरारत किया करते थे। थोड़ी देर बात करने के बाद मैंने फोन रख दिया था और जब पापा और भैया आ गए तो उसके बाद मैं तैयार होने लगा हम लोग घर से करीब 7:30 बजे निकले थे। पापा के दोस्त ने जिस जगह फंक्शन का अरेंजमेंट करवाया था वहां हम लोग पहुंच गए थे। जब हम लोग रास्ते में थे तो पापा ने बताया कि उनके बेटे की जॉब लगी है इसलिए वह अपने कुछ चुनिंदा लोगों को बुलाकर एक छोटी सी पार्टी करवाना चाहते हैं।

जब हम लोग उस जगह गए तो वहां पर उन्होंने काफी अच्छे सा अरेंजमेंट करवाया हुआ था। हम लोग जब उस पार्टी में पहुंचे तो पापा ने हम लोगों का परिचय अपने दोस्त से करवाया। मैं एक कोने में आकर बैठ गया मैं वहीं बैठा हुआ था तभी मैंने सामने से आती हुई एक लड़की को देखा उसके बाल खुले हुए थे और उसने काली रंग की जींस पहनी हुई थी उसकी टाइट फिटिंग जींस देखकर मैं उसकी गांड को देखने लगा। वह भी मुझे बार-बार देख रही थी मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि वह मेरे पास आकर बैठेगी। जब वह मेरे पास आकर बैठी तो वह मुझसे बात करने लगी मैंने उससे बात की तो वह कहने लगी तुम्हारा क्या नाम है? मैंने उस से कहा मेरा नाम राजेश है अब मुझे उसने अपना नाम बताया उसका नाम कविता है कविता और मैं एक दूसरे से बात कर रहे थे उसी दिन मैंने कविता का नंबर ले लिया और पार्टी खत्म हो जाने के बाद हम लोग घर लौट गए थे लेकिन कविता और मैं दूसरे से बात करते ही रहते थे। हम दोनों की बातें अब हर रोज होने लगी थी मैं जब कविता से बाते किया करता तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता एक दिन मैं कविता से फोन पर बात कर रहा था तो मैंने उससे उस दिन बड़ी ही गरम बात कि जिससे कि वह बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गई थी कविता अपने घर में इकलौती है इसलिए वह बड़ी बोल्ड और बिंदास है। मैंने उसे कहा मै तुम्हें मिलने के लिए तुम्हारे घर पर आता हूं वह कहने लगी कुछ दिनों में पापा और मम्मी अपने किसी काम से बाहर जा रहे हैं कविता के मम्मी पापा दोनों ही नौकरी पेशा है और वह दोनों कुछ दिनों के लिए कहीं बाहर जा रहे थे तो उस बीच कविता ने मुझे अपने घर पर बुलाया। जब मैं कविता से मिलने उसके घर पर गया तो उसके दिन उसके अंदर सेक्स को लेकर आग लगी हुई थी और मेरे अंदर भी आग जली हुई थी। मैंने कविता को देखते ही उसको सहलाना शुरु किया और उसके बदन की गर्मी को मैं बढ़ाता चला गया उसके गर्मी बढने लगी थी और मैं बहुत ही ज्यादा उत्तेजित होने लगा था। मैं पूरी तरीके से जोश में आ चुका था मैंने उसे कहा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है अब हम दोनों एक दूसरे से अपने होठों को टकराने लगे थे मेरा हाथ उसके स्तनों की तरफ जाने लगा मैं जब उसके स्तनों को दबाता तो उसे मजा आता और वह भी मुझे कहती मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।

अब हम दोनों के अंदर की गर्मी लगातार बढ़ती जा रही थी और मैंने उसे कहा मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है वह कहने लगी अच्छा तुम मुझे भी बहुत लग रहा है मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरू कर दिया था जिससे कि उसके अंदर की आग पूरी तरीके से बढ़ती जा रही थी मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो वह उसे हिलाने लगी। जब वह ऐसा करती तो मेरे अंदर एक अलग ही आग पैदा होती मैं उसे कहता मुझे बहुत अच्छा लग रहा है मैंने अब उसके कपड़ों को उतार दिया था जब मैंने उसके कपड़ों को उतारा तो उसका नंगा बदन देख मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पाया और मुझे ऐसा लगने लगा कि मुझे कविता की चूत के अंदर अपने लंड को घुसेड देना चाहिए। मैंने अपने लंड को उसकी चूत के अंदर घुस दिया जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत में घुसा तो वह बहुत जोर से चिल्लाते हुए कहने लगी मुझे दर्द हो रहा है मैंने उसे कहा दर्द तो मुझे भी हो रहा है मुझे ऐसा लग रहा था जब मेरा लंड उसकी चूत में घुसा तो मेरे लंड मे भी एक अलग ही प्रकार का दर्द हुआ।

मैंने उसे बड़ी ही तेजी से चोदना शुरु कर दिया था मैं उसे बहुत तेज गति से धक्के मार रहा था वह मेरा पूरा साथ दे रही थी। उसे मेरे साथ सेक्स करने में मजा आ रहा था और मुझे उसको चोदने में बड़ा आनंद आ रहा था मैं उसे लगातार तीव्र गति से चोद रहा था वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है मैं उसकी चूत बड़े अच्छे से मार रहा था और मेरे अंदर की गर्मी कहीं ना कहीं पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी। हम दोनों ही अब एक दूसरे की बाहों में लेटे हुए थे लेकिन मेरी गति में और भी तेजी आने लगी मेरा लंड बहुत मोटा होने लगा था मुझे एहसास होने लगा मेरा लंड पूरी तरीके से छिल चुका है लेकिन जब मैंने अपने वीर्य की पिचकारी से उसकी चूत को नहला दिया तो वह खुश हो गई और उस दिन मैं उसके साथ ही उसके घर पर रहा रात भर मैंने उसकी चूत का आनंद लिया।

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लंड को चूत के बीच मे दबा दिया


हर रोज की तरह मैं सुबह अपनी दुकान पर चला जाया करता और शाम के वक्त घर लौटा करता  पापा की तबीयत ठीक नहीं रहती थी इसलिए मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी थी और पापा की दुकान मैं ही सम्भालने लगा था। पापा चाहते थे कि मैं उनकी दुकान संभालू लेकिन उस वक्त मैं जॉब करना चाहता था इसलिए मैंने जॉब करना ही ठीक समझा लेकिन अब उनकी तबीयत ठीक नहीं रहती जिस वजह से मुझे ही दुकान संभाली पढ़ रही थी। पापा की गारमेंट शॉप है जो कि उन्होंने काफी पहले खोली थी और उनके पास काफी कस्टमर भी आते हैं उनकी दुकान अच्छी चलती है इसलिए मैंने सोचा की मुझे ही दुकान पर काम करना चाहिए और मैं उनकी गारमेंट शॉप को चलाने लगा। सब कुछ अच्छा चल रहा था लेकिन पापा की तबीयत अभी ठीक नहीं हुई थी वह घर पर ही आराम कर रहे थे उन्हें डॉक्टर के पास हर हफ्ते लेकर जाना पड़ता था। एक दिन पापा ने मुझे कहा कि मैं और तुम्हारी मां कुछ दिनों के लिए तुम्हारी बहन के पास हो आते हैं मैंने पापा से कहा ठीक है।

उस दिन मैंने उन्हें उसके घर तक छोड़ दिया मेरी बहन की शादी हमारे शहर इंदौर में ही हुई है और वह हमारे घर से कुछ दूरी पर ही रहती हैं। मैंने पापा और मम्मी को अपनी दीदी के घर छोड़ दिया था और उसके बाद मैं वापस दुकान में चला गया मैंने अभी तक शादी नहीं की थी क्योंकि मुझे अभी तक कोई ऐसी लड़की मिल ही नहीं पाई थी जिससे कि मैं शादी कर पाता। हालांकि मेरी एक गर्लफ्रेंड जरूर थी जिससे कि मैं अपने कॉलेज टाइम में प्यार किया करता था लेकिन उसकी शादी किसी और से ही हो गई और मैंने उसके बाद कभी दूसरी लड़की की तरह देखा ही नहीं। शायद मैंने अब इस तरह देखना ही छोड़ दिया था और मुझे इन सब चीजों से कोई लेना-देना भी नहीं था इसलिए तो मैं अब किसी भी लड़की की तरफ देखता ही नहीं था।

एक दिन जब मेरी दुकान में एक लड़की आई और उसने मुझे कहा कि मुझे कुछ सामान लेना था तो मैंने अपने दुकान में काम करने वाले लड़के राजू से कहा कि तुम मैडम को कपड़े दिखा दो। उस लड़की को सूट लेना था तो राजू उसे सूट दिखाने लगा और आखिरकार उस लड़की को एक सूट पसंद आ गया और उसने वह सूट ले लिया। वह मुझसे काफी मोलभाव कर रही थी इसलिए मैंने भी उसे वह सूट काफी कम दामों में दे दिया उसके बाद वह अक्सर मेरे पास आने लगी। अब धीरे-धीरे हम दोनों की पहचान होने लगी थी मुझे उसका नाम पता चल चुका था उसका नाम महिमा है और महिमा जब भी दुकान में आती तो वह मेरी दुकान से कुछ ना कुछ लेकर जाती ही थी। वह अपनी सहेलियों को भी मेरी दुकान में लेकर आती तो वह लोग भी मेरी दुकान से कुछ ना कुछ खरीदारी कर लिया करते थे। एक दिन महिमा ने मुझे कहा कि कुछ दिनों में मेरी दीदी की शादी होने वाली है उसने मुझे अपनी दीदी की शादी के लिए इनवाइट किया। जब उसने मुझे अपनी दीदी की शादी का कार्ड दिया तो मैंने उससे कहा ठीक है मैं जरूर आऊंगा और जब महिमा की दीदी की शादी थी तो मैं उस दिन महिमा की दीदी की शादी में भी गया था वहां पर जब मैंने महिमा को देखा तो उस दिन महिमा बहुत ज्यादा सुंदर लग रही थी। मैं किसी को तो पहचानता नहीं था मैं महिमा को मिला और महिमा ने मुझे अपनी दीदी से मिलवाया और महिमा ने मुझे अपने परिवार से भी मिलवाया। मैं महिमा के परिवार से मिलकर काफी खुश था और मुझे उनसे मिलकर बहुत अच्छा लगा वह लोग बड़े ही अच्छे लोग हैं और बहुत ही सीधे साधे लोग है। महिमा के पापा एक बड़े अधिकारी हैं और उस दिन मैं शादी में ज्यादा देर तक नहीं रुका और मैं घर लौट आया। मैं जब घर लौट आया तो मां मेरा इंतजार कर रही थी मैंने मां से कहा मां अभी तक तुम सोए नहीं हो तो मां कहने लगी कि बेटा मुझे नींद ही नहीं आ रही थी। मां ने मुझे कहा तुमने खाना तो खा लिया है मैंने मां से कहा हां मां मैंने खाना तो खा लिया है मैंने आपको बताया था आज मैं शादी में जा रहा हूं तो मैंने वहीं खाना खा लिया था। मां कहने लगी कि ठीक है बेटा तुम सो जाओ लेकिन मां उस दिन काफी ज्यादा परेशानथी इसलिए मैं थोड़ी देर मां के साथ ही बैठ गया।


मैंने मां को कहा कि मां मुझे पता है आप काफी ज्यादा परेशान है लेकिन आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है पापा की तबीयत अब ठीक हो जाएगी आप चिंता मत कीजिए। पापा की तबीयत ठीक नहीं थी उनका डॉक्टर से इलाज चल रहा था मैंने मां को कहा आप आराम कर लीजिए तो मां कहने लगी की ठीक है बेटा मैं भी आराम कर लेती हूं। मां आराम करने लगी कुछ दिनों बाद मेरी दुकान पर महिमा आई महिमा काफी दिनों बाद दुकान पर आ रही थी तो मैंने महिमा से पूछा कि आज तुम काफी दिनों बाद दुकान पर आ रही हो। वह मुझे कहने लगी कि हां मैं कुछ दिनों के लिए अपने किसी रिश्तेदार के घर गई हुई थी। हम दोनों एक दूसरे से बात करने लगे मैंने महिमा से कहा कि क्या मैं तुम्हारे लिए कुछ मंगवा दूं तो वह कहने लगी नहीं। थोड़ी देर वह मेरे साथ बैठी और फिर वह चली गई। महिमा और मैं एक दूसरे से अक्सर मिला करते एक दिन बारिश काफी तेज हो रही थी उस दिन महिमा मेरी दुकान में आई थी महिमा ने मुझे कहा कि क्या सोहन तुम मुझे घर तक छोड़ दोगे? मैंने उसे कहा ठीक है मैंने अब महिमा को उसके घर तक छोड़ा मैं उसे उसके घर तक छोड़ने के लिए गया उस दिन बारिश काफी तेज हो रही थी इसलिए मुझे उसे उसके घर तक छोड़ना पडा। महिमा ने कहा कुछ देर तुम घर पर बैठ जाओ मैं महिमा के साथ चला गया महिमा रसोई में थी और मेरे लिए वह चाय बनाने लगी।

वह मेरे लिए चाय बनाकर ले आई थी जब वह मेरे लिए चाय बना कर लाई तो उसके बाद हम दोनों एक दूसरे से बातें करने लगे मुझे महिमा से बात करना अच्छा लगता और मैं उससे बात कर रहा था महिमा ने मुझे कहा सोहन तुम बहुत ही अच्छे हो। हम दोनों साथ में बैठे हुए थे महिमा ने मुझे अपने बॉयफ्रेंड के बारे में बताया और बताया कि किस प्रकार से उसने उसे धोखा दिया था मैंने भी महिमा को कहा मेरे साथ भी ऐसा ही कुछ हो चुका है। महिमा को ऐसा लगा कि जैसे हम दोनों की जिंदगी एक जैसी ही है मुझे महिमा से बात कर के अच्छा लग रहा था महिमा भी मुझसे बात कर के बहुत ज्यादा खुश हो रही थी जब मैं महिमा की आंखों में देख रहा था तो उसकी आंखों में जैसे कुछ चल रहा था मैने उसके होठों को चूम लिया मैंने महिमा के होठों को चूम लिया था और मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। जब मैंने उसके होठों को चूम कर अपना बना लिया तो वह कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है हम दोनों ने एक दूसरे को किस किया तो उसके बाद कुछ देर तक हम दोनों एक दूसरे के साथ ऐसे ही बैठे रहे फिर मैंने महिमा को सोफे पर ही लेटा दिया। जब मैंने उसको सोफे पर लेटाया तो मैने उसके बदन की गर्मी को बढ़ाना शुरू किया वह भी अब मेरे लंड को दबाने लगी मैंने उसकी चूत की तरफ अपनी उंगली को किया और उसकी चूत को मैं अपनी उंगली से सहलाने लगा मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मैंने उसके कपड़े उतार दिए मैंने महिमा के कपड़े उतारे तो वह बड़ी उत्तेजित होकर मुझे कहने लगी मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है मैंने उसके स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया तो मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा था। मुझे उसके स्तनों को चूस कर बहुत अच्छा लग रहा था मैं उसके स्तनों को जिस प्रकार से चूस रहा था उस से उसकी गर्मी लगातार बढ़ती जा रही थी और मेरे अंदर की गर्मी में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही थी।

मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चला था मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी योनि के अंदर लंड डालना चाहता हूं वह अपने पैरों को खोल कर मेरे सामने लेटी हुई थी मैंने उसकी गुलाबी चूत को देखा तो मुझसे रहा नहीं गया और उसकी चूत को मैं अब चाटने लगा मुझे उसकी चूत को चाटकर बड़ा मजा आ रहा था। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है मैंने उसे कहा अच्छा तो मुझे भी बहुत लग रहा है अब हम दोनों ही कहीं ना कहीं एक दूसरे को लेकर बहुत ज्यादा गरम हो चुके थे मैंने उसे कहा मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है तो वह कहने लगी तुम मेरी चूत के अंदर अपने लंड को घुसा डालो और मैंने उसकी योनि के अंदर अपने मोटे लंड को डाल दिया जैसे ही मेरा लंड उसकी योनि के अंदर घुसा तो वह बड़ी जोर से चिल्लाई और मुझे कहने लगी तुमने मेरे सील तोड़ दी। मैंने जब उसकी चूत की तरफ देखा तो उसकी चूत से खून निकलने लगा था मैंने उसे कहा क्या तुमने अभी तक अपनी चूत किसी से नहीं करवाई थी तो वह कहने लगी नहीं लेकिन मुझे बहुत ज्यादा मजा आने लगा था।

मैं उसकी चूत पर बड़ी तेजी से प्रहार करने लगा था मैं उसको जिस प्रकार से धक्के दे रहा था उससे उसकी चूत से निकलता हुआ पानी बहुत ज्यादा अधिक हो चुका था और उसकी चूत से पानी निकलने लगा था मेरे अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी वह कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। हम दोनों ही पूरी तरीके से गर्म होने लगे थे हम दोनों के अंदर की गर्मी अब इस कदर बढ़ चुकी थी कि मैंने उसके दोनों पैरों को खोल लिया जब मैंने उसके पैरों को खोलो तो मेरा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर होने लगा और मुझे मजा आने लगा। मैंने जब उसकी चूत के अंदर बाहर लंड को तेजी से किया तो मुझे एहसास हुआ कि मेरे वीर्य की पिचकारी बाहर की तरफ को गिरने वाली है और मेरा वीर्य जैसे ही उसकी चूत में गया तो उसने मुझे कस कर अपने पैरों के बीच में जकड़ लिया और मुझे कहा आज मजा आया गया।
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चूत से लावा निकलने लगा था


मैं उस दिन जब अपने दफ्तर से घर लौटा तो मेरी पत्नी कविता मेरा इंतजार कर रही थी मैंने अपनी पत्नी कविता से कहा कि आज तुम्हारा चेहरा बिल्कुल उतरा हुआ है। वह कहने लगी की मुझे पापा का फोन आया था वह कह रहे थे कि तुम मुझसे मिलने के लिए कुछ दिनों के लिए आ जाओ। मैंने कविता से कहा कि ठीक है तुम कुछ दिनों के लिए उनसे मिलने चली जाओ तो वह कहने लगी ठीक है माधव मैं देखती हूं। मैंने उसे कहा कि तुम्हें मैं कल तुम्हारे पापा मम्मी के यहां छोड़ दूं तो कैसा रहेगा वह कहने लगी ठीक है लेकिन बच्चे भी तो हैं। मैंने कविता से कहा क्या बच्चे अभी ट्यूशन से नहीं आए हैं तो वह कहने लगी नहीं वह अभी ट्यूशन से नहीं आए हैं। थोड़ी देर बाद बच्चे भी ट्यूशन से आ चुके थे मैं हर रोज की तरह अपने दफ्तर से शाम के वक्त घर लौट आता था उसके बाद हम लोगों ने साथ में डिनर किया और अगले दिन मैंने कविता और बच्चों को कविता के पापा मम्मी के पास छोड़ दिया। कुछ दिनों तक मैं घर पर अकेला ही था इसलिए मुझे थोड़ा परेशानी जरूर हो रही थी लेकिन फिर भी मैंने मैनेज कर लिया था। एक दिन मैं अपने दफ्तर गया तो उस दिन मुझे पता चला कि मेरा ट्रांसफर पुणे हो चुका है इस बात से मैं बड़ा दुखी था कि मेरा ट्रांसफर पुणे हो चुका है।

मैंने जब यह बात कविता को फोन पर बताई तो वह भी यह बात सुनकर चौक गयी। मैं काफी समय से लखनऊ में ही नौकरी कर रहा था लेकिन अब मेरा ट्रांसफर पुणे होने वाला था इसलिए मेरे लिए सब कुछ नया होने वाला था। कविता अपने पापा मम्मी के पास ही थी तो वह कहने लगी कि माधव मैं कल ही घर आ जाऊंगी मैंने उसे कहा ठीक है और अगले दिन कविता घर आ गई। जब अगले दिन कविता घर आई तो मैंने कविता से कहा कि मेरा ट्रांसफर पुणे हो चुका है और मुझे कुछ दिनों के लिए पुणे जाना पड़ेगा वहां पर मुझे सारी व्यवस्था करनी पड़ेगी उसके बाद मैं तुम लोगों को लेने के लिए आ जाऊंगा कविता कहने लगी ठीक है माधव। मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि लखनऊ में ही हमारे सारे रिश्तेदार है और कविता के मम्मी पापा भी लखनऊ में ही रहते हैं।

हालांकि मेरे माता-पिता बरेली में रहते हैं लेकिन फिर भी कभी मुझे कुछ जरूरत होती तो कविता के माता-पिता हम लोगों की हमेशा मदद कर दिया करते थे और मुझे किसी भी बात की कोई चिंता नहीं रहती थी लेकिन अब मैं पुणे जाने वाला था और मेरे लिए पुणे में सब कुछ नया होने वाला था। मैं जब कुछ दिनों के लिए पुणे गया तो मैंने वहां पर रहने के लिए पहले तो घर ढूंढना शुरू किया कुछ दिनों तक मैं अपने एक परिचित के घर पर रुका था और फिर मुझे थोड़े दिनों बाद घर मिल गया तो वहां पर मैं रहने लगा। मैंने कविता को रात के वक्त फोन किया और कहा कि मुझे घर मिल चुका है और जल्दी मैं तुम लोगों को लेने के लिए लखनऊ आऊंगा। कविता कहने लगी ठीक है माधव आप अपना ध्यान रखना। कविता को मेरी बहुत चिंता सताती थी और वह मुझे कहती की आप अपना ध्यान रखते हैं या नहीं मैंने कविता को कहा कि हां मैं अपना ध्यान रखता हूं। हालांकि मुझे एडजस्ट करने में थोड़ा परेशानी जरूर हो रही है लेकिन फिर भी मैं एडजस्ट कर रहा था। मुझे पुणे में करीब 15 दिन हो चुके थे और इन 15 दिनों में मैं अब अपने आस-पड़ोस के लोगों को भी जानने लगा था। मैं इस बात से बिल्कुल भी खुश नहीं था कि मेरा ट्रांसफर पुणे हो चुका है लेकिन मेरी मजबूरी थी कि मुझे पुणे में नौकरी करनी थी। मैंने उस रात कविता से बात की और कविता से मेरी काफी देर तक बात हुई उस दिन मैं अपने ऑफिस से लौटा था तो मुझे काफी थकावट सी महसूस हो रही थी। कविता कहने लगी कि आपकी आवाज से आज ऐसा महसूस हो रहा है जैसे कि आप काफी ज्यादा थके हुए हैं तो मैंने कविता को कहा हां मैं बहुत ज्यादा थका हुआ हूं और आज मेरी तबीयत भी कुछ ठीक नहीं है। कविता कहने लगी अगर आपकी तबीयत ठीक नहीं है तो आप ऑफिस से छुट्टी ले लेते मैंने कविता को कहा आज ऑफिस में कुछ ज्यादा काम था इसलिए मैं छुट्टी नहीं ले पाया। कविता और मैं काफी देर तक बात करते रहे मैंने उस रात खाना बाहर से ही आर्डर करवा लिया था और जब खाना आया तो मैं खाना खाकर लेट चुका था।


अगले मुझे महसूस हो रहा था कि मुझे काफी तेज बुखार है इसलिए मुझे अपने ऑफिस से छुट्टी लेनी पड़ी और फिर मैं अपने ऑफिस से छुट्टी ले चुका था लेकिन मैंने यह बात कविता को नहीं बताई थी अगर मैं इस बारे में कविता को बताता तो वह बहुत परेशान हो जाती इसलिए मैंने उसे इस बारे में कुछ नहीं बताया। मैंने कविता को उस दिन मैसेज कर दिया और कहा कि मेरा ऑफिस में आज कुछ ज्यादा काम है इसलिए मैं तुमसे बात नहीं कर पाऊंगा। कविता ने भी मेरे मैसेज का रिप्लाई किया और कहने लगी कोई बात नहीं। उस दिन मैं घर पर ही लेटा हुआ था और जब मुझे लगने लगा कि शायद मेरी तबीयत कुछ ज्यादा ही खराब होने लगी है तो मैं डॉक्टर के पास गया और डॉक्टर ने मुझे कहा कि तुम्हारी तबीयत तो काफी खराब है। उन्होंने मुझे दवाई दी और कहा कि तुम्हें कुछ दिनों के लिए आराम करना पड़ेगा। मैंने भी अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली और कुछ दिनों के लिए मैं आराम करने लगा क्योंकि मेरी तबीयत काफी ज्यादा खराब हो गई थी इसलिए मुझे कुछ दिनों के लिए घर पर ही आराम करना  था।

मै अब ठीक होने लगा था मेरी तबीयत में आप पहले से ज्यादा सुधार था मैं जब उस दिन अपने घर से बाहर जा रहा था तो मैंने देखा हमारे पड़ोस में कोई फैमली रहने के लिए आ रही हैं। मैं जब गोविंद जी से मिला तो उन्होंने मेरा परिचय अपनी पत्नी से करवाया उनकी पत्नी शीतल ने मुझसे पूछा कि क्या आप अकेले रहते हैं? मैंने उन्हें बताया मुझे यहां आए कुछ ही दिन हुए हैं और थोड़े समय बाद मै अपनी पत्नी को यहां ले आऊंगा। उसके बाद गोविंद जी और मेरे बीच काफी अच्छी बात हो गई थी वह भी किसी सरकारी संस्थान में ही नौकरी करते थे और उनका ट्रांसफर भी पुणे में ही हुआ था। शीतल भाभी घर पर ज्यादा समय अकेला ही रहती थी जब भी मैं घर पर होता तो वह मुझसे मिलने आ जाती थी पहले तो मुझे इस बात को लेकर कुछ समझ नहीं आया लेकिन फिर मुझे लगा कि वह मुझसे कुछ तो चाहती हैं। एक दिन हम दोनों साथ में बैठे हुए थे तो वह मेरे बगल में ही बैठे हुए थे देखते ही देखते जब वह मेरी गोद में आकर बैठ गई तो मेरा लंड तन कर खड़ा होने लगा मेरा मोटा लंड उनकी गांड से टकराकर और भी ज्यादा कठोर होने लगा। मैं बहुत ही ज्यादा गर्म हो चुका था मुझे लगने लगा था कि मैं बिल्कुल भी रह नहीं पाऊंगा मेरे अंदर की गर्मी बहुत अधिक बढ़ने लगी थी उन्होंने भी जब मेरे लंड को बाहर निकाल कर उसे अपने हाथों में लिया और उसको हिलाना शुरू किया तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। जब वह मेरे लंड को हिलाती तो मेरे अंदर की आग और भी ज्यादा बढ़ जाती। अब मेरे अंदर की आग इस कदर बढ़ चुकी थी मैं बिल्कुल भी रहा नहीं पा रहा था और ना ही वह रह पा रही थी उन्होंने मुझसे कहा मुझसे तो बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है मैंने उन्हें कहा रह तो मैं भी बिल्कुल नहीं पा रहा हूं उन्होंने मेरे लंड को चूसकर मेरे लंड से पूरी तरीके से पानी बाहर निकाल दिया था मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं गया। मैंने उनकी साड़ी के ऊपर उठाते हुए उनकी पैंटी को नीचे सरका दिया उनकी चूतड़ों को अपनी तरफ किया तो मैंने देखा उनकी चूत से पानी टपक रहा था मैंने उनकी चूत के अंदर जब उंगली को घुसाया तो वह कहने लगी आप यह क्या कर रहे हैं मैंने आपकी चूत में लंड घुसाने से पहले आपकी चूत मे उंगली को डालना चाहता हूं।

शीतल भाभी की चूत के अंदर बाहर मै अपनी उंगली को करता तो वह अब तड़पने लगी थी और मुझे कहने लगी आप जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत में डाल दीजिए। मैंने उन्हें कहा मै अपने लंड को आपकी चूत मे डाल रहा हू। वह बहुत ही ज्यादा तड़पने लगी थी मेरे अंदर की भी गर्मी इतनी बढ़ गई कि मैंने अपने लंड पर थूक लगाते हुए जब अपने लंड को उनकी चूत पर सटाया तो वह कहने लगी आप मेरी चूत को अपना बना लो। मैंने भी एक ज़ोरदार झटके के साथ अपने पूरे लंड को उनकी चूत के जड़ तक घुसा दिया मेरे अंडकोष उनकी चूत की दीवार से टकराने लगे तो मुझे महसूस हो गया वह बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई है क्योंकि उनकी चूत से जिस प्रकार की गर्मी बाहर निकल रही थी उससे मुझे साफ तौर पर लग गया था कि वह बिल्कुल भी रह नहीं पाएंगी। मैंने उनको बड़ी तेजी से चोदना शुरू कर दिया मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था।

अब मैं उनको बड़ी तीव्र गति से धक्के मार रहा था मैं जिस तेज गति से उनको धक्के मारता उससे मुझे और भी ज्यादा मजा आता और कहीं ना कहीं मैं इतना ज्यादा उत्तेजित हो चला था कि मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था। उनकी गर्मी पूरी तरीके से बढ़ने लगी थी मैं उनकी चूतड़ों पर अपने लंड को बड़ी तेजी से टकराता तो वह खुश हो जाती और वह अपने चूतड़ों को मुझसे मिलाने की कोशिश करती लेकिन जब वह ऐसा करती तो उनके अंदर की गर्मी बढ जाती। उनकी चूत से कुछ ज्यादा ही पानी निकाल रहा था करीब 10 मिनट तक हम दोनों के चूत और लंड से ऐसी ही रगडन पैदा होती रही तो उसको मेरा लंड बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पाया मेरे लंड से वीर्य बाहर की तरफ को निकाल आया। शीतल भाभी बड़ी खुश थी और उनके चूत की खुजली हमेशा मैं ही मिटा दिया करता।
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पत्नी संग दो पल प्यार के


मैं अपनी शादीशुदा जिंदगी से बिल्कुल भी खुश नहीं था मेरी पत्नी और मेरे बीच बिल्कुल भी अच्छा संभंध नहीं था जिससे कि हम लोगों के बीच अक्सर झगड़े होते रहते थे। मुझे लगने लगा था कि मुझे अपनी पत्नी को डिवोर्स दे देना चाहिए और फिर मैंने अपनी पत्नी को डिवोर्स देने का फैसला कर लिया। इस बारे में मैंने अपने परिवार से बात की और अपने कुछ रिश्तेदारों से भी बात की तो सब लोगों की रजामंदी से मैंने अपनी पत्नी को डिवोर्स दे दिया। उसके बाद मेरी पत्नी मुझसे अलग हो चुकी थी सरिता का मेरे जीवन से चले जाना शायद मेरे लिए अच्छा ही था। उसका मुझसे अलग हो जाने के बाद मैंने अपनी कंपनी से रिजाइन दे दिया उसके बाद मैंने दूसरी कंपनी ज्वाइन कर ली जिसमें कि मुझे अच्छी तनख्वाह मिलती थी और कुछ ही समय मे मेरा प्रमोशन भी हो गया। मैं अपनी जिंदगी से बहुत ही खुश था और मेरी जिंदगी बड़े ही सामान्य तरीके से चल रही थी मैं काफी खुश था।

जब हमारे ऑफिस में आशा आई तो आशा से मिलकर मुझे बहुत ही अच्छा लगा आशा और मेरी जिंदगी में कई समानताएं थी उसके पति से उसका डिवोर्स कुछ समय पहले ही हुआ था और मेरे साथ भी बिल्कुल वही स्थिति थी इसलिए आशा और मैं एक दूसरे से काफी घुलने मिलने लगे। हम दोनों एक दूसरे के बहुत करीब आ गए थे मैं आशा के साथ जब भी होता तो मुझे काफी अच्छा लगता आशा के साथ समय बिताना मुझे बहुत अच्छा लगता है। एक दिन हम लोग लंच टाइम में साथ में बैठे हुए थे तो आशा ने मुझसे कहा कि राकेश आज मैं बहुत परेशान हूं। मैंने उससे कहा कि लेकिन तुम्हारी परेशानी का कारण क्या है तो आशा ने मुझे बताया कि उसके मम्मी पापा चाहते हैं कि वह शादी कर ले लेकिन आशा दोबारा शादी नहीं करना चाहती थी। आशा ने अपने शादीशुदा जिंदगी के अनुभवों को मुझ से साझा किया उसने मुझसे कहा कि मैं फिलहाल शादी नहीं करना चाहती हूं और ऐसे ही कैसे मैं किसी भी लड़के के साथ शादी कर लूं।

आशा और मेरी जिंदगी में कई समानताएं थी इसीलिए मैं आशा को अच्छे से समझता था मैंने आशा को कहा आशा अगर तुम्हारे परिवार वाले चाहते हैं कि तुम शादी करो तो तुम एक बार उस लड़के को मिल लो जिससे वह तुम्हारी शादी करवाना चाहते है इससे तुम्हारे घर वालों की बात भी रह जाएगी और वह लोग तुम्हें भी कुछ नहीं कहेंगे। आशा कहने लगी हां राकेश तुम ठीक कह रहे हो मैं उससे एक बार मिल तो सकती हूं। जब आशा उस लड़के को मिली तो मैंने अगले दिन उससे पूछा कि तुमने क्या सोचा तो आशा कहने लगी कि मैंने तो लड़के को देखते ही मना कर दिया था और मैंने अपने पापा से भी कह दिया कि मैं अब शादी नहीं करना चाहती हूं। मुझे क्या मालूम था कि आशा और मेरे बीच की नजदीकियां इतनी बढ़ती चली जाएंगी की एक समय ऐसा भी आएगा जब मैं आशा के बिना बिल्कुल भी नहीं रह पाऊंगा और मेरी जिंदगी उसके बिना जैसे अधूरी हो जाएगी। एक दिन आशा से मैंने कहा कि आशा मैं तुम्हारे साथ अपनी जिंदगी बिताना चाहता हूं तो आशा मेरी तरफ देख कर कहने लगी कि राकेश मुझे भी तुम्हारा साथ अच्छा लगता है लेकिन मुझे डर लगता है कि कहीं दोबारा से मेरे साथ पहले की तरह ही ना हो जाए। मैंने आशा को कहा आशा देखो तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है और तुम तो मुझे इतने समय से जानती हो मेरी पत्नी के साथ मेरे जो भी रिश्ते थे वह सब भूल कर मैं अब आगे बढ़ चुका हूं क्योंकि उसके साथ मेरी बिल्कुल भी नहीं बन पाई, हम दोनों एक दूसरे को समझते ही नहीं थे शायद इसलिए हम दोनों को एक दूसरे का साथ बिल्कुल भी पसंद नहीं था और हम दोनों का डिवोर्स हो गया और यह बात तुम्हें भी अच्छे से मालूम है आशा मुझे कहने लगी हां राकेश मुझे पता है। हम दोनों अब एक दूसरे को डेट करने लगे थे और यह बात मेरे परिवार वालों को भी पता चल चुकी थी। आशा हमारे घर पर आई तो मैंने उसे अपने घर वालो से मिलाया उसके बाद हम दोनों की नज़दीकियां बहुत बढ़ने लगी थी। मैं और आशा एक दूसरे के इतने नजदीक आ चुके थे कि हम दोनों एक दूसरे के बिना बिल्कुल भी रह नहीं पाते थे जब भी आशा मेरे साथ होती तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता। इस बीच मुझे अपने ऑफिस के टूर के सिलसिले में कुछ दिनों के लिए मुंबई जाना था तो आशा को भी यह बात मालूम थी कि मैं कुछ दिनों के लिए मुंबई जा रहा हूं।


आशा को मैंने कहा कि जब मैं लौटूंगा तो इस बारे में हम लोग बात करेंगे क्योंकि मुझे लगता है कि अब हम दोनों को एक दूसरे के साथ बात करते हुए काफी समय हो चुका है और हमारे रिलेशन को हमें अब आगे बढ़ाना चाहिए। आशा कहने लगी ठीक है राकेश तुम मुंबई से लौट आओ उसके बाद हम लोग इस बारे में बात करेंगे। मैं मुंबई चला गया था और करीब दो दिन तक मुंबई में रहने के बाद मैं वापस लौट आया था। जब मैं वापस लौटा तो आशा ने अपना पूरा मन बना लिया था कि वह मुझसे ही शादी करेगी और आशा चाहती थी कि मैं उसके परिवार वालों से भी मिलूं। मैं जब आशा के परिवार वालों से मिला तो उन्होंने भी मुझे स्वीकार कर लिया था और उन्हें मुझसे कोई आपत्ति नहीं थी सजे बाद हम दोनों की सगाई तय हो गई और जल्द ही हम दोनों की सगाई हो गई। सगाई हो जाने के बाद हम दोनों ने कोर्ट मैरिज करने का फैसला किया क्योंकि आशा चाहती थी कि हम दोनों कोर्ट में ही शादी करें इसलिए मैंने और आशा ने कोर्ट में ही शादी की। हम दोनों की शादी हो जाने के बाद हम पति-पत्नी बन चुके थे।

आशा ने जॉब से रिजाइन देने का फैसला कर लिया था क्योंकि वह चाहती थी कि वह घर पर रहकर ही मैं मां-पापा की देखभाल करें इसलिए उसने रिजाइन दे दिया था। हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत खुश है और हमारा शादीशुदा जीवन बहुत अच्छे से चल रहा था आशा घर मैं मेरे माता-पिता की देखभाल बड़े अच्छे से करती और मुझे बहुत ही अच्छा लगता जब आशा मेरे पापा मम्मी की देखभाल करती। सब कुछ बहुत ही अच्छे से चल रहा था एक शाम में ऑफिस से थका हुआ लौटा उस दिन मै बहुत ज्यादा थका हुआ था आशा मुझे कहने लगी आज तुम बहुत थके हुए हो। मैंने आशा को कहा हां आज ऑफिस ज्यादा काम था इसलिए मुझे थकान महसूस हो रही है मेरे सर में भी बहुत ज्यादा दर्द है। आशा कहने लगी मैं अभी आपके लिए चाय बना देती हूं आशा ने मेरे लिए  चाय बनाई चाय पीने के बाद मैं सोफे पर ही लेटा रहा। मैं अपने आपको थोड़ा ठीक महसूस कर रहा था अब मैं कमरे में चला आया आशा ने मेरे बैग को मेज पर रख दिया उसके बाद हम दोनों एक दूसरे के साथ बैठकर बातें करने लगे काफी दिन हो गए थे हम दोनों की एक दूसरे से अच्छे से बात भी नहीं हो पाई थी। मैंने आशा का हाथ पकड़ते हुए अपनी और खींचा और उस से मैं बातें करने लगा आशा मेरे पास बैठी हुई थी मैं उसकी जांघों को सहला रहा था जब मैं उसकी जांघों को सहला रहा था तो मुझे ऐसा प्रतीत होने लगा जैसे कि मेरे अंदर की गर्मी बढने लगी है और मेरे अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा ही बढ़ चुकी थी। मैं बिल्कुल भी अपने आपको रोक नहीं पा रहा था मैंने आशा से कहा मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रहा हूं आशा भी इस बात को समझ चुकी थी उसने मेरी पैंट को उतारकर मेरे लंड को हिलाना शुरु किया उसको मेरे लंड को हिलाने मे मजा आ रहा था अब आशा ने दरवाजा बंद किया। उसके बाद हम एक दूसरे की बाहों में आ चुके थे वह मेरे मोटे लंड को हिला रही थी तो मेरे अंदर की गर्मी बढ़ती जा रही थी।

मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था उसने मेरे लंड को बहुत देर तक चूसा। उसके बाद जब मैंने उसके स्तनो को चूसना शुरू किया तो उसको बहुत मजा आने लगा वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है हम दोनों के अंदर की गर्मी पूरी तरह से बढने लगी थी। हम दोनों बिल्कुल भी रह नही पा रहे थे मैंने आशा के बदन से कपड़े निकाल दिए। जब उसके बदन से मैंने कपड़े उतार कर मैंने उसके स्तनो को बहुत देर तक चूसा उसके निप्पल खड़े होने लगे थे। जब उसके निप्पल खड़े होने लगे तो मेरे अंदर की आग बढने लगी अब हम दोनों बहुत ज्यादा गरम हो चुके थे इसलिए मैंने अब आशा की चूत पर अपने लंड को लगाकर अंदर की तरफ डाला तो वह बहुत जोर से चिल्लाई और अपने पैरों को खोलने लगी। वह मुझे कहने लगी राकेश मुझे दर्द हो रहा है मैंने उसके दोनों पैरों को खोल कर उसको तेज गति से चोदना शुरु कर दिया।

उसके अंदर की आग अधिक होने लगी हम दोनों ही बिल्कुल भी रह नहीं पा रहे थे ना तो मैं रह पा रहा था और ना ही आशा लेकिन जिस गति से मैं उसको चोद रहा था उससे मुझे बड़ा मजा आ रहा था। उसकी चूत मारने में जिस प्रकार का मजा मुझे आ रहा था उससे वह भी बहुत ज्यादा खुश हो गई थी। वह  मुझे कहने लगी मेरे अंदर कि आग को तुम ऐसे ही बढ़ाते जाओ मेरे अंदर बहुत ज्यादा गर्मी पैदा हो रही थी क्योंकि हम दोनों के लंड और चूत के रगडन से जो गर्मी पैदा हो रही थी उस से एक अलग ही आग निकल रही थी। हम दोनों बिल्कुल भी रह नहीं पा रहे थे मुझे लगने लगा था कि जल्द ही मेरा माल बाहर आ जाएगा। मैंने उसके स्तनों को चूसना शुरु किया वह कहने लगी आज तुमने  मेरे अंदर की गर्मी को पूरा बढा दिया है। मुझे जब भी आशा को चूत मारनी होता तो मै आशा की चूत मारकर उसकी इच्छा को पूरा कर दिया करता और मुझे बहुत ही अच्छा लगता जब मैं उसकी इच्छा को पूरा कर दिया करता था।
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